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IND vs PAK: बैठे रहिए, इस साल फिर भिड़ेंगे भारत-पाकिस्तान, जय शाह ने किया ऐलान
IND vs PAK: बैठे रहिए, इस साल फिर भिड़ेंगे भारत-पाकिस्तान, जय शाह ने किया ऐलान
भारत बनाम पाकिस्तान: क्रिकेट फैन्स दिल थाम लीजिए क्योंकि एक बार फिर महाजंग की वापसी हो रही है। एक बार फिर ग्रैंड फिनाले खेला जाएगा। इस जंग में भारत और पाकिस्तान की टीमें आमने-सामने होंगी। एशिया कप का मौका मिलेगा। एशिया कप 2023 सितंबर में खेला जाना है। गुरुवार को एशियन क्रिकेट काउंसिल ने बड़ा ऐलान करते हुए टूर्नामेंट के फॉर्मेट और ग्रुप का ऐलान किया. एशिया कप का कार्यक्रम जारी जय शाह ने ट्वीट कर…
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देखते रहिए तृप्ति डिमरी और बाबिल की फिल्म क्योंकि यह है 'कलाकृति'
देखते रहिए तृप्ति डिमरी और बाबिल की फिल्म क्योंकि यह है ‘कलाकृति’
कला मूल्यांकन, अश्विनी कुमार: शून्य से शुरू होने वाली और कभी तारीफों पर खिलने वाली कला, कभी ठोकर खाकर बिखर जाती है और हर किसी पर अपनी छाप छोड़ जाती है। नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई कला के एक टुकड़े को देखना अपने आप में एक अनुभव है। 1930 पर आधारित यह कहानी धीरे-धीरे चढ़ती है, झकझोरती नहीं, एहसास कराती है कि एक बेटी का दर्द, जो चाहती है अपनी मां की खुशी, उसका प्यार… लेकिन इतना सब कुछ नसीब में नसीब नहीं…
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स्ट्रेस से रहना है दूर तो हंसते-हंसाते रहिए, तनाव आसपास भी नहीं भटकेगा अगर आपको भी हंसना-हंसाना पसंद है तो तनाव आपसे दूर रहने में ही अपनी भलाई समझेगा। जो लोग रोजमर्रा की जिंदगी में हंसते और हंसाते हैं वे तनाव से लड़ने के लिए ज्यादा तैयार रहते हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ बासेल... Source link
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युग-पुरूष डाक्टर अमरनाथ झा : बाबूक अमरनाथ भाई (आ हमर कका )
- हमर पहिल आ अंतिम भेँट
[ 124म जयंतीक शुभ अवसर पर ]
( लेखक : नागेश चन्द्र मिश्र , सेवा निवृत्त अभियंता प्रमुख )
अइ मास 16 फ़रवरी कें सरस्वती पूजा आ 21 फ़रवरी कें मातृभाषा दिवस रहैक !अही बीच साहित्यिकीक 27म बार्षिकोत्सवक शुभ अवसर पर अपन गाम नवटोल सरिसब-पाहीक परिक्रमा कय पटना जखने सँ घुरलौंह अछि - अपन बाल्यावस्थाक कतेको मधुर संस्मरण हमर मोन कें रससिक्त कयने अछि !
आइ 25 फ़रवरीक भोरे सँ पंडित अमरनाथ झा अर्थात् बाबू ( हमर पिता ) क ‘अमरनाथ भाई’ आ ( हमर ‘अमरनाथ कका’ ) मोन पड़ि रहल छथि - अंग्रेज़ी तारीख़क हिसाबें आइ सँ 124 बर्ष पहिने 25 फ़रवरी 1897 कें ( आ तिथिक हिसाबे सरस्वती पूजा दिन ) हुनक जन्म भेल रहन्हिं !
पंडित अमरनाथ झाक परिवार-गाम सँ हमर परिवार केँ की - कोना - कहिया सँ कोन संबंध-अनुबंध छैक - अइ पहेली कें अइ क्षण ओहिना रहए दिऔक - कहियो आन दिन ले !
एखन हम अपन अमरनाथ कका’क “मधुर” संस्मरण मात्रक चर्चा करब ( हुनक सारस्वत साधना, व्यक्तित्व - कृतित्व , विद्या-वैभव पर विद्वत्जन युग - युगान्तर तक हुनक विषय मे कतबो कहैत रहि जेता , हुनक ज्योति-पुंज भुवन - भास्कर जकॉं सभ दिन अक्षुण्ण बनले रहतन्हिं ! )
ई संस्मरण थिक 1952-54 कालखंडक ! हम सात बरखक रही ! हमर पिता पंडित हरिश्चंद्र मिश्र , स्पेशल ऑफ़िसर , राज दरभंगा क पद पर कार्यरत रहथि आ श्यामा मंदिर , माधवेश्वर प्रांगण सँ पूब दरभंगा राजक बँगलाक विशाल परिसर मे हमरा लोकनि शंकरपुर सर्किल सँ एलाक बाद ओतय रहैत रही ! भवनाथ कका ( कैप्टन डा. भवनाथ झा , चीफ़ मेडिकल ऑफ़िसर , दरभंगा राज हॉस्पीटल जे पंडित अमरनाथ झाक जेठ सोदर भाई रहथीन्ह ) छह नंबर बंगला , डेनबी रोड मे रहैत रहथिन्ह ! अमरनाथ कका जहिया कहियो दरभंगा अबथिन्ह , ओत्तहि डेरा रहैत रहन्हिं ! ���वनाथ कका कें ऑंखि सँ यद्यपि ओहि कालखंड मे बहुत कम सुझैत रहैन्ह , तथापि बाबू कें ततेक मानैत रहथीन्ह जे बेसी काल हमरा सभ’क खोज करै ले मोटर सँ आबि जाथिन्ह आ घंटाक घंटा बाबू सँ गप्प होइत रहन्हि ! ओ बाबू सँ की गप्प करथिन्ह - से तँ हम नहिं बुझियै , मुदा बाबू’क ‘लुटकुन’ रही , तैं , अमरनाथ कका सहित अपन भाय- बहीनि , परिवारक किछु गप-शप कान मे जायल करए ! ओही क्रम मे ई बुझल भए गेल जे अमरनाथ कका बहुत विद्वान लोक छथीन्ह , तैं बाबू कें कहलिअन्हिं जे ओ जखन दरभंगा कहियो अबथिन्ह - हमरो भेँट करा देब !
एक दिन बाबू हेड ऑफिस सँ घुरलाह तँ कहलन्हिं जे , “ यौ कुमार (हमर घरक नाम ) ! हम छह नंबर बंगला गेल रही - ओतय अमरनाथ भाई आयल छथि , हुनके भेंट करबा ले गेल रही , अहॉं दय कहलिअन्हिं , तों ओ हमरा कहलन्हिं जे काल्हि आठ बजे अहॉं कुमार कें लय कें हमर भेंट करू ! “ प्रात भेने , बाबू संग छह नंबर बंगला पहुंचलहुँ ! ओ हमर प्रतीक्षा करैत रहथि आ जखने पैर छूबि गोर लगलयन्हिं , खूब दुलार सं कहलन्हिं जे , “आइ हमर ‘चीफ़ गेस्ट’ अहीं छी ; हमरा बुझल अछि जे अहॉं कें रसगुल्ला नीक लगैए” - से कहि जे क्यो खबास रहै , ओकरा इशारा सँ किछु कहलखीन्ह ! हमर समक्ष “मधुर” सँ भरल पात्र राखल गेल आ अमरनाथ कका कहलन्हिं जे देखी , अहॉं कतेक रसगुल्ला खाय सकैत छी ! हम “मधुर” पर टूटि पड़लौंह आ ओ खुअबैत रहलाह - सभटा सधा देलियैक आ मोन पूर्ण रूप सँ तृप्त भए गेल ! ओहि बीच ओ पूरा - पूरा ध्यान रखलन्हिं जे हम कम्फ़र्ट ज़ोन में रहि हुनका सँ फ्रेंडली बनल रही ! हाथी दॉंतक बनल एकटा सनेस सेहो देलन्हिं आ फेर आबि भेँट कयल करयैन्ह , सेहो आग्रह कयलन्हिं !
कोनो सात बरखक बच्चा कें ओतेक पैघ लोक एतेक “स्पेशल ट्रीटमेंट “ देतैक - ई हमरा लेल अद्भुत क्षण तँ रहबे कैल - ह्यूमन एलिमेन्ट्सकें फॉरमेटिव स्टेजहिं सँ कोना ट्रीटमेंट देल जयबाक चाही - एकर प्राथमिक शिक्षा सेहो सहजहिं भेट गेल छल !
ओहि दिन कहॉं बुझैत रहियैक जे ई पहिल आ अंतिम भेँट छल - हुनका सँ फेर भेँट होइते, - तइ सँ पहिने , 2 सितम्बर 1955 कें भगवान अमरनाथ कका कें अपना लग बजा लेलखीन्ह !
ओहेन महान दिव्य पवित्र आत्माक मधुर स्मरण मात्र सँ मोन पंडित जयदेव क “मधुराष्टकम्”क गीत गोविंद सँ गुंजायमान होइत रहैत अछि आ अमरनाथ ककाक मधुर आशीर्वादक अमृत-गंगाक रसपान करैत भाव-विभोर भए जाइत छी !
युग - युग जीबथि अमरनाथ कका 💐💓💐💓💐💓💐💓💐💓💐💓💐💓💐💓💐👏❗️
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sunil chhetri on coronavirus: कोरोना वायरस के खिलाफ एकजुट रहिए और इस मुश्किल दौर से निपटिए: सुनील छेत्री - sunil chhetri says stay safe and united in fight against coronavirus
sunil chhetri on coronavirus: कोरोना वायरस के खिलाफ एकजुट रहिए और इस मुश्किल दौर से निपटिए: सुनील छेत्री – sunil chhetri says stay safe and united in fight against coronavirus
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सुनील छेत्री
कुआलालंपुर भारतीय कप्तान सुनील छेत्रीरविवार को एशियाई फुटबॉल परिसंघ (एएफसी) के कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई के अभियान में नजर आए। उन्होंने लोगों से इस चुनौतीपूर्ण समय से निपटने के लिए वह सब कुछ करने का अनुरोध किया, जो वे कर सकते हैं। इस महाद्वीपीय संस्था के ‘ब्रेक द चेन’ नाम के इस अभियान में उनके साथ चीन फुटबॉल संघ (सीएफए) उपाध्यक्ष सुन वेन और म्यांमा के कप्तान क्वाय जिन…
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#Chhetri#coronavirus#fight#safe#stay#Sunil#united#इस#एकजट#और#क#करन#खलफ#छतर#दर#नपटए#मशकल#रहए#वयरस#स#सनल
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https://www.youtube.com/watch?v=BYgoWLZzAc8
https://www.health.harvard.edu/blog/fully-vaccinated-against-covid-19-so-what-can-you-safely-do-2021032522230
🕉 हे कोरोना माइ 😷🤞💐👏❗️बहुत भेलै’, आब कृपा करू ‼️🕉
( लेखक: नागेश चन्द्र मिश्र )
सैंतीस दिन पूर्व 04/03/2021 कें आई.जी.एम.एस . पटनामे दुनू प्राणी #कोविशिल्ड वैक्सीनक पहिल डोज ल’के जखन आयल रही , तँ लागल रहे , ‘आज जमीं पर नहीं है कदम’ 👉अपन पटना - बिहार - भारत ...की अमेरिका, की यूरोप - “ सारे जहॉं से अच्छा हिन्दुस्ताँ हमारा “ साकार भेल रहय ! सभ डॉक्टर्स, स्टाफ़ , सिस्टर्स , सिक्योरिटी गार्ड हरेक गेट पर एक्कैस तोपक सलामी संग ‘बियालसी’ प्रणामी देने रहथि ; सभकेँ भूरि - भूरि प्रशंसा कय 🌟 🌟 🌟 🌟 🌟 फ़ाइव स्टार कमेंट्स कयने रही - ओहो कम बुझि पड़ल रहए , सेवन वा नाइन स्टार देबाक इच्छा भेल रहए ! डॉक्टर्स - स्टाफ़ कहने रहथि , ‘मैसेज- वेसेज का इंतज़ार नहीं कीजियेगा, 28 दिन के बाद दूसरा डोज़ लेने चले आइयेगा ‘ !!
किछु दिन’क बाद सचिव , स्वास्थ्य विभाग, भारत सरकारक निर्देश भेल , “कोविशील्ड जो लिये हैं , उसका दूसरा डोज़ छ: हफ़्ते से आठ हफ़्ते के बीच ले लें “ ! बिहार सरकार फ़ुल पेज इश्तहार निकाललैन्ह , “ कोविशिल्ड की दूसरी डोज़ : चार हफ़्ते से आठ हफ़्ते के बीच ले लें ! “ जे लोकनि मात्र चारि हफ़्ता के बाद दोसर डोज़ लए लेने रहथि, कहलन्हिं, ‘ जाइये न , दे देगा ‘ ! किछु मित्र , सर- सम्बन्धी कहलन्हिं, “ 42 दिन से पहिने जायब , तँ घुरा देत ; बेकार जायब !” हेल्पलाइन 1075 लगौलहुँ , ओ कहलन्हिं, “ पहला डोज़ लेने के बाद चार हफ़्ते से आठ हफ़्ते के बीच कभी भी जा सकते
हैं, नियम यही कहता है ! “ अइ कैच -22 स्थितिक बीच हमर छोट बालक सपरिवार पटना अबैत गेलाह - अइ सुखद संयोगक कारण कोरोनावायरसक सेकेण्ड वेभ ; गेल छलाह बेंगलुरु , अपन बालक कें होस्टल पहुँचबैले - जहिये पहुँचैत गेलाह - वार्डेन कहलखिन्ह , कर्नाटक सरकार का ऑर्डर आज ही आया है , “ऑफ़लाइन क्लासेज़ बीस अप्रैल तक सस्पेण्ड रहेगा , कैम्पस होस्टल रूम से आपका लड़का ऑनलाइन क्लास ए��ेण्ड कर सकता है “ ! तीन दिन विद्यार्थी कोरोन्टाइन रूम मे रहलाह , तावत देखलखीन्ह जे घंटा दू घंटाक बाद हेंजक हेंज कैम्पस स्टूडेंट्स अपन - अपन गार्जियन सभ’क संग होस्टल सँ वापस अपन - अपन घर वापसी कय रहल अछि ! दुइये दिन में 500 विद्यार्थी लगभग घर वापसी कय नेने रहथि , तर्क रहैक , ‘जब ऑनलाइन क्लास ही करना है , तो होस्टल में क्यूँ रहना , घर से ही जैसे पिछले आठ - दस महीने से कर रहे थे , दूसरे सेमिस्टर तक वही सही ! ‘कहलियन्हिं , पता नहिं , कहिया तक कोरोनाक सेकेंड वेभ रहतैक , विद्यार्थी कें लयके एत्तै चल अबै जाउ , सिचुएशन यावत धरि सुधरतै, तावत् अहूँ सभ एत्तै से ऑफिस आ क्लास करब ! हमरा दुनू गोटाक सौभाग्य जे धीया - पूता सभ हमर सभ’क कहल मानि गेलाह आ पटना चल अबै गेलाह !
अस्तु , आब फेर कोविशिल्ड भैक्सीन प्रकरण पर आबी ! सर्वसम्मति सँ निर्णय भेल जे हम दुनू गोटा कोविशिल्ड दोसर डोजक रजिस्ट्रेशन करा ली , आ बालक पहिल डोज़क रजिस्ट्रेशन करा लेथु ! पहिल डोज़ बला हमर सभक रजिस्ट्रेशन बालकक सौजन्यसँ भेल छल ! भगवती’क कृपा कहू जे दिनांक 10/04/2021 क शुभ दिन हम , हमर पत्नी आ बालक - तीनू गोटाक रजिस्ट्रेशन आई. जी . एम. एस. पटना में 9-11 दिन क स्लॉट में कन्फर्म्ड भ’ गेल !
लगभग दस बजे दिन तीनू गोटा अपन - अपन आधार कार्ड क कॉपी लय आई. जी. एम. एस. क विशाल कोविड वैक्सीनेशन सेंटर पहुँचलहुँ ! ओतुक्का हुलि - माइल देखिये के सटक सीताराम हुअए लगलौंह ! विशाल जन समूह - तैयो , जेना पहिल बेर खूब कंफिडेंस सँ एक गेट - दोसर गेट - तेसर गेट टपि के वैक्सीनेशन हॉल में पहुँचल रही , ताही मुद्रा में गेट सभ पार करय लगलौंह ! पहिले गेट पर बरका मोंछ बला सिक्योरिटी गार्ड हमरा पाछू ओहिना दौड़ल जेना हनुमान जी कें लंका प्रवेश करै काल दौड़ल रहन्हि , “ कहॉं बाबू साहेब जैसा आगे बढ़े जा रहे हैं , रूकिये; चलिये , वापस बाहर जाइये “ - सिक्योरिटी गार्ड हुड़कल ! मोबाइल पर आयल एप्वांइंटमेन्ट मेसेज आ आधार कार्ड देखौलियैक, तैयो नइँ मानलक ! हमर बालक अपन पिताक दुर्गति देखि सिक्योरिटी गार्ड कें कहलखीन्ह , “ आप इस तरह से क्यों बात कर रहे हैं , काग़ज़ तो ले लीजिए और डॉक्टर साहब से पूछिए, यदि वे वापस जाने के लिये कहेंगे , तो लौट जायेंगे “ ! मोंछ वला सिक्योरिटी गार्ड कने नॉर्मल भेलाह आ पूछलन्हिं , “ फ़र्स्ट डोज है कि सेकेंड डोज? “ ; कहलियैक , “ सेकेंड डोज “ ; फेर पुछलक , “ पहला डोज कब लिये थे ?” कहलियैक, “ चार मार्च को “ ; फ़ाइनल ��र्डर देलक , “ 42 दिन पूरा हो जाने के बाद आइयेगा, आज नहीं होगा , जाइये बाहर “ , हॉं , पहला डोज वाले , आप रूकिये, बाहर इंतज़ार कीजिए ! “ कहलियैक, “ काग़ज़ तो हम तीनों का रख लीजिए, नहीं होगा तो लौट जायेंगे “ ! ओ सिक्योरिटी गार्ड हमर तीनू गोटाक आधार कार्ड राखि लेलन्हिं आ हम सभ बाहर आबि वेटिंग हॉल मे ल्वायटरिंग करय लगलौंह ! किछुए कालक बाद विशाल जनसमूह सिनेमा हॉलक हाउसफ़ुल वातावरण में मारा - पीटी सन माहौल बनबय लागल! बीच - बीच में , मोंछ वला सिक्योरिटी गार्ड...गेट पर आबि इजलास पर जेना मोअक्किलक नाम लय कें हाकैत छैक , तहिना ...हमर बालक कें नाम लय के सोर पाड़लकैन्ह ! ओ अपन फ़र्स्ट डोज लेबाक हेतु भीतर प्रवेश कयलन्हिं! हम दुनू गोटा अही सँ तृप्त भ’ गेलहुँ , “ चलू, अपने दुनू गोटा कें आइ नहिं वैक्सीन पड़ल , तँ कोनो बात नहिं , फेर आन दिन आबि जायब - कम सँ कम , बालक कें तँ फ़र्स्ट डोज पड़ि जेतैन्ह - संतोषक अनुभव भेल !
तावत , हमर आ पत्नी - दुनूक नाम सोर पाड़लक ; दौड़लहुँ आ दुनू गोटा कें गेट नंबर एक पार कराके , कॉरिडोर में मोंछ वला सिक्योरिटी गार्ड कुर्सी पर बैसौलन्हिं ! भीतर सँ बालक मेसेज कयलन्हिं, ‘ हमरा टोकन भेटि गेल अछि - पन्द्रह मिनट में हमर वैक्सीनेशन भ’ जायत ; अहॉं दुनू गोटा कें आइ नहिं हैत , दे आर वेरी स्ट्रिक्ट ऑन फ़ोर्टी टू डेज़ गैप ‘ ! पत्नी कहलन्हिं, चलू, घूरि चली , बेकार कियैक बैसल छी “ ? कहलियन्हि , “बैसल रहू ने , कम सँ कम आराम सँ कुर्सी पर तँ बैसल छी , डॉक्टर साहब नै देताह भैक्सीन, तँ वापस चल जैब ! “ एम्हर , बाहरी गेट पर अपार जनसमूह आ मोंछ वला सिक्योरिटी गार्ड में झगड़ा होअए लगलैक आ जेकरा सभकें भीतर प्रवेश भेटि गेल रहैक , ओकरा सभकें भैक्शीनेशन हॉल क वेटिंग कॉरिडोर में प्रवेश कराय , मुख्य द्वार कें बन्द करय पड़लैक ! ऐडिशनल पुलिस फ़ोर्स क तैनाती सेहो भ गेलैक ! हमरा दुनू गोटा जेना बाबा विश्वनाथ/ वैद्यनाथक “गर्भगृह (सैंक्टम सेक्टोरम)” में प्रवेश भेटि जाइत छैक - हमरो दुनू गोटा कें महादेव कें जल ढ़ारबाक अवसर प्राप्त भए गेल ! कॉउन्टर पर डॉक्टर पंडा पुछलैन्ह , “ सेकेंड डोज है ? कहलियन्हिं , जी ! कम्प्यूटर पर देखय लगलाह , “ यहीं लिये थे ? “ जी ! कब ? कहलियन्हिं , चार मार्च को ! तुरंत , दुनू गोटा कें टोकन हाथ में दय देलन्हि आ एक्को मिनट नहिं लागल हैत , सिस्टर दुनू गोटाकें दोसर डोज़ कोविशिल्डक भैक्सीन बहुत आदरपूर्वक देलन्हिं ! महादेव - पार्वती कें जल ढ़ारि सुपरविजन हॉल दिस प्रस्थान करैत गेलहुँ ! 🕉 जय बाबा वैद्यनाथ 👏❗️🕉 जय बाबा विश्वनाथ 👏‼️इति कोविशिल्ड पुराण महात्म्य द्वितीय सर्ग: समाप्तम्🤞😷🙏🏽
मोरल : ‘कर्मण्ये वाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन:’ ��ंग इहो नै बिसरबाक छैक जे कोरोनावायरसक महामारी क कैक टा आओरो वेभ कहिया - कतय - कोना .....बेर - बेर घूरि- फूरि कें कोन वैरियेंट में अबैत रहत , अइ पर कोनो वैज्ञानिक- डॉक्टर- साइंटिस्ट - सरकारक वश में ई सभ नहिं एखन धरि अयलन्हिं अछि , तैं , मास्क - दू गज की दूरी आगुओ ज़रूरी रहत ! संगहि , गार्गलिंग - गर्म पानि सँ स्नान - भाप - बेटाडाइन - पैरासिटामॉल - बिकोजिंक - डेटॉल - सैनिटायजर वग़ैरह - वग़ैरह घरेलू उपचार सभ सेहो चलिते रहत !
हमर आपबीतीक संग , चेतन भगतक ब्लॉग ; डा. के. के . अग्रवालक विडियो ; आ हारवर्ड हेल्थ इंस्टीट्यूटक इंटरव्यू - तीनू संलग्न अछि , जे बहुत उपयोगी लागत ! आ हमर सभक देशक प्रधानमंत्री आदरणीय नरेन्द्र मोदी जी तँ समय - समय पर मार्गदर्शन करिते रहैत छथि ( जिनकर प्रमुख प्रतिद्वंद्वी यथा श्रीमान राहुल गांधी जी इत्यादिक गारि- सराप )- हुनकर लोकनिक स्टेटमेण्ट- चुनावी स्टंट आ आइ.पी. एल.क नोसि लैत रहू , चरैवेति चरैवति 👏 ❗️🕉 श्री १०८ भगवती सभक कल्याण करथुन्ह 🇮🇳 जय हिन्द 🇮🇳👏‼️
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विषय : साहित्यिकीक प्रेरणा-पुरूष साहित्यरथी डा. जगदीश मिश्र अभिनन्दनग्रंथक लब्धप्रतिष्ठ सम्पादक आ मूर्द्धन्य साहित्यकार डा. श्री भीमनाथ झा जी सहित आयोजन समितिक प्रति हार्दिक कृतज्ञता - ज्ञापन आ किछु अपन उद्गार !
( श्री नागेश चन्द्र मिश्र , सेवानिवृत्त अभियन्ता प्रमुख , ग्राम : नवटोल ( सरिसब- पाही पश्चिम , ज़िला : मधुबनी द्वारा लब्धप्रतिष्ठ साहित्यकार प्रो. डा. भीमनाथ झाकेँ सम्बोधित पत्र )
स्वस्ति श्री भीम भाई 💓, सादर प्रणाम 🙏🏽
की कहू - कतय सँ शुरू करू , से विचारय लगलहुँ - सामने ठाढ़ भेटला हमर पितामह पंडित जीबछ मिश्र जे अहांक माथ पर दुनू हाथ रखने शत-शत शुभाशीष दैत भाव विह्वल छलाह ; पूछलियन्हिं , “बबा ! हिनका पर एतेक प्रसन्न कियैक छियन्हिं ?” ओ बजलाह , “ मैथिली भाषाक उन्नति लेल जे - जे काज निआरने रही आ नहिं भए सकल रहए - से सभ हमर मातृक कोइलखक मातृकुलक चौबीस कैरेट सुच्चा चिरंजीवी भीम बच्चाक नेतृत्व मे गति पकड़ि रहल छैक ; भीम बाबू साहसी आ स्पष्ट वक्ता छथि ; बिना लाग-लपेट के जे कहबाक रहै छन्हिं , से सभ कहै छथीन्ह ; हिनक वाणी आ लेखनी मे ओज, लय , गति , छंद , ताल सभटा छन्हिं आ जे बजैत छथि , लिखैत छथि - सैह करितो छथि ; हिनक निश्छल वाणी - लेखनी मे असीम ऊर्जा आ साक्षात् सरस्वतीक सुवास छन्हिं “❗️
बाबा कें आत्मानुभूति भेल रहन्हिं आइ सँ लगभग पॉंच बरख पहिने जानकी नवमी तदनुसार १५ मई , २०१६ ( हुनक सुपुत्र पंडित हरिश्चन्द्र मिश्रक १०८म जयन्ती ) दिन जहिया हुनक दरवज्जा ग्राम नबटोल ( सरिसब - पाही ) अहॉं आबि साहित्यिकीक छाहरि त’र अनेकों सारस्वत-साधकक उप��्थिति मे श्रद्धेय पंडित गोविन्द झाक अध्यक्षता मे सुसम्पन्न डा. रमानन्द झा ‘रमण’ द्वारा संपादित पोथी “मैथिलीक प्रथम उपन्यासकार पं. जीबछ मिश्रक रचनावली”क विमोचन करैत अपन सारगर्भित अभिभाषण सँ सभ कें चमत्कृत कय देने रहियैक ‼️
अहॉंक विद्वताक विषय में आदरणीय जगदीश भाई ( प्रो.डा. जगदीश मिश्र ) आ ‘छोटकी बहीन’ ( डाक्टर नीरजा ‘रेणु’ ) कहने तँ पहिनहुँ रहथि , किन्तु पहिल साक्षात्कार ओही दिन भेल रहए आ हम अहॉंक विद्वतापूर्ण भाषण सुनि नतमस्तक भए गेल रही ! तहिये सँ निआरने रही जे अहॉंक ओहि ठाम जाय भेँट कए कृतज्ञता प्रगट करी - अहॉं सँ आशीर्वाद ली , मुदा जे से - कोनो कारणवश ओम्हर नहिं जा सकलहुँ !
श्री १०८ भगवतीक कृपा कही जे जनवरी,२०२१ क अंतिम सप्ताह मे छोटका ओझा ( श्रद्धेय डाक्टर किशोर नाथ झा )क कुशल -क्षेम बुझबाक हेतु फ़ोन लगौलहुँ - ओ मुंबई प्रवास मे रहथि ; आ हुनकासँ पता लागल जे दिनांक १७ फ़रवरी २०२१ कें साहित्यिकीक २७म बार्षिकोत्सव मे आदरणीय जगदीश भाईक अभिनन्दन समारोह आयोजित अछि ! मोन बड्ड प्रसन्न भ गेल आ भगवानक पूजा काल अनुभूति भेल जेना हमर पिता आदेश दय रहल होथि जे ओहि शुभ अवसर पर उपस्थित भए हुनकर शुभाशीष संसूचित करबा ले जगदीश भाई कें प्रणाम करिअन्हिं ! दू बर्ष पर स्वतः संचालित डेग गामक कुलदेवीक चिनमार दिस बढ़ैत चल गेल आ ओहि समारोह मे अहां सभ लोकनि सँ ( सेहो अहॉंक शुभ जन्मदिन पर ) भेँट कय धन्य भए गेलहुँ - मोन गद्गद भए गेल ! घुरती बेर अहू बेर निआरलहुँ जे दरभंगा मे थोड़बो काल ले अहॉंक आवास पर भेंट करी ( अहॉं कें अपन इच्छा सँ अवगत सेहो करौने रही ) , मुदा बहुत देरी भए गेल छलैक ,तैं सोझे पटना आबय पड़ल आ अहू बेर अहॉंक दरवज्जा पर हाज़िर नहिं भए सकलहुँ , तेकर कचोट रहिए गेल ! देखी , आगू कहिया एहेन संयोग बनै छैक !
पटना घुरला पर बाबूक एकटा पुरान डायरी भेटल जाहि पर हम बाल्यावस्था मे अपन नाम - पता लिखने रही ! ओहि डायरीक किछु पन्ना पर प्रात: स्मरणीय मही कका ( जगदीश भाईक पिता ) जखन दरभंगा डेरा पर कहियो आयल छलाह - ओहि कालावधि’क ( पचासक दशक ) , हुनक मोती सन अक्षर मे किछु पद्य लिखल भेटल जे अहॉंकें प्रेषित करबाक मोन भेल ( चि. अनुरागक व्हाट्सऐप पर सेहो प्रायः कहियो पठौने रहियन्हिं ) ! तुरंत चि. अनुराग सँ अहॉंक व्हाट्सऐप नंबर लेलहुँ ।
मही ककाक लीखल ओ पन्ना सभ यथावत् ‘कॉपी आ पेस्ट’ कय रहल छी जे नि��्नांकित अछि ( जाहि संग एकटा पन्ना पर हमर छोटका ओझा डॉक्टर किशोर नाथ झाक हस्ताक्षर मे लिखित श्लोक सेहो भेटल )
एही क्रम मे , अहॉंक कुशल संपादन में प्रकाशित “साहित्यरथी डा. जगदीश मिश्र अभिनन्दन ग्रंथ” पढ़ैत काल साहित्य अकादमी पुरस्कार सं सम्मानित ( १९७५ ) पंडित गिरीन्द्र मोहन मिश्र द्वारा रचित हुनक आत्मकथा , “किछु देखल किछु सुनल” पर अहॉंक लीखल समीक्षा पर नज़रि पड़ल - एक्के सॉंस में पूरा लेख पढ़ि गेलहुँ आ “मिसर जी”क साक्षात् दर्शन भेल !
मिसर जीक परिवार सँ हमर परिवारक अनुबंध जन्म - जन्मान्तर सँ एखनो धरि बनल अछि ! हमर पितामह पंडित जीवछ मिश्रक अनुज चिरंजीव बाबू ( जे दुर्भाग्यवश अल्पायु भेलाह ) हमर कुलक पहिल लॉ ग्रेजुएट छलाह - ओ , मिसर जी आ लक्ष्मीकान्त बाबू , पूर्व चीफ जस्टिसक सहपाठी आ रामदयालु बाबू ( पूर्व स्पीकर , बिहार विधानसभा ) क ‘ट्यूटर’ रहथीन्ह । बाबाक जेनेरेशनक बादो, मिसर जीक धीया-पूता मे क्यो-ने-क्यो ( हुनक सुयोग्य बालक लोकनि , कन्या, पौत्र-पौत्री, नाति-नातिन सहित ) - हमर परिवारक कोनो ने कोनो सदस्यक बालसंगी जरूर रहलखीन्ह अछि आ से मधुर संबंध एखनो धरि बनल अछि ! जहॉं तक दरभंगा राजक ज़मींदारी आ ज़मींदारी समाप्तिक बादक कालावधिक राज-काज देखने छियैक, बाल्यावस्था मे एहनो युग देखलियैक - जाहि लेल ई कहब कोनो अतिशयोक्ति नहिं होयत जे , दरभंगा राज हेड आॉफिसक पूरा प्रबंधनक धूरी ( खास कय कें महाराज साहेब यावत पर्यन्त जीबैत रहलाह ) , “मिसर जी - ‘एम साहेब’-‘एस.ओ. साहेब-सह-पी.ए.साहेब’ त्रिमूर्ति” पर मुख्य रूपें केंद्रित रहि संचालित होइत देखने छी ! बाल्यावस्था मे हिनका लोकनिक राज हेड ऑफ़िसक भव्य सुसज्जित ऑफिस चैम्बर ( जेतय , अखन ललित नारायण विश्वविद्यालयक कोनो प्रतिष्ठित अधिकारी लोकनिक चैम्बर हेतन्हिं ) सँ ल’के हिनकर सभ’क बंगला सहित समस्त दरभंगा राजक सभ पैलेस सभ मे बेरोकटोक प्रवेशक अनुमति हमर परिवारक सभ सदस्यक लेल बनल रहल ! हम आ दोस (शैलेश चन्द्र मिश्र) समस्त दरभंगा राजक पैलेस - उद्यान - जंगल-झाड़ मे छुट्टा बड़दक जोड़ा जकॉं ‘चरने-धंगने’ छी ( ओही क्रम मे आनन्द बाग पैलेस पर चढ़ि - छड़ैप-कूदि - स्पायरल सीढ़ीक सहारा नेने - ओकर घड़ी-घंटा आ टावरक विशाल घड़ीक सूईयाक साइज़ , व्यास - त्रिज्या तक नपने छी ) ; तै दुआरे , हमरा सन ‘ओ नेना’ जे मिसरजी सन महान व्यक्तित्व कें एतेक ल’ग से अपन बाल्यकाल ��े देखने छैक -ओकरा लेल ओहि दिव्य पुरुषक विषय मे किछु कहब ‘सूर्य कें दीप’ 🪔 देखौनाइ भए जायत ! मात्र एतबे कहब जे अहॉं मिसर जी कें थोड़ेक दूरो से देखि-सुनि आ पढ़ि हुनका विषय मे जे किछु लीखल अछि - मिसर जीक व्यक्तित्व आ कृतित्व पर एहि सँ नीक समीक्षा एतेक थोड़ शब्द मे प्राय: नहिं लीखल जा सकैत छलैक !
एही क्रममे मिसर जी सन महान आत्माक एकटा दिव्य प्रसंग मोन पड़ि गेल ! हमर पिता पुछलखीन्ह, “मिसर जी , अपने नीकें छियैक ने ?” मिसर जी अपन दिव्य उज्ज्वल ललाट - श्वेत धवल केस - परिवेश मे आराम कुर्सी पर बैसल बिहुंसैत बजलाह , “हरिश्चन्द्र बाबू , हम स्वस्थ तँ छी , मुदा अवस्था तँ बेसी भैये गेल अछि - एहना मे , हमर पुरान शरीर ई पुरान धोती जकॉं कतय सँ कखन ‘मसैक’ जेतैक - से तँ बुझबो ने करबैक ❗️” ई मात्र एकटा वाक़या आ वाक्य मिसर जीक ‘ विजन स्टेटमेंट ‘क सम्पूर्ण परिचय देबा लेल पर्याप्त अछि ! जीवन - पर्यंत मिसरजी अपन अपार धैर्य कें ओहने जोगा कें रखने रहलाह मानू , “गॉड्स इन हिज हेवेन, ऑल्स राइट विद द वर्ल्ड “ - ‘ने दौड़ चली , ने ठेस खसी ‘ ; तैं , हम जे थोड़-बहुत बुझलियैक , श्रद्धेय मिसर जी कें कहियो एक्कोटा मामूलियो खरोंच तक नहिं लगलन्हिं आ हुनक कीर्ति पताका दिगदिगन्त तक फहराइत रहलन्हिं - स्वयं ओतेक भाग्यशाली छलाह ओ - युग युग जीबथु मिसर जी 💓💐🙏🏽‼️
आब, पुन: साहित्यरथी डा. श्री जगदीश मिश्र अभिनन्दनग्रन्थ मे प्रकाशित अन्य सभ रचना पर आबी ! पोथी कें स्वादि-स्वादि पढ़बाक हमर क्रम जारी अछि !हम कने ‘स्लो रीडर’ छी , त��ं जेना - जेना पढ़ने जायब , आगुओ जे किछु कहबाक इच्छा होयत , ज़रूर कहब !
पोथीक आकर्षक साज-सज्जा आ सुन्दर संयोजन लेल अत्यंत मेधावी , सुयोग्य आ बहुमुखी प्रतिभाक धनिक प्रो. डा. अजित मिश्र सहित संपूर्ण संपादक मंडलक प्रति हृदय सँ आभार प्रगट करैत छी !
साहित्यिकीक यशस्वी अध्यक्ष आदरणीय प्रो. डॉक्टर विद्यानन्द झा आ सतत परिश्रमी ,लगनशील कर्तव्यनिष्ठ सचिव चि. उदय बाबू सहित साहित्यिकी परिवारक प्रत्येक सम्मानित सदस्य आ महाराजा लक्ष्मीश्वर सिंह महाविद्यालयक प्राचार्य ,सभ शिक्षक आ स्टाफ जे साहित्यिकीक २७म बार्षिक अधिवेशनक भव्य समारोहक एहेन दिव्य आयोजनकें सफल बनौलन्हिं - सभ कें बधाई!
ओ सभ विशिष्ट गणमान्य विद्वत्जन , सारस्वत साधक जे लोकनि मंचक शोभा बढ़ौलन्हिं , सभ’क प्रति कृतज्ञता प्रगट करैत छी ; संगहि सभ स्नेहिल गुरूजन - श्र��ष्ठजन , कइयेक दशकक बाद ओ बालसंगी सभ जिनका सँ भेँट कय धन्य भेलहुँ , सकल बंधु-बांधव , भाई - बहिन , धीया - पूता आ सभ उपस्थित सज्जनवृंदक प्रति आभार प्रकट करैत छी !
सरिसब-पाही ( पश्चिम )क मुखिया जी प्रिय राम बहादुर चौधरी जी कें हम विशेष रूपें धन्यवाद दैत छियन्हिं जे विशुद्ध सामाजिक कार्यकर्ताक आ साहित्यिकीक सक्रिय सदस्यक रूपमे प्रत्येक क्षण एकटँगा देने एहि भव्य कार्यक्रम कें सफल बनेबाक हेतु अंत तक ठाढ़ रहलाह !
गामक कुलदेवीक दर्शन भेल ; श्रद्धेय बौए लाल काका ( अमरनाथ कका जे श्री १०८ भगवती’क कृपा सँ ‘शरद:शतम्’ छथि ) , भौजी ( भाई जी ) , आदरणीय जगदीश भाई - भौजी आ सभ श्रेष्ठजन’क आशीष पौलहुँ ; परिवारक सदस्य,चि. अनुराग , चि. गिरीश सहित सभक स्नेह भेटल ;मोन गद्गद अछि - गाम’क ई सुखद यात्रा चिरस्मरणीय रहत !
अंत मे , पुनः ओत्तहि आबि जाइ - जेतय सँ शुरू कयने रही ! अप्पन बाबा ( पंडित जीबछ मिश्र ) आ पिता ( पंडित हरिश्चंद्र मिश्र )क अमर आत्मा सँ एक -एक गोट जिज्ञासा केना गेल !
पुछलियन्हिं , “ बाबा 🙏🏽, मैथिली भाषा आंदोलनक विषय मे सौ - सवा सौ साल पहिने अहॉं कहने रहियैक :
“...हमरा कहबाक जे मैथिल महासभाक प्रबन्धकर्ता उचित कहनिहारकेँ अवज्ञा कए एतबा विचार करथु जे एहिमे दोष केकर ? आबहुँ जँ महासभाक धुरंधर संचालकगण हमर विनीत प्रार्थना बुझथि तँ ‘गेलो पानि बान्ही आरि’ - एहि लोकोक्तिक अनुसार शान्त भावेँ अपन दोष मानि , मिथिलास्थ आन - आन सभाकाँ ‘मैथिल महासभा’मध्य मिलाए चारू वर्णक उक्त सभा कए सकथि तँ अति हर्ष छल l अगत्या मिथिला भाषाकॉं विश्वविद्यालयमे उचित स्थान ओ स्वत्व शुभकामनासँ आन सभा द्वारा पृथको प्रार्थना-पत्र पठबाए मिथिलाक मंगलकामी
बनथु, अन्यथा अकृत कार्य भेलासँ हमही नहिं , किन्तु मैथिलसँ अतिरिक्तो जाति उपहास कए कहतएन्ह जे की औ ! मिथिला भाषा चलल ...???”
( ‘दोषी के ?’ : पंडित जीबछ मिश्र,मिथिला मोद , उद्गार सं 100 )
उपरोक्त उक्तिकेँ जँ मैथिली भाषा आन्दोलनक शिलालेख ( बेंचमार्क ) मानि ली , तँ ...सौ - सवा सौ सालक बाद ...आइ पर्यंत ... बाबा ... अहॉंक दृष्टिकोणसँ मैथिली भाषाक दशा - दिशा केहना बुझना जाइछ ...आ...अहॉं ..भीम भाईकेँ , जगदीश भाईकें , मैथिलीसेवी सभ जन आ संस्थाकेँ , गाम-घर-समाजकेँ , साहित्यिकीकेँ, देश-प्रदेशक सरकारकेँ , अपन धीया-पूता-हमरा सभकेँ किछु कहए चा��ब ❓”
बाबा बिहुँसि किछु बिचारय लगलाह आ मात्र एतबे बजलाह :
“...सभ लोकनिकेँ हमर शुभकामना आ अशेष आशीर्वाद कहियैन्हि ! मीन-मेष निकालनाइ आ टीका - टिप्पणी कएनाइ बहुत आसान छैक - आ असली काज केनाइ ओतबे कठिन ! अनका दिस एक औँगड़ी उठौलासँ अहॉं दिस तीन औँगड़ी स्वत: उठि जायत , तैं ...पहिने अहॉं सभ अपनाकेँ नीक जकॉं थाहि लेब , तखन .....अहॉं सभ किदनतँ कहए छियैक ...हँ , मोन पड़ल , ‘व्हाइट पेपर’ - से प्रस्तुत करब आ हमरा पढ़ि सुनायब - तखने अगत्या किछु हम कहब ! हँ ...इहो कहब जे अहॉं अपने आ अहॉंक धीया-पूता सभ मैथिली बजैत छथि - मैथिली लिखैत छी - मिथिलाक्षर तिरहुता पढ़ए अबैए - लिखय अबैए ? एतेक बर्षमे कय गोट अखबार मैथिलीमे रोज़ाना प्रकाशित होइत छैक ....हमर फ़ेहरिस्त बहुत लंबा भए जायत , तैं ...अहॉं सभ क्यो ख़ूब नीक जकॉं सोचि - बिचारि , मैथिली भाषाक दशा-दिशा सम्बन्धित सभ आवश्यक विन्दु पर नीक जकॉं ‘ग्राउंडवर्क’ कय ‘व्हाइट पेपर’ प्रस्तुत करब - तखन फेर हमरा सँ भेँट करब !”
‘बाबा-पौत्र’क उपरोक्त संवाद ...बाबू ( हमर पिता ) खूब ‘इंज्वाय’ कयलन्हिं आ हँसय लगलाह ! हुनकासँ पुछलियन्हिं , “बाबू ! अहॉं तँ स्त्री - शिक्षा आ ‘जेन्डर मेनस्ट्रिमिंग’क ‘ऐडवोकेसी’ जीवन - पर्यंत करैत रहि गेलौंह , सभ बेटी - पुतौहकेँ पढ़बा - लिखबाले , खूब योग्य बनेबाक लेल सतत लागल रहलौंह ! तैं , एहि दिशामे पछिला सत्तरि-अस्सी सालमे अहाँक दृष्टिएँ , अद्यावधि, अपने सभ’क समाज कतेक उन्नति कयलक अछि ?
बाबू उपरोक्त प्रश्नक बिना किछु उत्तर देने , हमरेसँ प्रतिप्रश्न कयलन्हिं,
“ कुमार ! अहॉं तँ अपनहिं गाम - सरिसब-पाही आबि हमर प्रिय शिष्य चि.जगदीशक सम्मानमे आयोजित साहित्यिकीक 27म बार्षिक समारोह ‘एटेंड’ कयलौंह - ओहि समारोहमे कए गोट ‘जानकी - भारती - गार्गी - भामती’ कें आमंत्रित कयल गेलन्हि आ के सभ अयलीह - से अहीं हमरा पूरा रिपोर्ट दिअ ; अहॉं तँ अपन सरकारी नोकरीक अवधिमे ....अनगिनत ...ग्राम - ज़िला - प्रदेश - देश - अंतरराष्ट्रीय स्तरक सरकारी समारोह आयोजित कयने छी - बहुतो देश-प्रदेश जाय विज़िट कयने छी - ओकर तुलनामे अपनहिं सभ विचारि ...कहू ?”
हम बाबा आ बाबूकें प्रणाम कय पुन: आगुओ मार्गदर्शन देबाक आग्रह कयलियन्हिं !
हमर मोन टॉंगल अछि , आइ 14 मार्च 2021 , रविवार दिन गाममे जगदीश भाईक ओतय साहित्यिकीक बैसार पर ! तैं , भीम भाईकें सम्बोधित पत्रक भाषा जगदीश भाई सँ सुधारबाक हेतु चि. अनुरागक मार्फ़त एहि पत्रक प्रारूप ई-मेल / व्हाट्सऐप ��य अनुरोध कय रहल छियन्हि जे साहित्यिकीक बैसारमे हमर उद्गारकें ‘कोग्निजेन्स’ लैत हमरो उपस्थिति दर्ज कयल जाय ! संगहि, जगदीश भाईसँ एहि पत्रक भाषामे आवश्यक संशोधन कय पीडीएफ़ फ़ॉर्मेट मे हमरा ईमेल / व्हाट्सऐप करबाक कष्ट करथु !
अपन औँगड़ीकेँ विराम दैत हम आब चललहुँ , स्नान - ध्यान - पूजा पाठ करै ले 🙏🏽।
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