#व्रत का भोजन
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*कुछ ऐसी दवायें भी होती हैं , जिनके उपयोग से बीमारियाँ नहीं होती हैं ———* *1. कसरत भी एक दवाई है* *२ . सुबह शाम घूमना भी एक दवाई है* *३ . व्रत रखना भी एक दवाई है* *४ . परिवार के साथ भोजन करना भी एक दवाई है* *५ . हँसी मज़ाक़ करना भी एक दवाई है* *६ . गहरी नींद भी एक दवाई है* *७ . अपनों के संग वक़्त बिताना भी एक दवाई है* *८ . ख़ुश रहना भी एक दवाई है* *९ . कुछ मामलों में चुप रहना भी एक दवाई है* *१०. लोगों का सहयोग करना भी एक दवाई है* *११ . और एक अच्छा दोस्त तो पूरी की पूरी दवाई की दुकान है* *सदा खुश रहें मुस्कुराते रहें* *🙏🙏*
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🚩🚩🚩*व्रत पर्व विवरण - गणेश चतुर्थी, शिवा चतुर्थी, मंगलवारी चतुर्थी* 🚩🚩🚩
⛅विशेष - चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है । पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है ।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🌹मंगलवारी चतुर्थी - 19 सितम्बर 2023🌹
🔸 पुण्यकाल : सूर्योदय से दोपहर 01:43 तक
Also read :Budh Gochar 2022: बुध का धनु राशि में प्रवेश इन राशियों को देगा अपार धन लाभ
🌹जैसे सूर्य ग्रहण को दस लाख गुना फल होता है, वैसे ही मंगलवारी चतुर्थी को होता है । बहुत मुश्किल से ऐसा योग आता है । मत्स्य पुराण, नारद पुराण आदि शास्त्र में इसकी भारी महिमा है ।
🌹इस दिन अगर कोई जप, दान, ध्यान, संयम करता है तो वह दस लाख गुना प्रभावशाली होता है, ऐसा वेदव्यास जी ने कहा है ।
🔹 कर्जे से छुटकारा के लिए🔹
🔹मंगलवार चतुर्थी को सब काम छोड़ कर जप-ध्यान करना । जप, ध्यान, तप सूर्य-ग्रहण जितना फलदायी है । बिना नमक का भोजन करें, मंगल देव का मानसिक आह्वान करें । चन्द्रमा में गणपति की भावना करके अर्घ्य दें । कितना भी कर्जदार हो... काम धंधे से बेरोजगार हो... रोजी रोटी तो मिलेगी और कर्जे से छुटकारा मिलेगा ।
🌹विघ्न निवारण हेतु🌹
🌹गणेश चतुर्थी के दिन 'ॐ गं गणपतये नमः ।' का जप करने और गुड़मिश्रित जल से गणेशजी को स्नान कराने एवं दूर्वा व सिंदूर की आहुति देने से विघ्नों का निवारण होता है तथा मेधाशक्ति बढ़ती है ।
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🚩 शुक्रवार संतोषी माता व्रत कथा - Shukravar Santoshi Mata Vrat Katha
शुक्रवार के दिन माँ संतोषी का व्रत-पूजन किया जाता है। इस पूजा के द���रान माता की आरती, ��ूजन तथा अंत में माता की कथा सुनी जाती है। आइए जानें! शुक्रवार के दिन की जाने वाली संतोषी माता व्रत कथा..
संतोषी माता व्रत कथा-एक बुढ़िया थी, उसके सात बेटे थे। 6 कमाने वाले थे जबकि एक निक्कमा था। बुढ़िया छहों बेटों की रसोई बनाती, भोजन कराती और उनसे जो कुछ जूठन बचती वह सातवें को दे देती..
..संतोषी माता व्रत कथा को पूरा पढ़ने के लिए नीचे दिए गये लिंक पर क्लिक करें ! 📲 https://www.bhaktibharat.com/katha/shukravar-santoshi-mata-vrat-katha
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🚩 दुर्गा चालीसा - Durga Chalisa 📲 https://www.bhaktibharat.com/chalisa/shri-durga-chalisa
#Friday #Santoshi #SantoshiMata #HappyFriday #MandirDarshan #MataRani #MaaDurga #Shukrava #Navratri #Shukrawar #ShukraVrat #bhajan
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*🪷बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की जय🪷*
#धर्मराज_के_तिल_तिल_का_लेखा
Republic Day
🌿धर्मराज के तिल तिल का लेखा
कबीर परमेश्वर जी की साखी:-
कबीर, हरि के नाम बिना, नारी कुतिया होय।
गली-गली भौंकत फिरे, टूक ना डाले कोय।।
कबीर परमेश्वर जी ने अध्यात्म का विधान बताया है। कहा है कि जो स्त्री भक्ति नहीं करती, वह अगले जन्म में कुतिया का जीवन प्राप्त करके गली-गली भौंकती फिरती है। कोई उसको भोजन का ग्रास भी नहीं डालता। मानव जीवन में सब भोजन समय पर मिल रहा था। भक्ति न करने से यह दशा होगी।
🌿धर्मराज के तिल तिल का लेखा
परमात्मा ��े विधान के अनुसार, जो लोग जानवरों को मारते हैं और उनका मांस खाते हैं, वे काफिर होते हैं। इसके अलावा, जो लोग हुक्का पीते हैं वे भगवान के दरबार में काफिरों के रूप में खड़े होते हैं क्योंकि वे खुद को एक जघन्य पाप में शामिल करते हैं।
काफिर सो जो मुरगी काटे, वे काफिर जो सीना चाटे ।
काफिर गूदा घटें सलाई, काफिर हुक्का पीवें अन्यायी ।।
🌿धर्मराज के तिल तिल का लेखा
पवित्र शास्त्र परमात्मा का बनाया संविधान है जो व्यक्ति संविधान का उल्लंघन करता है, वह दंडित होता है। उसे न सुख प्राप्त होता है, न कार्य सिद्ध होते हैं न उसका मोक्ष (गति) होता है।
प्रमाण- गीता अध्याय 16 श्लोक 23, 24 में है।
🌿धर्मराज के तिल तिल का लेखा
मानव शरीर प्राप्त प्राणी को सत्संग के माध्यम से ही पूर्ण संत की शरण मिलती है। पूर्ण संत ही परमेश्वर का संविधान बताता है जिसमें उसे सत्संग के माध्यम से यथार्थ आध्यात्मिक ज्ञान दिया जाता है 'कि यदि पूर्ण संत से नाम दीक्षा लेकर भक्ति, पुण्य, दान, धर्म, शुभ कर्म नहीं किए। तो पूर्व जन्म के पुण्य मानव जीवन में खर्च करके परमात्मा के दरबार में जाओगे और फिर पशु आदि के जीवन ही भोगने पड़ेंगे।
🌿परमात्मा के संविधान की किसी भी धारा का उल्लंघन कर देने पर सजा अवश्य मिलेगी। पवित्र गीता जी व पवित्र चारों वेदों में वर्णित व वर्जित विधि के विपरीत साधना करना व्यर्थ है। गीताजी के अध्याय 9 श्लोक 25 में कहा है कि जो पितर पूजा (श्राद्ध आदि) करते हैं वे मोक्ष प्राप्त नहीं कर पाते।
🌿"बदला कहीं न जात है तीन लोक के माही"
परमात्मा के विधान अनुसार मांस खाने और जीव हत्या करने वाले लोगों को घोर नरक में डाला जाएगा। और इसका बदला भी आपको देना पड़ेगा, जब आप बकरे की योनी में जाओगे और वह बकरा मनुष्य जीवन में होगा उस समय आपकों भी उसी तरह हलाल किया जाएगा।
🌿जीव हने हिंसा करे, प्रकट पाप सिर होय। निगम पुनि ऐसे पाप से, भिस्त गया न कोय।।
जो जीव हिंसा करते है, वह अल्लाह के विधानुसार पाप के भागी होते है। और ऐसे भयानक पाप करके भिस्त कोई नहीं जा सकता।
🌿परमात्मा का विधान है जो सूक्ष्मवेद में कहा है:-
कबीर, गुरू बिन माला फेरते, गुरू बिन देते दान।
गुरू बिन दोंनो निष्फल है, पूछो वेद पुराण।।
गुरू बिन नाम जाप की माला फिराते हैं या दान देते हैं, वह व्यर्थ है। यह वेदों तथा पुराणों में भी प्रमाण है। यदि दीक्षा लेकर फिर गुरू को छोड़कर उन्हीं मन्त्रों का जाप करता रहे तथा यज्ञ, हवन, दान भी करता रहे, वह भी व्यर्थ है। उसको कोई ��ाभ नहीं होगा।
कबीर, तांते सतगुरू शरणा लीजै, कपट भाव सब दूर करिजै।
गुरू पूरा हो, झूठे गुरू से कोई लाभ नहीं होता।
वर्तमान में धरती पर पूर्ण सतगुरु संत रामपाल जी महाराज जी हैं जो शास्त्र प्रमाणित भक्ति और लाभ देते हैं।
🌿भगवान का विधान है:
मदिरा पीवै कड़वा पानी, सत्तर जन्म श्वान के जानी।
भांग तम्बाकू छोतरा आफु और शराब।
गरीबदास कौन करे बंदगी ये तो करे खराब।
अमल आहारी आत्मा, कबहु न उतरे पार।
संत रामपाल जी महाराज के शिष्य भांग, तम्बाकू, शराब आदि किसी भी तरह के नशे को किसी को लाकर देना तो दूर रहा उसे हाथ तक नहीं लगाते।
🌿गीता अध्याय 6 श्लोक 16
नात्यश्नतस्तु योगोऽस्ति न चैकान्तमनश्नत: ।
न चातिस्वप्नशीलस्य जाग्रतो नैव चार्जुन ।।16।।
हे अर्जुन! यह योग न तो बहुत खाने वाले का, न बिल्कुल न खाने वाले का, न बहुत शयन करने के स्वभाव वाले का और न सदा जागने वाले का ही सिद्ध होता है ।।16।।
इस श्लोक में गीता ज्ञान दाता ने योग अर्थात् सद्भक्ति करने वालों को अधिक खाने, व्रत करने, सदा जागने, अधिक शयन के लिए मना किया है। नियमित आहार और नियमित शयन करना चाहिए। जो निराहार रहते है/व्रत करते है वे परमात्मा के विधान को खंड करते है और मोक्ष से वंचित रह जाते है।
🌿कबीर, मांस मछलियां खात है, सुरापान से हेत।
ते नर नरकै जाहिंगे, मात पिता समेत।।
इस वाणी द्वारा कबीर साहेब ने बताया है कि, जो मांस मछली खाते हैं, शराब आदि पीते हैं।
वह इंसान माता पिता के साथ नरक में जाएगा। ये परमात्मा का विधान है।
🌿 पवित्र गीता जी व पवित्र वेद प्रभु का संविधान है। जिसमें केवल एक पूर्ण परमात्मा की पूजा का ही विधान है, अन्य देवताओं, पितरों, भूतों की पूजा करना मना है।
🌿परमात्मा का विधान
यह संसार समंझदा नाहीं, कहंदा शाम दोपहरे नूं।
गरीब दास यह वक्त जात है, रोवोगे इस पहरे नूँ।।
संत गरीबदास जी ने बताया है कि मनुष्य जन्म प्राप्त करके जो व्यक्ति भक्ति नहीं करता, वह कुत्ते, गधे आदि-आदि की योनि में कष्ट उठाता है। कुत्ता रात्रि में आसमान की ओर मुख करके रोता है। इसलिए गरीबदास जी ने बताया है कि यह मानव शरीर का वक्त एक बार हाथ से निकल गया और भक्ति नहीं की तो इस समय (इस पहरे) को याद करके रोया करोगे।
🌿शास्त्रविधि अनुसार पूर्ण गुरू से दीक्षा लेकर भक्ति मर्यादा का निर्वाह करते हुए आजीवन साधना करने से मोक्ष होगा। यदि घर त्यागकर वन में चले गए तो भोजन के लिए फिर गाँव या शहर में ग्रहस्थी के द्वार पर आना होगा। गर्मी-सर्दी, बारि�� से बचने के लिए कोई कुटी बनानी पड़ेगी। वस्त्र भी माँगने पड़ेंगे। वह फिर घर बन गया। इसलिए घर पर रहो। सत्य साधना करो, मोक्ष निश्चित है।
🌿परमात्मा बड़ी से बड़ी आपत्ति टाल देता है
"संत शरण में आने से, आई टलै बला।
जै भाग्य में सूली हो, कांटे में टल जाय।।"
भावार्थ: कबीर जी बताते हैं कि सच्चे गुरु की शरण में आने के बाद यदि किसी के भाग्य में भयंकर संकट है, तो परमात्मा उस�� घटाकर एक छोटा सा कष्ट बना देता है।
अवश्य सुनें संत रामपाल जी महाराज के अमृत वचन साधना टीवी पर प्रतिदिन 7:30 p.m. से 8:30 p.m.
🌿कबीर, चोरी जारी वैश्या वृति, कबहु ना करयो कोए।
पुण्य पाई नर देही, ओछी ठौर न खोए।।
जो मानव चोरी, डकैती, ठगी, वैश्यागमन करते हैं, वे महाअपराधी हैं। जो स्त्रियां वैश्या का धंधा करती हैं, वे भी महाअपराधी हैं। परमात्मा के दरबार में उनको कठिन दण्ड दिया जाएगा।
ऐसे अपराधों से बचने के लिए देखिए संत गमपाल जी महाराज यूट्यूब चैनल
🌿यह दम टूटै पिण्डा फूटै, हो लेखा दरगाह मांही।
उस दरगाह में मार पड़ैगी, जम पकड़ेंगे बांही।।
भक्ति न करने वाले या शास्त्रविरुद्ध भक्ति करने वाले को यम के दूत भुजा पकड़कर ले जाएंगे। उसकी पिटाई की जाएगी।
शास्त्र अनुकूल भक्ति विधि की जानकारी के लिए विजिट करें संत रामपाल जी महाराज यूट्यून चैनल
🌿 कबीर, राम नाम से खिज मरैं, कुष्टि हो गल जाय।
शुकर होकर जन्म ले, नाक डूबता खाय।।
भावार्थ:- कबीर जी ने कहा है कि अभिमानी व्यक्ति राम नाम की चर्चा से खिज जाता है। फिर कोढ़ (कुष्ट रोग) लगकर गलकर मर जाता है। अगला जन्म सूअर का प्राप्त करके गंद खाता है। सूअर की नाक भी गंद में डूबी रहती है। इस प्रकार का कष्ट वह प्राणी उठाता है जो भक्ति नहीं करता या नकली संत बनकर जनता में फोकट महिमा बनाता है।
🌿 गरीब, गाड़ी बाहो घर रहो, खेती करो खुशहाल।
सांई सिर पर राखिये, सही भगत हरलाल।।
भावार्थ:- परमात्मा प्राप्ति के लिए घर त्यागने की आवश्यकता नहीं है। अपना खेती का कार्य तथा गाड़ी बाहने (ट्रांसपोर्ट) का कार्य खुशी-खुशी करो। घर पर रहो। परमात्मा की भक्ति जो मैं बताऊँ, वह करते रहो। आप सही भक्त कहलाओगे।
🌿संत गरीबदास जी ने कहा है कि:-
तमा + खू = तमाखू।
खू नाम खून का तमा नाम गाय। सौ बार सौगंध इसे न पीयें-खाय।। भावार्थ:- भावार्थ है कि फारसी भाषा में ‘‘तमा’’ गाय को कहते हैं। खू = खून यानि रक्त को कहते हैं। यह तमाखू गाय के रक्त से उपजा है। ��सके ऊपर गाय के बाल जैसे रूंग (रोम) जैसे होते हैं। हे मानव! तेरे को सौ बार सौगंद है कि इस तमाखू का सेवन किसी रूप में भी मत कर। तमाखू का सेवन गाय का खून पीने के समान पाप लगता है।
🌿परमात्मा का विधान
गरीब, परद्वारा स्त्री का खोलै। सत्तर जन्म अंधा हो डोलै।।
जो व्यक्ति अन्य स्त्री से अवैध सम्बन्ध बनाता है, उस पाप के कारण वह सत्तर जन्म अंधे के प्राप्त करता है। अंधा गधा-गधी, अंधा बैल, अंधा मनुष्य या अंधी स्त्री के लगातार सत्तर जन्मों में कष्ट भोगता है।
🌿मदिरा पीवै कड़वा पानी। सत्तर जन्म श्वान के जानी।।
कड़वी शराब रूपी पानी जो पीता है, वह उस पाप के कारण सत्तर जन्म तक कुत्ते के जन्म प्राप्त करके कष्ट उठाता है। गंदी नालियों का पानी पीता है। रोटी ने मिलने पर गंद खाता है।
🌿सुरापान मद्य मांसाहारी। गमन करै भोगै पर नारी।।
सत्तर जन्म कटत है शीशं। साक्षी साहेब है जगदीशं।।
- (सुरा) शराब (पान) पीने वाले तथा परस्त्री को भोगने वाले, माँस खाने वालों को अन्य पाप कर्म भी भोगना होता है। उनके सत्तर जन्म तक मानव या बकरा-बकरी, भैंस या मुर्गे आदि के जीवनों में सिर कटते हैं। इस बात को मैं परमात्मा को साक्षी रखकर कह रहा हूँ, सत्य मानना।
🌿परमात्मा का विधान है,
तम्बाकू पीना भी महापाप है,
मानव जीवन परमात्मा प्राप्ति के लिए ही मिला है। परमात्मा को प्राप्त करने वाले मार्ग को तम्बाकू का धुँआ बंद कर देता है। इसलिए भी तम्बाकू भक्त के लिए महान शत्रु है।j
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*🪷बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की जय🪷*
26/01/25
*🌱Twitter Trending सेवा🌱*
🌿 *मालिक की दया से अब गणतंत्र दिवस से सम्बंधित Twitter पर सेवा करनी है जी। परमात्मा का विधान बताना है।*
*टैग और keyword⤵️*
#धर्मराज_के_तिल_तिल_का_लेखा
Republic Day
*📷''' सेवा से सम्बंधित photo लिंक⤵️*
https://www.satsaheb.org/constitution-of-god-hindi/
https://www.satsaheb.org/constitution-of-god-english/
*🔮सेवा Points🔮* ⬇️
🌿धर्मराज के तिल तिल का लेखा
कबीर परमेश्वर जी की साखी:-
कबीर, हरि के नाम बिना, नारी कुतिया होय।
गली-गली भौंकत फिरे, टूक ना डाले कोय।।
कबीर परमेश्वर जी ने अध्यात्म का विधान बताया है। कहा है कि जो स्त्री भक्ति नहीं करती, वह अगले जन्म में कुतिया का जीवन प्राप्त करके गली-गली भौंकती फिरती है। कोई उसको भोजन का ग्रास भी नहीं डालता। मानव जीवन में सब भोजन समय पर मिल रहा था। भक्ति न करने से यह दशा होगी।
🌿धर्मराज के तिल तिल का लेखा
परमात्मा के विधान के अनुसार, जो लोग जानवरों को मार���े हैं और उनका मांस खाते हैं, वे काफिर होते हैं। इसके अलावा, जो लोग हुक्का पीते हैं वे भगवान के दरबार में काफिरों के रूप में खड़े होते हैं क्योंकि वे खुद को एक जघन्य पाप में शामिल करते हैं।
काफिर सो जो मुरगी काटे, वे काफिर जो सीना चाटे ।
काफिर गूदा घटें सलाई, काफिर हुक्का पीवें अन्यायी ।।
🌿धर्मराज के तिल तिल का लेखा
पवित्र शास्त्र परमात्मा का बनाया संविधान है जो व्यक्ति संविधान का उल्लंघन करता है, वह दंडित होता है। उसे न सुख प्राप्त होता है, न कार्य सिद्ध होते हैं न उसका मोक्ष (गति) होता है।
प्रमाण- गीता अध्याय 16 श्लोक 23, 24 में है।
🌿धर्मराज के तिल तिल का लेखा
मानव शरीर प्राप्त प्राणी को सत्संग के माध्यम से ही पूर्ण संत की शरण मिलती है। पूर्ण संत ही परमेश्वर का संविधान बताता है जिसमें उसे सत्संग के माध्यम से यथार्थ आध्यात्मिक ज्ञान दिया जाता है 'कि यदि पूर्ण संत से नाम दीक्षा लेकर भक्ति, पुण्य, दान, धर्म, शुभ कर्म नहीं किए। तो पूर्व जन्म के पुण्य मानव जीवन में खर्च करके परमात्मा के दरबार में जाओगे और फिर पशु आदि के जीवन ही भोगने पड़ेंगे।
🌿परमात्मा के संविधान की किसी भी धारा का उल्लंघन कर देने पर सजा अवश्य मिलेगी। पवित्र गीता जी व पवित्र चारों वेदों में वर्णित व वर्जित विधि के विपरीत साधना करना व्यर्थ है। गीताजी के अध्याय 9 श्लोक 25 में कहा है कि जो पितर पूजा (श्राद्ध आदि) करते हैं वे मोक्ष प्राप्त नहीं कर पाते।
🌿"बदला कहीं न जात है तीन लोक के माही"
परमात्मा के विधान अनुसार मांस खाने और जीव हत्या करने वाले लोगों को घोर नरक में डाला जाएगा। और इसका बदला भी आपको देना पड़ेगा, जब आप बकरे की योनी में जाओगे और वह बकरा मनुष्य जीवन में होगा उस समय आपकों भी उसी तरह हलाल किया जाएगा।
🌿जीव हने हिंसा करे, प्रकट पाप सिर होय। निगम पुनि ऐसे पाप से, भिस्त गया न कोय।।
जो जीव हिंसा करते है, वह अल्लाह के विधानुसार पाप के भागी होते है। और ऐसे भयानक पाप करके भिस्त कोई नहीं जा सकता।
🌿परमात्मा का विधान है जो सूक्ष्मवेद में कहा है:-
कबीर, गुरू बिन माला फेरते, गुरू बिन देते दान।
गुरू बिन दोंनो निष्फल है, पूछो वेद पुराण।।
गुरू बिन नाम जाप की माला फिराते हैं या दान देते हैं, वह व्यर्थ है। यह वेदों तथा पुराणों में भी प्रमाण है। यदि दीक्षा लेकर फिर गुरू को छोड़कर उन्हीं मन्त्रों का जाप करता रहे तथा यज्ञ, हवन, दान भी करता रहे, वह भी व्यर्थ है। उसको कोई लाभ नहीं होगा।
कबीर, तांते सतगुरू शरणा लीजै, कपट भाव सब दूर करिजै।
गुरू पूरा हो, झूठे गुरू से कोई लाभ नहीं होता।
वर्तमान में धरती पर पूर्ण सतगुरु संत रामपाल जी महाराज जी हैं जो शास्त्र प्रमाणित भक्ति और लाभ देते हैं।
🌿भगवान का विधान है:
मदिरा पीवै कड़वा पानी, सत्तर जन्म श्वान के जानी।
भांग तम्बाकू छोतरा आफु और शराब।
गरीबदास कौन करे बंदगी ये तो करे खराब।
अमल आहारी आत्मा, कबहु न उतरे पार।
संत रामपाल जी महाराज के शिष्य भांग, तम्बाकू, शराब आदि किसी भी तरह के नशे को किसी को लाकर देना तो दूर रहा उसे हाथ तक नहीं लगाते।
🌿गीता अध्याय 6 श्लोक 16
नात्यश्नतस्तु योगोऽस्ति न चैकान्तमनश्नत: ।
न चातिस्वप्नशीलस्य जाग्रतो नैव चार्जुन ।।16।।
हे अर्जुन! यह योग न तो बहुत खाने वाले का, न बिल्कुल न खाने वाले का, न बहुत शयन करने के स्वभाव वाले का और न सदा जागने वाले का ही सिद्ध होता है ।।16।।
इस श्लोक में गीता ज्ञान दाता ने योग अर्थात् सद्भक्ति करने वालों को अधिक खाने, व्रत करने, सदा जागने, अधिक शयन के लिए मना किया है। नियमित आहार और नियमित शयन करना चाहिए। जो निराहार रहते है/व्रत करते है वे परमात्मा के विधान को खंड करते है और मोक्ष से वंचित रह जाते है।
🌿कबीर, मांस मछलियां खात है, सुरापान से हेत।
ते नर नरकै जाहिंगे, मात पिता समेत।।
इस वाणी द्वारा कबीर साहेब ने बताया है कि, जो मांस मछली खाते हैं, शराब आदि पीते हैं।
वह इंसान माता पिता के साथ नरक में जाएगा। ये परमात्मा का विधान है।
🌿 पवित्र गीता जी व पवित्र वेद प्रभु का संविधान है। जिसमें केवल एक पूर्ण परमात्मा की पूजा का ही विधान है, अन्य देवताओं, पितरों, भूतों की पूजा करना मना है।
🌿परमात्मा का विधान
यह संसार समंझदा नाहीं, कहंदा शाम दोपहरे नूं।
गरीब दास यह वक्त जात है, रोवोगे इस पहरे नूँ।।
संत गरीबदास जी ने बताया है कि मनुष्य जन्म प्राप्त करके जो व्यक्ति भक्ति नहीं करता, वह कुत्ते, गधे आदि-आदि की योनि में कष्ट उठाता है। कुत्ता रात्रि में आसमान की ओर मुख करके रोता है। इसलिए गरीबदास जी ने बताया है कि यह मानव शरीर का वक्त एक बार हाथ से निकल गया और भक्ति नहीं की तो इस समय (इस पहरे) को याद करके रोया करोगे।
🌿शास्त्रविधि अनुसार पूर्ण गुरू से दीक्षा लेकर भक्ति मर्यादा का निर्वाह करते हुए आजीवन साधना करने से मोक्ष होगा। यदि घर त्यागकर वन में चले गए तो भोजन के लिए फिर गाँव या शहर में ग्रहस्थी के द्वार पर आना होगा। गर्मी-सर्दी, बारिश से बचने के लिए कोई कुटी बनानी पड़ेगी। वस्त्र भी माँगने पड़ेंगे। वह फिर घर बन गया। इसलिए घर पर रहो। सत्य साधना करो, मोक्ष निश्चित है।
🌿परमात्मा बड़ी से बड़ी आपत्ति टाल देता है
"संत शरण में आने से, आई टलै बला।
जै भाग्य में सूली हो, कांटे में टल जाय।।"
भावार्थ: कबीर जी बताते हैं कि सच्चे गुरु की शरण में आने के बाद यदि किसी के भाग्य में भयंकर संकट है, तो परमात्मा उसे घटाकर एक छोटा सा कष्ट बना देता है।
अवश्य सुनें संत रामपाल जी महाराज के अमृत वचन साधना टीवी पर प्रतिदिन 7:30 p.m. से 8:30 p.m.
🌿कबीर, चोरी जारी वैश्या वृति, कबहु ना करयो कोए।
पुण्य पाई नर देही, ओछी ठौर न खोए।।
जो मानव चोरी, डकैती, ठगी, वैश्यागमन करते हैं, वे महाअपराधी हैं। जो स्त्रियां वैश्या का धंधा करती हैं, वे भी महाअपराधी हैं। परमात्मा के दरबार में उनको कठिन दण्ड दिया जाएगा।
ऐसे अपराधों से बचने के लिए देखिए संत गमपाल जी महाराज यूट्यूब चैनल
🌿यह दम टूटै पिण्डा फूटै, हो लेखा दरगाह मांही।
उस दरगाह में मार पड़ैगी, जम पकड़ेंगे बांही।।
भक्ति न करने वाले या शास्त्रविरुद्ध भक्ति करने वाले को यम के दूत भुजा पकड़कर ले जाएंगे। उसकी पिटाई की जाएगी।
शास्त्र अनुकूल भक्ति विधि की जानकारी के लिए विजिट करें संत रामपाल जी महाराज यूट्यून चैनल
🌿 कबीर, राम नाम से खिज मरैं, कुष्टि हो गल जाय।
शुकर होकर जन्म ले, नाक डूबता खाय।।
भावार्थ:- कबीर जी ने कहा है कि अभिमानी व्यक्ति राम नाम की चर्चा से खिज जाता है। फिर कोढ़ (कुष्ट रोग) लगकर गलकर मर जाता है। अगला जन्म सूअर का प्राप्त करके गंद खाता है। सूअर की नाक भी गंद में डूबी रहती है। इस प्रकार का कष्ट वह प्राणी ���ठाता है जो भक्ति नहीं करता या नकली संत बनकर जनता में फोकट महिमा बनाता है।
🌿 गरीब, गाड़ी बाहो घर रहो, खेती करो खुशहाल।
सांई सिर पर राखिये, सही भगत हरलाल।।
भावार्थ:- परमात्मा प्राप्ति के लिए घर त्यागने की आवश्यकता नहीं है। अपना खेती का कार्य तथा गाड़ी बाहने (ट्रांसपोर्ट) का कार्य खुशी-खुशी करो। घर पर रहो। परमात्मा की भक्ति जो मैं बताऊँ, वह करते रहो। आप सही भक्त कहलाओगे।
🌿संत गरीबदास जी ने कहा है कि:-
तमा + खू = तमाखू।
खू नाम खून का तमा नाम गाय। सौ बार सौगंध इसे न पीयें-खाय।। भावार्थ:- भावार्थ है कि फारसी भाषा में ‘‘तमा’’ गाय को कहते हैं। खू = खून यानि रक्त को कहते हैं। यह तमाखू गाय के रक्त से उपजा है। इसके ऊपर गाय के बाल जैसे रूंग (रोम) जैसे होते हैं। हे मानव! तेरे को सौ बार सौगंद है कि इस तमाखू का सेवन किसी रूप में भी मत कर। तमाखू का सेवन गाय का खून पीने के समान पाप लगता है।
🌿परमात्मा का विधान
गरीब, परद्वारा स्त्री का खोलै। सत्तर जन्म अंधा हो डोलै।।
जो व्यक्ति अन्य स्त्री से अवैध सम्बन्ध बनाता है, उस पाप के कारण वह सत्तर जन्म अंधे के प्राप्त करता है। अंधा गधा-गधी, अंधा बैल, अंधा मनुष्य या अंधी स्त्री के लगातार सत्तर जन्मों में कष्ट भोगता है।
🌿मदिरा पीवै कड़वा पानी। सत्तर जन्म श्वान के जानी।।
कड़वी शराब रूपी पानी जो पीता है, वह उस पाप के कारण सत्तर जन्म तक कुत्ते के जन्म प्राप्त करके कष्ट उठाता है। गंदी नालियों का पानी पीता है। रोटी ने मिलने पर गंद खाता है।
🌿सुरापान मद्य मांसाहारी। गमन करै भोगै पर नारी।।
सत्तर जन्म कटत है शीशं। साक्षी साहेब है जगदीशं।।
- (सुरा) शराब (पान) पीने वाले तथा परस्त्री को भोगने वाले, माँस खाने वालों को अन्य पाप कर्म भी भोगना होता है। उनके सत्तर जन्म तक मानव या बकरा-बकरी, भैंस या मुर्गे आदि के जीवनों में सिर कटते हैं। इस बात को मैं परमात्मा को साक्षी रखकर कह रहा हूँ, सत्य मानना।
🌿परमात्मा का विधान है,
तम्बाकू पीना भी महापाप है,
मानव जीवन परमात्मा प्राप्ति के लिए ही मिला है। परमात्मा को प्राप्त करने वाले मार्ग को तम्बाकू का धुँआ बंद कर देता है। इसलिए भी तम्बाकू भक्त के लिए महान शत्रु है।
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#धर्मराज_के_तिल_तिल_का_लेखा
Republic Day
🌿धर्मराज के तिल तिल का लेखा
कबीर परमेश्वर जी की साखी:-
कबीर, हरि के नाम बिना, नारी कुतिया होय।
गली-गली भौंकत फिरे, टूक ना डाले कोय।।
कबीर परमेश्वर जी ने अध्यात्म का विधान बताया है। कहा है कि जो स्त्री भक्ति नहीं करती, वह अगले जन्म में कुतिया का जीवन प्राप्त करके गली-गली भौंकती फिरती है। कोई उसको भोजन का ग्रास भी नहीं डालता। मानव जीवन में सब भोजन समय पर मिल रहा था। भक्ति न करने से यह दशा होगी।
🌿धर्मराज के तिल तिल का लेखा
परमात्मा के विधान के अनुसार, जो लोग जानवरों को मारते हैं और उनका मांस खाते हैं, वे काफिर होते हैं। इसके अलावा, जो लोग हुक्का पीते हैं वे भगवान के दरबार में काफिरों के रूप में खड़े होते हैं क्योंकि वे खुद को एक जघन्य पाप में शामिल करते हैं।
काफिर सो जो मुरगी काटे, वे काफिर जो सीना चाटे ।
काफिर गूदा घटें सलाई, काफिर हुक्का पीवें अन्यायी ।।
🌿धर्मराज के तिल तिल का लेखा
पवित्र शास्त्र परमात्मा का बनाया संविधान है जो व्यक्ति संविधान का उल्लंघन करता है, वह दंडित होता है। उसे न सुख प्राप्त होता है, न कार्य सिद्ध होते हैं न उसका मोक्ष (गति) होता है।
प्रमाण- गीता अध्याय 16 श्लोक 23, 24 में है।
🌿धर्मराज के तिल तिल का लेखा
मानव शरीर प्राप्त प्राणी को सत्संग के माध्यम से ही पूर्ण संत की शरण मिलती है। पूर्ण संत ही परमेश्वर का संविधान बताता है जिसमें उसे सत्संग के माध्यम से यथार्थ आध्यात्मिक ज्ञान दिया जाता है 'कि यदि पूर्ण संत से नाम दीक्षा लेकर भक्ति, पुण्य, दान, धर्म, शुभ कर्म नहीं किए। तो पूर्व जन्म के पुण्य मानव जीवन में खर्च करके परमात्मा के दरबार में जाओगे और फिर पशु आदि के जीवन ही भोगने पड़ेंगे।
🌿परमात्मा के संविधान की किसी भी धारा का उल्लंघन कर देने पर सजा अवश्य मिलेगी। पवित्र गीता जी व पवित्र चारों वेदों में वर्णित व वर्जित विधि के विपरीत साधना करना व्यर्थ है। गीताजी के अध्याय 9 श्लोक 25 में कहा है कि जो पितर पूजा (श्राद्ध आदि) करते हैं वे मोक्ष प्राप्त नहीं कर पाते।
🌿"बदला कहीं न जात है तीन लोक के माही"
परमात्मा के विधान अनुसार मांस खाने और जीव हत्या करने वाले लोगों को घोर नरक में डाला जाएगा। और इसका बदला भी आपको देना पड़ेगा, जब आप बकरे की योनी में जाओगे और वह बकरा मनुष्य जीवन में होगा उस समय आपकों भी उसी तरह हलाल किया जाएगा।
🌿जीव हने हिंसा करे, प्रकट पाप सिर होय। निगम पुनि ऐसे पाप से, भिस्त गया न कोय।।
जो जीव हिंसा करते है, वह अल्लाह के विधानुसार पाप के भागी होते है। और ऐसे भयानक पाप करके भिस्त कोई नहीं जा सकता।
🌿परमात्मा का विधान है जो सूक्ष्मवेद में कहा है:-
कबीर, गुरू बिन माला फेरते, गुरू बिन देते दान।
गुरू बिन दोंनो निष्फल है, पूछो वेद पुराण।।
गुरू बिन नाम जाप की माला फिराते हैं या दान देते हैं, वह व्यर्थ है। यह वेदों तथा पुराणों में भी प्रमाण है। यदि दीक्षा लेकर फिर गुरू को छोड़कर उन्हीं मन्त्रों का जाप करता रहे तथा यज्ञ, हवन, दान भी करता रहे, वह भी व्यर्थ है। उसको कोई लाभ नहीं होगा।
कबीर, तांते सतगुरू शरणा लीजै, कपट भाव सब दूर करिजै।
गुरू पूरा हो, झूठे गुरू से कोई लाभ नहीं होता।
वर्तमान में धरती पर पूर्ण सतगुरु संत रामपाल जी महाराज जी हैं जो शास्त्र प्रमाणित भक्ति और लाभ देते हैं।
🌿भगवान का विधान है:
मदिरा पीवै कड़वा पानी, सत्तर जन्म श्वान के जानी।
भांग तम्बाकू छोतरा आफु और शराब।
गरीबदास कौन करे बंदगी ये तो करे खराब।
अमल आहारी आत्मा, कबहु न उतरे पार।
संत रामपाल जी महाराज के शिष्य भांग, तम्बाकू, शराब आदि किसी भी तरह के नशे को किसी को लाकर देना तो दूर रहा उसे हाथ तक नहीं लगाते।
🌿गीता अध्याय 6 श्लोक 16
नात्यश्नतस्तु योगोऽस्ति न चैकान्तमनश्नत: ।
न चातिस्वप्नशीलस्य जाग्रतो नैव चार्जुन ।।16।।
हे अर्जुन! यह योग न तो बहुत खाने वाले का, न बिल्कुल न खाने वाले का, न बहुत शयन करने के स्वभाव वाले का और न सदा जागने वाले का ही सिद्ध होता है ।।16।।
इस श्लोक में गीता ज्ञान दाता ने योग अर्थात् सद्भक्ति करने वालों को अधिक खाने, व्रत करने, सदा जागने, अधिक शयन के लिए मना किया है। नियमित आहार और नियमित शयन करना चाहिए। जो निराहार रहते है/व्रत करते है वे परमात्मा के विधान को खंड करते है और मोक्ष से वंचित रह जाते है।
🌿कबीर, मांस मछलियां खात है, सुरापान से हेत।
ते नर नरकै जाहिंगे, मात पिता समेत।।
इस वाणी द्वारा कबीर साहेब ने बताया है कि, जो मांस मछली खाते हैं, शराब आदि पीते हैं।
वह इंसान माता पिता के साथ नरक में जाएगा। ये परमात्मा का विधान है।
🌿 पवित्र गीता जी व पवित्र वेद प्रभु का संविधान है। जिसमें केवल एक पूर्ण परमात्मा की पूजा का ही विधान है, अन्य देवताओं, पितरों, भूतों की पूजा करना मना है।
🌿परमात्मा का विधान
यह संसार समंझदा नाहीं, कहंदा शाम दोपहरे नूं।
गरीब दास यह वक्त जात है, रोवोगे इस पहरे नूँ।।
संत गरीबदास जी ने बताया है कि मनुष्य जन्म प्राप्त करके जो व्यक्ति भक्ति नहीं करता, वह कुत्ते, गधे आदि-आदि की योनि में कष्ट उठाता है। कुत्ता रात्रि में आसमान की ओर मुख करके रोता है। इसलिए गरीबदास जी ने बताया है कि यह मानव शरीर का वक्त एक बार हाथ से निकल गया और भक्ति नहीं की तो इस समय (इस पहरे) को याद करके रोया करोगे।
🌿शास्त्रविधि अनुसार पूर्ण गुरू से दीक्षा लेकर भक्ति मर्यादा का निर्वाह करते हुए आजीवन साधना करने से मोक्ष होगा। यदि घर त्यागकर वन में चले गए तो भोजन के लिए फिर गाँव या शहर में ग्रहस्थी के द्वार पर आना होगा। गर्मी-सर्दी, बारिश से बचने के लिए कोई कुटी बनानी पड़ेगी। वस्त्र भी माँगने पड़ेंगे। वह फिर घर बन गया। इसलिए घर पर रहो। सत्य साधना करो, मोक्ष निश्चित है।
🌿परमात्मा बड़ी से बड़ी आपत्ति टाल देता है
"संत शरण में आने से, आई टलै बला।
जै भाग्य में सूली हो, कांटे में टल जाय।।"
भावार्थ: कबीर जी बताते हैं कि सच्चे गुरु की शरण में आने के बाद यदि किसी के भाग्य में भयंकर संकट है, तो परमात्मा उसे घटाकर एक छोटा सा कष्ट बना देता है।
अवश्य सुनें संत रामपाल जी महाराज के अमृत वचन साधना टीवी पर प्रतिदिन 7:30 p.m. से 8:30 p.m.
🌿कबीर, चोरी जारी वैश्या वृति, कबहु ना करयो कोए।
पुण्य पाई नर देही, ओछी ठौर न खोए।।
जो मानव चोरी, डकैती, ठगी, वैश्यागमन करते हैं, वे महाअपराधी हैं। जो स्त्रियां वैश्या का धंधा करती हैं, वे भी महाअपराधी हैं। परमात्मा के दरबार में उनको कठिन दण्ड दिया जाएगा।
ऐसे अपराधों से बचने के लिए देखिए संत गमपाल जी महाराज यूट्यूब चैनल
🌿यह दम टूटै पिण्डा फूटै, हो लेखा दरगाह मांही।
उस दरगाह में मार पड़ैगी, जम पकड़ेंगे बांही।।
भक्ति न करने वाले या शास्त्रविरुद्ध भक्ति करने वाले को यम के दूत भुजा पकड़कर ले जाएंगे। उसकी पिटाई की जाएगी।
शास्त्र अनुकूल भक्ति विधि की जानकारी के लिए विजिट करें संत रामपाल जी महाराज यूट्यून चैनल
🌿 कबीर, राम नाम से खिज मरैं, कुष्टि हो गल जाय।
शुकर होकर जन्म ले, नाक डूबता खाय।।
भावार्थ:- कबीर जी ने कहा है कि अभिमानी व्यक्ति राम नाम की चर्चा से खिज जाता है। फिर कोढ़ (कुष्ट रोग) लगकर गलकर मर जाता है। अगला जन्म सूअर का प्राप्त करके गंद खाता है। सूअर की नाक भी गंद में डूबी रहती है। इस प्रकार का कष्ट वह प्राणी उठाता है जो भक्ति नहीं करता या नकली संत बनकर जनता में फोकट महिमा बनाता है।
🌿 गरीब, गाड़ी बाहो घर रहो, खेती करो खुशहाल।
सांई सिर पर राखिये, सही भगत हरलाल।।
भावार्थ:- परमात्मा प्राप्ति के लिए घर त्यागने की आवश्यकता नहीं है। अपना खेती का कार्य तथा गाड़ी बाहने (ट्रांसपोर्ट) का कार्य खुशी-खुशी करो। घर पर रहो। परमात्मा की भक्ति जो मैं बताऊँ, वह करते रहो। आप सही भक्त कहलाओगे।
🌿संत गरीबदास जी ने कहा है कि:-
तमा + खू = तमाखू।
खू नाम खून का तमा नाम गाय। सौ बार सौगंध इसे न पीयें-खाय।। भावार्थ:- भावार्थ है कि फारसी भाषा में ‘‘तमा’’ गाय को कहते हैं। खू = खून यानि रक्त को कहते हैं। यह तमाखू गाय के रक्त से उपजा है। इसके ऊपर गाय के बाल जैसे रूंग (रोम) जैसे होते हैं। हे मानव! तेरे को सौ बार सौगंद है कि इस तमाखू का सेवन किसी रूप में भी मत कर। तमाखू का सेवन गाय का खून पीने के समान पाप लगता है।
🌿परमात्मा का विधान
गरीब, परद्वारा स्त्री का खोलै। सत्तर जन्म अंधा हो डोलै।।
जो व्यक्ति अन्य स्त्री से अवैध सम्बन्ध बनाता है, उस पाप के कारण वह सत्तर जन्म अंधे के प्राप्त करता है। अंधा गधा-गधी, अंधा बैल, अंधा मनुष्य या अंधी स्त्री के लगातार सत्तर जन्मों में कष्ट भोगता है।
🌿मदिरा पीवै कड़वा पानी। सत्तर जन्म श्वान के जानी।।
कड़वी शराब रूपी पानी जो पीता है, वह उस पाप के कारण सत्तर जन्म तक कुत्ते के जन्म प्राप्त करके कष्ट उठाता है। गंदी नालियों का पानी पीता है। रोटी ने मिलने पर गंद खाता है।
🌿सुरापान मद्य मांसाहारी। गमन करै भोगै पर नारी।।
सत्तर जन्म कटत है शीशं। साक्षी साहेब है जगदीशं।।
- (सुरा) शराब (पान) पीने वाले तथा परस्त्री को भोगने वाले, माँस खाने वालों को अन्य पाप कर्म भी भोगना होता है। उनके सत्तर जन्म तक मानव या बकरा-बकरी, भैंस या मुर्गे आदि के जीवनों में सिर कटते हैं। इस बात को मैं परमात्मा को साक्षी रखकर कह रहा हूँ, सत्य मानना।
🌿परमात्मा का विधान है,
तम्बाकू पीना भी महापाप है,
मानव जीवन परमात्मा प्राप्ति के लिए ही मिला है। परमात्मा को प्राप्त करने वाले मार्ग को तम्बाकू का धुँआ बंद कर देता है। इसलिए भी तम्बाकू भक्त के लिए महान शत्रु है।
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*🚩🔱ॐगं गणपतये नमः 🔱🚩*
*🌹सुप्रभात जय श्री राधे राधे*🌹
📖 *आज का पंचांग, चौघड़िया व राशिफल (पूर्णिमा तिथि)*📖
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
#वास्तु_ऐस्ट्रो_टेक_सर्विसेज_टिप्स
#हम_सबका_स्वाभिमान_है_मोदी
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※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
दिनांक :-13-जनवरी-2025
वार:-सोमवार
तिथी:-15पूर्णिमा:-27:56
माह:-पौषमास
पक्ष:-शुक्लपक्ष
नक्षत्र:-आर्द्रा:-10:37
योग :-वैधृति:-28:38
करण:-विष्टि:-16:26
चन्द्रमा:-मिथुन 28:19/कर्क
सूर्योदय:-07:31
सूर्यास्त:-18:02
दिशा शूल---पूर्व
निवारण उपाय:---दर्पण देखकर यात्रा करें
ऋतु:-शिशिर ऋतु
गुलिक काल:-14:10से 15:30
राहू काल:-08:50से 10:10
अभीजित...12:14से12:57
विक्रम सम्वंत .........2081
शक सम्वंत ............1946
.युगाब्द ...............5126
सम्वंत सर नाम:-कालयुक्त
🌞चोघङिया दिन🌞
अमृत:-07:31से08:50तक
शुभ:-10:10से11:30तक
चंचल:-14:02से15:22तक
लाभ:-15:22से16:42तक
अमृत:-16:42से18:02तक
🌗चोघङिया रात🌓
चंचल:-18:02से19:42तक
लाभ:-23:02से00:42तक
शुभ:-02:30से04:10तक
अमृत:-04:10से05:50तक
चंचल:-05:50से07:31तक
आज के विशेष योग
वर्ष का 281वा दिन, भद्रा समाप्त 16:26, पूर्णिमा व्रत- पुण्य, शाकंभरी जयंती-पूर्णिमा, लोहडी (काश्मीर), ईशान पूजा, माघ स्नान प्रारम्भ, अम्बाजी का प्राकट्योत्सव, पुष्याभिषेक यात्रा, अन्वाधान, भोगी (द.भा.), अरुद्रदर्शनम् (द.भा.), रवियोग समाप्त 10:37, कुमारयोग प्रारंभ 27:56, वैधृति पुण्यम्, शाकंभरी नवरात्र समाप्त, शाकंभरी प्रकट्य महोत्सव (उदयपुरवाटी झुंझुनूं, राज.),
🙏🏻👉टिप्स👈🙏🏻
पौष माह की पूर्णिमा के दिन पीपल के पेड़ को कुछ मीठा चढ़ाकर जल अर्पित करें.।
*सुविचार*
बुरे समय में दिलासा देने वाला अजन��ी ही क्यों ना हो दिल में उतर जाता हैं।👍🏻 सदैव खुश मस्त स्वास्थ्य रहे।
राधे राधे वोलने में व्यस्त रहे।
*💊💉आरोग्य उपाय🌱🌿*
सर्दियों में खाएं ये गर्म आहार और रहें बीमारियों से दूर |
1. गाजर: गाजर खाने से त्वचा हेल्दी रहती है, आंखों की रौशनी बढ़ती है, रोग प्रतिरोधक छमता बढती है जिससे सर्दियों में शरीर को ठंड नहीं लगती। यह एक गर्म आहार है, जिसे आपको जरुर खाना चाहिये।
2. सिट्रस फल: संतरा हो चाहे नींबू, इनमें ढेर सारा विटामिन सी होता है जिससे शरीर को पोषण और फ्लेवीनॉइड प्राप्त होता है। यह शरीर को बीमारियों से लड़ने में मदद दिलवाता है। साथ ही यह अच्छे कोलेस्ट्रॉल को भी बढाता है। यह शरीर को गर्म रखने में मदद करता है।
3. लहसुन और अदरक: हर घर में भोजन में लहसुन और अदरक का प्रयोग जरुर किया जाता है। सर्दियों में इनके सेवन से सर्दी, जुखाम और कफ से राहत मिलती है। अगर आप मसाला चाय बना रही हैं तो उसमें अदरक डालना ना भूलें।
4. अमरूद: सिट्रस फल की तरह इसमें भी भारी मात्रा में विटामिन सी होता है, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक छमता बढता है। साथ ही इसमें पोटैशियम और मैगनीशियम होता है।
*🐑🐂 राशिफल🐊🐬*
🐏 *राशि फलादेश मेष :-*
*(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)*
विवाद से बचें। स्वाभिमान को ठेस पहुंच सकती है। वाहन व मशीनरी के प्रयोग में विशेष सावधानी रखें। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। घर-बाहर अशांति रह सकती है। दुष्टजन हानि पहुंचा सकते हैं। भाइयों से मतभेद बढ़ सकते हैं। नौकरी में कार्य का बोझ बढ़ सकता है।
🐂 *राशि फलादेश वृष :-*
*(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)*
घर-परिवार के किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देना पड़ सकता है। वाणी पर नियंत्रण रखें। रोमांस का अवसर नहीं मिलेगा। कार्य पर अधिक ध्यान देना पड़ेगा। राजकीय रुकावटें दूर होंगी। धन प्राप्ति सुगम होगी। लाभ के अवसर हाथ आएंगे।
👫 *राशि फलादेश मिथुन :-*
*(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)*
संपत्ति के बड़े सौदे बड़ा लाभ दे सकते हैं। प्रॉपर्टी के कार्यों के लिए समय अनुकूल है। रोजगार मिलेगा। आय में वृद्धि होगी। कार्य का बोझ स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। थकान रहेगी। वरि��्ठजन सहयोग करेंगे। घर-बाहर प्रसन्नता का वातावरण रहेगा।
🦀 *राशि फलादेश कर्क :-*
*(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)*
परीक्षा व साक्षात्कार आदि में सफलता प्राप्त होगी। रचनात्मक कार्य पूर्ण होंगे। पार्टी व पिकनिक का आनंद मिलेगा। पीठ पीछे चु्गलखोर सक्रिय रहेंगे। ऐश्वर्य के साधनों पर खर्च होगा। मातहतों का सहयोग प्राप्त होगा। प्रसन्नता बनी रहेगी। वस्तुएं संभालकर रखें।
🦁 *राशि फलादेश सिंह :-*
*(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)*
उच्चाधिकारी की प्रसन्नता का ख्याल रखें। अनावश्यक क्रोध न करें, बात बिगड़ सकती है। शोक समाचार मिल सकता है। भागदौड़ अधिक होगी। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। अपनों में से किसी का व्यवहार दिल पर चोट पहुंचा सकता है। व्यवसाय ठीक चलेगा।
👩🏻🦰 *राशि फलादेश कन्या :-*
*(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)*
अज्ञात भय सताएगा। मेहनत का फल पूरा-पूरा मिलगा। रुके कार्य पूर्ण होंगे। सामाजिक प्रतिष्ठा में इजाफा होगा। आलस्य हावी रहेगा। लाभ में वृद्धि होगी। मातहतों का सहयोग प्राप्त होगा। नौकरी में प्रमोशन मिल सकता है। परिवार के सदस्य सहयोग प्रदान करेंगे।
⚖ *राशि फलादेश तुला :-*
*(रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)*
वाणी पर नियंत्रण रखें। राजकीय कोप भुगतना पड़ सकता है। जोखिम उठाने व जल्दबाजी करने से बचें। जीवनसाथी से सहयोग प्राप्त होगा। पुराने भूले-बिसरे मित्र व संबंधियों से मुलाकात होगी। मान बढ़ेगा। व्यवसाय ठीक चलेगा। निवेश शुभ रहेगा। धनार्जन होगा।
🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक :-*
*(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)*
नवीन वस्त्राभूषण पर व्यय हो सकता है। बेरोजगारी की समस्या से छुटकारा मिलेगा। यात्रा लाभदायक रहेगी। पारिवारिक सहयोग मिलेगा। प्रसन्नता रहेगी। अज्ञात भय सताएगा। शारीरिक कष्ट संभव है। दूसरों की बातों में न आएं, हानि हो सकती है।
🏹 *राशि फलादेश धनु :-*
*(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)*
आंखों को चोट व रोग से बचाएं। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। फिजूलखर्ची से बजट बिगड़ेगा। दूसरों से अपेक्षा न करें। तनाव व चिंता रहेंगे। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। कुसंगति से हानि होगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। आय में कमी रहेगी।
🐊 *राशि फलादेश मकर :-*
*(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)*
बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। व्यावसायिक यात्रा मनोनुकूल रहेगी। आय के नए स्रोत प्राप्त हो सकते हैं। घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहेगी। बाहरी मतभेद समाप्त होंगे। कोई बड़ी समस्या से सामना हो सकता है। समय अनुकूल है। ठीक होगा।
🏺 *राशि फलादेश कुंभ :-*
*(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)*
��ार्यस्थल पर समयानुकूल परिवर्तन संभव है। तत्काल लाभ नहीं मिलेगा। योजना फलीभूत होगी। कारोबारी नए अनुबंध हो सकते हैं। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। ऐश्वर्य पर खर्च होगा। वरिष्ठजन सहयोग करेंगे। मान-सम्मान में बढ़ोतरी होगी।
🐡 *राशि फलादेश मीन :-*
*(दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)*
स्वयं व परिवार की स्वास्थ्य पर व्यय हो सकता है। देवदर्शन सुलभ होंगे। सत्संग का लाभ मिलेगा। राजकीय बाधा दूर होगी। आय में वृद्धि होगी। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। दूसरों के झगड़ों में न पड़ें। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। व्यवसाय ठीक चलेगा।
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
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*🚩🔱ॐगं गणपतये नमः 🔱🚩*
*🌹सुप्रभात जय श्री राधे राधे*🌹
📖 *आज का पं��ांग, चौघड़िया व राशिफल (द्वादशी तिथि+त्रयोदशी तिथि प्रदोष व्रत)*📖
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
दिनांक:-11-जनवरी-2025
वार:-शनिवार
तिथि :-12द्बादशी:-08:22/13त्रयोदशी:-30:34
पक्ष:-शुक्लपक्ष
माह:-पौषमास
नक्षत्र:-रोहिणी:-12:29
योग:-शुक्ल:-11:48
करण:-बालव:-08:21
चन्द्रमा:-वृषभ 23:55 मिथुन
सूर्योदय:-----07:31
सूर्यास्त:-----18:00
दिशा शूल-----पूर्व
निवारण उपाय:---उङद या वाह्वारंग का सेवन
ऋतु :- शिशिर ऋतु
गुलिक काल:-07:31से 08:50
राहू काल:-10:10से11:30
अभीजित--12:13से12:57
विक्रम सम्वंत .........2081
शक सम्वंत ............1946
युगाब्द ..................5126
सम्वंत सर नाम:-कालयुक्त
🌞चोघङिया दिन🌞
शुभ:-08:50से10:10तक
चंचल:-12:30से13:50तक
लाभ:-13:50से15:10तक
अमृत:-15:10से16:40तक
🌓चोघङिया रात🌗
लाभ:-18:00से19:40तक
शुभ:-21:20से23:00तक
अमृत:-23:00से00:40तक
चंचल:-00:40से02:20तक
लाभ:-05:50से07:31तक
🌸आज के विशेष योग🌸
वर्ष का 279वा दिन, शनिप्रदोष, शनिरोहिणी, अमृतसिद्बियोग सूर्योदय से 12:29, रोहिणी व्रत (जैन), घृतदान, ऊंट महोत्सव प्रारंभ (2दिन राज.),
🌺👉टिप्स 👈🌺
शनि प्रदोष व्रत के दिन तिल का दान करने से शनि दोष से मुक्ति मिलतीं है।
*सुविचार*
अगर आप मेहनत को अपनी आदत बना लेते है, तो जीवन में आपको सफल होने से कोई रोक नहीं सकता।”👍🏻 सदैव खुश मस्त स्वास्थ्य रहे।
राधे राधे वोलने में व्यस्त रहे।
*💊💉आरोग्य उपाय🌱🌿*
*नस पर नस चढ़ना (माँस-पेशियों की ऐंठन) के घरेलु उपचार :-*
👉🏻वेरीकोज वेन के लिए पैरों को ऊंचाई पर रखे, पैरों में इलास्टिक पट्टी बांधे जिससे पैरों में खून जमा न हो पाए।
👉🏻यदि आप मधुमेह या उच्च रक्तचाप से ग्रसित हैं, तो परहेज, उपचार से नियंत्रण करें।
👉🏻शराब, तंबाकू, सिगरेट, नशीले तत्वों का सेवन नहीं करें।
👉🏻सही नाप के आरामदायक, मुलायम जूते पहनें।
👉🏻अपना वजन घटाएं। रोज सैर पर जाएं या जॉगिंग करें। इससे टांगों की नसें मजबूत होती हैं।
*🐑🐂 राशिफल🐊🐬*
🐏 *राशि फलादेश मेष :-*
*(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)*
नवीन वस्त्राभूषण की प्राप्ति होगी। रोजगार में वृद्धि होगी। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। बाहरी-भीतरी मतभेद समाप्त होने से प्रसन्नता रहेगी। जोखिम न लें। भाइयों से सहयोग मिलेगा। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। यात्रा लाभदायक रहेगी। वैवाहिक प्रस्ताव मिल सकता है।
🐂 *राशि फलादेश वृष :-*
*(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)*
संपत्ति के कार्य बड़ा लाभ दे सकते हैं। परीक्षा व साक्षात्कार आदि में सफलता मिलेगी। बुद्धि का प्रयोग लाभ में वृद्धि करेगा। दूसरों की जवाबदारी न लें। पुराना रोग उभर सकता है। परिवार के किसी सदस्य के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी। विवाद को बढ़ावा न दें।
👫 *राशि फलादेश मिथुन :-*
*(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)*
बड़ों की बात मानें, लाभ होगा। अच्छी खबर मिलेगी। प्रसन्नता रहेगी। वरिष्ठ जन सहयोग करेंगे। जोखिम न लें। आलस्य रहेगा। यात्रा मनोरंजक रहेगी। स्वादिष्ट भोजन का आनंद मिलेगा। बुद्धि व ज्ञान की वृद्धि होगी। रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे।
🦀 *राशि फलादेश कर्क :-*
*(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)*
घर-बाहर तनाव रहेगा। ��ांति बनाए रखें। अधिक प्रयास करने से लाभ होगा। व्यवसाय ठीक चलेगा। पार्टनरों से मतभेद हो सकते हैं। स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें। शोक समाचार मिल सकता है। दौड़धूप अधिक होगी। अपेक्षाकृत कार्यों में विलंब होगा।
🦁 *राशि फलादेश सिंह :-*
*(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)*
घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। मेहनत का फल मिलेगा। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। आय में वृद्धि होगी। कोई बड़ी समस्या का हल मिलेगा। मित्र व संबंधी सहयोग करेंगे। घर के बड़ों की चिंता रहेगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। संतान पक्ष तरक्की करेगा।
👩🏻🦰 *राशि फलादेश कन्या :-*
*(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)*
भूले-बिसरे मित्र व संबंधियों से मुलाकात होगी। उत्साहवर्धक सूचना प्राप्त होगी। दूसरों के काम की जवाबदारी न लें। प्रयास भरपूर करें, लाभ होगा। वरिष्ठजनों से मेल-मुलाकात होगी। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। जोखिम व जमानत के कार्य टालें।
⚖ *राशि फलादेश तुला :-*
*(रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)*
लाभ के अवसर हाथ आएंगे। बेरोजगारी दूर करने के प्रयास सफल रहेंगे। जीवनसाथी से सहयोग प्राप्त होगा। यात्रा से लाभ होगा। भेंट व उपहार की प्राप्ति होगी। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। जोखिम उठाने व जल्दबाजी करने से बचें। अतिउत्साह हानि देगा। विवाद न करें।
🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक :-*
*(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)*
सुख के साधनों पर अतिव्यय हो सकता है। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। बोलचाल में हल्की मजाक न करें। घर-बाहर तनाव रह सकता है। कार्यकुशलता में कमी रहेगी। कोई बड़ी गलती हो सकती है। अपरिचितों पर विश्वास न करें।
🏹 *राशि फलादेश धनु :-*
*(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)*
भाग्य अनुकूल है। समय का लाभ लें। रोजगार में वृद्धि होगी। परिवार में कोई मंगल कार्य हो सकता है। प्रसन्नता रहेगी। अपेक्षित कार्य पूर्ण होंगे। रुका हुआ धन मिल सकता है। भाइयों व पार्टनर से सहयोग मिलेगा। व्यावसायिक यात्रा लाभदायक रहेगी।
🐊 *राशि फलादेश मकर :-*
*(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)*
राजकीय बाधा दूर होगी। मतभेद समाप्त होंगे। व्यवसाय ठीक चलेगा। कार्य में प्रगति होगी। दूसरों से अपेक्षा न करें। अज्ञात भय सताएगा। विरोधी पस्त होंगे। प्रमाद न करें। कार्यस्थल पर सुधार होगा। योजना फलीभूत होगी। रोजगार में वृद्धि होगी। मान-सम्मान मिलेगा।
🏺 *राशि फलादेश कुंभ :-*
*(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)*
तंत्र-मंत्र में रुचि रहेगी। राजकीय बाधा दूर होकर लाभ की स्थिति बनेगी। प्रतिद्वंद्वी शांत रहेंगे। आय में वृद्धि होगी। जल्दबाजी से काम बिगड़ सकते हैं। ऐश्वर्य पर व्यय होगा। आय के नए स्रोत प्राप्त हो सकते हैं। पारिवारिक सहयोग प्राप्त होगा।
🐡 *राशि फलादेश मीन :-*
*(दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)*
विवाद को बढ़ावा न दें। उत्तेजना पर नियंत्रण आवश्यक है। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। चोट व दुर्घटना से हानि संभव है। घर में अशांति रहेगी। कुसंगति से बचें। वस्तुएं संभालकर रखें। कोई बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है, धैर्य रखें।
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
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सकट चौथ 2025: तिथि, पूजा का समय, व्रत कथा, विधि और क्या करें और क्या न करें
सकट चौथ, जिसे संकष्टी चतुर्थी भी कहा जाता है, भगवान गणेश और देवी संकटहर्ता को समर्पित एक अत्यंत महत्वपूर्ण दिन है। मुख्य रूप से हिंदू भक्तों द्वारा मनाया जाने वाला यह दिन बाधाओं को दूर करने और भक्तों के जीवन में समृद्धि लाने में विश्वास रखता है। 2025 में, सकट चौथ उनके लिए विशेष महत्व रखता है जो अपने परिवार के कल्याण के लिए दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं।
सकट चौथ 2025 तिथि और पूजा का समय
पवित्र सकट चौथ 2025 को शुक्रवार, 17 जनवरी, 2025 को मनाया जाएगा। विस्तृत समय इस प्रकार है:
चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 17 जनवरी 2025 को सुबह 6:14 बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त: 18 जनवरी 2025 को सुबह 4:58 बजे
चंद्रोदय का समय: रात 8:47 बजे
भक्तों को शाम के समय पूजा करनी चाहिए और चंद्रमा के दर्शन के बाद व्रत तोड़ना चाहिए।
सकट चौथ व्रत कथा
सकट चौथ व्रत कथा गहन आध्यात्मिक महत्व रखती है और भक्ति और विश्वास का महत्व सिखाती है। पूरी कथा इस प्रकार है:
प्राचीन समय में, एक समृद्ध राज्य पर एक धर्मपरायण राजा शासन करता था। राज्य की रानी गहरी भक्त थीं और नियमित रूप से अपने परिवार के कल्याण के लिए अनुष्ठान करती थीं। लेकिन राजकुमार, उनका इकलौता पुत्र, गंभीर रूप से बीमार पड़ गया। सबसे अच्छे चिकित्सकों की सलाह और अनगिनत अनुष्ठानों के बावजूद, उनकी स्थिति में सुधार नहीं हुआ।
एक दिन, एक ज्ञानी साधु महल में आए। राजकुमार की स्थिति सुनने के बाद, साधु ने सकट चौथ व्रत रखने और भगवान गणेश और देवी संकटहर्ता को समर्पित एक विशेष पूजा करने का सुझाव दिया। साधु ने बताया कि देवी संकटहर्ता इस दिन विशेष रूप से कृपालु होती हैं और जो लोग भक्ति के साथ व्रत रखते हैं उन्हें कठिनाइयों से राहत प्रदान करती हैं।
रानी ने साधु की सलाह मानने का निर्णय लिया। सकट चौथ के दिन, उन्होंने निर्जला व्रत (बिना पानी के व्रत) रखा, पूरी श्रद्धा के साथ अनुष्ठान किए और व्रत कथा सुनी। उन्होंने भगवान गणेश और देवी संकटहर्ता से प्रार्थना की कि वे उनके पुत्र का जीवन बचाएं। चंद्रमा के उदय के समय, उन्होंने चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित कर व्रत तोड़ा।
चमत्कारिक रूप से, उसी रात से राजकुमार की तबीयत में सुधार होने लगा। कुछ ही दिनों में, वह पूरी तरह से ठीक हो गया, जिससे शाही परिवार में आनंद और राहत फैल गई। तब से, सकट चौथ व्रत रखने की परंपरा जारी है, और भक्तों का मानना है कि यह उनके बच्चों की रक्षा कर सकता है और उनके जीवन से बाधाओं को दूर कर सकता है।
सकट चौथ व्रत की दूसरी कथा
एक गांव में एक गरीब लेकिन भक्त महिला रहती थी। उसका इकलौता पुत्र था, जिसे उसने अपनी कठिनाइयों के बावजूद बहुत प्यार और देखभाल से पाला। महिला की भगवान गणेश में गहरी आस्था थी, और वह नियमित रूप से उनके व्रत और पूजा करती थी।
एक बार, गांव में भयंकर अकाल पड़ा, और महिला को भोजन जुटाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ी। एक दिन, उसने सकट चौथ का महत्व सुना और व्रत रखने का निर्णय लिया। उसने निर्जला व्रत किया और पूरी श्रद्धा से भगवान गणेश की पूजा की। पूजा के दौरान उसने व्रत कथा सुनी और अपनी संतान की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए प्रार्थना की।
उसके बेटे को एक दिन अचानक जंगल में एक बड़े खतरे का सामना करना पड़ा। एक विशाल सांप ने उसे काटने की कोशिश की। लेकिन जैसे ही वह सांप उसके करीब आया, भगवान गणेश प्रकट हुए और अपने दिव्य प्रभाव से सांप को वहां से भगा दिया।
जब महिला को इस घटना के बारे में पता चला, तो उसने भगवान गणेश का धन्यवाद किया और समझ गई कि सकट चौथ व्रत ने उसके बेटे की जान बचाई। तभी से यह परंपरा प्र��लित हो गई कि इस दिन व्रत रखने से बच्चों की रक्षा होती है और परिवार पर आने वाले संकट दूर हो जाते हैं।
सकट चौथ की एक और प्रसिद्ध कथा
प्राचीन समय में, एक गांव में एक साहूकार (व्यापारी) रहता था। उसके सात बेटे और सात बहुएं थीं। साहूकार की सबसे छोटी बहू बहुत भक्त थी और भगवान गणेश में गहरी आस्था रखती थी। जब भी कोई पर्व या व्रत आता, वह श्रद्धा और नियमों का पालन करते हुए पूजा-अर्चना करती।
एक बार सकट चौथ का दिन आया। साहूकार की छोटी बहू ने व्रत रखने का संकल्प लिया। पूरे दिन उसने निर्जला व्रत किया और शाम को पूजा की तैयारी करने लगी। लेकिन साहूकार और उसकी अन्य बहुओं ने उसका मजाक उड़ाया। उन्होंने कहा, "तुम्हारे इस उपवास और पूजा का कोई अर्थ नहीं है। इससे किसी को कोई लाभ नहीं होगा।"
छोटी बहू ने उनकी बातों को अनसुना किया और अपने व्रत और पूजा में ध्यान केंद्रित किया। उसने भगवान गणेश की पूजा करते हुए दुर्वा, मोदक, और लाल फूल अर्पित किए और चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत खोला।
उस रात, साहूकार के परिवार में एक अनहोनी घटित हुई। साहूकार और उसकी छह बहुएं गंभीर रूप से बीमार पड़ गईं। घर में अशांति फैल गई। परिवार के लोग इस विपदा का कारण समझने में असमर्थ थे। परेशान होकर उन्होंने गांव के एक संत से परामर्श लिया।
संत ने कहा, "आपने सकट चौथ व्रत और पूजा का अपमान किया है। भगवान गणेश ने आपको यह सजा दी है। इस संकट से बचने के लिए पूरे परिवार को गणेश जी से क्षमा मांगनी होगी और व्रत को श्रद्धा के साथ करना होगा।"
साहूकार और उसकी बहुएं बहुत पछताईं। उन्होंने अगले दिन गणेश जी की विधिवत पूजा की और भगवान गणेश से क्षमा मांगी। उनकी प्रार्थनाओं के बाद, परिवार के सभी सदस्य ठीक हो गए।
तब से, यह कथा प्रचलित हो गई और सकट चौथ व्रत का महत्व हर घर में बताया जाने लगा। यह व्रत सिखाता है कि भक्ति, श्रद्धा, और विश्वास से भगवान गणेश सभी संकटों को हर लेते हैं और परिवार में सुख-शांति लाते हैं।
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इस कथा का महत्व
यह कहानी सिखाती है कि भक्ति और विश्वास के साथ व्रत रखने से भगवान गणेश और देवी संकटहर्ता की कृपा प्राप्त होती है। संकटों से मुक्ति पाने और संतान के कल्याण के लिए यह व्रत विशेष रूप से प्रभावशाली माना जाता है।
सकट चौथ पूजा विधि
1. सुबह की तैयारी:
सुबह जल्दी उठें, स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
पूजा स्थल को साफ करें और वहां भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
2. संकल्प:
व्रत को श्रद्धा से रखने का संकल्प लें और अपने परिवार के कल्याण और बाधाओं को दूर करने के लिए प्रार्थना करें।
3. पूजा विधि:
एक दीपक जलाएं और अगरबत्ती लगाएं।
दुर्वा, लाल फूल, फल और मोदक जैसे मिठाई भगवान गणेश को अर्पित करें।
गणेश मंत्र जैसे “ॐ गं गणपतये नमः” का जाप करें।
4. शाम की पूजा:
भगवान गणेश के लिए भोग तैयार करें।
सकट चौथ व्रत कथा सुनें या पढ़ें।
आरती करें और सभी बाधाओं को दूर करने के लिए प्रार्थना करें।
5. व्रत तोड़ना :
चंद्रमा के दर्शन के बाद, चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित करके व्रत तोड़ें।
क्या करें (Dos) सकट चौथ पर
• निर्जला व्रत रखें: यह व्रत का सबसे शुभ तरीका माना जाता है। जो लोग निर्जला व्रत नहीं रख सकते, वे आंशिक व्रत रख सकते हैं।
• मोदक और दुर्वा चढ़ाएं: यह भगवान गणेश की प्रिय भेंट मानी जाती है।
• गणेश मंत्र का जाप करें: भगवान गणेश को समर्पित मंत्रों का जाप व्रत के सकारात्मक प्रभावों को बढ़ाता है।
• व्रत कथा सुनें: पूजा के दौरान सकट चौथ कथा अवश्य सुनें या पढ़ें।
क्या न करें (Don’ts) सकट चौथ पर
• मांसाहारी भोजन से बचें: इस पवित्र दिन पर मांसाहारी भोजन और शराब से दूर रहें।
• चंद्रोदय अनुष्ठान को न छोड़ें: व्रत चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित किए बिना अधूरा माना जाता है।
• लहसुन और प्याज का उपयोग न करें: भोग और अपने भोजन (यदि आंशिक व्रत) के लिए सात्विक भोजन तैयार करें।
• नकारात्मक विचार न रखें: पूरे दिन सकारात्मक और भक्ति से भरा दृष्टिकोण बनाए रखें। सकट चौथ का ज्योतिषीय महत्व
ज्योतिष के अनुसार, सकट चौथ मनाने से राहु और केतु जैसे अशुभ ग्रहों के प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो अपने कुंडली में प्रतिकूल ग्रहों की महादशा या अंतरदशा के कठिन समय से गुजर रहे हैं। इस शुभ दिन के लाभों को अपनी अनूठी ग्रह स्थिति के आधार पर अधिकतम करने के लिए डॉ. विनय बजरंगी जैसे अनुभवी ज्योतिषी से परामर्श करें।
निष्कर्ष
सकट चौथ 2025 भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त करने और जीवन की चुनौतियों को दूर करने का एक शक्तिशाली दिन है। व्रत को श्रद्धा से रखकर, पूजा को भक्ति से करके, और क्या करें और क्या न करें का पालन करके, भक्त आध्यात्मिक और भौतिक लाभों का अनुभव कर सकते हैं। इस दिन का आपके जीवन पर कैसे प्रभाव पड़ सकता है, इस पर व्यक्तिगत ज्योतिषीय मार्गदर्शन के लिए डॉ. विनय बजरंगी से परामर्श करें।
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पौष पुत्रदा एकादशी 2025: महत्व, तिथि, पूजा विधि और दान
पौष पुत्रदा एकादशी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण व्रत है जो भगवान विष्णु को समर्पित है। यह व्रत पुत्र प्राप्ति के लिए किया जाता है और माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने से सभी पापों का नाश हो जाता है।
पौष पुत्रदा एकादशी 2025 की तिथि और समय
तिथि: पौष पुत्रदा एकादशी 2025, 10 जनवरी को मनाई जाएगी।
समय: एकादशी तिथि 9 जनवरी, 2025 को दोपहर 12 बजकर 22 मिनट पर शुरू होगी और 10 जनवरी, 2025 को सुबह 10 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी।
पारण समय: 11 जनवरी, 2025 को सुबह 07 बजकर 15 मिनट से 08 बजकर 21 मिनट के बीच किया जाएगा।
पौष पुत्रदा एकादशी का महत्व
पुत्र प्राप्ति: यह व्रत मुख्य रूप से पुत्र प्राप्ति के लिए किया जाता है।
पापों का नाश: माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने से सभी पापों का नाश हो जाता है।
भगवान विष्णु की कृपा: यह व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न करने का एक शक्तिशाली साधन है।
आध्यात्मिक विकास: यह व्रत आध्यात्मिक विकास और मोक्ष प्राप्ति के लिए भी किया जाता है।
पौष पुत्रदा एकादशी की पूजा विधि
पूजा का समय: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
भगवान विष्णु की पूजा: भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएं और फूल चढ़ाएं।
व्रत कथा: पौष पुत्रदा एकादशी की व्रत कथा का पाठ करें।
मंत्र जाप: विष्णु सहस्रनाम का जाप करें।
दान: गरीबों को भोजन और वस्त्र दान करें।
पौष पुत्रदा एकादशी में दान का महत्व
दान करना पौष पुत्रदा एकादशी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। माना जाता है कि इस दिन दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। आप अन्न, वस्त्र, धन आदि दान कर सकते हैं।
पौष पुत्रदा एकादशी का निष्कर्ष
पौष पुत्रदा एकादशी एक पवित्र और शुभ अवसर है। इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से भगवान ��िष्णु की कृपा प्राप्त होती है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
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षट्तिला एकादशी व्रत महात्मय और कथा
🍀 षट्तिला एकादशी : 25 जनवरी 2025 शनिवार
(24 जनवरी रात्रि 7:25 से 25 जनवरी रात्रि 08:31 तक)
माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी 'षट्तिला एकादशी' के नाम से जानी जाती है। इस दिन काले तिल तथा काली गाय के दान का भी बड़ा माहात्म्य है l
🌀 तिलमिश्रित जल से स्नान, तिल का उबटन, तिल से हवन, तिलमिश्रित जल का पान व तर्पण, तिलमिश्रित भोजन, तिल का दान - ये छः कर्म पाप का नाश करनेवाले हैं। ••••••••••••••••••••••••••••••|
🌀♻ व्रत कथा
🌹 युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण से पूछा : भगवन् ! माघ मास के कृष्णपक्ष में कौन सी एकादशी होती है ? उसके लिए कैसी विधि है तथा उसका फल क्या है ? कृपा करके ये सब बातें हमें बताइये ।
🌹 श्रीभगवान बोले : नृपश्रेष्ठ ! माघ (गुजरात महाराष्ट्र के अनुसार पौष) मास के कृष्णपक्ष की एकादशी ‘षट्तिला’ के नाम से विख्यात है, जो सब पापों का नाश करनेवाली है । मुनिश्रेष्ठ पुलस्त्य ने इसकी जो पापहारिणी कथा दाल्भ्य से कही थी, उसे सुनो ।
🌹 दाल्भ्य ने पूछा : ब्रह्मन् ! मृत्युलोक में आये हुए प्राणी प्राय: पापकर्म करते रहते हैं । उन्हें नरक में न जाना पड़े इसके लिए कौन सा उपाय है ? बताने की कृपा करें ।
🌹 पुलस्त्यजी बोले : महाभाग ! माघ मास आने पर मनुष्य को चाहिए कि वह नहा धोकर पवित्र हो इन्द्रियसंयम रखते हुए काम, क्रोध, अहंकार ,लोभ और चुगली आदि बुराइयों को त्याग दे । देवाधिदेव भगवान का स्मरण करके जल से पैर धोकर भूमि पर पड़े हुए गोबर का संग्रह करे । उसमें तिल और कपास मिलाकर एक सौ आठ पिंडिकाएँ बनाये । फिर माघ में जब आर्द्रा या मूल नक्षत्र आये, तब कृष्णपक्ष की एकादशी करने के लिए नियम ग्रहण करें । भली भाँति स्नान करके पवित्र हो शुद्ध भाव से देवाधिदेव श्रीविष्णु की पूजा करें । कोई भूल हो जाने पर श्रीकृष्ण का नामोच्चारण करें । रात को जागरण और होम करें । चन्दन, अरगजा, कपूर, नैवेघ आदि सामग्री से शंख, चक्र और गदा धारण करनेवाले देवदेवेश्वर श्रीहरि की पूजा करें । तत्पश्चात् भगवान का स्मरण करके बारंबार श्रीकृष्ण नाम का उच्चारण करते हुए कुम्हड़े, नारियल अथवा बिजौरे के फल से भगवान को विधिपूर्वक पूजकर अर्ध्य दें । अन्य सब स���मग्रियों के अभाव में सौ सुपारियों के द्वारा भी पूजन और अर्ध्यदान किया जा सकता है । अर्ध्य का मंत्र इस प्रकार है:
कृष्ण कृष्ण कृपालुस्त्वमगतीनां गतिर्भव । संसारार्णवमग्नानां प्रसीद पुरुषोत्तम ॥ नमस्ते पुण्डरीकाक्ष नमस्ते विश्वभावन । सुब्रह्मण्य नमस्तेSस्तु महापुरुष पूर्वज ॥ गृहाणार्ध्यं मया दत्तं लक्ष्म्या सह जगत्पते ।
🌹‘सच्चिदानन्दस्वरुप श्रीकृष्ण ! आप बड़े दयालु हैं । हम आश्रयहीन जीवों के आप आश्रयदाता होइये । हम संसार समुद्र में डूब रहे हैं, आप हम पर प्रसन्न होइये । कमलनयन ! विश्वभावन ! सुब्रह्मण्य ! महापुरुष ! सबके पूर्वज ! आपको नमस्कार है ! जगत्पते ! मेरा दिया हुआ अर्ध्य आप लक्ष्मीजी के साथ स्वीकार करें ।’ तत्पश्चात् ब्राह्मण की पूजा करें । उसे जल का घड़ा, छाता, जूता और वस्त्र दान करें । दान करते समय ऐसा कहें : ‘इस दान के द्वारा भगवान श्रीकृष्ण मुझ पर प्रसन्न हों ।’ अपनी शक्ति के अनुसार श्रेष्ठ ब्राह्मण को काली गौ का दान करें । द्विजश्रेष्ठ ! विद्वान पुरुष को चाहिए कि वह तिल से भरा हुआ पात्र भी दान करे । उन तिलों के बोने पर उनसे जितनी शाखाएँ पैदा हो सकती हैं, उतने हजार वर्षों तक वह स्वर्गलोक में प्रतिष्ठित होता है । तिल से स्नान होम करे, तिल का उबटन लगाये, तिल मिलाया हुआ जल पीये, तिल का दान करे और तिल को भोजन के काम में ले ।’
🌹 इस प्रकार हे नृपश्रेष्ठ ! छ: कामों में तिल का उपयोग करने के कारण यह एकादशी ‘षटतिला’ कहलाती है, जो सब पापों का नाश करनेवाली है ।
🌹 व्रत खोलने की विधि : द्वादशी को सेवापूजा की जगह पर बैठकर भुने हुए सात चनों के चौदह टुकड़े करके अपने सिर के पीछे फेंकना चाहिए । ‘मेरे सात जन्मों के शारीरिक, वाचिक और मानसिक पाप नष्ट हुए’ - यह भावना करके सात अंजलि जल पीना और चने के सात दाने खाकर व्रत खोलना चाहिए ।
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संत श्री सियाराम बाबा जी के चरणों में शत-शत नमन 💐🙏 . . - संत ��ियाराम बाबा 110 वर्ष की आयु में मोक्षदा एकादशी के अवसर पर ब्रह्मलीन हो गए। - संत सियाराम बाबा 1933 से नर्मदा किनारे रहकर तपस्या कर रहे थे। - संत सियाराम बाबा ने 10 साल तक खड़े रहकर मौन तपस्या की थी। - मौन व्रत तोड़ने के बाद पहली बार संत सियाराम बाबा के श्रीमुख से सियाराम का उच्चारण हुआ था। तभी से लोग उन्हें संत सियाराम बाबा के नाम से पुकारने लगे। - संत सियाराम बाबा 70 साल से रोजाना 21 घंटे रामचरित मानस का पाठ कर रहे थे। - संत सियाराम बाबा अपने शिष्यों से केवल 10 रुपये की भेंट ही लेते थे। - यदि कोई भक्त उनको 500 रुपये देता तो वह 10 रुपये रखकर उनको 490 रुपये लौटा देते थे। - बाबा ने आश्रम के प्रभावित डूब क्षेत्र हिस्से के मिले मुआवजे के दो करोड़ 58 लाख रुपये क्षेत्र के प्रसिद्ध तीर्थ स्थान नागलवाड़ी मंदिर में दान किए थे। - संत सियाराम बाबा ने 20 लाख रुपये व चांदी का छत्र जाम घाट स्थित पार्वती माता मंदिर में दान किया। - आश्रम से नर्मदा तक एक करोड़ रुपये की लागत से घाट बनवाया था। - संत सियाराम बाबा ने अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण में भी 2 लाख रुपए भेंट किए थे। - संत सियाराम बाबा सर्दी, गर्मी हो या बरसात वे लंगोट के अलावा कोई कपड़े नहीं पहनते थे। - आश्रम पर आने वाले श्रद्धालुओं को स्वयं के हाथों से बनी चाय प्रसादी के रूप में वितरित करते थे। - बाबा के लिए गांव के 5-6 घरों से भोजन आता था। - बाबा उसमें से थोड़़ा सा भोजन रखकर शेष पशु-पक्षियों को खिलाते थे। . .
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🌿कबीर परमेश्वर जी की साखी:-
कबीर, हरि के नाम बिना, नारी कुतिया होय।
गली-गली भौंकत फिरे, टूक ना डाले कोय।।
कबीर परमेश्वर जी ने अध्यात्म का विधान बताया है। कहा है कि जो स्त्री भक्ति नहीं करती, वह अगले जन्म में कुतिया का जीवन प्राप्त करके गली-गली भौंकती फिरती है। कोई उसको भोजन का ग्रास भी नहीं डालता। मानव जीवन में सब भोजन समय पर मिल रहा था। भक्ति न करने से यह दशा होगी।
🌿परमात्मा के विधान के अनुसार, जो लोग जानवरों को मारते हैं और उनका मांस खाते हैं, वे काफिर होते हैं। इसके अलावा, जो लोग हुक्का पीते हैं वे भगवान के दरबार में काफिरों के रूप में खड़े होते हैं क्योंकि वे खुद को एक जघन्य पाप में शामिल करते हैं।
काफिर सो जो मुरगी काटे, वे काफिर जो सीना चाटे ।
काफिर गूदा घटें सलाई, काफिर हुक्का पीवें अन्यायी ।।
🌿पवित्र शास्त्र परमात्मा का बनाया संविधान है जो व्यक्ति संविधान का उल्लंघन करता है, वह दंडित होता है। उसे न सुख प्राप्त होता है, न कार्य सिद्ध होते हैं न उसका मोक्ष (गति) होता है।
प्रमाण- गीता अध्याय 16 श्लोक 23, 24 में है।
🌿मानव शरीर प्राप्त प्राणी को सत्संग के माध्यम से ही पूर्ण संत की शरण मिलती है। पूर्ण संत ही परमेश्वर का संविधान बताता है जिसमें उसे सत्संग के माध्यम से यथार्थ आध्यात्मिक ज्ञान दिया जाता है 'कि यदि पूर्ण संत से नाम दीक्षा लेकर भक्ति, पुण्य, दान, धर्म, शुभ कर्म नहीं किए। तो पूर्व जन्म के पुण्य मानव जीवन में खर्च करके परमात्मा के दरबार में जाओगे और फिर पशु आदि के जीवन ही भोगने पड़ेंगे।
🌿परमात्मा के संविधान की किसी भी धारा का उल्लंघन कर देने पर सजा अवश्य मिलेगी। पवित्र गीता जी व पवित्र चारों वेदों में वर्णित व वर्जित विधि के विपरीत साधना करना व्यर्थ है। गीताजी के अध्याय 9 श्लोक 25 में कहा है कि जो पितर पूजा (श्राद्ध आदि) करते हैं वे मोक्ष प्राप्त नहीं कर पाते।
🌿"बदला कहीं न जात है तीन लोक के माही"
परमात्मा के विधान अनुसार मांस खाने और जीव हत्या करने वाले लोगों को घोर नरक में डाला जाएगा। और इसका बदला भी आपको देना पड़ेगा, जब आप बकरे की योनी में जाओगे और वह बकरा मनुष्य जीवन में होगा उस समय आपकों भी उसी तरह हलाल किया जाएगा।
🌿जीव हने हिंसा करे, प्रकट पाप सिर होय। निगम पुनि ऐसे पाप से, भिस्त गया न कोय।।
जो जीव हिंसा करते है, वह अल्लाह के विधानुसार पाप के भागी होते है। और ऐसे भयानक पाप करके भिस्त कोई नहीं जा सकता।
🌿परमात्मा का विधान है जो सूक्ष्मवेद में कहा है:-
कबीर, गुरू बिन माला फेरते, गुरू बिन देते दान।
गुरू बिन दोंनो निष्फल है, पूछो वेद पुराण।।
गुरू बिन नाम जाप की माला फिराते हैं या दान देते हैं, वह व्यर्थ है। यह वेदों तथा पुराणों में भी प्रमाण है। यदि दीक्षा लेकर फिर गुरू को छोड़कर उन्हीं मन्त्रों का जाप करता रहे तथा यज्ञ, हवन, दान भी करता रहे, वह भी व्यर्थ है। उसको कोई लाभ नहीं होगा।
कबीर, तांते सतगुरू शरणा लीजै, कपट भाव सब दूर करिजै।
गुरू पूरा हो, झूठे गुरू से कोई लाभ नहीं होता।
वर्तमान में धरती पर पूर्ण सतगुरु संत रामपाल जी महाराज जी हैं जो शास्त्र प्रमाणित भक्ति और लाभ देते हैं।
🌿भगवान का विधान है:
मदिरा पीवै कड़वा पानी, सत्तर जन्म श्वान के जानी।
भांग तम्बाकू छोतरा आफु और शराब।
गरीबदास कौन करे बंदगी ये तो करे खराब।
अमल आहारी आत्मा, कबहु न उतरे पार।
संत रामपाल जी महाराज के शिष्य भांग, तम्बाकू, शराब आदि किसी भी तरह के नशे को किसी को लाकर देना तो दूर रहा उसे हाथ तक नहीं लगाते।
🌿गीता अध्याय 6 श्लोक 16
नात्यश्नतस्तु योगोऽस्ति न चैकान्तमनश्नत: ।
न चातिस्वप्नशीलस्य जाग्रतो नैव चार्जुन ।।16।।
हे अर्जुन! यह योग न तो बहुत खाने वाले का, न बिल्कुल न खाने वाले का, न बहुत शयन करने के स्वभाव वाले का और न सदा जागने वाले का ही सिद्ध होता है ।।16।।
इस श्लोक में गीता ज्ञान दाता ने योग अर्थात् सद्भक्ति करने वालों को अधिक खाने, व्रत करने, सदा जागने, अधिक शयन के लिए मना किया है। नियमित आहार और नियमित शयन करना चाहिए। जो निराहार रहते है/व्रत करते है वे परमात्मा के विधान को खंड करते है और मोक्ष से वंचित रह जाते है।
🌿कबीर, मांस मछलियां खात है, सुरापान से हेत।
ते नर नरकै जाहिंगे, मात पिता समेत।।
इस वाणी द्वारा कबीर साहेब ने बताया है कि, जो मांस मछली खाते हैं, शराब आदि पीते हैं।
वह इंसान माता पिता के साथ नरक में जाएगा। ये परमात्मा का विधान है।
🌿 पवित्र गीता जी व पवित्र वेद प्रभु का संविधान है। जिसमें केवल एक पूर्ण परमात्मा की पूजा का ही विधान है, अन्य देवताओं, पितरों, भूतों की पूजा करना मना है।
🌿परमात्मा का विधान
यह संसार समंझदा नाहीं, कहंदा शाम दोपहरे नूं।
गरीब दास यह वक्त जात है, रोवोगे इस पहरे नूँ।।
संत गरीबदास जी ने बताया है कि मनुष्य जन्म प्राप्त करके जो व्यक्ति भक्ति नहीं करता, वह कुत्ते, गधे आदि-आदि की योनि में कष्ट उठाता है। कुत्ता रात्रि में आसमान की ओर मुख करके रोता है। इसलिए गरीबदास जी ने बताया है कि यह मानव शरीर का वक्त एक बार हाथ से निकल गया और भक्ति नहीं की तो इस समय (इस पहरे) को याद करके रोया करोगे।
🌿शास्त्रविधि अनुसार पूर्ण गुरू से दीक्षा लेकर भक्ति मर्यादा का निर्वाह करते हुए आजीवन साधना करने से मोक्ष होगा। यदि घर त्यागकर वन में चले गए तो भोजन के लिए फिर गाँव या शहर में ग्रहस्थी के द्वार पर आना होगा। गर्मी-सर्दी, बार���श से बचने के लिए कोई कुटी बनानी पड़ेगी। वस्त्र भी माँगने पड़ेंगे। वह फिर घर बन गया। इसलिए घर पर रहो। सत्य साधना करो, मोक्ष निश्चित है।
🌿परमात्मा बड़ी से बड़ी आपत्ति टाल देता है
"संत शरण में आने से, आई टलै बला।
जै भाग्य में सूली हो, कांटे में टल जाय।।"
भावार्थ: कबीर जी बताते हैं कि सच्चे गुरु की शरण में आने के बाद यदि किसी के भाग्य में भयंकर संकट है, तो परमात्मा उसे घटाकर एक छोटा सा कष्ट बना देता है।
अवश्य सुनें संत रामपाल जी महाराज के अमृत वचन साधना टीवी पर प्रतिदिन 7:30 p.m. से 8:30 p.m.
🌿कबीर, चोरी जारी वैश्या वृति, कबहु ना करयो कोए।
पुण्य पाई नर देही, ओछी ठौर न खोए।।
जो मानव चोरी, डकैती, ठगी, वैश्यागमन करते हैं, वे महाअपराधी हैं। जो स्त्रियां वैश्या का धंधा करती हैं, वे भी महाअपराधी हैं। परमात्मा के दरबार में उनको कठिन दण्ड दिया जाएगा।
ऐसे अपराधों से बचने के लिए देखिए संत गमपाल जी महाराज यूट्यूब चैनल
🌿यह दम टूटै पिण्डा फूटै, हो लेखा दरगाह मांही।
उस दरगाह में मार पड़ैगी, जम पकड़ेंगे बांही।।
भक्ति न करने वाले या शास्त्रविरुद्ध भक्ति करने वाले को यम के दूत भुजा पकड़कर ले जाएंगे। उसकी पिटाई की जाएगी।
शास्त्र अनुकूल भक्ति विधि की जानकारी के लिए विजिट करें संत रामपाल जी महाराज यूट्यून चैनल
🌿 कबीर, राम नाम से खिज मरैं, कुष्टि हो गल जाय।
शुकर होकर जन्म ले, नाक डूबता खाय।।
भावार्थ:- कबीर जी ने कहा है कि अभिमानी व्यक्ति राम नाम की चर्चा से खिज जाता है। फिर कोढ़ (कुष्ट रोग) लगकर गलकर मर जाता है। अगला जन्म सूअर का प्राप्त करके गंद खाता है। सूअर की नाक भी गंद में डूबी रहती है। इस प्रकार का कष्ट वह प्राणी उठाता है जो भक्ति नहीं करता या नकली संत बनकर जनता में फोकट महिमा बनाता है।
🌿 गरीब, गाड़ी बाहो घर रहो, खेती करो खुशहाल।
सांई सिर पर राखिये, सही भगत हरलाल।।
भावार्थ:- परमात्मा प्राप्ति के लिए घर त्यागने की आवश्यकता नहीं है। अपना खेती का कार्य तथा गाड़ी बाहने (ट्रांसपोर्ट) का कार्य खुशी-खुशी करो। घर पर रहो। परमात्मा की भक्ति जो मैं बताऊँ, वह करते रहो। आप सही भक्त कहलाओगे।
🌿संत गरीबदास जी ने कहा है कि:-
तमा + खू = तमाखू।
खू नाम खून का तमा नाम गाय। सौ बार सौगंध इसे न पीयें-खाय।। भावार्थ:- भावार्थ है कि फारसी भाषा में ‘‘तमा’’ गाय को कहते हैं। खू = खून यानि रक्त को कहते हैं। यह तमाखू गाय के रक्त से उपजा है। इसके ऊपर गाय के बाल जैसे रूंग (रोम) जैसे होते हैं। हे मानव! तेरे को सौ बार सौगंद है कि इस तमाखू का सेवन किसी रूप में भी मत कर। तमाखू का सेवन गाय का खून पीने के समान पाप लगता है।
🌿परमात्मा का विधान
गरीब, परद्वारा स्त्री का खोलै। सत्तर जन्म अंधा हो डोलै।।
जो व्यक्ति अन्य स्त्री से अवैध सम्बन्ध बनाता है, उस पाप के कारण वह सत्तर जन्म अंधे के प्राप्त करता है। अंधा गधा-गधी, अंधा बैल, अंधा मनुष्य या अंधी स्त्री के लगातार सत्तर जन्मों में कष्ट भोगता है।
🌿मदिरा पीवै कड़वा पानी। सत्तर जन्म श्वान के जानी।।
कड़वी शराब रूपी पानी जो पीता है, वह उस पाप के कारण सत्तर जन्म तक कुत्ते के जन्म प्राप्त करके कष्ट उठाता है। गंदी नालियों का पानी पीता है। रोटी ने मिलने पर गंद खाता है।
🌿सुरापान मद्य मांसाहारी। गमन करै भोगै पर नारी।।
सत्तर जन्म कटत है शीशं। साक्षी साहेब है जगदीशं।।
- (सुरा) शराब (पान) पीने वाले तथा परस्त्री को भोगने वाले, माँस खाने वालों को अन्य पाप कर्म भी भोगना होता है। उनके सत्तर जन्म तक मानव या बकरा-बकरी, भैंस या मुर्गे आदि के जीवनों में सिर कटते हैं। इस बात को मैं परमात्मा को साक्षी रखकर कह रहा हूँ, सत्य मानना।
🌿परमात्मा का विधान है,
तम्बाकू पीना भी महापाप है,
मानव जीवन परमात्मा प्राप्ति के लिए ही मिला है। परमात्मा को प्राप्त करने वाले मार्ग को तम्बाकू का धुँआ बंद कर देता है। इसलिए भी तम्बाकू भक्त के लिए महान शत्रु है।
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*🪷बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की जय🪷*
26/01/25
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🌿 *मालिक की दया से अब गणतंत्र दिवस से सम्बंधित Twitter पर सेवा करनी है जी। परमात्मा का विधान बताना है।*
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🌿धर्मराज के तिल तिल का लेखा
कबीर परमेश्वर जी की साखी:-
कबीर, हरि के नाम बिना, नारी कुतिया होय।
गली-गली भौंकत फिरे, टूक ना डाले कोय।।
कबीर परमेश्वर जी ने अध्यात्म का विधान बताया है। कहा है कि जो स्त्री भक्ति नहीं करती, वह अगले जन्म में कुतिया का जीवन प्राप्त करके गली-गली भौंकती फिरती है। कोई उसको भोजन का ग्रास भी नहीं डालता। मानव जीवन में सब भोजन समय पर मिल रहा था। भक्ति न करने से यह दशा होगी।
🌿धर्मराज के तिल तिल का लेखा
परमात्मा के विधान के अनुसार, जो लोग जानवरों को मारते हैं और उनका मांस खाते हैं, वे काफिर होते हैं। इसके अलावा, जो लोग हुक्का पीते हैं वे भगवान के दरबार में काफिरों के रूप में खड़े होते हैं क्योंकि वे खुद को एक जघन्य पाप में शामिल करते हैं।
काफिर सो जो मुरगी काटे, वे काफिर जो सीना चाटे ।
काफिर गूदा घटें सलाई, काफिर हुक्का पीवें अन्यायी ।।
🌿धर्मराज के तिल तिल का लेखा
पवित्र शास्त्र परमात्मा का बनाया संविधान है जो व्यक्ति संविधान का उल्लंघन करता है, वह दंडित होता है। उसे न सुख प्राप्त होता है, न कार्य सिद्ध होते हैं न उसका मोक्ष (गति) होता है।
प्रमाण- गीता अध्याय 16 श्लोक 23, 24 में है।
🌿धर्मराज के तिल तिल का लेखा
मानव शरीर प्राप्त प्राणी को सत्संग के माध्यम से ही पूर्ण संत की शरण मिलती है। पूर्ण संत ही परमेश्वर का संविधान बताता है जिसमें उसे सत्संग के माध्यम से यथार्थ आध्यात्मिक ज्ञान दिया जाता है 'कि यदि पूर्ण संत से नाम दीक्षा लेकर भक्ति, पुण्य, दान, धर्म, शुभ कर्म नहीं किए। तो पूर्व जन्म के पुण्य मानव जीवन में खर्च करके परमात्मा के दरबार में जाओगे और फिर पशु आदि के जीवन ही भोगने पड़ेंगे।
🌿परमात्मा के संविधान की किसी भी धारा का उल्लंघन कर देने पर सजा अवश्य मिलेगी। पवित्र गीता जी व पवित्र चारों वेदों में वर्णित व वर्जित विधि के विपरीत साधना करना व्यर्थ है। गीताजी के अध्याय 9 श्लोक 25 में कहा है कि जो पितर पूजा (श्राद्ध आदि) करते हैं वे मोक्ष प्राप्त नहीं कर पाते।
🌿"बदला कहीं न जात है तीन लोक के माही"
परमात्मा के विधान अनुसार मांस खाने और जीव हत्या करने वाले लोगों को घोर नरक में डाला जाएगा। और इसका बदला भी आपको देना पड़ेगा, जब आप बकरे की योनी में जाओगे और वह बकरा मनुष्य जीवन में होगा उस समय आपकों भी उसी तरह हलाल किया जाएगा।
🌿जीव हने हिंसा करे, प्रकट पाप सिर होय। निगम पुनि ऐसे पाप से, भिस्त गया न कोय।।
जो जीव हिंसा करते है, वह अल्लाह के विधानुसार पाप के भागी होते है। और ऐसे भयानक पाप करके भिस्त कोई नहीं जा सकता।
🌿परमात्मा का विधान है जो सूक्ष्मवेद में कहा है:-
कबीर, गुरू बिन माला फेरते, गुरू बिन देते दान।
गुरू बिन दोंनो निष्फल है, पूछो वेद पुराण।।
गुरू बिन नाम जाप की माला फिराते हैं या दान देते हैं, वह व्यर्थ है। यह वेदों तथा पुराणों में भी प्रमाण है। यदि दीक्षा लेकर फिर गुरू को छोड़कर उन्हीं मन्त्रों का जाप करता रहे तथा यज्ञ, हवन, दान भी करता रहे, वह भी व्यर्थ है। उसको कोई लाभ नहीं होगा।
कबीर, तांते सतगुरू शरणा लीजै, कपट भाव सब दूर करिजै।
गुरू पूरा हो, झूठे गुरू से कोई लाभ नहीं होता।
वर्तमान में धरती पर पूर्ण सतगुरु संत रामपाल जी महाराज जी हैं जो शास्त्र प्रमाणित भक्ति और लाभ देते हैं।
🌿भगवान का विधान है:
मदिरा पीवै कड़वा पानी, सत्तर जन्म श्वान के जानी।
भांग तम्बाकू छोतरा आफु और शराब।
गरीबदास कौन करे बंदगी ये तो करे खराब।
अमल आहारी आत्मा, कबहु न उतरे पार।
संत रामपाल जी महाराज के शिष्य भांग, तम्बाकू, शराब आदि किसी भी तरह के नशे को किसी को लाकर देना तो दूर रहा उसे हाथ तक नहीं लगाते।
🌿गीता अध्याय 6 श्लोक 16
नात्यश्नतस्तु योगोऽस्ति न चैकान्तमनश्नत: ।
न चातिस्वप्नशीलस्य जाग्रतो नैव चार्जुन ।।16।।
हे अर्जुन! यह योग न तो बहुत खाने वाले का, न बिल्कुल न खाने वाले का, न बहुत शयन करने के स्वभाव वाले का और न सदा जागने वाले का ही सिद्ध होता है ।।16।।
इस श्लोक में गीता ज्ञान दाता ने योग अर्थात् सद्भक्ति करने वालों को अधिक खाने, व्रत करने, सदा जागने, अधिक शयन के लिए मना किया है। नियमित आहार और नियमित शयन करना चाहिए। जो निराहार रहते है/व्रत करते है वे परमात्मा के विधान को खंड करते है और मोक्ष से वंचित रह जाते है।
🌿कबीर, मांस मछलियां खात है, सुरापान से हेत।
ते नर नरकै जाहिंगे, मात पिता समेत।।
इस वाणी द्वारा कबीर साहेब ने बताया है कि, जो मांस मछली खाते हैं, शराब आदि पीते हैं।
वह इंसान माता पिता के साथ नरक में जाएगा। ये परमात्मा का विधान है।
🌿 पवित्र गीता जी व पवित्र वेद प्रभु का संविधान है। जिसमें केवल एक पूर्ण परमात्मा की पूजा का ही विधान है, अन्य देवताओं, पितरों, भूतों की पूजा करना मना है।
🌿परमात्मा का विधान
यह संसार समंझदा नाहीं, कहंदा शाम दोपहरे नूं।
गरीब दास यह वक्त जात है, रोवोगे इस पहरे नूँ।।
संत गरीबदास जी ने बताया है कि मनुष्य जन��म प्राप्त करके जो व्यक्ति भक्ति नहीं करता, वह कुत्ते, गधे आदि-आदि की योनि में कष्ट उठाता है। कुत्ता रात्रि में आसमान की ओर मुख करके रोता है। इसलिए गरीबदास जी ने बताया है कि यह मानव शरीर का वक्त एक बार हाथ से निकल गया और भक्ति नहीं की तो इस समय (इस पहरे) को याद करके रोया करोगे।
🌿शास्त्रविधि अनुसार पूर्ण गुरू से दीक्षा लेकर भक्ति मर्यादा का निर्वाह करते हुए आजीवन साधना करने से मोक्ष होगा। यदि घर त्यागकर वन में चले गए तो भोजन के लिए फिर गाँव या शहर में ग्रहस्थी के द्वार पर आना होगा। गर्मी-सर्दी, बारिश से बचने के लिए कोई कुटी बनानी पड़ेगी। वस्त्र भी माँगने पड़ेंगे। वह फिर घर बन गया। इसलिए घर पर रहो। सत्य साधना करो, मोक्ष निश्चित है।
🌿परमात्मा बड़ी से बड़ी आपत्ति टाल देता है
"संत शरण में आने से, आई टलै बला।
जै भाग्य में सूली हो, कांटे में टल जाय।।"
भावार्थ: कबीर जी बताते हैं कि सच्चे गुरु की शरण में आने के बाद यदि किसी के भाग्य में भयंकर संकट है, तो परमात्मा उसे घटाकर एक छोटा सा कष्ट बना देता है।
अवश्य सुनें संत रामपाल जी महाराज के अमृत वचन साधना टीवी पर प्रतिदिन 7:30 p.m. से 8:30 p.m.
🌿कबीर, चोरी जारी वैश्या वृति, कबहु ना करयो कोए।
पुण्य पाई नर देही, ओछी ठौर न खोए।।
जो मानव चोरी, डकैती, ठगी, वैश्यागमन करते हैं, वे महाअपराधी हैं। जो स्त्रियां वैश्या का धंधा करती हैं, वे भी महाअपराधी हैं। परमात्मा के दरबार में उनको कठिन दण्ड दिया जाएगा।
ऐसे अपराधों से बचने के लिए देखिए संत गमपाल जी महाराज यूट्यूब चैनल
🌿यह दम टूटै पिण्डा फूटै, हो लेखा दरगाह मांही।
उस दरगाह में मार पड़ैगी, जम पकड़ेंगे बांही।।
भक्ति न करने वाले या शास्त्रविरुद्ध भक्ति करने वाले को यम के दूत भुजा पकड़कर ले जाएंगे। उसकी पिटाई की जाएगी।
शास्त्र अनुकूल भक्ति विधि की जानकारी के लिए विजिट करें संत रामपाल जी महाराज यूट्यून चैनल
🌿 कबीर, राम नाम से खिज मरैं, कुष्टि हो गल जाय।
शुकर होकर जन्म ले, नाक डूबता खाय।।
भावार्थ:- कबीर जी ने कहा है कि अभिमानी व्यक्ति राम नाम की चर्चा से खिज जाता है। फिर कोढ़ (कुष्ट रोग) लगकर गलकर मर जाता है। अगला जन्म सूअर का प्राप्त करके गंद खाता है। सूअर की नाक भी गंद में डूबी रहती है। इस प्रकार का कष्ट वह प्राणी उठाता है जो भक्ति नहीं करता या नकली संत बनकर जनता में फोकट महिमा बनाता है।
🌿 गरीब, गाड़ी बाहो घर रहो, खेती करो खुशहाल।
सांई सिर पर राखिये, सही भगत हरलाल।।
भावार्थ:- परमात्मा प्राप्ति के लिए घर त्यागने की आवश्यकता नहीं है। अपना खेती का कार्य तथा गाड़ी बाहने (ट्रांसपोर्ट) का कार्य खुशी-खुशी करो। घर पर रहो। परमात्मा की भक्ति जो मैं बताऊँ, वह करते रहो। आप सही भक्त कहलाओगे।
🌿संत गरीबदास जी ने कहा है कि:-
तमा + खू = तमाखू।
खू नाम खून का तमा नाम गाय। सौ बार सौगंध इसे न पीयें-खाय।। भावार्थ:- भावार्थ है कि फारसी भाषा में ‘‘तमा’’ गाय को कहते हैं। खू = खून यानि रक्त को कहते हैं। यह तमाखू गाय के रक्त से उपजा है। इसके ऊपर गाय के बाल जैसे रूंग (रोम) जैसे होते हैं। हे मानव! तेरे को सौ बार सौगंद है कि इस तमाखू का सेवन किसी रूप में भी मत कर। तमाखू का सेवन गाय का खून पीने के समान पाप लगता है।
🌿परमात्मा का विधान
गरीब, परद्वारा स्त्री का खोलै। सत्तर जन्म अंधा हो डोलै।।
जो व्यक्ति अन्य स्त्री से अवैध सम्बन्ध बनाता है, उस पाप के कारण वह सत्तर जन्म अंधे के प्राप्त करता है। अंधा गधा-गधी, अंधा बैल, अंधा मनुष्य या अंधी स्त्री के लगातार सत्तर जन्मों में कष्ट भोगता है।
🌿मदिरा पीवै कड़वा पानी। सत्तर जन्म श्वान के जानी।।
कड़वी शराब रूपी पानी जो पीता है, वह उस पाप के कारण सत्तर जन्म तक कुत्ते के जन्म प्राप्त करके कष्ट उठाता है। गंदी नालियों का पानी पीता है। रोटी ने मिलने पर गंद खाता है।
🌿सुरापान मद्य मांसाहारी। गमन करै भोगै पर नारी।।
सत्तर जन्म कटत है शीशं। साक्षी साहेब है जगदीशं।।
- (सुरा) शराब (पान) पीने वाले तथा परस्त्री को भोगने वाले, माँस खाने वालों को अन्य पाप कर्म भी भोगना होता है। उनके सत्तर जन्म तक मानव या बकरा-बकरी, भैंस या मुर्गे आदि के जीवनों में सिर कटते हैं। इस बात को मैं परमात्मा को साक्षी रखकर कह रहा हूँ, सत्य मानना।
🌿परमात्मा का विधान है,
तम्बाकू पीना भी महापाप है,
मानव जीवन परमात्मा प्राप्ति के लिए ही मिला है। परमात्मा को प्राप्त करने वाले मार्ग को तम्बाकू का धुँआ बंद कर देता है। इसलिए भी तम्बाकू भक्त के लिए महान शत्रु है।
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