#लक्ष्मी छोड़ देती है साथ
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hindistoryok01 · 1 year ago
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Pyaar Ka Pehla Adhyaya Shiv Shakti 10th July 2023 Hindi Written Update
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Pyaar Ka Pehla Adhyaya Shiv Shakti 10th July 2023 Hindi Written Update - प्यार का पहला अध्याय शिवशक्ति 10 जुलाई 2023 का एपिसोड -शक्ति और रिमझिम के छात्रवृत्ति विवरण के लिए ट्रस्ट कार्यालय जाने से शुरू होता है जबकि कीर्तन उनका पीछा करता है।
शक्ति ने देखा कि स्थानीय पीने के पानी का बर्तन खाली है और वह रिमझिम से थोड़ी देर इंतजार करने के लिए कहती है, जबकि वह बर्तन को मौजूद प्यूरीफायर से पानी से भर देती है।
रिमझिम का कहना है कि शक्ति हमेशा अपने चैरिटी के काम में व्यस्त रहती हैं जिसके कारण धूप में उनकी त्वचा काली पड़ जाती है। शक्ति रिमझिम को अपने दुपट्टे से ढकती है और बर्तन लेकर चली जाती है, जबकि कीर्तन वहां आता है और सोचता है कि शक्ति कहां गई होगी।
कीर्तन ने देखा कि रिमझिम कॉमन रूम के अंदर उसकी ओर पीठ करके बैठी है और दुपट्टे के कारण उसे शक्ति समझ लेती है। कीर्तन की आवाज सुनकर रिमझिम चौंक जाती है और उसे खिड़की के बाहर खड़ा देखती है।
कीर्तन कहता है कि उसे पहली नजर में ही उससे प्यार हो गया था, जिससे रिमझिम कीर्तन के प्रति नरम हो जाती है और सोचती है कि वह उसके साथ छेड़खानी कर रहा है।
अपनी चुलबुली बातों से कीर्तन रिमझिम से कहता है कि अगर वह उसी दिन उसके घर, कश्यप भवन आ जाए, तो वह समझ जाएगा कि उसने उसका प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है।
रिमझिम सोचती है कि कीर्तन ने उसे प्रपोज किया है और उसे वह अचानक प्यारा लगता है, जबकि शक्ति वापस आती है और रिमझिम से पूछती है कि उसका चेहरा लाल क्यों हो गया है।
इस बीच, शिव और वह लड़की एक कमरे में एक साथ बैठते हैं और शिव कहते हैं कि उसे उनके बारे में सब कुछ जानने का अधिकार है।
लड़की का कहना है कि वह पहले से ही शिव के अतीत के बारे में जानती है और उसे इससे कोई समस्या नहीं है, जबकि शिव का कहना है कि उसे अपना वर्तमान भी बताना होगा।
शिव ने लड़की को अपने बारे में कुछ बताया, जिससे लड़की हैरान रह गई और उसने स्वीकार किया कि शिव इतना ईमानदार और पारदर्शी होने के कारण विशेष है।
शिव द्वारा लड़की से सॉरी कहने और उसे समझने के लिए धन्यवाद देने के बाद, वे दोनों लिविंग रूम से बाहर आते हैं और परिवार के सदस्यों का सामना करते हैं।
भगवंती (शिव की दादी) लड़की से पूछती है कि क्या सब कुछ ठीक है, जिस पर वह जवाब देती है कि उसने शिव से अधिक ईमानदार और दयालु व्यक्ति कभी नहीं देखा, लेकिन दुख की बात है कि वह उसके लिए नहीं है।
लड़की अपनी दादी को अपने साथ आने के लिए कहती है और दूर से बात करती है जिसके बाद उसकी दादी क्रोधित हो जाती है और भगवंती से कहती है कि उसने उनकी दोस्ती का फायदा उठाया और शिव के उपहार के बारे में बातें छिपाईं।
लड़की के परिवार के चले जाने के बाद, रघुनाथ शिव से पूछता है कि उसे लड़की से ये बातें कहने की ज़रूरत क्यों पड़ी और कहता है कि शिव ने सब कुछ जानबूझकर किया क्योंकि वह शादी नहीं करना चाहता है।
गायत्री रघुनाथ को रोकने की कोशिश करती है लेकिन वह शिव की हालत के पीछे मूल कारण के रूप में उसे दोषी ठहराता है और कैसे वह कश्यप परिवार के गौरव के लिए शर्मिंदगी का कारण बन गया है।
नंदू शिव को सांत्वना देता है और उसे अपने कमरे में जाने के लिए कहता है जबकि गायत्री महादेव से एक ऐसी लड़की के लिए प्रार्थना करने आती है जो जीवन के हर मोड़ पर शिव के साथ रहेगी। इस बीच, मंदिरा पद्मा से कहती है कि शिव की शादी उसकी इच्छा के अनुसार होगी।
शक्ति और रिमझिम यह जानने के बाद कश्यप सदन में आते हैं कि शक्ति को अपने फॉर्म पर मंजूरी पाने के लिए श्रीमती कश्यप के हस्ताक्षर की आवश्यकता है।
प्रवेश करते समय शक्ति के पैर रंगोली में पड़���े हैं और वह मां लक्ष्मी की तरह लाल रंग के केंद्र पर अपने पैरों क��� निशान छोड़ देती है।
शक्ति अपने पीछे निशान बनाते हुए अपने लाल पैरों के निशान के साथ घर में आती है जबकि गायत्री महादेव के सिर से एक फूल गिरते हुए देखती है और आशा पाकर खुश हो जाती है।
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nationalnewsindia · 2 years ago
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margdarsanme · 4 years ago
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NCERT Class 12 Hindi Chapter 11 Bhaktin
NCERT Class 12 Hindi Chapter 11 :: Bhaktin
(भक्तिन)
(गद्य भाग)
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
पाठ के साथ
प्रश्न 1.भक्तिन अपना वास्तविक नाम लोगों से क्यों छुपाती थी? भक्तिन को यह नाम किसने और क्यों दिया होगा? (CBSE-2008)उत्तर:भक्तिन का वास्तविक नाम था-लछमिन अर्थात लक्ष्मी। लक्ष्मी नाम समृद्ध व ऐश्वर्य का प्रतीक माना जाता है, परंतु यहाँ नाम के साथ गुण नहीं मिलता। लक्ष्मी बहुत गरीब तथा समझदार है। वह जानती है कि समृद्ध का सूचक यह नाम गरीब महिला को शोभा नहीं देता। उसके नाम व भाग्य में विरोधाभास है। वह सिर्फ़ नाम की लक्ष्मी है। समाज उसके नाम को सुनकर उसका उपहास न उड़ाए इसीलिए वह अपना वास्तविक नाम लोगों से छुपाती थी। भक्तिन को यह नाम लेखिका ने दिया। उसके गले में कंठी-माला व मुँड़े हुए सिर से वह भक्तिन ही लग रही थी। उसमें सेवा-भावना व कर्तव्यपरायणता को देखकर ही लेखिका ने उसका नाम ‘भक्तिन’ रखा।
प्रश्न 2.दो कन्या रत्न पैदा करने पर भक्तिन पुत्र-महिमा में अंधी अपनी जेठानियों द्वारा घृणा व उपेक्षा का शिकार बनी। ऐसी घटनाओं से ही अकसर यह धारणा चलती है कि स्त्री ही स्त्री की दुश्मन होती है? क्यों इससे आप सहमत हैं? (CBSE-2011)उत्तर:हाँ मैं इस बात से बिलकुल सहमत हूँ। जब भक्तिन अर्थात् लछिमन ने दो पुत्रियों को जन्म दिया तो उसके ससुराल वालों ने उस पर घोर अत्याचार किए। उसकी जेठानियों ने उस पर बहुत जुल्म ढाए। इसी कारण उसकी बेटियों को दिन भर काम करना पड़ता था। इन सभी बातों से सिद्ध होता है कि स्त्री ही स्त्री की दुश्मन है। उसकी जेठानियों ने तो जमीन हथियाने के लिए लछमिन की विधवा बेटी से अपने भाई का विवाह करने की योजना बनाई, जब यह योजना नहीं सफल हुई तो लछमिन पर अत्याचार बढ़ते गए।
प्रश्न 3.भक्तिन की बेटी पर पंचायत द्वारा जबरन पति थोपा जाना एक दुर्घटना भर नहीं, बल्कि विवाह के संदर्भ में स्त्री के मानवाधिकार (विवाह करें या न करें अथवा किससे करें) इसकी स्वतंत्रता को ��ुचलते रहने की सदियों से चली आ रही सामाजिक परंपरा का प्रतीक है। कैसे? (CBSE-2011)उत्तर:भक्तिन की विधवा बेटी के साथ उसके ताऊ के लड़के के साले ने जबरदस्ती करने की कोशिश की। लड़की ने उसकी खूब पिटाई की, परंतु पंचायत ने अपीलहीन फ़ैसले में उसे तीतरबाज युवक के साथ रहने का फ़ैसला सुनाया। यह सरासर स्त्री के मानवाधिकारों का हनन है। भारत में यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। यहाँ शादी करने का निर्णय सिर्फ़ पुरुष के हाथ में होता है। महाभारत में द्रौपदी को उसकी इच्छा के विरुद्ध पाँच पतियों की पत्नी बनना पड़ा। मीरा की शादी बचपन में ही कर दी गई तथा लक्ष्मीबाई की शादी अधेड़ उम्र के राजा के साथ कर दी गई। ऐसे अनेक उदाहरण हैं जहाँ अयोग्य लड़के के साथ गुणवती कन्या का विवाह किया गया तथा लड़की की जिंदगी नरक बना दी गई।
प्रश्न 4.भक्तिन अच्छी है, यह कहना कठिन होगा, क्योंकि उसमें दुर्गुणों का अभाव नहीं। लेखिका ने ऐसा क्यों कहा होगा? (CBSE-2009)उत्तर:जब भक्तिन लेखिका के घर काम करने आई तो वह सीधी-सादी, भोली-भाली लगती थी लेकिन ज्यों-ज्यों लेखिका के साथ उसका संबंध और संपर्क बढ़ता गया त्यों-त्यों वह उसके बारे में जानती गई। लेखिका को उसकी बुराइयों के बारे में पता चलता गया। इसी कारण लेखिका को यह लगा कि भक्तिन अच्छी नहीं है। उसमें कई दुर्गुण हैं अतः उसे अच्छी कह���ा और समझना लेखिका के लिए कठिन है।
प्रश्न 5.भक्तिन द्वारा शास्त्र के प्रश्न को सुविधा से सुलझा लेने का क्या उदाहरण लेखिका ने दिया है?उत्तर:भक्तिन की यह विशेषता है कि वह हर बात को, चाहे वह शास्त्र की ही क्यों न हो, अपनी सुविधा के अनुसार ढाल लेती है। वह सिर घुटाए रखती थी, लेखिका को यह अच्छा नहीं लगता था। जब उसने भक्तिन को ऐसा करने से रोका तो उसने अपनी बात को ऊपर रखा तथा कहा कि शास्त्र में यही लिखा है। जब लेखिका ने पूछा कि क्या लिखा है? उसने तुरंत उत्तर दिया-तीरथ गए मुँड़ाए सिद्ध। यह बात किस शास्त्र में लिखी गई है, इसका ज्ञान भक्तिन को नहीं था। जबकि लेखिका जानती थी कि यह कथन किसी व्यक्ति का है, न कि शास्त्र का। अत: वह भक्तिन को सिर घुटाने से नहीं रोक सकी तथा हर बृहस्पतिवार को उसका मुंडन होता रहा।
प्रश्न 6.भक्तिन के आ जाने से महादेवी अधिक देहाती कैसे हो गई? (CBSE-2014)उत्तर:भक्तिन के आ जाने से महादेवी ने लगभग उन सभी संस्कारों को, क्रियाकलापों को अपना लिया जो देहातों में अपनाए जाते हैं। देहाती की हर वस्तु, घटना और वातावरण का प्रभाव महादेवी पर पड़ने लगा। वह भक्तिन से सब कुछ जान लेती थी ताकि किसी बात की जानकारी अधूरी न रह जाए। धोती साफ़ करना, सामान बांधना आदि बातें भक्तिन ने ही सिखाई थी। वैसे देहाती भाषा भी भक्तिन के आने के बाद ही महादेवी बोलने लगी। इन्��ीं कारणों से महादेवी देहाती हो गई।
पाठ के ��सपास
प्रश्न 1.‘आलो आँधारि’ की नायिका और लेखिका बेबी हालदार और भक्तिन के व्यक्तित्व में आप क्या समानता देखते हैं?उत्तर:‘आलो आँधारि’ की नायिका एक घरेलू नौकरानी है। भक्तिन भी लेखिका के घर में नौकरी करती है। दोनों में यही समानता है। दूसरे, दोनों ही घर में पीड़ित हैं। परिवार वालों ने उन्हें पूर्णत: उपेक्षित कर दिया था। दोनों ने आत्मसम्मान को बचाते हुए जीवन-निर्वाह किया।भक्तिन की बेटी के मामले में जिस तरह का फैसला पंचायत ने सुनाया, वह आज भी कोई हैरतअंगेज बात नहीं हैं। अखबारों या टी०वी० समाचारों में आने वाली किसी ऐसी ही घटना को भक्तिन के उस प्रस7 के साथ रखकर उस पर चचा करें। भक्तिन की बेटी के मामले में जिस तरह का फ़ैसला पंचायत ने सुनाया, वह आज भी कोई हैरतअंगेज बात नहीं है। अब भी पंचायतों का तानाशाही रवैया बरकरार है। अखबारों या टी०वी० पर अकसर समाचार सुनने को मिलते हैं कि प्रेम विवाह को पंचायतें अवैध करार देती हैं तथा पति-पत्नी को भाई-बहिन की तरह रहने के लिए विवश करती हैं। वे उन्हें सजा भी देती हैं। कई बार तो उनकी हत्या भी कर दी जाती है। यह मध्ययुगीन बर्बरता आज भी विद्यमान है। पाँच वर्ष की वय में ब्याही जाने वाली लड़कियों में सिर्फ भक्तिन नहीं हैं, बल्कि आज भी हज़ारों अभागिनियाँ हैं।
प्रश्न 2.भक्तिन की बेटी के मामले में जिस तरह फैसला पंचायत ने सुनाया, वह आज भी कोई हैरतअंगेज़ बात नहीं है। अखबारों या टी०वी० समाचारों में आने वाली किसी ऐसी ही घटना को भक्तिन के उस प्रसंग के साथ रखकर उस पर चर्चा करें।उत्तर:पिछले दिनों अखबारों में पढ़ा और टी०वी० पर देखा कि राजस्थान के एक गाँव में केवल दो साल की बच्ची के साथ एक 20 वर्षीय युवक ने बलात्कार किया। आरोपी को बाद में लोगों ने पकड़ भी लिया। पंचायत हुई। इस पंचायत में फैसला सुनाया गया कि आरोपी को दस जूते लगाए जाएँ। दस जूते लगाकर उसे छोड़ दिया गया। यह निर्णय हैरतअंगेज़ करने वाला था क्योंकि पंच लोग केवल दबंग लोगों का साथ देते हैं। चाहे वे कितना ही गलत कार्य क्यों न करें।
प्रश्न 3.पाँच वर्ष की वय में ब्याही जानेवाली लड़कियों में सिर्फ भक्तिन नहीं है, बल्कि आज भी हज़ारों अभागिनियाँ हैं। बाल-विवाह और उम्र के अनमेलपन वाले विवाह की अपने आस-पास हो रही घटनाओं पर दोस्तों के साथ परिचर्चा करें।उत्तर:हमारे देश में नारी पर आज भी अत्याचार हो रहे हैं। अनपढ़ जनता पुरानी लीक पर चल रही है। पाँच वर्ष तो क्या दुधमुँही बच्ची की शादी की जा रही है। पश्चिमी राजस्थान, मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के देहातों में एक महीने की बच्चियों का विवाह (गौना) किया जा रहा है। आए दिन अखबारों में पढ़ते हैं कि दो दिन की बच्ची की शादी कर दी। कई बार तो दस वर्ष की बच्ची की शादी तीस वर्ष के युवक के साथ कर दी जाती है।
प्रश्न 4.महादेवी जी इस पाठ में हिरनी सोना, कुत्ता वसंत, बिल्ली गोधूलि आदि के माध्यम से पशु-पक्षी को मानवीय संवेदना से उकेरने वाली लेखिका के रूप में उ��रती हैं। उन्होंने अपने घर में और भी कई-पशु-पक्षी पाल रखे थे तथा उन पर रेखाचित्र भी लिखे हैं। शिक्षक की सहायता से उन्हें ढूँढ़कर पढ़े। जो ‘मेरा परिवार’ नाम से प्रकाशित है।उत्तर:यह बात बिलकुल सत्य है कि महादेवी जी पशु-पक्षी के प्रति अधिक संवेदनशील थीं। उन्होंने कई प्रकार के पशु पक्षी पाल रखे थे। महादेवीजी ने अपने घर में हिरनी सोना, कुत्ता वसंत, बिल्ली गोधूलि के अतिरिक्त लक्का कबूतर, चित्रा बिल्ली, नीलकंठ मोर, कजली कुतिया, गिल्लू कौवा, दुर्मुख खरगोश, गौरा गऊ, रोजी कुतिया, निक्की नेवला और रानी घोड़ी आदि पशु पक्षी पाल रखे थे।
भाषा की बात
प्रश्न 1.नीचे दिए गए विशिष्ट भाषा-प्रयोगों के उदाहरणों को ध्यान से पढ़िए और इनकी अर्थ-छवि स्पष्ट कीजिए(क) पहली कन्या के दो संस्करण और कर डाले(ख) खोटे सिक्कों की टकसाल जैसी पत्नी(ग) अस्पष्ट पुनरावृत्तियाँ और स्पष्ट सहानुभूतिपूर्णउत्तर:
किसी पूर्व-प्रकाशित पुस्तक को पुन: प्रकाशित करना उसका नया संस्करण कहलाता है। इसमें कोई परिवर्तन नहीं होता। भक्तिन ने एक कन्या के बाद पुन: दो और कन्याएँ पैदा कीं। ‘संस्करण’ से तात्पर्य यह है कि उसने एक लिंग की संतान को जन्म दिया।
टकसाल सिक्के ठालने वाली मशीन को कहते हैं। भारतीय समाज में ‘लड़के’ को खरा सिक्का तथा लड़कियों को ‘खोटा सिक्का’ कहा जाता है। समाज में लड़कियों का कोई महत्व नहीं होता। भक्तिन को खोटे सिक्कों की टकसाल की संज्ञा दी गई है क्योंकि उसने एक के बाद एक तीन लड़कियाँ उत्पन्न कीं, जबकि समाज पुत्र जन्म देने वाली स्त्रियों को महत्व देता है।
भक्तिन अपने पिता की मृत्यु के कई दिन बाद पहुँची। उसे सिर्फ़ पिता की बीमारी के बारे में बताया गया था। जब वह अपने मायके के गाँव की सीमा में पहुँची तो लोग कानाफूसी करते हुए पाए गए कि बेचारी लछमिन अब आई है। आमतौर पर शोक की खबर प्रत्यक्ष तौर पर नहीं कही जाती। कानाफूसी के जरिए अस्पष्ट शब्दों में एक ही बात बार-बार कही जाती है। इन्हें लेखिका ने अस्पष्ट पुनरावृत्तियाँ कहा है। पिता की मृत्यु हो जाने पर लोग उसे सहानुभूतिपूर्ण दृष्टि से देख रहे थे तथा ढाँढ़स बँधा रहे थे। ये बातें स्पष्ट तौर पर की जा रही थीं, अत: उन्हें स्पष्ट सहानुभूति कहा गया है।
प्रश्न 2.‘बहनोई’-शब्द ‘बहन (स्त्री) + ओई’ से बना है। इस शब्द में हिंदी भाषा की एक अनन्य विशेषता प्रकट हुई है। पुल्लिंग शब्दों में कुछ स्त्री-प्रत्यय जोड़ने से स्त्रीलिंग शब्द बनने की एक समान प्रक्रिया कई भाषाओं में दिखती है, परे स्त्रीलिंग शब्द में कुछ पुं. प्रत्यय जोड़कर पुल्लिंग शब्द बनाने की घटना प्रायः अन्य भा��ाओं में दिखलाई नहीं पड़ती। यहाँ पुं. प्रत्यय ‘ओई’ हिंदी की अपनी विशेषता है। ऐसे कुछ और शब्द और उनमें लगे पुं. प्रत्ययों की हिंदीतथा और भाषाओं की खोज करें।उत्तर:ननद + आई = ननदोई।
प्रश्न 3.पाठ में आए लोकभाषा के इन संवादों को समझकर इन्हें खड़ी बोली हिंदी में ढालकर प्रस्तुत कीजिए।
ई कउन बड़ी बात आय। ���ोटी बनाय जानित है, दाल रांध लेइत है, साग-भाजी बँउक सकित है, अउर बाकी का रहा।
हमारे मलकिन तौ रात-दिन कितबियन माँ गड़ी रहती हैं। अब हमहूँ पढ़ लागब तो घर-गिरिस्ती कउन देखी-सुनी।
ऊ बिचरिअउ तौ रात-दिन काम माँ झुकी रहती हैं, अउर तुम पचै घूमती-फिरती हौ चलौ तनिक हाथ बटाय लेउ।
तब ऊ कुच्छौ करिहैं-धरिहैं ना-बस गली-गली गाउत-बजाउत फिरिहैं।
तुम पचै का का बताई-यहै पचास बरिस से संग रहित है।
हम कुकुरी बिलारी न होयँ, हमार मन पुसाई तौ हम दूसरा के जाब नाहिं त तुम्हार पचै की छाती पै होरहा पूँजब और राज करब, समुझे रहो।
उत्तर:
यह कौन-सी बड़ी बात है। रोटी बनाना जानती हूँ, दाल बना लेती हूँ, साग-भाजी छौंक सकती हूँ, और शेष क्या रहा।
हमारी मालकिन तो रात-दिन किताबों में डूबी रहती हैं। अब हम भी पढ़ने लगे तो घर-गृहस्थी कौन देखेगा-सुनेगा।
वह बेचारी तो रात-दिन काम में लगी रहती हैं और तुम लोग घूमती-फिरती हो। चलो, तनिक हाथ बँटा लो।
तब वह कुछ करता-धरता नहीं होगा, बस गली-गली में गाता-बजाता फिरता होगा।
तुम्हें हम क्या-क्या बताएँ-यही पचास वर्ष से साथ रहती हूँ।
हम कुतिया-बिल्ली नहीं हैं। हमारा मन चाहेगा तो हम दूसरे के यहाँ (पत्नी बनकर) जाएँगे नहीं तो तुम्हारी छाती पर ही होरहा भूलूँगी और राज करूंगी-यह समझ लेना।
प्रश्न 4.भक्तिन पाठ में पहली कन्या के दो संस्करण जैसे प्रयोग लेखिका के खास भाषाई संस्कार की पहचान कराता है, साथ ही वे प्रयोग कथ्य को संप्रेषणीय बनाने में भी मददगार हैं। वर्तमान हिंदी में भी कुछ अन्य प्रकार की शब्दावली समाहित हुई है। नीचे कुछ वाक्य दिए जा रहे हैं जिससे वक्ता की खास पसंद का पता चलता है। आप वाक्य पढ़कर बताएँ कि इनमें किन तीन विशेष प्रकार की शब्दावली का प्रयोग हुआ, है? इन शब्दावलियों या इनके अतिरिक्त अन्य किन्हीं विशेष शब्दावलियों का प्रयोग करते हुए आप भी कुछ वाक्य बनाएँ और कक्षा में चर्चा करें कि ऐसे प्रयोग भाषा की समृद्धि में कहाँ तक सहायक हैं?– अरे ! उससे सावधान रहना! वह नीचे से ऊपर तक वायरस से भरा हुआ है। जिस सिस्टम में जाता है उसे हैंग कर देता है।– घबरा मत ! मेरी इनस्वींगर के सामने उसके सारे वायरस घुटने टेकेंगे। अगर ज्यादा फ़ाउल मारा तो रेड कार्ड दिखा के हमेशा के लिए पवेलियन भेज दूंगा।– जॉनी टेंसन नयी लेने का वो जिस स्कूल में पढ़ता है अपुन उसका हैडमास्टर है।उत्तर:इस प्रकार की शब्दावलियों का प्रयोग पिछले कुछ समय से बढ़ गया है। यह टपोरी शब्दावली है। वास्तव में यह हिंग्लिश शब्दावली के नाम से जानी जाती है। पहले वाक्य में कंप्यूटर शब्दावली का प्रयोग हुआ। दूसरे वाक्य में खेलात्मक शब्दावली का प्रयोग किया है। अंतिम वाक्य में मुंबईया शब्दावली का प्रयोग हुआ है। इन प्रयोगों से भाषा का मूल स्वरूप बिगड़ जाता है। ऐसी शब्दावली भाषा को समृद्धि नहीं बल्कि कंगाली देती है अर्थात् भाषा की अपनी सार्थकता खत्म हो जाती है। कुछ और उदाहरणों को देखें
तुम अपन को जानताई छ नहीं है।
तेरा रामू के साथ टांका भिड्रेला है भेडू।
जो तुम कहते हो वह कंप्यूटर की तरह मेरे दिमाग में फीड हो जाता है।
इस बार दलजीत ने कुछ कहा तो उसे स्टेडियम की फुटबाल की तरह बाहर भेज दूंगा।
तेरे नखरे भी शेयर बाजार जैसे चढ़ते जा रहे हैं।
अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.भक्तिन की शारीरिक बनावट कैसी थी?उत्तर:भक्तिन का कद छोटा था। उसका शरीर दुबला-पतला था। वह गरीब लगती थी। उसके होंठ पतले थे एवं आँखें छोटी थीं। इन सारी बातों से पता चलता है कि उसकी शारीरिक बनावट कुल मिलाकर 50 वर्षीया स्त्री की थी लेकिन वह बूढ़ी नहीं लगती थी।
प्रश्न 2.महादेवी जी ने भक्तिन के बारे में क्या लिखा है?उत्तर:महादेवी वर्मा भक्तिन के बारे में लिखती हैं-सेवक धर्म में हनुमान जी से स्पर्धा करने वाली भक्तिन किसी अंजना की पुत्री न होकर एक अनामधन्या गोपालिका की कन्या है। नाम है लछमिन अर्थात् लक्ष्मी। पर जैसे मेरे नाम की विशालता मेरे लिए दुर्वह है, वैसे ही लक्ष्मी की समृधि भक्ति के कपाल की कैंचित रेखाओं में नहीं बँध सकी।
प्रश्न 3.भक्तिन की कितनी संतानें थीं? उनका जीवन कैसा था?उत्तर:भक्तिन ने तीन बेटियों को जन्म दिया। इन तीनों बेटियों के कारण भक्तिने को जीवन भर दुख उठाने पड़े। सास और जेठानियाँ सभी उसे तंग करती रहती। उनकी बेटी को हर वक्त काम में लगाएं रखती। कोई भी नहीं चाहता था कि भक्तिन की बेटियाँ सुखी रहें।
प्रश्न 4.भक्तिन दुर्भाग्यशाली क्यों थी?उत्तर:भक्तिन का पति उस समय मरा जब वह केवल 36 वर्ष की थी। वह तीन बेटियों को जन्म देकर चला गया। इस कारण भक्तिन को बहु कष्ट उठाने पड़े। भक्तिन की बेटी विवाह के कुछ वर्ष बाद विधवा हो गई। उसके जेठ जेठानियाँ सभी उसकी संपत्ति हड़पने की योजना बनाने लगे।
प्रश्न 5.भक्तिन का स्वभाव कैसा था?उत्तर:यद्य��ि भक्तिन मेहनती स्त्री थी लेकिन उसमें चोरी करने की आदत थी। जब वह महादेवी वर्मा के घर का कार्य करने आई तो वह घर में रखे खुले पैसे रुपये उठा लेती। उसने कभी सच नहीं बोला। वास्तव में उसमें कई दुर्गुण थे।
प्रश्न 6.पाठ के आधार पर भक्तिन की तीन विशेषताएँ बताइए। (CBSE-2012, 2017)उत्तर:भक्तिन की तीन विशेषताएँ निम्नलिखित हैं(क) जुझारू – भक्तिन जुझारू महिला थी। उसने कठिन परिस्थितियों का डटकर सामना किया। शादी के बाद ससुराल में मेहनत से खेतीबाड़ी की। पति की मृत्यु के बाद बेटियों की शादी की। समाज के भेदभावपूर्ण व्यवहार का कड़ा विरोध किया।(ख) भाग्य से पीड़ित – भक्तिन मेहनती थी, परंतु भाग्य उसके सदैव विपरीत रहा। बचपन में माँ की मृत्यु हो गई थी। विमाता का देश उसे हमेशा झालता रहा। ससुराल में तीन पुत्रियों का जन्म देने के कारण उपेक्षा मिली। पति की अकाल मृत्यु हुई। फिर दामाद की मृत्यु व परिवार के षड्यंत्र ने उसे तोड़कर रख दिया।(ग) सेवाभाव – भक्तिन महादेवी की सेविका थी। वह छाया के समान हर समय महादेवी के साथ रहती थी। महादेवी के कार्य को खुशी से करती थी।
प्रश्न 7.भक्तिन व लेखिका के बीच कैसा संबंध था।अथवा‘महादेवी वर्मा और भक्तिन के संबंधों की तीन विशिष्टताओं का उल्लेख कीजिए। (CBSE-2015)उत्तर:भक्तिन व लेखिका के बीच नौकरानी या स्वामिनी का संबंध नहीं था। वे आत्मीय जन की तरह थे। स्वामी अपनी इच्छा होने पर भी उसे हटा नहीं सकती थी( स्वामी अपनी इच्छा होने पर भी उसे हटा नहीं सकती। सेवक भी स्वामी के चले जाने के आश पाकर अवज्ञा से हँस दे। भक्तिन को नौकर कहना उतना ही असंगत है, जितना अपने घर में बारी-बारी से आने-जाने वाले अँधेरे-उजाले और आँगन में फूलो वाले गुलाब और आम को सेवक मानना। जिस प्रकार एक अस्तित्व रखते है जिसे सार्थकता देने के लिए ही हमें सुख-दुख देते हैं, उसी प्रकार भक्तिन का स्वतंत्र व्यक्तित्व अपने विकास के लिए लेखिका के जीवन को घेरे है।
प्रश्न 8.‘भक्तिन’ अनेक अवगुणों के होते हुए भी महादेवी जी के लिए अनमोल क्यों थी?उत्तर:भक्तिन उनके अवगुणों के होते हुए भी महादेवी के लिए अनमोल थी क्योंकि
वह लेखिका के हर कष्ट को लेने को तैयार थी।
वह लेखिका की सेवा करती थी।
ल���खिका के पास पैसे की कमी की बात सुनकर वह जीवन भर की अपनी कमाई उसे देना चाहती थी।
प्रश्न 9.‘भक्तिन’ और ‘महादेवी’ के नामों में क्या विरोधाभास था?उत्तर:‘भक्तिन’ का असली नाम लक्ष्मी था। वह अपना नाम छिपाती थी क्योंकि उसे कभी समृद्ध नहीं मिली। उसके भक्ति भाव को देखकर लेखिका ने उसे ‘भक्तिन’ कहना शुरू कर दिया। लेखिका को अपना नाम महादेवी था। वह किसी भी दृष्टि से । देवी के समकक्ष नहीं थी। दोनों के नामों वे उसके गुणों में कोई तारतम्य नहीं था।
प्रश्न 10.भक्तिन का अतीत परिवार और समाज की किन समस्याओं से जूझते हुए बी��ा है? पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए। (CBSE-2013)उत्तर:भक्तिन का जीवन सदैव परेशानी भरा रहा। बचपन में माँ की मृत्यु हो गई थी। विमाता ने उससे भेदभाव किया। विवाह के बाद उसकी तीन लड़कियाँ हुई जिसके कारण सास व जेठानियों ने उसके व लड़कियों के साथ भेदभाव किया। 36 वर्ष की आयु में पति की मृत्यु हो गई। ससुराल वालों ने संपत्ति हड़पने के तमाम प्रयास किए, परंतु उसने बेटियों की शादी की। एक घरजमाई बनाया, परंतु दुर्भाग्य से वह शीघ्र मृत्यु को प्राप्त हो गया। इसके बाद ससुराल वालों ने मिलकर उसकी विधवा पुत्री का बलात्कार कराने की कोशिश की। पंचायत ने बलात्कारी के साथ ही लड़की का विवाह जबरन कर दिया। इसके बाद भक्तिन की संपत्ति का विनाश हो गया
प्रश्न 11.भक्तिन की बेटी के मानवाधिकारों का हनन पंचायत ने किस प्रकार किया? स्पष्ट कीजिए। (CBSE-2011)उत्तर:भक्तिन ने घरजमाई रखा। वह अकालमृत्यु को प्राप्त हो गया। उसके जेठ के परिवार वाले संपत्ति हडपना चाहते थे. परंतु सारी जायदाद लड़की के नाम थी, लड़की के ताऊ के लड़के के तीतरबाज़ साले ने उससे जबरदस्ती करने की कोशिश की। लक्ष्मी ने उसकी खूब पिटाई की। जेठ ने पंचायत में अपील की। वहाँ भी भ्रष्टतंत्र था। उन्होंने लड़की की न सुनकर अपीलहीन फैसले में उसे तीतरबाज युवक के साथ रहने का फैसला सुनाया। यह मानवाधिकारों का हनन था। दोषी को सजा न देकर उसे इनाम मिला।
प्रश्न 12.भक्तिन नाम किसने और क्यों दिया? पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।उत्तर:भक्तिन को यह नाम लेखिका ने दिया। भक्तिन का असली नाम लक्ष्मी था। वह अपने नाम को छिपाना चाहती थी क्योंकि उसके पास धन नहीं था। लेखिका ने उसके गले में कॅठीमाला देखकर यह नामकरण कर दिया। वह इस कवित्वहीन नाम को पाकर गदगद हो उठी थी।
प्रश्न 13.‘भक्तिन वाक्पटुता में बहुत आगे थी’, पाठ के आधार पर उदाहरण देकर पुष्टि कीजिए। (CBSE-2014)उत्तर:यह कथन सही है कि भक्तिन वाक्पटुता में बहुत आगे थी। उसके पास हर बात का सटीक उत्तर तैयार रहता था। लेखिका ने जब उसको सिर घुटाने से रोका तो उसका उत्तर था – तीरथ गए मुंडाए सिद्ध’ इसी तरह उसके बनाएँ खाने पर कटाक्ष करने पर उसने उत्तर दिया – वह कुछ अनाड़िन या फूछड़ नहीं। ससुर, पितिया ससुर, अजिया सास आदि ने उसकी पाक कुशलता के लिए न जाने कितने मौखिक प्रमाणपत्र दे डाले थे।
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sandhyabakshi · 4 years ago
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Chanakya Niti: ये आदतें कष्टों से भर देती हैं जीवन, मां लक्ष्मी भी छोड़ देती हैं साथ
Chanakya Niti: ये आदतें कष्टों से भर देती हैं जीवन, मां लक्ष्मी भी छोड़ देती हैं साथ
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आचार्य चाणक्य (Chanakya Niti) ने नीति शास्त्र में जीवन से जुड़ी कई बातों का जिक्र किया है। जिसमें धन, करियर, सफलता और अपयश समेत कई अन्य बातें शामिल हैं। चाणक्य ने नीति शास्त्र के तीसरे अध्याय में मां लक्ष्मी और धन-संपदा का जिक्र किया है। चाणक्य कहते हैं कि मूर्खों को मान-प्रतिष्ठा देने वालों के पास मां लक्ष्मी का वास नहीं होता है। व्यक्ति के गलत आचरण और संगतों के कारण लक्ष्मी साथ छोड़…
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trand-news-us · 5 years ago
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Liked on YouTube: कोई कितना भी जरुरी हो, भूलकर भी ये 4 काम महाशिवरात्रि के दिन न करे माता लक्ष्मी छोड़ देती है साथ https://youtu.be/3TW1AbI6uHY
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rahulgurulove · 6 years ago
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माँ गंगा देवी दरिद्रा की दुश्मन कैसे बनी,
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नमस्कार दोस्तों                 क्या आप जानते हैं देवी गंगा और देवी दरिद्र दोनों एक दूसरे के शत्रु कैसे बनी, क्योंकि कहा जाता है की दरिद्र मनुष्य यदि गंगा जल का पान कर ले तो दरिद्रता उसे छोड़ देती है, इसका वर्णन ब्रम्हपुराण में भी मिलता है आइए मैं आपको बताता हूं कि देवी दरिद्र और देवी गंगा में कैसे हुई थी या शत्रुता.... (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); कथानुसार :-          पूर्व काल की बात है देवी लक्ष्मी और देवी दरिद्रता में संवाद (बहस ) हुआ, क्योंकि वह दोनों एक दूसरे का विरोध करती हुई ही इस संसार में आई थी, तीनों लोकों में कोई ऐसी वस्तु नहीं कि जहां इन दोनों का वास ना हो, अतः दोनों एक दूसरे से कहने लगी कि मैं बड़ी हूं, लक्ष्मी जी बोली" देहधारियों में कुल, शील और जीवन में ही हूं, मेरे बिना मनुष्य जीवित होकर भी मरे हुए के समान है, (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); तब देवी दरिद्रता ने कहा " मैं बड़ी हूं क्योंकि मुक्ति सदा मेरे ही अधीन है जहां मैं हूं, वहां काम, क्रोध लोभ आदि दोष नहीं होते हैं उन्माद ईर्ष्या का अभाव रहता है, दरिद्रता की बात सुनकर लक्ष्मी ने कहा " मुझसे अलंकृत होकर सभी प्राणी सम्मानित होते हैं, वहीं निर्धन व्यक्ति शिव के ही समान क्यों ना हो वह सबसे तिरस्कृत ही होता रहता है, मुझे कुछ दीजिए शब्द मुंह से निकलते ही, वृद्धि, सम्मान, शर्म शांति और कीर्ति यह पांचों देवता शरीर से निकल कर चले जाते हैं, गुण और गौरव भी नहीं टिकते, प्राणियों के लिए निर्धनता सबसे बड़ा कष्ट है और पाप भी, अतः हे दरिद्रय कान खोल कर सुन ले मैं ही श्रेष्ठ हूं, (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); तब देवी हरिद्रा बोली "लक्ष्मी तुझे शर्म नहीं आती श्रेष्ठ पुरुषों को छोड़कर तू सदा पापियों में बसती है, जो तेरा विश्वास करता है तू उनके साथ ��ल करतीं है, मदिरा पीने से भी उतना भयंकर नशा नहीं होता, जितना तेरे समीप रहने से विद्वानों को भी हो जाता है, मैं योग्य और धर्मशील पुरुषों में सदा निवास करती हूं भगवान शिव और श्री विष्णु के भक्त, महात्मा, सदाचारी, शांत साधु, विद्वान तथा पवित्र बुद्धि वाले श्रेष्ठ पुरुषों में सदा मेरा निवास रहता है, सन्यासी और निर्भय पुरुषों के साथ मैं सदा रहा करती हूं, लेकिन तू हमेशा राजकर्मचारी, चुगलखोर, लालची, मित्रद्रोही दूसरे का बुरा सोचने वाले, पाप कर्म करने वाले मनुष्यों में तेरा निवास होता है, (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); जब यह विवाद बढ़ गया और निष्कर्ष कुछ नहीं निकल सका, तो दोनों देवियाँ ब्रह्मा जी के पास गई, तब ब्रह्मा जी बोले "हे देवियों पृथ्वी और जल यह दोनों देवियां मुझसे ही प्रकट हुई है, अतः स्त्री होने के नाते वही तुम्हारा विवाद समझ सकती हैं और कोई नहीं, तब ब्रह्मा जी के कहने से वें दोनों देवियां पृथ्वी और जल को साथ लेकर देवी गंगा के पास गई और सारा वृत्तांत सुनाया, (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); तब गंगा जी ने देवी दरिद्रा से कहा " तपश्री जो कुछ संसार में व्याप्त है वह सब लक्ष्मी के द्वारा ही व्याप्त है धीर, क्षमावान, साधु, विद्वान पुरुषों में जो जो रमणीय है वह सब लक्ष्मी का ही विस्तार है, लक्ष्मी से शून्य कोई वस्तु नहीं, हे दरिद्रे तुझे इन लक्ष्मी जी की स्पर्धा करते तनिक भी लज्जा नहीं आई, चली जा यहां से तू देवी लक्ष्मी की बराबरी कभी नहीं कर सकती, तभी से गंगा जी और देवी दरिद्रा में शत्रुता हो गई, और तभी से गंगा का जल दरिद्रा का दुश्मन बन गया, और इसीलिए गंगाजल का पान करने से मनुष्य की दरिद्रता का नाश हो जाता हैं, 
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gyanyognet-blog · 6 years ago
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धनतेरस के दिन क्यों जलाते हैं यम का दीपक? यहां जानिए विशेष कथा
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धनतेरस के दिन क्यों जलाते हैं यम का दीपक? यहां जानिए विशेष कथा
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कहानी : चित्रेश
देश के अधिकांश भागों में ‘यम’ के नाम पर दीपदान की परंपरा है। दीपावली के दो दिन पूर्व धन्वं‍तरि-त्रयोदशी के सायंकाल मिट्टी का कोरा दीपक लेते हैं। उसमें तिल का तेल डालकर नवीन रूई की बत्ती रखते हैं और फिर उसे प्रकाशित कर, दक्षिण की तरह मुंह करके मृत्यु के देवता यम को समर्पित करते हैं। तत्पश्चात इसे दरवाजे के बगल में अनाज की ढेरी पर रख देते हैं। प्रयास यह रहता है कि यह रातभर जलता रहे, बुझे नहीं। क्यों प्रकाशित करते हैं यह दीपक? क्या है इसका रहस्य? इस संबंध में एक रोचक और सुन्दर पुराण कथा मिलती है।
कहते हैं, बहुत पहले हंसराज नामक एक प्रतापी राजा था। एक बार वह अपने मित्रों, सैनिकों और अंगरक्षकों के साथ जंगल में शिकार खेलने गया। संयोग से राजा सबसे बिछुड़कर अकेला रह गया और भटकते हुए एक अन्य राजा हेमराज के राज्य में पहुंच गया।
हेमराज ने थके-हारे हंसराज का भव्य स्वागत किया। उसी रात हेमराज के यहां पुत्र जन्म हुआ। इस खुशी के अवसर पर हेमराज ने राजकीय उत्सव में सम्मिलित होने के लिए आग्रह के साथ हंसराज को कुछ दिनों के लिए अपने यहां रोक लिया। बच्चे के छठवीं के दिन एक विचित्र घटना घटी। पूजा के समय देवी प्रकट हुई और बोली- आज इस शिशु की जो इतनी खुशियां मनाई जा रही हैं, यह अपने विवाह के चौथे दिन मृत्यु को प्राप्त हो जाएगा।
इस भविष्यवाणी से सारे राज्य में शोक छा गया। हेमराज और उसके परिजनों पर तो वज्रपात ही हो गया। सबके सब स्तब्ध रह गए। इस शोक के समय हंसराज ने राजा हेमराज और उसके परिवार को ढांढस दिया- मित्र, आप तनिक भी विचलित न हों। इस बालक की मैं रक्षा करूंगा। संसार की कोई भी शक्ति इसका बाल बांका नहीं कर सकेगी।
हंसराज ने यमुना के किनारे एक भूमिगत किला बनवाया और उसी के अंदर राजकुमार के पालन-पोषण की व्यवस्था कराई। इसके अतिरिक्त राजकुमार की प्राणरक्षा के लिए हंसराज ने सुयोग्य ब्राह्मणों से अनेक तांत्रिक अनुष्ठान, यज्ञ, मंत्रजाप आदि की भी व्यवस्था करा रखी थी। धीर-धीरे राजकुमार युवा हुआ। उसकी सुंदरता एवं ते‍जस्विता की चर्चा सर्वत्र फैल गई। राजा हंसराज के कहने से हेमराज ने राजकुमार का विवाह भी कर दिया। जिस राजकुमारी से युवराज का विवाह हुआ था, वह साक्षात लक्ष्मी लगती थी। ऐसी सुंदर वर-वधू की जोड़ी जीवन में किसी ने न देखी थी।
विधि का विधान… विवाह के ठीक चौथे दिन यम के दूत राजकुमार के प्राण हरण करने आ पहुंचे। अभी राज्य में मांगलिक समारोह ही चल रहा था। राजपरिवार और प्रजाजन खुशियां मनाने में मग्न थे। राजकुमार और राजकुमारी की छवि देखकर यमदूत भी विचलित हो उठे, किंतु राजकुमार के प्राणहरण का अप्रिय कार्य उन्हें करना ही पड़ा।
यमदूत जिस समय राजकुमार के प्राण लेकर चले, उस समय ऐसा हाहाकार मचा और दारुण दृश्य उपस्थित हुआ जिससे द्रवित होकर दूत भी स्वयं रोने लगे।
इस घटना के कुछ समय पश्चात एक दिन यमराज ने प्रसन्न मुद्रा में अपने दूतों से पूछा- दूतों! तुम सब अनंत काल से पृथ्वी के जीवों का प्राणहरण करते आ रह�� हो, क्या तुम्हें कभी किसी जीव पर दया आई है और मन में यह विचार उठा है कि इसे छोड़ देना चाहिए?
यम के दूत एक-दूसरे का मुंह देखने लगे। यमराज ने उनके संकोच को भांपकर उन्हें उत्साहित किया- झिझको मत, अगर ऐसा प्रसंग आया हो, तो निर्भय होकर बताओ।
इस पर एक दूत ने सिर झुकाकर निवेदन किया- मृत्युदेव, ऐसे प्रसंग तो कम ही आए हैं किंतु एक घटना अवश्य हुई है जिसकी स्मृति मुझे आज भी विह्वल कर देती है। यह कहते हुए दूत ने हेमराज के पुत्र के प्राणहरण की घटना सुना दी। इस दु:खद प्रसंग से यमराज भी विचलित हो उठे। इसे लक्ष्य करके दूत बोला- नाथ! क्या कोई ऐसा उपाय नहीं है जिससे इस प्रकार की अकाल मृत्यु से प्राणियों को छुटकारा मिल जाए?
इस पर यमराज ने कहा- जीवन और मृत्यु सृष्टि का अटल नियम है तथा इसे बदला नहीं जा सकता किंतु धनतेरस को पूरे दिन का व्रत और यमुना में स्नान कर धन्वंतरि और यम का पूजन-दर्शन अकाल मृत्यु से बचाव कर सकता है। यदि यह संभव न हो तो भी संध्या के समय घर के प्रवेश द्वार पर यम के नाम का एक दीपक प्रज्वलित करना चाहिए। इससे असामयिक मृत्यु और रोग से मुक्त जीवन प्राप्त किया जा सकता है।
इसके पश्चात से ही धनतेरस के दिन धन्वंतरि के पूजन और प्रवेश द्वार पर यम दीपक प्रज्वलित करने की परंपरा है।
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jodhpurnews24 · 6 years ago
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ऐसे घरों में कभी नहीं होता लक्ष्मी का वास, जीवन में इन बातों को रखें हमेशा ध्यान
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आज के समय में हर व्यक्ति धन, यश और किर्ती चाहता है। सभी मनुष्य घर कमाने व सुखी जीवन जीने के लिए दिन-रात मेहनत करता है। जीससे उसे जीवन में कभी भी धन की कमी ना हो और उसका जीवन हमेशा सुखमय व्यतीत हो। इसी इच्छा के साथ आज प्रत्येक व्यक्ति जी रहा है। लेकिन कुछ लोगों को कड़ी मेहनत के बाद भी धन का अभाव रहता है और उनके घरों में कभी दरिद्रता उनका पीछा नहीं छोड़ती। इसका कारण हमारे आसपास की ही कुछ ऐसी चीज़ें होती है जिन्हें हम नजरअंदाज़ करते हैं। मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए हमें कठोर परिश्रम के साथ-साथ अपने आचार-विचार और रहन-सहन में भी बहुत कुछ बदवाल करने की आवश्यकता होती है। आइए जानते हैं कुछ ऐसे ही सरल उपाय जिनकी मदद से हम अपनी दिनचर्या में बदलाव कर सकते हैं और धन संबंधी समस्याओं का समाधान कर सकते हैं।
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घर में कभी ना करें ये काम
1. यदि घर में कोई टूटा हुआ दर्पण है तो यह नकारत्मकता फैलता है तथा मानसिक तनाव भी लाता है ऐसी स्थिति लक्ष्मी हरण कर लेती है। 2. घर में ख़राब गाड़ी या कोई ख़राब इलेक्ट्रॉनिक सामान से भी धन ��ानि होती है। 3. जिस स्त्री का व्यवहार कठोर और निर्दयी होता है और जो घरो में लड़ाई झगड़ा कराती है वह लक्ष्मी से वंचित रहती है। 4. जो लोग अपने माता पिता का निरादर करते है और उन्हें यथाचित स्थान नहीं देते वह लक्ष्मी के प्रिय नहीं होते। 5. जो स्त्री या पुरुष चरित्रहीन होते है और गंदे पाप और कर्म करते है उनके घर लक्ष्मी नहीं रहती। 6. जिस घर में क्लेश होता है और जहां आपस में प्रेम की भावना का अभाव होता है उस घर में लक्ष्मी की कमी रहती है। 7. जो लोग अपने घर को व्यवस्थित नहीं रखते तथा जिनके घर में बर्तन इधर उधर बिखरे रहते है उस घर से लक्ष्मी रुष्ट हो जाती है। 8. लक्ष्मी का घर में वास हो इसके लिए आपके विचारों का शुद्ध और पवित्र होना आवश्यक है। 9. जिस घर में पूजा पाठ नहीं होता और देवताओ का अपमान होता है वह जीवन पर्यन्त लक्ष्मी नहीं रहती। 10. जो व्यक्ति आलसी होते है और सूर्योदय के बाद भी सोते रहते है ऐसे घर लक्ष्मी नहीं आती। 11. जो व्यक्ति नशीले पदार्थो और व्यसन में लिप्त रहते है ऐसे घर से लक्ष्मी रुष्ट रहती हैं। 12. जो पुरुष अपनी पत्नी का अपमान करता है और उसे नौकरानी समझता है और उसके साथ सबके सामने दुर्व्यवहार करता है वह लक्ष्मी के आभाव में जीता है। 13. जो स्त्री अपने पति के बारे में बुरा बोलती है और लज्जा को त्याग देती है ऐसे घर लक्ष्मी नहीं रहती। 14. जो लोग संधयाकाल या दिन में सोते है और मेहनती नहीं होते उनके घर लक्ष्मी का वास नहीं होता। 15. जो लोग मैले वस्त्र धारण करते है और व्यक्तिगत स्वछता पर ध्यान नहीं देते उसे लक्ष्मी छोड़ देती है।
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Hindi News ऐसे घरों में कभी नहीं होता लक्ष्मी का वास, जीवन में इन बातों को रखें हमेशा ध्यान appeared first on Kranti Bhaskar.
source http://hindi-news.krantibhaskar.com/latest-news/hindi-news/28133/
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latesthindinewsindia · 6 years ago
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ऐसे घरों में कभी नहीं होता लक्ष्मी का वास, जीवन में इन बातों को रखें हमेशा ध्यान
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आज के समय में हर व्यक्ति धन, यश और किर्ती चाहता है। सभी मनुष्य घर कमाने व सुखी जीवन जीने के लिए दिन-रात मेहनत करता है। जीससे उसे जीवन में कभी भी धन की कमी ना हो और उसका जीवन हमेशा सुखमय व्यतीत हो। इसी इच्छा के साथ आज प्रत्येक व्यक्ति जी रहा है। लेकिन कुछ लोगों को कड़ी मेहनत के बाद भी धन का अभाव रहता है और उनके घरों में कभी दरिद्रता उनका पीछा नहीं छोड़ती। इसका कारण हमारे आसपास की ही कुछ ऐसी चीज़ें होती है जिन्हें हम नजरअंदाज़ करते हैं। मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए हमें कठोर परिश्रम के साथ-साथ अपने आचार-विचार और रहन-सहन में भी बहुत कुछ बदवाल करने की आवश्यकता होती है। आइए जानते हैं कुछ ऐसे ही सरल उपाय जिनकी मदद से हम अपनी दिनचर्या में बदलाव कर सकते हैं और धन संबंधी समस्याओं का समाधान कर सकते हैं।
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घर में कभी ना करें ये काम
1. यदि घर में कोई टूटा हुआ दर्पण है तो यह नकारत्मकता फैलता है तथा मानसिक तनाव भी लाता है ऐसी स्थिति लक्ष्मी हरण कर लेती है। 2. घर में ख़राब गाड़ी या कोई ख़राब इलेक्ट्रॉनिक सामान से भी धन हानि होती है। 3. जिस स्त्री का व्यवहार कठोर और निर्दयी होता है और जो घरो में लड़ाई झगड़ा कराती है वह लक्ष्मी से वंचित रहती है। 4. जो लोग अपने माता पिता का निरादर करते है और उन्हें यथाचित स्��ान नहीं देते वह लक्ष्मी के प्रिय नहीं होते। 5. जो स्त्री या पुरुष चरित्रहीन होते है और गंदे पाप और कर्म करते है उनके घर लक्ष्मी नहीं रहती। 6. जिस घर में क्लेश होता है और जहां आपस में प्रेम की भावना का अभाव होता है उस घर में लक्ष्मी की कमी रहती है। 7. जो लोग अपने घर को व्यवस्थित नहीं रखते तथा जिनके घर में बर्तन इधर उधर बिखरे रहते है उस घर से लक्ष्मी रुष्ट हो जाती है। 8. लक्ष्मी का घर में वास हो इसके लिए आपके विचारों का शुद्ध और पवित्र होना आवश्यक है। 9. जिस घर में पूजा पाठ नहीं होता और देवताओ का अपमान होता है वह जीवन पर्यन्त लक्ष्मी नहीं रहती। 10. जो व्यक्ति आलसी होते है और सूर्योदय के बाद भी सोते रहते है ऐसे घर लक्ष्मी नहीं आती। 11. जो व्यक्ति नशीले पदार्थो और व्यसन में लिप्त रहते है ऐसे घर से लक्ष्मी रुष्ट रहती हैं। 12. जो पुरुष अपनी पत्नी का अपमान करता है और उसे नौकरानी समझता है और उसके साथ सबके सामने दुर्व्यवहार करता है वह लक्ष्मी के आभाव में जीता है। 13. जो स्त्री अपने पति के बारे में बुरा बोलती है और लज्जा को त्याग देती है ऐसे घर लक्ष्मी नहीं रहती। 14. जो लोग संधयाकाल या दिन में सोते है और मेहनती नहीं होते उनके घर लक्ष्मी का वास नहीं होता। 15. जो लोग मैले वस्त्र धारण करते है और व्यक्तिगत स्वछता पर ध्यान नहीं देते उसे लक्ष्मी छोड़ देती है।
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news-trust-india · 7 years ago
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गोद लिए बेटे ने जीते जी मां को श्मशान में छोड़ा, बचा-खुचा खाकर जीने को मजबूर अहमदनगर। मरने के बाद इंसान को श्मशान में अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जाता है लेकिन महाराष्ट्र के अहमदनगर में एक बेटे ने अपनी मां को जीते जी श्मशान में बेसहारा छोड़ दिया है। पिछले 6 महीने से एक बूढ़ी मां श्मशान में रहने के लिए मजबूर है। मां के साथ पत्नी का रोज-रोज झगड़ा और आर्थिक स्थिती से परेशान होकर एक गोद लिए बेटे ने अपनी वृद्ध मां को श्मशान में ला छोड़ा है। अहमदनगर के अमरधाम श्मशान में पिछले 6 महीने से लक्ष्मीबाई आहुजा रह रही है। अंतिम संस्कार के दौरान लोगों का श्मशान भूमि पर जो खाना छोड़ा जाता है, उसी खाने को खाकर ये बुजुर्ग महिला अपना गुजारा कर रही है। जब दो महीने का था तब उसे गोद लिया था। सुनील आहुजा लक्ष्मीबाई आहुजा का गोद लिया बेटा है। सुनील जब दो महीने का था तब लक्ष्मीबाई और उसके पति चंद्रकांत आहुजा ने उसे गोद लिया था। सुनील आहुजा अहमदनगर के शिवाजी नगर परिसर में रहता है। सुनील की शादी के बाद पति के निधन के बाद घर की परिस्थिती बदल गई। लक्ष्मीबाई की बहू हमेशा उनको ताना देती थी और उनसे झगड़ा किया करती थी। जिससे तंग आकर सुनील ने अपनी मां को श्मशान में छोड़ दिया। 6 महीनों से श्मशान भूमि में रह रही हैं श्मशान में साफ सफाई का काम करने वाली महिला कर्मचारियों द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक लक्ष्मी बाई पिछले 6 महीनों से श्मशान भूमि में रह रही हैं और अंतिम संस्कार में लोगों द्वारा दिए गए भोजन से अपना गुजारा कर रही हैं। उनकी देखरेख और पूछताछ करने वाला कोई नहीं है। वो यहां श्मशान भूमि में अकेली और बेसहारा ��ड़ी रहती हैं। उनकी ये हालत देखकर सभी को दया आती है, लोग उनको जल्द ही किसी वृद्धाश्रम में शिफ्ट करने का विचार कर रहे हैं।
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margdarsanme · 4 years ago
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NCERT Class 12 Hindi Chapter 11 Bhaktin
NCERT Class 12 Hindi Chapter 11 :: Bhaktin
(भक्तिन)
(गद्य भाग)
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
पाठ के साथ
प्रश्न 1.भक्तिन अपना वास्तविक नाम लोगों से क्यों छुपाती थी? भक्तिन को यह नाम किसने और क्यों दिया होगा? (CBSE-2008)उत्तर:भक्तिन का वास्तविक नाम था-लछमिन अर्थात लक्ष्मी। लक्ष्मी नाम समृद्ध व ऐश्वर्य का प्रतीक माना जाता है, परंतु यहाँ नाम के साथ गुण नहीं मिलता। लक्ष्मी बहुत गरीब तथा समझदार है। वह जानती है कि समृद्ध का सूचक यह नाम गरीब महिला को शोभा नहीं देता। उसके नाम व भाग्य में विरोधाभास है। वह सिर्फ़ नाम की लक्ष्मी है। समाज उसके नाम को सुनकर उसका उपहास न उड़ाए इसीलिए वह अपना वास्तविक नाम लोगों से छुपाती थी। भक्तिन को यह नाम लेखिका ने दिया। उसके गले में कंठी-माला व मुँड़े हुए सिर से वह भक्तिन ही लग रही थी। उसमें सेवा-भावना व कर्तव्यपरायणता को देखकर ही लेखिका ने उसका नाम ‘भक्तिन’ रखा।
प्रश्न 2.दो कन्या रत्न पैदा करने पर भक्तिन पुत्र-महिमा में अंधी अपनी जेठानियों द्वारा घृणा व उपेक्षा का शिकार बनी। ऐसी घटनाओं से ही अकसर यह धारणा चलती है कि स्त्री ही स्त्री की दुश्मन होती है? क्यों इससे आप सहमत हैं? (CBSE-2011)उत्तर:हाँ मैं इस बात से बिलकुल सहमत हूँ। जब भक्तिन अर्थात् लछिमन ने दो पुत्रियों को जन्म दिया तो उसके ससुराल वालों ने उस पर घोर अत्याचार किए। उसकी जेठानियों ने उस पर बहुत जुल्म ढाए। इसी कारण उसकी बेटियों को दिन भर काम करना पड़ता था। इन सभी बातों से सिद्ध होता है कि स्त्री ही स्त्री की दुश्मन है। उसकी जेठानियों ने तो जमीन हथियाने के लिए लछमिन की विधवा बेटी से अपने भाई का विवाह करने की योजना बनाई, जब यह योजना नहीं सफल हुई तो लछमिन पर अत्याचार बढ़ते गए।
प्रश्न 3.भक्तिन की बेटी पर पंचायत द्वारा जबरन पति थोपा जाना एक दुर्घटना भर नहीं, बल्कि विवाह के संदर्भ में स्त्री के मानवाधिकार (विवाह करें या न करें अथवा किससे करें) इसकी स्वतंत्रता को कुचलते रहने की सदियों से चली आ रही सामाजिक परंपरा का प्रतीक है। कैसे? (CBSE-2011)उत्तर:भक्तिन की विधवा बेटी के साथ उसके ताऊ के लड़के के साले ने जबरदस्ती करने की कोशिश की। लड़की ने उसकी खूब पिटाई की, परंतु पंचायत ने अपीलहीन फ़ैसले में उसे तीतरबाज युवक के साथ रहने का फ़ैसला सुनाया। यह सरासर स्त्री के मानवाधिकारों का हनन है। भारत में यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। यहाँ शादी करने का निर्णय सिर्फ़ पुरुष के हाथ में होता है। महाभारत में द्रौपदी को उसकी इच्छा के विरुद्ध पाँच पतियों की पत्नी बनना पड़ा। मीरा की शादी बचपन में ही कर दी गई तथा लक्ष्मीबाई की शादी अधेड़ उम्र के राजा के साथ कर दी गई। ऐसे अनेक उदाहरण हैं जहाँ अयोग्य लड़के के साथ गुणवती कन्या का विवाह किया गया तथा लड़की की जिंदगी नरक बना दी गई।
प्रश्न 4.भक्तिन अच्छी है, यह कहना कठिन होगा, क्योंकि उसमें दुर्गुणों का अभाव नहीं। लेखिका ने ऐसा क्यों कहा होगा? (CBSE-2009)उत्तर:जब भक्तिन लेखिका के घर काम करने आई तो वह सीधी-सादी, भोली-भाली लगती थी लेकिन ज्यों-ज्यों लेखिका के साथ उसका संबंध और संपर्क बढ़ता गया त्यों-त्यों वह उसके बारे में जानती गई। लेखिका को उसकी बुराइयों के बारे में पता चलता गया। इसी कारण लेखिका को यह लगा कि भक्तिन अच्छी नहीं है। उसमें कई दुर्गुण हैं अतः उसे अच्छी कहना और समझना लेखिका के लिए कठिन है।
प्रश्न 5.भक्तिन द्वारा शास्त्र के प्रश्न को सुविधा से सुलझा लेने का क्या उदाहरण लेखिका ने दिया है?उत्तर:भक्तिन की यह विशेषता है कि वह हर बात को, चाहे वह शास्त्र की ही क्यों न हो, अपनी सुविधा के अनुसार ढाल लेती है। वह सिर घुटाए रखती थी, लेखिका को यह अच्छा नहीं लगता था। जब उसने भक्तिन को ऐसा करने से रोका तो उसने अपनी बात को ऊपर रखा तथा कहा कि शास्त्र में यही लिखा है। जब लेखिका ने पूछा कि क्या लिखा है? उसने तुरंत उत्तर दिया-तीरथ गए मुँड़ाए सिद्ध। यह बात किस शास्त्र में लिखी गई है, इसका ज्ञान भक्तिन को नहीं था। जबकि लेखिका जानती थी कि यह कथन किसी व्यक्ति का है, न कि शास्त्र का। अत: वह भक्तिन को सिर घुटाने से नहीं रोक सकी तथा हर बृहस्पतिवार को उसका मुंडन होता रहा।
प्रश्न 6.भक्तिन के आ जाने से महादेवी अधिक देहाती कैसे हो गई? (CBSE-2014)उत्तर:भक्तिन के आ जाने से महादेवी ने लगभग उन सभी संस्कारों को, क्रियाकलापों को अपना लिया जो देहातों में अपनाए जाते हैं। देहाती की हर वस्तु, घटना और वातावरण का प्रभाव महादेवी पर पड़ने लगा। वह भक्तिन से सब कुछ जान लेती थी ताकि किसी बात की जानकारी अधूरी न रह जाए। धोती साफ़ करना, सामान बांधना आदि बातें भक्तिन ने ही सिखाई थी। वैसे देहाती भाषा भी भक्तिन के आने के बाद ही महादेवी बोलने लगी। इन्हीं कारणों से महादेवी देहाती हो गई।
पाठ के आसपास
प्रश्न 1.‘आलो आँधारि’ की नायिका और लेखिका बेबी हालदार और भक्तिन के व्यक्तित्व में आप क्या समानता देखते हैं?उत्तर:‘आलो आँधारि’ की नायिका एक घरेलू नौकरानी है। भक्तिन भी लेखिका के घर में नौकरी करती है। दोनों में यही समानता है। दूसरे, दोनों ही घर में पीड़ित हैं। परिवार वालों ने उन्हें पूर्णत: उपेक्षित कर दिया था। दोनों ने आत्मसम्मान को बचाते हुए जीवन-निर्वाह किया।भक्तिन की बेटी के मामले में जिस तरह का फैसला पंचायत ने सुनाया, वह आज भी कोई हैरतअंगेज बात नहीं हैं। अखबारों या टी०वी० समाचारों में आने वाली किसी ऐसी ही घटना को भक्तिन के उस प्रस7 के साथ रखकर उस पर चचा करें। भक्तिन की बेटी के मामले में जिस तरह का फ़ैसला पंचायत ने सुनाया, वह आज भी कोई हैरतअंगेज बात नहीं है। अब भी पंचायतों का तानाशाही रवैया बरकरार है। अखबारों या टी०वी० पर अकसर समाचार सुनने को मिलते हैं कि प्रेम विवाह को पंचायतें अवैध करार देती हैं तथा पति-पत्नी को भाई-बहिन की तरह रहने के लिए विवश करती हैं। वे उन्हें सजा भी देती हैं। कई बार तो उनकी हत्या भी कर दी जाती है। यह मध्ययुगीन बर्बरता आज भी विद्यमान है। पाँच वर्ष की वय में ब्याही जाने वाली लड़कियों में सिर्फ भक्तिन नहीं हैं, बल्कि आज भी हज़ारों अभागिनियाँ हैं।
प्रश्न 2.भक्तिन की बेटी के मामले में जिस तरह फैसला पंचायत ने सुनाया, वह आज भी कोई हैरतअंगेज़ बात नहीं है। अखबारों या टी०वी० समाचारों में आने वाली किसी ऐसी ही घटना को भक्तिन के उस प्रसंग के साथ रखकर उस पर चर्चा करें।उत्तर:पिछले दिनों अखबारों में पढ़ा और टी०वी० पर देखा कि राजस्थान के एक गाँव में केवल दो साल की बच्ची के साथ एक 20 वर्षीय युवक ने बलात्कार किया। आरोपी को बाद में लोगों ने पकड़ भी लिया। पंचायत हुई। इस पंचायत में फैसला सुनाया गया कि आरोपी को दस जूते लगाए जाएँ। दस जूते लगाकर उसे छोड़ दिया गया। यह निर्णय हैरतअंगेज़ करने वाला था क्योंकि पंच लोग केवल दबंग लोगों का साथ देते हैं। चाहे वे कितना ही गलत कार्य क्यों न करें।
प्रश्न 3.पाँच वर्ष की वय में ब्याही जानेवाली लड़कियों में सिर्फ भक्तिन नहीं है, बल्कि आज भी हज़ारों अभागिनियाँ हैं। बाल-विवाह और उम्र के अनमेलपन वाले विवाह की अपने आस-पास हो रही घटनाओं पर दोस्तों के साथ परिचर्चा करें।उत्तर:हमारे देश में नारी पर आज भी अत्याचार हो रहे हैं। अनपढ़ जनता पुरानी लीक पर चल रही है। पाँच वर्ष तो क्या दुधमुँही बच्ची की शादी की जा रही है। पश्चिमी राजस्थान, मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के देहातों में एक महीने की बच्चियों का विवाह (गौना) किया जा रहा है। आए दिन अखबारों में पढ़ते हैं कि दो दिन की बच्ची की शादी कर दी। कई बार तो दस वर्ष की बच्ची की शादी तीस वर्ष के युवक के साथ कर दी जाती है।
प्रश्न 4.महादेवी जी इस पाठ में हिरनी सोना, कुत्ता वसंत, बिल्ली गोधूलि आदि के माध्यम से पशु-पक्षी को मानवीय संवेदना से उकेरने वाली लेखिका के रूप में उभरती हैं। उन्होंने अपने घर में और भी कई-पशु-पक्षी पाल रखे थे तथा उन पर रेखाचित्र भी लिखे हैं। शिक्षक की सहायता से उन्हें ढूँढ़कर पढ़े। जो ‘मेरा परिवार’ नाम से प्रकाशित है।उत्तर:यह बात बिलकुल सत्य है कि महादेवी जी पशु-पक्षी के प्रति अधिक संवेदनशील थीं। उन्होंने कई प्रकार के पशु पक्षी पाल रखे थे। महादेवीजी ने अपने घर में हिरनी सोना, कुत्ता वसंत, बिल्ली गोधूलि के अतिरिक्त लक्का कबूतर, चित्रा बिल्ली, नीलकंठ मोर, कजली कुतिया, गिल्लू कौवा, दुर्मुख खरगोश, गौरा गऊ, रोजी कुतिया, निक्की नेवला और रानी घोड़ी आदि पशु पक्षी पाल रखे थे।
भाषा की बात
प्रश्न 1.नीचे दिए गए विशिष्ट भाषा-प्रयोगों के उदाहरणों को ध्यान से पढ़िए और इनकी अर्थ-छवि स्पष्ट कीजिए(क) पहली कन्या के दो संस्करण और कर डाले(ख) खोटे सिक्कों की टकसाल जैसी पत्नी(ग) अस्पष्ट पुनरावृत्तियाँ और स्पष्ट सहानुभूतिपूर्णउत्तर:
किसी पूर्व-प्रकाशित पुस्तक को पुन: प्रकाशित करना उसका नया संस्करण कहलाता है। इसमें कोई परिवर्तन नहीं होता। भक्तिन ने एक कन्या के बाद पुन: दो और कन्याएँ पैदा कीं। ‘संस्करण’ से तात्पर्य यह है कि उसने एक लिंग की संतान को जन्म दिया।
टकसाल सिक्के ठालने वाली मशीन को कहते हैं। भारतीय समाज में ‘लड़के’ को खरा सिक्का तथा लड़कियों को ‘खोटा सिक्का’ कहा जाता है। समाज में लड़कियों का कोई महत्व नहीं होता। भक्तिन को खोटे सिक्कों की टकसाल की संज्ञा दी गई है क्योंकि उसने एक के बाद एक तीन लड़कियाँ उत्पन्न कीं, जबकि समाज पुत्र जन्म देने वाली स्त्रियों को महत्व देता है।
भक्तिन अपने पिता की मृत्यु के कई दिन बाद पहुँची। उसे सिर्फ़ पिता की बीमारी के बारे में बताया गया था। जब वह अपने मायके के गाँव की सीमा में पहुँची तो लोग कानाफूसी करते हुए पाए गए कि बेचारी लछमिन अब आई है। आमतौर पर शोक की खबर प्रत्यक्ष तौर पर नहीं कही जाती। कानाफूसी के जरिए अस्पष्ट शब्दों में एक ही बात बार-बार कही जाती है। इन्हें लेखिका ने अस्पष्ट पुनरावृत्तियाँ कहा है। पिता की मृत्यु हो जाने पर लोग उसे सहानुभूतिपूर्ण दृष्टि से देख रहे थे तथा ढाँढ़स बँधा रहे थे। ये बातें स्पष्ट तौर पर की जा रही थीं, अत: उन्हें स्पष्ट सहानुभूति कहा गया है।
प्रश्न 2.‘बहनोई’-शब्द ‘बहन (स्त्री) + ओई’ से बना है। इस शब्द में हिंदी भाषा की एक अनन्य विशेषता प्रकट हुई है। पुल्लिंग शब्दों में कुछ स्त्री-प्रत्यय जोड़ने से स्त्रीलिंग शब्द बनने की एक समान प्रक्रिया कई भाषाओं में दिखती है, परे स्त्रीलिंग शब्द में कुछ पुं. प्रत्यय जोड़कर पुल्लिंग शब्द बनाने की घटना प्रायः अन्य भाषाओं में दिखलाई नहीं पड़ती। यहाँ पुं. प्रत्यय ‘ओई’ हिंदी की अपनी विशेषता है। ऐसे कुछ और शब्द और उनमें लगे पुं. प्रत्ययों की हिंदीतथा और भाषाओं की खोज करें।उत्तर:ननद + आई = ननदोई।
प्रश्न 3.पाठ में आए लोकभाषा के इन संवादों को समझकर इन्हें खड़ी बोली हिंदी में ढालकर प्रस्तुत कीजिए।
ई कउन बड़ी बात आय। रोटी बनाय जानित है, दाल रांध लेइत है, साग-भाजी बँउक सकित है, अउर बाकी का रहा।
हमारे मलकिन तौ रात-दिन कितबियन माँ गड़ी रहती हैं। अब हमहूँ पढ़ लागब तो घर-गिरिस्ती कउन देखी-सुनी।
ऊ बिचरिअउ तौ रात-दिन काम माँ झुकी रहती हैं, अउर तुम पचै घूमती-फिरती हौ चलौ तनिक हाथ बटाय लेउ।
तब ऊ कुच्छौ करिहैं-धरिहैं ना-बस गली-गली गाउत-बजाउत फिरिहैं।
तुम पचै का का बताई-यहै पचास बरिस से संग रहित है।
हम कुकुरी बिलारी न होयँ, हमार मन पुसाई तौ हम दूसरा के जाब नाहिं त तुम्हार पचै की छाती पै होरहा पूँजब और राज करब, समुझे रहो।
उत्तर:
यह कौन-सी बड़ी बात है। रोटी बनाना जानती हूँ, दाल बना लेती हूँ, साग-भाजी छौंक सकती हूँ, और शेष क्या रहा।
हमारी मालकिन तो रात-दिन किताबों में डूबी रहती हैं। अब हम भी पढ़ने लगे तो घर-गृहस्थी कौन देखेगा-सुनेगा।
वह बेचारी तो रात-दिन काम में लगी रहती हैं और तुम लोग घूमती-फिरती हो। चलो, तनिक हाथ बँटा लो।
तब वह कुछ करता-धरता नहीं होगा, बस गली-गली में गाता-बजाता फिरता होगा।
तुम्हें हम क्या-क्या बताएँ-यही पचास वर्ष से साथ रहती हूँ।
हम कुतिया-बिल्ली नहीं हैं। हमारा मन चाहेगा तो हम दूसरे के यहाँ (पत्नी बनकर) जाएँगे नहीं तो तुम्हारी छाती पर ही होरहा भूलूँगी और राज करूंगी-यह समझ लेना।
प्रश्न 4.भक्तिन पाठ में पहली कन्या के दो संस्करण जैसे प्रयोग लेखिका के खास भाषाई संस्कार की पहचान कराता है, साथ ही वे प्रयोग कथ्य को संप्रेषणीय बनाने में भी मददगार हैं। वर्तमान हिंदी में भी कुछ अन्य प्रकार की शब्दावली समाहित हुई है। नीचे कुछ वाक्य दिए जा रहे हैं जिससे वक्ता की खास पसंद का पता चलता है। आप वाक्य पढ़कर बताएँ कि इनमें किन तीन विशेष प्रकार की शब्दावली का प्रयोग हुआ, है? इन शब्दावलियों या इनके अतिरिक्त अन्य किन्हीं विशेष शब्दावलियों का प्रयोग करते हुए आप भी कुछ वाक्य बनाएँ और कक्षा में चर्चा करें कि ऐसे प्रयोग भाषा की समृद्धि में कहाँ तक सहायक हैं?– अरे ! उससे सावधान रहना! वह नीचे से ऊपर तक वायरस से भरा हुआ है। जिस सिस्टम में जाता है उसे हैंग कर देता है।– घबरा मत ! मेरी इनस्वींगर के सामने उसके सारे वायरस घुटने टेकेंगे। अगर ज्यादा फ़ाउल मारा तो रेड कार्ड दिखा के हमेशा के लिए पवेलियन भेज दूंगा।– जॉनी टेंसन नयी लेने का वो जिस स्कूल में पढ़ता है अपुन उसका हैडमास्टर है।उत्तर:इस प्रकार की शब्दावलियों का प्रयोग पिछले कुछ समय से बढ़ गया है। यह टपोरी शब्दावली है। वास्तव में यह हिंग्लिश शब्दावली के नाम से जानी जाती है। पहले वाक्य में कंप्यूटर शब्दावली का प्रयोग हुआ। दूसरे वाक्य में खेलात्मक शब्दावली का प्रयोग किया है। अंतिम वाक्य में मुंबईया शब्दावली का प्रयोग हुआ है। इन प्रयोगों से भाषा का मूल स्वरूप बिगड़ जाता है। ऐसी शब्दावली भाषा को समृद्धि नहीं बल्कि कंगाली देती है अर्थात् भाषा की अपनी सार्थकता खत्म हो जाती है। कुछ और उदाहरणों को देखें
तुम अपन को जानताई छ नहीं है।
तेरा रामू के साथ टांका भिड्रेला है भेडू।
जो तुम कहते हो वह कंप्यूटर की तरह मेरे दिमाग में फीड हो जाता है।
इस बार दलजीत ने कुछ कहा तो उसे स्टेडियम की फुटबाल की तरह बाहर भेज दूंगा।
तेरे नखरे भी शेयर बाजार जैसे चढ़ते जा रहे हैं।
अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.भक्तिन की शारीरिक बनावट कैसी थी?उत्तर:भक्तिन का कद छोटा था। उसका शरीर दुबला-पतला था। वह गरीब लगती थी। उसके होंठ पतले थे एवं आँखें छोटी थीं। इन सारी बातों से पता चलता है कि उसकी शारीरिक बनावट कुल मिलाकर 50 वर्षीया स्त्री की थी लेकिन वह बूढ़ी नहीं लगती थी।
प्रश्न 2.महादेवी जी ने भक्तिन के बारे में क्या लिखा है?उत्तर:महादेवी वर्मा भक्तिन के बारे में लिखती हैं-सेवक धर्म में हनुमान जी से स्पर्धा करने वाली भक्तिन किसी अंजना की पुत्री न होकर एक अनामधन्या गोपालिका की कन्या है। नाम है ���छमिन अर्थात् लक्ष्मी। पर जैसे मेरे नाम की विशालता मेरे लिए दुर्वह है, वैसे ही लक्ष्मी की समृधि भक्ति के कपाल की कैंचित रेखाओं में नहीं बँध सकी।
प्रश्न 3.भक्तिन की कितनी संतानें थीं? उनका जीवन कैसा था?उत्तर:भक्तिन ने तीन बेटियों को जन्म दिया। इन तीनों बेटियों के कारण भक्तिने को जीवन भर दुख उठाने पड़े। सास और जेठानियाँ सभी उसे तंग करती रहती। उनकी बेटी को हर वक्त काम में लगाएं रखती। कोई भी नहीं चाहता था कि भक्तिन की बेटियाँ सुखी रहें।
प्रश्न 4.भक्तिन दुर्भाग्यशाली क्यों थी?उत्तर:भक्तिन का पति उस समय मरा जब वह केवल 36 वर्ष की थी। वह तीन बेटियों को जन्म देकर चला गया। इस कारण भक्तिन को बहु कष्ट उठाने पड़े। भक्तिन की बेटी विवाह के कुछ वर्ष बाद विधवा हो गई। उसके जेठ जेठानियाँ सभी उसकी संपत्ति हड़पने की योजना बनाने लगे।
प्रश्न 5.भक्तिन का स्वभाव कैसा था?उत्तर:यद्यपि भक्तिन मेहनती स्त्री थी लेकिन उसमें चोरी करने की आदत थी। जब वह महादेवी वर्मा के घर का कार्य करने आई तो वह घर में रखे खुले पैसे रुपये उठा लेती। उसने कभी सच नहीं बोला। वास्तव में उसमें कई दुर्गुण थे।
प्रश्न 6.पाठ के आधार पर भक्तिन की तीन विशेषताएँ बताइए। (CBSE-2012, 2017)उत्तर:भक्तिन की तीन विशेषताएँ निम्नलिखित हैं(क) जुझारू – भक्तिन जुझारू महिला थी। उसने कठिन परिस्थितियों का डटकर सामना किया। शादी के बाद ससुराल में मेहनत से खेतीबाड़ी की। पति की मृत्यु के बाद बेटियों की शादी की। समाज के भेदभावपूर्ण व्यवहार का कड़ा विरोध किया।(ख) भाग्य से पीड़ित – भक्तिन मेहनती थी, परंतु भाग्य उसके सदैव विपरीत रहा। बचपन में माँ की मृत्यु हो गई थी। विमाता का देश उसे हमेशा झालता रहा। ससुराल में तीन पुत्रियों का जन्म देने के कारण उपेक्षा मिली। पति की अकाल मृत्यु हुई। फिर दामाद की मृत्यु व परिवार के षड्यंत्र ने उसे तोड़कर रख दिया।(ग) सेवाभाव – भक्तिन महादेवी की सेविका थी। वह छाया के समान हर समय महादेवी के साथ रहती थी। महादेवी के कार्य को खुशी से करती थी।
प्रश्न 7.भक्तिन व लेखिका के बीच कैसा संबंध था।अथवा‘महादेवी वर्मा और भक्तिन के संबंधों की तीन विशिष्टताओं का उल्लेख कीजिए। (CBSE-2015)उत्तर:भक्तिन व लेखिका के बीच नौकरानी या स्वामिनी का संबंध नहीं था। वे आत्मीय जन की तरह थे। स्वामी अपनी इच्छा होने पर भी उसे हटा नहीं सकती थी( स्वामी अपनी इच्छा होने पर भी उसे हटा नहीं सकती। सेवक भी स्वामी के चले जाने के आश पाकर अवज्ञा से हँस दे। भक्तिन को नौकर कहना उतना ही असंगत है, जितना अपने घर में बारी-बारी से आने-जाने वाले अँधेरे-उजाले और आँगन में फूलो वाले गुलाब और आम को सेवक मानना। जिस प्रकार एक अस्तित्व रखते है जिसे सार्थकता देने के लिए ही हमें सुख-दुख देते हैं, उसी प्रकार भक्तिन का स्वतंत्र व्यक्तित्व अपने विकास के लिए लेखिका के जीवन को घेरे है।
प्रश्न 8.‘भक्तिन’ अनेक अवगुणों के होते हुए भी महादेवी जी के लिए अनमोल क्यों थी?उत्तर:भक्तिन उनके अवगुणों के होते हुए भी महादेवी के लिए अनमोल थी क्योंकि
वह लेखिका के हर कष्ट को लेने को तैयार थी।
वह लेखिका की सेवा करती थी।
लेखिका के पास पैसे की कमी की बात सुनकर वह जीवन भर की अपनी कमाई उसे देना चाहती थी।
प्रश्न 9.‘भक्तिन’ और ‘महादेवी’ के नामों में क्या विरोधाभास था?उत्तर:‘भक्तिन’ का असली नाम लक्ष्मी था। वह अपना नाम छिपाती थी क्योंकि उसे कभी समृद्ध नहीं मिली। उसके भक्ति भाव को देखकर लेखिका ने उसे ‘भक्तिन’ कहना शुरू कर दिया। लेखिका को अपना नाम महादेवी था। वह किसी भी दृष्टि से । देवी के समकक्ष नहीं थी। दोनों के नामों वे उसके गुणों में कोई तारतम्य नहीं था।
प्रश्न 10.भक्तिन का अतीत परिवार और समाज की किन समस्याओं से जूझते हुए बीता है? पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए। (CBSE-2013)उत्तर:भक्तिन का जीवन सदैव परेशानी भरा रहा। बचपन में माँ की मृत्यु हो गई थी। विमाता ने उससे भेदभाव किया। विवाह के बाद उसकी तीन लड़कियाँ हुई जिसके कारण सास व जेठानियों ने उसके व लड़कियों के साथ भेदभाव किया। 36 वर्ष की आयु में पति की मृत्यु हो गई। ससुराल वालों ने संपत्ति हड़पने के तमाम प्रयास किए, परंतु उसने बेटियों की शादी की। एक घरजमाई बनाया, परंतु दुर्भाग्य से वह शीघ्र मृत्यु को प्राप्त हो गया। इसके बाद ससुराल वालों ने मिलकर उसकी विधवा पुत्री का बलात्कार कराने की कोशिश की। पंचायत ने बलात्कारी के साथ ही लड़की का विवाह जबरन कर दिया। इसके बाद भक्तिन की संपत्ति का विनाश हो गया
प्रश्न 11.भक्तिन की बेटी के मानवाधिकारों का हनन पंचायत ने किस प्रकार किया? स्पष्ट कीजिए। (CBSE-2011)उत्तर:भक्तिन ने घरजमाई रखा। वह अकालमृत्यु को प्राप्त हो गया। उसके जेठ के परिवार वाले संपत्ति हडपना चाहते थे. परंतु सारी जायदाद लड़की के नाम थी, लड़की के ताऊ के लड़के के तीतरबाज़ साले ने उससे जबरदस्ती करने की कोशिश की। लक्ष्मी ने उसकी खूब पिटाई की। जेठ ने पंचायत में अपील की। वहाँ भी भ्रष्टतंत्र था। उन्होंने लड़की की न सुनकर अपीलहीन फैसले में उसे तीतरबाज युवक के साथ रहने का फैसला सुनाया। यह मानवाधिकारों का हनन था। दोषी को सजा न देकर उसे इनाम मिला।
प्रश्न 12.भक्तिन नाम किसने और क्यों दिया? पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।उत्तर:भक्तिन को यह नाम लेखिका ने दिया। भक्तिन का असली नाम लक्ष्मी था। वह अपने नाम को छिपाना चाहती थी क्योंकि उसके पास धन नहीं था। लेखिका ने उसके गले में कॅठीमाला देखकर यह नामकरण कर दिया। वह इस कवित्वहीन नाम को पाकर गदगद हो उठी थी।
प्रश्न 13.‘भक्तिन वाक्पटुता में बहुत आगे थी’, पाठ के आधार पर उदाहरण देकर पुष्टि कीजिए। (CBSE-2014)उत्तर:यह कथन सही है कि भक्तिन वाक्पटुता में बहुत आगे थी। उसके पास हर बात का सटीक उत्तर तैयार रहता था। लेखिका ने जब उसको सिर घुटाने से रोका तो उसका उत्तर था – तीरथ गए मुंडाए सिद्ध’ इसी तरह उसके बनाएँ खाने पर कटाक्ष करने पर उसने उत्तर दिया – वह कुछ अनाड़िन या फूछड़ नहीं। ससुर, पितिया ससुर, अजिया सास आदि ने उसकी पाक कुशलता के लिए न जाने कितने मौखिक प्रमाणपत्र दे डाले थे।
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margdarsanme · 4 years ago
Text
NCERT Class 12 Hindi Chapter 11 Bhaktin
NCERT Class 12 Hindi Chapter 11 :: Bhaktin
(भक्त��न)
(गद्य भाग)
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
पाठ के साथ
प्रश्न 1.भक्तिन अपना वास्तविक नाम लोगों से क्यों छुपाती थी? भक्तिन को यह नाम किसने और क्यों दिया होगा? (CBSE-2008)उत्तर:भक्तिन का वास्तविक नाम था-लछमिन अर्थात लक्ष्मी। लक्ष्मी नाम समृद्ध व ऐश्वर्य का प्रतीक माना जाता है, परंतु यहाँ नाम के साथ गुण नहीं मिलता। लक्ष्मी बहुत गरीब तथा समझदार है। वह जानती है कि समृद्ध का सूचक यह नाम गरीब महिला को शोभा नहीं देता। उसके नाम व भाग्य में विरोधाभास है। वह सिर्फ़ नाम की लक्ष्मी है। समाज उसके नाम को सुनकर उसका उपहास न उड़ाए इसीलिए वह अपना वास्तविक नाम लोगों से छुपाती थी। भक्तिन को यह नाम लेखिका ने दिया। उसके गले में कंठी-माला व मुँड़े हुए सिर से वह भक्तिन ही लग रही थी। उसमें सेवा-भावना व कर्तव्यपरायणता को देखकर ही लेखिका ने उसका नाम ‘भक्तिन’ रखा।
प्रश्न 2.दो कन्या रत्न पैदा करने पर भक्तिन पुत्र-महिमा में अंधी अपनी जेठानियों द्वारा घृणा व उपेक्षा का शिकार बनी। ऐसी घटनाओं से ही अकसर यह धारणा चलती है कि स्त्री ही स्त्री की दुश्मन होती है? क्यों इससे आप सहमत हैं? (CBSE-2011)उत्तर:हाँ मैं इस बात से बिलकुल सहमत हूँ। जब भक्तिन अर्थात् लछिमन ने दो पुत्रियों को जन्म दिया तो उसके ससुराल वालों ने उस पर घोर अत्याचार किए। उसकी जेठानियों ने उस पर बहुत जुल्म ढाए। इसी कारण उसकी बेटियों को दिन भर काम करना पड़ता था। इन सभी बातों से सिद्ध होता है कि स्त्री ही स्त्री की दुश्मन है। उसकी जेठानियों ने तो जमीन हथियाने के लिए लछमिन की विधवा बेटी से अपने भाई का विवाह करने की योजना बनाई, जब यह योजना नहीं सफल हुई तो लछमिन पर अत्याचार बढ़ते गए।
प्रश्न 3.भक्तिन की बेटी पर पंचायत द्वारा जबरन पति थोपा जाना एक दुर्घटना भर नहीं, बल्कि विवाह के संदर्भ में स्त्री के मानवाधिकार (विवाह करें या न करें अथवा किससे करें) इसकी स्वतंत्रता को कुचलते रहने की सदियों से चली आ रही सामाजिक परंपरा का प्रतीक है। कैसे? (CBSE-2011)उत्तर:भक्तिन की विधवा बेटी के साथ उसके ताऊ के लड़के के साले ने जबरदस्ती करने की कोशिश की। लड़की ने उसकी खूब पिटाई की, परंतु पंचायत ने अपीलहीन फ़ैसले में उसे तीतरबाज युवक के साथ रहने का फ़ैसला सुनाया। यह सरासर स्त्री के मानवाधिकारों का हनन है। भारत में यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। यहाँ शादी करने का निर्णय सिर्फ़ पुरुष के हाथ में होता है। महाभारत में द्रौपदी को उसकी इच्छा के विरुद्ध पाँच पतियों की पत्नी बनना पड़ा। मीरा की शादी बचपन में ही कर दी गई तथा लक्ष्मीबाई की शादी अधेड़ उम्र के राजा के साथ कर दी गई। ऐसे अनेक उदाहरण हैं जहाँ अयोग्य लड़के के साथ गुणवती कन्या का विवाह किया गया तथा लड़की की जिंदगी नरक बना दी गई।
प्रश्न 4.भक्तिन अच्छी है, यह कहना कठिन होगा, क्योंकि उसमें दुर्गुणों का अभाव नहीं। लेखिका ने ऐसा क्यों कहा होगा? (CBSE-2009)उत्तर:जब भक्तिन लेखिका के घर काम करने आई तो वह सीधी-सादी, भोली-भाली लगती थी लेकिन ज्यों-ज्यों लेखिका के साथ उसका संबंध और संपर्क बढ़ता गया त्यों-त्यों वह उसके बारे में जानती गई। लेखिका को उसकी बुराइयों के बारे में पता चलता गया। इसी कारण लेखिका को यह लगा कि भक्तिन अच्छी नहीं है। उसमें कई दुर्गुण हैं अतः उसे अच्छी कहना और समझना लेखिका के लिए कठिन है।
प्रश्न 5.भक्तिन द्वारा शास्त्र के प्रश्न को सुविधा से सुलझा लेने का क्या उदाहरण लेखिका ने दिया है?उत्तर:भक्तिन की यह विशेषता है कि वह हर बात को, चाहे वह शास्त्र की ही क्यों न हो, अपनी सुविधा के अनुसार ढाल लेती है। वह सिर घुटाए रखती थी, लेखिका को यह अच्छा नहीं लगता था। जब उसने भक्तिन को ऐसा करने से रोका तो उसने अपनी बात को ऊपर रखा तथा कहा कि शास्त्र में यही लिखा है। जब लेखिका ने पूछा कि क्या लिखा है? उसने तुरंत उत्तर दिया-तीरथ गए मुँड़ाए सिद्ध। यह बात किस शास्त्र में लिखी गई है, इसका ज्ञान भक्तिन को नहीं था। जबकि लेखिका जानती थी कि यह कथन किसी व्यक्ति का है, न कि शास्त्र का। अत: वह भक्तिन को सिर घुटाने से नहीं रोक सकी तथा हर बृहस्पतिवार को उसका मुंडन होता रहा।
प्रश्न 6.भक्तिन के आ जाने से महादेवी अधिक देहाती कैसे हो गई? (CBSE-2014)उत्तर:भक्तिन के आ जाने से महादेवी ने लगभग उन सभी संस्कारों को, क्रियाकलापों को अपना लिया जो देहातों में अपनाए जाते हैं। देहाती की हर वस्तु, घटना और वातावरण का प्रभाव महादेवी पर पड़ने लगा। वह भक्तिन से सब कुछ जान लेती थी ताकि किसी बात की जानकारी अधूरी न रह जाए। धोती साफ़ करना, सामान बांधना आदि बातें भक्तिन ने ही सिखाई थी। वैसे देहाती भाषा भी भक्तिन के आने के बाद ही महादेवी बोलने लगी। इन्हीं कारणों से महादेवी देहाती हो गई।
पाठ के आसपास
प्रश्न 1.‘आलो आँधारि’ की नायिका और लेखिका बेबी हालदार और भक्तिन के व्यक्तित्व में आप क्या समानता देखते हैं?उत्तर:‘आलो आँधारि’ की नायिका एक घरेलू नौकरानी है। भक्तिन भी लेखिका के घर में नौकरी करती है। दोनों में यही समानता है। दूसरे, दोनों ही घर में पीड़ित हैं। परिवार वालों ने उन्हें पूर्णत: उपेक्षित कर दिया था। दोनों ने आत्मसम्मान को बचाते हुए जीवन-निर्वाह किया।भक्तिन की बेटी के मामले में जिस तरह का फैसला पंचायत ने सुनाया, वह आज भी कोई हैरतअंगेज बात नहीं हैं। अखबारों या टी०वी० समाचारों में आने वाली किसी ऐसी ही घटना को भक्तिन के उस प्रस7 के साथ रखकर उस पर चचा करें। भक्तिन की बेटी के मामले में जिस तरह का फ़ैसला पंचायत ने सुनाया, वह आज भी कोई हैरतअंगेज बात नहीं है। अब भी पंचायतों का तानाशाही रवैया बरकरार है। अखबारों या टी०वी० पर अकसर समाचार सुनने को मिलते हैं कि प्रेम विवाह को पंचायतें अवैध करार देती हैं तथा पति-पत्नी को भाई-बहिन की तरह रहने के लिए विवश करती हैं। वे उन्हें सजा भी देती हैं। कई बार तो उनकी हत्या भी कर दी जाती है। यह मध्ययुगीन बर्बरता आज भी विद्यमान है। पाँच वर्ष की वय में ब्याही जाने वाली लड़कियों में सिर्फ भक्तिन नहीं हैं, बल्कि आज भी हज़ारों अभागिनियाँ हैं।
प्रश्न 2.भक्तिन की बेटी के मामले में जिस तरह फैसला पंचायत ने सुनाया, वह आज भी कोई हैरतअंगेज़ बात नहीं है। अखबारों या टी०वी० समाचारों में आने वाली किसी ऐसी ही घटना को भक्तिन के उस प्रसंग के साथ रखकर उस पर चर्चा करें।उत्तर:पिछले दिनों अखबारों में पढ़ा और टी०वी० पर देखा कि राजस्थान के एक गाँव में केवल दो साल की बच्ची के साथ एक 20 वर्षीय युवक ने बलात्कार किया। आरोपी को बाद में लोगों ने पकड़ भी लिया। पंचायत हुई। इस पंचायत में फैसला सुनाया गया कि आरोपी को दस जूते लगाए जाएँ। दस जूते लगाकर उसे छोड़ दिया गया। यह निर्णय हैरतअंगेज़ करने वाला था क्योंकि पंच लोग केवल दबंग लोगों का साथ देते हैं। चाहे वे कितना ही गलत कार्य क्यों न करें।
प्रश्न 3.पाँच वर्ष की वय में ब्याही जानेवाली लड़कियों में सिर्फ भक्तिन नहीं है, बल्कि आज भी हज़ारों अभागिनियाँ हैं। बाल-विवाह और उम्र के अनमेलपन वाले विवाह की अपने आस-पास हो रही घटनाओं पर दोस्तों के साथ परिचर्चा करें।उत्तर:हमारे देश में नारी पर आज भी अत्याचार हो रहे हैं। अनपढ़ जनता पुरानी लीक पर चल रही है। पाँच वर्ष तो क्या दुधमुँही बच्ची की शादी की जा रही है। पश्चिमी राजस्थान, मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के देहातों में एक महीने की बच्चियों का विवाह (गौना) किया जा रहा है। आए दिन अखबारों में पढ़ते हैं कि दो दिन की बच्ची की शादी कर दी। कई बार तो दस वर्ष की बच्ची ��ी शादी तीस वर्ष के युवक के साथ कर दी जाती है।
प्रश्न 4.महादेवी जी इस पाठ में हिरनी सोना, कुत्ता वसंत, बिल्ली गोधूलि आदि के माध्यम से पशु-पक्षी को मानवीय संवेदना से उकेरने वाली लेखिका के रूप में उभरती हैं। उन्होंने अपने घर में और भी कई-पशु-पक्षी पाल रखे थे तथा उन पर रेखाचित्र भी लिखे हैं। शिक्षक की सहायता से उन्हें ढूँढ़कर पढ़े। जो ‘मेरा परिवार’ नाम से प्रकाशित है।उत्तर:यह बात बिलकुल सत्य है कि महादेवी जी पशु-पक्षी के प्रति अधिक संवेदनशील थीं। उन्होंने कई प्रकार के पशु पक्षी पाल रखे थे। महादेवीजी ने अपने घर में हिरनी सोना, कुत्ता वसंत, बिल्ली गोधूलि के अतिरिक्त लक्का कबूतर, चित्रा बिल्ली, नीलकंठ मोर, कजली कुतिया, गिल्लू कौवा, दुर्मुख खरगोश, गौरा गऊ, रोजी कुतिया, निक्की नेवला और रानी घोड़ी आदि पशु पक्षी पाल रखे थे।
भाषा की बात
प्रश्न 1.नीचे दिए गए विशिष्ट भाषा-प्रयोगों के उदाहरणों को ध्यान से पढ़िए और इनकी अर्थ-छवि स्पष्ट कीजिए(क) पहली कन्या के दो संस्करण और कर डाले(ख) खोटे सिक्कों की टकसाल जैसी पत्नी(ग) अस्पष्ट पुनरावृत्तियाँ और स्पष्ट सहानुभूतिपूर्णउत्तर:
किसी पूर्व-प्रकाशित पुस्तक को पुन: प्रकाशित करना उसका नया संस्करण कहलाता है। इसमें कोई परिवर्तन नहीं होता। भक्तिन ने एक कन्या के बाद पुन: दो और कन्याएँ पैदा कीं। ‘संस्करण’ से तात्पर्य यह है कि उसने एक लिंग की संतान को जन्म दिया।
टकसाल सिक्के ठालने वाली मशीन को कहते हैं। भारतीय समाज में ‘लड़के’ को खरा सिक्का तथा लड़कियों को ‘खोटा सिक्का’ कहा जाता है। समाज में लड़कियों का कोई महत्व नहीं होता। भक्तिन को खोटे सिक्कों की टकसाल की संज्ञा दी गई है क्योंकि उसने एक के बाद एक तीन लड़कियाँ उत्पन्न कीं, जबकि समाज पुत्र जन्म देने वाली स्त्रियों को महत्व देता है।
भक्तिन अपने पिता की मृत्यु के कई दिन बाद पहुँची। उसे सिर्फ़ पिता की बीमारी के बारे में बताया गया था। जब वह अपने मायके के गाँव की सीमा में पहुँची तो लोग कानाफूसी करते हुए पाए गए कि बेचारी लछमिन अब आई है। आमतौर पर शोक की खबर प्रत्यक्ष तौर पर नहीं कही जाती। कानाफूसी के जरिए अस्पष्ट शब्दों में एक ही बात बार-बार कही जाती है। इन्हें लेखिका ने अस्पष्ट पुनरावृत्तियाँ कहा है। पिता की मृत्यु हो जाने पर लोग उसे सहानुभूतिपूर्ण दृष्टि से देख रहे थे तथा ढाँढ़स बँधा रहे थे। ये बातें स्पष्ट तौर पर की जा रही थीं, अत: उन्हें स्पष्ट सहानुभूति कहा गया है।
प्रश्न 2.‘बहनोई’-शब्द ‘बहन (स्त्री) + ओई’ से बना है। इस शब्द में हिंदी भाषा की एक अनन्य विशेषता प्रकट हुई है। पुल्लिंग शब्दों में कुछ स्त्री-प्रत्यय जोड़ने से स्त्रीलिंग शब्द बनने की एक समान प्रक्रिया कई भाषाओं में दिखती है, परे स्त्रीलिंग शब्द में कुछ पुं. प्रत्यय जोड़कर पुल्लिंग शब्द बनाने की घटना प्रायः अन्य भाषाओं में दिखलाई नहीं पड़ती। यहाँ पुं. प्रत्यय ‘ओई’ हिंदी की अपनी विशेषता है। ऐसे कुछ और शब्द और उनमें लगे पुं. प्रत्ययों की हिंदीतथा और भाषाओं की खोज करें।उत्तर:ननद + आई = ननदोई।
प्रश्न 3.पाठ में आए लोकभाषा के इन संवादों को समझकर इन्हें खड़ी बोली हिंदी में ढालकर प्रस्तुत कीजिए।
ई कउन बड़ी बात आय। रोटी बनाय जानित है, दाल रांध लेइत है, साग-भाजी बँउक सकित है, अउर बाकी का रहा।
हमारे मलकिन तौ रात-दिन कितबियन माँ गड़ी रहती हैं। अब हमहूँ पढ़ लागब तो घर-गिरिस्ती कउन देखी-सुनी।
ऊ बिचरिअउ तौ रात-दिन काम माँ झुकी रहती हैं, अउर तुम पचै घूमती-फिरती हौ चलौ तनिक हाथ बटाय लेउ।
तब ऊ कुच्छौ करिहैं-धरिहैं ना-बस गली-गली गाउत-बजाउत फिरिहैं।
तुम पचै का का बताई-यहै पचास बरिस से संग रहित है।
हम कुकुरी बिलारी न होयँ, हमार मन पुसाई तौ हम दूसरा के जाब नाहिं त तुम्हार पचै की छाती पै होरहा पूँजब और राज करब, समुझे रहो।
उत्तर:
यह कौन-सी बड़ी बात है। रोटी बनाना जानती हूँ, दाल बना लेती हूँ, साग-भाजी छौंक सकती हूँ, और शेष क्या रहा।
हमारी मालकिन तो रात-दिन किताबों में डूबी रहती हैं। अब हम भी पढ़ने लगे तो घर-गृहस्थी कौन देखेगा-सुनेगा।
वह बेचारी तो रात-दिन काम में लगी रहती हैं और तुम लोग घूमती-फिरती हो। चलो, तनिक हाथ बँटा लो।
तब वह कुछ करता-धरता नहीं होगा, बस गली-गली में गाता-बजाता फिरता होगा।
तुम्हें हम क्या-क्या बताएँ-यही पचास वर्ष से साथ रहती हूँ।
हम कुतिया-बिल्ली नहीं हैं। हमारा मन चाहेगा तो हम दूसरे के यहाँ (पत्नी बनकर) जाएँगे नहीं तो तुम्हारी छाती पर ही होरहा भूलूँगी और राज करूंगी-यह समझ लेना।
प्रश्न 4.भक्तिन पाठ में पहली कन्या के दो संस्करण जैसे प्रयोग लेखिका के खास भाषाई संस्कार की पहचान कराता है, साथ ही वे प्रयोग कथ्य को संप्रेषणीय बनाने में भी मददगार हैं। वर्तमान हिंदी में भी कुछ अन्य प्रकार की शब्दावली समाहित हुई है। नीचे कुछ वाक्य दिए जा रहे हैं जिससे वक्ता की खास पसंद का पता चलता है। आप वाक्य पढ़कर बताएँ कि इनमें किन तीन विशेष प्रकार की शब्दावली का प्रयोग हुआ, है? इन शब्दावलियों या इनके अतिरिक्त अन्य किन्हीं विशेष शब्दावलियों का प्रयोग करते हुए आप भी कुछ वाक्य बनाएँ और कक्षा में चर्चा करें कि ऐसे प्रयोग भाषा की समृद्धि में कहाँ तक सहायक हैं?– अरे ! उससे सावधान रहना! वह नीचे से ऊपर तक वायरस से भरा हुआ है। जिस सिस्टम में जाता है उसे हैंग कर देता है।– घबरा मत ! मेरी इनस्वींगर के सामने उसके सारे वायरस घुटने टेकेंगे। अगर ज्यादा फ़ाउल मारा तो रेड कार्ड दिखा के हमेशा के लिए पवेलियन भेज दूंगा।– जॉनी टेंसन नयी लेने का वो जिस स्कूल में पढ़ता है अपुन उसका हैडमास्टर है।उत्तर:इस प्रकार की शब्दावलियों का प्रयोग पिछले कुछ समय से बढ़ गया है। यह टपोरी शब्दावली है। वास्तव में यह हिंग्लिश शब्दावली के नाम से जानी जाती है। पहले वाक्य में कंप्यूटर शब्दावली का प्रयोग हुआ। दूसरे वाक्य में खेलात्मक शब्दावली का प्रयोग किया है। अंतिम वाक्य में मुंबईया शब्दावली का प्रयोग हुआ है। इन प्रयोगों से भाषा का मूल स्वरूप बिगड़ जाता है। ऐसी शब्दावली भाषा को समृद्धि नहीं बल्कि कंगाली देती है अर्थात् भाषा की अपनी सार्थकता खत्म हो जाती है। कुछ और उदाहरणों को देखें
तुम अपन को जानताई छ नहीं है।
तेरा रामू के साथ टांका भिड्रेला है भेडू।
जो तुम कहते हो वह कंप्यूटर की तरह मेरे दिमाग में फीड हो जाता है।
इस बार दलजीत ने कुछ कहा तो उसे स्टेडियम की फुटबाल की तरह बाहर भेज दूंगा।
तेरे नखरे भी शेयर बाजार जैसे चढ़ते जा रहे हैं।
अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.भक्तिन की शारीरिक बनावट कैसी थी?उत्तर:भक्तिन का कद छोटा था। उसका शरीर दुबला-पतला था। वह गरीब लगती थी। उसके होंठ पतले थे एवं आँखें छोटी थीं। इन सारी बातों से पता चलता है कि उसकी शारीरिक बनावट कुल मिलाकर 50 वर्षीया स्त्री की थी लेकिन वह बूढ़ी नहीं लगती थी।
प्रश्न 2.महादेवी जी ने भक्तिन के बारे में क्या लिखा है?उत्तर:महादेवी वर्मा भक्तिन के बारे में लिखती हैं-सेवक धर्म में हनुमान जी से स्पर्धा करने वाली भक्तिन किसी अंजना की पुत्री न होकर एक अनामधन्या गोपालिका की कन्या है। नाम है लछमिन अर्थात् लक्ष्मी। पर जैसे मेरे नाम की विशालता मेरे लिए दुर्वह है, वैसे ही लक्ष्मी की समृधि भक्ति के कपाल की कैंचित रेखाओं में नहीं बँध सकी।
प्रश्न 3.भक्तिन की कितनी संतानें थीं? उनका जीवन कैसा था?उत्तर:भक्तिन ने तीन बेटियों को जन्म दिया। इन तीनों बेटियों के कारण भक्तिने को जीवन भर दुख उठाने पड़े। सास और जेठानियाँ सभी उसे तंग करती रहती। उनकी बेटी को हर वक्त काम में लगाएं रखती। कोई भी नहीं चाहता था कि भक्तिन की बेटियाँ सुखी रहें।
प्रश्न 4.भक्तिन दुर्भाग्यशाली क्यों थी?उत्तर:भक्तिन का पति उस समय मरा जब वह केवल 36 वर्ष की थी। वह तीन बेटियों को जन्म देकर चला गया। इस कारण भक्तिन को बहु कष्ट उठाने पड़े। भक्तिन की बेटी विवाह के कुछ वर्ष बाद विधवा हो गई। उसके जेठ जेठानियाँ सभी उसकी संपत्ति हड़पने की योजना बनाने लगे।
प्रश्न 5.भक्तिन का स्वभाव कैसा था?उत्तर:यद्यपि भक्तिन मेहनती स्त्री थी लेकिन उसमें चोरी करने की आदत थी। जब वह महादेवी वर्मा के घर का कार्य करने आई तो वह घर में रखे खुले पैसे रुपये उठा लेती। उसने कभी सच नहीं बोला। वास्तव में उसमें कई दुर्गुण थे।
प्रश्न 6.पाठ के आधार पर भक्तिन की तीन विशेषताएँ बताइए। (CBSE-2012, 2017)उत्तर:भक्तिन की तीन विशेषताएँ निम्नलिखित हैं(क) जुझारू – भक्तिन जुझारू महिला थी। उसने कठिन परिस्थितियों का डटकर सामना किया। शादी के बाद ससुराल में मेहनत से खेतीबाड़ी की। पति की मृत्यु के बाद बेटियों की शादी की। समाज के भेदभावपूर्ण व्यवहार का कड़ा विरोध किया।(ख) भाग्य से पीड़ित – भक्तिन मेहनती थी, परंतु भाग्य उसके सदैव विपरीत रहा। बचपन में माँ की मृत्यु हो गई थी। विमाता का देश उसे हमेशा झालता रहा। ससुराल में तीन पुत्रियों का जन्म देने के कारण उपेक्षा मिली। पति की अकाल मृत्यु हुई। फिर दामाद की मृत्यु व परिवार के षड्यंत्र ने उसे तोड़कर रख दिया।(ग) सेवाभाव – भक्तिन महादेवी की सेविका थी। वह छाया के समान हर समय महादेवी के साथ रहती थी। महादेवी के कार्य को खुशी से करती थी।
प्रश्न 7.भक्तिन व लेखिका के बीच कैसा संबंध था।अथवा‘महादेवी वर्मा और भक्तिन के संबंधों की तीन विशिष्टताओं का उल्लेख कीजिए। (CBSE-2015)उत्तर:भक्तिन व लेखिका के बीच नौकरानी या स्वामिनी का संबंध नहीं था। वे आत्मीय जन की तरह थे। स्वामी अपनी इच्छा होने पर भी उसे हटा नहीं सकती थी( स्वामी अपनी इच्छा होने पर भी उसे हटा नहीं सकती। सेवक भी स्वामी के चले जाने के आश पाकर अवज्ञा से हँस दे। भक्तिन को नौकर कहना उतना ही असंगत है, जितना अपने घर में बारी-बारी से आने-जाने वाले अँधेरे-उजाले और आँगन में फूलो वाले गुलाब और आम को सेवक मानना। जिस प्रकार एक अस्तित्व रखते है जिसे सार्थकता देने के लिए ही हमें सुख-दुख देते हैं, उसी प्रकार भक्तिन का स्वतंत्र व्यक्तित्व अपने विकास के लिए लेखिका के जीवन को घेरे है।
प्रश्न 8.‘भक्तिन’ अनेक अवगुणों के होते हुए भी महादेवी जी के लिए अनमोल क्यों थी?उत्तर:भक्तिन उनके अवगुणों के होते हुए भी महादेवी के लिए अनमोल थी क्योंकि
वह लेखिका के हर कष्ट को लेने को तैयार थी।
वह लेखिका की सेवा करती थी।
लेखिका के पास पैसे की कमी की बात सुनकर वह जीवन भर की अपनी कमाई उसे देना चाहती थी।
प्रश्न 9.‘भक्तिन’ और ‘महादेवी’ के नामों में क्या विरोधाभास था?उत्तर:‘भक्तिन’ का असली नाम लक्ष्मी था। वह अपना नाम छिपाती थी क्योंकि उसे कभी समृद्ध नहीं मिली। उसके भक्ति भाव को देखकर लेखिका ने उसे ‘भक्तिन’ कहना शुरू कर दिया। लेखिका को अपना नाम महादेवी था। वह किसी भी दृष्टि से । देवी के समकक्ष नहीं थी। दोनों के नामों वे उसके गुणों में कोई तारतम्य नहीं था।
प्रश्न 10.भक्तिन का अतीत परिवार और समाज की किन समस्याओं से जूझते हुए बीता है? पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए। (CBSE-2013)उत्तर:भक्तिन का जीवन सदैव परेशानी भरा रहा। बचपन में माँ की मृत्यु हो गई थी। विमाता ने उससे भेदभाव किया। विवाह के बाद उसकी तीन लड़कियाँ हुई जिसके कारण सास व जेठानियों ने उसके व लड़कियों के साथ भेदभाव किया। 36 वर्ष की आयु में पति की मृत्यु हो गई। ससुराल वालों ने संपत्ति हड़पने के तमाम प्रयास किए, परंतु उसने बेटियों की शादी की। एक घरजमाई बनाया, परंतु दुर्भाग्य से वह शीघ्र मृत्यु को प्राप्त हो गया। इसके बाद ससुराल वालों ने मिलकर उसकी विधवा पुत्री का बलात्कार कराने की कोशिश की। पंचायत ने बलात्कारी के साथ ही लड़की का विवाह जबरन कर दिया। इसके बाद भक्तिन की संपत्ति का विनाश हो गया
प्रश्न 11.भक्तिन की बेटी के मानवाधिकारों का हनन पंचायत ने किस प्रकार किया? स्पष्ट कीजिए। (CBSE-2011)उत्तर:भक्तिन ने घरजमाई रखा। वह अकालमृत्यु को प्राप्त हो गया। उसके जेठ के परिवार वाले संपत्ति हडपना चाहते थे. परंतु सारी जायदाद लड़की के नाम थी, लड़की के ताऊ के लड़के के तीतरबाज़ साले ने उससे जबरदस्ती करने की कोशिश की। लक्ष्मी ने उसकी खूब पिटाई की। जेठ ने पंचायत में अपील की। वहाँ भी भ्रष्टतंत्र था। उन्होंने लड़की की न सुनकर अपीलहीन फैसले में उसे तीतरबाज युवक के साथ रहने का फैसला सुनाया। यह मानवाधिकारों का हनन था। दोषी को सजा न देकर उसे इनाम मिला।
प्रश्न 12.भक्तिन नाम किसने और क्यों दिया? पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।उत्तर:भक्तिन को यह नाम लेखिका ने दिया। भक्तिन का असली नाम लक्ष्मी था। वह अपने नाम को छिपाना चाहती थी क्योंकि उसके पास धन नहीं था। लेखिका ने उसके गले में कॅठीमाला देखकर यह नामकरण कर दिया। वह इस कवित्वहीन नाम को पाकर गदगद हो उठी थी।
प्रश्न 13.‘भक्तिन वाक्पटुता में बहुत आगे थी’, पाठ के आधार पर उदाहरण देकर पुष्टि कीजिए। (CBSE-2014)उत्तर:यह कथन सही है कि भक्तिन वाक्पटुता में बहुत आगे थी। उसके पास हर बात का सटीक उत्तर तैयार रहता था। लेखिका ने जब उसको सिर घुटाने से रोका तो उसका उत्तर था – तीरथ गए मुंडाए सिद्ध’ इसी तरह उसके बनाएँ खाने पर कटाक्ष करने पर उसने उत्तर दिया – वह कुछ अनाड़िन या फूछड़ नहीं। ससुर, पितिया ससुर, अजिया सास आदि ने उसकी पाक कुशलता के लिए न जाने कितने मौखिक प्रमाणपत्र दे डाले थे।
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trand-news-us · 5 years ago
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Liked on YouTube: कोई कितना भी उधार मांगे, दिवाली के दिन भूलकर भी ये 7 चीजे किसी को न दे माँ लक्ष्मी छोड़ देती है साथ https://youtu.be/KhgKewH8Wsg
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trand-news-us · 5 years ago
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rahulgurulove · 6 years ago
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माँ गंगा देवी दरिद्रा की दुश्मन कैसे बनी,
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नमस्कार दोस्तों                 क्या आप जानते हैं देवी गंगा और देवी दरिद्र दोनों एक दूसरे के शत्रु कैसे बनी, क्योंकि कहा जाता है की दरिद्र मनुष्य यदि गंगा जल का पान कर ले तो दरिद्रता उसे छोड़ देती है, इसका वर्णन ब्रम्हपुराण में भी मिलता है आइए मैं आपको बताता हूं कि देवी दरिद्र और देवी गंगा में कैसे हुई थी या शत्रुता.... (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); कथानुसार :-          पूर्व काल की बात है देवी लक्ष्मी और देवी दरिद्रता में संवाद (बहस ) हुआ, क्योंकि वह दोनों एक दूसरे का विरोध करती हुई ही इस संसार में आई थी, तीनों लोकों में कोई ऐसी वस्तु नहीं कि जहां इन दोनों का वास ना हो, अतः दोनों एक दूसरे से कहने लगी कि मैं बड़ी हूं, लक्ष्मी जी बोली" देहधारियों में कुल, शील और जीवन में ही हूं, मेरे बिना मनुष्य जीवित होकर भी मरे हुए के समान है, (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); तब देवी दरिद्रता ने कहा " मैं बड़ी हूं क्योंकि मुक्ति सदा मेरे ही अधीन है जहां मैं हूं, वहां काम, क्रोध लोभ आदि दोष नहीं होते हैं उन्माद ईर्ष्या का अभाव रहता है, दरिद्रता की बात सुनकर लक्ष्मी ने कहा " मुझसे अलंकृत होकर सभी प्राणी सम्मानित होते हैं, वहीं निर्धन व्यक्ति शिव के ही समान क्यों ना हो वह सबसे तिरस्कृत ही होता रहता है, मुझे कुछ दीजिए शब्द मुंह से निकलते ही, वृद्धि, सम्मान, शर्म शांति और कीर्ति यह पांचों देवता शरीर से निकल कर चले जाते हैं, गुण और गौरव भी नहीं टिकते, प्राणियों के लिए निर्धनता सबसे बड़ा कष्ट है और पाप भी, अतः हे दरिद्रय कान खोल कर सुन ले मैं ही श्रेष्ठ हूं, (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); तब देवी हरिद्रा बोली "लक्ष्मी तुझे शर्म नहीं आती श्रेष्ठ पुरुषों को छोड़कर तू सदा पापियों में बसती है, जो तेरा विश्वास करता है तू उनके साथ छल करतीं है, मदिरा पीने से भी उतना भयंकर नशा नहीं होता, जितना तेरे समीप रहने से विद्वानों को भी हो जाता है, मैं योग्य और धर्मशील पुरुषों में सदा निवास करती हूं भगवान शिव और श्री विष्णु के भक्त, महात्मा, सदाचारी, शांत साधु, विद्वान तथा पवित्र बुद्धि वाले श्रेष्ठ पुरुषों में सदा मेरा निवास रहता है, सन्यासी और निर्भय पुरुषों के साथ मैं सदा रहा करती हूं, लेकिन तू हमेशा राजकर्मचारी, चुगलखोर, लालची, मित्रद्रोही दूसरे का बुरा सोचने वाले, पाप कर्म करने वाले मनुष्यों में तेरा निवास होता है, (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); जब यह विवाद बढ़ गया और निष्कर्ष कुछ नहीं निकल सका, तो दोनों देवियाँ ब्रह्मा जी के पास गई, तब ब्रह्मा जी बोले "हे देवियों पृथ्वी और जल यह दोनों देवियां मुझसे ही प्रकट हुई है, अतः स्त्री होने के नाते वही तुम्हारा विवाद समझ सकती हैं और कोई नहीं, तब ब्रह्मा जी के कहने से वें दोनों देवियां पृथ्वी और जल को साथ लेकर देवी गंगा के पास गई और सारा वृत्तांत सुनाया, (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); तब गंगा जी ने देवी दरिद्रा से कहा " तपश्री जो कुछ संसार में व्याप्त है वह सब लक्ष्मी के द्वारा ही व्याप्त है धीर, क्षमावान, साधु, विद्वान पुरुषों में जो जो रमणीय है वह सब लक्ष्मी का ही विस्तार है, लक्ष्मी से शून्य कोई वस्तु नहीं, हे दरिद्रे तुझे इन लक्ष्मी जी की स्पर्धा करते तनिक भी लज्जा नहीं आई, चली जा यहां से तू देवी लक्ष्मी की बराबरी कभी नहीं कर सकती, तभी से गंगा जी और देवी दरिद्रा में शत्रुता हो गई, और तभी से गंगा का जल दरिद्रा का दुश्मन बन गया, और इसीलिए गंगाजल का पान करने से मनुष्य की दरिद्रता का नाश हो जाता हैं, 
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rahulgurulove · 6 years ago
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माँ गंगा देवी दरिद्रा की दुश्मन कैसे बनी,
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नमस्कार दोस्तों                 क्या आप जानते हैं देवी गंगा और देवी दरिद्र दोनों एक दूसरे के शत्रु कैसे बनी, क्योंकि कहा जाता है की दरिद्र मनुष्य यदि गंगा जल का पान कर ले तो दरिद्रता उसे छोड़ देती है, इसका वर्णन ब्रम्हपुराण में भी मिलता है आइए मैं आपको बताता हूं कि देवी दरिद्र और देवी गंगा में कैसे हुई थी या शत्रुता.... (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); कथानुसार :-          पूर्व काल की बात है देवी लक्ष्मी और देवी दरिद्रता में संवाद (बहस ) हुआ, क्योंकि वह दोनों एक दूसरे का विरोध करती हुई ही इस संसार में आई थी, तीनों लोकों में कोई ऐसी वस्तु नहीं कि जहां इन दोनों का वास ना हो, अतः दोनों एक दूसरे से कहने लगी कि मैं बड़ी हूं, लक्ष्मी जी बोली" देहधारियों में कुल, शील और जीवन में ही हूं, मेरे बिना मनुष्य जीवित होकर भी मरे हुए के समान है, (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); तब देवी दरिद्रता ने कहा " मैं बड़ी हूं क्योंकि मुक्ति सदा मेरे ही अधीन है जहां मैं हूं, वहां काम, क्रोध लोभ आदि दोष नहीं होते हैं उन्माद ईर्ष्या का अभाव रहता है, दरिद्रता की बात सुनकर लक्ष्मी ने कहा " मुझसे अलंकृत होकर सभी प्राणी सम्मानित होते हैं, वहीं निर्धन व्यक्ति शिव के ही समान क्यों ना हो वह सबसे तिरस्कृत ही होता रहता है, मुझे कुछ दीजिए शब्द मुंह से निकलते ही, वृद्धि, सम्मान, शर्म शांति और कीर्ति यह पांचों देवता शरीर से निकल कर चले जाते हैं, गुण और गौरव भी नहीं टिकते, प्राणियों के लिए निर्धनता सबसे बड़ा कष्ट है और पाप भी, अतः हे दरिद्रय कान खोल कर सुन ले मैं ही श्रेष्ठ हूं, (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); तब देवी हरिद्रा बोली "लक्ष्मी तुझे शर्म नहीं आती श्रेष्ठ पुरुषों को छोड़कर तू सदा पापियों में बसती है, जो तेरा विश्वास करता है तू उनके साथ छल करतीं है, मदिरा पीने से भी उतना भयंकर नशा नहीं होता, जितना तेरे समीप रहने से विद्वानों को भी हो जाता है, मैं योग्य और धर्मशील पुरुषों में सदा निवास करती हूं भगवान शिव और श्री विष्णु के भक्त, महात्मा, सदाचारी, शांत साधु, विद्वान तथा पवित्र बुद्धि वाले श्रेष्ठ पुरुषों में सदा मेरा निवास रहता है, सन्यासी और निर्भय पुरुषों के साथ मैं सदा रहा करती हूं, लेकिन तू हमेशा राजकर्मचारी, चुगलखोर, लालची, मित्रद्रोही दूसरे का बुरा सोचने वाले, पाप कर्म करने वाले मनुष्यों में तेरा निवास होता है, (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); जब यह विवाद बढ़ गया और निष्कर्ष कुछ नहीं निकल सका, तो दोनों देवियाँ ब्रह्मा जी के पास गई, तब ब्रह्मा जी बोले "हे देवियों पृथ्वी और जल यह दोनों देवियां मुझसे ही प्रकट हुई है, अतः स्त्री होने के नाते वही तुम्हारा विवाद समझ सकती हैं और कोई नहीं, तब ब्रह्मा जी के कहने से वें दोनों देवियां पृथ्वी और जल को साथ लेकर देवी गंगा के पास गई और सारा वृत्तांत सुनाया, (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); तब गंगा जी ने देवी दरिद्रा से कहा " तपश्री जो कुछ संसार में व्याप्त है वह सब लक्ष्मी के द्वारा ही व्याप्त है धीर, क्षमावान, साधु, विद्वान पुरुषों में जो जो रमणीय है वह सब लक्ष्मी का ही विस्तार है, लक्ष्मी से शून्य कोई वस्तु नहीं, हे दरिद्रे तुझे इन लक्ष्मी जी की स्पर्धा करते तनिक भी लज्जा नहीं आई, चली जा यहां से तू देवी लक्ष्मी की बराबरी कभी नहीं कर सकती, तभी से गंगा जी और देवी दरिद्रा में शत्रुता हो गई, और तभी से गंगा का जल दरिद्रा का दुश्मन बन गया, और इसीलिए गंगाजल का पान करने से मनुष्य की दरिद्रता का नाश हो जाता हैं, 
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