#विश्वबाघदिवस
Explore tagged Tumblr posts
Text
अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस : जानिए बाघों के बारे में 15 रोचक और वैज्ञानिक तथ्य
चैतन्य भारत न्यूज 29 जुलाई को 'अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस' है। विश्व में बाघों की तेजी से घटती हुई आबादी के प्रति संरक्षण के लिए जागरूकता बढ़ाने को लेकर यह दिन मनाया जाता है। इस मौके पर हम आपको बाघों के कुछ ऐसे रोचक तथ्यों के बारे में बता रहे हैं जिसकी वजह से ये जानवर लोगों के आकर्षण का केंद्र होता है। बाघ के शरीर का रंग हल्का पीला होता है। इस पर बादामी और काली वर्टीकल धारियां होती हैं। इन धारियों का आकार भिन्न-भिन्न होता है। धारियों के आधार पर ही उसकी पहचान होती है। इनका पैटर्न हर बाघ में अलग-अलग होता है। भारत में सफेद बाघ भी पाया जाता है यानी शरीर सफेद होता है। तीन साल की उम्र में बाघ वयस्क हो जाता है यानी नर हो या मादा वे शारीरिक संबंध बना सकते हैं यानी प्रजनन के योग्य हो जाते हैं। बाघिन का गर्भकाल 105-115 दिन तक होता है। बाघिन एक बार में 4-6 शावक को जन्म देती है। शावकों की आंख कुछ दिन बाद खुलती है इसलिेए मादा उनकी विशेष देखभाल करती है। एक शावक का वजन 1 से 1.5 क��लोग्राम होता है। शावक 6 सप्ताह तक माता बाघिन पर पूरी तरह निर्भर रहते है। सात माह की उम्र में खुद छोटा-मोटा शिकार करने योग्य हो जाते हैं। बाघ रात्रिचर है यानी ज्यादातर रात में शिकार करता है लेकिन यह जरूरी भी नहीं है। पानी में खेलना बाघ को पसंद है। वह अच्छा तैराक भी होता है। बाघ औसतन 9 किलोग्राम मांस प्रतिदिन खा लेता है। साल भर में एक बाघ 45-50 हिरनों का शिकार कर लेता है। बाघ की दहाड़ को तीन किमी दूर से भी सुना जा सकता है। बाघ 65 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ सकता है लेकिन कुछ समय के लिए। बाघ का कद 3.3 मीटर या 11 फीट तक हो सकता है और वजन 300 किलोग्राम तक। भारत में बाघ नवंबर से अप्रैल के बीच प्रजनन करते हैं। भारत में यह ठंड और वसंत का मौसम होता है। उनके अनुकूल होता है। प्रजनन के लिए तैयार बाघिन के मूत्र से एक अनोखी गंध आती है। इसे सूंघकर नर बाघ पता लगा लेते हैं और उसे मेटिंग (सहवास) के लिए तैयार करते हैं। बाघ संरक्षण पर 2019 में सामने आए आंकड़ों के अनुसार भारत में करीब 3000 बाघ हैं। यह संख्या विश्वभर में विलुप्त होती इस प्रजाति का 70 प्रतिशत है। 1997 से 2002 के बीच देश के 28 टाइगर रिजर्व में से 21 में करीब 250 वर्ग किमी इलाका कम हो गया था। इससे बाघों की जन्मदर में काफी कमी आई। बाघों की हडि्डयों से दवाइयां बनती हैं। चीन, वियतनाम, म्यांमार जैसे देशों में बड़े पैमाने पर इसकी तस्करी भी होती है। बाघों की हडि्डयों और खाल का अंतरराष्ट्रीय बाजार 32 अरब डॉलर का है। ग्लोबल वार्मिंग की चुनौतीः एक रिपोर्ट कहती है कि 2080 तक जलवायु परिवर्तन का असर जंगल पर ज्यादा होगा। ऐसी स्थितियों में बाघों को बचाने और बढ़ाने के प्रयास भी ज्यादा करने होंगे। यह भी पढ़े... अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस 2019 : भारत में हैं सबसे ज्यादा बाघ, जानिए बाघों की इन 6 प्रजातियों के बारे में Read the full article
#factsabouttiger#interestingfactsabouttiger#internationaltigerday#internationaltigerday2020#Tiger#worldtigerday#अंतरराष्ट्रीय बाघदिवस#टाइगर#बाघ#बाघोंकीरोचकबातें#बाघोंकेबारेमेंरोचकतथ्य#विश्वबाघदिवस
0 notes
Text
अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस : जानिए बाघों के बारे में 15 रोचक और वैज्ञानिक तथ्य
चैतन्य भारत न्यूज 29 जुलाई को 'अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस' है। विश्व में बाघों की तेजी से घटती हुई आबादी के प्रति संरक्षण के लिए जागरूकता बढ़ाने को लेकर यह दिन मनाया जाता है। इस मौके पर हम आपको बाघों के कुछ ऐसे रोचक तथ्यों के बारे में बता रहे हैं जिसकी वजह से ये जानवर लोगों के आकर्षण का केंद्र होता है। बाघ के शरीर का रंग हल्का पीला होता है। इस पर बादामी और काली वर्टीकल धारियां होती हैं। इन धारियों का आकार भिन्न-भिन्न होता है। धारियों के आधार पर ही उसकी पहचान होती है। इनका पैटर्न हर बाघ में अलग-अलग होता है। भारत में सफेद बाघ भी पाया जाता है यानी शरीर सफेद होता है। तीन साल की उम्र में बाघ वयस्क हो जाता है यानी नर हो या मादा वे शारीरिक संबंध बना सकते हैं यानी प्रजनन के योग्य हो जाते हैं। बाघिन का गर्भकाल 105-115 दिन तक होता है। बाघिन एक बार में 4-6 शावक को जन्म देती है। शावकों की आंख कुछ दिन बाद खुलती है इसलिेए मादा उनकी विशेष देखभाल करती है। एक शावक का वजन 1 से 1.5 किलोग्राम होता है। शावक 6 सप्ताह तक माता बाघिन पर पूरी तरह निर्भर रहते है। सात माह की उम्र में खुद छोटा-मोटा शिकार करने योग्य हो जाते हैं। बाघ रात्रिचर है यानी ज्यादातर रात में शिकार करता है लेकिन यह जरूरी भी नहीं है। पानी में खेलना बाघ को पसंद है। वह अच्छा तैराक भी होता है। बाघ औसतन 9 किलोग्राम मांस प्रतिदिन खा लेता है। साल भर में एक बाघ 45-50 हिरनों का शिकार कर लेता है। बाघ की दहाड़ को तीन किमी दूर से भी सुना जा सकता है। बाघ 65 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ सकता है लेकिन कुछ समय के लिए। बाघ का कद 3.3 मीटर या 11 फीट तक हो सकता है और वजन 300 किलोग्राम तक। भारत में बाघ नवंबर से अप्रैल के बीच प्रजनन करते हैं। भारत में यह ठंड और वसंत का मौसम होता है। उनके अनुकूल होता है। प्रजनन के लिए तैयार बाघिन के मूत्र से एक अनोखी गंध आती है। इसे सूंघकर नर बाघ पता लगा लेते हैं और उसे मेटिंग (सहवास) के लिए तैयार करते हैं। बाघ संरक्षण पर 2016 में सामने आए आंकड़ों के अनुसार भारत में करीब 2226 बाघ हैं। यह संख्या विश्वभर में विलुप्त होती इस प्रजाति का 70 प्रतिशत है। 1997 से 2002 के बीच देश के 28 टाइगर रिजर्व में से 21 में करीब 250 वर्ग किमी इलाका कम हो गया था। इससे बाघों की जन्मदर में काफी कमी आई। बाघों की हडि्डयों से दवाइयां बनती हैं। चीन, वियतनाम, म्यांमार जैसे देशों में बड़े पैमाने पर इसकी तस्करी भी होती है। बाघों की हडि्डयों और खाल का अंतरराष्ट्रीय बाजार 32 अरब डॉलर का है। ग्लोबल वार्मिंग की चुनौतीः एक रिपोर्ट कहती है कि 2080 तक जलवायु परिवर्तन का असर जंगल पर ज्यादा होगा। ऐसी स्थितियों में बाघों को बचाने और बढ़ाने के प्रयास भी ज्यादा करने होंगे। यह भी पढ़े... अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस 2019 : भारत में हैं सबसे ज्यादा बाघ, जानिए बाघों की इन 6 प्रजातियों के बारे में Read the full article
#factsabouttiger#interestingfactsabouttiger#internationaltigerday#Tiger#worldtigerday#अंतरराष्ट्रीय बाघदिवस#टाइगर#बाघ#बाघोंकीरोचकबातें#बाघोंकेबारेमेंरोचकतथ्य#विश्वबाघदिवस
0 notes