#विकट शादी
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insolubleworld · 3 years ago
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कैटरीना कैफ ने अपने सपनों के विवाह समारोह से तस्वीरें साझा कीं और हम उनसे अपनी नज़रें नहीं हटा सकते! - टाइम्स ऑफ इंडिया
कैटरीना कैफ ने अपने सपनों के विवाह समारोह से तस्वीरें साझा कीं और हम उनसे अपनी नज़रें नहीं हटा सकते! – टाइम्स ऑफ इंडिया
अपने प्रशंसकों को हल्दी और मेहंदी जैसे भव्य विवाह पूर्व समारोहों में एक झलक देने के बाद, कैटरीना कैफ ने अपनी शादी के दिन से कुछ स्वप्निल तस्वीरें साझा कीं और हम इस खूबसूरत दुल्हन से अपनी नज़रें नहीं हटा सकते! यहां देखिए तस्वीरें: खूबसूरत क्लिक्स को कैप्शन देते हुए कैटरीना ने लिखा, ‘बड़े होकर, हम बहनों ने हमेशा एक-दूसरे की रक्षा की। वे मेरी ताकत के स्तंभ हैं ��र हम एक-दूसरे को जमीन से जोड़े रखते…
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omgarunk · 3 years ago
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विकी कौशल ने बांद्रा में कैटरीना कैफ के घर के बाहर क्लिक की, विकट की शादी की अफवाहों के बीच, देखें तस्वीरें
विकी कौशल ने बांद्रा में कैटरीना कैफ के घर के बाहर क्लिक की, विकट की शादी की अफवाहों के बीच, देखें तस्वीरें
विक्की कौशल और कैटरीना कैफ अपने डी डे तक भले ही चुप्पी साधे हुए हों, लेकिन दैनिक अपडेट से लेकर पपराज़ी द्वारा क्लिक की गई तस्वीरों तक सब कुछ इस बात की ओर इशारा करता है कि वे वास्तव में शादी के बंधन में बंध रहे हैं। इससे पहले दिन में, अभिनेत्री और उनकी बहन इसाबेल कैफ को बांद्रा में पूर्व के घर के बाहर क्लिक किया गया था और बाद में स्टाइलिस्ट अनीता श्रॉफ को भी उनके घर पर अभिनेत्री से मिलने जाते देखा…
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parichaytimes · 3 years ago
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क्या कैटरीना कैफ और विक्की कौशल जल्द ही अपनी शादी के बारे में औपचारिक घोषणा करने की योजना बना रहे हैं? विवरण अंदर... - टाइम्स ऑफ इंडिया
क्या कैटरीना कैफ और विक्की कौशल जल्द ही अपनी शादी के बारे में औपचारिक घोषणा करने की योजना बना रहे हैं? विवरण अंदर… – टाइम्स ऑफ इंडिया
ETimes ने सबसे पहले आपको सूचित किया था कि कैटरीना कैफ तथा विक्की कौशल दिसंबर में राजस्थान के एक फोर्ट रिजॉर्ट में शादी के बंधन में बंधेंगे। तैयारियों का जायजा लेने के लिए कपल की टीम पहले ही कार्यक्रम स्थल पर पहुंच चुकी है. अब, यदि किसी समाचार पोर्टल में कोई रिपोर्ट दी जाती है, तो अभिनेता अपने बारे में एक आधिकारिक घोषणा करने की योजना बना रहे हैं शादी जल्द ही। घोषणा के साथ, वे कथित तौर पर मीडिया…
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currentnewsss · 3 years ago
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Katrina Kaif Walks With Vicky Kaushal’s Mother Post Date Night; Netizens Go, “Inhe Toh Humari Hi Nazar Na Lag Jaye”
Katrina Kaif Walks With Vicky Kaushal’s Mother Post Date Night; Netizens Go, “Inhe Toh Humari Hi Nazar Na Lag Jaye”
कैटरीना कैफ और विक्की कौशल अपने परिवार के साथ डिनर डेट पर गए – देखें कैटरीना कैफ और विक्की कौशल परम युगल लक्ष्य हैं और इसमें कोई संदेह नहीं है। इस जोड़े ने दिसंबर में चुपचाप शादी के बंधन में बंध गए। कल, दोनों परिवारों के साथ डिनर डेट थी और यादों के रूप में कैद होने के लिए परिदृश्य बहुत अच्छा था। विवरण के लिए नीचे स्क्रॉल करें। कल रात विकट को शहर में स्पॉट किया गया। अभिनेत्री ने डेनिम शर्ट पहनी…
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lok-shakti · 3 years ago
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कैटरीना कैफ की वेडिंग ! पर्यावरण के रंग के लहंगे में विक्की की बनी दुल्हनिया
कैटरीना कैफ की वेडिंग ! पर्यावरण के रंग के लहंगे में विक्की की बनी दुल्हनिया
कैटरीना कैफ विक्की कौशल की शादी की रस्म: शादी विक्की कौशल (विक्की कौशल) और कैटरीना कैफ (कैटरीना कैफ) की शादी। विक्की कौशल और विशेषज्ञ योग्यता प्राप्त करने के लिए उपयुक्त होते हैं। इन्टी में भी यह शामिल है। विक्की पर विविध चर्चा (विकी-कैटरीना) विकी-की-विकिट (विकट) ️️️️️ अभी तक विक्की (विकी) और कैटरीना (कैटरीना) अपनी पूरी तरह से तैयार नहीं है। मिडिया ्क्षस के मुताबिक़ कैटरीना कैफ ने ऐसा किया है।…
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karanaram · 3 years ago
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🚩दलित महिला को धर्मांतरण के लिए किया प्रताड़ित, मना करने पर बेटी का यौन शोषण - 7 सितंबर 2021
🚩भारत में धर्मांतरण का धंधा पुरजोश से चल रहा है और जबसे हिन्दू संत आशाराम बापू जेल गए हैं तबसे तो भारत में ईसाई मिशनरियों ने धर्मांतरण में तेजी ला दी है। कॉंग्रेस सरकार में साधु-संतों को जेल भेजा जा रहा था और उस समय कोई आगे आकर बोलने को तैयार नहीं था ऐसे विकट समय में आशाराम बापू ने ऐसी आंधी चलाई थी कि लाखों हिंदुओं की घर वापसी करवाई थी, करोड़ों लोगों को सनातन धर्म की महिमा समझाई थी जिससे वे कन्वर्ट नहीं हो पाये, कई वैदिक गुरुकुल तक खोल दिए थे।
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🚩ईसाई मिशनरी के लोग कितने क्रूर होते हैं- इस घटना से समझ सकते हैं।
झारखंड के गुमला जिले के जामडीह गाँव की एक महिला स्वास्थ्य कार्यकर्त्री ने कुरकुरा थाने में एफआईआर दर्ज कराई है। शिकायतकर्त्री ने बताया कि कुछ ग्रामीण उसके परिवार के सदस्यों को जबरन ईसाई धर्म अपनाने के लिए प्रताड़ित कर रहे हैं। दलित महिला ने कहा- उन ईसाई ग्रामीणों ने मेरी नाबालिग बेटी के साथ दुष्कर्म भी किया, जिससे वह अभी तक सदमे में है।
🚩गुमला पुलिस ने महिला की लिखित शिकायत के आधार पर 30 अगस्त को धारा 323 (जानबूझकर किसी को स्वेच्छा से चोट पहुँचाने के लिए ), 341 (गलत तरीके से रोक लगानेके लिए), 295 (अपमान के इरादे से पूजा स्थल को नुकसान पहुँचाने या अपवित्र करने के लिए ), 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान के लिए), 448 (घर-अतिचार के लिए), 506 (आपराधिक धमकी के लिए), 509 (किसी भी महिला के अपमान के लिए ), झारखंड में धर्म स्वतंत्रता अधिनियम की आईपीसी की धारा 4 (जबरदस्ती धर्मांतरण) और POCSO अधिनियम की धारा 8 (नाबालिग का यौन उत्पीड़न) के तहत प्राथमिकी दर्ज की। यह गाँव गुमला जिला मुख्यालय से लगभग 70 किमी दूर स्थित है, जो वामपंथी उग्रवाद से बुरी तरह प्रभावित है।
🚩पुलिस के सूत्रों ने पुष्टि की कि मामले में एक प्राथमिकी दर्ज की गई है। बताया गया है कि कुरकुरा थाने के प्रभारी अधिकारी मामले की जाँच कर रहे हैं। शिकायतकर्त्री ने अपनी शिकायत में पॉलीना बिलुंग, आकाश डुंगडुंग, निशा, शीला, फूलमनी सुरीन, उर्मिला, संतोषी, जानकी, शीतल राम, गंगी देवी, आकाश डुंगडुंग और सुशीला देवी का नाम लिया है। ये सभी ईसाई धर्म के अनुयायी हैं। महिला ने कहा कि आरोपित 14 अगस्त को उसके घर आए और उसके परिवार से ईसाई धर्म अपनाने के लिए कहा। अनुसूचित जाति की पीड़िता ने उन्हें यह कहते हुए मना कर दिया था कि वह अपने हिन्दू धर्म से खुश है।
इस बात को लेकर उनके बीच कहासुनी हुई, जिससे आरोपित हिंसक हो गए। उन्होंने घर पर अपना धार्मिक झंडा फहराया और उसकी 16 साल की बेटी के साथ ��ौन शोषण किया। उन्होंने लड़की के कपड़े खींचते हुए कहा कि वे उससे शादी करेंगे और फिर उसे ईसाई बना देंगे। महिला ने कहा कि आरोपितों ने ग्रामीणों को उसके परिवार के खिलाफ भी भड़काया। गुमला ईसाई मिशनरियों का धर्म परिवर्तन का केंद्र रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पिछले साल लॉकडाउन के दौरान ईसाई मिशनरियों ने बड़ी संख्या में लोगों का धर्म परिवर्तन कराया था।
🚩इस घटना से आप समझ सकते हैं कि मिशनरी के आदमी धर्मांतरण करवाने के लिए शाम-दाम, दंड-भेद अपना रहे हैं; कितने क्रूर होते हैं- यह आपने जान लिया। इनका एजेंडा है- भारत में धर्मांतरण करके अपना वोटबैंक बढ़ाना और राज करना, इसलिए देशवासी इनसे सावधान रहें।
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bollywoodpapa · 3 years ago
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पिता की अंतिम यात्रा में शामिल होने के लिए 2 रुपये भी नहीं थे, फिर माँ ने चूड़ी बेचकर बना दिया बेटा को IAS!
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पिता की अंतिम यात्रा में शामिल होने के लिए 2 रुपये भी नहीं थे, फिर माँ ने चूड़ी बेचकर बना दिया बेटा को IAS!
दोस्तों जिनमे अपने लक्ष्य को हासिल करने का ज़ज़्बा होता है वो हर परिस्थिति से लड़कर अपना लक्ष्य हासिल करते हैं। ऐसी ही एक संघर्ष भरी कहानी हैं झारखण्ड कैडर के आईएएस अधिकारी रमेश घोलप की। जिन्हे इस वक्त राज्य सरकार ने झारखंड राज्य कृषि विपणन पार्षद, रांची के प्रबंध निदेशक पद पर पदस्थापित किया है साथ ही अगले आदेश तक झारखंड राज्य सहकारी बैंक लिमिटेड, रांची के प्रशासक का अतिरिक्त प्रभार सौंपा है। बचपन में कभी मां के साथ सड़क पर चूड़ी बेचने वाले रमेश आज आईएएस अफसर है। कठिन परिस्थितियों में इस मुकाम को हासिल करने वाले रमेश की कहानी बेहद संघर्ष से भरी रही है। रमेश घोलप का जन्म महाराष्ट्र के सोलापुर में हुआ। जिंदगी बदलने का सही ढंग कोई इनसे सीखे। एक ऐसा भी समय था जब इन्होंने अपनी मां के साथ चूड़ियां बेचीं थी। महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के वारसी तहसील के महागांव में जन्मे रमेश ने जब होश संभाला तो पाया कि परिवार दो समय की रोजी के लिए भी जंग लड़ रहा है।
रमेश के पिता एक साइकिल रिपेयरिंग की दुकान चलाते थे। इस दुकान में रमेश के परिवार की रोटी चल सकती थी। जिस उम्र में बच्चे खेलते हैं उस समय में रमेश ने संघर्ष शुरू कर दिया। उन्होंने कभी भी हार नहीं मानी। कभी अपनी आर्थिक स्थिति का रोना नहीं रोया। रमेश घोलप की सफलता की कहानी हर किसी के लिए प्रेरणा से कम नहीं है। गरीबी के दिन काटने वाले रमेश ने अपनी जिंदगी से कभी हार नहीं मानी और आज युवाओं के लिए वह एक मिसाल बन गए। गरीबी से लड़कर आईएस बने रमेश ने पिछले साल बतौर एसडीओ बेरमो में प्रशिक्षण प्राप्त किया। इन्होंने अभाव के बीच आईएएस बनने का ना सिर्फ सपना देखा बल्कि इसे अपनी मेहनत से सच कर दिखाया।
रमेश घोलप ने अपनी पढ़ाई को हमेशा जारी रखा था। उन्होंने खुद को मजबूत बना लिया था। परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी इसलिए बचपन में मां के साथ दिनभर चूड़ी बेच��े थे। रमेश घोलप मौसी के इंदिरा आवास में ही रहते थे। बोर्ड परीक्षा से 1 माह पूर्व पिता जी का देहांत हो गया। पिताजी के गुजर जाने के बाद वह पूरी तरह टूट गए थे। विकट परिस्थिति में परीक्षा दी और अच्छे अंक हासिल किए। उनकी मां को सामूहिक योजना के तहत गाय खरीदने के नाम पर लोन मिल गया। इस लोन के पैसे से उन्होंने पढ़ाई जारी रखी। फिर इस पैसे को लेकर वह तहसीलदार की पढ़ाई करने लगे। बाद में इसी पैसों से आईएएस की पढ़ाई की। तंगहाली में जी रहे रमेश घोलप ने दीवारों पर नेताओं की घोषणाओं लिखने का काम किया, दुकानों का प्रचार किया, शादी की पेंटिंग की और पढ़ाई के लिए पैसे इकट्ठा किया।
रमेश के जीवन में परेशानी इसलिए भी अधिक थी क्योंकि बहुत ही कम उम्र में उनके बाएं पैर में पोलियो हो गया था। पैसे की कमी को विकलांगता का साथ भी मिल गया था। पर कहते हैं ना कि किस्मत उनकी भी होती है जिनके हाथ नहीं होते। उनके कदम रुकने वाले नहीं थे। उन्होंने कभी अपनी कमजोरी सामने नहीं आने दी। हर परिस्थिति से डटकर मुकाबला करते रहे थे। हमेशा तकलीफ के बाद भी मुस्कुरा कर आगे बढ़े। रमेश ने अपनी इस कमजोरी को भी अपनी सफलता के रास्ते में आने नहीं दिया। रमेश के पिता गोरख की साइकिल पंचर की दुकान थे दुकान में ऐसे ही कमाई खास नहीं होते थे। दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं होती थी। रमेश के गांव में पढ़ाई की कोई खास व्यवस्था नहीं थी गांव में शिक्षा के संसाधनों की कमी थी। इसलिए वह अपने चाचा के पास बरसी में पढ़ रहे थे। उस समय बरसी में उनके गांव का किराया मात्र 7 रुपये था। विकलांग होने की वजह से रमेश को केवल 2 रुपये देना पड़ता था। लेकिन रमेश के पास उस समय 2 भी नहीं थी। पड़ोसियों ने पैसे दिए थे तब जाकर वह अपने  पिता के अंतिम यात्रा में शामिल हो पाए थे।
पिता के देहांत के बाद पेट पालने की जिम्मेदारी बढ़ गई थी। मां ने परिवार पालने की जिम्मेदारी खुद उठाई। ऐसे में रमेश की मां सड़क किनारे चूड़ियां बेचकर गुजारा करने लगी। रमेश ने भी मां के काम में साथ दिया और उन्होंने भी चूड़ियां बेची। लेकर उन्होंने पढ़ाई पूरी से कभी दूरी नहीं बनाई। रमेश घोलप की कहानी से हमें प्रेरणा मिलती है कि जो भी सपना देखो उसके पीछे पड़ जाओ। कभी भी परिस्थिति का रोना मत रो। हर पल मुस्कुरा कर आगे बढ़ते चलो। जिसे सच में कुछ बड़ा हासिल करना होता है वह रास्ते में आने वाली किसी परेशानी को नहीं देखता बस अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित रहता है। वरना रमेश का पूरा जीवन ही ऐसी दुखद घटनाओं से भरा पड़ा है। अगर वे उन परेशानियों को देखते तो शायद आज वह डीसी नहीं होते।
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abhay121996-blog · 4 years ago
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बेरोजगारों की कतार में 40 लाख, त्यागपत्रितों के 6 हजार पद खाली, न भर्ती-न परीक्षा Divya Sandesh
#Divyasandesh
बेरोजगारों की कतार में 40 लाख, त्यागपत्रितों के 6 हजार पद खाली, न भर्ती-न परीक्षा
जयपुर। राजस्थान में बेरोजगारी दूर करने के लिए गहलोत सरकार ने भले ही रीट समेत अन्य कई परीक्षाओं के लिए तिथियां तय कर ली हो, लेकिन सरकारी विभागों में नियुक्ति और भर्ती को लेकर खींचतान बनी हुई है। प्रदेश के विभिन्न विभागों में 6 हजार से अधिक त्यागपत्रित पदों के खाली पड़े हैं। जिनमें पद रिक्त रह जाने के बावजूद भी किसी न किसी वजह से पदों को भरा नहीं जा रहा है और युवा वर्ग अच्छे दिनों का इंतजार कर रहा है।
कोरो��ा संकट के इस विकट दौर में भर्ती परीक्षाओं की प्रक्रिया अब धीरे-धीरे अनलॉक हो रही है। इसके बावजूद प्रदेश के लाखों बेरोजगारों के सपने लॉक है। भर्ती परीक्षाओं की प्रक्रिया सुचारू नहीं होने से बेरोजगार युवा मायूस हैं। कई पुरानी भर्तियां ऐसी भी हैं, जिनमें काफी पद रिक्त हैं। ऐसा ही एक मामला त्यागपत्रित पदों पर नियुक्ति से जुड़ा हुआ है। इस संबंध में एक नियम बनने से हजारों युवाओं का नौकरी का सपना भी अनलॉक हो सकता है।
जिन पदों पर चयन होने के बाद कोई अभ्यर्थी किसी भी कारण से वह नौकरी छोड़ देता है या उसका निधन हो जाता है, तो ऐसे पदों को त्यागपत्रित कहा जाता है। ऐसे रिक्त हुए पदों पर वरीयता सूची में जगह बनाने वाले अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने की मांग लंबे समय से की जा रही है, लेकिन अभी तक सरकार ने इस संबंध में कोई रुचि नहीं दिखाई है। ऐसे में हजारों युवाओं का सरकारी नौकरी पाने का सपना अभी पूरा नहीं हो पाया है। त्यागपत्रित पद और उन पर नियुक्ति की बेरोजगारों की मांग को एक उदाहरण से आसानी से समझा जा सकता है।
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राज्य सरकार ने 2018 में वरिष्ठ अध्यापक भर्ती और स्कूल व्याख्याता भर्ती एक साथ निकाली थी। पूरी प्रक्रिया संपन्न होने के बाद सरकार की ओर से वरिष्ठ अध्यापक के पदों पर पहले नियुक्ति दे दी गई। इसके बाद स्कूल व्याख्याता के पदों पर नियुक्ति दी गई। 
वरिष्ठ अध्यापक की नियुक्ति लेने वाले कई अभ्यर्थी ऐसे थे जिनका स्कूल व्याख्याता के पद पर चयन हो गया। ऐसे में उन्होंने वरिष्ठ अध्यापक के पद से त्यागपत्र देकर स्कूल व्याख्याता के पद पर ज्वॉइनिंग ले ली। इसके चलते वरिष्ठ शिक्षक के करीब 1352 पद खाली रह गए। इन पदों पर प्रतीक्षा सूची जारी करने की मांग लगातार की जा रही है और सोशल मीडिया पर अभियान भी चलाया जा रहा है।
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जानकार बताते हैं कि प्रदेश की विभिन्न भर्तियों पर त्यागपत्रित वेटिंग का नियम लागू किया जाए, तो महज 11 भर्तियों में ही 6 हजार पद भरे जा सकते हैं। जानकार बताते हैं कि सरकार कई भर्ती परीक्षाओं की प्रक्रिया एक साथ पूरी करवाती है। ऐसे में कई अभ्यर्थी एक से ज्यादा परीक्षाओं में आवेदन कर देते हैं। 
ऐसे में किसी अभ्यर्थी को जिस भर्ती में पहले नियुक्ति मिलती है, वह ज्वॉइन कर लेता है। फिर यदि उसका चयन किसी अन्य भर्ती परीक्षा में भी हो जाता है तो वह त्यागपत्र देकर दूसरी नौकरी ज्वॉइन कर लेता है। ऐसे में उसका पहले वाला पद रिक्त होता है और वह लंबे समय तक खाली ही पड़ा रहता है।
राजस्थान बेरोजगार एकीकृत महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष उपेन यादव का कहना है कि सरकार को एक निश्चित क्रम और तय कैलेण्डर के अनुसार भर्ती परीक्षाओं का आयोजन करना चाहिए। मसलन, पहले आरएएस, स���कूल व्याख्याता, वरिष्ठ शिक्षक और अंत में शिक्षक ग्रेड-3 की भर्ती होनी चाहिए। 
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इससे एक भर्ती में चयनित अभ्यर्थी के त्यागपत्र देकर दूसरी भर्ती में जाने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगेगा। राजस्थान के पड़ोसी राज्यों हरियाणा, दिल्ली, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में यह नियम है कि नियुक्ति से एक साल के भीतर कोई त्याग पत्र देता है, तो उन पदों को प्रतीक्षा सूची से भरा जाता है। 
इसी तरह का नियम राजस्थान में भी बनाने की मांग लंबे समय से की जा रही है। इसे लेकर बेरोजगार पहले धरातल पर संघर्ष कर रहे थे और अब कोरोना संकट के चलते सोशल मीडिया पर अभियान छेड़ रखा है। 
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इसके साथ ही बेरोजगार अभ्यर्थी कांग्रेस के विधायकों से मिलकर उनसे मुख्यमंत्री को इस संबंध में नियम बनाने के लिए पत्र भी लिखवा रहे हैं। बेरोजगारों का दावा है कि अब तक वे कांग्रेस के 55 विधायकों से पत्र लिखवा चुके हैं।
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supermamaworld · 4 years ago
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प्रेम विवाह के लिए माता पिता को समझाने के टोटके, प्रेम विवाह के लिए अड़चनों की शुरूआत या कहें अधिक विरोध घर-परिवार से ही होती है। ज्यादातर मामलों में लड़की को जबरदस्त विरोध झेलना पड़ता है। कभी जाति-विरादरी, तो कभी धर्म और अमीरी-गरीबी के ऊंच-नीच को लेकर प्रेमी युगल को मुश्किलों के दौर से गुुजरना होता है। प्रेम विवाह के लिए माता पिता को समझाने के टोटके प्रेम विवाह के लिए माता पिता को समझाने के टोटके उनके द्वारा कई विकट परिस्थतियां पैदा कर दी जाती हैं। वे अपनी मनमर्जी की शादी नहीं कर पाते हैं। ऐसे में माता-पिता को शादी के लिए राजी करने के कई टोटके बताए गए हैं। इसके अचूक प्रभाव से मां-बाप का मन पसीज जाता है और वे अपनी संतान की खुशी की खातिर अंततः प्रेम-विवाह के लिए राजी हो जाते हैं। टोटके पूजा-पाठ, मंत्र जाप और विभिन्न वस्तुओं के साथ किए जाते हैं। तीन माह तक मंत्र-जाप विरोधी तेवर अपनाए हुए नाराज चल रहे मां-बात का मनाने के लिए तीन माह तक लगातार मंत्र जाप करना चाहिए। भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की तस्वीर के आगे प्रातः सूर्योदय से पहले बैठकर उनकी पूजा शुक्ल पक्ष के गुरुवार से करनी चाहिए। दोनों एक ही समय में उनको खुश करने के मंत्र ऊँ लक्ष्मी नारायणाय नमः! का जाप स्फटिक की माला से 324 बार करें। मंत्र-जाप पूरे होने पर मंदिर में जाकर प्रसाद चढ़ाएं और विवाह के सफलता की प्रार्थना करें। लड़की को चाहिए कि प्रत्येक गुरुवार को व्रत रखे और बृहस्पति की मंत्र के साथ पूजा करे। इसके अतिरिक्त उन्हें टाटके के तौर पर बृहस्पतिवार को पीले वस्त्र दान करने चाहिए। इस पूजा और टोटके का असर एक माह के भीतर ही दिखने लगता है। अपनी संतान की खुशियों के आगे उन्हें झुकना ही पड़ता है। प्रेम-विवाह का वशीकरण यदि कोई लड़की अपनं मनपसंद लड़के से विवाह करना चाहती है, लेकिन लड़के के घरवाले से अधिक अपने घरवाले विरोध कर रहे हों ता उसे निम्नलिखित विधियों का प्रयोग करते हुए प्रेम-विवाह का वशीकरण मंत्र जाप करना चाहिए। लड़की को चाहिए कि वह सबसे पहले अपने प्रेमी को अपने विश्वास में ले। उसे भी अपने स्तर से अपने माता-पिता को विवाह के लिए राजी करने की सलाह दे। प्रेमी को भी नीचे दिए गए कामदेव मंत्र का 108 बार जाप करने को कहे। मंत्र इस प्रकार है- नमः कामदेवाय सहकल सह्द्रश सहमसहलिये वन्हे धुनन जन्मदर्शनम उत्कंठित कुरु-कुरु, दक्ष दक्शु धर कुसुम वानेन हन हन स्वाहा! इस जाप को प्रातः सूर्योदय से पहले ही कर लें। दिन में एक बार प्रेमी या उसके माता-पिता से संपर्क करने की अवश्य कोशिश करें। लड़की कम से कम किसी बहने से प्रेमी की मा https://www.instagram.com/p/CH_tXU6AlOC/?igshid=1ithq53sxgx8i
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merisahelimagazine · 5 years ago
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कहानी- मूल्यांकन (Short Story- Mulyankan)
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अपने जीवन में मैंने कई बुज़ुर्गों को उपेक्षित जीवन जीते देखा है. जब घर बनवाया, तभी सोच लिया था कि पापाजी को सबसे बड़ा, सुंदर और आरामदायक कमरा देंगे, पर इस चक्कर में हमने पापाजी को कमरे से ही बांध दिया. साथ ही अकेलेपन से भी.
“मम्मीजी, नेहा दीदी का फोन है.” स्वरा की आवाज़ पर नलिनी ने फोन हाथ में लिया. ‘हेलो’ कहते ही नेहा की घबराई-सी आवाज़ आई, “मम्मी, एक प्रॉब्लम हो गई है.  मां बाथरूम में गिर गई हैं. उनके बाएं हाथ में फ्रैक्चर आया  है.”
“अरे! कैसे... कहां... कब... अभी कैसी हैं? कोई है उनके पास...” नेहा की ‘मां’ ��ानी सास के गिरने की ख़बर सुनकर नलिनी ने एक साथ कई सवाल पूछ डाले, तो प्रत्युत्तर में नेहा रोनी आवाज़ में बोली, “वो इंदौर में ही हैं. आज रात उन्हें अहमदाबाद के लिए चलना था. उन्हें हाथ में फ्रैक्चर हुआ है. अब कैसे आएंगी. मम्मी, अब मेरा क्या होगा... दो हफ़्ते बाद सलिल को कनाडा जाना है और अगले हफ़्ते मेरी डिलीवरी है. मम्मी, आप आ पाओगी क्या?”
नेहा के पूछने पर नलिनी एकदम से कोई जवाब नहीं दे पाई. एक महीने पहले ही बेटे का ब्याह किया है. नई-नवेली बहू को देखते हुए ही प्रोग्राम तय हुआ था कि डिलीवरी के समय नेहा की सास अहमदाबाद आ जाएंगी और एक-डेढ़ महीना रुककर वापस आएंगी, तब वह जाएगी. ऐसे कम से कम ढाई-तीन महीने तक नेहा और उसके बच्चे की सार-संभाल हो जाएगी.
“तू घबरा मत, देखते हैं क्या हो सकता है.” नेहा को तसल्ली देकर नलिनी ने फोन रखा और प्रेग्नेंट बेटी की चिंता में कुछ देर यूं ही बैठी रही. परिस्थिति वाकई विकट थी. समधनजी के हाथ में फ्रैक्चर होने से उनके साथ-साथ सबके लिए मुश्किलें बढ़ गईं.
क्या-कैसे होगा इस चिंता से उन्हें बहू स्वरा ने उबारते हुए कहा,  “मम्मीजी आप दीदी के पास अहमदाबाद चली जाइए.  मैं यहां सब संभाल लूंगी.”
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नलिनी के हिचकने पर उसके ससुर भी  बोले, “इतना सोचनेवाली कौन-सी बात है. नील तो है यहां... अब तो स्वरा भी है. तुम और उपेन्द्र तुरंत निकलो.”
“पर पापाजी, आप कैसे रहेंगे? आपकी देखभाल, परहेज़ी खाना...”
“सब हो जाएगा, मेरे बहू-बेटे नहीं होंगे तो क्या, तुम्हारे बेटा-बहू तो हैं ना.”
“अरे पापाजी, नील को तो ऑफिस से ़फुर्सत नहीं है और इसे आए अभी महीनाभर ही हुआ है. इनके भरोसे कैसे...” नलिनी हिचकिचाई, तो 80 बरस के बूढ़े ससुरजी हंसते हुए बोले, “मैं कोई छोटा बच्चा हूं, जो अपनी देखभाल न कर पाऊं... और न स्वरा बच्ची है, जो घर न संभाल पाए. तुम्हारी शादी हुई थी, तब तुमने 20 बरस की उम्र में सब संभाल लिया था. और तुम्हारी सास तो 16 बरस की ही थी, जब ब्याहकर आई थी. अरे, स्वरा कैसे नहीं संभालेगी घर... क्यों स्वरा, संभालेगी न?”
“हां जी, दादाजी...” क्या कहती स्वरा और क्या कहती नलिनी अपने ससुर को कि तब के और आज के ज़माने में बहुत फ��र्क़ है. नलिनी का सिर अपने ससुर के सामने श्रद्धा से झुक गया.
विपरीत परिस्थितियों के चलते ‘मैं ख़ुद को संभाल लूंगा.’ कहकर उसका मनोबल बढ़ा रहे हैं, जबकि वह जानती है कि पापाजी  को बाथरूम तक जाना भारी पड़ता है. पापाजी और घर की ज़िम्मेदारी स्वरा के भरोसे  छोड़ने में उन्हें डर ही लग रहा था. आजकल की लड़कियां क्या जानें घर की सार-संभाल... पर पापाजी और परिस्थितियों के आगे वह विवश थी.
यूं तो स्वरा एक महीने से घर में है, पर अधिकतर समय तो मायके-हनीमून और घूमने-फिरने में ही निकल गया. वह स्वयं बेटे की शादी के बाद बड़े प्रयास से घर की व्यवस्था पुरानी पटरी पर लौटा पाई थी. अब यूं अचानक घर छोड़-छाड़कर अहमदाबाद के लिए निकलने को मन नहीं मान रहा था, पर मौ़के की नज़ाकत समझते हुए घर की व्यवस्था-पापाजी के परहेज़ों और दवाइयों के बारे में  नील-स्वरा को समझाकर वह और उपेन्द्र तुरंत हवाई जहाज से अहमदाबाद के लिए निकल गए. नौवें महीने के आख़िरी हफ़्ते में कब डिलीवरी हो जाए, कुछ पता नहीं.
मम्मी-पापा को देखकर नेहा का सारा तनाव छूमंतर हो गया. उनके पहुंचने के चार दिन बाद ही उसने पुत्री को जन्म दिया. कुछ दिनों बाद दामाद सलिल कनाडा चले गए. नलिनी ने घर की सारी व्यवस्था संभाल ली और उपेन्द्र ने बाहर की. नेहा और नन्हीं परी के बीच समय कैसे निकलता, कुछ पता ही नहीं चलता. भोपाल फोन करने पर पापाजी- ‘यहां की चिंता मत करो सब ठीक है’ कहकर तसल्ली दे देते.
40 दिन बाद नेहा ने नलिनी से कहा, “मम्मी, अगले हफ़्ते सलिल आ जाएंगे. मैं भी चलने-फिरने लगी हूं. आप चाहो, तो भोपाल चली जाओ.” यह सुनकर नलिनी ने राहत की सांस ली. मन तो घर में अटका ही था, सो नेहा के कहने पर दो दिन और रुककर नलिनी ने वापसी का टिकट करवा लिया. साथ ही उपेन्द्र और नेहा को कह दिया कि उनके भोपाल पहुंचने की ख़बर पापाजी, नील-स्वरा को कतई न दें. सरप्राइज़ का मज़ा रहेगा.
सरप्राइज़ की बात सुनकर नेहा ख़ुशी-ख़ुशी मान गई, पर उपेन्द्र पहुंचने की सूचना न देने से कुछ असहज थे.
रास्ते में ट्रेन में उन्होंने इस बाबत नलिनी से बात की, तो वह बोली, “पहली बार स्वरा के भरोसे पापाजी और घर की ज़िम्मेदारी छोड़ी है. पापाजी-नील तो सीधे-सादे हैं, जब भी फोन किया ‘सब ठीक है, चिंता मत करो’ कहते रहे. अचानक पहुंचने पर स्वरा का असली मूल्यांकन हो पाएगा कि वो घर संभालने में कितनी सक्षम और घरवालों के प्रति कितनी संवेदनशील है.
यह सुनकर उपेन्द्र अवाक रह गए. नलिनी के फोन न करने के पीछे छिपी मानसिकता का उन्हें ज़रा भी भान नहीं था. वो तो समझे बैठे थे कि नलिनी अचानक पहुंचकर उन्हें सुखद आश्‍चर्य में डुबोने का मंतव्य रखती है.
बिना किसी को सूचित किए उपेन्द्र और नलिनी घर पहुंचे, तो ख़ुद सरप्राइज़ हो गए, जब घर में ताला लगा देखा. बाहर का गेट किराएदार ने खोला और बताया कि सब लोग सुबह से ही बाहर हैं. घर के बरामदे में उन्हें बैठाकर वह चाभी लेने चला गया. आसपास नज़र दौड़ाते नलिनी-उपेन्द्र बेतरह चौंके, जब उन्होंने पापाजी के कमरे की बेंत की आरामकुर्सी और मेज़ बरामदे में रखी देखी.
किराएदार से चाभी लेकर ताला खोला, तो सकते में आ गए. पापाजी के कमरे में परदे और पेंटिग्स के अलावा कुछ नहीं था. दीवान-आलमारी सब बरामदे से लगे छोटे-से गेस्टरूम में आ चुके थे. कमरे का हुलिया देखकर नलिनी को बहुत ग़ुस्सा आया. कितने सुरुचिपूर्ण ढंग से पापाजी का कमरा सजाया गया था. सुंदर परदे, पेंटिंग्स, केन की कुर्सियां, जिसमें मखमल की गद्दी लगी हुई थी. अख़बार रखने के लिए तिपाई... एक छोटा टीवी... सारी सुविधा से संपन्न बुज़ुर्ग आज उसकी अनुपस्थिति में गेस्टरूम में पहुंच गए थे.
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“कल की आई लड़की की हिम्मत देखो उपेन्द्र, पापाजी का ये हाल किया, तो हमारा क्या हाल करेगी बुढ़ापे में.” आवेश में बड़बड़ाती हुई नलिनी पूरे घर में घूम आई थी. बाकी घर का हुलिया ठीक-ठाक ही था... नील के ऊपर भी उसे बहुत क्रोध आया.
उसी समय नलिनी से मिलने बगलवाली पड़ोसन आ गई. नलिनी को देखकर वह बोली, “तुम्हें ऑटो से उतरते देखा तो चली आई. अच्छा हुआ तुम आ गई. तुम नहीं थी, तो तुम्हारे ससुर का तो बड़ा बुरा हाल था.
एक-दो बार आई मिलने तभी जाना कि तुम्हारी नई-नवेली बहू ने उन्हें अपने कमरे से बेदख़ल कर दिया है. मैं तो अक्सर उन्हें बरामदे या लॉन में भटकते देखती थी. अब हम लोग तो उसे कुछ कह नहीं सकते, वैसे भी आजकल की लड़कियां किसकी सुनती हैं. कहीं पलटकर मुझे कुछ कह देती तो भई, मैं तो न सह पाती. बस, तुम्हारे ससुर को देखकर बुरा लगता था. तुम लोगों ने उन्हें इतने आदर से रखा, पर तुम्हारी बहू ने तो...” वह बोल ही रही थी कि पापाजी की रौबदार आवाज़ आई, “बेटाजी, आप मेरे लिए इतना परेशान थीं, यह जानकर बड़ा अच्छा लगा, पर अपनी परेशानी मुझसे साझा कर लेतीं, तो ज़्यादा अच्छा होता.”
यह सुनकर पड़ोसन हकबका गई और नलिनी सिर पर आंचल रखकर ससुरजी के पांव छूने लगी.
“��प कहां गए थे पापा? और अकेले कहां से आ रहे हैं?”
“अकेला नहीं हूं स्वरा है बाहर. कोई जाननेवाला मिल गया है, उससे बात करने लगी है. पर ये बताओ, तुम लोग आनेवाले हो, ये किसी को बताया क्यों नहीं?” पापाजी ने पूछा तो उपेन्द्र बगले झांकते हुए बोले, “नलिनी आप लोगों को सरप्राइज़ देना चाहती थी.”
उपेन्द्र की बात सुनकर पापाजी कुर्सी से अपनी छड़ी टिकाते बोले, “सरप्राइज़ तो हम अच्छे से हो गए, पर जान जाते तुम लोग आनेवाले हो, तो डॉक्टर का अपॉइंटमेंट न लेते. घर पर ही मिलते.”
“सब ठीक तो है पापा...?” उपेन्द्र ने चिंता से पूछा, तो वह बोले, “सब ठीक है भई, डायबिटीज़ कंट्रोल में है.”
“पापाजी आप यह��ं कैसे आ गए? मतलब, इस छोटे से गेस्टरूम में.” नलिनी के पूछने पर वह बोले, “अरे, अभी इन्होंने तो बताया कि तुम्हारी बहू ने मुझे यहां भेज दिया और हां बेटाजी...” अब पापाजी पड़ोसन से मुखातिब थे, “तुम जो अभी मेरी बहू के कान भर रही थी कि मुझे मेरे कमरे से बेदख़ल कर दिया गया, तो सोचो, ऐसी हालत में तो मैं यहां दुखी-ग़मगीन-सा दिखता... और बेटे-बहू की नाक में दम न कर देता कि जल्दी आओ...”
“सॉरी अंकलजी, मैंने जो महसूस किया, सो कह दिया नलिनी से.”
“द़िक्क़त यही है, हम जो महसूस करते हैं, वो सही पात्र से नहीं कहते. तुमने जो महसूस किया, उसकी चर्चा मुझसे कर लेती तो ठीक रहता. अब देखो, जैसे मैं अपने बेटे-बहू से नहीं कह पाया कि मेरे बड़े से कमरे में मुझे अकेलापन लगता है.
नलिनी-उपेन्द्र ने इस घर का सबसे अच्छा कमरा मुझे दिया. इतने प्यार से सजाया-संवारा, पर सच कहूं तो कमरे से बरामदे और लॉन के बीच की दूरी के चलते आलसवश टहलना छूट गया.”
“अरे, तो ये बात पहले क्यों नहीं कही पापाजी?”
नलिनी के कहने पर पापाजी भावुक होकर बोले, “संकोचवश न कह पाया. कैसे कहता बेटी, जिस कमरे के परदे के सेलेक्शन के लिए तुम दस दुकानें घूमी हो, जिसके डेकोर के लिए तुम घंटों नेट के सामने बैठी हो, उस कमरे के लिए कैसे कह देता कि मुझे यहां नहीं रहना है. तू तो मेरी प्यारी बहू है, पर तेरी बहू तो मेरी मां बन गई. वह तो सीधे ही बोली, ‘दादाजी, आप दिनभर कमरे में क्यों बैठे रहते हैं. आलस छोड़िए, बैठे-बैठे घुटने और ख़राब हो जाएंगे.’ उसने मेरे कमरे से
कुर्सी-मेज़ निकलवाकर बरामदे में डलवा दिया. मैंने कहा कि लेटने के लिए कमरे तक जाना भारी पड़ता है, तो यह सुनकर तुम्हारी बहू बोली, ‘दादाजी जब तक सर्दी है, तब तक के लिए गेस्टरूम में शिफ्ट हो जाएं.’ मुझे भी सही लगा. आराम करने की तलब होने पर बरामदे और लॉन से गेस्टरूम आना सुविधाजनक था. गेस्टरूम से लॉन-बरामदा सब दिखता है. जब मन करता है बरामदे में टहल लेता हूं... जब इच्छा हो, लॉन में पेड़-पौधे, फूल-पत्तियां देख लेता हूं... कि��ाएदार के बच्चे खेलते हैं, तो उनकी आवाज़ मन में ऊर्जा भर देती है. किराएदार के बच्चे नीचे खेलने आते हैं, तो दो बातें उनसे भी कर लेता हूं... छोटावाला तो रोज़ नियम से शाम छह बजे लूडो ले आता है. बुरा न मानना बेटी, ये कमरा छोटा ज़रूर है, पर इसमें पूर्णता का एहसास है. चलने-फिरने  में गिरने का डर नहीं रहता  है. आसपास खिड़की-दरवाज़े, मेज़-कुर्सी का सहारा है. छड़ी की ज़रूरत नहीं.”
“अरे वाह! मम्मीजी आ गईं...” सहसा स्वरा का प्रफुल्लित स्वर गूंजा. पैर छूते हुए वह चहकी, “अरे, बताया नहीं कि आप आ रहे हैं. पता होता तो आज हम हॉस्पिटल न जाते.”
नलिनी चुप रही, तो पापाजी बोले, “तुम्हारी मम्मी तुम्हें सरप्राइज़ देना चाहती थीं.”
स्वरा चहकते हुए बोली, “आज सरप्राइज़ का दिन है क्या...? मम्मीजी पता है दादाजी की सारी रिपोर्ट्स नॉर्मल आई हैं.”
“देख लो, मेरी सैर रंग लाई.”
पापाजी के कहने पर स्वरा बोली, “मम्मीजी, बड़े जोड़-तोड़ किए दादाजी को टहलाने के लिए... रोज़ हम कहते टहलने को, तो दादाजी आज-कल कहकर टाल देते और अपने कमरे में बंद रजाई ओढ़े ठिठुरते रहते थे. बस, एक दिन इलाज निकाला पापाजी की रजाई और दीवान कमरे से हटाकर यहां डाल दी. अब प्यासे को कुएं के पास तो जाना ही था. इस कमरे के पास बरामदा होने से इनका अड्डा यहीं जमने लगा है. बरामदे और लॉन की पूरी धूप वसूलते हैं.” स्वरा हंस रही थी, पापाजी मुस्करा रहे थे, पर नलिनी मौन थी. उसे गंभीर देखकर स्वरा की हंसी थम गई.
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वह कान पकड़ते हुए बोली, “सॉरी मम्मी, नील ने पहले ही कहा था कि मेरी हरकत पर मुझे ख़ूब डांट पड़नेवाली है. सोचा था जब आप आएंगी, तब तक जनवरी की कड़ाके की सर्दी निकल जाएगी. आपके आने से पहले सारी व्यवस्था पहले जैसी कर दूंगी. पर आप तो बिना बताए आ गईं और मेरी ख़ुराफ़ात पकड़ी गई.”
यह सुनकर नलिनी गंभीरता से बोली, “बताकर आती, तो मूल्यांकन कैसे करती.”
“किस बात का?” स्वरा ने अचरज से पूछा, तो नलिनी बोली, “सिक्के के दूसरे पहलू का मूल्यांकन... सिक्के का एक पहलू सही तस्वीर नहीं दिखाता है ये आज जान लिया. अपने जीवन में मैंने कई बुज़ुर्गों को उपेक्षित जीवन जीते देखा है. जब घर बनवाया, तभी सोच लिया था कि पापाजी को सबसे बड़ा, सुंदर और आरामदायक कमरा देंगे, पर इस चक्कर में हमने पापाजी को कमरे से ही बांध दिया. साथ ही अकेलेपन से भी. इसका तोड़ निकालना पड़ेगा. सर्दी तक तो यहां ठीक है,  पर गर्मियों में पुराने कमरे में रहेंगे पापाजी. पापाजी के पुराने कमरे में लाइब्रेरी शिफ्ट करके एक छोटा-सा सोफा और क्वीन साइज़ बेड लगा देंगे. आने-जानेवाले पापाजी के कमरे में बैठेंगे, ताकि वहां रौनक़ भी रहे और बड़ा कमरा छोटा भी लगे और पापाजी का दिल भी लगा रहे.”
“अरे वाह! मम्मीजी, ये तो और भी बढ़िया आइडिया है. वैसे दादाजी दिन में यहां और रात को वहां सो सकते हैं.”
“ये लो जी, एक और आइडिया.” उपेन्द्र हंसकर बोले, तो पापाजी बनावटी दुख के साथ कहने लगे, “इसका मतलब है कि मुझे दोनों कमरों की देखभाल करनी होगी.”
स्वरा हंसकर बोली, “और नहीं तो क्या. इसी बहाने आपका एक कमरे से दूसरे तक चलना-फिरना तो होगा. कम से कम ये तो नहीं कहेंगे, हाय मेरा घुटना जाम हो गया.” अपनी नकल करती स्वरा को देख पापाजी मुस्कुराकर बोले, “नलिनी, तेरी बहू बहुत शरारती है.”
यह सुनकर नलिनी तपाक से बोली, “मेरी बहू नहीं पापाजी, आपकी मां...” सब हंसने लगे.
इस बीच किराएदार के बच्चों की गेंद बरामदे में आ गई, जो पापाजी दो कदम चलने से कतराते थे, वह बच्चों की गेंद उठाने के लिए लॉन की ओर बढ़ रहे थे. नलिनी-उपेन्द्र के लिए यह दृश्य सुखद था.
“आंटीजी, आप चाय पियेंगी?” स्वरा ने पड़ोसन से पूछा, तो वह ‘घर में काम बहुत है’ कहते हुए उठ गई. शायद उन्हें भी सिक्के के दूसरे पहलू का भान हो गया था. जाती हुई पड़ोसन को नलिनी ने नहीं रोका, उसका ध्यान तो पापाजी की ओर था... जो खिलखिलाते चेहरे के साथ गेंद बच्चों की ओर उछाल रहे थे.
    मीनू त्रिपाठी
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insolubleworld · 3 years ago
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parichaytimes · 3 years ago
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currentnewsss · 3 years ago
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nishith-bhandarkar · 6 years ago
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उर्मिला मार्तोंडकर द्वारा इंडिया टुडे को दिए गए बयान "आज हिन्दू धर्म सबसे अधिक हिंसक हो चूका है, इसलिए मैंने कांग्रेस से जुड़ने का फैसला लिया है, क्या है इसके पीछे का राज? 
यद�� उपरोक्त दावा सही है तो उर्मिला मातोंडकर के इस बयान में न तो कोई अतिशयोक्ति है और न इस बयान को पढ़कर किसी प्रकार के किसी हैरत की बात ही नजर आ रही है. उसने जो कुछ भी कहा, बिल्कुल ठीक कहा है. कई कारण हैं जिससे इस सेलिब्रिटी महिला के बयान को उचित ठहराया जा सकता है,
पहला, फिल्मी दुनिया में सफलता हासिल करने के बाद भी श्रीमती उर्मिला मातोंडकर 42 वर्ष की उम्र तक विवाह से वंचित रहीं. भारतीय संदर्भ में देखें तो किसी भी लड़की/महिला के लिए यह कुंठा का एक बड़ा कारण माना जाता है. मैं उर्मिला का बहुत बड़ा फैन था, फिल्म मासूम से लेकर राम गोपाल की फिल्मों तक. 
दूसरा, अधिक उम्र में विवाह की विवशता देखिए कि उन्हें अपनी सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक पृष्ठभूमि का एक विवाह योग्य लड़का नहीं मिल सका और अंततः थक हार कर उन्होने कश्मीरी मूल के उम्र में अपने से दस वर्ष छोटे मोहसिन अख्तर मीर से शादी कर ली! इस बेमेल से विवाह का एक पहलू यह भी कि मो० मीर साहब, नाम व प्रतिष्ठा में मातोंडकर के सामने कहीं नहीं टिकते.
तीसरा, निकाह के लिए यह पूर्व शर्त है कि पति पत्नी दोनों इस्लाम के अनुयायी हों. ऐसे में उर्मिला के धर्मांतरण को लेकर किसी के मन में कोई संशय नहीं होना चाहिए. इसी तरह इतिहास इस बात का गवाह रहा है कि धर्मांतरण के बाद लोग अपने मूल व पूर्व धर्म के प्रति कहीं अधिक आक्रामक हो उठते हैं. ऐसा इसलिए कि धर्मांतरण संबंधित अपने कुंठित निर्णय को तार्किक ठहराया जा सके !
चौथा, मोहतरमा उर्मिला मातोंडकर मोहसीन मीर अभी अभी कांग्रेस में आई हैं. खुद में सेलिब्रिटी हैं. “हिन्दू आतंकवाद” और “मुस्लिम वोट बैंक” के आलोक में कांग्रेस की राजनैतिक धारा को गति देना इनकी विवशता है. मजबूरी यह कि उन्हें अपनी निष्ठा साबित भी करनी है और इसके लिए भारतवर्ष में धार्मिक ध्रुवीकरण से सहज सरल कुछ भी नहीं है.
पांचवां, अब जबकि मोहतरमा ने विवाह के चक्कर में इस्लाम कबूल कर ही लिया है तो इसे महिमामंडित करना भी उनकी विवशता है. हलाँकि उर्मिला को लेकर इस्लाम ग्रहण करने संबंधी दावे खुद में संदिग्ध हैं क्योंकि वे हिन्दू पिता और मुस्लिम माता की वर्णशंकर संतान हैं. हा��, इस पृष्ठभूमि के आलोक में एक सामान्य से मानवीय व्यवहार का अध्ययन आवश्यक है जिसके अंतर्गत अपने मूल व पूर्व आस्था वाले धर्म को कोसना उनकी मजबूरी बन कर सामने आती रही है. 
अगर इंटरनेट में मिली जानकारी पर विश्वास किया जाये तो बड़ी ही विकट समस्या मेरे दिमाग में उपज रही है कि उर्मिला के पिता का नाम शिविंदर सिंह और माता रुखसाना सुलतान, तो फिर ये मातोंडकर कैसे हो गयी. सिर खुजा खुजा के मैं टकला हो रहा हूँ पर समझ में नहीं आ रही है ये गुत्थी.
और हाँ, भारतवर्ष में हिन्दू समाज हिंसक नहीं है तभी तो मोहतरमा ऐसी हिम्मत दिखाकर न केवल गैरमजहबी शादी कर पा रही हैं बल्कि मूल धर्म का त्याग करते हुए बहुसंख्यकों की आस्था को रौंदने का कारनामा भी दिखा पा रही है. मुझे नहीं पता “उनके” धार्मिक (शरिया) कानून में ऐसे (कु)कृत्य की क्या सजा है जबकि पाकिस्तान, इराक, इरान सहित किसी भी मुस्लिम देश में झांक कर देख लें, मोहतरमा का भ्रम स्वतः टुट जाएगा.
- केदारनाथ दास से साभार
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vsplusonline · 5 years ago
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आंसुओं को थामे बेटी के विवाह की रस्में निभाता रहा पिता, पत्नी को पता नहीं लगने दिया कि उसके मायके के 24 लोग नहीं रहे
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आंसुओं को थामे बेटी के विवाह की रस्में निभाता रहा पिता, पत्नी को पता नहीं लगने दिया कि उसके मायके के 24 लोग नहीं रहे
दुल्हन बनी बेटी बार-बार पूछती रही मामा-मामी कब तक आएंगे, वह समझाता रहा- जल्द आ जाएंगे
सवाई माधोपुर के रमेश की बेटी की शादी में कोटा से भात लेकर आ रहे थे उसकी पत्नी के मायके वाले
बूंदी में मेज नदी में बस गिरने से 24 लोगों की मौत हो गई, नानी की बीमारी का बहाना करके शादी कराई
प्रमोद शर्मा
Feb 26, 2020, 10:45 PM IST
सवाई माधोपुर. बुधवार सुबह सवाई माधोपुर कोटा हाईवे पर मेज नदी में बस गिरने से 24 लोगों की मौत हो गई। हादसे के शिकार सभी लोग सवाई माधोपुर नीम चौकी निवासी रमेश चंद्र की बेटी की शादी में भात लेकर आ रहे थे। इस घटना को जिसने भी सुना वह सन्न रह गया, लेकिन दुल्हन और उसकी मां रात को वरमाला होने तक पूरी तरह सहज तरीके से हर रस्म को विधि-विधान से निभाती दिखाई दीं। कारण था- परिवार के लोगों ने मां-बेटी को इस बात का अहसास भी नहीं होने दिया कि इस शादी में आ रहा उनका पूरा परिवार ही चल बसा है।
पुरानी कहावत है जन्म, मृत्यु और विवाह कभी रुकता नहीं है। यह कहावत बुधवार को सवाई माधोपुर में चरितार्थ हुई। शहर नीमचौकी निवासी रमेश का पूरा परिवार सुबह एक मैरिज गार्डन में शाम को बेटी के विवाह समारोह की तैयारी में मशगूल था और उनकी पत्नी दोपहर में अपने पीहर के लोगों द्वारा आकर भात पहनाने के इंतजार में पलके बिछाए बैठी थी। दुल्हन मामा-मामी, नानी एवं कोटा से आने वाले पूरे परिवार का इंतजार कर रही थी। तभी रमेश को सूचना मिली की बस हाईवे पर मेज नदी की पुलिया से पानी में ��िर गई है और उस में सवार 27 में से 24 लोगों की मृत्यु हो गई है, तो वह गश खा गया। 
बेटी और पत्नी को पता नहीं था कि परिवार खत्म हो गया
मैरिज गार्डन में जिस समय उसे मोबाइल पर यह सूचना मिली उस समय गार्डन के हॉल के शीशों के दूसरी तरफ उसका पूरा परिवार मौजूद था। कोई नाच रहा था तो कोई विवाह पूर्व के रस्मों को निभा रहा था। रमेश की बेटी सीमा (प्रीति) एवं रमेश की पत्नी बादाम सुबह 11 बजे होने वाले भात के कार्यक्रम लिए सजकर तैयार हो रही थी। रमेश सदमे में बेहाल था तो भीतर मां-बेटी एवं बाकी का परिवार खुशियों से झूम रहा था। वहां दर्द और खुशियों के बीच एक कांच की पतली दीवार थी। 
मां-बेटी को नहीं लगने दिया पता कुछ देर में ही वहां मौजूद बाकी रिश्तेदारों को भी इस हादसे का पता चलते ही सब रमेश के पास पहुंचे। दूसरी तरफ जयपुर से बारात रवाना हो चुकी थी। रमेश के रिश्तेदारों ने उसका हौंसला बंधाया और इस विकट घड़ी में धैर्य से काम लेकर बेटी का विवाह करने की सलाह दी, लेकिन सबसे बड़ी चुनौती तो यह थी कि दुल्हन एवं उसकी मां को आखिर किस प्रकार समझाया जाए। सभी ने तय किया कि चाहे जो हो जाए मां-बेटी को इस हादसे की भनक ही नहीं लगने देंगे। सभी ने हाथों हाथ वहां मौजूद महिलाओं की भीड़ को दूर किया। दोनों के पास चार-चार समझदार और जिम्मेदार लोगों को लगाया गया और हर उस आदमी को उनके पास जाने से रोका गया जो उनको इस हादसे के बारे में किसी भी प्रकार बता सकता था। 
बार-बार पूछा भाई भात लेकर क्यों नहीं आए रमेश ने भास्कर को बताया कि उसकी पत्नी एवं बेटी दोपहर 3 बजे तक बार-बार यही पूछती रही कि आखिर सुबह 11 बजे भात लेकर आने वाले उनके भाई एवं मामा आखिर तीन बजे तक भी क्यों नहीं आए हैं। इस पर रमेश एवं उन दोनों के पास मौजूद लोगों ने एक ही बात समझाई कि रमेश की पत्नी बादाम की बुजुर्ग मां की रास्ते में तबियत ज्यादा खराब होने एवं हालत नाजुक होने के कारण भात का कार्यक्रम रोकना पड़ा है। उनका पूरा परिवार वहां नानी के कारण अटक गया है। रमेश ने बताया कि बेटी एवं पत्नी के मोबाइल भी उनसे ले लिए गए थे। इस कारण उनका किसी से सीधा संवाद नहीं हो पाया है।
यह कैसा चेहरा रमेश इस पूरे घटनाक्रम के कारण सुबह दस बजे से रात को बेटी की विदाई तक दोहरा जीवन जीते दिखाई दिए। जब वह बेटी एवं पत्नी के पास जाता तो उसका चेहरा पूरी तरह सहज एवं खुश दिखाई देता था, लेकिन ज्यौं ही वह उनसे दूर होता तो एक कोना या किसी का कंधा देखकर उससे लिपटकर बिलख पड़ता था। दिन में दर्जनों बार उसने इस दोहरे चरित्र को जीया और जिसने भी देखा वह या तो रमेश की हिम्मत की दाद दे रहा था या फिर उसे गले ल��ा कर सांत्वना।
कुछ दिन पहले ही खोया था बेटा जिस समय मीडिया के लोग रमेश से मिलने गार्डन गए तो उसने सभी से हाथ जोड़कर उसका साथ देने का आग्रह किया। सभी ने इस दुख की घड़ी में उसके साथ खड़े होने का विश्वास भी दिलाया और वहां से रवाना हो गए। न तो किसी ने वहां कोई रिकार्डिंग की और न ही कोई फोटोग्राफी की। सभी इस प्रयास मे थे कि किसी भी प्रकार मां-बेटी को इस हादसे की भनक नहीं लगनी चाहिए। इस दौरान रमेश ने बताया कि अभी कुछ महीने पहले ही उसका 20 साल के बेटे की अचानक मौत हुई थी। उसकी दो ही संतान थी। बेटा जाने के बाद उसने अपनी सारी खुशियां बेटी के सपनों को पूरा करने में लगा दी थी, लेकिन जब खुशियां साकार करने का मौका आया तो चारों तरफ अंधेरा छा गया। वह क्या करे समझ नहीं आ रहा है।
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supermamaworld · 5 years ago
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प्रेम विवाह के लिए माता पिता को समझाने के टोटके ! प्रेम विवाह के लिए माता पिता को समझाने के टोटके, प्रेम विवाह के लिए अड़चनों की शुरूआत या कहें अधिक विरोध घर-परिवार से ही हाती है। ज्यादातर मामलों में लड़की को जबरदस्त विरोध झेलना पड़ता है। कभी जाति-विरादरी, तो कभी धर्म और अमीरी-गरीबी के ऊंच-नीच को लेकर प्रेमी युगल को मुश्किलों के दौर से गुुजरना होता है। उनके द्वारा कई विकट परिस्थतियां पैदा कर दी जाती हैं। वे अपनी मनमर्जी की शादी नहीं कर पाते हैं। ऐसे में माता-पिता को शादी के लिए राजी करने के कई टोटके बताए गए हैं। इसके अचूक प्रभाव से मां-बाप का मन पसीज जाता है और वे अपनी संतान की खुशी की खातिर अंततः प्रेम-विवाह के लिए राजी हो जाते हैं। टोटके पूजा-पाठ, मंत्र जाप और विभिन्न वस्तुओं के साथ किए जाते हैं। तीन माह तक मंत्र-जाप विरोधी तेवर अपनाए हुए नाराज चल रहे मां-बात का मनाने के लिए तीन माह तक लगातार मंत्र जाप करना चाहिए। भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की तस्वीर के आगे प्रातः सूर्योदय से पहले बैठकर उनकी पूजा शुक्ल पक्ष के गुरुवार से करनी चाहिए। दोनों एक ही समय में उनको खुश करने के मंत्र ऊँ लक्ष्मी नारायणाय नमः! का जाप स्फटिक की माला से 324 बार करें। मंत्र-जाप पूरे होने पर मंदिर में जाकर प्रसाद चढ़ाएं और विवाह के सफलता की प्रार्थना करें। लड़की को चाहिए कि प्रत्येक गुरुवार को व्रत रखे और बृहस्पति की मंत्र के साथ पूजा करे। इसके अतिरिक्त उन्हें टाटके के तौर पर बृहस्पतिवार को पीले वस्त्र दान करने चाहिए। इस पूजा और टोटके का असर एक माह के भीतर ही दिखने लगता है। अपनी संतान की खुशियों के आगे उन्हें झुकना ही पड़ता है। प्रेम-विवाह का वशीकरण यदि कोई लड़की अपनं मनपसंद लड़के से विवाह करना चाहती है, लेकिन लड़के के घरवाले से अधिक अपने घरवाले विरोध कर रहे हों ता उसे निम्नलिखित विधियों का प्रयोग करते हुए प्रेम-विवाह का वशीकरण मंत्र जाप करना चाहिए। लड़की को चाहिए कि वह सबसे पहले अपने प्रेमी को अपने विश्वास में ले। उसे भी अपने स्तर से अपने माता-पिता को विवाह के लिए राजी करने की सलाह दे। प्रेमी को भी नीचे दिए गए कामदेव मंत्र का 108 बार जाप करने को कहे। मंत्र इस प्रकार है- नमः कामदेवाय सहकल सह्द्रश सहमसहलिये वन्हे धुनन जन्मदर्शनम उत्कंठित कुरु-कुरु, दक्ष दक्शु धर कुसुम वानेन हन हन स्वाहा! इस जाप को प्रातः सूर्योदय से पहले ही कर लें। दिन में एक बार प्रेमी या उसके माता-पिता से संपर्क करने की अवश्य कोशिश करें। लड़की कम से कम किसी बहने से प्रेमी की मां या उसके दूसरे रिश्तेदार से फोन पर ही जरूर बात (at गोरखपुर UP-53) https://www.instagram.com/p/B8iLYqbA6qk/?igshid=smfzy8p87o0w
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