#रामदेव की गाड़ियां
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नो एंट्री इलाकों में वाहनों का प्रवेश रोकने में अब यातायात पुलिस को जद्दोजहद नहीं करनी होगी। ऐसा वाराणसी के छात्रों द्वारा तैयार किये गए ‘कोविड-19 स्मार्ट नो एंट्री ट्रैफि क सिस्टम’ से संभव होगा। नो-एंट्री में प्रवेश करने वाले वाहनों के इंजन को 300 मीटर की रेंज में आने पर उसके इंजन को बन्द करने और यातायात नियमों के उल्लंघन को रोकने में यह पूरी तरह सक्षम है। यही नहीं, कोरोना काल में इसका उपयोग सील किए गए इलाकों में वाहनों को रोकने में भी किया जा सकता है।
कोविड-19 स्मार्ट नो एंट्री ट्रैफि क सिस्टम नाम का डिवाइस
वाराणसी अशोका इंस्टीट्यूट के छात्र प्रतीक आनंद और शुभम श्रीवास्तव ने कोविड-19 स्मार्ट नो एंट्री ट्रैफि क सिस्टम नाम का एक डिवाइस बनाया है। छात्रों ने बताया कि शहर में आने वाली गाड़ियां जब नो एंट्री में घुसेंगी तो सिस्टम के टावर में लगा ट्रान्समीटर गाड़ी को रोककर उसके इंजन को बंद कर देगा। नो एंट्री में घुसने वाले वाहन पर यह छोटा डिवाइस इंजन के पास लगा होगा। जब तक गाड़ी शहर के बाहर होगी तो इसका कोई मतलब नहीं रहेगा लेकिन जब यह रेंज के दायरे में आएगा, तो गाड़ी को ट्रेस करके इंजन को बंद कर देगा। जब एंट्री खत्म हो जाएगी तो यह खुल भी जाएगा। इस टावर में एक साथ कई गाड़ियों को कनेक्ट किया जा सकता है। इससे यातायात पुलिस को सहायता मिलेगी और संभावित दुर्घटनाओं से भी बचा जा सकेगा।
उन्होंने बताया, “जीपीएस वायर हैवी गाड़ियों में लगे होंगे। जब कोई वाहन गलत तरीके शहर में प्रवेश करेगा तो यह डिवाइस आरटीओ कार्यालय को नेाटिफि केशन भेज देगा। इसके बाद वह लोकेशन ट्रेस कर इसकी जानकारी पुलिस को दी जा सकेगी। इतना ही नहीं, इस दौरान अगर गाड़ी में कोई कोरोना मरीज हुआ, तो उसे इलाज के लिए अस्पताल भेजा जा सकेगा।”
Students of Banaras built a smart no entry traffic system. Due to this, heavy vehicles will not enter into no entry zone.
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आने वाले समय में यह यातायात पुलिस के लिए भी सहायक होगा। यह ट्रैफिक मैनेज कर सकती है। इसे हर गाड़ी में लगाना चाहिए ताकि गाड़ी चोरी होने पर यह लोकेशन पता करने में सहायक होगा।
डिवाइस को बनाने में लगा एक महीने का समय
छात्रों के मुताबिक इसे बनाने में एक महीने का समय लगा है। अधिकतम 4,000 रुपए का खर्च आया है। इस मॉडल में सॉफ्टवेयर ट्रैकर, आरएफ रिमोट, रिले 5 वोल्ट, एलईडी का प्रयोग किया गया है।
अशोका इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट के रिसर्च एंड डेवलपमेंट इंचार्ज श्याम चौरसिया ने बताया 5 फि ट के रेडियो फ्रिक्वेंसी टॉवर से इसे कनेक्ट किया जाता है। इस रेडियो रिसीवर टॉवर को शहर में जहां से गाड़ी प्रवेश करती उसी रेंज में लगाते हैं। अभी यह 300 मीटर की रेंज तक काम करता है। टावर बढ़ाने पर रेंज भी बढ़ जाएगी। यह अच्छी तकनीक है।
क्षेत्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी केंद्र गोरखपुर के वैज्ञानिक अधिकारी महादेव पांडेय ने बताया कि “यह अच्छा इनोवेशन है। हैवी वाहनों को रोकने में यह तकनीक काफी कारगर साबित होगी। ओवरलोड वाहन नो एंट्री में घुसने पर पकड़े जाएंगे, दुर्घटनाएं और चोरी रूकेंगी।”
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नो एंट्री में प्रवेश करते ही बंद हो जाएगा वाहन का इंजन! नो एंट्री इलाकों में वाहनों का प्रवेश रोकने में अब यातायात पुलिस को जद्दोजहद नहीं करनी होगी। ऐसा वाराणसी के छात्रों द्वारा तैयार किये गए 'कोविड-19 स्मार्ट नो एंट्री ट्रैफि क सिस्टम' से संभव होगा। नो-एंट्री में प्रवेश करने वाले वाहनों के इंजन को 300 मीटर की रेंज में आने पर उसके इंजन को बन्द करने और यातायात नियमों के उल्लंघन को रोकने में यह पूरी तरह सक्षम है। यही नहीं, कोरोना काल में इसका उपयोग सील किए गए इलाकों में वाहनों को रोकने में भी किया जा सकता है।
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