#मेढ़
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bikanerlive · 3 months ago
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*मेढ़ क्षत्रिय स्वर्णकार समाज ने धूमधाम से मनाया गया 78वां स्वतंत्रता दिवस*
बीकानेर – स्वतंत्रतादिवस के मौके पर मेढ क्षत्रिय स्वर्णकार भवन रानी बाजार में तिरंगा शान से फहराया गया । ट्रस्ट के राधेश्याम मोषुण तिलक नगर निवासी ने झंडा फहराया। गणेशलाल सोनी सहदेवडा ने वीरों को याद करते हुएं उनके मार्ग दर्शकों पर प्रकाश डाला। चंपाराम डावर,बद्रीनारायण,गोपाल लाल भूण,गोपाल तोषावड,शिवनारायण,तुलसीराम,ओमप्रकाश,हनुमान प्रसाद,सत्यनारायण,बृजमोहन, मेगराज आदि मौजूद रहें ।
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sharpbharat · 1 year ago
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jamshedpur rural- चाकुलिया में दो मादा हाथी की मौत के मामले की एसडीओ ने की जांच, मिल मालिक व बिजली विभाग को नोटिस देकर मांगा जबाव, देखिए video
चाकुलिया: चाकुलिया नगर पंचायत के मुस्लिम बस्ती के सेखपाड़ा के पीछे विगत दिनों राइस मिल के लिए बने तालाब के मेढ़ पर हाथियों के चढ़ने से और हा�� वोल्टेज बिजली तार के स्पर्श होने से दो मादा हाथियों की मौत हो गयी थी. इस मामले में विगत दिनों रेंजर सह जांच टीम के सचिव दिग्विजय सिंह के नेतृत्व में टीम ने घटना स्थल का निरीक्षण कर जांच रिपोर्ट विभाग के वरीय पदाधिकारी को सौंप दी है. जांच में शामिल…
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nayesubah · 2 years ago
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चैनपुर बीडीओ ने मेढ़ पंचायत में संचालि�� योजनाओं का किया जांच
चैनपुर बीडीओ ने मेढ़ पंचायत में संचालित योजनाओं का किया जांच
Bihar: कैमूर जिले के चैनपुर प्रखंड क्षेत्र के ग्राम पंचायत मेढ़ में सरकार द्वारा संचालित कल्याणकारी योजनाओं की जांच चैनपुर बीडीओ एजाजुद्दीन अहमद के द्वारा किया गया है, की गई जांच में आंगनवाड़ी केंद्र, संचालित सरकारी विद्यालय, मनरेगा के तहत करवाए गए कार्य, नल जल योजना, पक्की नाली व गली का निर्माण सहित कुल 15 बिंदुओं पर जांच की गई है। जांच से संबंधित जानकारी देते हुए चैनपुर बीडीओ एजाजुद्दीन अहमद…
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cfor36garh · 3 years ago
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स्वयं भू गणेश प्रतिमा 🕉️ कोण्डागांव जिले के विश्रामपुरी ब्लॉक से 5 किलोमीटर की दूरी पर ग्राम खलारी में स्थित है। यह गणेश प्रतिमा स्वयं धरती से अम्बर हुआ है। खलारी ग्राम से 1.5 किलोमीटर की दूरी पर खेतों के बीच में स्थित है। यह खेत के मेढ़ पार मार्ग पुराने जमाने का खलारी से विश्रामपुरी मुख्य पैदल मार्ग है। इसी पैदल रास्ते से होकर विश्रामपुरी बाज़ार जाते थे। बाज़ार से वापस आते लोग लोकल भजिया,चना इत्यादि की चढ़ाई करते थे और पूजा भी करते थे। आज भी लोग वहां जाकर पूजा करते हैं। इतिहास:- बुजूगों द्वारा बताया जाता है की यह गणेश प्रतिमा जब जमीन से ऊपर आ रहा था तब जमीन के ऊपर गणेश प्रतिमा के कुछ अंश दिखने पर उसे सुन्ना नामक व्यक्ति ने उसे खोदकर निकाल लिया। निकालने के पश्चात उसे खुद बैल गाड़ी में रखकर उसे खुद खींचते हुए विश्रामपुरी ले गया और उसके बाद उसे होनावंडी ग्राम जो विश्रामपुरी से 8 किलोमीटर की दूरी पर है वहां ले गया। जब होनावंडी के ग्रामवासियों को पता चला कि सुन्ना ने गणेश की मूर्ति को लाया है तो ग्रामवासियों ने ��ुन्ना को मूर्ति को वापस ले जाकर रखने को कहा। बाद में मंदिर का निर्माण कर दिया गया। मूर्ति जब स्वयं भू हुआ था तब छोटा था, मूर्ति पत्थर के होने के कारण उसका आकार बढ़ता जा रहा है। . . Exploring with: @manjhingarh_explore . . . क्रमशः... . #manjhingarh_explore #manjhingarh #kondagaondist #amchokondanar #mavakondanar #hitoryofbastar #chhattisgarh #मांझीनगढ़ #ganeshmurti #shriganeshaynamh🕉️🚩 #amchobastar #history #cfor36garh #chhattisgarhtourism #chhattisgarhdaires #instachhattisgarh #tourism #southchhattisgarh (at Kondagaon, Bastar. Chattisgarh.) https://www.instagram.com/p/CXBbBVJK2kp/?utm_medium=tumblr
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santoshmahtosworld · 4 years ago
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शहर से लगा हुआ मेरा प्यारा-सा गांव गांव से जुड़ी हुई है स्मृतियों की छांव छांव में छुपी हुई अनेक कहनाइयां जिसने तोड़ी हमेशा जिंदगी की ‍वीरानियां वह बचपन के झूले वह गांव के मेले वह ट्रैक्टर की सवारी वह पुरानी बैलगाड़ी वह पुराना बरगद का पेड़ वह खेत की मेढ़ वह चिड़ियों का चहकना वह फूलों का महकना पर धीरे-धीरे गांव बहुमंजिली इमारत में तब्दील हो गया वह कोलाहल और गाड़ियों के शोर से लबरेज हो गया शेष रह गया केवल गाड़ियों का धुआं जिसे देख परेशान हर व्यक्ति हुआ सूरज अब जमीं के पास आ गया भौतिकता का नशा हर व्यक्ति पर छा गया  आदमी को आदमी से न मिलने की है फुरसत भाईचारा और इंसानियत यहां कर रहे रुखसत इस नए जंगल से कोई अब तो निकाले हे परमात्मा मुझे फिर से मेरे पुराने गांव से मिला दे। (at Kaitha) https://www.instagram.com/p/CNoSYkpD9mD/?igshid=10j7ly76tehel
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journalistcafe · 4 years ago
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सनकी युवक ने मंगेतर को खेत में बुलाकर कुल्‍हाड़ी से काटा, कैरेक्‍टर पर था शक
सनकी युवक ने मंगेतर को खेत में बुलाकर कुल्‍हाड़ी से काटा, कैरेक्‍टर पर था शक
शक और नाराजगी के चलते एक युवक ने अपनी ही मंगेतर की कुल्हाड़ी से निर्मम हत्या कर दी। युवक को शक था कि मंगेतर करैक्टरलेस है। मामला राजस्थान के नागौर जिले का है। पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक, सि‍रफिरा युवक अपनी मंगेतर पर बिना बात के शक किया करता था। इसके चलते उसने मंगेतर को खेत मे मिलने के बहाने बुलाकर उसके गले और पीठ पर कुल्हाड़ी से जोरदार वार किया। सि‍रफिरे युवक ने मंगेतर की लाश को खेत की मेढ़…
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shaileshg · 4 years ago
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ठाकुरगंज उत्तर बिहार ��ा आखिरी ब्लॉक है। इसकी एक तरफ नेपाल है और दूसरी तरफ सिलीगुड़ी कॉरिडोर। यानी पश्चिम बंगाल का वह संकरा-सा गलियारा, जिसे ‘चिकन्स नेक’ भी कहा जाता है और जो पूर्वोत्तर राज्यों को शेष भारत से जोड़ता है। बिहार के अंतिम छोर पर बसे ठाकुरगंज ब्लॉक से बांग्लादेश की दूरी भी महज 10 किलोमीटर ही रह जाती है।
सीमांचल का यह क्षेत्र बिहार के सबसे पिछड़े और अविकसित इलाकों में शामिल है। अररिया से ठाकुरगंज की तरफ बढ़ने पर इसकी बदहाली के दर्जनों उदाहरण देखने को मिल जाते हैं। टूटे हुए पुल, धंसी हुई जमीन, कट कर बह चुके खेत और जल भराव के चलते हजारों एकड़ में बर्बाद होती फसलें यहां का आम नजारा है।
ठाकुरगंज की तरफ जाते हुए जिस हाइवे से सीमांचल की ये बदहाली नजर आती है, वह हाइवे अपने-आप में जरूर शानदार है। लेकिन, हाइवे पर लगे ट्रैवल एजेंट्स के विज्ञापन यह अहसास भी दिला देते हैं कि इस हाइवे का उद्देश्य सीमांचल की बेहतरी कम और देश की लेबर सप्लाई को सुगम बनाना ज्यादा है। महानगरों में मजदूरी करने के लिए यहां के हजारों लोग प्रतिदिन इसी शानदार हाइवे से रवाना होते हैं।
हाइवे के दोनों तरफ धान के खेत दूर-दूर तक फैले नजर आते हैं, लेकिन उनमें लगी ज्यादातर फसल बर्बाद हो चुकी है। सुपौल से लेकर किशनगंज तक सीमांचल के तमाम किसान हर साल अपनी फसल को ऐसे ही बर्बाद होते देखते हैं। यहां किसानों की स्थिति दयनीय और चेहरे उदास हो चुके हैं। ऐसे में भी जब कुछ किसान मुस्कान लिए मिलते हैं तो सुखद आश्चर्य होता है।
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सरकारी आकंड़ों के मुताबिक, बिहार में 11 हजार एकड़ जमीन पर चाय की खेती हो रही है।
60 साल के महेंद्र सिंह ऐसे ही एक किसान हैं। 2 एकड़ जमीन पर खेती करने वाले महेंद्र मुख्य तौर पर केला, बैंगन, मकई, अनानास और चाय उगाते हैं। वे कहते हैं, ‘चाय का जो दाम हमें इस साल मिला है, वो आज से पहले कभी नहीं मिला था। ऐसा दाम अगर हर बार मिल जाए तो हमारे बच्चों को कभी मजदूरी के लिए बाहर न जाना पड़े।’
महेंद्र सिंह की तरह ही ठाकुरगंज ब्लॉक के वे सभी किसान इन दिनों खुश हैं, जिन्होंने बीते कुछ सालों में चाय की खेती शुरू कर दी है। बंगाल के सिलीगुड़ी से सटे इस इलाके में अब हजारों लोग चाय उगाने लगे हैं और सीमांचल के अन्य किसानों की तुलना में वे काफी बेहतर स्थिति में हैं।
बिहार में चाय की खेती का इतिहास ज्यादा पुराना नहीं है। पिछले दो दशकों में ही यहां के किसानों ने चाय की खेती शुरू कर दी थी और आज भी बिहार में चाय का उत्पादन मुख्य रूप से किशनगंज जिले के दो प्रखंडों ठाकुरगंज और पोठिया तक ही सीमित है।
महेंद्र सिंह कहते हैं, ‘हम लोग बंगाल से बहुत नजदीक हैं तो वहीं के किसानों को देखकर हमने चाय उगाना शुरू किया था। इसमें अच्छी कमाई होने लगी तो देखा-देखी कई किसान चाय उगाने लगे।’ पोठिया ब्लॉक के बीरपुर गांव में रहने वाले सत्येंद्र सिंह बताते हैं, ‘चाय की खेती में मेहनत भले ही ज्यादा, लेकिन खतरा बहुत कम है। साल भर में 7-8 बार चाय की पत्ती टूटती है तो अगर एक-दो बार ये खराब भी हुई, तब भी उतना नुकसान नहीं, जितना धान में है। वजह ये कि धान तो छह महीने में एक बार होगा और वो खराब हो गया तो पूरा ही नुकसान है।’
ठाकुरगंज और पोठिया इलाके के जितने भी किसानों की जमीन चाय की खेती के लायक है, वो लोग भी बाकी फसलों को छोड़ चाय की खेती करने लगे हैं। इससे इनकी स्थिति में सुधार भी हुआ है, लेकिन इनकी शिकायत है कि सरकार की ओर से कोई भी कदम नहीं उठाया जा रहा।
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फैक्टरी मालिकों के साथ ही चाय उगाने वाले किसान भी मानते हैं कि सरकारी उदासीनता अगर दूर हो तो बिहार के सीमांचल क्षेत्र की स्थिति में काफी सुधार हो सकता है।
बिहार-बंगाल बॉर्डर की बेसरबाटी पंचायत के रहने वाले यदुनाथ ���िंह कहते हैं, ‘जितने भी किसान अभी चाय उगा रहे हैं, वो साथ में अनानास, केले, आलू, बैंगन जैसी अन्य चीजें भी उगाते हैं। ताकि कोई एक फसल खराब भी हो जाए तो दूसरी से उस नुकसान की भरपाई हो सके। चाय मुनाफे का सौदा तो है, लेकिन हर बार ऐसा दाम नहीं मिलता, जैसा इस बार मिल गया। इसमें अगर सरकार मदद करे तो इस इलाके की स्थिति में जमीन-आसमान का अंतर आ सकता है।’
वे आगे कहते हैं, ‘हमारे ठीक बगल में बंगाल है। वहां चाय उगाने वाले किसानों के लिए सरकार सब कुछ करती है। पक्की मेढ़ बनाई जाती है, पानी के लिए पाइप, पम्प और बिजली सब मुफ्त मिलता है। इतना ही नहीं, घर तक बनाकर दिए जाते हैं। बिहार सरकार ऐसा कुछ नहीं करती। फलों के लिए यहां मंडी और चाय के लिए फैक्टरी भी अगर हो जाए तो किसानों का बहुत भला हो जाए।’
सरकारी आकंड़ों के मुताबिक, फिलहाल बिहार में करीब 11 हजार एकड़ जमीन पर चाय की खेती हो रही है और करीब चार हजार किसान चाय उगा रहे हैं। बिहार में कुल नौ करोड़ किलो हरी पत्ती का उत्पादन हर साल होता है और इससे करीब 75 लाख किलो चाय-पत्ती साल भर में तैयार की जाती है।
ठाकुरगंज में चाय की प्रोसेसिंग यूनिट चलाने वाले ‘अभय टी प्राइवेट लिमिटेड’ के मालिक कुमार राहुल सिंह कहते हैं, ‘बिहार में चाय से जुड़ा सरकारी आंकड़ा असल आंकड़े से काफी कम है, क्योंकि यहां ऐसे किसान ज्यादा हैं, जो एक-दो बीघा जमीन पर भी चाय उगाते हैं और इन्हें सरकारी आंकड़े में गिना ही नहीं जाता। बिहार में अभी 8 हजार से ज्यादा किसान चाय उगा रहे हैं और इसकी खेती 20 हजार एकड़ से ज्यादा जमीन पर हो रही है।’
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पिछले दो दशकों में ही यहां के किसानों ने चाय की खेती शुरू की है। आज भी बिहार में चाय का उत्पादन किशनगंज जिले के दो प्रखंडों तक ही सीमित है।
कुमार राहुल सिंह बताते हैं कि बिहार में सिर्फ दस प्रोसेसिंग यूनिट्स हैं, जो यहां उगाई जा रही चाय के लिए बहुत कम हैं। इसके चलते यहां से चाय बंगाल भेजी जाती है, जिसके दोहरे नुकसान हैं। एक तो बिहार राज्य को राजस्व का नुकसान हो रहा है और दूसरा यहां लोगों को रोजगार न मिलने का नुकसान हो रहा है।
वे कहते हैं, ‘अगर यहां फैक्टरी लगें तो सैकड़ों लोगों को उसमें रोजगार मिलेगा और हजारों लोगों को चाय बागानों में। अभी सिर्फ दो ब्लॉक में चाय हो रही है, जबकि किशनगंज जिले के साथ ही पूर्णिया, अररिया और कटिहार में भी चाय उत्पादन की संभावनाएं हैं।
सरकार अगर सिर्फ बिजली की व्यवस्था भी सुधार दे तो यहां फैक्टरी खुद ही आ जाएंगी और इस इलाके की पलायन जैसी बड़ी समस्या बहुत हद तक कम हो सकेगी। लेकिन, अभी तो ऐसी स्थिति है कि पूरे बिहार में जो गिनती की दस फैक्टरियां हैं, वो भी बिजली कटने से हो रहे नुकसान के कारण बिकने की स्थिति में हैं।’
राहुल सिंह जैसे फैक्टरी मालिकों के साथ ही चाय उगाने वाले किसान भी मानते हैं कि सरकारी उदासीनता अगर दूर हो तो बिहार के सीमांचल क्षेत्र की स्थिति में काफी सुधार हो सकता है। महेंद्र सिंह कहते हैं, ‘धान जैसी फसल दस एकड़ में उगाकर भी किसान उतना नहीं कमा सकता, जितना एक एकड़ में चाय से वो कमा सकता है।
दो एकड़ जमीन पर चाय उगाने वाले छोटे को फिर और कुछ करने की जरूरत नहीं है। लेकिन, ये तभी हो सकता है, जब सरकार फैक्टरी लगवाए और चाय खरीद की प्रक्रिया ठीक करे। इतना भी अगर हो जाए तो हमारे बच्चों को फिर मजदूरी के लिए कभी बाहर नहीं जाना पड़ेगा।'
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Bihar Assembly Election 2020 : ground report from seemanchal tea garden
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bikanerlive · 4 months ago
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बजट में ओबीसी पर ध्यान व सोने चांदी पर टैक्स की कटौती से सोनार समाज को मिलेगा लाभ -गणेश लाल सोनी
बीकानेर भाजपा के वरिष्ठ नेता तथा मेढ़ क्षत्रिय स्वर्णकार सभा संस्था के उपाध्यक्ष  गणेशलाल सोनी(सहदेव) ने बताया कि ओबीसी वर्ग, व सोने चांदी पर मंत्री ने इस बार ध्यान दिया है जो  सोनार समाज के लिए राहत की खबर है क्योंकि भाव है अधिक हो जाने के कारण बाजार काफी मंदा था और ऊपर टैक्स की मार से व्यापारी तथा गृहक दोनों को मार पड़ रही थी इंपोर्ट ड्यूटी पर 6% की कटौती से  भाव में काफी राहत मिलेगी तथा ग्रहक …
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smarthulchal · 6 years ago
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नगर स्वर्णकार समाज कार्यकारिणी विस्तार नगर स्वर्णकार समाज कार्यकारिणी विस्तार आसींद । (टीकमचंद सोनी )  आसींद मेढ़ क्षत्रिय स्वर्णकार समाज नगर अध्यक्ष विष्णु सोली वाल द्वारा समाज की कार्यकारिणी का विस्तार करते हुए उपाध्यक्ष देवीलाल बुवाल,शंकर सोलीवाल कोषाध्यक्ष पद गौतम बुकण, सहमंत्री दिनेश उदावत सुरेश सोलीवाल प्रचार मंत्री टीकम चंद सोनी सलाहकार मंत्री दिनेश जगवोल सुरेश डासाणिया संरक्षक शंभूलाल जमुनालाल खूबी लाल सोनी को अपने अपने पद की शपथ दिलाई समाज के वरिष्ठ परसराम सोनी ने बताया कि हमें भी एकजुट होकर समाज में तरह तरह के विकास करने चाहिए साथ ही समाज के युवाओं को प्रोत्साहित करें साथ ही उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में भी संयोग करें नगर पूर्व अध्यक्ष जमनालाल सोनी ने बताया कि बसंत पंचमी पर आयोजित मोतीपुर सम्मेलन पर भी चर्चा हुई इस मौके पर समाज के समस्त वरिष्ठ लोग मौजूद रहे कार्यक्रम का समापन स्नेह भोज के साथ संपन्न हुआ*
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nayesubah · 3 years ago
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आजादी के अमृत महोत्सव पर मेढ़ पंचायत में स्वास्थ्य मेला का हुआ आयोजन 667 लोगों का हुआ इलाज
आजादी के अमृत महोत्सव पर मेढ़ पंचायत में स्वास्थ्य मेला का हुआ आ���ोजन 667 लोगों का हुआ इलाज
Bihar: कैमूर जिले के चैनपुर प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत ग्राम मेढ़ में आजादी के अमृत महोत्सव पर चैनपुर सीएचसी के माध्यम से स्वास्थ्य मेला का आयोजन किया गया जहां सुबह 8:00 बजे से शाम 4:00 बजे तक 667 लोगों की स्वास्थ्य जांच करते हुए दवाइयां उपलब्ध करवाई गई हैं। उक्त स्वास्थ्य मेले का उद्घाटन चैनपुर प्रखंड प्रमुख एवं चैनपुर भाग 2 के जिला पार्षद बुल्लू मस्ताना के द्वारा किया गया, मौके पर डीटीएल कैमूर…
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ajitnehrano0haryana · 5 years ago
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जयपुर/सीकर। राजस्थान में सर्दी लोगों को जमकर टॉर्चर कर रही है। कड़ाके के सर्दी से जन जीवन के साथ फसलें भी प्रभावित हो रही हैं। कई जगह पाला पड़ने से जीरा, धनिया और टमाटर की फसल नष्ट हो ��ई है। फतेहपुर कृषि अनुसंधान केन्द्र पर तीसरे दिन न्यूनतम पारा और नीचे चला गया।
दो दिन से तापमान जहां माइनस तीन डिग्री था। वहीं शनिवार को एक डिग्री और लुढकऱ माइनस 4 डिग्री पर पहुंच गया। हिमाचल में हुई बर्फबारी के बाद चल रही उत्तरी हवाओं ने विंड स्ट्रॉम की स्थिति बना दी। हवा में नमी की मात्रा शत प्रतिशत तक पहुंच गई।
बीती मध्यरात्रि से तडक़े तक ठंड तो इतनी ज्यादा थी कि जमीन पर पाला जमना शुरू हो गया। उजाला होने तक खेतों में फसलों पर पाला जम चुका था। घास फूस, खेतों की मेढ़ आदि पर बर्फ की सफेदी नजर आई। कड़ाके की सर्दी से बचने के तमाम उपाय बौने साबित हो रहे हैं।
दो दिन में फसलों में काफी नुकसान जिले में लगातार दूसरे दिन तक खेतों में बर्फ जमने से सब्जियों में नुकसान का स्तर और बढ़ गया है। कृषि विभाग के मोटे आंकलन के कारण कई जगह अगेती फसलों में नुकसान का प्रतिशत सात से 50 प्रतिशत तक आंका जा रहा है। गेंहू और जौ को छोडकऱ सभी फसलों की गुणवत्ता प्रभावित हो गई है। रबी की फसलों की जल्द बुवाई हुई थी। इस कारण अगेती फसलों का बुवाई क्षेत्र ज्यादा है। हालांकि नुकसान का सही आंकड़ा मौसम खुलने के बाद ही लगाया जा सकेगा।
और गिरेगा तापमान मौसम विभाग के मुताबिक पहाड़ी क्षेत्र में हो रही बर्फबारी से मैदानी इलाकों में तापमान में और गिरावट होगी। विभाग के अनुसार आगामी दो दिन में प्रदेश के कई इलाकों में शीतलहर तेज होगी।
पाला पड़ने से फसलें बर्बाद किसान शिशुपाल सिंह का कहना है कि रबी की बुवाई के बाद नवम्बर और दिसम्बर मावठ होने के बाद इस बार फसलों का उत्पादन बढऩे की उम्मीद जागी थी लेकिन दो दिन से लगातार जमे पाले ने रबी की फसलों की सूरत ही बिगाड़ दी।
बारानी अगेती सरसों में जो फलियां बनी चुकी थी, उनमें बन रहे दाने का पानी हो गया है। जो दो चार दिन में सूखकर काला हो जाएगा। इसी प्रकार चने की फसल भी काली पड़ गई है। अगर पाला एक दो दिन और पड़ गया तो फसल बर्बाद ही हो जाएगी। सबसे ज्यादा नुकसान मटर में हुआ है।
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source https://lendennews.com/archives/64648 https://ift.tt/2stefFT
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24x7politics · 5 years ago
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नदी संरक्षण: प्रदेश में मेढ़ बंधान योजना के तहत नदियों के पुनर्जीवन के लिए कैचमेंट एरिया में अभियान चलाया जाएगा, जिससे नदियां पुनर्जीवित होंगी और किसानों को सिंचाई के लिए पानी मिल सकेगा। "किसानों के साथ-कमलनाथ"https://t.co/SXk5FkSTeV
— 24x7politics (@24x7Politics) July 17, 2019
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shaileshg · 4 years ago
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दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल की नई बनी इमारत के बाहर लोगों की भीड़ है। वहीं एक कोने में एक बुजुर्ग उदास बैठे हैं। उनके इर्द-गिर्द लोग जुटे हैं। कुछ को वो जानते हैं, कुछ को नहीं। कुछ उन्हें सांत्वना दे रहे हैं, कुछ ये भरोसा की उनकी बेटी जिंदगी की जंग जीत जाएगी।
दो सप्ताह पहले उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में गैंगरेप का शिकार हुई उनकी बेटी अस्पताल में वेंटीलेटर पर है। उसकी जीभ काट दी गई थी। रीढ़ की हड्डी टूटी हुई है। जिस्म पर कई गहरे जख्म हैं। दुपट्टे से उसका गला घोटा गया और उसे मरा जानकर छोड़ा गया।
उसके पास अभी कोई नहीं है। उसका छोटा भाई जो पिछले दो सप्ताह से उसकी देखभाल कर रहा है, दिल्ली पुलिस के जवानों के साथ गया है, जो ये देखने आए थे कि परिवार को अस्पताल में सुरक्षा मिली है या नहीं। पिता दीवार से कमर टिकाए गुमसुम बैठे हैं। लोग उनसे क्या कह रहे हैं इसका उन्हें बहुत ज्यादा होश नहीं है। मैं उनसे बात करने की कोशिश करती हूं तो वो कहते हैं कि मैं बहुत बोल नहीं पाउंगा। मैं उनके पास ही बैठ जाती हूं।
कुछ देर बाद वो बोलना शुरू करते हैं। बेटी का नाम आते ही फफक पड़ते हैं। चेहरा मास्क से ढका था, आंखों में दर्द और डर साफ नजर आ रहा था। वो कहते हैं, "ये लोग गांव के ठाकुर हैं। ये लोग मेरी बेटी से दरिंदगी करने से पहले मेरे पिता से भी मारपीट कर चुके हैं। उनकी उंगलियां तक काट दी थी। इनकी विचारधारा पहले से ऐसी ही है। ये हमें डराते-धमकाते रहते थे, हम हमेशा बर्दाश्त करते और सोचते कि चलो जाने दो। अब इन्होंने हमारी बेटी के साथ ऐसा अत्याचार किया है।"
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हाथरस में गैंगरेप की शिकार दलित लड़की की हालत नाजुक है। उसे आईसी��ू में शिफ्ट किया गया है।
वो बोलते-बोलते अचानक खामोश हो जाते हैं। खौफ उनके चेहरे पर तैरने लगता है। दलित संगठनों से जुड़े लोग उन्हें भरोसा देने की कोशिश करते हैं कि उन्हें और उनके परिवार को अब कुछ नहीं होगा। लेकिन उनका डर कम नहीं होता।
इसी बीच उनका सबसे छोटा बेटा हांफता हुआ आता है। उसका फोन दोपहर से ही बंद है। बहन की देखभाल, कागजों की लिखत-पड़त और अस्पताल में अलग-अलग जगहों के चक्कर काटने में उसे इतना भी समय नहीं मिला है कि कुछ देर रुककर अपना फोन ही चार्ज कर सके।
उसके आते ही कई फोन बात करने के लिए उसे पकड़ा दिए जाते हैं। कुछ पारिवारिक रिश्तेदारों के हैं, कुछ पत्रकारों के, सभी बस वेंटिलेटर पर भर्ती उसकी बहन का हाल जानना चाहते हैं।
वो बताता है, "मैं 12 दिनों से घर नहीं गया हूं। बहन बोल नहीं पा रही है। बस वो आंखों से पहचान रही है। कभी-कभी इशारा करती है। उसकी हालत देखी नहीं जा रही है। मैं उसकी आवाज सुनने को बेचैन हूं। वो मौत से लड़ रही है।"
वो कहता है, "मैं नोएडा में रहकर काम करता था। फोन करता था तो बहन से बहुत बात नहीं हो पाती थी। वो घर के काम-धंधों में लगी रहती थी। अभी मैं कोशिश कर रहा हूं कि बहन से दो बातें हो जाएं तो वो बोल ही नहीं पा रही है क्योंकि उसकी जीभ कटी हुई है।"
13 दिन अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के मेडिकल कॉलेज में इलाज कराने के बाद उसे एंबुलेंस के जरिए सोमवार को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल लाया गया है।
14 सितंबर को हुआ क्या था?
परिवार के मुताबिक, 14 सितंबर को सुबह-सुबह पीड़िता, उसका बड़ा भाई और मां गांव के जंगल में घास काटने गए थे। जब घास की एक गठरी बंध गई तो बड़ा भाई उसे लेकर घर चला आया। मां और बेटी खेत में अकेले रह गए। मां आगे घास काट रही थी। बेटी पीछे कुछ दूर उसे इकट्ठा कर रही थी। इसी दौरान चारों अभियुक्तों ने पीड़िता के गले में पड़े दुपट्टे से उसे बाजरे के खेत में खींच कर उसका गैंगरेप किया।
उस दिन की घटना के बारे में पीड़िता का भाई बताता है, "मां ने बहन को आवाज़ें दी तो उसका कोई जवाब नहीं आया। पहले उन्हें पानी देने के लिए बनाई गई मेढ़ में उसके चप्पल दिखे, फिर बाजरे के टूटे पौधे दिखे तो वो खेत में अंदर गईं जहां बीस मीटर भीतर वो बहुत ही बुरी हालत में बेहोश पड़ी हुई थी। मां चिल्लाई तो कुछ बच्चे आए, उन्होंने उन्हें तुरंत लोगों को बुलाने और पानी लाने भेजा। बच्चे मेढ़ में भरा पानी पॉलीथीन में भरकर ��ाए। वो उसके मुंह पर डाला लेकिन उसे होश नहीं आया।"
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परिवार के मुताबिक14 सितंबर की घटना है ये जब वे लोग खेत में घास काटने गए थे।
वो बताते हैं, "मेरी मां और भाई उसे तुरंत थाने गए और तहरीर दी। तब तक ये नहीं पता था कि किसने हमला किया है। कितने लोग थे और उसके साथ क्या हुआ है।" पीड़िता के पिता बताते हैं, 'वो दरिंदे खेत के चक्कर लगा रहे थे। लेकिन मेरी बेटी और पत्नी उनके इरादे को भांप नहीं पाए। उन्होंने मेरी बेटी को घात लगाकर शिकार बनाया। उन्हें किसी का डर नहीं था।'
पुलिस की भूमिका पर उठ रहे हैं सवाल
हाथरस पुलिस ने अब तक इस मामले में संदीप, रामकुमार, लवकुश और रवि नाम के चार अभियुक्तों को गिरफ्तार किया है। चारों ही तथाकथित उच्च जाति के है। हालांकि दलित संगठनों का आरोप है कि पुलिस ने इस मामले में लीपापोती करने की कोशिश की।
पहले सिर्फ हत्या की कोशिश का मामला दर्ज किया। एक ही व्यक्ति को अभियुक्त बनाया गया। दस दिनों तक किसी को गिरफ्तार नहीं किया। जब दलित नेता चंद्रशेखर ने ट्वीट किया और अलीगढ़ जाने का ऐलान किया तब अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया। गैंगरेप की धारा भी बाद में जोड़ी गई। हालांकि पुलिस का कहना है कि परिवार ने जो शिकायत दी थी उसी के आधार पर पहला मुकदमा दर्ज किया गया था और बाद में पीड़िता के बयान के आधार पर गैंगरेप का मुकदमा दर्ज किया गया।
पीड़िता को अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। जहां पुलिस 19 सितंबर को उसका बयान लेने के लिए पहुंची थी। यानी घटना के पांच दिन बाद। उस दिन पीड़िता की हालत गंभीर थी और वो अपना बयान दर्ज नहीं करा सकी थी। फिर 21 और 22 सितंबर को सर्किल ऑफिसर और महिला पुलिस कर्मी पीड़िता का बयान लेने पहुंचे थे।
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हाथरस के थाना चंदपा इलाके के गांव में 14 सितंबर को चार दबंग युवकों ने 19 साल की दलित लड़की के साथ बाजरे के खेत में गैंगरेप किया था।
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bikanerlive · 2 years ago
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स्वर्णकार कल्याण बोर्ड को लेकर राजस्थान शिक्षा मंत्री डॉ. बी.डी कल्ला को सौंपा ज्ञापन
स्वर्णकार कल्याण बोर्ड को लेकर राजस्थान शिक्षा मंत्री डॉ. बी.डी कल्ला को सौंपा ज्ञापन
स्वर्णकार कल्याण बोर्ड बनाने हेतु शिच्छा मंत्री डॉ बीड़ी कल्ला को सोपा मांग पत्र। बिकानेर 28 नवम्बर। बीकानेर के मेढ़ क्षत्रिय स्वर्णकार समाज के लोगो ने सरदारशहर में स्वर्णकार कल्याण बोर्ड बनाने के लिए शिवनारायण मोसुन,ओमप्रकाश कांटा मेघराज मोसुन मुरली धर मोसुन व जितु भाई बिकानेरी ने राजस्थान सरकार के केबिनेट मंत्री व शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला से सरदारशहर मे मुलाकात की समाज बन्धु को राजनीति पार्टी से…
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devbhumimedia · 8 years ago
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खाली होते गांव में शुरु की बड़ी इलायची की लाभकारी खेती देहरादून। उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र से जहां लोग रोजगार की तलाश में बड़ी संख्या में लगातार शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं वहीं, कुछ लोग ऐसे भी हैं जो कि गांव में ही रोजगार के साधन विकसित कर उजड़ते गांवों को बचाने का काम कर रहे हैं। ऐसे ही एक युवक हैं टिहरी जिले के भिलंगना विकासखंड के द्वारी गांव निवासी आशाराम नौटियाल। आशाराम नौटियाल ने गांव में बड़ी इलायची की लाभकारी खेती शुरु कर रोजगार के अवसर सृजित करने का काम किया है। उनके द्वारा गांव में करीब 23 नाली क्षेत्र में इलाचयी की खेती की जा रही है। आशाराम नौटियाल के इस कार्य से पलायन के चलते जन शून्य की ओर बढ़ते इस गांव में पलायन को रोकने की दिशा में एक आशा की किरण दिख रही है। रोजगार की तलाश में शहरों की ओर पलायन करने वाले युवाओं के लिए आशाराम प्रेरणासा्रेत हैं। सरकार पलायन को रोकने के दावे करती है लेकिन उसके यह दावे खोखले ही साबित हो रहे हैं। जो लोग गांव में ही रोजगार के साधन विकसित कर पलायन को रोकने की दिशा में ईमानदारी से काम कर रहे सरकार यदि थोड़ा उनकी मदद कर ले तो निश्चित रूप से पलायन की समस्या का समाधान हो सकता है, लेकिन सरकार इस दिशा में गंभीर नहीं दिखती है। भिलंगना ब्लॉक के द्वारी गांव के काश्तकार आशाराम नौटियाल ने गांव में बड़ी इलायची की खेती शुरु कर गांव से पलायन कर रहे युवाओं को आइना दिखाया है। घनसाली-पिलखी क्षेत्र के द्वारी गांव निवासी आशाराम नौटियाल उन युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है जो रोजगार की तलाश में पहाड़ से पलायन कर रहे हैं। आशाराम बताते है कि 14 वर्ष पूर्व उन्होंने बड़ी इलायची क��� एक पौधा अपने खेत की मेढ़ पर लगाया था। जिस पर फसल लगने के बाद उन्होंने इसकी खेती करने का मन बनाया। धीरे-धीरे उन्होंने बड़े स्तर पर इसका उत्पादन शुरु किया। अब वह करीब 23 नाली क्षेत्र में इलाचयी का उत्पादन कर रहे हैं। स्थानीय बाजार में उचित मूल्य न मिलने के कारण उन्हें देहरादून के बाजार में यह इलाचयी बेचनी पड़ती है। इससे वह दो लाख रुपये प्रतिवर्ष की आमदनी प्रान्त कर रहे है। उनके द्वारा गांव में ीाल्टा, नींबू, हल्दी, अदरक की खेती की भी शुरु की गई है। आशाराम इलाइची का उत्पादन अपने दम पर कर रहे हैं, उद्यान विभाग द्वारा उनकी कोई मदद नहीं की जा रही है। उनका कहना है कि उन्होंने उद्यान विभाग से इस उत्पादन क्षेत्र में इलाइची की खेती को जंगली जानवरों से बचाने के लिए घेरवाड़ करने की मांग की जा रही है लेकिन उद्यान विभाग द्वारा इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। सरकार के उपेक्षित रवैये से आशाराम खिन्न हैं।
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nayesubah · 3 years ago
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हाटा श्रीराम जानकी की भव्य शोभायात्रा में हजारों लोग हुए सम्मिलित
हाटा श्रीराम जानकी की भव्य शोभायात्रा में हजारों लोग हुए सम्मिलित
Bihar: कैमुर जिले के चैनपुर प्रखंड क्षेत्र के नगर पंचायत हाटा चैनपुर एवं केंवा में श्रीरामनवमी पर भव्य शोभायात्रा का आयोजन हुआ हाटा बाजार में सुबह 7:00 बजे से 10:00 बजे तक बाइक रैली का आयोजन हुआ जो बाइक रैली निर्धारित रूट हाटा बाजार सतौना और अंवखरा सरपनी सरैया आदि भ्रमण करते हुए श्री श्री 108 हाई स्कूल के मैदान में समाप्त हुआ, वहीं दोपहर 2:00 बजे से श्रीराम जानकी की भव्य शोभायात्रा प्रारंभ हुई,…
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