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ईश्वर का निवास (ishvar ka nivas) : जीवन की दिशा
मात-पिता को कर किनारे, मैं खाक छानता रहा अब तक ऊँचे पर्वत और घने जंगल की, मुझे क्या मालूम था , ईश्वर का निवास (ishvar ka nivas)है, मेरे घर के अंदर भी, * * * * मैं खोजता रहा ईश्वर को, ऊँचे पर्वत और घने जंगल के अंदर, मुझे हर जगह मिले , खाली बातों के भंवडर , मैं चला था शांत करने अपने अंतर्मन को, मैं भी चाहता था जल्दी से जल्दी, मुझे ईश्वर के दर्शन हों, जो जीते थे देखकर मेरी सूरत, मेरे दिल में नहीं…
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मौत से ठन गई l
जूझने का मेरा इरादा न था,
मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा न था,
रास्ता रोक कर वह खड़ी हो गई,
यूं लगा जिंदगी से बड़ी हो गई।
मौत की उमर क्या है? दो पल भी नहीं,
जिंदगी सिलसिला, आज कल की नहीं।
मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूं,
लौटकर आऊंगा, कूच से क्यों डरूं?
तू दबे पांव, चोरी-छिपे से न आ,
सामने वार कर फिर मुझे आजमा।
मौत से बेखबर, जिंदगी का सफ़र,
शाम हर सुरमई, रात बंसी का स्वर।
बात ऐसी नहीं कि कोई ग़म ही नहीं,
दर्द अपने-पराए कुछ कम भी नहीं।
प्यार इतना परायों से मुझको मिला,
न अपनों से बाक़ी हैं कोई गिला।
हर चुनौती से दो हाथ मैंने किए,
आंधियों में जलाए हैं बुझते दिए।
आज झकझोरता तेज़ तूफ़ान है,
नाव भंवरों की बांहों में मेहमान है।
पार पाने का क़ायम मगर हौसला,
देख तेवर तूफ़ां का, तेवरी तन गई।
मौत से ठन गई!
- shree Atal Bihari Vajpayee
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मन नेकी करले दो दिन का मेहमान Follow This Page For More Spiritual posts.
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मन नेकी कर ले दो दिन का मेहमान | Death | Sant Rampal Ji Maharaj Satsang
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मन नेकी कर ले दो दिन का मेहमान | Death | Sant Rampal Ji Maharaj Satsang
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मन नेकी कर ले दो दिन का मेहमान | Death | Sant Rampal Ji Maharaj Satsang
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मन नेकी कर ले दो दिन का मेहमान | Death | Sant Rampal Ji Maharaj Satsang
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शकुन शास्त्र के 12 सूत्र
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घर में हर छोटी वस्तु का अपना महत्व होता है। कभी-कभी बेकार समझी जाने वाली वस्तु भी घर में अपनी उपयोगिता सिद्ध कर देती है। गृहस्थी में रोजाना काम में आने वाली चीजों से भी शकुन-अपशकुन जुड़े होते हैं, जो जीवन में कई महत्वपूर्ण मोड़ लाते हैं। शकुन शुभ फल देते हैं, वहीं अपशकुन इंसान को आने वाले संकटों से सावधान करते हैं। हम आपको घर से जुड़ी वस्तुओं के शकुनों के बारे में बता रहे हैं।
https://www.jyotishgher.in
1-दूध का शकुन
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सुबह-सुबह दूध को देखना शुभ कहा जाता है। दूध का उबलकर गिरना शुभ माना जाता है। इससे घर में सुख-शांति, संपत्ति, मान व वैभव की उन्नति होती है। दूध का बिखर जाना अपशकुन मानते हैं, जो किसी दुर्घटना का संकेत है। दूध को जान-बूझकर छलकाना अपशकुन माना जाता है , जो घर में कलह का कारण है।
2-दर्पण का शकुन
हर घर में दर्पण का बहुत महत्व है। दर्पण से जुड़े कई शकुन-अपशकुन मनुष्य जीवन को कहीं न कहीं प्रभावित अवश्य करते हैं। दर्पण का हाथ से छूटकर टूट जाना अशुभ माना जाता है। एक वर्ष तक के बच्चे को दर्पण दिखाना अशुभ ��ोता है। यदि कोई नव विवाहिता अपनी शादी का जोड़ा पहन कर श्रृंगार सहित खुद को टूटे दर्पण में देखती है तो भी अपशकुन होता है। तात्पर्य यह है कि दर्पण का टूटना हर दृष्टिकोण से अशुभ ही होता है। इसके लिए यदि दर्पण टूट जाए तो इसके टूटे हुए टुकड़ों को इकटठा करके बहते जल में डाल देने से संकट टल जाते हैं।
3-पैसे का शकुन
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आज के इस युग में पैसे को भगवान माना जाता है। जेब को खाली रखना अपशकुन मानते हैं। कहा जाता है कि पैसे को अपने कपड़ों की हर जेब में रखना चाहिए। कभी भी पर्स खाली नहीं रखना चाहिए।
4-चाकू का शकुन
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चाकू एक ऐसी वस्तु है, जिसके बिना किसी भी घर में काम नहीं चल सकता। इसकी जरूरत हर छोटे-छोटे कार्य में पड़ती है। इससे जुड़े भी अनेक शकुन-अपशकुन होते हैं। डाइनिंग टेबल पर छुरी-कांटे का क्रास करके रखना अशुभ मानते हैं, इसके कारण घर के सदस्यों में झगड़ा हो जाता है। मेज से चाकू का नीचे गिरना भी अशुभ होता है। नवजात शिशु के तकिए के नीचे चाकू रखना शुभ होता है तथा छोटे बच्चे के गले में छोटा सा चाकू डालना भी अच्छा होता है। इससे बच्चों की बुरी आत्माओं से रक्षा होती है व नींद में बच्चे रोते भी नहीं हैं। यदि कोई व्यक्ति आपको चाकू भेंट करे तो इसके बुरे प्रभाव से बचने के लिए एक सिक्का अवश्य दें।
5-झाडू का शकुन
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घर के एक कोने में पड़े हुए झाडू को घर की लक्ष्मी मानते हैं, क्योंकि यह दरिद्रता को घर से बाहर निकालता है। इससे भी कई शकुन व अपशकुन जुड़े हैं। दीपावली के त्यौहार पर नया झाडू घर में लाना लक्ष्मी जी के आगमन का शुभ शकुन है। नए घर में गृह प्रवेश से पूर्व नए झाडू का घर में लाना शुभ होता है। झाडू के ऊपर पांव रखना गलत समझा जाता है। यह माना जाता है कि व्यक्ति घर आई लक्ष्मी को ठुकरा रहा है। कोई छोटा बच्चा अचानक घर में झाडू लगाने लगे तो समझ लीजिए कि घर में कोई अवांछित मेहमान के आने का संकेत है। सूर्यास्त के बाद घर में झाडू लगाना अपशकुन होता है, क्योंकि यह व्यक्ति के दुर्भाग्य को निमंत्रण देता है।
6-बाल्टी का शकुन
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सुबह के समय यदि पानी या दूध से भरी बाल्टी दिखाई दे तो शुभ होता है। इससे मन में सोचे कार्य पूरे होते हैं। खाली बाल्टी देखना अपशकुन समझा जाता है, जो बने-बनाए कार्यों को बिगाड़ देता है। रात को खाली बाल्टी को प्रायः उल्टा करके रखना चाहिए एवं घर में एक बाल्टी को अवश्य भरकर रखें, ताकि सुबह उठकर घर के सदस्य उसे देख सकें।
7-लोहे का शकुन
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घर में लोहे का होना शुभ कहा जाता है। लोहे में एक शक्ति होती है, जो बुरी आत्माओं को घर से भगा देती है। पुराने व जंग लगे लोहे को घर में रखना अशुभ है। घर में लोहे का सामान साफ करके रखें।
8-हेयरपिन का शकुन
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हेयरपिन एक बहुत ही मामूली सी चीज है, परंतु इसका प्रभाव बड़ा आश्चर्यजनक होता है। यदि किसी व्यक्ति को राह में कोई हेयरपिन पड़ा मिल जाये तो समझो कि उसे कोई नया मित्र मिलने वाला है। वहीं यदि हेयर पिन खो जाये तो व्यक्ति के नए दुश्मन पैदा होने वाले हैं। हेयरपिन को घर में कहीं लटका दिया जाए तो यह अच्छे भाग्य का प्रतीक है।
9-काले वस्त्र का शकुन
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काले वस्त्र बहुत अशुभ माने जाते हैं। किसी व्यक्ति के घर से बाहर जाते समय यदि कोई आदमी काले वस्त्र पहने हुए दिखाई दे तो अपशकुन माना जाता है, जिसके बुरे प्रभाव से जाने वाले व्यक्ति की दुर्घटना हो सकती है। अतः ऐसे व्यक्ति को अपना जाना कुछ मिनट के लिए स्थगित कर देना चाहिए।
10-रुई का शकुन
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रूई का कोई टुकड़ा किसी व्यक्ति के कपड़ों पर चिपका मिले तो यह शुभ शकुन है। यह किसी शुभ समाचार आने का संकेत है या किसी प्रिय व्यक्ति के आने का संकेत है। कहा जाता है कि रूई का यह टुकड़ा व्यक्ति को किसी एक अक्षर के रूप में नजर आता है व यह अक्षर उस व्यक्ति के नाम का प्रथम अक्षर होता है, जहां से उस व्यक्ति के लिए शुभ संदेश या पत्र आ रहा है।
11-चाबियों का शकुन
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चाबियों का गुच्छा गृहिणी की संपूर्णता का प्रतीक है। यदि गृहिणी के पास चाबियों का कोई ऐसा गुच्छा है, जिस पर बार-बार साफ करने के बाद भी जंग चढ़ जाए तो यह एक अच्छा शकुन है। इसके फलस्वरूप घर का कोई रिश्त��दार अपनी जायदाद में से आपको कुछ देना चाहता है या आपके नाम से कुछ धन छोड़कर जाना चाहता है। चाबियों को बच्चे के तकिए के नीचे रखना भी अच्छा होता है, इससे बुरे स्वप्नों एवंबुंरी आत्माओं से बच्चे का बचाव होता है।
12-बटन का शकुन
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कभी-कभी कमीज़, कोट या अन्य कोई कपड़े का बटन गलत लग जाए तो अपशकुन होता है, जिसके अनुसार सीधे काम भी उल्टे पड़ जाएंगे। इसके दुष्प्रभाव से बचने के लिए कपड़े को उतारकर सही बटन लगाने के बाद पहनें। यदि रास्ते चलते आपको कोई बटन पड़ा मिल जाए तो यह आपको किसी नए मित्र से मिलवाएगा।
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रंग और भी है गुलाब के, तुम खास होते तो गुलाबी न देते, अगर मेहमान ही समझते तुमको, तो अपने घर की चाबी न देते ।।
– अय्यारी
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"ना सोचा था कभी इतने करीब हो जाओगे, हमने तो बस तुम्हें रुकने को कहा था, ना पता था मेहमान बन जाओगे। ग़म बांटते बांटते, तुम इतने अपने कबसे बन गए? हमने तो तुम्हें मेहमान समझा था, तुम जान कबसे हो गए?"
"I never thought you would come so close. I had only asked you to stop, not knowing you would become a guest. While sharing our sorrows, when did you become so much a part of us? I had considered you a guest, when did you become one of us?"
- Zayd Ali | @ZaydAlix on Instagram
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...मैं बहुत खुश हूं ......!✨💝 ...कि मुझे सच्चा सतगुरु मिला सच्चा भगवान मिला और सच्चा नाम और सच्ची भक्ति...!!☺️🥀❤️ मन नेकी कर ले दो दिन का मेहमान!❤️ .#तत्वदर्शी_संत_रामपाल_जी_महाराज_जी ♥️✨♥️ #सत_भक्ति_संदेश #super_kabir_is_god #saintrampalji #satlok ♥️#kabirisgod #tatvdarshisant #santrampalji #santrampaljimaharaj #jagatguru_saintrampalji #godkabir #supremegodkabir #saintrampaljimaharaj 🥰#saintrampalji_truesaint #sanews #sanewschannel #kabir #satlok_ashram_news #satlokashramnewschanel #satlokashram #supremegod #truegure #god_lover_shubham🥰♥️ (Udaipur, Rajasthan में) https://www.instagram.com/p/CoT60J6Svau/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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सफ़र से इश्क करना सीखों, मंजिल तो कुछ पल की मेहमान है।।
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Free tree speak काव्यस्यात्मा 1347.
सर्द गुलाबी मौसम में
सर्द गुलाबी मौसम में
आते पक्षी बन कर मेहमान।
कलरव करते गीत गाते
क़दमों पर रखते जहान।
उड़ते जल तट तल पर
ये हैं साइबेरियन महान।
स्वच्छ सरोवर की माटी
उनको लगते पुण्य समान।
हजारों मील से उड़कर आते
सारी धरती घर समान।
निर्मल आभा खींच के लाते
धरती दिखती स्वर्ग समान।
जैसे सुन वंशी की तान
हवा ठहरकर करे हो ध्यान।
सरहदों की टूटे दीवार
नहीं कोई काटों का तार।
-© कामिनी मोहन पाण्डे��।
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#TrueWorship_TrueHappiness
शीतल जो की रोहिणी दिल्ली की रहने वाली हैं उन्हें कैंसर की बीमारी थी, उन्हें डॉक्टरों ने 2 दिन का मेहमान बता दिया था, लेकिन महज संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेने के बाद से ही उनकी ऐसी भयंकर बीमारी तक ठीक हो गयी।
Sant Rampal Ji Maharaj
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रामप्रसाद की तेहरवीं फिल्म रिव्यु
परिवार के बना��टी रिश्ते!
रामप्रसाद की तेहरवीं फिल्म के मुख्य फिल्म सितारे प्लॉट: यह फिल्म राम प्रसाद के परिवार पर बनाई गई है जिनका स्वर्गवास हो गया है और उनके सभी 6 बच्चे जिनमें चार बेटे और दो बेटियां अपने पुश्तैनी घर पर अपने पिता की तेहरवीं पर आते हैं लेकिन वह सभी अपने पिता के जाने के दुख को बाँटने के बजाय अपनी ही समस्याओं में उलझ जाते हैं, आपस में ही लड़ने झगड़ने लग जाते हैं जो आज तक अपने माता-पिता को एक बार भी देखने नहीं आए,अब आए हैं तो पिता की तेहरवीं पर आपस में ही झगड़ रहे हैं उनकी मां उन सभी का चुपचाप तमाशा देख रही है पर कुछ नहीं बोलती| अब मां अकेली हो गई कौन सा बेटा उनको अपने साथ लेकर जाएगा? क्या वह अकेली ही इतने बड़े घर में रहेगी? यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी| टोन और थीम: इस फिल्म की टोन फैमिली ड्रामा है औरथीम फॅमिली एंड रिलेशनशिप पर है, इस फिल्म को बनाने का उद्देश्य आज के परिवारों की सच्चाई दिखाना है कि आजकल के बच्चे अपने माता-पिता को नहीं पूछते| यह फिल्म इस मुद्दे पर ध्यान आकर्षित करती है और छाप छोड़ने में कामयाब रही| फिल्म हमारे समाज की सच्चाई से रूबरू करवाती है एक्टिंग एंड कैरक्टर्स: अम्मा के किरदार में सुप्रिया पाठक कपूर ने बहुत ही शानदार अभिनय किया है उन्होंने अपने किरदार को बहुत ही संपूर्णता से निभाया, उनका अभिनय उत्तम दर्जे का कहा जा सकता है पति को खोने का दर्द क्या होता है वह उन्होंने अपने चेहरे पर बखूबी चित्रित किया| राम प्रसाद के किरदार में नसीरुद्दीन शाह का रोल मेहमान भूमिका में है जितना भी उनका स्क्रीन टाइम था उन्होंने अपने रोड को अच्छे से निभा दिया| सीमा के किरदार कोंकणा सेन शर्मा का अभिनय भी अच्छा कहा जा सकता है, उनक�� अभिनय में बिल्कुल अलग तरह का एक ऐटिटूड, दुख, दर्द पीड़ा और अकेलापन पर्दे पर नजर आया| सपोर्टिंग कास्ट में परमब्रत चट्टोपाध्याय, विक्रांत मैसी, मनोज पाहवा, निनाद कामत, विनय पाठक, दीपिका अमीन, दिव्या जगदाले, सादिया सिद्दीकी, अनुभा फतेहपुरी, सारिका सिंह, बृजेंद्र काला, श्रीकांत वर्मा, राजेंद्र गुप्ता, पुष्पा जोशी, विनीत कुमार, अलका कौशल और यामिनी दास सभी ने अपने किरदारों को ठीक से निभाया है | निर्देशन: इस फिल्म को सीमा पाहवा ने निर्देशित किया है जो की जानी-मानी एक फिल्म अभिनेत्री भी है यह उनकी पहली हिंदी फिल्म डेब्यू Directorial है, उन्होंने कहानी को बहुत अच्छे ढंग से बताने की कोशिश की है फिल्म की गति थोड़ी सी धीमी जरूर है लेकिन फिल्म कहीं से भी पटरी से नहीं उतरती, वह कहानी में सही तरीके से तकरार और टकराव दिखा पाई, पहली फिल्म को ही सीमा पाहवा ने बहुत अच्छे से निर्देशित किया है, सभी चरित्रों को बहुत अच्छे से पर्दे पर चित्रित किया गया है, सभी का अभिनय असल जिंदगी के चरित्रों जैसा लगता है| कहानी-पटकथा: सीमा पाहवा की कहानी भी आज के दौर की है आज समाज में रिश्तों की कोई अहमियत नहीं रह गई है, पटकथा भी बहुत बढ़िया से लिखा गया है डायलॉग: सीमा ��ाहवा ने सभी चरित्रों के डायलॉग आपस में विश्वसनीय लगने वाले लिखे हैं, जो फिल्म की कहानी के मुताबिक बिल्कुल फिट बैठते हैं सभी के डायलॉग फिल्म की टोन और थीम से मैच करते हैं, फिल्म के कथन में डायलॉग ने सभी चरित्रों के भाव आदि को अच्छे से वर्णित किया हैं| संगीत और बैकग्राउंड स्कोर: इस फिल्म में सागर देसाई का संगीत और बैकग्राउंड स्कोर कुछ खास प्रभाव नहीं डाल पाया, सभी गीत फिल्म के बैकग्राउंड में ही चलाए गए हैं, बैकग्राउंड स्कोर फिल्म के मूड और कहानी के हिसाब से sync करता है| लिरिसिस्ट: नीरज पांडे के लिखे सभी गीत भी कहानी के साथ अपने आप को जोड़ते हुए पाते हैं सिनेमैटोग्राफी: सुदीप सेनगुप्ता की पूरी फिल्म की सिनेमैटोग्राफी एक ही घर में फिल्माई गई है तो ज्यादा स्कोप फिल्म में नहीं था पर जितने भी शॉट घर के अंदर फिल्माए गए हैं वह बेहतरीन फिल्माए गए हैं साउंड डिजाइन: रेसुल पूकुट्टी और अमृत प्रीतम का साउंड डिजाइन बहुत ही बढ़िया है प्रोडक्शन डिजाइन: परिजात पोद्दार का प्रोडक्शन डिजाइन कहानी के मुताबिक किया गया है एडिटिंग: दीपिका कालरा की एडिटिंग थोड़ी सी कसी हुई हो सकती थी, फिल्म Slow pace की है दृश्यों के बीच की गति कमजोर है कॉस्ट्यूम डिजाइन: दर्शन जालान और मनीष तिवारी के ��ॉस्ट्यूम डिजाइन फिल्म की थीम और टोन से मेल खाते हैं| ओपिनियन: जो लोग कला फिल्में देखने के शौकीन है वह लोग यह फिल्म एक बार देख सकते हैं मैसेज: आज के परिवारों में रिश्तो और एक दूसरे से लगाव को संजोकर रखना बहुत जरूरी है क्लाइमेक्स: फिल्म का क्लाइमेक्स बहुत बढ़िया बन पड़ा है| 67th फ़िल्मफ़ेयर अवॉर्ड नॉमिनेशंस: बेस्ट फिल्म, बेस्ट एक्ट्रेस क्रिटिक्स, बेस्ट डायरेक्टर, बेस्ट डेब्यू डायरेक्टर, बेस्ट फिल्म क्रिटिक्स, बेस्ट स्टोरी, बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस के नॉमिनेशंस प्राप्त हुए थे फिल्म एक बेस्ट डेब्यू डायरेक्टर सीमा पाहवा जीतने में कामयाब रही| CBFC-U Movietime-1h.53m Genre-Family Drama Backdrop-Lucknow Release-2021 फ़िल्मकास्ट: सुप्रिया पाठक कपूर, कोंकणा सेन शर्मा, परमब्रत चट्टोपाध्याय, विक्रांत मैसी, मनोज पाहवा, निनाद कामत, विनय पाठक, दीपिका अमीन, दिव्या जगदाले, सादिया सिद्दीकी, नुभा फतेहपुरा, सारिका सिंह, बृजेंद्र काला, श्रीकांत वर्मा, राजेंद्र गुप्ता, पुष्पा जोशी, विनीत कुमार, अलका कौशल और यामिनी दास, नसीरुद्दीन शाह (मेहमान भूमिका) प्रोडूसर:मनीष मुंद्रा, जिओ स्टूडियोज, लेखक और डायरेक्टर:सीमा पाहवा, साउंड डिज़ाइन:रेसुल पोकुट्टी अमृत प्रीतम कास्टूम डिज़ाइन:दर्शन जालान, मनीष तिवारी, म्यूजिक एंड बैकग्राउंड स्कोर:समीर देसाई, प्रोडक्शन डिज़ाइन: परिजात पोद्दार, एडिटर:दीपिका कालरा, सिनेमेटोग्राफी:सुदीप सेनगुप्ता, लिरिक्स:नीरज पांडेय, आर्ट डायरेक्शन:कृष्णा स्वैन, कास्टिंग: कास्टिंग बे Read the full article
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