#विशाल जंजीर
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indrabalakhanna · 1 month ago
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Shraddha TV Satsang 17-12-2024 || Episode: 2777 || Sant Rampal Ji Mahara...
*🌴बन्दीछोड़ सतगुरु संत रामपाल जी महाराज जी की जय हो🌴*
♦♦♦
17/12/24
👑📚👑📚👑
*कबीर परमात्मा पाप विनाशक हैं!*
🌺🌼🌺🌸🌺🌼🌺
#GodMorningTuesday
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📕📚📙📚📗📚
#दुख_दूरकरे_सुख_दे_वहप्रभुकौन
👑📚👑📚👑
Supreme God Kabir
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1🔸परमेश्वर कबीर जी अकाल मृत्यु को भी टाल सकते हैं। जिसका प्रमाण सामवेद मंत्र सं��्या 822, ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 161 मंत्र 2 में स्पष्ट लिखा है कि परमेश्वर कबीर जी मृत्यु प्राप्त साधक को पुनः जीवित कर उसकी आयु भी बढ़ा सकता है।
2🔸पूर्ण परमात्मा
पवित्र क़ुरआन सूरह फुर्कान 25 आयत 58 में लिखा है कि कबीर अल्लाह ही पाप विनाशक हैं और पूजा के योग्य हैं।
3🔸यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 व ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 82 मंत्र 1, 2 और 3 में प्रमाण है, परमेश्वर हमारे पापों का नाश कर देता है।
4🔸पाप नाशक परमात्मा
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 82 मंत्र 1-2, ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 86 मंत्र 86-27 और ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 20 मंत्र 1 में स्पष्ट लिखा है कि पापों का नाश करने वाला, विघ्नों अर्थात संकटों का निवारण करने वाला कबीर परमेश्वर है।
5🔸संत रामपाल जी महाराज जी यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 और अध्याय 8 मंत्र 13 से प्रमाणित करके बताते हैं कि कविर्देव अर्थात कबीर परमेश्वर घोर से घोर पाप का भी नाश कर देता है तथा काल के कर्मबंधनों से मुक्त कराकर मोक्ष प्रदान करता है।
6🔸यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 व ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 82 मंत्र 1, 2 और 3 में प्रमाण है, परमेश्वर हमारे पापों का नाश करते हुए हमें प्राप्त होते हैं।
7🔸आदरणीय धर्मदास जी को कबीर प्रभु अपने विधान अनुसार लगभग आज से 600 वर्ष पहले आकर मिले और सतलोक से तथा सर्व सृष्टि रचना के ज्ञान से परिचित करवाया।
फिर आदरणीय धर्मदास जी ने अपनी वाणी में प्रमाण दिया:-
आज मोहे दर्शन दियो जी कबीर। सत्यलोक से चलकर आए काटन जम की जंजीर। थारे दर्शन से म्हारे पाप कटत हैं निर्मल होवे जी शरीर।
8🔸सामवेद अध्याय नंबर 4 के खंड नंबर 25 का श्लोक नंबर 8 में लिखा है कि
वह परमात्मा कबीर विशाल शक्ति युक्त है और अपना तेज पुंज का शरीर बनाकर प्रकट होता है काल के पाप रूपी कर्म बंधनों को तोड़ने वाला है।
9🔸यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 के अनुसार, कबीर साहेब सबसे शक्तिशाली भगवान हैं, जो सभी पापों को नष्ट करने और काल के कर्म बंधनों से छुड़वाने वाले हैं।
10🔸पवित्र क़ुरआन (सुरत फुकार्नि 25, आयत 59)
अल्ल्जी खलकस्समावाति वल्अर्ज व मा बैनहुमा फी सित्तति अय्यामिन् सुम्मस्तवा अलल्अर्शि शशि अरर्ह्मानु फस्अल् बिही खबीरन्(कबीरन्)।।
हजरत मुहम्मद को क़ुरआन बोलने वाला प्रभु (अल्लाह) कह रहा है कि वह कबीर प्रभु वही है जिसने सर्व सृष्टि की रचना छः दिन में की तथा सातवें दिन ऊपर अपने सत्यलोक में सिंहासन पर विराजमान हो (बैठ) गया। उसके विषय में जानकारी किसी बाखबर ��े पूछो।
इससे यह स्पष्ट है कि सर्व सृष्टि रचनहार, सर्व पाप विनाशक परमात्मा कबीर है।
📙🌺📕🌸📗🌼📚
*हमारे धर्म ग्रंथो में प्रमाण हैं_ कबीर देव भगवान हैं!
👑📚👑📚👑📚
*परम अक्षर पुरुष_पूर्ण ब्रह्म कबीर परमेश्वर_समर्थ परमेश्वर_ पाप भंजन भगवान_बंधनों से छुड़ाने वाले बंदीछोड़ भगवान*
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h1an2s3 · 1 month ago
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[16/12, 8:29 am] +91 83078 98929: यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 व ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 82 मंत्र 1, 2 और 3 में प्रमाण है, परमेश्वर हमारे पापों का नाश कर देता है।
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[16/12, 8:29 am] +91 83078 98929: पूर्ण परमात्मा
पवित्र क़ुरआन सूरह फुर्कान 25 आयत 58 में लिखा है कि कबीर अल्लाह ही पाप विनाशक हैं और पूजा के योग्य हैं।
#दुख_दूरकरे_सुख_दे_वहप्रभुकौन
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#SantRampalJiMaharaj
[16/12, 8:29 am] +91 83078 98929: परमेश्वर कबीर जी अकाल मृत्यु को भी टाल सकते हैं। जिसका प्रमाण सामवेद मंत्र संख्या 822, ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 161 मंत्र 2 में स्पष्ट लिखा है कि परमेश्वर कबीर जी मृत्यु प्राप्त साधक को पुनः जीवित कर उसकी आयु भी बढ़ा सकता है।
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[16/12, 8:29 am] +91 83078 98929: संत रामपाल जी महाराज जी यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 और अध्याय 8 मंत्र 13 से प्रमाणित करके बताते हैं कि कविर्देव अर्थात कबीर परमेश्वर घोर से घोर पाप का भी नाश कर देता है तथा काल के कर्मबंधनों से मुक्त कराकर मोक्ष प्रदान करता है।
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[16/12, 8:29 am] +91 83078 98929: यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 व ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 82 मंत्र 1, 2 और 3 में प्रमाण है, परमेश्वर हमारे पापों का नाश करते हुए हमें प्राप्त होते हैं।
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[16/12, 8:29 am] +91 83078 98929: पाप नाशक परमात्मा
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 82 मंत्र 1-2, ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 86 मंत्र 86-27 और ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 20 मंत्र 1 में स्पष्ट लिखा है कि पापों का नाश करने वाला, विघ्नों अर्थात संकटों का निवारण करने वाला कबीर परमेश्वर है।
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[16/12, 8:29 am] +91 83078 98929: यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 के अनुसार, कबीर साहेब सबसे शक्तिशाली भगवान हैं, जो सभी पापों को नष्ट करने और काल के कर्म बंधनों से छुड़वाने वाले हैं।
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[16/12, 8:29 am] +91 83078 98929: आदरणीय धर्मदास जी को कबीर प्रभु अपने विधान अनुसार लगभग आज से 600 वर्ष पहले आकर मिले और सतलोक से तथा सर्व सृष्टि रचना के ज्ञान से परिचित करवाया।
फिर आदरणीय धर्मदास जी ने अपनी वाणी में प्रमाण दिया:-
आज मोहे दर्शन दियो जी कबीर। सत्यलोक से चलकर आए काटन जम की जंजीर। थारे दर्शन से म्हारे पाप कटत हैं निर्मल होवे जी शरीर।
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[16/12, 8:29 am] +91 83078 98929: सामवेद अध्याय नंबर 4 के खंड नंबर 25 का श्लोक नंबर 8 में लिखा है कि
वह परमात्मा कबीर विशाल शक्ति युक्त है और अपना तेज पुंज का शरीर बनाकर प्रकट होता है काल के पाप रूपी कर्म बंधनों को तोड़ने वाला है।
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[16/12, 8:29 am] +91 83078 98929: पवित्र क़ुरआन (सुरत फुकार्नि 25, आयत 59)
अल्ल्जी खलकस्समावाति वल्अर्ज व मा बैनहुमा फी सित्तति अय्यामिन् सुम्मस्तवा अलल्अर्शि शशि अरर्ह्मानु फस्अल् बिही खबीरन्(कबीरन्)।।
हजरत मुहम्मद को क़ुरआन बोलने वाला प्रभु (अल्लाह) कह रहा है कि वह कबीर प्रभु वही है जिसने सर्व सृष्टि की रचना छः दिन में की तथा सातवें दिन ऊपर अपने सत्यलोक में सिंहासन पर विराजमान हो (बैठ) गया। उसके विषय में जानकारी किसी बाखबर से पूछो।
इससे यह स्पष्ट है कि सर्व सृष्टि रचनहार, सर्व पाप विनाशक परमात्मा कबीर है।
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dimpisuma · 1 month ago
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#दुख_दूरकरे_सुख_दे_वहप्रभुकौन
Supreme God Kabir
🔸आदरणीय धर्मदास जी को कबीर प्रभु अपने विधान अनुसार लगभग आज से 600 वर्ष पहले आकर मिले और सतलोक से तथा सर्व सृष्टि रचना के ज्ञान से परिचित करवाया।
फिर आदरणीय धर्मदास जी ने अपनी वाणी में प्रमाण दिया:-
आज मोहे दर्शन दियो जी कबीर। सत्यलोक से चलकर आए काटन जम की जंजीर। थारे दर्शन से म्हारे पाप कटत हैं निर्मल होवे जी शरीर।
🔸यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 व ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 82 मंत्र 1, 2 और 3 में प्रमाण है, परमेश्वर हमारे पापों का नाश कर देता है।
🔸परमेश्वर कबीर जी अकाल मृत्यु को भी टाल सकते हैं। जिसका प्रमाण सामवेद मंत्र संख्या 822, ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 161 मंत्र 2 में स्पष्ट लिखा है कि परमेश्वर कबीर जी मृत्यु प्राप्त साधक को पुनः जीवित कर उसकी आयु भी बढ़ा सकता है।
🔸पूर्ण परमात्मा
पवित्र क़ुरआन सूरह फुर्कान 25 आयत 58 में लिखा है कि कबीर अल्लाह ही पाप विनाशक हैं और पूजा के योग्य हैं।
🔸पाप नाशक परमात्मा
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 82 मंत्र 1-2, ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 86 मंत्र 86-27 और ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 20 मंत्र 1 में स्पष्ट लिखा है कि पापों का नाश करने वाला, विघ्नों अर्थात संकटों का निवारण करने वाला कबीर परमेश्वर है।
🔸संत रामपाल जी महाराज जी यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 और अध्याय 8 मंत्र 13 से प्रमाणित करके बताते हैं कि कविर्देव अर्थात कबीर परमेश्वर घोर से घोर पाप का भी नाश कर देता है तथा काल के कर्मबंधनों से मुक्त कराकर मोक्ष प्रदान करता है।
🔸सामवेद अध्याय नंबर 4 के खंड नंबर 25 का श्लोक नंबर 8 में लिखा है कि
वह परमात्मा कबीर विशाल शक्ति युक्त है और अपना तेज पुंज का शरीर बनाकर प्रकट होता है काल के पाप रूपी कर्म बंधनों को तोड़ने वाला है।
🔸यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 के अनुसार, कबीर साहेब सबसे शक्तिशाली भगवान हैं, जो सभी पापों को नष्ट करने और काल के कर्म बंधनों से छुड़वाने वाले हैं।
🔸पवित्र क़ुरआन (सुरत फुकार्नि 25, आयत 59)
अल्ल्जी खलकस्समावाति वल्अर्ज व मा बैनहुमा फी सित्तति अय्यामिन् सुम्मस्तवा अलल्अर्शि शशि अरर्ह्मानु फस्अल् बिही खबीरन्(कबीरन्)।।
हजरत मुहम्मद को क़ुरआन बोलने वाला प्रभु (अल्लाह) कह रहा है कि वह कबीर प्रभु वही है जिसने सर्व सृष्टि की रचना छः दिन में की तथा सातवें दिन ऊपर अपने सत्यलोक में सिंहासन पर विराजमान हो (बैठ) गया। उसके विषय में जानकारी किसी बाखबर से पूछो।
इससे यह स्पष्ट है कि सर्व सृष्टि रचनहार, सर्व पाप विनाशक परमात्मा कबीर है।
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mangesh1982 · 1 month ago
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परमेश्वर कबीर जी अकाल मृत्यु को भी टाल सकते हैं। जिसका प्रमाण सामवेद मंत्र संख्या 822, ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 161 मंत्र 2 में स्पष्ट लिखा है कि परमेश्वर कबीर जी मृत्यु प्राप्त साधक को पुनः जीवित कर उसकी आयु भी बढ़ा सकता है।
🔸पूर्ण परमात्मा
पवित्र क़ुरआन सूरह फुर्कान 25 आयत 58 में लिखा है कि कबीर अल्लाह ही पाप विनाशक हैं और पूजा के योग्य हैं।
🔸यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 व ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 82 मंत्र 1, 2 और 3 में प्रमाण है, परमेश्वर हमारे पापों का नाश कर देता है।
🔸पाप नाशक परमात्मा
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 82 मंत्र 1-2, ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 86 मंत्र 86-27 और ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 20 मंत्र 1 में स्पष्ट लिखा है कि पापों का नाश करने वाला, विघ्नों अर्थात संकटों का निवारण करने वाला कबीर परमेश्वर है।
🔸संत रामपाल जी महाराज जी यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 और अध्याय 8 मंत्र 13 से प्रमाणित करके बताते हैं कि कविर्देव अर्थात कबीर परमेश्वर घोर से घोर पाप का भी नाश कर देता है तथा काल के कर्मबंधनों से मुक्त कराकर मोक्ष प्रदान करता है।
🔸यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 व ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 82 मंत्र 1, 2 और 3 में प्रमाण है, परमेश्वर हमारे पापों का नाश करते हुए हमें प्राप्त होते हैं।
🔸आदरणीय धर्मदास जी को कबीर प्रभु अपने विधान अनुसार लगभग आज से 600 वर्ष पहले आकर मिले और सतलोक से तथा सर्व सृष्टि रचना के ज्ञान से परिचित करवाया।
फिर आदरणीय धर्मदास जी ने अपनी वाणी में प्रमाण दिया:-
आज मोहे दर्शन दियो जी कबीर। सत्यलोक से चलकर आए काटन जम की जंजीर। थारे दर्शन से म्हारे पाप कटत हैं निर्मल होवे जी शरीर।
🔸सामवेद अध्याय नंबर 4 के खंड नंबर 25 का श्लोक नंबर 8 में लिखा है कि
वह परमात्मा कबीर विशाल शक्ति युक्त है और अपना तेज पुंज का शरीर बनाकर प्रकट होता है काल के पाप रूपी कर्म बंधनों को तोड़ने वाला है।
🔸यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 के अनुसार, कबीर साहेब सबसे शक्तिशाली भगवान हैं, जो सभी पापों को नष्ट करने और काल के कर्म बंधनों से छुड़वाने वाले हैं।
🔸पवित्र क़ुरआन (सुरत फुकार्नि 25, आयत 59)
अल्ल्जी खलकस्समावाति वल्अर्ज व मा बैनहुमा फी सित्तति अय्यामिन् सुम्मस्तवा अलल्अर्शि शशि अरर्ह्मानु फस्अल् बिही खबीरन्(कबीरन्)।।
हजरत मुहम्मद को क़ुरआन बोलने वाला प्रभु (अल्लाह) कह रहा है कि वह कबीर प्रभु वही है जिसने सर्व सृष्टि की रचना छः दिन में की तथा सातवें दिन ऊपर अपने सत्यलोक में सिंहासन पर विराजमान हो (बैठ) गया। उसके विषय में जानकारी किसी बाखबर से पूछो।
इससे यह स्पष्ट है कि सर्व सृष्टि रचनहार, सर्व पाप विनाशक परमात्मा कबीर है।
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kishanmehra9024 · 1 month ago
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#दुख_दूरकरे_सुख_दे_वहप्रभुकौन
वह परमात्मा कबीर विशाल शक्ति युक्त है और अपना तेज पुंज का शरीर बनाकर प्रकट होता है काल के पाप रूपी कर्म बंधनों को तोड़ने वाला है
आज मोहे दर्शन दियो जी कबीर। सत्यलोक से चलकर आए काटन जम की जंजीर। थारे दर्शन से म्हारे पाप कटत हैं निर्मल होवे जी शरीर।
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pushpas-posts · 4 months ago
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*🌴बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की जय🌴*
02/10/24
*Team 3:-हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर*
*✴️Twitter Trending सेवा✴️*
🍃 *मालिक की दया से ट्विटर पर कबीर परमात्मा पाप विनाशक हैं व सुखदायी परमात्मा हैं, यह बताते हुए सेवा करनी है जी।*
*⚡टैग और कीवर्ड⤵️⚡*
*#दुखदूरकरे_सुखदेतहै वहप्रभु कौनहै*
*Supreme God Kabir*
*📷''' सेवा से सम्बंधित photo लिंक⤵️*
https://www.satsaheb.org/destroyer-of-sins-hindi/
https://www.satsaheb.org/destroyer-of-sins-english/
*⛳ Sewa Points* ⤵
🔸कबीर साहेब ही सबके रक्षक व पाप नाशक परमात्मा हैं
परमेश्वर कबीर जी अकाल मृत्यु को भी टाल सकते हैं। जिसका प्रमाण सामवेद मंत्र संख्या 822, ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 161 मंत्र 2 में स्पष्ट लिखा है कि परमेश्वर कबीर जी मृत्यु प्राप्त साधक को पुनः जीवित कर उसकी आयु भी बढ़ा सकता है।
🔸पाप नाशक परमात्मा
पवित्र क़ुरआन सूरह फुर्कान 25 आयत 58 में लिखा है कि कबीर अल्लाह ही पाप विनाशक हैं और पूजा के योग्य हैं।
🔸यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 व ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 82 मंत्र 1, 2 और 3 में प्रमाण है, परमेश्वर हमारे पापों का नाश कर देता है।
🔸पाप नाशक परमात्मा
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 82 मंत्र 1-2, ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 86 मंत्र 86-27 और ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 20 मंत्र 1 में स्पष्ट लिखा है कि पापों का नाश करने वाला, विघ्नों अर्थात संकटों का निवारण करने वाला कबीर परमेश्वर है।
🔸संत रामपाल जी महाराज जी यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 और अध्याय 8 मंत्र 13 से प्रमाणित करके बताते हैं कि कविर्देव अर्थात कबीर परमेश्वर घोर से घोर पाप का भी नाश कर देता है तथा काल के कर्मबंधनों से मुक्त कराकर मोक्ष प्रदान करता है।
🔸पाप नाशक परमात्मा कबीर साहेब जी
यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 व ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 82 मंत्र 1, 2 और 3 में प्रमाण है, परमेश्वर हमारे पापों का नाश करते हुए हमें प्राप्त होते हैं।
🔸पाप नाशक परमात्मा
आदरणीय धर्मदास जी को कबीर प्रभु अपने विधान अनुसार लगभग आज से 600 वर्ष पहले आकर मिले और सतलोक से तथा सर्व सृष्टि रचना के ज्ञान से परिचित करवाया।
फिर आदरणीय धर्मदास जी ने अपनी वाणी में प्रमाण दिया:-
आज मोहे दर्शन दियो जी कबीर। सत्यलोक से चलकर आए काटन जम की जंजीर। थारे दर्शन से म्हारे पाप कटत हैं निर्मल होवे जी शरीर।
🔸पाप नाशक परमात्मा
सामवेद अध्याय नंबर 4 के खंड नंबर 25 का श्लोक नंबर 8 में लिखा है कि
वह परमात्मा कबीर विशाल शक्ति युक्त है और अपना तेज पुंज का शरीर बनाकर प्रकट होता है काल के पाप रूपी कर्म बंधनों को तोड़ने वाला है।
🔸पाप नाशक परमात्मा
यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 के अनुसार, कबीर साहेब सबसे शक्तिशाली भगवान हैं, जो सभी पापों को नष्ट करने और काल के कर्म बंधनों से छुड़वाने वाले हैं।
🔸पवित्र क़ुरआन (सुरत फुकार्नि 25, आयत 59)
अल्ल्जी खलकस्समावाति वल्अर्ज व मा बैनहुमा फी सित्तति अय्यामिन् सुम्मस्तवा अलल्अर्शि शशि अरर्ह्मानु फस्अल् बिही खबीरन्(कबीरन्)।।
हजरत मुहम्मद को क़ुरआन बोलने वाला प्रभु (अल्लाह) कह रहा है कि वह कबीर प्रभु वही है जिसने सर्व सृष्टि की रचना छः दिन में की तथा सातवें दिन ऊपर अपने सत्यलोक में सिंहासन पर विराजमान हो (बैठ) गया। उसके विषय में जानकारी किसी बाखबर से पूछो।
इससे यह स्पष्ट है कि सर्व सृष्टि रचनहार, सर्व पाप विनाशक परमात्मा कबीर है।
❌ *No Copy Paste*❌
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everynewsnow · 4 years ago
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जाइंट जंजीर से लेकर सरीना संधू तक: डब्ल्यूडब्ल्यूई के सुपरस्टार के तमाशे पर प्रदर्शन करने वाले भारतीयों से मिलें
जाइंट जंजीर से लेकर सरीना संधू तक: डब्ल्यूडब्ल्यूई के सुपरस्टार के तमाशे पर प्रदर्शन करने वाले भारतीयों से मिलें
WWE ने गणतंत्र दिवस पर दो घंटे का एक विशेष एपिसोड ‘सुपरस्टार स्पेक्ट्रम’ प्रदर्शित किया, जहां भारतीय सुपरस्टार्स ने अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए डब्ल्यूडब्ल्यूई चैंपियन ड्रू मैकइंटायर, रे मिस्टेरियो, चार्लोट की पसंद के साथ चार वर्गों वाली अंगूठी साझा की। 7 फुट दो इंच के राक्षस – विशाल जंजीर से लेकर आधुनिक महाराजा जिंदर महल और करिश्माई सरेना संधू तक, भारत की प्रतिभा पूरे प्रदर्शन पर थी। भारत का…
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nishtha-vats · 6 years ago
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कृष्ण की चेतावनी
वर्षों तक वन में घूम-घूम,
बाधा-विघ्नों को चूम-चूम,
सह धूप-घाम, पानी-पत्थर,
पांडव आये कुछ और निखर।
सौभाग्य न सब दिन सोता है,
देखें, आगे क्या होता है।
मैत्री की राह बताने को,
सबको सुमार्ग पर लाने को,
दुर्योधन को समझाने को,
भीषण विध्वंस बचाने को,
भगवान् हस्तिनापुर आये,
पांडव का संदेशा लाये।
‘दो न्याय अगर तो आधा दो,
पर, इसमें भी यदि बाधा हो,
तो दे दो केवल प���ँच ग्राम,
रक्खो अपनी धरती तमाम।
हम वहीं खुशी से खायेंगे,
परिजन पर असि न उठायेंगे!
दुर्योधन वह भी दे ना सका,
आशीष समाज की ले न सका,
उलटे, हरि को बाँधने चला,
जो था असाध्य, साधने चला।
जब नाश मनुज पर छाता है,
पहले विवेक मर जाता है।
हरि ने भीषण हुंकार किया,
अपना स्वरूप-विस्तार किया,
डगमग-डगमग दिग्गज डोले,
भगवान् कुपित होकर बोले-
‘जंजीर बढ़ा कर साध मुझे,
हाँ, हाँ दुर्योधन! बाँध मुझे।
यह देख, गगन मुझमें लय है,
यह देख, पवन मुझमें लय है,
मुझमें विलीन झंकार सकल,
मुझमें लय है संसार सकल।
अमरत्व फूलता है मुझमें,
संहार झूलता है मुझमें।
‘उदयाचल मेरा दीप्त भाल,
भूमंडल वक्षस्थल विशाल,
भुज परिधि-बन्ध को घेरे हैं,
मैनाक-मेरु पग मेरे हैं।
दिपते जो ग्रह नक्षत्र निकर,
सब हैं मेरे मुख के अन्दर।
‘दृग हों तो दृश्य अकाण्ड देख,
मुझमें सारा ब्रह्माण्ड देख,
चर-अचर जीव, जग, क्षर-अक्षर,
नश्वर मनुष्य सुरजाति अमर।
शत कोटि सूर्य, शत कोटि चन्द्र,
शत कोटि सरित, सर, सिन्धु मन्द्र।
‘शत कोटि विष्णु, ब्रह्मा, महेश,
शत कोटि जिष्णु, जलपति, धनेश,
शत कोटि रुद्र, शत कोटि काल,
शत कोटि दण्डधर लोकपाल।
जञ्जीर बढ़ाकर साध इन्हें,
हाँ-हाँ दुर्योधन! बाँध इन्हें।
‘भूलोक, अतल, पाताल देख,
गत और अनागत काल देख,
यह देख जगत का आदि-सृजन,
यह देख, महाभारत का रण,
मृतकों से पटी हुई भू है,
पहचान, इसमें कहाँ तू है।
‘अम्बर में कुन्तल-जाल देख,
पद के नीचे पाताल देख,
मुट्ठी में तीनों काल देख,
मेरा स्वरूप विकराल देख।
सब जन्म मुझी से पाते हैं,
फिर लौट मुझी में आते हैं।
‘जिह्वा से कढ़ती ज्वाल सघन,
साँसों में पाता जन्म पवन,
पड़ जाती मेरी दृष्टि जिधर,
हँसने लगती है सृष्टि उधर!
मैं जभी मूँदता हूँ लोचन,
छा जाता चारों ओर मरण।
‘बाँधने मुझे तो आया है,
जंजीर बड़ी क्या लाया है?
यदि मुझे बाँधना चाहे मन,
पहले तो बाँध अनन्त गगन।
सूने को स��ध न सकता है,
वह मुझे बाँध कब सकता है?
‘हित-वचन नहीं तूने माना,
मैत्री का मूल्य न पहचाना,
तो ले, मैं भी अब जाता हूँ,
अन्तिम संकल्प सुनाता हूँ।
याचना नहीं, अब रण होगा,
जीवन-जय या कि मरण होगा।
‘टकरायेंगे नक्षत्र-निकर,
बरसेगी भू पर वह्नि प्रखर,
फण शेषनाग का डोलेगा,
विकराल काल मुँह खोलेगा।
दुर्योधन! रण ऐसा होगा।
फिर कभी नहीं जैसा होगा।
‘भाई पर भाई टूटेंगे,
विष-बाण बूँद-से छूटेंगे,
वायस-श्रृगाल सुख लूटेंगे,
सौभाग्य मनुज के फूटेंगे।
आखिर तू भूशायी होगा,
हिंसा का पर, दायी होगा।’
थी सभा सन्न, सब लोग डरे,
चुप थे या थे बेहोश पड़े।
केवल दो नर ना अघाते थे,
धृतराष्ट्र-विदुर सुख पाते थे।
कर जोड़ खड़े प्रमुदित,
निर्भय, दोनों पुकारते थे ‘जय-जय’!
-रामधारी सिंह "दिनकर"
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nageshchandramishra · 4 years ago
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लेख: मैथिली कें अप्पन लोकक संरक्षण नहि -- ताहि स्थिति मे मातृभाषाक पुनर्जागरणक भागीरथी तपस्या
( लेखक: नागेश चन्द्र मिश्र )
........" राष्ट्रभाषा होने के कारण प्राचीन समय से हिन्दी सब प्रान्तीय भाषाओं की बड़ी बहिन है,उसकी छोटी बहिनों के स्वरूप मे माता का अमर सौन्दर्य झलकता है । बहिनें एक दूसरे के रूप में अपना रूप भी देखती हैं । उनका आपस का प्रेम स्वाभाविक है । बड़ी बहन छोटी बहिनों के अधिकार सुरक्षित रखती है । उसका अपना घर सब बहिनों के लिए ख़ुला है और उसके घर में ही सब बहिनों को आपस में मिलने और मिलकर राष्ट्रोपासना की सुविधा है । "..
( हिन्दी-साहित्य-सम्मेलन अधिवेशन,१९४१ में सर्वसम्मति से पारित प्रस्ताव ; 
संदर्भ: Dr. Amaranatha Jha : Hundred Years ,पृष्ठ ३०४ ,Academy Press,Daraganj, Allahabad )
दिनांक ३,४,५ मई,२०१२'क प्रभात खबर अखबार मे एकटा लेख छपल- शीर्षक रहैक : "मैथिली को अपने ही लोगों का संरक्षण नहीं "--- लेखकक नाम एवं परिचय छिअन्हि : श्री श्रीश चौधरी,प्रोफेसर,मानविकी एवं समाज विज्ञान विभाग,आइ.आइ.टी.मद्रास-- लेख'क शीर्षक एकदम सटीक लागल जे अपना ' जिन ' के छूलक ! अइ लेख मे लेखक'क अपन मातृभाषा मैथिली से अगाध प्रेम'क दर्शनो होइत अछि-- मैथिली'क वर्तमान दुर्दशा सं हुनक चिन्ता सेहो झलकैए , मुदा जं -जं आगु पढ़' लगलहुं--लेख मे सं "जिन्न" सभ सेहो बहराय लागल ! बुझना गेल जेना लेखक कहि रहल होथि ------'चूड़ा अछइत जं दही'ओ रहिते,तं बिन चीनी'ए ख़ुआए दइतहुं !' मैथिली'क "रीमिक्स'क" चाशन�� मे सराबोर होइत मैल्कम ग्लेडवेल'क शब्द मे "ब्लिंक" करइत रहलहुँ- कारण जे लेखक बहुत किछु देखलन्हि-- बहुत किछु सुनलन्हि--- मुदा अइ लेख'क उद्देश्य आ आगू'क लक्ष्य दिस कोनो "पोज़िटिव थिंकिंग " संग सटीक किछु कहलन्हि टा नहि !
..... मोन पडि गेल बांग्ला फिल्म " आपन जन" क हिन्दी "रिमेक" गुलज़ार'क "मेरे अपने" क ओ दृश्य जाहि ठाम "जानकी माए" सन बूढ़ि मीना कुमारी कें दू गैंग मे बंटल 'अपनहि लोक' क झगड़ा' क बीच-बचाव मे अपन छाती मे गोली लागि जाइत छैन आ' तखन फ़्लैशबेक मे ओ अतीत'क चलचित्र मे झांक' लगेत छ'थि -- ओहू सं बेसी सटीक मोन पड़ल महाभारत'क ओ मर्मस्पर्शी श्लोक (जे विराट पर्व,शान्ति पर्व आ नइँ जानि आन कतेको ठाम यथा:कौटिल्य अर्थ-शास्त्र,संविधान सभा,पार्लियामेन्ट आदि मे उग-डुब करइत रहइए) :-
" न सभा यत्र न सन्ति वृद्धा; न तो वृद्द्धिये न वदन्ति धर्मम् ।
ना सौ धर्मो यत्र न सत्यमस्ति;न तत् सत्यं यच्छलनानु विद्'धम् ।।"
अर्थात, ओ सभा 👉सभा नहि कहाओत जेत' बूढ- बुढानुस नहि रहथु; ओ बूढ बूढ नहि कहाओताह जे धर्म'क आचरण नहि करइत होइथ ; ओ धर्म धर्म नहि कहाओत जे सत्य सं युक्त नहि हो; ओ सत्य सत्य नहि थिक जे छल सं बेधल हो ! 
जँ संक्षेप मे कही तं अपन मैथिली'ओ'क हाल ओहने सन भ' गेल-- जं मां मैथिली स्वयं लेखक के सम्बोधन करितथि,तं संभवत: कहितथि---------
------- ( परिदृश्य -- फ़्लैशबेक -- )
......" बाउ ! अहाँ प्रारंभहि मे कहि देने छिअइ .." मैथिली को अपने ही लोगों का संरक्षण नहीं..."--- अहां एकदम सत्य कहल---जं से संरक्षण रहितैक ,तं अहां के ई लेख पठबइ काल हमर "बहिन" हिन्दी 'क प्रेस सँ अन्योन्याश्रय संबन्ध रहिते---नै' कि---प्रभात खबर अखबार 'क " कने एम्हरो " सन दया-दृष्टि 'क एकदिसाह आवश्यकता पड़िते'--- आइ फ्रेजर रोड ,पटना मे आर्यावर्त-- इंडियन नेशन प्रेस' क परिणति " महाराजा कामेश्वर काम्प्लेक्स "क रूप मे नहि भ' के-- ओकर स्थान पर "मिथिला प्रेस"'क चकबिदोर करइत एलेक्ट्रोनिक पट्ट चमचमाइत रहितैक -- जेत' से मुख्यतः मैथिली'ए मे मिथिला मिहिर , दैनिक अखबार बहराइत रहितइ जेकर संस्करण नै जानि कत'- कत' से जेना ----- कोलकाता,दिल्ली,दरभंगा,भागलपुर,मुजफ्फरपुर,पूर्णियां,सहरसा,राँची,जमशेदपुर,मुंगेर,धनबाद, जनकपुर,काठमांडू,बेंगलुरु आ देश-विदेश 'कतको आन-आन ठाम सँ विश्व-स्तरीय मैथिली दैनिक' क संस्करण 'क डंका आइ बजबइत रहिते.....मुदा से होयतेक तखन ने जं आइ सँ एक सौ वर्ष सं किछु पूर्व "मिथिला-मैथिल- मैथिली" क नि:स्वार्थ हमर कतेको नेना-सेनानी आ सत्यपथ पर अग्रसर लोकनिक सुविचार ताहि समयक ' श्री ५ मान् मिथिलेश ' आ हुनक सलाहकार सभ मानने रहितथिन्ह जाहि सं मैथिली'क मजबूत नींव पड़ल रहितइक ???
अइ प्रसंग मे मैथिली भाषा'क पुस्तका - कार प्रकाशित प्रथम उपन्यास " रामेश्वर" क रचनाकार पं. जीवछ मिश्र(१८६३-१९२३) ' क निम्नांकित उद्गार जे प्रारंभिक" मैथिल महासभा" मे देल गेल वक्तव्य'क अंश थिक -- ओकर एक बानगी कृपया पढ़ू ,बाउ :
...... "मैथिल महासभा'क आदि सं हम अपन क्षुद्र बुद्धिक अनुसार विज्ञ मैथिल मात्र सं एहि महत्वमय विचारक प्रसंग कहएत आएल छी जे मैथिल महासभा मिथिला वासी जाति मात्र कां कुलक्रमागत उचित कर्तव्य ओ अपन-अपन उन्नति करबाक अवकाश देथुन्ह, जाहि सँ सभक सहानुभूति बनल रहत तथा ई समाज सुंदर ओ हृष्ठपुष्ट भए मिथिला'क उपकारी बनि सकत । उक्त प्रस्तावक विवेचना करब तं फराक रहो जे एक समय मध्य हमर कथा छल - 'ई मैथिल महासभा मैथिल मात्रक सम्पत्ति थिक ' । जाहि पर सभा ' क एक नेता चटकि क़ै उत्तर देलन्हि, -- ' नहि नहि , मैथिल महासभा मैथिल ब्राह्मण ओ कर्ण कायस्थक थिक " !....
..........."हमरा कहबाक जे 'मैथिल महासभा ' क प्रबंधकर्ता उचित कहनिहार कें अवज्ञा कय एतबा विचार करथु जे एहि मे दोष केकर ? आबहुं जं महासभा'क धुरंधर संचालकगण हमर विनीत प्रार्थना बुझथि तं " गेलो पानि बान्ही आरि "- एहि लोकोक्ति'क अनुसार शान्त भावें अपन दोष मानि मिथिलास्थ आन आन सभा कां " मैथिल महासभा" मध्य मिलाए चारु वर्ण'क उक्त सभा कए सकथि तं अति हर्ष छल । अगत्या मिथिला भाषा कां विश्वविद्यालय मे उचित स्थान ओ स्वत्व शुभकामनासं आन सभा द्वारा पृथको प्रार्थना - पत्र पठबाए मिथिला'क मंगलकामी बनथु --- अन्यथा अकृत कार्य भेला सं हमही नहिं,किन्तु मैथिल सं अतिरिक्तो जाति उपहास कए कहतएन्ह जे की ओ ! मिथिला भाषा चलल ?....."
-------!!! "----- (उद्धरण: "अंकुर" --मिथिला मोद,उद्गार सं.१००,१९१०-१९२० ई. मध्य संकलित पं.जीबछ मिश्रक लेख : दोषी के ? )
---"बाउ ! अहां कहू ---हम "मैथिली"! -- मिथिलाक राजा जनक'क ललना "जानकी" !!------ "सीता" ??? ----हमर कोन जाति छल ?हमर कोन वर्ग ?? कोन सम्प्रदाय ??? 
कि, हम मैथिल ब्राह्मण आ कर्ण कायस्थे टा 'क माए छी वा छलहुं? भूमिहार ? क्षत्रिय ? गोप ? लव-कुश ? दुसाध ? चमार ? आ कि मुसलमान ? ओ सभ अपन - अपन घर मे कोन भाषा'क व्यवहार क' रहल छलाह वा छलीह ? आ कि अहीं कहू जे मिथिला'क कोन समाज़'क आंगन मे हम नहि छलहुं ( आ कि आइयो नहि छी ? -------
जं धरती'ए हमर माय, तं की हम मिथिला'क जन-जन मे रचल-बसल नहि छलहुं ( आ' कि एखनहुं नहि छी?)
मुदा, श्री५ मान् मिथिलेश आ हुनक 'कर्ता-धर्ता लोकनि 'गैलैलीयो' सन हमर निस्वार्थ नेना जीवछ आ ओहेन सब 'सत्य' बजनिहार'क गले' टा नहि टिपलन्हि---- ओ लोकनि हमरा हमरे लोक -- हमरे सन्तान सभ से काटि हमरा जिबतहिं मारि देलन्हि !!!!! हमरा फेर से धरती मे गाड़ि देलन्हि !!!!!!! नहि तं आइ बांगला भाषा जकां देश- प्रदेश'क विभाजन'क बादो हमहूं जन-जन मे समस्त विशाल मिथिला'क कोर मे पल्लवित- पुष्पित होइत रहितहुं !!
अहीं कहू जे ‘लव - कुश’क हम माय आ मर्यादा पुरुषोत्तम हमर स्वामी - मुदा हुनक संतान- सखा पात - लोकनिकें सेहो हम गरगट्ट भ’ गेलियन्हिं ?
"लम्हों ने ख़ता की थी-- सदियों ने सजा पाई " --- एहने ठाम कहल जाइत छइक !...."
(पटाक्षेप )
..... अस्तु! पं. ज़ीबछ मिश्र लिखइत रहलाह ! एक-डेढ़ सौ साल पहिलुक रूढ़िवादी समाज़ मे जातिवाद'क जंजीर सं मुक्त भए अन्य सामाजिक विषय पर सेहो साहसपूर्वक अपन आवाज बुलन्द करइत रहलाह , मुदा, ओहेन अरण्यरोदन 'नक्कारख़ाना'क तूती साबित भेल -हुनकर प्रस्ताव'क समय जं पहिलुक महाराज श्री५ मान् लक्ष्मेश्वर सिंह(शासन काल:१८८० से १८९८ तक ) राजगद्दी पर विराजमान रहितथि, तं भ' सकइत छल जे हुनक अनुरोध बहुत अंश तक मानियो लेल जएतन्हि, मुदा अल्प वएस मे महाराज'क अवसान होयबाक कारणें महाराज'क अनुज श्री ५ मान् रमेश्वर सिंह राज़-पाट सम्हारलन्हि(शासन काल:१८९८ से १९२९ तक)जिनकर विचार आ काज करबाक ढंग अपन दिवंगत जेठ भाए सं सर्वथा भिन्न छलन्हि ।सत्य'क खातिर जीबछ बाबू कें बहुतो साल धरि महाराज श्री५ मान् ��मेश्वर सिंह बहादुर आ हुनक दरबारी लोकनिक कोपभाजनक शिकार हुअए पड़लन्हि-- मुदा ओ ताहि सं कहियो विचलित नहि भेलाह -- मातृभाषा 'क सेवा आजन्म करइत रहलाह ! "लिप- सिम्पैथी" बहुतो महानुभाव देखाओलखिन्ह, किन्तु, राज दरबार से विरोध कए हुनक संग देबाक साहस बेसी गोटा नहिं जुटा पाओलाह आ ओहो एकटा कारण भेल जाहि सं "मैथिली भाषा'क प्राथमिक सामाजिक न्याय'क आन्दोलन " मे ओ काफी हद तक अलग- थलग पड़ि गेलाह ।समाज'क आन वर्ग सभ कें मैथिल महासभा मे शामिल नहि कएला सं ओ लोकनि मैथिली भाषा सं बिद'इक गेलाह ।एत' ई उल्लिखित केनाइ आवश्यक बुझना जाइए जे जं महाराज साहेब आ ब्राह्मण - कर्ण कायस्थ'क कर्णधार लोकनि आनो सभ जाति कें मैथिल महासभा मे ओहेन 'डिफ़ाइनिंग मोमेन्ट' पर उचित स्थान आ सम्मान देने रहितथिन्ह ,तं आइ मिथिला मे मैथिलीक स्थान प्राय: ओहेन भए सकइत छल जेहेन पश्चिम बंगाल आ पछाइत बांग्ला देश मे बांग्ला भाषाक छइक ! (कम से कम आजुक नेपाल'क मैथिली'क समकक्ष तं निश्चिते रहितो )
मैथिल ब्राह्मण आ कर्ण कायस्थ'क मैथिल महासभा आगुओ श्री५ मान् महाराज कामेश्वर सिंह (शासन काल:१९२९ ई.से जमीन्दारी उन्मुलन'क बादो आजीवन सन् १९६२ पर्यन्त) साल-दर- साल बदस्तूर चलिते रहल यावत धरि राज-पाट रहलइक-- मुदा, हुनका लोकनि द्वारा आन-आन जाति'क सभा सबहक पूर्व में भेल उपेक्षा क कारणें प्रतिक्रिया - स्वरूप शनै:-शनै: मैथिली भाषा'क ग्राह्यता कम होइत गेल-- आ बांग्ला भाषा जेकां जे मैथिली शुरू मे जन-जन मे रचल- बसल छल - ओकर धार भोंथ भेनाइ शुरू भ' गैलइ ! ' प्रो-ऐक्टिभ ' वर्ग मे ब्राह्मण आ कर्ण कायस्थ लोकनि मैथिली बजैत-लिखैत रहलाह -- आ ओतहि 'प्रजा वर्ग' मे लगभग आन सभ क्यो अपन-अपन घर मे यद्यपि मैथिली'ए क व्यवहार करइत रहलाह,मुदा ओ लोकनि अइ भाषा'क प्रचार-प्रसार सं विरत होइत गेलाह -- बहुत गोटा ओतबो पर नहि थमलाह-- आ प्रतिक्रिया-स्वरुप "भोट'क राजनीति" मे पड़ि मैथिली'क विरोध सेहो करय लगलाह जाहि सं ई भाषा ठमकि गेल-- आ "बोन्साइ" जकां मैथिल ब्राह्मण आ कर्ण कायस्थ'क समाज'क शोभा बढ़बए लागल ! ओकर बाद फेर एहू समाज'क छोट-छिन दायरा'क संकुचित विचार-धारा मे ब्राह्मण- सोति,पूर्व-पश्चिम-उत्तर-दक्षिण इत्यादि' क दियारा सभ अपनहि बनइत चल गेल जेकर परिणाम ई भेल जे मैथिली आ मिथिलाक्षर जे बंगला से कतेको बेसी प्राचीन अछि - अपनहिंमे कटाओझ कए छिन्न-भिन्न भ’ गेल ! बहुतो त्यागी- मनस्वी लोकनिक अथक प्रयास भेल जे भाषा'क कटाव आ कटौझ कें रोकी, मुदा पर्याप्त सफलता नहि भेट सकलन्हि ! 
....देखते- देख़इत ---सय बर्ष सं बेसी बीत गेल......आ' एहि मध्य 'ब्रह्म-कमंडल-मंडल-भव-खंडन' क काल'क पहिया अपन आवृतो पूरा क' लेलक.........श्री ५ मान् मिथिलेश आ' हुनक मोसाहिब सभक स्थान पर नव-नव मठाधीश अपन-अपन चटिया सभक संग 'मिथिला-मैथिल-मैथिली ' क नाम पर राजनीति'क 'रोटी' सेंकबा मे एखनो बदलल रूप मे वर्तमान-विद्यमान छथिहे !! आइयो शहर-नगर मे हरेक साल विद्यापति पर्व समारोह मनाओल जाइत अछ��-'राजा शिवसिंह रूप नरायन'क भेष मे डायस पर माननीय भूत-भविष्य-वर्तमान'क नेता लोकनिक आरती उतारल जाइत छन्हि-हुनका सभ के पाग-पुष्पादि सं सम्मान कयलाक बाद मैथिली भाषाक 'आजीवन संरक्षक' लोकनि सेहो सभ अपना कें प्रतिष्ठित करइत छथि - ओकर बाद वैह भाषण-गीत-नाद-आनन्द मेला मे मां मैथिली'क "तीन दिना बर्षी"क बाद "राग दरबारी " सन "स्टिरियोटाइप" कार्यक्रम सम्पन्न भ' जाइए ! आइयो धरि ई सभटा समारोह मे लगभग ८० प्रतिशत उपस्थिति मैथिल ब्राह्मणक रहइए-- "कोटा सिस्टम "क खातिर थोड़-बहुत आनो जाति-सम्प्रदाय' क लोक सभ के राखए पड़इत छन्हि - भोट'क राजनीति सं प्रेरित भए कखनो काल मैथिली कें नफ़ा-नुकसान समय-समय पर होइत रहलै अछि , मुदा कोनो निश्चित दिशा दिस निस्वार्थ रुपें भविष्य'क योजना एखन धरि समेकित रूप सं बनल हो आ ओहि पर सुनियोजित ढ़ंग से कार्य होइत हो-- से नहि बुझना जाइछ । 
हं, "मिथिला-मैथिल-मैथिली"-क विकास'क नाम पर किछु 'जेनुइन' सेहो आ बहुतो एकर 'खाल' ओढ़ने राजनीतिक,सामाजिक,साँस्कृतिक,जातीय चेतना मंच सभ अलग मिथिला राज्य'क नारा बीच-बीच मे बुलन्द करइत रहैत छथि -- किन्तु, बेसी 'केस' मे ओ सभ तखने गतिशील होइत छथि जखन - जखन अपन स्वार्थ-सिद्धि'क 'नाड़ा' ढील भ' जाइ छन्हि !
एहन परिस्थिति मे जिनका वास्तव मे मैथिली भाषा सं निस्वार्थ प्रेम होन्हि - हुनका लोकनि कें अइ भाषा' क संक्षिप्त इतिहास सं परिचित होयबाक चाही--आब तं किछ अन्दाज "गुगल" सर्च केला' पर सेहो भए सकइत छन्हि ।जं लगभग एक हजार बर्ष पाछू तकबाक धैर्य होइन्ह ,तं अइ प्राचीन भाषा'क विलुप्त भ' जैबाक हुनक सभटा आशंका छू-मंतर भ' जेतन्हि--"देसिल बअना सब जन मिटठा" रहबे करत , मुदा से हृदयंगम करबा'ले प्रात:स्मरणीय डॉ. सुनीति कुमार चटर्जी सन भाषा- वैज्ञानिक'क विशाल हृदय चाही! जं ओतेक बेसी सबूर नहिं होइन्हि, तं पछिला एक सय बर्ष'क "पश्येम शरद: शतम��� "क विहंगम दृश्य मैथिली भाषा'क दशा-दिशा सं काफी-किछु परिचित करेबा' मे सहायक भ' सकइत छन्हि - तखने "भवेम शरद: शतम्" आ "जीवेम शरद: शतम्"क सपना साकार भए सकत ।भाषा,जन-जीवन आदि काल सं टूटइत-बनइत आबैत रहल रहल अछि -"वासांसि जीर्णानि.." सभ ठाम ले सत्य .........
एतय पता नंइ-- बेर - बेर एकटा विश्व-प्रसिद्ध उपन्यास "वन हन्डरेड इयर्स आफ़ सोलिच्युड (लेखक:गैब्रिएल गार्सिया मारक्वेज )"क स्मरण भए रहल अछि -जखन कि ई उपन्यास हमरा एको बेर पूरा नहि पढ़ल भेल; जखन- जखन आगू पन्ना उलटेबाक चेष्टा करी -- कथानक केर मुख्य पात्र'क सात पुस्त-वंशावली आ ओतेक 'कैरेक्टर' सभ'क नामे बिसरि जाइ- आ पात्र सबहक पंजी स्मरण करबाक चेष्टा मे ओहने लागे जेना जनउ गेठबइ काल ओकर तानी बेर-बेर ओझरा जाइ छइ आ तखन ओकरा सोझरबइ मे की-की पराभव होइत छइक - से केनहि जानल जा सकइए ! एहेन "किंग ब्रुस आ स्पाइडर" प्रयास' सं ई उपन्यास पढ़लाक बाद अन्दाज लागि जाइत छइक जे "मैकोन्डो'क फ़ॉन्डर बुइंडिया फ़ैमिली'क ओरिजिनल सिन " सय बर्ष आगुओ पछओर धेनहि रहइत छइक -- ओकर मर्म आ वेदना कें बुझबा मे जेहेन बोध भेल - ओहने कष्टमिश्रित उद्वेग हमरा मिथिला-मैथिल-मैथिली'क पछुलका एक सय बरख'क इतिहास बुझला पर होइए -- आब "करेक्टीभ मेज़र्स " लए ले की कएल जाय ताकि अपन मातृभाषा मैथिली सेहो शाप-मुक्त भए सकथि - अइ पर बहुत परिश्रम करबाक आवश्यकता छइक! कहबाक अर्थ जे मातृभाषा पर सभ मिथिलावासी'क समान अधिकार स्थापित करबाक दिशा मे समृद्ध मैथिल वर्ग हृदय सं आन सभ उपेक्षित वर्ग सं क्षमा मांगि हुनकर सभक हृदय जितबाक भागीरथी प्रयत्न करइत सभ मिल-जुलि मैथिली भाषा'क उन्नयन'क दिशा मे सामूहिक प्रयास करथु ।एखन एकटा ई "अपॉर्चुनिटी" छइक जे संविधान'क अष्टम सूची मे मैथिली भाषा शामिल भेलाक बाद बहुतो मैथिली भाषी वर्ग जे लोकनि पहिने उपेक्षित रहलाह-- संभावना पूरा छइक जे ओ सभ अपन -अपन कैरियर 'क खातिर आब अइ भाषा सं नहि बिदकथि ! मैथिल समाज मे जेना-जेना शिक्षा'क प्रसार हेतइक - जाति-पाति'क उन्माद सेहो कम होअए लगतइक आ भाषा'क ग्राह्यता बढ़इत जेतइक - ताहि लेल "प्रि-नर्सरी" स्टेज सं "प्राइमरी"- "हाई स्कूल"- "ग्रैजुएशन"-"हायर एडूकेशन"- "एडभान्स्ड स्टडीज़" - प्रत्येक स्टेज धरि मातृभाषा मे ओहने "आरिजनल" कोर्सबुक तैयार करबाक आवश्यता छैक जे���ेन अमेरिकन,फ्रेंच,इंगलिश,जापानिज,जर्मन,चाइनिज( मैन्डरिन) आदि समकक्ष "एडवांस्ड कन्ट्रीज" मे तैयार कएल जाइत छैक--ई बहुत परिश्रमक कठिन काज छैक-- रटन्त विद्या पढ़ल "कर्पूरी" डिविजन सं पास वा कोनो "जगन्नाथी" ब्रांड प्रोफेसर द्वारा हिन्दी व 'अंग्रेजी' से मैथिली मे ट्रान्सलेशन कएला सं काज नहि चलतइ-- एतय "'सिब्बल' नहि 'सिम्पुल'फार्मूला से पढ़उन्हार "वॉट्सन स्कूल वला खॉटी बैद्यनाथ ठाकुर"सन कोनो मोडर्न "सुपर थर्टी"क "आनन्द कुमार"क "डिसिप्लिन" आ दम-खम चाही !!
एकर अतिरिक्त ग्राम-स्तर से पंचायत-ब्लॉक-प्रखंड-जिला-राज्य-केन्द्र-स्तर तक सरकार द्वारा जे कोनो विकास योजना चलाओल जाए रहल अछि -- ओकर "इन्टरएक्टिव कम्युनिकेशन टूल" मातृभाषा मे तैयार करबाक आवश्यकता सेहो छैक ! संविधान'क अष्टम सूची मे जे कोनो स्थानीय भाषा'क बजनिहार नागरिक हो-- ओकरा इ अधिकार होयबाक चाही जे ओकर सर्वे,खाता-खतियान आ आन जरूरी क़ागज़ात सरकार द्वारा ओकरे इच्छित भाषा मे उपलब्ध कराओल जाए - "ट्रांसपेरेंसी रिवोल्यूशन"क आधुनिक युग मे मात्र "कैथी-उर्दू-फ़ारसी-अंग्रेजी"वला पुरनका फरमा से काज चलइवला नहि छइक- सरकार'क एखन जे सूचना,शिक्षा,प्रसार नीति आ काज करबाक ढ़ंग छइक से "लालबत्ती" से नीचा उतरबाक नामे ने लए रहल अछि ! हमरा ते लगइए जे "लालेबत्ती" आगु सब मुखिया-सरपंचे टा नहि-पंचायत सेवक सेहो लगा लेताह ! तंइ ,सामाजिक परिवर्तन'क अइ युग मे गामे-गाम गांधी जी'क स्वप्न'क ग्राम-स्वराज आनबाक हेतु कतेको "रालेगांव सिद्धि"क निर्माण करइ ले बहुतो रास "आइ.ई.सी. मैटेरियल्स" तैयार करए पड़तैक आ सदिखन "जागते रहो"वला "टीम अन्ना" आ जुझारु "जेनरल भी.के. सिंह"क मुद्रा मे सिंहनाद करइत "जेन्डर मैनस्ट्रीमिंग" क संग “प्रशस्त पुण्य पंथ है-बढ़े चलो-बढ़े चलो..." क अनुसरण करय पड़तैक !!
"सर्किल कम्पलिट" करबाक खातिर एतय एकटा "पुश्तैनी चुम्बक"क सेहो चर्चा केनाइ परम आवश्यक -----
"वन हन्डरेड इयर्स आफ़ सोलिच्युड"- हमरा लोकनि कें इहो आशा दियेबा' मे सहायता कए सकइत अछि जे अपने सभ सदृश "नन-रेज़िडेन्ट-भिलेजर" कें अपन भाषा,अपन मातृभूमि बारंबार चुम्बक जकां अपना दिस अइ दुआरे आकर्षित आगुओ करइत रहत किएक तं ओहि माटि मे हमरा लोकनिक माय-बाप-पितामह'क पवित्र चिता'क सुगंधित वास छइक ! तंइ पटना से गाम आबी- अथवा चेन्नई-पंजाब से- वा दिल्ली-डेनमार्क- लंदन-पैरिस-वाशिंगटन-टिम्बकटू से- अपन सबहक "उड़इत-वंशी" लोक-वेद भले मैथिली शब्दावली मे "इंग्लिश" मिझहर करइत रहत ( हमर अपनो तँ से हाल भै’ये गेल अछि , जँ ‘बाबूक अमरनाथ भाइ’ हमरा एहेन अशुद्ध मिझहर मैथिली बजैत- लिखैत देखने रहितथि, तँ जै टा गलती - ओतेक पाइ दंडात्मक कार्रवाई केने रहितथि)
-- एहनो समय-साल औतैक जे वैह “ उड़ैत- वंशी” सभ मैथिली'क पुनर्जागरण मे अचूक रामवाण'क काज कए सक'इए-- कोनो आश्चर्य नहिं जे ओकरे सभ मे से खाँटी "मैथिल"-स्टीव ज़ोब्स- बिल गेट्स-वारेन बुफेट-बेंजामिन फ्रैंकलिन-एल्विन टोफलर-डॉ. जॉनसन-फ्रांसिस बेकन-माइकेल डि मौन्टेन- एम.एफ. हुसैन- पर्ल एस. बक- अल्फ्रेड नोबल- नेल्सन मंडेला- मदर टेरेसा....सन कतेको विभूति सभ'क दर्शन भए जाए -- आ तखन आजुक संचार युग मे केहेन क्रांति आबि सकइत छइक से कल्पना करु ! तंइ लेखक अपन आशा बरक़रार राखथु !! हम ने कोनो "सोमशर्म पितु:कथा" कहल आ ने "कुबला खां"क "प्लेजर डोम" मे रहि रहल छी! ग्लोबलाइजेशन'क युग मे जं-जं शिक्षा'��� प्रचार- प्रसार हेतइक- अपनहु सभक भाषा'क बनाओल कृत्रिम आरि-पानि 'टू-वे कम्युनेशन' भेला सं अपनहि टूट'इत जेतइ- ओहेन स्थिति'क निर्माण भेला सं ख़ूब संभावना एकरो छइक जे सैकड़ों-हजार मे आन-आन भाषा-भाषी'ग्रियर्सने' टा नहि--मैंन्डरिन,जापानिज,कोरियाई,जर्मन,फ्रेंन्च,रसियन,उड़ीया,असमिया,बांग्ला,मणिपुरी,डोंगरी,तमिल,तेलगु,मलयालम,नेपाली,उर्दू,हिंदी,मगही,भोजपुरी आ नइ जानि कतेको आन-आन भाषा बजनिहार लोक सभ मिथिला'क 'इन्एक्जोस्टिबुल' 'संस्कृत आ संस्‍कृति' सं आकर्षित भए एतुक्का 'अवहट्ठा' आ प्राचीन ओ नवीन मैथिली'क असीम भंडार'क सृजन मे सहायक होथि - एहेन नवनिर्माण'क दिशा दिश आगु बढ़इत काल मैथिली बजनिहार'क "संख्या-बल"क विश्लेषण(क्वान्टीटैटी'भ एनेलिसिस) कयला सं पूर्व जातीय-क्षेत्रीय संकीर्णता सं दरकल समाज कें जोड़इ ले' कोनो मामूली "फेविकोल" सं काज नहिं चलत--ओहि लेल "यात्री"जी- "मणिपद्म" जी सन स्पेशल "इपोक्सी- रेसिन"क सेनानी स�� के ठार करबाक जरूरत हेतइक ! तंइ सम्प्रति निर्विकार भाव से भाषा'क समृद्धि ( क्वालिटी ) पर ध्यान केन्द्रित करी--- एत' मोन पड़ि रहल अछि- जगन्नाथपुर टेम्पल,हटिया,राँची'क द्वार पर लिखल एकटा दोहा --
"चन्दन की चुटकी भली--गाड़ी भलो न काठ ।
बुद्धिमान एकहि भलहु--मूरख भलो न साठ ।।"
एहेन सुवासित विचार तखने संभव भ' सकइत छइक जखन मोन मे मदर टेरेसा सन प्रेम'क गंगा कल-कल बहइत हो - तंइ,दोसर "कार्डिनल प्रिंसपुल" ई जे सभ मैथिली - भाषी आनो सबहक मातृभाषा कें सम्मान'क दृष्टि सं देखल करथु ।बहुतो लोकनि अशिक्षा, जातिवाद,क्षेत्रवाद आ कतिपय आन-आन कुंठा-संत्रास सं ततेक ने ग्रसित रहइत छथि जे सदि'खन हुनका आशंका होइत रहइत छन्हि जे आन-आन भाषा सभ हुनकर मातृभाषा कें खा' जेतन्हि-गीड़ लेतिन्ह -हमरा बुझने ई अपनहि कमजोरी'क लक्षण थिक - कहबी छइक जे अनका दिस एक अंगुरी देखबइ काल तीन टा आंगुर अपनहि दिस लक्षित होइत छइक - जिनका अपन 'माए,मातृभूमि आ मातृभाषा ' सं निश्छल प्रेम होयतन्हि - ओ 'पावर,पाइ आ फेम'क 'डिजिज' सं ग्रसित नहि भए सकइत छथि-- आ ओहने लोक'क संगठन मैथिली'क उत्थान मे 'सस्टैनेबल् सिपाहसलार' साबित भए सकइत छथि-- ओहने नि:स्वार्थ मैथिली भाषा'क "पांडवी"रथ' पर अग्रसर होयबाक आजुक आवश्यकता छइक- जाहि मे २१वी शताब्दी'क कोनो पं अमरनाथ झा सन सारथी हो ! ओहेन पारखी कोनो फुहड़ आ 'थर्ड ग्रेड' साहित्य/सिनेमा/सीलेबस/गीत-नाद-नाटक कें "टॉलरेट" नहि करताह -- मैथिली मे भले एके टा कथा क्यो लिखथि- ओ हिन्दी'क "गुलेरी जी" बनबाक आकांक्षा राखथु;जं सिनेमा बनबथु--बांग्ला'क सत्यजित रे सन अन्तर्राष्ट्रीय स्तर'क हो; टी.वी. हो अथवा अखबार--मिथिला'क "सौभाग्य" कहाबय-दुर्भाग्य नहि-- अपन "ओरिजनल स्ट्रेन्थ" चिन्ही,अनकर "कौरवी वीकनेस" क "चीप" नकल कएला सं जगहंसाइए टा हैत !
ओहेन "पांडव"सभ आइ.आइ.टी. आ देश-विदेश'क कोनो प्रीमियर इन्स्टीट्यूशन'ए टा नहिं --आनो ठाम "तलाशल आ तराशल" जा सकइए-- मुदा,"विद्यापति'क ओहेन उगना" सभ कें ताकय आ गढ़य ले आचार्य रमानाथ झा सन खोजी स्नेहिल दिव्य दृष्टि आ काज करेबाक पांडित्यपूर्ण "पर्जवरेन्स" चाही !! मैथिली भाषा आ साहित्य'क क्षेत्र मे "ई-रिवाल्युशन" अनबाक दिशा मे किछु उत्साही भाषा-प्रेमी उद्यत भेल छथि जे प्रशंसनीय - मुदा आगुओ अनेको "इनोवेटिव कम्यूनिटी पोर्टल्स ,आनलाइन लाइब्रेरी,स��शल वेबसाइट्स" जेना "मोजिला फ़ायरफ़ॉक्स", "विकीपीडिया", "फेसबुक-ट्विटर" इत्यादि सदृश "ई- क्रांति"क असीम सँभावना छइक !! 
अन्त मे ,लेखक कें कोटिश: धन्यवाद दइत हमहूं अपन गाम-यात्रा'क अनुभव "शेयर" कर' चाहब--- ढाइ-तीन बर्ष पर गाम गेल रही;गामक सीमान तक जं "ब्लॉइंड-फोल्डेड" लए गेल रहितहुं,आ आंखि'क पट्टी खोलि क्यो पुछिते:कत' छी,कहू ?" उत्तर दितियैइक-"-दिल्ली-जयपुर हाइवे पर"- सड़क मार्गमे आशातीत सुधार भेलैए ! डीह पर पहुंचि भगवती कें प्रणाम कए "गाम" भाइ ( प्रो. डॉक्टर जगदीश मिश्र)क दलान पर पहुंचलहुं-सांझ भ' गेल रहइक- देखलियेक -ओतए पचीस- तीस गोट नर-नारी 'क समूह 'क बीच मैथिली साहित्य पर गहन चिन्तन भ' रहल छल; गोटेक क्षण थकमेकलहुं,मुदा भाइ हमरो शामिल कए परस्पर सभसँ परिचय कराओलन्हि - " ई सभ उत्कल यूनिवर्सिटी'क उड़िया भाषी छात्र-छात्रा लोकनि मैथिली भाषा'क विद्यार्थी छथि -- एखन 'एक्सकर्शन पर अपने सभक परोपट्टा मे पढ़ए आएल छथि- संग मे प्राध्यापक सेहो छथिन्ह"; छात्र-छात्रा-सभ चरण-स्पर्श कए "चेष्ट मैथिली" मे कुशल-क्षेम पूछलन्हि-- सुखद आश्चर्य भेल ! 
प्रात भेने "पक्की सड़क" आ " हाइवे " पर पाएरे टहलए गेलहुं- नाक दबने घुरय पड़ल-- "ओपेन डी'फेकेशन" ले आबो सबसे उपयुक्त स्थान वैह बुझल जाइए -ख़ास कए जे उपेक्षित समाज'क ओकालत कयलहुं -- ओ लोकनि अखनो -जनानी पर्यन्त -बिना कोनो संकोच लोटा लए सड़के पर जाइ छथि !!
ग्राम-पंचायत मे ५० प्रतिशत महिला आरक्षण'क जमीनी सच्चाई आ आंगनबाड़ी'क दुर्दशा सेहो देखलहुं !!!
ओहि बीच गाम'क सरस्वती पूजा सेहो देखल-- पूजा से ल'के भंसान तक "लाउडिस्पीकर" से "ट्रैक्टर" पर्यन्त अबीर-रंजित गाल आ "पाउच"क ठर्रा' सं त'र-ब’तर कंठ सं नि:सृत जय-जयकार--- "बीना पानी के - जय !---" बीना-पानी के-जय !!" सं झंकृत गूंज संग सब धिया-पुता'क लटर- पटर टॉंग अनवरत थिरकइत रहल !!!
गाम मे नेपाली रेडियो स्टेशन खट् से लागि जाइत रहए -- ओइ पर मैथिली प्रोगाम सेहो सुनल !
गाम सं घुरय काल जगदीश भाइ 'क दरवज्जा पर गोड़ लगइले गेलिअन्हि -- हुनकर फुलवारी मे श्रीखंड आ रक्त ��ानन - दुनु'क गाछ छन्हि- जै मे से कहियो काल हमरो स्‍नेह सं सनेस भेटइत आयल अछि- हड़बड़ी मे हम रही- भाइ कहलन्हि- बाउ ( चि. अनुराग) परीक्षा दय ले जेता'- हुनके मारफत सनेस मे चानन सेहो पठाए देब ! किछु मास'क बाद अपन प्रतियोगिता परीक्षा दइले भातिज चि. अनुराग यथासमयानुसार पहुंचलाह- संयोग सं ओहि बीच जानकी नवमी पड़लइ- अखबार मे पढ़ल- बिहार सरकार द्वारा ओहि उपलक्ष मे सार्वजनिक अवकाश घोषित कयल गेल- "अनप्रेसिडेन्टेड"? सुखद अनुभुति भेल ! इन्टरनेट पर "इन्डियन एक्सप्रेस" क एकटा पइघ न्यूज पढ़ि "शॉक्ड" भए गेलहुं- नेपाल मे "मैथिली' आन्दोलन'क सक्रिय नेत्री रंजू झा सहित पांच क्रांतिकारी लोकनि'क"पीस'फुल डैमोक्रैटिक एज़िटेशन" क दौरान भेल बॉम्ब ब्लास्ट मे शहीद ! "- मोन के दहला देलक-- लागल जे आइ फेर "मां मैथिली" कें धरती'क शरण मे जेबा'ले बाध्य हुअ' पडलन्हि !! जहां धरि मोन अ'छि-- एतुक्का अखबार मे प्राय: कोनो "प्रोमिनेन्ट" कवरेज नहि रहइक-- इ सभ विचारिते रही कि गाम से आयल भातिज चि. अनुराग 'न्यूज' सुनाउलन्हि-- "कका ! बुझलहुं ने -- परसूए राति चोर सभ चुपचाप फुलवारी महक श्रीखंड चानन'क गाछ काटि ल' गेल-- के लए गैल- कोना ल' गेल - किछु ने पता लागल ! ई सुनि अवाक् रहि गेलहुं !! पहिने कोनो नीक,ईमानदार लोक सभ'क जद्दोजहद देखि बुद्धिनाथ मिश्र'क कविता मोन पड़ए:
" चारू कात बसै’ अछि विषधर-- पोरे-पोर डंसल छी !
अइ बिषाह जंगल मे हम तं-----चानन गाछ बनल छी !! "
....आब नीक लोक की करत-- कत' जायत ? चानन'क "वीरप्पन" सभ नीके लोक'क गाछ सभ काटि ल' जा रहल अ'छि - एमहर "श्रीखंड" आ ओम्हर "रक्त" !!! एहेन विषम परिस्थिति सभ'क बीच मैथिली आन्दोलन'क पुनर्जागरण 'क भागीरथी तपस्या कोना - कतए सं शुरू कयल जाय ? के आशीर्वाद देत ?? एक आप्त मनीषी'क कथा मोन पड़ल -- जे कहने रहथि---- प्रसिद्ध साधक- तपस्वी पं. गोपीनाथ कविराज सं क्यो आग्रह कयलखिन्ह--- "पंडित जी,आशीर्वाद दीजिए ! " पंडित जी उत्तर देल'खिन्ह ----
" अरे ! देख रहे हैं न !! ऊपर से ईश्वर के आशीर्वाद की अजस्र गंगा बह रही है-- जितनी पात्रता हो -- ले लीजिए !!! कौन रोक रहा है?”
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स्वस्ति श्री छोटकी बहीन , 
     नव  बर्ष'क  सादर प्रणाम ! 
             अहाँ ई जिज्ञासा केने रही जे मैथिली मे हम कियैक ने किछु लिखैत छी ? संक्षेप मे एकर उत्तर जे हमरा झांपल- तोपल विचार प्रकट करै' मे नीक नहिं लगैत अछि आ ' सत्य कटु ने भ' जाए -- तेकर डर सेहो रहैए ! 
    अस्तु , जे किछ - एकटा लेख लिखने रही --- अपनहिं टाइप केने छी -- तैं त्रुटि सेहो भेटत ! 
                                      अहाँक -- कुमार 
सेवा मे : डॉ. श्रीमती नीरजा " रेणु " 
( पोस्टस्क्रिप्ट : ई पत्र छोटकी बहीनक मुंबई प्रवास दौरान हुनका द्वारा सुझाओल ई-मेल पता सँ … नवबर्ष 2013 क सुअवसर पर पोस्ट केने रही जेकरा पुनः संशोधित करबाक प्रयास कयलहुँ! जेतबा भेल - से भेल , बाक़ी त्रुटि लेल क्षमा करू )
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indrabalakhanna · 1 month ago
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Ishwar TV Satsang | 16-12-2024 | Episode: 2605 | Sant Rampal Ji Maharaj ...
*🌴बन्दीछोड़ सतगुरु संत रामपाल जी महाराज जी की जय हो🌴*
♦♦♦
16/12/24
👑📚👑📚👑
*कबीर परमात्मा पाप विनाशक हैं!*
🌺🌼🌺🌸🌺🌼🌺
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📕📚📙📚📗📚
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👑📚👑📚👑
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1🔸परमेश्वर कबीर जी अकाल मृत्यु को भी टाल सकते हैं। जिसका प्रमाण सामवेद मंत्र संख्या 822, ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 161 मंत्र 2 में स्पष्ट लिखा है कि परमेश्वर कबीर जी मृत्यु प्राप्त साधक को पुनः जीवित कर उसकी आयु भी बढ़ा सकता है।
2🔸पूर्ण परमात्मा
पवित्र क़ुरआन सूरह फुर्कान 25 आयत 58 में लिखा है कि कबीर अल्लाह ही पाप विनाशक हैं और पूजा के योग्य हैं।
3🔸यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 व ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 82 मंत्र 1, 2 और 3 में प्रमाण है, परमेश्वर हमारे पापों का नाश कर देता है।
4🔸पाप नाशक परमात्मा
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 82 मंत्र 1-2, ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 86 मंत्र 86-27 और ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 20 मंत्र 1 में स्पष्ट लिखा है कि पापों का नाश करने वाला, विघ्नों अर्थात संकटों का निवारण करने वाला कबीर परमेश्वर है।
5🔸संत रामपाल जी महाराज जी यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 और अध्याय 8 मंत्र 13 से प्रमाणित करके बताते हैं कि कविर्देव अर्थात कबीर परमेश्वर घोर से घोर पाप का भी नाश कर देता है तथा काल के कर्मबंधनों से मुक्त कराकर मोक्ष प्रदान करता है।
6🔸यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 व ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 82 मंत्र 1, 2 और 3 में प्रमाण है, परमेश्वर हमारे पापों का नाश करते हुए हमें प्राप्त होते हैं।
7🔸आदरणीय धर्मदास जी को कबीर प्रभु अपने विधान अनुसार लगभग आज से 600 वर्ष पहले आकर मिले और सतलोक से तथा सर्व सृष्टि रचना के ज्ञान से परिचित करवाया।
फिर आदरणीय धर्मदास जी ने अपनी वाणी में प्रमाण दिया:-
आज मोहे दर्शन दियो जी कबीर। सत्यलोक से चलकर आए काटन जम की जंजीर। थारे दर्शन से म्हारे पाप कटत हैं निर्मल होवे जी शरीर।
8🔸सामवेद अध्याय नंबर 4 के खंड नंबर 25 का श्लोक नंबर 8 में लिखा है कि
वह परमात्मा कबीर विशाल शक्ति युक्त है और अपना तेज पुंज का शरीर बनाकर प्रकट होता है काल के पाप रूपी कर्म बंधनों को तोड़ने वाला है।
9🔸यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 के अनुसार, कबीर साहेब सबसे शक्तिशाली भगवान हैं, जो सभी पापों को नष्ट करने और काल के कर्म बंधनों से छुड़वाने वाले हैं।
10🔸पवित्र क़ुरआन (सुरत फुकार्नि 25, आयत 59)
अल्ल्जी खलकस्समावाति वल्अर्ज व मा बैनहुमा फी सित्तति अय्यामिन् सुम्मस्तवा अलल्अर्शि शशि अरर्ह्मानु फस्अल् बिही खबीरन्(कबीरन्)।।
हजरत मुहम्मद को क़ुरआन बोलने वाला प्रभु (अल्लाह) कह रहा है कि वह कबीर प्रभु वही है जिसने सर्व सृष्टि की रचना छः दिन में की तथा सातवें दिन ऊपर अपने सत्यलोक में सिंहासन पर विराजमान हो (बैठ) गया। उसके विषय में जानकारी किसी बाखबर से पूछो।
इससे यह स्पष्ट है कि सर्व सृष्टि रचनहार, सर्व पाप विनाशक परमात्मा कबीर है।
📙🌺📕🌸📗🌼📚
*हमारे धर्म ग्रंथो में प्रमाण हैं_ कबीर देव भगवान हैं!
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*परम अक्षर पुरुष_पूर्ण ब्रह्म कबीर परमेश्वर_समर्थ परमेश्वर_ पाप भंजन भगवान_बंधनों से छुड़ाने वाले बंदीछोड़ भगवान*
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h1an2s3 · 4 months ago
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[03/10, 7:39 am] +91 83078 98929: यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 व ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 82 मंत्र 1, 2 और 3 में प्रमाण है, परमेश्वर हमारे पापों का नाश कर देता है।
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[03/10, 7:39 am] +91 83078 98929: पाप नाशक परमात्मा
पवित्र क़ुरआन सूरह फुर्कान 25 आयत 58 में लिखा है कि कबीर अल्लाह ही पाप विनाशक हैं और पूजा के योग्य हैं।
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[03/10, 7:39 am] +91 83078 98929: कबीर साहेब ही सबके रक्षक व पाप नाशक परमात्मा हैं
परमेश्वर कबीर जी अकाल मृत्यु को भी टाल सकते हैं। जिसका प्रमाण सामवेद मंत्र संख्या 822, ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 161 मंत्र 2 में स्पष्ट लिखा है कि परमेश्वर कबीर जी मृत्यु प्राप्त साधक को पुनः जीवित कर उसकी आयु भी बढ़ा सकता है।
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[03/10, 7:39 am] +91 83078 98929: पाप नाशक परमात्मा कबीर साहेब जी
यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 व ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 82 मंत्र 1, 2 और 3 में प्रमाण है, परमेश्वर हमारे पापों का नाश करते हुए हमें प्राप्त होते हैं।
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[03/10, 7:39 am] +91 83078 98929: संत रामपाल जी महाराज जी यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 और अध्याय 8 मंत्र 13 से प्रमाणित करके बताते हैं कि कविर्देव अर्थात कबीर परमेश्वर घोर से घोर पाप का भी नाश कर देता है तथा काल के कर्मबंधनों से मुक्त कराकर मोक्ष प्रदान करता है।
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[03/10, 7:39 am] +91 83078 98929: ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 82 मंत्र 1-2, ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 86 मंत्र 86-27 और ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 20 मंत्र 1 में स्पष्ट लिखा है कि पापों का नाश करने वाला, विघ्नों अर्थात संकटों का निवारण करने वाला कबीर परमेश्वर है।
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यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 के अनुसार, कबीर साहेब सबसे शक्तिशाली भगवान हैं, जो सभी पापों को नष्ट करने और काल के कर्म बंधनों से छुड़वाने वाले हैं।
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[03/10, 7:39 am] +91 83078 98929: पाप नाशक परमात्मा
सामवेद अध्याय नंबर 4 के खंड नंबर 25 का श्लोक नंबर 8 में लिखा है कि
वह परमात्मा कबीर विशाल शक्ति युक्त है और अपना तेज पुंज का शरीर बनाकर प्रकट होता है काल के पाप रूपी कर्म बंधनों को तोड़ने वाला है।
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[03/10, 7:39 am] +91 83078 98929: आदरणीय धर्मदास जी को कबीर प्रभु अपने विधान अनुसार लगभग आज से 600 वर्ष पहले आकर मिले और सतलोक से तथा सर्व सृष्टि रचना के ज्ञान से परिचित करवाया।
फिर आदरणीय धर्मदास जी ने अपनी वाणी में प्रमाण दिया:-
आज मोहे दर्शन दियो जी कबीर। सत्यलोक से चलकर आए काटन जम की जंजीर। थारे दर्शन से म्हारे पाप कटत हैं निर्मल होवे जी शरीर।
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[03/10, 7:39 am] +91 83078 98929: पवित्र क़ुरआन (सुरत फुकार्नि 25, आयत 59)
अल्ल्जी खलकस्समावाति वल्अर्ज व मा बैनहुमा फी सित्तति अय्यामिन् सुम्मस्तवा अलल्अर्शि शशि अरर्ह्मानु फस्अल् बिही खबीरन्(कबीरन्)।।
हजरत मुहम्मद को क़ुरआन बोलने वाला प्रभु (अल्लाह) कह रहा है कि वह कबीर प्रभु वही है जिसने सर्व सृष्टि की रचना छः दिन में की तथा सातवें दिन ऊपर अपने सत्यलोक में सिंहासन पर विराजमान हो (बैठ) गया। उसके विषय में जानकारी किसी बाखबर से पूछो।
इससे यह स्पष्ट है कि सर्व सृष्टि रचनहार, सर्व पाप विनाशक परमात्मा कबीर है।
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dimpisuma · 1 month ago
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Supreme God Kabir
🔸यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 व ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 82 मंत्र 1, 2 और 3 में प्रमाण है, परमेश्वर हमारे पापों का नाश कर देता है।
🔸परमेश्वर कबीर जी अकाल मृत्यु को भी टाल सकते हैं। जिसका प्रमाण सामवेद मंत्र संख्या 822, ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 161 मंत्र 2 में स्पष्ट लिखा है कि परमेश्वर कबीर जी मृत्यु प्राप्त साधक को पुनः जीवित कर उसकी आयु भी बढ़ा सकता है।
🔸पूर्ण परमात्मा
पवित्र क़ुरआन सूरह फुर्कान 25 आयत 58 में लिखा है कि कबीर अल्लाह ही पाप विनाशक हैं और पूजा के योग्य हैं।
🔸पाप नाशक परमा��्मा
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 82 मंत्र 1-2, ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 86 मंत्र 86-27 और ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 20 मंत्र 1 में स्पष्ट लिखा है कि पापों का नाश करने वाला, विघ्नों अर्थात संकटों का निवारण करने वाला कबीर परमेश्वर है।
🔸संत रामपाल जी महाराज जी यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 और अध्याय 8 मंत्र 13 से प्रमाणित करके बताते हैं कि कविर्देव अर्थात कबीर परमेश्वर घोर से घोर पाप का भी नाश कर देता है तथा काल के कर्मबंधनों से मुक्त कराकर मोक्ष प्रदान करता है।
🔸आदरणीय धर्मदास जी को कबीर प्रभु अपने विधान अनुसार लगभग आज से 600 वर्ष पहले आकर मिले और सतलोक से तथा सर्व सृष्टि रचना के ज्ञान से परिचित करवाया।
फिर आदरणीय धर्मदास जी ने अपनी वाणी में प्रमाण दिया:-
आज मोहे दर्शन दियो जी कबीर। सत्यलोक से चलकर आए काटन जम की जंजीर। थारे दर्शन से म्हारे पाप कटत हैं निर्मल होवे जी शरीर।
🔸सामवेद अध्याय नंबर 4 के खंड नंबर 25 का श्लोक नंबर 8 में लिखा है कि
वह परमात्मा कबीर विशाल शक्ति युक्त है और अपना तेज पुंज का शरीर बनाकर प्रकट होता है काल के पाप रूपी कर्म बंधनों को तोड़ने वाला है।
🔸यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 के अनुसार, कबीर साहेब सबसे शक्तिशाली भगवान हैं, जो सभी पापों को नष्ट करने और काल के कर्म बंधनों से छुड़वाने वाले हैं।
🔸पवित्र क़ुरआन (सुरत फुकार्नि 25, आयत 59)
अल्ल्जी खलकस्समावाति वल्अर्ज व मा बैनहुमा फी सित्तति अय्यामिन् सुम्मस्तवा अलल्अर्शि शशि अरर्ह्मानु फस्अल् बिही खबीरन्(कबीरन्)।।
हजरत मुहम्मद को क़ुरआन बोलने वाला प्रभु (अल्लाह) कह रहा है कि वह कबीर प्रभु वही है जिसने सर्व सृष्टि की रचना छः दिन में की तथा सातवें दिन ऊपर अपने सत्यलोक में सिंहासन पर विराजमान हो (बैठ) गया। उसके विषय में जानकारी किसी बाखबर से पूछो।
इससे यह स्पष्ट है कि सर्व सृष्टि रचनहार, सर्व पाप विनाशक परमात्मा कबीर है।
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mangesh1982 · 4 months ago
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कबीर साहेब ही सबके रक्षक व पाप नाशक परमात्मा हैं
परमेश्वर कबीर जी अकाल मृत्यु को भी टाल सकते हैं। जिसका प्रमाण सामवेद मंत्र संख्या 822, ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 161 मंत्र 2 में स्पष्ट लिखा है कि परमेश्वर कबीर जी मृत्यु प्राप्त साधक को पुनः जीवित कर उसकी आयु भी बढ़ा सकता है।
🔸पाप नाशक परमात्मा
पवित्र क़ुरआन सूरह फुर्कान 25 आयत 58 में लिखा है कि कबीर अल्लाह ही पाप विनाशक हैं और पूजा के योग्य हैं।
🔸यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 व ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 82 मंत्र 1, 2 और 3 में प्रमाण है, परमेश्वर हमारे पापों का नाश कर देता है।
🔸पाप नाशक परमात्मा
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 82 मंत्र 1-2, ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 86 मंत्र 86-27 और ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 20 मंत्र 1 में स्पष्ट लिखा है कि पापों का नाश करने वाला, विघ्नों अर्थात संकटों का निवारण करने वाला कबीर परमेश्वर है।
🔸संत रामपाल जी महाराज जी यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 और अध्याय 8 मंत्र 13 से प्रमाणित करके बताते हैं कि कविर्देव अर्थात कबीर परमेश्वर घोर से घोर पाप का भी नाश कर देता है तथा काल के कर्मबंधनों से मुक्त कराकर मोक्ष प्रदान करता है।
🔸पाप नाशक परमात्मा कबीर साहेब जी
यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 व ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 82 मंत्र 1, 2 और 3 में प्रमाण है, परमेश्वर हमारे पापों का नाश करते हुए हमें प्राप्त होते हैं।
🔸पाप नाशक परमात्मा
आदरणीय धर्मदास जी को कबीर प्रभु अपने विधान अनुसार लगभग आज से 600 वर्ष पहले आकर मिले और सतलोक से तथा सर्व सृष्टि रचना के ज्ञान से परिचित करवाया।
फिर आदरणीय धर्मदास जी ने अपनी वाणी में प्रमाण दिया:-
आज मोहे दर्शन दियो जी कबीर। सत्यलोक से चलकर आए काटन जम की जंजीर। थारे दर्शन से म्हारे पाप कटत हैं निर्मल होवे जी शरीर।
🔸पाप नाशक परमात्मा
सामवेद अध्याय नंबर 4 के खंड नंबर 25 का श्लोक नंबर 8 में लिखा है कि
वह परमात्मा कबीर विशाल शक्ति युक्त है और अपना तेज पुंज का शरीर बनाकर प्रकट होता है काल के पाप रूपी कर्म बंधनों को तोड़ने वाला है।
🔸पाप नाशक परमात्मा
यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 के अनुसार, कबीर साहेब सबसे शक्तिशाली भगवान हैं, जो सभी पापों को नष्ट करने और काल के कर्म बंधनों से छुड़वाने वाले हैं।
🔸पवित्र क़ुरआन (सुरत फुकार्नि 25, आयत 59)
अल्ल्जी खलकस्समावाति वल्अर्ज व मा बैनहुमा फी सित्तति अय्यामिन् सुम्मस्तवा अलल्अर्शि शशि अरर्ह्मानु फस्अल् बिही खबीरन्(कबीरन्)।।
हजरत मुहम्मद को क़ुरआन बोलने वाला प्रभु (अल्लाह) कह रहा है कि वह कबीर प्रभु वही है जिसने सर्व सृष्टि की रचना छः दिन में की तथा सातवें दिन ऊपर अपने सत्यलोक में सिंहासन पर विराजमान हो (बैठ) गया। उसके विषय में जानकारी किसी बाखबर से पूछो।
इससे यह स्पष्ट है कि सर्व सृष्टि रचनहार, सर्व पाप विनाशक परमात्मा कबीर हैं
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yesroyalrumble · 5 years ago
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🕉 🚩 🚩 ⠀ ⠀ ⠀ वर्षों तक वन में घूम-घूम,⠀ बाधा-विघ्नों को चूम-चूम,⠀ सह धूप-घाम, पानी-पत्थर,⠀ पांडव आये कुछ और निखर।⠀ सौभाग्य न सब दिन सोता है,⠀ देखें, आगे क्या होता है।⠀ ⠀ मैत्री की राह बताने को,⠀ सबको सुमार्ग पर लाने को,⠀ दुर्योधन को समझाने को,⠀ भीषण विध्वंस बचाने को,⠀ भगवान् हस्तिनापुर आये,⠀ पांडव का संदेशा लाये।⠀ ⠀ ‘दो न्याय अगर तो आधा दो,⠀ पर, इसमें भी यदि बाधा हो,⠀ तो दे दो केवल पाँच ग्राम,⠀ रक्खो अपनी धरती तमाम।⠀ हम वहीं खुशी से खायेंगे,⠀ परिजन पर असि न उठायेंगे!⠀ ⠀ दुर्योधन वह भी दे ना सका,⠀ आशीष समाज की ले न सका,⠀ उलटे, हरि को बाँधने चला,⠀ जो था असाध्य, साधने चला।⠀ जब नाश मनुज पर छाता है,⠀ पहले विवेक मर जाता है।⠀ ⠀ हरि ने भीषण हुंकार किया,⠀ अपना स्वरूप-विस्तार किया,⠀ डगमग-डगमग दिग्गज डोले,⠀ भगवान् कुपित होकर बोले-⠀ ‘जंजीर बढ़ा कर साध मुझे,⠀ हाँ, हाँ दुर्योधन! बाँध मुझे।⠀ ⠀ यह देख, गगन मुझमें लय है,⠀ यह देख, पवन मुझमें लय है,⠀ मुझमें विलीन झंकार सकल,⠀ मुझमें लय है संसार सकल।⠀ अमरत्व फूलता है मुझमें,⠀ संहार झूलता है मुझमें।⠀ ⠀ ‘उदयाचल मेरा दीप्त भाल,⠀ भूमंडल वक्षस्थल विशाल,⠀ भुज परिधि-बन्ध को घेरे हैं,⠀ मैनाक-मेरु पग मेरे हैं।⠀ दिपते जो ग्रह नक्षत्र निकर,⠀ सब हैं मेरे मुख के अन्दर।⠀ ⠀ ‘दृग हों तो दृश्य अकाण्ड देख,⠀ मुझमें सारा ब्रह्माण्ड देख,⠀ चर-अचर जीव, जग, क्षर-अक्षर,⠀ नश्वर मनुष्य सुरजाति अमर।⠀ शत कोटि सूर्य, शत कोटि चन्द्र,⠀ शत कोटि सरित, सर, सिन्धु मन्द्र।⠀ ⠀ ‘शत कोटि विष्णु, ब्रह्मा, महेश,⠀ शत कोटि विष्णु जलपति, धनेश,⠀ शत कोटि रुद्र, शत कोटि काल,⠀ शत कोटि दण्डधर लोकपाल।⠀ जञ्जीर बढ़ाकर साध इन्हें,⠀ हाँ-हाँ दुर्योधन! बाँध इन्हें।⠀ ⠀ ‘भूलोक, अतल, पाताल देख,⠀ गत और अनागत काल देख,⠀ यह देख जगत का आदि-सृजन,⠀ यह देख, मह���भारत का रण,⠀ मृतकों से पटी हुई भू है,⠀ पहचान, इसमें कहाँ तू है।⠀ ⠀ ‘अम्बर में कुन्तल-जाल देख,⠀ पद के नीचे पाताल देख,⠀ मुट्ठी में तीनों काल देख,⠀ मेरा स्वरूप विकराल देख।⠀ सब जन्म मुझी से पाते हैं,⠀ फिर लौट मुझी में आते हैं।⠀ ⠀ ‘जिह्वा से कढ़ती ज्वाल सघन,⠀ साँसों में पाता जन्म पवन,⠀ पड़ जाती मेरी दृष्टि जिधर,⠀ हँसने लगती है सृष्टि उधर!⠀ मैं जभी मूँदता हूँ लोचन,⠀ छा जाता चारों ओर मरण।⠀ ⠀ ‘बाँधने मुझे तो आया है,⠀ जंजीर बड़ी क्या लाया है?⠀ यदि मुझे बाँधना चाहे मन,⠀ पहले तो बाँध अनन्त गगन।⠀ सूने को साध न सकता है,⠀ वह मुझे बाँध कब सकता है?⠀ ⠀ Credit : Mishka Saxena (at গোৱালপাৰা) https://www.instagram.com/p/B_PjLlflNg7/?igshid=xjasghlvffi6
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pushpas-posts · 4 months ago
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*🌴बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की जय🌴*
02/10/24
*Team 3:-हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर*
*✴️Twitter Trending सेवा✴️*
🍃 *मालिक की दया से ट्विटर पर कबीर परमात्मा पाप विनाशक हैं व सुखदायी परमात्मा हैं, यह बताते हुए सेवा करनी है जी।*
*⚡टैग और कीवर्ड⤵️⚡*
*#दुखदूरकरे_सुखदेतहै वहप्रभु कौनहै*
*Supreme God Kabir*
*📷''' सेवा से सम्बंधित photo लिंक⤵️*
https://www.satsaheb.org/destroyer-of-sins-hindi/
https://www.satsaheb.org/destroyer-of-sins-english/
*⛳ Sewa Points* ⤵
🔸कबीर साहेब ही सबके रक्षक व पाप नाशक परमात्मा हैं
परमेश्वर कबीर जी अकाल मृत्यु को भी टाल सकते हैं। जिसका प्रमाण सामवेद मंत्र संख्या 822, ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 161 मंत्र 2 में स्पष्ट लिखा है कि परमेश्वर कबीर जी मृत्यु प्राप्त साधक को पुनः जीवित कर उसकी आयु भी बढ़ा सकता है।
🔸पाप नाशक परमात्मा
पवित्र क़ुरआन सूरह फुर्कान 25 आयत 58 में लिखा है कि कबीर अल्लाह ही पाप विनाशक हैं और पूजा के योग्य हैं।
🔸यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 व ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 82 मंत्र 1, 2 और 3 में प्रमाण है, परमेश्वर हमारे पापों का नाश कर देता है।
🔸पाप नाशक परमात्मा
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 82 मंत्र 1-2, ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 86 मंत्र 86-27 और ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 20 मंत्र 1 में स्पष्ट लिखा है कि पापों का नाश करने वाला, विघ्नों अर्थात संकटों का निवारण करने वाला कबीर परमेश्वर है।
🔸संत रामपाल जी महाराज जी यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 और अध्याय 8 मंत्र 13 से प्रमाणित करके बताते हैं कि कविर्देव अर्थात कबीर परमेश्वर घोर से घोर पाप का भी नाश कर देता है तथा काल के कर्मबंधनों से मुक्त कराकर मोक्ष प्रदान करता है।
🔸पाप नाशक परमात्मा कबीर साहेब जी
यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 व ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 82 मंत्र 1, 2 और 3 में प्रमाण है, परमेश्वर हमारे पापों का नाश करते हुए हमें प्राप्त होते हैं।
🔸पाप नाशक परमात्मा
आदरणीय धर्मदास जी को कबीर प्रभु अपने विधान अनुसार लगभग आज से 600 वर्ष पहले आकर मिले और सतलोक से तथा सर्व सृष्टि रचना के ज्ञान से परिचित करवाया।
फिर आदरणीय धर्मदास जी ने अपनी वाणी में प्रमाण दिया:-
आज मोहे दर्शन दियो जी कबीर। सत्यलोक से चलकर आए काटन जम की जंजीर। थारे दर्शन से म्हारे पाप कटत हैं निर्मल होवे जी शरीर।
🔸पाप नाशक परमात्मा
सामवेद अध्याय नंबर 4 के खंड नंबर 25 का श्लोक नंबर 8 में लिखा है कि
वह परमात्मा कबीर विशाल शक्ति युक्त है और अपना तेज पुंज का शरीर बनाकर प्रकट होता है काल के पाप रूपी कर्म बंधनों को तोड़ने वाला है।
🔸पाप नाशक परमात्मा
यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 के अनुसार, कबीर साहेब सबसे शक्तिशाली भगवान हैं, जो सभी पापों को नष्ट करने और काल के कर्म बंधनों से छुड़वाने वाले हैं।
🔸पवित्र क़ुरआन (सुरत फुकार्नि 25, आयत 59)
अल्ल्जी खलकस्समावाति वल्अर्ज व मा बैनहुमा फी सित्तति अय्यामिन् सुम्मस्तवा अलल्अर्शि शशि अरर्ह्मानु फस्अल् बिही खबीरन्(कबीरन्)।।
हजरत मुहम्मद को क़ुरआन बोलने वाला प्रभु (अल्लाह) कह रहा है कि वह कबीर प्रभु वही है जिसने सर्व सृष्टि की रचना छः दिन में की तथा सातवें दिन ऊपर अपने सत्यलोक में सिंहासन पर विराजमान हो (बैठ) गया। उसके विषय में जानकारी किसी बाखबर से पूछो।
इससे यह स्पष्ट है कि सर्व सृष्टि रचनहार, सर्व पाप विनाशक परमात्मा कबीर है।
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jayveer18330 · 7 years ago
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बेज एक्स
बेज  एक्स निकटतम प्राचीन, अंधेरे और वन्यजीव जंगलों में से एक, कहीं जर्मनी के कई पहाड़ी इलाकों में से एक था, वहां एक गुप्त आधार था जिसे बस एक्स कहा जाता था। बाहर की दुनिया में यह एक प्राचीन पहाड़ी की तरह दिखता था, जो एक छोटे पहाड़ी के ऊपर बैठे थे। जर्मन सड़कों और निकटवर्ती गांव के छोटे किसान (लगभग 8 किमी दूर) केवल इसे बुलाएंगे, केवल दो घूमने वाले सड़कों पर "जगदाश्लोस" का नेतृत्व किया। जाहिरा तौर पर महल में पिछले कुछ शताब्दियों में भयानक हत्याएं हुईं थीं और स्थानीय लकड़ी के लोगों ने जोर देकर कहा था कि कुछ रातों में एक घृणित डिन और हथियारों का टकराव और चीखें और घायल और मरने वालों की रोता सुन सकती थी। इसलिए इस स्थान पर एक किसान के स्वस्थ सम्मान के साथ व्यवहार किया गया, क्योंकि इस प्रकार की कहानियों को कभी भी यूरोप में हल्के ढंग से नहीं लिया गया था। हालांकि, उच्च स्थानों में किसी ने भूतों के बारे में स्पष्ट रूप से नहीं सुना था और यह निर्णय लिया था कि दुनिया के अंत में अपनी रणनीतिक स्थान के कारण, कुछ दूर के प्रयोगों के लिए जगद्स्चलोस एक अच्छी साइट होगी और इससे पहले कि किसानों और जंगलियो�� को पता था कि क्या था हो रहा है, उनके वन क्षेत्र को प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित किया गया था। उन्हें बताया गया कि युद्ध की अवधि के लिए पूरे क्षेत्र 3.5 के प्रत्यक्ष नियंत्रण के अधीन था। सभी ग्रामीणों को विशेष पास के साथ फोटो के साथ जारी किया गया; कोई बाहरी लोगों को उनके पास जाने की इजाजत नहीं दी गई थी और उन्होंने गोपनीयता की शपथ ली थी। युद्ध युद्ध था, और यह उनके जीवन में पहली बार नहीं था क्योंकि उन्हें विशेष परिस्थितियों के कारण अपनी ज़िंदगी को प्रतिबंधित करना पड़ा था और इसके अलावा उन्हें कुछ कुछ चीजों के लिए सैनिकों के बीच तैयार बाजार मिल गया था, जिन्हें वे बिक्री के लिए पेश करते थे, जैसे कि अंडे, कभी-कभी चिकन, बकरी, खरगोश और शायद एक सुअर भी। उन्होंने देखा, हालांकि, उनके गांवों के माध्यम से गाड़ी चलाने वाले लोगों की बस भार, आमतौर पर बहुत ही कम महिलाएं, बहुत कम महिलाएं, लेकिन उनमें से बहुत से वर्दीधारी और उच्च रैंक के अधिकारियों की एक असा��ारण संख्या। चूंकि गाँव में केवल एक इन था, द गेटथॉस ज़ुम गोल्डन ऑशेन (द गोल्डन ऑक्सकन) कभी-कभी भारी मर्सिडीज और ओपल ऑटोमोबाइल की सींस बंद हो जाती है और उनके रहने वाले लोग दोपहर का भोजन या नाश्ते का हिस्सा होते हैं। पुरुषों का सबसे अधिक कुलीन तरीके से व्यवहार करना वे सभी अपने ब्रीफकेस को दोपहर के भोजन के लिए ले गए, इनमें से कई मामलों में सामान्य जर्मन ब्रीफ़केस से बड़ा आकार था। उन्हें जंजीर किया गया और बाएं कलाई और समय और समय के लिए बंद कर दिया गया, फिर भी स्थानीय किसानों को विस्मय के साथ खुले मुंह खड़े हुए क्योंकि "बाहर की दुनिया" से ये लोग अपने शांतिपूर्ण माहौल में उतरते थे, उन व्यंजनों के लिए पूछ रहे थे जिसके साथ वे परिचित नहीं थे और जर्मन बोलियों जो वे शायद ही समझ सकते हैं । हालांकि, खाने वालों के हाथों की गति, कभी-कभी हवा में शूटिंग, या पीछे की ओर बुनाई जाती है, कभी-कभी मँडरा और कभी-कभी शब्द फ्लिजेन (उड़ान), शावेन (वायु में फ्लोट), अफ़ीस्टिजेन (चढ़ाई), जिसे वे समझ सकते थे, वे यह जानना शुरू हुआ कि उड़ान के साथ कुछ करने पर विचार-विमर्श किया जा रहा था और जाहिर है कि जगद्स्लोस के संबंध में एक दिन, एक आगंतुक ने रसोई से कुछ पुराने तश्तरी लाने के लिए मालिक की बेटी से भी पूछा कि पुरुषों के एक बहुत ही गंभीर समूह ने आंगन में ढेर किया और बहुत ही उत्साहित चर्चा और हिला के साथ देखा, कैसे तश्तरी के बाद तश्तरी को हवा में फेंक दिया गया था। आज के "फ्रिसबेस", इकट्ठे मेहमानों (स्पष्ट रूप से वैज्ञानिक) को सॉसर्स की उड़ान विशेषताओं को प्रदर्शित करने के लिए, यह सब बहुत जवान औरत की चिंताओं के कारण, क्योंकि व्यंजन युद्ध के दौरान एक बहुत ही अनमोल वस्तु थे। हालांकि, मेहमानों ने उनके लिए अच्छा भुगतान किया, "नया" मूल्य से अधिक और प्रदर्शन के बाद वे शहर से बाहर घूमते रहे कई हफ्तों के लिए रिश्तेदार शांत था और फिर एक दिन 8.8। पुरुषों ने स्थानीय बर्गरनेस्टर से स्थानीय निवासियों को एक साथ फोन करने के लिए कहा। एक अधिकारी को पेश किया गया था, उन्होंने घोषणा की थी कि जेडस्चलोस के पास एकाग्रता शिविर के लिए एक सहायक स्थापित होना था और यह कि कैदियों अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य में लगे युद्ध संयंत्र के कार्यकर्ता थे। इन लोगों और सभी अजनबियों या अजीब घटनाओं के साथ ��िसी को फड़फड़ााना नहीं था, जिसे तुरंत एसएस को सूचित करना था। Ortskommandatur। निवासियों को उन आदर्श आदर्शों के लिए धन्यवाद दिया गया था जिसमें उन्होंने अपने "बिनबुलाहट" मेहमानों का इलाज किया था और भविष्य में अच्छे संबंधों के लिए आशा व्यक्त की थी। उसने अपना हाथ उठाया, सभी ने "हील हिटलर" कहा और वह बाहर चले, नगरवासी छोड़कर उत्साहित थे जो स्वयं के बीच में थे। कुछ दिन बाद, गांव के माध्यम से लुढ़का हर कल्पनीय विवरण के निर्माण उपकरण के साथ ट्रक ट्रक के बाद लोड हो गया। फिर लकड़ी की लकड़ी का पालन किया, कई प्रकार के तार और अंत में कांटेदार तार। बाद में, कुछ बसों का अनुसरण किया, जिसमें खिड़कियां पेंट की गई थीं, इसके बाद कार्बाइनों के साथ स्टील हेलमेटेड सैनिकों के ट्रक लोड थे। गांव में एक बार फिर शांत हो गया। कुछ हफ्ते बाद, जहां घास का मैदान रहा था अब एक तेज, हलचल शिविर था। जल्द ही ज़ोर से और भयावह विस्फोटों को दिन और दिन सुना जा सकता है, घाटियों के माध्यम से उल्टा हो सकता है। कुछ महीनों के बाद वे बंद हो गए फिर विशाल, धीमी गति से चलने वाले, ट्रक वाले ट्रक को लोड करने के लिए आने लगे, प्लेटफार्मों के सभी जंजीरों में तरापड़ियों के साथ कवर किया गया और सैनिकों द्वारा रक्षा की गई। यह कई, कई सप्ताह के लिए चला गया अब तक पूरे गांव सबसे अविश्वसनीय अफवाहों के साथ प्रचलित था। एक रात, पूरे गांव जागृत हो गया था और ऐसी उच्च पिच और आवृत्ति की आवाज से बहुत डर गया था, जो कि केवल कम श्रव्य गुनगुना के रूप में शुरू हो गया था, यह जल्द ही यह महसूस हुआ कि कुछ बहुत ही असामान्य हो रहा है। वे बाहर चले गए और अपने विस्मय और घबराहट के लिए उन्होंने जगदास्लोस की सामान्य दिशा में हवा में घूमते हुए शानदार ढंग से प्रकाशित "चीज" को देखा। इसके बाद जैसे ही हिंसक रूप से इसकी आगमन की घोषणा की गई, ध्वनि मंद हो गया, प्रकाश मंद हो गया और अजीब बात है, ट्रिट्प्स के पीछे बसे हुए, राहत की दृष्टि से, फिर भी अभी तक स्थानीय लोगों को हिल दिया। आखिरकार, यह अजीब आवाज उनसे परिचित हो गई और केवल बच्चों ने "चीज" की शुरूआत या उतरा, इसके बारे में उत्साहित हो गए। जल्द ही, इन अजीब वाहनों में से कई, जिनमें से प्रत्येक एक दूसरे से थोड़ा अलग थे, पहले धीरे धीरे लेकिन बाद में ऐसे शानदार गति से उड़ रहे थे कि नग्न आंखों के साथ उनका पालन करना मुश्किल था। लेकिन अब एक नई झुंझलाहट ने किसानों को डरा दिया। उन्होंने यह देखा था कि इन "चीजों" के इंजनों की ऊ��ची चीख से उनकी गायों और कुत्तों पर असर पड़ रहा है। कभी-कभी, जब तेज़ी से उड़ते हुए, वे घबराए हुए आवाज़ें, बड़े बैंग्स बनाते थे, जो घाटियों के चारों ओर घिरते थे, जैसे कि भारी बारिशगोल। सब कुछ में वे थोड़ी सी शुरुआत कर रहे थे । "असिमलीह" (डरावना) और फिर महापौर को फिर से एसएस पर इन शेन्नेनिगन्स का विरोध करने की बात कही गई। Ortskommandantur। इस दौरान, दो स्थानीय लड़के जो सेना में थे, छुट्टी पर घर आए। जब उन्हें बताया गया कि उनके लोगों को उपनाम "एल-लिम्मेलस्किन्दर" के बारे में बताया गया था, और यह कैसे सोचा गया कि पिछले कुछ महीनों में फ़ूरर ने चमत्कार के कई बार कहा था, इसने स्थानीय आबादी को दिलासा दिलाया सामने से सभी रिपोर्टों के बाद भी कोई भी गुलाबी नहीं था और यदि उनकी घाटी घटनाओं की ज्वार को बंद करने और फ़ूहरर की सहायता करने में सहायता करती है तो यह उनके साथ ठीक था। इसलिए, महीनों में साल बने, फिर एक दिन के कॉलम ट्रकों ने सड़कों पर गड़बड़ी की, क्योंकि Jagdschloss में से बाहर और बाहर दो सड़कों को पता चलना मुश्किल था कि क्या चलना था, लेकिन जल्द ही उन्हें पता चल गया। लेस और कम उड़ान "चीजें" को देखा गया और जल्द ही शिविर केवल इसके पूर्व का एक छाया था स्व। एक दिन सभी काम समाप्त हो गए, जबरदस्त विस्फोट फट गया, एक बार फिर। घाटी के माध्यम से, जोग्डस्चलोस के क्षेत्र से धुआं उग आया और कुछ हफ्ते बाद रूसियों ने शहर में घुसपैठ, बेशुमार, बलात्कार और सब कुछ लूट लिया उन्हें लैग्सचलोस में केवल खंडहर मिला, जब उन्हें बताया गया, पूछताछ के दौरान, जो देखा गया था, उन्होंने गेंन्न्किस को नास्तिक रूप से अपने वोदका की बोतलों पर गौर किया। उन्हें नहीं पता था कि उन लोगों में, जिनकी झोंपड़ियों में बिजली के तारों और तारों से ढंका हुआ छत से लटक ���हे थे, मलबे में फंसे फर्श पर, प्रतीत होता है अंतहीन हॉल में, कंक्रीट के फर्श, दीवारों और छत पर अजीब बर्न निशान के साथ, एक जगह ले ली दुनिया के चमत्कारों का अब सभी बर्बाद हो गए और चुप हो गए, धातु के टुकड़े, नट, बोल्ट, स्टील की छड़, रबड़ के टायर, कुछ चमड़े और कुछ अजीब लग रहा है और महसूस कर रहे हैं "ढीला", भूरा पदार्थ सभी मलबे में पाया जा सकता था। उनके आधे सड़े हुए भूसे के बोरों के साथ जंगली और जला पट्टा बंधनों की सामान्य मात्रा में, तारों के ढक्कन के टुकड़े, आधा जला, खाली के डिब्बे, कंटेनर, कुछ खाली मनी बक्से, गार्ड झुग्�� और दो या तीन छोड़ दिए गए, cannibalized ट्रकों टूट गया था। और वह सब कुछ था। कोई रिकॉर्ड नहीं, कोई सबूत नहीं, केवल विनाश । 
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