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क्या होता है आरएसवी इंफेक्शन, कैसे बदलते मौसम में ये लोगों को बना रहा शिकार
क्या है RSV संक्रमण, बदलते मौसम में कैसे बना रहा है लोगों को शिकार? Image Credit source: TUMEGGY/SCIENCE PHOTO LIBRARY/Getty Images आरएसवी इंफेक्शन यानी रेस्पिरेट्री सिंसाइशियल वायरस इस समय तेजी से फैल रहा है. ठंड के मौसम के शुरू होने के साथ ही यह वायरस भी तेजी से बढ़ रहा है. इसके शुरुआती लक्षण सर्दी-जुकाम के समान होते हैं, लेकिन यह वायरस गंभीर सांस से जुड़ी बीमारियों का कारण बन सकता है. विशेष…
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क्या होता है आरएसवी इंफेक्शन, कैसे बदलते मौसम में ये लोगों को बना रहा शिकार
आरएसवी इंफेक्शन यानी रेस्पिरेट्री सिंसाइशियल वायरस इस समय तेजी से फैल रहा है. ठंड के मौसम के शुरू होने के साथ ही यह वायरस भी तेजी से बढ़ रहा है. इसके शुरुआती लक्षण सर्दी-जुकाम के समान होते हैं, लेकिन यह वायरस गंभीर सांस से जुड़ी बीमारियों का कारण बन सकता है. विशेष रूप से यह वायरस छोटे बच्चों और बुजुर्गों के लिए ज्यादा खतरनाक होता है. आइए जानते हैं यह वायरस कैसे फैलता है, इससे शरीर को क्या नुकसान…
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मौसम में बदलाव मतलब कई बिमारियों का आना ,जो कभी भी किसी को भी चपेट में ले सकती है। मौसम का बदलाव विशेष रूप से मानसून की वापसी या सर्दी से गर्मी का संक्रमण ,वायरल बुखार का न्यौता देता है जब एक संक्रमित व्यक्ति खांसता या छींकता है ,तो वायरस वाली बूंदों के साथ हवा में फैल जाता है और यह एक मीटर तक फैल सकता है। और इन बूंदों को सांस लेने वाले लोगों को पास में ही संक्रमित कर सकता है। वायरस दूषित हाथों से भी फैल सकता है।
क्या आप जानते हैं मौसमी बुखार क्यों होता है ? बदलते मौसम के साथ बीमारियों और संक्रमण का बढ़ना कोई बड़ी बात नहीं है। खासकर मानसून के समय देश भर में मौसमी फ्लू के मामले लगातार बढ़ने शुरू हो जाते हैं और वायरल फीवर के मरीजों की संख्या काफी बढ़ जाती है। मानसून के समय में जगह -जगह पानी जमने से बैक्टीरिया और वायरस पनपने लगते हैं और वायरस या बैक्टीरियल इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है।
इन्फ्लुएंजा को मौसमी बुखार के रूप में भी जाना जाता है। इन्फ्लुएंजा को मौसमी बुखार के रूप में भी जाना जाता है। यह इस मौसम में लगभग हर साल प्रकट हो जाता है। इन्फ्लुएंजा श्वसन प्रणाली का एक संचारी विषाणुजनित रोग है। इससे संक्रमित व्यक्ति जब बात करते ,खांसते या छींकते हैं तो यह विषाणु संक्रमित व्यक्ति की सांस से फैलता है। इस समय इस विषाणु का प्रकोप कुछ अधिक देखा जा रहा है। आमतौर पर इस बुखार का मौसम अप्रैल से सितंबर तक रहता है। और इसका प्रभाव गंभीरता और अवधि में भिन्न होता है। इसे भी पढ़े :
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मंकी पॉक्स से दुनिया भर में हो चुकी है 1100 से ज्यादा लोगों की मौत, जानें कितनी खतरनाक है यह बीमारी
मंकी पॉक्स से दुनिया भर में हो चुकी है 1100 से ज्यादा लोगों की मौत, जानें कितनी खतरनाक है यह बीमारी #Monkeypox #Deaths #News #RightNewsIndia #RightNews
Monkepox Deaths in World: ‘वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन’ के मुताबिक एमपॉक्स को वर्ल्ड हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया गया है. पिछले दो साल में यह दूसरी बार है कि WHO ने एमपॉक्स को ग्लोबल हेल्थ पब्लिक इमरजेंसी घोषित की है. WHO का यह ऐलान डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगों में वायरल इंफेक्शन के बढ़ने के कारण इस तरह की घोषणा की गई है. एमपॉक्स का वायरस अब कांगो के पड़ोसी देशों में फैल गया है. एमपॉक्स वही…
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1999 में मलेशिया में पहली बार पाए जाने के बाद इस वायरस ने लगभग 300 लोगों को प्रभावित किया, जिससे 100 से अधिक मौतें हुईं। हालांकि इसका कोई निश्चित इलाज नहीं है, लेकिन इसकी गंभीरता को देखते हुए इसका उपचार आवश्यक है। लंबे समय तक संक्रमण से एन्सेफलाइटिस (ब्रेन इंफेक्शन) या मृत्यु जैसी स्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।
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पीईपी का एचआईवी में प्रयोग
पीईपी (पोस्ट एक्सपोज़र प्रोफिलैक्सिस) का एचआईवी (ह्यूमन इम्यूनोडिफ़िशिएंसी वायरस) में प्रयोग किसी खास प्रकार की दवा है जो एचआईवी के प्रभाव को कम करने में मदद करती है। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को समझाया गया है:
कार्यात्मकता: पीईपी एचआईवी इंफेक्शन के विरुद्ध काम करती है, इसमें वायरस की प्रवृत्ति को रोकने और इसके प्रभाव को कम करने का कार्य होता है।
एचआईवी के तत्वों के खिलाफ प्रतिक्रिया: पीईपी इसके कारण जो वायरस के विकास में महत्वपूर्ण हैं, उनको नष्ट करता है और उनकी वृद्धि को रोकता है।
जीवनशैली और संरक्षण: पीईपी का सेवन अधिक जीवनशैली और सुरक्षा के साथ संगत रहता है, जिससे हार्ट रोग और अन्य जीवनशैली संबंधित समस्याओं का खतरा कम होता है।
अनुकूलता और असाधारण चिकित्सा परिणाम: पीईपी के इस्तेमाल से एचआईवी संक्रमित व्यक्तियों का जीवन अधिक उत्तम होता है, और उनके चिकित्सा परिणाम भी अधिक अनुकूल होते हैं।
अनुशासन: पीईपी की स��ी खुराक का पालन करना और डॉक्टर के निर्देशों का पालन करना महत्वपूर्ण है। अनियमित खुराक से इसकी प्रभावक्षमता कम हो सकती है और वायरस के विकास का जोखिम बढ़ सकता है।
पीईपी अनेक रूपों में उपलब्ध है और यह डॉक्टर के परामर्श के बिना नहीं लेना चाहिए। यह एचआईवी के इलाज में एक महत्वपूर्ण कड़ी हो सकती है, लेकिन सही उपयोग और निर्देशों के साथ। डॉ विनोद रैना द्वारा दिल्ली में पीईपी उपचार (Pep Treatment in Delhi) प्रदान किया जाता है, 72 घंटो के अंदर पीईपी उपचार प्राप्त करे।
पीईपी (post exposure prophylaxis) दवाई
पोस्ट एक्सपोज़र प्रोफाइलेक्सिस (पीईपी) एक दवा है जो हाइव रिस्क सेक्सुअल या नॉन-सेक्सुअल एक्सपोज़र (जैसे कि सेक्स के दौरान निर्दिष्ट कारणों से वायरस के संपर्क में आने पर) के बाद एचआईवी संक्रमण के खतरे को कम करने में मदद करता है। यह दवा वायरस के प्रसार को रोकने या इसके प्रभाव को कम करने में सहायक होती है। पीईपी को अक्सर एचआईवी संक्रमित व्यक्ति के इलाज का हिस्सा माना जाता है ताकि संक्रमित होने के पश्चात संक्रमण के खतरे को ख़त्म किया जा सके।
पीईपी विभिन्न दवाओं की मिश्रण हो सकती है, जैसे कि एन्टीरेट्रोवाइरल दवाएं, जो कि कार्यात्मकता को बढ़ाने में मदद कर सकती हैं। पीईपी का उपयोग अधिकतर डॉक्टरों या स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं द्वारा निर्धारित किया जाता है, और यह अवश्य उनके निर्देशानुसार ही लेना चाहिए। इसके नियमित उपयोग से अच्छे परिणाम मिल सकते हैं, लेकिन सही खुराक का पालन करना महत्वपूर्ण है। आज ही परामर्श ले डॉ विनोद रैना एचआईवी स्पेशलिस्ट इन दिल्ली (HIV Specialist in Delhi)।
डॉ. विनोद रैना, सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर
पता: इ-34 एकता अपार्टमेंट साकेत, नई दिल्ली – 110017
फ़ोन नंबर: 9873322916, 9667987682
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Metronidazole 400 uses in hindi
Metronidazole 400 का उपयोग: जानिए इस दवा के फायदे और सावधानियाँ Metronidazole 400 एक प्रमुख और प्रभावी दवा है जो विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज में प्रयोग किया जाता है। यह एंटीबायोटिक दवा विभिन्न प्रकार के बैक्टीरिया और प्रोटोजोएं के खिलाफ कार्य करता है और रोगी को स्वस्थ रखने में मदद करता है। निम्नलिखित में हम इस दवा के उपयोग के बारे में विस्तार से जानेंगे:
बैक्टीरियल इंफेक्शन का इलाज: Metronidazole 400 का उपयोग विभिन्न प्रकार के बैक्टीरियल इंफेक्शनों के इलाज में किया जाता है, जैसे कि गर्भाशय इंफेक्शन, आंतों की संक्रमण, और मुख्यतः बैक्टीरियल वायरस इंफेक्शनों के इलाज में।
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टीबी ट्यूबर्कुलोसिस वायरस (TB) - Government Autonomous Ayurveda College and Hospital , Nipaniya Rewa
टीबी, या तपेदिक जिसे माइकोबैक्टीरियम ट्यूबर्कुलोसिस वायरस (TB) से होने वाला रोग है, आमतौर पर फेफड़ों को हमला करता है, लेकिन यह अन्य शरीर के हिस्सों को भी प्रभावित कर सकता है। यह एक गंभीर इन्फेक्शस है जो जानलेवा हो सकता है, लेकिन उचित इलाज के साथ यह संभव है। टीबी के लक्षणों में
निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं:
खांसी: अगर आपको दो सप्ताह से अधिक समय तक खांसी है, जो बार-बार और लंबे समय तक चलती है, तो यह एक टीबी के संकेत हो सकता है। खांसी आमतौर पर रात को और सुबह को अधिक होती है।
साँस फूलना: टीबी के रोगी को साँस लेने में तकलीफ होती है, जो उन्हें असहाय और अप्रिय महसूस कराता है।
सीने में दर्द: टीबी के मरीजों में सीने में दर्द भी हो सकता है, जो कभी-कभी तेज और अप्रिय हो सकता है।
अचानक से वजन घटना: टीबी के रोगी को अचानक से वजन में गिरावट का अनुभव हो सकता है, जो अनुवांशिकता, खानपान की समस्याओं, और इंफेक्शन के कारण हो सकता है।
भूख में कम��: टीबी के मरीजों में भूख में कमी आ सकती है, जो उनके पोषण के संदर्भ में असामान्य है।
बलगम के साथ खून आना: टीबी के मरीजों के बलगम में खून आ सकता है, जो कभी-कभी खांसी के साथ आता है। यह एक गंभीर संकेत हो सकता है और तुरंत चिकित्सा ध्यान की आवश्यकता है।
यदि आपको लगता है कि आप या कोई अन्य व्यक्ति टीबी के लक्षणों का सामना कर रहा है, तो आज ही रीवा के शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय में संपर्क करे।
अधिक जानकरी और बेहतर उपचार के लिए शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय में संपर्क करे।
शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय, रीवा (म.प्र.)
फोन : +91 9575522246, 07662299159
वेबसाइट :- https://gacrewa.org.in/
पता :- निपनिया, रीवा मध्य प्रदेश 486001
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फेफड़ों के रोगों के लिए होम्योपैथी
फेफड़ों का संक्रमण (निमोनिया) निमोनिया (Pneumonia) एक संक्रामक रोग है जो श्वसन तंत्र के संक्रमण के कारण फेफड़ों में सूजन और इंफेक्शन पैदा करता है। यह रोग अक्सर सामान्य सर्दी जुकाम के कारण होता है, जहां श्वसन नलीयों में संक्रमण हो जाता है और बैक्टीरिया, वायरस, या फंगस के कारण इंफेक्शन फैलता है। निमोनिया के लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं: – बुखार और शीघ्र तापमान वृद्धि – छींकें, खांसी और सांस लेने…
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H3N2 वायरस और उसके आयुर्वेदिक उपाय
H3N2 वायरस और उसके आयुर्वेदिक उपाय
H3N2 वायरस क्या है ?
H3N2 वायरस एक प्रकार का वायरस है जो इंफ्लूएंजा वायरस के परिवार में आता है। यह वायरस इंसानों के श्वसन तंत्र और ऊतकों को हमला करता है जो फ्लू के लक्षणों का कारण बनता है।
H3N2 वायरस विश्व में फैला हुआ है और इससे लगभग सभी उम्र के लोग प्रभावित हो सकते हैं। इस वायरस के लक्षणों में बुखार, सूखी खांसी, थकान और शरीर में दर्द शामिल हो सकते हैं। इन लक्षणों के साथ आपको नाक से पानी या बहुत ज्यादा साइनस की समस्या भी हो सकती है।
H3N2 वायरस बहुत आसानी से फैलता है और आप अन्य लोगों से संक्रमित हो सकते हैं। आप इस संक्रमण से बचने के लिए वायरस से बचाव उपायों का उपयोग कर सकते हैं, जैसे कि व्यंजन को अच्छी तरह से पकाना, हाथ धोना, अपने सामान और सामग्री को आपस में ना बाँटना |
H3N2 के लक्षण :
H3N2 वायरस के संक्रमण के लक्षण निम्नलिखित होते हैं:
बुखार: यह एक सामान्य लक्षण है जो हर संक्रमण में होता है। इसमें शरीर का तापमान ऊँचा हो जाता है जो अक्सर 100 डिग्री फारेनहाइट से अधिक होता है।
ठंड लगना: यह भी एक आम संक्रमण लक्षण है। इसमें व्यक्ति को ठंड लगती है और उसे गर्म कपड़ों में लपेटना पड़ता है।
सूखी खांसी: यह भी एक आम संक्रमण लक्षण है। इसमें व्यक्ति को सूखी खांसी होती है जो दिन भर में कई बार होती है।
गले में खराश: इस लक्षण में व्यक्ति को गले में दर्द होता है और उसकी आवाज बैठ जाती है।
थकान और कमजोरी: ये लक्षण अधिकतर संक्रमणों में होते हैं। इसमें व्यक्ति को थकान और कमजोरी का अनुभव होता है।
यदि आपके पास ये संकेत हैं, तो आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और डॉक्टर के दिए गए निर्देशों का पालन करना चाहिए।
H3N2 वायरस संक्रमण से व्यक्ति कैसे संक्रमित होता है, इसके निम्नलिखित तरीके हैं:
संक्रमित व्यक्ति से संपर्क: H3N2 वायरस संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता है। इसलिए संक्रमित व्यक्ति से दूरी रखना जरूरी होता है।
संक्रमित सतह से संपर्क: अगर कोई संक्रमित व्यक्ति अपने संक्रमित हुए हाथों से किसी वस्तु या सतह को छू लेता है, तो वह सतह भी संक्रमित हो जाती है। यदि आप इस सतह को छूते हैं और फिर अपने मुंह, नाक या आंखों को छूते हैं, तो आपको संक्रमित होने का खतरा होता है।
अधिक संख्या में लोगों के बीच: H3N2 वायरस के संक्रमित होने की संभावना अधिक संख्या में लोगों के बीच जैसे बस, ट्रेन, विमान, कार्यालय आदि में बैठने से भी बढ़ जाती है।
नियमित हाथ धोना: अगर आप संक्रमित सतहों से संपर्क में आते हैं, तो आपको हमेशा नियमित रूप से हाथ धोते रहना चाहिए।
H3N2 वायरस से बचने के लिए आयुर्वेदिक उपचारों में से पाँच सबसे अधिक प्रभावी उपाय हैं:
गिलोय :
गिलोय हमें H3N2 वायरस से बचने में कैसे मदद करता है। निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से इसकी विस्तृत जानकारी दी जाएगी:
गिलोय में विशिष्ट गुण होते हैं जो वायरस और बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करते हैं।
गिलोय शरीर के रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और संक्रमण से लड़ने में मदद करता है।
गिलोय में एंटीऑक्सिडेंट और एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं जो इंफेक्शन से लड़ने में मदद करते हैं।
गिलोय में विशेष प्रकार के केमिकल होते हैं जो संक्रमण के कारण होने वाली समस्याओं को दूर करने में मदद करते हैं।
गिलोय में अन्य औषधीय गुण होते हैं जो शरीर को मजबूत बनाते हैं और संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं। इसलिए, गिलोय को वायरस से लड़ने में मदद करने वाला एक शक्तिशाली औषधि माना जाता है।
तुलसी :
तुलसी एक प्राकृतिक उपचार है जो संक्रमण से लड़ने में मदद कर सकता है। निम्नलिखित तरीकों से तुलसी संक्रमण से लड़ने में मदद करता है:
तुलसी एंटीवायरल गुणों से भरपूर होता है जो संक्रमण के वायरस को नष्ट कर सकते हैं।
तुलसी एंटीबैक्टीरियल गुणों से भरपूर होता है जो संक्रमण के बैक्टीरिया को नष्ट कर सकते हैं।
तुलसी में एंटीऑक्सिडेंट गुण होते हैं जो संक्रमण से लड़ने में मदद कर सकते हैं।
तुलसी के इम्यूनोमोडुलेटर गुण संक्रमण के विरुद्ध रक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने में मदद करते हैं। इसलिए, तुलसी को लगातार उपयोग करने से आप अपने शरीर को संक्रमण से लड़ने की क्षमता प्रदान कर सकते हैं।
तुलसी की चाय, काढ़ा या तुलसी के पत्तों को नियमित रूप से उपयोग करने से संक्रमण से बचाव में मदद मिलती है|
शंखपुष्पी :
शंखपुष्पी एक जड़ी बूटी है जो संक्रमण से लड़ने में मदद कर सकती है। निम्नलिखित तरीकों से शंखपुष्पी संक्रमण से लड़ने में मदद करता है:
शंखपुष्पी एंटीवायरल गुणों से भरपूर होता है जो संक्रमण के वायरस को नष्ट कर सकते हैं।
शंखपुष्पी एंटीबैक्टीरियल गुणों से भरपूर होता है जो संक्रमण के बैक्टीरिया को नष्ट कर सकते हैं।
शंखपुष्पी में एंटीऑक्सिडेंट गुण होते हैं जो संक्रमण से लड़ने में मदद कर सकते हैं।
शंखपुष्पी के इम्यूनोमोडुलेटर गुण संक्रमण के विरुद्ध रक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने में मदद करते हैं।
शंखपुष्पी का नियमित उपयोग संक्रमण से लड़ने की क्षमता को बढ़ाता है। इसे सेवन करने के लिए आप शंखपुष्पी के पाउडर को शहद के साथ मिलाकर खा सकते हैं या फिर इसकी चाय बनाकर पी सकते हैं।
आँवला :
आँवला में विटामिन सी, एंटीऑक्सिडेंट और अन्य पोषक तत्व होते हैं। इसलिए अमला संक्रमण से लड़ने में मदद कर सकता है।
आँवला में विटामिन सी की अधिक मात्रा होती है, जो संक्रमण के वायरस से लड़ने में मदद करता है।
आँवला एंटीऑक्सिडेंट होता है जो संक्रमण से लड़ने में मदद करता है।
आँवला एंटीवायरल गुणों से भरपूर होता है जो संक्रमण के वायरस को नष्ट कर सकते हैं।
आँवला इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में मदद करता है, जो संक्रमण से लड़ने में महत्वपूर्ण होता है।
आँवला को आप रस, मुरब्बा या आँवले के चूर्ण के रूप में ले सकते हैं और अपने आहार में इसका नियमित सेवन कर सकते हैं। आँवले को सबसे अच्छी तरीके से लेने के लिए, आप इसे खाने से पहले या भोजन के बाद दूध के साथ ले सकते हैं।
गंधक :
गंधक : गंधक एक धातु होती है जो कि एक प्राकृतिक तत्व है और आयुर्वेद में संक्रमण से लड़ने के लिए उपयोग किया जाता है:
गंधक में एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं जो कि बैक्टीरिया और वायरस से होने वाली संक्रमणों को लड़ने में मदद करते हैं।
इसका उपयोग सामान्यतः त्वचा संक्रमण और अन्य बीमारियों के उपचार के लिए किया जाता है।
गंधक शरीर के प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत कर संक्रमणों से लड़ने में मदद करता है जिसमें H3N2 वायरस भी शामिल है।
नियमित रूप से गंधक का सेवन करने से स्वास्थ्य में सुधार होता है और संक्रमण से लड़ने की क्षमता बढ़ती है।
हालांकि, इसका उपयोग सीमित और नियंत्रित होना चाहिए और किसी भी स्वास्थ्य स्थिति के लिए इसका उपयोग करने से पहले एक आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से सलाह लेना उचित होगा।
निष्कर्ष :
H3N2 वायरस के बारे में निष्कर्ष निकालने के लिए, यह कहा जा सकता है कि यह फ्लू वायरस है जो आमतौर पर मौसम के बदलाव के समय संक्रमण का खतरा बढ़ाता है। इससे बचने के लिए, हमें संक्रमित व्यक्ति से दूरी रखनी चाहिए, हमेशा हाथ धोते रहना चाहिए और हमेशा अपनी आहार और व्यायाम के साथ अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत रखना चाहिए।
आयुर्वेद में, इस संक्रमण से बचाव के लिए कुछ उपाय हैं जैसे कि काढ़े, जैविक चाय, हल्दी वाला दूध, आंवला, गिलोय, आदि। इन उपायों को अपनाकर आप अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत कर सकते हैं और संक्रमण से बच सकते हैं।
Source:
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नीम में रोगाणुरोधी गुण होता है जो रोगों से लड़ने में मदद करता है. नीम में विटामिन सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है. एंटी−बैक्टीरियल गुणों के कारण नीम कई प्रकार के बैक्टीरिया, फंगल इंफेक्शन और वायरस को खत्म करने में सहायक हो सकता है. नीम की पत्तियां फंगल संक्रमण से बचाती हैं और एथलीट फुट, दाद-खाज के इलाज में इसका प्रयोग बहुत प्रभावी है. साथ ही मुंह, योनि और त्वचा के संक्रमण में भी से भी यह छुटकारा दिलाती है. 2. नीम की पत्तियां दंत रोगों और पेट के संक्रमण से लड़ने में भी काफी प्रभावी हैं. 👉अधिक जानकारी या डॉक्टर से फ्री सलाह के लिए कॉल या WhatsApp करें, Dr. Arvind K- 9911987787 (at Military Hospital, Dehradun) https://www.instagram.com/p/CpmvIU2SRVH/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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फंगल इंफेक्शन के चलते 2050 तक 40 मिलियन लोगों की जान को खतरा, स्टडी में हुआ खुलासा
फंगल इंफेक्शन के चलते 2050 तक 40 मिलियन लोगों की जान को खतराImage Credit source: NANOCLUSTERING/SCIENCE PHOTO LIBRARY/Getty Images कोविड महामारी के बाद वायरस और बैक्टीरिया से होने वाली बीमारियों का सैलाब सा आ गया है, हालांकि ये बीमारियां पहले भी हुआ करती थी, लेकिन जितना व्यापक असर इनका अब देखने को मिल रहा है इससे पहले कभी नहीं मिला. एक के बाद एक वायरस बैक्टीरिया जनित बीमारियां दुनियाभर में फैलकर…
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झारखंड में Lockdown पर आज शाम हो सकता है फैसला, CM हेमंत सोरेन करेंगे कैबिनेट बैठक
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झारखंड में लॉकडाउन को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन आज ले सकते हैं फैसला. झारखंड में कोरोना वायरस (COVID-19) के बढ़ते मामलों को देख विपक्षी दल भाजपा ने 14 दिनों का लॉकडाउन (Lockdown) लगाने की मांग उठाई है. कांग्रेस और झामुमो ने कहा- सरकार के…
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MPox; दो सालों में 99176 लोग हुए मंकी पॉक्स से संक्रमित, 208 की हुई मौत; WHO ने किया ग्लोबल इमरजेंसी घोषित
Monkey Pox New: WHO ने मंकीपॉक्स को ग्लोबल इमरजेंसी घोषित किया है. कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (DRC) और अफ्रीका के कई देश इस बीमारी से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. यह दूसरी बार है जब वायरल इंफेक्शन को इस तरह से ग्लोबल बीमारी के रूप में घोषित किया गया है. WHO के आंकड़ों के अनुसार, 2022 से अब तक 116 देशों में मंकीपॉक्स के कम से कम 99,176 मामले और 208 मौतें दर्ज की गई हैं. चिंताजनक बात यह है कि वायरस…
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कोरोना व��यरस से पहले इन वायरसों ने ली है लाखों लोगों की जान, जानें इनके नाम | health - News in Hindi
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