#रम ब्रांड
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क्रिसमस 2022: उत्सव की भावना का जश्न मनाने के लिए भारत में उपलब्ध सर्वश्रेष्ठ रम ब्रांडों में से 5
क्रिसमस 2022: उत्सव की भावना का जश्न मनाने के लिए भारत में उपलब्ध सर्वश्रेष्ठ रम ब्रांडों में से 5
क्रिसमस उत्सव के बारे में है और यह रम की बोतल के बिना अधूरा रहता है। रम का व्यापक रूप से मौसम के दौरान सेवन किया जाता है। यह तरल, या तो पारदर्शी या गहरे अंबर रंग का होता है, जिसे गन्ने के रस या गन्ने के गुड़ से बनाया जाता है। शीतल पेय या सिर्फ पानी या कॉकटेल के रूप में हो, हम इस मजबूत भावना का अधिकतम लाभ उठाना पसंद करते हैं। वह सब कुछ नहीं हैं। रम क्रिसमस-स्पेशल प्लम केक और चॉकलेट-वाई रम बॉल्स…
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हां ! यह है विश्व विख्यात ब्रांड जिहादl
आए दिन हजारों छोटे-छोटे ब्रांडस भारत में फैल रहे हैं l जो खासकर खाद्य (प्रोडक्ट्स) पदार्थों में अपना-अपना हाथ-पांव जमा रखे हैं l
आओ खाओ-पियो (रासायनिक) और डॉक्टर से संपर्क बढ़ाओ l
* इंपॉर्टेंट चॉकलेट से लेकर बिस्किट-ब्रेड-बटर तक l
* पैक्ड दूध-पानी से लेकर पनीर तक l
* बर्गर-पिज़्ज़ा से लेकर मोमोज-पास्ता तक l
* चाय-पत्ती-कॉफी से लेकर शुगर फ्री लिक्विड तक l
* सोडा-कोल्ड ड्रिंक से लेकर व्हिस्की-बियर-रम तक l
* कृत्रिम (आर्टिफिशियल)अनाज से लेकर.. रासायनिक फल और सब्जियां तक l
* छोटे-छोटे ढाबाओ से लेकर बड़े-बड़े होटलों तक l
ज्यादातर उनके ही वफादर लोग फैले हुए हैं l
लगभग हजारों ब्रांडस करोड़ों रुपए कि मुनाफा बटोर रहे हैं l
भारत की आम जनता का विश्वास जीत रखा है l
और इंतजार है विश्वासघात का l
1990 से पहले ब्रांड के नाम पर इतनी ताम-झाम नहीं थे l
और खाने की वस्तुओं में शुद्धता भी थी l
यह स्पष्ट है कि भारतीय खाद्य उद्योग में विदेशी ब्रांडों की बढ़ती पहुंच और उनके प्रभाव के बारे में बड़े-बड़े बुद्धिजीवी लोग चिंतित हैं।
यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है जिसके लिए कुछ समाधान निम्नलिखित हैं:
1. स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा: भारतीय उत्पादकों को समर्थन देने से हम ��पनी अर्थव्यवस्था को मजबूत बना सकते हैं।
2. जागरूकता अभियान: लोगों को खाद्य पदार्थों की शुद्धता और सुरक्षा के बारे में जागरूक करने की आवश्यकता है।
3. नीतियों में सुधार: सरकार को खाद्य उद्योग में विदेशी निवेश पर नीतियों में सुधार करना चाहिए।
4. स्वास्थ्य शिक्षा: लोगों को स्वस्थ खाने के महत्व के बारे में शिक्षित करना आवश्यक है।
5. वैकल्पिक विकल्प: स्थानीय और स्वस्थ विकल्पों की तलाश करना आवश्यक है।
6. निरीक्षण और प्रमाणीकरण: खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता के लिए निरीक्षण और प्रमाणीकरण आवश्यक है।
7. समर्थन स्थानीय किसानों को: स्थानीय किसानों को समर्थन देने से हम अपनी खाद्य सुरक्षा को मजबूत बना सकते हैं।
इन समाधानों को लागू करके, हम भारतीय खाद्य उद्योग में विदेशी ब्रांडों के प्रभाव को कम कर सकते हैं और स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा दे सकते हैं।
उपहार के तौर पर आने वाली दीपावली पर
हम किसी दूसरे को धीमी-मौत की सौगात ना दे l
यह संदेश दीप���वली के अवसर पर विदेशी खाद्य पदार्थों और ब्रांडों का बहिष्कार करने के लिए एक संकल्प लेने का आह्वान करता है। यह एक महत्वपूर्ण पहल है जो न केवल हमारी स्वास्थ्य और सुरक्षा की रक्षा करती है, बल्कि हमारी अर्थव्यवस्था और स्थानीय उत्पादकों को भी समर्थन देती है।
दीपावली का त्योहार हमें नई शुरुआत और सकारात्मक परिवर्तन का अवसर प्रदान करता है। विदेशी खाद्य पदार्थों और ब्रांडों का बहिष्कार करके, हम न केवल अपने स्वास्थ्य की रक्षा कर सकते हैं, बल्कि हम अपनी संस्कृति और परंपराओं को भी संरक्षित कर सकते हैं।
"धीमी-मौत की सौगात" का उल्लेख विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह हमें उन खतरनाक रसायनों और अनस्वस्थ पदार्थों के प्रति जागरूक करता है जो हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
आइए हम इस संदेश को आगे बढ़ाएं और दूसरों को भी इस संकल्प में शामिल होने के लिए प्रेरित करें!
आओ हम संकल्प लें:
- विदेशी खाद्य पदार्थों और ब्रांडों का बहिष्कार करें।
- स्थानीय और स्वस्थ विकल्पों का चयन करें।
- अपने परिवार और दोस्तों को जागरूक करें।
- दीपावली पर स्वस्थ और सुरक्षित उपहार दें।
आइए हम मिलकर एक स्वस्थ और सुरक्षित भविष्य की दिशा में कदम बढ़ाएं!
जय हिंद
सम्भार
मधुसूदन लाल
[Reserch & Source from AI]
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क्लब महिंद्रा ने गंगटोक में अपना दूसरा रिसॉर्ट लॉन्च किया मुंबई: महिंद्रा हॉलिडेज एंड रिसॉर्ट्स इ...
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दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति 2021-22: वो सब जो आप जानना चाहते हैं
दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति 2021-22: वो सब जो आप जानना चाहते हैं
दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति 2021-22 ने स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय राजधानी में शराब के विभिन्न ब्रांडों के पंजीकरण के लिए मूल्य और बाहरी बिक्री उन्मुख मानदंड की सिफारिश की है। नीति ने लगभग सभी ब्रांड की शराब – रम, व्हिस्की, बीयर, वोदका, वाइन को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया है जो राष्ट्रीय राजधानी के बाहर एक विशेष ब्रांड के मूल्य निर्धारण और इसकी बिक्री के आंकड़ों पर निर्भर…
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इस कहानी के हीरो Prafull Billore का सपना था एक प्रतिष्ठित कॉलेज से एमबीए करना और heavy package वाली नौकरी प्राप्त करना। परंतु यह सपना पूरा ना होने पर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी।
McDonald से छोटी सी नौकरी की शुरुआत करके उन्होंने खुद का वेंचर खोला। सड़क के किनारे छोटा सा चाय का स्टाल लगाकर शुरुआत की और आज उनके डिफरेंट स्टाइल ने उन्हें पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बना दिया।
सोशल मीडिया में उनके काम की सराहना होने लगी और फिर तो दुनिया उनकी मुट्ठी में थी। आज वह एक entrepreneur होने के साथ-साथ एक motivational speaker भी हैं। बड़े-बड़े कॉलेजेस, इंस्टिट्यूशन और स्कूलों में उन्हें मोटिवेशनल स्पीच देने के लिए बुलाया जाता है, उनमें से प्रमुख हैं “IIM Ahmedabad” जहां से वह MBA करना चाहते थे।
असफलता से बनाया नया रास्ता
Prafull Billore की कहानी शुरू होती है मध्य प्रदेश के एक गांव से जहां के वह रहने वाले थे। उनके पिता चाहते थे कि वह CAT एग्जाम देकर अच्छे से प्रतिष्ठित कॉलेज से एमबीए करके, अच्छी नौकरी प्राप्त करें।
एक आम किशोर की तरह उन्होंने भी अपने पिता के सपने को अपना माना और उसे पूरा करने के लिए इंदौर आ गए क्योंकि वह भी कहीं एम बी ए के बाद मिलने वाले heavy package से आकर्षित थे। इंदौर में वह एक पीजी में रहने लगे और वहां पर उन्होंने अपनी अंग्रेजी सुधारने के लिए 6 महीने का इंग्लिश स्पीकिंग का कोर्स भी किया।
इसके साथ ही वह CAT exam की preparation करने लगे जो कि भारत का toughest exam माना जाता है। इसके लिए वह सब कुछ भूल गए। पूरा दिन पढ़ाई करते और साथ में चाय पीते रहते। चाय को वह अपना साथी मानते थे।
तीन बार उन्होंने CAT Exam दिया परंतु उन्हें सफलता नहीं मिली। वह उतना percentile score नहीं कर पाए जिससे कि उन्हें अपने दिमाग में सोचे हुए किसी प्रतिष्ठित एमबीए कॉलेज में एडमिशन मिल जाती। उससे नीचे के किसी कॉलेज से एमबीए करना उन्हें स्वीकार्य नहीं था। उस समय उन्हे ऐसा लग��� जैसे उनकी दुनिया ही खत्म हो गई। वह पूरी तरह से निराश हो गए थे और आगे का रास्ता उनको नजर नहीं आ रहा था।
McDonald’s में की नौकरी
उन्होंने अपने एमबीए करने के सपने को वहीं छोड़ दिया और India explore करने निकल पड़े। भोपाल, दिल्ली, बेंगलुरु, मुंबई जैसे अनेक शहर घूमते-घूमते वह पहुंचे अहमदाबाद, जो उन्हें बिल्कुल अपने घर जैसा लगा।
अहमदाबाद में उनका मन रम गया था और उन्होंने वहीं रह कर कुछ करने का सोचा। परंतु दूसरी तरफ उनके पिताजी एमबीए करने के लिए दबाव डाल रहे थे। Prafull को कुछ समझ नहीं आ रहा था पर दूसरी तरफ शहर घूमने के बाद उन्हें वहां के लोग बहुत ही मिलनसार और अच्छे लगे।
उसी समय उन्होंने McDonald’s restaurant में ₹32 प्रति घंटा के हिसाब से एक नौकरी कर ली। वहां उन्हें कुछ समय के बाद promotion भी मिला परंतु संतुष्टि नहीं थी। वह अपना खुद का कुछ काम खोलना चाहते थे।
इस जॉब से भी उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिला, रोज नए नए लोगों से मिलने का मौका मिलता था। वहां उन्होंने कई business tricks के साथ-साथ humility, courtesy और etiquettes भी सीखें। 3 महीने वहां जॉब करने के बाद उन्होंने खुद का रेस्टोरेंट खोलने का सोचा पर वह एक बहुत बड़ा रिस्क था। वह इतना बड़ा रिस्क नहीं उठाना चाहते थे।
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बड़ी सोच और छोटी शुरुवात
Prafull Billore ने कुछ छोटा खोलने का सोचा क्योंकि उनका विश्वास था “Dream big, start small and act now”। प्रफुल्ल ने अपने पिताजी से एक कोर्स करने का बोलकर ₹8000 मंगवाए ताकि वह चाय का स्टाल लगा सके।
उनके पिताजी ने भी बहुत खुशी से भेज दिए क्योंकि वह चाहते थे कि उनका बेटा अच्छी तरह पढ़ाई करें। इस प्रकार अपने पिता से झूठ बोलना उन्हें अच्छा नहीं लग रहा था पर वह सड़क के किनारे चाय का स्टाल लगाना चाहते हैं यह उन्हें बता कर वह उनका दिल नहीं दुखाना चाहते थे, इसलिए उन्हें झूठ कहना पड़ा।
फिर उन्होंने चाय बनाने का सामान खरीदा पर अभी भी उनके मन में एक डर था कि लोग क्या कहेंगे। कहां तो एमबीए करने चला था और अब कहां सड़क पर चाय बेच रहा है। अंततः उन्होंने इन विचारों को दूर झटक दिया, परंतु 45 दिन तक सोच विचार में लगे रहे।
फिर हिम्मत करके 25 जुलाई 2017 में सड़क के किनारे शाम के 7:00 से 10:00 तक के लिए उन्होंने अपना चाय का काम खोल दिया। सुबह 9:00 बजे से 4:00 बजे तक वह McDonald’s में नौकरी करते और फिर चाय बेचते।
अंग्रेजी बोलने वाला चाय वाला
पहले दिन एक भी चाय नहीं बिकी तो उन्होंने लोगों के पास जाने का निश्चय किया। आसपास खड़ी कारों में बैठे लोगों के पास जाते और उन्हें अंग्रेजी में अपनी बात समझाते और अपनी चाय की खासियत बताते और एक बार try करने के लिए कहते। कुछ कमी होने पर suggestion भी मांगते।
चाहे वह सड़क पर चाय बेच रहे थे परंतु उनका तरीका सबसे अलग था। वह चाय को मिट्टी के कुल्हड़ में, टिशु पेपर और toast के साथ सर्व करते और उनके इस combo का मूल्य था ₹30। धीरे-धीरे लोगों को अंग्रेजी बोलने वाले की चाय में और उसकी बातों में रस आने लगा। उसकी बिक्री बढ़ने लगी क्योंकि कोई खर्च भी नहीं था।
उन्होंने कहीं पढ़ा था कि बेस्ट लोहार है टाटा और बेस्ट मोची है बाटा। उनकी फिलासफी थी कि जो भी काम करो ऐसा करो जैसा पहले किसीने ना किया हो। इसीलिए वह अपने चाय के धंधे में भी बेस्ट करना चाहते थे। सोशल मीडिया पर अंग्रेजी बोलने वाले चायवाला की चर्चा होने लगी। लोग ढूंढते हुए उनके पास आने लगे।
उनकी बढ़ती हुई बिक्री और लोकप्रियता आसपास के चाय वालों को पसंद नहीं आई। जबरदस्ती उन्हें वहां से हटा दिया गया। अब फिर वही समस्या सामने थी कि क्या करें? McDonald’s की नौकरी तो वह पहले ही छोड़ चुके थे। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। जो लोग उनके कस्टमर बन गए थे वे उन्हें ढूंढते हुए उनके पास पहुंचने लगे, इससे उनकी हिम्मत बढ़ गई।
उन्होंने एक बार फिर एक अस्पताल के बाहर अपना चाय का स्टाल लगाया परंतु अब वह अस्पताल को स्टॉल लगाने का पैसा दे रहे थे ताकि फिर से वही समस्या सामने ना आ जाए। धीरे-धीरे fan following बढ़ने लगी और लोग सोशल मीडिया पर उनकी चर्चा करने लगे।
MBA Chaiwala
अब उन्होंने चाय का स्टाल तो लगाया और एक अलग ही रणनीति बनाकर काम करने लगे। उन्होंने अपने स्टाल में एक ऐसा corner बनाया जहां एक बोर्ड लगा था। चाय पीने वालों में जो बेरोजगार लोग थे उन्हें वह उस बोर्ड के ऊपर अपना नाम, टेलीफोन नंबर और योग्यता लिख कर छोड़ जाने को कहते थे और job देने वाले उनसे कांटेक्ट करते।
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इस तरह बेरोजगार लोगों को जॉब मिल जाती और उनकी चाय की दुकान की marketing भी होने लगी। अब जरूरत थी उनकी दुकान को एक नाम देने की जिसके लिए अपनी दुकान को वह अलग ही नाम देना चाहते थे। अंत में उनको नाम पसंद आया “MBA चायवाला” / “MBA Chaiwala”। जिसका अर्थ था Mr Billore Ahemadabad । लोग उनका ��जाक भी उड़ाते पर वे उसकी परवाह नहीं करते थे और अपने काम में लगे रहते।
अब उनकी चाय देश-विदेश में इतनी मशहूर हो गई थी कि
(1) उन्हें local events, rallies, entrepreneur programs, high tea party, crowd campaigns में बुलाया जाने लगा। वे लोगों की परफेक्ट चॉइस बन गए।
(2) उन्होंने दिल्ली गवर्मेंट के लिए “ काम वाली चाय” campaign ऑर्गेनाइज किया।
(3) केरल में बाढ़ आने पर, वहां जाकर “Let’s chai for Kerela” launch किया और चाय बेचकर उससे जो कमाई हुई उसे उन्होंने बाढ़ पीड़ितों के लिए डोनेट कर दिया।
(4) पिछले साल वैलेंटाइन डे के मौके पर ” free chai for singles” का ऑफर भी लोगों को दिया। लोग इस दिन कपल्स के लिए ऑफर रखते हैं तो उन्होंने सिंगल्स को यह ऑफर दिया।
(5) Women empowerment, blood donations, social cause के लिए एक NGO भी बनाया। जहां वह अपनी चाय का सोशल इवेंट रखते थे। उस से होने वाली कमाई को उन लोगों को ही डोनेट कर देते थे। इस प्रकार 2 साल के अंदर अंदर प्रफुल्ल बिल्लौरे ने दो सौ से अधिक सोशल इवेंट किए।
धीरे-धीरे उन्होंने अपने रेस्टोरेंट्स खोले और फ्रेंचाइजी देने लगे। कहां तो उनकी उम्र के लोग, इस उम्र में अपने लिए नौकरी ढूंढते हैं और उन्होंने तो 30-35 लोगों को रोजगार प्रदान किया हुआ है। अब उनकी चर्चा भारत के साथ-साथ विदेशों में भी होने लगी । प्रफुल्ल बिल्लौरे की story को CNN के अलावा BBC, ZEE, AAJ TAK, INDIA TV आदि में cover किया गया।
वह अपनी मोटिवेशनल स्पीच में कहते हैं कि कोई भी काम छोटा नहीं होता। हर बड़े काम की शुरुआत छोटे से ही की जाती है इसलिए कोई भी काम करते हुए ना घबराए। अगर आपके सपने पूरे ना हो तो यह न सोचे कि यह दुनिया क्या कहेगी। इस तरह बन गए प्रफुल्ल बिल्लौरे भारत के दूसरे सबसे मशहूर चायवाला जिसने कई लोगों को रोजगार प्रदान किया।
Prafull Billore के बारे में ज्यादा जानने के लिए चेक करें – Facebook, LinkedIn, Instagram, Website.
अगर आप किसी भी प्रेरणात्मक कहानी के बारे में जानते है, और आप चाहते है की हम उसके बारे में mad4india.com पर लिखे। ऐसे जानकारी शेयर करने के लिए आप हमें Facebook या LinkedIn पे संपर्क कर सकते है। वो प्रेरणात्मक कहानी किसी भी व्यक्ति, कंपनी, नए आईडिया या सोशल पहल के बारे में हो सकती है।
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आये जाने भारत में प्रसिद्ध मोबाइल फ़ोन्स ?
ये फ़ोन्स ओप्पो ब्रांड से आता है | ये फ़ोन दो रंग में भारत में उपलब्ध है | इसकी स्क्रीन भी काफी बड़ी है | जो ६.५३ इंच और २३४०* १०४० पिक्सेल १९,५:९ के साथ है | इसके डिस्प्ले में फिंगर प्रिंट सेंशर भी मौजूद है | इसके बैक का कैमरा ४८ मेगा पिक्सेल और फ्रंट का कैमरा 16 मेगा पिक्सेल है | कैमरे से ये फ़ोन को अलग कैटगरी में ले जाती है | और ४ जीबी रम और १२८ जीबी स्टोरज के साथ ये फ़ोन बहुत ही किफायती है | और जो भी लोग पिक्स और वीडियो के शौकीन है उनके लिए ये बेस्ट फ़ोन्स है | और प्राइस भी बहुत ज्यादा नहीं है | ये फ़ोन पॉकेट फ्रेंडली है | वैसे भी आजकल यूट्यूब का क्रेज है | इसकी बैटरी ३७६५ mah की है इसमें फ़ास्ट चार्ज भी दे रखा है | इसमें ड्यूल सिम वाला फ़ोन है | ब्लूटूथ भी है | हैडफ़ोन इसका काफी अच्छा है | ये फ़ोन बहुत ही अच्छा है |
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सपा नेता ने बीजेपी नेताओं से पूछा – अगर गाय माता है तो फिर बैल क्या हुआ ? देश भर में गौरक्षा के नाम पर दलितों और मुस्लिमों की हो रही हत्या पर समाजवादी पार्टी के नेता नरेश अग्रवाल ने भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को जमकर खरी-खरी सुनाई. जिसके चलते बुधवार को राज्यसभा में हंगामा मच गया. हालांकि बीजेपी नेताओं के विरोध के बाद उनके शब्दों को कार्यवृत्ति से निकाल दिया गया. सपा सांसद ने सवाल उठाते हुए कहा कि हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, गाय हमारी माता है तो बैल क्या हुआ, बछड़ा हमारा क्या हुआ ? वे यहीं नहीं रुके उन्होंने 1991 में राम जन्मभूमि आंदोलन को लेकर भी बीजेपी को निशाने पर लिया. उन्होंने कहा, आंदोलन के दौरान हिन्दू होने के सर्टिफिकेट बांटे जा रहे थे. उन्होंने कहा कि 1991 में राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान कई 'रामभक्��' जेल गए थे. उस वक्त कई स्कूलों को अस्थाई जेल बना दिया गाया था. ऐसे एक जेल में वह भी गए थे. उन्होंने वहां की दीवार पर 'रामभक्तों' द्वारा लिखे हुए दो लाइन देखे थे. उन्हें सुनाते हुए उन्होंने कहा कि उस वक्त बीजेपी के कुछ ठेकेदार थे जो कहते थे जो हमारा सर्टिफिकेट लेकर नहीं आये वह हिन्दू नहीं. अग्रवाल ने पंक्तियाँ सुनाते हुए कहा कि 'व्हिस्की में विष्णु बसे, रम में बसे श्रीराम, जिन में माता जानकी और ठर्रे में हनुमान, सिया पत रामचंद्र की जय'. उनकी इस टिप्पणी के बाद केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली भड़क उठे. उन्होंने अग्रवाल से माफी की मांग करते हुए कहा, "वह प्रत्येक हिंदी देवता को अल्कोहल ब्रांड से जोड़ रहे थे. यदि उन्होंने संसद से बाहर ये बयान दिया होता तो वे जेल में होते. क्या आप अन्य धर्म के संबंध में इस तरह का बयान दे सकते हैं? क्या आप ऐसा करेंगे?" जिसके बाद पूरा सदन 'श्री राम का अपमान, नहीं सहेगा हिंदुस्तान' के नारो से गूंज गया. हालांकि विरोध के बाद उनके विवादित शब्दों को कार्रवाई से हटा दिया गया
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