#मोक्ष केवल सत्य स
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#गला_भी_कटाया_मोक्ष_नहीं_पायासतभक्ति के बिना कोई भी प्रयास व्यर्थ है। चाहे काशी में मृत्यु हो या#मोक्ष केवल सत्य स#satlokashram
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*🌷बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की जय🌷*
14/01/2024
*🎡X+Koo Trending सेवा🎡*
🔖 *मालिक की दया से अब पुनः हिंदू भाइयों को समझाते हुए Twitter(X) और Koo पर Trending सेवा करनी है जी।*
🔆 *अपना टैग है⤵️*
*#हमारीभीसुनो_बुद्धिमानहिंदुओं*
*Sant Rampal Ji Maharaj*
♦️♦️
*सेवा से सम्बंधित फ़ोटो वेबसाइट पर उपलब्ध हैं जी।*
https://www.satsaheb.org/hindu-photo-hindi/
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*🎯Sewa Points🎯*
1. हमारी भी तो सुनो, हे बुद्धिमान हिन्दुओं!
श्री देवकीनंदन जी, श्रीहित प्रेमानन्द जी व अन्य कथावाचक कहते हैं ‛राधे राधे’ बोलने स��� बड़े आध्यात्मिक लाभ होते हैं।
V/S
जबकि राधे -राधे बोलना न वेदों में है, न गीता में है। किसी भी शास्त्र में प्रमाण नहीं है।
पवित्र गीता जी में अध्याय 17 श्लोक 23 में ‛ओम तत सत’ सांकेतिक मंत्रों से ही मोक्ष बताया है जिसका वास्तविक भेद व अधिकार केवल संत रामपाल जी महाराज जी के पास है।
2• हे मेरी कौम के लोगों (हिन्दू )हमारी भी तो सुनो।
हम आपके दोस्त हैं, दुश्मन नहीं!
पवित्र गीता जी पवित्र वेदों का निष्कर्ष है फिर उसमें तो राधे राधे, जय हनुमान, जय श्री राम, आदि मंत्र नही हैं। क्या आप नहीं जानते कि पवित्र गीता जी अध्याय 16 के मंत्र 23 में शास्त्र विरुद्ध साधना करने वाले को कोई लाभ न होने की बात कही है।
इस सच्चाई को जानने के लिए तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के सत्संग सुनें।
3• हमारी भी तो सुनो, हे बुद्धिमान हिन्दुओं! हम आपके दोस्त हैं, दुश्मन नहीं!
हमारे संत तथा महंतों का मानना है कि पाप कर्म तो भोगना ही पड़ता है।
V/S
तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ने प्रमाण दिखा कर बताया कि यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 व ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 82 मंत्र 1, 2 और 3 में प्रमाण है, परमेश्वर हमारे पापों का नाश कर देता है।
4• हमारी भी तो सुनो, हे बुद्धिमान हिन्दुओं!
गीता कहती है, भूत पूजोगे तो भूत बनोगे।
और हमारे धर्म गुरु हर घर में भूत पुजवा रहे हैं, कुछ तो शर्म करो। शास्त्रों के अंदर तो खोल के देख लो।
5• हे मेरी कौम के लोगों (हिन्दू )हमारी भी तो सुनो।
सभी संत व महंत श्री कृष्ण जी को पूर्ण परमात्मा बता रहे हैं ।
V/S
वहीं श्रीमदभगवद्गीता में प्रमाण है कि परम अक्षर ब्रह्म यानि की पूर्ण परमात्मा को गीता अध्याय 8 श्लोक 9 तथा अध्याय 15 श्लोक 17 में गीता ज्ञान देने वाले ने अपने से अन्य बताया है तथा कहा है कि (उत्तम पुरूषः तू अन्य ) पुरूषोत्तम तो मेरे से अन्य है, वही परमात्मा है। सबका धारण-पोषण करने वाला अविनाशी परमेश्वर है।
6• हिंदू भाइयों संभलो
हमारा उद्देश्य:- विश्व के मानव को सत्य ज्ञान सुनाकर सनातनी बनाना है क्योंकि पिछला इतिहास बताता है कि पहले केवल एक सनातन धर्म ही था। तत्त्वज्ञान के अभाव से हम धर्मों में बंटते चले गए जो विश्व में अशांति का कारण बना है। एक-दूसरे के जानी दुःश्मन बन गए हैं।
यह बात विश्व का मानव निर्विरोध मानता है कि सबका मालिक एक है। परंतु वह कौन है? कैसा है यानि साकार है या निराकार है? मानव रूप में या अन्य रूप में? यह प्रश्न वाचक चिन्ह ❓अभी तक लगा है। अब संत ��ामपाल जी महाराज ने यह प्रश्नवाचक चिन्ह ( ❓) पूर्ण रूप से हटा दिया है।
7• हे मेरी कौम के लोगों (हिन्दू )हमारी भी तो सुनो।
हम आपके दोस्त हैं, दुश्मन नहीं!
हमारे धर्म गुरु स्वर्ग से ऊपर कुछ जानते ही नहीं हैं
V/S
सूक्ष्मवेद में बताया है कि विश्व के सभी जीवात्मा परमशांति वाले सनातन परम धाम में उस परमात्मा के पास रहते थे जिसके विषय में गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में कहा है कि हे भारत! तू सर्वभाव से उस परमेश्वर की शरण में जा, उसकी कृपा से ही तू परमशांति को तथा (शाश्वतम् स्थानम्)सना��न परम धाम यानि सत्यलोक को प्राप्त होगा। जो 16 शंख कोस दूर है।
8• हिंदू भाई धोखे में अब न रहो !
श्रीमदभगवद्गीता जी का ज्ञान श्री कृष्ण तक ही सीमित नहीं है। इसका गूढ़ रहस्य समझो।
गीता अध्याय 8 श्लोक 1 में अर्जुन ने प्रश्न किया कि {आपने गीता अध्याय 7 श्लोक 29 में जो तत् ब्रह्म कहा है} वह तत् ब्रह्म क्या है? जिसका उत्तर देते हुए गीता अध्याय 8 श्लोक 3, 8, 9, 10, गीता अध्याय 15 श्लोक 4 तथा 17 आदि में कहा है। जिस लोक में वह तत् ब्रह्म यानि परम अक्षर ब्रह्म (सत्यपुरूष) रहता है, उसमें परमशांति है यानि महासुख है। उस सनातन परम धाम में गए साधक फिर लौटकर संसार में नहीं आते। जबकि स्वर्ग आदि लोकों में जाने के बाद वापस आना पड़ता है ।
अपने शास्त्रों को समझने के लिए संत रामपाल जी महाराज का सत्संग सुनें।
9• हमारी भी तो सुनो, हे बुद्धिमान हिन्दुओं! और संभल जाओ।
आज आपको छणिक सुख और मानसिक शांति के लिए गुरुओं और पंथों द्वारा ध्यान (मैडिटेशन) कराया जा रहा है जो शास्त्र विरुद्ध है आप स्वयं देखिए प्रमाण-
गीता अध्याय 17 श्लोक 5 - 6 में इस प्रकार कहा है:- जो मनुष्य शास्त्रविधि रहित यानि शास्त्रविधि को त्यागकर केवल मन कल्पित घोर तप को तपते हैं, वे शरीर में प्राणियों व कमल चक्रों में विराजमान शक्तियों को तथा हृदय में स्थित मुझको भी कृश करने वाले हैं। उन अज्ञानियों को तू आसुर स्वभाव के जान।
10• हे मेरी कौम के लोगों (हिन्दू )हमारी भी तो सुनो।
हम आपके दोस्त हैं, दुश्मन नहीं!
देखिए प्रमाण गीता के विपरीत साधना का:- गीता अध्याय 9 श्लोक 25 में गीता ज्ञान दाता ने कहा है कि जो पित्तर पूजता है, पित्तरों को प्राप्त होगा यानि पित्तर बनेगा। भूत पूजने वाला भूतों को प्राप्त होगा यानि भूत बनेगा। देवताओं को पूजने वाला, देवताओं को प्राप्त होगा यानि देवताओं के पास जाएगा। मेरा भक्त मुझे प्राप्त होगा।
यदि पवित्र हिन्दू धर्म की पूजाओं पर दृष्टि दौड़ाई जाए तो पता चलता है कि लगभग पूरा हिन्दू समाज पित्तर पूजा, भूत पूजा, देवी-देवताओं की पूजा करता है जो शास्त्रविधि त्यागकर मनमाना आचरण होने से गीता अध्याय 16 श्लोक 23 के अनुसार व्यर्थ प्रयत्न है।
हिंदू भाइयों संभल जाओ, संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान समझो।
11• हिंदू भइयों संभल जाओ
हिन्दू धर्म गुरूजन मूर्ति पूजा करने की राय देते हैं। यह काल ब्रह्म द्वारा दिया गलत ज्ञान है जो वेदों व गीता के विरूद्ध साधना होने से व्यर्थ है।
��ूक्ष्मवेद में कबीर परमेश्वर जी ने आन-उपासना निषेध बताया है। उपासना का अर्थ है अपने ईष्ट देव के निकट जाना यानि ईष्ट की पूजा करना।
आन-उपासना वह पूजा है जो शास्त्रों में वर्णित नहीं है। मूर्ति-पूजा आन-उपासना है ।
इस विषय पर सूक्ष्मवेद में कबीर साहेब ने इस प्रकार स्पष्ट किया है:-
कबीर, पत्थर पूजें हरि मिले, तो मैं पूजूँ पहार।
तातें तो चक्की भली, पीस खाए संसार।।
बेद पढ़ैं पर भेद ना जानें, बांचें पुराण अठारा।
पत्थर की पूजा करें, भूले सिरजनहारा।।
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Satsang Ishwar TV | 24-10-2023 | Episode: 2184 | Sant Rampal Ji Maharaj...
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Sant Rampal Ji Maharaj
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#SantRampalJiMaharaj #KabirisGod #MiraclesOfTrueWorship #truestory #viralreels #trendingreels #peace #mentalhealth #bhakti हर वर्ष हजारों की संख्या में रावण के पुतले फूंकने के बावजूद समाज से बुराईयाँ समाप्त क्यों नहीं हो पा रही हैं?
कबीर वाणी_"सर्व सोने की लंका थी,वो रावण से रणधीरं |
एक पलक मे राज विराजै,जम के पड़ै जंजीरं" ||
कंश, केसी, चाणूर से, हिरणाकुश बलबीर।।
कंस, केसी, चाणौर, हिरणाकुश और रावण जैसे योद्धा भी सतभक्ति के बिना मृत्यु उपरांत मिट्टी में मिल गए।
कबीर परमात्मा की सतभक्ति से ही मोक्ष मिल सकता है।
"भक्ति बिना क्या होत है,ये भरम रहा संसार।
रति कंचन पाया नहीं, रावण चलती बार"।।
परमात्मा कबीर साहेब जी बताते हैं कि रावण का बहुत बड़ा साम्राज्य और विशाल परिवार था। उनके एक लाख बेटे और सवा लाख पोते थे, लेकिन आज उनके परिवार में एक भी परिवार का सदस्य जीवित नहीं है, सभी मर चुके हैं।
सतभक्ति के बिना मोक्ष नहीं मिल स
"गरीब,माया का रस पीय कर, फूट गये दो नैन।
ऐसा सतगुरु हम मिल्या, बास दिया सुख चैन"||
रावण ने सोने की लंका बनाई हुई थी। इतनी माया जोड़ी फिर भी उसका अंत कैसा दर्दनाक हुआ।
वर्तमानं में भी सब माया संग्रह करने में लगे हैं। मनुष्य जीवन का मूल उद्देश्य परमात्मा का ��जन भक्ति करके जीव कल्याण कराना था।
ये ज्ञान केवल तत्त्वदर्शी संत अथवा सतगुरु ही दे सकता है। जो कि वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज जी ही हैं।
दशहरे पर जानें वह आदि राम कौन है जो इंसान के अंदर की बुराइयों का नाश कर सकता है।
आदि राम जिसकी सतभक्ति से मनुष्य भी देवता बन जाते हैं।
रावण जैसा बलिदान और भक्ति साधना करना बहुत ही दुर्लभ है। क्या शास्त्र विरुद्ध मनमानी साधना करना रावण की राक्षस प्रवृत्ति का कारण बना ?
🙏सभी रहस्य युक्त विशेष जानकारी को प्राप्त करने के लिए अपने मानव जीवन के उद्धार के लिए पढ़िए पवित्र पुस्तक 📕*ज्ञान गंगा* और सब्सक्राइब कीजिए यूट्यूब पर *संत रामपाल जी महाराज* और सुनिए परमात्मा के परम पवित्र निर्मल मंगल कल्याणकारी पापभंजन मोक्षदायक सत्संग_जो हमारे धर्म ग्रंथो के अनुसार श���स्त्र अनुकूल हैं 100% सत्य प्रमाण के साथ सत्य तत्व ज्ञान सुनिए📕🙏
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🕋 *मुसलमान नहीं समझे ज्ञान कुरआन* 🕋
*(Part61)*
के आगे पढिए.....)
📖📖📖
*(Part - 62)*
हम पढ़ रहे है पुस्तक *"मुसलमान नहीं समझे ज्ञान कुरआन"*
पेज नंबर 162-164
*“पवित्र कुरआन मजीद में प्रभु के विषय में क्या बताया है?”*
📜परम पूज्य कबीर परमेश्वर ने कहना प्रारम्भ किया। पवित्र कुरआन शरीफ (सुरत फुर्कानि स. 25 आयत 52,58, 59) में जिस कबीर अल्लाह का विवरण है वह कादर खुदा है। जिसे अल्लाहु अकबर (अकबीरू) कहते हो। कुरआन शरीफ का ज्ञान दाता ने अपने से अन्य कबीर नामक अल्लाह की महिमा का गुणगान किया है। (आयत सं. 52 से 58 तथा 59 में) हजरत मुहम्मद जी को कुरआन शरीफ के ज्ञान दाता खुदा ने कहा है कि हे नबी मुहम्मद ! जो कबीर नामक अल्लाह है उसने सर्व ब्रह्मण्डो की रचना की है। वही सर्व पाप नाश (क्षमा) करने वाला है तथा सर्व के पूजा करने योग्य है। उसी ने जमीन तथा आसमान के मध्य जो कुछ भी है सर्व की रचना छः दिन में की है तथा सातवें दिन आसमान में तख्त पर जा विराजा। उस सर्व शक्तिमान, सर्व ब्रह्मण्डों के रचनहार, सर्व पाप नाशक, परमात्मा कबीर (अल्लाहु अकबर) की भक्ति विधि तथा उसके विषय में पूर्ण ज्ञान किसी तत्त्वदर्शी संत (बाखबर) से
पूछो। कबीर परमेश्वर ने कहा शेखतकी जी आपके अल्लाह को ही ज्ञान नहीं है तो आप के हजरत मुहम्मद जी को कैसे पूर्ण ज्ञान हो सकता है? तथा अन्य काजी, मुल्ला तथा पीर भी सत्य साधना तथा तत्वज्ञान से वंचित हैं। जिस कारण से अधूरे ज्ञान के आधार से इबादत करने वाले साधक के कष्ट का निवारण नहीं होता। अन्य साधना जैसे पाँच समय नमाज करना, रोजे (व्रत) रखना तथा बंग (अजान) देना आदि पूजा विधि से मोक्ष तथा कष्ट निवारण नहीं होता। जन्म-मृत्यु तथा स्वर्ग में बने पित्तर लोक में तथा नरक में तथा अन्य प्राणियों के शरीरों में भी कर्मों के आधार से कष्ट भोगने पड़ते हैं। उपरोक्त वार्ता सुनकर शेखतकी ने तुरंत कुरआन शरीफ को खोला तथा सूरत
फुर्कानि-25 आयत 52.59 को पढ़ा जिसमें उपरोक्त विवरण सही था। वास्तविकता को आँखों देखकर भी मान हानी के भय से कहा कि ऐसा कहीं नही लिखा है। यह काफिर झूठ बोल रहा है। उस समय शिक्षा का अभाव था। बादशाह सिकंदर को भी शंका हो गई कि परमेश्वर कबीर साहेब जी भले ही शक्ति युक्त हैं, परंतु अशिक्षित होने के कारण कुरआन के विषय में नहीं जान सकते। शेखतकी ने जले-भुने वचन बोले क्या तू ही है वह बाखबर? फिर बता दे वह अल्लाहु अकबर कैसा है? यदि परमात्मा को साकार कहता है तो कौन है? कहाँ रहता है? परमेश्वर कबीर साहेब जी ने कहा:- वह कबीर अल्लाह जिसे आप अल्लाहू अकबर कहते हो, वह मैं ही हूँ। मैं ऊपर सतलोक में रहता हूँ। मैंने ही सर्व ब्रह्मण्डों की रचना की है। मैं हजरत मुहम्मद जी को भी जिन्दा संत का रूप धारण करके मिला था तथा उस प्यारीआत्मा को सतलोक दिखाकर वापिस छोड़ा था। हजरत मुहम्मद से कहा था कि आप अब
मेरी महिमा सर्व अनुयाईयों को सुनाओ। मेरे द्वारा दी अन्य पुस्तक ‘कलामे कबीर’ अपने अनुयाईयों को दो। परन्तु मुहम्मद ने तत्त्वज्ञान का प्रचार नहीं किया तथा न मेरी बातों पर विश्वास किया। हजरत मुहम्मद जी जिस साधना को करता था वही साधना अन्य मुसलमान समाज भी कर रहा है। वर्तमान में सर्व मुसलमान श्रद्धालु माँस भी खा रहे हैं। परन्तु नबी मुहम्मद जी ने कभी माँस नहीं खाया तथा न ही उनके अनुयाईयों ने जो लाखों की सँख्या में थे तथा न
एक लाख अस्सी हजार नबियों ने माँस खाया। केवल रोजा व बंग (अजान) तथा नमाज किया करते थे। गाय आदि को बिस्मिल (हत्या) नहीं करते थे। नबी मुहम्मद नमस्कार है, राम रसूल कहाया। एक लाख अस्सी कूं सौगंध, जिन नहीं करद चलाया।। अरस कुरस पर अल्लह तख्त है, खालिक बिन नहीं खाली। वे पैगम्बर पाख पुरुष थे, साहिब के अब्दाली।।
भावार्थ:- नबी मोहम्मद तो आदरणीय है जो प्रभु के अवतार कहलाए हैं। कसम है एक लाख अस्सी हजार को जो उनके अनुयाई थे, उन्होंने भी कभी बकरे, मुर्गे तथा गाय आदि पर करद नहीं चलाया अर्थात् कभी जीव हिंसा नहीं की तथा माँस भक्षण नहीं किया। वे हजरत मोहम्मद, हजरत मूसा, हरजत ईसा आदि पैगम्बर(संदेशवाहक) तो पवित्रा व्यक्ति थे तथा ब्रह्म(ज्योति निरंजन/काल) के कृपा पात्र थे, परन्तु जो आसमान के अंतिम छोर (सतलोक)
में पूर्ण परमात्मा(अल्लाहू अकबर अर्थात् अल्लाह कबीर) है। उस सृष्टि के मालिक की नजर से कोई नहीं बचा।
मारी गऊ शब्द के तीरं, ऐसे थे मोहम्मद पीरं।। शब्दै फिर जिवाई, हंसा राख्या माँस नहीं भाख्या, एैसे पीर मुहम्मद भाई।।
भावार्थ: एक समय नबी मुहम्मद ने एक गाय को शब्द(व���न सिद्धि) से मार कर सर्व के सामने जीवित कर दिया था। उन्होंने गाय का माँस नहीं खाया। अब मुसलमान समाज वास्तविकता से परिचित नहीं है। जिस दिन गाय जीवित की थी उस दिन की याद बनाए रखने के लिए गऊ मार देते हो। आप जीवित नहीं कर सकते तो मारने के भी अधिकारी नहीं हो। आप माँस को प्रसाद रूप जान कर खाते तथा खिलाते हो। आप स्वयं भी पाप के भागी
बनते हो तथा अनुयाईयों को भी गुमराह कर रहे हो। आप दोजख (नरक) के पात्र बन रहे हो।
कबीर परमेश्वर ने कहा:-
हम मुहम्मद को सतलोक ले गयो। इच्छा रूप वहाँ नहीं रहयो।।
उल्ट मुहम्मद महल पठाया। गुज बीरज एक कलमा लाया।।
रोजा, बंग, नमाज दई रे। बिसमिल की नहीं बात कही रे।।
भावार्थ:- नबी मुहम्मद को मैं (कबीर परमेश्वर) सतलोक ले कर गया था परन्तु वहाँ न रहने की इच्छा व्यक्त की, वापिस मुहम्मद जी को शरीर में भेज दिया। पहले जबरील फरिस्ता काल ब्रह्म के पास हजरत मुहम्मद को लेकर गया था। उसने भी नबी मुहम्मद जी को रोजा(व्रत) बंग(ऊँची आवाज में प्रभु स्तुति करना) तथा पाँच समय की नमाज करना तो कहा था परन्तु गाय आदि प्राणियों को बिस्मिल करने(मारने) को नहीं कहा। उपरोक्त वार्ता सुनकर शेखतकी पीर ने क्रोध करते हुए कहा कि तू क्या जाने कुरआन शरीफ तथा हमारे नबी के विषय में तू तो अशिक्षित है। हमारे धर्म के विषय में झूठा प्रचार करके भ्रम फैला रहा है। मैं बताता हूँ पवित्र कुरआन मजीद (शरीफ) की अमृत वाणी कैसे प्राप्त हुई। शेखतकी ने (जो दिल्ली के महाराजा सिकंदर लौधी का धार्मिक गुरु तथा पूरे भारत के मुसलमान शेखतकी की प्रत्येक आज्ञा का पालन करते थे) कहा कि सुन हे कबीर! हमारे मुहम्मद नबी का जीवन वृतांत।
( शेष भाग कल )
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे।
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