#लालच का परिणाम कहानी
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Lalach Ka Fal Bura Hota hai | लालच का फल हिंदी कहानी
Lalach Ka Fal Bura Hota hai | लालच का फल हिंदी कहानी
लालच किसी भी चीज़ का हो, इंसान को अँधा कर देता है. जो चीजें हमारे पास होती हैं, हमें कम ही लगती हैं और जल्दी से जल्दी सब कुछ पा लेने का लालच आ जाता है. लेकिन lalach ka fal बुरा होता है. आप सभी ने यह तो सुना ही होगा कि लालच बहुत बुरी बला है। तो आइए आज इसका मतलब भी समझ लेते है, इन कहानिओं के माध्यम से. लालच का फल कहानी 1 – लालच का फल लघु कथा एक गाँव में एक गरीब किसान रहता था, उसे साथ उसकी पत्नी भी…
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*सब कुछ लूट लो लेकिन .... मजबूरी मत लूटो ....* *सावधान* *कच्छ भूकंप के दौरान की एक घटना...* *पुलिस राहत कार्य कर रही थी। मलबे को घर से निकालने के लिए,जीवित बचे लोगों ओर मृतकों को बाहर निकाल रही थी एक बूढ़ा आदमी एक सुंदर घर के मलबे के बाहर बैठा था। मकान ढह गया। पुलिस आई, उस के पुत्रवधू का शव मलबे से निकला ....शरीर पर हर जगह गहने थे .... पुलिस ने कहा "ये गहने रख लो, आप को काम आयेंगें फटी आँखों वाले उस आदमी ने कहा .... ले लो .. सब कुछ .... जो करना है करो .... लेकिन, मुझे यह गहने नहीं चाहिए ....पुलिस ने लाख समझाने की कोशिश की। उस बूढ़े ने फिर कहा, जब मोरबी का डैम टूटा था, तब मैंने ये सारे ��हने मृत्य लोगो के गले से लूट के अपने घर ला कर अपने पुत्र वधु को ��हनाए थे।* *आज मेरी बहू ने वो ही गहने पहने हुये है जो में लूट के लाया था, "मुझे कुछ नहीं चाहिए, सर!" वह रोया। आप लै लिजिये....!* *कच्छ की इस कहानी को ध्यान में रखें, और कोरोना के इस संकट के समय में मनुष्य की मजबूरी का लाभ ना उठाएं और इसे उन सभी अयोग्य मित्रों को समझाएं जो करोड़पति बनना चाहते हैं ....* *ये है प्रकृति का न्याय....छल कपट और लालच में किए गए गलत कामो का परिणाम देर से सही, मिलता अवश्य है....* https://www.instagram.com/p/CN74JsFHFKs/?igshid=1i4bp4dcgdz6e
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मकड़ी : Spider
आज यूं ही कुछ समय बाद घर में अनेकों चर्चाएं चल रही थीं। बात शुरू तो खैर जहां से हुई वो किस्सा फिर कभी, लेकिन समाप्त भोजनोपरांत मिस्ठान पर हुई मकड़ियों की कथा पर।
पिछले प्रसंगों को छोड़ कर आज लेखनी ने भी ठान लिया कि ये वृतांत ही लिखा जाए।
After a while, tonight the family was enjoying a diverse gossip. It is a different subject from what it began, but as dinner ended with dessert it had reached to spiders.
Leaving aside all previous topics, the pen was determined to write on this subject.
हमें तो सर्प, सरीसृप बहुत प्रिय हैं ये जगजाहिर बात है। चाहे मगरों को केंद्र में रख कर लिखा हो या गोह की सहायता से एक अभियान के सफलता पर। ड्रैगन हों या इच्छाधारी नागों की कहानी। इवान के जितने की खुशी पर भी हमारे अंदर कहीं अजदहे के लिए भी दुख होता था। काश वो अच्छा होता...। सर्पों को सभी ने बुरा क्यों बताया? ये अन्याय है और हर धर्म इसमें सहभागी रहा है कहीं ना कहीं। बहरहाल, हम मूल विषय से भटक रहे हैं। वापस आते हैं उधर।
Everyone knows how fond I am of reptiles. Stories are woven around crocodiles or accomplishing a mission with help of Monitor lizard. It can be of Dragons or shapeshifter snake people. As happy I felt for Ivan I did regret the dragon being bad. Why everyone sees snakes as evil? This is injustice and every religion has a role in it at some phase. However, we are deviating from original matter. Let's get back on track.
तो ये मकड़ियां। कुछ हिन्दू भाई मानते हैं वो कर्बला वाली कहानी। जब मकड़ी ने जाल बन कर कुएं को ढक दिया था लेकिन गिरगिट ने इशारे से सब गड़ बड़ कर दिया। ये लोग आज भी गिरगिटों, गोह सांप को मारते चलते हैं ना सिर्फ, मकड़ियों को शुभ और ईमान वाला भी मानते हैं। उनकी मर्जी। लोगों ने तो पसली से कन्या की उत्पत्ति स्वीकार कर ली और उसके सर्प के प्रलोभन में पतन की भी कहानी का विश्वास कर लिया। ये अलग बात है कि X और Y क्रोमोजोम ने खिलाफत खड़ी कर रखी है। उसपर ये हिन्दू लोग स्त्री को ही शक्तिपु��ज रूपा आदि मानते हैं। विडंबना है कि हिगग्स बोसोन भी इनका समर्थन करते हैं। शायद हिंदुओं ने हिन्दू नाम ही हिगग्स जी का समर्थन पाने को रख के विज्ञान को छल कपट में फंसा दिया। कौन जाने।
So these spiders. Some hindu brothers believe that karbla related story. A spider had concealed the well opening but the lizard messed it up. The lizards and snakes are paying with their lives till date because of this story while spiders are considered a good omen, believer by people. Well, it's their opinion. People have bought the story of woman formed out of rib bone and of her getting tempted to sin by trusting a snake. We won't talk how X and Y chromosomes have bitterly opposed and ridiculed this. Add to it Hindus believing the ultimate energy as feminine. Sorry state of affairs is that even Higgs Boson supported the Hindus point of view. It could be that Hindus named themselves with the same initial as of Higgs to scheme and conspire to get science and Higgs support their malicious designs.
तो..., मकड़ियां। इनपर ही केंद्रित रहते हैं थोड़ी देर। भटकाव में कहीं कहानी ही ना भूल जाएं।
So..., The spiders. Let's stay focused on them for a bit. Least deviation causes forgetting of the story itself.
कभी एक प्रतापी राजा विश्वामित्र हुए थे। उन्होंने एक महायुद्ध लड़ा। युद्ध और उसके वृतान्त फिर कभी। लेकिन युद्ध की विभीषिका ये रही कि युद्ध करने को सेना समाप्त होने को आई आखिर। इतने सालों तक के युद्ध का ऐसा ही परिणाम होता है। पर विश्वामित्र भी क्यों पीछे हट जाते? हर वो आदमी बुलाया जो तलवार सिर्फ पकड़ ही सके और युद्ध चलता गया।
Once there was a mighty king, Vishvamitr. He had fought a great war. Details of the war some other time. The intensi of war was as such that there came a time nearly no army was left to carry out the war. Such long term wars cause similar situation. Vishvamitr however wasn't one of those who would back out. From his empire was called every man capable of holding a sword and thus the battle went on.
पर युद्ध तो युद्ध है। सिर्फ सैनिक ही नही और भी आवश्यकताएं होती हैं। सो विश्वामित्र ने अब राज्य की दुर्दशा देखी पहली बार। भयंकर भुखमरी। विस्तृत खेत बंजर पड़े हुए, ना खाने को अन्न न पशुओं का चारा। पूछने पर कारण मालूम चला, की सभी कृषक तक सेना में राजाज्ञा से सेवारत हैं। खेती कौन करे? लोग बस कन्द मूलों और ��नदेवी की दया पर जीवित हैं।
Wars are but war. There are other requirements for it apart from soilders. Vishvamitr saw the drastic condition his empire was left in for the first time. Severe hunger. Long stretches of agricultural lands barren. There wasn't foid for either human nor fodder for cattles. When he enquired, he was informed that even the farmers had been summoned to war as per his orders and hence the agriculture had ceased. People were depending on roots, bulbs and forest goddesses to survive.
थके हारे मन, भूख से व्याकुल राजा वसिष्ट ऋषी के यहां आए। इस अतिथि का अब सत्कार कैसे होगा? विश्वामित्र तो राजा ठहरे, साथ मे सेना भी! पर वशिष्ठ भी कोई मामूली ऋषि थे क्या? साक्षात माता कामधेनु उनके आश्रम में रहती थीं। जहां कामधेनु हों, वहां क्योंकर किसी बात की चिंता होगी। ऋषि के अतिथियों ने मन भर कर तृप्त होकर सभी रसों युक्त उत्तम भोजन किया।
Physically tired, emotionally broken and desperate out of hunger the king Vishvamitr arrived to the ashram of wise and great learned Rishi Vashisth. The question was how to welcome the guest? Vishvamitr was a mighty king, and accompanied by his army. But Vashishth wasn't an ordinary rishi either. Holy Kamadhenu herself lived at his ashram. What worries can survive where Kamadhenu lives herself? Rrishi Vashishth could provide all the people with the best of meal imaginable with ease.
विश्वामित्र चकित। ये पूरा देश आकाल, भुखमरी से विचलित है और एक ऋषि इतना सम्पन्न की मुझे और मेरी समस्त सेना के भोजन का प्रबंध कर सकते हैं? प्रश्न स्वाभाविक था तो उत्तर भी साधारण। ऋषि वशिष्ठ ने माता कामधेनु के दर्शन कराए राजन को। विश्वामित्र तो राजा थे। राजहठ क्या है सभी को ज्ञात है। उसपर युद्ध से लौटे थे।
अब राजा को कामधेनु का लालच हो आया। लेकिन ऋषि देते नहीं थे। राजहठ और नाशकाले विपरीत बुद्धि। विश्वामित्र ने गौ हरण की ठानी और लगे ले जाने।
Vishvamitr was stunned how in a femine affected time could a rishi provide such a grand feast? As he learnt and saw Kamdhenu at ashram of rishi Vashishth, he was immediately desirous of being in possession of her. The stubborn king didn't consider he was taking her against the will of both kamdhenu and rishi Vashisth. This was a great sin and beginning of his doom as a mighty king.
वसिष्ठ क्या करें, एक तो स्वयं ब्राह्मण थे उस पर विश्वामित्र अतिथि और भी राजा। कामधेनु ने भी ऋषि को गुहार लगाई।
Vishvamitr was a guest and a king at that. Vashisth was helpless brahmin to who Kamadhenu cried to be saved from king.
वसिष्ठ ने भी कामधेनु को प्रार्थना की और अपनी विवशता की बात बताई। कहते हैं इस पल दुख के आंसू ऋषि की आंखों से गिरे। ये आंसू जा गिरे कामधेनु के सामने रखे चारे में।भला क्या है जो कामधेनु नहीं पूरा करेंगी। तुरन्त कामधेनु की अजेय सेना प्रकट हुई और एक और घमासान युद्ध हुआ। विश्वामित्र पराजित हुए।
Rishi Vashisth prayed Kamadhenu and expressed his helplessness. It is said that tears of Vashisth rolled out and fell in the fodder before Kamadhenu. There is nothing that Kamadhenu is not powerful enough to grant. At her will appeared infallible army of warriors who defeated Vishvamitr and his army.
लेकिन उन आंसुओं का क्या हुआ जो एक विवश ब्रह्मर्षि की आंखों से गिरे थे?
ये आंसू जिन घाँस के ढेरों में गिरे, उनसे एक ब्राह्मण के क्रोध, विवशता और तेज का साकर रूप नए प्राण ने शरीर धारण किया।
जी हां। मकड़ियां। ब्राह्मण के क्रोध का प्रतीक विष लिए, उसकी विवशता का प्रतीक बनी अपनी जालों की सीमा में सिमटी मकड़ी। जो भूख से मर जाती है (कुछ जातियों के अपवाद छोड़ कर) लेकिन जाल छोड़ कर कहीं शिकार नही करती।
However, what happend to the tears of a helpless brahmarshi? Tears fallen on heap of grass had his anger, helplesness and powers which took form of an unseen before creature. The spiders. The creatures who die of hunger rather than go hunting (with a few exceptions to the rule) meaning their cobwebs.
आज आपक��� इनपर मनन करता छोड़ हम चले नवरात्र के रात्र में। कोई है जो अंधेरों में खोया है, उसे कोई मार्ग नही दिखता। उसे कोई दिखना चाहिए क्योंकि नवरात्र का यही अर्थ है।
Leaving you to ponder over this, i take your leave this night of Navratra. Someone has lost path in these darkness. Someone should become visible to that lost one for that is the true meaning of Navratra.
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