#शनि ढैया का प्रभाव
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Saturn Transits to Aquarius - Effects and remedies : शनिदेव का कुम्भ राशी में गोचर - प्रभाव और उपचार
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शनि अमावस्या - मौनी अमावस्या, खास योग में शनि की साढ़े साती- ढैय्या औऱ शनि दोष को कम करने के उपाय करना होगा फलदायी
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शनि अमावस्या - मौनी अमावस्या, खास योग में शनि की साढ़े साती- ढैय्या औऱ शनि दोष को कम करने के उपाय करना होगा फलदायी
पंचांग के अनुसार माघ मास की अमावस्या तिथि 21 जनवरी 2023, शनिवार के दिन पड़ रही है। इसी अमावस्या को शनि अमावस्या के साथ मौनी अमावस्या भी है।
मौनी अमावस्या 21 जनवरी को सुबह 6 बजकर 17 मिनट से आरंभ होगी और जो कि 22 जनवरी को सुबह 2 बजकर 22 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि की मान्यता के अनुसार मौनी अमावस्या 21 जनवरी को मनाई जाएगी।
मान्यता है कि मौनी अमावस्या पर गंगा, यमुनी और शिप्रा जैसी पवित्र नदियों में स्नान करन की मान्यता है। इस दिन साधू-संत और धार्मिक कार्यों में रुचि रखने वाले प्रयागराज में संगम में डुबकी लगाते हैं। इसके अलावा इस दिन साधु संत मौन व्रत भी धारण करते हैं। स्नान के बाद सूर्य देवता को अर्घ्य देकर पूजन किया जाता है। इस पूजन से पितरों की आत्मा प्रसन्न होती है। इसके साथ ही इस दिन जरूरतमंदों को दान भी जरूर करना चाहिए। इस दिन गरम कपड़े, कंबल, फल और अन्न का दान करना भी शुभ माना जाता है। इस बार यह अमावस्या शनिवार को होने की वजह से यदि आप शनि से जुड़ी वस्तुओं का दान करेंगे तो यह विशेष फल प्रदान करने वाला माना जाएगा।
पंचांग के अनुसार, इस साल माघ माह में पड़ने वाली अमावस्या पर काफी दुर्लभ संयोग बन रहा है।शास्त्रों के अनुसार, इस बार खास संयोग यह है कि 21 जनवरी 2023 को मौनीअमावस्या- शनिश्चरी अमावस्या पर शनि अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में रहेंगे। इसके साथ ही इस बार शनिश्चरी अमावस्या पर खप्पर योग, चतुरग्रही योग, षडाष्टक योग और समसप्तक योग रहने से यह बहुत खास मानी जा रही है।
ज्योतिषियों की माने तो जिन जातकों पर शनि की साढ़ेसाती व ढैया का प्रभाव है उनके लिए यह अमावस्या बहुत ही लाभ देने वाली होगी। शनिदेव को प्रसन्न और प्रायश्चित करने के लिए इस बार की शनिश्चरी अमावस्या सबसे खास होगी। मान्यता है कि इस दिन शनि की प्रिय वस्तुओं का दान करके आप उनकी कृपा के पात्र बन सक���े हैं। इस दिन काले कंबल, काले जूते, काले तिल, काली उड़द का दान करना सबसे उत्तम माना गया है।
शास्त्रों में बताया गया है कि इस दिन सरसों के तेल से शनि महाराज का अभिषेक करने से शनिदेव आपको शुभता प्रदान करते हैं। इसके साथ शनि मंदिर में जाकर दशरथ कृत शनि स्त्रोत का पाठ करें।शनि अमावस्या के दिन स्नान-दान के साथ भगवान शनि की पूजा करने का विशेष महत्व है। इसके साथ ही इस दिन पितरों का तर्पण करने का भी शुभ फल प्राप्त होगा।शनिवार को हनुमान पूजन, शिव पूजन, पीपल वृक्ष पूजा कल्याणकारी होती है।
ज्योतिषिय सलाह संपर्क करे – 9105886840
जाने- आज शनि का कुंभ राशि में होगा प्रवेश, धनु राशि होगी साढ़ेसाती से मुक्त, मिथुन राशि को मिलेगी राहत http://www.lokkesari.com/?p=17889
डिस्क्लेमर- ये लेख सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित है।लोक केसरी इसकी पुष्टि नहीं करता है।संबंधित जानकारो से सलाह कर ही अमल में लाये।
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शनिदेव की नजरों में 4 साल तक रहने वाले हैं ये राशि के जातक
शनिदेव की नजरों में 4 साल तक रहने वाले हैं ये राशि के जातक #Rashifal #Astrology
शनि जब भी अपनी राशि बदलता है तो किसी राशि पर शनि की साढ़ेसाती शुरू होती है तो किसी पर शनि की ढैय्या। साथ ही ज्योतिष के अनुसार शनि एक साथ 5 राशियों पर अपना प्रभाव डालता है। उनकी चक्र अवधि एक वर्ष है। शनि को कर्म का दाता माना जाता है। और यह भी माना जाता है कि वे लोगों को उनके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। यहां आप पाएंगे कि 4 राशियों के लोग 4 साल तक शनि ढैया से पूरी तरह मुक्त रहेंगे। कौन सी हैं वो…
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ताइवान में हुआ भीषण ट्रेन हादसा अब तक 41 की मौत, 73 घायल
ताइवान में हुआ भीषण ट्रेन हादसा अब तक 41 की मौत, 73 घायल
ताइवान में शुक्रवार को भीषण ट्रेन हादसा हो गया, जिसमें अब तक 41 यात्रियों की मौत हो चुकी है, जबकि 70 से अधिक लोग घायल हो चुके हैं। शुरूआती जांच में ये बात सामने आई थी कि हादस��� में चार यात्रियों की मौत हुई है। बाद में देश के परिवहन मंत्रालय की ओर से आंकड़े जारी किए गए। यह भी पढ़े:-16 साल तक की उम्र वालों पर नहीं होता शनि की साढ़े साती, ढैया का प्रभाव, बचे रहते हैं प्रकोप से, यह है कारणपरिवहन…
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29 अप्रैल को शनिदेव कर रहे है राशि परिवर्तन!
शनिदेव कर रहे है राशि परिवर्तन इन राशि वालों के लिए रहेगा लाभकारी!
ज्योतिष में शनि देव को बहुत महत्व पूर्ण ग्रह माना जाता है । शनि देव को न्याय का देवता भी कहा जाता है । ज्योतिष के मुताबिक इस समय शनि का गोचर मकर राशि में जारी है लेकिन जल्द ही शनि देव राशि परिवर्तन करेंगे । शनि सभी ग्रहों में सबसे धीमी गति से चलने वाला ग्रह है । शनि 29 अप्रैल2022को कुंभ राशि में गोचर करेंगे । मकर और कुंभ राशि शनि देव की ही राशियां है । वैदिक ज्योतिष में मान्यता है कि शनि देव को एक राशि से दूसरी राशि में जाने में करीब ढाई वर्ष का समय लगता है ।
30साल बाद कुंभ राशि में शनि देव का प्रवेश शनि देव30साल बाद कुंभ राशि में प्रवेश कर रहे हैं । ज्योतिष में मान्यता है कि शनि का राशि परिवर्तन है सभी राशियों का जातक पर शुभ और अशुभ प्रभाव पड़ता है । जिन लोगो की कुंडली में शनि देव शुभ भाव में होते हैं उन पर शनि देव बहुत कृपालु होते हैं । वही जिन लोगों की कुंडली में शनि गलत भाव में स्थित है उन्हे कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है ऐसे में29 अप्रैल को शनि देव राशि परिवर्तन शनि अपनी मूल त्रिकोण राशि में प्रवेश करेंगे । शनि का कुंभ में प्रवेश मीन राशि वालो को साढ़े सती चालु हो जायेगी और मकर अथवा कुंभ राशि वालो को साढ़े सती चल रह��� है।
29 अप्रैल को शनिदेव राशि परिवर्तन कर रहे है। जानिए सभी राशियों पर शनि के गोचर का प्रभाव। हमारे विशेषज्ञ ज्योतिषी से सलाह लें और जानिए गोचर के प्रभाव को कम करने के उपाय। अभी संपर्क करें।
यह शनि का राशि परिवर्तन सभी राशियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा
मेष राशि – यदि जातक मेष राशि का है तो शनि देव का प्रभाव सकारात्मक होगा इस दौरान मेष राशि के जातकों की आय में बड़ोतरी के संकेत हैं । आर्थिक स्थिति में मजबूती आएगी । व्यापार में भी अच्छे संकेत मिलेंगे । व्यापार में नई शाखाएं खोल स��ते हैं । इसके अलावा नोकरी पेशा लोगो को प्रमोशन मिल सकता है । ऑफिस में सभी साथियों का सहयोग प्राप्त होगा । यह शनि का गोचर आपके ग्यारवे भाव में आ रहा है शनि की तिसरी दृष्टि आपके चंद्र लग्न पर पड़ेगी तो यह थोड़ा आलसी बना सकता है तो आप प्राणायाम करे वायु तत्व बढ़ाए यह करने से आलस कम होगा ।
वृषभ राशि – वृषभ राशि में आपके व्यक्तित्व और जीवन की स्पष्टता को बदल देगी । दुनिया की वास्तविकता का एहसास होगा और यह अवधि आपको आपकी अधिकतम सीमा की और धकेल देगी । वृषभ राशि के जातकों को अपने कैरियर और जिमेदारी के मामलो में कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा । अपनी काबिलियत साबित करने के लिए कड़ी मेहनत और गंभीरता से काम करना होगा । वृषभ राशि के जातकों का कार्य समाज में नई स्थापना देगा । छात्रों को शिक्षा में सफलता मिलेगी और रोजगार के नए अवसर मिल सकते है साथ में नए क्षेत्र में निवेश से व्यापार में बड़ोतरी होगी । शनि ग्रह का गोचर आपके नेतृत्व गुणों को भी प्रभावित करेगा और यह समय आपकी वास्तविक क्षमताओं को दिखाने का होगा । हालंकि आप किसी विवाद या मुसिबत में फस सकते है जो जीवन में परेशानी पैदा करेगा लेकिन जल्द ही आप अपने कैरियर की मांगों को पूरा करेंगे चिंता ना करे कुल मिलाकर यह गोचर वृषभ राशि के जातकों के लिए एक चुनौती हो सकता है हालंकि यह लंबे समय के लिए मदत गार होगा।
मिथुन राशि – मिथुन राशि वालो के लिए यह शनि का गोचर आपकी राशि के नवें भाव में गोचर करेंगे और उनके गोचर के साथ ही आपके पुराने रुके हुए कार्य तेजी से पकड़ने लगेगे नवा स्थान कुंडली में भाग्य स्थान होता है और वही शनि की मूल त्रिकोण राशि है आप दोगुने जोश के साथ काम करने लगोगे आपकी मेहनत रंग लायेगी और सफलताओ का सिलसिला भी शुरू हो जाएगा साथ ही आप अपने आप को काफी ऊर्जावान और उत्साहित भी महसूस करेगे। इस अवधि में काम के चलते विदेश यात्रा के लिए प्रबल योग बनेंगे इस दौरान आप अपने कैरियर और आमदनी में वृद्धि के लिए अत्यधिक मेहतत करते नजर आएंगे शनि की ढैया से मुक्त होने के बाद आपकी सामाजिक प्रतिष्ठा में लगातार वृद्धि होगी । आपके भीतर छिपी हुई प्रतिभा उभर कर सामने आएगी । कोर्ट कचहरी में अगर कोई मामला चल रहा हो तो आपको सफलता मिलने के चांस है । पारिवारिक जीवन खुशाल रहेगा इनकम बड़ सकती है । बिजनस वाले लोगो को इस दौरान बड़ी सफलता मिल सकती है । बेरोजगार लोगो को नोकरी मिलने के चांस है नोकरी में तरक्की होगी ।
कर्क राशि – कर्क राशि वालो के लिए यह शनि का गोचर आपकी राशि से अष्टम में आ जायेगे तो कर्क राशि वालो के लिए ढैया का प्रारंभ हो जायेगा । मानसिक चिंताएं रहेगी गोपनिय चिंता देगा हेल्थ प्रभलाम हो सकती है अड़चने देगे परंतु आठवें भाव में शनि की मूल त्रिकोण राशि है वही शनि का गोचर कर रहा है मूल त्रिकोण शनि के कारण अच्छे कमिनेशन जो साधक है उनकी साधना अच्छी रहेगी क्योंकी आठवां भाव साधना का भी है जो लोग रिसर्च की साइड है जो रिसर्च में जाना चाहते है उनके लिए अच्छा है कर्क राशि वाले अपनी शिक्षा से खोजना चाह रहे हैं , सिद्धि करना चाह रहे हैं , मंत्र सिद्धि करना चाह रहे हैं । यह वायु तत्व राशि है विचारो के अंदर बहुत ज्यादा आवागमन होगा । व्यक्ति स्वभाव में दार्शनिक हो जायेगा व्यक्ति दूर की सोच रखने वाला होगा । जिनको पेत्रक संपति का मामला उलझा हुआ है पेत्रक संपति मिल सकती है ।। यहां शनि की तिसरी दृष्टि दशम पर है तो संघर्ष की दृष्टि कर्म में मेहनत करवाएंगे शनि की सातवी दृष्टि दूसरे भाव पर है तो वाणी के द्वारा इनकम मिलेगी और दसवीं दृष्टि पंचम भाव पर है तो अधुरी शिक्षा पूर्ण होगी शिक्षा को शोध में बदल देगी परंतु जरा सी लापरवाही नुकसान देगी।
यह भी पढ़ें: – किसी नए कार्य को प्रारंभ करने के लिए इन शुभ दिनों का रखें ध्यान
सिंह राशि – सिंह राशि जातकों के लिए शनि का राशि परिवर्तन सिंह राशि वालो के लिए यह शनि का गोचर सातवे भाव में होने वाला है जो लोग विवाह के लिए प्रयास कर रहे हैं तो रिश्ते तो बहुत आयेगे परंतु थोड़ी सी रुकावट रहेगी। विवाह जिवन में भी समस्या लाइफ पार्टनर को लेकर भी थोड़ी परेशानी रहेगी । लाइफ पार्टनर में बहस होना पति पत्नी में टकराव और पटनार शिप में मन मुटाव की स्थिति पैदा रहेगी । काम के प्रति आलसी पन काम करने का मन नही होगा कुटुंब परिवार में कलेश की स्थिति रहेगी । पत्नी के साथ संबध अच्छे रखे भाग्य थोड़ा कम साथ देगा लेकिन काम जरूर होंगे । किसी के साथ मन मुटाव की स्थिति पैदा नही होने दे अपने काम के प्रति ईमानदारी रखे और सातवी दृष्टि लग्न पर होगी तो भ्रमित करेगा शनि की तिसरी दृष्टि भाग्य भाव पर होगी तो भाग्य साथ तो देगा पर रुक रुक कर देगा जल्द बाजी नही करना जैसा काम चल रहा है वैसा चलने देना और नया काम आप बिलकुल ना बदले जो काम आप कर रहे हैं वही काम करे भूमि, मकान, वाहन खरीदते समय थोड़ा ध्यान रखे । पटनार शिप में व्यापार जो कर रहे हैं तो पटनार के साथ मतभेद हो सकता है ।
कन्या राशि – कन्या राशि जातकों के लिए शनि का गोचर छटे भाव में हो रहा है वैसे छटे भाव में शनि का गोचर अच्छा माना जाता है रोग, ऋण , शत्रु को समाप्त करने का काम करता है । किसी का कोर्ट कचहरी का मामला चल रहा है तो विजय होगी अगर कर्ज है चुकाना चाहते हैं तो कर्ज चुकेगा और मामा मोसी से संबध अच्छे रहेंगे ��गर कन्या राशि वाले लोग कंपीटिशन परिक्षा दे रहे है तो उनको सफलता मिलेगी और कन्या राशि वाले जातक नोकरी की तलाश में हैं तो नोकरी लगने के चांस है । शनि की तिसरी दृष्टि अष्टम भाव पर है तो गुप्त धन प्राप्त हो सकता है । आध्यात्मकता के क्षेत्र में भी आपका लगाव रहेगा । शनि की सातवी दृष्टि बरहवे भाव पर है खर्च तो होगा परंतु विदेश यात्राएं भी हो सकती है विदेश से जुड़े हुए कामों में सफलता मिलेगी खर्चों पर नियंत्रण रखें शनि की दशम दृष्टि तृतीय भाव पर है संघर्ष और मेहनत करवाकर सफलता मिलेगी परंतु स्वास्थ का ध्यान रखे योगा एक्सरसाइज करते रहे ।
तुला राशि – तुला राशि पर को ढैया चल रहा था वह समाप्त हो जायेगा आपकी संतान के रुके हुए काम बनते हुए नजर आ रहे हैं । नोकरी में बदलाव आएगा और यह बदलाव अच्छा रहेगा शनि की तिसरी दृष्टि सातवे भाव पर है तो जिनकी बहुत टाइम से शादी नही हो रही है तो शादी के योग बनेंगे । पति पत्नी में मन मुटाव चल रहा है तो वह भी समाप्त हो जायेगा शनि की सातवी दृष्टि लाभ भाव पर है तो कही न कही से इन्वेस्टमेंट से फायदा होगा और उधार लेने वाले भी बहुत आयेगे ऐसे में अपने हाथो से लंबा धन उधार ना दे नही तो आपको परेशानी होगी और शनि की दसवीं दृष्टि दुसरे भाव में है तो और गुरु की भी दृष्टि है तो धन लाभ होने वाला है । प्रमोशन के द्वारा धन लाभ होगा ।
वृश्चिक राशि – वृश्चिक राशि वालो के लिए यह शनि का गोचर चतुर्थ भाव में रहेगा तो वृश्चिक राशि वालो को ढैया शुरू हो जाएगा । जब शनि देव चौथे भाव में आयेगे तो दसवें भाव को देखेगे और छठे भाव को देखेगे सबसे पहले तो इस बिच में कोई कर्ज या लोन आपके ऊपर चढ़ सकता है । आपके कार्य क्षेत्र में आपके वर्किंग प्लेस में आस पास कही न कही आपके ऊपर पोलिटिक्स हो सकती है । लोग आपके बिना वजह से पोलिटिक्स आपका नाम खराब करना ऐसा आपके साथ में देखा जा सकता है उन चिजो से आपको बचकर रहना होगा। जब शनि देव आपके चौथे भाव में आयेगे तो आपकी माता का स्वास्थ खराब रह सकता है थोड़ा ध्यान रखना होगा । वाहा पर शनि देव अपनी राशि में मूल त्रिकोण राशि में शाशा नाम का राजयोग भी बनायेगे लेकिन फिर भी थोड़ा बहुत ध्यान रखना होगा और अपने कार्य क्षेत्र को लेकर चिंता भी हो सकती है । आपकी नौकरी चेंज हो सकती है आपकी नौकरी में एक बड़ा बदलाव देखा जा सकता है । काफी टाइम से सोच रहे हैं की घर लेना चाह रहे प्रापर्टी लेने की सोच रहे हैं तो प्रापर्टी के योग आपके बहुत अच्छे हैं और वाहन भी खरीद सकते हैं ।
धनु राशि – धनु राशि वालो के लिए यह शनि का गोचर तिसरे भाव में आ रहा है तिसरे भाव में शनि का गोचर अच्छा माना जाता है । भाग्य में वृद्धि करने का काम करता है । बल पराक्रम में मजबूती लाने का काम करेगे । यदि लेबर से जुड़ा काम करते हैं या नेटवर्किंग से जुड़ा काम करते हैं तो बेहद लाभ मिलेगा शनि की तिसरी दृष्टि पंचम भाव पर पड़ेगी शिक्षा में कही न कही दिक्कत पैदा करेगी । पड़ने में मन नहीं लगेगा और संतान को लेकर भी चिंता बनी रहेगी । अगर शेयर मार्केट का काम करते हैं तो थोड़ी सावधानी रखे । पेट से जुड़े रोग हो सकते हैं । शनि की सप्तम दृष्टि भाग्य भाव पर होगी तो भाग्य तो साथ देगा परंतु रुक रुक कर देगा । शनि की दशम दृष्टि बार���वें भाव पर रहेगी तो आपके खर्चे बड़ सकते हैं । अस्पताल के खर्चे बड़ सकते है । देश विदेश की यात्राएं भी हो सकती है । यदि आप विदेश जाना चाहते हैं तो समय अच्छा है
मकर राशि – मकर राशि वालो के लिए शनि का राशि परिवर्तन मकर राशि से दूसरे भाव में होने जा रहा है । दूसरे भाव में शनि अच्छे परिणाम नही देते । धन के लिए अच्छा है क्योंकि शनि जहां बैठते हैं वहा की वृद्धि करते हैं । इसलिए धन में वृद्धि करेगे लेकिन कुटुंब परिवार में विवाद भी कराने का काम करेंगे । धन भी खर्च हो सकता है परिवार में धन खर्च हो सकता है । अपनी वाणी पर संयम रखने की जरूरत है । शनि की तिसरी दृष्टि चौथे भाव में पड़ेगी भूमि, भवन , प्रापर्टी , मकान इन क्षेत्रों में नुकसान हो सकता है । इसलिए सोच समझकर कर कार्य करने की जरूरत है । शनि की सातवी दृष्टि अष्टम भाव पर पड़ेगी अष्टम भाव ससुराल पक्ष का भी माना जाता है । ससुराल पक्ष में संबधो में मन मुटाव की स्थिति बनेगी । शनि की दशम दृष्टि ग्यारवे भाव पर पड़ेगी तो लाभ देने वाली है । लेकिन कई सारे कार्यों में मतभेद की स्थिति पैदा हो सकती है कोई भी कार्य जल्दबाजी में ना करे सोच समझकर करे दूसरो की सलाह लेकर करे लेकिन फिर भी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी अलीगल काम बिलकुल भी ना करे शनि न्याय के देवता है ।
कुंभ राशि – कुंभ राशि वालो पर साढ़े साती चल रही है तो स्वास्थ का ध्यान रखना है स्वास्थ संबधी परेशानी होने लगेगी मानसिक तनाव हो सकता है । जन्म के चंद्रमा कुंभ राशि पर गोचर का शनि आ रहा है तो मन को मजबूत बनाना होगा । सिर दर्द , नसों की परेशानी हो सकती हैं । जब भी चंद्र राशि पर गोचर का शनि आता है तो बैचेनी रहती है और हाथ पेरो नसो में दर्द हो सकता है । शनि की तीसरी दृष्टि तिसरे भाव में होने जा रही है तो आपको मेहनत बहुत रहेगी परंतु मेहतत का फल जरूर मिलेगा । शनि की सप्तम दृष्टि दमपंतय भाव में पड़ रही है वह अशुभ है पति पत्नी में अनबन हो सकती है । आपके लाइफ पार्टनर को हेल्थ समस्या हो सकती हैं ।। जिनकी शादी होने वाली है उनको संघर्ष रहेगा संघर्ष के बाद ही शादी होगी । शनि की दशम दृष्टि दशम भाव पर पड़ेगी तो व्यापार में अच्छी ग्रोथ होगी । और विदेश यात्रा के योग बनेंगे । व्यापारियों के लिए शुभ है ।
मीन राशि – मीन राशि वालो को साढ़े सती शुरू हो रही है । मीन राशि वालो के ग्यारावे और बारहवें भाव के स्वामी हैं । आपकी राशि से बारहवें भाव में शनि का गोचर होने वाला है तो आपको हेल्थ का ध्यान रखना होगा । मानसिक तनाव रह सकता है । और पैसा खर्च हो सकता है । कोर्ट कचहरी में फस सकते है । कुटुंब परिवार से ताल मेल बनाकर रखे ।। खाने पीने में ध्यान रखें गलत ना खाए तबियत खराब हो सकती हैं । सप्तम दृष्टि छटे भाव पर होगी तो हेल्थ स्पेशल ध्यान रखें जोड़ो में दर्द और लंबी बीमारियां हो सकती है शुगर भी हो सकती है फिर शनि दशम दृष्टि से नावे भाव पर देखेगे तो पिता का ध्यान रखें पिता पर खर्चा भी हो सकता है । पूजा पाठ में मन नहीं लगेगा । शत्रु से ध्यान रखें उधारी से बचे । अस्पताल में दान करे तो बहुत अच्छा रहेगा।
एस्ट्रोलोक (ज्योतिष संस्थान) में शामिल हों जहां आपको ऑनलाइन वास्तु पाठ्यक्रम, वैदिक ज्योतिष पाठ्यक्रम, अंकशास्त्र पाठ्यक्रम, हस्तरेखा पाठ पाठ्यक्रम और आयुर्वेदिक ज्योतिष पाठ्यक्रम एक ही स्थान पर मिलेंगे। निःशुल्क ज्योतिष पाठ्यक्रम भी उपलब्ध है। कोर्स पूरा करने के बाद आप एक प्रोफेशनल के तौर पर अपना करियर शुरू कर सकते हैं। ज्योतिष पाठ्यक्रम विश्व प्रसिद्ध ज्योतिषी श्री आलोक खंडेलवाल द्वारा पढ़ाया जाता है। अभी दाखिला ले।
एस्ट्रोलॉजर – ममता अरोरा
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#विदेशयोग
विदेश में हमेशा रहने-नौकरी-कामकाज-पढ़ाई-यात्रा का योग देख��े के कुछ जरूरी बातें ध्यान में रखें ।
१.ग्रहों का बलाबल और डिग्री । २.ग्रहों की महादशा और अन्तर-दशा । ३.चौथे भाव के स्वामी का बलाबल जितना कम होगा उतना जल्दी ही विदेश का योग बनेगा क्यूंकि चौथा भाव जन्म स्थान है,जन्म स्थान जितना कमज़ोर होगा उतना जल्दी ही जन्म स्थान से दूर होगा जातक। ४.साढ़ेसाती जरूर देखे । ५.चौथे भाव का क्रूर ग्रह से सम्बन्ध हो तो योग जल्दी बनेगा । ६.चौथे भाव का पापी ग्रह का सम्बन्ध हो तो योग जल्दी बनेगा । ७.लग्नेश का बलाबल । ८.लग्न कौन सा है चर,द्विस्वभाव या स्थिर। ९.ग्रह उच्च है या नीच । १०.गोचर।
1.अगर चौथे भाव का स्वामी बाहरवें भाव में हो और बाहरवें भाव का स्वामी चौथे भाव में हो तो भी हमेशा के लिए विदेश में रहने का योग बनता है।
2. अगर लग्न कुंडली में चौथे भाव में पापी ग्रह शनि,राहु,केतु,बैठे हो या क्रूर ग्रह सूर्य,मंगल कोई भी बैठा हो तो भी विदेश में रहने का योग बनता है । क्यों की क्रूर ग्रह इंसान को अलगवादी बना देता है।
3. जब लग्न कुंडली में चौथे भाव पर गोचर का पाप प्रभाव आये जैसे की शनि,राहु,केतु और क्रूर ग्रह सूर्य,मंगल तब भी बाहर जाने का योग बनता है।
4. शनि देव की साढ़ेसाती या ढैया भी विदेश में सेट होने का योग बनाते है।
5. शनि,राहु,केतु की महादशा-अन्तर्दशा में भी विदेश में रहने की मददगार साबित होती है। क्यों की यह सभी ग्रह विदेश में सेट होने या यात्रा के कारक माने जाते है।
6. अगर लग्नेश (लग्न का मालिक ) बाहरवें भाव में चला जाये तो भी विदेश में रहने का योग बनता है।
लेकिन चौथा भाव जरूर देखें अगर चौथा भाव स्वराशि का हो तो विदेश में रहने का योग बनने में परेशानी होती है।
7. अगर चौथे भाव का मालिक छठे भाव में चला जाये तो भी विदेश में हमेशा रहने का योग बनता है।और विदेश में अच्छी नौकरी भी मिलने का योग बनता है।
ASTROLOGER | STONE SPECIALIST|MANGALIK YOGA SPECIALIST| VASTU CONSULTANT
ASTROLOGER ASHWANI JAIN
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Shani Dev: वैशाख के महीने में इन कार्यों को करने से शनि होते हैं शांत, साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव होता है कम
Shani Dev: वैशाख के महीने में इन कार्यों को करने से शनि होते हैं शांत, साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव होता है कम
शनि की ढैया: शनि राशि में शनिदेव गोचर कर रहे हैं। शनि का वर्ष 2021 में कोई राशि परिवर्तन नहीं है। शनिदेव इस वर्ष सिर्फ नक्षत्र परिवर्तन कर रहे हैं। वर्तमान समय में शनि श्रवण नक्षत्र में भ्रमण कर रहे हैं। पंचांग के अनुसार 28 अप्रैल 2021 बुधवार से वैशाख मास आरंभ हो चुका है। वैशाख का महीना धर्म-कर्म के लिहाज से बहुत ही श्रेष्ठ और श्रेष्ठ माना गया है। वैशाख मास में भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती…
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#28 अप्रैल 2021#आय राशि#उपचार#ऊपर की ओर#कुंभ राशी#कुष्ट रोगी#कुष्ठ रोगियों की सेवा करें#जरूरतमंद लोगों को भोजन आदि का दान करें#टिप्स#तुला#तुला राशी#धनु राशि#धनुराशि#धानु राशी#पशु-पक्षियों की सेवा#पशुओं और पक्षियों के लिए पीने के पानी की व्यवस्था करें#पौधे और वृक्षों की रक्षा करें#पौधों और पेड़ों की रक्षा करें#प्याऊ#भारत कैलेंडर#मकर और कुंभ#मकर राशी#मिथुन राशि#मिथुन राशी#मेध राशि और कुंभ राशि#विष्णु पूजा#वैशाख 2021#वैशाख महिना 2021#वैशाख म��स प्रारंभ तिथि#वैशाख माह 2021
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सत्कर्म से प्रसन्न होते हैं भाग्य के देवता शनि, पूजा से अधिक मिलता है अच्छे कार्याें का फल
सत्कर्म से प्रसन्न होते हैं भाग्य के देवता शनि, पूजा से अधिक मिलता है अच्छे कार्याें का फल
<p style=”text-align: justify;”>जीवन में कमजोर समय आते ही लोग शनि के प्रभाव पर विचार करने लगते हैं. अक्सर जीवन में बड़े अवरोध शनि की साढ़ेसाती और ढैया में आते हैं. अवरोधों को दूर करने का सर्वाेत्तम उपाय यही है कि कर्म की शुचिता और स्पष्टता रखी जाए. सत्कर्म स्वयं Source link
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2021 में शनि की किन राशियों पर रहेगी टेढ़ी नजर और किन पर रहेंगे पूरे साल मेहरबान
2021 में शनि की किन राशियों पर रहेगी टेढ़ी नजर और किन पर रहेंगे पूरे साल मेहरबान
पं जयगोविंद शास्त्री, ज्योतिषाचार्य, नई दिल्ली, Updated Thu, 31 Dec 2020 05:00 PM IST 2021 में शनि वर्ष 2021 में शनिदेव मकर राशि में ही भ्रमण करेंगे। इस अवधि के मध्य 23 मई 2021 को मकर राशि में ही वक्री होकर 11 अक्तूबर 2021 से पुनः मार्गी अवस्था में गोचर करेंगे। इसलिए धनु, मकर और कुंभ राशि वाले जातकों के लिए शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव बना रहेगा। मिथुन और तुला राशि वाले जातकों पर शनि की ढैया का…
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जाने- आज शनि का कुंभ राशि में होगा प्रवेश, धनु राशि होगी साढ़ेसाती से मुक्त, मिथुन राशि को मिलेगी राहत
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जाने- आज शनि का कुंभ राशि में होगा प्रवेश, धनु राशि होगी साढ़ेसाती से मुक्त, मिथुन राशि को मिलेगी राहत
वैदिक ज्योतिष एवं भारतीय पंचागो अनुसार मंगलवार 17 जनवरी 2023 को शानि ग्रह का गोचर कुंभ राशि में होगा।न्याय व कर्मफल के देवता शनिदेव अपनी वर्तमान मकर राशि को छोड़कर अपनी मूलत्रिकोण कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे।
ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों के गोचर को काफी महत्व दिया जाता है। कहा जाता है कि जब भी ग्रह दूसरी राशियों में प्रवेश करते हैं तो अलग-अलग परिणाम देखने को मिलते हैं। किसी की जिंदगी में सोई किस्मत जाग जाती है तो किसी की जिंदगी में मुसीबतों का दौर शुरू हो जाता है।
ज्योतिषियों के अनुसार ऐसा दुर्लभ अवसर 30 साल बाद इस महीने आए���ा। जब कल्याण व सौंदर्य के देवता शुक्र और न्याय के देवता शनि एक साथ कुंभ राशि में बैठे हों।22 जनवरी से दोनों ग्रहों की युति होगी।
गोचर में शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव धनु राशि ,मकर राशि और कुंभ राशि के ��ातक देख रहे हैं। 17 जनवरी से इस साढ़ेसाती के चक्कर से धनु राशि पूरी तरह बाहर निकल रही है । मकर राशि के लिए उतरती साढ़ेसाती का प्रभाव रहेगा जो कि अंतिम ढाई साल बचे हुए हैं।यहां मकर राशि के जातकों के लिए शनि देव 17 जनवरी से आपके द्वितीय भाव में रहेंगे जो कि धन, परिवार, वाणी से संबंध रखता है।
ज्योतिष मान्यताओं और ज्योतिषाचार्यो अनुसार यहां शनि देव बेफिजूल के खर्चे बढ़ाने वाले होते है।जातक अपने आप अपना नुकसान खुद ही कर लेता है। हालांकि ये राशि शनिदेव की मूल त्रिकोण राशि है तो नुकसान थोड़ा कम होगा लेकिन आप खुद ही अपने धन का नाश होते हुए देखेंगे और ये ज्यादातर आपकी वाणी के कारण ही होगा आप अपनी भाषा के कारण ही नए शत्रु बनाएंगे परिवार में कलह का माहौल हो सकता है ये नुकसानदेह साबित होंगा।
कुंभ राशि के जातकों के लिए 17 जनवरी से साढ़ेसाती का मध्य चरण चलेगा जो कि पहले ढाई साल अब खत्म होंगे। इन राशि के जातकों के लिए शश नाम का महापुरुष राजयोग भी बनेगा लेकिन देखा जाए कुछ मामलों में भी आपको सावधानी रखने की जरूरत है जैसे कि यहां बैठे शनि की तीसरी और नीच दृष्टि आपके मित्रों भाई-बहन पर रहेगी सप्तम दृष्टि दांपत्य जीवन पार्टनरशिप व्यापार भाव पर रहेगी और दशम दृष्टि कार्य स्थान पर पड़ेगी इन तीनों भाव से संबंधित समस्या आप महसूस करेंगे। कार्य धीमी गति से होंगे, व्यापार दांपत्य जीवन पर इसका असर पड़ेगा। कार्यस्थल पर भी परेशानी देखने को मिलेगा।
मीन राशि के जातकों के लिए शनिदेव की साढ़ेसाती का प्रभाव शुरू होगा ।आपकी राशि से शनि देव लाभ भाव और खर्च भाव के स्वामी होकर आपकी राशि से बारहवें भाव विराजमान होंगे। अकस्मिक बे फजूल के खर्चे बढ़ सकते हैं । किसी मामले को लेकर कोर्ट केस में आपकी परेशानी का कारण बन सकता है कोई बीमारी के कारण अस्पतालों में भी आपके चक्कर लग सकते हैं। कुटुंब परिवार में कलह का माहौल बनेगा पिता के स्वास्थ्य में कोई ऊंच-नीच आ सकती है।व्यर्थ की यात्राएं आप करेंगे ।मानसिक तौर पर परेशानी का कारण समझ में नहीं आएगा इन सब चीजों से आपको बचने की आवश्यकता रहेगी ।
ज्योतिष आचार्यो की माने तो मिथुन राशि और तुला राशि शनिदेव की ढैया देख रहे थे ।17 जनवरी से कर्क राशि के जातक शनिदेव की ढैया में प्रवेश करेंगे ।कर्क राशि के लिए शनि देव सप्तम और अष्टम के स्वामी होकर अष्टम भाव में गोचर करेंगे।यहा शनिदेव हर एक कार्य मे आपके लिए विलंब उत्पन्न करेंगे। दांपत्य जीवन में परेशानी, बिजनेस पार्टनरशिप,व्यापार, कुटुम परिवार में कलह का माहौल, कार्यक्षेत्र पर अपने सहकर्मियों से भी आपके रिश्तो में खटास ,यह सब चीजें आपकी मानसिक परेशानियों का कारण बने सकती है।कर्क राशि के जातकों की जन्मपत्री में अगर जन्म से ही शनि चंद्रमा का किसी भी तरह का संबंध बना हुआ है तो ये परेशानी ज्यादा ��ातक रूप लेकर आ सकती है।
क्रमशः वृश्चिक राशि भी शनि की ढैया में प्रवेश करेगी शनि आपकी राशि से चतुर्थ भाव में गोचर करेंगे। आपको भी कई तरह से परेशानी का सामना करना होगा ।कुटुम परिवार , रिश्तो में खटास, छोटी-छोटी बातों को लेकर अनबन की स्थिति मां के स्वास्थ्य का ख्याल रखें।पुराना वाहन खरीदना है तो अच्छी तरह से जांच परख लें ।कोई प्रॉपर्टी कोई मकान के कागजात देख कर ही साइन इत्यादि करें जल्दबाजी में निर्णय आपके लिए परेशानी का कारण बनेगा। किसी भी तरह के लोभ लालच में लुभावनी स्कीम में किसी मित्र अपने भाई बंधुओं के कहने पर किसी भी तरह का निवेश ना करें।यहां से शनिदेव की तीसरी और नीच दृष्टि से रोग ऋण, शत्रु से संबंध रखते हैं भाव पर नए शत्रु बनाना ,कोई रोग निकल कर आना ,उच्च अधिकारियों के साथ रिश्तो में खटास की स्थिति और दसवीं दृष्टि आपकी राशि पर ही रहेगी जो आप के मान सम्मान और स्वास्थ्य को भी हानि पहुंचा सकती है ।
तुला राशि के जातकों के लिए 17 जनवरी 2023 से शनिदेव राशि से पंचम भाव में गोचर करेंगे। तुला राशि के जातकों के लिए शनि देव किसी भी तरह से चंद्रमा से संबंध बना रहे हैं चाहे वह दृष्टि संबंध हो युति संबंध हो तो यह परेशानी या कष्ट कारक होगा। यहां शनिदेव पंचम में बैठकर सबसे पहले आपकी बुद्धि ज्ञान को भ्रमित करेंगे ।गलत निर्णय से यह आपके व्यापार को हानि दांपत्य जीवन में परेशानी ,लाभ होने में देरी बना बनाया काम बिगड़ ना परिवार में कलह का माहौल संचित धन का नाश , मानसिक शांति भंग होगी । कुल मिलाकर यह ढाई साल आपको सावधानी और सतर्कता से निकालने होंगे साथ ही यह जरुरी नही है कि हर किसी पर लागू हो।यह सब ज्योतिष मान्यताओं पर आधारित है। उचित सलाह से ही अपना मार्गदर्शन करे।
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16 साल तक की उम्र वालों पर नहीं होता शनि की साढ़े साती, ढैया का प्रभाव, बचे रहते हैं प्रकोप से, यह है कारण
16 साल तक की उम्र वालों पर नहीं होता शनि की साढ़े साती, ढैया का प्रभाव, बचे रहते हैं प्रकोप से, यह है कारण
शनिदेव के प्रकोप से सभी डरते हैं और उनके गुस्से से बचना चाहते हैं, पर 16 साल तक के बच्चे शनिदेव के प्रकोप से बचे रहते हैं और उन पर शनिदेव की साढ़ेसाती और ढैया का भी कोई असर नहीं होता है। दरअसल ऋषि पिपलाद के श्राप के कारण शनिदेव 16 से कम उम्र के बच्चों को कोई सजा नहीं देते हैं और उन पर शनि का प्रकोप भी नहीं पड़ता। इन 5 राशि वालों का नहीं होता गुस्से पर कंट्रोल, छोटी-छोटी बातों पर चढ़ जाता है…
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महाशिवरात्रि: इस बार 26 घंटे रहेगा सर्वार्थ सिद्धि योग…
आज पूरे देश में महाशिवरात्रि की धूम है। महाशिवरात्रि इस वर्ष बहुत ही शुभ संयोग में मनाई जा रही है। इस साल ना तो तिथियों को लेकर कोई उलझन है न पूजा के समय को लेकर विवाद। कई ग्रह भी शुभ स्थिति में हैं साथ ही सर्वाथ सिद्धि योग भी इस दिन उपस्थित हो रहा है।
महाशिवरात्रि पर आज 26 घंटे सर्वार्थसिद्धि योग रहेगा। यह योग हर प्रकार की सिद्धि देने वाला माना जाता है। इस योग में भगवान शिव का अभिषेक करने से घर में सुख समृद्धि रहती है। ज्योतिषिषयों के अनुसार जिन जातकों पर शनि की ढैया व साढ़ेसाती का प्रभाव चल रहा है, उन्हें शनिदेव की प्रसन्नता के लिए तेलाभिषषेक करना चाहिए।
इस दिन सुबह 9:15 से अगले दिन सुबह 11:19 बजे तक लगातार 26 घंटे सर्वार्थसिद्धि योग रहेगा। इस योग में भगवान शिव का पूजन विशेष फलदायी माना जाता है। जिन जातकों को शनि की साढ़ेसाती चल रही है, उन्हें शनिदेव का विधिवत अभिषषेक पूजन करना चाहिए।
शिवरात्रि विशेष वर्ष में शरद पूर्णिमा, दीपावली, होली तथा महाशिवरात्रि की रात साधना की सिद्धि के लिए विशेषष मानी गई है। शिवतंत्र में वैदिक उपासकों का अपना महत्व है। महाशिवरात्रि में वैदिक तंत्र की साधना विशेषष फल प्रदान करने वाली मानी गई है। यदि अपर रात्रि से ब्रह्म मुहूर्त के मध्य ध्यान साधना से स्तवन किया जाए तो साक्षात शिव की प्राप्ति होती है।
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हर धर्म की अपनी कुछ मान्यताएं हैं और अपनी कुछ आस्थाएं होती हैं। हिन्दू धर्म की बात की जाए तो देवी-देवताओं के साथ-साथ हम प्रकृति और ग्रहों को प्रसन्न करने के लिए उनकी पूजा करते हैं। माना जाता है कि प्रकृत्ति को मानव जीवन की गहराई में पिरोया गया है। वहीं, अगर ग्रहों की बात करें तो ज्योतिष विद्या जैसी अत्याधिक प्राचीन विद्या के अंतर्गत यह स्वीकृत किया गया है कि सौरमंडल के ग्रहों की गति, चाल, स्थिति ही मानव जीवन को संचालित करती है। यही कारण है कि सभी ग्रह अपनी से प्रभाव हमारे भविष्य और वर्तमान को प्रभावित करते हैं। लेकिन इन सभी में से अगर किसी और को सबसे ज्यादा प्रभावी माना गया है तो वह है शनि ग्रह। शनि देव को न्याय का देवता माना गया है। माना जाता है कि शनि की कुदृष्टि इंसानी जीवन को और जटिल बना देती है। यही वजह है कि लगभग सभी लोग शनि की साढ़ेसाती और ढैया से भयभीत रहते हैं। लेकिन शनि देव को प्रसन्न कर उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए ज्योतिष शास्त्र में उपाय भी बताए गए हैं। इनमें सबसे ज्यादा असरदार उपाय है घोड़े की नाल की अंगूठी। मान्यता है कि काले घोड़े की नाल से बनी अंगूठी पहनने पर शनि देव के क्रोध और उनकी कुदृष्टि से बचा जा सकता है। यही कारण है कि जिस पर शनि की साढ़ेसाती चलती है, उसे काले घोड़े की नाल से बनी अंगूठी पहनने की सलाह दी जाती है। कहा जाता है कि शनिवार के दिन काले घोड़े की नाल को दाएं हाथ की मध्यमा अंगुली में पहनने से स���रे बिगड़े काम भी बनने लगते हैं और शनिदेव भी प्रसन्न रहते हैं। source https://www.patrika.com/religion-news/know-the-effects-of-kale-ghode-ki-naal-5739875/
http://www.poojakamahatva.site/2020/02/blog-post_52.html
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वैदिक ज्योतिषीय में शनि विचार:
शनि भगवान भास्कर और उनकी पत्नि छाया (संवर्णा) के पुत्र हैं। ये कालरूप यम एवं यमुना के सहोदर हैं। ये भगवान श्री कृष्ण के परमभक्त है। अपने इष्टदेव के ध्यान की अवस्था में होने के कारण अपनी पत्नि की ओर अनुरक्त दृष्टि न देने के कारण इनकी पत्नि (गंधर्वराज चित्ररथ की कन्या) ने इन्हे कठोर दण्डात्मक दृष्टिवान होने का शाप दे दिया। ये कृष्ण वर्ण के हैं। इनका शरीर लौहवत है। गृध (गीध) इनका वाहन है। शनि को सामान्यतया दुख का प्रतीक माना जाता है।
शनि एक राशि में लगभग तीस माह संचार करते है। जन्मकुण्डली में चंद्रमा जिस राशि में हों (अर्थात्त चंद्रलग्नभाव में) उस राशि में जब शनि का संचार (गोचर ) हो रहा है तो उस अवधि में जातक के हृदय एवं आत्मा पर, इस राशि से एक राशि पहली अर्थात्त चंद्रलग्नभाव/राशि से बारहवीं राशि में जब शनि का संचार (गोचर) हो रहा है तो उस अवधि में जातक के मस्तक पर एवं एक राशि बाद (अर्थात्त जन्मकुण्डली में चंद्रलग्न से दूसरी राशि) में जब शनि का संचार हो रहा है तो उस अवधि में जातक के चरणों पर अधिक कष्टदाई होते हैं। इस साढें सात वर्ष की अवधि बोलचाल में साढेसत्ति कहलाती है।
इसके अतिरिक्त जन्मकुण्डली में चंद्र वाले भाव की राशि से गोचर का शनि जब चौथी राशि में एवं आठवी राशि में जब शनि का संचार (गोचर) हो रहा है तो उस अवधि में भी जातक को शनि द्वारा प्रभावित माना जाता है। यह अवधि ढैया अथवा लघु कल्याणी कहलाती है। ढैया अथवा लघु कल्याणी की अवधि में शनि साढेसत्ति की अपेक्षा अधिक कष्टदाई होते हैं।
किन्तु शनि सदैव अनिष्टकारी नही होते। जन्म के समय शनि यदि चंद्रलग्नभाव/राशि से पहले, छठे या ग्यारहवे भाव में हों तो उनकी यह स्थिति स्वर्ण पाद में कहलाती है। जो सदा शुभदायक होती है। दूसरे, पॉचवे या नौवे भाव की उपस्थिति रजत पाद में कहलाती है। जो शुभदायक होती है। तीसरे, सातवे या दसवे भाव की उपस्थिति ताम्र पाद में कहलाती है। जो सामान्य होती है। शेष चौथे, आठवे या बारहवे भाव की उपस्थिति लौह पाद में कहलाती है। जो जातक के जीवन में अनिश्चय पैदा करती है।
-शनि: तुला राशि में उच्च उससे सातवी राशि मेष में नीच, मकर एवं कुम्भ राशि में अपनी राशि पर एवं कुम्भ राशि में मूल त्रिकोण माना जाता है। उपचय भावों 3, 6, 10, 11में शुभ फल देते हैं। केंद्रीय भावों 1,4,7,10 में एवं त्रिकोण भावों 5 एवं 9 में लग्नानुसार शुभाशुभ फल देते हैं। आर्युभाव-8 में अशुभ किन्तु दीर्घायु देते हैं एवं 12 वे भाव में धन सम्बन्धित बहुत ही अशुभ फल देते हैं। जन्मलग्नभाव में शनि जब अपनी राशि पर, अपनी उच्च राशि पर, बृहस्पति की राशियों पर या बृहस्पति के साथ युति पर हों और मंगल के प्रभाव में न हों तो अतिशुभफल देते हैं।
शनि जब जातक के जन्मनक्षत्र (जन्म के समय चंद्रमा जिस नक्षत्र में हो) पर एवं उससे चौथे, पॉचवे, सातवे एवं दसवे, तेरहवें, चौदहवे, सोलहवे, उन्नीसवे, बाईसवे तेईसवे, एवं पच्चीसवे नक्षत्र पर भ्रमण काल में अधिक कष्टदाई होते हैं।
शनि अन्य नामो से से भी पुकारे जाते हैं यथा: छायात्मज, मंद, शनैश्चर, सौरि, पंगु, यम, कृष्णयम, सूर्यपुत्र, असित।
शनिस्वभाव: काला रंग, धसी हुई आंखें, पतला लंबा शरीर, क्रूर, शूद्रवर्ण, पाप, तमोगुणी, वात कफ प्रकृति व वायु तत्व प्रधान है। काला रंग, चाचा, ईर्ष्या, धूर्तता, चोर, जंगली जानवर, नौकर, आयु, तिल,
शारीरिक बल, योगाभ्यास, ऐश्वर्य, वैराग्य, नौकरी, हृदय रोग आदि का प्रतिनिधि है।
शनि दुख, आयु, मिथ्याभाषण, बृध्दावस्था, नसें, नपुंसकता, बुरे विचार, दूसरे कुल की विद्या सीखना, लंगड़ापन, चित्त की कठोरता, यात्रा, सेवा, दासता, श्रमिक वर्ग, वैराग्य, वायु, स्नायु, पेट, कालेतिल, लौहखण्ड़, तैल, मैत्रि, प्रेम, कला, साज-सज्जा, परिधान, आथित्य, अवकाश, सामाजिक उत्सव, शान्ति वार्ता, पश्चिमदिशा का परिचायक हैं।
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शनि का धनु में गोचर और वक्री शनि
शनि का धनु में गोचर और वक्री शनि
वक्री और मार्गी शनि
26 अक्टूबर 2017 से 24 जनवरी 2020 तक शनि का गोचर धनु राशि में रहेगा | इसी मध्य 18 अप्रेल 2018 से 6 सितम्बर तक शनिदेव वक्री भी रहे | लगभग साढ़े चार माह वक्री चाल चलने के बाद 6 सितम्बर को 17:24 के लगभग शनिदेव मार्गी हुए हैं | धनु राशि में संचार करते हुए वर्तमान में वृश्चिक, धनु और मकर राशियों पर साढ़ेसाती का प्रभाव भी चल रहा है | साथ ही वृषभ और कन्या राशियों पर शनि की ढैया भी चल…
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26oct से शनिग्रह का 2 साल के लिए महापरिवर्तन;बडा असर
26oct से शनिग्रह का 2 साल के लिए महापरिवर्तन;बडा असर
शनिग्रह का 26 oct. से स्थान परिवर्तन- राशियो पर भारी असर #ग्रह मंडल की बड़ी घटना # शनि का शुभ-अशुभ प्रभाव खास मायने # राजनीति का कारक ग्रह शनि # वृषभ और कन्या राशि पर फिर से शनि की ढैया का दौर आरंभ # मकर राशि वालों पर शनि की साढ़े साती आरंभ #जो व्यक्ति बुरे वक्त में भी अच्छाई का दामन थामे रखता है, शनि उसका हाथ कभी नहीं छोड़ते # उसे अपनी छत्रछाया में सुरक्षित रखते हैं # 26 अक्टूबर से मेष, सिंह…
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