#वोडाफोन विचार समूह
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टाटा समूह, वोडा आइडिया मेक पार्ट पेमेंट टूवार्ड वैधानिक बकाया: डीओटी स्रोत
टाटा समूह, वोडा आइडिया मेक पार्ट पेमेंट टूवार्ड वैधानिक बकाया: डीओटी स्रोत
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विकास के लिए आधिकारिक स्रोत निजी ने कहा कि वोडाफोन आइडिया लिमिटेड ने 2,500 करोड़ रुपये का भुगतान किया है, जबकि टाटा समूह ने 2,190 करोड़ रुपये का भुगतान किया है।
PTI
अपडेट किया गया:17 फरवरी, 2020, 4:59 PM IST
प्रतिनिधित्व के लिए छवि।
नई दिल्ली:सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि वोडाफोन आइडिया लिमिटेड और टाटा समूह ने लगभग 2,500 करोड़ रुपये का आंशिक भुगतान किया है और क्रमशः…
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#AGR बकाया#आइडय#टट#टवरड#टाटा समूह#डओट#दूरसंचार विभा��#पमट#परट#बकय#भारती एयरटेल#मक#वड#वधनक#वोडाफोन विचार समूह#समह#सरत
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वोडाफोन आइडिया शेयर इश्यू से 500 करोड़ रुपये जुटा सकती है
वोडाफोन आइडिया शेयर इश्यू से 500 करोड़ रुपये जुटा सकती है
वोडाफोन आइडिया का बोर्ड फंड जुटाने की योजना पर विचार कर सकता है नई दिल्ली: टेलीकॉम ऑपरेटर वोडाफोन आइडिया (VI) के निदेशक मंडल की बुधवार को बैठक होगी, जिसमें वोडाफोन से संबंधित एक या अधिक संस्थाओं को तरजीही आधार पर इक्विटी शेयर या परिवर्तनीय वारंट जारी करके 500 करोड़ रुपये तक की धनराशि जुटाने के प्रस्ताव पर विचार किया जाएगा। समूह, इसने स्टॉक एक्सचेंजों को एक नियामक फाइलिंग में कहा। वोडाफोन ग्रुप…
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वोडाफोन आइडिया शेयर इश्यू से 500 करोड़ रुपये जुटा सकती है
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#वोडाफोन आइडिया#वोडाफोन आइडिया का नुकसान#वोडाफोन आइडिया की कमाई#वोडाफोन आइडिया फंड जुटाने की योजना#वोडाफोन आइडिया समाचार
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टेलीकॉम सेवा देने वाली कंपनी वोडाफोन आईडिया में हिस्सेदारी ले सकती है गूगल
टेलीकॉम सेवा देने वाली कंपनी वोडाफोन आईडिया में हिस्सेदारी ले सकती है गूगल
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वोडाफोन आईडिया में 5 फीसदी हिस्सेदारी लेने पर विचार कर रही है टेक्नोलॉजी कंपनी गूगल
वोडाफोन आईडिया ब्रिटिश कंपनी वोडाफोन और आदित्य बिड़ला समूह का संयुक्त उपक्रम है
दैनिक भास्कर
May 28, 2020, 06:29 PM IST
नई दिल्ली. दिग्गज टेक्नोलॉजी कंपनी गूगल भारतीय टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन आईडिया में निवेश करने पर विचार कर रही है। यह बात मामले की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने दी। यदि यह निवेश होता है, तो…
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Google considering to buy 5% stake in Vodafone Idea: Report छवि स्रोत: फ़ाइल वोडाफोन आइडिया में 5% हिस्सेदारी खरीदने पर विचार: रिपोर्ट वैश्विक प्रौद्योगिकी दिग्गज Google वोडाफोन आइडिया में लगभग 5 प्रतिशत की हिस्सेदारी खरीदने के लिए "विचार" कर रहा है, जो कि आज वित्तीय मामलों में प्रकाशित एक ��िपोर्ट में दावा किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते मोबाइल बाजार के लिए फेसबुक के खिलाफ लड़ाई में अमेरिकी इंटरनेट समूह को गड्ढे में डाला जा सकता है। इसके अलावा, रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि प्रक्रिया बहुत प्रारंभिक चरण में थी। …
#Google व्यवसाय#गूगल इंडिया#गूगल की हिस्सेदारी#गूगल वोडाफोन विचार हिस्सेदारी#वोडाफोन विचार#वोडाफोन विचार खरीदने के लिए Google#वोडाफोन विचार व्यापार
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नई दिल्ली। भारत से कारोबार समेटने के वोडाफोन सीईओ के बयान पर सरकार की तरफ से नाराजगी जताने के बाद वोडाफोन ने कहा है कि वो भारत में बने रहने को लेकर प्रतिबद्ध है। वोडाफोन सीईओ निक रीड ने सरकार को पत्र लिखकर सूचित किया है कि कंपनी भारत में अपने निवेश को बनाये रखने की इच्छुक है।
रीड ने कहा है कि लंदन में जारी उनके बयान का भारत के संबंध में गलत अर्थ निकाला गया है। मंगलवार को लंदन में निक रीड ने अपने बयान में कहा था कि अगर सरकार दूरसंचार आपरेटरों पर भारी भरकम कर और शुल्क का बोझ डालना बंद नहीं करती है तो भारत में कंपनी के भविष्य पर संकट आ सकता है। सरकार ने रीड के इस बयान और उसके लहजे को आपत्तिजनक माना है। सरकार ने उच्च स्तर पर वोडाफोन से इस तरह के बयान पर बुधवार सुबह ही अपनी नाराजगी जाहिर कर दी थी।
सरकार का मानना है कि टेलीकॉम क्षेत्र के वित्तीय संकट को देखते हुए पहले ही सचिवों की एक समिति नियुक्त की जा चुकी है जो इसका समाधान तलाशने का काम कर रही है। एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक वोडाफोन सीईओ का इस आशय का एक पत्र बुधवार शाम को संचार मंत्री रवि शंकर प्रसाद को प्राप्त हुआ। इस पत्र में रीड ने स्पष्ट कहा है, ‘वोडाफोन भारत में अपने लंबे इतिहास को आगे भी बनाये रखने की इच्छुक है।
कंपनी को देश के टेलीकॉम सेक्टर और डिजिटल इंडिया से जुड़ी भारतीय नागरिकों की आकांक्षाओं और संभावनाओं में पूरा भरोसा है।’ इसी आधार पर वोडाफोन ने भारत की विकास कथा में खुद की भागीदारी आगे भी बनाये रखने की इच्छा जतायी है। रीड ने अपने पत्र में सरकार से आग्रह किया है कि वह दूरसंचार क्षेत्र के लिए पैकेज की संभावनाओं पर विचार करे।
वोडाफोन समूह को पहली छमाही में 1.9 अरब यूरो का घाटा हुआ है। देश में वोडाफोन आइडिया के 30 करोड़ ग्राहक हैं और दूरसंचार बाजार में उसकी हिस्सेदारी 30 परसेंट की है। वोडाफोन के भारतीय ऑपरेशन का घाटा अप्रैल-सितंबर की छमाही में 67.2 करोड़ यूरो हो गया है जो पिछले साल की समान अवधि में 13.3 करोड़ यूरो था।
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source https://lendennews.com/archives/62104 https://ift.tt/2C5WwFB
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रवीश कुमार – ‘टेलीकॉम सेक्टर बनाम किसान सेक्टर’ रवीश कुमार भारत का टेलिकाम सेक्टर 5 लाख करोड़ के कर्ज़ में डूब गया है। बैंकिंग सेक्टर तो 7.29 लाख करोड़ मानता है। लाखों करोड़ों के कर्ज़ में डूब चुके इस सेक्टर को सरकार बचाने का प्रयास कर रही है। यानी मदद कर रही है। स्पेक्ट्रम सरकारी संसाधन है जिसे सरकार इन टेलिकाम कंपनियों को बेचती है। इसकी नीलामी होती है। यूपीए के दौर में नीलामी के समय टू जी हुआ था जिसमें लाखों करोड़ के विंडफौल यानी लाभ देने का आरोप लगा। एन डी ए के समय भी नीलामी हुई, विंडफॉल हुआ है या नहीं मगर इतने पैसे तो नहीं आए। इस सेक्टर का संकट भयावह है, बचाने के लिए मंत्रियों का समूह बना, उसके सुझाव की रिपोर्टिंग हुई है। सूत्रों के हवाले से। इकोनोमिक टाइम्स और डी एन ए में। इकोनोमिक्स टाइम्स में ख़बर छपी है कि सरकार लाखों करोड़ के कर्ज़ में डूबी टेल कंपनियों को बचाने के लिए उनसे कहेगी कि स्पेक्ट्रम की नीलामी के जो पैसे 10 साल में देने हैं वो अब 18 साल में दे। इसमें दो साल का मोराटोरियम भी है यानी दो साल कर्ज़ नहीं भी देने होंगे। अभी ठहरिये, इन कंपनियों के ब्याज़ में भी चार फीसदी की छूट देने पर विचार हो रहा है। 12 प्रतिशत की जगह 8 प्रतिशत ब्याज़ दर। क्या ऐसी छूट या सुविधा सरकार किसानों को देती है? कि आप नया लोन लो, पुराना वाला अगले पंद्रह साल में दे देना? यही नहीं जो स्पेक्ट्रम नीलामी में मिली है जिसका पैसा कंपनियां 18 साल में देंगी, उसे भी नीलामी पर रखकर दोबारा कर्ज ले सकती है. क्या भारत का एक किसान अपनी एक ही ज़मीन को पुराना कर्ज़ चुकाए बग़ैर फिर से गिरवी रखकर कर्ज़ ले सकता है, क्या उसे ये छूट है फिर स्पेक्ट्रम को गिरवी रखकर कर्ज़ लेने की छूट क्यों दी जा रही है। उन्हें तो कर्ज़ के बदले कर्ज़ मिलता है और किसान नहीं चुकाता है तो कर्ज़ बंद हो जाता है। ऐसा करने से टेलिकाम कंपनियों के पास 55,000 से 75,000 करोड़ का कैश फ्लो यानी नगदी आ जाएगी। फिर भी पांच लाख करोड़ के कर्ज़ की भरपाई होने से रही। हिन्दी वाले अर्थ जगत की ख़बरों को नहीं पकड़ पाते हैं। हिन्दी के अख़बार जानबूझ कर किसानों को यह सब नहीं बताते। 2014 के बाद एन डी ए के दौर में स्पेक्ट्रम की नीलामी से कितना आया- इस पर रिसर्च किया यूपीए के समय यही तो आरोप लगा कि 2 जी जैसे महंगे स्पेक्ट्रम को सस्ते में बेचकर सरकार को लाखों करोड़ का घाटा हुआ। अब एन डी ए सरकार नीलामी करेगी तो ज़्यादा पैसा आएगा और मुनाफा होगा। आगे की ख़बरें ध्यान से पढ़ें। 19 मार्च 2015, मिंट- स्पेक्ट्रम की नीलामी से एक लाख करोड़ रुपये मिले। 7 मार्च 2015, इंडिया टुडे- स्पेक्ट्रम की नीलामी से 86,000 करोड़ मिले। लक्ष्य था 82,000 करोड़ का। इसके बाद फिर से अक्तूब��� 2016 में स्पेक्ट्रम की नीलामी शुरू हुई। इकोनोमिक टाइम्स ने लिखा है कि 5 लाख 63 हज़ार करोड़ की नीलामी होने वाली है। बड़ी और मोटी हेडलाइन है। 7 अक्तूबर 2016, मिंट अख़बार- स्पेक्ट्रम की नीलामी ख़त्म। सरकार को मिले 65,789 करोड़। लक्ष्य था 5 लाख 63 हज़ार करोड़। सरकार ने टारगेट मिस किया। जितनी स्पेक्ट्रम नीलामी में रखी गई थी उसका 41 फीसदी ही नीलाम हुआ। अख़बार लिखता है कि इसका आधा से भी कम इस साल के ख़ज़ाने में जमा होगा। मनोज सिन्हा का बयान है कि सरकार को 32,000 करोड़ रुपये इस नीलामी से मिलेंगे। नीलामी सफल है। क्या आप लक्ष्य का 41 फीसदी हासिल कर यानी आधा से भी नीचे रहकर उसे सफल कहते हैं? मनोज सिन्हा तो कहते हैं। मिंट ने लिखा है कि वित्त मंत्रालय 2017 के बजट में टेलिकाम सेक्टर से 98,995 करोड़ की राजस्व प्राप्ति के लक्ष्य की उम्मीद कर रहा है। इस ख़बर से म��हौल तो पोज़िटिव ही बना होगा। लेकिन जब बजट आया तब क्या हुआ? 1 फरवरी 2017 को इकोनोमिक टाइम्स लिखता है कि बजट में सरकार टेलिकाम सेक्टर से 44, 342 करोड़ के राजस्व प्राप्ति की उम्मीद करती है। इकोनोमिक टाइम्स लिखता है कि सरकार ने टेलिकाम सेक्टर से राजस्व प्राप्ति के लक्ष्य में भारी कटौती कर दी है। इसके पहले के बजट में सरकार को टेलिकाम सेक्टर से 98,994 करोड़ राजस्व मिलने की उम्मीद थी, मिला मात्र 78,715 करोड़। दस हज़ार करोड़ का गैप है। 18 जून 2017, हिन्दू बिजनेस लाइन, टेलिकाम कंपनियों का राजस्व गिरता ही जा रहा है। टेलिकाम मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय से कहा है कि इस सेक्टर से नॉन-टैक्स रेवेन्यु में 40 फीसदी की कमी आने वाली है। टारगेट पूरा नहीं होगा। टारगेट पूरा नहीं होने का यह दूसरा साल है। बजट में सरकार ने टेलिकाम सेक्टर से 44, 342 करोड़ राजस्व हासिल करने का लक्ष्य रखा था। टेलिकाम मंत्रालय ने कहा कि 29,524 करोड़ ही आ सकेगा। ज़ाहिर है जब दो साल से सेक्टर संकट में है तो इस सेक्टर में रोज़गार तो पैदा ही नहीं हुआ होगा। वर्ना सरकार को तीन चार कंपनियों से ही तो पूछना था। कितने लोगों को नौकरी मिली, उसका विज्ञापन बनाकर घर घर पहुंचा देना था। तो ये हालत है टेलिकाम सेक्टर की । एटरटेल, वोडाफोन, आइडिया और रिलायंस। मगर रिलायंस लगातार मुफ्त वाली स्कीम लांच कर रहा है। इस प्रक्रिया पर कोई ढंग का लेख नहीं मिला। समझना चाहिए वैसे। हम उतना नहीं समझते हैं। जो सेक्टर पांच लाख करोड़ के कर्ज़ में डूब गया हो, उसे सरकार क्यों बचाना चाहती है? क्या टेलिकाम सेक्टर के लोगों ने किसानों की तरह मंदसौर जाकर प्रदर्शन किया था, गोली खाई थी? कोई इस सेक्टर को कर्ज़खोर नहीं कहता। ये तो बिजनेस के लोग हैं। मैनेजमेंट के लोग हैं। पढ़ाई पढ़े हैं। डिग्री भी है। फिर इन्हें कोई नहीं कहता कि बिजनेस करना नहीं आता है। बैंकों का पैसा डुबा दिया है। किसानों को कितना लेक्चर दिया जाता है। खेती करनी नहीं आती। टेक्नालजी का ��पयोग नहीं करते। मोबाइल फोन का ही उपयोग कर लें तो नुकसान नहीं होगा वगैरह वगैरह। क्या किसान जानते हैं कि मोबाइल फोन वाले भी उनसे गए गुज़रे हैं। वो भी बैंक से लोन लेकर डुबा देते हैं। जबकि उनके पास सब है। ग्लोबल ज्ञान वगैरह। हमें आज के दौर में ख़बरों को पीछे जाकर अलग अलग सोर्स से पढ़ना होगा। आपको खुद पता चलेगा कि एक समय जो हवा बनाई जाती है कुछ महीने बाद वो हवा कहां चली जाती है। ये कहानी है कंपनी और किसान की।
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वोडाफोन आइडिया बोर्ड 500 करोड़ रुपये के फंड जुटाने पर विचार करेगा
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