#लखनऊ विधानसभा सीट पर भाजपा उम्मीदवार
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indlivebulletin · 15 days ago
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विधानसभा उपचुनाव : मझवां में कभी नहीं दौड़ी साइकिल, ब्राह्मण चेहरा देकर मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश कर रही बसपा
लखनऊ, 09 नवम्बर (हि.स.)। मां विंध्यवासिनी के क्षेत्र में मझवां विधानसभा सीट पर होने जा रहा उपचुनाव भी कम दिलचस्प नहीं है। यह सीट निषाद पार्टी के विधायक विनोद बिंद के भदोही से सासंद बन जाने के कारण खाली हुई है। अब इसको भाजपा ने अपने खाते में डाल लिया है। भाजपा ने जहां सुचिस्मिता मौर्य को अपना उम्मीदवार बनाया है। वहीं समाजवादी पार्टी ने डा. ज्योति बिंद को खड़ाकर दांव आजमा रही है। ऐसे में मुख्य…
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dainiksamachar · 1 year ago
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गठबंधन के दलों को कभी निराश नहीं किया, यूपी में 65 सीटों पर चुनाव लड़ने पर बोले अखिलेश यादव
सहारनपुर: 2024 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की 80 में से 65 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने के संकेत देने वाले सपा अध्यक्ष ने गुरवार को कहा कि अपने गठबंधन के सहयोगियों को पहले कभी निराश नहीं किया है और आगे भी नहीं करेंगे। यादव ने सपा की राज्य कार्यकारिणी की बैठक में 65 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने के संकेत देने और बाकी 15 सीटों पर गठबंधन के साथियों के संतुष्ट होने की सम्भावना से जुड़े सवाल पर संवाददाताओं से कहा कि सपा ने अब तक जितने भी गठबंधन किए हैं, उनमें हमारी कोशिश रही है कि गठबंधन के सहयोगी दलों का पूरा सम्मान किया जाए। मैं आज आपके सामने कह रहा हूं, जो भी हमारे गठबंधन के साथी हैं वे कभी पहले निराश नहीं हुए, वे आगे भी निराश नहीं होंगे। सपा अध्यक्ष देवबंद सीट से पूर्व विधायक माविया अली के बेटे के वलीमे (शादी के बाद की दावत) में शामिल होने आए थे।इस सवाल पर कि क्या सपा उत्तर प्रदेश की 80 में से 65 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी, अखिलेश यादव ने कहा कि यह गिनती (संख्या), इसलिए भी थी, क्योंकि वहां पर आए (बैठक में आए) प्रदेश कार्यकारिणी के लोगों ने कई तरह के सुझाव दिए थे कि सपा को इतनी सीटें लड़नी चाहिए, लेकिन मैं आपसे कह रहा हूं कि अब तक हमने जितने भी गठबंधन किए हैं उनके साथियों को निराश नहीं किया है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव यादव ने बुधवार को लखनऊ में हुई पार्टी की राज्य कार्यकारिणी की बैठक में 65 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने के संकेत दिए थे। उन्होंने कहा था कि प्रदेश में कोई भी गठबंधन सपा की मदद के बिना चुनाव नहीं जीत सकता, इसलिए सपा सभी 80 सीटों पर बूथ स्तर तक पुख्ता तैयारी करे। वो बात खत्म हो गई...मध्य प्रदेश के सवाल पर बोले अखिलेश मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) गठबंधन के तहत टिकट बंटवारे को लेकर कांग्रेस के साथ हाल में हुई तल्खी के बारे में सवाल किया गया। इस पर सपा प्रमुख ने कहाकि मध्य प्रदेश में जो बात खत्म हो गई है, उस बात को हम लोग न उठाएं। ये शायद हमारी समझ के बाहर था या फिर हमने ज्यादा समझ लिया था उन्होंने कहा कि मुझे लगा कि मध्य प्रदेश में अगर उनके (कांग्रेस) लोग बातचीत कर रहे हैं तो हमें साथ लेकर चलेंगे। अब साफ हो गया है कि राज्य स्तर पर कोई गठबंधन नहीं है तो कोई बात नहीं है, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर जो गठबंधन है उसको पीडीए (पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक) एक रणनीति के तहत मदद करेगा। राजग के लोगों ने पीडीए को धोखा दिया- अखिलेश उत्तर प्रदेश के पूर्व ��ुख्यमंत्री ने दावा किया कि पीडीए ही भाजपा नीत राजग (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) को हराएगा। राजग के लोगों ने पीडीए को धोखा दिया है। भाजपा के राज में पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक, मुसलमान सबसे ज्यादा पीड़ित हैं और उनके साथ सबसे ज्यादा अन्याय हुआ है। आम आदमी पार्टी नेता एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय की ओर से नोटिस भेजे जाने के सवाल पर सपा प्रमुख ने कहा कि चाहे अरविंद केजरीवाल हों या आदरणीय आजम खान हों या फिर सपा के और विधायक हों, अगर वे जनता की आवाज उठाएंगे तो इन पर मुकदमा दर्ज हो जाएगा। ये सब इसलिए परेशान किए जा रहे हैं, क्योंकि भाजपा को लगता है कि ये ताकत बनकर उभरेंगे। अगर उनको यही दबा देंगे तो उनके दल का मनोबल गिर जाएगा। इस आरोप पर कि सपा आजम खान के मामले में उनकी मदद नहीं कर रही है, यादव ने कहा कि सपा मदद कर रही है और आगे भी करती रहेगी। http://dlvr.it/SyHtxF
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tezlivenews · 3 years ago
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BJP vs कांग्रेस, SP vs BSP... लखनऊ की 9 विधानसभा सीटों पर किसने किसे उतारा? देखें लिस्ट
BJP vs कांग्रेस, SP vs BSP… लखनऊ की 9 विधानसभा सीटों पर किसने किसे उतारा? देखें लिस्ट
लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) के मतदान की तारीख नजदीक आते ही सियासी सरगर्मियां चरम पर हैं। भारतीय जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस के बीच उम्मीदवारों (Assembly Election 2022 Candidates list) को लेकर भी नूरा-कुश्ती जारी है। अब चौथे चरण के चुनाव के लिए नामांकन की अंतिम तारीख से महज एक दिन पहले मंगलवार को सपा और बीजेपी (BJP Candidate List…
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mediawalablog · 3 years ago
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UP Assembly Elections:सभी हथकंडे अपनाने के बाद भी अंततः रीता बहुगुणा जोशी के बेटे को टिकट नहीं मिला
New Delhi: उत्तर प्रदेश में चुनाव की गहमागहमी अब तीसरे से सातवें चरण में तेज हो गई है। इसी के साथ टिकट बंटवारे को लेकर भी खींचतान मची हुई है। एक मामला कांग्रेस के दो पूर्व नेताओं के रिश्तेदारों से जुडा है। रीता बहुगुणा जोशी इलाहाबाद से भाजपा सांसद हैं। वे अपने पुत्र को लखनऊ कैंट से भाजपा का टिकट दिलवाना चाहती थी। उन्होंने पुत्र मयंक के लिए अपनी सासदी छोडने की पेशकश भी की। सूत्रों के अनुसार भाजपा ने उनसे कहा कि उनकी मांग पर 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान ही विचार किया जा सकता है।
अब बात करते हैं एक अन्य पूर्व कांग्रेस के नेता की। डा राजेंद्र कुमारी वाजपेयी उत्तर प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष और राज्य में मंत्री भी रहीं। उनके पोते हर्ष वाजपेयी 2015 में भाजपा में शामिल हो गए और 2017 के विधानसभा चुनाव में इलाहाबाद उत्तर से विधायक भी चुन लिए गए। पार्टी ने हर्ष को इस बार इसी सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है।
इलाहाबाद के राजनीतिक गलियारों में इन दिनों इन दोनों पूर्व कांग्रेस के नेताओं के परिवार के के लेकर कई चर्चाएं भी चल रही। एक चर्चा यह भी है कि रीता बहुगुणा जोशी का लड़का समाजवादी पार्टी में शामिल हो सकता है। बताया जाता है कि समाजवादी पार्टी की ओर से भी लखनऊ कैंट सीट से कोई ठोस आश्वासन न मिलने के कारण मयंक के सक्रिय राजनीति में प्रवेश पर फिलहाल विराम लग गया है।
https://mediawala.in/up-assembly-elections-rita-bahuguna-joshis-son-finally-did-not-get-ticket/
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shahar-e-aman · 3 years ago
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कशमकश में शहर की आवाम सपा-भाजपा किसे बनाएगी उम्मीदवार जनता की पुकार नया चेहरा सामने आए लखनऊ/प्रयागराज: आगामी 2022 विधानसभा चुनाव के ऐलान के बाद तमाम दलो ने अपने-अपने उम्मीदवार का ऐलान करना शुरू कर दिया है। वहीं प्रयागराज में भी भाजपा व सपा को छोड़ अन्य दलों ने प्रत्याशी घोषित कर दिया किंतु दो दलों द्वारा अभी तक प्रत्याशियों की घोषणा ना होने से कयास बाजी का दौर शुरू हो गया है शहर की 3 विधानसभा सीटों में से किसी पर भी समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी ने अपने उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया है यूं तो 2 सीटों पर माना जा रहा है कि पुराने ही उम्मीदवार पर भरोसा करेगी भाजपा जिनमें दक्षिणी और पश्चिमी है किंतु उत्तरी सीट पर कौन आएगा यह कहना मुश्किल है क्योंकि सूत्र की माने तो वहां से हो सकता है कि बीजेपी नया चेहरा लाए जहां तक शहर की आवाम के नज़रिए की बात है तो इन तीनों सीटों पर जनता युवा चेहरा चाहती है यानी नौजवान को ज्यादातर तरजीह देने के मूड में है जहां तक समाजवादी पार्टी की बात है तो सपा से दावेदारी करने वालों की 2 सीटों पर लंबी फेहरिस्त है जिन में दक्षिणी और पश्चिमी शामिल है पश्चिमी से एक महिला को प्रबल दावेदार माना जा रहा है। किंतु यहां पर उसे भी टिकट देने में देरी की जा रही है इसके पीछे भी वजह है जाति समीकरण जहां तक समीकरण की बात है तो बस यही एक खास कारण है जिसकी वजह से इस तेज तर्रार महिला प्रति आलाकमान गंभीर नहीं दिख रहा है किंतु आम जनों के दुख दर्द पर 24 घंटा खड़े रहने वाली इस महिला को टिकट देने से वंचित रखा गया तो शायद यह अन्याय होगा दूसरी तरफ शहर के दक्षिणी इलाके में यूं तो कई लोगों ने दावेदारी पेश की है किंतु पार्टी आलाकमान किस पर भरोसा जताती है यह भविष्य के गर्भ में है लेकिन लखनऊ स्थित पार्टी कार्यालय के पास प्रयागराज के कई सफेदपोश इन दिनों डेरा डाले हुए हैं जिनमें पेशे से अधिवक्ता व एक अन्य लीडर शामिल है अब देखना यह है कि इस सीट पर पार्टी हाईकमान पुराने लोगों पर भरोसा करेंगा या नए युवा नेता को मौका देंगे लेकिन जहां तक शहर की 3 सीटों का सवाल है 3 सीटों में समझा जा रहा है कि एक सीट पर अल्पसंख्यक समुदाय का उम्मीदवार उतार सकते हैं पार्टी अध्यक्ष। अब यह तो 48 से 72 घंटे में साफ हो जाएगा शहर की 3 विधानसभा सीटों से समाजवादी पार्टी से उम्मीदवार किसे बनाती है लेकिन जनता तीनों सीटों पर युवा चेहरा चाहती है अब देखना यह है कि अखिलेश इन तीनों सीटों पर नौजवान उम्मीदवार की शक्ल में किसे उतारेंगे जहां तक शहर के पश्चिमी सीट का सवाल है यहां पर भी युवा चेहरे को उतारा जा सकता https://www.instagram.com/p/CY_9KalviLQ/?utm_medium=tumblr
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abhay121996-blog · 4 years ago
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कोरोना वायरस ने यूपी में चुनाव से पहले BJP के लिए खड़ी की नई चुनौतियां! Divya Sandesh
#Divyasandesh
कोरोना वायरस ने यूपी में चुनाव से पहले BJP के लिए खड़ी की नई चुनौतियां!
लखनऊ उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस संक्रमितों को उपचार मिलने ��ें पेश आने वाली समस्याओं से आम जनता के साथ-साथ खुद भाजपा नेताओं में भी खासा रोष है। उन्होंने इसके लिए प्रशासन को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा है कि अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव में लोगों की नाराजगी सत्तारूढ़ दल के लिए मुश्किलें पैदा कर सकती हैं। प्रदेश के हरदोई जिले से भाजपा विधायक श्याम प्रकाश कोरोना वायरस संक्रमण से निपटने में प्रशासन की क��शिशों से संतुष्ट नहीं हैं और कहते हैं कि आम लोगों की बात तो दूर, अति महत्वपूर्ण (VIP) समझे जाने वाले लोगों के लिए भी व्यवस्था नहीं हो पाई।
हरदोई जिले की अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित गोपामऊ विधानसभा सीट से श्याम प्रकाश 2017 में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर 87,693 मतों से निर्वाचित हुए और उन्होंने अपनी निकटतम प्रतिद्वंद्वी समाजवादी पार्टी की राजेश्वरी को 31,387 मतों से पराजित किया था। श्याम प्रकाश इससे पहले 2012 में गोपामऊ निर्वाचन क्षेत्र से ही सपा के टिकट पर निर्वाचित हुए थे और पिछले चुनाव से ठीक पहले उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया था। प्रकाश ने कहा, ‘कोरोना वायरस से निपटने की व्यवस्था से लोग संतुष्ट नहीं हैं। आम लोगों की छोडि़ए वीआईपी की भी व्यवस्था नहीं हो पाई।’
श्याम प्रकाश अकेले जनप्रतिनिधि नहीं हैं जिन्होंने संक्रमण प्रबंधन को लेकर सरकार के प्रयासों पर इस तरह की टिप्पणी की है। अप्रैल के दूसरे सप्ताह में उत्तर प्रदेश के कानून मंत्री ब्रजेश पाठक ने अपर मुख्‍य सचिव (चिकित्सा व स्वास्थ्य) तथा प्रमुख सचिव (चिकित्सा शिक्षा) को पत्र लिखकर चिंता व्यक्त की थी। पाठक ने अपने पत्र में लिखा था, ‘अत्यंत कष्ट के साथ सूचित करना पड़ रहा है कि वर्तमान समय में लखनऊ जनपद में स्वास्थ्य सेवाओं का अत्यंत चिंताजनक हाल है। विगत एक सप्ताह से हमारे पास पूरे लखनऊ जनपद से सैकड़ों फोन आ रहे हैं, जिनको हम समुचित इलाज नहीं दे पा रहे हैं।’
केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने भी मुख्यमंत्री और सरकार के प्रमुख लोगों को पत्र लिखकर अव्‍यवस्‍था की ओर इशारा किया था। बलिया के विधायक सुरेंद्र सिंह भी कोरोना प्रबंधन को लेकर सरकार के खिलाफ असंतोष जता चुके हैं। फिरोजाबाद जिले के जसराना से भाजपा विधायक राम गोपाल लोधी की पत्नी को उपचार के लिए आठ घंटे इंतजार करना पड़ा। वह आगरा में बेड के लिए भटकीं तो विधायक ने सरकारी तंत्र के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली। प्रदेश भाजपा में शीर्ष स्तर पर ऐसा मानने वालों की कमी नहीं है कि कोरोना की दूसरी ल��र ने राजनीतिक तौर पर पार्टी का काफी नुकसान किया है।
एक प्रदेश पदाधिकारी और वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘कुछ विधायकों और कार्यकर्ताओं ने सार्वजनिक तौर पर असंतोष व्यक्त किया है। कार्यकर्ताओं के बीच व्यापक स्तर पर नाराजगी है। इसे देखते हुए मुख्यमंत्री ने खुद मोर्चा संभाला है और वह राज्य के जिलों का दौरा करके गांवों तक व्यवस्था की समीक्षा कर रहे हैं।’
कोरोना संक्रमण से 30 अप्रैल को उबरने के बाद योगी ने जिलों का दौरा शुरू कर जमीनी सच्चाई परखी। अब तक वह करीब 50 जिलों में कोविड प्रबंधन की समीक्षा कर चुके हैं और आगे भी उनके कार्यक्रम विभिन्न जिलों में हैं। राज्‍य में आधिकारिक रूप से अब तक सरकार के तीन मंत्री और पांच विधायकों समेत 18,978 संक्रमित अपनी जान गंवा चुके हैं और अब तक साढ़े 16 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं। राज्य में अगले वर्ष की शुरुआत (फरवरी-मार्च) में विधानसभा चुनाव होंगे। इसे देखते हुए विपक्षी दलों, खासकर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने संक्रमण के प्रबंधन को लेकर राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने राज्य की भाजपा सरकार पर आरोप लगाया कि ‘देश और प्रदेश के प्रधान (मोदी और योगी) के बीच परस्पर प्रशंसा का जो आदान-प्रदान हो रहा है उसमें जनता पिस रही है। अगर कोरोना के टीके, बेड, ऑक्सीजन की व्यवस्था में ध्यान दिया जाए तो शायद और लोगों की जान बच जाए।’ उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा ‘भाजपा सरकार सच्चाई स्वीकार करने के बजाय गलत आंकड़े प्रस्तुत कर रही है। नदियों में तैरते शवों के दृश्‍य हर हाल में खुद को सही मानने वाले हुक्मरान के घमंड का नतीजा हैं।’
विपक्ष के हमलों के बीच सबसे ज्यादा परेशानी में भाजपा के कार्यकर्ता और जनप्रतिनिधि हैं, जिन्हें इस दौरान अपने अपने इलाकों में वेंटिलेटर, ऑक्सीजन सिलेंडर, अस्पतालों में बेड, रेमडेसिविर आदि के अभाव से दो चार होना पड़ा है। आजमगढ़ ज़िले के एक वरिष्ठ कार्यकर्ता ने कहा ‘जल्द ही विधानसभा चुनाव की सरगर्मी तेज होगी और हम लोग उन मतदाताओं का सामना कैसे करेंगे जिनके परिजनों को बेड, ऑक्सीजन और अन्य चिकित्सा सुविधा हम नहीं दिला पाये।’
गौरतलब है कि 2017 के चुनाव में भाजपा और उसके सहयोगी दलों ने 403 सदस्यों वाली विधानसभा में 325 सीटें जीती थीं। मुख्य विपक्षी दल सपा 50 का आंकड़ा न��ीं पार कर सकी और कांग्रेस दहाई से भी नीचे सिमट गई। बहुजन समाज पार्टी को भी 19 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा। कोरोना के कहर में अपने परिवार के सदस्य गंवा चुके लखनऊ के मोहनलालगंज के भाजपा सांसद कौशल किशोर ने अप्रैल के दूसरे पखवाड़े में मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा था ‘संबंधित संस्‍थानों के जिम्मेदार अधिकारी मरीजों को भर्ती नहीं कर रहे हैं जिससे सरकार की छवि को नुकसान हो रहा है।’
राजधानी लखनऊ के एक वरिष्ठ भाजपा कार्यकर्ता नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं, ‘अब 2017 के परिणाम को दोहराना सपना है और इसे कोई चमत्कार ही वापस ला सकता है।’ उन्होंने राज्य में पंचायत चुनाव का उदाहरण दिया जहां भाजपा को दावों के विपरीत मुंह की खानी पड़ी। कार्यकर्ता ने कहा ‘ पंचायत चुनाव में 70 फीसद से ज्यादा मतदान प्रतिशत रहने के बावजूद भाजपा को इतना बड़ा झटका लगा तो विधानसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत कम होने पर स्थिति का अंदाजा लगा सकते हैं।’
उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों में जिला पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य, ग्राम पंचायत प्रधान और ग्राम पंचायत सदस्य के पदों के लिए पिछले महीने चार चरणों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव हुए थे। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने दावा किया है कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के बेहतर परिणामों के बाद अब पार्टी अधिकतर जिलों में जिला व क्षेत्र पंचायतों में बोर्ड के गठन में जुटेगी और उसे सफलता मिलेगी। अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनावों पर कोरोना के प्रभाव के बारे में पूछने पर विधायक श्याम प्रकाश ने कहा ‘ 2022 के लिए स्थिति बहुत खराब रहेगी क्योंकि जनता में आक्रोश है।’
हालांकि भाजपा के बांदा जिले के विधायक प्रकाश द्विवेदी कोरोना के कहर और पंचायत चुनाव में मिले परिणामों से 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव को अलग बताते हैं। प्रकाश द्विवेदी ने कहा ‘ पंचायत चुनाव में प्रधान, बीडीसी सदस्य और जिला पंचायत सदस्य उम्मीदवार होते हैं और सर्वाधिक प्राथमिकता ग्राम प्रधान के लिए होती है। जब गांव की राजनीति होती है तो पार्टी किनारे हो जाती है। लोग-बाग निजी संबंधों को ज्यादा तरजीह देते हैं।’
सत्तारूढ़ दल के विधायक द्विवेदी ने पत्र लिखकर पंचायत चुनाव टालने की भी मांग की थी। वह यह भी कहते हैं ‘ कोरोना को लेकर तात्कालिक नाराजगी जरूर रही लेकिन अब पूरी व्यवस्था नियंत्रण में है।’ कोरोना के चलते भाजपा के प्रति लोगों में अगर नाराज���ी है तो 2022 के चुनाव में इसका लाभ किसे मिलेगा, इस सवाल पर शाहजहांपुर के भाजपा विधायक रोशन लाल वर्मा ने बचते हुए कहा, ‘विपक्ष को जो भूमिका निभानी चाहिए वह निभा नहीं पाया। संकट की इस घड़ी में विपक्ष लोगों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर��।’
उधर, भाजपा के गोरखपुर क्षेत्र से पूर्व मंत्री अजय तिवारी ने कहा ‘यह सही है कि मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ जब तक जिलों में नहीं जा रहे थे तब तक स्थिति खराब थी लेकिन अब सब कुछ नियंत्रण में है और लोगों की नाराजगी दूर हो रही है। योगी ने सभी वर्गों के हितों का ध्यान रखा है।’ लखनऊ स्थित राजनीतिक विश्लेषक बंशीधर मिश्र ने कहा ‘कोविड-19 की दूसरी लहर में जिन घरों से लोगों की जान गई हैं उनको और उनके आसपास के लोगों के मन से यह बात कौन दूर सकता है कि उनके घर-परिवार का ‘भविष्य’ सरकार की अव्यवस्था की भेंट चढ़ गया। 2022 के चुनाव में भाजपा को इसका ‘भुगतान’ करना पड़ेगा।’
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kisansatta · 4 years ago
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यूपी से गुजरेगी राज्‍यसभा में NDA के बहुमत की राह
लखनऊ : संसद के ऊपरी सदन का समीकरण अब उत्तर प्रदेश बदलने जा रहा है बता दें कि भाजपा ुर केंद्र में NDA की सरकार यूपी के सहारे पहली बार राज्यसभा में एनडीए अकेले दम पर बहुमत का आंकड़ा पार करने जा रही है | अब तक महत्वपूर्ण बिल के लिए बीजेपी को राज्यसभा में दूसरी विपक्षी पार्टियों पर निर्भर रहना पड़ता है, लेकिन सितम्बर में होने वाले राज्यसभा के एक सीट और नवंबर में होने वाले 10 सीटों से राज्यसभा में सियासी आंकड़ा पूरी तरह बदल जाएगा | एक तरफ जहां ऊपरी सदन में बीजेपी की ताकत सबसे ज्यादा बढ़ जाएगी, वहीं एनडीए के पास पर्याप्त बहुमत का आंकड़ा होगा |
उत्तर प्रदेश में 11 सितम्बर को राज्यसभा के एक सीट पर चुनाव होने वाले हैं | बता दें कि अमर सिंह के निधन से खाली हुई सीट है | बीजेपी ने इस सीट के लिए बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सैयद ज़फर इस्लाम को उम्मीदवार बनाया है | दरअसल बात यह है कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी के संख्या बल को देखें तो ये सीट बीजेपी निर्विरोध जीत लेगी, यानी ज़फर इस्लाम का राज्यसभा जाना तय है |
अभी भी जीवनरक्षक प्रणाली में है पूर्व राष्ट्रपति मुख़र्जी
नवंबर में होंगे 10 सीटों पर चुनाव
सितम्बर में एक सीट के चुनाव के बाद सबकी निगाहें नवंबर में होने वाली राज्यसभा चुनाव में टिकी हुई हैं, क्योंकि नवंबर का चुनाव ही संसद के ऊपरी सदन का समीकरण बदलेगा | इस 10 सीटों के लिए होने वाले चुनाव में पलड़ा बीजेपी की भारी है | 10 सीटों में 8 पर तो बीजेपी आसानी से जीत दर्ज कर लेगी, लेकिन बीजेपी का लक्ष्य 9 सीटों पर जीत दर्ज कराने का होगा |
अगर मौजूदा समय की बात करें तो यूपी विधानसभा में अभी 395 विधायक हैं और 8 सीटें खाली हैं | यूपी विधानसभा की मौजूदा स्थिति के आधार पर नवंबर में होने वाले चुनाव में जीत के लिए हर सदस्य को करीब 37 वोट चाहिए | अगर यूपी विधानसभा में सत्ताधारी बीजेपी की मौजूदा ताकत को देखें तो उसके पास अपने 305 विधायक हैं | ऐसे में इस संख्याबल के दम पर भाजपा नवंबर में 10 में से 8 सदस्यों को चुनकर उच्च सदन में आसानी से भेज सकती है | और अगर उसे अतिरिक्त समर्थन मिल गया तो यह संख्या 9 तक पहुंच सकती है |
ट्रंप के बदले तेवर, अमेरिका में बैन हुई चीन की 24 कंपनियां
बीजेपी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक उसे कुछ विपक्षी विधायकों का भी समर्थन मिल सकता है | रायबरेली के हरचंदपुर और सदर सीट से कांग्रेस विधायक राकेश सिंह और अदिति सिंह जिस तरीके से कांग्रेस के खिलाफ बागवत कर रहे हैं | बीजेपी को उम्मीद है कि ये दोनों राज्यसभा के लिये बीजेपी का साथ दे सकते हैं | वहीं बीजेपी में शामिल हो चुके पूर्व राज्यसभा सांसद नरेश अग्रवाल के बेटे नितिन अग्रवाल भी कहने के लिए तो समाजवादी पार्टी के विधायक हैं, लेकिन वह भी राज्यसभा में बीजेपी के लिए वोट कर सकते है | यानी बीजेपी थोड़ी मशक्क्त करे तो उत्तर प्रदेश के 9वी सीट भी बीजेपी की झोली में होगी |
नवंबर को राज्यसभा में एनडीए को बहुमत
सितम्बर और नवंबर में होने वाले राज्यसभा के बाद एनडीए बहुमत का आंकड़ा पार कर लेगी | 245 सदस्यों वाली राज्यसभा में इस वक्त भारतीय जनता पार्टी के पास अपने कुल 86 सांसद हैं | जबकि, एनडीए का कुल आंकड़ा 113 का है | ऐसे में सितंबर और नवंबर में यूपी में हो रहे चुनाव में बीजेपी को उम्मीद के मुताबिक कुल 11 में से 10 सीटें मिल गईं तो एनडीए अपने दम पर बहुमत के आंकड़े को छू लेगा | यानी उम्मीद के मुताबिक बीजेपी को जीत मिल गई तो राज्यसभा में बीजेपी की संख्या 97 पहुच जाएगी, जबकि एनडीए की संख्या 124 को छू लेगी, जो बहुमत के आंकड़े की संख्या पार करती है |
यूपी : पंचायत चुनाव पर जल्द फैसला लेगी योगी सरकार
25 निवम्बर को खत्म हो रहा है कार्यकाल
25 नवंबर को यूपी से जिन राज्यसभा सांसदों का कार्यकाल खत्म होने जा रहा है, उनमें अरुण सिंह, जावेद अली खान, पीएल पुनिया, राम गोपाल यादव, राजाराम, वीर सिंह, चंद्रपाल सिंह यादव, नीरज शेखर, रवि प्रकाश वर्मा और हरदीप सिंह पुरी शामिल हैं |
https://kisansatta.com/ndas-majority-in-rajya-sabha-will-pass-through-up/ #NDASMajorityInRajyaSabhaWillPassThroughUP NDA's majority in Rajya Sabha will pass through UP National, Top, Trending #National, #Top, #Trending KISAN SATTA - सच का संकल्प
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vsplusonline · 5 years ago
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6 मंत्रियों समेत सिंधिया गुट के 17 विधायक दिल्ली-बेंगलुरु पहुंचे, भोपाल में कमलनाथ ने कैबिनेट मीटिंग बुलाई; दिल्ली में अमित शाह के घर बैठक
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6 मंत्रियों समेत सिंधिया गुट के 17 विधायक दिल्ली-बेंगलुरु पहुंचे, भोपाल में कमलनाथ ने कैबिनेट मीटिंग बुलाई; दिल्ली में अमित शाह के घर बैठक
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ज्योतिरादित्य सिंधिया फिलहाल दिल्ली में, सचिन पायलट से मिले; सोनिया गांधी से भी हो सकती है मुलाकात
प्रद्युम्न सिंह, महेंद्र सिंह सिसोदिया, तुलसी सिलावट, इमरती देवी, गोविंद सिंह और प्रभुराम चौधरी बेंगलुरु गए
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कैबिनेट की बैठक बुलाई, मंगलवार को कांग्रेस विधायक दल की बैठक भी बुलाई गई
भाजपा विधायक दल की बैठक भी मंगलवार को होगी, शिवराज सिंह चौहान विधायक दल के नेता चुने जा सकते हैं
Dainik Bhaskar
Mar 09, 2020, 10:07 PM IST
भोपाल. मध्य प्रदेश में चल रहे सियासी ड्रामे में सोमवार को बड़ी उथल-पुथल सामने आई। 6 मंत्रियों समेत 17 विधायक दिल्ली और बेंगलुरु पहुंच गए हैं। ये सभी सिंधिया गुट के हैं। इनके फोन बंद आ रहे हैं। खबर लगते ही मुख्यमंत्री कमलनाथ दिल्ली से भोपाल लौट आए हैं। उन्होंने तुरंत बैठक बुलाई। कमलनाथ थोड़ी देर में कैबिनेट के साथ भी बैठक करेंगे। मंगलवार सुबह कांग्रेस विधायक दल की बैठक भी बुलाई गई है। भाजपा ने भी इसी दिन विधायक दल की बैठक बुलाई है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया अभी ��िल्ली में हैं। वे आधे घंटे के लिए अपने आवास से अकेले बाहर निकले थे। सूत्रों ने बताया कि सिंधिया ने सचिन पायलट से मुलाकात की। बताया जा रहा है कि सिंधिया सोनिया गांधी से भी मुलाकात कर सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस मध्य प्रदेश का संकट को टालने के लिए कांग्रेस ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रदेश अध्यक्ष या राज्यसभा सदस्य बना सकती है।
शिवराज बन सकते हैं भाजपा विधायक दल के नेता
सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली में अमित शाह के आवास पर मध्य प्रदेश भाजपा नेताओं की बैठक चल रही है। इसमें नरेंद्र सिंह तोमर और शिवराज सिंह मौजूद हैं। बताया जा रहा है कि शिवराज सिंह चौहान को बैठक में विधायक दल का नेता चुना जा सकता है। इस बीच, मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन ने छुट्टियां कैंसल कर दी हैं। वे मंगलवार को भोपाल लौट रहे हैं। वे 5 दिन के लिए लखनऊ गए हुए थे।
इन मंत्रियों-विधायकों के फोन बंद
मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, महेंद्र सिंह सिसोदिया, तुलसी सिलावट, इमरती देवी, गोविंद सिंह राजपूत और प्रभुराम चौधरी बेंगलुरु गए हैं। भास्कर ने जब सभी को फोन लगाया तो इनके फोन बंद मिले। राजवर्धन सिंह, ओपीएस भदौरिया, जसवंत जाटव, बिजेंद्र यादव, जसपाल जज्जी, रणवीर जाटव, कमलेश जाटव, रक्षा सिरोनिया, मुन्ना लाल गोयल, रघुराज कंषाना और सुरेश धाकड़ से भी संपर्क नहीं हो पा रहा है। बेंगलुरु के बाहरी इलाके में स्थित एक रिसॉर्ट में विधायकों को ठहराया गया है। यहां 400 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। सूत्रों के मुताबिक, कुछ विधायक दिल्ली में हैं।
कमलनाथ ने सिंधिया पर नहीं दिया कोई जवाब मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सोमवार को दिल्ली में सोनिया गांधी से मुलाकात की। मुलाकात के बाद कमलनाथ ने कहा कि का���ग्रेस अध्यक्ष से कई मसलों पर चर्चा हुई है। उनका मार्गदर्शन मिला है, उसका पालन करूंगा। ज्योतिरादित्य सिंधिया को राज्यसभा भेजे जाने के सवाल पर कमलनाथ ने कोई जवाब नहीं दिया।
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कांग्रेस महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया (बाएं) और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ।
पिछले महीने बढ़ी कमलनाथ और सिंधिया के बीच तल्खी कमलनाथ और सिंधिया के बीच फरवरी में वचनपत्र को लेकर सिंधिया के ब���ान के बाद तकरार बढ़ गई थी। जब सिंधिया ने कहा था कि वचन पत्र के वादे पूरे नहीं हुए तो सड़कों पर उतरूंगा। इस बयान के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा था- उतर जाएं…। उस वक्त भी मुख्यमंत्री कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिले थे। बताया जा रहा था कि कमलनाथ ने सरकार पर सिंधिया के हमलों को लेकर नाराजगी जाहिर की थी।
मध्य प्रदेश में 26 मार्च को राज्यसभा की 3 सीटों का चुनाव, क्रॉस वोटिंग की आशंका 26 मार्च को मध्य प्रदेश में राज्यसभा की तीन सीटों के लिए चुनाव होना है। किसी भी पार्टी के प्रत्याशी को जीतने के लिए 58 विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी। कांग्रेस के पास अपने 114 विधायकों के अलावा सपा-बसपा और निर्दलियों समेत 121 विधायक हैं। ऐसे में कांग्रेस को दो सीट मिल सकती हैं। 107 सीट वाली भाजपा का एक सीट पर जीतना तय है। भाजपा दो सीटों पर उम्मीदवार उतारने की बात कर रही है। वोटिंग होना तय है, जिसमें कुछ विधायकों की क्रॉस वोटिंग से दोनों पार्टियों का खेल बन या बिगड़ सकता है।
मध्य प्रदेश में सियासी ड्रामे के 6 दिन 3 मार्च: सुबह दिग्विजय सिंह के ट्वीट कर भाजपा पर हॉर्स ट्रेडिंग के आरोप लगाए और कहा कि कांग्रेस विधायकों को दिल्ली ले जाया गया। शाम को पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह दिल्ली पहुंचे। कांग्रेस ने देर रात दावा किया कि भाजपा ने कांग्रेस के 6, बसपा के 2 और एक निर्दलीय विधायक को गुड़गांव के आईटीसी मराठा होटल में बंधक बनाया। भोपाल से मंत्री जीतू पटवारी और जयवर्धन सिंह को दिल्ली भेजा गया। 4 मार्च: इस दिन दोपहर को सपा के राजेश शुक्ला (बब्लू), बसपा के संजीव सिंह कुशवाह, कांग्रेस के ऐंदल सिंह कंसाना, रणवीर जाटव, कमलेश जाटव और बसपा से निष्कासित राम बाई भोपाल पहुंचीं। कांग्रेस के बिसाहूलाल, हरदीप सिंह डंग, रघुराज कंसाना और निर्दलीय सुरेंद्र सिंह शेरा की लोकेशन नहीं मिल रही थी। दिग्विजय ने फिर आरोप लगाया कि भाजपा ने 4 विधायकों को जबरन गुड़गांव से बेंगलुरु शिफ्ट किया है। 5 मार्च: कांग्रेस विधायक हरदीप सिंह डंग ने विधानसभा अध्यक्ष को अपना इस्तीफा भेज दिया। कांग्रेस के एक अन्य लापता विधायक बिसाहूलाल सिंह के बेटे ने उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट भोपाल के टीटी नगर थाने में दर्ज कराई। 6 मार्च: कमलनाथ ने कैबिनेट की बैठक ली, सभी विधायकों को भोपाल बुलाया। दिल्ली में तोमर के घर भाजपा नेताओं की बैठक जारी। भाजपा विधायक पीएल तंतुवाय के गायब होने की खबरें आईं। दोपहर में वे सामने आए और कहा- मेरा फोन बंद था, गायब नहीं हुआ। 7 मार्च: निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा बेंगलुरू से वापस आए थे। निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा का वीडियो सामने आ गया है, जिसमें वह कहते हुए दिख रहे हैं कि उन्हें बहुत परेशान किया गया है, लेकिन वह कमलनाथ के साथ हैं और वह उनके बॉस हैं। शनिवार को सुबह भोपाल आए थे और सीएम से मुलाकात की थी। 8 मार्च: बेंगलुरू में बीते छह दिन से जमे तीन कांग्रेसी विधायकों में से एक बिसाहूलाल सिंह रविवार को भोपाल लौटे थे। यहां आते ही उन्होंने मुख्यमंत्री कमलनाथ से मुलाकात की और इसके बाद कहा- मैं तो तीरथ करने गया था। मुझे किसी ने बंधक नहीं बनाया। मैं कांग्रेस में ही रहूंगा।
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realtimesmedia · 5 years ago
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सुधांशु त्रिवेदी राज्यसभा के लिए निर्विरोध निर्वाचित हुए लखनऊ(realtimes) उत्तर प्रदेश की राज्यसभा सीट पर बुधवार को भाजपा उम्मीदवार सुधांशु त्रिवेदी(Sudhanshu Trivedi) निर्विरोध निर्वाचित( elected unopposed to Rajya Sabha) हुए। विधानसभा के विशेष सचिव बी बी दुबे ने बताया कि बुधवार को नामांकन पत्र वापस लेने की अंतिम तारीख थी और त्रिवेदी को निर्विरोध निर्वाचित घोषित किया गया। भाजपा प्रत्याशी ने बीते सप्ताह शुक्रवार को नामांकन किया था। दुबे ने बताया कि त्रिवेदी प्रमाणपत्र हासिल करने के लिए व्यक्तिगत रूप से मौजूद थे। योगी आदित्यनाथ सरकार में वरिष्ठ मंत्री ब्रजेश पाठक, आशुतोष टंडन, मोहसिन रजा और उत्तर प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष जे पी एस राठौर त्रिवेदी के साथ मौजूद रहे। …
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haryanatime · 4 years ago
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हरियाणा टाइम . लखनऊ
अटल बिहारी वाजपेयी के साथ वे लंबे समय तक जुड़े रहे मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन (85) का मंगलवार सुबह 5.30 बजे निधन हो गया। उन्हें  11 जून को सांस लेने में तकलीफ और बुखार के चलते लखनऊ के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अस्पताल की तरफ से सोमवार शाम जारी मेडिकल बुलेटिन में उनकी हालत क्रिटिकल बताई गई थी। शाम 4.30 बजे उनका लखनऊ में अंतिम संस्कार होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनके निधन पर दुख जताया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने 3 दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है।
टंडन का कोरोना टेस्ट निगेटिव आया था। लिवर में दिक्कत होने की वजह से 14 जून को इमरजेंसी ऑपरेशन किया गया था। टंडन की हालत में सुधार न होता देख केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बाई पटेल को मध्यप्रदेश का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा था।
मोदी ने ट्वीट कर कहा- उन्हें कानून की बेहतर समझ थी
मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘लालजी टंडन समाज के लिए किए अपने कामों के लिए हमेशा याद किए जाएंगे। उत्तर प्रदेश में भाजपा को मजबूत करने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई। वे एक कुशल प्रशासक थे। कानूनों मामलों की उन्हें गहरी समझ थी। दुख की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार के साथ हैं।’
12 सा�� की उम्र में जुड़ गए थे संघ से
टंडन 12 साल की उम्र से ही संघ की शाखाओं में जाया करते थे। संघ से जुड़ाव के चलते ही उनकी मुलाकात अटल बिहारी वाजपेयी से हुई थी। बाद में जब अटलजी ने लखनऊ की सीट छोड़ी तो बतौर विरासत लालजी टंडन को यह सीट सौंपी गई। 2009 में टंडन ने लोकसभा चुनाव जीता और लखनऊ के सांसद बने। अटल जी के साथ उनकी गहरी मित्रता थी।
1960 से शुरू हुआ था राजनीतिक सफर
टंडन का राजनीतिक सफर 1960 से शुरू हुआ। वे 2 बार पार्षद और दो बार विधान परिषद के सदस्य रहे। इसके बाद लगातार तीन बार विधायक भी रहे। वे कल्याण सिंह सरकार में मंत्री भी रहे थे। साथ ही यूपी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रहे।
अटलजी लालजी टंडन  से कहते थे.. कितना भी व्यस्त रहूं आपकी कचौड़ी खाए बिना नहीं जाऊंगा
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लालजी टंडन पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के भी बहुत करीबी रहे। लालजी टंडन कहते थे कि अटल बिहारी वाजपेयी मेरे बड़े भाई और पिता हैं। दोनों ने करीब पचास साल साथ काम किया। लालजी टंडन कोई भी बड़ा काम अटलजी के आशीर्वाद से ही शुरू करते थे। पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्व. अटल विहारी वाजपेयी और लाल जी टंडन की सात दशक की दोस्ती पर तमाम उतार चढ़ाव के बावजूद कभी राजनीतिक रंग नहीं चढ़ा और आखिरी सांस तक रिश्तों की गर्माहट पहले दिन की तरह ही बरकरार रही। लखनऊ और अटल का रिश्ता अटूट था तो टंडन के दिल में भी केवल लखनऊ बसता था। दोनो का लखनऊ से अल्लड़ प्यार ही उनके बीच सेतु का काम करता था।
अटलबिहारी वाजपेयी को अपना राजनीतिक गुरु मानते थे टंडन
लालजी टंडन, अटलबिहारी वाजपेयी को अपना राजनीतिक गुरु मानते थे। Lalji Tandon के पहले सियासी सफर पर भी अटलजी का उनको खूब साथ मिला। 1962 में लखनऊ नगर पालिका के चुनाव में टंडन सभासद चुने गए। उनका कहना था कि अटल भारतीय राजनीति के वह शिखर पुरुष हैं जिनका कोई मुकाबला नहीं कर सकता। यही वजह रही कि जब 2009 के चुनाव में अटल के अस्वस्थ होने पर लाल जी टंडन को उनकी विरासत संभालने को कहा गया तो वह भावुक हो गए थे। प्रधानमंत्री रहते हुए अटल का जब भी आना हुआ Lalji Tandon से मुलाकात जरूर हुई। अटल जी को चौक की ठंडाई हो चॉट और कचौड़ी बेहद पंसद थी। इसलिए लखनऊ आने से पहले वह टंडन को इसका इंतजाम करने को कहते थे, अटल कहते थे कितना भी व्यस्त रहूं टंडन जी आपकी कचौड़ी खाए बिना नहीं जाऊंगा।
लालजी टंडन ने कहा था, मोदी के लिए छोड़ दूंगा सीट
लालजी टंडन लखनऊ से सांसद रहे, लेकिन 2014 में स्थिति ऐसी बनी जब उन्हें अपनी सीट छोड़ना पड़ी। दरअसल, यह वही वक्त था जब नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया गया था। चर्चा थी कि पीएम मोदी उत्तर प्रदेश की किसी सीट से लड़ सकते हैं। तब लालजी टंडन ने कहा था कि वे नरेंद्र मोदी के लिए अपनी सीट छोड़ने को तैयार हैं। बाद में राजनाथ सिंह लखनऊ से चुनाव लड़ने थे और नरेंद्र मोदी वाराणसी से जीतकर प्रधानमंत्री बने थे।
लालजी टंडन को मायावती बांधती थीं राखी
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा सुप्रीमो मायावती उन्हें राखी बांधती थीं। दरअसल, उत्तर प्रदेश के चर्चित गेस्ट हाउस कांड के समय लालजी टंडन ने मायावती की जान बचाई थी। यही कारण है कि मायावती उन्हें अपना भाई मान बैठी थीं और राखी बांधती थीं। बता दें, 90 के दशक में ज��� उत्तर प्रदेश में भाजपा और बसपा की सांंझी सरकार बनी थी, तब इसमें लालजी टंडन का अहम योगदान था।
अटल जी के साथी और मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन का निधन हरियाणा टाइम . लखनऊ अटल बिहारी वाजपेयी के साथ वे लंबे समय तक जुड़े रहे मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन (85) का मंगलवार सुबह 5.30 बजे निधन हो गया। उन्हें  11 जून को सांस लेने में तकलीफ और बुखार के चलते लखनऊ के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अस्पताल की तरफ से सोमवार शाम जारी मेडिकल बुलेटिन में उनकी हालत क्रिटिकल बताई गई थी। शाम 4.30 बजे उनका लखनऊ में अंतिम संस्कार होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनके निधन पर दुख जताया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने 3 दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है।
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jmyusuf · 6 years ago
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आखिर नेता दो सीट से चुनाव लड़ते क्यों हैं..?
*आखिर नेता दो सीट से चुनाव लड़ते क्यों हैं..?* *राहुल ऐसे तीसरे गांधी जो एक चुनाव में दो सीटों से मैदान में होंगे* राहुल अमेठी के साथ-साथ केरल की वायनाड़ सीट से भी चुनाव लड़ेंगे। आखिर क्या वजह है कि नेता दो सीटों से चुनाव लड़ना चाहते हैं। राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं ऐसा दो वजह से होता है। पहली- नेताओं को परंपरागत सीट पर हार का डर। दूसरी- दूसरे राज्य में जाकर रणनीतिक संदेश देना। जैसा मोदी ने किया। मोदी वड़ोदरा और यूपी की काशी (बनारस) सीट से लड़े। फायदा पार्टी को मिला। भाजपा ने यहां 80 में से 71 सीटें जीत लीं। *सबसे पहले इतिहास* 1996 से पहले तक नेता तीन सीटों से चुनाव लड़सकते थे। रिप्रजेन्टेशन ऑफ द पीपुल एक्ट (1951) में संशोधन के बाद यह तय हुआ कि कोई भी उम्मीदवार दो से अधिक सीटों पर चुनाव नहीं लड़ सकता। *आपातकाल से पहले का दौर* 1957 में 32 साल के अटल बिहारी वाजपेयी ने यूपी की तीन सीटों बलरामपुर, मथुरा, लखनऊ से चुनाव लड़ा। सिर्फ बलरामपुर से जीते। मथुरा में तो जमानत जब्त हो गई थी। *आपातकाल के बाद* 1977 में इंदिरा गांधी अपनी सीट रायबरेली से हार गई थीं। 1980 में इंदिरा दो सीटों रायबरेली (यूपी) और मेडक (अब तेलंगाना में) से उतरीं। दोनों सीटों से जीतीं। *एक नेता, एक सीट* आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से सेक्शन 33(7) में संशोधन सिफारिश की थी। ताकि एक नेता, एक सीट पर ही लड़े। एक सीट पर चुनाव का खर्च यूं समझिए: 2014 में 543 सीटों पर आयोग ने 3,426 करोड़ रुपए खर्च किए थे। यानी एक सीट पर 6.30 करोड़। उपचुनाव में दोबारा इतना ही खर्च होगा। *अटल बिहारी वाजपेयी* : अटल 1991 में विदिशा और लखनऊ से चुनाव में उतरे। दोनों जगहों से जीते। 1996 में वे गांधीनगर और लखनऊ से उतरे। दोनों जगह जीते। 13 दिन की सरकार बनाई। *लालकृष्ण आडवाणी* 1991 में नई दिल्ली और गांधीनगर से चुनाव मैदान में उतरे। दोनों जगह जीते। *सोनिया गांधी* 1999 में बेल्लारी और अमेठी से चुनावमें उतरीं और जीतीं। *एनटी रामाराव* 1985 आंध्र विधानसभा चुनाव में गुडिवडा, हिंदुपुर और नालगोंडा से लड़े। तीनों जगह जीते। *मुलायम सिंह यादव* 2014 में आजमगढ़ और मैनपुरी से चुनाव में उतरे और जीते। *लालूप्रसाद यादव* 2009में सारन और पाटलिपुत्र से चुनाव मैदान में उतरे और जीते। *देवीलाल* 1991 में देवीलाल तीन लोकसभा सीटों- सीकर, रोहतक, फिरोजपुर से चुनाव लड़ा। सीकर, रोहतक से जीत गए। फिरोजपुर से हार गए
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shahar-e-aman · 3 years ago
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आरएलडी सपा व भाजपा के गढ़ से ओवैसी ने जाटव कायस्थ ब्राह्मण उम्मीदवार उतार दी कड़ी चुनौती लखनऊ: जैसे-जैसे 2022 विधानसभा चुनाव के मतदान की तारीख करीब आ रही है वैसे-वैसे लड़ाई भी और दिलचस्प बनती जा रही है यूं तो असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM को भाजपा व सपा सहित अन्य पार्टी के लोग एक वर्ग विशेष की पार्टी बताते आ रहे शायद यह बात पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को नागवार गुज़री जिसका जवाब तो वह अपने भाषण में करते भी हैं किंतु वह भाषण तक ही सीमित नहीं रहे उन्होंने अब करके भी दिखाना शुरू कर दिया है कि ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन भारत के संविधान में विश्वास रखती है और सभी वर्ग के लोगों को एक समान समझती है और जहां तक सम्मान देने की बात है तो यह हम बखूबी जानते हैं। इसी कड़ी में ओवैसी की पार्टी ने जो चार लिस्ट उम्मीदवारों की घोषित की उनकी तादाद कुल 20 है लेकिन इन 20 उम्मीदवारों में चार उम्मीदवार ऐसे हैं जिनका नाम सुन विरोधी दलों के लोगों को पसीना आ गया। इनमें मेरठ के हस्तिनापुर सीट से विनोद जाटव बाराबंकी के रामनगर सीट से विकास श्रीवास्तव तथा गाजियाबाद के साहिबाबाद सीट से पंडित मनमोहन झा,भीम सिंह बलियान मुज़फ्फरनगर के बुधाना से पार्टी ने अपना उम्मीदवार घोषित किया है बताया जाता है कि इन चार सीट पर भाजपा सपा व आरएलडी का जबर��स्त वर्चस्व है ऐसे में ओवैसी ने गैर मुस्लिम उम्मीदवार को उतारकर लड़ाई को और दिलचस्प बना दिया है इसी तरह पार्टी पदाधिकारियों द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक अभी जितने लोगों की लिस्ट आनी है एक चर्चा और आम है कि प्रयागराज के शहर दक्षिणी विधानसभा क्षेत्र से भी एक गैर मुस्लिम उम्मीदवार उतार सकती है वह भी जिस वर्ग से इसी क्षेत्र के मौजूदा विधायक व कैबिनेट मंत्री हैं इसी तरह शहर के पश्चिमी विधानसभा सीट पर भी कमेरा समाज के उम्मीदवार को अंतिम समय में उतार कर सनसनी फैला दें तो कोई ताज्जुब नहीं अब देखना यह है कि उत्तरी विधानसभा सीट पर कौन से वर्ग के लोग को उम्मीदवार बनाया जाएगा लेकिन पार्टी कार्यालय में कुछ कायस्थ समाज के लोगो को आते जाते देखा गया है इससे यह प्रतीत हो रहा है कि इस सीट पर भी इसी वर्ग के उम्मीदवार उतारे जा सकते हैं यह तो आने वाला समय बताएगा कि किस सीट से किस वर्ग के लोगों को दिया जाएगा टिकट लेकिन अभी तक जो जानकारी मिल रही है उसमें अगर वास्तव में सच्चाई है तो यकीनन प्रयागराज शहर की 3 विधानसभा सीट पर भी लड़ाई दिलचस्प होगी और जिसका असर 12 विधानसभा सीट पर पढ़ना लाज़मी है। #Asaduddinowaisi #AIMIM #Akbaruddinowaisi #AIMIMparty #AIMIMpartyup #AIMIMst https://www.instagram.com/p/CY9ZEplMHfp/?utm_medium=tumblr
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pragatitimes2016-blog · 7 years ago
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उप्र निकाय चुनाव : कई सीटों पर बसपा, भाजपा के बीच कड़ी टक्कर has been published on PRAGATI TIMES
उप्र निकाय चुनाव : कई सीटों पर बसपा, भाजपा के बीच कड़ी टक्कर
लखनऊ़,(आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भारी बहुमत से मिली जीत के बाद अब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नगर निकाय चुनाव में भी शानदार सफलता की तरफ बढ़ रही है लेकिन रुझानों में उसे कई सीटों पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से कड़ी टक्कर भी मिल रही है।
महापौर की 16 में से 11 सीट पर भाजपा आगे चल रही है, जबकि बसपा के प्रत्याशी पांच सीट पर बढ़त बनाए हुए हैं। महापौर पद के चुनाव में बीते वर्ष सत्ता में रही समाजवादी पार्टी के साथ ही कांग्रेस मुकाबले से बाहर हैं। सपा और कांग्रेस के महापौर प्रत्याशी हर जगह से पीछे चल रहे हैं। गोरखपुर में महापौर के चुनाव में अब तक हुई लगभग 80,000 वोटों की गिनती में भाजपा प्रत्याशी सीताराम जायसवाल अपने निकटतम प्रत्याशी सपा के राहुल गुप्ता से 21,000 मतों से आगे चल रहे हैं। छह दौर की मतगणना पूरी हो चुकी है। बसपा का प्रत्याशी समाजवादी पार्टी (सपा) के गढ़ माने जाने वाले फिरोजाबाद में भारी मतों से आगे हैं। यहां पर भाजपा का प्रत्याशी दूसरे स्थान पर है। आगरा में भी बसपा प्रत्याशी ने भाजपा के महापौर पद के उम्मीदवार पर बढ़त बना ली है। महापौर पद में दूसरे दौर में बसपा प्रत्याशी दिगंबर सिंह धाकरे 12,000 वोटों से आगे चल रहे हैं। ताजनगरी आगरा में छह सभासद प्रत्याशियों का परिणाम घोषित कर दिया गया है। जिसमें भाजपा के पांच प्रत्याशी जीते हैं जबकि एक पर बसपा के प्रत्याशी ने बाजी मारी है। यहां पर महापौर पद के लिए भाजपा व बसपा के बीच कांटे का मुकाबला है। इलाहाबाद नगर निगम में भाजपा से महापौर प्रत्याशी अभिलाषा गुप्ता नंदी आगे हैं। इसी तरह से लखनऊ में ��ंयुक्ता भाटिया, अलीगढ़ में राजीव अग्रवाल, मुरादाबाद में विनोद अग्रवाल, कानपुर में प्रमिला पाण्डेय और गोरखपुर में भी भाजपा के प्रत्याशी बढ़त बनाए हुए हैं। वाराणसी में भाजपा उम्मीदवार मृदुला जायसवाल को अभी तक 37,861 वोट, सपा की साधना गुप्ता को 21,665, कांग्रेस की शालिनी यादव को 9,624, बसपा की सुधा चौरसिया को 10,301 को वोट मिले हैं। अभी तक की गिनती में नोटा में 1,261 वोट पड़े। लखनऊ में भाजपा उम्मीदवार संयुक्ता भाटिया आगे चल रही हैं। अभी तक भाजपा को 44,126 वोट, सपा को 28,422, कांग्रेस को 13,258 वोट, बसपा के उम्मीदवार को अब तक 10,994 वोट मिले हैं। लखनऊ सहित 16 नगर निगम, 198 नगर पालिका परिषद और 438 नगर पंचायतों में तीन चरणों में हुए चुनाव की मतगणना हो रही है। इन चुनावों में कुल 79,113 उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे जिनके भविष्य का फैसला होगा। मतगणना सभी 75 जिलों के 334 केंद्रों पर हो रही है। तीन चरणों में हुए मतदान में कुल 52.50 फीसदी मतदान हुआ था। वहीं तीसरे और अंतिम चरण में 26 जिलों में करीब 53 फीसदी मतदान हुआ। मतगणना के लिए 56,000 सुरक्षा कर्मी लगाए गए हैं।
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kisansatta · 4 years ago
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मुख्यमंत्री की मौजूदगी में जय प्रकाश निषाद ने भरा पर्चा,निर्वाध चुना जाना तय
  लखनऊ : उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की खली हुई सीटों के उपचुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार जय प्रकाश निषाद गुरुवार को नामांकन दाखिल किया | राज्यसभा उप चुनाव के लिए नामांकन की अंतिम तिथि 13 अगस्त है। भाजपा के मीडिया प्रभारी मनीष दीक्षित ने बताया कि भाजपा प्रत्याशी जय प्रकाश निषाद 13 अगस्त को नामांकन दाखिल करेंगे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और डॉ दिनेश शर्मा समेत प्रमुख नेता उपस्थित रहेंगे।
73वें स्वतंत्रता दिवस पर शामिल होने वाले सुरक्षाकर्मियों की हुई कोरोना जांच, सुरक्षा ��ाक-चौबंद
गौरतलब है कि सपा के बेनी प्रसाद वर्मा के निधन के कारण खाली सीट हुई थी | पूर्वांचल के जयप्रकाश निषाद मल्लाह बिरादरी से हैं, जिसका असर बिहार चुनाव में दिखाई पड़ सकता हैं | 2018 में सीएम योगी ने पार्टी मे जयप्रकाश निषाद को शामिल कराया था | भारत के उत्तर प्रदेश की सोलहवीं विधानसभा सभा में विधायक रहे है | 2012 उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में इन्होंने उत्तर प्रदेश की चौरी-चौरा विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र (निर्वाचन संख्या-326) से चुनाव जीता था |जयप्रकाश निषाद का निर्विरोध चुना जाना तय माना जा रहा है |आगामी 24 अगस्त को मतदान होगा |
लोकतंत्र बचाने के लिए BJP को मजबूत और कांग्रेस को कमजोर बता बैठे दिग्विजय सिंह
मई 2022 तक रहेगा निषाद का कार्यकाल
जयप्रकाश निषाद का राज्यसभा कार्यकाल 5 मई 2022 तक रहेगा. वह गोरखपुर क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के उपाध्यक्ष हैं | निषाद बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर 2012 में चौरीचौरा असेंबली सीट से विधायक निर्वाचित हुए थे | वह सपा में भी रह चुके हैं | जयप्रकाश 2018 में भाजपा में शामिल हुए थे | उत्तर प्रदेश में 2022 विधानसभा चुनाव से पहले विपक्षी दल ब्राह्मण वोटों को लुभाने की जुगत में लगे हैं |
राजीव त्यागी का हार्ट अटैक से हुआ निधन
यूपी में 14% है निषाद समुदाय की आबादी
बता दें कि प्रदेश में निशाओं की कुल अबै का 14 % ही | इसलिए bjp ने इसे आगामी चनाव को निशाने में रख कर निषाद पर दांव खेला है | इस बीच भाजपा ने जयप्रकाश निषाद पर दांव आजमा कर पूर्वांचल में अति पिछड़ों में पकड़ मजबूत करने के की रणनीति को आगे बढ़ाया है | प्रदेश में निषाद समुदाय के लोग गोरखपुर और आसपास की कुछ विधानसभा सीटों पर खासा प्रभाव रखते हैं |
  https://kisansatta.com/jai-prakash-nishad-filled-up-the-form-in-the-presence-of-the-chief-minister-election-is-sure-to-be-elected/ #ElectionIsSureToBeElected, #JaiPrakashNishadFilledUpTheFormInThePresenceOfTheChiefMinister election is sure to be elected, Jai Prakash Nishad filled up the form in the presence of the Chief Minister State, Top, Trending #State, #Top, #Trending KISAN SATTA - सच का संकल्प
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realtimesmedia · 4 years ago
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भाजपा प्रत्याशी जयप्रकाश निषाद ने राज्यसभा के लिए दाखिल किया नामांकन, जानिए उनके बारे में
भाजपा प्रत्याशी जयप्रकाश निषाद ने राज्यसभा के लिए दाखिल किया नामांकन, जानिए उनके बारे में
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में राज्यसभा उपचुनाव के लिए भाजपा के उम्मीदवार जय प्रकाश निषाद ने गुरुवार को विधान भवन में नामांकन पत्र दाखिल किया। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व भाजपा नेताओं की मौजूदगी में विधानसभा के टंडन हाल में नामांकन भरा। ज्ञात हो कि यह सीट सपा के सांसद बेनी प्रसाद वर्मा के निधन के बाद खाली हुई थी।
इस मौके पर उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा, भाजपा…
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akashyouthindia-blog · 8 years ago
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यूपी में वोटिंग का तीसरा चरणः इन 10 रिश्तेदारों की अग्निपरीक्षा यूथ इण्डिया संवाददाता। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण के लिए 19 फरवरी को वोटिंग होनी है। इस चरण में फर्र��खाबाद, हरदोई, कन्नौज, मैनपुरी, इटावा, औरैया, कानपुर देहात, कानपुर, उन्नाव, लखनऊ, बाराबंकी और सीतापुर जिले की 69 सीटों पर वोट पड़ेंगे। ये चरण इसिलए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यहां सियासी परिवारों की अग्निपरीक्षा है। यहां सबसे अधिक तमाम पार्टियों ने सियासी परिवार को मैदान में उतारा है। आइए जानते हैं किस दिग्गज नेता की बेटी, बेटा, भाई या रिश्तेदार कहां से और किस पार्टी से चुनाव मैदान में हैं। इटावा जिले के जसवंतनगर सीट पर सबकी निगाहें टिकी हुई है, क्योंकि यहां से शिवपाल सिंह यादव अपनी किस्मत आजम रहे हैं। इस सीट से मुलायम 7 बार विधायक रह चुके हैं, चार बार से शिवपाल सिंह यादव इस हल्के की नुमाइंदगी कर रहे हैं। यादव परिवार का गांव सैफई भी इसी विधानसभा क्षेत्र में पड़ता है। मुलायम परिवार के संग्राम के बाद सबकी नजर जसवंतनगर पर टिकी हुई हैं। इसलिए भी कि मुलायम के कई करीबियों के टिकट कट चुके हैं तो कई सपा छोड़ चुके हैं और कुछ बगावत की राह पर हैं। इन सभी हाईप्रोफाइल चेहरों में सबसे ज्यादा चर्चित चेहरा हैं अपर्णा यादव। 26 साल की अपर्णा मुलायम सिंह यादव की बहू हैं और पार्टी की प्रतिष्ठित सीट लखनऊ कैंट से चुनाव मैदान में हैं। अपर्णा यादव बीजेपी की दिग्गज नेता रीता बहुगुणा जोशी के खिलाफ चुनाव लड़ रही हैं। अपर्णा ने अन्तरराष्ट्रीय संबंध और राजनीति में परास्नातक की डिग्री ली है। वो उस वक्त चर्चा में आईं जब उन्होंने पीएम मोदी के साथ सेल्फी खींची थी। राजधानी के शहरी क्षेत्र की पांच सीटों में सबसे रोचक मुकाबला कैंट का दिखाई दे रहा है। यहां की लड़ाई दो बड़े सियासी घरानों की लड़ाई में तब्दील हो गई है। भाजपा ने मौजूदा विधायक डॉण् रीता बहुगुणा जोशी तो सपा ने अपर्णा यादव को उम्मीदवार बनाया है। डॉण् जोशी पिछली बार कांग्रेस के टिकट पर कैंट से विधायक चुनी गई थीं। इस बार वे भाजपा से लड़ रही हैं। डॉण् रीता प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हेमवती नंदन बहुगुणा की पुत्री और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा की बहन हैं। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के चचेरे भाई अनुराग यादव लखनऊ की सरोजनीनगर सीट से उम्मीदवार हैं। यहां से सपा ने मौजूदा विधायक व प्रदेश सरकार में मंत्री शारदा प्रताप शुक्ल की जगह अनुराग यादव को उम्मीदवार बनाया है। अनुरागए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के चाचा के लड़के और बदायूं से सांसद धर्मेंद्र यादव के भाई हैं। सरोजनीनगर सीट से भाजपा ने पार्टी में विभिन्न पदों पर रह चुके दयाशंकर सिंह की पत्नी स्वाति सिंह को मैदान में उतारा है। पिछले वर्ष बसपा प्रमुख मायावती पर एक टिप्पणी को लेकर वे काफी चर्चित रहे थे। इसी के बाद मायावती और बसपा नेताओं पर आक्राम�� टिप्पणी के चलते स्वाति सिंह का नाम चर्चा में आया था। बाद में भाजपा ने स्वाति सिंह को पार्टी के महिला मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष बनाकर एक तरह से बसपा को जवाब देने की कोशिश की कि वह किसी दबाव में नहीं है। लखनऊ पूरब विधानसभा सीट पर नेता पुत्रों की मौजूदगी ने मुकाबले में विरासत की जंग का रंग घोल दिया है। पूरब सीट पर भाजपा से चुनाव लड़ रहे आशुतोष टंडन उर्फ गोपाल टंडन, लखनऊ से सांसद और विधायक रहे पूर्व मंत्री लालजी टंडन के पुत्र हैं। स्वाभाविक रूप से उनकी जीत.हार खुद उनसे ज्यादा उनके पिता की सियासी पकड़ का पैमाना बनने वाली है। जैदपुर विधानसभा क्षेत्र से वरिष्ठ कांग्रेसी नेता पीएल पुनिया के बेटे तनुज पुनिया किस्मत आजमा रहे हैं। हालांकि सपा से बागी होकर चुनाव लड़ने पर निष्कासित किए गए रामगोपाल रावत के मैदान छोड़ने के बाद यहां पर कांग्रेस प्रत्याशी तनुज पुनिया बसपा की मीता गौतम और भाजपा के उपेंद्र रावत के बीच त्रिकोणीय लड़ाई में प्रत्याशी कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं��� जीत के लिए कांग्रेस प्रत्याशी के पिता पीएल पुनिया भी दिन रात जुटे हैं। छह बार विधायक और दो बार सांसद सपा महासचिव नरेश अग्रवाल पार्टी का बड़ा चेहरा हैं। उनकी परंपरागत सदर सीट से बेटे और प्रदेश सरकार में मंत्री नितिन अग्रवाल उम्मीदवार हैं। नरेश के अजेय गढ़ को ढहाना आसान तो नहीं है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के भरोसे भाजपा के राजा बक्स सिंह मैदान मारने की कोशिश में हैं। वहीं, बसपा के धर्मवीर सिंह पन्ने भी बसपा का झंडा लहराने की कोशिश में लगे हैं। इस वीवीआईपी सीट पर पूरे सूबे निगाहें लगी हैं। उत्तर सीट पर भाजपा ने डॉ. नीरज बोरा को उम्मीदवार बनाया है। डॉ. बोरा लखनऊ विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष रहे स्व. डीपी बोरा के पुत्र हैं। स्व. बोरा जनता दल से विधायक भी रहे थे। साथ ही राजधानी के प्रमुख सियासी चेहरे माने जाते थे। स्वाभाविक रूप से डॉ. नीरज बोरा खुद की पकड़ व पहुंच से ज्यादा अपने पिता की सियासी विरासत के सहारे चुनाव लड़ रहे हैं। डॉ. बोरा का मुकाबला सपा से उम्मीदवार बनाए गए इस क्षेत्र के मौजूदा विधायक व प्रदेश सरकार में मंत्री अभिषेक मिश्र से है। मिश्र ने 2012 में डॉ. नीरज को हराया था। तब नीरज कांग्रेस से उम्मीदवार थे। इस सीट पर 50 साल से कुर्मी और ब्राह्मण उम्मीदवारों में ही मुकाबला होता आया है। पिछले तीन चुनाव बसपा ने कुर्मी प्रत्याशियों के भरोसे ही जीते, लेकिन इस बार पूर्व विधायक धर्मद्य मिश्रा के बेटे अनुराग मिश्रा पर दांव लगाया है। धर्मद्य एक-एक बार कांग्रेस व सपा से विधायक रहे हैं। भाजपा कुर्मी बिरादरी के आशीष सिंह के भरोसे खाता खोलने की कोशिश कर रही है ��ो सपा सुभाष पाल को उतारकर पिछली हार का बदला लेने के लिए जोर लगाए हैै।
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