#विदेश नीति
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विदेश नीति क्या है और क्या हैं इसके फायदे?
विदेश नीति एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और टैलेंट कनेक्टेड वर्ल्डवाइड ने इसे समझाने का संकल्प लिया है। वे विदेश नीति के महत्व को समझाते हैं और इसके बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए संसाधित किए गए हैं। विदेश नीति के तहत विदेशी नागरिकों की पहुंच, अर्थव्यवस्था, व्यापार और शिक्षा के क्षेत्र में निवेश, संबंधों की मजबूती और साझेदारियों की खोज शामिल होती है। टैलेंट कनेक्टेड वर्ल्डवाइड आपको विदेश नीति के बारे में व्यापक जानकारी प्रदान करता है और आपकी ज्ञानवर्धन में सहायता करता है।
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Chapter-5: भारत के विदेश संबंध (India’s Foreign Relations) B2
भारत के विदेश संबंध (India’s Foreign Relations) भारत के विदेश संबंध, जिसे अंग्रेजी में “India’s Foreign Relations” कहा जाता है, स्वतंत्रता के बाद भारत की विदेश नीति और अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण का एक विस्तृत अध्ययन है। 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद, भारत को एक ऐसी विदेश नीति विकसित करनी थी जो उसकी आंतरिक प्राथमिकताओं, राजनीतिक सिद्धांतों, और वैश्विक चुनौतियों के…
#India’s Foreign Relations#भारत की ऊर्जा सुरक्षा विदेश नीति#भारत की पड़ोसी देशों के साथ विदेश नीति#भारत के अमेरिका के साथ संबंध#भारत के ब्रिक्स (BRICS) में योगदान#भारत के विदेश संबंध#भारत के विदेश संबंधों का इतिहास
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परमाणु शक्ति पर रूस की राह चला ईरान, E3 की मीटिंग से पहले बता दिए मंसूबे
ईरान के परमाणु प्रोग्राम को लेकर IAEA ने बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की बैठक में निंदा प्रस्ताव पास किया था, इस प्रस्ताव के पास होने से पहले ही ईरान लगातार अपनी परमाणु नीति में बदलाव की चेतावनी दे रहा लेकिन ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी (E3) ने तेहरान की धमकियों को नज़रअंदाज़ कर दिया था. शुक्रवार को ईरान इन E3 देशों के साथ परमाणु प्रोग्राम को लेकर बातचीत कर��े जा रहा है, लेकिन इससे पहले विदेश मंत्री अब्बास…
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PM Modi की तीन देशों की विदेश यात्रा: 31 विश्व नेताओं और संगठनों के प्रमुखों से मुलाकात
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने 16 से 21 नवंबर तक अपनी तीन देशों की विदेश यात्रा के दौरान वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती प्रभावशाली भूमिका को उजागर किया। इस यात्रा के दौरान उन्होंने नाइजीरिया, ब्राजील (Nigeria, Brazil ) और गुयाना (Guyana ) में 31 द्विपक्षीय बैठकों और अनौपचारिक बातचीतों में भाग लिया। इस यात्रा ने न केवल भारत के विदेश नीति को नए आयाम दिए, बल्कि वैश्विक नेताओं के साथ रिश्तों को…
#Argentina#Australia#Bola Ahmed Tinubu#Brazil#Chile#France#G20 Summit#Guyana#india#Nigeria#Norway#pm modi
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ट्रंप से तो चीन की मुश्किले हैं!
डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल की तैयार���याँ शुरू हो चुकी हैं, जिसमें कई महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्तियाँ की जा रही हैं। फ्लोरिडा के सीनेटर मार्को रूबियो को विदेश मंत्री और माइक वाल्ट्ज को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया गया है। दोनों ही अधिकारी चीन के प्रति आक्रामक नीति के समर्थक हैं, लेकिन भारत के साथ सहयोग को मजबूत करना चाहते हैं। पीटर हेगसेथ को रक्षामंत्री बनाया गया है, जो युद्ध के प्रति आक्रामक रुख रखते हैं।
ट्रम्प के करीबी एलन मस्क को संघीय नौकरशाही में सुधार लाने के लिए डीओजीई (डोज़) विभाग का सह-प्रमुख नियुक्त किया गया है। ट्रंप प्रशासन का झुकाव अमेरिका के लिए एकाधिकारवादी नीतियाँ अपनाने और विश्व व्यापार संगठन को अनदेखा करने की ओर है, जिससे भारत-अमेरिका संबंधों के सकारात्मक होने की उम्मीद की जा रही है।
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एस जयशंकर का बड़ा बयान: 'अमेरिका को लेकर दुनिया में घबराहट, लेकिन भारत में नहीं'
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण बयान दिया, जिसमें उन्होंने अमेरिका और वैश्विक संबंधों पर भारत की नीति और दृष्टिकोण को स्पष्ट किया। एक प्रमुख कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि दुनिया के कई देशों में अमेरिका के प्रभाव और नीतियों को लेकर एक प्रकार की घबराहट देखने को मिलती है। हालांकि, उन्होंने यह भी जोर दिया कि भारत इस संदर्भ में एक अलग दृष्टिकोण रखता है। प्रमुख बातें: भारत की…
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MPSE-013 ऑस्ट्रेलिया की विदेश नीति in Hindi Solved Assignment 2024-2025
MPSE-013 ऑस्ट्रेलिया की विदेश नीति Solved Assignment 2024-2025 TUTOR MARKED ASSIGNMENT Course Code: MPSE-013 Assignment Code: ASST/TMA/2024-25 Marks: 100 Title Name MPSE-013 Solved Assignment 2024-2025 University IGNOU Service Type Solved Assignment (Soft copy/PDF) Course M.A. MPS Language HINDI Semester 2024-2025 Course: M.A. POLITICAL SCIENCE Session Assignment July, 2024 & January, 2025…
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Maha Kumbh 2025: Tirtharaj Prayagraj Ban Raha Desh ki Aastha ka Kendra
प्रयागराज। महाकुंभ-2025 को दुनिया का सबसे भव्य सांस्कृतिक आयोजन बनाने जा रही योगी सरकार ने प्रयागराज के घाट पर अपने सबसे कुशल अफसरों को तैनात किया है। सरकार की धर्म-कर्म को लेकर स्पष्ट नीति के परिणामस्वरूप देश के कोने-कोने से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया है। यहां तक कि विदेश से भी लोग अपनी सात-सात पीढ़ियों को मोक्ष दिलाने के लिए संगम नगरी पहुंचने लगे हैं।
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'ट्रूडो ने जो जहर घोला, उसे...', भारत-कनाडा के बीच बढ़ते तनाव पर जानें क्या बोले विदेश नीति के जानकार
खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर कनाडा और भारत आमने-सामने हैं। दोनों देशों के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा। भारत के राजदूत और अन्य राजनयिकों का नाम बतौर ‘पर्सन ऑफ इंट्रेस्ट’ में लेने के बाद नई दिल्ली ने सख्त रुख अपनाया है। उसने भारत से छह कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित कर दिया है। अब इस पूरे मामले पर विदेश नीति विशेषज्ञों ने भारत के आंतरिक मामलों में कनाडा के हस्तक्षेप की जांच…
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विदेश नीति विदेश नीति क्या है और क्या हैं इसके फायदे?
Foreign Policy या विदेश नीति क्या है (videsh niti kya hai) सभी देशों की वह योजना है, जिसके अंतगर्त वह अपने हितों एवं अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं। किसी देश की विदेश नीति ये घोषणा करने में सक्षम होती है कि, उसे किस देश के साथ अच्छे संबंध रखने है और किसके साथ नहीं रखने हैं। प्रत्येक राष्ट्र अपनी विदेश नीति के आधार पर ही अंतरराष्ट्रीय संबंधों की स्थापना करता है। और इन नीतियों का ��ालन करता है। चाहे उस राष्ट्र को कूटनीति का सहारा क्यों न लेना पड़े। भारत और कनाडा के भी विदेश नीति के तहत संबंध अच्छे हैं। छात्र हो या कोई ऐसा ऐसा व्यक्ति जो विदेश में काम करने जाना चाहता है वो विभिन्न प्रकार के इंग्लिश टेस्ट जैसे IELTS क्या है (IELTS Kya hai) आदि को समझना जरूरी है!
Address:- S-1, Unit No 8 & 11, E-Block, International Trade Tower, Nehru Place, New Delhi – 110019 Email:- [email protected]
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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यूएनजीए में पाकिस्तान को लगाई फटकार, कहा, अवैध रूप से कब्जाए भारतीय क्षेत्र को करें खाली
United Nations: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शनिवार को कहा कि पाकिस्तान के साथ अब उसके कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) को खाली कराने का मुद्दा सुलझाना है। उन्होंने कहा कि प���किस्तान की सीमा पार आतंकवाद की नीति कभी सफल नहीं होगी और उसके कृत्यों के ”निश्चित परिणाम मिलेंगे।” विदेश मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि यह (पाकिस्तान का) ”कर्म” ही है कि उसकी बुराइयां अब उसके अपने समाज को निगल रही हैं। जयशंकर ने…
#Foreign Minister#illegally occupied#Indian territory#Pakistan news#reprimanded#S Jaishankar#UNGA#vacate
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ट्रंप की नई कैबिनेट ने उड़ाई पाकिस्तान की नींद, अमेरिका की इस खास लिस्ट में नहीं है पड़ोसी देश का नाम
नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने अपने कई कैबिनेट सहयोगियों का चयन किया है. ऐसे में ट्रंप के आगामी कैबिनेट नामों के ऐलान से पाकिस्तान काफी नाराज है. इसकी वजह ये है कि ट्रंप की कैबिनेट में ज्यादातर नेता ऐसे हैं जो पाकिस्तान के प्रति अच्छे विचार नहीं रखते हैं. पाकिस्तानी नीति निर्माता ट्रंप के चुनाव को अमेरिकी प्रशासन की भविष्य की विदेश नीति के संकेत के रूप में देख…
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JDU के राष्ट्रीय प्रवक्ता के पद से क्यों हटाए गए केसी त्यागी? क्या इजरायल बना इस्तीफे की वजह
पटना: जनता दल यूनाइटेड (JDU) के बड़े नेता ने पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता पद से इस्तीफा दे दिया है। उनकी जगह राजीव रंजन को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है। केसी त्यागी ने नीतीश कुमार और JDU के लिए हमेशा से अहम भूमिका निभाई है। पार्टी में किसी भी नेता का राज रहा हो, त्यागी हमेशा से ही मुख्य टीम का हिस्सा रहे हैं। उनके इस्तीफे के पीछे कई कयास लगा�� जा रहे हैं। केसी त्यागी को हर मुद्दे पर बेबाक राय रखना भारी पड़ा? ऐसा माना जा रहा है कि दिल्ली में रहकर हर मुद्दे पर अपनी बेबाक राय रखना केसी त्यागी को भारी पड़ गया। सूत्रों के मुताबिक, उनके बयानों से ऐसा लग रहा था कि केंद्र और बिहार में एक होकर एनडीए सरकार चला रही JDU और बीजेपी के विचार अलग-अलग हैं। इससे BJP नाखुश थी। बीजेपी ने कई बार इशारों में अपने सहयोगी दलों से तालमेल बनाए रखने को कहा था। सूत्रों के मुताबिक, बीते दिनों इसी सिलसिले में पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री ललन सिंह और संजय झा ने केसी त्यागी से मुलाकात की थी और राष्ट्रीय प्रवक्ता का पद छोड़ने के लिए कहा था। पार्टी ने इस्तीफे की बताई निजी वजह हालांकि, पार्टी की तरफ से जारी प्रेस रिलीज में कहा गया है कि केसी त्यागी ने निजी कारणों से इस्तीफा दिया है। केसी त्यागी JDU के विशेष सलाहकार भी हैं, लेकिन उन्होंने इस पद से इस्तीफा दिया है या नहीं, यह अभी स्पष्ट नहीं है। पार्टी लाइन से हटकर बयानबाजी कर रहे थे केसी त्यागी राजनीतिक जानकारों का मानना है कि केसी त्यागी ने कई मुद्दों पर पार्टी लाइन से हटकर बयानबाजी की थी, फिर चाहे केंद्र सरकार की विदेश नीति हो, UPSC में लेटरल एंट्री, SC-ST आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला। उन्होंने अपने निजी विचारों को पार्टी के विचारों की तरह पेश किया, जिससे पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा। त्यागी ने इजरायल मुद्दे पर इंडिया गठबंधन का दिया था साथ इतना ही नहीं, बीते दिनों इजरायल को हथियारों की आपूर्ति रोकने के मुद्दे पर केसी त्यागी ने विपक्षी दलों का साथ दिया था। उन्होंने विपक्षी नेताओं के साथ एक साझा बयान पर हस्ताक्षर किए थे। इस बयान में कहा गया था कि केंद्र सरकार को इजरायल को हथियारों और गोला-बारूद की आपूर्ति पर रोक लगानी चाहिए। बयान में कहा गया था कि, 'इजरायल द्वारा जारी यह क्रूर हमला न केवल मानवता का अपमान है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय कानून और न्याय और शांति के सिद्धांतों का भी घोर उल्लंघन है।' http://dlvr.it/TCfCZL
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अब Modi ने विदेशी धरती पर देश की विदेश नीति की खिल्ली उड़ाई..! Atal Biha...
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14 September Hindi Diwas Par Visesh : हिन्दी की उपयोगिता क्या असंभव है?
14 सितंबर 2024 राष्ट्रीय हिंदी दिवस पर विशेष:
आज से पचपन वर्ष पूर्व हिन्दी को राजभाषा बनाने का प्रस्ताव अहिन्दी भाषियों ने रखा था, जिसका अनुमोदन व समर्थन भी अधिकतर अहिन्दी भाषियों ने ही किया था जिनमें प्रमुख है तमिल भाषी गोपाल स्वामी अयंगार ने प्रस्ताव रखा तो समर्थन व अनुमोदन करने वालों में मराठी भाषा के श्री शंकर देव, उर्दू भाषा के मौलाना अबुल कलाम आजाद, गुजराती के श्री के. एम. मुंशी, तेलुगु भाषी श्रीमती दुर्गाबाई, कन्नड़ भाषी श्री कृष्णमूर्ति थे। आज की परिस्थितियाँ क्या है हिन्दी की तूंती केवल हिन्दी भाषी ही बजा रहे हैं अथवा हिन्दी से संबंधित, हिन्दी से जुड़े लोग ही 'हिन्दी हिन्दी' कह रहे हैं, चिल्ला रहे है, 'हिन्दी दिवस' आदि मना रहे है, जबकि उनकी अपनी संतान ही हिन्दी समाचार पत्र के शीर्षक तक पढ़ने में अपने आपको छोटा मानने लगे है। अभी अभी हैदराबाद के प्रसिद्ध हिन्दी प्रशिक्षण महाविद्यालय के भूतपूर्व प्राचार्य जी की मरणोपरांत समस्त पुस्तक संपादा चने-बटाने की दुकानों पर पुड़ियाँ बाँधने में काम आ रहे है। हम हमारे पूर्ववर्ती पीढ़ी से कुछ हिन्दी, स्वभाषा, स्वदेश प्रेम सीखे थे वही हम हमारी परवर्ती पीढ़ी को अपने वारिस को क्या बना कर छोड़ रहे हैं, उनके मन में हमारे प्रति हमारी पुस्तकों के प्रति कोन-सी धारना उत्पन्न कर पा रहे हैं। वे अंग्रेजी माध्यम से पढ़े इंजीनियर डाक्टर, आफिसर कलेक्टर बने इसमें कोई आपत्ति नहीं है पढ़ने तथा हिन्दी के कार्यान्वयन के प्रति क्यों प्रेरित कर नहीं पा रहे है। हिन्दी तब ही पनपेगी, उभरेगी जब अहिन्दी भाषी हिन्दी का प्रयोग करें, अंग्रेजी विद्धान तथा अंग्रेजी वीर अभिमानी भी हिन्दी में बात करने, पढ़ने और कुछ लिखने में स्वयमेव गौरव का अनुभव कर सके।
आज हिन्दी की वह स्थित नहीं जो पहले केवल साहित्यिक तक ही सीमित थी। अब तो ऑक्स्फ़ोर्ड शब्द कोश में ढेर सारे हिन्दी शब्दों को अंकित किया गया। दुनिया के कोने-कोने में हिन्दी का प्रयोग धीरे-धीरे हो रहा है। कंम्यूटर पर हिन्दी में कार्य करने के लिए हिन्दी में श्रीलिपिण लीप ऑफिस, आई-लीप, 'गुरु' मल्टीमीडिया, अक्षर, आकृति जैसे कई सॉफ्टवेयरों का निर्माण कार्य गति से चल रहा है। कंप्यूटर क्षेत्र में विश्व के सबसे बड़ी कंपनी माइक्रोसाफ्ट ने अपना बहुप्रसिद्ध उत्पाद एम. एस. ऑफिस और विंडोस हिन्दी में भी उपलब्ध करा रही है। अमेरिका में विशेषकर मैक्सिकों में विदेशी युवा हिन्दी सीख रहे है। सिलीकान वैली में भारतीय इंजीनियरों का बोल-बाला रहने के कारण उनके यहाँ काम करने व सहयोग देने हेतु कई विदेशी बच्चे हिन्दी सीख रहे हैं और हम विदेश भागने के लिए हिन्दी छोड़ अंग्रेजी ही रट लगाए बैठे हैं��� अपनी धारणा बदलनी होगी, हमें हिन्दी को सुदृढ़ बनाना है तो हमें पहले अंग्रेजी भाषा पर भी समान प्रवीणता प्राप्त करनी होगी अन्यता वही कहेंगे कि हिन्दी वालों को अग्रेजी नहीं आती है, वे अंधा-घूंध अंग्रेजी की अहमियत जाने बगैर ही अंग्रेजी का विरोध कर रहे हैं, वे अंग्रेजी विरोधी है, कहकर हमें सभी के विरोधी करार दिये जा रहा है अतः हमें अंग्रेजी का विरोध नहीं अंग्रेजीयत के 'लत' का विरोध करना है। हिन्दी से जुड़े लोग हिन्दी की बात या 'हिन्दी दिवस', हिन्दी सप्ताह/ पखवाडे' मनाने अपना ढोल अपनी बीन आप बजाय जैयी बात लगेगी। अतएव हमें हिन्दी के स्थान के साथ-साथ प्रादेशिक भाषाओं को भी बढ़ावा देने से ही हिन्दी की उपयोगिता व कार्यान्वयता बढ़गी, अपन निजी व्यवहार में भी प्रादेशिक भाषाओं में वार्तालाप करने-मेल-मिलाप बढ़ाने, तत्संबंधित गति विधियों में भाग लेने से आवश्यकतानुसार अंग्रेजी में भी कार्य करते हुए हिन्दी को आगे बढ़ाना होगा। सच कहा जाए तो विद्यालय ��र महाविद्यालयों में हम हिन्दी अध्यापनाकर्ता अंग्रेजी न जानने वाले नमूने गिने जाने के कारण ही हमारा कार्य व व्यवहार गंभीर तथा आदर्श नहीं रहने के कारण भी अपनी कुल्हाड़ी अपने पैर पर चलाने के आदि हो गए हैं। हिन्दी की कार्यान्वयन की समस्या वास्तव में कोई समस्या ही नहीं है, यह तो केवल मानसिक स्थिरता और साहसिक पहल की बात है। हम अपनी आत्मा को टटोलकर पूछे कि अपनी निजी व्यवहार में क्या हिन्दी का प्रयोग कर रहे हैं कम से कम प्रति दिन हम कितने शब्द लिखते हैं और पढ़ते हैं। आज हम सब 'साक्षर' है परंतु 'स्वाक्षर' नहीं। पिछली बार हमने देखा विगत सरकार का पलड़ा कैसे पलट गया उसका एक मात्र कारण उनके द्वारा अपनायी गई नीति व व्यवहार कुशलता थी, जो 'फील-गुड' के अंग्रेजी शब्द का प्रचार कर गये जिसे हिन्दुस्तानी समझ नहीं पाये और उसी सरकार के सूत्रधार कहे हिन्दी पत्र पत्रिकाओं की समीक्षा को छोड़ विदेशी पत्र-पत्रिकाओं तथा अंग्रेजी पत्रिकाओं और 'लैप- टैप' पर ही संपूर्ण विश्वास रखा। जमीनी जरुरतों व जमीनी भाषा का अनदेखा का प्रभाव सरकार पलटने में काम कर सकती है तो क्या प्रशासन व शासन करने में क्या अपना प्रभाव नहीं दिखा सकता। अतः अपना देश, अपना वेश, अपनी भाषा अपना कार्य ही अपने लिए श्रेयस्कर सिद्ध होगा।
Happy Hindi Diwas 2024
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Dr. Mulla Adam Ali Hindi Language and Literature Blog
डॉ. मुल्ला आदम अली हिंदी भाषा और साहित्यिक यूट्यूब चैनल
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BPSE-142 वैश्वीकरण की दुनिया में भारत की विदेश नीति in Hindi Solved Assignment 2024-2025
BPSE-142 वैश्वीकरण की दुनिया में भारत की विदेश नीति Solved Assignment 2024-2025 Course code: BPSE-142 Assignment Code: BPSE-142/ASST/TMA/2024-25 Marks: 100 Title Name BPSE-142 Solved Assignment 2024-2025 University IGNOU Service Type Solved Assignment (Soft copy/PDF) Course BAG Language HINDI Semester 2024-2025 Course: BAG Political Science Session Assignment July, 2024 & January, 2025…
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