#शाकाहारी भोजन
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#ProphetMuhammad_NeverAteMeat
भगवान ने मनुष्य को शाकाहारी भोजन खाने के आदेश दिये हैं - पवित्र बाइबल
Allah Kabir
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⚡भगवान ने मनुष्य को शाकाहारी भोजन खाने के आदेश दिये हैं - पवित्र बाइबल
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*Dr. Smita Goel Homeopathy Clinic*
www.thehomeopathyclinic.co.in
एसिडिटी या अम्लता एक चिकित्सा स्थिति है जो एसिड के अतिरिक्त उत्पादन के कारण होती है। यह एसिड पेट की ग्रंथियों द्वारा उत्पादित होता है। अम्लता पेट, गैस्ट्रिक सूजन, दिल की धड़कन और डिस्प्सीसिया में अल्सर जैसे लक्षण पैदा करती है। यह आमतौर पर अनियमित खाने के पैटर्न, शारीरिक खेल या गतिविधियों की कमी, शराब की खपत, धूम्रपान, तनाव, फड आहार और खराब खाने की आदतों जैसे कई कारकों के कारण होता है। लोग उन जगहों पर अम्लता विकसित करने में अधिक प्रवण होते हैं। जहां लोग अधिक शाकाहारी, मसालेदार और तेल के भोजन का उपभोग करते हैं। एनएसएआईडी (गैर स्टेरॉयड एंटी-इंफ्लैमेटरी ड्रग्स) जैसी कई दवाएं गैस्ट्रिक अम्लता विकसित करने में एक व्यक्ति को अधिक संवेदनशील बना सकती हैं। एक भारी भोजन लेने के बाद अम्लता को गहरी जलती हुई सनसनी की विशेषता है। अम्लता वाले लोगों में अपचन और कब्ज भी आम है। यह घरेलू उपचार या एंटासिड का उपभोग करके और स्वस्थ कार्यान्वयन से ठीक हो सकता है। एंडोस्टिज्म के रूप में जाना जाने वाला एक तकनीक एसिड भाटा से भी बहुत राहत प्रदान करता है। अम्लता के सामान्य लक्षणों में पेट और गले में मुंह, कब्ज, बेचैनी और जलने की उत्तेजना में अपचन, मतली, खट्टा स्वाद शामिल है।
# अम्लता का कारण क्या होता है?
हमारा पेट आमतौर पर गैस्ट्रिक एसिड पैदा करता है जो पाचन में मदद करता है। इन एसिड के संक्षारक प्रभाव प्रोस्टाग्लैंडिन और प्राकृतिक बाइकार्बोनेट के उत्पादन से संतुलित होते हैं जो श्लेष्म अस्तर में गुप्त होते हैं। यह पेट की अस्तर को नुकसान पहुंचाता है और अम्लता का कारण बनता है। अन्य कारक जो अम्लता का कारण बनते हैं उनमें शामिल हैं:
मांसाहारी और मसालेदार खाद्य पदार्थों का उपभोग करना।
अत्यधिक तनाव
बहुत अधिक शराब का उपभोग।
अक्सर धूम्रपान
पेट के ट्यूमर, गैस्ट्रोसोफेजियल रीफ्लक्स रोग और पेप्टिक अल्सर जैसे पेट विकार।
एनएसएआईडीएस (गैर स्टेरॉयड एंटी-इंफ्लैमेटरी ड्रग्स) जैसी दवाएं।
√ अम्लता के लिए उपचार:
एल्यूमीनियम, कैल्शियम या मैग्नीशियम युक्त एंटीसिड का उपभोग करके अम्लता ठीक हो सकती है। कई बार, एच 2 रिसेप्टर ब्लॉकर्स (हिस्टामाइन अवरुद्ध एजेंट) जैसे निजाटिडाइन, फ़ोटोटिडाइन, रैनिटिडाइन और सिमेटिडाइन का उपयोग किया जाता है। यदि आपके पास गंभीर अम्लता है तो प्रोटॉन पंप इनहिबिटर डॉक्टर द्वारा भी निर्धारित किए जाते हैं। अम्लता का इलाज घरेलू उपचारों जैसे कि केले, ठंडे दूध, एनीज, जीरा, कार्डोमन, लौंग, टकसाल के पत्तों और अदरक का उपभोग भी किया जा सकता है। आप भोजन के दौरान मसालेदार भोजन या अचार से बचने, अधिक सब्जियों और फलों को खाने, गैर शाकाहारी भोजन का उपभोग न करने, एनएसएड्स (गैर स्टेरॉयड एंटी-इंफ्लैमेटरी ड्रग्स) और स्टेरॉयड जैसी दवाओं से बचने और तनाव को कम करने से अम्लता को रोक सकते हैं।
कभी-कभी नींद से पहले भोजन लेने से अम्लता भी हो सकती है। यह पेट के एंजाइमों को आपके एसोफैगस पर वापस जाने और एसिड भाटा का कारण बनने के लिए उत्तेजित करता है। यह स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक हो सकता है।
√ लक्षण:
पेट में जलन जलन
गले में जलन जलन।
डकार।
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!! शाकाहार - सर्वोत्तम आहार !!
समस्त देश एवं प्रदेश वासियों को 'विश्व शाकाहार दिवस' की हार्दिक शुभकामनाएं ।
शाकाहारी भोजन खाने से आपका शरीर स्वस्थ रहता है और आपका व्यवहार अच्छा व शांतिपूर्ण रहता है! शाकाहारी भोजन वेट लॉस में मदद करता है और डायबिटीज से बचाव करता है !
आइए स्वस्थ तन-मन एवं स्वच्छ पर्यावरण के लिए शाकाहारी जीवन शैली को अपनाएं और दूसरों को भी प्रेरित करें ।
#विश्व_शाकाहार_दिवस_2023
#WorldVegetarianDay_2023
#KiranAgarwal
#HelpUTrust
#HelpUEducationalandCharitableTrust
www.helputrust.org
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समस्त देश एवं प्रदेश वासियों को 'विश्व शाकाहार दिवस' की हार्दिक शुभकामनाएं ।
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Free tree speak काव्यस्यात्मा 1405.
शाकाहार या माँसाहार
Veg or Non-veg
शिक्षा-चिकित्सा वार्ता
शिक्षार्थ प्रस्तुति - कामिनी मोहन पाण्डेय।
जो खाना हम खाते हैं, वो प्राण है। प्राण ही हमारा जीवन है। जीवन को बनाये रखने के लिये प्राण रूपी भोजन अति आवश्यक है। दूसरे जीवन के प्राण को समाप्त कर जो भजन ग्रहण किया जाता है, उस भोजन के साथ हम मनुष्यों का शरीर सही ढंग से व्यवहार नहीं करता है। जितना हमारा शरीर भोजन के साथ संवेदनशील है, उतना ही प्रकृति में उत्पन्न होने वाले उद्भिज यानी पेड़-पौधे, शाक-सब्जियों, फल और फूल भी संवेदनशील है। हमारा प्रकृति के प्रति व्यवहार और भावना सही ढंग का होना चाहिए, यह वही सही ढंग है, जिस ढंग से ईश्वर ने मनुष्य के शरीर और प्रकृति को रचा है।
जिनके भी कान बाहर दिखाई देते हैं, वे पिण्डज यानी (गर्भ से उत्पन्न होनेवाले) होते हैं ये सभी बच्चे को जन्म देते हैं और जिन जीवों के कान बाहर नहीं दिखाई देते हैं वे अंडे देते हैं। जिन जीवों की आँखों की ऊपरी संरचना गोल होती है, वे सब माँसाहारी होते हैं, जैसे- कुत्ता, बिल्ली, बाज, चिड़िया, शेर, भेड़िया, चील आदि, तो ऐसे जीव जिसकी आँखे गोल हैं वे माँसाहारी ही होते हैं। ठीक उसी तरह जिनकी आँखों की बाहरी संरचना लंबी या लम्बाई में होती है। वे सभी जीव शाकाहारी होते हैं। जैसे - भैंस, हिरण, खरगोश, नीलगाय, गाय, हाथी, बैल, भैंस, बकरी कबूतर आदि। इनकी आँखों की बनावट गोल नहीं होती है। मनुष्य की भी आँखें गोल नहीं बल्कि लंबाई में होती है।
माँसाहारी जीवों के दाँत नुकीले होते है, जबकि शाकाहारी जीवों के दाँत चपटे होते हैं। जिन जीवों के नाखून तीखे नुकीले होते हैं, वे सभी माँसाहारी होते हैं, जैसे- शेर, चीता, सांप, बिल्ली, कुत्ता, बाज, गिद्ध आदि और जिन जीवों के नाखून चौड़े चपटे होते हैं वे सब के सब शाकाहारी होते हैं, जैसे - मनुष्य, गाय, घोड़ा, गधा, बैल, हाथी, ऊँट, हिरण, बकरी आदि। मनुष्य के नाखून तीखे नुकीले नहीं होते हैं बल्कि ये चौड़े एवं चपटे होते हैं।
मांसाहारियों के लार अम्लीय (acidic) होते हैं, जबकि शाकाहारियों के मुँह के लार क्षारीय (alkaline) होते हैं। मांसाहारियों में कार्बोहाईड्रेट नहीं होता इस कारण मांसाहारियों की आंतों में बैक्टीरिया की किण्वन (Fermentation) क्रिया नहीं होती हैं। शाकाहारियों के आंतों में (Fermentation) होते हैं, जो कार्बोहाइडेट के पाचन में सहायक होते हैं। मांसाहारियों का रक्त अम्लीय (acidic) होता है, जबकि शाकाहारियों का रक्त क्षारीय (alkaline) होता है।
जिन जीवों को पसीना आता है, वे सभी जीव शाकाहारी होते हैं, जैसे- घोड़ा, बैल, गाय, भैंस, खच्चर आदि, जबकि माँसाहारी जीवों क�� पसीना नहीं आता है, इसलिए कुदरती तौर पर वे जीव अपनी जीभ निकाल कर लार टपकाते हुए हाँफते रहते हैं। इस प्रकार वे अपनी शरीर की गर्मी को नियंत्रित करते हैं। मनुष्य को भी पसीना आता है और वह अपने तापमान को जीभ निकालकर संतुलित नहीं करता है, इसका अर्थ है कि मनुष्य का शरीर पूर्ण रूप से शाकाहार के लिए सृजित किया गया है।
मांसाहारियों के खून के लिपो प्रोटीन अलग होते हैं। जबकि शाकाहारियों और मनुष्य के खून के लिपो प्रोटीन (lipo – protein) एक जैसे होते हैं।
मांसाहारियों की रीढ़ (spinal cord) की बनावट ऐसी होती है कि वे पीठ पर भार नहीं ढो सकते, जबकि शाकाहारी पीठ पर भार ढो सकते हैं।मांसाहारियों के श्वास की रफ्तार अधिक ��ोती है जबकि शाकाहारियों की कम। मांसाहारी पानी भी कम पीते हैं, जबकि शाकाहारी ज़्यादा पानी पीते हैं।
शाकाहारी प्राणी रात में सोते हैं, दिन में जागते हैं जबकि मांसाहारी प्राणी ऐसा नहीं करते।
मांसाहार क्रूरता की निशानी है। जरूरत पड़ने पर मांसाहार जानवर अपने बच्चे को मारकर खा सकता है। शाकाहारी ऐसा नहीं करते। गुर्राने वाले सभी जानवर मांसाहारी होते हैं, जबकि शाकाहारी गुर्राते नहीं है। शाकाहारी घूंट-घूंट कर होठ बंद कर पानी पीते हैं जबकि मांसाहारी जीभ से चाट-चाट कर पानी पीते हैं। शाकाहारियों के संतान की आँखें पैदा होते ही खुलती हैं, बंद नहीं रहती, जबकि मांसाहारियों की दो से तीन दिनों तक बंद रहती है। सारे तथ्य मांसाहार और शाकाहार की प्रकृति को स्पष्ट करते हैं। वेज या नॉनवेज के टेस्ट की बात करें तो पता चलता है कि टेस्ट मांस का नहीं उसमें प्रयोग किए जाने वाले प्याज, लहसुन और विभिन्न प्रकार के मसालों के मिश्रण का स्वाद होता है, जो हमारे जीभ में पाए जाने वाले चार प्रकार के स्वाद कालिकाओं द्वारा ग्रहण किया जाता है।
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