#वैधता घटाकर
Explore tagged Tumblr posts
Text
BSNL उपभोक्ताओं के लिए बुरी खबर: बंद किये अपने 3 प्लान्स और साथ 2 प्लान्स की वैधता की कम
BSNL उपभोक्ताओं के लिए बुरी खबर: बंद किये अपने 3 प्लान्स और साथ 2 प्लान्स की वैधता की कम #BSNL #TechNews #PrepaidPlans
बीएसएनएल (BSNL ) ने 29 रुपये और 47 रुपये के अपने दो प्लान की वैधता कम कर दी है। कंपनी ने 7,9 और 192 रुपये के 3 एसटीवी (विशेष टैरिफ वाउचर) भी बंद कर दिए हैं। बीएसएनएलएन की 29 रुपये की योजना सर्वश्रेष्ठ साप्ताहिक योजनाओं में से एक थी। लेकिन अब कंपनी ने इसकी वैधता घटाकर सिर्फ 5 दिन कर दी है। रिपोर्ट्स में कहा गया है कि बीएसएनएल नए प्लान पर भी काम कर रहा है, जो कि हाल ही में टैरिफ में बदलाव को देखते…
View On WordPress
#BSNL#BSNL discontinues#BSNL Plans#BSNL users#एसटीवी#ऑन-नेट#ऑफ-नेट कॉलिं���#टैरिफ में बदलाव#बीएसएनए��#विशेष टैरिफ वाउचर#वैधता घटाकर#साप्ताहिक योजनाओं
0 notes
Text
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- क्या आरक्षण सीमा 50 फीसदी से अधिक हो
मराठा आरक्षण मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को जारी किया नोटिस न्यूजवेव @ नई दिल्ली सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण मामले में सभी राज्य सरकारों के सामने महत्वपूर्ण सवाल खड़ा कर दिया है। मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अशोक भूषण की बैंच ने सभी राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर पूछा कि क्या आरक्षण की सीमा को 50 फीसदी से बढ़ाया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि इस मुद्दे पर सभी राज्य सरकारों को सुनना जरूरी है, क्योंकि हमारे फैसले का देश में व्यापक असर होगा। कोर्ट ने 9 दिसम्बर, 2020 को मराठा आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगी रोक के फैसले को वापस लेने से इनकार कर दिया था। जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली इस बेंच में जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस एस अब्दुल नजीर, जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस एस रविंद्र भट्ट शामिल हैं। कोर्ट ने 9 सितम्बर, 2020 को महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण पर रोक लगाते हुए इस मामले को पांच जजों या उससे ज्यादा की संख्या वाली बेंच को विचार करने के लिए भेज दिया था। 27 जून, 2019 को बॉम्बे हाईकोर्ट ने मराठा आरक्षण की वैधता को बरकरार रखा था लेकिन इसे 16 प्रतिशत से कम कर दिया। बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार के 16 प्रतिशत आरक्षण को घटाकर शिक्षा के लिए 12 प्रतिशत और नौकरियों के लिए 13 प्रतिशत करते हुए यह पाया कि अधिक कोटा उचित नहीं था। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से देशभर में आरक्षण पर नई बहस छिड़ गई है। Read the full article
0 notes
Quote
संविधान संशोधन अनु0 368:- भारतीय संविधान के भाग 20 व अनु0 368 में कहा गया है कि आवश्यकता पडने पर संविधान में कुछ नया जोडा जा सकता है। या पुराना हटाया जा सकता है। या परिवर्तन किया जा सकता है। पहला संशोधन (1951) - इसके माध्यम से स्वतंत्रता, समानता एवं संपत्ति से सम्बन्धित मौलिक अधिकारों को लागू किए जाने सम्बन्धी कुछ व्यावहारिक कठिनाइयों को दूर करने ���ा प्रयास किया गया। साथ ही, इस संषोधन द्वारा संविधान में नौवीं अनुसूची को जोडा गया, जिसमें उल्लिखित कानूनों को सर्वोच्च न्यायलय के न्यायिक पुनर्विलोकन की शक्तियों के अंतर्ग परीक्षा नही की जा सकती है। दूसरा संशोधन (1952) - इसकेे अंतर्गत 1951 की जनगणना के आधार पर लोकसभा में प्रतिनिधित्व को पुनव्र्यवस्थित किया गया। चौथा संशोधन (1955) - इसके अंतर्गत व्यक्तिगत संपŸिा को लोकहित में राज्य द्वारा हस्तगत किए जाने की स्थ्तिि में , न्यायलय इसकी क्षतिपूर्ति के संबंध में परीक्षा नहीं कर सकती। 7वाँ संशोधन (1956) - इस संषोधन द्वारा भाषायी आधार पर राज्यों का पुनर्गठन किया गया, जिसमें पहले के तीन श्रेणियों (अ, ब , स) में राज्यों केे वर्गीकरण को समाप्त करते हुए राज्यों ��वं केन्द्र एवं राज्य के विधान मण्डलों में सीटों को पुनव्र्यवस्थित किया गया। 9 वाँ संशोधन (1960) - इसकेे द्वारा संविधान की प्रथम अनुसूची में परिवर्तन करके भारत और पाकिस्तान के बीच 1958 की संधि की शर्ताें के अनुसार बेरूबारी, खुलना आदि क्षेत्र पाकिस्तान कोे प्रदान कर दिये गये। 10वाँ संशोधन (1961) - इसके अंतर्गत पुर्तगाली उपनिवेष के अंतः क्षेत्रों दादर एवं नगर हवेली को भारत मेंे शामिल कर उन्हें केन्द्र शासित प्रदेष का दर्जा दिया गया। 12वाँ संशोधन (1962) - इसके अतंर्गत संविधान की प्रथम अनुसूची में संषोधन कर गोवा, दमन एवं दीव को भारत में केन्द्रषासित प्रदेष के रूप में शामिल किया गया। 13वाँ संशोधन (1962) - इसके अंतर्गत नगालैंड के सम्बन्ध में विषेष प्रावधान अपनाकर उसे एक पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया। 14वाँ संशोधन (1963) - इसके द्वारा केन्द्रषासित प्रदेष पुदुचेरी को भारत में शामिल किया गया। साथ ही, इसके द्वारा हिमाचल प्रदेष, मणिपुर, त्रिपुरा, गोवा, दमण एवं दीव एवं पुदुचेरी केन्द्रषासित प्रदेषों में विधानपालिका एवं मंत्रिपरिषद् की स्थापना की गई। 15वाँ संशोधन (1963) - उच्च न्यायलय के न्यायाधीषों की सेवामुक्ति की आयु 60 से बढाकर 62 वर्ष कर दी गई तथा अवकाष प्राप्त न्यायाधीषों की उच्च न्यायलय में नियुक्ति से सम्बन्धित प्रावधान बनाए गए। 16वाँ संशोधन (1963) - इसके द्वारा देष की सम्प्रभुता एवं अखंडता के हित में मूल अधिकारों पर कुछ प्रतिबंध लगाने के प्रावधान रखे गये। साथ ही तीसरी अनुसूची में भी परिवर्तन कर शपथ ग्रहण के अंतर्गत ‘‘मैं भारत की स्वतंत्रता एवं अखण्डता को बनाए रखूँगा।’’ जोडा गया। 18वाँ संशोधन (1966) - पंजाब का भाषायी आधार पर पुनगर्ठन करते हुए पंजाबी भाषी क्षेत्र को पंजाब एवं हिन्दी भाषी क्षेत्र को हरियाणा के रूप में गठित किया गया। पर्वतीय क्षेत्र हिमाचल प्रदेष को दे दिए गए तथा चंडीगढ को केन्द्रषासित प्रदेष बनाया गया। 21वाँ संशोधन (1967) - सिन्धी भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में 15वीं भाषा के रूप में शामिल किया गया। 24वाँ संशोधन (1971) - संसद की इस शक्ति को स्पष्ट किया गया कि वह संविधान के किसी भी भाग को, जिसमें भाग तीन के अंतर्गत आने वाले मूल अधिकार भी हैं, संषोधित कर सकती है। 27वाँ संशोधन (1971) - पूर्वोŸार के मिजोरम एवं अरुणाचल प्रदेष को केन्द्रषासित प्रदेषों के रूप में स्थापित किया गया। 29वाँ संशोधन (1972) - केरल भू-सुधार अधिनियम, 1969 तथा केरल भू-सुधार अधिनियम, 1971 को संविधान की नौवीं अनुसूची में रख दिया गया। 31वाँ संशोधन (1973) - लोकसभा के सदस्यों की संख्या बढाकर 525 से 545 कर दी गई तथा केन्द्रषासित प्रदेषों का प्रतिनिधित्व 25 से घटाकर 20 कर दिया गया। 36वाँ संशोधन (1975) - सिक्किम को भारत का 22वाँ पूर्ण राज्य बनाया गया। 37वाँ संशोधन (1975) - आपात स्थिति की घोषणा और राष्ट्रपति, राज्यपाल एवं केन्द्रषासित प्रदेषों के प्रषासनिक प्रधानों द्वारा अध्यादेष जारी किए जाने को अविवादित बनाते हुए न्यायिक पुनर्विचार से उन्हें मुक्त रखा गया। 39वाँ संशोधन (1975) - राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री एवं लोकसभाध्यक्ष के निर्वाचन सम्बन्धी विवादों को न्यायिक प���ीक्षण से मुक्त कर दिया गया। 41वाँ संशोधन (1976) - राज्य लोक सेवा आयोग के सदस्यों की सेवा मुक्ति की आयु सीमा 60 से बढाकर 62 कर दी गई, पर संघ लोक सेवा आयोग के सदस्यों की सेवा- निवृŸिा की अधिकतम आयु 65 वर्ष रहने दी गई। 42वाँ संशोधन(1976) - इस संविधान संषोधन को ‘मिनी संविधान’ भी कहा जाता है। इसके द्वारा संविधान में व्यापक परिवर्तन लाए गए, जिनमें से मुख्य निम्नलिखित है - संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’, ‘धर्मनिरपेक्ष’ एवं ‘अखण्डता’ आदि शब्द जोड़े गए। सभी नीति-निर्देषक सिद्वान्तों की मूल अधिकारों पर सर्वोच्चता सुनिष्चित की गई। संविधान में 10 मौलिक कव्यों को अनुच्छेद 51 (क), (भाग 4 क) के अंतर्गत जोड़ा गया। इसके द्वारा संविधान को न्यायिक परीक्षण से मुक्त किया गया। लोकसभा एवं विधानसभाओं की अवधि को 5 से 6 वर्ष कर दिया गया। इसके द्वारा यह निर्धारित किया गया कि किसी केन्द्रीय कानून की वैधता पर सर्वोच्च न्यायालय एवं राज्य के कानून की वैधता का उच्च न्यायालय ही परीक्षण करेगा। साथ ही, यह भी निर्धारित किया गया कि किसी संवैधानिक वैधता के प्रष्न पर 5 से अधिक न्यायाधीषों की बेंच द्वारा दो-तिहाई बहुमत से निर्णय दिया जाना चाहिए और यदि न्यायाधीषों की संख्या 5 तक हो तो निर्णय सर्वसम्मति से होना चाहिए। इसके द्वारा वन सम्पदा, षिक्षा, जनसंख्या-नियंत्रण आदि विषयों को राज्य सूची से समवर्ती सूची के अंतर्गत कर दिया गया। इसके अंतर्गत निर्धारित किया गया कि राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद् एवं उसके प्रमुख प्रधानमंत्री की सलाह के अनुसार कार्य करेगा। 44वाँ संषोधन (1978) - इसके अंतर्गत राष्ट्रीय आपात स्थिति लागू करने के लिए ‘आंतरिक अषांति’ के स्थान पर ‘सैन्य विद्रोह’ का आधार रखा गया एवं आपात स्थिति सम्बन्धी अन्य प्रावधानों में परिवर्तन लाया गया, जिससे उनका दुरुपयोग न हो। इसके द्वारा सम्पत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकारों के भाग से हटा कर विधिक (कानूनी) अधिकारों की श्रेणी में रख दिया गया । लोकसभा तथा राज्य विधान सभाओं की अवधि 6 वर्ष से घटाकर पुनः 5 वर्ष कर दी गई। उच्चतम न्यायलय को राष्ट्रपति तथा उपराष्ट्रपति के निर्वाचन सम्बन्धी विवाद को हल करने की अधिकारिता प्रदान की गई। 52वाँ संषोधन (1985) - इस संषोधन के द्वारा राजनैतिक दल-बदल कर अंकुष लगाने का लक्ष्य रखा गया। 55वाँ संषोधन (1986) - इसके अंतर्गत अरुणाचल प्रदेष को राज्य बनाया गया। 58वाँ संषोधन (1987) - इसके द्वारा राष्ट्रपति को संविधान का प्रामाणिक हिन्दी संस्करण प्रकाषित करने के लिए अधिकृत किया गया। 61वाँ संषोधन (1989) - इसके द्वारा मतदान के लिए आयु सीमा 21 से घटाकर 18 लाने का प्रस्ताव था। 65वाँ संषोधन (1990) - इसके द्वारा अनुच्छेद 338 में संषोधन करके अनुसूचीत जाति तथा जनजाति आयोग के गठन की व्यवस्था की गई है। 69वाँ संषोधन (1991) - दिल्ली को राष्ट्रीय क्षेत्र बनाया गया तथा दिल्ली संघ राज्य क्षेत्र के लिए विधानसभा और मंत्रिपरिषद् का उपबंध किया गया। 70वाँ संषोधन (1992) - दिल्ली और पुदुचेरी संघ राज्य क्षेत्रों की विधान सभाओं के सदस्यों को राष्ट्रपति के लिए निर्वाचक मंडल में स��्मिलित किया गया। 73वाँ संषोधन (1992-93) - इसके अंतर्गत संविधान में 11वीं अनुसूची जोड़ी गयी। इसमें पंचायती राज सम्बन्धी प्रावधानों को जोडा गया। 84वाँ संषोधन (2001) - इस संषोधन अधिनियम द्वारा लोकसभा तथा विधान सभाओं की सीटों की संख्या में वर्ष 2026 तक कोई परिवर्तन न करने का प्रावधान किया गया है। 86वाँ संषोधन (2002) - इस संषोधन अधिनियम द्वारा देष के 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों के लिए अनिवार्य एवं निःषुल्क षिक्षा को मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता देने सम्बन्धी प्रावधान किया गया है, इसे अनुच्छेद 21 (क) के अंतर्गत संविधान जोड़ा गया है। इस अधिनियम द्वारा संविधान के अनुच्छेद 45 तथा अनुच्छेद 51 (क) में संषोधन किए जाने का प्रावधान है। 87वाँ संषोधन (2003) - परिसीमन में जनसंख्या का आधार 1991 की जनगणना के स्थान पर 2001 कर दी गई है। 91वाँ संषोधन (2003) - दल बदल व्यवस्था में संषोधन, केवल सम्पूर्ण दल के विलय को मान्यता, केन्द्र तथा राज्य में मंत्रिपरिषद् के सदस्य संख्या क्रमषः लोकसभा तथा विधानसभा की सदस्य संख्या का 15 प्रतिषत होगा (जहाँ सदन की सदस्य संख्या 40-40 है, वहाँ अधिकतम 12 होगी।) 92वाँ संषोधन (2003) - संविधान की 8वीं अनुसूची में बोडो, डोगरी, मैथिली और संथाली भाषाओं का समावेष किया गया। (कुल 22 भाषाऐँ) 95वाँ संषोधन (2010) - इस संषोधन द्वारा अनुच्छेद 334 मेें वर्णित लोकसभा व राज्य विधानसभाओं में अनुसूचीत जाति और अनुसूचीत जनजाति के लिए स्थानों के आरक्षण की समय सीमा 60 वर्ष से बढाकर 70 वर्ष कर दिया गया है। साथ ही आंग्ल भारतीयों के नाम निर्देषन के प्रावधान को भी 10 वर्ष बढा दिया गया है। अब यह प्रावधान वर्ष 2020 तक लागू रहेगा। 97वाँ संषोधन (2012) - इस संविधान संषोधन के द्वारा संविधान के भाग-3 (मूल अधिकार) के अनुच्छेद 19(1)(ग) में ‘सहकारी समितियाँ’ शब्द जोड़ा गया है। संविधान के भाग-4 (राज्य के नीति निदेषक तत्व) में अनुच्छेद 43ख जोडा़ गयाहै। नये अनुच्छेद के अनुसार सहकारी समितियों के गठन, नियंत्रण व प्रबंधन को विकसित करने का प्रयास करना राज्य का कर्Ÿाव्य होगा। इस प्रकार 97वें संविधान संषोधन अधिनियम द्वारा सहकारी समितियों को संवैधानिक मान्यता प्रदान कर उनके गठन को प्रोत्साहित करने का प्रयास किया गया है। 99वाँ संषोधन (2014) - इस संविधान संषोधन अधिनियम द्वारा उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीषों की नियुक्ति की काॅलेजियम प्रणाली के स्थान पर ‘राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) का प्रावधान किया गया है। 1993 में उच्च न्यायलय ने उच्च अदालतों में जजों की नियुक्ति के लिये काॅलेजियम प्रणाली शुरू किया थी। इसमें देष के 5 शीर्ष जज शामिल होते हैं। नोट - सर्वोच्च न्यायलय की पाँच सदस्यीय पीठ ने उच्च न्यायपालिका में न्यायधीषों की नियुक्ति के दो दषकों पुराने काॅलेजियम प्रणाली के स्थान लेने वाले ‘राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग’ को 16 अक्टूबर, 2015 को असवैंधानिक घोषित कर दिया। न्यायधीष जे एस खेहर की अध्यक्षता वाली पाँच सदस्यीय संविधान पीठ ने सर्वोच्च न्यायलय और 24 अन्य उच्च न्यायलयों में न्यायधीषों की नियुक्ति की 22 वर्ष पुराने काॅलेजियम सिस्टम को ही मान्य बताया। इससे संविधान का अनुच्छेद 124ए (1) असंवैधानिक हो गया है। 100वाँ संषोधन (2015) - ��ारत व बांग्लादेष के ���ीच भूखंडों की अदला-बदली का भूमि सीमा समझौता का प्रावधान किया गया। भूमि समझौते के अमल में आने से अवैध रूप से बांग्लादेषियों के भारत में घुसने और बसने का मामला हल हो सकेगा। भारत की 111 बस्तियाँ बांग्लादेष को मिलेगी जबकि बांग्लादेष 51 बस्तियाँ भारत को सौंपेगा।
http://advancestudytricks.blogspot.com/2020/04/0-368-constitution-amendment-article-368.html
0 notes
Link
नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन बिल बुधवार को राज्यसभा में भी पास हो गया। विधेयक के पक्ष में 125, जबकि विरोध में 105 वोट पड़े। करीब 8 घंटे चली बहस का जवाब देते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा- यह विधेयक ऐतिहासिक भूल को सुधारने के लिए लाया गया। लोकसभा में यह बिल सोमवार को पास हो चुका है। निचले सदन में विधेयक पर 14 घंटे तक बहस के बाद रात 12.04 बजे वोटिंग हुई थी। बिल के पक्ष में 311 और विरोध में 80 वोट पड़े थे।
राज्यसभा में किसने बिल का समर्थन किया, किसने विरोध
बिल के समर्थन में बिल के विरोध में भाजपा 83 कांग्रेस 46 अन्ना द्रमुक 11 टीएमसी 13 बीजेडी 7 सपा 9 जेडीयू 6 वामदल 6 अकाली दल 3 डीएमके 5 नॉमिनेटेड 4 टीआरएस 6 बसपा 4 अन्य 16 कुल 125 कुल 105
शिवसेना-3 ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया और सदन से वॉकआउट किया। 245 सदस्यों वाली राज्यसभा में अभी 240 सांसद हैं, 5 सीटें रिक्त हैं।
मोदी ने भारत के लिए ऐतिहासिक दिन बताया राज्यसभा में बिल पास होने के बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे भारत के लिए ऐतिहासिक बताया। मोदी ने ट्वीट कर कहा, “इससे देश की समानता और भाईचारे की भावना को बल मिलेगा। यह विधेयक वर्षों तक उत्पीड़न सहने वाले कई लोगों की पीड़ा दूर करेगा। विधेयक के पक्ष में मतदान करने वाले सभी सांसदों का आभार।”
किसी की नागरिकता नहीं छिनेगी: अमित शाह नागरिकता बिल पर बहस का जवाब देते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा- यह बिल किसी की नागरिकता नहीं छीन रहा है। अमित शाह ने कांग्रेस से कहा, “मेहरबानी करके राजनीति करिए, लेकिन ऐसा करके देश में भेद नहीं खड़ा करना चाहिए। ये संवेदनशील मामले होते हैं और ये जो आग लगती है अपने ही घर को जलाती है।”
आजाद ने कहा- धर्मो के चुनाव का आधार क्या है विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा- बिल के लिए जिन धर्मों का चुनाव किया गया, उसका आधार क्या है। श्रीलंका के हिंदू और भूटान के ईसाई क्यों शामिल नहीं किए गए। उन्होंने कहा कि अगर यह बिल सबको पसंद है, तो असम में ये हालात क्यों बने, त्रिपुरा में ये हालात क्यों बिगड़े? पूरे नॉर्थ ईस्ट में यही स्थिति है।
आनंद शर्मा ने कहा- सरकार जल्दबाजी में है कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा, ‘‘आपने (सरकार) कहा कि यह ऐतिहासिक होगा, लेकिन इतिहास इसे कैसे देखेगा? सरकार जल्दबाजी में है। हम इसका विरोध करते हैं। इसका कारण राजनीतिक नहीं, संवैधानिक और नैतिक है। बिल लोकतंत्र और संविधान के खिलाफ है।’’
दोनों सदनों में बिल पास, आगे क्या होगा? दोनों सदनों से पास होने के बाद अब विधेयक को राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। राष्ट्रपति इस पर अपनी सहमति दे भी सकते हैं, या नहीं भी दे सकते हैं। वे विधेयक को पुनर्विचार के लिए लौटा भी सकते हैं। अगर विधेयक को राष्ट्रपति के किए गए संशोधनों के साथ या इनके बिना, दोनों सदनों में फिर से पास कर दिया जाता है, तो वे अपनी सहमति देने से मना नहीं कर सकते। विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद यह कानून बन जाएगा।
ऐसे समझें नागरिकता संशोधन विधेयक…
नागरिकता कानून कब आया, वर्तमान में इसका स्वरूप कैसा है? जवाब: यह कानून 1955 में आया। इसके तहत किसी भी व्यक्ति को भारतीय नागरिकता लेने के लिए कम से कम 11 साल भारत में रहना अनिवार्य है।
क्या इस कानून के तहत अवैध तरीके से दाखिल हुए लोगों को भी नागरिकता मिल सकती है? जवाब: भारत में अवैध तरीके से दाखिल होने वाले लोगों को नागरिकता नहीं मिल सकती। उन्हें वापस उनके देश भेजने या हिरासत में रखने के प्रावधान हैं।
सरकार क्या संशोधन करने जा रही है? जवाब: संशोधित विधेयक में पड़ोसी देशों अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के अल्पसंख्यक शरणार्थियों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई) को नागरिकता मिलने का समय घटाकर 11 साल से 6 साल किया गया है। मुस्लिमों और अन्य देशों के नागरिकों के लिए यह अवधि 11 साल ही रहेगी।
विपक्ष क्यों विरोध कर रहा? जवाब: इसके 2 बड़े कारण हैं। पहला- इस बिल को संविधान की मूल भावना के खिलाफ बताया जा रहा है क्योंकि पड़ोसी देशों से आए 6 धर्मों के लोगों को भारतीय नागरिकता देने में ढील दी जा रही है लेकिन मुस्लिमों को इसमें शामिल नहीं किया गया है। दूसरा- पूर्वोत्तर राज्यों का विरोध है कि यदि नागरिकता बिल संसद में पास होता है बांग्लादेश से बड़ी तादाद में आए हिंदुओं को नागरिकता देने से यहां के मूल निवासियों के अधिकार खत्म होंगे। इससे राज्यों की सांस्कृतिक, भाषाई और पारंपरिक विरासत पर संकट आ जाएगा।
इस बिल के पक्ष में सरकार के क्या तर्क हैं? जवाब: सरकार का कहना है कि पड़ोसी देशों में बड़ी संख्या में गैर-मुस्लिमों को धर्म के आधार पर उत्पीड़न झेलना पड़ा है और इस डर के कारण कई अल्पसंख्यकों ने भारत में शरण लेकर रखी है। इन्हें नागरिकता देकर जरूरी सुविधाएं दी जानी चाहिए।
बिना दस्तावेजों के रहने वाले गैर-मुस्लिमों को भी क्या नागरिकता ��िल सकती है? जवाब: जिन्होंने 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले वैध यात्रा दस्तावेजों के बिना भारत में प्रवेश किया है या उनके दस्तावेजों की वैधता समाप्त हो गई है, उन्हें भी भारतीय नागरिकता प्राप्त करने की सुविधा रहेगी। बिना वैध दस्तावेजों के पाए गए मुस्लिमों को जेल का निर्वासित किए जाने का प्रावधान ही रहेगा।
Share this:
Like this:
Like Loading...
Related
source https://lendennews.com/archives/63645 https://ift.tt/2tcH1e5
0 notes
Photo
Airtel प्रीपेड ग्राहकों को अब वाकई में मिलेगा ‘अनलिमिटेड’ डेटा Airtel ने BSNL, Jio से मुकाबला करने के लिए नया अनलिमिटेड डेटा अनुभव वाला प्लान उतारा है। यह प्लान 199 रुपये वाला है। नई जानकारी में सामने आया है कि डेटा की रफ्तार एफयूपी (फेयर यूसेज पॉलिसी) के बाद स्पीड 128केबीपीएस पर सीमित हो जाएगी। BSNL पहले ही 128केबीपीएस दे रही है, जबकि Jio ने 128केबीपीएस से स्पीड को घटाकर 64केबीपीएस कर दिया है। मार्च में एयरटेल 995 रुपये वाला पैक लेकर आई थी, जो पहला प्रीपेड पैक था जो वॉयस कॉल के लिए असीमित फायदा देता था। इसे सबसे पहले टेलीकॉमटॉक ने देखा है। एयरटेल सब्सक्राइबर, जिन्होंने असीमित प्रीपेड पैक खरीद लिया है, वे 128केबीपीएस की एफयूपी स्पीड का फायदा ले पाएंगे। उदाहरण के लिए, अगर आप 199 रुपये वाला पैक इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसमें 1.4 जीबी डेटा प्रतिदिन मिलता है। तो आपको 1.4 जीबी खत्म करने के बाद तुरंत रीचार्ज करवाने की ज़रूरत नहीं है। आपको डेटा 128केबीपीएस की स्पीड से मिलता रहेगा। एयरटेल कस्टमर केयर एग्जिक्युटिव ने गैजेट्स 360 को बताया कि असीमित अनुभव सिर्फ प्रतिदिन डेटा वाले प्लान पर मिलेगा। यानी, अगर आप बाकी पैक लेते हैं तो इस तरह की किसी सुविधा का लाभ आप नहीं उठा पाएंगे। ध्यान रहे, Airtel का 149 रुपये वाला प्रीपेड पैक भी है, जो 28 दिन में कुल 28 जीबी डेटा देता है। इसमें 1 जीबी हर दिन डेटा इस्तेमाल करने की सीमा दी जाती है। इसमें असीमित लोकल, एसटीडी और रोमिंग कॉल का लाभ मिलता है। साथ ही ग्राहक इस पैक के ज़रिए 100 एसएमएस हर दिन भेज सकते हैं। ध्यान रहे, Airtel का यह प्लान चुनिंदा सर्कल में ही लागू हुआ है। हालांकि, रिपोर्ट कहती है कि एयरटेल इसे अन्य शहरों में भी जल्द ला सकती है। वहीं, Airtel के 149 रुपये वाले प्लान से जियो के 149 रुपये वाले पैक की तु��ना करें तो अंतर साफ नज़र आता है। Jio का प्रीपेड पैक समान कीमत में यूज़र को 42 जीबी डेटा, 28 दिन की वैधता के साथ देता है। इसमें प्रतिदिन 1.5 जीबी डेटा इस्तेमाल के लिए मिलता है। यह पैक लोकल, एसटीडी व रोमिंग वॉयस कॉल की सेवा देता है। इसके अतिरिक्त Jio यूज़र को 100 एसएमएस व मायजियो ऐप का लाभ भी मिलता है। Source link
0 notes
Photo
BSNL ने अनलिमिटेड कॉलिंग प्लान की कीमत घटाकर आधी की, अब 49 रुपए में उठाइए लुत्फ मुखपृष्ठ टेक्नोलॉजी फोन BSNL ने अनलिमिटेड कॉलिंग प्लान की कीमत घटाकर आधी की, अब 49 रुपए में उठाइए लुत्फ नए ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए कंपनी ने यह ‘एक्सपीरियंस लैंडलाइन 49’ प्लान पेश किया है प्लान के तहत पहले छह महीने के लिए हर महीने का चार्ज 49 रुपए रहेगा सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार सेवाप्रदाता कंपनी बीएसएनएल ने लैंडलाइन सर्विस ग्राहकों को और सुविधा देने और नए ग्राहकों करने के लिए अनलिमिटेड कॉलिंग प्लान की कीमत आधी कर दी है। कंपनी ने लैंडलाइन से रविवार और रात्रि अवधि में की जाने वाली अनलिमिटेड कॉलिंग का मंथली चार्ज 99 रुपए से घटाकर 49 रुपए कर दिया है। कंपनी ने एक बयान में कहा कि लैंडलाइन सेवा की ओर नए ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए कंपनी ने यह ‘एक्सपीरियंस लैंडलाइन 49’ प्लान पेश किया है। क्या है एक्सपीरियंस लैंडलाइन 49 प्लान के तहत पहले छह महीने के लिए हर महीने का चार्ज 49 रुपए रहेगा। छह महीने की वैलिडिटी खत्म हो जाने के ग्राहक को सामान्य प्लान के आधार पर चार्ज देना होगा। सामान्य प्लान की कीमत हर सर्किल में अलग-अलग हो सकती है। क्या मिलेगी सुविधा: इस प्लान के तहत ग्राहक रविवार के दिन किसी भी समय किसी भी नेटवर्क पर अनलिमिटेड कॉलिंग का आनंद मुफ्त में ले सकते हैं। इसके अलावा बाकी दिन के लिए नाइट कॉलिंग (रात 9 बजे से सुबह 7 बजे तक) अनलिमिटेड और मुफ्त रहेगी। इतना ही नहीं, इस लैंडलाइन प्लान में एक बीएसएनएल प्रीपेड सिम कार्ड मुफ्त दिया जाता है। रिलायंस जियो और अन्य कंपनियों को प्रतिस्पर्धा देने के लिए बीएसएनएल लगातार अनलिमिटेड कॉलिंग और सस्ते डेटा जैसे प्लान ला रही है। कंपनी ने हाल ही में चार गुना तक मोबाइल डेटा का ऑफर पेश किया था। कंपनी ने 36 रुपए में एक जीबी का डेटा देने की पेशकश की है। कंपनी ने 78 रुपए और 291 रुपए के दो पैक लॉन्च किए। 78 रुपए में जहां ग्राहकों को 2 जीबी इंटरनेट डेटा मिलेगा, वहीं 291 रुपए में 8 जीबी डेटा मिलेगा। इसकी वैधता 28 दिन की होगी। जयललिता का इलाज करने वाले डॉक्टर का बयान- “आर्गन फेल होने से हुई थी मौत” Hindi News से जुड़े अपडेट और व्यूज लगातार हासिल करने के लिए हमारे साथ फेसबुक पेज और ट्विटर हैंडल के साथ गूगल प्लस पर जुड़ें और डाउनलोड करें Hindi News App First Published on February 7, 2017 11:15 am
0 notes
Text
Vodafone Idea ने बदला ये प्लान, Rs 7 प्रति दिन में अब 1.5GB डाटा, अनलिमिटेड कालिंग और Hotstar स्ट्रीमिंग फ्री Divya Sandesh
#Divyasandesh
Vodafone Idea ने बदला ये प्लान, Rs 7 प्रति दिन में अब 1.5GB डाटा, अनलिमिटेड कालिंग और Hotstar स्ट्रीमिंग फ्री
नई दिल्ली। देश की जानी-मानी नेटवर्क प्रोवाइडर कंपनी ने अपने 2595 रुपये वाले प्रीपेड प्लान में बदलाव किया है। इससे पहले वाले प्लान में रोजाना 2GB डाटा दिया जाता था, जिसे अब घटाकर 1.5GB प्रतिदिन कर दिया गया है। अब इस प्लान में वार्षिक स्ट्रीमिंग बेनिफिट्स भी मिल रहे हैं। अब 2595 रुपये वाले प्रीपेड प्लान में 365 दिनों की वैधता के साथ रोजाना 1.5GB डाटा दिया जाता है।
अब इस प्लान में Dinsey+ Hotstar स्ट्रीमिंग बेनिफिट्स दिए जा रहे हैं। अन्य फायदों की बात करें तो इस प्लान में अनलिमिटेड वॉयस कॉलिंग और SMS मिलते हैं। अतिरिक्त फायदों के तौर पर इस प्लान में वीकेंड डाटा रोलओवर बेनिफिट, अनलिमिटेड हाई स्पीड नाइट टाइम डाटा और मूवीज और TV का एक्सेस मिलता है।
Vodafone Idea के अन्य 2399 रुपये वाले वार्षिक प्रीपेड प्लान की बात करें तो उसमें यूजर्स को रोजाना 1.5GB डाटा मिलता है। अन्य फायदों की बात करें तो इस प्लान में अनलिमिटेड वॉयस कॉलिंग और SMS मिलते हैं। अतिरिक्त फायदों के तौर पर इस प्लान में Zee5 Premium का सब्सक्रिप्शन मिलता है।
Vodafone Idea के अन्य 1499 रुपये वाले वार्षिक प्रीपेड प्लान की बात करें तो उसमें यूजर्स को 24GB डाटा मिलता है। अन्य फायदों की बात करें तो इस प्लान में अनलिमिटेड वॉयस कॉलिंग और SMS मिलते हैं। इस प्लान को आमतौर पर लंबी वैधता के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा अन्य नेटवर्क प्रोवाइडर कंपनियां Airtel और Jio भी वार्षिक प्रीपेड प्लान की पेशकश करती हैं, जिनमें प्रतिदिन डाटा बेनिफिट्स के साथ Disney+ Hotstar का एक्सेस मिलता है।
Airtel का 2698 रुपये वाला प्रीपेड प्लान: Airtel के 2698 रुपये वाले वार्षिक प्रीपेड प्लान में यूजर्स को रोजाना 2GB डाटा मिलता है। इसके अलावा इस प्लान में अनलिमिटेड वॉयस कॉलिंग और रोजाना 100 SMS मिलते हैं। वैधता की बात करें तो इस प्लान की वैधता 365 दिनों की है। अतिरिक्त फायदों की बात करें तो इस प्लान में Disney+ Hotstar का एक साल का वीआईपी सब्सक्रिप्शन मिलता है।
Jio का 2599 रुपये वाला प्रीपेड प्लान: Jio के 2599 रुपये वाले वार्षिक प्रीपेड प्लान में यूजर्स को रोजाना 2GB डाटा मिलता है। इसके अलावा इस प्लान में अनलिमिटेड वॉयस कॉलिंग और रोजाना 100 SMS मिलते हैं। वैधता की बात करें तो इस प्लान की वैधता 365 दिनों की है। अतिरिक्त फायदों की बात करें तो इस प्लान में Disney+ Hotstar का एक साल का वीआईपी सब्सक्रिप्शन मिलता है।
0 notes
Text
सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से पूछा, क्या 50% से ज्यादा हो सकती है आरक्षण की सीमा? Divya Sandesh
#Divyasandesh
सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से पूछा, क्या 50% से ज्यादा हो सकती है आरक्षण की सीमा?
नई दिल्ली देश की सर्वोच्च अदालत ने आरक्षण के मसले पर राज्य सरकार��ं से सवाल किया है। अदालत जानना चाहती है कि क्या आरक्षण पर सीमा को मौजूदा 50 प्रतिशत से और अधिक किया जा सकता है या नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को नोटिस भेजकर उनका जवाब मांगा है। शीर्ष अदालत ने यह नोटिस मराठा आरक्षण पर सुनवाई के दौरान जारी किए। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में 15 मार्च से डे-टू-डे सुनवाई शुरू करने वाला है। अदालत ने कहा कि इस मामले में सभी राज्यों का पक्ष सुनना जरूरी है।
वकीलों ने लगाई हर राज्य को सुनने की गुहारवरिष्ठ एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने कहा कि इस मामले में अनुच्छेद 342A की व्याख्या शामिल है जो हर राज्य को प्रभावित करेगी। उन्होंने सभी राज्यों को सुनने के लिए एक याचिका भी दाखिल की। इसपर जस्टिस अशोक भूषण ने कहा कि हम सबकी बात सुनेंगे। वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि अदालत का सभी राज्यों को नोटिस जारी करना चाहिए। मामला ऐसा है कि एक संवैधानिक प्रश्न है जो सभी राज्यों पर असर डालेगा। अदालत को केवल केंद्र और महाराष्ट्र को सुनकर फैसला नहीं करना चाहिए। अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने भी ऐसी ही राय सामने रखी।
हाई कोर्ट ने हटाया नहीं, घटाया था रिजर्वेशनमहाराष्ट्र सरकार लंबे वक्त से मराठाओं को आरक्षण की वकालत करती रही है। साल 2018 में राज्य सरकार ने नौकरी और शिक्षा में मराठाओं को 16% रिजर्वेशन देने का कानून बनाया था। बॉम्बे उच्च न्यायालय ने 2019 के फैसले में पिछड़े वर्ग श्रेणी के तहत मराठा समुदाय को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण की वैधता को बरकरार रखा, लेकिन इसे 16 प्रतिशत से कम कर दिया थ। बॉम्बे उच्च न्यायालय ने प्रस्तावित 16 प्रतिशत आरक्षण को घटाकर शिक्षा के लिए 12 प्रतिशत और नौकरियों के लिए 13 प्रतिशत करते हुए यह पाया कि अधिक कोटा ‘उचित नहीं’ था।
फिलहाल पांच जजों की बेंच कर रही सुनवाईबॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले को एक याचिका के जरिए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि यह आरक्षण सुप्रीम कोर्ट के इंदिरा साहनी मामले में दिए गए फैसले का उल्लंघन करता है। अपने अंतरिम आदेश में SC ने कहा कि 2020-21 में मराठा आरक्षण लागू नहीं होगा। तीन जजों की बेंच ने यह मामला पांच जजों की बेंच के पास भेज दिया था। फिलहाल यही बेंच सुनवाई कर रही है। अगर इंदिरा साहनी केस में फैसले पर फिर से विचार होता है सात जजों की बेंच सुनवाई कर सकती है।
0 notes