जान्हवी कपूर द्वारा पोस्ट रेड कार्पेट ड्रिल का मज़ाक उड़ाया गया
जान्हवी कपूर द्वारा पोस्ट रेड कार्पेट ड्रिल का मज़ाक उड़ाया गया
वीडियो के एक सीन में जाह्नवी कपूर। (शिष्टाचार: जाह्नवी कपूर)
नई दिल्ली:
जाह्नवी कपूर के लिए, “असली अच्छा हिस्सा तब होता है जब वह आइसक्रीम की बाल्टी के साथ बिस्तर पर होती है।” हम शर्त लगाते हैं कि आप इससे पूरी तरह से संबंधित हो सकते हैं। अभिनेत्री ने शुक्रवार को एक रील साझा की और यह वास्तव में ‘कैन वी स्किप टू द गुड पार्ट’ ट्रेंड पर उनकी राय है। लेकिन सामान्य संक्रमण के बजाय, जहां कोई सुरम्य…
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How to Strengthen your Aura
✅ सुबह उठते समय,,कभी भी एकदम से पैर जमीन पर न रखे…earth की magnetic waves आपकी body waves को disturb कर देंगी।।
✅ एक लाल रंग का कालीन या पैर पोश अपने bed के पास बिछाए,,और सबसे पहले पैर उसपे रखे,,ऊर्जावान बने रहेंगे
✅ कभी भी किसी का सिरहाना इस्तेमाल न करे,,या अपना एक तोलिया तकिए पर बिछा कर सोए ताकि किसी की भी मानसिक नकारात्मक ऊर्जा आपको परेशां न करे,,किसी का भी तकिया इस्तेमाल करने से आप बिना कहे ही सर दर्द का,,,,शिकार हो जाएगे..हर व्यक्ति का एक आभामंडल होता है और सिर के पास की एनर्जी positive भी हो सकती है और नेगेटिव भी
✅ अपने बिस्तर पर अक्सर पीले ,,हरे,,गुलाबी रंग के फूलों से बने डिजाईन की चादर ज्यादा इस्तेमाल करे,,स्वभाव में जल्दी परिवर्तन देखेगे।।और नींद भी अच्छी आएगी।
🕉️🙏
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बुद्ध की मुद्रा मे बैठी हुई यह मूर्ति कोणागमन बुद्ध की है| चौकी पर दक्षिणी धम्म लिपि मे कोणागमन बुद्ध का नाम लिखा हुआ है और नाम को मैंने लाल घेरे मे कर रखा है| ( चित्र 1 ) कोणागमन की यह मूर्ति कर्नाटक के कनगनहल्ली से मिली है| कोणागमन की ऐतिहासिकता पर कोई शक नही| कारण कि सम्राट अशोक ने कोणागमन की स्मृति मे नेपाल के निगलिहवा मे स्तंभ खड़ा कराया है| पिछले दिनो मैंने कोणागमन बुद्ध के गाँव निगलिहवा की यात्रा की थी और उस स्तंभ को देखा था तथा स्तंभ पर लिखा हुआ उनका नाम भी पढ़ा था| ( चित्र 2 ) भारत का मौर्य कालीन इतिहास जब अशोक के स्तंभो और अभिलेखो के आधार पर लिखा गया है, तब कोणागमन की ऐतिहासिकता पर सवाल खड़ा करना नाइंसाफ़ी होगी| बुद्ध के पहले बुद्ध रहे है और भारत हजारो साल बौद्ध भारत रहा है| https://www.instagram.com/p/Co5aPEpMk0M/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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देश के पहले वोटर का निधन, दो दिन पहले डाला था वोट, 106 साल थी उम्र
देश के पहले वोटर का निधन, दो दिन पहले डाला था वोट, 106 साल थी उम्र
हिमाचाल: देश के पहले वोटर का 106 साल की उम्र में निधन हो गया है। सिलेब्रिटी वोटर के रूप में पहचान रखने वाले देश के पहले वोटर श्याम सरन नेगी का निधन हो गया है। किन्नौर के श्याम सरन नेगी ने निधन से दो दिन पहले ही डाक वोट के जरिए अपने मताधिकारी का प्रयोग किया था। उनका वोट लेने के लिए चुनाव आयोग की ओर से खास इंतजाम किए गए थे।
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उन्हें लाल कालीन पर लाया गया था और पूरे सम्मान के साथ वोट ल���या गया था।…
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देश के पहले वोटर का निधन, दो दिन पहले डाला था वोट, 106 साल थी उम्र
देश के पहले वोटर का निधन, दो दिन पहले डाला था वोट, 106 साल थी उम्र
हिमाचाल: देश के पहले वोटर का 106 साल की उम्र में निधन हो गया है। सिलेब्रिटी वोटर के रूप में पहचान रखने वाले देश के पहले वोटर श्याम सरन नेगी का निधन हो गया है। किन्नौर के श्याम सरन नेगी ने निधन से दो दिन पहले ही डाक वोट के जरिए अपने मताधिकारी का प्रयोग किया था। उनका वोट लेने के लिए चुनाव आयोग की ओर से खास इंतजाम किए गए थे।
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उन्हें लाल कालीन पर लाया गया था और पूरे सम्मान के साथ वोट लिया गया था।…
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जीवित रहने के लिए वेश्यावृत्ति में मजबूर होने के लिए बचपन में छीन लिया: ट्रांसमॉडल दीप्ति कल्याणी ने किए विस्फोटक खुलासे | द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया
जीवित रहने के लिए वेश्यावृत्ति में मजबूर होने के लिए बचपन में छीन लिया: ट्रांसमॉडल दीप्ति कल्याणी ने किए विस्फोटक खुलासे | द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया
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स्थानीय स्वशासन राज्य सूची का विषय है।
प्रकार - दो
1. ग्रामीण स्वशासन
2. शहरी स्वशासन
स्थानीय स्वशासन का जनक - लार्ड रिपन
1882 ई. में लार्ड रिपन ने स्थानीय स्वशासन संस्थाओं के संदर्भ में एक प्रस्ताव पेश किया जिसे स्थानीय स्वशासन का मेग्नाकार्टा कहा जाता है।
शासन काल शासन की छोटी ईकाई शासन का मुख्या
बौद्ध कालीन ग्राम ग्रामयोजक
गुप्तकाल ग्राम ग्रामीक/ग्रामणी
मुगलकाल ग्राम मुकदम
आधुनिक काल ग्राम संरपच
लार्ड मेयों ने 1870 ई. में राज्य प्रशासन को निम्न लिखित तीन विषयों - शिक्षा, स्वास्थ्य व पंचायत राज पर आर्थिक संसाधन उपलब्ध करावायें जाये।
भारत में आर्थिक/वित्तीय विक्रेन्दीकरण का जनक लार्ड मेया को माना जाता है।
जे.एल. नेहरू ने स्थानीय स्वशासन को प्रजातंत्र का आधार स्तम्भ तथा लोकतंत्र कि प्रथम पाठशाला माना है जहां से स्थानीय लोग राजनीति सीखना प्रारम्भ करते है।
लोकतंत्रात्मक विकेन्द्रीकरण स्थानीय स्वशासन में निहित है।
ग्रामीण स्वशासन/पंचायती राज -
अनुच्छेद 40 - राज्य ग्राम पंचायतों का गठन करेगा।
महात्मा गांधी ने अपनी प्रसि��्ध पुस्तक - My
picture of free India में ग्राम स्वराज्य कि कल्पना कि थी।
पंचायती राज से सम्बंधित प्रमुख समितियां -
2 अक्टूबर 1952 को भारत सरकार के द्वारा गांवों में विकास के लिए सामुदायिक विकास कार्यक्रम चलाया गया जो असफल रहा।
अध्यक्ष - नरेन्द्र कुमार
सामुदायिक विकास कार्यक्रम की असफलता के बाद भारत सरकार ने बलवंत राय मेहता समिति का गठन (1957) किया।
प्रधानमंत्री - जवाहरलाल नेहरू
रिपोर्ट - त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था प्रारम्भ कि जायें।
ग्राम स्तर - ग्राम पंचायत
खण्ड स्तर - पंचायत समिति
जिला स्तर - जिला परिषद्
नोट - इस समिति कि सिफारिस पर भारत सरकार ने 2 अक्टूबर 1959 को भारत में सर्वप्रथम राजस्थान राज्य के नागौर जिले के बगदरी गांव में पंचायती राज व्यवसथा को प्रारम्भ किया। जिसका उद्घाटन - जे.एल. नेहरू ने किया।
नोट - 2 अक्टूबर 2009 को पंचायती राज व्यवस्था के 50 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष पर बगदरी गांव में पंचायती राज स्मारक/मेमोरेण्डम कि स्थापना की जिसका उद्घाटन - सोनिया गांधी ने किया।
11 अक्टूबर 1959 को आंध्रप्रदेश में पंचायती राज व्यवस्था को प्रारम्भ करने वाला दुसरा राज्य था।
पंचायती राज का जनक - बलवंतराय मेहता।
आधनिक पंचायती राज का जनक - राजीव गांधी।
राजस्थान में पंचायती राज का जनक- मोहनलाल सुखाड़िया।
अशोक मेहता समिति - 1977
पी.एम. मोरार जी देसाई
रिपोर्ट - द्विस्तरीय पंचायती राज शुरू कि किया जाये।
जिला स्तर - जिला परिषद
ग्राम स्तर - मण्डल पंचायत
जी.वी.के. राॅव समिति - 1985
प्रधानमंत्री - राजीव गांधी
रिपोर्ट - ग्रामीण विकास व गरीबी उन्मूलन कि सिफारिस।
चार स्तरीय पंचायत राज व्यवस्था प���रारम्भ कि जाये।
राज्य स्तर - राज्य विकास परिषद
जिला स्तर - जिला परिषद
खण्ड स्तर - पंचायत समिति
ग्राम स्तर - ग्राम पंचायत
नोट: पं. बंगाल में वर्तमान में चार स्तरीय पचायती राज व्यवसथा है।
एल.एम. सिंघवी समिति- 1986
पी.एम. राजीव गांधी
रिपोर्ट - पंचायती राज व्यवथा को संवैधानिक मान्यता दि जाये।
पंचायत राज व्यवस्था को वित्तीय संसाधन उपलब्ध करवाना।
पी.के. थुगंन - 1988,
पी.एम. राजीव गांधी
रिपोर्ट - पंचायती राज व्यवस्था के नियत कालीन चुनाव (5 वर्ष) होने चाहिए।
-पंचायती राज व्यवस्था को संवैधानिक दर्जा दिया जाये।
नोट: 1989 ई. में राजीव गांधी सरकार के समय पंचायती राज और शहरी स्वशासन से जुडे हुये 64वां व 65वां
संविधान संसोधन लोकसभा में पारित किया गया परन्तु राज्य सभा में पारित नहीं हुये।
पी.वी. नरसिम्हा राव सरकार के समय - 1992 में
73वां संविधान संसोधन, 74वां संविधान संसोधन किया गया।
73वां - 1992 - 11वीं अनुसूचि - पंचायती राज - भाग 9 - विषय 29 - अनुच्छेद 243 व 243 ए से ओ
नोट - पंचायती राज अधिनियम 24 अप्रेल 1993 को भारत में लागु किया गया।
पंचायती राज अधिनियम 23 अप्रेल 1994 को राजस्थान में लागु किया गया।
नोट: पंचायती राज दिवस 24 अप्रेल को मनाया जाता है।
संवैधानिक मान्यता प्राप्ति के बाद पंचायती राज अधिनियम को लागु करने वाला भारत का पहला राज्य ‘मध्यप्रदेश’
अनुच्छेद 243 - परिभाषाऐं
अनुच्छेद 243A ग्राम सभा
अनुच्छेद 243C पंचायतों का गठन
अनुच्छेद 243D ��रक्षण
अनुच्छेद 243E कार्यकाल
अनुच्छेद 243F योग्यता
अनुच्छेद 243I वित्त आयोग
अनुच्छेद 243K राज्य निर्वाचन आयोग
वर्तमान मंे राजस्थान में मुख्य निर्वाचन आयुक्त प्रेमसिंह मेहरा
राजस्थान में पंचायत राज से सम्बंधित प्रमुख गठित समितियां सादिक अली समिति - 1964
सी.एम. मोहनलाल सुखाड़िया
रिपोर्ट - ग्राम सभा व वार्ड सभा को संवैधानिक दर्जा दिया जाये।
गिरधारी लाल व्यास कमेटी - 1973
सी.एम. हरिदेव जोशी
रिपोर्ट - ग्राम पंचायत में ग्राम सेवक का पद सृजित किया जायें।
नाथुराम मिर्धा समिति - 1993
मुख्यमंत्री - भैरूसिंह शेखावत
इस समिति कि सिफारिश पर राजस्थान में 73वें संविधान संसोधन को लागु किया।
गुलाबचंद कटारिया समिति - 2009
मुख्यमंत्री - अशोक गहलोत
रिपोर्ट - इस समिति ने यह कहा कि जिला प्रबन्ध समिति (आयोजना समिति) का अध्यक्ष कलेक्टर को हटाकर जिला प्रमुख को मनाया जाये।
वी.एस. व्यास कमेटी - 2010
सी.एम. अशोक गहलोत, इस कमेटी कि सिफारिश पर राज. सरकार द्वारा 2 अक्टूबर 2010 में पंचायत राज को 5 नये कार्य दिये गये। जो निम्न है -
प्राथमिक शिक्षा
कृषि
सामाजिक न्याय व अधिकारिता
महिला एवं बाल विकास
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य
नोट: राजस्थान में वर्तमान में पंचायती राज के पास कुल 23 कार्य (विषय) है।
राजस्थान में पंचायती राज
1928 बीकानेर राज. में पहली देशी रियासत थी जिन्होंने ग्राम पंचायत अधिनियम बनाया।
1949 राज. में पंचायती राज विभाग कि स्थापना कि गई।
1953 राज. ग्राम पंचायत अधिनियम बनाया गया।
राजस्थान में पंचायती राज के सर्वप्रथम चुनाव 1960 में हुये। राजस्थान में पंचायती राज कि विशेषताएं -
वर्तमान में त्रिस्तरीय पचायती राज व्यवस्था है -
जिला परिषद - उच्च स्तर - 33 (वर्तमान)
पंचायत समिति - मध्यम स्तर - 295 (वर्तमान)
ग्राम पंचायत - निम्न स्तर - 9891 (वर्तमान)
गठन
ग्राम पंचायत न्यु जनसंख्या 3000 न्यु सदस्य 9, अतिरिक्त सदस्य 1000 = +2
पंचायत समिति न्यु जनसंख्या 1 लाख, न्यु सदस्य 15, अतिरिक्त सदस्य 15000 = +2
जिला परिषद न्यु जनसंख्या 4 लाख, न्यु सदस्य 17, अतिरिक्त सदस्य 1 लाख = +2
निवार्चन प्रणाली -
जिला परिषद Election system
शपथ - पीठासीन अधिकारी (Retarning Officer)
ग्राम पंचायत - Teacher
पचायत समिति - RAS
जिला परिषद - IAS
त्यागपत्र -
वार्ड पंच व सरपंच - खण्ड विकास अधिकारी
पंचायत समिति सदस्य - प्रधान
प्रधान - जिला प्रमुख
जिला परिषद सदस्य - जिला प्रमुख
जिला प्रमुख - सम्भागीय आयुक्त
प्रशासनिक अधिकारी -
ग्राम पचायत - ग्राम सेवक
पंचायत समिति - बी.डी.ओ. (खण्ड विका अधिकारी)
जिला परिषद - सी.ई.ओ. (मुख्य कार्यकारी अधिकारी)
बैठक
ग्राम पचायत - 15 दिन में 1 बार
अध्यक्षता - सरपंच
बैठक में भाग - वार्ड पंच
पंचायत समिति
प्रत्येक माह में 1 बार
अध्यक्षता - प्रधान
भाग - सदस्य (ब्लाक मैबर)
जिला परिषद - प्रत्येक 3 माह में 1 बार
अध्यक्षता - जिला प्रमुख
भाग - जिला परिषद सदस्य
ग्राम सभा - बैठक वर्ष में चार बार
26 जनवरी
1 मई
15 अगस्त
2 अक्टूबर
अध्यक्षता - सरपंच
सदस्य - ग्राम पंचायत के सभी मतदाता
नोट - भारत में ग्राम सभा एक मात्र प्रत्यक्ष लोकतंत्र का उदाहरण हेै
वार्ड सभा - वर्ष 2 बैठक (कभी भी)
अध्यक्षता - वार्ड पंच
सदस्य - वार्ड के सभी मतदाता
पंचायती राज कि सबसे छोटी ईकाई वार्ड सभा
पदेन सदस्य -
पंचायत समिति - पंचायत समिति में सभी ग्राम पंचायतों के सरपंच
पंचायत समिति के क्षेत्र का विधान सभा सदस्य।
जिला परिषद -
जिले में सभी पंचायत समितियों के प्रधान व जिला परिषद क्षेत्र के लोकसभा व विधानसभा सदस्य।
पंचायत राज के प्रमुख प्रावधान
योग्यता - न्यूनतम आयु - 21 वर्ष
कार्यकाल - 5 वर्ष
शैक्षणिक योग्यता -
वार्ड पंच - 5वीं पास,
सरपंच - 8वीं पास,
पंचायत समिति व जिला परिषद सदस्य - 10वीं पास
नोट: नवम्बर 1995 के बाद जिस व्यक्ति के तीसरी सन्तान पैदा होती है वह इन चुनावों के लिए अयोग्य है।
आरक्षण - एस.सी., एस.टी., ओ.बी.सी. को क्षेत्र कि जनसंख्या के आधार पर तथा महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण
नोट: महिलाओं का आरक्षण चक्राकार है।
पद से हटाने कि प्रक्रिया - दो वर्ष बाद ही अविश्वास प्रस्ताव पेश किया जा सकता है। एक बार पारित न होने पर पुनः 1 वर्ष बाद लाया जाता है। प्रस्ताव पारित करने के लिए 3/4 बहुमत कि आवश्यता होती है।
चुनाव -
राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा करवाये जाते है। जिसकी अधिसूचना राज्यपाल के द्वारा जारी कि जाती है।
वर्तमान में मुख्य राज्य निर्वाचन आयुक्त - प्रेमसिंह मेहरा
वेतन - राज्य वित्त आयोग
लोक सभा व विधानसभा का सदस्य पंचायती राज का चुनाव नहीं लड़ सकता।
व्यक्ति एक साथ किसी एक जगह से ही पंचायत राज का चुनाव लड़ सकता।
जो व्यक्ति (ग्राम पंचायत) जिस जगह से चुनाव लड़ता है। उस मतदाता सूची में उसका नाम होना अनिवार्य है।
1996 का पैसा अधिनियम -
सविधान के भाग 9 तथा 5वीं अनुसुचि में वर्णित क्षेत्रों पर लागु नहीं होता परन्तु संसद इन प्रावधानों को कुछ अपवादों तथा संशोधन करके उक्त क्षेत्रों पर लागु कर सकती है।
यह अधिनियम वर्तमान में 9 राज्यों में लागु है - ओडिसा, मध्यप्रदेश, आन्ध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, झारखण्ड, छतीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश,
ट्रिक - ओम आम खाकर रांझा बनकर छगु के साथ हिमाचल चला गया।
शहरी स्वशासन
सन् 1687 ई. को भारत में सर्वप्रथम मद्रास में नगर निगम कि स्थापना कर शहरी स्वशासन को प्रारम्भ किया।
सन् 1864 ई. को माउन्ट आबू में प्रथम नगर पालिका स्थापित करके राजस्थान में शहरी स्वशासन कि शुरूआत कि गई।
राजस्थान की प्रथम निर्वाचित नगरपालिका ब्यावर।
स्वतंत्रता के पश्चात राजस्थान में सर्वप्रथम 1951 में राजस्थान नगरपालिका अधिनियम पारित करके लागु किया गया।
1959 में संशोधित नगरपालिका अधिनियम पारित करके लागु किया गया।
नोट - 74वां संविधान संशोधन (1992) केे द्वारा सविधान में अनुसूची 12 को जोड़ा गया।
उल्लेख - शहरी निकाय
भाग - 9 क
विषय - 18
अनुच्छेद 243 P (त) से 243 ZG (त छ)
नोट: शहरी स्वशासन को 1 जुन 1993 को सम्पूर्ण भारत में एक साथ लागु किया गया।
शहरी स्वशासन के निकाय -
गठन -
1. नगर पालिका - न्युनतम जनसंख्या 20,000 - 1,00,000
2. नगर प��िषद - न्युनतम जनसंख्या 1,00000 - 5,00000
3. नगर निगम - न्युनतम जनसंख्या 5,00000 से अधिक
नोट: नगरपालिका व नगरपरिषद में न्युनतम सदस्य संख्या - 13
निर्वाचन प्रणाली -
नगर निगम
अध्यक्ष - मेयर/महापौर - अप्रत्यक्ष
सदस्य - वार्ड पार्षद - प्रत्यक्ष
नगर परिषद
अध्यक्ष - Chairperson/सभापति - अप्रत्यक्ष
सदस्य - वार्ड पार्षद - प्रत्यक्ष
नगर पालिका
अध्यक्ष - Chairmen/सभापति - अप्रत्यक्ष
सदस्य - वार्ड पार्षद - प्रत्यक्ष
नोट - 2014 को राजस्थान सरकार अध्यादेश के द्वारा शहरी निकायों के अध्यक्षों की निर्वाचन प्रणाली को अप्रत्यक्ष किया गया।
योग्यता - न्युनत्तम आयु 21 वर्ष
शैक्षणिक योग्यता - 10वीं पास
कार्यकाल - 5 वर्ष
आरक्षण - महिलाओं को 33 प्रतिशत
राजस्थान नगरपालिका अधिनियम 2009 के द्वारा महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया गया।
2010 में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश द्वारा महिलाओं के 50 प्रतिशत आरक्षण पर रोक लगा दी गई।
अविश्वास प्रस्ताव
दो वर्ष बाद कुल सदस्यों के 1/3 बहुमत से प्रस्ताव पेश किया जाता है। तथा प्रस्ताव पारित करने के लिये 3/4 बहुमत कि आवश्यकता होती है। प्रस्ताव पारीत करने के बाद Right to Recall का प्रावधान है।
राजस्थान में अब तक एक बार Right to Recall का प्रयोग किया गया है।
इसका प्रयोग 2012 में मंगरोल (बारा) नगरपालिका के अध्यक्ष अशोक जैन के विरूद्ध किया गया लेकिन जनमत संग्रह अशोक जैन के पक्ष में रहा।
वर्तमान में नगरपलिका - 149
वर्तमान में नगर परिषद - 34
वर्तमान में नगर निगम - 7 (सभी संभाग मुख्यालयों पर)
प्रमुख अधिकारी -
नगरपालिका - ई.ओ.
नगर परिषद - सी.ई.ओ.
नगर निगम - कमिश्नर (आयुक्त)
नगरीय स्वशासन की अन्य संस्थाऐं -
नगर विकास न्यास
कुल संख्या - 15
नगर विकास न्यास का अध्यक्ष - राज्य सरकार नियुक्त करती है।
नगर विकास प्राधिकरण
कुल संख्या - 3
1. जयपुर 2. जोधपुर 3. अजमेर (14 अगस्त 2013)
नोट: राज. में एक मात्र छावनी मण्डल - नसीराबाद (अजमेर) जिसका अध्यक्ष कमांडिग आॅफिसर होता है।
जिला आयोजना समिति -
अध्यक्ष - जिला प्रमुख
कुल सदस्य - 25 (जिनमें 3 पदेन, 2 राज्य सरकार द्वारा मनोनित तथा 20 सदस्य जिले की ग्रामीण व नगरिय क्षेत्रों की जनसंख्या के अनुपात में जिला परिषद व नगर निकायों के निर्वाचित जन प्रतिनिधियों में से निर्वाचित होते है।
अनुच्छेद - 243T आक्षरण
अनुच्छेद - 243U कार्यकाल
अनुच्छेद - 243V योग्यता
नोट - स्थानिय स्वशासन की किसी भी संस्था के अध्यक्षता पद
मध्यावधि में रिक्त होने पर अधिकत 6 माह में पुनः निर्वाचन होना आवश्यक है तथा पुनः निर्वाचित अध्यक्ष का कार्यकाल शेष अवधि के लिए होता है।
http://advancestudytricks.blogspot.com/2020/04/local-self-government.html
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जोधपुर राजशाही वस्तुओं की प्रदर्शनी जोधपुर लौटी
जोधपुर। मेहरानगढ़ म्यूजियम ट्रस्ट द्वारा पूर्व नरेश गजसिंह के निर्देशन व संरक्षण में अमेरिका के तीन बड़े शहरों में 18 माह से अधिक समय तक जोधपुर राजशाही के 400 वर्षों के इतिहास से जुड़ी विभिन्न वस्तुओं की लगी प्रदर्शनी पुन: जोधपुर लौट आई है। प्रदर्शनी में प्रदर्शित वस्तुओं के इतिहास, संस्कृति, कला से 3 लाख लोग रूबरू हुए।
ट्रस्ट के निदेशक करणीसिंह जसोल ने बताया कि अमेरिका व कनाड़ा में प्रदर्शनी लगाने का उद्देश्य देश व मारवाड़ की कला, संस्कृति व गौरवशाली इतिहास से जुड़ी वस्तुओं के बारे में जानकारी देना रहा है। उन्होंने बताया कि इससे यहां पर्यटकों के आने में बढ़ोतरी होगी व पर्यटन उद्योग को बढ़ावा भी मिलेगा। अमेरिका के ह्यूस्टन शहर में 4 मार्च से 19 अगस्त 2018 तक म्यूजियम ऑफ फाइन आट्र्स में, सीएटल शहर में 18 अक्टूबर से 21 जनवरी 2019 तक सीएटल आर्ट म्यूजियम में व कनाड़ा के टोरंटों शहर में 9 मार्च से 2 सितम्बर 2019 तक रॉयल ऑटारियो म्यूजियम में प्रदर्शित की गई।
प्रदर्शनी में 19वीं शताब्दी का राजशाही लाल डेरा टेंट, सुन्दरता से तराशे गये हथियार, महंगी उत्सव की वस्तुऐं, सजावट की सामग्री, मर्दाना पहनावा, जनाना पोशाकें, महाडौल व अनेक बहुमूल्य वस्तुऐं, सुन्दर नक्काशी के गहने, उम्मेद भवन का मॉडल, कालीन, पेंटिंग्स, बहुमूल्य पर्दे व अनेक राजशाही बहुमूल्य वस्तुओं की प्रदर्शनी एक्सपर्ट कंजर्वेटर्स की सहायता से एक से दूसरे स्थान पर सुव्यवस्थित तरीके से पहुंचाकर लगाई गई। जसोल ने बताया कि इस विशेष राजशाही वस्तुओं की प्रदर्शनी का अमेरिका के प्रमुख समाचार पत्र वॉशिंगटन पोस्ट ने प्रदर्शनी को वर्ष 2018 की सर्वश्रेष्ठ कला प्रदर्शनी घोषित किया। वहीं वॉल स्ट्रीट जर्नल, आर्ट डेली, आर्टथिस वीक, ग्लास टायर, हॉट इन ह्यूस्टन क्रॉनिकल गैलेरी मैगजीन सहित अन्य पत्र-पत्रिकाओं ने भी स्थान देकर सराहा।
source https://krantibhaskar.com/jodhpur-monarchy/
via JODHPUR NEWS https://ift.tt/32iFv6x
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कौन है हम ?? भाग -2 जलवायु में परिवर्तन और मानव द्वारा प्रयोग में लाये जाने वाले पत्थर के औजारों के आधार पर मानव संस्कृति के व���कास क्रम को तीन अवस्थाओं में बांटा जा सकता है ,पहली निम्न पुरा पाषाण अवस्था जो अफ्रीका में संभवतया 20 लाख वर्ष पूर्व शुरू हुयी थी लेकिन भारत में ये 6 लाख वर्ष से 1. 5 लाख वर्ष पूर्व के मध्य रही लेकिन इसका अधिकांश समय हिमयुग में बीता | दूसरी अवस्था मध्य पाषाण युग को 1. 5 लाख वर्ष से 35 हजार वर्ष पूर्व के मध्य तथा तीसरी ऊपरी पाषाण युग को 35 हजार वर्ष से 10 हजार वर्ष पूर्व के मध्य रखा जाता है | भारत में प्रारंभिक पुरापाषाण युग में प्रयोग किये जाने वाले पत्थर के हथियार कई स्थानों पर मिले है | भोपाल के पास भीमबेटका की गुफाओ और चट्टानों से बने आश्रयो में मिले औजार करीब 1 लाख वर्ष पूर्व के है जिससे इस बात की भी पुष्टि होती ही कि उस काल के मानव द्वारा गुफाओ और शैलाश्रयों का प्रयोग अपने अस्थायी बसेरे के रूप में किया जाता रहा होगा | मध्यपाषाण युग में पत्थर की पपडियो से निर्मित फलक ,छेदनी ,वेधनी और खुरचनी जैसे औजार पाए गए ,इसके साथ साथ तृतीय हिमालयीय हिमावर्तन के साथ साथ नर्बदा और तुंगभद्रा नदी के किनारे एक बाटिकाश्म उद्योग भी चलता है जिसमे गोल पत्थरो से वस्तुओ का निर्माण किया जाता रहा था | भारत में ऊपरी पाषाणयुग के 566 स्थान खोजे गए है ,इस युग में जलवायु अपेक्षाकृत गर्म हुयी थी और वायु में नमी भी कम हुयी थी और ये वो काल था जिसमे होमो सेपियंस के आविर्भाव के साथ चकमक उद्योग भी अस्तित्व में आया जिससे मानव सर्वप्रथम अग्नि से परिचित हुआ होगा | लगभग 10 हजार ईस्वी पूर्व हिमयुग के अंत के साथ ऊपरी पुरापाषाण काल भी समाप्त हुआ और मध्यपाषाण /मेसोलिथिक युग शुरू हुआ | जलवायु गर्म तथा अधिक शुष्क हुयी जिसके चलते पृथ्वी पर कई परिवर्तन हुए और मानव नए क्षेत्रो की तलाश में निकला | 9000 ईस्वी पूर्व से पृथ्वी की जलवायु में कोई विशेष परिवर्तन नहीं हुआ , मध्यपाषाण युग का मानव शिकार और मछलियां पकड़कर अपनी खाद्य जरूरतों को पूरा करता था | इस समय वो पत्थर के छोटे औजार बनाना सीख चुका था साथ ही पशुपालन भी उसके पेशे में शामिल हो चुका था ,मध्यप्रदेश में आजमगढ़ और राजस्थान में बागोर ऐसे क्षेत्र है जहाँ 5000 ईस्वी पूर्व के पशुपालन के प्रमाण पाए गए है ,राजस्थान में सांभर झील में नमक के पुराने जमावो से ये भी पुष्टि होती है कि 7000 -6000 ईस्वी पूर्व यहाँ पौधे लगाए जाते रहे थे | भीमबेटका में 500 से भी अधिक चित्रित गुफाये पायी गयी है जिनमे पशु ,पक्षी और मानवो के चित्र अंकित है ,इनमे अधिकांश पशु पक्षी वे है जिनका शिकार भोजन के लिए किया जाता रहा था | नवपाषाणयुग (नियोलिथिक ) 9000 ईस्वी पूर्व से शुरू होता है ,बलूचिस्तान के मेहरगढ़ क्षेत्र में एक ऐसी बस्ती खोजी गयी है जिसका काल 7000 ईस्वी पूर्व का बताया जाता है | यहाँ के निवासी पशुपालन करते थे और अनाज उपजाते थे ,करीब 5500 ईस्वी पूर्व आयी बाढ़ में बस्ती तबाह हो गयी लेकिन 5000 ईस्वी पूर्व इस मानव बस्ती हड्डियों और पत्थर के औजारों के साथ फिर जीना शुरू किया | ये लोग गेंहू और जो उपजाते थे तथा भेड़ ,बकरी और गाय पालते थे | इनके आवास कच्ची ईंटो से बने होते थे और अन्न भंडार भी इसी प्रकार बनाये जाते थे | 5000 ईस्वी पूर्व तक लोग चाक से मृदभांड नहीं बनाते थे लेकिन 4500 ईस्वी से कुम्हार का चाक प्रचलन में आया तब से मिट्टी के बर्तनो की संख्या तेजी से बढ़ी और इनपर चित्रकारी भी की जाने लगी | 4500 -3500 ईस्वी पूर्व के बीच कोची मैदान से सिंधु के मैदानी क्षेत्र में कृषि का पर्याप्त विस्तार हुआ | सिंधु की सहायक हकरा नदी की सूखी घाटी में 47 उत्तर नवपाषाण कालीन बस्तियां मिली है जाहिर है हड़प्पा संस्कृति का उद्भव इन्ही से हुआ होगा | नवपाषाण युग के मानव की एक विशेषता उसके द्वारा प्रयोग की जाने वाली पालिशदार पत्थर की कुल्हाड़ियाँ और औजार है | उत्तर पश्चिम में बुर्जहोम में कश्मीरी नवपाषाण संस्कृति की विशेषताएं है जिसमे लोग झील के किनारे जमीन में घर बनाकर रहते थे ,शिकार और मछली पर जीते थे , विशेष बात ये भी है कि यहाँ पालतू कुत्तो को भी अपने मालिकों के साथ दफनाया जाता था जो किसी अन्य ��वपाषाण संस्कृति में नहीं था इस बस्ती को 2700 ईस्वी पूर्व की माना गया | चिरांद में हिरन के सींगो से बने उपकरण पाए गए ,पत्थरो से बने औजार नहीं मिलते ,ये बस्ती संभवतया गंगा ,सोन ,गंडक और घाघरा के संगम स्थल के मध्य स्थित खाली भूभाग के कारण बसी इसे 2000 ईस्वी पूर्व की बस्ती माना गया | गोदावरी नदी के दक्षिण और असम की पहाड़ियों तथा मेघालय के गारों में भी नवपाषाण युग की संस्कृति के अवशेष पाए गए | दक्षिण भारत में पायी गयी नवपाषाण युग की बस्तियां 2500 -1000 ईस्वी पूर्व की है | अन्वेषणों से ये स्थापित हो जाता है कि नवपाषाण युग का मानव कृषक समुदाय से था जो पशुपालन भी करता था ,पत्थर और हड्डी से बनी कुल्हाड़िय���ं अथवा कुदालों का प्रयोग जमीन खोदने में करता था और सबसे बड़ी बात ये कि वो घर बनाकर रहता था | लेकिन इसकी एक मज़बूरी ये भी थी कि पत्थर के औजारों के प्रयोग के कारण पहाड़ी इलाको में रहना इसकी मज़बूरी थी ,इसलिए ये केवल अपना पेट भर पाने लायक अनाज ही उपजा पाता था लेकिन ये भी तय है कि ये मानव सभ्यता के द्वार पर कदम रख चुका था | नवपाषाण युग के समाप्त होते होते ताम्बे का प्रयोग किया जाने लगा था और इस तरह जो संस्कृति विकसित हुयी वो पत्थर और ताम्बे दोनों का प्रयोग करती थी ये संस्कृतियां ताम्रपाषाणिक (केल्कोलिथिक ) कही गयी | परन्तु भारत में ये स्थिति थोड़ी अलग है यहाँ हड़प्पा की कांस्य संस्कृति अन्य क्षेत्रो में पायी जाने वाली ताम्रपाषाण संस्कृतियों से पुरानी है | हड़प्पाई लोगो द्वारा कांसे का भी प्रयोग किया जाता था | भारत में ताम्रपाषाण अवस्था की बस्तिया राजस्थान के अहार और गिलूंद ,पश्चिम मध्यप्रदेश के मालवा ,कायथा और एरण ,पश्चिमी महाराष्ट्र में अहमदनगर के जोरवे ,नेवासा ,दैमाबाद पूना के चंदौली ,सोनगांव ,इनामगांव और नासिक में जोरवे संस्कृति के रूप में पायी गयी | कई स्थल इलाहाबाद जिले के विंध्य क्षेत्र में भी पाए गए | राजस्थान के अहार का प्राचीन नाम ताम्बवती था ,यहाँ की बस्तियों से मिली सपाट कुल्हाड़ियाँ ताम्बे की है | इस युग के लोग चाक पर बने हुए काले और लाल रंग के बर्तनो का प्रयोग करते थे जबकि महाराष्ट्र। बिहार और मध्यप्रदेश के लोग टोंटी वाले जलपात्र ,गोड़ीदार तश्तरियां और कटोरो का प्रयोग करते थे | पशुपालन और कृषि इनका मुख्य व्यवसाय था ,ये लोग गेंहू तथा जो उपजाते थे तथा मांस भी खाते थे | कुछ स्थानों पर मिले प्रमाणों से इनके द्वारा बाजरा ,मसूर ,उड़द। मूंग ,मटर बेर और अलसी उपजाने की पुष्टि होती है | पश्चिम बंगाल और बिहार में मछली पकड़ने के कांटो के साथ चावल भी मिला है | इस युग के लोग पक्की ईंटो से बहुत कम परिचित थे और कच्ची मिटटी से बने घरो पर छप्पर डालते थे ,ये लोग ताम्बे के शिल्पकर्म में प्रवीण थे कार्नेलियन ,स्टेटाइट तथा क्वार्ट्ज़ के मनके या गुटिकाएं बनाते थे ,मालवा में मिली तकलियो और चरखो से कहा जा सकता है कि ये कताई बुनाई से परिचित थे | महाराष्ट्र से मिले कपास ,सन ,सेमल और रुई से बने धागो से कहा जा सकता है कि ये लोग वस्त्र निर्माण से वाकिफ थे | इस काल में शवों को कलश में रखकर घर में उत्तर दक्षिण स्थिति में गाड़ा जाता था ,कब्र में मिट्टी की हांडियां और ताम्बे की वस्तुए रखी जाती थी | इस सभ्यता में मिट्टी की स्त्री मूर्तियां पायी गयी जिनमे कुछ नग्न भी है जिससे आभास होता है कि ये लोग मातृदेवी की पूजा करते थे | मालवा और राजस्थान में मिट्टी की वृषभ मूर्तियां पायी गयी जो वृषभ के किसी धार्मिक पंथ का प्रतीक होने की तरफ इशारा करती है | बस्तियों की बसावट से जाहिर होता है कि इस काल में आर्थिक असमानता शुरू हो चुकी थी \ राजस्थान में ���ेतड़ी की ताम्बे की खानो के समीप गणेश्वर की खुदाई में ताम्बे से निर्मित कई वस्तुए प्राप्त हुयी है ,इसे 2800 -2200 ईस्वी पूर्व का माना गया है और इस बात को माना जा सकता है कि ये लोग हड़प्पा संस्कृति को ताम्बे की आपूर्ति किया करते थे | गणेश्वर की स्थिति को देखते हुए इसे प्राक हड़प्पाई ताम्रपाषाण संस्कृति कहा जा सकता है | राजस्थान में कालीबंगा और हरियाणा में बनावली तथा सिंध में कोटदी जी इसी श्रेणी की सभ्यताए है | लेकिन देश के दक्षिणी और पूर्वी भागो की ताम्रपाषाण संस्कृतियां हड़प्पाई संस्कृति से असम्बद्ध ही रही | भारत के मध्य और पश्चिम भागो में ताम्रपाषाण संस्कृतियां 1200 -1000 ईस्वी पूर्व तक लुप्त हो गयी केवल जोरवे संस्कृति 700 ईस्वी पूर्व तक रही जिसका प्रमुख कारण वर्षा में कमी था | कई स्थानों पर ताम्रपाषाण संस्कृति ने लोहे का प्रयोग करना शुरू किया | ताम्रपाषाण संस्कृति का महत्व इसलिए है कि इसी संस्कृति ने सर्वप्रथन बड़ी बस्तियां बसाई और अनाज का उत्पादन पूर्व की संस्कृति से कही अधिक किया | लेकिन इस सभ्यता की ये कमी भी रही कि कठोर स्थानों पर ताम्बे के औजारों से ये अधिक खेती नहीं कर पाए ,पशुओ का प्रयोग केवल मांस के लिए ही कर पाए ,ये लोग ताम्बा पिघलाकर उससे औजार बनाना तो जानते थे लेकिन कांसा बनाना नहीं जानते थे जो इनके विकास का माइनस पॉइंट सिद्ध हुआ | जारी है अतीत का ये सफर --महेंद्र जैन 27 जनवरी 2019
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विक्की कौशल ने #Wolf777newsFilmfare अवार्ड्स 2022 की तैयारी शुरू कर दी है
विक्की कौशल ने #Wolf777newsFilmfare अवार्ड्स 2022 की तैयारी शुरू कर दी है
यह साल का वह समय है जब मंच तैयार होता है और लाल कालीन बिछाए जा रहे होते हैं। एक तारों वाली रात जहां सेलेब्स ने ग्लैमर से भरी रात के लिए अपने बेहतरीन कदमों के साथ कपड़े पहने और साल भर देखी जाने वाली असाधारण प्रतिभा का सम्मान किया।
हर साल की तरह फिल्मफेयर पुरस्कार उनके पास सबसे अच्छा मंच प्रदर्शन है जिसका प्रशंसकों को बेसब्री से इंतजार है। ��स समय, विक्की कौशल अपने शानदार प्रदर्शन से मंच पर आग…
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लखनऊ /हम अपने देश की एकता एवं अखण्डता बनाये रखने के लिए अपने प्राणों की बाजी लगा देंगे,"76वें स्वतंत्रता-दिवस" मनाने का यही हमारा वास्तविक संकल्प होगा-सुनील कुमार, DIG -CRPF
लखनऊ /हम अपने देश की एकता एवं अखण्डता बनाये रखने के लिए अपने प्राणों की बाजी लगा देंगे,”76वें स्वतंत्रता-दिवस” मनाने का यही हमारा वास्तविक संकल्प होगा-सुनील कुमार, DIG -CRPF
सुनील कुमार,DIG -CRPF- मध्य सेक्टर लखनऊ ने अपने दिल की भावना को देश को किया समर्पित/ स्वतंत्रता – दिवस 15 अगस्त 1947 ई0 भारतवर्ष के इतिहास का स्वर्णिम अध्याय है। सैकड़ों वर्ष की गुलामी के ब��द 15 अगस्त 1947 ई0 की प्रातः कालीन सूर्य की किरणें, पक्षियों का कलरव एवं अमृत रूपी नदियों की कल-कल करती प्रवाह ध्वनि देश के लिए एक नया सन्देश लेकर आयी। लाल किले पर ब्रिटिश ब्लैक झण्डे के स्थान पर साहस, बलिदान,…
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When Angelina Jolie Faced A 'Powder' Makeup Disaster Walking On A Red Carpet With White Patches On Her Face, Neck
When Angelina Jolie Faced A ‘Powder’ Makeup Disaster Walking On A Red Carpet With White Patches On Her Face, Neck
जब एंजेलीना जोली को एक ‘पाउडर’ मेकअप आपदा का सामना करना पड़ा, उसके चेहरे, गर्दन पर सफेद पैच के साथ एक लाल कालीन पर चलना – अंदर तस्वीर देखें (फोटो क्रेडि�� – फ़्लिकर)
जब रेड कार्पेट की बात आती है तो एंजेलीना जोली ओजी रानी होती है। उनका फैशन और मेकअप गेम हमेशा दुनिया भर में उनके प्रशंसकों के लिए लक्ष्य रहा है। लेकिन इस बार, उन्हें उनके मेकअप डिजास्टर के लिए बड़े पैमाने पर ट्रोल किया गया था और उनके…
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अकादमी पुरस्कार 2021 रेड कार्पेट: थैंक गॉड, नो हूडिज़
अकादमी पुरस्कार 2021 रेड कार्पेट: थैंक गॉड, नो हूडिज़
कैरी मुलिगन, Young प्रॉमिसिंग यंग वुमन ’के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री नामित, एक वैलेंटिनो फसल शीर्ष और स्कर्ट में चकाचौंध, कार्टियर आभूषण और सोफिया वेबस्टर ऊँची एड़ी के जूते के साथ accessorised।
फोटो: एपी
एलन किम, ‘मिनेरी’ के स्टार और फिल्म की निर्माता क्रिस्टीना ओह, अमेरिकी फैशन डिजाइनर थॉम ब्राउन द्वारा नौ वर्षीय एक स्कूली वर्दी से प्रेरित खेल के साथ रेड कार्पेट पर पहुंचती हैं।
फोटो:…
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तस्वीरें: 2022 ग्रैमी रेड कार्पेट
तस्वीरें: 2022 ग्रैमी रेड कार्पेट
विशेषता फैशन
ग्रैमी अवार्ड्स 2022: रेड कार्पेट पर सर्वश्रेष्ठ फैशन
लाल कालीन गुलाबी हो गया क्योंकि संगीत में सबसे बड़े नाम लास वेगास में 64 वें ग्रैमी अवार्ड्स में फ्लोरोसेंट रंग, चंचल सामान और बहुत सारे नाटक लाए।
इस ग्रैमी अवार्ड यह लगभग किसी भी अन्य प्रमुख पुरस्कार समारोह की तुलना में अधिक बोल्ड, अधिक जोखिम भरा और अधिक आंखें खोलने वाले फैशन को आकर्षित करने के लिए एक प्रतिष्ठा है – और रविवार…
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🔱॥ ॐ श्रीमहादेव्यै नमः ॥🔱 🔥श्री महामाई वंदना 🔥 🔥प्रातः स्मरामि शरदिन्दुकरोज्ज्वलाभां सद्रत्नवन्मकरकुण्डलहार-भूषाम् दिव्यायुधैर्जितसुनील-सहस्रहस्तां रक्तोत्पलाभचरणां भवतीं परेशाम् 🔥 🔥भावार्थः शरद् कालीन चन्द्रमा के समान उज्ज्वल आभावाली, उत्तम रत्नों से जड़ित मकरकुण्डलों तथा हारों से सुशोभित, दिव्यायुधों से दीप्त सुन्दर नीले हजारों हाथों वाली, लाल कमल की आभायुक्त चरणों वाली परम ईशरूपिणी भगवती दुर्गा देवी का मैं प्रातः काल स्मरण करता हूँ🔥 🎊🎊🎊🎊🎊🎊🎊🎊 🔥🔱🔥🔱🔥🔱🔥🔱 सुप्रभात मित्रों---- आपका आज का दिवस शुभ एवं मंगलमय रहे, श्री भगवती देवी माँ , आपकी समस्त कामनाओं की पूर्ति करें, आपका सदा कल्याण करें---- 🔥🔱🔥🔱🔥🔱🔥🔱 🙇🏻♀️ स्वप्न परी 'कंचन' जी 🙇🏻♀️ 🦚🌈[ श्री भक्ति ग्रुप मंदिर ]🦚🌈 🙏🌹🙏जय मां महाकाली🙏🌹🙏 ●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬● © 2022 श्री भक्ति ग्रुप मंदिर ™ All Rights Reserved.® ●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬● (at श्री भक्ति ग्रुप मंदिर) https://www.instagram.com/p/Ca8TrRDBjXf/?utm_medium=tumblr
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🔱॥ ॐ श्रीमहादेव्यै नमः ॥🔱
🔥श्री महामाई वंदना 🔥
🔥प्रातः स्मरामि शरदिन्दुकरोज्ज्वलाभां सद्रत्नवन्मकरकुण्डलहार-भूषाम् दिव्यायुधैर्जितसुनील-सहस्रहस्तां रक्तोत्पलाभचरणां भवतीं परेशाम् 🔥
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आपका आज का दिवस शुभ एवं मंगलमय रहे, श्री भगवती देवी माँ , आपकी समस्त कामनाओं की पूर्ति करें, आपका सदा कल्याण करें---- 🔥🔱🔥🔱🔥🔱🔥🔱
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