#विदेश नीति
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विदेश नीति क्या है और क्या हैं इसके फायदे?
विदेश नीति एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और टैलेंट कनेक्टेड वर्ल्डवाइड ने इसे समझाने का संकल्प लिया है। वे विदेश नीति के महत्व को समझाते हैं और इसके बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए संसाधित किए गए हैं। विदेश नीति के तहत विदेशी नागरिकों की पहुंच, अर्थव्यवस्था, व्यापार और शिक्षा के क्षेत्र में निवेश, संबंधों की मजबूती और साझेदारियों की खोज शामिल होती है। टैलेंट कनेक्टेड वर्ल्डवाइड आपको विदेश नीति के बारे में व्यापक जानकारी प्रदान करता है और आपकी ज्ञानवर्धन में सहायता करता है।
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Chapter-5: भारत के विदेश संबंध (India’s Foreign Relations) B2
भारत के विदेश संबंध (India’s Foreign Relations) भारत के विदेश संबंध, जिसे अंग्रेजी में “India’s Foreign Relations” कहा जाता है, स्वतंत्रता के बाद भारत की विदेश नीति और अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण का एक विस्तृत अध्ययन है। 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद, भारत को एक ऐसी विदेश नीति विकसित करनी थी जो उसकी आंतरिक प्राथमिकताओं, राजनीतिक सिद्धांतों, और वैश्विक चुनौतियों के…
#India’s Foreign Relations#भारत की ऊर्जा सुरक्षा विदेश नीति#भारत की पड़ोसी देशों के साथ विदेश नीति#भारत के अमेरिका के साथ संबंध#भारत के ब्रिक्स (BRICS) में योगदान#भारत के विदेश संबंध#भारत के विदेश संबंधों का इतिहास
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राहुल गांधी ने संसद में सरकार को घेरा जानिए उनके मुख्य तर्क
भारतीय राजनीति के प्रमुख चेहरों में से एक, राहुल गांधी, ने हाल ही में संसद में सरकार को कई मुद्दों पर घेरा। उनके तर्क और विचार न केवल विपक्षी दलों के लिए बल्कि आम जनता के लिए भी चर्चा का विषय बन गए हैं। इस लेख में हम राहुल गांधी द्वारा उठाए गए मुख्य मुद्दों और उनके तर्कों का विश्लेषण करेंगे।
राहुल गांधी के मुख्य तर्क
आर्थिक नीतियों पर सवाल राहुल गांधी ने सरकार की आर्थिक नीतियों को लेकर कड़ी आलोचना की। उन्होंने ��हा कि देश में बेरोजगारी और महंगाई चरम पर है, लेकिन सरकार इन मुद्दों को नज़रअंदाज कर रही है। उन्होंने सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन और उनके प्रभाव पर भी सवाल उठाए।
लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा राहुल गांधी का कहना है कि वर्तमान सरकार लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर कर रही है। उन्होंने मीडिया की स्वतंत्रता, न्यायपालिका और चुनावी प्रक्रिया पर भी चिंता व्यक्त की।
कृषि और ग्रामीण विकास राहुल गांधी ने किसानों की समस्याओं को प्रमुखता से उठाया। उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों के कारण किसान संकट में हैं, और सरकार उनकी बात सुनने को तैयार नहीं है।
विदेश नीति पर आलोचना राहुल गांधी ने भारत की विदेश नीति पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि पड़ोसी देशों के साथ भारत के संबंध कमजोर हो रहे हैं, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है।
द ऑब्जर्वर पोस्ट का दृष्टिकोण
द ऑब्जर्वर पोस्ट ने इस पूरे मामले को विस्तार से कवर किया है। उनकी रिपोर्ट के अनुसार, राहुल गांधी के तर्क जनता के विचारों को दर्शाते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि संसद में उनकी बातें सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती हैं।
सारांश
राहुल गांधी ने संसद में सरकार पर कड़ा प्रहार करते हुए कई गंभीर मुद्दों को उठाया। उनकी बातें न केवल विपक्ष के लिए बल्कि हर नागरिक के लिए सोचने का विषय हैं। द ऑब्जर्वर पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, इन तर्कों का असर आगामी चुनावों पर भी पड़ सकता है।
राहुल गांधी और उनके विचारों पर जनता की राय क्या है? हमें कमेंट में बताएं।
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Morning News Brief : ट्रम्प अमेरिका के राष्ट्रपति, कहा- देश में सिर्फ दो जेंडर होंगे, पुरुष और महिला; कोलकाता रेप-मर्डर के दोषी को उम्रकैद
नमस्कार, कल की बड़ी खबर अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की शपथ की रही। एक खबर कोलकाता रेप-मर्डर केस की रही, अदालत ने 164 दिन बाद दोषी को सजा सुनाई। लेकिन कल की बड़ी खबरों से पहले आज के प्रमुख इवेंट्स, जिन पर रहेगी नजर... - केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी गोवा में कर्व पर बने देश के पहले केबल-स्टे ब्रिज का ��द्घाटन करेंगे। इसके अलावा ₹2500 करोड़ की लागत वाले 4 एक्सप्रेसवे के एक्सपेंशन प्रोजेक्ट लॉन्च करेंगे। - ICC अंडर-19 महिला टी20 वर्ल्ड कप में भारत और मलेशिया के बीच मुकाबला होगा। ये मैच मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में खेला जाएगा। अब कल की बड़ी खबरें... डोनाल्ड ट्रम्प बने अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति, चीन समेत कई देशों पर बढ़ेगा टैरिफ
मुख्य बिंदु: - डोनाल्ड ट्रम्प ने अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली, उप-राष्ट्रपति बने जेडी वेंस। - ट्रम्प ने कहा, "अब अमेरिकी सरकार केवल दो जेंडर- पुरुष और महिला को ही मान्यता देगी।" - चीन समेत कई देशों पर 10 से 60% तक टैरिफ लगाने की घोषणा। - समारोह में दुनिया भर के 700 से अधिक नेता और प्रमुख हस्तियां मौजूद रहीं। समारोह और शपथ ग्रहण: वाशिंगटन डीसी में हुए भव्य समारोह में डोनाल्ड ट्रम्प ने अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। सुप्रीम कोर्ट के चीफ ज��्टिस जॉन रॉबर्ट्स ने उन्हें शपथ दिलाई, जबकि जेडी वेंस ने उप-राष्ट्रपति पद की शपथ ग्रहण की। इस मौके पर इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी, अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जेवियर माइली और भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर समेत 700 से अधिक नेता और दिग्गज हस्तियां मौजूद रहीं। टैरिफ और नई नीतियां: शपथ ग्रहण के बाद ट्रम्प ने 30 मिनट का भाषण दिया, जिसमें उन्होंने अमेरिका की नई आर्थिक और सामाजिक नीतियों पर जोर दिया। उन्होंने घोषणा की कि अब अमेरिकी सरकार की आधिकारिक नीति होगी कि केवल दो जेंडर—पुरुष और महिला—को ही मान्यता मिलेगी। इसके अलावा, उन्होंने चीन समेत कई देशों पर 10 से 60% तक टैरिफ लगाने की बात कही, जिससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और विदेशी आयात पर नियंत्रण रखने का प्रयास किया जाएगा। कोलकाता रेप-मर्डर केस: दोषी को उम्रकैद, परिवार ने मुआवजा लेने से किया इनकार
मुख्य बिंदु: - आरजी कर मेडिकल कॉलेज में 8 अगस्त की रात ट्रेनी डॉक्टर से रेप और हत्या के दोषी संजय रॉय को उम्रकैद। - सियालदह कोर्ट ने कहा कि यह "रेयरेस्ट ऑफ रेयर" मामला नहीं, इसलिए मौत की सजा नहीं दी जा सकती। - दोषी पर 50,000 रुपये का जुर्माना और पीड़ित परिवार को 17 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश। - पीड़ित परिवार ने मुआवजा लेने से इनकार किया, वहीं पश्चिम बंगाल सरकार हाईकोर्ट में अपील करेगी। अदालत का फैसला और प्रतिक्रिया: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में 8 अगस्त को हुए रेप और मर्डर केस में दोषी संजय रॉय को सियालदह कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई। कोर्ट ने कहा कि यह "रेयरेस्ट ऑफ रेयर" मामला नहीं है, इसलिए उसे फांसी नहीं दी जा सकती। इसके साथ ही, अदालत ने संजय पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया और राज्य सरकार को पीड़ित परिवार को 17 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया, जिसे परिवार ने लेने से इनकार कर दिया। राजनीतिक और पारिवारिक प्रतिक्रिया: दोषी संजय के परिवार ने कहा कि वे अदालत क��� फैसले के खिलाफ अपील नहीं करेंगे। उसकी मां ने कहा, "मैं उस लड़की के माता-पिता का दर्द समझ सकती हूं, मेरी भी बेटियां हैं।" दूसरी ओर, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि उनकी सरकार इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेगी, ताकि पीड़ित परिवार को न्याय मिल सके। केरल: बॉयफ्रेंड की हत्या के मामले में 24 वर्षीय युवती को फांसी की सजा
मुख्य बिंदु: - तिरुअनंतपुरम कोर्ट ने 24 वर्षीय ग्रीष्मा को फांसी की सजा सुनाई। - युवती ने आयुर्वेदिक टॉनिक में जहर मिलाकर अपने बॉयफ्रेंड शेरोन राज की हत्या की। - अदालत ने इसे "रेयरेस्ट ऑफ द रेयर" केस मानते हुए कठोर सजा दी। - आरोपी युवती की शादी कहीं और तय ह�� गई थी, इसलिए उसने बॉयफ्रेंड को मारने की साजिश रची। क्या है पूरा मामला? 14 अक्टूबर 2022 को ग्रीष्मा ने अपने बॉयफ्रेंड शेरोन राज को कन्याकुमारी स्थित अपने घर बुलाया और उसे आयुर्वेदिक टॉनिक में पैराक्वाट (एक खतरनाक हर्बीसाइड) मिलाकर पिला दिया। घर से निकलते ही शेरोन की तबीयत बिगड़ने लगी और उसे उल्टियां होने लगीं। परिवार ने उसे अस्पताल में भर्ती कराया, लेकिन 11 दिन तक जिंदगी और मौत से जूझने के बाद 25 अक्टूबर को उसकी मौत हो गई। जांच में सामने आया कि ग्रीष्मा ने पहले भी कई बार शेरोन को मारने की कोशिश की थी। अदालत का सख्त फैसला: सजा सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि यह "रेयरेस्ट ऑफ द रेयर" मामला है क्योंकि आरोपी ने अपने प्रेमी को धोखा दिया और उसकी निर्ममता से हत्या कर दी। इससे समाज में गलत संदेश गया, इसलिए उसे मृत्युदंड दिया जाता है। सैफ अली खान पर हमला: आरोपी बांग्लादेशी कुश्ती खिलाड़ी निकला, पुलिस ने किया ��िरफ्तार
मुख्य बिंदु: - सैफ अली खान पर हमला करने वाला आरोपी शरीफुल इस्लाम बांग्लादेश में कुश्ती खिलाड़ी था। - पुलिस के मुताबिक, वारदात के बाद आरोपी बस स्टॉप पर सोया और ठाणे जाने से पहले कपड़े बदले। - दिल्ली में बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के आदेश। हमला और आरोपी की गिरफ्तारी: मुंबई पुलिस ने बताया कि बॉलीवुड अभिनेता सैफ अली खान पर हमला करने वाला आरोपी शरीफुल इस्लाम बांग्लादेश में कुश्ती खिलाड़ी रह चुका है। इसी वजह से वह शारीरिक रूप से मजबूत था और सैफ पर भारी पड़ा। वारदात के बाद उसने बस स्टॉप पर रात बिताई और फिर ठाणे जाने से पहले अपने कपड़े बदल लिए। रविवार को पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। दिल्ली में घुसपैठियों पर कार्रवाई: इस घटना के बाद दिल्ली के उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना ने बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों की पहचान के लिए विशेष अभियान चलाने के निर्देश दिए। उन्होंने दिल्ली पुलिस कमिश्नर को लिखे पत्र में कहा कि इन अवैध प्रवासियों के कारण स्थानीय लोगों को रोजगार पाने में मुश्किल हो रही है और वे आपराधिक गतिविधियों में भी शामिल रहते हैं। SC की सख्ती: 'जेल से चुनाव लड़ने पर रोक लगे', ताहिर हुसैन की जमानत याचिका खारिज
मुख्य बिंदु: - सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "जेल में रहकर चुनाव लड़ना आसान हो गया है, इसे रोका जाना चाहिए।" - दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन की जमानत याचिका पर आज सुनवाई होगी। - AIMIM ने ताहिर हुसैन को दिल्ली की मुस्तफाबाद सीट से टिकट दिया है। - ताहिर पर IB अधिकारी अंकित शर्मा की हत्या का आरोप। SC ने जताई चिंता, जेल से चुनाव लड़ने पर सवाल सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली दंगों के आरोपी और AAP के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन की जमानत याचिका लिस्टेड थी, लेकिन सुनवाई नहीं हो सकी। उनके वकील ने जल्द सुनवाई का अनुरोध किया, जिस पर जस्टिस मित्तल ने कहा कि अब तो लोग जेल में बैठकर चुनाव लड़ते हैं और जीतते भी हैं, यह बंद होना चाहिए। ताहिर हुसैन पर क्या आरोप हैं? ताहिर हुसैन पर दिल्ली दंगों (25 फरवरी 2020) के दौरान IB अधिकारी अंकित शर्मा की हत्या कराने का आरोप है। उन्होंने 14 जनवरी से 9 फरवरी तक चुनाव प्रचार के लिए हाईकोर्ट से अंतरिम जमानत मांगी थी, लेकिन हाईकोर्ट ने कहा कि नामांकन जेल से भी भरा जा सकता है। अब उनकी जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। IPL 2025: ऋषभ पंत बने लखनऊ सुपर जायंट्स के नए कप्तान
मुख्य बिंदु: - ऋषभ पंत लखनऊ सुपर जायंट्स (LSG) के नए कप्तान बने, केएल राहुल की जगह लेंगे। - फ्रेंचाइजी ने पंत को नवंबर 2024 के मेगा ऑक्शन में 27 करोड़ रुपये में खरीदा, IPL इतिहास के सबसे महंगे खिलाड़ी बने। - LSG के मालिक संजीव गोयनका का दावा – "पंत IPL के सबसे सफल कप्तान बन सकते हैं।" - पंत इससे पहले दिल्ली कैपिटल्स की कप्तानी कर चुके हैं, 2021 में टीम को प्लेऑफ तक पहुंचाया था। कप्तानी में ऋषभ पंत का प्रदर्शन पंत ने दिल्ली कैपिटल्स के लिए 2021, 2022 और 2024 में कप्तानी की। उनकी अगुवाई में टीम ने कुल 43 मैच खेले, जिनमें 23 में जीत और 19 में हार मिली, जबकि 1 मुकाबला टाई रहा। 2023 में कार एक्सीडेंट के कारण वे पूरे सीजन से बाहर रहे थे। अब LSG की कमान मिलने के बाद उनकी कप्तानी को लेकर बड़ी उम्मीदें हैं। Read the full article
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तेजी से आगे बढ़ते हुए, ट्रम्प ने चीन और भारत की शुरुआती यात्राओं की योजना बनाई है
वाशिंगटन से टीओआई संवाददाता: उनके सलाहकारों के अनुसार, डोनाल्ड ट्रम्प की व्यापार-संचालित विदेश नीति के एजेंडे में चीन और भारत की शुरुआती यात्राएँ प्रमुख हैं। आने वाले राष्ट्रपति ने अपने उद्घाटन के लिए सप्ताहांत में विजयी रूप से वाशिंगटन डीसी में उड़ान भरी और एक आतिशबाजी प्रदर्शन में भाग लिया जो उनके दूसरे राष्ट्रपति पद का एक रूपक पूर्वावलोकन हो सकता है। व्हाइट हाउस में अपने पहले कार्यकाल की…
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ISIS's Return: How the Terror Group is Expanding Once More
Introduction Of ISIS Resurgence
ISIS Resurgence: 1 जनवरी 2025 यानी नए साल के पहले दिन ही अमेरिका बेहद बुरी तरह से दहल उठा. अमेरिका के न्यू ऑरलियन्स की बॉर्बन स्ट्रीट पर मौज-मस्ती कर रहे लोगों को एक पिकअप ट्रक ने कुचल दिया. पहले ��से सामान्य हमला माना जा रहा था. बाद में जब पिकअप ट्रक की तलाशी ली गई, तो पता चला कि यह दुर्घटना सामान्य नहीं थी. यह एक आतंकी हमला था, जिसे ISIS यानी इस्लामिक स्टेट से प्रभावित एक शख्स ने अंजाम दिया था. शख्स की पहचान शम्सुद्दीन जब्बार के रूप में की गई है. ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या ISIS क���चले जाने के बाद फिर से जिंदा हो रहा है. इस बीच अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप भी सत्ता संभालने वाले हैं. ऐसे में ISIS को पहले कुचलने का दावा करने वाले डोनाल्ड ट्रंप के लिए भी यह सबसे बड़ी चुनौती है.
Table Of Content
अमेरिका में हुआ ताजा हमला
ISIS ने सीरिया के गृहयुद्ध का कैसे उठाया फायदा
ISIS-खुरासान ने संभाली कमान
UN ने ISIS को लेकर क्यों दी चेतावनी
दुनिया में ISIS के अब तक के घातक हमले
सीरिया और इराक में ISIS के ताजा हालात
अमेरिका में हुआ ताजा हमला
गौरतलब है कि ISIS के नाम से मशहूर इस आतंकी संगठन ने दुनिया भर में मौत और विनाश की क्रूर विरासत छोड़ी है. मीडिल-ईस्ट में ISIS का अब कोई खास प्रभाव वाला इलाका बचा नहीं है, लेकिन इस क्रूर संगठन ने दुनिया भर में आतंकी हमले करना जारी रखा. इसके साथ ही वह चरमपंथी विचारधारा के जरिए युवाओं को भड़काता रहता है. ISIS एक सुन्नी मुस्लिम विद्रोही गुट है, जिसे माना जाता है कि इराक में अलकायदा से जन्म हुआ. इराक में साल 2013 से लेकर 2017 तक चले गृहयुद्ध के लिए भी इस संगठन को ही जिम्मेदार माना जाता है. बाद में स्थानीय मिलिशिया और अमेरिकी सैनिकों ने इन विद्रोहियों को कुचल दिया.
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ISIS ने सीरिया के गृहयुद्ध का कैसे उठाया फायदा
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ISIS-खुरासान ने संभाली कमान
कुछ महीनों बाद 22 मार्च रूस की राजधानी मास्को स्थित एक कॉन्सर्ट हॉल में घातक हमला किया था, जिसे अमेरिकी अधिकारियों ISIS-K(खुरासान) को दोषी ठहराया था. इस हमले में कम से कम 137 लोग मारे गए थे . 16 जुलाई को ISIS-K के आतंकियों ने ओमान के मस्जिद में गोलीबारी की, जिसमें 6 लोग मारे गए थे. इसमें ISIS ने शिया मुसलमानों को निशाना बनाया था. इन हमलों के अलावा भी इराक और सीरिया समेत कई देशों में हमले किए गए हैं.
UN ने ISIS को लेकर क्यों दी चेतावनी?
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दुनिया में ISIS के अब तक के घातक हमले
इसके बाद 22 मार्च 2016 को सुबह ब्रुसेल्स में एक एयरपोर्ट और मेट्रो स्टेशन को ISIS के आतंकियों ने उड़ा दिया था. इसमें 32 लोगों ने अपनी जान गंवा दी थी. साल 2016 में 14 जुलाई को फ्रांस के नीस में बैस्टिल दिवस के दिन एक व्यक्ति ने आतिशबाजी देख रही भीड़ को 19 टन वजनी ट्रक से कुचल दिया. ISIS ने इस हमले की जिम्मेदारी ली थी, लेकिन ड्राइवर के सीधे तौर पर आतंकी समूह से जुड़े होने का कोई सबूत नहीं मिले. साल 2015 में ISIS के आतंकियों ने इसी तरह जॉर्डन के सैन्य पायलट मोआज अल कसासबेह को जिंदा जलाया और इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर जारी किया. वहीं, 2015 में 15-16 फरवरी को ISIS से संबंधित लीबियाई आतंकियों ने एक वीडियो जारी कर 21 मिस्र के ईसाइयों का सिर कर दिया.
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सीरिया और इराक में ISIS के ताजा हालात
सीरिया में बशर अल असद के सत्ता से बेदखल होने और सेनाओं के पतन के बाद से विदेशी मामलों के जानकारों का मानना है कि ISIS इन इलाकों में फिर से अपने पैर जमा सकता है. पिछले साल जुलाई के महीने में अमेरिकी विदेश मंत्रालय पेंटागन के प्रवक्ता ने चेतावनी जारी करते हुए बताया था कि इराक और सीरिया में इस्लामिक स्टेट के हमले पिछले साल की तुलना में दोगुने होने के कगार पर हैं.
बशर अल असद के हटते ही अमेरिका समर्थित कुर्द बलों और तुर्की समर्थित विद्रोहियों के बीच संघर्ष उग्र रूप लेता जा रहा है. ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि ISIS फिर से अपने पैर जमा सकता है. इराक में भी उनका प्रभाव बढ़ सकता है. अमेरिकी सेना की मीडिल-ईस्ट में तैनात अमेरिकी सेंट्रल कमांड के मुताबिक सीरिया में ISIS के 20 से अधिक ठिकाने मौजूद हैं. इसमे कुल 9 हजार से अधिक लड़ाके शामिल हैं. वहीं, सीरिया में 2 हजार और इराक में 2.5 हजार अमेरिकी सैनिक तैनात हैं. सीरिया में उथल-पुथल जारी है और अमेरिकी सैनिकों ने हवाई हमले जारी रखे हैं. इससे वह ISIS के लड़ाकों और शिविरों को निशाना बना रहे हैं.
Conclusion
ISIS फिलहाल सीरिया में है, लेकिन समूह का अफगान सहयोगी ISIS-K ने हाल के हमलों से यह सिद्ध कर चुका है कि वह दुनिया के किसी भी हिस्से में बड़े हमले को अंजाम दे सकता है. ISIS-K दुनिया के अलावा यह संगठन अफगानिस्तान की तालिबान सरकार से भी लड़ रहा है. अमेरिकी अधिकारी मीडिल-ईस्ट के अलावा अफ्रीकी साहेल इलाके में भी नजर रख रहे हैं, क्योंकि अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि ISIS (जिसे ISIL या अपमानजनक Daesh भी कहा जाता है) साहेल में तेजी से प्रगति कर रहा है.
बता दें कि ISIS ने ही पिछले साल मार्च में नाइजर की सेना पर हमला कर 30 जवानों को मार दिया था. ऐसे में अमेरिकी अधिकारियों का दावा है कि ISIS को नाइजीरिया, कांगो जैसे अफ्रीकी देशों से 60 फीसदी तक मदद मिल रही है. ISIS के लड़ाके फिलहाल हिट-एंड-रन हमले कर रहे हैं. वहीं, ISIS-K का अफगान लीडर सनाउल्लाह गफारी इसे वैश्विक संगठन बनाने की तैयारी कर रहा है. संयुक्त राष्ट्र को भी डर है कि ISIS के लड़ाके अफगानिस्तान के साथ ही गृहयुद्ध की चपेट में सूडान में राजनीतिक अस्थिरता का फायदा उठा सकते हैं.
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वहीं, साल 2019 में अबू बकर अल-बगदादी के मारे जाने के बाद तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि अमेरिका ने दुनिया के ��ंबर एक आतंकी को न्याय के कटघरे में खड़ा किया. अबू बकर अल-बगदादी मर चुका है, जो ISIS का संस्थापक और नेता था. उन्होंने दावा किया था कि अबू बकर अल-बगदादी को पकड़ना या मारना उनके प्रशासन की सर्वोच्च प्राथमिकता थी. उन्होंने जोर देकर कहा कि उसने दूसरों को डराने की बहुत कोशिश की थी, लेकिन अपने अंतिम समय में घबराहट और खौफ में बिताए थे.
उन्होंने दावा किया था कि अमेरिकी सैनिकों की पहुंच बहुत लंबी है, जिन्होंने ओसामा बिन लादेन के बहुत ही हिंसक बेटे हमजा बिन लादेन को मार गिराया था. अबू बकर अल-बगदादी के बाद हमने ISIS की खिलाफत को 100 प्रतिशत खत्म कर दिया है. साथ ही ISIS आतंकियों को उनके क्रूर अंत तक पहुंचाने के लिए लगातार प्रयास करते रहेंगे. ऐसे में माना जा रहा है कि डोनाल्ड ट्रंप सत्ता संभालने के बाद बड़े पैमाने पर ISIS के आतंकियों के खिलाफ मोर्चा खोल सकते हैं. यह बात अन्य आतंकी संगठनों पर भी लागू होती है.
बता दें कि मीडिल-ईस्ट में तैनात अमेरिकी सेंट्रल कमांड के मुताबिक जनवरी से जून 2024 तक ISIS के खिलाफ 196 मिशन चलाए गए हैं. इसमें इराक में कुल 44 ISIS ऑपरेटिव मारे गए है. वहीं, सीरिया में 59 ऑपरेशनों में 14 ISIS ऑपरेटिव मारे गए. इस दौरान इराक और सीरिया में आठ वरिष्ठ ISIS लीडर मारे गए और 32 पकड़े गए हैं. यह लीडर सीरिया और इराक के बाहर अभियानों की योजना बनाने, भर्ती करने, प्रशिक्षण देने और हथियारों की तस्करी करने के लिए जिम्मेदार थे. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि ISIS का अगला प्लान क्या होगा और डोनाल्ड ट्रंप सत्ता में आने के बाद इससे कैसे निपटे हैं.
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'एक सच्चे गांधीवादी नेता': सैम पित्रोदा ने मनमोहन सिंह को याद किया
वरिष्ठ कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की निजी यादें साझा कीं, जिनका लंबी बीमारी के बाद गुरुवार को दिल्ली में निधन हो गया। उन्होंने 1991 के आर्थिक सुधारों, विश्वविद्यालयों के विस्तार और रणनीतिक विदेश नीति में बदलाव में डॉ. सिंह की भूमिका पर प्रकाश डाला। पित्रोदा ने प्रधान मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान डॉ. सिंह के गांधीवादी मूल्यों, सादगी और लोकतांत्रिक…
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ट्रंप से तो चीन की मुश्किले हैं!
डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल की तैयारियाँ शुरू हो चुकी हैं, जिसमें कई महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्तियाँ की जा रही हैं। फ्लोरिडा के सीनेटर मार्को रूबियो को विदेश मंत्री और माइक वाल्ट्ज को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया गया है। दोनों ही अधिकार��� चीन के प्रति आक्रामक नीति के समर्थक हैं, लेकिन भारत के साथ सहयोग को ��जबूत करना चाहते हैं। पीटर हेगसेथ को रक्षामंत्री बनाया गया है, जो युद्ध के प्रति आक्रामक रुख रखते हैं।
ट्रम्प के करीबी एलन मस्क को संघीय नौकरशाही में सुधार लाने के लिए डीओजीई (डोज़) विभाग का सह-प्रमुख नियुक्त किया गया है। ट्रंप प्रशासन का झुकाव अमेरिका के लिए एकाधिकारवादी नीतियाँ अपनाने और विश्व व्यापार संगठन को अनदेखा करने की ओर है, जिससे भारत-अमेरिका संबंधों के सकारात्मक होने की उम्मीद की जा रही है।
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एस जयशंकर का बड़ा बयान: 'अमेरिका को लेकर दुनिया में घबराहट, लेकिन भारत में नहीं'
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण बयान दिया, जिसमें उन्होंने अमेरिका और वैश्विक संबंधों पर भारत की नीति और दृष्टिकोण को स्पष्ट किया। एक प्रमुख कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि दुनिया के कई देशों में अमेरिका के प्रभाव और नीतियों को लेकर एक प्रकार की घबराहट देखने को मिलती है। हालांकि, उन्होंने यह भी जोर दिया कि भारत इस संदर्भ में एक अलग दृष्टिकोण रखता है। प्रमुख बातें: भारत की…
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MPSE-013 ऑस्ट्रेलिया की विदेश नीति in Hindi Solved Assignment 2024-2025
MPSE-013 ऑस्ट्रेलिया की विदेश नीति Solved Assignment 2024-2025 TUTOR MARKED ASSIGNMENT Course Code: MPSE-013 Assignment Code: ASST/TMA/2024-25 Marks: 100 Title Name MPSE-013 Solved Assignment 2024-2025 University IGNOU Service Type Solved Assignment (Soft copy/PDF) Course M.A. MPS Language HINDI Semester 2024-2025 Course: M.A. POLITICAL SCIENCE Session Assignment July, 2024 & January, 2025…
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विदेश नीति विदेश नीति क्या है और क्या हैं इसके फायदे?
Foreign Policy या विदेश नीति क्या है (videsh niti kya hai) सभी देशों की वह योजना है, जिसके अंतगर्त वह अपने हितों एवं अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं। किसी देश की विदेश नीति ये घोषणा करने में सक्षम होती है कि, उसे किस देश के साथ अच्छे संबंध रखने है और किसके साथ नहीं रखने हैं। प्रत्येक राष्ट्र अपनी विदेश नीति के आधार पर ही अंतरराष्ट्रीय संबंधों की स्थापना करता है। और इन नीतियों का पालन करता है। चाहे उस राष्ट्र को कूटनीति का सहारा क्यों न लेना पड़े। भारत और कनाडा के भी विदेश नीति के तहत संबंध अच्छे हैं। छात्र हो या कोई ऐसा ऐसा व्यक्ति जो विदेश में काम करने जाना चाहता है वो विभिन्न प्रकार के इंग्लिश टेस्ट जैसे IELTS क्या है (IELTS Kya hai) आदि को समझना जरूरी है!
Address:- S-1, Unit No 8 & 11, E-Block, International Trade Tower, Nehru Place, New Delhi – 110019 Email:- [email protected]
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Maha Kumbh 2025: Tirtharaj Prayagraj Ban Raha Desh ki Aastha ka Kendra
प्रयागराज। महाकुंभ-2025 को दुनिया का सबसे भव्य सांस्कृतिक आयोजन बनाने जा रही योगी सरकार ने प्रयागराज के घाट पर अपने सबसे कुशल अफसरों को तैनात किया है। सरकार की धर्म-कर्म को लेकर स्पष्ट नीति के परिणामस्वरूप देश के कोने-कोने से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया है। यहां तक कि विदेश से भी लोग अपनी सात-सात पीढ़ियों को मोक्ष दिलाने के लिए संगम नगरी पहुंचने लगे हैं।
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'ट्रूडो ने जो जहर घोला, उसे...', भारत-कनाडा के बीच बढ़ते तनाव पर जानें क्या बोले विदेश नीति के जानकार
खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह नि��्जर की हत्या को लेकर कनाडा और भारत आमने-सामने हैं। दोनों देशों के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा। भारत के राजदूत और अन्य राजनयिकों का नाम बतौर ‘पर्सन ऑफ इंट्रेस्ट’ में लेने के बाद नई दिल्ली ने सख्त रुख अपनाया है। उसने भारत से छह कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित कर दिया है। अब इस पूरे मामले पर विदेश नीति विशेषज्ञों ने भारत के आंतरिक मामलों में कनाडा के हस्तक्षेप की जांच…
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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यूएनजीए में पाकिस्तान को लगाई फटकार, कहा, अवैध रूप से कब्जाए भारतीय क्षेत्र को करें खाली
United Nations: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शनिवार को कहा कि पाकिस्तान के साथ अब उसके कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) को खाली कराने का मुद्दा सुलझाना है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की सीमा पार आतंकवाद की नीति कभी सफल नहीं होगी और उसके कृत्यों के ”निश्चित परिणाम मिलेंगे।” विदेश मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि यह (पाकिस्तान का) ”कर्म” ही है कि उसकी बुराइयां अब उसके अपने समाज को निगल रही हैं। जयशंकर ने…
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JDU के राष्ट्रीय प्रवक्ता के पद से क्यों हटाए गए केसी त्यागी? क्या इजरायल बना इस्तीफे की वजह
पटना: जनता दल यूनाइटेड (JDU) के बड़े नेता ने पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता पद से इस्तीफा दे दिया है। उनकी जगह राजीव रंजन को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है। केसी त्यागी ने नीतीश कुमार और JDU के लिए हमेशा से अहम भूमिका निभाई है। पार्टी में किसी भी नेता का राज रहा हो, त्यागी हमेशा से ही मुख्य टीम का हिस्सा रहे हैं। उनके इस्तीफे के पीछे कई कयास लगाए जा रहे हैं। केसी त्यागी को हर मुद्दे पर बेबाक राय रखना भारी पड़ा? ऐसा माना जा रहा है कि दिल्ली में रहकर हर मुद्दे पर अपनी बेबाक राय रखना केसी त्यागी को भारी पड़ गया। सूत्रों के मुताबिक, उनके बयानों से ऐसा लग रहा था कि केंद्र और बिहार में एक होकर एनडीए सरकार चला रही JDU और बीजेपी के विचार अलग-अलग हैं। इससे BJP नाखुश थी। बीजेपी ने कई बार इशारों में अपने सहयोगी दलों से तालमेल बनाए रखने को कहा था। सूत्रों के मुताबिक, बीते दिनों इसी सिलसिले में पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री ललन सिंह और संजय झा ने केसी त्यागी से मुलाकात की थी और राष्ट्रीय प्रवक्ता का पद छोड़ने के लिए कहा था। पार्टी ने इस्तीफे की बताई निजी वजह हालांकि, पार्टी की तरफ से जारी प्रेस रिलीज में कहा गया है कि केसी त्यागी ने निजी कारणों से इस्तीफा दिया है। केसी त्यागी JDU के विशेष सलाहकार भी हैं, लेकिन उन्होंने इस पद से इस्तीफा दिया है या नहीं, यह अभी स्पष्ट नहीं है। पार्टी लाइन से हटकर बयानबाजी कर रहे थे केसी त्यागी राजनीतिक जानकारों का मानना है कि केसी त्यागी ने कई मुद्दों पर पार्टी लाइन से हटकर बयानबाजी क�� थी, फिर चाहे केंद्र सरकार की विदेश नीति हो, UPSC में लेटरल एंट्री, SC-ST आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला। उन्होंने अपने निजी विचारों को पार्टी के विचारों की तरह पेश किया, जिससे पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा। त्यागी ने इजरायल मुद्दे पर इंडिया गठबंधन का दिया था साथ इतना ही नहीं, बीते दिनों इजरायल को हथियारों की आपूर्ति रोकने के मुद्दे पर केसी त्यागी ने विपक्षी दलों का साथ दिया था। उन्होंने विपक्षी नेताओं के साथ एक साझा बयान पर हस्ताक्षर किए थे। इस बयान में कहा गया था कि केंद्र सरकार को इजरायल को हथियारों और गोला-बारूद की आपूर्ति पर रोक लगानी चाहिए। बयान में कहा गया था कि, 'इजरायल द्वारा जारी यह क्रूर हमला न केवल मानवता का अपमान है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय कानून और न्याय और शांति के सिद्धांतों का भी घोर उल्लंघन है।' http://dlvr.it/TCfCZL
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