#शिव चालीसा चौपाई
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शिव चालीसा इन हिंदी अर्थ सहित » Shiv Chalisa In Hindi
शिव चालीसा इन हिंदी अर्थ सहित » Shiv Chalisa In Hindi Shiv Chalisa In Hindi शिव चालीसा इन हिंदी अर्थ सहित » Shiv Chalisa In Hindi Shiv Chalisa Lyrics || शिव चालीसा दोहा || जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान ॥ || शिव चालीसा चौपाई || जय गिरिजा पति दीन दयाला ।सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥ भाल चन्द्रमा सोहत नीके ।कानन कुण्डल नागफनी के ॥ अंग गौर शिर गंग बहाये…
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श्री भैरव चालीसा | Shree Bhairav Chalisa
श्री भैरव चालीसा विडियो श्री भैरव चालीसा ।।दोहा।। श्री गणपति, गुरु गौरि पद, प्रेम सहित धरि माथ । चालीसा वन्दन करौं, श्री शिव भैरवनाथ ।।1 श्री भैरव संकट हरण, मंगल करण कृपाल । श्याम वरण विकराल वपु, लोचन लाल विशाल ।।2 ।।चौपाई।। जय जय श्री काली के लाला । जयति जयति काशी-कुतवाला ।।1 जयति “बटुक भैरव” भय हारी । जयति “काल भैरव” बलकारी ।।2 जयति “नाथ भैरव” विख्याता । जयति “सर्व भैरव” सुखदाता ।।3 भैरव रूप…
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🔱 शिव चालीसा - Shiv Chalisa
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान । कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान ॥
॥ चौपाई ॥ जय गिरिजा पति दीन दयाला । सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके । कानन कुण्डल नागफनी के ॥
अंग गौर शिर गंग बहाये । मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे । छवि को देखि नाग मन मोहे ॥...
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#shivaratri #happymonday #Monday #Somvar #SolahSomvar #Bolbum #harhar
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जय जय जय जग पावनी,जयति देवसरि गंग।
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Il श्री शिव चालीसा ll
॥ दोहा ॥
जय गणेश गिरिजा सुवन,
मंगल मूल सुजान ।
कहत अयोध्यादास तुम,
देहु अभय वरदान ll
॥ चौपाई ॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला ।
सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके ।
कानन कुण्डल नागफनी के ॥
अंग गौर शिर गंग बहाये ।
मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे ।
छवि को देखि नाग मन मोहे ॥ 4
मैना मातु की हवे दुलारी ।
बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी ।
करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे ।
सागर मध्य कमल हैं जैसे ॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ ।
या छवि को कहि जात न काऊ ॥ 8
देवन जबहीं जाय पुकारा ।
तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥
किया उपद्रव तारक भारी ।
देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥
तुरत षडानन आप पठायउ ।
लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥
आप जलंधर असुर संहारा ।
सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥ 12
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई ।
सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥
किया तपहिं भागीरथ भारी ।
पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं ।
सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥
वेद नाम महिमा तव गाई।
अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥ 16
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला ।
जरत सुरासुर भए विहाला ॥
कीन्ही दया तहं करी सहाई ।
नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥
पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा ।
जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥
सहस कमल में हो रहे धारी ।
कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥ 20
एक कमल प्रभु राखेउ जोई ।
कमल नयन पूजन ��हं सोई ॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर ।
भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥
जय जय जय अनन्त अविनाशी ।
करत कृपा सब के घटवासी ॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै ।
भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै ॥ 24
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो ।
येहि अवसर मोहि आन उबारो ॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो ।
संकट से मोहि आन उबारो ॥
मात-पिता भ्राता सब होई ।
संकट में पूछत नहिं कोई ॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी ।
आय हरहु मम संकट भारी ॥ 28
धन निर्धन को देत सदा हीं ।
जो कोई जांचे सो फल पाहीं ॥
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी ।
क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥
शंकर हो संकट के नाशन ।
मंगल कारण विघ्न विनाशन ॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं ।
शारद नारद शीश नवावैं ॥ 32
नमो नमो जय नमः शिवाय ।
सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥
जो यह पाठ करे मन लाई ।
ता पर होत है शम्भु सहाई ॥
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी ।
पाठ करे सो पावन हारी ॥
पुत्र हीन कर इच्छा जोई ।
निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥ 36
पण्डित त्रयोदशी को लावे ।
ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा ।
ताके तन नहीं रहै कलेशा ॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे ।
शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥
जन्म जन्म के पाप नसावे ।
अन्त धाम शिवपुर में पावे ॥ 40
कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी ।
जानि सकल दुःख हरहु हमारी ॥
॥ दोहा ॥
नित्त नेम कर प्रातः ही,
पाठ करौं चालीसा ।
तुम मेरी मनोकामना,
पूर्ण करो जगदीश ॥
मगसर छठि हेमन्त ॠतु,
संवत चौसठ जान
अस्तुति चालीसा शिवहि,
पूर्ण कीन कल्याण ॥
ॐ नमः शिवाय🔱🚩🙏
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Maa Parvati Chalisa | सुनने से ही सभी इच्छाओ की पूर्ति | माँ पार्वती चालीसा |
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॥ दोहा ॥
जय गिरी तनये दक्षजे शम्भू प्रिये गुणखानि।
गणपति जननी पार्वती अम्बे! शक्ति! भवानि॥
॥ चौपाई ॥
ब्रह्मा भेद न तुम्हरो पावे, पंच बदन नित तुमको ध्यावे।
षड्मुख कहि न सकत यश तेरो, सहसबदन श्रम करत घनेरो।।
तेऊ पार न पावत माता, स्थित रक्षा लय हिय सजाता।
अधर प्रवाल सदृश अरुणारे, अति कमनीय नयन कजरारे।।
ललित ललाट विलेपित केशर, कुंकुंम अक्षत शोभा मनहर।
कनक बसन कंचुकि सजाए, कटी मेखला दिव्य लहराए।।
कंठ मंदार हार की शोभा, जाहि देखि सहजहि मन लोभा।
बालारुण अनंत छबि धारी, आभूषण की शोभा प्यारी।।
नाना रत्न जड़ित सिंहासन, तापर राजति हरि चतुरानन।
इन्द्रादिक परिवार पूजित, जग मृग नाग यक्ष रव कूजित।।
गिर कैलास निवासिनी जय जय, कोटिक प्रभा विकासिनी जय जय।
त्रिभुवन सकल कुटुंब तिहारी, अणु अणु महं तुम्हारी उजियारी।।
हैं महेश प्राणेश तुम्हारे, त्रिभुवन के जो नित रखवारे।
उनसो पति तुम प्राप्त कीन्ह जब, सुकृत पुरातन उदित भए तब।।
बूढ़ा बैल सवारी जिनकी, महिमा का गावे कोउ तिनकी।
सदा श्मशान बिहारी शंकर, आभूषण हैं भुजंग भयंकर।।
कण्ठ हलाहल को छबि छायी, नीलकण्ठ की पदवी पायी।
देव मगन के हित अस किन्हो, विष लै आपु तिनहि अमि दिन्हो।।
ताकी, तुम पत्नी छवि धारिणी, दुरित विदारिणी मंगल कारिणी।
देखि परम सौंदर्य तिहारो, त्रिभुवन चकित बनावन हारो।।
भय भीता सो माता गंगा, लज्जा मय है सलिल तरंगा।
सौ�� समान शम्भू पहआयी, विष्णु पदाब्ज छोड़ि सो धायी।।
तेहि कों कमल बदन मुरझायो, लखी सत्वर शिव शीश चढ़ायो।
नित्यानंद करी बरदायिनी, अभय भक्त कर नित अनपायिनी।।
अखिल पाप त्रयताप निकन्दिनी, माहेश्वरी, हिमालय नन्दिनी।
काशी पुरी सदा मन भायी, सिद्ध पीठ तेहि आपु बनायी।।
भगवती प्रतिदिन भिक्षा दात्री, कृपा प्रमोद सनेह विधात्री।
रिपुक्षय कारिणी जय जय अम्बे, वाचा सिद्ध करि अवलम्बे।।
गौरी उमा शंकरी काली, अन्नपूर्णा जग प्रतिपाली।
सब जन की ईश्वरी भगवती, पतिप्राणा परमेश्वरी सती।।
तुमने कठिन तपस्या कीनी, नारद सों जब शिक्षा लीनी।
अन्न न नीर न वायु अहारा, अस्थि मात्रतन भयउ तुम्हारा।।
पत्र घास को खाद्य न भायउ, उमा नाम तब तुमने पायउ।
तप बिलोकी ऋषि सात पधारे, लगे डिगावन डिगी न हारे।।
तब तव जय जय जय उच्चारेउ, सप्तऋषि, निज गेह सिद्धारेउ।
सुर विधि विष्णु पास तब आए, वर देने के वचन सुनाए।।
मांगे उमा वर पति तुम तिनसों, चाहत जग त्रिभुवन निधि जिनसों।
एवमस्तु कही ते दोऊ गए, सुफल मनोरथ तुमने लए।।
करि विवाह शिव सों भामा, पुनः कहाई हर की बामा।
जो पढ़िहै जन यह चालीसा, धन जन सुख देइहै तेहि ईसा।।
॥ दोहा ॥
कूटि चंद्रिका सुभग शिर, जयति जयति सुख खानि
पार्वती निज भक्त हित, रहहु सदा वरदानि।
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सीताराम
जय वीर हनुमान
राम राम श्री राम राम, राम राम श्री राम
।। श्री हनुमान चालीसा ।।
हनुमान चालीसा मे गुरु का दो बार सीता जी का ५ बार,राम जी का २० बार,श्री हनुमान जी का २१ बार नाम का उच्चारण है। राम,सीता,हनुमान नाम मिलाकर ४६ होता है और यह चालीसा मे ४६ चौपाई दोहा है।लखन,अंजनी,कुबेर,शिव पार्वती सभी का स्तुती हो रहा है। २० बार श्री राम का स्मरण याद कराने से हनुमान जी भक्त के कार्य के लिये आतुर रहते है।श्री राम का नाम ही हनुमान जी की शक्ति है।इसमे हनुमान जी का गुरु रुप भी वरदायक है। इसमे साक्षी गौरी शंकर जी है कि इस चालीसा का पाठ जो पूर्ण श्रद्धा से कर��गा,उसकी कामना की सिद्धि यानि पूर्ति होगी।
राम राम श्री राम राम, राम राम श्री राम
शुभप्रभात:-----
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शिव चालीसा इन हिंदी अर्थ सहित » Shiv Chalisa In Hindi
शिव चालीसा इन हिंदी » Shiv Chalisa In Hindi Shiv Chalisa In Hindi शिव चालीसा इन हिंदी » Shiv Chalisa In Hindi Shiv Chalisa Lyrics || शिव चालीसा दोहा || जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान ॥ || शिव चालीसा चौपाई || जय गिरिजा पति दीन दयाला ।सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥ भाल चन्द्रमा सोहत नीके ।कानन कुण्डल नागफनी के ॥ अंग गौर शिर गंग बहाये ।मुण्डमाल तन क्षार…
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🔱 शिव चालीसा - Shiv Chalisa
जय गणेश गिरिजा सुवन,मंगल मूल सुजान ।कहत अयोध्यादास तुम,देहु अभय वरदान ॥
॥ चौपाई ॥ जय गिरिजा पति दीन दयाला ।सदा करत सन्तन प्रतिपाला...
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बजरंग बाण Bajrang Baan Lyrics In Hindi – Hariharan
Bajrang Baan lyrics in Hindi (बजरंग बाण) is a pious chanting to praise the Lord Hanuman Ji. It is said that by reciting the Bajrang Baan all the troubles are removed. Be it any kind of trouble or fear, Bajrang Baan of Bajrangbali will prove to be a perfect solution to every problem.
It is said that we should recite the Bajrang Baan only in case of special need like when you are stuck in a grave crisis, all circumstances are against you, there is no way of getting out of them, then reciting the Bajrang baan on Tuesday or Saturday proves to be extremely helpful. Keep in mind that this is not something you should recite at any time.
When you recite Bajrang Baan lyrics in Hindi for the accomplishment of a particular work and if that work is successful, then take a pledge that you will definitely do something regularly to serve Hanuman.
Bajrang Baan lyrics is sung by Hariharan and music is composed by Lalit Sen & Chander. The lyrics is from the album “Shree Hanuman Chalisa (Hanuman Ashtak)” and the track is released under “T-Series” music label.
Bajrang Baan Details
Hanuman Bhajan: बजरँग बाण (Bajrang Baan)
Album: Shree Hanuman Chalisa (Hanuman Ashtak)
Singer: Hariharan
Lyrics: Traditional
Music: Lalit Sen, Chander
Music Label: T-Series
Bajrang Baan Lyrics In Hindi
दोहा
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान। तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥
चौपाई
जय हनुमंत संत हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥ जन के काज बिलंब न कीजै। आतुर दौरि महा सुख दीजै॥
जैसे कूदि सिंधु महिपारा। सुरसा बदन पैठि बिस्तारा॥ आगे जाय लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुरलोका॥
जाय बिभीषन को सुख दीन्हा। सीता निरखि परमपद लीन्हा॥ बाग उजारि सिंधु महँ बोरा। अति आतुर जमकातर तोरा॥
अक्षय कुमार मारि संहारा। लूम लपेटि लंक को जारा॥ लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुरपुर नभ भई॥
अब बिलंब केहि कारन स्वामी। कृपा करहु उर अंतरयामी॥ जय जय लखन प्रान के दाता। आतुर ह्वै दुख करहु निपाता॥
जै हनुमान जयति बल-सागर। सुर-समूह-समरथ भट-नागर॥ ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले। बैरिहि मारु बज्र की कीले॥
ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा। ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर सीसा॥ जय अंजनि कुमार बलवंता। शंकरसुवन बीर हनुमंता॥
बदन कराल काल-कुल-घालक। राम सहाय सदा प्रतिपालक॥ भूत, प्रेत, पिसाच निसाचर। अगिन बेताल काल मारी मर॥
इन्हें मारु, तोहि सपथ राम की। राखु नाथ मरजाद नाम की॥ सत्य होहु हरि सपथ पाइ कै। राम दूत धरु मारु धाइ कै॥
जय जय जय हनुमंत अगाधा। दुख पावत जन केहि अपराधा॥ पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत कछु दास तुम्हारा॥
बन उपबन मग गिरि गृह माहीं। तुम्हरे बल हौं डरपत नाहीं॥ जनकसुता हरि दास कहावौ। ताकी सपथ बिलंब न लावौ॥
जै जै जै धुनि होत अकासा। सुमिरत होय दुसह दुख नासा॥ चरन पकरि, कर जोरि मनावौं। यहि औसर अब केहि गोहरावौं॥
उठ��, उठु, चलु, तोहि राम दुहाई। पायँ परौं, कर जोरि मनाई॥ ॐ चं चं चं चं चपल चलंता। ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंता॥
ॐ हं हं हाँक देत कपि चंचल। ॐ सं सं सहमि पराने खल-दल॥ अपने जन को तुरत उबारौ। सुमिरत होय आनंद हमारौ॥
यह बजरंग-बाण जेहि मारै। ताहि कहौ फिरि कवन उबारै॥ पाठ करै बजरंग-बाण की। हनुमत रक्षा करै प्रान की॥
यह बजरंग बाण जो जापैं। तासों भूत-प्रेत सब कापैं॥ धूप देय जो जपै हमेसा। ताके तन नहिं रहै कलेसा॥
दोहा
उर प्रतीति दृढ़, सरन ह्वै, पाठ करै धरि ध्यान। बाधा सब हर, करैं सब काम सफल हनुमान॥
Bajrang Baan Lyrics Audio / Song
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बजरंग बाण Bajrang Baan FAQ
बजरंग बाण का पाठ कब करना चाहिए?
बजरंग बाण का पाठ हमें किसी ख़ास उद्देश्य के लिए ही करना चाहिए। बजरंग बाण का पाठ करने के लिए मंगलवार या शनिवार का दिन सबसे उपयुक्त माना जाता है।
क्या महिलाएं बजरंग बाण का पाठ कर सकती है?
नहीं, महिलाओं के लिए बजरंग बाण का पाठ करना उपयुक्त नहीं बताया गया है।
बजरंग बाण पाठ करने से क्या होता है?
Be it any kind of trouble or fear, this Bajrang Baan of Bajrangbali will prove to be a perfect solution to every problem.
Who has written Bajrang Baan?
श्री हनुमान बजरंग-बाण ।। Shri Hanuman Bajrang Baan written by shri Goswami Tulsidas ji.
Where can I find the Bajrang Baan lyrics in Hindi?
You can read the complete lyrics in Hindi here: Bajrang Baan Lyrics.
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Shiv chalisa lyrics
Shiv chalisa lyrics in Hindi
हिन्दू धर्म में त्रिदेवों की कल्पना की गई है। मान्यता है कि यही त्रिदेव विश्व के रचयिता, संचालक और पालक हैं। त्रिदेवों में ���ो संहारक माना गया है। शिवजी को उनके भोले स्वभाव के कारण भोलेनाथ भी कहा जाता है। कहा जाता है कि शिवजी की आराधना करने वाले जातक मृत्यु का भय भी नहीं सताता। शिवजी भगवान शिव की आराधना के लिए सबसे आसान मंत्र है "ऊं नम: शिवाय"। इस मंत्र के साथ शिवजी की पूजा में शिव चालीसा का भी उपयोग किया जाता है। शिव चालीसा हिन्दू धार्मिक पुस्तकों में भी वर्णित है।
शिव चालीसा Lyrics
॥दोहा॥ जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान। कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥ ॥चौपाई॥ जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥ भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥ अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन क्षार लगाए॥ वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देखि नाग मन मोहे॥ मैना मातु की हवे दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥ कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥ नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥ कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥ देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥ किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥ तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥ आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥ त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥ किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥ दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥ वेद माहि महिमा तुम गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥ प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला। जरत सुरासुर भए विहाला॥ कीन्ही दया तहं करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥ पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥ सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥ एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥ कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भए प्रसन्न दिए इच्छित वर॥ जय जय जय अनन्त अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥ दुष्ट सकल नित मोहि सतावै। भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै॥ त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। येहि अवसर मोहि आन उबारो॥ लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट ते मोहि आन उबारो॥ मात-पिता भ्राता सब होई। संकट में पूछत नहिं कोई॥ स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु मम संकट भारी॥ धन निर्धन को देत सदा हीं। जो कोई जांचे सो फल पाहीं॥ अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥ शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥ योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। शारद नारद शीश नवावैं॥ नमो नमो जय नमः शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥ जो यह पाठ करे मन लाई। ता पर होत है शम्भु सहाई॥ ॠनियां जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥ पुत्र होन कर इच्छा जोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥ पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे॥ त्रयोदशी व्रत करै हमेशा। ताके तन नहीं रहै कलेशा॥ धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥ जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्त धाम शिवपुर में पावे॥ कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥ ॥दोहा॥ नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा। तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश॥ मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान। अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥ you also like : Mera Bhola Hai Bhandari Lyrics || Baba Hansraj Raghuwanshi Phirse Wohi || Hansraj Raghuwanshi || latest song lyrics Read the full article
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चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि पर हर वर्ष हनुमान जन्मोत्सव को बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस बार यह पर्व 08 अप्रैल, बुधवार को है। शास्त्रों के अनुसार बजरंगबली भगवान शिव के ग्यारहवें अवतार हैं। हनुमान जी का जन्म धरती पर भगवान श्री राम की सहायता करने के लिए हुआ था। श्री राम के प्रिय भक्त हनुमान जी को अष्ट सिद्धि और नौ निधि के दाता के रूप में जाना जाता है। हनुमान चालीसा में अष्ट सिद्धियों से संबंधित एक दोहा है-
अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता, अस बर दीन जानकी माता।
इस दोहे में जिन अष्ट सिद्धियों की बात की गई है, वह बहुत ही चमत्कारी शक्तियाँ हैं। इस चौपाई का अर्थ है कि हनुमानजी की सच्चे मन से उपासना करने पर वे अपने भक्तों को आठ प्रकार की सिद्धियाँ तथा नौ प्रकार की निधियाँ प्रदान कर सकते हैं।
श्री हनुमान प्राकट्य उत्सव की आप सभी को हार्दिक बधाइयाँ
#जय_श्री_राम
#जय_श्री_हनुमान
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भगवान हनुमान को हजारों साल तक अमर रहने का वरदान क्यों मिला था ! दिल को छू लेनेवाली कहानी !
हनुमान के जीवित होने का राज
धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.
त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लिया था. हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं.
रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.
तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है हनुमान के जीवित होने का राज?
तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे –
हनुमान के जीवित होने का राज –
वाल्मीकि रामायण के अनुसार
लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.
हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.
अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.
जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –
आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुन��े ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –
‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’
हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-
‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई ��ी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’
तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.
ये था हनुमान के जीवित होने का राज –
इसलिए आज कलयुग में राम नाम जपने वाला ही सुखी बताया गया
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🙏🙏🌹🌹❣️❣️ॐ पार्वती पतये नमः 🌹ॐ उमा महेश्वराय नमः 🙏🙏🌹🌹❣️❣️श्री शिव चालीसा ❣️❣️🌹🌹🙏🙏दोहा : जय गणेश गिरिजा सुवन मंगल मूल सुजान! कहत अयोध्या दास तुम देउ अभय वरदान!! चौपाई।। :❣️❣️जय गिरिजापति दीनदयाला सदा करत संतन प्रतिपाला!! भाल चन्द्रमा सोहत नीके! कानन कुण्डल नागफनी के।। अंग गौर सिर गंग बहाये। मुण्ड माल तन क्षार लगाये।। मैंना मातु की हवे दुलारी। वाम अंग सोहत छवि न्यारी।। कर त्रिशूल बाघम्बर धारी। करत सदा शत्रुन क्षय कारी।।....... त्रयोदशी व्रत करें हमेंशा। ताके तन नहिं रहे क्लेशा।। धूप-दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावै।। जन्म जन्म के पाप नसावै। अन्त धाम शिवपुर में पावै।। कहै अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहुं हमारी।। दोहा :नित नेम उठि प्रात ही पाठ करो चालीस। तुम मेरी मनोकामना पूर्ण करो जगदीश।। ��गसिर छठि हेमन्त ऋतु संवत चौंसठ जान। स्तुति चालीसा शिवहिं पूर्ण कीन कल्याण।। इति श्री शिव चालीसा।। ❣️❣️🌹🌹🙏🙏आप सभी प्रेमी भक्तों पर माँ पार्वती और भोले शंकर जी की असीम कृपा हमेंशा बनी रहे :प्रणाम ❣️❣️🌹🌹🙏🙏 https://www.instagram.com/p/BzWxhXLgUI1/?igshid=c2ul6zjcrvdf
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विघ्नहर्ता श्री गणेश क�� यह आरती करने से प्रसन्न हो जाते अष्टविनायक
तैतीस कोटि देवी देवताओं में गौरी नंदन श्री गणेशजी की हिन्दू धर्म में प्रथम पूजनीय देव के रूप में पूजा वंदना की जाती हैं । शास्त्रों में उल्लेख आता की अष्टविनायक श्री गणेश की पूजा हर शुभ कार्य के आरंभ में की जाती है, जिसे सारे कार्य निर्विघ्न रूप से सूख पूर्वक संपन्न हो जाते हैं । माना जाता है कि श्री गणेश की आराधना करने से घर में खुशहाली, व्यापार में लाभ और हर कार्य में सफलता मिलती है ।
श्री गणेश चालीसा
॥ दोहा ॥
जय गणपति सदगुणसदन, कविवर बदन कृपाल । विघ्न हरण मंगल करण, जय जय गिरिजालाल ॥ जय जय जय गणपति गणराजू । मंगल भरण करण शुभ काजू ॥
॥ चौपाई ॥
1- जै गजबदन सदन सुखदाता । विश्व विनायक बुद्घि विधाता ॥ वक्र तुण्ड शुचि शुण्ड सुहावन । तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन ॥ राजत मणि मुक्तन उर माला । स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला ॥ पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं । मोदक भोग सुगन्धित फूलं ।।
2- सुन्दर पीताम्बर तन साजित । चरण पादुका मुनि मन राजित ॥ धनि शिवसुवन षडानन भ्राता । गौरी ललन विश्वविख्याता ॥ ऋद्घिसिद्घि तव चंवर सुधारे । मूषक वाहन सोहत द्घारे ॥ कहौ जन्म शुभकथा तुम्हारी । अति शुचि पावन मंगलकारी ॥
3- एक समय गिरिराज कुमारी । पुत्र हेतु तप कीन्हो भारी ॥ भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा । तब पहुंच्यो तुम धरि द्घिज रुपा ॥ अतिथि जानि कै गौरि सुखारी । बहुविधि सेवा करी तुम्हारी ॥ अति प्रसन्न है तुम वर दीन्हा । मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा ॥
4- मिलहि पुत्र तुहि, बुद्घि विशाला । बिना गर्भ धारण, यहि काला ॥ गणनायक, गुण ज्ञान निधाना । पूजित प्रथम, रुप भगवाना ॥ ***** कहि अन्तर्धान रुप ��ै । पलना पर बालक स्वरुप है ॥ बनि शिशु, रुदन जबहिं तुम ठाना। लखि मुख सुख नहिं गौरि समाना ॥
5- सकल मगन, सुखमंगल गावहिं । नभ ते सुरन, सुमन वर्षावहिं ॥ शम्भु, उमा, बहु दान लुटावहिं । सुर मुनिजन, सुत देखन आवहिं ॥ लखि अति आनन्द मंगल साजा । देखन भी आये शनि राजा ॥ निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं । बालक, देखन चाहत नाहीं ॥
6- गिरिजा कछु मन भेद बढ़ायो । उत्सव मोर, न शनि तुहि भायो ॥ कहन लगे शनि, मन सकुचाई । का करिहौ, शिशु मोहि दिखाई ॥ नहिं विश्वास, उमा उर भयऊ । शनि सों बालक देखन कहाऊ ॥ पडतहिं, शनि दृग कोण प्रकाशा । बोलक सिर उड़ि गयो अकाशा ॥
7- गिरिजा गिरीं विकल है धरणी । सो दुख दशा गयो नहीं वरणी ॥ हाहाकार मच्यो कैलाशा । शनि कीन्हो लखि सुत को नाशा ॥ तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधायो । काटि चक्र सो गज शिर लाये ॥ बालक के धड़ ऊपर धारयो । प्राण, मन्त्र पढ़ि शंकर डारयो ॥
8- नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे । प्रथम पूज्य बुद्घि निधि, वन दीन्हे ॥ बुद्घ परीक्षा जब शिव कीन्हा । पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा ॥ चले षडानन, भरमि भुलाई। रचे बैठ तुम बुद्घि उपाई ॥ चरण मातुपितु के धर लीन्हें । तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें ॥
9- तुम्हरी महिमा बुद्घि बड़ाई । शेष सहसमुख सके न गाई ॥ मैं मतिहीन मलीन दुखारी । करहुं कौन विधि विनय तुम्हारी ॥ भजत रामसुन्दर प्रभुदासा । जग प्रयाग, ककरा, दर्वासा ॥ अब प्रभु दया दीन पर कीजै । अपनी भक्ति शक्ति कछु दीजै ॥
॥ दोहा ॥
श्री गणेश यह चालीसा, पाठ करै कर ध्यान । नित नव मंगल गृह बसै, लहे जगत सन्मान ॥ सम्बन्ध अपने सहस्त्र दश, ऋषि पंचमी दिनेश । पूरण चालीसा भयो, मंगल मूर्ति गणेश ॥
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शिव चालीसा Shiv Chalisa Lyrics in Hindi, English
Shiv Chalisa Lyrics in Hindi, English with meaning.
By reciting Shiv Chalisa every day, you can get rid of all your sufferings and get immense grace of Lord Shiva. As per the Shiva Purana, the combination of Shiva and Shakti is divine.
Lord Bholenath, who gives bliss, has a different importance to read Shiva Chalisa every day.
The Shiv Chalisa is a prayer for Lord Shiva or Lord Bholenath. He is one of the Gods of Hindu trinity, the other two being Lord Brahma and Lord Vishnu.
The Shiv Chalisa praises Lord Shiva and asks for his help in removing all hardships and obstacles in devotee′s life.
Devotees who are seeking blessings of Lord Shiva must recite Shiv Chalisa with devotion and sincerity and that devotees should focus their minds on Lord Shiv or his image and then recite Shiv Chalisa.
Here, the Shiv Chalisa is presented along with English Translation for better understanding.
Song Details
Shiv Bhajan: Shiv Chalisa Lyrics
Album Name: Shri Somnath Amritwani
Singer: Anuradha Paudwal
Composer: Shekhar Sen
Lyrics: Traditional
Music Label: T-Series
Shiv Chalisa in Hindi
॥दोहा॥
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान। कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥
॥चौपाई॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥ भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥ अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन क्षार लगाए॥ वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देखि नाग मन मोहे॥ मैना मातु की हवे दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥ कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥ नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥ कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥ देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥ किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥ तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥ आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥ त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥ किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥ दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥ वेद माहि महिमा तुम गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥ प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला। जरत सुरासुर भए विहाला॥ कीन्ही दया तहं करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥ पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥ सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥ एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥ कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भए प्रसन्न दिए इच्छित वर॥ जय जय जय अनन्त अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥ दुष्ट सकल नित मोहि सतावै। भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै॥ त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। येहि अवसर मोहि आन उबारो॥ लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट ते मोहि आन उबारो॥ मात-पिता भ्राता सब होई। संकट में पूछत नहिं कोई॥ स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु मम संकट भारी॥ धन निर्धन को देत सदा हीं। जो कोई जांचे सो फल पाहीं॥ अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥ शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥ योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। शारद नारद शीश नवावैं॥ नमो नमो जय नमः शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥ जो यह पाठ करे मन लाई। ता पर होत है शम्भु सहाई॥ ॠनियां जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥ पुत्र होन कर इच्छा जोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥ पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे॥ त्रयोदशी व्रत करै हमेशा। ताके तन नहीं रहै कलेशा॥ धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥ जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्त धाम शिवपुर में पावे॥ कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
॥दोहा॥
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा। तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश॥ मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान। अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥
Shiv Chalisa in English
Find the Shiv Chalisa in English with its meanings below.
Lord Shiv ChalisaEnglish TranslationJai Ganesh Girija Suvan Mangal Mul Sujan Kahat Ayodhya Das Tum Dev Abhaya VaradanGlory to Lord Ganesh, the Divine Son of Goddess Girija, the cause of all auspiciousness and intelligence. Ayodha Dass (the composer of these verses) humbly requests that everyone is blessed with the boon of being fearless.Jai Girija Pati Dinadayala Sada Karat Santan Pratipala Bhala Chandrama Sohat Nike Kanan Kundal Nagaphani KeO Glorious Lord, consort of Parvati You are most merciful. You always bless the poor and pious devotees. Your beautiful form is adorned with the moon on Your forehead and on your ears are earrings of snakes′ hood.Anga Gaur Shira Ganga Bahaye Mundamala Tan Chhara Lagaye Vastra Khala Baghambar Sohain Chhavi Ko Dekha Naga Muni MohainThe holy Ganges flows from your matted hair. The saints and sages are attracted by Your splendid appearance. Around Your neck is a garland of skulls. White ash beautifies Your Divine form and clothing of lion′s skin adorns Your body.Maina Matu Ki Havai Dulari Vama Anga Sohat Chhavi Nyari Kara Trishul Sohat Chhavi Bhari Karat Sada Shatrun ChhayakariO Lord, the beloved daughter of Maina on Your left adds to Your splendid appearance. O Wearer of the lion′s skin, the trishul in Your hand destroys all enemies.Nandi Ganesh Sohain Tahan Kaise Sagar Madhya Kamal Hain Jaise Kartik Shyam Aur Ganara-U Ya Chhavi Ko Kahi Jata Na KauoNandi and Shri Ganesh along with Lord Shiva appear as beautiful as two lotuses in the middle of an ocean. Poets and philosophers cannot describe the wonderful appearance of Lord Kartikeya and the dark complexioned Ganas (attendants).Devan Jabahi Jaya Pukara Tabahi Dukha Prabhu Apa Nivara Kiya Upadrav Tarak Bhari Devan Sab Mili Tumahi JuhariO Lord, whenever the Deities humbly sought Your assistance, You kindly and graciously uprooted all their problems. You blessed the Deities with Your generous help when the demon Tarak outraged them and You destroyed him.Turata Shadanana Apa Pathayau Lava-Ni-Mesh Mahan Mari Girayau Apa Jalandhara Asura Sanhara Suyash Tumhara Vidit SansaraO Lord, You sent Shadanan without delay and thus destroyed the evil ones Lava and Nimesh. You also destroyed the demon Jalandhara. Your renown is known throughout the world.Tripurasur Sana Yudha Machayi Sabhi Kripakar Lina Bachayi Kiya Tapahin Bhagiratha Bhari Purva Pratigya Tasu PurariO Lord, Purari, You saved all Deities and mankind by defeating and destroying the demons Tripurasura. You blessed Your devotee Bhagirath and he was able to accomplish his vow after rigorous penance.Danin Mahan Tum Sama Kou Nahin Sevak Astuti Karat Sadahin Veda Nam Mahima Tab Gayaee Akatha Anandi Bhed Nahin PayeeO Gracious One, devotees always sings Your glory. Even the Vedas are unable to describe Your greatness. No one is as generous as You are.Pragate Udadhi Mantan Men Jvala Jarat Sura-Sur Bhaye Vihala Kinha Daya Tahan Kari Sahayee Nilakantha Tab Nam KahayeeLord, when the ocean was churned and the deadly poison emerged, out of Your deep compassion for all, You drank the poison and saved the world from destruction. Your throat became blue, thus You are known as Nilakantha.Pujan Ramchandra Jab Kinha Jiti Ke Lanka Vibhishan Dinhi Sahas Kamal Men Ho Rahe Dhari Kinha Pariksha Tabahin PurariWhen Lord Rama worshipped You, He became victorious over the king of demons, Ravana. When Lord Rama wished to worship Thee with one thousand lotus flowers, the Divine Mother, to test the devotion of Shri Ram, hid all the flowers at Your request.Ek Kamal Prabhu Rakheu Joi Kushal-Nain Pujan Chaha Soi Kathin Bhakti Dekhi Prabhu Shankar Bhaye Prasanna Diye-Ichchhit VarO Lord, You kept on looking at Shri Ram, who wished to offer His lotus-like eyes to worship Thee. When You observed such intense devotion, You were delighted and blessed Him. You granted His heart′s desire.Jai Jai Jai Anant Avinashi Karat Kripa Sabake Ghat Vasi Dushta Sakal Nit Mohin Satavai Bhramat Rahe Mohin Chain Na AvaiGlory be unto You O Gracious, Infinite, Immortal, All-pervading Lord. Evil thought torture me and I keep on travelling aimlessly in this world of mundane existence. No relief seems to be coming my way.Trahi-Trahi Main Nath Pukaro Yahi Avasar Mohi Ana Ubaro Lai Trishul Shatrun Ko Maro Sankat Se Mohin Ana UbaroO Lord! I beseech Your help and seek your divine blessing at this very moment. Save and protect me. Destroy my enemies with Your Trishul. Release me from the torture of evil thoughts.Mata Pita Bhrata Sab Hoi Sankat Men Puchhat Nahin Koi Svami Ek Hai Asha Tumhari Ava Harahu Aba Sankat BhariO Lord, when I am in distress, neither my parents, brothers, sisters nor loved ones can relieve my suffering. I depend only on You. You are my hope. Eliminate the cause of this tremendous torture and bless me with Your compassion.Dhan Nirdhan Ko Deta Sadahin Jo Koi Janche So Phal Pahin Astuti Kehi Vidhi Karai Tumhari Kshamahu Nath Aba Chuka HamariO Lord, You bless the downtrodden with prosperity and grant wisdom to the ignorant. Lord, due to my limited knowledge, I omitted to worship Thee. Please forgive me and shower Your grace upon me.Shankar Ho Sankat Ke Nishan Vighna Vinashan Mangal Karan Yogi Yati Muni Dhyan Lagavan Sharad Narad Shisha NavavainO Lord Sankar, You are the destroyer of all miseries. You remove the cause of all obstacles and grant Your devotees eternal bliss. The saints and sages meditate upon Thy most beautiful form. Even celestial beings like Sharad and Narad bow in reverence to You.Namo Namo Jai Namah Shivaya Sura Brahmadik Par Na Paya Jo Yah Patha Karai Man Lai Tapar Hota Hai Shambhu SahayeeO Lord, prostration to You. Even Brahma is unable to describe Thy greatness. Whosoever recites these verses with faith and devotion receives Your infinite blessings.Riniyan Jo Koi Ho Adhikari Patha Karai So Pavan Hari Putra-hin Ichchha Kar Koi Nischaya Shiva Prasad Tehin HoiDevotees who chant these verses with intense love become prosperous by the grace of Lord Shiva. Even the childless wishing to have children, have their desires fulfilled after partaking of Shiva-prasad with faith and devotion.Pandit Trayodashi Ko Lavai Dhyan-Purvak Homa Karavai Trayodashi Vrat Kare Hamesha Tan Nahin Take Rahe KaleshaOn Trayodashi (13th day of the dark and bright fortnights) one should invite a pandit and devotedly make offerings to Lord Shiva. Those who fast and pray to Lord Shiva on Trayodashi are always healthy and prosperous.Dhupa Dipa Naivedya Charhavai Anta Vasa Shivapur Men Pavai Kahai Ayodhya Asha Tumhari Jani Sakal Dukha Harahu HamariWhosoever offers incense, prasad and performs arti to Lord Shiva, with love and devotion, enjoys material happiness and spiritual bliss in this world and hereafter ascends to the abode of Lord Shiva. The poet prays that Lord Shiva removed the suffering of all and grants them eternal bliss.Nitya Nema kari Pratahi Patha karau Chalis Tum Meri Man Kamana Purna Karahu Jagadish Om Shivaya NamaaO Universal Lord, every morning as a rule I recite this Chalisa with devotion. Please bless me so that I may be able to accomplish my material and spiritual desires. Om Shivaya Namaa
Music Video of the Shiva Chalisa
youtube
Shiva Chalisa Video Details
Shiv Chalisa Lyrics in Hindi, English from the album Shri Somnath Amritwani. It is sung by Anuradha Paudwal while the music is composed by Shekhar Sen.
source https://chai-pe-charcha.com/shiv-chalisa-lyrics-meaning/
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