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लोकपक्ष बुलेटिन संख्या 12 जांफरी-फरवरी 2023
लोकपक्ष बुलेटिन संख्या 12 जनवरी फरवरी 2023
शिक्षा व्यवस्था और पूंजीवादी प्रजातंत्र
शिक्षा प्रणाली या व्यवस्था मुनाफाखोरी से मुक्त हो या ना हो, महत्वपूर्ण मुद्दा है शिक्षा कैसी हो? विज्ञान पर आधारित मनुष्य को मनुष्य बनाने के लिए हो या फिर मात्र एक निपुण श्रम शक्ति का मालिक, जिसका उपयोग पूंजी द्वारा बेशी मूल्य पैदा करने के लिए हो|
दिल्ली में आम आदमी पार्टी के सत्ता में आने के बाद सरकारी विद्यालयों को निजी विद्यालयों के समकक्ष लाने की कवायद की गयी और यह दावा किया गया कि यहाँ के क्षात्र निजी विद्यालयों के क्षात्रों की बराबरी कर सकते हैं उत्तीर्ण होने और अधिक मार्क्स लेन में| जबकि हमें पता है कि उनके पाठ्यक्रम में कोई बदलाव नहीं किये गए हैं, यदि है भी तो अवैज्ञानिक आधार और धार्मिक तथा पुराने संस्कृति के नाम पर कचड़ा ही परोसा जा रहा है|
1990 तक अधिकांश विद्यालय, महाविद्यालय और विष विद्यालय सरकारी ही थे, कुछ हद तक उन्हें स्वतंत्रता भी था अपने संस्त्य्हानों द्वारा पाठ्यक्रम तय करने का, छात्रों को शिक्षा और दिशा निर्देश करने का| पर इनके निजीकरण और करोड़ों-अरबों के निजी विद्यालयों के बनने के बाद स्थिति में अंतर आने लगा| निजी विद्यालयों के पक्ष में सत्ता वर्ग और पूंजीपति तथा वित्तापति वर्ग के हित में काम खुलेयाम होने लगा| सरकारी विद्यालयों के अनुदान शिक्षा बंद होने लगे जबकि निजी विद्यालयों को सस्ते जमीन, ऋण और अन्य सुविधाएँ देने जा लगीं|
ऐसी स्थिति का “विकास” खुलेआम 2014 के बाद से स्पष्ट दिखने लगा| नयी शिक्षा निति (NEP) ने तो भारतीय शिक्षा प्रणाली की रीढ़ पूरी तरह तोड़ दी|
भारत में शिक्षा की चिंतनीय स्थिति: एक रिपोर्ट
जीवन में उन्नति के लिए शिक्षा एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। किसी भी देश के नागरिक की बुनियादी ज़रूरत है शिक्षा। शिक्षा में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का जुड़ा होना शिक्षित व्यक्ति के लिए जीवनोपयोगी हो जाता है। शिक्षा की ज़रूरत को पूरी दुनिया ने स्वीकारा है। दुनिया के कई देश अपनी संपूर्ण शिक्षा-व्यवस्था अपने नागरिकों के लिए निःशुल्क बनाए हुए हैं ताकि देश की प्रतिभा जहाँ भी हो उभरकर बाहर आ सके और देश व संसार की भलाई में उसका योगदान हासिल किया जा सके।
भारत में साक्षरता का प्रतिशत 74.04 है जिसमें पुरुष 82.14% तथा महिलाएँ 65.46% साक्षर हैं। यह आँकड़ा 2011 की जनगणना पर आधारित है। 2021 की जनगणना करोना महामारी के चलते टाल दी गई थी जिसके बारे में अब घोषणा की गई है कि आगामी जनगणना 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद की जाएगी।
वर्तमान सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में अपने साढ़े आठ साल से अधिक के समय में कोई उल्लेखनीय कार्य नहीं किया है। हाँ, शिक्षण संस्थानों में साम्प्रदायिक उन्माद को बढ़ावा देने और बेतहाशा शुल्क वृध्दि (इलाहाबाद विश्वविद्यालय में 400 गुना तक फ़ीस बढ़ाई गई है जिसके विरोध में कई महीनों से विद्यार्थी आंदोलनरत हैं।) की गई है। शिक्षक और शिक्षार्थी दोनों ही वर्तमान व्यवस्था की अदूरदर्शी नीतियों से त्रस्त हैं। शिक्षा का बज़ट निरंतर घटाया जा रहा है, विश्वविद्यालयों में दी जाने वाली फ़ेलोशिप में लगातार कटौती हो रही, सीटें कम की जा रहीं हैं। ठेके पर तदर्थ शिक्षकों से अधिकांश शिक्षण कार्य कराया जा रहा है जिससे शिक्षा के स्तर में गिरावट आना स्वाभाविक है।
पिछले दो सालों (2020-2021) में शिक्षा के स्तर में भारी गिरावट आई है जिसमें बहाना बन गई है करोना महामारी। ग्रामीण क्षेत्रों में विद्यार्थियों का सामान्य ज्ञान घट गया है क्योंकि उनके पास ऑनलाइन पढ़ाई के पर्याप्त इंतज़ाम नहीं थे। ग्रामीण क्षेत्रों में संसाधनों की कमी और इंटरनेट की अत्यंत धीमी गति और यदकदा उपलब्धता ने ऑनलाइन पढ़ाई के विचार को नई चुनौती पेश की है।
विद्यार्थियों को क्या पढ़ाया जाय इस विषय पर सत्ताधारी दल अपना एजेंडा कोर्स में लागू करने लगता है जिसमें अनेक अनावश्यक और अवैज्ञानिक विषयों को भर दिया जाता है। सत्ता के समर्थक लेखकों, कवियों की बेतुकी बातें विद्यार्थियों को पढ़ने पर मज़बूर किया जाता है। राजस्थान में पिछली भाजपा सरकार ने इतिहास ब��लकर बच्चों को पढ़ाया कि हल्दी घाटी युद्ध में अकबर महाराणा प्रताप से हारा था जिसे वहां की वर्तमान काँग्रेसी सरकार ने फिर यथावत कर दिया। सीबीएसई बोर्ड की कक्षा दसवीं के सोशल सांइस की पुस्तक में प्रश्न पूछा जाता है-"भारत में 'राजनीति में जाति' और 'जाति के अंदर राजनीति'। क्या आप इस कथन से सहमत हैं?" जाति का सवाल बहुत पेचीदा है जिसे बच्चों के मन-मस्तिष्क में जातिगत भेदभाव के रूप में पढ़ाया जाना अनुचित है।
हरियाणा सरकार की शिक्षा नीति चर्चा में आई कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले जो बच्चे निजी स्कूलों में जाना चाहेंगे सरकार उनकी फ़ीस भरेगी और विद्यार्थी को एक निश्चित धनराशि भी देगी। इसका तात्पर्य यह है कि बच्चों को निजी विद्यालयों की ओर आकर्षित करो और सरकारी स्कूल धीरे-धीरे बंद करते जाओ।
दिल्ली सरकार दावा करती है कि दिल्ली सरकार के स्कूलों का रिज़ल्ट निजी स्कूलों से बेहतर है। दिल्ली सरकार अपने सैकड़ों स्कूली शिक्षकों को प्रशिक्षण के लिए फ़िनलैंड भेजती है। यह पैसे की बर्बादी का नया तरीक़ा है। भारत में भी प्रशिक्षण की बेहतर व्यवस्था हो सकती है।
आजकल शिक्षा के अत्यंत ख़र्चीले स्वरूप ने आम आदमी के बच्चों का शिक्षित होने की योजना पर कड़ा प्रहार किया है। विद्यार्थियों द्वारा लगातार आत्महत्या किए जाने के समाचार कोटा राजस्थान से आए जहाँ कोचिंग के नाम पर भारी लूट चल रही है। महँगी शिक्षा प्रतिभा को आगे बढ़ने से रोकती है। शिक्षा का अधिकार जैसे क़ानून को प्रभावी तौर पर लागू किए जाने के लिए एक व्यापक आंदोलन की ज़रूरत है। निजी स्कूल,निजी विश्वविद्यालय, निजी मेडिकल कॉलेज़, निजी इंजीनियरिंग कॉलेज़ की फ़ीस का अंदाज़ा लगाना भी मुश्किल जहाँ आम आदमी के बच्चों के लिए शिक्षा प्राप्त करना असंभव बना दिया गया है l
सरकारी नौकरियों के लिए भटकते शिक्षित नौजवान देश के लिए बड़ी चिंता का विषय बन गए हैं। सरकारी पद के लिए परीक्षा पास कर चुके नौजवानों को सरकार ने सालों से नियुक्ति-पत्र नहीं दिया, परीक्षा का पेपर चौथी बार लीक हो गया आदि समाचार हम अक्सर पढ़ते रहते हैं।
शिक्षा पर सरकार के ढुलमुल रबैये पर जनता को जाग्रत किया जाना आज नितांत आवश्यक है अन्यथा भावी पीढ़ी का भविष्य अंधकार से भरा हो जायेगा। शिक्षा सरकारी दिखावे और विज्ञापन से उन्नत नहीं होती बल्कि इसके लिए दूरगामी उद्देश्य पर आधारित जनोन्मुखी शिक्षा-नीति चाहिए l शिक्षा में क्रांतिकारी बदलाव ही नई पीढ़ी को दिशा दिखा सकते हैं। समाज में बढ़ते अंधविश्वास और पाखंड से वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधा���ित शिक्षा ��ी मुक्ति दिला सकती है।
वर्ण व्यवस्था और वर्गीय संघर्ष पर कुछ चर्चा
भारतीय परिवेश में यह बार बार कहा जाता है और विश्वास भी किया जाता है, जिसके कई वामपंथी दल भी शिकार हैं, कि भारत में पहले वर्ण व्यवस्था के खिलाफ ही आंदोलन या क्रांति होगा तभी वर्ग संघर्ष की बात हो सकती है और समाजवादी क्रांति सफल होगा| कुछ तो यहाँ तक कहते पाए गए हैं कि जिस देश में स्त्रियों के खिलाफ पुरुष मानसकिता नहीं बदलती है वहां समाजवादी क्रांति की बात करना ही बेमानी है| ऐसी बातें क्या अल्पसंख्यकों और राष्ट्रिय पीड़ित जनता के बारे में भी नहीं की जा सकती हैं? अमेरिका के कई वामपंथी और साम्यवादी दल मानते हैं कि जबतक रंग भेद कायम रहेगा (यानि काले लोगों के खिलाफ भेद भाव), तबतक किसी मजदूर वर्ग की एकता और संघर्ष की बाद हवाई होगी|
अम्बेदकरवादी और कई अन्य संगठन जो जातीय उत्पीडन के खिलाफ संघर्ष में शामिल हैं, वे वर्गीय संघर्ष को गैर भारतीय काल्पनिक और आदर्शवादी विचारधारा कहकर टालल देते हैं| अधिक से अधिक एक क्रमवत विकास का रास्ता चुनते हैं जो क्रांति विरोधी है| उनमें से अधिकांश “चुनाव से चुनाव” तक की राजनीति में व्यस्त हैं और जातीय समीकरण में लिप्त हैं और वह हर काम करने लगते हैं जो अन्य बुर्जुआ दल करते हैं| बसपा एक उदहारण है| वैसे सीपीआई, सीपीएम, सीपीआई (एमएल- लिबरेशन), आदि भी भिन्न नहीं हैं|
भारतीय स्वतंत्रता के बाद, पूंजीवादी उत्पादन और उसपर आधारित पूंजीवादी “प्रजातंत्र” का बढ़ना शुरू हुया, जिसकी झलक 1980 तक दिखने लगा था और 90 में आकर पूरी सफलता के साथ तो नव उदारवादी रास्ता भी अख्तियार कर चूका था| साथ साथ परिवर्तन भी दिखने लगा उत्पादन रिश्तों और उत्पादन साधन के विकास पर आधारित समाज के अन्य आयामों पर, जैसे जातीय सम्बन्ध, धार्मिक बंधन, संस्क्तितिक आधार, पुराने प्रचलन, आदि| यह बुर्जुआ वर्ग और उसके राज्य, राजनितिक, धार्मिक, सामाजिक संगठनों को मान्य नहीं था| पूरी कोशिश कर पुराने सड़े गले मान्यताओं और प्रचलनों को मीडिया, शैक्षणिक संस्थानों, सरकारी और गैर सरकारी विभागों और संस्थानों द्वारा पुराने विचारों को गौरान्वित किया गया और चमक धमक द्वारा पुनः प्रस्तुत किया गया| धार्मिक उन्माद, घृणा, जातीय द्वेष, स्त्री प्रतारण और राष्ट्रिय उन्माद ने एक प्रगतिशीलता पर ताला लगा दिया| बुर्जुआ विपक्ष ने इसे ब्रहंवाद या मनुवाद कह कर इसका इस्तेमाल चुनावी समीकरण के लिए किया|
हालाँकि पुराने सामंती संपत्ति सम्बन्ध तक़रीबन ख़त्म हो चुके थे, जिसका स्थान पूंजीवादी सम्पति सम्बन्ध ले चूका था, पर सामंती सोच, तौर तरीके, संस्कृति आदि बरक़रार रह गए, एक नये परिधान में| यही नहीं, बल्कि एक और खरतनाक, हिंसक और वीभत्स रूप में|
भारत प्रजातान्त्रिक क्रांति से दूर रहा और अब जबकि फासीवाद भारतीय समाज को जकड चूका है, इसकी संभावना बिलकुल नहीं है| यदि “फासीवाद” कहने से परहेज है, तो नव फासीवाद, हिन्दू उग्रवाद, संघवाद या जो भी नामकरण करना है, करें पर यह स्पष्ट दिख रहा है कि, भारत की कोई भी राजनितिक पार्टी, चाहे सत्ता में हो या विपक्ष में, सत्ताधारी दल के साथ गठबंधन में हो या विपक्ष के साथ, या तीसरी और चौथी गठबंधन या महागठबंधन में हो, जातीय या धार्मिक भेदभाव से परे एक नए समाज के लिए संघर्ष करने में असमर्थ हैं| भारतीय पूंजीवादी “प्रजातंत्र”, जो शुरू से ही मिहनसकाश जनता के किखाफ था, आब पुरे नग्न रूप में तानाशाही पर उतर चूका है| लक्ष्य एक ही है पूंजी का संकेन्द्रण कुछ चंद पूंजीपतियों के हाथ में|
किसी भी तरह के पहचान की राजनीति एक नए प्रजातान्त्रिक, धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी समाज का विरोधी है| हाँ, अगर कोई क्रन्तिकारी दल, खास भेदभाव या पक्षपात, जिसके कारण खास समूह को, जिसे दमन और प्रतारण झेलना पड़ता है, को संगठित करता है, तो वह क्रांतिकारी काम का ही एक हिस्सा है| उदहारण के लिए जन जातियों और स्त्रियों का समूह| क्षात्रों और युवकों को क्रन्तिकारी सिद्धांतों पर उनका समुह बनाना पहचान की राजनीति से वैसे ही अलग है जैसे की मजदूरों और किसानों का|
आज की भारत की परिस्थिति में, जो पूंजीवादी व्यवस्था है (एकाधिकार पूंजीवाद), मजदूर वर्ग की एकता और क्रांतिकारी संघर्ष ही एकमात्र विकल्प और रास्ता है समाजवाद स्थापित करने के लिए| और जाति व्यवस्था (वर्ण व्यवस्था), धर्म, क्षेत्रितीयता या देश वाद, लिंग या भाषाई भेद भाव, व्यक्तिवाद, बुर्जुआ राज्य सत्ता, आदि जरूर बाधक हैं वर्गीय लगाव और वर्गीय एकता के लिए पर कोई लक्ष्मण रेखा नहीं है एक सफल वर्गीय संघर्ष के लिए| बल्कि इसके विपरीत, सफल क्रांति के बाद ही हम इन सामाजिक, राजनितिक बंधनों और व्यवहारों को ख़त्म कर सकते हैं| उलटी दिशा पर सटीक कहावत को याद करें, “ना नव मन तेल होगा, ना राधा नाचेगी”! और हमें, यानि मजदूर वर्ग और उसके क्रन्तिकारी दलों को यह काम करना ही होगा क्यूंकि वैज्ञानिक विचारधारा और भौतिक स्तिथि हमारे साथ है|
सावित्रीबाई फुले और फातिमा शेख
एम के आज़ाद
सावित्रीबाई फुले और फातिमा शेख आधुनिक और अंग्रेजी शिक्षा की प्रबल समर्थक थी। यह वह ��ौर था जब सामान्यतः ब्राह्मण एवं मौलवी अध्यापन ��ा कार्य करते थे और उनका लगभग एकाधिकार था। हिन्दू और मुस्लिम शिक्षा व्यवस्थाओं में काफी मेल था और ये जनसाधारण के लिए अनुपलब्ध थी। दोनों को अपनी धर्मोन्मुख प्रकृति से बल मिलता था और अपरिवर्तनीय प्रभुत्व पर आधारित होने के कारण ये शिक्षा पद्धतियां स्वतंत्र अन्वेषण की भावना के प्रतिकूल थी।
ऐसे विकट माहौल में सावित्रीबाई फुले और फातिमा शेख ने आम एवम सदियों से उपेक्षित गरीब दलित समुदाय एवम लड़कियों के लिये आधुनिक शिक्षा देने का क्रांतिकारी कार्य का सूत्रपात किया।
उनके स्कूल में पढ़ाए जाने वाले पाठ्यक्रम में वेद और शास्त्र जैसे ब्राह्मणवादी ग्रंथों या मुल्ला-मौलवियों द्वारा पढाये जा रहे धर्मिक ग्रन्थ के बजाय गणित, विज्ञान और सामाजिक अध्ययन शामिल थे।
सावित्रीबाई और फातिमा शेख ने टीचर्स ट्रेनिंग की और 1848 से ही जोतिराव फुले द्वारा खोले गए स्कूल में दोनों ने पढ़ाना शुरू किया। सावित्रीबाई, फातिमा शेख और सगुना बाई की मदद से जोतिराव फुले ने 1848 से 1852 के बीच 18 स्कूल खोले।
इस आधुनिक शिक्षा के द्वारा फुले दम्पति एवम फातिमा शेख हिंदुस्तान के इतिहास में पहली बार वैज्ञानिक और समाजशास्त्रीय ज्ञान के क्षेत्र में गरीब एवम दलित समुदाय के लोगो, खास कर लड़कियों को आधुनिक पाश्चात्य उपलब्धियों के सम्पर्क में ले आने का कार्य कर रहे थे। इस क्रांतिकारी कार्य का रूढ़िग्रस्त हिन्दू-मुस्लिम समाज द्वारा विरोध लाजिमी था।
फातिमा शेख और सावित्रीबाई को भारी विरोध झेलना पड़ा। लेकिन इन दोनों ने हिम्मत नहीं हारी और घर घर जाकर लड़कियों को बुलाकर पढ़ने के लिए प्रेरित किया।
इन्होंने छुआछूत का विरोध करते हुए सभी जाति की लड़कियों को एक साथ पढ़ाने और लड़कियों को आधुनिक शिक्षा- विज्ञान और गणित पढ़ाने का काम किया था।
सावित्रीबाई सिर्फ एक शिक्षिका ही नहीं समाज सुधारिका और कवियित्री भी थीं। उन्होंने छुआछूत, बाल विवाह, सती प्रथा, विधवा विवाह निषेध जैसी कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाई। विधवा महिलाओं के लिए आश्रम खोला और कई सवर्ण विधवा, गर्भवती महिलाओं को आत्महत्या करने से बचाया। बिना दहेज और बिना पुरोहित अंतरजातीय विवाह करवाए। शुद्र, अतिशुद्र और महिलाओं की गुलामी के खिलाफ समाज में अभियान चलाया। अस्पताल खोला जहां प्लेग रोगियों की सेवा करते हुए 1897 में सावित्रीबाई का निधन हुआ।
1947 में भारत को आजादी मिलने के बाद भी बुर्जुवा सरकारों ने आधुनिक शिक्षा का विस्तार गरीब समुदाय के दलित लोगों तक कर पाने में विफल रही है। आज मोदी सरकार के कार्यकाल में शिक्षा को इतना महंगा बनाया जा रहा है कि आम लोगों के लिए ��से हासिल करने के लिये सोच पाना भी असंभव होता जा रहा है। अगर आधुनिक शिक्षा को जनसाधारण तक पहुंचाना है, इसे और व्यापक करना है, सावित्रीबाई फुले और फातिमा शेख के सपनों को साकार करना है तो हमें मजदूर वर्ग के नेतृत्व में समाजवादी राज्य स्थापना करनी होगी। केवल समाजवादी राज्य ही शिक्षा को आम मेहनतकश जनता तक पहुंचा सकता है, इसे सर्वव्यापी सुलभ करा सकता है। सावित्रीबाई फुले और फातिमा शेख के सपनों को हम इसी तरह साकार कर सकते हैं।
क्या आधुनिक भारत की पहली महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले नहीं थी?
कट्टर हिंदूवादी खेमा झूठी दावा करते है कि आधुनिक भारत की पहली महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले नहीं बल्कि बंगाली कुलीन ब्राह्मण होती विद्यालंकार है.
होती विद्यालंकर का जन्म वर्ष 1740 में हुआ था और सन 1810 में इनका निधन हुआ था। उनकी संस्कृत व्याकरण, कविता, आयुर्वेद, गणित, स्मृति, नव्य-न्याय, आदि पर अद्वितीय पकड़ थी ।
दरअसल ये गुरुकुल चलती थी जिसमे छात्र – छात्रएं अध्यन हेतु आती थीं। किंतु इनके गुरुकुल में आधुनिक पाश्चात्य शिक्षा नही दी जाती थी।
जबकि ज्योतिबा के सहयोग से सावित्रीबाई ने पाश्चात्य शिक्षा हासिल की और मात्र 17 साल की उम्र में ही ज्योतिबा द्वारा खोले गए लड़कियों के स्कूल की शिक्षिका और प्रिंसिपल बनीं। उनके स्कूल में दी जाने वाली शिक्षा मदरसे और गुरुकुलों में दी जाने वाली शिक्षा से अलग आधुनिक शिक्षा दी जाती थी।
उनके स्कूल में पढ़ाए जाने वाले पाठ्यक्रम में वेद और शास्त्र जैसे ब्राह्मणवादी ग्रंथों या मुल्ला-मौलवियों द्वारा पढाये जा रहे धर्मिक ग्रन्थ के बजाय गणित, विज्ञान और सामाजिक अध्ययन शामिल थे।
यह बैंटिक के 7 मार्च 1835 ई. के प्रस्ताव में की गई घोषणा के अनुरूप था "अंगरेजी सरकार का महान उद्देश्य भारत के निवासियों में यूरोपीय साहित्य तथा विज्ञान को प्रोत्साहन देना होना चाहिए। इसलिए शिक्षा के लिए उपलब्ध समस्त धन राशि का उत्तम उपयोग अंगरेजी शिक्षा मात्र पर खर्च करना होगा।"
पढ़-लिखकर स्कूल खोलना सुनने में आसान लगता है लेकिन उस दौरान ये आसान नहीं था। दलित लड़कियों को समान स्तर की शिक्षा दिलाने के खिलाफ समाज के लोगों ने सावित्री बाई का काफी अपमान किया। यहां तक कि वे स्कूल जातीं, तो रास्ते में विरोधी उनपर कीचड़ या गोबर फेंक दिया करते थे ताकि कपड़े गंदे होने पर वे स्कूल न पहुंच सकें। इसलिये वे अपने साथ थैले में अतिरिक्त कपड़े लेकर चलने लगीं।
सावित्रीबाई के लेखन से साफ है कि वे अंग्रेजी शिक्षा को महिलाओं और शूद्रों की मुक्ति के लिए जरूरी मानती थीं. अपनी कविता ‘अंग्रेजी मैय्या’ में वे लिखती हैं:
अंग्रेजी मैय्या, अंग्रेजी वाणई शूद्रों को उत्कर्ष करने वाली पूरे स्नेह से.
अंग्रेजी मैया, अब नहीं है मुगलाई और नहीं बची है अब पेशवाई, मूर्खशाही.
अंग्रेजी मैया, देती सच्चा ज्ञान शूद्रों को देती है जीवन वह तो प्रेम से.
अंग्रेजी मैया, शूद्रों को पिलाती है दूध पालती पोसती ��ै माँ की ममता से.
अंग्रेजी मैया, तूने तोड़ डाली जंजीर पशुता की और दी है मानवता की भेंट सारे शूद्र लोक को.
प्राक् ब्रिटिश भारत में शिक्षा का क्षेत्र बहुत ही संकुचित था और ब्राह्मणों और मौलवियों का एकाधिकार था। हिन्दू और मुस्लिम शिक्षा व्यवस्थाओं में काफी मेल था। ये जनसाधारण के लिए अनुपलब्ध थी। दोनों को अपनी धर्मोन्मुख प्रकृति से बल मिलता था और अपरिवर्तनीय प्रभुत्व पर आधारित होने के कारण ये शिक्षा पद्धतियां स्वतंत्र अन्वेषण की भावना के प्रतिकूल थी।
हालांकि अंगरेजी प्रभुत्व की स्थापना से पूर्व भी ईसाई मिशनरियां भारत में आधुनिक शिक्षा के प्रसार के लिए कार्य कर रही थीं।
भारत मे अंगरेजी प्रभुसत्ता स्थापित होते जाने के साथ ही देशी राज्यों की शक्ति क्षीण होती जा रही थी। उनके द्वारा दी जाने वाली परम्परागत शिक्षण संस्थाओं की सहायता समाप्त होती गई। किन्तु स्थानीय नरेशों ने अंगरेज सरकार को प्रसन्न रखने के लिए नवीन संस्थाओं को अधिक प्रोत्साहन दिया।
भारत में ब्रिटेन के पूँजीवाद की राजनीतिक और आर्थिक आवश्यकताओं ने भारत में आधुनिक शिक्षा की शुरुआत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आधुनिक शिक्षा का प्रारम्भ कर ब्रिटेन ने वैज्ञानिक और समाजशास्त्रीय ज्ञान के क्षेत्र में भारत को आधुनिक पाश्चात्य उपलब्धियों के सम्पर्क में ले आए।
लार्ड हार्डिंग्ज के समय (1844 ई.) में निर्णय लिया गया कि अंगरेजी माध्यम से नवीन शिक्षा प्राप्त व्यक्तियों को ही सरकारी नौकरी प्रदान की जायेगी।
सावित्रीबाई और फातिमा शेख ने टीचर्स ट्रेनिंग की और 1848 में जोतिराव फुले द्वारा खोले गए स्कूल में दोनों ने पढ़ाना शुरू किया। सावित्रीबाई, फातिमा शेख और सगुना बाई की मदद से जोतिराव फुले ने 1848 से 1852 के बीच 18 स्कूल खोले। यह वह दौर था जब मदरसे और गुरुकुल में दी जाने वाली सदियों पुरानी धार्मिक आवरण में लिपटी शिक्षा की जगह आधुनिक पाश्चात्य शिक्षा महत्वपूर्ण स्थान बनाते जा रही थी। फिर भी यह जनसाधारण और लड़कियों के लिये उपलब्ध नही था।
फातिमा शेख और सावित्रीबाई को भारी विरोध झेलना पड़ा था लेकिन इन दोनों ने हिम्मत नहीं हारी और घर घर जाकर लड़कियों को बुलाकर पढ़ने के लिए प्रेरित किया। इन्होंने छुआछूत का विरोध करते हुए सभी जाति की लड़कियों को एक साथ पढ़ाने और लड़कियों को आधुनिक शिक्षा- विज्ञान और गणित पढ़ाने पर जोर दिया था। सावित्रीबाई सिर्फ एक शिक्षिका ही नहीं समाज सुधारिका और कवियित्री भी थीं। उन्होंने छुआछूत, बाल विवाह, सती प्रथा, विधवा विवाह निषेध जैसी कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाई। विधवा महिलाओं के लिए आश्रम खोला और कई सवर्ण विधवा, गर्भवती महिलाओं को आत्महत्या करने से बचाया। बिना दहेज और बिना पुरोहित अंतरजातीय विवाह करवाए। शुद्र, अतिशुद्र (पिछड़ी, अति पिछड़ी, अनुसूचित जाति) और महिलाओं की गुलामी के खिलाफ समाज में अभियान चलाया। अस्पताल खोला जहां प्लेग रोगियों की सेवा करते हुए 1897 में सावित्रीबाई का निधन हुआ।
ट्रोट्स्की पंथी WStv का फूले दम्पति के खिलाफ कुत्सा प्रचार
कट्टर हिंदूवादी खेमा की तरह ट्रोट्स्की पंथी भी फुले दम्पति को लेकर भ्रामक, कुत्सा प्रचार फैलाने में पीछे नही है। WStv ने अपने पोस्ट में फुले दम्पत्ति को ब्रिटिश उपनिवेशवाद का सहयोगी बताने का हास्यास्पद काम किया है।
उस दौर में एक तरफ दलितों को गुलामो से भी बदत्तर जिंदगी देने वाले, उन्हें जलील करने वाली सदियों से चली आ रही जाति प्रथा का पोषण करने वाले पेशवा थे तो दूसरी तरफ अंग्रेज और अंग्रेजी शिक्षा थी। फुले दम्पत्ति अगर पेशवा होते तो बात और थी, लेकिन उनके लिए तो अंग्रेज और अंग्रेजी साहित्य एक वरदान था। उस परिस्थिति में फुले दम्पत्ति ने अपने दलित-मिहनतकस जनता के हितों को पहचाना। उनका हित पेशवा का साथ देने में नही था, दलित मिहनतकस जनता के हित के लिये अंग्रेजी और आधुनिक शिक्षा का उन्होंने स्वागत किया और छुवा-छूत, जातीय दमन के खिलाफ एक हथियार बनाया। WStv इसे ही 'ब्रिटिश उपनिवेशवाद से सहयोग' कहता है। देखे:
"ब्रिटिश उपनिवेशवाद से सहयोग कर रहे फुले दम्पति को दलित-म���क्ति के आन्दोलन का नायक बनाने के प्रयास हास्यास्पद हैं."
इतना ही नही लार्ड हार्डिंग्ज के समय (1844 ई.) में निर्णय लिया गया था कि अंगरेजी माध्यम से नवीन शिक्षा प्राप्त व्यक्तियों को ही सरकारी नौकरी प्रदान की जायेगी।
' उन्नीसवीं सदी के मध्य में, खास कर लार्ड डलहौजी के शासन काल में भारत में आधुनिक शिक्षा बड़े पैमाने पर आरम्भ हुई। तब तक भारत का बहुत बड़ा हिस्सा विजित हो चुका था। ब्रिटिश सरकार ने विजित भू-भाग के लिए व्यापक प्रशासन तंत्र की स्थापना की। इस वृहद राजनीतिक प्रशासकीय यंत्र के संचालन के लिए शिक्षित व्यक्तियों की बड़ी संख्या में जरूरत थी। नए प्रशासन के लिए सुयोग्य व्यक्तियों को प्रशिक्षित करने के लिए भारत में स्कूल और कॉलेज खोलने आवश्यक हो गये। महत्वपूर्ण ओहदों पर अंगरेजों की और अधीनस्थ पदों पर शिक्षित भारतीयों की बहाली हुई।'
सावित्रीबाई फुले और फातिमा शेख भी इन्ही शिक्षण संस्थानों से प्रशिक्षित हुई थी। WStv का पोस्ट आगे कहता है:
"फुले दम्पति, लार्ड मैकॉले द्वारा प्रस्तावित शिक्षा नीति के उपक्रम का छोटा सा पुर्जा भर था जिसे ईस्ट इंडिया कंपनी से अनुदान और वेतन, भत्ते मिलते थे."
ईस्ट इंडिया कंपनी से अनुदान और वेतन, भत्ते मिलने के कोई प्रमाण WStv के लोग पेश नही कर पाते है। और अगर वेतन भत्ते मिलते भी थे तो इसका मतलब है कि वो नॉकरी करते थे, क्या वेतन-भोगी होना शर्म की बात है। इसके अलावे, ये भूल जाते है कि सावित्रीबाई फुले को गरीब दलितों और लड़कियों को अंग्रेजी और आधुनिक शिक्षा देने में किन कठिनाइयों और उस समय के प्रतिक्रियावादी तत्वों के अपमान का सामना करना पड़ा था।
वे आगे लिखते है:
"इस शिक्षा नीति के तहत ही फुले दम्पति ने १९४८ से १९५८ के बीच एक दशक कई स्कूल खोले थे. मगर १८५७ के ग़दर के बाद, ब्रिटिश सरकार ने सीधे बागडोर संभाल ली थी और इस उपक्रम को बंद कर दिया था."
ये दावा करते है कि १९४८ से १९५८ के बीच एक दशक में खोले गए सारे स्कूल बन्द कर दिए गए थे। बिना कोई प्रमाण पेश किये दलित मिहनतकसो के लिए आजीवन लड़नेवाले फुले दम्पति के बारे में ऐसी बाते करना बकवास के सिवा कुछ नही है।
झूठ के सारे हद को पार करते हुए वे अंत मे घोषणा करते है:
"फुले दम्पति के सारे समाज सुधार अभियान का भी इसके साथ ही सूर्यास्त हो जाता है."
WSTV के उपर्युक्त कथन में कोई सच्चाई नही है। दरअसल, पुरोहित वर्ग के आडंबरों और प्रपंचों पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने ‘तृतीय रतन’ (1855) नाटक लिखा। फिर निचली जातियों में आत्मसम्मान का भाव पैदा करने के लिए ‘पोवाड़ा : छत्रपति शिवाजी भौंसले का’ (1869) की रचना की। वर्ष 1869 में ही ‘ब्राह्मणों की चालाकी’ तथा ‘पोवाड़ा : शिक्षा विभाग के अध्यापक का’ का प्रकाशन हुआ। ‘गुलामगिरी’ 1873 में उन्होंने ‘गुलामगिरी’ नामक प्रसिद्ध पुस्तक की रचना की। इतना ही नही, अपने विचारों और कार्य को सशक्त आंदोलन का रूप देने के लिए, 1873 में ही उन्होंने ‘सत्यशोधक समाज’ की स्थापना की थी।
फुले मिथकीय आख्यानों में निहित आर्य-अनार्य संघर्ष का मानवीकरण करते हैं। चमत्कारों और मिथकों पर टिकी प्राचीन भारतीय संस्कृति जो जातिवाद के रूप में सामाजिक भेद-भाव की पोषक थी, का मजाक उड़ाते है, उसकी वे तीब्र आलोचना करते है। उनकी आलोचना भले वैज्ञानिक विश्लेषण के अनुरूप न हो, मगर अपने सरोकारों के आधार पर वह कहीं ज्यादा मानवीय और तर्कपूर्ण है।
सन् 1882-1883 में उन्होंने 'किसान का कोड़ा' नामक पुस्तक की रचना कीI यह किताब 18 जुलाई 1883 को लिखकर पूरी हुई, परन्तु उनके जीवित रहते उनकी यह पुस्तक प्रकाशित न हो सकीI पुस्तक के भाग जैसे–जैसे लिखकर पूर्ण होते जाते वैसे-वैसे ज्योतिराव पूर्ण हो चुके अध्यायों का जाहीन वाचन करतेI मुंबई, पूना, ठाणे, जुन्नर, ओतूर, हडपसर, बंगड़ी तथा माल के कुरुल नामक गांव में भी उन्होंने इस किताब का वाचन किया थाI
जोतीराव फुले ने इस पुस्तक की भूमिका में लिखा है : “यह ग्रंथ मैने अंग्रेज़ी, संस्कृत तथा प्राकृत के कई ग्रंथो और वर्तमान अज्ञानी शुद्रातिशुद्रों की दयनीय स्थिति के आधार पर लिखा हैI शुद्र किसानों की दुर्दशा के अनेक धार्मिक व राजनैतिक कारणों में से चंद कारणों की विवेचना करने के उद्देश्य से यह रचना लिखी गई हैI शूद्र किसान बनावटी व अत्याचारी हिन्दू धर्म, सरकारी विभागों में ब्राह्मणों की भरमार एवं भोगी-विलासी यूरोपियन सरकारी कर्मचारियों के कारण ब्राह्मण कर्मचारियों द्वारा सताएं जाते रहेंI उनकी हालत आज भी कमोबेश यही हैंI इस पुस्तक को पढ़कर वे अपना बचाव कर सकें, इसी उद्देश्य से इस पुस्तक का नाम ‘किसान का कोड़ा’ रखा गया हैI”
इस पुस्तक के अंत में जोतीराव ने स्काटिश मिशन और सरकारी संस्थाओं का कृतज्ञतापूर्वक उल्लेख किया है जिन्होंने उन्हें मनुष्य के अधिकारों के बारे में ज्ञान दिलाया I
इसमें संदेह नही कि फुले दम्पत्ति के अंदर आजादी की भावना भरने में पश्चिमी शिक्षा की प्रमुख भूमिका रही। सावित्री बाई फुले अपनी एक कविता में कहती हैं कि जिस व्यक्ति को गुलामी का दुःख न हो और आजादी की चाहत न हो, उस व्यक्ति को इंसान नहीं कहा जा सकता है-
"जिसे न हो गुलामी का दुःख
न हो अपनी आज़ादी छिनने का मलाल
न आवे कभी समझ इंसानियत का जज्बा
उसे भला कैसे कहें इंसान हम?"
औपनिवेशिक काल क�� परिस्थितियों में फुले दम्पत्ति द्वारा दलितों एवम लड़कियों के लिये आधुनिक शिक्षा सुलभ कराने के लिये एवं सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ किये गए संघर्ष, भले ही सुधारवादी प्रकृति के ही क्यो न हो, वे अत्यंत प्रगतिशील थे। एक तरफ सदियों पुरानी जातिवादी व्यवस्था की पोषक भारतीय संस्कृति और धार्मिक आवरण में लिपटा गुरुकुल और मदरसे में दी जाने वाली शिक्षा, जो अत्यंत संकुचित दायरे तक सीमित थी, तो दूसरी तरफ अंग्रेजी एवम आधुनिक शिक्षा एवम शिक्षण संस्थाने खुल रही थी जो बिना जातीय भेद के सब को लेने का अवसर प्रदान करती थी। ज्योतिराव फुले ने दूसरे को चुना। लेकिन ब्रिटिश काल मे भी और स्वतंत्र भारत मे भी आधुनिक शिक्षा का विस्तार व्यापक जनता तक नही हो पाया है। आज यह पहले से भी ज्यादा स्पष्ट है कि दलित-मेहनतकश जनता की मुक्ति आधुनिक वैज्ञानिक शिक्षा के व्यापक विस्तार में, उद्द्योगो के तेजी से विस्तार में है ताकि सभी को सम्मानपूर्वक रोजगार और वैज्ञानिक शिक्षा मिल सके। लेकिन यह मुनाफे पर आधारित पूंजीवादी व्यवस्था के रहते हुए मुमकिन नही है। इसके लिये मिहनतकस जनता को राज्यसत्ता अपने हाथ मे ले कर समाजवाद की स्थापना करनी होगी। यह सुधार के रास्ते नही क्रांति के रास्ते ही सम्भव हो सकेगा। आज यह भी स्पष्ट है कि ज्योतिराव फुले के संघर्षों के अति महिमामंडन के बहाने दलित-मेहनतकश जनता को क्रांतिकारी संघर्ष से विरत कर सामाजिक-सुधार के रास्ते ले आने के प्रयासों के पीछे मौजूदा पूंजीवादी शासकों का वर्ग-हित छिपा है।
नया साल साथी
(नरभिंदर सिंह)
नया साल जन संघर्षों का साल होगा। नया साल फैसलाकुन लड़ाई लड़ने के फैसले का साल होगा। नया साल अपने दायरों से उपर उठ कर विशाल एकता जुटाने का साल होगा। नया साल दुश्मन को सीधा रेखांतित करने का साल होगा। हम जानते हैं इस साल दुश्मन लोक पक्षी ताकतों पे और बड़े हमले लेकर आएगा। वो और खतरनाक कानून बनाएगा पुलिस को और अधिकार देगा जबर के दांत और तेज करेगा। इस साल में अगर दुश्मन के हमले बड़ेंगे तो विरोध भी व्यापक होगा। वो कहेंगे गुलाम बन जाओ खामोश हो जाओ जुबान बंद रखो आंखें मूंद लो कानों में सिक्का डाल लो। लड़ने वाली ताकतों के लिए फैसले की घड़ी होगी। हर तरफ जंग के मैदान में छाती तन के खड़ी होगी। विचारों की जंग सड़कों पे निकल आएगी हाथ लहराते हुए हर तरफ आवाज़ गुंजाएगी चेहरों पे गुस्सा और तने मुक्कों का सैलाब होगा फिजा में चारों तरफ गूंजता नारा इंकलाब होगा
संपर्क संख्या 9540316966 इ मेल: [email protected]
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वार्षिक शुल्क में 15% की कटौती करें, भुगतान न करने पर बहस न करें: राजस्थान के निजी स्कूलों को एस.सी.
वार्षिक शुल्क में 15% की कटौती करें, भुगतान न करने पर बहस न करें: राजस्थान के निजी स्कूलों को एस.सी.
सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को राजस्थान में निजी वित्तविहीन स्कूलों को 2020-21 के शैक्षणिक वर्ष के लिए छात्रों द्वारा अनुपयोगी सुविधाओं के एवज में वार्षिक स्कूल शुल्क 15 प्रतिशत कम करने का निर्देश दिया। कोविड -19 सर्वव्यापी महामारी। जस्टिस एएम खानविल्कर और दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने कहा कि स्कूल पूर्व वार्षिक शुल्क (फीस का विनियमन) अधिनियम, 2016 के तहत तय शैक्षणिक वर्ष (2019-20) के लिए निर्धारित…
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#कोरोनावायरस दूसरी लहर#भारतीय एक्सप्रेस#राजस्थान निजी स्कूल शुल्क#राजस्थान विद्यालय शुल्क#राजस्थानी स्कूलों कोरोनवायरस फीस#स्कूल की फीस पर सर्वोच्च न्यायालय
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मुख्यमंत्री निवास पर राज्य मंत्रिमंडल की बैठक आयोजित हुई। इसमें प्रदेश के युवाओं को एडवांस टेक्नोलॉजी की ट्रेनिंग दिलवाने, भूतपूर्व मुख्यमंत्री श्री जगन्नाथ पहाड़िया के नाम से भरतपुर के चिकित्सा महाविद्यालय और विद्यालय का नामकरण करने, सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने, कृषि मण्डियों को सुदृढ़ करने, राज्य सेवा कर्मचारियों के लिए जीपीएफ कटौती लागू करने, नेत्र सहायक संवर्ग में पदोन्नति के अवसर बढ़ाने एवं प्रदेश में मेडि-टूरिज्म को बढ़ावा देने सहित कई अहम निर्णय लिए गए हैं।
मंत्रिमंडल ने राजीव गांधी सेंटर ऑफ एडवांस टेक्नोलोजी (R-CAT) संस्थान को सोसाइटी के रूप में स्थापित करने का निर्णय लिया है। साथ ही सोसाइटी के बायलॉज का भी अनुमोदन किया। यह सेंटर प्रदेश के युवाओं के लिए फिनिशिंग स्कूल के रूप में स्थापित होगा।
इससे प्रदेश में युवाओं को नवीनतम आईटी टेक्नोलॉजी जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, रोबोटिक्स एवं वर्चुअल रियलिटी ��ें सर्टिफिकेट कोर्सेज करने व मल्टी-डिसिप्लिनरी रिसर्च के अवसर मिलेंगे। इसी उद्देश्य से बजट सत्र 2021-22 में R-CAT स्थापित करने की घोषणा की गई थी।
इस निर्णय से अब संस्थान में आईटी की अग्रणी फर्मों के साथ प्रशिक्षण सहभागी के तौर पर समझौता ज्ञापन (एम.ओ.यू.) कर प्रशिक्षण प्रक्रिया शुरू होगी। इससे राज्य के तकनीकी स्नातक नवीनतम प्रोद्यौगिकी में कोर्स कर सकेंगे। इससे आईटी इंडस्ट्री में उनकी मांग बढ़ेगी। साथ ही राजस्थान में भी तकनीकी विशेषज्ञों की स्थिति और मजबूत होगी।
भरतपुर के भुसावर स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय का नामकरण श्री जगन्नाथ पहाड़िया के नाम से करने का निर्णय लिया गया है। मंत्रिमंडल स्थानीय जनभावनाओं को ध्यान में रखते हुए भरतपुर चिकित्सा महाविद्यालय का नामकरण भी स्वर्गीय पहाड़िया के नाम से करने का सैद्धांतिक निर्णय लिया है। उल्लेखनीय है कि श्री पहाड़िया राजस्थान के भूतपूर्व मुख्यमंत्री एवं बिहार व हरियाणा के भूतपूर्व राज्यपाल रहे हैं।
मंत्रिमंडल ने प्रदेश में कृषि मण्डियों के सुदृढ़ीकरण के लिए अहम फैसला लिया है। इसमें राजस्थान कृषि उपज मण्डी अधिनियम-1961 की धारा 17 एवं धारा 17-ए के वर्तमान प्रावधान ‘मण्डी प्रांगण की चारदीवारी‘ के स्थान पर ‘मण्डी क्षेत्र‘ के प्रावधान के लिए मण्डी अधिनियम में संशोधन किए जाने का निर्णय लिया है।
इससे मण्डी क्षेत्र में कार्यरत औद्योगिक इकाईयों एवं व्यापारिक फर्मों द्वारा कृषकों से क्रय की जा रही विज्ञप्त कृषि जिन्सों के व्यवसाय पर मण्डी अधिनियम के प्रावधान लागू होंगे। कृषक हितार्थ मण्डी क्षेत्र में नियमन व्यवस्था को प्रभावी रूप से लागू की जाएगी। इससे मण्डी प्रांगण व उसके बाहर के मण्डी क्षेत्र में भी किए जा रहे व्यवसाय पर भी मण्डी शुल्क एवं कृषक कल्याण फीस की वसूली प्रभावी हो जाएगी।
उल्लेखनीय है कि मण्डी समितियों द्वारा संग्रहित मण्डी शुल्क का व्यय मण्डी प्रांगणों के संचालन, रख-रखाव, नवीन विकास कार्यों एवं जनकल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन पर किया जाता है। कृषक कल्याण फीस का व्यय किसान कल्याण कोष में उल्लेखित प्रयोजनों के लिये किया जाता है।
जैसलमेर में 1000 मेगावाट सोलर पावर प्रोजेक्ट के लिए भूमि का आवंटन
मंत्रिमंडल में जैसलमेर जिले के ग्राम बांधा में 9479.15 बीघा (2397.54 हैक्टेयर) राजकीय भूमि मैसर्स अडानी रिन्यूवेबल एनर्जी होल्डिंग फॉर लिमिटेड को 1000 मेगावाट सोलर पावर प्रोजेक्ट की स्थापना के लिए कीमतन आवंटन करने का निर्णय लिया गया है। यह आवंटन राजस्थान भू-राजस्व (नवीनीकरण ऊर्जा स्त्रोतों पर आधारित शक्ति संयंत्र स्थापित करने के लिए भूमि आवंटन) नियम-2007 के तहत होगा।
प्रदेश में सौर ऊर्जा पर आधारित उत्पादन ईकाई की स्थापना से विद्युत ऊर्जा उत्पादन बढ़ेगा। साथ ही स्थानीय रोजगार के अवसरों और राज्य की राजस्व अर्ज�� में भी बढ़ोतरी होगी। उल्लेखनीय है कि करीब 13 हजार मेगावाट सौर ऊर्जा क्षमता स्थापित कर राजस्थान देश में प्रथम स्थान पर है। वहीं, सौर ऊर्जा नीति 2019 के अंतर्गत वर्ष 2024-25 तक 30 हजार मेगावाट उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए वर्तमान सरकार द्वारा सौर एवं पवन ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना के लिए करीब 16 हजार हैक्टेयर भूमि मंत्रिमंडल के अनुमोदन से आवंटित की जा चुकी है।
राजस्थान राज्य कर्मचारी सामान्य प्रावधायी निधि नियम, 2021 में संशोधन
मंत्रिमंडल ने ‘राजस्थान राज्य कर्मचारी सामान्य प्रावधायी निधि नियम, 2021‘ में संशोधन करने का निर्णय लिया। इस प्रस्ताव की क्रियान्विति के क्रम में दिनांक 01-01-2004 एवं उसके पश्चात नियुक्त राज्य कर्मचारियों पर राजस्थान राज्य कर्मचारी सामान्य प्रावधायी निधि नियम, 2021 के प्रावधान लागू होंगे। ये कार्मिक निर्धारित जीपीएफ अभिदान की कटौती कराते हुए जीपीएफ के प्रावधानों के अंतर्गत दिनांक 01-01-2004 से पूर्व नियुक्त कर्मचारियों के समान ही जीपीएफ की परिधि में आ जाएंगे।
मंत्रिमंडल ने वर्ष 2022 की बजट घोषणा की पालना में नाथद्वारा में ‘मेडि-टूरिज्म वेलनेस सेंटर‘ की स्थापना एवं संचालन के लिए निर्णय लिया है। प्राकृतिक, योग एवं आयुर्वेद की गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा उपलब्ध कराने के लिए अनुभवी सामाजिक संस्था के माध्यम से जिला स्तर की सोसाइटी के तत्वाधान में पायलट बेसिस पर सेंटर संचालित होगा।
इसमें गायत्री परिवार ट्रस्ट, राजसमंद एवं उनके द्वारा गठित एस.पी.वी अर्बुदारण्य आरोग्य संस्थान नाथद्वारा द्वारा बिल्ली की भागल, तहसील खमनौर में आयुर्वेद विभाग को आवंटित भूमि पर सेंटर संचालित करने का फैसला लिया गया है। इससे प्रदेश में मेडि-टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा। देशी-विदेशी पर्यटकों एवं रोगियों को आयुर्वेद एवं योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा की सेवाएं उपलब्ध हो सकेगी। इससे निरोगी राजस्थान की संकल्पना को पूर्ण किया जा सकेगा। इसी तर्ज पर नीतिगत निर्णय के तहत राज्य के अन्य पर्यटन एवं धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण दर्शनीय स्थलों के समीप भी अनुभवी सामाजिक संस्थाओं के माध्यम से ऐसे सेंटर स्थापित करने के निर्देश आयुर्वेद विभाग को दिए गए।
मंत्रिमंडल बैठक में नेत्र सहायक संवर्ग में पदोन्नति के अवसर बढ़ाने का निर्णय लिया गया। राज्य में समकक्ष संवर्गों के समान ही नेत्र सहायक संवर्ग में भी पदोन्नति के अवसरों के लिए पदोन्नति क्रम में तीन नए पद यथा ऑप्थेल्मिक असिस्टेंट ग्रेड-1, ऑप्टोमेट्रिस्ट एवं ऑप्थेल्मिक ऑफिसर सृजित किये जाने का नीतिगत निर्णय लिया गया है। राजस्थान चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधीनस्थ सेवा नियम, 1965 में संशोधन होने से कार्मिकों को समयबद्ध पदोन्नति के लाभ मिलेंगे। उल्लेखनीय है कि वर्तमान में नेत्र सहायक संवर्ग में एकल पद यथा नेत्र सहायक (Ophthalmic Assistant) का पद ही विद्यमान है।
मंत्रिमंडल ने राजस्थान में डिस्टलरीज, ब्रेवरीज तथा बॉटलिंग प्लांट स्थापित करने के लिए पूर्व में निर्धारित प्राथमिकताओं और राज्य की ‘‘राजस्थान इथेनॉल प्रोडक्शन प्रमोशन पॉलिसी 2021’’ में संशोधन ��ा निर्णय लिया है।
इस निर्णय से राज्य में सतही व परिशोधित जल का उपयोग कर इथेनॉल व डिस्टलरीज, ब्रेवरीज एवं बॉटलिंग प्लांट नियमानुसार स्थापित हो सकेंगे। इससे भारत सरकार की नीति के अनुरूप इथेनॉल बनने पर पेट्रोल व डीजल में इथेनॉल मिलाकर ईंधन के रूप में प्रयोग किया जा सकेगा, जिससे ईंधन में देश आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ेगा तथा राज्य में औद्योगीकरण को बढ़ावा मिलेगा। किसानों, उद्यमियों व कामगारों के लिए लाभ के अवसर उत्पन्न होंगे।
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Air India Recruitment 2022: एयर इंडिया में 596 पदों पर वैकेंसी, ऐसे करें आवेदन
Air India Recruitment 2022 : एयर इंडिया में नौकरी की तलाश कर रहे युवाओं के लिए एक शानदार मौका आया है। एयर इंडिया एयरपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड की तरफ से कई पदों पर वैकेंसी निकाली गई है। इस भर्ती के जरिए 596 खाली पद भरे जाएंगे। अधिसूचना के अनुसार, ये भर्तियां कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर की जाएंगी। हालांकि, अभ्यर्थी के अच्छे कार्यप्रदर्शन को देखते हुए कॉन्ट्रैक्ट को अवधी को बढ़ाया भी जा सकता है। इच्छुक और योग्य उम्मीदवार इन पदों के लिए डाक के माध्यम से अपना आवेदन पत्र भेजना होगा। आवेदन जमा करने की आखिरी तारीख 22 अप्रैल 2022 तय का गई है। आवेदन करने से पहले उम्मीदवर आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर वैकेंसी से संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते है।
वैकेंसी डिटेल — कुल पदों की संख्या : 596 पद — जूनियर एग्जिक्यूटिव (टैक्निकल) : 5 पद — रैंप सर्विस एजेंट : 12 पद — यूटिलिटी एजेंट-कम-रैंप ड्राइवर : 96 पद — कस्टमर एजेंट : 206 पद — हैंडीमैन व हैंडीवूमन : 277 पद
योग्यता — जूनियर एग्जिक्यूटिव (टैक्निकल) : उम्मीदवार के पास मेकेनिकल/ऑटोमेबाइल/प्रोडक्शन/इलेक्ट्रिकल/इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स/इलेक्ट्रॉनिक्स या कम्युनिकेशन इंजिनियरिंग में बीई या बीटेक की डिग्री होना अनिवार्य है। — रैंप सर्विस एजेंट : उम्मीदवार के पास मेकेनिकल/प्रोडक्शन/इलेक्ट्रिकल/इलेक्ट्रॉनिक्स या ऑटोमेबाइल इंजिनियरिंग में तीन साल का डिप्लोमा होना चाहिए। इसके अलावा कक्षा 10वीं पास की हो और साथ ही व्हीकल/ऑटो इलेक्ट्रिकल/एयर कंडीशनिंग/डीजल मेकेनिक/बेंच फिटर या वेल्डर ट्रेड में आईटीआई की हो। — यूटिलिटी एजेंट-कम-रैंप ड्राइवर : आवेदक के पास मान्यता प्राप्त विद्यालय से कक्षा 10वीं पास के साथ भारी वाहन चलाने का लाइसेंस भी होना चाहिए। — कस्टमर एजेंट : उम्मीदवार का ग्रेजुएट होना अनिवार्य है। साथ ही अभ्यर्थी के पास इस फील्ड में डिप्लोमा भी हो। वहीं अभ्यर्थी के पास किसी एयर लाइन में रिजर्वेशन, टिकटिंग और चेक-इन जैसे कार्यों का अनुभव भी हो। यह भी पढ़ें- RSMSSB Result 2022: राजस्थान ग्राम विकास अधिकारी परीक्षा का रिजल्ट जारी, ऐसे करें चेक
आयु सीमा उपरोक्त पदों के लिए आवेदन करने वाले अनारक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों की अधिकतम आयु सीमा 28 वर्ष तय की गई है। वहीं ओबीसी वर्ग के लिए तीन साल और एससी व एसटी के लिए पांच साल की छूट दी जाएगी।
यह भी पढ़ें- Railway Recruitment 2022: रेलवे में अप्रेंटिस के पदों पर निकली वैकेंसी, ऐसे करें आवेदन
वेतनमान — जूनियर एग्जिक्यूटिव (टैक्निकल) : 25,300 रुपए प्रति माह — रैंप सर्विस एजेंट : 21,300 रुपए प्रति माह — यूटिलिटी एजेंट-कम-रैंप ड्राइवर : 19,350 रुपए प्रति माह — कस्टमर एजेंट : 21,300 रुपए प्रति माह — हैंडीमैन व हैंडीवूमन : 13,860 रुपए प्रति माह
आवेदन शुल्क इस पद पर आवेदक को 500 रुपए आवेदन शुल्क देना होगा। वहीं एससी व एसटी कैटेगरी के अभ्यर्थियों को कोई आवेदन शुल्क नहीं देना होगा। आवेदन शुल्क का भुगतान डिमांड ड्राफ्ट के माध्यम से करना होगा। अभ्यर्थियों को डिमांड ड्राफ्ट 'एआई एयरपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड' के नाम से बनवाना होगा।
from Patrika : India's Leading Hindi News Portal https://www.patrika.com/jobs/air-india-airport-services-recruitment-vacancy-for-these-596-posts-7463621/
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https://lendennews.com Latest Hindi news Sun, 17 Nov 2019 08:28:02 +0530 en-US hourly 1 https://ift.tt/357veeA https://ift.tt/2OhUeJn
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लंदन में जमकर प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं भारतीय दौलतमंद, जानिए
https://ift.tt/32SYkg8 https://ift.tt/2CRbtfc Sun, 17 Nov 2019 08:27:41 +0000 https://ift.tt/3573jvh नई दिल्ली। भारत के रियल एस्टेट बाजार में भले ही सुस्ती छाई है, लेकिन दौलतमंद भारतीय लंदन में पहले की तुलना में जमकर प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं। रियल एस्टेट कंसल्टेंसी फर्म नाइट फ्रैंक की लंदन सुपर-प्राइम सेल्स मार्केट इनसाइट-विंटर 2019 नामक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 12 महीनों में (जून 2019 तक) में साल दर साल आधार पर भारतीयों द्वारा लंदन के प्राइम इलाकों में प्रॉपर्टी खरीदने वालों की संख्या में 11% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, लंदन के मेफेयर, बेलग्राविया, हाइड पार्क, मैरीलेबोन और सेंट जॉन्स वुड कुछ ऐसे इलाके हैं, जहां भारतीय जमकर प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं। वैसे तो लंदन में भारतीयों द्वारा प्रॉपर्टी खरीदने की कई वजहें हैं, लेकिन हाल में लंदन की प्रॉपर्टी की कीमतों में गिरावट से भारतीय खरीदारों का इस ओर रुझान बढ़ा है। रिपोर्ट के मुताबिक, ‘यूरोपीय संघ को लेकर जनमत संग्रह तथा ��क्टूबर 2019 के बीच प्राइम सेंट्रल लंदन की प्रॉपर्टी में लगभग 20% का बड़ा डिस्काउंट तथा करंसी और प्राइस मूवमेंट की वजह से भारतीय खरीदारों को फायदा हुआ है।’
अधिकतर खरीदार हैं युवा रिपोर्ट में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि संपत्ति खरीदने वाले अधिकतर लोग युवा हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, ‘लंदन में सुपर प्राइम बायर्स की औसत आयु में गिरावट आ रही है। सितंबर 2019 तक लगभग 73% सुपर प्राइम बायर्स की आयु 50 साल से कम है, जो साल 2015 की शुरुआत में आधे से भी कम थी।’
निवेश के लिहाज से भी खरीदते हैं प्रॉपर्टी कई लोग ऐसे हैं, जो निवेश के लिहाज से विदेश में प्रॉपर्टी खरीदते हैं। नाइट फ्रैंक इंडिया के चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर शिशिर बैजल ने कहते हैं, ‘भारतीय बाजार में निवेश की तुलना करें तो विदेशी बाजार में पूंजी तथा किराया दोनों ही अधिक है। चूंकि भारतीय अर्थव्यवस्था में सुस्ती चल रही है, इसलिए हमें उम्मीद है कि भारतीय निवेशक विदेशी बाजारों जैसे ���ंदन में प्रॉपर्टी की खरीद जारी रखेंगे, क्योंकि यहां कम अवधि में ज्यादा रिटर्न मिलता है।’
विदेश में कितना कर सकते हैं निवेश? भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (LRS) के तहत भारतीयों को हर वित्त वर्ष में 250,000 लाख डॉलर ( 1.75 करोड़) रुपये अपने विदेश भेजने की इजाजत है। हालांकि, अगर कोई अपने परिवार के सदस्य के साथ मिलकर विदेश में प्रॉपर्टी खरीदता है तो वह इससे ज्यादा पैसे अपने विदेश भेज सकता है।
]]> https://ift.tt/2XnplXO 0 62310 इन ट्रेनों में सफर भी होगा महंगा, 9% तक बढ़ेगा किराया, जानिए
https://ift.tt/33WBci6 https://ift.tt/2NRhBdA Sun, 17 Nov 2019 08:03:40 +0000 https://ift.tt/2qkzCYT नई दिल्ली।राजधानी, शताब्दी और दुरंतो जैसी प्रीमियम ट्रेनों में सफर करने वाले यात्रियों को बड़ा झटका लगने वाला है। इन ट्रेनों में सफर करने वाले यात्री अगर टिकट बुक करते समय खाने को भी शामिल करते हैं तो उन्हें 3% से लेकर 9% तक अधिक किराया देना होगा। संशोधित कैटरिंग चार्ज अगले साल 29 मार्च से लागू होगा।
नए आदेश के मुताबिक, इन ट्रेनो में यात्रियों को फर्स्ट क्लास एसी और एग्जिक्युटिव क्लास में चाय के लिए 35 रुपये (अभी 15 रुपये), ब्रेकफास्ट के लिए 140 रुपये (अभी 90 रुपये) तथा लंच और डिनर के लिए 245 रुपये (अभी 140 रुपये) का भुगतान करना होगा। वहीं, सेकेंड क्लास एसी, थर्ड क्लास एसी तथा चेयरकार में मॉर्निंग टी 20 रुपये (अभी 10 रुपये), ब्रेकफास्ट 105 (अभी 70 रुपये), लंच तथा डिनर 185 रुपये (अभी 120 रुपये) और इवनिंग टी 90 रुपये (अभी 45 रुपये) में मिलेगा।
कैटरिंग चार्ज 2013 में हुआ था संशोधित दुरंतो ट्रेन के स्लीपर क्लास में मॉर्निंग टी 15 रुपये (अभी 10 रुपये), ब्रेकफास्ट 65 रुपये (अभी 40 रुपये), लंच तथा डिनर 120 रुपये (अभी 75 रुपये) और इवनिंग टी 50 रुपये (अभी 20 रुपये) में मिलेगा। राजधानी, शताब्दी तथा ��ुरंतो ट्रेनों में खानपान की कीमतों को साल 2013 में संशोधित किया गया था।
‘गुणवत्ता के लिए बढ़ाई गई कीमत’ शुल्क में वृद्धि के बारे में पूछे जाने पर रेल राज्य मंत्री सुरेश अंगाड़ी ने कहा, ‘गुणवत्तापूर्ण खानपान की सुविधा देने के लिए कैटरिंग चार्ज में बढ़ोतरी करने की जरूरत है।’
29 मार्च, 2020 से नया किराया होगा लागू आदेश के मुताबिक, ‘रेल मंत्रालय के एक बयान के मुताबिक, प्री-पेड ट्रेनों में किराये में कुल 3% से लेकर 9% तक की बढ़ोतरी होगी, जो मील का चयन करेंगे। कैटरिंग की संशोधित दरें 29 मार्च, 2020 से लागू होंगी।’ जनता मील की कीमत में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है और यह 20 रुपये ही रहेगी। ला कार्टे मील के नाम पर ओवरचार्जिंग को रोकने के लिए मेल तथा एक्सप्रेस ट्रेनों में इस तरह के खाने को परोसने की मंजूरी नहीं होगी।
हालांकि, ला-कार्टे स्नैक्स जैसे समोसा, पकौड़ा और अन्य खाद्य पदार्थों की बिक्री की अनुमति होगी। यह भी फैसला किया गया है कि खाने में बिरयानी की लोकप्रियता को मद्देनजर IRCTC तीन तरह की बिरयानी- वेज, एग और चिकन उपलब्ध कराएगी, जिनकी कीमत क्रमशः 80 रुपये, 90 रुपये और 110 रुपये होगी।
]]> https://ift.tt/33UvOMF 0 62308 मोबाइल ने अस्वस्थता व रोगों को निमन्त्रण दिया है: डॉ मोनिका दुबे
https://ift.tt/2QulpmP https://ift.tt/37hWDMX Sun, 17 Nov 2019 03:22:30 +0000 https://ift.tt/33QOX1Q कोटा। ओम कोठारी संस्थान एवं आईएसटीडी कोटा चैप्टर के संयुक्त तत्वावधान में आईएसटीडी कोटा चैप्टर के स्वर्ण जयन्ती वर्ष समारोह की श्रृंखला के तहत होलिस्टिक लिविंग विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय, कोटा के व्याख्याता एवं आई एसटीडी कोटा चैप्टर के ऐक्जीक्यूटिव मेम्बर्स डाॅ मोनिका दुबे एवं डाॅ संदीप शारदा थे।
इस अवसर पर मुख्य वक्ता डाॅ मोनिका दुबे ने विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए होलिस्टिक लिविंग के विभिन्न आयामों पर प्रकाश डाला। उन्होंने होलिस्टिक लिविंग के लिए 3 H जीवनशैली अपनाने को कहा। होलिस्टिक लिविंग का सही अर्थ हेल्दी, हेप्पी एवं हारमनी है।
डाॅ मोनिका ने कहा जीवन को नई ऊंचाइयों तक पहुचाने के लिए स्वस्थ होना जरूरी है। आज के युग में मोबाइल ने हमारी जीवनशैली में बदलाव कर अस्वस्थता व रोगों को निमन्त्रण दिया है। अधिक समय एवं गलत तरीको से मोबाइल का प्रयोग विभिन्न रोगों को जन्म देता है। उन्होंने बताया मोबाइल से निकलने वाली घातक किरणे कैंसर जैसी अनेक भयावह बीमारियों को जन्म देती है। उन्होंने विद्यार्थियों को मोबाइल के कम से कम उपयोग की सलाह दी ।
इसके पश्चात डाॅ. संदीप शारदा ने विद्यार्थियों को ��ोलिस्टिक लिविंग के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी। होलिस्टिक लिविंग का सही अर्थ सफल जीवन है। जीवन में सफलता प्राप्त करने एवं सपनो को यथार्थ में परिवर्तित करने के लिए विद्यार्थियों में ऐम्प्लाॅयबिलिटी स्किल्स की अभिवृद्धि जरुरी है।
उन्होंने कहा कि कम्यूनिकेशन स्किल्स व्यक्ति को कार्यक्षेत्र में सहज बनाकर सफलता का मार्ग प्रशस्त करती है। उन्होंने विद्यार्थियों को कम्यूनिकेशन स्किल्स एवं साॅफ्ट स्किल्स के विभिन्न गुर भी सिखाये। कार्यक्रम का संचालन ओम कोठारी संस्थान के व्याख्याता प्रतीक गुप्ता ने किया। कार्यक्रम के दौरान आईएसटीडी कोटा चैप्टर की चेयरपर्सन अनिता चौहान, सेक्रेटरी डॉ.अमित सिंह राठौड भी मौजूद थे।
]]> https://ift.tt/2Xkp4VT 0 62292 ‘स्पर्श’ सेमिनार में एसआर स्कूल के छात्रों ने जाना गुड और बेड टच
https://ift.tt/2Olcxx3 https://ift.tt/32WaPrc Sun, 17 Nov 2019 02:50:45 +0000 https://ift.tt/2OncCAj कोटा। एसआर पब्लिक सी. सै. स्कूल में बच्चों के लिए ‘‘अच्छा स्पर्श व बुरा स्पर्श’’ विषय पर एक सेमिनार आयोजित की गई। प्रवक्ता प्रियंका कपूर ने बताया कि भारत जैसे बड़े देश में हर 1 घंटे में 4 बच्चे शोषण का शिकार हो रहे हैं। इन नाजुक उम्र में होने वाले आघात के परिणामों के बारे में समझा नहीं सकते हैं। इसलिए उन्हें अच्छे व बुरे स्पर्श पर शिक्षित करना जरूरी है।
प्रियंका कपूर ने बताया कि किसी भी छोटे उम्र के लड़के व लड़कियां इस शर्मनाक कृत्य के शिकार हो सकते हैं। माता-पिता को यह जानना जरूरी हैं कि शोषण में पक्षपातपूर्ण या लिंगभेद नहीं होता है। यह स्वीकार करना भी बेहद शर्मनाक है कि अपराधी करीबी रिश्तेदार या आस पड़ोस के लोग भी हो सकते हैं । हर माता-पिता चिंतित रहते हैं कि मेरा बच्चा कहां सुरक्षित है ।
प्रियंका ने बताया कि माता-पिता को चिंता करने के बजाय हमें बच्चे को शिक्षित करना चाहिए। बच्चों को इस पर आधारित फिल्म ‘‘कोमल’’ दिखायी गई । कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्रम विभाग सचिव आई.ए.एस. नवीन जैन थे। इस अवसर पर विद्यालय के चेयरमैन आनंद राठी, निदेशक अंकित राठी व प्रधानाचार्या सीमा शर्मा ने मुख्य अतिथि का आभार व्यक्त कर स्मृति चिह्न भेंट किया ।
]]> https://ift.tt/2przNkP 0 62289 जैसा अन्न ग्रहण करोगे, वैसे ही होंगे आपके विचार: घनश्यामाचार्य महाराज
https://ift.tt/2COlLwr https://ift.tt/2Ktd92M Sun, 17 Nov 2019 02:27:34 +0000 https://ift.tt/2Xj7Hok कोटा। श्री झालरिया पीठाधिपति स्वामीजी घनश्यामाचार्य महाराज के तीन दिवसीय कोटा प्रवास के दौरान शनिवार को इन्द्रविहार स्थित संतनिवास में प्रातः दर्शन एवं आरती अर्चना हुई। इस दौरान बड़ी संख्या में भक्त उपस्थित रहे।
शनिवार को संत निवास में आरती-अर्चना व दर्शन के बाद ��हाराज ने कहा कि मनुष्य को हमेशा सात्विक भोजन ही ग्रहण करना चाहिए। क्योंकि आप जैसा भोजन ग्रहण करोगे, वैसे ही आपके विचार होंगे और आप वैसे ह��� कर्म होंगे। सात्विक भोजन ग्रहण करोगे तो आपके विचार निर्मल होंगे जबकि दूषित भोजन, मांसाहार तामसिक भोजन से आपके विचार दूषित होंगे।
उन्होने कहा कि मनुष्य जीवन में संस्कार होना बहुत जरूरी है। क्योंकि जिस तरह से हम किसी भी अन्न को खाने से पहले धोकर संस्कारित करते हैं और फिर ग्रहण करते हैं। ठीक उसी तरह हमें भी संस्कारित होना चाहिए। माता-पिता का कर्त्तव्य है कि वे अपने बच्चों को संस्कारित होने की शिक्षा दें।
इस अवसर पर एलन परिवार की मातुश्री कृष्णादेवी माहेश्वरी, एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट के निदेशक गोविन्द माहेश्वरी, राजेश माहेश्वरी, नवीन माहेश्वरी एवं बृजेश माहेश्वरी भी मौजूद रहे। दर्शन के लिए बड़ी संख्या में भक्त संत निवास पहुंचे।
]]> https://ift.tt/35dqVhZ 0 62287 Google अब आपको ठीक से बोलना भी सिखाएगा, जानिए कैसे
https://ift.tt/2przNRR https://ift.tt/2NTjdU5 Sun, 17 Nov 2019 02:14:17 +0000 https://ift.tt/2r51WOP नई दिल्ली। सर्च इंजन कंपनी Google भारत में कईं प्रोजेक्ट्स पर काम कर रही है और यह प्रोजेक्ट्स गूगल की सर्विसेस को क्षेत्रिय भाषाओं में सुलभ बनाने के लिए भी हैं। जहां गूगल इन प्रोजेक्टस पर काम कर रहा है वहीं कईं नए फीचर्स भी लेकर आ रहा है जो यूजर्स के बड़े काम आने वाले हैं।
इन्ही में एक फीचर आ रहा है Practice with Search फीचर, इस फीचर की मदद से गूगल आपको शब्दों को सही तरीके से बोलना भी सिखाएगा। गूगल का यरह फीचर फिलहाल प्रयोगात्मक रूप से आया है और फिलहाल यह अमेरिकन अंग्रेजी के लिए उपलब्ध है लेकिन जल्द ही स्पैनिश के लिए भी आएगा। इस फीचर की मदद से यूजर किसी भी कठीन शब्द का सही उच्चारण सीख सकेंगे।
ऐसे करेगा काम इस फीचर में गूगल यूजर को ऑप्शन देगा कि उन्होंने जो शब्द सर्च किया है उसका सही उच्चारण कैसे किया जाए। जैसे ही आपका सर्च रिजल्ट आएगा, वहीं आपको एक ऑप्शन नजर आएगा जिसमें विकल्प होगा कि इस शब्द का उच्चारण कैसे करें, अगर आपको उस शब्द का सही उच्चारण नहीं पता तो आप उस ऑप्शन पर क्लिक करते ही उसका सही उच्चारण सुनकर उसे दोहरा सकते हैं।
स्पीच रिकग्निशन तकनीक से लेगा मदद गूगल इस फीचर के लिए स्पीच रिकग्निशन तकनीक की मदद ले रहा है। इस फीचर में गूगल इस बात की संतुष्टि करेगा जो शब्द आपने सर्च किया है वो आप सही उच्चारण से बोल सकें। इसके लिए पहले वो खुद इस शब्द को बोलेगा फिर आपसे दोहराने के लिए कहेगा।
अगर आपके दोहराने में कुछ गलती है तो वो फिर से उसे ठीक करने के लिए कहेगा। इतना ही नहीं गूगल इसमें इमेज सर्च रिजल्ट भी जोड़ रहा है ताकि यूजर को पता लगे कि उसने जो शब्द ढूंढा है उसका मतलब क्या होता है। फिलहाल गूगल Noun से रिजल्ट देना शुरू करेगा और फिर दूसरी कैटेगरीज में भी विस्तार करेगा।
]]> https://ift.tt/2Oj0noG 0 62282 अग्नि-2 मिसाइल क�� सफल परीक्षण, 2000 किमी तक हमला करने में सक्षम
https://ift.tt/32XS1b3 https://ift.tt/32XS2f7 Sun, 17 Nov 2019 01:56:06 +0000 https://ift.tt/2qbXfmy बालासोर। ओडिशा के बालासोर तट से सेना ने बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-2 का पहली बार रात में परीक्षण किया गया, जो कामयाब रहा। मिसाइल न्यूक्लियर हथियारों के साथ 2000 किमी तक दुश्मन को मार गिराने में सक्षम है। सूत्रों ने शनिवार को बताया कि स्ट्रैटेजिक फोर्सेज कमांड ने एपीजे अब्दुल कलाम आईलैंड से यह परीक्षण किया। अग्नि-2 का पिछले साल भी टेस्ट किया गया था। इसकी मारक क्षमता को बढ़ाकर 3 हजार किमी किया जा सकता है।
डीआरडीओ ने मंगलवार को ही लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) तेजस का रात में अरेस्टेड लैंडिंग का परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया था। डीआरडीओ ने दो महीने पहले ही दो सीट वाले एलसीए तेजस का गोवा के आईएनएस हंसा में पहली बार अरेस्टेड लैंडिंग कराई गई थी। एजेंसी ने बताया था कि यह टेक्स्टबुक लैंडिंग था।
15 साल पहले सेना में शामिल की गई थी मिसाइल अग्नि-2 को 2004 में ही सेना में शामिल कर लिया गया था। ये जमीन से जमीन तक मार करने वाली मिसाइल है। 20 मीटर लंबी अग्नि मिसाइल को डीआरडीओ की एडवांस्ड सिस्टम्स लेबोरेटरी ने तैयार किया है। अग्नि को इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत तैयार किया गया है।
क्या खास है अग्नि में?
दो स्टेज की मिसाइल, सॉलिड फ्यूल से चलेगी।
लंबाई: 20 मीटर
वॉरहेड: 1000 किलो ले जाने में सक्षम
रेंज: 2000 किमी
कौन से उपकरण लगे: सटीक निशाने पर पहुंचने के लिए हाईएक्युरेसी नेविगेशन सिस्टम।
]]> https://ift.tt/32UnBH1 0 62279 संसद का शीतकालीन सत्र कल से, पेश होगा नागरिकता संशोधन विधेयक
https://ift.tt/2OiGKNs https://ift.tt/2CP5x6n Sun, 17 Nov 2019 01:45:14 +0000 https://ift.tt/2OkVxqP नई दिल्ली। संसद का शीतकालीन सत्र 18 नवंबर से 13 दिसंबर तक चलेगा। महाराष्ट्र में अपना मुख्यमंत्री बनाने के लिए एनडीए से अलग हुई शिवसेना अब विपक्ष में बैठेगी। शनिवार को सूत्रों ने बताया कि शिवसेना के सांसद संजय राउत और अनिल देसाई के लिए इसी सत्र से राज्यसभा में बैठक व्यवस्था बदली जाएगी।
राउत ने कहा है कि शिवसेना सत्र से पहले एनडीए की किसी बैठक में शामिल नहीं होगी। इस बीच, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने सर्वदलीय बैठक बुलाई, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसमें शामिल हुए।
केंद्र सरकार शीतकालीन सत्र में गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने के उद्देश्य से नागरिकता (संशोधन) विधेयक समेत क�� अहम बिल पेश करेगी। नागरिकता कानून में बदलाव के जरिए सरकार बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से धार्मिक उत्पीड़न के बाद भारत आकर बसे गैर-मुस्लिमों जैसे- हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन और पारसी समुदाय के लोगों को स्थाई नागरिकता देना चाहती है।
विपक्षी नागरिकता विधेयक के विरोध में है मोदी सरकार ने पिछले कार्यकाल में भी नागरिकता विधेयक को संसद में पेश किया था, लेकिन विपक्षी दलों के विरोध के कारण इसे आगे नहीं बढ़ाया जा सका। विपक्षी दलों ने धार्मिक आधार पर भेदभाव के रूप में बिल की आलोचना की थी। यह बिल जनवरी में लोकसभा से पारित हो गया था, लेकिन राज्यसभा से पारित नहीं हो पाया था। बिल को लेकर असम और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों ने आपत्ति जताई थी और कई शहरों में विरोध प्रदर्शन हुए थे।
6 साल भारत में गुजारने वालों को भी नागरिकता मिलेगी नागरिकता बिल के जरिए 1955 के कानून को संशोधित किया जाएगा। इसमें नागरिकों को 12 साल की बजाय सिर्फ छह साल भारत में गुजारने और बिना उचित दस्तावेजों के भी भारतीय नागरिकता मिल सकेगी। पूर्वोत्तर के लोगों का विरोध है कि यदि यह बिल पास होता है तो इससे राज्यों की सांस्कृतिक, भाषाई और पारंपरिक विरासत खत्म हो जाएगी। इस बिल के माध्यम से 31 दिसंबर 2014 से पहले आए सभी लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान है। असम समझौते के अनुसार 1971 से पहले आए लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान था।
]]> https://ift.tt/2KvPCy5 0 62277 दिल्ली बाजार / कमजोर मांग से चुनींदा खाद्य तेलों में नरमी
https://ift.tt/32VDJrI https://ift.tt/37aT6je Sat, 16 Nov 2019 15:58:16 +0000 https://ift.tt/2CSYuJO नयी दिल्ली। स्थानीय तेल तिलहन बाजार में शनिवार को सोयाबीन, बिनौला मिल डिलीवरी (हरियाणा) और सोयाबीन तिलहन सहित कुछेक खाद्य कीमतों में नरमी का रुख रहा। सूत्रों के अनुसार खाद्य तेलों का आयात शुल्क मूल्य बढ़ाये जाने के बावजूद बाजार में कमजोर मांग से नरमी बनी हुई है।
बाजार सूत्रों क�� अनुसार सरकार ने पामोलीन तेल पर आयात शुल्क मूल्य 583 से बढ़ाकर 661 डालर प्रति टन और कच्चे पॉम तेल का 560 से बढ़ाकर 613 डालर प्रति टन कर दिया है। इसके परिणामस्वरूप कच्चा पॉम तेल का आयात शुल्क मूल्य 16.79 रुपये प्रति दस किलो और पामोलिन तेल का 29.70 रुपये प्रति दस किलो बढ़ गया है। इसी प्रकार कच्चे सोया डीगम का आयात शुल्क मूल्य भी 743 से बढ़कर 761 डालर प्रति टन किये जाने से इसका आयात 4.99 रुपये प्रति दस किलो महंगा हो गया है। बावजूद इसके बाजार में नरमी का रुख बना हुआ है।
स्थानीय बाजार में मांग टूटने से सोयाबीन मिल डिलीवरी दिल्ली और सोयाबीन इंदौर की कीमतें क्रमश: 20 – 20 रुपये की हानि के साथ क्रमश: 8,480 रुपये और 8,330 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुई। बिनौला मिल डिलीवरी (हरियाणा) का भाव 20 रुपये की मामूली गिरावट के साथ 7,530 रुपये प्रति क्विंटल रहा। तिलहन, खाद्य-अखाद्य तेलों के भाव इस प्रकार रहे- (भाव रुपये प्रति क्विंटल)
सरसों – 4,110 – 4,135 रुपये मूंगफली – 4,170 – 4,290 रुपये वनस्पति घी- 955 – 1,250 रुपये प्रति टिन मूंगफली मिल डिलीवरी (गुजरात)- 9,650 रुपये मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड 1,735 – 1,780 रुपये प्रति टिन सरसों दादरी- 8,400 रुपये प्रति क्विंटल सरसों पक्की घानी- 1,225 – 1,555 रुपये प्रति टिन सरसों कच्ची घानी- 1,445 – 1,595 रुपये प्रति टिन तिल मिल डिलीवरी- 10,000 – 15,500 रुपये ।
सोयाबीन मिल डिलीवरी दिल्ली- 8,480 रुपये सोयाबीन मिल डिलीवरी इंदौर- 8,330 रुपये सोयाबीन डीगम- 7,500 रुपये सीपीओ एक्स-कांडला- 6,400 रुपये बिनौला मिल डिलीवरी (हरियाणा)- 7,530 रुपये पामोलीन आरबीडी दिल्ली- 7,700 रुपये पामोलीन कांडला- 7,000 रुपये नारियल तेल- 2,460-2,510 रुपये अलसी- 8,500 रुपये अरंडी- 9,500 – 10,000 रुपये सोयाबीन तिलहन 3,900- 3,950 मक्का खल- 3,600 रुपये ।
]]> https://ift.tt/37dkKMB 0 62274 कोटा मंडी / कमजोर उठाव से धान और धनिया ढीला
https://ift.tt/33QOY5U https://ift.tt/2D2keDr Sat, 16 Nov 2019 15:14:20 +0000 https://ift.tt/32UnCe3 कोटा। भामाशाह अनाज मंडी में शनिवार को उड़द बेस्ट 400 रुपये प्रति क्विंटल ऊँचा बोला गया। कमजोर उठाव से धान 50 रुपये और धनिया 100 रुपये प्रति क्विंटल मंदा बिका। लहसुन की आवक लगभग 8000 कट्टे की रही। अन्य कृषि जिन्सो की आवक लगभग 90000 बोरी की रही। जिंसों के भाव इस प्रकार रहे –
गेहूं लस्टर 1950 से 2015 गेहूं मिल क्वालिटी 1950 से 2031एवरेज 2000 से 2061 लोकवान 1950 से 2100 पीडी 1950 से 2100 गेहूं टुकडी 2050से 2150 मक्का 1500 से 1950 जौ 1700 से 1950 ज्वार 1500 से 3000 रुपये प्रति क्विंटल।
धान लाजवाब (1509 )2100 से 2351धान (1121) 2200से 2651धान सुगन्धा 1500से2101धान पूसा 1 2000से 2251रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन 3000से 3970 सरसों 3400 से 4025अलसी 4000 से 4701तिल्ली 8000 से 10500रुपये प्रति क्विंटल।
मैथी 3200 से 4400 धनिया बादामी 5500 से 5800 ईगल 6000 से 6251 रंग दार 6000 से 7100 रुपये प्रति क्विंटल। लहसुन 3000 से 13000रुपये प्रति क्विंटल।
मूंग 5100 से 6000 उड़द पुराना 3000 से 6600 उड़द नया 4000से 8000 चना 3600 से 4000 चना काबुली 3500से 5000 चना पेप्सी 3200 से 4000चना मौसमी 3400 से 4000 मसूर 3800 से 4500रुपये प्रति क्विंटल। ग्वार 3000 से 3950 रुपये प्रति क्विंटल।
]]> https://ift.tt/2Kus6Sa 0 62271 source https://lendennews.com/feed https://ift.tt/eA8V8J
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इस विश्व विद्यालय में निकली रिसर्च असिस्टेंट की जॉब, ऐसे करें अप्लाई
इस विश्व विद्यालय में निकली रिसर्च असिस्टेंट की जॉब, ऐसे करें अप्लाई
युनिवर्सिटी ऑफ राजस्थान ने अनुबंध के आधार पर रिसर्च असिस्टेंट के रिक्त पद पर पात्र और योग्य उम्मीदवार इस नौकरी के लिए 30.04.2019 तक आवेदन कर सकते हैं. बता दें कि यह आवेदन करने की अंतिम तिथि है. इस नौकरी के लिए आप जल्द से जल्द आवेदन कर दें. नौकरी के लिए पात्र और इच्छुक उम्मीदवार आवेदन करने की अंतिम तिथि, आवेदन शुल्क, नौकरी के लिए चयन प्रक्रिया, नौकरी के लिए आयु सीमा, जिन पदों पर भर्ती निकली उनका…
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सरकारी स्क��लों की प्रबंध समिति का पंजीयन अब मात्र 250 रुपए में
सरकारी स्कूलों की प्रबंध समिति का पंजीयन अब मात्र 250 रुपए में
जयपुर, 12 जून। प्रदेश के सरकारी स्कूलों में गठित की जाने वाली विद्यालय प्रबंध समिति या विद्यालय विकास एवं प्रबंध समिति का पंजीयन अब केवल 250 रुपए में हो सकेगा। ऎसी संस्थाओं के लिए अलग से प्रावधान नहीं होने के कारण पहले इनके पंजीयन के लिए 10 हजार रुपए शुल्क लिया जा रहा था।
प्रमुख शासन सचिव, सहकारिता,अभय कुमार ने सोमवार को इस निर्णय के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि राजस्थान संस्था…
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RPSC Recruitment 2020 : स्कूल लेकचरर पदों के लिए निकली भर्ती, फटाफट करें आवेदन
RPSC Recruitment 2020 : राजस्थान लोक सेवा आयोग (Rajasthan Public Service Commission) (RPSC) ने संस्कृत शिक्षा विभाग (Sanskrit Education Department) के लिए राजस्थान संस्कृत शिक्षा राज्य एवं अधीनस्थ सेवा (विद्यालय शाखा) नियम, 2015 (Rajasthan Sanskrit Education State and Subordinate Services (School Branch) Rules, 2015) के अंतर्गत प्राध्यापक (विद्यालय) (School Lecturer) के विभिन्न 9 विषयों के लिए कुल 22 पदों पर भर्ती हेतु ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए हैं। जो उम्मीदवार पोस्ट ग्रेजुएशन और बीएड कर चुके हैं, वे इन पदों के लिए आयोग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। आवेदन प्रक्रिया 8 जून को शुरू होकर 7 जुलाई, 2020 (रात 12 बजे) तक चलेगी।
RPSC Recruitment 2020 : वेकेंसी डिटेल्स -पद का नाम : प्राध्यापक (विद्यालय)
-कुल पद : 22
-पे स्केल : L–12
RPSC Recruitment 2020 : विषयवार वेकेंसी डिटेल्स -राजनीति विज्ञान (Political Science) : 07
-गणित (Mathematics) 01
-अर्थशास्त्र(Economics) : 01
-धर्म शास्त्र (Dharm Shahtra) : 01
-ज्योतिष (Jyotish) : 06
-यजुर्वेद (Yjurved) : 03
-सामान्य दर्शन (Samanya Darsan) : 01
-जैन दर्शन (Jain Darsan) : 01
-न्याय दर्शन (Nayay Darsan) : 01
RPSC Recruitment 2020 : पात्रता मानदंड -राजनीति विज्ञान, गणित और अर्थशास्त्र विषयों के लिए शैक्षिक योग्यता : शिक्षा शास्त्री, बी.एड डिग्री के साथ न्यूनतम 48 प्रतिशत अंकों के साथ संबंधित विषय में द्वितीय श्रेणी में स्नातकोत्तर डिग्री। साथ ही देवनागरी लिपि में लिखी गई हिंदी का कार्यसाधक ज्ञान (Working knowledge) और राजस्थानी संस्कृति का ज्ञान।
-धर्म शास्त्र, ज्योतिष, यजुर्वेद, सामान्य दर्शन, जैन दर्शन और याय दर्शन विषयों के लिए शैक्षिक योग्यता : शास्त्री या समकक्ष पारंपरिक संस्कृत परीक्षा के साथ संस्कृत माध्यम और द्वितीय श्रेणी आचार्य डिग्री या संबंधित विषय में समकक्ष संस्कृत माध्यम की परीक्षा न्यूनतम 48 प्रतिशत अंकों के साथ शिक्षा शास्त्री डिग्री या समकक्ष। साथ ही देवनागरी लिपि में लिखी गई हिंदी का कार्यसाधक ज्ञान (Working knowledge) और राजस्थानी संस्कृति का ज्ञान।
उम्र सीमा इन पदों के लिए आवेदन करने के इच्छुक उम्मीदवारों की उम्र 1 जुलाई, 2020 के अनुसार, 21 साल से कम नहीं होनी चाहिए, जबकि अधिकतम उम्र 40 साल से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
उम्र सीमा में छूट -इन पदों के लिए आवेदन करने वाले उम्मीदवारों को नियमानुसार उम्र सीमा में छूट दी जाएगी।
-राजस्थान राज्य के अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग एवं अति पिछड़ा वर्ग के पुरूष उम्मीदवारों को उम्र सीमा में अधिकतम 5 वर्ष की छूट दी जाएगी।
-सामान्य वर्ग की महिला एवं राजस्थान राज्य की आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (श्व.ङ्ख.स्) की महिला उम्मीदवार को उम्र सीमा में अधिकतम 5 वर्ष की छूट दी जाएगी।
-राजस्थान राज्य की अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग एवं अतिपिछड़ा वर्ग की महिला उम्मीदवार को उम्र सीमा में अधिकतम 10 वर्ष की छूट दी जाएगी।
-widow, divorcee महिला उम्मीदवार : अधिकतम आयु सीमा नहीं
नोट : उम्र सीमा में अधिक जानकारी के लिए उम्मीदवार आयोग द्वारा जारी आधिकारिक नोटिफिकेशन का अध्ययन कर सकते हैं।
RPSC Recruitment 2020 : चयन प्रक्रिया उम्मीदवारों का चयन प्रतियोगी परीक्षा (Competitive Exam) के माध्यम से किया जाएगा। परीक्षा वस्तुनिष्ठ रूप में (Online/Offline) ली जाएगी। सभी प्रश्न वस्तुनिष्ठ प्रकार के होंगे। विस्तृत पाठ्यक्रम जल्द ही आयोग की वेबसाइट पर जारी कर दिया जाएगा।
RPSC Recruitment 2020 : आवेदन शुल्क -सामान्य, पिछड़ा वर्ग (Creamy layer) : 350 रुपए
-राजस्थान के Non-Creamy layer पिछड़ा वर्ग और विशेष पिछड़ा वर्ग : 250 रुपए
-राजस्थान के अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, दिव्यांग उम्मीदवार : 150 रुपए
-ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया की शुरुआत : 8 जून, 2020
-ऑनलाइन आवेदन करने की आखिरी तारीख : 7 जुलाई, 2020 (रात 12 बजे तक)
-फीस जमा करने की आखिरी तारीख : 7 जुलाई, 2020
नोटिफिकेशन के लिए यहां क्लिक करें
ऐसे करें अप्लाई इच्छुक और पात्र उम्मीदवार आयोग की आधिकारिक वेबसाइट rpsc.rajasthan.gov.in पर लॉग इन कर इन पदों के लिए आवेदन कर सकते हैं।
from Patrika : India's Leading Hindi News Portal https://www.patrika.com/jobs/rpsc-recruitment-2020-apply-for-school-lecturer-posts-from-8-june-6159583/
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Rajasthan PTET 2020 : आवेदन प्रक्रिया शुरू, यहां जाने पूरा प्रोसेस
शिक्षक के क्षेत्र में राजस्थान पीटीईटी बहुत बड़ी प्रवेश परीक्षा है। राजस्थान पीटीईटी 2020 का आयोजन इस बार भी गवर्मेंट डूंगर कॉलेज बीकानेर द्वारा किया जाएगा। राजस्थान पीटीईटी के लिए आवेदन प्रक्रिया 20 जनवरी 2020 से शुरू हो चुका है। राजस्थान प्री टीचर एजुकेशन टेस्ट एक स्टेट लेवल की प्रवेश परीक्षा है। राजस्थान पीटीईटी 2020 देने के लिए छात्रों के बेचलर डिग्री में कम से कम 50 प्रतिशत अंक होने चाहिए। प्रवेश परीक्षा पास करने वाले छात्रों को बीए.बीएड / बीएससी.बीएड पाठ्यक्रम में एडमिशन दिया जाता है। राजस्थान पीटीईटी 2020 की परीक्षा पैटर्न, एडमिट कार्ड, सिलेबस, आवेदन पत्र और रिजल्ट की अधिक जानकारी के लिए हमारा पूरा आर्टिकल पढ़ें। राजस्थान पीटीईटी 2020 (Rajasthan PTET 2020)
राजस्थान प्री टीचर एजुकेशन टेस्ट में छात्रों से कुल 200 प्रश्न पूछे जाते है। प्रवेश परीक्षा पास करने के लिए छात्रों को कम से कम 40 प्रतिशत अंक प्राप्त करना अनिवार्य है। राजस्थान पीटीईटी 2020 से जुड़ी जरूरी तारीखों के बारे में जानने के लिए आप नीचे दी गई टेबल देख सकते हैं।
कार्यक्रम तारीख आवेदन करने की तारीख (बीए-बीएड, बीएससी-बीएड (चार वर्षीय पाठ्यक्रम) 20 जनवरी 2020 से आवेदन शुल्क व आवेदन करने की आखिरी तारीख 2 मार्च 2020 (बीएड दो वर्षीय पाठ्यक्रम) आवेदन करने की तारीख (बीएड दो वर्षीय पाठ्यक्रम) 23 जनवरी 2020 आवेदन शुल्क जमा करने की आखिरी तारीख 6 मार्च 2020
पीटीईटी परीक्षा की तारीख 10 मई 2020
आधिकारिक वेबसाइट – http://ptetdcb2020.com
राजस्थान पीटीईटी 2020 पात्रता मापदंड उम्मीदवारों को भारत का नागरिक होना जरूरी है। शैक्षिक योग्यता बीएड में प्रवेश के लिए
उम्मीदवार ने मान्यता प्राप्त बोर्ड से वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में पास होना चाहिए। उम्मीदवारों के स्नातक में कम से कम 50% होने चाहिए। आरक्षित उम्मीदवारों के स्नातक में कम से कम 45% होने चाहिए। बीए.बीएड / बीएससी.बीएड में प्रवेश के लिए
उम्मीदवारों का 10+2 या समकक्ष पास होना जरूरी है। सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों के 10+2 में कम से कम 50% अंक होना आवश्यक है। एससी/एसटी/ओबीसी/पीडब्लूडी वर्ग के लिए कम से कम 45% अंक होना आवश्यक है। मोबाइल नंबर सही से डालें छात्र आवेदन करते समय अपना मोबाइल नंबर सही से डालें क्योंकि सभी राजस्थान पीटीईटी 2020 से जुड़ी जरूरी जानकारी एसएमएस के द्वारा दी जाएगी। बीएड के लिए योग्यता राजस्थान बीएड आवेदन के लिए सबसे जरूरी है। उम्मीदवार पात्रता मापदंड के अनुसार ही आवेदन करना। बीएड राजस्थान 2020 के लिए आवेदन करते समय बीएड की फीस का भी भुगतान करना आवश्यक है। बिना आवेदन शुल्क दिए आवेदन पत्र मान्य नहीं माना जाएगा।
आवेदन शुल्क
सभी उम्मीदवारों को 500/- आवेदन शुल्क का भुगतान करना होगा। राजस्थान पीटीईटी 2020 एडमिट कार्ड जिन छात्रों ने राजस्थान पीटीईटी 2020 के लिए आवेदन किया है। उन उम्मीदवारों के एडमिट कार्ड आधिकारिक वेबसाइट पर जारी किए जाएंगे। राजस्थान पीटीईटी एडमिट कार्ड 2020 किसी भी छात्र को पोस्ट के द्वारा नहीं भेजा जाएगा। छात्र एडमिट कार्ड जारी होने पर पीटीईटी की वेबसाइट से डाउनलोड करना होगा। इसके अलावा छात्र इस पेज से भी एडमिट कार्ड प्राप्त कर सकते हैं । डाउनलोड करने के बाद छात्र उसका प्रिंटआउट भी निकाल लें। बिना प्रवेश पत्र के बीएड राजस्थान 2020 परीक्षा देने की अनुमति नहीं दी जाएगी। उम्मीदवार प्रवेश पत्र की दो से तीन फोटोकॉपी निकलवा लें जो भविष्य में काम आ सकती है।
from Patrika : India's Leading Hindi News Portal https://www.patrika.com/jobs/rajasthan-ptet-2020-application-process-started-go-here-complete-pro-5673756/
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