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21.09.2024, लखनऊ | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा विश्व साक्षरता दिवस 2024 के उपलक्ष्य पर दिनांक 08.09.2022 से संचालित किए गए “किताब दान अभियान” के अंतर्गत दान में प्राप्त भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, विज्ञान, गणित, अंग्रेजी और अन्य विषयों की पुस्तकें गोप��नाथ लक्ष्मणदास रस्तोगी इंटर कॉलेज, ऐशबाग, लखनऊ के आदरणीय शिक्षकों श्री रमेश चन्द्र त्रिपाठी, श्री राजेश कुमार दीक्षित, श्री देवेंद्र कुमार सिंह, श्री विजय कुमार बन्धु, श्री रविंद्र कुमार, श्री पी.के. गुप्ता, श्री दया शंकर और डॉ. रविंद्र सिंह को दी गयी ताकि ये प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों के मध्य नि:शुल्क वितरित की जा सके ।
विदित है कि “किताब दान अभियान” के तहत आमजन से किताबें, मैगज़ीन्स, नोट्स, जानकारीपूर्ण अखबार, स्टेशनरी आदि एकत्रित कर प्रतिमाह लखनऊ शहर के विभिन्न विद्यालयों, बच्चों आदि में वितरित करने की योजना है | आपकी एक छोटी सी मदद से कितने बच्चों का भविष्य संवर सकता है | कृपया सोचिए और हमारी इस मुहिम में अपना योगदान करना चाहे |
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( #MuktiBodh_Part116 के आगे पढिए.....)
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हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 229-230
कथा :- शंकर जी का मोहिनी स्त्री के रूप पर मोहित होना
जिसमें दक्ष की बेटी यानि उमा (शंकर जी की पत्नी) ने श्री रामचन्द्र जी की बनवास में सीता रूप बनाकर परीक्षा ली थी। श्री शिव जी ऐसा न करने को कहकर घर से बाहर चले गए थे। सीता जी का अपहरण होने के पश्चात् श्रीराम जी अपनी पत्नी के वियोग में विलाप कर रहे थे तो उनको सामान्य मानव जानकर उमा जी ने शंकर भगवान की उस बात पर विश्वास नहीं हुआ कि ये विष्णु जी ही पृथ्वी पर लीला कर रहे हैं। जब उमा जी सीता जी का रूप बनाकर श्री राम जी के पास गई तो वे बोले, हे दक्ष पुत्र माया! भगवान शंकर को कहाँ छोड़ आई। इस बात को श्री राम जी के मुख से सुनकर उमा जी लज्जित हुई और अपने निवास पर आई। शंकर जी की आत्मा में प्रेरणा हुई कि उमा ने परीक्षा ली है। शंकर जी ने विश्वास के साथ कहा कि परीक्षा ले आई। उमा जी ने कुछ संकोच करके
भय के साथ कहा कि परीक्षा नहीं ली अविनाशी। शंकर जी ने सती जी को हृदय से त्याग दिया था। पत्नी वाला कर्म भी बंद कर दिया। बोलना भी कम कर दिया तो सती जी अपने घर राजा दक्ष के पास चली गई।
राजा दक्ष ने उसका आदर नहीं किया क्योंकि उसने शिव जी के साथ विवाह पिता की इच्छा के विरूद्ध किया था। राजा दक्ष ने हवन कर रखा था। हवन कुण्ड में छलाँग लगाकर सती जी ने प्राणान्त कर दिया था। शंकर जी को पता चला तो अपनी ससुराल आए। राजा दक्ष का सिर काटा, फिर उस पर बकरे का सिर लगाया। अपनी पत्नी के कंकाल को उठाकर दस हजार वर्ष तक उमा-उमा करते हुए पागलों की तरह फिरते रहे। एक दिन भगवान विष्णु जी ने सुदर्��न चक्र से उस कंकाल को टुकड़े-टुकड़े कर दिया। जहाँ पर धड़ गिरा, वहाँ पर वैष्णव देवी मंदिर बना। जहाँ पर आँखें गिरी, वहाँ पर नैना देवी मंदिर बना।
जहाँ पर जीभ गिरी, वहाँ पर ज्वाला जी का मंदिर बना तथा पर्वत से अग्नि की लपट निकलने लगी। तब शंकर जी सचेत हुए तथा अपनी दुर्गति का कारण कामदेव (sex) को माना। कामदेव वश हो जाए तो न स्त्री की आवश्यकता हो और न ऐसी परेशानी हो। यह विचार करके हजारों वर्ष काम (sex) का दमन करने के उद्देश्य से तप किया। एक दिन कामदेव उनके निकट आया और शंकर जी की दृष्टि से भस्म हो गया। शंकर जी को अपनी सफलता पर असीम प्रसन्नता हुई। जो भी देव उनके पास आता था तो उससे कहते थे कि मैंने कामदेव को भस्म कर दिया है यानि काम विषय पर विजय प्राप्त कर ली है। मैं कभी भी किसी सुंदरी से प्रभावित नहीं हो सकता। अन्य जो विवाह किए हुए हैं, वे ऊपर से सुखी नजर आते हैं, अंदर से महादुःखी रहते हैं। उनको सदा अपनी पत्नी की रखवाली, समय पर घर पर न आने से डाँटें खाना आदि-आदि परेशानियां सदा बनी रहती हैं। मैंने यह दुःख निकट से देखा है। अब न रहेगा बाँस, न बजेगी बाँसुरी।
काल ब्रह्म को चिंता बनी कि यदि सब इस प्रकार स्त्री से घृणा करेंगे तो संसार का अंत हो जाएगा। मेरे लिए एक लाख मानव का आहार कहाँ से आएगा? इस उद्देश्य से नारद जी को प्रेरित किया। एक दिन नारद मुनि जी आए। उनके सामने भी अपनी कामदेव पर विजय की कथा सुनाई। नारद जी ने भगवान विष्णु को यथावत सुनाई। श्री विष्णु जी को काल ब्रह्म ने प्रेरणा की। भाई की परीक्षा करनी चाहिए कि ये कितने खरे हैं। काल ब्रह्म की प्रेरणा से एक दिन शिव जी विष्णु जी के घर के आँगन में आकर बैठ गए। सामने बहुत बड़ा फलदार वृक्षों का बाग था। भिन्न-भिन्न प्रकार के फूल खिले थे। बसंत जैसा मौसम था। श्री विष्णु जी, शिव जी के पास बैठ गए। कुशलमंगल जाना। फिर विष्णु जी ने पूछा, सुना है
कि आपने काम पर विजय प्राप्ति कर ली है। शिव जी बोले, हाँ, मैंने कामदेव का नाश कर दिया है। कुछ देर बाद शिव जी के मन में प्रेरणा हुई कि भगवान मैंने सुना है कि सागर मंथन के समय आप जी ने मोहिनी रूप बनाकर राक्षसों को आकर्षित किया था। आप उस रूप में कैसे लग रहे थे? मैं देखना चाहता हूँ। पहले तो बहुत बार विष्णु जी ने मना किया, परंतु शिव जी के हठ के सामने स्वीकार किया और कहा कि कभी फिर आना। आज मुझे किसी आवश्यक कार्य से कहीं जाना है। यह कहकर विष्णु जी अपने महल में चले गए। शिव जी ने कहा कि जब तक आप वह रूप नहीं दिखाओगे, मैं भी जाने वाला ��हीं हूँ। कुछ ही समय के बाद शिव जी की दृष्टि बाग के एक दूर वाले कोने में एक अपसरा पर पड़ी जो सुन्दरता का सूर्य थी। इधर-उधर देखकर शिव जी उसकी ओर चले पड़े, ज्यों-ज्यों निकट गए तो वह सुंदरी अधिक सुंदर लगने लगी और वह अर्धनग्न वस्त्र पहने थी। कभी गुप्तांग वस्त्र से ढ़क जाता तो कभी हवा के झोंके से आधा हट जाता। सुंदरी ऐसे भाव दिखा रही थी कि जैसे उसको कोई नहीं देख रहा। जब शिव जी को निकट देखा तो शर्मशार होकर तेज चाल से चल पड़ी। शिव जी ने भी गति बढ़ा दी। बड़े परिश्रम के पश्चात् तथा घने वृक्षों के बीच मोहिनी का हाथ पकड़ पाए। तब तक शिव जी का शुक्रपात हो चुका था। उसी समय सुंदरी वाला स्वरूप श्री विष्णु रूप था। भगवान विष्णु जी शिव जी की दशा देखकर मुस्काए तथा कहा कि ऐसे उन राक्षसों से अमृत छीनकर लाया था। वे राक्षस ऐसे मोहित हुए थे जैसे मेरा छोटा भाई कामजीत अब काम पराजित हो गया। शिव जी ने उसके पश्चात् हिमालय राजा की बेटी पार्वती से अंतिम बार विवाह किया। पार्वती वाली आत्मा वही है जो सती जी थी। पार्वती रूप में अमरनाथ स्थान पर अमर मंत्रा शिव जी से प्राप्त करके अमर हुई है। इस प्रकार वाणी में कहा है कि शंकर जी की समाधि तो अडिग (न डिगने वाली) थी जैसा पौराणिक मानते हैं। वह भी मोहे गए। माया के वश हो गए।
◆ वाणी नं. 140 में बताया है कि भगवान शिव की पत्नी पार्वती तीनों लोकों में सबसे सुंदर स्त्रियां में से एक है। शिव राजा ऐसी सुंदर पत्नी को छोड़ मोहिनी स्त्री के पीछे चल पड़े। पहले अठासी हजार वर्ष तप किया। फिर लाख वर्ष तप किया काम (sex) पर विजय पाने के लिए और भर्म भी था कि मैनें काम जीत लिया। फिर हार गया।
◆ पारख के अंग की वाणी नं. 145 :-
गरीब, कष्ण गोपिका भोगि करि, फेरि जती कहलाय। याकी गति पाई नहीं, ऐसे त्रिभुवनराय।। 145।।
◆ सरलार्थ :- श्री कृष्ण के विषय में श्रीमद् भागवत (सुधा सागर) में प्रमाण है कि श्री कृष्ण मथुरा वृंदावन की गोपियों (गोपों की स्त्रियों) के साथ संभोग (sex) किया करते थे। वे फिर भी जती कहलाए। (अपनी स्त्री के अतिरिक्त अन्य की स्त्री से कभी संभोग न करने वाला या पूर्ण रूप से ब्रह्मचारी को जती कहते हैं।) उसका भेद ही नहीं पाया। ऐसे ये तीन लोक के मालिक {श्री कृष्ण के अंदर प्रवेश करके काल ब्रह्म गोपियों से सैक्स करता था। स्त्रियों को तो श्री कृष्ण नजर आता था। काल ब्रह्म सब कार्य गुप्त करता है।} हैं।
◆ वाणी नं. 142-144 :-
गरीब, योह बीजक बिस्तार है, मन की झाल किलोल। ��ुत्र ब्रह्मा देखि करि, हो गये डामांडोल।।142।।
गरीब, देह तजी दुनियां तजी, शिब शिर मारी थाप।
ऐसे ब्रह्मा पिता कै, काम लगाया पाप।।143।।
गरीब, फेरि कल्प करुणा करी, ब्रह्मा पिता सुभान।
स्वर्ग समूल जिहांन में, योह मन है शैतान।।144।।
◆ सरलार्थ :- एक समय ब्रह्मा जी देवताओं तथा ऋषियों को वेद ज्ञान समझा रहे थे। मन तथा इंद्रियों पर संयम रखने पर जोर दे रहे थे। ब्रह्मा जी की बेटी सरस्वती पति चुनने के लिए अपन�� पिता की सभा में गई जिसमें युवा देवता तथा ऋषि विराजमान थे। उनको आकर्षित करने के लिए सब श्रृंगार करके सज-धजकर गई थी। अपनी पुत्र की सुंदरता देखकर काम (sex) के वश होकर संयम खोकर विवेक का नाश करके अपनी बेटी से संभोग (Sex) करने को उतारू हो गया था। ब्रह्मा पाप के भागी बने। मन तो कबीर परमात्मा की भक्ति तथा तत्वज्ञान से काबू में आता है।
क्रमशः__________
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। साधना चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
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महाभारत वन पर्व की अद्भुत कथा - एपिसोड 1 ( Mahabharat Vana Parva (Book of the Forest) - Episode - 1) नमस्कार दोस्तों! आज मैं आपको महाभारत के वन पर्व की रोमांचक यात्रा पर लेकर चलूँगा। वन पर्व, महाभारत का तीसरा महत्वपूर्ण अध्याय है, जिसमें पांडवों के वनवास और अज्ञातवास की कहानी है। चलिए, शुरू करते हैं! जुए की शर्त के अनुसार, युधिष्ठिर को अपने भाइयों के साथ बारह वर्ष का वनवास और एक वर्ष का अज्ञातवास बिताना पड़ा। पांडव, द्रौपदी और अपने पुरोहित धौम्य के साथ वन को चल दिए। ब्राह्मणों के साथ जाने पर, युधिष्ठिर ने सूर्य की उपासना की और सूर्यदेव ने उन्हें एक अक्षयपात्र दिया जो कभी खाली नहीं होता था। वन में रहते हुए, पांडवों का सामना कई चुनौतियों और अद्भुत घटनाओं से हुआ। अर्जुन ने व्यासजी की सलाह पर कैलाश पर्वत पर जाकर भगवान शंकर से पाशुपत अस्त्र प्राप्त किया। अर्जुन ने जंगल में तपस्वी के वेश में भगवान शंकर से युद्ध किया और आखिरकार पाशुपत अस्त्र प्राप्त किया। इसके बाद, अर्जुन इंद्रलोक गए और अपने दिव्यास्त्रों की शिक्षा ली। उन्होंने असुरों का संहार किया और कई देवताओं से सम्मान प्राप्त किया। इंद्रलोक में उर्वशी ने अर्जुन को माता कहकर संबोधित किया, जिससे अर्जुन को एक साल तक निर्वीर्य रहने का शाप मिला, जो उनके अज्ञातवास के दौरान वरदान साबित हुआ। भीम की हनुमान से भेंट भी इस पर्व का महत्वपूर्ण हिस्सा है। एक दिन, द्रौपदी ने भीम से सहस्त्र दलों वाला कमल लाने को कहा। भीम को रास्ते में हनुमान मिले, जिन्होंने अपनी पूँछ उठाने की चुनौती देकर भीम का अभिमान तोड़ा। भीम ने हनुमान से माफी माँगी और हनुमान ने उन्हें कमल सरोवर का पता दिया। वन में दुर्योधन, पांडवों को नीचा दिखाने की योजना बनाता है, लेकिन गंधर्वों से मुठभेड़ में हार जाता है। पांडव, दुर्योधन और उसकी रानियों को गंधर्वों से मुक्त कराते हैं, जिससे दुर्योधन बहुत लज्जित होता है। वन पर्व के अन्तर्गत 22 उप पर्व और 315 अध्याय हैं, जो पांडवों के वनवास के विभिन्न पहलुओं को उजागर करते हैं। इनमें अर्जुन की तपस्या, भीम का जटासुर वध, युधिष्ठिर की तीर्थयात्रा, द्रौपदी का जयद्रथ द्वारा हरण और कई अन्य रोमांचक कहानियाँ शामिल हैं। इस प्रकार, महाभारत का वन पर्व पांडवों की धैर्य, साहस और समर्पण की क��ानी है। यह हमें सिखाता है कि कठिनाइयों के बावजूद, दृढ़ संकल्प और ईश्वर की भक्ति से हर चुनौती पर विजय प्राप्त की जा सकती है। अगर आपको ये वीडियो पसंद आया हो, तो लाइक करें, सब्सक्राइब करें और बेल आइकन को दबाना न भूलें। अगले वीडियो में हम महाभारत के अगले पर्व की चर्चा करेंगे। तब तक के लिए, जय श्री कृष्ण!
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मिमी फिल्म समीक्षा/रिव्यु
Nothing like what you're expecting!
फिल्म के पोस्टर में कृति सेनन की इमेज प्लॉट: यह फिल्म एक ऐसी लड़की की है, जो डांसर होती है पर बिन ब्याही मां बन जाती है, और कौन से कारण रहे होंगे जिससे मां बन जाती है, उसका सपना तो हीरोइन बनने का था ऐसा उसकी जिंदगी में क्या हुआ कि वह हीरोइन बनने का सपना भी त्याग देती है| क्या उसके माता-पिता उसे और उसके बच्चे को स्वीकार करेंगे? क्या हमारा समाज बिन ब्याही मां को स्वीकार करेगा? क्या उसके बच्चे को पिता का नाम मिल पाएगा? इन सभी सवालों को जानने के लिए फिल्म देखें| टोन और थीम: यह फिल्म कॉमेडी ड्रामा टोन पर आधारित है, इसकी थीम इमोशंस और केयरिंग पर है, इसको बनाने का मकसद मनोरंजन करना है लेकिन मनोरंजन के साथ-साथ इमोशंस का भी भरपूर तड़का लगाया गया है| एक्टिंग एंड कैरक्टर्स: मिमी के किरदार में कृति सेनन ने क्या जबरदस्त, दमदार और लाजवाब अभिनय किया है, यह रोल उनके अब तक के फिल्मी करियर का सबसे कठिन और मजबूत है, विश्वास ही नहीं होता कि यह कृति सेनन है, जो कि अपने रोल में पूरी तरह से खो जाती हैं और पूरी जान डाल दी है, चाहे उनका हास्य रस हो, फेस एक्सप्रेशंस हो, डायलॉग डिलीवरी हो, और राजस्थानी भाषा का एसेंट हो, राजस्थानी ड्रेसेस हो, इमोशनल सींस हो, इतनी परफेक्शन के साथ और क्लेरिटी से क्या अभिनय किया है, फिल्म में देखते ही बनता है, इस रोल को निभाने के लिए उनको बहुत सराहना मिली है| पांडे के किरदार में पंकज त्रिपाठी का अभिनय भी शानदार है, वह कॉमेडी रोल निभाने में मास्टर है, उनका अभिनय भी बहुत ही संपूर्णता से भरा हुआ है, उनके रोल निभाने में कहीं से भी कोई कमी नजर नहीं आती, इस रोल को निभाने में उन्होंने अपना पूरा हंड��रेड परसेंट दिया है| शमा के किरदार में साई तम्हनकर का अभिनय भी बहुत बढ़िया है, उनकी और मिनी की जुगलबंदी लाजवाब है, जितना रोल उनको मिला उन्होंने अपने रोल में कोई कमी नहीं छोड़ी, सपोर्टिंग रोल्स में सुप्रिया पाठक,मनोज पाहवा, एवलिन एडवर्ड्स और एडन व्हीटॉक का अभिनय भी बढ़िया है, इन सभी का अभिनय भी कहानी को मजबूत बनाता है|
फिल्म समीक्षा/रिव्यु में कृति सेनन की इमेज डायरेक्शन: इसको लक्ष्मण उतेकर ने निर्देशित किया है, और वह एक सफल सिनेमेटोग्राफर भी है, इससे पहले इन्होंने मराठी में तापाल(2014), लालबागची रानी(2016) का निर्देशन किया है, और हिंदी में लुकाछिपी(2019), ज़रा हटके ज़रा बचक(2023) का निर्देशन किया है और तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया(2024) की सिनेमेटोग्राफी की है, अगर इनका रिकॉर्ड देखे तो वह दोनों डिपार्टमेंट्स में सबसे ज्यादा सफल नज़र आते है, ऐसे लोग फिल्म इंडस्ट्री में विरले नज़र आते है, सभी फिल्में एक से एक बढ़कर बनाई है यह भी उसी कैटेगरी में आती है, पूरी फिल्म में उनकी पकड़ है शुरू से लेकर अंत तक उन्होंने फिल्म को कहीं से भी पटरी से उतरने नहीं दिया, उन्होंने छोटी-छोटी बारीकियां पर भी पूरा ध्यान दिया गया है| कहानी-पटकथा: लक्ष्मण उतेकर और रोहन शंकर दोनों ने मिलकर लिखा है कहानी तो मराठी फिल्म मालाआई वहेचाई पर आधारित है, पर पटकथा को बहुत ही बढ़िया से लिखा गया है और कही से कोई कमी भी नज़र नहीं आती|
फिल्म समीक्षा/रिव्यु में पंकज त्रिपाठी की इमेज डायलॉग: रोहन शंकर के बहुत ही मजेदार, हंसी दिला देने वाले और राजस्थानी एक्सेंट वाले है| सिनेमैटोग्राफी: आकाश अग्रवाल की बढ़िया है, एरियल व्यूज से अच्छे से शहर को दिखाया गया है, कैमरे को सभी डिग्री में घुमाकर फिल्माया गया है, शहर की गलियों को अच्छे से दिखाया गया है| एडिटिंग: मनीष प्रधान की बहुत ही जानदार है, शुरू से लेकर अंत तक पकड़ मजबूत और गति तेज है फिल्म एक पल के लिए भी बोर नहीं करती, दर्शक को जिज्ञासा रहती है, कि अब आगे क्या होगा और वह पूरी फिल्म में अपनी सीट से बंधा रहता है| कोरियोग्राफी: गणेश आचार्य परम सुंदरी की बहुत शानदार है, और विजय गांगुली रिहाई दे की बढ़िया है कॉस्ट्यूम डिजाइन: शीतल शर्मा ने बैकड्राप और राजस्थानी कल्चर के अनुसार बहुत ही बढ़िया डिजाइन किए गए हैं प्रोडक्शन डिजाइन: सुब्रत चक्रबर्ती और अमित रे का बढ़िया है, पुराने घर के बनाए गए सेट्स अच्छे हैं साउंड डिजाइन: बायलोन फोंसेका का बहुत ही शानदार है, सिंकिंग बहुत ही कमाल की है| म्यूजिक एंड बैकग्राउंड स्कोर: ए आर रहमान के बारे में कुछ कहने और बताने की जरूरत ही नहीं है बहुत ही अच्छा फिल्म के मूड के हिसाब से उन्होंने बनाया है| लिरिसिस्ट: अमिताभ भट्टाचार्य ने गीत अच्छे लिखे हैं, दोनों ही परम सुंदरी और रिहाई दे| क्लाइमैक्स: बहुत ही बढ़िया बन पड़ा है| ओपिनियन: मस्ट वॉच! जितनी बार देखो उतनी बार कम है | बहुत ही बढ़िया है, आपका बार बार देखने का मन करेगा| मैसेज: सरोगेसी को बढ़ावा दिया जा रहा है, जो कि गलत है कहानी को काल्पनिक मानकर इग्नोर कर सकते हैं| रियल लाइफ में इसको फॉलो ना करें वैसे भी शुरआत में डिस्क्लेमर तो डाल ही दिया जाता है| फ़िल्मफ़ेयर अवॉर्ड नॉमिनेशंस: इस फिल्म को 6 नॉमिनेशंस मिले थे, नेशनल अवार्ड और फिल्मफेयर अवार्ड,दोनों ही फिल्म ने दो और तीन अवार्ड्स जीते थे, बेस्ट एक्ट्रेस, बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर, बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस, बेस्ट एडिटिंग, बेस्ट म्यूजिक, बेस्ट कोरियोग्राफी(परम सुंदरी), बेस्ट फीमेल प्लेबैक सिंगर श्रेया घोषाल(परम सुंदरी), में से बेस्ट एक्ट्रेस कृति सेनन ,बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर पंकज त्रिपाठी, बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस साई तम्हनकर ने अवार्ड जीते| नेशनल अवार्ड में फिल्म ने बेस्ट एक्ट्रेस कृति सेनन (आलिया भट्ट को गंगूभाई काठियावाड़ के साथ) और बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर पंकज त्रिपाठी ने जीता| फ़िल्मकास्ट: कृति सेनन, पंकज त्रिपाठी, साई तम्हनकर, सुप्रिया पाठक, मनोज पाहवा, एवलिन एडवर्ड्स और एडन व्हीटॉक प्रोडूसर: दिनेश विजन, जिओ स्टूडियोज और कृति सेनन, डायरेक्टर: लक्ष्मण उतेकर, साउंड डिज़ाइन: बायलोन फोंसेका, कास्टूम डिज़ाइन: शीतल शर्मा, म्यूजिक एंड बैकग्राउंड स्कोर: ए आर रहमान, प्रोडक्शन डिज़ाइन: सुब्रत चक्रबर्ती और अमित रे, एडिटर: मनीष प्रधान, सिनेमेटोग्राफी: आकाश अग्रवाल, कोरियोग्राफी: गणेश आचार्य, विजय गांगुली, लिरिक्स: अमिताभ भट्टाचार्य, डायलॉग्स: रोहन शंकर, स्टोरी एंड स्क्रीनप्ले: लक्मण उतेकर, रोहन शंकर, डायरेक्टर: लक्मण उतेकर Read the full article
#इमोशंस#कृतिसेनन#कॉमेडी#कॉमेडीड्रामा#दिनेशविजन#पंकजत्रिपाठी#मनोजपाहवा#मिमी#मिमीफिल्म#मिमीमूवी#लक्ष्मणउत्तेकर#साईतम्हनकर#सुप्रियापाठक
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हॉकी इंडिया सब जूनियर महिला राष्ट्रीय चैंपियनशिप में झारखंड की जीत पर दी बधाई
रांची, 26 नवम्बर (हि.स.)। 14वीं हॉकी इंडिया सब जूनियर महिला राष्ट्रीय चैंपियनशिप-2024 में तेलंगाना की टीम को झारखंड टीम ने 11-00 गोलों से हराया है।इस जीत पर पूरी टीम को हॉकी झारखंड के अध्यक्ष भोलानाथ सिंह, महासचिव विजय शंकर सिंह और सीइओ रजनीश कुमार सहित अन्य ने बधाई दी है। 26 नवम्बर से 06 दिसम्बर तक सिकंदराबाद, तेलंगाना में आयोजित 14वीं हॉकी इंडिया सब जूनियर महिला राष्ट्रीय चैंपियनशिप में मंगलवार…
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नई टिहरी में पासपोर्ट मोबाईल वैन कैम्प 22 से 23 नवंबर को
नई टिहरी में पासपोर्ट मोबाईल वैन कैम्प 22 से 23 नवंबर को टिहरी, 19 नवम्बर 2024: क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय, देहरादून द्वारा 22 से 23 नवंबर 2024 तक विकास भवन, नई टिहरी में पासपोर्ट मोबाईल वैन कैम्प का आयोजन किया जायेगा। क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी देहरादून विजय शंकर पांडेय ने बताया कि दूर दराज के पासपोर्ट आवेदकों को उनके घर के समीप ही पाससोर्ट सेवा प्रदान करने के उद्देश्य से क्षेत्रीय पासपोर्ट…
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क्या है गज और ग्राह की कहानी, कार्तिक पूर्णिमा के गंगा स्नान और विश्व प्रसिद्ध सोनपुर मेला से क्या है इसका संबंध:
क्या है गज और ग्राह की कहानी, कार्तिक पूर्णिमा के गंगा स्नान और विश्व प्रसिद्ध सोनपुर मेला से क्या है इसका संबंध:
विश्व प्रसिद्ध सोनपुर मेला –विश्व प्रसिद्ध सोनपुर मेला – क्या है गज और ग्राह की कहानी, कार्तिक पूर्णिमा के गंगा स्नान और विश्व प्रसिद्ध सोनपुर मेला से क्या है संबंध भगवान विष्णु और शंकर के दो भक्त जय और विजय शापित होकर हाथी (गज) और मगरमच्छ (ग्राह) के रूप में धरती पर उत्पन्न हुए थे। एक दिन गज पानी पीने के लिए गंडक नदी के तट पर आया, तभी ग्राह ने उसे पकड़ लिया। ग्राह के मजबूत जबड़े से लहूलुहान गज…
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सियाराम की रसोई | Siya Ram Ki Rasoi | श्रद्धांजलि | स्वर्गीय श्री प्रकाश चन्द्र तिवारी (मुन्नू) जी
|| जय श्री राम ||
लखनऊ, 11.07.2024 | राम राज्य के वर्तमान समय में हमें अपने समाज के सबसे निर्धन और असहाय वर्ग की मदद के लिए आगे आना होगा । यह वह समय है जब हम उनके साथ मिलकर, उनकी मदद कर सकते हैं और उन्हें जीवन की आधारभूत जरूरतें प्रदान करने का संकल्प ले सकते हैं । इसी कड़ी में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा 'सियाराम की रसोई' अभियान की शुरुआत की गयी जिसका उद्देश्य है प्रतिदिन गरीबों को आपके सहयोग से नि:शुल्क भरपेट भोजन प्रदान कर मानवता की सेवा करना ।
आप अपने “कभी खुशी कभी गम” के यादगार पलों (जन्मदिवस, सालगिरह, पुण्यतिथि आदि) के शुभ अवसर पर निम्नलिखित तरीकों से जनहित में अपना अमूल्य समर्थन प्रदान कर सकते हैं:
1. ऑनलाइन दान करके आर्थिक सहायता प्रदान करना |
2. खाद्य सामग्री, जैसे कि अनाज, दाल, चावल, फल, सब्जियां और ताजा दूध आदि, को संग्रहित करके हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के समृद्धि केंद्र में जमा करना |
उल्लेखनीय हैं कि भोजन वितरण से पहले, आपके यादगार पलों / विशेष दिन के अवसर की घोषणा उपस्थित सभी लोगों के समक्ष की जाएगी, ताकि आपको आध्यात्मिक साधकों से आशीर्वाद और शुभकामनाएं मिल सकें |
सियाराम की रसोई अभियान के अंतर्गत, श्रीमती विजय लक्ष्मी तिवारी जी, निवासी 68/240, छितवापुर, पजावा, लालकुआं, लखनऊ ने अपने पूज्य पति स्वर्गीय श्री प्रकाश चन्द्र तिवारी (मुन्नू) जी के स्वर्गवास को दो माह पूर्ण होने पर उनको श्रद्धांजलि अर्पित की | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की 'सियाराम की रसोई' योजना के अंतर्गत 201 व्यक्तियों के लिए ₹5100/- का दान देकर भोजन की व्यवस्था में अपना बहुमूल्य योगदान प्रदान किया जिसके लिए हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट श्रीमती विजय लक्ष्मी तिवारी जी तथा उनके परिवार का आभार प्रकट करता है और स्वर्गीय श्री प्रकाश चन्द्र तिवारी जी को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता है ।
इस अवसर पर श्रीमती विजय लक्ष्मी तिवारी जी ने कहा कि, “मैं हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल, ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य श्री पंकज अवस्थी एवं स्वयंसेवकों का हार्दिक आभार प्रकट करती हूँ जिनके सहयोग से मैंने आज अपने पति की दूसरे माह की पुण्यतिथि पर प्रसाद वितरण और भंडारे का आयोजन किया । मैंने यह निश्चय किया है कि मैं हर महीने की 11 तारीख को पूरे लखनऊ के कोने-कोने में भंडारे का आयोजन करूंगी ।"
इस अवसर पर स्वर्गीय श्री प्रकाश चंद्र तिवारी जी की पत्नी श्रीमती विजय लक्ष्मी तिवारी एवं श्री उमा शंकर मिश्रा, मित्र, श्रीमती रुचि शुक्ला, बेटी, श्रीमती दीपा दुबे, भांजी, श्रीमती निर्मला तिवारी, रिश्तेदार तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य श्री पंकज अवस्थी जी और ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही ।
#पुण्यतिथि #प्रकाशचन्द्रतिवारी
#SiyaRamKiRasoi #FoodtoAll #DonateforFood #खाना_खिलाना #CSR #Donation #Sponsership #Volunteer #fundraising #nonprofitorganization #volunteering
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सियाराम की रसोई | Siya Ram Ki Rasoi | श्रद्धांजलि | स्वर्गीय श्री प्रकाश चन्द्र तिवारी (मुन्नू) जी
|| जय श्री राम ||
लखनऊ, 11.07.2024 | राम राज्य के वर्तमान समय में हमें अपने समाज के सबसे निर्धन और असहाय वर्ग की मदद के लिए आगे आना होगा । यह वह समय है जब हम उनके साथ मिलकर, उनकी मदद कर सकते हैं और उन्हें जीवन की आधारभूत जरूरतें प्रदान करने का संकल्प ले सकते हैं । इसी कड़ी में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा 'सियाराम की रसोई' अभियान की शुरुआत की गयी जिसका उद्देश्य है प्रतिदिन गरीबों को आपके सहयोग से नि:शुल्क भरपेट भोजन प्रदान कर मानवता की सेवा करना ।
आप अपने “कभी खुशी कभी गम” के यादगार पलों (जन्मदिवस, सालगिरह, पुण्यतिथि आदि) के शुभ अवसर पर निम्नलिखित तरीकों से जनहित में अपना अमूल्य समर्थन प्रदान कर सकते हैं:
1. ऑनलाइन दान करके आर्थिक सहायता प्रदान करना |
2. खाद्य सामग्री, जैसे कि अनाज, दाल, चावल, फल, सब्जियां और ताजा दूध आदि, को संग्रहित करके हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के समृद्धि केंद्र में जमा करना |
उल्लेखनीय हैं कि भोजन वितरण से पहले, आपके यादगार पलों / विशेष दिन के अवसर की घोषणा उपस्थित सभी लोगों के समक्ष की जाएगी, ताकि आपको आध्यात्मिक साधकों से आशीर्वाद और शुभकामनाएं मिल सकें |
सियाराम की रसोई अभियान के अंतर्गत, श्रीमती विजय लक्ष्मी तिवारी जी, निवासी 68/240, छितवापुर, पजावा, लालकुआं, लखनऊ ने अपने पूज्य पति स्वर्गीय श्री प्रकाश चन्द्र तिवारी (मुन्नू) जी के स्वर्गवास को दो माह पूर्ण होने पर उनको श्रद्धांजलि अर्पित की | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की 'सियाराम की रसोई' योजना के अंतर्गत 201 व्यक्तियों के लिए ₹5100/- का दान देकर भोजन की व्यवस्था में अपना बहुमूल्य योगदान प्रदान किया जिसके लिए हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट श्रीमती विजय लक्ष्मी तिवारी जी तथा उनके परिवार का आभार प्रकट करता है और स्वर्गीय श्री प्रकाश चन्द्र तिवारी जी को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता है ।
इस अवसर पर श्रीमती विजय लक्ष्मी तिवारी जी ने कहा कि, “मैं हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल, ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य श्री पंकज अवस्थी एवं स्वयंसेवकों का हार्दिक आभार प्रकट करती हूँ जिनके सहयोग से मैंने आज अपने पति की दूसरे माह की पुण्यतिथि पर प्रसाद वितरण और भंडारे का आयोजन किया । मैंने यह निश्चय किया है कि मैं हर महीने की 11 तारीख को पूरे लखनऊ के कोने-कोने में भंडारे का आयोजन करूंगी ।"
इस अवसर पर स्वर्गीय श्री प्रकाश चंद्र तिवारी जी की पत्नी श्रीमती विजय लक्ष्मी तिवारी एवं श्री उमा शंकर मिश्रा, मित्र, श्रीमती रुचि शुक्ला, बेटी, श्रीमती दीपा दुबे, भांजी, श्रीमती निर्मला तिवारी, रिश्तेदार तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य श्री पंकज अवस्थी जी और ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही ।
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सियाराम की रसोई | Siya Ram Ki Rasoi | श्रद्धांजलि | स्वर्गीय श्री प्रकाश चन्द्र तिवारी (मुन्नू) जी
|| जय श्री राम ||
लखनऊ, 11.07.2024 | राम राज्य के वर्तमान समय में हमें अपने समाज के सबसे निर्धन और असहाय वर्ग की मदद के लिए आगे आना होगा । यह वह समय है जब हम उनके साथ मिलकर, उनकी मदद कर सकते हैं और उन्हें जीवन की आधारभूत जरूरतें प्रदान करने का संकल्प ले सकते हैं । इसी कड़ी में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा 'सियाराम की रसोई' अभियान की शुरुआत की गयी जिसका उद्देश्य है प्रतिदिन गरीबों को आपके सहयोग से नि:शुल्क भरपेट भोजन प्रदान कर मानवता की सेवा करना ।
आप अपने “कभी खुशी कभी गम” के यादगार पलों (जन्मदिवस, सालगिरह, पुण्यतिथि आदि) के शुभ अवसर पर निम्नलिखित तरीकों से जनहित में अपना अमूल्य समर्थन प्रदान कर सकते हैं:
1. ऑनलाइन दान करके आर्थिक सहायता प्रदान करना |
2. खाद्य सामग्री, जैसे कि अनाज, दाल, चावल, फल, सब्जियां और ताजा दूध आदि, को संग्रहित करके हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के समृद्धि केंद्र में जमा करना |
उल्लेखनीय हैं कि भोजन वितरण से पहले, आपके यादगार पलों / विशेष दिन के अवसर की घोषणा उपस्थित सभी लोगों के समक्ष की जाएगी, ताकि आपको आध्यात्मिक साधकों से आशीर्वाद और शुभकामनाएं मिल सकें |
सियाराम की रसोई अभियान के अंतर्गत, श्रीमती विजय लक्ष्मी तिवारी जी, निवासी 68/240, छितवापुर, पजावा, लालकुआं, लखनऊ ने अपने पूज्य पति स्वर्गीय श्री प्रकाश चन्द्र तिवारी (मुन्नू) जी के स्वर्गवास को दो माह पूर्ण होने पर उनको श्रद्धांजलि अर्पित की | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की 'सियाराम की रसोई' योजना के अंतर्गत 201 व्यक्तियों के लिए ₹5100/- का दान देकर भोजन की व्यवस्था में अपना बहुमूल्य योगदान प्रदान किया जिसके लिए हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट श्रीमती विजय लक्ष्मी तिवारी जी तथा उनके परिवार का आभार प्रकट करता है और स्वर्गीय श्री प्रकाश चन्द्र तिवारी जी को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता है ।
इस अवसर पर श्रीमती विजय लक्ष्मी तिवारी जी ने कहा कि, “मैं हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल, ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य श्री पंकज अवस्थी एवं स्वयंसेवकों का हार्दिक आभार प्रकट करती हूँ जिनके सहयोग से मैंने आज अपने पति की दूसरे माह की पुण्यतिथि पर प्रसाद वितरण और भंडारे का आयोजन किया । मैंने यह निश्चय किया है कि मैं हर महीने की 11 तारीख को पूरे लखनऊ के कोने-कोने में भंडारे का आयोजन करूंगी ।"
इस अवसर पर स्वर्गीय श्री प्रकाश चंद्र तिवारी जी की पत्नी श्रीमती विजय लक्ष्मी तिवारी एवं श्री उमा शंकर मिश्रा, मित्र, श्रीमती रुचि शुक्ला, बेटी, श्रीमती दीपा दुबे, भांजी, श्रीमती निर्मला तिवारी, रिश्तेदार तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य श्री पंकज अवस्थी जी और ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही ।
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आप अपने “कभी खुशी कभी गम” के यादगार पलों (जन्मदिवस, सालगिरह, पुण्यतिथि आदि) के शुभ अवसर पर निम्नलिखित तरीकों से जनहित में अपना अमूल्य समर्थन प्रदान कर सकते हैं:
1. ऑनलाइन दान करके आर्थिक सहायता प्रदान करना |
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इस अवसर पर स्वर्गीय श्री प्रकाश चंद्र तिवारी जी की पत्नी श्रीमती विजय लक्ष्मी तिवारी एवं श्री उमा शंकर मिश्रा, मित्र, श्रीमती रुचि शुक्ला, बेटी, श्रीमती दीपा दुबे, भांजी, श्रीमती निर्मला तिवारी, रिश्तेदार तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य श्री पंकज अवस्थी जी और ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही ।
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गढ़वाल आयुक्त विनय शंकर पाण्डेय ने सपरिवार किये बदरी- केदार के दर्शन, यात्रा व्यवस्थाओं का लिया जायजा
श्री बदरीनाथ / केदारनाथ धाम : आयुक्त गढ़वाल मंडल एवं सचिव मुख्यमंत्री विनय शंकर पाण्डेय ने आज श्री बदरीनाथ धाम तथा केदारनाथ धाम पहुंच कर यात्रा व्यवस्थाओं का जायजा लिया। इससे पहले उन्होंने सपरिवार मंदिर में दर्शन किये। इस अवसर पर बीकेटीसी मुख्य कार्याधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल ने गढ़वाल आयुक्त को श्री बदरीनाथ – केदारनाथ यात्रा विषयक जानकारी दी। गढ़वाल आयुक्त विनय शंकर पाण्डेय आज प्रात: …
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प्रतापगढ़ के होनहार सत्यार्थ शंकर त्रिपाठी बने वैज्ञानिक
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http://dlvr.it/TCf762
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वाराणसी, 25 अक्टूबर (हि.स.)। ज्ञानवापी के मूल 32 साल पुराने मामले में शुक्रवार को सिविल जज सीनियर डिविजन फास्ट ट्रैक कोर्ट युगुल शंभू की अदालत ने वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी का आवेदन खारिज कर दिया। न्यायालय के इस फैसले से वादी हिन्दू पक्ष को बड़ा झटका लगा है। फास्ट ट्रैक कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि एएसआई सर्वे का शेष हिस्सा सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर संरक्षित है। इसके साथ ही वादी पक्ष ने सम्पूर्ण…
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GOAT Trailer; थलापति विजय की अपकमिंग फिल्म द ग्रेटेस्ट ऑफ ऑल टाइम का ट्रेलर हुआ जारी, जानें फिल्म कब होगी रिलीज
Goat Trailer: थलापति विजय की अपकमिंग एक्शन ड्रामा फिल्म द ग्रेटेस्ट ऑफ ऑल टाइम (GOAT) का आज 17 अगस्त को एक्शन फुल ट्रेल रिलीज हो गया है. विजय ने बीती 15 अगस्त स्वत्रंतता दिवस को अपने फैंसे फिल्म द ग्रेटेस्ट ऑफ ऑल टाइम का ट्रेलर आज 17 अगस्त को रिलीज करने का वादा किया था. द ग्रेटेस्ट ऑफ ऑल टाइम के बारे में फिल्म द ग्रेटेस्ट ऑफ ऑल टाइम को वेंकट प्रभु ने डायरेक्ट किया है. फिल्म में युवान शंकर राजा…
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