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#विदेश नीति
tworlwide · 1 year
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विदेश नीति क्या है और क्या हैं इसके फायदे?
विदेश नीति एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और टैलेंट कनेक्टेड वर्ल्डवाइड ने इसे समझाने का संकल्प लिया है। वे विदेश नीति के महत्व को समझाते हैं और इसके बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए संसाधित किए गए हैं। विदेश नीति के तहत विदेशी नागरिकों की पहुंच, अर्थव्यवस्था, व्यापार और शिक्षा के क्षेत्र में निवेश, संबंधों की मजबूती और साझेदारियों की खोज शामिल होती है। टैलेंट कनेक्टेड वर्ल्डवाइड आपको विदेश नीति के बारे में व्यापक जानकारी प्रदान करता है और आपकी ज्ञानवर्धन में सहायता करता है।
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trendingwatch · 2 years
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क्वाड सदस्य किसी भी एकतरफा कार्रवाई का विरोध करते हैं जो इंडो-पैसिफिक में यथास्थिति को बदलना चाहते हैं
क्वाड सदस्य किसी भी एकतरफा कार्रवाई का विरोध करते हैं जो इंडो-पैसिफिक में यथास्थिति को बदलना चाहते हैं
द्वारा पीटीआई न्यूयार्क: भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका के क्वाड ग्रुपिंग ने कहा है कि वह किसी भी एकतरफा कार्रवाई का कड़ा विरोध करता है जो इस क्षेत्र में चीन के बढ़ते डराने वाले व्यवहार के बीच यथास्थिति को बदलने या हिंद-प्रशांत में तनाव बढ़ाने की कोशिश करता है। आयोजित बैठक के संयुक्त रीडआउट के अनुसार, एक स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत को आगे बढ़ाने के समर्थन में क्वाड बहुपक्षीय…
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rightnewshindi · 12 days
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वकील प्रशांत भूषण को सुप्रीम कोर्ट ने दिया तीखा जवाब, पूछा, तो क्या हम रूस से तेल न खरीदें?
वकील प्रशांत भूषण को सुप्रीम कोर्ट ने दिया तीखा जवाब, पूछा, तो क्या हम रूस से तेल न खरीदें? #justice #law #BreakingNews #News #Journalism #Press #Crime #Politics #News #RightNewsIndia #RightNews
Supreme Court: देश की सबसे बड़ी अदालत ने इजराइल को हथियारों के निर्यात को रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग करने वाली याचिका ठुकरा दी है। ये याचिका प्र���ांत भूषण, ज्यां द्रेज़ सहित 11 कांग्रेस-वामपंथ समर्थक वकीलों ने लगाई थी। आज सोमवार को इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अदालत देश की विदेश नीति के क्षेत्र में हस्तक्षेप नहीं कर सकती है। अदालत ने स्पष्ट कहा कि ऐसी…
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dainiksamachar · 20 days
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JDU के राष्ट्रीय प्रवक्ता के पद से क्यों हटाए गए केसी त्यागी? क्या इजरायल बना इस्तीफे की वजह
पटना: जनता दल यूनाइटेड (JDU) के बड़े नेता ने पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता पद से इस्तीफा दे दिया है। उनकी जगह राजीव रंजन को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है। केसी त्यागी ने नीतीश कुमार और JDU के लिए हमेशा से अहम भूमिका निभाई है। पार्टी में किसी भी नेता का राज रहा हो, त्यागी हमेशा से ही मुख्य टीम का हिस्सा रहे हैं। उनके इस्तीफे के पीछे कई कयास लगाए जा रहे हैं। केसी त्यागी को हर मुद्दे पर बेबाक राय रखना भारी पड़ा? ऐसा माना जा रहा है कि दिल्ली में रहकर हर मुद्दे पर अपनी बेबाक राय रखना केसी त्यागी को भारी पड़ गया। सूत्रों के मुताबिक, उनके बयानों से ऐसा लग रहा था कि केंद्र और बिहार में एक होकर एनडीए सरकार चला रही JDU और बीजेपी के विचार अलग-अलग हैं। इससे BJP नाखुश थी। बीजेपी ने कई बार इशारों में अपने सहयोगी दलों से तालमेल बनाए रखने को कहा था। सूत्रों के मुताबिक, बीते दिनों इसी सिलसिले में पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री ललन सिंह और संजय झा ने केसी त्यागी से मुलाकात की थी और राष्ट्रीय प्रवक्ता का पद छोड़ने के लिए कहा था। पार्टी ने इस्तीफे की बताई निजी वजह हालांकि, पार्टी की तरफ से जारी प्रेस रिलीज में कहा गया है कि केसी त्यागी ने निजी कारणों से इस्तीफा दिया है। केसी त्यागी JDU के विशेष सलाहकार भी हैं, लेकिन उन्होंने इस पद से इस्तीफा दिया है या नहीं, यह अभी स्पष्ट नहीं है। पार्टी लाइन से हटकर बयानबाजी कर रहे थे केसी त्यागी राजनीतिक जानकारों का मानना है कि केसी त्यागी ने कई मुद्दों पर पार्टी लाइन से हटकर बयानबाजी की थी, फिर चाहे केंद्र सरकार की विदेश नीति हो, UPSC में लेटरल एंट्री, SC-ST आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला। उन्होंने अपने निजी विचारों को पार्टी के विचारों की तरह पेश किया, जिससे पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा। त्यागी ने इजरायल मुद्दे पर इंडिया गठबंधन का दिया था साथ इतना ही नहीं, बीते दिनों इजरायल को हथियारों की आपूर्ति रोकने के मुद्दे पर केसी त्यागी ने विपक्षी दलों का साथ दिया था। उन्होंने विपक्षी नेताओं के साथ एक साझा बयान पर हस्ताक्षर किए थे। इस बयान में कहा गया था कि केंद्र सरकार को इजरायल को हथियारों और गोला-बारूद की आपूर्ति पर रोक लगानी चाहिए। बयान में कहा गया था कि, 'इजरायल द्वारा जारी यह क्रूर हमला न केवल मानवता का अपमान है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय कानून और न्याय और शांति के सिद्धांतों का भी घोर उल्लंघन है।' http://dlvr.it/TCfCZL
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रूस ने 92 और अमेरिकियों के प्रवेश पर लगाया प्रतिबंध, इनमें पत्रकार-अधिकारी और कुछ व्यापारी शामिल
रूस के विदेश मंत्रालय ने घोषणा की है कि उसने 92 और अमेरिकी नागरिकों का देश में प्रवेश रोक दिया है। इनमें रूस में काम कर चुके कुछ पत्रकार, अधिकारी और कुछ व्यापारी शामिल हैं। मंत्रालय ने कहा कि मॉस्को को रणनीतिक रूप से हराने के घोषित लक्ष्य के साथ ‘बाइडन प्रशासन द्वारा रूस को अलग-थलग करने की नीति’ के जवाब में यह कार्रवाई की गई है। रूस के विदेश मंत्रालय ने घोषणा की है कि उसने 92 और अमेरिकी नागरिकों…
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himhks91 · 29 days
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अब Modi ने विदेशी धरती पर देश की विदेश नीति की खिल्ली उड़ाई..! Atal Biha...
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drmullaadamali · 1 month
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14 September Hindi Diwas Par Visesh : हिन्दी की उपयोगिता क्या असंभव है?
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14 सितंबर 2024 राष्ट्रीय हिंदी दिवस पर विशेष:
आज स�� पचपन वर्ष पूर्व हिन्दी को राजभाषा बनाने का प्रस्ताव अहिन्दी भाषियों ने रखा था, जिसका अनुमोदन व समर्थन भी अधिकतर अहिन्दी भाषियों ने ही किया था जिनमें प्रमुख है तमिल भाषी गोपाल स्वामी अयंगार ने प्रस्ताव रखा तो समर्थन व अनुमोदन करने वालों में मराठी भाषा के श्री शंकर देव, उर्दू भाषा के मौलाना अबुल कलाम आजाद, गुजराती के श्री के. एम. मुंशी, तेलुगु भाषी श्रीमती दुर्गाबाई, कन्नड़ भाषी श्री कृष्णमूर्ति थे। आज की परिस्थितियाँ क्या है हिन्दी की तूंती केवल हिन्दी भाषी ही बजा रहे हैं अथवा हिन्दी से संबंधित, हिन्दी से जुड़े लोग ही 'हिन्दी हिन्दी' कह रहे हैं, चिल्ला रहे है, 'हिन्दी दिवस' आदि मना रहे है, जबकि उनकी अपनी संतान ही हिन्दी समाचार पत्र के शीर्षक तक पढ़ने में अपने आपको छोटा मानने लगे है। अभी अभी हैदराबाद के प्रसिद्ध हिन्दी प्रशिक्षण महाविद्यालय के भूतपूर्व प्राचार्य जी की मरणोपरांत समस्त पुस्तक संपादा चने-बटाने की दुकानों पर पुड़ियाँ बाँधने में काम आ रहे है। हम हमारे पूर्ववर्ती पीढ़ी से कुछ हिन्दी, स्वभाषा, स्वदेश प्रेम सीखे थे वही हम हमारी परवर्ती पीढ़ी को अपने वारिस को क्या बना कर छोड़ रहे हैं, उनके मन में हमारे प्रति हमारी पुस्तकों के प्रति कोन-सी धारना उत्पन्न कर पा रहे हैं। वे अंग्रेजी माध्यम से पढ़े इंजीनियर डाक्टर, आफिसर कलेक्टर बने इसमें कोई आपत्ति नहीं है पढ़ने तथा हिन्दी के कार्यान्वयन के प्रति क्यों प्रेरित कर नहीं पा रहे है। हिन्दी तब ही पनपेगी, उभरेगी जब अहिन्दी भाषी हिन्दी का प्रयोग करें, अंग्रेजी विद्धान तथा अंग्रेजी वीर अभिमानी भी हिन्दी में बात करने, पढ़ने और कुछ लिखने में स्वयमेव गौरव का अनुभव कर सके।
आज हिन्दी की वह स्थित नहीं जो पहले केवल साहित्यिक तक ही सीमित थी। अब तो ऑक्स्फ़ोर्ड शब्द कोश में ढेर सारे हिन्दी शब्दों को अंकित किया गया। दुनिया के कोने-कोने में हिन्दी का प्रयोग धीरे-धीरे हो रहा है। कंम्यूटर पर हिन्दी में कार्य करने के लिए हिन्दी में श्रीलिपिण लीप ऑफिस, आई-लीप, 'गुरु' मल्टीमीडिया, अक्षर, आकृति जैसे कई सॉफ्टवेयरों का निर्माण कार्य गति से चल रहा है। कंप्यूटर क्षेत्र में विश्व के सबसे बड़ी कंपनी माइक्रोसाफ्ट ने अपना बहुप्रसिद्ध उत्पाद एम. एस. ऑफिस और विंडोस हिन्दी में भी उपलब्ध करा रही है। अमेरिका में विशेषकर मैक्सिकों में विदेशी युवा हिन्दी सीख रहे है। सिलीकान वैली में भारतीय इंजीनियरों का बोल-बाला रहने के कारण उनके यहाँ काम करने व सहयोग देने हेतु कई विदेशी बच्चे हिन्दी सीख रहे हैं और हम विदेश भागने के लिए हिन्दी छोड़ अंग्रेजी ही रट लगाए बैठे हैं। अपनी धारणा बदलनी होगी, हमें हिन्दी को सु��ृढ़ बनाना है तो हमें पहले अंग्रेजी भाषा पर भी समान प्रवीणता प्राप्त करनी होगी अन्यता वही कहेंगे कि हिन्दी वालों को अग्रेजी नहीं आती है, वे अंधा-घूंध अंग्रेजी की अहमियत जाने बगैर ही अंग्रेजी का विरोध कर रहे हैं, वे अंग्रेजी विरोधी है, कहकर हमें सभी के विरोधी करार दिये जा रहा है अतः हमें अंग्रेजी का विरोध नहीं अंग्रेजीयत के 'लत' का विरोध करना है। हिन्दी से जुड़े लोग हिन्दी की बात या 'हिन्दी दिवस', हिन्दी सप्ताह/ पखवाडे' मनाने अपना ढोल अपनी बीन आप बजाय जैयी बात लगेगी। अतएव हमें हिन्दी के स्थान के साथ-साथ प्रादेशिक भाषाओं को भी बढ़ावा देने से ही हिन्दी की उपयोगिता व कार्यान्वयता बढ़गी, अपन निजी व्यवहार में भी प्रादेशिक भाषाओं में वार्तालाप करने-मेल-मिलाप बढ़ाने, तत्संबंधित गति विधियों में भाग लेने से आवश्यकतानुसार अंग्रेजी में भी कार्य करते हुए हिन्दी को आगे बढ़ाना होगा। सच कहा जाए तो विद्यालय और महाविद्यालयों में हम हिन्दी अध्यापनाकर्ता अंग्रेजी न जानने वाले नमूने गिने जाने के कारण ही हमारा कार्य व व्यवहार गंभीर तथा आदर्श नहीं रहने के कारण भी अपनी कुल्हाड़ी अपने पैर पर चलाने के आदि हो गए हैं। हिन्दी की कार्यान्वयन की समस्या वास्तव में कोई समस्या ही नहीं है, यह तो केवल मानसिक स्थिरता और साहसिक पहल की बात है। हम अपनी आत्मा को टटोलकर पूछे कि अपनी निजी व्यवहार में क्या हिन्दी का प्रयोग कर रहे हैं कम से कम प्रति दिन हम कितने शब्द लिखते हैं और पढ़ते हैं। आज हम सब 'साक्षर' है परंतु 'स्वाक्षर' नहीं। पिछली बार हमने देखा विगत सरकार का पलड़ा कैसे पलट गया उसका एक मात्र कारण उनके द्वारा अपनायी गई नीति व व्यवहार कुशलता थी, जो 'फील-गुड' के अंग्रेजी शब्द का प्रचार कर गये जिसे हिन्दुस्तानी समझ नहीं पाये और उसी सरकार के सूत्रधार कहे हिन्दी पत्र पत्रिकाओं की समीक्षा को छोड़ विदेशी पत्र-पत्रिकाओं तथा अंग्रेजी पत्रिकाओं और 'लैप- टैप' पर ही संपूर्ण विश्वास रखा। जमीनी जरुरतों व जमीनी भाषा का अनदेखा का प्रभाव सरकार पलटने में काम कर सकती है तो क्या प्रशासन व शासन करने में क्या अपना प्रभाव नहीं दिखा सकता। अतः अपना देश, अपना वेश, अपनी भाषा अपना कार्य ही अपने लिए श्रेयस्कर सिद्ध होगा।
Happy Hindi Diwas 2024
हिन्दी दिवस पर अधिक आलेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें : राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय हिंदी दिवस
Hindi Day Special Videos : Hindi Diwas Playlist
Dr. Mulla Adam Ali Hindi Language and Literature Blog
डॉ. मुल्ला आदम अली हिंदी भाषा और साहित्यिक यूट्यूब चैनल
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subkuz00 · 2 months
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Preisident Murmu: 5 से 10 अगस्त तक तीन देशो की यात्रा पर होंगी
द्रोपदी मुर्मू,फ़िजी और न्यूजीलैंड समेत तिमोर लेस्ते का करेंगी
दौरा
Droupadi Murmu: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का विदेश यात्रा पर जाना देश के लिए वास्तव में महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक है। राष्ट्रपति के इस छह दिवसीय दौरे के दौरान, राष्ट्रपति फिजी, न्यूजीलैंड और तिमोर-लेस्ते का दौरा करेंगी, जो भारत के इन देशों के साथ रिश्तों को और मजबूत करने में सहायक होगा। यह दौरा भारतीय विदेश नीति, विशेषकर पीएम मोदी की एक्ट ईस्ट पॉलिसी, के तहत एशिया-पेसिफिक क्षेत्र में भारत की मौजूदगी और प्रभाव को बढ़ाने के प्रयास का हिस्सा होगा।
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venkteshwara · 3 months
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श्री वैंकटेश्वरा विश्वविद्यालय / संस्थान में “धन्यवाद भारत” समारोह का शानदार आयोजन |
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“आइये हम सब मिलकर प्रधानमंत्री जी के सशक्त भारत- समृद्ध भारत” के मिशन को आगे बढ़ाते हुए देश को विश्व गुरु एवं दुनिया में आर्थिक महाशक्ति का केंद्र बनाने मे अपने-अपने कार्यों में शानदार प्रदर्शन करते हुए अपना योगदान देकर इस संकल्प को पुरा करे- श्री सुखविंदर सोम, क्षेत्रीय अध्यक्ष, पश्चिमी उत्तर प्रदेश युवा मोर्चा | - “ये देश हम सभी का है, आइये हम सब मिलकर धर्म, संप्रदाय, जातिवाद एवं क्षेत्रवाद” से ऊपर उठकर राष्ट्रवाद की अवधारणा के साथ ‘अखंड भारत’ के निर्माण के लिए आगे बढ़े – डा. सुधीर गिरि, संस्थापक अध्यक्ष, श्री वैंकटेश्वरा समूह | - नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति, आयुष्मान भारत जैसी कल्याणकारी नीतियों के साथ “शिक्षा एवं स्वास्थ्य” दोनों बुनियादी क्षेत्रों में भारत आज शिखर की ओर – डा. राजीव त्यागी, प्रतिकुलाधिपति, श्री वैंकटेश्वरा विश्वविद्यालय/ संस्थान | - आज राष्ट्रीय राजमार्ग बाईपास स्थित श्री वैंकटेश्वरा विश्वविद्यालय / संस्थान, वी. जी.आई. मेरठ एवं युवा मोर्चा के संयुक्त तत्वाधान में देश में लगातार तीसरी बार एन.डी.ए. की सरकार बनने पर ‘धन्यवाद भारत’ समारोह का शानदार आयोजन किया गया, जिसमे संस्थान के शिक्षकों, प्रबुद्धजनों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हुए 1500 से अधिक पोस्टकार्ड पर धन्यवाद संदेश लिखते हुए “शिक्षा एवं स्वास्थ्य” के क्षेत्र में अपने सुझाव भी प्रधानमंत्री कार्यालय को प्रेषित किये | - इसके साथ ही “धन्यवाद भारत हस्ताक्षर अभियान” का शुभारम्भ करते हुए संस्थापक अध्यक्ष डा. सुधीर गिरि ने कहा कि लोकतंत्र में प्रधानमंत्री किसी एक पार्टी का नही होता, बल्कि वो पूरे देश का होता है | हम सब जातिवाद, क्षेत्रवाद, धर्म एवं संप्रदाय से ऊपर उठकर अखण्ड भारत निर्माण के लिए अपना-अपना योगदान दे | इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि पिछले एक दशक में नयी शिक्षा नीति के साथ “शिक्षा एवं स्वास्थ्य” के क्षेत्र में ऐतिहासिक कार्य हुए है | हम सब इस देश के शिक्षाविद मिलकर अपेक्षा करते है कि आने वाले वर्षों में उत्कृष्ट शिक्षा, शानदार स्वास्थ्य सेवाओं, महिला सशक्तिकरण एवं बेहतर विदेश नीति व मजबूत अर्थव्यवस्था के बल पर भारत फिर से विश्व-गुरु बनेगा | - प्रतिकुलाधिपति डा. राजीव त्यागी ने कहा कि आज नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति, कौशल विकास एवं उद्यमिता के बढ़ते अवसरों के कारण भारतीय युवा पूरे विश्व में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे है | वो दिन दूर नही जब प्रभावी आर्थिक सुधारों के दम पर देश-दुनिया की सबसे बड़ी “आर्थिक महाशक्तियों” में एक होगा| - “श्री वैंकटेश्वरा विश्वविद्यालय / संस्थान के डा. सी.वी. रमन सभागार” में “धन्यवाद भारत” समारोह एवं हस्ताक्षर अभियान का शुभारम्भ संस्थापक अध्यक्ष डा. सुधीर गिरि, कार्यक्रम संयोजक युवा मोर्चा के क्षेत्रीय अध्यक्ष सुखविन्दर सोम, प्रतिकुलाधिपति डा. राजीव त्��ागी, जिलाध्यक्ष उदयगिरि गोस्वामी, युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष शुभम चौधरी आदि ने सरस्वती माँ की प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित करके किया| इस अवसर पर प्रधान सलाहकार प्रोफ़ेसर वी.पी.एस. अरोरा, कुलसचिव प्रो. पीयूष पाण्डेय, परीक्षा नियंत्रक डा. मोहित शर्मा, डा. दिव्या गिरधर, डा. योगेश्वर शर्मा, डा. नीतू पंवार, डा. राहुल कुमार, डा. आशुतोष सिंह, प्रो.डा. टी.पी. सिंह, डा. राजवर्धन, डा. दिनेश गौतम, डा. विश्वनाथ झा एवं हिमांशु त्यागी, नर्सिंग फैकल्टी मेम्बर्स, फार्मेसी से मोहित श्रीवास्तव, सौमिक बनर्जी, कैंपस मैनेजर एस. एस. बघेल, सुदीप घोष, मेरठ परिसर से डा. प्रताप मीडिया प्रभारी विश्वास राणा आदि लोग उपस्थित रहे | “धन्यवाद भारत” समारोह का शानदार संचालन युवा मोर्चा श्री शुभम चौधरी जी ने किया |
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pptestprep · 4 months
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What is The Best Atal Bihari Vajpayee Biography Book? Prabhat Prakashan
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राजनीति के क्षेत्र से जुड़े व्यक्तियों में एक महत्त्वपूर्ण गुण होता है—उनकी नेतृत्व क्षमता। जननायक ‘भारत रत्न’ अटलजी में यह गुण अद्भुत था, उनके भीतर नेतृत्व की क्षमता कूट-कूटकर भरी हुई है। ग्वालियर के साधारण अध्यापक के घर जनमे अटलजी अपनी प्रतिभा के दम पर विश्व भर में विख्यात हुए। उन्हें माँ सरस्वती का अपार आशीर्वाद प्राप्त था, यह उनकी वाणी का ही प्रताप था कि सभी मंत्रमुग्ध होकर उन्हें सुना करते थे। एक बहुत बड़ा जन समुदाय उनकी वाणी को सुनने के लिए खिंचा चला आता था। अटलजी बहुविधि प्रतिभा के धनी रहे हैं। उन���ें विदेश-नीति की जबरदस्त ��मझ रही है। वे एक बेजोड़ राजनेता हैं, जो हर आनेवाली पीढ़ी के लिए स्तुत्य एवं अनुकरणीय रहेंगे। अटलजी पर केंद्रित अनेक पुस्तकें आ चुकी हैं और भविष्य में भी आती रहेंगी। किंतु यह पुस्तक अटलजी के जीवन पर केंद्रित पहला आत्मकथात्मक उपन्यास है। इस पुस्तक में अटलजी का अब तक का जीवन और उनकी उपलब्धियाँ उनकी ही विशेष रोचक भाषा शैली में प्रस्तुत की गई हैं। दलगत राजनीति से ऊपर उठकर प्रखर राष्ट्रवाद की अलख जलानेवाले श्रद्धेय अटलजी के प्रेरणाप्रद जीवन और कर्तृत्व की विहंगम अंतर्दृष्टि देनेवाला आत्मकथात्मक उपन्यास
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tworlwide · 1 year
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विदेश नीति विदेश नीति क्या है और क्या हैं इसके फायदे?
Foreign Policy या विदेश नीति क्या है (videsh niti kya hai) सभी देशों की वह योजना है, जिसके अंतगर्त वह अपने हितों एवं अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं। किसी देश की विदेश नीति ये घोषणा करने में सक्षम होती है कि, उसे किस देश के साथ अच्छे संबंध रखने है और किसके साथ नहीं रखने हैं। प्रत्येक राष्ट्र अपनी विदेश नीति के आधार पर ही अंतरराष्ट्रीय संबंधों की स्थापना करता है। और इन नीतियों का पालन करता है। चाहे उस राष्ट्र को कूटनीति का सहारा क्यों न लेना पड़े। भारत और कनाडा के भी विदेश नीति के तहत संबंध अच्छे हैं। छात्र हो या कोई ऐसा ऐसा व्यक्ति जो विदेश में काम करने जाना चाहता है वो विभिन्न प्रकार के इंग्लिश टेस्ट जैसे IELTS क्या है (IELTS Kya hai) आदि को समझना जरूरी है!
Address:- S-1, Unit No 8 & 11, E-Block, International Trade Tower, Nehru Place, New Delhi – 110019 Email:- [email protected]
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trendingwatch · 2 years
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सरकार ने विदेश व्यापार नीति को 6 महीने तक बढ़ाने का फैसला किया
सरकार ने विदेश व्यापार नीति को 6 महीने तक बढ़ाने का फैसला किया
मौजूदा विदेश व्यापार नीति (FTP) 30 सितंबर को खत्म होनी थी। नई दिल्ली: सरकार ने सोमवार को कहा कि उसने मौजूदा विदेश व्यापार नीति (2015-20) को और छह महीने के लिए मार्च 2023 तक बढ़ाने का फैसला किया है। मौजूदा विदेश व्यापार नीति (FTP) 30 सितंबर को खत्म होनी थी। वाणिज्य विभाग में अतिरिक्त सचिव अमित यादव ने कहा कि उद्योग संघों और निर्यात प्रोत्साहन परिषदों सहित विभिन्न तबकों से इस नीति का विस्तार करने…
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rightnewshindi · 12 days
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इजरायल को हथियार देने से रोक की मांग वाली याचिका खारिज, जानें सुप्रीम कोर्ट ने क्या बताया कारण
इजरायल को हथियार देने से रोक की मांग वाली याचिका खारिज, जानें सुप्रीम कोर्ट ने क्या बताया कारण #SupremeCourt #News
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (9 सितंबर) को उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें भारत और भारतीय कंपनियों को गाजा में युद्ध के लिए इजरायल को हथियार और सैन्य सहायता देने से रोकने की मांग की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह देश की विदेश नीति के क्षेत्र में प्रवेश नहीं कर सकती. कोर्ट ने कहा, “अगर इजरायल निर्यात पर रोक लगाता है तो इजरायल को हथियारों के निर्यात में शामिल भारतीय फर्मों पर…
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dainiksamachar · 3 months
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एससीओ सम्मेलन में चीनी राष्ट्रपति की मौजूदगी का कैसा रहेगा असर, जानें क्या है भारत की चुनौती
नई दिल्ली : चीनी राष्ट्रपति कजाकिस्तान के अस्ताना में 3- 4 जुलाई को होने वाली एससीओ समिट में हिस्सा लेंगे। चीनी विदेश मंत्रालय की ओर से रविवार को इस बात की पुष्टि भी की गई। इसके साथ शी का कजाकिस्तान और ताजिकिस्तान जाने का भी कार्यक्रम है। हालांकि इस बार भारत की ओर से प्रधानमंत्री एससीओ समिट में हिस्सा नहीं लेंगे। बीते शुक्रवार को ही विदेश मंत्रालय की ओर से ये साफ किया गया था कि अस्ताना में भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई करेंगे। तो जिनपिंग, शरीफ से होती मुलाकात हालांकि इसके अलावा इस मामले पर कोई और डिटेल नहीं दी गई। देश में नई सरकार बनने के बाद पहले संसद के सत्र चल��े ऐसा फैसला लिया गया। इसके साथ ही चीन के साथ संबंधों में असहजता भी एक वजह मानी जा रही है। अगर प्रधानमंत्री अस्ताना जाते हैं, तो उनका सामना शी जिनपिंग के साथ साथ पाकिस्तान के राष्ट्रपति शहबाज शरीफ से भी होता। पिछले साल इस तरह की रिपोर्ट्स सामने आई थी, जिनमें इस बात की आशंका जताई थी कि चीन और रूसी राष्ट्रपति पुतिन समिट में हिस्सा लेने के लिए भारत नहीं आने वाले हैं। भारत की भागीदारी में बदलाव नहीं भारत की ओर से समिट वर्चुअल तरीके से आयोजित की गई थी। चीनी मामलों के जानकार हर्ष वी पंत कहते हैं कि चीन और भारत के संबंधों में असहजता तो है, लेकिन एससीओ को लेकर भारत अपनी भागीदारी में ज्यादा बदलाव नहीं करना चाहेगा। वो कहते हैं कि एससीओ भारत के लिए अहम प्लैटफॉर्म बना रहेगा, क्योंकि इसमें आतंकवाद, स्मगलिंग और नार्को टेररिज्म जैसे मुद्दों पर काफी फोकस किया जाता है, जो भारत के लिए भी जरूरी हैं।हालांकि ये जरूर है कि जिस तरह के संबंध भारत और चीन के बीच मौजूदा समय में चल रहे हैं, उसे देखते हुए भारत की प्रधानमंत्री लेवल पर इंगेजमेंट को लेकर असहजता होना लाजिमी है। दोनों देशों के संबंध ऐसे नहीं है कि चीनी राष्ट्रपति द्विपक्षीय मुलाकात की संभावना बने। ऐसे में संभव है कि भारत ने इसको ध्यान में रखकर ही ये फैसला लिया होगा। एससीओ को लेकर भारत की विदेश नीति में किसी तरह का बदलाव नहीं आया है। 2001 में हुआ था गठन पिछले साल एससीओ समिट भारत के पास थी। इस बार समिट में क्षेत्रीय सुरक्षा के अलावा कनेक्टिविटी और व्यापार को आगे बढ़ाने को लेकर फोकस किया जाएगा। बात साझे ज्वाइंट इनवेस्टमेंट फंड को लेकर भी हो रही है। 2001 में बना शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन एक राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा ग्रुप है। कौन-कौन है संगठन का सदस्य मौजूदा समय में चीन, रूस, भारत, पाकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान,ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान इसके सदस्य हैं। ईरान 2023 में इसका हिस्सा बना। भारत का एससीओ के साथ संबंध साल 2005 में शुरू हुआ लेकिन साल 2017 में वो इसका पूर्ण मेम्बर बन गया था। भारत ने पहली बार साल 2015 में उफा समिट में पूर्ण सदस्यता के लिए कोशिश की थी दो स्तर पर रणनीति बनानी होगी जानकार कहते हैं कि भारत के लिए चीन एक रणनीतिक समस्या है, सामरिक चुनौती है, ऐसे में भारत अपनी विदेश नीति के जरिए इस समस्या को कई स्तरों पर सुलझाने की कोशिश करेगा । एक ओर भारत को एससीओ और ब्रिक्स जैसे मंचों पर मौजूद रहना पड़ेगा और इसके साथ ही ची न को ये स्पष्ट करना होगा कि उसके दबाव में हम किसी नीति को नहीं अपनाएंगे। इसीलिए अगर चीनी विदेश मंत्री और भारत के विदेश मंत्री के बीच मुलाकात होती है तो भारत अपना पक्ष उठाएगा ही। खासकर जयशंकर ने साल 2020 के बाद इस तरह की बैठकें की हैं और संभव है कि इस बार भी दोनों देशों के विदेश मंत्री एक दूसरे से मुखातिब हों http://dlvr.it/T925hn
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samaya-samachar · 5 months
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इरानमाथि थप प्रतिबन्ध लगाउने तयारीमा अमेरिका र युरोप
काठमाडौँ । अमेरिका र युरोपेली संघले इरानमाथि नयाँ प्रतिबन्ध लगाउने विचार गरिरहेको बताएका छन् । अमेरिकी अर्थमन्त्री जेनेट येलेनले आगामी दिनमा यस दिशामा कदम चाल्न सकिने बताएकी छन् । यसैबीच, युरोपेली संघका विदेश नीति प्रमुख जोसेप बोरेलले यस विषयमा काम गरिरहेको बताएका छन् । इरानले गत हप्ता इजरायलमा ३०० ड्रोन र मिसाइल प्रहार गरेको थियो। इजरायलले लगभग सबै ड्रोन र मिसाइलहरू खसालेको दाबी गरेको…
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newswave-kota · 5 months
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नवनीत ने AcSIR से हिंदी में पीएचडी करने का कीर्तिमान रचा
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न्यूजवेव @नई दिल्ली राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में उच्च शिक्षा में भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने पर फोकस किया जा रहा है। देश में अब शोध क्षेत्र में भी ऐसे प्रयासों की शुरूआत की गई है। विज्ञान लेखक नवनीत कुमार गुप्ता ने राजभाषा हिंदी में विज्ञान विषय में अपना पहला शोध कार्य पूरा कर पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है। यह शोध कार्य वैज्ञानिक और नवीकृत अनुसंधान अकादमी (AcSIR) के तहत सीएसआईआर-राष्ट्रीय विज्ञान संचार एवं नीति अनुसंधान संस्थान (CSIR-निस्पर) नई दिल्ली से हिंदी भाषा में विज्ञान में पूरा किया है। लगभग 10 हजार से अधिक शोधार्थी में गुप्ता पहले ऐसे शोधार्थी हैं जिन्होंने हिंदी में पीएचडी कार्य पूरा करने का कीर्तिमान रचा है। उन्होंने बताया कि आम तौर पर विज्ञान को जटिल मानकर इसमें अंग्रेजी में ही संदर्भ पुस्तकें उपलब्ध होने से अंग्रेजी में ही शोधकार्य होते हैं। लेकिन उन्होंने हिंदी भाषा को चुनकर चुनौती को स्वीकार किया। नवनीत ने बताया कि शोध कार्य में गाईड डॉ. जी महेश, मुख्य वैज्ञानिक, AcSIR, नई दिल्ली और को-गाईड डॉ. फूलदीप कुमार, वैज्ञानिक, DRDO, दिल्ली का मार्गदर्शन मिला। गुप्ता ने अपने शोध संस्थान AcSIR-राष्ट्रीय विज्ञान संचार एवं नीति अनुसंधान संस्थान (CSIR-निस्पर) के प्रति आभार जताया। पठनीयता सूचकांक रहा शोध का अहम पहलू
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गुप्ता के शोध विषय ‘‘भारत में लोकप्रिय हिंदी विज्ञान पत्रिका के माध्यम से विज्ञान संचारः एक अध्ययन‘‘ था जिसके अंतर्गत उन्होंने सीएसआईआर-राष्ट्रीय विज्ञान संचार एवं नीति अनुसंधान संस्थान से प्रकाशित होने वाली हिंदी की लोकप्रिय विज्ञान पत्रिका ‘विज्ञान प्रगति‘ की विषयवस्तु का विश्लेषण करने के साथ हिंदी भाषा में विज्ञान पाठ्य के लिए पठनीयता सूचकांक का विकास किया। पठनीयता सूचकांक का विकास होने से हिंदी भाषा में विज्ञान लेखन को बढावा मिलेगा। उन्होंने 1952 से प्रकाशित ‘विज्ञान प्रगति‘ पत्रिका पर शोध कर विज्ञान लेखन में पाठकों और लेखकों के विचारों का भी विश्लेषण कर विज्ञान संचार के क्षेत्र में अहम कार्य किया है। पहले भी बनाए कई कीर्तिमान डॉ. नवनीत गुप्ता विज्ञान लेखन की दुनिया में अलग पहचान रखते हैं। उन्हें सबसे कम उम्र में विज्ञान की विभिन्न विषयों पर हिंदी भाषा में लिखी पुस्तकों पर भारत सरकार के मंत्रालयों गृह मंत्रालय, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय आदि द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। 2011 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा नवनीत गुप्ता को विज्ञान लेखन के लिए राजभाषा विभाग के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। विदेश मंत्रालय द्वारा भोपाल में 2015 के दौरान आयोजित किए गए विश्व हिंदी सम्मेलन के दौरान तत्कालीन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री, भारत सरकार द्वारा हिंदी भाषा में नवनीत के प्रयासों की सराहना की थी। उनके द्वारा विभिन्न समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में 500 से अधिक विज्ञान संबंधी लेखों को प्रकाशन किया गया है। अकादमिक क्षेत्र की बात करें तो विभिन्न शोध पत्रिकाओं में उनके 15 शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं। इसके अलावा उन्होंने कई राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान सम्मलेनों में अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए हैं। राष्ट्रीय विज्ञान संचार और नीति अनुसंधान संस्थान (CSIR-निस्पर) विज्ञान संचार, साक्ष्य-आधारित विज्ञान प्रौद्योगिकी व नवाचार नीति अनुसंधान को आगे बढ़ाने और लोगों के बीच वैज���ञानिक जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है। CSIR-निस्पर अभिनव पहलों व सहयोगात्मक प्रयासों के माध्यम से वैज्ञानिक समुदाय और आम जनता के बीच की दूरी को समाप्त करने का प्रयास करता है। Read the full article
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