#विश्व का सर्वश्रेष्ठ संविधान
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विश्व का सर्वश्रेष्ठ संविधान है भारतीय संविधान: राकेश राणा
विश्व का सर्वश्रेष्ठ संविधान है भारतीय संविधान: राकेश राणा नई टिहरी: संविधान दिवस के अवसर पर जिला कांग्रेस कमेटी कार्यालय नई टिहरी में कांग्रेस जनों द्वारा भारतीय संविधान के रचयिता डॉ भीमराव अंबेडकर जी के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें याद करते हुए संविधान की शपथ ली गई। जिला कांग्रेस कमेटी टिहरी गढ़वाल के अध्यक्ष राकेश राणा ने कहा कि डॉ. भीमराव अंबेडकर को “भारतीय संविधान के जनक” के रूप में जाना…
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Ishwar TV Satsang | 22-01-2025 | Episode: 2642 | Sant Rampal Ji Maharaj ...
*🌺बन्दीछोड़ सतगुरु संत रामपाल जी महाराज जी की जय हो🌺*
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22/01/2025
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#GodMorningWednesday
#WednesdayMotivation
#wednesdaythought
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🙏⏩मनुष्य जन्म अनमोल और दुर्लभ है! यह पूर्ण ब्रह्म कबीर परमेश्वर ने एकमात्र मोक्ष के लिए दिया है!
🙏दासी आशा करती है कि आप संत रामपाल जी महाराज के सत्संगों को देखना नहीं भूलेंगे!
🌻यदि आप अपने से प्यार करते हैं या अपने परिवार से प्यार करते हैं या अपने सगे संबंधी से प्यार करते हैं या आप परमात्मा की दी हुई किसी भी कृपा से प्यार करते हैं, तो अवश्य चाहेंगे कि आपके जीवन में आपके जन्म में आपके घर आंगन में आप जिन्हें चाहते हैं उनके जीवन घर आंगन में परमात्मा रूपी सुखों की रोशनी और अच्छाइयों की छाया अवश्य आए!
🌻वर्तमान में एकमात्र पूर्ण सच्चे सतगुरु तत्वदर्शी संत जगतगुरु परमेश्वर_ संत रामपाल जी महाराज जी ही हैं!_जो विश्व की सभी आत्माओं के परम शुभचिंतक हैं! और हम आत्माओं के लिए ही संघर्ष कर रहे हैं! क्योंकि वह स्वयं कबीर अवतार हैं! सर्वश्रेष्ठ पिता ही अपने बच्चों से इतना प्रेम कर सकता है! पिता ही अपने बच्चों के लिए इतनी कष्ट सहन कर सकता है!
🙏संत रामपाल जी महाराज को गलत समझने का प्रयास न करें! सुनी सुनाई पर, मीडिया की कही बातों पर, सरकार के लगाए हुए आरोपों पर ना जाएं!
आप तो निर्दोष पर भी लगाए जा��े हैं संत रामपाल जी महाराज एक सत्य की लड़ाई लड़ रहे हैं मिशन भी बहुत बड़ा है ऐसे में यह सब होना संभव है!
फिर परमात्मा की लीला जीव कैसे समझ सकते हैं!
जिस लोक में जन्म और मरण होता है सभी प्रकार के कष्ट हैं वहां हम अपने लिए या परमात्मा के लिए सुखों की संभावना कैसे कर सकते हैं!
🌻यदि हमारे जीवन में कोई सुख या अच्छाई है तो वे केवल पूर्ण परमात्मा कबीर जी की ही देन है! परमात्मा ही सभी लोकों में प्रवेश करके सभी जीवों का पालन पोषण करता है!
हम परमात्मा को केवल अपने सच्चे प्रेम से ही सुख पहुंचा सकते हैं!
प्रेम का अर्थ भी यही है कि जैसा परमात्मा का संविधान है हम वैसे चलें!
जैसे सच्चा सतगुरु हमें सत्य तत्व ज्ञान का मार्गदर्शन करें_ ठीक उसी मार्ग पर चलें!
🙏दासी के थोड़े शब्दों को बहुत जानें! और इस पर विचार विवेक करें! अवश्य अमल करें!
🌻मानव जीवन का लोहा गरम है इसे आप किसी भी अच्छे सांचे में ढाल सकते हैं!
🌻जन्म जाने के बाद हमारे हाथों में कुछ नहीं रहता!
🌻कबूतर के आंखें बंद कर लेने से बिल्ली रास्ता काटना नहीं भूल जाती!
🌻आत्मा या घर की खिड़कियां बंद कर लेने से उसमें ज्ञान रूपी सूरज की रोशनी पूर्ण रूप से प्रवेश नहीं कर सकती!
🌻अतः मन को सत्संग से ही नीचे लाया जा सकता है और आत्मा को उसके ऊपर विराज किया जा सकता है!
मन के ऊपर आत्मा बैठने से ही हम अपने सुख सागर घर वापस जा सकते हैं! यह जन्म मरण का दीर्घ रोग + 84 लाख योनियों का कष्ट, मां को सत भक्ति के द्वारा परमात्मा के चरण कमल में स्थित करके ही हम सदा के लिए मिटा सकते हैं! बार-बार जन्म लेना, मरना और कष्ट उठाना _यह किसी भी प्रकार से अच्छा नहीं हो सकता!
🪕📿🪕📿🪕📿🪕📿
#सुमर_सुमर_नर_उतरो_पारा
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एक गौरवान्वित हिंदू के रूप में जिएं।
क्या आप अपनी सारी संपत्ति अपने बच्चों के लिए छोड़ देते हैं?
संपूर्ण विश्व में, यह एक अलिखित नियम है कि हम अपने भविष्य की पीढ़ियों के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ छोड़ते हैं, और यह सुनिश्चित करते हैं कि वे उस दुनिया से बेहतर दुनिया में रहें जो हमें विरासत में मिली है।
हम में से बहुत से लोग अपना पूरा जीवन धन और संपत्ति बनाने के लिए समर्पित कर देते हैं, और यह सुनिश्चित करते हैं कि हमारे बच्चों को उनके जीवन को बेहतर बनाने के लिए सही शिक्षा, उचित स्वास्थ्य और सुविधा मिले। लेकिन क्या आप यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि हमारे पूर्वजों, प्रबुद्ध संतों और स्वयं परमशिव द्वारा हमें दिया गया सबसे बड़ा उपहार आपके बच्चों को दिया जा रहा है?
क्या आप अपने पूर्वजों द्वारा आपको दी गई समृद्ध हिंदू विरासत की भरपूर प्रेम और देखभाल के साथ रक्षा, सुरक्षा और संरक्षण कर रहे हैं? परमशिव से आरंभ करके हिंदू धर्म के सभी महान दूरदर्शी व्यक्तियों ने हमें यह मूल्य-आधारित, 'परम चेतना-आधारित' हिंदू जीवन शैली और सभ्यता उपहार में दी है। हम इस पारिस्थितिक तंत्र को संरक्षित करने, पुनर्जीवित करने, बढ़ावा देने और अगली पीढ़ियों को जीवित ज्ञान के इस महान विज्ञान को हस्तांतरित करने के लिए जिम्मेदार हैं।
हमें अपने पूर्वजों से विरासत में जो कुछ भी मिलता है, उसे नष्ट करने का हमें कोई अधिकार नहीं है। हम इसे जीवित रखने और आने वाली पीढ़ियों को उनके लाभ के लिए हस्तांतरित करने के लिए बाध्य हैं। हमें इस परंपरा को जीवित रखने के लिए और जो हमने खो दिया है उसे पुनर्जीवित करने और पूरे सं��ार के साथ प्रचार करने और साझा करने के लिए एक हिंदू राष्ट्र की आवश्यकता है।
हो सकता है कि हम मंदिरों और पूजा स्थलों का निर्माण कर रहे हों - लेकिन वे अकेले इस महान विज्ञान - इस महान आत्मज्ञान पारिस्थितिकी तंत्र जिसे हिंदू धर्म कहा जाता है को आगे ले जाने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। हमें इसे जीवित रखने और इसे अगली पीढ़ियों को सौंपने के लिए हिंदू राष्ट्र का निर्माण करने की आवश्यकता है।
कैलाश निर्माण हमारा अधिकार और दायित्व है हिंदुओं के रूप मे रहने और हिंदू धर्म का अभ्यास करने के नाते हमारे पास जीवन के सबसे बड़े विज्ञान का स्वाभाविक अधिकार है - इसे गर्व से जीने और इसे अपने जीवन में प्रसारित करने का। हम सहज ही इसका लाभ उठाते हैं। पूरे विश्व में, हिंदू सबसे सफल, सबसे शांतिपूर्ण और सबसे अमीर समुदायों में से एक हैं। हिंदू जीवन में कड़ी मेहनत, समृद्धि और मजबूत गुणों का प्रतीक बन गए हैं। यह इसलिए संभव हो पाया है, क्योंकि हिंदुओं के रूप में, हमें जीवित आत्मज्ञान का विज्ञान अपने पूर्वजों से विरासत में मिला है।
अब, यह सुनिश्चित करना हमारी जिम्मेदारी है कि हमारे बच्चे उस पारिस्थितिकी तंत्र को खोने के लिए खड़े न हों, जिसने हमें हिंदू बनाया - जीवित आत्मज्ञान का विज्ञान। कैलाश इस पारिस्थितिकी तंत्र का पुनरुद्धार है, जिसे हिंदू धर्म के मौलिक सिद्धांतों, परंपराओं, विरासत और रीति-रिवाजों को संरक्षित और सुरक्षित करने के लिए बनाया गया है।
हिंदू धर्म के सर्वोच्च धर्माध्यक्ष का जीवन और मिशन
हिंदू धर्म के सर्वोच्च धर्माध्यक्ष भगवान नित्यानंद परमशिवम ने अपना जीवन कैलाश राष्ट्र को वैश्विक हिंदू प्रवासियों के लिए एक प्राकृतिक जीवन शैली के रूप में हिंदू धर्म को जीने और अभ्यास करने के लिए एक सुरक्षित आश्रय के रूप में बनाने के लिए समर्पित कर दिया है। कैलाश अब दुनिया का एकमात्र हिंदू सभ्यता मूलक राष्ट्र है, जहां हिंदू धर्म के स्रोत ग्रंथ, वेद और आगम सर्वोच्च संविधान हैं, और यह आपका अधिकार और जिम्मेदारी है कि आप इसे बनाकर हमारी आने वाली पीढ़ियों के सामने प्रस्तुत करें!
वेदों और आगमों द्वारा निर्देशित किए गए जीवन के मार्ग का अभ्यास करते हुए, एक गौरवान्वित हिंदू के रूप में जिएं। कैलाश का हिस्सा बनें!
कैलाश की ई-नागरिकता के बारे में अधिक जानें: https://kailaasa.org/e-citizen/
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=pfbid034k3F9srpwEKkuoYNgwgXZmfqi1gS7JMd6vbUD877GCyLs3RJFxcw3f2KuZWdcayQl&id=100044485207419&mibextid=Nif5oz
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12.08.2022, लखनऊ | "अन्तर्राष्ट्रीय युवा दिवस - 2022" के अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा ऑनलाइन संवाद विषयक "आजादी, संविधान, लोकतंत्र और युवा" कार्यक्रम का आयोजन राम दरबार, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट कार्यालय, 25/2G, सेक्टर-25, इंदिरा नगर, लखनऊ में किया गया | कार्यक्रम में युवा पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते हुए गिन्नी सहगल, विद्यार्थी, माउंट कार्मल कॉलेज, लखनऊ, गीतांजलि रॉय, छात्रा, लखनऊ विश्वविद्यालय, आकाश कुमार त्रिवेदी, छात्र, जय नारायण पी जी कॉलेज, अक्षय प्रताप सिंह, छात्र, लखनऊ विश्वविद्यालय ने उपरोक्त विषय पर अपने विचार व्यक्त किए | कार्यक्रम का संचालन पूजा विमल, दूरदर्शन संचालिका ने किया | कार्यक्रम का सीधा प्रसारण हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के फेसबुक पेज लिंक https://www.facebook.com/HelpUEducationalAndCharitableTrust/ पर किया गया |
भारत के निर्माण मे युवाओं की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए अक्षय प्रताप सिंह ने कहा कि "भारत के इतिहास के प्रत्येक पृष्ठ पर युवाओं की भूमिका दिखाई देती है । आज स्वतन्त्र भारत में युवाओं की भूमिका और अधिक बढ़ जाती है । लोकतंत्र का आधार जन विश्वास है, यह तभी संभव है जब युवा एक जिम्मेदार नागरिक की तरह लोकतांत्रिक मूल्यों की सुरक्षा करें | आजादी मात्र शब्द नहीं अपितु एक भाव है । इसी स्वराज्य के लिए कभी महाराणा प्रताप तो कभी शिवाजी महाराज ने अपना जीवन समर्पित किया । जितना आदर हमारे महापुरुषों ने अपने सिद्धांतों एवं मातृभूमि के प्रति रखा, उतना ही आदर हम युवाओं के मन में अपने लोकतंत्र और संविधान के प्रति होना चाहिए।"
गीतांजली राय ने भारत की युवा शक्ति के योगदान के बारे मे बताते हुए कहा कि "आज की युवा शक्ति भारत की अनोखी पहचान है, जो राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, नैतिक, शैक्षणिक, चिकित्सा, ��्रशासनिक, तकनीकी इत्यादि सभी क्षेत्रों में अपना बहुमूल्य योगदान दे रही है, जिससे भारत की गरिमा, मान, प्रतिष्ठा, सम्मान सर्वोच्च शिखर पर विराजमान है | अन्य देशों की तुलना में भारत सबसे श्रेष्ठ है | हम गर्व करते हैं कि हम ऐसे देश से ताल्लुक रखते हैं जहां की 66% आबादी युवा है जो हिम्मत, साहस, उमंग, ऊर्जा से परिपूर्ण है, जिसमें असीमित कार्य करने की क्षमता है कि वह भारतवर्ष को उस मुकाम तक ले जाए जहां भारत विभिन्न देशों में सबसे सर्वश्रेष्ठ हो । भारत के युवा मे ही भारत के सम्पूर्ण अतीत, वर्तमान व भविष्य निहित है। अपने महत्व को समझे एवं एक सुन्दर, समृद्ध राष्ट्रनिर्माण मे अपना योगदान दे। मेरी जीवन की सबसे बड़ी प्रेरणा स्रोत हैं किरण बेदी जी, मैं उनके साहस, हिम्मत को सदैव अपने हृदय मे संजोए रखती हूँ |उनके जीवन की सभी चुनौतियो को देखकर मेरे जीवन को गति मिलती है | एक बहुमुखी प्रतिभा की सजीव धनी व्यक्तित्व किरण बेदी जी एक खिलाड़ी, एक प्रशासनिक अधिकारी, एक सामाजिक कार्यकर्ता व देश की केन्द्र शासित प्रदेश पॉन्डिचेरी की उपराज्यपाल रही है व अभी भी सदैव युवाओ को प्रेरित करती है ।"
गिन्नी सहगल ने बताया कि "राष्ट्र निर्माण या विकास में युवाओं की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है, और ऐसा इसलिए है क्योंकि किसी भी राष्ट्र का विकास आने वाली पीढ़ी पर निर्भर होता है। लोकतंत्र, अर्थव्यवस्था, तकनीक और चिकित्सा विज्ञान में सुधार सब कुछ युवाओं के हाथ में है । आज हमारा देश गरीबी, बेरोजगारी, ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्याओं का सामना कर रहा है । इन सभी समस्याओं का समाधान आने वाली पीढ़ी के पास है | मेरी आदर्श मैरी कॉम हैं जो एक भारतीय महिला मुक्केबाज हैं । वे मणिपुर, भारत की मूल निवासी हैं । मैरी कॉम 8 बार विश्व मुक��केबाजी प्रतियोगिता की विजेता रह चुकीं है | उनकी उम्र 39 वर्ष है परंतु अपने युवा काल में उन्होंने कई मुकाम हासिल किए है और अभी भी करती आ रही हैं | उन्होंने 2001 में Women Boxing Championship जीती तथा 2012 में समर ओलंपिक्स में भी हमारे देश का नाम रोशन किया । अपने देश के युवाओ को उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए|" आकाश कुमार त्रिवेदी ने कहा कि "युवा वर्ग देश की रीढ़ की हड्डी होते हैं, हमें इस बात को याद रखना पड़ेगा कि सिर्फ युवा ही देश या समाज पर आए संकट का सामना करने में समर्थ होते हैं| इतिहास इस बात का गवाह है कि जब भी हमारे देश पर कोई भयानक संकट आता है तो उसका मुकाब��ा सदा युवा वर्ग ने ही किया है | इसलिए पाश्चात्य विचारक फ्रैंकलीन रुजवेल्ट ने कहा है, "We cannot build the future for our youth, but we can build our youth for our future" आज का भारत युवा भारत है देश की आबादी का लगभग 65% युवाओं का है | विश्व के विद्वान आज भी भारतीय संस्कृति को विश्व संस्कृति के रूप में देख रहे हैं क्योंकि भारतीय संस्कृति वसुधैव कुटुंबकम एवं सर्वे संतु का भाव व्यक्त करती है | रावण के आतंक को खत्म करने के लिए प्रभु श्री राम जी ने युवा अवस्था में ही संकल्प लिया था, अपने अत्याचारी पिता को चुनौती देने वाले प्रहलाद भी युवा ही थे | कंस के विरुद्ध जनसमूह को जागृत करने वाले भगवान श्री कृष्ण युवा ही थे, उन्होंने न सिर्फ कंस का उद्धार किया बल्कि पांडवों के सहयोग से एक शक्तिशाली राजतंत्र की स्थापना भी की थी | इस प्रकार देश के लिए अपना सर्वस्व कुर्बान करने वाले बाल गंगाधर तिलक, गोपाल कृष्ण गोखले, अपनी युवावस्था में ही आजादी की जंग में कूद पड़े थे | ऐसे वीर जवानों की कहानी को कभी भुलाया नहीं जा सकता | भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, खुदीराम बोस इत्यादि ऐसे ही युवा थे जिन्होंने देशवासियों को सुख देने के लिए अपनी जवानी तक को त्याग दिया | स्वामी विवेकानंद जी ने भी अपनी युवावस्था में भारत देश को विश्व का एक महान राष्ट्र होने की स्थिति में खड़ा किया | कोई समय था जब हमारे देश में चरित्र, बल शिक्षा एवं परिश्रम को ही सफलता का मापदंड माना जाता था लेकिन आज सफलता के समीकरण बदल गए हैं |आज उनके नायक कोई देशभक्त या संत महापुरुष नहीं बल्कि फिल्मी नायक हैं इसलिए वो उनकी तरह रातों-रात प्रसिद्धि प्राप्त करना चाहते है जो मृत तृष्णा से बढ़कर और कुछ भी नहीं है| यह सब तो युवा को और तनाव ग्रसित कर रहा है |आज का युवा सामाजिक जिम्मेदारी को नहीं बल्कि आर्थिक जिम्मेदारी को ही सब कुछ समझता है | फिल्मी पर्दे पर दिखाई जाने वाली कामुकता एवं रातों-रात अमीर बनने के दृश्यों को देखकर युवा उसी को ही असल जिंदगी में जीना चाहता है | असलियत तो यह है कि पर्दे का नायक युवकों की कमजोरियों का ही विस्फोट है | युवा वर्ग को समझना होगा कि पर्दे की दुनिया वास्तविक दुनिया से बिल्कुल भिन्न है हम वास्तविक धरातल पर उतर कर अपने आप और समाज के लिए कुछ कर सकते हैं|"
पूजा विमल ने हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के ज़न कल्याण के कार्यक्रमों से आम जन को रूबरू कराया व कहा कि "अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस संपूर्ण विश्व में 12 अ��स्त को मनाया जाता है | किसी भी देश की शक्ति का अंदाजा उसके युवाओं की संख्या पर निर्भर करता है| दूसरे शब्दों में कहें तो युवा किसी भी देश की रीढ़ की हड्डी होते हैं| राजनीति से लेकर व्यापार तक, न्याय से लेकर मीडिया तक हर क्षेत्र में युवाओं की भागीदारी किसी भी देश को प्रगतिवाद व संपन्नता के शिखर पर ले जाती है | अन्तर्राष्ट्रीय युवा दिवस पहली बार वर्ष 2000 में मनाया गया था व तबसे अब तक युवाओं को मुख्यधारा से जोड़ने व उनकी सकारात्मक शक्ति का उपयोग समाज और राष्ट्र के निर्माण में करने हेतु प्रतिवर्ष 12 अगस्त को अन्तर्राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट निरंतर ही समाज उत्थान व समाज कल्याण हेतु प्रयत्नशील है तथा ट्रस्ट की अध्यक्ष श्रीमती किरण अग्रवाल, प्रबंध न्यासी श्री हर्षवर्धन अग्रवाल व न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल के अथक परिश्रम से निश्चय ही समाज में सकारात्मक परिवर्तन आएगा ऐसी हमें उम्मीद है।"
कार्यक्रम में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्षवर्धन अग्रवाल, आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य महेंद्र भीष्म तथा स्वयं सेवकों की उपस्थिति रही |
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Heart Touching Republic Day Quotes In Hindi
Republic Day 2022: 26 जनवरी हम भारतीयों के लिए किसी त्योहार से कम नहीं है। इस दिन पूरे भारतवर्ष में बड़े धूमधाम से हर स्कूल कॉलेज में झंडे फहराए जाते हैं और बहुत ही धूमधाम से गीत संगीत रंगमंच कार्यक्रम और वीर जवानों को श्रद्धांजलि देते हुए, हमारी आजादी के लिए शहीद हुए वीरों को याद करते हुए इसे मनाते हैं। आज के दिन देश के प्रधानमंत्री राजधानी दिल्ली मैं स्थित लाल किले से देश को संबोधित करते हैं। हर साल 26 जनवरी के अवसर पर पूरे विश्व के किसी न किसी देश से दिग्गज नेता को निमंत्रण दिया जाता है और वह इस आयोजन में भाग लेते हैं। इस साल 26 जनवरी 2023 को हम 74वां गणतंत्र दिवस मनाने वाले हैं। आज ही के दिन हमारे देश का संविधान लागू किया गया था। संविधान समिति के मुख्य डॉ भीमराव अंबेडकर ने 26 जनवरी 1948 को संविधान को संसद में प्रस्तुत किया था जिसे 26 जनवरी 1949 को कुछ स��शोधन के बाद लागू कर दिया गया था। वर्तमान समय में इसे संविधान के आधार पर हमारा देश विकास की दिशा में प्रगतिशील है। हमारे देश का संविधान विश्व का सबसे बड़ा संविधान है और हम विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के निवासी हैं। इसलिए हमें भारतीय होने पर गर्व करना चाहिए। अगर आप एक भारतीय हैं तो 26 जनवरी के अवसर पर अपने प्रिय लोगों से मिलते होंगे उनके साथ कुछ अच्छे शब्द साझा करते होंगे। अच्छे वीडियो साझा करते होंगे। इसी क्रम में आज हम दिल को छू लेने वाले कुछ कोटेशन इस आर्टिकल के माध्यम से देने वाले हैं।
Top 10 Heart Touching Republic Day Quotes In Hindi
इस बार के गणतंत्र दिवस के अवसर पर यदि आप अपने दोस्तों, फैमिली और सोशल मीडिया पर Republic Day Quotes भेजना चाहते हैं तो आपके लिए टॉप कोटेशन नीचे दिए गए हैं जिसे आप व्हाट्सएप स्टेटस, फेसबुक इंस्टाग्राम कहीं भी शेयर कर सकते हैं। - भूख, गरीबी, लाचारी को, इस धरती से आज मिटायें, भारत के भारतवासी को,उसके सब अधिकार दिलायें आओ सब मिलकर नये रूप में गणतंत्र मनायें । - खुश नसीब है वह भी जो वतन पर मर मिट जाते हैं, मर कर भी वो वीर अमर हो जाते हैं, करता हूँ उन्हें सलाम ए वतन पर मिटने वालों तुम्हारी हर साँस में बसता तिरंगे का नसीब है। गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। - ना जियो घर्म के नाम पर, ना मरों घर्म के नाम पर, इंसानियत ही है धर्म वतन का, बस जियों वतन के नाम पर। भारत माता की जय !! - दे सलामी इस तिरंगे को, जिससे तेरी शान है, सर हमेशा ऊंचा रखना इसका जब तक तुझ में जान है। गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं !! - कुछ नशा तिरंगे की आन का है, कुछ नशा मातृभूमि की शान का है, हम लहराएंगे हर जगह ये तिरंगा, नशा ये हिंदुस्तान की शान का है!! गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं - देशभक्त शहीदों के बलिदान से, स्वतन्त्र हुए है हम कोई पूछे कौन हो, तो गर्व से कहेंगे भारतीय है हम। गणतंत्र दिवस की ढ़ेरो शुभकामनाये ! - अमेरिका देखा, पेरिस देखा, देख लिया जापान, लेकिन पूरी दुनिया में हमको मिला ना हिंदुस्तान। - हमारी शान है तिरंगा, जान है तिरंगा सर पर रखा है हमने देश की पहचान है तिरंगा। गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं! - देश का गणतंत्र है महान इसकी महिमा है महान धर्म, जाति है समान यहां, यह देश पूरे जहां में महान। गणतंत्र दिवस की बधाई 2022! - अलग हैं बातें, अलग है भाषा, अलग है सबके विचार, लेकिन एक है तिरंगा अपना,एक है सर्वश्रेष्ठ हिंदुस्तान। हैप्पी रिपब्लिक डे 2023 - ना काम मेरा है, ना बड़ा सा नाम मेरा है, मुझे तो गर्व इस बात का मैं हिंदुस्तान का और हिंदुस्तान मेरा है।
26 जनवरी के दिन दोस्तों को भेजे जाने वाले कुछ महत्वपूर्ण कोटेशन
वतन हमारा ऐसा की कोई ना छोड़ पाए रिश्ता हमारा ऐसा की कोई ना तोड़ पाए, दिल एक है एक जान है हमारी ये हिंदुस्तान शान है हमारी… गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं… ना पूछो जमाने से कि क्या हमारी कहानी है, हमारी पहचान तो बस इतनी है कि हम सब हिन्दुस्तानी हैं… गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं… देश भक्तों के बलिदान से, स्वतंत्र हुए हैं हम कोई पूछे कौन हो, तो गर्व से कहेंगे, हिन्दुस्तानी हैं हम! लहराएगा तिरंगा अब सारे आस्मां पर, भारत का नाम होगा सब की जुबान पर, ले लेंगे उसकी जान या दे देंगे अपनी जान, कोई जो उठाएगा आंख हमारे हिंदुस्तान पर. राष्ट्र के लिए मान-सम्मान रहे, हर एक दिल में हिन्दुस्तान रहे, देश के लिए एक-दो तारीख नहीं, भारत मां के लिए ही हर सांस रहे. Happy Republic Day 2022
गणतंत्र दिवस क्यों मनाया जाता है ?
हर साल 26 जनवरी के दिन हम गणतंत्र दिवस मनाते हैं। ऐसा माना जाता है हमारा भारत देश अंग्रेजों से 26 जनवरी के दिन ही अर्ध रूप से आजाद हुआ था। और इसी दिन हमारा संविधान भी लागू हुआ था। जिसे बनाने के लिए 22 समितियां बनाई गई थी और जिसने प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ भीमराव अंबेडकर मुख्य थे जिन्होंने 2 साल की 11 महीने और 18 दिन में पूरा किया। संविधान को बनाने के लिए कुल 22 समितियां बैठाई गई थी और हर समिति का अपना उद्देश्य था। वर्तमान समय में संविधान के निर्माता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को बताया जाता है लेकिन केवल भीमराव अंबेडकर ही संविधान के निर्माता नहीं थे उनके साथ मिलकर बहुत से लोगों ने संविधान के निर्माण में अपनी भूमिका निभाई थी। 26 जनवरी 1948 को डॉक्टर अंबेडकर ने संविधान सभा में संविधान को पेश किया जिसे उस समय स्वीकार नहीं किया गया लेकिन ठीक 1 साल बाद 26 जनवरी 1949 को कुछ संशोधन के साथ संविधान को लागू कर दिया गया। आज के दिन भारत के राष्ट्रपति दिल्ली के लाल किले पर तिरंगा फहराते हैं। इस अवसर पर देश के प्रतिष्ठित स्कूल के बच्चे आकर्षक और मनमोहक प्रोग्राम करते हैं। जिसे टेलीविजन पर देखा जा सकता है। राजपथ को बहुत ही धूमधाम से सजाया जाता है एवं अलग-अलग प्रदेश की संस्कृति के अनुसार उसकी झांकियां प्रस्तुत की जाती हैं। 26 जनवरी का दृश्य बहुत ही मनमोहक होता है। इस दिन पूरे देश में कहीं भी आप जाएं बहुत ही धूमधाम से 26 जनवरी के दिन को एक त्यौहार की तरह मनाया जाता है। इसीलिए हमारा देश पूर्ण स्वराज घोषित हुआ था। Read the full article
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पब्लिक राइट्स एसोसिएशन –
हमारे संविधान में जाति, धर्म, वंश, मूल, लिंग, अमीरी-गरीबी, शिक्षित-अशिक्षित किसी भी प्रकार का विभेद नहीं किया गया है। संविधान में देश के प्रत्येक व्यक्ति को दैहिक, एवं प्राणित स्वतन्त्रता के अधिकार के साथ गरिमामय जीवन यापन करने की भावना निहित की गयी है। इसको व्यवहारिक रूप में लाने के लिये संविधान में विधायिका, न्यायपालिका एवं कार्यपालिका की व्यवस्था की गयी है। इसी आधार पर हमारे देश का संविधान विश्व का सर्वश��रेष्ठ संविधान माना जाता है। परन्तु विडम्बना यह है कि इसका लाभ आम जनता को नहीं मिल प�� रहा है।सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या भारत वर्ष के प्रत्येक नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय मिल सका है। उपरोक्त समस्याओं के निराकरण के लिये हमारा संगठन प्रयासरत है तथा इन उद्देश्यों की पूर्ति हेतु पब्लिक राइट्स एसोसिएशन का गठन किया गया है। पब्लिक राइट्स एसोसिएशन के कार्यकर्ता उपरोक्त समस्याओं के निवारण के लिये कई राज्यों में नागरिको को एकजुट कर रहे हैं। आप सभी से अनुरोध है कि हमारे संगठन पब्लिक राइट्स एसोसिएशन के कार्यकर्ताओ का सहयोग करें और पब्लिक राइट्स एसोसिएशन से जुड़कर संगठन को और अधिक मजबूत करें।
मानवाधिकारों के संरक्षण ,जागरूकता एवं सेवाभाव को लेकर “पब्लिक राइट्स एसोसिएशन” का गठन किया गया। “पब्लिक राइट्स एसोसिएशन” संगठन पूर्णत: गैर राजनीतिक है, जो धर्म-जाति के भेदभाव से ऊपर उठकर केवल मानवाधिकारों के संरक्षण ,जागरूकता एवं मानव कल्याण के लिए कार्य करेगा। सबका सम्मान , सबकी सेवा, सबकी सुरक्षा संगठन का मूल सिद्धान्त है । अन्याय अव्यवस्था शोषण के विरूद्ध संगठन की स्पष्ठ नीति हैं । अन्याय करने नही देगे, अन्याय सहने नही देगे । पब्लिक राइट्स ऐसोसिएशन का कार्यक्षेत्र- सम्पूर्ण भारत वर्ष है ।
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हाँ, मैं संविधान हूँ। कमजोर नही शक्तिशाली हूँ भारत की सर्वश्रेष्ठ रचना हूँ नागरिकों को अधिकार दिलाऊं हाँ, मैं देश का संविधान हूँ। हर पक्ष सामने समान है वतन का ये सम्मान है कोई बड़ा नही, न कोई छोटा है हाँ, मैं देश का संविधान हूँ। देर ही सही पर अंधेर नही शांत हूँ पर मूक,बहरा नही अधिकार सभी को दिलाता हूँ हाँ, मैं देश का संविधान हूँ। सौ आरोपी भले ही छुटे एक निर्दोष को सजा न मिले यही मेरा मूलमंत्र है हाँ, मैं देश का संविधान हूँ। विश्व का महान नियमावली हूँ उसूल भी है तो दंड भी देता हूँ मैं भारत की बुलंद आवाज हूँ हाँ, मैं देश का संविधान हूँ। पीड़ितो की आस है इसमें लोकतंत्र का गणतंत्र है देश को मैं ही चलाता हूँ हाँ..मैं देश का संविधान हूँ। प्रो डॉ दि��ेश गुप्ता- आनंदश्री विश्वरीकोर्ड धारी कवि- मुम्बई https://www.instagram.com/p/CWuJtFhqvVY/?utm_medium=tumblr
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जनसहयोग से ही होगा आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश का नव निर्माण : शिवराज Divya Sandesh
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जनसहयोग से ही होगा आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश का नव निर्माण : शिवराज
भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश के निर्माण ���े लिए हर नागरिक को अपना सर्वश्रेष्ठ देने का प्रयास करना होगा। प्रदेश के निर्माण के लिए जनता के साथ मिलकर निर्णय लेने के उद्देश्य से प्रदेश में जनभागीदारी मॉडल विकसित किया गया है। प्रदेश में विभिन्न वर्गों की पंचायतों का आयोजन पुन: आरंभ किया जाएगा। जनता के कल्याण की योजना��ं जनता के साथ मिलकर बनाई जाएंगी और उनका क्रियान्वयन भी जनता के माध्यम से होगा। आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश का निर्माण जनभागीदारी से किया जाएगा। हमें जनता का सहयोग चाहिए जनसहयोग के बिना अकेली सरकार प्रदेश का नव निर्माण नहीं कर सकती है।
मुख्यमंत्री ने रविवार को राजधानी भोपाल के लाल परेड ग्राउंड पर आयोजित स्वतंत्रता दिवस समारोह के राज्यस्तरीय कार्यक्रम में ध्वजारोहण तथा परेड की सलामी के बाद जनता को संबोधित किया। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के निर्माण के लिए प्रदेश के नागरिकों को ईमानदारी से अपने कर्तव्य और दायित्वों का पालन करने, कोरोना अनुकूल व्यवहार के पालन, बेटियों का सम्मान करने और स्वच्छता अभियान में भाग लेने का संकल्प लेना होगा। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि हम मिलकर समृद्ध विकसित और आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश का निर्माण करेंगे। मैं ऐसे मध्यप्रदेश के निर्माण के लिए स्वयं को समर्पित करता हूँ।
आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के निर्माण में प्रथम रहेंगे- मुख्यमंत्री ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के संकल्प के अनुपालन में आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के निर्माण में हमारा प्रदेश देश में प्रथम रहेगा। प्रदेश के मस्तक पर जनभागीदारी की कुम-कुम और सुशासन के अक्षत से आत्म-निर्भरता का तिलक करें। हमें कदम मिलाकर चलना है।
समावेशी विकास और सामाजिक न्याय- चौहान ने कहा कि हमारी सरकार समावेशी विकास के साथ सामाजिक न्याय के लिए प्रतिबद्ध है। अन्य पिछड़ा वर्ग का मामला हो, अनुसूचित जाति- जनजाति का कल्याण हो या महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान का विषय हो, राज्य सरकार प्रत्येक क्षेत्र में निरंतर कार्यरत है। अनुसूचित जनजाति के बहनों-भाइयों की भावनाओं, संस्कृति, जीवनमूल्य, परंपरा, रोजगार और शिक्षा के लिए 18 सितम्बर रघुनाथ शाह शंकरशाह के बलिदान दिवस से विशेष अभियान आरंभ किया जाएगा जो 15 नवम्बर भगवान बिरसा मुंडा की जयंती तक चलेगा। अभियान में कला और संस्कृति की रक्षा, रोजगार के अवसरों की उपलब्धता के साथ-साथ स्वास्थ्य रक्षा और जागरूकता के लिए विशेष गतिविधियां चलाई जाएंगी। सरकार द्वारा” देवारण्य” योजना प्रारंभ की जा रही है। योजना में जनजातीय बहुल क्षेत्रों में वहाँ के इको सिस्टम के अनुसार परंपरागत औषधीय पौधों और सुगन्धित पौधों को उगाने से लेकर उनकी प्रोसेसिंग,ब्रांडिंग, मार्केटिंग एवं विक्रय की सम्पूर्ण वै��्यू चेन विकसित की जाएगी। मुख्यमंत्री ने अनुसूचित जनजाति के भाई-बहनों को सामुदायिक वन प्रबंधन के अधिकार देने की घोषणा की।
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अनुसूचित जाति व पिछड़ा वर्ग कल्याण- मुख्यमंत्री ने कहा कि अनुसूचित जाति वर्ग की सुरक्षा, सम्मान, रोजगार और शिक्षा की भरपूर चिंता की जाएगी। बजट में इसके लिए 17 हजार 980 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा संविधान में संशोधन कर पिछड़ा वर्ग के बहनों और भाईयों के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक आयोग का दर्जा दिया गया है। हमारी सरकार पिछड़ा वर्ग के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण लागू करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। पिछड़े वर्गों के सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक स्थिति का अध्ययन करने के लिए एक नया आयोग गठित किया जाएगा, जो व्यापक पैमाने पर पिछड़ा वर्ग की स्थितियों का अध्ययन कर उनकी स्थिति में सुधार के लिए अपनी अनुशंसाएँ देगा। पिछड़ा वर्ग के कल्याण के लिए हमारी सरकार कृतसंकल्पित है।
सांस्कृतिक विविधता- मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश की संस्कृति पर्याप्त समृद्ध है। यहाँ की सांस्कृतिक विविधता अद्भुत है। ओमकारेश्वर में अद्वैत वेदांत संस्थान स्थापित करने का निर्णय लिया गया है, यहां आचार्य शंकर की विशाल प्रतिमा स्थापित की जाएगी तथा अनुसंधान कार्य भी होंगे। देवी अहिल्या बाई और बाजीराव पेशवा का स्मारक बनाने के साथ-साथ ग्वालियर में अटल जी की स्मृति में विशाल स्मारक बनाया जाएगा।
माफियाओं के विरूद्ध प्रभावी कार्यवाई- चौहान ने प्रदेश में माफियाओं के विरुद्ध चले अभियान की सफलता के लिए पुलिस को बधाई दी। पुलिस बल को आधुनिक संसाधनों से लैस करने, नई तकनीक उपलब्ध कराने का कार्य निरंतर जारी है। शराब माफियाओं के विरुद्ध कठोर अभियान निरंतर जारी है। इस दिशा में कड़े प्रावधान किए गए हैं। अवैध शराब और जहरीली शराब के कारोबार में लगे अपराधियों के लिए फांसी की सजा का प्रावधान किया गया है। प्रदेश में माताओं बहनों की सुरक्षा के लिए मुस्कान अभियान संचालित हैं इसके अच्छे परिणाम आए हैं। पुलिस का नक्सलियों के विरुद्ध अभियान भी प्रभावी रहा है।
कर्मचारियों के हित का ध्यान- मुख्यमंत्री ने कहा कि जनकल्याणकारी योजनाओं को जनता तक ले जाने के कर्मचारी महत्वपूर्ण माध्यम हैं। पिछले दिनों आर्थिक संकट के कारण अपेक्षित महंगाई भत्ता और सुविधाएं कर्मचारियों को देने में राज्य सरकार असमर्थ रही है। अर्थव्यवस्था पटरी पर लाने के प्रयास जारी हैं। जल्द ही कर्मचारियों को भत्ते आदि दिलाए जाएंगे। मुख्यमंत्री चौहान ने कर्मचारियों से पूरी लगन, निष्ठा और समर्पण से अपने दायित्वों का निर्वहन करने की अपील की।
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कोविड प्रबंधन एवं टीकाकरण- चौहान ने कहा कि कोविड प्रबंधन के लिए हमारी रणनीति के 05 स्तम्भ हैं- आईडेंटीफिकेशन, टेस्टिंग, आईसोलेशन, ट्रीटमेंट एवं वैक्सीनेशन। संनियोजित रणनीति, त्वरित निर्णय और साझे प्रयासों के चलते मध्यप्रदेश, कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर पर नियंत्रण पाने में भी सफल रहा है। कोविड संक्रमण से बचाव का एक प्रमुख उपाय है- टीकाकरण। मध्यप्रदेश में टीकाकरण को एक जन-उत्सव का रूप दिया गया है। टीकाकरण- महाअभियान में 21 जून, 2021 को मध्यप्रदेश में रिकॉर्ड 16 लाख 95 हजार से अधिक लोगों का टीकाकरण किया गया। अब तक वैक्सीन के 3 करोड़ 75 लाख जीवन-रक्षक डोज लगाए जा चुके हैं। दिनांक 25 एवं 26 अगस्त, 2021 को कोविड वैक्सीनेशन का महा-अभियान चलाया जाएगा।
तीसरी लहर की तैयारी- मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा कोरोना की संभावित तीसरी लहर से सुरक्षा के लिए एक सुनियाजित रणनीति बनाते हुए समस्त आवश्यक तैयारियाँ की गई हैं। अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या बढ़ाना, ऑक्सीजन प्रबंधन, दवा, इंजेक्शन और उपकरणों की उपलब्धता, मानव संसाधन का प्रबंधन तथा प्रशिक्षण एवं ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल पर विशेष फोकस किया गया है। प्रतिदिन अधिक से अधिक कोविड टेस्ट किए जा रहे हैं।
अधोसंरचना विकास- चौहान ने कहा है कि अधोसंरचना, विकास का आधार है। प्रदेश में वर्ष 2024- 25 तक सिंचाई क्षमता को 65 लाख हेक्टेयर तक ले जाने का लक्ष्य है। केन-बेतवा लिंक राष्ट्रीय परियोजना से मध्यप्रदेश को 8 लाख 11 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई, 41 लाख आबादी को पेयजल तथा 103 मेगावाट की विद्युत सुविधा प्राप्त हो सकेगी। प्रदेश में इस वर्ष 2 हजार किलोमीटर लम्बाई की सड़कों का निर्माण एवं उन्नयन, ढाई हजार किलोमीटर सड़कों का नवीनीकरण और 80 बड़े पुल एवं रेलवे ओवर ब्रिज का निर्माण किया जा रहा है। इन कार्यों पर 5 हजार 530 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति- म���ख्यमंत्री ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति हमारी पथ-प्रदर्शक है। प्रदेश में “ सीएम राइज योजना” के प्रथम चरण में 350 विद्यालयों को सर्वसुविधायुक्त बनाने के लिए डेढ़ हजार करोड़ रुपए का बजट प्रावधान किया गया है। अगले शैक्षणिक सत्र से राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रावधानों को सभी विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में लागू किया जाएगा। राज्य के युवाओं को विश्व-स्तरीय कौशल प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए भोपाल में ग्लोबल स्किल पार्क का निर्माण किया जा रहा है।
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खेलों को प्रात्सा��न- चौहान ने कहा कि सरकार द्वारा प्रदेश में विश्वस्तरीय खेल अकादमियों की स्थापना की गई। इन अकादमियों में खिलाड़ियों को समस्त आवश्यक सुविधाएँ एवं अंतर्राष्ट्रीय मापदण्डों के अनुरूप प्रशिक्षण की व्यवस्था है। प्रदेश की खेल अकादमियों में प्रशिक्षण प्राप्त 10 खिलाड़ियों ने टोक्यो ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व कर प्रदेश को गौरवान्वित किया है। मध्यप्रदेश के बेटे विवेक सागर और प्रदेश की हॉकी अकादमी के ट्रेनी नीलकांता शर्मा ने पूरे विश्व में मध्यप्रदेश का मान बढ़ाया है।
मुख्यमंत्री कोविड- 19 विशेष अनुग्रह योजना- मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि सरकार द्वारा मुख्यमंत्री कोविड-19 विशेष अनुग्रह योजना लागू कर पात्र दिवंगत शासकीय सेवायुक्तों के परिजनों के 188 प्रकरणों में 6 करोड़ 81 लाख रुपये की अनुग्रह सहायता दी जा चुकी है। मुख्यमंत्री कोविड-19 अनुकंपा नियुक्ति योजना में अब तक दिवंगत शासकीय सेवायुक्तों के 441 पात्र परिजनों को विभिन्न पदों पर अनुकंपा नियुक्ति दी गई है।
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68500 SHIKSHK BHARTI :हिंदी के कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर
68500 SHIKSHK BHARTI :हिंदी के कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर
● सूरदास का काव्य किस भाषा में है।उत्तर - ब्रजभाषा में ।● हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग की स्थापना कब हुई ।उत्तर - 1910 में ।● संविधान की आठवीं अनुसूची में उल्लेखित भारतीय भाषाओं की संख्या है।उत्तर - 22 ।● हिन्दी की विशिष्ट बोली ब्रज भाषा किस रूप में सबसे अधिक प्रसिद्ध है।उत्तर - काव्य भाषा ।● देवनागरी लिपि किस लिपि का विकसित रूप है।उत्तर - ब्राम्ही लिपि ।● रामायण महाभारत आदि ग्रन्थ कौन सी भाषा में लिखे गये है।उत्तर - आर्यभाषा में ।● विद्यापति की प्रसिद्ध रचना पदावली किस भाषा में लिखी गई है।उत्तर - मैथिली में ।● भारत में हिन्दी का संवैधानिक स्वरूप है।उत्तर - राजभाषा । ।● जाटू किस बोली का उपनाम है।उत्तर - बॉगरू ।● ''एक मनई के दुई बेटवे रहिन'' यह अवतरण हिन्दी की किस बोली में है।उत्तर - भोजपुरी से ।● क्रिया विशेषण किसे कहते है।उत्तर - जिन शब्दों से क्रिया की विशेषता का ज्ञान होता है, उसे क्रिया विशेषण कहते है।जैसे – यहॉ , वहॉ , अब , तक आदि● अव्यय किसे कहते है।उत्तर - जिन शब्दों में लिंग , वचन , पुरूष , कारक आदि के कारण कोई परिवर्तन नहीं होता, उन्हें अव्यय कहते है।● अव्यय के सामान्यत: कितने भेद है।उत्तर - अव्यय के सामान्यत: 4 भेद है।1.क्रिया विशेषण2.संबंधबोधक3.समुच्चोय बोधक4.विस्मचयादि बोधक● हिन्दी् में वचन कितने प्रकार के होते है।उत्तर - हिन्दी् में वचन 2 प्रकार के होते है।1.एक वचन2.बहुवचन● वर्ण किसे कहते है।उत्तर - वह मूल ध्वनि जिसका और विभाजन नही हो सकता हो उसे वर्ण कहते है।जैसे - म , प , र , य , क आदि● वर्णमाला किसे कहते है।उत्तर - वर्णों का क्रमबद्ध समूह ही वर्णमाला कहलाता है।● शब्द किसे कहते है।उत्तर - दो या दो से अधिक वर्णों का मेल जिनका कोई निश्चित अर्थ निकलता हो उन्हे शब्द कहते है।● वाक्य किसे कहते है।उत्तर - दो या दो से अधिक शब्दों का सार्थक समूह वाक्य कहलाता है।● मूल स्वरों की संख्यां कितनी है।उत्तर - मूल स्वरों की संख्यां 11 होती है।● मूल व्यंजन की संख्यां कितनी होती है।उत्तर - मूल व्यंजन की संख्यां 33 होती है।● 'क्ष' ध्वनि किसके अर्न्तगत आती है।उत्तर - संयुक्त्ा वर्ण ।● 'त्र' किन वर्णों के मेल से बना है।उत्तर - त् + र ।● 'ट' वर्ण का उच्चारण स्थान क्या है।उत्तर - मूर्धा ।● 'फ' का उच्चारण स्थान है।उत्तर - दन्तोष्ठय ।● स्थूल का विलोम शब्द होगा ।उत्तर - सूक्ष्म ।● शीर्ष का विलोम शब्द होगा ।उत्तर - तल ।● शोषक का विलोम शब्द होगा ।उत्तर - शोषित ।● मृदु का विलोम शब्द होगा ।उत्तर - कटु ।● कलुष का विलोम शब्द होगा ।उत्तर - निष्कलुष ।● निर्दय का विलोम शब्द होगा ।उत्तर - सदय ।● नीरोग में संधि है।उत्तर - विसर्ग सन्धि ।● निस्तेज में कौन सी संधि है।उत्तर - विसर्ग संधि ।● उज्जवल का संधि विच्छेद होगा ।उत्तर - उत् + ज्वल ।● बहिष्कार का सन्धि विच्छेद होगा ।उत्तर - बहि: + कार ।● चयन में कौन सी सन्धि है।उत्तर - अयादि संधि ।● अन्वय में कौन सी संधि है।उत्तर - गुण संधि ।● सच्चिदानंद का संधि विच्छेद होगा ।उत्तर - सत् + चित् + आनंद ।● उन्नति का संधि विच्छेद है।उत्तर - उत् + नति ।● निर्धन में कौन सी सन्धि है।उत्तर - विसर्ग सन्धि ।● सूर्य + उदय का संधयुक्त शब्द है।उत्तर - सूर्योदय ।● किस युग को आधुनिक हिन्दी कविता का सिंहद्वार कहा जाता है।● भारतेन्दु युग को ।● द्विवेदी युग के प्रवर्तक कौन थे।उत्तर - महावीर प्रसाद द्विवेदी ।● हिन्दी का पहला सामाजिक उपन्यास कौन सा माना जाता है।उत्तर - भाग्यवती ।● सन् 1950 से पहले हिन्दी् कविता किस कविता के रूप में जानी जाती थी।उत्तर - प्रयोगवादी ।● ब्रज भाषा का सर्वोत्तम कवि है।उत्तर - सूरदास ।● आदिकाल के बाद हिन्दी में किस साहित्य का उदय हुआ ।उत्तर - भक्ति साहित्य का ।● निर्गुण भक्ति काव्य के प्रमुख कवि है।उत्तर - कबीरदास ।● किस काल को स्वर��णकाल कहा जाता है।उत्तर - भक्ति काल को ।● हिन्दी का आदि कवि किसे माना जाता है।उत्तर - स्व्यंभू ।● आधुनिक काल का समय कब से माना जाता है।उत्तर - 1900 से अब तक ।● जयशंकर प्रसाद की सर्वश्रेष्ठ रचना कौन सी है।उत्तर - कामायनी ।● बिहारी ने क्या लिखे है।उत्तर - दोहे ।● कबीर किसके शिष्य थे।उत्तर - रामानन्द ।● पद्यावत महाकाव्य कौन सी भाषा में लिखा है।उत्तर - अवधी ।● चप्पू किसे कहा जाता है।उत्तर - गद्य और पद्य मिश्रित रचनाओं को ।● कलाधर उपनाम से कविता कौन से कवि लिखते थे।उत्तर - जयशंकर प्रसाद ।● रस निधि किस कवि का उपनाम है।उत्तर - पृथ्वी सिंह ।● प्रेमचन्द्र के अधुरे उपन्यांस का नाम है।उत्तर - मंगलसूत्र ।● हिन्दी का सर्वाधिक नाटककार कौन है।उत्तर - जयशंकर प्रसाद ।● तुलसीकृत रामचरित मानस में कौन सी भाषा का प्रयोग किया गया है।उत्तर - अवधी भाषा का प्रयोग किया गया है।● एकांकी के जन्मदाता कौन है।उत्तर - धर्मवीर भारती ।● मीराबाई ने किस भाव से कृष्ण की उपासना की ।उत्तर - माधुर्य भाव से ।● रामचरित मानस का प्रधान रस है।उत्तर - शान्त रस ।● सबसे पहले अपनी आत्मकथा हिन्दी में किसने लिख�� ।उत्तर - डॉं. राजेन्द्र प्रसाद ने ।● हिन्दी कविता का पहला महाकाव्य् कौन सा है।उत्तर - पृथ्वीराज रासो ।● हिन्दी के सर्वप्रथम प्रकाशित पत्र का नाम क्या है।उत्तर - उदन्ड मार्तण्ड ।● हिन्दी साहित्य की प्रथम कहानी है।उत्तर - इन्दुमती ।● आंचलिक रचनाऍं किससे सम्बन्धित होती है।उत्तर - क्षेत्र विषेश से ।● श् , ष् , स् , ह् व्यंजन कहलाते है।उत्तर - ऊष्म व्यंजन ।● य् , र् , ल् , व् व्यंजन को कहते है।उत्तर - अन्तस्थ व्यंजन ।● क् से म् तक के व्यंजनों को कहा जाता है।उत्तर - स्पर्श व्यंजन ।● घोष का अर्थ है।उत्तर - नाद ।● जिन ध्वनियों के उच्चारण में श्वास जिह्वा के दोनों ओर से निकल जाती है कहलाती है।उत्तर - पार्श्विक ।● 'आ' स्वर कहलाता है।उत्तर - विवृत स्वर ।● पश्च स्वर है।उत्तर - इ , आ ।● अग्र स्वर है।उत्तर - ऐ ।● 'श्र' व्यंजन किन दो व्यंजनों से मिलकर बना है।उत्तर - श् + र ।● 'ड' , 'ढ' का व्यंजन वर्ग है।उत्तर - मूर्धन्य -उत्क्षिप्त ।● ओम ध्वनि के उच्चारण में स्वर का कौन सा रूप प्रकट होता है।उत्तर - प्लुत स्वर ।● सघोष वर्णो का सही वर्ग है।उत्तर - ड , ढ ।● भ्राता का भाववाचक शब्द क्या होगा ।उत्तर - भ्रातृत्व ।● सीमा दौड़ती है। यहॉ दौड़ती है कैसी क्रिया है।उत्तर - अर्कमक ।● आशुतोष ने कहा कि मैं पढूँगा । इसमें 'कि मै पढूँगा' क्या है।उत्तर - संज्ञा उपवाक्य ।● सोना - चॉंदी और तेल - पानी किस प्रकार के संज्ञा शब्द है।उत्तर - द्रव्यवाचक ।● कृपाण का विलोम शब्द होगा ।उत्तर - दानी ।● अनुराग का विलोम शब्द होगा ।उत्तर - विराग ।● भोगी का विलोम शब्द होगा ।उत्तर - योगी ।● कीर्ति का विलोम शब्द होगा ।उत्तर - अपकीर्ति ।● पृथ्वीराज रासो किस काल की रचना है ।उत्तर - आदिकाल की ।● हिन्दी गद्य का जन्म दाता किसको माना जाता है।उत्तर - भारतेन्दु हरिचन्द्र जी को ।● कवि कालिदास की ‘अभिज्ञान शाकुन्तलम्’ का हिन्दी अनुवाद किसने किया।उत्तर - राजा लक्ष्मणसिंह ने ।● पद्य साहित्य को कितने भागों में बॉंटा गया है।उत्तर - पन्द्रह भागों में ।● कवि नरेन्द्र शर्मा ने राष्ट्र पिता महात्मा गांधी के निधन से प्रभावित होकर कौन सी रचना की ।उत्तर - रक्त चन्दन की रचना की ।● नाट्यशास्त्रकारों द्वारा अमान्य रस कौन सा है।उत्तर - वीभत्स रस ।अनेक शब्दों के लिए एक शब्द (One Word Substitution in Hindi)भारतीय संविधान में कौनसी विशेषता किस देश से ली गयी है - Indian constitutionवाक्यांश या शब्द समूहस्वतंत्रता आंदोलन से संबंधित आंदोलन एवं वर्ष● काव्य शास्त्र का प्राचीनतम नाम क्या था।उत्तर - अलंकार शास्त्र ।● रीति सम्प्रदाय के संस्थापक कौन थे।उत्तर - आचार्य वामन ।● हिन्दी में काव्य शास्त्र के प्रथम आचार्य कौन है।उत्तर - केशवदास ।● साहित्य शब्द् किस शब्द से बना है।उत्तर - सहित शब्द से बना है।● हिन्दी साहित्य में जीवनी साहित्य का प्रारम्भ कौन से युग में हुआ ।उत्तर - भारतेंदु युग में ।● हिन्दी भाषा और सांहित्य के लेखक है।उत्तर - श्यामसुंदरदास ।● मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है । यह किसने कहा ।उत्तर - अरस्तू ने ।● भाषा किसे कहते है।उत्तर - मनुष्य अपने मानसिक विचारों की अभिव्यक्ति के लिए जिस माध्यम का प्रयोग करता है। वह भाषा कहलाती है।● भाषा शब्द की उत्पत्ति कहॉ से हुई है।उत्तर - भाषा शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के भाष धातु से हुई है।● सामान्य् शब्दों मे हम भाषा को किस तरह से व्यक्तु करेगे ।उत्तर - भाषा वह साधन है । जिसके द्वारा मनुष्य अपने भावों या विचारों को बोलकर या लिखकर दूसरे मनुष्यो तक पहुँचाता है।● भाषा को मोटे रूप में कितने भागों मे बांटा गया है।उत्तर - भाषा को मोटे रूप में 2 भागों मे बांटा गया है।1.लिखित भाषा2.मौखिक भाषा● हिन्दी भाषा का सम्बंन्ध किस लिपि से है।उत्तर - देवनागरी लिपि से है।● बोलने वालो की संख्या की दृष्टि से हिन्दी का विश्व मे कौन सा स्थान है।उत्तर - तीसरा ।● सूरदास के काव्य किस भाषा में है।उत्तर - ब्रजभाषा में ।● संविधान के किस अनुच्छे्द में कहा गया है – ‘’ संघ की राजभाषा हिन्दी् और लिपि देवनागरी होगी ‘’ ।उत्तर - 343 वें अनुच्छेद में कहॉ गया ।● हिन्दी शब्द की व्युात्पात्ति कहॉ से हुई है।उत्तर - सिंधु से ।● वर्तमान हिन्दी का प्रचलित रूप कैसा है।उत्तर - खडी बोली ।● जिन ध्वनियों के संयोग से शब्दों का निर्माण होता है। उन्हें क्या कहते है।उत्तर - वर्ण ।● स्वरों की संख्या कितनी मानी गई है।उत्तर - 11 ।● हिन्दी मानक वर्ण माला में कुल कितने वर्ण है।उत्तर - 52 ।● अन्तस्थ व्यंजनों की संख्या कितनी है।उत्तर - 4 ।● हिन्दी वर्ण माला को कितने भागों में विभक्त किया गया है।उत्तर - दो भागो में ।● हिन्दो वर्ण माला में स्पर्श व्यंजनों की संख्या कितनी है।उत्तर - 25 ।● मात्रा के आधार पर हिन्दी स्वंरों के दो भेद कौन से है।उत्तर - हस्वर और दीर्घ ।● ‘ क्ष ‘ वर्ण किसके योग से बना है।उत्तर - ‘’ क् + ष ‘’ से बना है।● हिन्दी वर्ण माला में व्यंजनों की संख्या है।उत्तर - 33 व्यंजन है।● हिन्दी का पहला नाटक है।उत्तर - नहुष ।● कबीरदास की भाषा थी।उत्तर - सधुक्कडी ।● कलम का जादूगर किसे कहा जाता है।उत्तर - रामवृक्ष बेनीपुरी को ।● प्रगतिवाद उपयोगितावाद का दूसरा नाम है। यह कथन किसका है।उत्तर - रामविलास शर्मा ।● रामचरितमानस में कुल कितने काण्ड है।उत्तर - सात ।● हिन्दी साहित्य के इतिहास के रचयिता कौन है।उत्तर - आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ।● गीत गोविन्द किस भाषा में है।उत्तर - संस्कृत भाषा में ।● लोक नायक किसको कहा जाता है।उत्तर - तुलसीदास जी को ।● इन्दिरापति किसे कहा जाता है।उत्तर - विष्णु को ।● पंचतंत्र क्या है।उत्तर - कहानी संग्रह ।● सामिष का विलोम शब्द होगा ।उत्तर - आमिष ।● गमन का विलोम शब्द होगा ।उत्तर - आगमन ।● सम्मुख का विलोम शब्द है।उत्तर - विमुख ।● सुकाराथ का विलोम शब्द है।उत्तर - अकारथ ।● अगानत का विलोम शब्द है।उत्तर - आगत ।● उपमान का विलोम शब्द है।उत्तर - उपमेय ।● मौन का विलोम शब्द है।उत्तर - मुखर ।● .............. प्रयास की अपेक्षा सामूहिक प्रयास का बल अधिक होता है।उत्तर - एकांगी ।● गांधी जी के अनुसार अत्याचार का उत्तर ................ से देना ही मनुष्यता है।उत्तर - सदाचार ।● ��्रवण कुमार के माता पिता द्वारा दशरथ को दिया गया शाप भी उनके लिए ............... बन गया ।उत्तर - वरदान ।● सत्य बोलो मगर कटु सत्य मत बोलो । किस प्रकार का वाक्य है।उत्तर - संयुक्त्ा वाक्य ।● जब तक वह घर पहुँचा तब तक उसके पिता जा चुके थे। यह वाक्य किस प्रकार का है।उत्तर - मिश्रित वाक्य ।● यथासंभव अपना गृहकार्य शाम तक पूरा कर लो । मे वाक्य का प्रकार है।उत्तर - विधिवाचक ।● हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना मदनमोहन मालवीय ने की थी । में वाक्य का प्रकार है।उत्तर - कर्तृवाच्य ।● व्यवहार में तुम बिलकुल वैसे ही हो, जैसे तुम्हारे पिताजी । में वाक्य का प्रकार है।उत्तर - मिश्र वाक्य ।● हम अपनी संस्कृति के बारे में कितना जानते है। में वाक्य का प्रकार है।उत्तर - प्रश्नवाचक ।● क्रिया के होने का समय तथा उसकी पूर्णता और अपूर्णता का बोध किससे होता है।उत्तर - काल से ।● मैने गीता पढ़ी वाक्य में वर्तमान काल का कौन सा भेद है।उत्तर - सामान्य वर्तमान ।● वाक्य में जो शब्द काम करने के अर्थ में आता है। उसे कहते है।उत्तर - कर्त्ता ।● मै खाना खा चुका हूँ । इस वाक्य में भूतकालिक भेद इंगित कीजिए ।उत्तर - पूर्ण भूत ।● क्रिया के साधन को बताने वाला शब्द कहलाता है।उत्तर - करण कारक ।● से विभक्ति किस कारक की है।उत्तर - करण ।● अपादान कारक की विभक्त्िा है।उत्तर - से, अलग ।● वह चटाई पर बैठा है। इस वाक्य में कौन सा कारक है।उत्तर - अधिकरण कारक ।● मोहन घोड़े से गिर पड़ा । इस वाक्य में कौन सा कारक है।उत्तर - अपादन कारक ।● वृक्ष से पत्ते गिरते है। इस वाक्य में इस कारक का चिन्ह है।उत्तर - अपादान ।● के लिए किस कारक का चिन्ह है।उत्तर - सम्प्रदान ।● कारक के कितने भेद होते है।उत्तर - 8 ।● जलमग्न में कौन सा कारक है।उत्तर - अधिकरण ।● जलधारा में कारक होगा ।उत्तर - संबंध ।● देवेन्द्र में कौन सी सन्धि है।उत्तर - गुण ।● निस्सार का सही सन्धि विच्छेद होगा ।उत्तर - नि: + सार ।● गिरीश का सन्धि विच्छेद होगा ।उत्तर - गिरि + ईश ।● (अ + नि + आय) के मेल से कौन सा शब्द बनेगा ।उत्तर - अन्याय ।● परिच्छेद में कौन सी संधि है।उत्तर - व्यंजन ।● निश्चल में कौन सी संधि है।उत्तर - विसर्ग ।● जगन्नाथ में कौन सी संधि है।उत्तर - व्यंजन ।● अत्याचार का संधि विच्छेद होगा ।उत्तर - अति + आचार ।● सन्तोष का संधि विच्छेद होगा ।उत्तर - सम् + तोष ।● सप्तर्षि का सन्धि विच्छेद होगा ।उत्तर - सप्त + ऋषि ।● प्रत्येक में कौन सी समास है।उत्तर - अव्ययीभाव समास । समास:- परिभाषा - दो या दो से अधिक शब्दो के सम्बन्ध बताने वाले शब्द को लोप कर बने सार्थक यौगिक शब्द को समास कहते है ।समास के 6 भेद होते है । 1 अव्ययीभाव समास 2. तत्पुरूष समास 3. कर्मधारय समास 4. द्विगु समास 5. द्वंद्व समास 6. बहुव्रीहि समास● विशेषण और विशेष्य के योग से कौन सा समास बनता है।उत्तर - कर्मधारय समास ।● देशांतर में समास है।उत्तर - कर्मधाराय ।● रामानुज में समास है।उत्तर - बहुव्रीहि समास ।● वनवास में समास है।उत्तर - तत्पुरूष समास ।● नीलकमल में समास है।उत्तर - कर्मधारय समास ।● सदाचार का संधि विच्छेद होगा ।उत्तर - सत् + आचार ।● महेन्द्र का सन्धि विच्छेद होगा ।उत्तर - महा + इन्द्र ।● हैदराबाद में कौन सी समास है।उत्तर - तत्पुरूष समास ।● रामकहानी में कौन सी समास है।उत्तर - तत्पुरूष समास ।● चन्द्रमौलि में कौन सी समास है।उत्तर - बहुव्रीहि समास ।● मंदबुद्धि में कौन सी समास है।उत्तर - कर्मधार��य समास ।● नीलगाय में कौन सी समास है।उत्तर - कर्मधारय समास ।● प्रतिमान में कौन सी समास है।उत्तर - अव्ययीभाव समास ।● नरसिंह में कौन सी समास है।उत्तर - कर्मधारय समास ।● शाखामृग में कौन सी समास है।उत्तर - बहुव्रीहि समास ।● वीणापाणि में कौन सी समास है।उत्तर - बहुव्रीहि समास ।● नवयुवक में कौन सी समास है।उत्तर - कर्मधारय समास ।● विज्ञान शब्द में कौन सा उपसर्ग प्रयुक्त है।उत्तर - वि ।● निर्वाह शब्द में कौन सा उपसर्ग प्रयुक्त है।उत्तर - निर् ।● प्रतिकूल शब्द में कौन सा उपसर्ग प्रयुक्त है।उत्तर - प्रति ।● चिरायु शब्द में कौन सा उपसर्ग प्रयुक्त है।उत्तर - चिर् ।● संस्कार शब्द में कौन सा उपसर्ग प्रयुक्त है।उत्तर - सम् ।● बेइन्साफ शब्द में कौन सा उपसर्ग प्रयुक्त है।उत्तर - बे ।● प्रत्युत्पन्नमति शब्द में कौन सा उपसर्ग प्रयुक्त है।उत्तर - प्रति ।● प्रतिकूल शब्द में कौन सा उपसर्ग प्रयुक्त है।उत्तर - प्रति ।● सदाचार शब्द में कौन सा उपसर्ग प्रयुक्त है।उत्तर - सत् ।● आदेश शब्द में कौन सा उपसर्ग प्रयुक्त है।उत्तर - आ ।● धुंधला शब्द में प्रयुक्त प्रत्यय है।उत्तर - ला ।● दोषहर्ता शब्द में प्रयुक्त प्रत्यय है।उत्तर - हर्ता ।● अनुज शब्द को सत्रीवाचक बनाने के लिए आप किस प्रत्यय का प्रयोग करेगें।उत्तर - आ ।● घुमक्कड़ शब्द में प्रयुक्त प्रत्यय है।उत्तर - अक्कड़ ।● ऊँचाई शब्द में प्रयुक्त प्रत्यय है।उत्तर - आई ।● जेठानी शब्द में प्रयुक्त प्रत्यय है।उत्तर - आनी ।● प्राचीन शब्द में प्रयुक्त प्रत्यय है।उत्तर - ईन ।● भगोड़ा शब्द में कौन सा प्रत्यय है।उत्तर - ओड़ा ।● कब्रिस्तान शब्द में प्रयुक्त प्रत्यय है।उत्तर - इस्तान ।● यादव शब्द में प्रयुक्त प्रत्यय है।उत्तर - व ।● जो बहुत बात करता हो ।उत्तर - वाचल ।● जहॉ पहुँचा न जा सके ।उत्तर - अगम ।● हर काम को देर से करने वाला ।उत्तर - दीर्घसूत्री ।● जिसका भोजन दूध ही हो ।उत्तर - दुग्धाहारी ।● जिसके आर पार देखा जा सके ।उत्तर - पारदर्शी ।● दो पर्वतों के बीच की भूमि ।उत्तर - उपत्यका ।● बिना घर का ।उत्तर - अनिकेत ।● पुरूष एवं स्त्री का जोडा ।उत्तर - दम्पती ।● जिसने देश के साथ विश्वासघात किया हो ।उत्तर - देशद्रोही ।● जो शत्रु की हत्या करता हो ।उत्तर - शत्रुघ्न ।● जिन शब्दों के अन्त में ‘अ’ आता है, उन्हें क्या कहते है।उत्तर - अकारांत कहते है।● हिन्दी वर्ण माला में अयोगवाह वर्ण कौन से है।उत्तर - अं , अ: वर्ण अयोगवाह वर्ण है ।● हंस मे लगा ( ं ) चिन्ह कहलाता है।उत्तर - अनुस्वार● चॉद शब्द में लगा ( ँ ) चिन्ह कहलाता है।उत्तर - अनुनासिक ।● भाषा की सबसे छोटी इकाई क्या है।उत्तर - वर्ण ।● जिन शब्दों में किसी प्रकार का विकार या परिवर्तन नही होता, उसे क्या कहते है।उत्तर - तत्सम ।● कार्य के होने का बोध कराने वाले शब्द को क्या् कहते है।उत्तर - क्रिया कहते है।● भाषा के शुद्ध रूप का ज्ञान किससे होता है।उत्तर - व्याकरण से होता है।● विशेषण जिस शब्द की विशेषता बताते है, उसे क्या कहते है।उत्तर - विशेष्ये ।● हिन्दी में लिंग का निर्धारण किस से होता है।उत्तर - संज्ञा से ।● क्रिया का मूल रूप क्या् कहलाता है।उत्तर - धातु ।● सर्वनाम के साथ प्रयुक्त होने वाली विभक्तियॉं होती है।उत्तर - संश्लिष्ट ●हिन्दी में कारक चिन्ह कितने होते है।उत्तर - 8 होते है।जबकि संस्कृत भाषा में कारक चिन्ह 7 होते है।● संज्ञा कितने प्रकार की होती है।उत्तर - संज्ञा 5 प्रकार की होती है।1. व्यवक्ति वाचक संज्ञा2. जाति वाचक संज्ञा3. भाव वाचक संज्ञा4. समूह वाचक संज्ञा5. द्वव्या वाचक संज्ञा● वे शब्द जो विशेषण की भी विशेषता बतलाते है। उन्हे क्या कहते है।उत्तर - प्रविशेषण ।● सर्वनाम किसे कहते है।उत्तर - सर्वनाम वे शब्द कहलाते है। जो संज्ञा के स्थान पर प्रयोग मे लाये जाते है।जैसे – यह , वह , वे , उनका , इनका , इन्हे आदि● सर्वनाम के कितने भेद होते है।उत्तर - सर्वनाम के 6 भेद होते है।1. पुरूषवाचक सर्वनाम2. निश्चवयवाचक सर्वनाम3. अनिश्चायवाचक सर्वनाम4. प्रश्नावाचक सर्वनाम5. संबंधवाचक सर्वनाम6. निजवाचक सर्वनाम● क्रिया किसे कहते है।उत्तर - जिस शब्द – से किसी काम के करने या होने का बोध हो उसे क्रिया कहते है।जैसे – खाना , हँसना , रोना , बैठना आदि● क्रिया मुख्य रूप से कितने प्रकार की होती है।उत्तर - मुख्य रूप से क्रिया 2 प्रकार की होती है।1. अकर्मक क्रिया2. सकर्मक क्रिया● काल कितने प्रकार के होते है।उत्तर - काल 3 प्रकार के होते है।1. वर्तमान काल2. भूतकाल3. भविष्य काल● 'श' व्यंजन का उच्चारण स्थान कौन सा है।उत्तर - तालु ।● 'व' वर्ण का उच्चारण स्थान कौन सा है ।उत्तर - दन्त + ओष्ठ ।● 'ड.' का उच्चारण स्थान क्या है।उत्तर - कण्ठ ।● 'क' वर्ण उच्चारण की दृष्टि से क्या है।उत्तर - कंठ्य ।● वर्ग के द्वितीय व चतुर्थ व्यंजन क्या कहलाते है।उत्तर - महाप्राण ।● 'ए' और 'ऐ' का उच्चारण स्थान है।उत्तर - कंठतालु ।● 'घ' का उच्चारण स्थान क्या है।उत्तर - कंठ ।● वर्ण के प्रथम, तृतीय व पंचम वर्ण क्या कहलाते है।उत्तर - अल्पप्राण ।● मात्रा के आधार पर हिन्दी स्वरों के दो भेद कौन से है।उत्तर - हस्व और दीर्घ ।● सर्वनाम के साथ प्रयुक्त्ा होने वाली विभक्तियॉ होती है ।उत्तर - संश्लिष्ट ।● 'शिक्षक विद्यार्थी को हिन्दी पढ़ाते है। वाक्य में क्रिया के किस रूप का प्रयोग हुआ है।उत्तर - द्विकर्मक क्रिया ।● 'मुझे' किस प्रकार का सर्वनाम है।उत्तर - उत्तम पुरूष ।● मानव शब्द का विशेषण बनेगा ।उत्तर - मानवीय ।● चिडि़या आकाश में उड़ रही है। उस वाक्य में उड़ रही क्रिया किस प्रकार की है।उत्तर - अकर्मक ।● पशु शब्द का विशेषण है।उत्तर - पाशविक ।● नेत्री शब्द का पुल्लिंग रूप है।उत्तर - नेता ।● अनायस में समास है।उत्तर - तत्पुरूष समास ।● लोकप्रिय शब्द में समास है।उत्तर - कर्मधारय समास ।● कन्यादान में समास है।उत्तर - तत्पुरूष समास ।● चौराहा में समास है।उत्तर - द्विगु समास ।● महीश का सन्धि विच्छेद होगा ।उत्तर - मही + ईश ।● शुभेच्छा का सन्धि विच्छेद होगा ।उत्तर - शुभ + इच्छा ।● भानूदय का सन्धि विच्छेद होगा ।उत्तर - भानु + उदय ।● नवोढ़ा का सन्धि विच्छेद होगा ।उत्तर - नव + ऊढ़ा ।● पावक का सन्धि विच्छेद होगा ।उत्तर - पौ + अक ।● दुश्चरित्र का सन्धि विच्छेद होगा ।उत्तर - दु: + चरित्र ।● मृगेन्द्र का सन्धि विच्छेद होगा ।उत्तर - मृग + इन्द्र ।● सुरेन्द्र का सन्धि विच्छेद होगा ।उत्तर - सुर + इन्द्र ।● उत्कर्ष का विशेषण क्या होगा ।उत्तर - उत्कृष्ट ।● काम का तत्सम रूप है।उत्तर - कर्म ।● दूध का तत्सम रूप क्या है।उत्तर - दुग्ध ।● प वर्ग का उच्चारण मुँह के किस भाग से होता है।उत्तर - ओष्ठ ।● च, छ, ज, झ व्यंजन के उच्चारण को मुखांगो के व्यवहार के आधार पर क्या नाम दिया जाता है।उत्तर - तालव्य ।● मुझे किस प्रकार का सर्वनाम है।उत्तर - उत्तम पुरूष सर्वनाम ।● वह धीरे धीरे आ रहा है। वाक्य अव्यय के किस भेद के अन्तर्गत आता है।उत्तर - क्रिया विशेषण ।● मानव शब्द से विशेषण बनेगा ।उत्तर - मानवीय ।● चिडि़या आकाश में उड़ रही है। इस वाक्य में उड़ रही क्रिया किस प्रकार की है।उत्तर - अकर्मक ।● बुढ़ापा भी एक प्रकार का अभिशाप है। इस वाक्य में बुढापा शब्द की संज्ञा का भेद बताइए ।उत्तर - भाववाचक संज्ञा ।● आलस्य शब्द का विशेषण क्या है।उत्तर - आलसी ।● प्रवृत्ति का विलोम शब्द है।उत्तर - निवृत्ति ।● अंतरंग का विलोम शब्द है।उत्तर - बहिरंग ।● गुप्त का विलोम शब्द है।उत्तर - प्रकट ।● सूरदास का काव्य किस भाषा में है।उत्तर - ब्रजभाषा में ।● हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग की स्थापना कब हुई ।उत्तर - 1910 में ।● संविधान की आठवीं अनुसूची में उल्लेखित भारतीय भाषाओं की संख्या है।उत्तर - 22 ।● हिन्दी की विशिष्ट बोली ब्रज भाषा किस रूप में सबसे अधिक प्रसिद्ध है।उत्तर - काव्य भाषा ।● देवनागरी लिपि किस लिपि का विकसित रूप है।उत्तर - ब्राम्ही लिपि ।● रामायण महाभारत आदि ग्रन्थ कौन सी भाषा में लिखे गये है।उत्तर - आर्यभाषा में ।● विद्यापति की प्रसिद्ध रचना पदावली किस भाषा में लिखी गई है।उत्तर - मैथिली में ।● भारत में हिन्दी का संवैधानिक स्वरूप है।उत्तर - राजभाषा । ।● जाटू किस बोली का उपनाम है।उत्तर - बॉगरू ।● ''एक मनई के दुई बेटवे रहिन'' यह अवतरण हिन्दी की किस बोली में है।उत्तर - भोजपुरी से ।● क्रिया विशेषण किसे कहते है।उत्तर - जिन शब्दों से क्रिया की विशेषता का ज्ञान होता है, उसे क्रिया विशेषण कहते है।जैसे – यहॉ , वहॉ , अब , तक आदि● अव्यय किसे कहते है।उत्तर - जिन शब्दों में लिंग , वचन , पुरूष , कारक आदि के कारण कोई परिवर्तन नहीं होता, उन्हें अव्यय कहते है।● अव्यय के सामान्यत: कितने भेद है।उत्तर - अव्यय के सामान्यत: 4 भेद है।1.क्रिया विशेषण2.संबंधबोधक3.समुच्चोय बोधक4.विस्मचयादि बोधक● हिन्दी् में वचन कितने प्रकार के होते है।उत्तर - हिन्दी् में वचन 2 प्रकार के होते है।1.एक वचन2.बहुवचन● वर्ण किसे कहते है।उत्तर - वह मूल ध्वनि जिसका और विभाजन नही हो सकता हो उसे वर्ण कहते है।जैसे - म , प , र , य , क आदि● वर्णमाला किसे कहते है।उत्तर - वर्णों का क्रमबद्ध समूह ही वर्णमाला कहलाता है।● शब्द किसे कहते है।उत्तर - दो या दो से अधिक वर्णों का मेल जिनका कोई निश्चित अर्थ निकलता हो उन्हे शब्द कहते है।● वाक्य किसे कहते है।उत्तर - दो या दो से अधिक शब्दों का सार्थक समूह वाक्य कहलाता है।● मूल स्वरों की संख्यां कितनी है।उत्तर - मूल स्वरों की संख्यां 11 होती है।● मूल व्यंजन की संख्यां कितनी होती है।उत्तर - मूल व्यंजन की संख्यां 33 होती है।● 'क्ष' ध्वनि किसके अर्न्तगत आती है।उत्तर - संयुक्त्ा वर्ण ।● 'त्र' किन वर्णों के मेल से बना है।उत्तर - त् + र ।● 'ट' वर्ण का उच्चारण स्थान क्या है।उत्तर - मूर्धा ।● 'फ' का उच्चारण स्थान है।उत्तर - दन्तोष्ठय ।● स्थूल का विलोम शब्द होगा ।उत्तर - सूक्ष्म ।● शीर्ष का विलोम शब्द होगा ।उत्तर - तल ।● शोषक का विलोम शब्द होगा ।उत्तर - शोषित ।● मृदु का विलोम शब्द होगा ।उत्तर - कटु ।● कलुष का विलोम शब्द होगा ।उत्तर - निष्कलुष ।● निर्दय का विलोम शब्द होगा ।उत्तर - सदय ।● नीरोग में संधि है।उत्तर - विसर्ग सन्धि ।● निस्तेज में कौन सी संधि है।उत्तर - विसर्ग संधि ।● उज्जवल का संधि विच्छेद होगा ।उत्तर - उत् + ज्वल ।● बहिष्कार का सन्धि विच्छेद होगा ।उत्तर - बहि: + कार ।● चयन में कौन सी सन्धि है।उत्तर - अयादि संधि ।● अन्वय में कौन सी संधि है।उत्तर - गुण संधि ।● सच्चिदानंद का संधि विच्छेद होगा ।उत्तर - सत् + चित् + आनंद ।● उन्नति का संधि विच्छेद है।उत्तर - उत् + नति ।● निर्धन में कौन सी सन्धि है।उत्तर - विसर्ग सन्धि ।● सूर्य + उदय का संधयुक्त शब्द है।उत्तर - सूर्योदय ।● किस युग को आधुनिक हिन्दी कविता का सिंहद्वार कहा जाता है।● भारतेन्दु युग को ।● द्विवेदी युग के प्रवर्तक कौन थे।उत्तर - महावीर प्रसाद द्विवेदी ।● हिन्दी का पहला सामाजिक उपन्यास कौन सा माना जाता है।उत्तर - भाग्यवती ।● सन् 1950 से पहले हिन्दी् कविता किस कविता के रूप में जानी जाती थी।उत्तर - प्रयोगवादी ।● ब्रज भाषा का सर्वोत्तम कवि है।उत्तर - सूरदास ।● आदिकाल के बाद हिन्दी में किस साहित्य का उदय हुआ ।उत्तर - भक्ति साहित्य का ।● निर्गुण भक्ति काव्य के प्रमुख क���ि है।उत्तर - कबीरदास ।● किस काल को स्वर्णकाल कहा जाता है।उत्तर - भक्ति काल को ।● हिन्दी का आदि कवि किसे माना जाता है।उत्तर - स्व्यंभू ।● आधुनिक काल का समय कब से माना जाता है।उत्तर - 1900 से अब तक ।● जयशंकर प्रसाद की सर्वश्रेष्ठ रचना कौन सी है।उत्तर - कामायनी ।● बिहारी ने क्या लिखे है।उत्तर - दोहे ।● कबीर किसके शिष्य थे।उत्तर - रामानन्द ।● पद्यावत महाकाव्य कौन सी भाषा में लिखा है।उत्तर - अवधी ।● चप्पू किसे कहा जाता है।उत्तर - गद्य और पद्य मिश्रित रचनाओं को ।● कलाधर उपनाम से कविता कौन से कवि लिखते थे।उत्तर - जयशंकर प्रसाद ।● रस निधि किस कवि का उपनाम है।उत्तर - पृथ्वी सिंह ।● प्रेमचन्द्र के अधुरे उपन्यांस का नाम है।उत्तर - मंगलसूत्र ।● हिन्दी का सर्वाधिक नाटककार कौन है।उत्तर - जयशंकर प्रसाद ।● तुलसीकृत रामचरित मानस में कौन सी भाषा का प्रयोग किया गया है।उत्तर - अवधी भाषा का प्रयोग किया गया है।● एकांकी के जन्मदाता कौन है।उत्तर - धर्मवीर भारती ।● मीराबाई ने किस भाव से कृष्ण की उपासना की ।उत्तर - माधुर्य भाव से ।● रामचरित मानस का प्रधान रस है।उत्तर - शान्त रस ।● सबसे पहले अपनी आत्मकथा हिन्दी में किसने लिखी ।उत्तर - डॉं. राजेन्द्र प्रसाद ने ।● हिन्दी कविता का पहला महाकाव्य् कौन सा है।उत्तर - पृथ्वीराज रासो ।● हिन्दी के सर्वप्रथम प्रकाशित पत्र का नाम क्या है।उत्तर - उदन्ड मार्तण्ड ।● हिन्दी साहित्य की प्रथम कहानी है।उत्तर - इन्दुमती ।● आंचलिक रचनाऍं किससे सम्बन्धित होती है।उत्तर - क्षेत्र विषेश से ।● श् , ष् , स् , ह् व्यंजन कहलाते है।उत्तर - ऊष्म व्यंजन ।● य् , र् , ल् , व् व्यंजन को कहते है।उत्तर - अन्तस्थ व्यंजन ।● क् से म् तक के व्यंजनों को कहा जाता है।उत्तर - स्पर्श व्यंजन ।● घोष का अर्थ है।उत्तर - नाद ।● जिन ध्वनियों के उच्चारण में श्वास जिह्वा के दोनों ओर से निकल जाती है कहलाती है।उत्तर - पार्श्विक ।● 'आ' स्वर कहलाता है।उत्तर - वहिंदी का गोल्ड स्मिथ किसे कहा जाता है ।उतर:----श्री सियारामशरण गुप्त2 ���हिन्दी का टेनिसन किसे कहा जाता हैउत्तर:----बाबू जगन्नाथ दास3💐बिहार का महावीर प्रसाद द्विवेदी किसे कहा जाता हैउतर:----आचार्य शिवपूजन सहाय4 💐हिन्दी का लघु प्रसाद किसे कहा जाता हैउतर:----जगदीश चन्द्र माथुर5💐आधुनिक रसखान किसे कहा जाता हैउतर:---श्री अब्दुल रसीद6💐आधुनिक रहीम किसे कहा जाता हैउतर:----मिर्जा नासिर हसन7💐शब्द सम्राट कोश किसे कहा जाता हैउतर:----बाबू श्याम सुंदर दास8💐साहित्य का महारथी किसे कहा जाता हैउतर:----आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी9💐हिन्दी का गालिब किसे कहा जाता हैउतर:-----बिहारी10💐हिन्दी का मिल्टन किसे कहा जाता हैउतर:---केशवदास11💐युग का वैतालिक किसे कहा जाता हैउतर:-----भारतेंदु जी12 💐पूरे ऋषि किस अष्टछापी कवि को कहा जाता हैउतर:----कुम्भनदास13 💐ऊंची योग्यता का कवि किसे कहा जाता हैउतर:----गद्दाधर भट्ट14💐हिन्दी का लैम्ब किसे कहा जाता हैउतर:----प्रताप नारायण मिश्र15💐हिन्दी का मम्मट किसे कहा जाता हैउतर:----पण्डित रामदिन मिस्र16💐अवतारी पुरुष किस कवि को कहा जाता हैउतर:----महावीर प्रसाद द्विवेदी17💐हिन्दी का इलिएट किसे कहा जाता हैउतर:-----अज्ञेय जी18💐छोटे निराला किस कवि को कहा जाता हैउतर:---- जानकी बल्लभ शास्त्री19💐हिन्दी का मल्लिनाथ किसे कहा जाता हैउतर:----राजा लक्ष्मण सिंह20💐आधुनिक काल का पद्माकर किसे कहा जाता हैउतर:----बाबू जगन्नाथ दास ।
Read full post at: http://www.cnnworldnews.info/2018/03/68500-shikshk-bharti_31.html
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अपनो से अपनी बात l सनातन धर्म के सिद्धान्त l
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जिस छुआछूत को बदनाम कर करके उपन्यासो में फिल्मों में ब्राह्मणो को झूठा और फर्जी बदनाम किया गया वहीं छुआछूत आज ब्रह्मांड की ब्रह्मास्त्र बनकर रक्षा किया*
*(एक बार जरुर पढ़ें थोड़ा बढा है लेकिन अच्छा सन्देश)*
आपने अपने शास्त्रों का एवं ब्राह्मणों का खूब मज़ाक उड़ाया था जब वह यह कहते थे कि जिस व्यक्ति का आप चरित्र न जानते हों, उससे जल या भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए ।
क्योंकि आप नहीं जानते कि अमुक व्यक्ति किस विचार का है , क्या शुद्धता रखता है ,कौन से गुण प्रधान का है , कौन सा कर्म करके वह धन ला रहा है , शौच या शुचिता का कितना ज्ञान है , किस विधा से भोजन बना रहा है , उसके लिए शुचिता या शुद्धता के क्या मापदंड हैं इत्यादि !!!
किन्तु वर्तमान समय में एक करोना वायरस की वजह से सभी को एक मीटर तक की दूरी बनाए रखने की हिदायत पूरा विश्व दे रहा है और जो व्यक्ति दूरी नहीं बनाता है उसे सजा देने का काम कर रहे हैं पूरा विश्व लॉक डॉउन का पालन करने को मजबूर है
जिसका चरित्र नहीं पता हो , उसका स्पर्श करने को भी मना किया गया है
यह बताया जाता था कि हर जगह पानी और भोजन नहीं करना चाहिए , तब English में american और british accent में आपने इसको मूर्खता और discrimination बोला था !!
बड़ी हँसी आती थी तब !!!! बकवास कहकर आपने अपने ही शास्त्र और ब्राह्मणों को दुत्कारा था ।
और आज ??????
यही जब लोग विवाह के समय वर वधु की 3 से 4 पीढ़ियों का अवलोकन करते थे कि वह किस विचारधारा के थे ,कोई जेनेटिक बीमारी तो नहीं , किस height के थे , कितनी उम्र तक जीवित रहे , खानदान में कोई वर्ण संकर का इतिहास तो नहीं रहा इत्यादि ताकि यह सुनिश्चित कर सकें कि आने वाली सन्तति विचारों और शरीर से स्वस्थ्य बनी रहे और बीमारियों से बची रहे , जिसे आज के शब्दों में GENETIC SELECTION बोला जाता है ।
जैसे आप अपने पशु चाहे वह कुत्ता हो या गाय हो का गर्भाधान कराते हैं तो यह ध्यान रखते हैं कि अमुक कुत्ता या बैल हृष्ट पुष्ट हो , बीमारी विहीन हो , अच्छे "नस्ल" का हो । इसीलिए वीर्य bank बना जहाँ अच्छे sperms की उपलब्धता होती है ।
ऐसा तो नहीं कहते न कि इसको जिससे प्रेम हो उससे गर्भाधान करा लें । तब तो समझ रहे हैं न कि आपकी कुतिया या गाय का क्या हश्र होगा और आने वाली generation क्या होगी !!!!!
पर आप इन सब बातों पर हं��ते थे ।।।
यही शास्त्र जब बोलते थे कि जल ही शरीर को शुद्ध करता है और कोई तत्व नहीं ,बड़ी हँसी आयी थी आपको !!
तब आपने बकवास बोलकर अपना पिछवाड़ा tissue paper से साफ करने लगे ,खाना खाने के बाद जल से हाथ धोने की बजाय tissue पेपर से पोंछ कर इतिश्री कर लेते थे ।
और अब ????
जब यही ब्राह्मण और शास्त्र बोलते थे कि भोजन ब्रह्म के समान है और यही आपके शरीर के समस्त अवयव बनाएंगे और विचारों की शुद्धता और परिमार्ज़िता इसी से संभव है इसलिए भोजन को चप्पल या जूते पहनकर न छुवें ।
बड़ी हँसी आयी थी आपको !! Obsolete कहकर आपने खूब मज़ाक उड़ाया !!!
जूते पहनकर खाने का प्रचलन आपने दूसरे देशों के आसुरी समाज से ग्रहण कर लिया । Buffet system बना दिया ।
उन लोगों का मजाक बनाया जो जूते चप्पल निकालकर भोजन करते थे ।
अरे हमारी कोई भी पूजा , यज्ञ, हवन सब पूरी तरह स्वच्छ होकर , हाथ धोकर करने का प्रावधान है ।
पंडित जी आपको हाथ में जल देकर हस्त प्रक्षालन के लिए बोलते हैं ।आपके ऊपर जल छिड़ककर मंत्र बोलते हैं :-
*ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपिवा ।।*
*यः स्मरेत्पुण्डरीकाक्षं स बाह्यभ्यन्तरः शुचिः ॥*
*ॐ पुनातु पुण्डरीकाक्षः पुनातु पुण्डरीकाक्षः पुनातु ।।*
तब भी आपने मजाक उड़ाया ।
जब सनातन धर्मी के यहाँ किसी के घर शिशु का जन्म होता था तो सूतक लगता था । इस अवस्था में ब्राह्मण 10 दिन , क्षत्रिय 15 दिन , वैश्य 20 दिन और शूद्र 30 दिन तक सबसे अ��ग रहता है । उसके घर लोग नहीं आते थे , जल तक का सेवन नहीं किया जाता था जब तक उसके घर हवन या यज्ञ से शुद्धिकरण न हो जाये । प्रसूति गृह से माँ और बच्चे को निकलने की मनाही होती थी । माँ कोई भी कार्य नहीं कर सकती थी और न ही भोजनालय में प्रवेश करती थी ।
इसका भी आपने बड़ा मजाक उड़ाया ।।
ये नहीं समझा कि यह बीमारियों से बचने या संक्रमण से बचाव के लिए Quarantine किया जाता था या isolate किया जाता था ।
प्रसूति गृह में माँ और बच्चे के पास निरंतर बोरसी सुलगाई रहती थी जिसमें नीम की पत्ती, कपूर, गुग्गल इत्यादि निरंतर धुँवा दिया जाता था ।
उनको इसलिए नहीं निकलने दिया जाता था क्योंकि उनकी immunity इस दौरान कमज़ोर रहती थी और बाहरी वातावरण से संक्रमण का खतरा रहता था ।
लेकिन आपने फिर पुरानी चीज़ें कहकर इसका मज़ाक उड़ाया और आज देखिये 80% महिलाएँ एक delivery के बाद रोगों का भंडार बन जाती हैं कमर दर्द से लेकर , खून की कमी से लेकर अनगिनत समस्याएं ।
ब्राह्मण , क्षत्रिय , वैश्य , शुद्र के लिए अलग Quarantine या isolation की अवधी इसलिए क्योंकि हर वर्ण का खान पान अलग रहता था , कर्म अलग रहते थे जिससे सभी वर्णों के शरीर की immunity system अलग होता था जो उपरोक्त अवधि में balanced होता था ।
ऐसे ही जब कोई मर जाता था तब भी 13 दिन तक उस घर में कोई प्रवेश नहीं करता था । यही Isolation period था । क्योंकि मृत्यु या तो किसी बीमारी से होती है या वृद्धावस्था के कारण जिसमें शरीर तमाम रोगों का घर होता है । यह रोग हर जगह न फैले इसलिए 14 दिन का quarantine period बनाया गया ।
अरे जो शव को अग्नि देता था या दाग देता था । उसको घर वाले तक नहीं छू सकते थे 13 दिन तक । उसका खाना पीना , भोजन , बिस्तर , कपड़े सब अलग कर दिए जाते थे । तेरहवें दिन शुद्धिकरण के पश्चात , सिर के बाल हटवाकर ही पूरा परिवार शुद्ध होता था ।
तब भी आप बहुत हँसे थे । bloody indians कहकर मजाक बनाया था !!!
जब किसी रजस्वला स्त्री को 4 दिन isolation में रखा जाता है ताकि वह भी बीमारियों से बची रहें और आप भी बचे रहें तब भी आपने पानी पी पी कर गालियाँ दी । और नारीवादियों को कौन कहे , वो तो दिमागी तौर से अलग होती हैं , उन्होंने जो ज़हर बोया कि उसकी कीमत आज सभी स्त्रियाँ तमाम तरह की बीमारियों से ग्रसित होकर चुका रही हैं ।
जब किसी के शव यात्रा से लोग आते हैं घर में प्रवेश नहीं मिलता है और बाहर ही हाथ पैर धोकर स्नान करके , कपड़े वहीं निकालकर घर में आया जाता है , इसका भी खूब मजाक उड़ाया आपने ।
आज भी गांवों में एक परंपरा है कि बाहर से कोई भी आता है तो उसके पैर धुलवायें जात��� हैं । जब कोई भी बहूं , लड़की या कोई भी दूर से आता है तो वह तब तक प्रवेश नहीं पाता जब तक घर की बड़ी बूढ़ी लोटे में जल लेकर , हल्दी डालकर उस पर छिड़काव करके वही जल बहाती नहीं हों , तब तक । खूब मजाक बनाया था न ?
इन्हीं सवर्णों को और ब्राह्मणों को अपमानित किया था जब ये गलत और गंदे कार्य करने वाले , माँस और चमड़ों का कार्य करने वाले लोगों को तब तक नहीं छूते थे जब तक वह स्नान से शुद्ध न हो जाये । ये वही लोग थे जो जानवर पालते थे जैसे सुअर, भेड़ , बकरी , मुर्गा , कुत्ता इत्यादि जो अनगिनत बीमारियाँ अपने साथ लाते थे ।
ये लोग जल्दी उनके हाथ का छुआ जल या भोजन नहीं ग्रहण करते थे तब बड़ा हो हल्ला आपने मचाया और इन लोगों को इतनी गालियाँ दी कि इन्हें अपने आप से घृणा होने लगी ।
यही वह गंदे कार्य करने वाले लोग थे जो प्लेग , TB , चिकन पॉक्स , छोटी माता , बड़ी माता , जैसी जानलेवा बीमारियों के संवाहक थे ,और जब आपको बोला गया कि बीमारियों से बचने के लिए आप इनसे दूर रहें तो आपने गालियों का मटका इनके सिर पर फोड़ दिया और इनको इतना अपमानित किया कि इन्होंने बोलना छोड़ दिया और समझाना छोड़ दिया ।
आज जब आपको किसी को छूने से मना किया जा रहा है तो आप इसे ही विज्ञान बोलकर अपना रहे हैं । Quarantine किया जा रहा है तो आप खुश होकर इसको अपना रहे हैं ।
जब शास्त्रों ने बोला था तो ब्राह्मणवाद बोलकर आपने गरियाया था और अपमानित किया था ।
आज यह उसी का परिणति है कि आज पूरा विश्व इससे जूझ रहा है ।
याद करिये पहले जब आप बाहर निकलते थे तो आप की माँ आपको जेब में कपूर या हल्दी की गाँठ इत्यादि देती थी रखने को ।
यह सब कीटाणु रोधी होते हैं।
शरीर पर कपूर पानी का लेप करते थे ताकि सुगन्धित भी रहें और रोगाणुओं से भी बचे रहें ।
लेकिन सब आपने भुला दिया ।।
आपको तो अपने शास्त्रों को गाली देने में और ब्राह्मणों को अपमानित करने में , उनको भगाने में जो आनंद आता है शायद वह परमानंद आपको कहीं नहीं मिलता ।
अरे गधों !! अपने शास्त्रों के level के जिस दिन तुम हो जाओगे न तो यह देश विश्व गुरु कहलायेगा ।।
तुम ऐसे अपने शास्त्रों पर ऊँगली उठाते हो जैसे कोई मूर्ख व्यक्ति के मूर्ख 7 वर्ष का बेटा ISRO के कार्यों पर प्रश्नचिन्ह लगाए ।
अब भी कहता हूँ अपने शास्त्रों का सम्मान करना सीखो । उनको मानो । बुद्धि में शास्त्रों की अगर कोई बात नहीं घुस रही है तो समझ जाओ आपकी बुद्धि का स्तर उतना नहीं हुआ है । उस व्यक्ति के पास जाओ जो तुम्हे शास्त्रों की बातों को सही ढंग से समझा सके ।
अरे कुछ भी हो मुझसे ही पूछ लिया करो शायद मैं ही कुछ मदद कर दूँ । लेकिन गाली मत दो , उसको जलाने का दुष्कृत्य मत करो ।
आपको बता दूँ कि आज जो जो Precautions बरते जा रहे हैं , मनुस्मृति उठाइये , उसमें सभी कुछ एक एक करके वर्णित है ।
लेकिन आप पढ़ते कहाँ हैं , दूसरे गधों की बातों में आकर प्रश्नचिन्ह उठायेंगे और उन्हें जलाएंगे
यह पोस्ट वैसे ही लम्बी हो गयी है अन्यथा वह सारी बातें यहाँ श्लोक सहित डालता ।
काश एक platform मिलता और mic मिल जाता तो घण्टों घण्टों बोलता और आपको एक एक अवयव से रूबरू करवाता और पूरी तरह वैज्ञानिक दृष्टिकोण लेकर
क्योंकि जिसने विज्ञान का गहन अध्ययन किया होगा , वह शास्त्र वेद पुराण इत्यादि की बातों को बड़े ही आराम से समझ सकता है , corelate कर सकता है और समझा भी सकता है ।
भले अभी इस निकृष्ट / वैश्विक संविधान की आप लोग दुहाई दे रहे हों ।
लेकिन मेरी यह बात स्वर्ण अक्षरों में लिख लीजिये कि मनुस्मृति से सर्वश्रेष्ठ विश्व में कोई संविधान नहीं बना है और एक दिन पूरा विश्व इसी मनुस्मृति संविधान को लागू कर इसका पालन करेगा।
सनातन हिन्दू धर्म की जय
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कला संगरोध में | लाइफस्टाइल न्यूज़, द इंडियन एक्सप्रेस
द्वारा लिखित वंदना कालरा , बनिता फर्नांडो | प्रकाशित: 17 मार्च, 2020 12:45:07 बजे
कई राज्य सरकारों द्वारा सामाजिक समारोहों पर प्रतिबंध लगाने और स्कूलों, सिनेमाघरों, मॉल और कॉलेजों, संग्रहालयों और कला संस्थानों को बंद करने के लिए उपयुक्त हैं।
हाल ही में, दिल्ली में नेशनल गैलरी ऑफ़ मॉडर्न आर्ट (NGMA) ने भारत के संविधान की एक दु��्लभ प्रति देखने के लिए अपनी स्थायी दीर्घाओं का दौरा करने के लिए कला aficionados को आमंत्रित किया। लेकिन भारत में सीओवीआईडी -19 सकारात्मक मामलों की संख्या बढ़ने के साथ, एनजीएमए के महानिदेशक अद्वैत गडनायक ने आज से शुरू होने वाले संस्थान के दरवाजे अस्थायी रूप से बंद करने का फैसला किया है। गडनायक ने कहा, “पूरे भारत में NGMA की सभी शाखाएँ बंद हो जाएंगी। दीर्घाओं को कई पर्यटकों द्वारा देखा जाता है और इस तरह एक बार में सभा नहीं करना बुद्धिमानी है। ”
कई राज्य सरकारों द्वारा सामाजिक समारोहों पर प्रतिबंध लगाने और स्कूलों, सिनेमाघरों, मॉल और कॉलेजों, संग्रहालयों और कला संस्थानों को बंद करने के लिए उपयुक्त हैं। मुंबई में, डॉ। भाऊ दाजी लाड संग्रहालय ने नगर निगम ग्रेटर मुंबई के आदेशों को बंद कर दिया है। संग्रहालय में पहले ही आगंतुक संख्या में गिरावट दर्ज की गई थी। मध्य मार्च 2019 और मध्य मार्च 2020 की तुलना ने 696 चरणों में गिरावट दिखाई।
दिल्ली में, किरण नादर म्यूज़ियम ऑफ़ आर्ट (KNMA) ने भी सप्ताहांत में इसके बंद होने की घोषणा की। केएनएमए की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है, “बड़े समारोहों को कम करके, हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि संग्रहालय के आगंतुक और समुदाय सामान्य रूप से सुरक्षित रहें और स्वास्थ्य के सर्वश्रेष्ठ बने रहें।” राष्ट्रपति भवन संग्रहालय परिसर, राष्ट्रीय संग्रहालय, छत्रपति शिवाजी महाराज वास्तु संघराय, शांतिनिकेतन में विश्व भारती विश्वविद्यालय में रवीन्द्र भवन संग्रहालय, और कोलकाता का विक्टोरिया मेमोरियल हॉल और भारतीय संग्रहालय भी बंद हो गया है।
जबकि दुनिया भर में कई कला कार्यक्रमों को या तो स्थगित कर दिया गया है या रद्द कर दिया गया है – जिसमें पेरिस फोटो न्यूयॉर्क और आर्किटेक्चर की वेनिस बिएनले भी शामिल हैं – भारत में कला समारोहों को भी धीरे-धीरे बंद किया जा रहा है। दिल्ली के इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर द आर्ट्स (IGNCA) ने “सभी आंतरिक घटनाओं” को रद्द कर दिया है। ललित कला अकादमी ने प्रिंट बिएनले के दूसरे संस्करण को स्थगित कर दिया है। बिहार म्यूजियम बायनेले के पहले संस्करण को 25 मार्च से 29 जून तक के लिए स्थगित कर दिया गया है। बिहार सं���्रहालय की सलाहकार समिति के अध्यक्ष अंजनी कुमार सिंह ने कहा कि यह निर्णय एक सुरक्षा उपाय के रूप में लिया गया था और भारत आने वाले कई अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय के लेखकों में कठिनाई का सामना करना पड़ा।
दूसरी ओर, निजी दीर्घाओं ने प्रतीक्षा और देखने की नीति अपनाई है। चटर्जी और लाल के मोर्टिमर चटर्जी, जिसने मार्क प्राइम का एकल Light हैवी टू लाइट | लाइट टू हैवी, ने कहा कि मानक पूर्वावलोकन शाम के बजाय, उन्हें 12 मार्च को एक दिन का पूर्वावलोकन था, जिसमें बहुत सारे लोगों को एकत्र हुए बिना एक अच्छा मतदान हुआ। हालांकि, सभी कलाकार आने वाले दिनों में एक उद्घाटन का जोखिम नहीं उठाना चाहते हैं। दिल्ली के कलाकार धनुर गोयल की प्रदर्शनी Volume मापने की मात्रा का परिप्रेक्ष्य ’जो विजुअल आर्ट्स गैलरी, दिल्ली में 7 अप्रैल को खुलने वाली थी, को स्थगित कर दिया गया है, जैसा कि बीकानेर हाउस में ऑक्टोजेरियन लालू प्रसाद शॉ की प्रदर्शनी है।
जबकि अधिकांश दीर्घाओं को कम आगंतुकों की उम्मीद है, यह संभावना है कि वे अपनी बिक्री के साथ समस्या का सामना न करें। अधिकांश प्रतिष्ठानों में एक अच्छी तरह से स्थापित कलेक्टर आधार होता है, आमतौर पर पूर्वावलोकन रात से पहले बेचे जाने वाले कुछ बेहतरीन कार्यों के साथ। मुंबई स्थित कला सलाहकार और क्यूरेटर फराह सिद्दीकी कहती हैं, “इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया उपकरण वर्तमान और आगामी प्रदर्शनियों की ऑनलाइन खोज करके कलाकारों और संग्राहकों को जोड़ रहे हैं। यह दुनिया भर में स्वास्थ्य संकट निश्चित रूप से बिक्री को प्रभावित करने वाला है, लेकिन कलेक्टर अभी भी उत्कृष्ट गुणवत्ता के कामों और महान साबित होने के लिए बाजार में हैं। ”
ऑनलाइन बिक्री दीर्घाओं और कला मेलों के लिए जाने का रास्ता हो सकती है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि कब तक महामारी तक रहता है। यह घोषणा कि कला बेसल को ऑनलाइन व्यूइंग रूम लॉन्च किया जाएगा, आशावाद के साथ प्राप्त किया गया है, विशेष रूप से दीर्घाओं द्वारा जिन्होंने हांगकांग में प्रतिष्ठित मेले के आठवें संस्करण में भाग लेने के लिए हस्ताक्षर किए थे, जो 25 से 27 मार्च तक आयोजित किया जाना था। “जबकि कुछ भी नहीं व्यक्ति में कला देखने के अनुभव को बदलें, हमें उम्मीद है कि यह पहल हमारे मार्च शो को रद्द करने से प्रभावित सभी दीर्घाओं और उनके कलाकारों के लिए कुछ समर्थन और दृश्यता ला सकती है, “एडलिन ओय, निदेशक आर्ट बेसल एशिया ने एक बयान में कहा।
मेले की वेबसाइट और ऐप पर वर्चुअल व्यूइंग प्लेटफॉर्�� 18 मार्च को एक पूर्वावलोकन के साथ शुरू होगा और 20 मार्च को एक बड़े दर्शक वर्ग के लिए खुलेगा। इसमें 200 से अधिक दीर्घाओं की भागीदारी देखी जाएगी, जिसमें भारत के पांच शामिल हैं – झावेरी समकालीन, गैलरी एस्पास, वाडेहरा आर्ट गैलरी, केमॉल्ड प्रेस्कॉट रोड और एक्सपेरिमेंट। झावेरी कंटेम्पररी चलाने वाली गैलरिस्ट प्रिया झावेरी ने कहा, ऑनलाइन व्यूइंग रूम मुफ्त है, कम से कम मेले के प्रतिभागियों के लिए।
मुंबई के केमॉल्ड प्रेस्कॉट रोड के गैलरिस्ट शिरीन गान्धी ने कहा कि यदि मॉडल सफल होता है, तो इसे आने वाले वर्षों में दोहराया जा सकता है। गांधी ने कहा, “हम अपने कार्बन फुटप्रिंट और शिपिंग के खर्च को कम कर सकते हैं और इस तरह से कर सकते हैं।” उन्होंने कहा कि आर्ट बेसल ने ऑन-ग्राउंड इवेंट को रद्द करने के बाद बूथ शुल्क का 75 प्रतिशत वापस कर दिया है। बूथ की लागत लगभग 40 लाख रुपये हो सकती है, जो कि कालीन क्षेत्र और प्रदर्शन के लिए आवश्यक दीवारों पर निर्भर करती है, जिसका मतलब है कि शेष अभी भी दीर्घाओं के लिए एक बड़ा नुकसान है। हालांकि, इस नुकसान की भरपाई के लिए मुफ्त ऑनलाइन व्यूइंग रूम के माध्यम से बिक्री की उम्मीद की जाती है।
जब कला सिर्फ एक क्लिक दूर है
मॉडल की अधिकांश सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि देखने वाला सॉफ़्टवेयर कितना अच्छा है। “इसके अलावा, जब आप एक कला मेले में जाते हैं, तो आपको कलेक्टरों से मिलने का मौका मिलता है, जो अन्य कलेक्टरों को आपसे मिलवाते हैं। इस बार, हमें यह देखना होगा कि क्या कलेक्टर अर्थव्यवस्था को देखते हुए खरीदारी करने के मूड में हैं।
विन्सेंट वैन गॉग का जीवन-आनंदमय, खुशहाल ओलियंडर (1888 – चित्र)
कला प्रेमी ऑनलाइन काम कर सकते हैं क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय वर्चुअल टूर प्रदान करते हैं। प्रदर्शकों के बीच है गूगल कला और संस्क���ति। उनके संग्रह में ब्रिटिश संग्रहालय, लंदन; वान गाग संग्रहालय, एम्स्टर्डम; और न्यूयॉर्क शहर में गुगेनहेम। भारत से भी 79 संग्रह हैं। इनमें, एनजीएमए, राष्ट्रीय संग्रहालय, सीएसएमवीएस और डॉ। भाऊ दाजी लाड संग्रहालय।
मेट्रोपॉलिटन म्यूज़ियम ऑफ़ आर्ट में इंस्टाग्राम पोस्ट हैं जो #MetAnywhere हैशटैग के साथ चलते हैं, और शांति और आशा की भावना व्यक्त करते हैं। उनमें से अल्बर्ट बिएरस्टाट के शांत सूर्योदय पर मैटरहॉर्न (1875 के बाद) और विन्सेन्ट वैन गॉग के जीवन की पुष्टि, हर्षित ओलियंडर (1888 – चित्र) n द म्यूजियम ऑफ मॉडर्न आर्ट (MoMA) ने #MuseumFromHome नामक एक इंस्टाग्राम श्रृंखला शुरू की है। इस श्रृंखला में हेनरी मैटिस की गोल्डफिश और मूर्तिकला (1912) और योको ओनो की शिक्षा के लिए निर्देश (1960) शामिल हैं। n न्यूयॉर्क में फ्रिक कलेक्शन वर्चुअल टूर प्रदान करता है और इंस्टाग्राम पर फॉलो करने वालों को #MuseumMomentOfZen का आनंद लेने के लिए प्रोत्साहित करता है। उन्होंने हाल ही में जेम्स व्हिटनी फॉसबर्ग द्वारा एक शांत परिदृश्य पोस्ट किया, जिससे अनुयायियों को “लहरों की सुखदायक ध्वनि की कल्पना” करने के लिए कहा गया।
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"निजीकरण एक षड्यंत्र"
निजीकरण एक साजिश
आइए हम सब भारतीय संविधान की प्रस्तावना को दोहराते हैं
*"हम भारत के लोग भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न, समाजवादी, पंथ निरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को न्याय, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक, विचार, अभिव्यक्ति विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त करने के लिए तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए बाध्य है "*
भारतीय संविधान की प्रस्तावना को *संविधान की आत्मा* कहा गया है
इसका स्पष्ट अर्थ है कि जिस संविधान को हमने अंगीकृत किया है उसका एक निश्चित उद्देश्य है
जो इस प्रस्तावना के एक-एक शब्द से प्रतिबिंब हो रहा है यदि देश की शासन व्यवस्था, न्यायालय, कार्यपालिका और मीडिया जिन्हें लोकतंत्र के चार महत्वपूर्ण स्तंभ कहा गया है* वह संविधान की प्रस्तावना में निहित आदर्शों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं और देश उस लक्ष्य से दूर होता जा रहा है तो हमें यह स्वीकार करना होगा कि *संविधान की आत्मा धीरे-धीरे मरणासन्न हो रही है
क्या यह अनायास ही हो रहा है नहीं *संविधान की आत्मा का आत्मा को एक षड्यंत्र के तहत निजी करण के खंजर से मारा जा रहा है* कौन हैं यह लोग...? यह वही लोग हैं जो सदियों से मनुष्य होकर भी मानवता को शर्मसार करते आए हैं ! यह पूंजीवादी साधन संपन्न लोग स्वयं को ही सर्वश्रेष्ठ समझते हैं ! गरीब, मध्यमवर्ग , किसान , बेरोजगार सभी को अपनी सेवा के लिए गुलाम बनाने की महत्वाकांक्षा रखते हैं !
सदियों से मानव समाज , अलग-अलग विद्वानों और क्रांतिकारियों के नेतृत्व में यह लड़ाई लड़ता आया है और आगे भी समाज को यह लड़ाई लड़नी होगी यह कभी रुकने वाली नहीं है आजाद भारत को भी इस पूंजीवादी अर्थव्यवस्था से समाजवादी लोकतांत्रिक व्यवस्था की ओर अग्रसर होना था जहां हम भारत के लोग, उसके समस्त नागरिकों को आर्थिक सामाजिक समानता और उस समानता के लिए अवसर की समता प्राप्त हो ऐसी बंधुता बढ़ाने की ओर बढ़ना था और हम बढ भी रहे थे, परंतु पिछले दो दशकों से पूंजीवाद षड्यंत्रकारियोंने अपने दलालों को भारतीय राजनीति में सक्रिय कर दिया है यह समय भारतीय राजनीति का काला अध्याय है
"अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और देश को विश्वगुरु बनाने के सपने दिखाकर, सरकारी उपक्रमों को लाभ हानि के आंकड़ों में उलझा कर यह षड्यंत्रकारी अपने पूंजीवादी मालिकों के इशारे पर फिर से देश की 99% जनता को आर्थिक व सामाजिक रुप से गुलाम बनाना चाहते हैं"
Today's Taxpayers
आइए इसे विस्तार से समझते हैं -
वैश्वीकरण , उदारीकरण, निजीकरण के इस दौर में किसी भी समाजवादी और लोकतांत्रिक देश को बड़ी ही सावधानी से निजीकरण और सरकारीक्षेत्र के लिए कार्यक्षेत्र का चुनाव करना होता है यदि हमारा चुनाव गलत होगा तो उसके भयावह परिणाम देखने को मिलेंगे.....
जिसकी झलक भारतीय स्वास्थ्य व्यवस्था में हम आज *कोरोना जैसी वैश्विक महामारी* के समय देख भी रहे हैं देश का निजी क्षेत्र संकट के इस समय सेल्फ क्वारंटीन हो गया है ? और देश का सरकारी कर्मचारी फिर वह चाहे अ श्रेणी का हो या घ श्रेणी का अपनी जान जोखिम में डालकर अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहा है और सैकडों *कोरोना वोरियर्स ने अपनी ��हादत भी दी* पर सरकार की ओर से उनको पुष्पवर्षा और कोरे सम्मान के अतिरिक्त और कुछ भी नहीं मिला....! यहाँ तक कि देश के विधायकों, सांसदों और मंत्रीयों को मिल रही पुरानी पेंशन भी इन कोरोना वोरियर्स को मांगने पर भी नहीं दी जा रही है
PSU की हालत
"सरकार अपने उसी रवैये पर अड़ी है और निजीकरण के रास्ते पर सरपट दौडी जा रही है ! किसी भी देश के विकास का मानक उस देश के लोगों की आर्थिक, सामाजिक , शैक्षिक स्थिति, स्वास्थ्य और खुशहाली जैसे(मानव विकास सूचकांक- HDI) अनेक मानवीय पक्षों के आधार पर तय की जाती है पर सरकारें जीडीपी का लॉलीपॉप दिखा कर देश की जनता को गुमराह करती हैं"
उदाहरण:
एक गरीब व्यक्ति के खाते में आप 100,00,000 रुपए जमा करा दें पर उसका उपभोग करने की अनुमति न दी जाए , तकनीकी रूप से वह गरीब भी नहीं है और व्यवहारिक रूप से उसे अमीर या सुखी भी नहीं मान सकते हैं
यही स्थिति भारत की है जिसकी जीडीपी हर पंचवर्षीय योजना में बढ़ती रहती है पर भारत के गरीब, बेरोजगार, किसान और कर्मचारी की स्थिति जस की तस बनी हुई है और अब धीरे-धीरे यह बद से बदतर हो रही है इसे रोकने का एकमात्र विकल्प है *देश की संपत्ति का यथासंभव समान वितरण बिना किसी भेदभाव के इस वितरण को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए सरकारी उपक्रम श्रेष्ठतम विकल्प है*
निजीकरण की तारीफ करने वालों से मैं यह पूछना चाहता हूं कि भारत में शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में निजीकरण का कब्जा है निजी संस्थाओं को लाभ पहुंचाने के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य के सरकारी उपक्रमों को जानबूझकर कमजोर कर दिया गया है परंतु , आज अगर फुटपाथ पर बैठकर जूते चप्पल की मरम्मत करने वाले किसी कामगार का बच्चा यदि डॉक्टर इंजीनियर वकील या सक्षम अधिकारी बनने की योग्यता रखता हो तो, क्या शिक्षा का यह निजीबाजार उसे यह अवसर दे सकता है ? कभी नहीं संभव ही नहीं है
यहां तक कि सरकारी क्षेत्र की शिक्षा व्यवस्था का कमजोर ढांचा भी देश की ऐसी प्रतिभाओं को समान अवसर नहीं दे पा रहा है यही हाल हमारी सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था का है यदि किसी गरीब दिहाड़ी मजदूर को कैंसर, ह्रदयरोग, मधुमेह, ब्रेनट्युमर जैसी गंभीर बीमारी हो जाए तो क्या निजी स्वास्थ्य व्यवस्था उसे निशुल्क इलाज देगी और क्या हमारी सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था इतनी सक्षम है कि अपने देश के गरीब नागरिकों की जान को बचा सकती है ?
केवल इन दो क्षेत्रों से ही हम निजी करण की एक भयावह तस्वीर को देख पा रहे हैं पर सरकार तो देश के सभी महत्वपूर्ण उपक्रमों में - शिक्षा, स्वास्थ्य, रेलवे, सुरक्षा उपकरण, इंफ्रास्ट्रक्चर, कम्युनिकेशन, बीमा, बैंक आदि सभी को एक-एक कर निजीकरण के ब्लैकहोल में आहुति देती जा रही है निजीकरण का खंजर संविधान की आत्मा को बुरी तरह घायल करता जा रहा है अगर हम ने इसका विरोध अभी नहीं किया तो हम फिर से गुलामी की उस व्यवस्था में फंस जाएंगे जहां से निकलने में हमें फिर से कई सदियां लग जाएंगी!
निजीकरण के दुष्प्रभावों को समझने के लिए हमें सरकारी क्षेत्र के महत्व को समझना होगा एक लोकतांत्रिक सरकार देश की गरीब और मध्यमवर्गीय जनता के लिए क्या-क्या करती है? और कैसे करती है? लोकतांत्रिक सरकारें कल्याणकारी राज्य की अवधारणा पर चलती हैं और अपने लोगों को विभिन्न योजनाओं के माध्यम से बेहतर जीवन जीने के अवसर उपलब्ध कराती हैं लोग आत्मनिर्भर बनें इसके लिए जरूरी है कि लोगों के पास खर्च करने के लिए पैसा हो....!
इसके लिए सरकार सीधे तौर पर कर्मचारियों की नियुक्तियां करती है और अपने कर्मचारियों को वेतन व पेंशन के रूप में जो पैसे देती है वह पैसा कर्मचारी व उसके परिवार की जरूरतों को पूरा करने वाली वस्तुओं और सेवाओं के बाजार में उपभोग /निवेश हो जाता है और उस सेवा वस्तु के बाजार से जुड़े लोगों तक आमदनी के रूप में पहुंचता है
अब निजी करण के हिमायती यह दलील देंगे कि यह प्रक्रिया तो निजीक्षेत्र से भी होती है.... बिल्कुल होती है परंतु अति अल्पमात्रा में , क्योंकि निजी क्षेत्र में ग और घ श्रेणी के कर्मचारियों का वेतन बहुत ही कम होता है इसलिए निजी क्षेत्र के कर्मचारी कि उपभोग की प्रवृत्ति भी बहोत कम होती है इसका असर गरीब दिहाड़ी मजदूरों से लेकर लघु उद्योग और बड़े उद्योग पर भी प्रतिकूल पड़ता है यहां पर गौर करने वाली एक महत्वपूर्ण बात है कि "सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाली पेंशन भी बाजार की मांग पर प्रभाव डालती है"
जब एक सरकारी कर्मचारी अपने बुढ़ापे के बारे में आश्वस्त होता है कि उसे अपने जीवन निर्वाह के लिए एक सम्मानजनक धनराशि उसकी मृत्यु तक, उसके बाद उसके जीवन साथी को उसकी मृत्यु तक, प्रतिमाह प्राप्त होती रहेगी तो वह भविष्य की आर्थिक चिंताओं से बेपरवाह होकर वर्तमान में उपभोग करता है परंतु निजीकरण से यह संभव नहीं है इसलिए भी निजीकरण की फैलती आग देश के लिए जानलेवा है सरकार सीधी नौकरी के अतिरिक्त स्वरोजगार , कुटीर उद्योग, लघु और मध्यम उद्योगों को सस्ती दरों पर लोन उपलब्ध कराती है और वह भी बिना गारंटी के, उदार शर्तों के साथ, आकर्षक सब्सिडी के साथ , यदि देश की सभी बैंकों का निजीकरण कर दिया जाए तो क्या यह संभव हो पाएगा इसलिए निजी करण से केवल देश के सरकारी कर्मचारियों का ही नहीं परंतु देश की 99% जनता फिर चाहे वह गरीब , किसान , मजदूर, कर्मचारी, छोटे व्यापारी , मध्यमवर्ग के उद्योगपति, फुटपाथ विक्रेता जो भी हो सभी पर संकट के बादल छा रहे हैं
इस privatization की जरूरत क्यों है ?
कल्याणकारी राज्यों का एक महत्वपूर्ण कार्य या यूं कहें कि कर्तव्य होता है देश के सभी नागरिकों को मूलभूत ढांचा उपलब्ध कराना जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, सफाई, सड़कें, रेलवे, परिवहन, आंतरिक सुरक्षा, बाह्य आक्रमण से सुरक्षा, न्याय, बिजली, पानी, स्वच्छ हवा ऐसी सैकड़ों छोटी-बड़ी मूलभूत सुविधाएं हमें सरकारी क्षेत्र से प्राप्त होती हैं
यदि सरकार ने सभी क्षेत्रों को निजीकरण की खाई में धकेल दिया तो क्या होगा इस देश के लोगों का ? इस पर देश के बुद्धिजीवी वर्ग को सोचना होगा वर्तमान सरकार के गैर जिम्मेदाराना रवैया को देश महसूस कर रहा है रेलवे , एयरलाइंस, बीमा सहित देश की सुरक्षा को प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से प्रभावित करने वाली ऑर्डिनेंसफैक्ट्रीओं को निजी करण की भेंट चढ़ाने का निर्णय ले चुकी यह सरकार, देश को बर्बादी की राह पर ले जा रही है पूरा विश्व कोरोना की महामारी से लड़ रहा है ऐसे समय में हमें यह भी देखना और समझना चाहिए कि विश्व के वह देश जो निजी करण और पूंजीवादी व्यवस्था के दम पर विश्व पटल पर अग्रणी थे आज वहां की जनता सबसे ज्यादा प्रभावित है और पैसा होते हुए भी वह सरकारें निष्फल है परंतु जो अर्थव्यवस्थायें *समाजवादी हैं, लोकतांत्रिक हैं, जहां सरकारी क्षेत्र का ढांचा विकसित और व्यवस्थित है ऐसे विकसित और भारत जैसे विकासशील देश कोरोना से बेहतर ढंग से लड रहे हैं*
भारतीय व्यवस्था
यह सीखने और सबक लेने का अवसर है....!
देश के डॉक्टरों , इंजीनियरों , वकीलों, व्यापारियों, विद्यार्थियों, कर्मचारियों, अर्थशास्त्रियों ,लेखकों ,कवियों, समाजसेवियों, खिलाड़ियों, अभिनेताओं और बेशक चुने हुए जनप्रतिनिधियों को इस पर निरंतर सोचना चाहिए... लिखना चाहिए....और बोलना भी चाहिए..... *दृष्टि तो सभी के पास हो सकती है परंतु यदि आपके पास दृष्टिकोण है तो, आपको उसे सबके सामने निडर होकर रखना चाहिए*
एक बार पुनः मैं आपको संविधान की प्रस्तावना (आत्मा) के अंशों को याद दिलाना चाहता हूं
"हम भारत के लोग"
"उसके समस्त नागरिकों को" "समाजवादी"
"लोकतंत्रात्मक"
"सामाजिक"
"आर्थिक"
"प्रतिष्ठा"
"गरिमा"
"अवसर की समता प्राप्त करने के लिए"
"बंधुता बढ़ाने के लिए"
अगर आज हम चुप रहे सड़कों पर नहीं आए और अपने *आज से लेकर आने वाले कल तक के लिए* संघर्ष नहीं करेंगे तो, निजी करण का यह खंजर भारतीय संविधान की लोकतंत्रात्मक आत्मा को पूरी तरह मार देगा
अ�� वक्त आ गया है कि हम खुद से चिल्ला चिल्ला कर कहे कि "हम जिंदा हैं....!"
*मैं निजीकरण का विरोध करता हूँ.. और सरकारी क्षेत्र का समर्थन करता हूँ..!*
अनुपम आनंद
9918468436
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अंधभक्तो की झूठी भक्ति
CONGRESS का समर्थन नहीं कर रहा हूँ । पर इसे ईमानदार नागरिक के नाते पढें। मोदी जी, *6० साल-6०साल मत चिल्लाया* करो देश व जनता को *उल्लू* मत समझो मोदी जी आप उस देश के *प्रधान मंत्री* हो जो देश *तीन सौ साल ग़ुलाम* रहा ! जिस देश को अंग्रेजो ने लूट खसोट कर इस देश की बाग़डोर CONGRESS को सोपी थी ! *194 7* में देश में *सुई* नही बनती थी ! सारा देश *राजा रजवाड़ों* के झगड़ो में *बटा* हुआ था देश के मात्र *पचास गाँवों में बिजली* थी ! पूरे *राजस्थान में मात्र बीस राजाओं के महल* में फ़ोन था ! किसी गाँव में नल नही थे। पूरे देश में *मात्र दस बाँध* थे ! सीमाओं पे *मात्र कुछ सेनिक* थे ! *चार विमान थे बीस टेंक* थे ! देश की *सीमाएँ चारो तरफ़ से खुली थी !* *खजाना ख़ाली था ऐसे बदहाल* में हमारा *हिंदुस्तान कोंग्रेस* को मिला था ! इन *साठ सालों में कोंग्रेस* ने हिंदुस्तान में *विश्व की सबसे बड़ी ताक़त वाली सेन्य शक्ति तैयार की*, *हज़ारों विमान -हज़ारो टेंक -लाखों फ़ैक्ट्रीया लाखों गाँवों में बिजली* *हज़ारों बाँध लाखों किलोमीटर सड़कों का निर्माण परमाणु बम* *हर हाथ में फ़ोन -हर घर में मोटर CYCLE वाला मजबूत देश साठ साल में बना कर दिया है कोंग्रेस ने !* भारत ने पिछले 60 सालों में तरक्की भी बहुत की है और भूतपूर्व प्रधानमंत्रियों ने कई इतिहास रच दिए हैं जिसकी वजह से भारत आज एशिया की दूसरी सब से बड़ी ताकत है। 1-भारत दुनिया का सर्वश्रेष्ठ संविधान* बना चुका था... 2-भारत *एशियाई खेलों की मेजबानी* कर चुका था... 3- *भारत में भाखड़ा और रिहंद जैसे बाँध बन* चुके थे... 4- *देश भामा न्यूक्लियर रिसर्च सेंटर का उद्घाटन कर चुका था..* 5- *देश में तारापुर परमाणु बिज़ली घर शुरू हो चुका था...* 6- *देश में कई दर्जन AIIMS, IIT, IIMS और सैकड़ों विश्वविद्यालय खुल चुके थे..* 7- *नेहरु ने नवरत्न कम्पनियाँ स्थापित कर दी थी...* 8- *कई सालों पहले भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सैनिकों को लाहौर के अंदर तक घुसकर मारा था और लाहौर पर कब्जा कर लिया था।* 9- *पंडित नेहरु पुर्तगाल से जीत कर गोवा को भारत में मिला चुके थे...* 10- *नेहरु जी ने ISRO (Indian Space Research Organization) की शुरुआत कर दी थी...* 11- *भारत में श्वेत क्रांति की शुरुआत हो चुकी थी..* 12- *देश में उद्योगों का जाल बिछ चुका था..* 13- *इंदिरा जी पाकिस्तान के दो टुकड़े कर चुकी थी, पाकिस्तान 1 लाख सैनिकों और कमांडरो के साथ भारत को सरेंडर कर चुका था।* 14- *तब भारत में बैंकों का राष्ट्रीयकरण हो चूका था..* 15- *इंदिरा जी ने सिक्किम को देश में जोड़ लिया था....* 16- *देश अनाज के बारे में आत्म निर्भर हो गया था.* 17- *भारत हवाई जहाज और हेलीकाप्टर बनाने लगा था...* 18- *राजीव गाँधी ने देश के घर घर में टीवी पहुंचा दिया था।* 19- *देश में सुपर कम्प्यूटर, टेलीविजन औरसुचना क्रांति ( Information Technology) पूरे भारत में स्थापित हो चुका था..* 20- *जब मोदी प्रधान मंत्री पद की शपथ ले रहे थे तब तक भारत सर्वाधिक विदेशी मुद्रा के कोष वाले प्रथम 10 राष्ट्रों में शामिल हो चुका था* 21- *इनके अलावा..चन्द्र यान,* 22- *मंगल मिशन ,* 23- *GSLV,* 24- *मेट्रो,* 25- *मोनो रेल,* 26- *अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे,* 27- *न्यूक्लियर पनडुब्बी,* 28- *ढ़ेरों मिसाइल,पृथ्वी, अग्नि, नाग* 29- *दर्जनों परमाणु सयंत्र,* 30- *चेतक हेलीकाप्टर, मिग* 31- *तेजस, ड्रोन, अर्जुन टैंक, धनुष तोप,* 32- *मिसाइल युक्त विमान,* 33- *आई एन एस विक्रांत* *विमान वाहक पोत......* ये सब उपलब्धियां देश ने मोदी के प्रधानमंत्री बनने के पहले हासिल कर ली थी..... हर जागरूक मित्र इसे *हर तीन ग्रूप और तीन लोगो* को भेजे ता कि इन *मोदीजी के जुमले* और *अंधभक्तो की झूठी भक्ति सबको* पता चल जाये...
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हिटलर का मन
मन और व्यक्तिगतता : एडॉल्फ हिट्लर गैर जर्मन दुनिया एडॉल्फ हिटलर के दिमाग की एक जगह ढांचे और विचित्र तस्वीर है; कैसे उसने सोचा, महसूस किया और किसने प्रेरित किया सही ज्ञान की कमी के कारण, कोई भी इस असाधारण व्यक्ति के व्यक्तित्व को समझने का दावा नहीं कर सकता है। नतीजतन, हम कुछ पैराग्राफों में संक्षेप करने की कोशिश करेंगे, जो कि इतिहासकारों के संस्करणों और पुस्तकों के संस्करणों को वर्णन करने के लिए ले गए हैं। एडमॉल्फ़ हिटलर सब से ऊपर था, एक सहज ज्ञान युक्त, कलात्मक इंसान, सटीक परिस्थितियों को समझने में सक्षम था और उन्हें अत्यंत सुव्यवस्थित मन की स्पष्टता के साथ समझने में सक्षम था। वह सामग्री पर आत्मा के पूर्ण वर्चस्व में विश्वास करते थे, और यह उनके अब प्रसिद्ध कथन से उभर आया था कि उनके लिए, और एक राष्ट्रीय समाजवादी के लिए, शब्दकोश में असंभव (अनमोग्लिच) और शब्द (कभी-कभी) । हम अपने जीवन को एक बिंदु के रूप में देखते हैं। एक शुरुआती अनाथ, गरीब, अधूरे शिक्षा के साथ, जर्मनी में एक बेकायदा भौतिक संविधान के साथ एक नागरिक नागरिक, और, प्रथम विश्व युद्ध के बाद, निंदनीय और नौकरी या व्यापार के बिना। वह इतिहास में उस समय के समान हताश जलडमरूमध्यों में जर्मनी के कई लाखों में से एक था। वह था, एक को स्वीकार करना पड़ता है, कुछ भी नहीं होने का मौका नहीं, भले ही भाग्यशाली हो, मैन्युअल मजदूर की तुलना में। असंभव है, यह स्वीकार करना होगा कि यह आदमी कभी म्यूनिख के मेयर बन सकता है, जो यूरोप के सबसे बड़े, सबसे अधिक आबादी वाले, सर्वश्रेष्ठ प्रशिक्षित और शिक्षित देश के चांसलर को छोड़ देता है। कभी न उसके परिस्थितियों में! असंभव? कभी नहीँ? ठीक है, पूरी दुनिया इस बात का गवाह है कि न केवल असंभव बनना संभव है, यह वास्तव में हुआ और बहुत ही कम समय में उनके और इतिहास के शब्दकोश से कभी भी और असंभव नहीं पड़ते थे। यहां एडॉल्फ हिटलर को समझने वाले पहले और सबसे महत्वपूर्ण घटक में प्रवेश किया है, और इसके माध्यम से, यूएफओ का आंशिक समाधान। पहेली। राष्ट्रीय समाजवाद में कुछ भी एक असंभव काम या एक अप्राप्य लक्ष्य प्रतीत होने की अनुमति नहीं थी। एडॉल्फ हिटलर के साथ, यह हमेशा बातों पर ध्यान केंद्रित करता था। तब विमान डिजाइनरों द्वारा आयोजित विश्वास है कि मानव शरीर अंतरिक्ष उड़ान से बच नहीं सकता था और तेजी से धीमी रफ्तार से हिटलर द्वारा एक तरफ सख्ती से लगाया गया था और यह उनके इस चुनौती को चुनौती देने वाला था कि यूएफओ के सामने लाया। आइए हम अब भी स्पष्ट तस्वीर पाने के लिए हिटलर के दिमाग के अन्य पहलुओं पर लौटें। हिटलर ने अपनी पढ़ाई और पढ़ने के एक विशाल राशि के आधार पर महसूस किया कि पूरे बैंकरों, फाइनेंसरों, उद्योगपतियों और अन्य लोगों के एक छोटे, लेकिन बेहद शक्तिशाली समूह ने एक पूरी तरह से योजना बनाई थी, ताकि पूरी दुनिया पर नियंत्रण पा सके। यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि वे एक समय के दौरान वियना में रहते थे जब ज़ियोनिस्ट यहूदियों के बीच एक बहुत ही शोर युद्ध उग्र था, (जो एक अलग जाति,धर्म, राष्ट्र और संस्कृति को अपने स्वयं के राज्य, इज़राइल के साथ), और यहूदियों के बीच आत्मसात करने वाले तत्व, (जो ऑस्ट्रियाई साम्राज्य के महानगरीय प्रतिष्ठान का हिस्सा बनना चाहते थे), सभी विशेषाधिकारों और शक्तियों के साथ उन पर भरपूर धन प्रदान किया। यहूदियों के हिटलर के मूल्यांकन का सबसे अच्छा वर्णन किया जा सकता है "सिय्योन की शिक्षार्थियों के प्रोटोकॉल" में निहित है। यह संपूर्ण यू.एफ.ओ. का एक बहुत महत्वपूर्ण पहलू है कहानी, क्योंकि इसमें 30 साल बाद किए गए कई दूरगामी निर्णयों के लिए हम बीज खोजते हैं। हिटलर ने दुनिया के वर्चस्व के लिए इस वास्तविक या कल्पना की यहूदी ड्राइव को देखा, अपने काम और योजना के लिए एक बहुत ही निश्चित खतरा। अब से हमें इस समस्या के बिंदु से हर समस्या को देखना चाहिए। हिटलर निस्संदेह इस कसौटी से प्रत्येक प्रमुख प्रश्न की जांच करेगा: "यदि मैं विश्व पर विजय प्राप्त करने वाले यहूदी थे तो मैं इस मामले में कैसे कार्य करूं?" अब हमारे पास उसके दिमाग के कामकाज को समझने के लिए दो सबसे महत्वपूर्ण कुंजियां हैं। हालांकि, एक और बहुत महत्वपूर्ण तथ्य है, और यह प्रेरणा है क्या इस आदमी को प्रेरित? यह निष्ठा और बेरोजगारी वांछित, (अक्सर अपरिहार्य रूप से एक पेपरहेन्जर कहलाए जाने वाले) वह जिस तरह से करते हैं, वह काम करना चाहिए? इस प्रश्न के लिए लाखों शब्दों को समर्पित किया गया है सब, या उनमें से ज्यादातर, पूरी तरह से उसे गलत तरीके से प्रस्तुत किया, और यह विशेष रूप से गैर जर्मन दुनिया में सच है जहां उन्हें कुछ पागल पागल पागल के रूप में चित्रित किया गया है, केवल विनाशकारी कारणों के लिए सत्ता की मांग। इस तरह की सोच युद्ध समय के दौरान प्रचार के रूप में उचित साबित हो सकती है, लेकिन सच्चाई के लिए पुन: मूल्यांकन करने के लिए बहुत अधिक समय की आवश्यकता है, और सत्य सरल है। इस आदमी में कलात्मक, संवेदनशील आत्मा ने उसके चारों ओर जगह लेते हुए देखा। चूंकि उस समय कोई एकल व्यक्ति, कोई समूह, कोई पार्टी और कोई विचारधारा उसकी भावना व्यक्त नहीं की, इसलिए उन्होंने दूसरों की बैठकों में अपनी निराशाओं और विचारों को व्यक्त करना शुरू कर दिया। अपने पूरे आश्चर्य के लिए उन्होंने पाया कि दूसरों ने सुनी और उन्होंने लगातार बढ़ती संख्याओं में सुनी। इस प्रकार, हिटलर आंदोलक, प्रेरक, पैदा हुआ था। प्रेरणा के बिना कोई प्रेरक नहीं है और यह राष्ट्रीय समाजवाद की अवधारणा थी जो उसकी प्रेरणा थी। यह न तो आशय है और न ही "मेन कैम्फ" को फिर से लिखने के लिए लेखकों की इच्छा है और हम खुद को अपनी प्रेरणाओं को स्पष्ट करने के लिए रूपरेखाओं की बहुत ही बुरी तरह से प्रतिबंधित कर देंगे। यूएफओ को हल करने के लिए यह आवश्यक है। पहेली और एनएसडी.ए.पी. के 24 अंकों में सबसे अच्छा किया जा सकता है। पार्टी कार्यक्रम और म्यूनिख में सेना के लिए राजनीतिक स्थिति से बने हिटलर के एक अध्ययन में भी निंदनीय है, जहां वह "राजनीतिक सूचना अधिकारी" था।
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सरकार के हर काम की न हो न्यायिक समीक्षा, केंद्र की खरी-खरी कहा:- कोर्ट यह नहीं तय कर सकता कि कौन सी योजना उचित है या अनुचित
सरकार के हर काम की न हो न्यायिक समीक्षा, केंद्र की खरी-खरी कहा:- कोर्ट यह नहीं तय कर सकता कि कौन सी योजना उचित है या अनुचित
नई दिल्ली, प्रेट्र: आधार स्कीम को लेकर केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि अगर सरकार के हर काम की न्यायिक समीक्षा होगी तो विकास की गति मंद पड़ जाएगी। अदालतों को तकनीकी विशेषज्ञता के मामलों में दखल नहीं देना चाहिए। 1सरकार ने बुधवार को आधार की वैधता पर विचार कर रही सीजेआइ दीपक मिश्र के नेतृत्व वाली पांच जजों की संविधान पीठ से कहा है कि आधार स्कीम को विशेषज्ञों ने मंजूरी दी है। यह नीतिगत फैसला है इसलिए इसकी न्यायिक समीक्षा नहीं होनी चाहिए। 2016 का यह कानून डिजिटल युग में मनी लांडिंग रोकने, सब्सिडी और लाभ देने का सर्वश्रेष्ठ तरीका है। केंद्र की ओर से पेश अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने संविधान पीठ में शामिल जस्टिस एके सिकरी, एएम खानविल्कर, डीवाई चंद्रचूड़ और अशोक भूषण से कहा कि अदालत का दायित्व बस इतना ही है कि वह कानून की न्यायिक व्याख्या करे। अदालत यह नहीं तय कर सकती कि कौन सी एक योजना उचित है या अनुचित है। वेणुगोपाल ने दिनभर की बहस के बाद विश्व बैंक समेत विभिन्न रिपोर्टो का हवाला देते हुए कहा कि इन सबने भारत के इस कदम की सराहना की है कि गरीब से गरीब व्यक्ति को भी उसकी एक पहचान मिलेगी। इससे इन सभी का वित्तीय योजनाओं में समावेश करने में मदद मिलेगी। इस पर संविधान पीठ ने वेणुगोपाल से कहा कि लोग यह कहकर इस योजना का विरोध कर रहे हैं कि इससे समानता के विचार का उल्लंघन होता है। जवाब में वेणुगोपाल ने कहा कि आधार योजना समानुपाती परीक्षा में भी संतोषजनक है।
Read full post at: http://www.cnnworldnews.info/2018/04/blog-post_86.html
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