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आइये सीखें कर्मकांड पूजा विधि Karmakand Sikhe
आइये सीखें कर्मकांड पूजा विधि Karmakand Sikhe
कर्मकांड पूजा विधि: एक आध्यात्मिक यात्रा
श्री राम देशिक प्रशिक्षण केंद्र में आपका स्वागत है, जहाँ आप कर्मकांड पूजा विधि सीख सकते हैं। कर्मकांड का अभ्यास भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो हमें पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठानों के माध्यम से आत्मिक शांति और संतोष की प्राप्ति में मदद करता है। यहाँ पर आप केवल 5 महीनों में कर्मकांड पूजा विधि की विधिवत तैयारी कर सकते हैं।
कर्मकांड का महत्व
कर्मकांड, जिसे हिन्दू धर्म में अनुष्ठान और पूजा विधियों का संग्रह माना जाता है, हमारे जीवन में विशेष स्थान रखता है। यह न केवल व्यक्तिगत भक्ति का साधन है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान का भी प्रतीक है। कर्मकांड का अध्ययन हमें निम्नलिखित बातों का ज्ञान कराता है:
धार्मिक अनुष्ठान: कर्मकांड पूजा विधि विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों का पालन करने में मदद करती है, जो व्यक्ति को ईश्वर के निकट लाने का कार्य करती है।
सामाजिक एकता: सामूहिक पूजा और अनुष्ठान समुदाय को एकजुट करते हैं और आपसी संबंधों को मजबूत बनाते हैं।
आध्यात्मिक विकास: नियमित पूजा से व्यक्ति का मानसिक और आध्यात्मिक विकास होता है। यह आत्मा को शुद्ध करने और सकारात्मकता लाने में सहायक है।
संस्कारों का पालन: कर्मकांड हमें संस्कारों और परंपराओं को बनाए रखने में मदद करते हैं, जो पीढ़ियों से आगे बढ़ते हैं।
प्रशिक्षण केंद्र का उद्देश्य
श्री राम देशिक प्रशिक्षण केंद्र का उद्देश्य आपको कर्मकांड पूजा विधि का गहन अध्ययन और अभ्यास कराना है। यहाँ पर आप निम्नलिखित लाभ उठा सकते हैं:
विधिवत अध्ययन: आप कर्मकांड की विधियों को विस्तार से समझ सकते हैं और उन्हें सही तरीके से लागू कर सकते हैं।
ऑनलाइन क्लासेस: यह सुविधा आपको घर बैठे सीखने की अनुमति देती है। आप किसी भी समय और स्थान से कक्षाओं में शामिल हो सकते हैं।
अनुभवी शिक्षक: हमारे प्रशिक्षित शिक्षक आपको पूजा विधियों की विस्तृत जानकारी देंगे, जिससे आप इसे सही तरीके से सीख सकें।
कक्षाओं का विवरण
श्री राम देशिक प्रशिक्षण केंद्र में विभिन्न ऑनलाइन कक्षाएँ निम्नलिखित हैं:
कर्मकांड ऑनलाइन क्लास
समय: 04:00 PM से 05:00 PM
भागवत पुराण मूलपाठ ऑनलाइन क्लास
समय: 06:05 PM से 07:00 PM
भागवत पुराण साप्ताहिक कथा ऑनलाइन क्लास
समय: 07:30 PM से 09:00 PM
राम कथा ऑनलाइन क्लास
समय: 09:05 PM से 10:00 PM
कक्षा में जुड़ने की प्रक्रिया
आप कक्षा में शामिल होने के लिए निम्नलिखित लिंक का उपयोग कर सकते हैं:
Join Zoom Meeting: Join Zoom Meeting
Meeting ID: 419 969 0017
Passcode: Radhe
सभी कक्षाओं में जुड़ने का लिंक वही है, इसलिए बस आपको समय का ध्यान रखना है।
कैसे तैयारी करें
कक्षा में शामिल होने के लिए निम्नलिखित सुझावों का पालन करें:
पंजीकरण: पहले से संपर्क करें और अपनी सीट सुनिश्चित करें।
सामग्री की तैयारी: कक्षा से पहले अध्ययन सामग्री को पढ़ें और किसी भी प्रश्न को नोट करें।
अनुशासन बनाए रखें: कक्षा में भाग लेते समय ध्यान और अनुशासन बनाए रखें ताकि आप बेहतर तरीके से सीख सकें।
कर्मकांड पूजा विधि की मूल बातें
कर्मकांड पूजा विधि में निम्नलिखित महत्वपूर्ण तत्व शामिल होते हैं:
पूजा की तैयारी: पूजा के लिए आवश्यक सामग्री का संग्रह करना जैसे फूल, दीपक, धूप, और नैवेद्य।
शुद्धता का ध्यान: पूजा के समय शुद्धता का ध्यान रखना आवश्यक है। इसे मन, वचन, और क्रिया से पालन करना चाहिए।
मंत्रों का उच्चारण: सही मंत्रों का उच्चारण करना आवश्यक है, क्योंकि मंत्रों की शक्ति विशेष होती है। सही उच्चारण से पूजा का प्रभाव बढ़ता है।
नैवेद्य अर्पण: भगवान को भोग अर्पित करना और उनके प्रति श्रद्धा प्रकट करना महत्वपूर्ण है।
आरती और प्रार्थना: पूजा के अंत में आरती करना और प्रार्थना करना, ईश्वर की कृपा प्राप्त करने का एक साधन है।
निष्कर्ष
कर��मकांड पूजा विधि केवल धार्मिक कृत्यों का पालन नहीं है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक यात्रा है जो हमें सिखाती है कि जीवन को किस प्रकार से सार्थक बनाया जाए। श्री राम देशिक प्रशिक्षण केंद्र के माध्यम से आप इस अद्भुत विधि का अध्ययन कर सकते हैं और अपने जीवन को एक नई दिशा दे सकते हैं।
इस यात्रा में शामिल होकर आप न केवल कर्मकांड की विधियों को जानेंगे, बल्कि अपने जीवन में सकारात्मकता और शांति का अनुभव भी करेंगे। हम आपके सभी प्रश्नों का उत्तर देने के लिए यहाँ हैं। आइए, इस आध्यात्मिक यात्रा में कदम रखें और अपने जीवन को समर्पित करें।
आइये सीखें कर्मकांड पूजा विधि Karmakand Sikhe
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ICC मेन्स टेस्ट प्लेयर ऑफ द ईयर के लिए नामितों का खुलासा
ICC मेन्स टेस्ट प्लेयर ऑफ द ईयर के लिए नामितों का खुलासा
एक बल्लेबाजी दिग्गज, एक स्पिन जादूगर, एक उभरता हुआ तेज-तर्रार सुपरस्टार और एक मजबूत सलामी बल्लेबाज ICC मेन्स टेस्ट प्लेयर ऑफ द ईयर 2021 पुरस्कार के लिए हमारे नामांकित व्यक्ति हैं। यहां, हम उनके कारनामों पर एक नज़र डालते हैं। ICC अवार्ड्स 2021 पिछले एक साल में क्रिकेट में उत्कृष्ट उपलब्धियों और कारनामों को मान्यता देगा – यहां वह सब कुछ है जो आपको इसके बारे में जानने की जरूरत है। जो रूट –…
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रास पंचाध्यायी अध्याय-3. गोपिका गीत -रमेश चौहान
रास पंचाध्यायी अध्याय-3. गोपिका गीत -रमेश चौहान
खण्ड़ काव्य रास पंचाध्यायी अध्याय-3 गोपिका गीत (हिन्दी कनकमंजरी छंद में) -रमेश चौहान रास पंचाध्यायी अध्याय-3 गोपिका गीत (हिन्दी कनकमंजरी छंद में) भूमिका गोपिका गीत श्रीमद्भागवत के दशम स्कन्ध का प्राण है और दशम स्कन्ध श्रीमद्भागवत का प्राण । इस प्रकार गोपिकागीत (गोपीगीत) श्रीमद्भागवत का प्राण है । मूल गोपिकागीत के शिल्प विधान के अनुसार ही इस गोपिकागीत की रचना की गई हैं । गोपिका गीत…
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नई दिल्ली में आयोजित आतंकवाद-रोधी वित्तपोषण पर तीसरे ‘नो मनी फॉर टेरर’ मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में प्रधानमंत्री के संबोधन का मूलपाठ
नई दिल्ली में आयोजित आतंकवाद-रोधी वित्तपोषण पर तीसरे ‘नो मनी फॉर टेरर’ मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में प्रधानमंत्री के संबोधन का मूलपाठ
केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे साथी श्री अमित शाह, उपस्थित महानुभावों, विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों, विश्वभर की जांच एजेंसियों व सुरक्षा बलों के सदस्यों और मेरे प्रिय मित्रों! मैं आतंकवाद-रोधी वित्तपोषण पर तीसरे मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में आप सबका स्वागत करता हूं। मित्रों, यह महत्वपूर्ण है कि यह सम्मेलन भारत में हो रहा है। विश्व जब आतंकवाद के प्रति गंभीर नहीं हुआ था, हमारा देश उसके भी पहले से आंतक की…
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अनुवाद के विभिन्न चरण / प्रक्रिया
अनुवाद प्रक्रिया अनुवाद को समझने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। अनुवाद प्रक्रिया के कई विभिन्न प्रारूप हैं; लेकिन इनमें से नाइडा, न्यूमार्क एवं बाथगेट के अनुवाद प्रारूप प्रमुख हैं, जिनकी चर्चा हम आगे करेंगे।
1. नाइडा द्वारा प्रतिपादित अनुवाद की प्रक्रिया
सर्वप्रथम हम यूजीन नाइडा द्वारा दिए गए प्रारूप को देखेंगे। नाइडा (1974) अनुवाद प्रक्रिया के तीन चरण/सोपान मा��ते हैं :
i) विश्लेषण (Analysis)
ii) अंतरण (Transfer), और
iii) पुनर्गठन (Restructuring)
नाइडा द्वारा प्रतिपादित इन तीनों चरणों को निम्नलिखित चित्र/आरेख द्वारा समझा जा सकता है :
अनुवाद के चरण (नाइडा के अनुसार)
(आरेख : 1)
नाइडा द्वारा सुझाए गए अनुवाद प्रक्रिया के इन तीनों सोपानों में एक निश्चित क्रमबद्धता देखने को मिलती है। अनुवादक सर्वप्रथम स्रोत भाषा के पाठ का विश्लेषण करता है। वह मूलपाठ का विषयगत अर्थगत तथा भाषागत अर्थग्रहण करता है। इसके लिए वह भाषा-सिद्धांत पर आधारित भाषा-विश्लेषण की तकनीकों का सही प्रयोग करता है। मूलपाठ के संदेश का विषयगत एवं भाषागत/शैलीगत विश्लेषण के द्वारा अर्थबोध/अर्थग्रहण हो जाने के बाद संदेश का लक्ष्य भाषा में संक्रमण/अंतरण होता है जिसके अंतर्गत दोनों भाषाओं के बीच विभिन्न स्तरों पर परस्पर समन्वय स्थापित किया जाता है। तीसरे चरण में, अनुवादक मूल संदेश का लक्ष्य भाषा में पुनर्गठन/समायोजन करता है। यह इसलिए किया जाता है ताकि मूल संदेश लक्ष्य भाषा के पाठक के लिए बोधगम्य, रोचक एवं सुस्पष्ट बन सके। संदेश का पुनर्गठन हेतु लक्ष्य-भाषा की अभिव्यक्ति प्रणाली और कथन रीति का ध्यान रखा जाता है तथा उसी के अनुसार अनूदित पाठ का निर्माण किया जाता है। नाइडा के मतानुसार अनुवादक को ‘स्रोत-भाषा पाठ में निहित अर्थ या संदेश के विश्लेषण तथा लक्ष्य-भाषा में उसके पुनर्गठन’ दो ध्रुवों के मध्य निरंतर सम्यक् और सटीक सामंजस्य स्थापित करना होता है। इस प्रक्रिया से गुजरने के बाद ही स्रोत भाषा की कोई मूल रचना अनूदित रचना के रूप में सफल अनुवाद की श्रेणी में रखी जा सकती है।
क ख
स्रोत-भाषा ---------अनुवादक------------लक्ष्य-भाषा
विश्लेषण................................अंतरण..................................पुनर्गठन
(आरेख : 2)
2. न्यूमार्क द्वारा प्रतिपादित अनुवाद की प्रक्रिया
पीटर न्यूमार्क की अनुवाद प्रक्रिया नाइडा की अनुवाद प्रक्रिया से अलग एवं विस्तृत है। यद्यपि नाइडा एवं न्यूमार्क के चिंतन-काल में कुछ अंतर है, फिर भी उनमें काफी समानता देखने को मिलती है। चूँकि नाइडा के समय में बाइबिल के ��से अनुवादों की अधिकता थी जो अर्थग्रहण के उद्देश्य से भाषा की व्याकरणिक संरचना से संबंधित थे। इसलिए उनकी दृष्टि वहीं तक प्रभावित एवं सीमित रही। न्यूमार्क ने अनुवाद प्रक्रिया की दो स्थितियों पर प्रकाश डालते हुए मूल पाठ और अनूदित पाठ के सह संबंध को दो स्तरों पर विभाजित करने का प्रयास किया है :
I) मूल पाठ और अनूदित पाठ का अंतरक्रमिक अनुवाद, अर्थात् शब्द-प्रति-शब्द अनुवाद, और
II) मूल पाठ का अर्थबोधन और अनूदित पाठ में उसका अभिव्यक्तीकरण
इन दोनों स्थितियों को निम्न आरेख से समझा जा सकता है :
आरेख-3
नाइडा ने जिस सोपान को ‘विश्लेषण’ कहा है, न्यूमार्क ने उसे ‘बोधन’ की संज्ञा दी है। न्यूमार्क द्वारा ‘बोधन’ की संकल्पना नाइडा की ‘विश्लेषण’ संकल्पना से इस अर्थ में ज्यादा महत्वपूर्ण है कि इसमें मूल पाठ के विश्लेषण से प्राप्त अर्थ के साथ-साथ अनुवादक द्वारा मूल पाठ की व्याख्या का अंश भी शामिल है। नाइडा की तुलना में न्यूमार्क की अनुवाद प्रक्रिया संबंधी संकल्पना आधुनिक, व्यापक एवं व्यावहारिक प्रतीत होती है। इसमें न्यूमार्क स्रोत भाषा और लक्ष्य भाषा के पाठों में अनुवाद संबंध स्पष्ट करना चाहते हैं जो कि तुलना एवं व्यतिरेकी के संदर्भ में संभव हो पाता है।
इसके बाद अंत में हम रोनाल्ड एच. बाथगेट (1983) की अनुवाद प्रक्रिया के प्रारूप को देखेंगे।
3. बाथगेट द्वारा प्रतिस्थापित अनुवाद की प्रक्रिया
नाइडा ने जहाँ अनुवाद प्रक्रिया के तीन सोपान और न्यूमार्क ने दो चरण सुझाए हैं, वहीं बाथगेट ने अनुवाद प्रक्रिया के सात सोपानों की चर्चा की है। इससे स्पष्ट होता है कि बाथगेट अनुवाद प्रक्रिया को एक अधिक व्यावहारिक एवं व्यापक आयाम देना चाहते हैं। उन्होंने अपने सोपानों में नाइडा एवं न्यूमार्क के सोपानों (विश्लेषण- संक्रमण, अंतरण-पुर्नगठन, तथा बोधन - अभिव्यक्तीकरण) का भी समावेश कर लिया है। बाथगेट ने अनुवाद प्रक्रिया के विभिन्न सोपान इस प्रकार दर्शाए हैं :
आरेख-4
i) समन्वय (Tuning) विश्लेषण और बोधन से पहले का सोपान है जिसमें अनुवादक स्रोत भाषा के पाठ को जाँचता-परखता है और उसके विषय, भाषा एवं शिल्प की जानकारी प्राप्त करता है ताकि उसका विश्लेषण करने में सुविधा रहे।
ii) विश्लेषण (Analysis) के अंतर्गत अनुवादक मूल स्रोत का भाषा एवं विषय-वस्तु के स्तर पर विश्लेषण करता है।
iii) बोधन (Comprehension) का उद्देश्य भी विश्लेषण जैसा ही है। इसमें विश्लेषण के साथ-साथ अनुवादक द्वारा मूल पाठ की व्याख्या का अंश भी सम्मिलित रहता है।
iv) पारिभाषिक अभिव्यक्तीकरण (Terminology) के अंतर्गत दो उद्देश्य दिखाई देते हैं। प्रथम मूल पाठ में निहित संदेश का अर्थ ग्रहण करने और उसे स्पष्ट करने के लिए महत्वपूर्ण अंशों पर ध्यान देना, और दूसरे, इन अंशों के अनुवाद पर्यायों के निर्धारण में विशेष सतर्कता बरतना।
v) पुनर्गठन (Restructuring) में स्रोत भाषा की सामग्री को लक्ष्य भाषा में संप्रेषित करने के लिए उसका पुनर्गठन किया जाता है। यह पुनर्गठन लक्ष्य भाषा की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए और लक्ष्य भाषा पाठक को ध्यान में रखते हुए किया जाता है ताकि पाठक को किसी भी स्तर पर समस्या का सामना न करना पड़े।
vi) पुनरीक्षण (Proofreading) के सोपान पर पहुँचने के बाद अनूदित पाठ की पूर्णरूपेण जाँच-पड़ताल की जाती है और विभिन्न प्रकार की अशुद्धियों को दूर किया जाता है।
vii) पर्यालोचन (Discussion) अंतिम सोपान है जिसमें विषयगत प्रमाणिकता को परखा जाता है। यह अनुवाद का प्रक्रियात्मक चरण न होकर अनुवाद विमर्श का चरण है। इसके लिए अनुवादक उस विषय के विशेषज्ञ से परामर्श कर सकता है।
इस प्रकार, बाथगेट ने विस्तारपूर्वक से अनुवाद प्रक्रिया की अवधारणा प्रस्तुत की।
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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का प्रदेश की जनता के नाम संदेश का मूलपाठ, जगदलपुर, लाल बाग परेड मैदान
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का प्रदेश की जनता के नाम संदेश का मूलपाठ, जगदलपुर, लाल बाग परेड मैदान #NationalVotersDay #NationWithLavanya #NationalTourismDay #பிரியாணிஅண்டா_பத்திரம் #tuesdaymotivations
आज भारत के तिहत्तरवां गणतंत्र दिवस हवय। ‘हम भारत के लोग’ के बनाए अपन संविधान ल लागू करे के पावन दिन हे। ये बेरा म मे ह आप मन के हार्दिक अभिनंदन करथंव।जब हम अपने गौरवशाली संविधान की बात करते हैं तो हमारी आंखों के सामने उन अमर शहीदों के चेहरे नजर आते हैं, जिनकी बदौलत भारत आजाद हुआ था। अमर शहीद गैंद��िंह, शहीद वीर नारायण सिंह, वीर गुण्डाधूर जैसी विभूतियों की बदौलत 1857 की क्रांति के पहले से हमारा…
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#Baghel&039;s message to the#jagdalpur#Lal Bagh Parade Ground#Minister Bhupesh#people of the state#Text of Chief
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तालिबान के साथ अटपटा समझौता
अमेरिका की तरफ से जलमई खलीलजाद अफगानिस्तान के तालिबान नेताओं से पिछले डेढ़-दो साल से जो बात कर रहे थे, वह अब खटाई में पड़ती दिखाई पड़ रही है, क्योंकि अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने उस पर दस्तखत करने से मना कर दिया है। अभी-अभी ताजा सूचना मिली है कि अगर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उस समझौते पर अंगूठा लगा दिया तो बेचारा पोंपिओ क्या करेगा ? लेकिन सवाल यह है कि ट्रंप के दस्तखत के बावजूद क्या इस समझौते से अफगानिस्तान में शांति हो जाएगी ? इसका सीधा-सा जवाब यह है कि अफगानिस्तान की शांति से अमेरिका को क्या लेना-देना है ? उसने उसामा बिन लादेन को मारकर न्यूयार्क हमले का बदला निकाल लिया है और शीत युद्ध के दौरान काबुल पर छाई रुस की छाया को उड़ा दिया है। अब वह अफगानिस्तान में अरबों डाॅलर क्यों बहाए और हर साल अपने दर्जनों फौजियों को क्या मरवाए ? ट्रंप का तो चुनावी नारा यही था कि वे अगर राष्ट्रपति बन गए तो वे अफगानिस्तान से अमेरिका का पिंड छुड़ाकर ही दम लेंगे। इसीलिए कोई आश्चर्य नहीं कि वे इस समझौते पर खुद ही अपने दस्तखत चिपका दें। अभी तक हमें क्या, अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी और प्रधानमंत्री डाॅ. अब्दुल्ला को ही पता नहीं कि खलीलजाद और तालिबान के बीच किन-किन मुद्दों पर समझौता हुआ है। सुना है कि गनी को समझौते का मूलपाठ अभी तक नहीं दिया गया है लेकिन माना जा रहा है कि अमेरिकी फौज 5 अफगान अड्डों को खाली करेगी, 135 दिनों में। साढ़े आठ हजार फौजी वापस जाएंगे। यह पता नहीं कि अफगानिस्तान में 28 सितंबर को होनेवाला राष्ट्रपति-चुनाव होगा या नहीं ? समझौते के बाद क्या वर्तमान सरकार हटेगी और उसकी जगह तालिबान की इस्लामी अमीरात आ जाएगी ? यह भी पता नहीं कि तालिबान और गनी के सरकार के बीच सीधी बातचीत होगी या नहीं ? जो लोग पि��ले 18 साल से तालिबान का विरोध कर रहे थे और हामिद करजई और गनी सरकार का साथ दे रहे थे, उनका क्या होगा ? तालिबान-विरोधी देशों के दूतावासों को क्या काबुल में अब बंद करना होगा ? जिन स्कूलों और कालेजों में आधुनिक पढ़ाई हो रही थी, उनका अब क्या होगा ? यदि इस समझौते से तालिबान खुश हैं तो लगभग रोजाना वे हमले क्यों कर रहे हैं ? अफगानिस्तान अब लोकतंत्र रहेगा या शरियातंत्र ? इन सब सवालों को लेकर अमेरिकी कांग्रेस (संसद) की विदेश नीति कमेटी भी परेशान है। खलीलजाद को वह तीन बार उसके सामने पेश होने को कह चुकी है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जान बोल्टन भी परेशान हैं। यदि यह गोलमाल समझौता इसी तरह हो गया तो मानकर चलिए कि अफगानिस्तान एक बार फिर अराजकता का शिकार हो जाएगा। पाकिस्तान की मुसीबतें सबसे ज्यादा बढ़ेंगी। भारत भी प्रभावित हुए बिना नहीं रहेगा। Read the full article
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ICC अवार्ड्स 2021 - वह सब जो आप जानना चाहते हैं
ICC अवार्ड्स 2021 – वह सब जो आप जानना चाहते हैं
ICC अवार्ड्स 2021 के लिए शॉर्टलिस्ट, साल भर क्रिकेट में उपलब्धियों का जश्न मनाने वाले वार्षिक आयोजन की घोषणा 28 दिसंबर से की जाएगी। एक साल के बाद जिसमें ICC वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल और ICC मेन्स T20 वर्ल्ड कप 2021 जैसे प्रमुख अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम शामिल थे, कई द्विपक्षीय श्रृंखलाओं के अलावा जिसमें रिकॉर्ड तोड़े गए, ICC अवार्ड्स 2021 ने साज़िश का वादा किया। यहां आपको ICC अवार्ड्स 2021 के…
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अनुवाद प्रक्रिया के विभिन्न प्रारूप
अनुवाद प्रक्रिया अनुवाद को समझने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। अनुवाद प्रक्रिया के कई विभिन्न प्रारूप हैं लेकिन इनमें से नाइडा, न्यूमार्क एवं बाथगेट के अनुवाद प्रारूप प्रमुख हैं जिनकी चर्चा हम आगे करेंगे।
सर्वप्रथम हम यूजीन नाइडा द्वारा दिए गए प्रारूप को देखेंगे। नाइडा (1974) अनुवाद प्रक्रिया के तीन चरण मानते हैं :
I) विश्लेषण
II)अंतरण, और
III)पुनर्गठन
नाइडा द्वारा प्रतिपादित इन तीनों चरणों को निम्नलिखित आरेख द्वारा दर्शाया जा सकता है :
नाइडा द्वारा सुझाए गए अनुवाद प्रक्रिया के इन तीनों सोपानों में एक निश्चित क्रमबद्धता देखने को मिलती है। अनुवादक सर्वप्रथम स्रोत भाषा के पाठ का विश्लेषण करता है। वह मूलपाठ का विषयगत अर्थगत तथा भाषागत अर्थग्रहण करता है। इसके लिए वह भाषा-सिद्धांत पर आधारित भाषा-विश्लेषण की तकनीकों का सही प्रयोग करता है। मूलपाठ के संदेश का विषयगत एवं भाषागत/शैलीगत विश्लेषण के द्वारा अर्थबोध/अर्थग्रहण हो जाने के बाद संदेश का लक्ष्य भाषा में संक्रमण/अंतरण होता है जिसके अंतर्गत दोनों भाषाओं के बीच विभिन्न स्तरों पर परस्पर समन्वय स्थापित किया जाता है। इसके बाद अनुवादक मूल संदेश का लक्ष्य भाषा में पुनर्गठन/समायोजन करता है। यह इसलिए किया जाता है ताकि मूल संदेश लक्ष्य भाषा के पाठक के लिए बोधगम्य, रोचक एवं सुस्पष्ट बन सके। इस प्रक्रिया से गुजरने के बाद ही स्रोत भाषा की कोई मूल रचना अनूदित रचना के रूप में सफल अनुवाद की श्रेणी में राखी जा सकती है।
पीटर न्यूमार्क का अनुवाद प्रक्रिया नाइडा के अनुवाद प्रक्रिया से अलग एवं विस्तृत है। न्यूमार्क ने अनुवाद प्रक्रिया की दो स्थितियों पर प्रकाश डालते हुए मूल पाठ और अनूदित पाठ के सह संबंध को दो स्तरों पर विभाजित करने का प्रयास किया है :
I) मूल पाठ और अनूदित पाठ का अंतरक्रमिक अनुवाद, अर्थात् शब्द-प्रति-शब्द अनुवाद, और
II)मूल पाठ का अर्थबोधन और अनूदित पाठ में उसका अभिव्यक्तिकरण
इन दोनों स्थितियों को निम्न आरेख से समझा जा सकता है :
नाइडा ने जिस सोपान को ‘विश्लेषण’ कहा है, न्यूमार्क ने उसे ‘बोधन’ की संज्ञा दी है। न्यूमार्क द्वारा ‘बोधन’ की संकल्पना नाइडा की ‘विश्लेषण’ संकल्पना से इस अर्थ में ज्यादा महत्वपूर्ण है कि इसमें मूल पाठ के विश्लेषण से प्राप्त अर्थ के साथ-साथ अनुवादक द्वारा मूल पाठ की व्याख्या का अंश भी शामिल है। नाइडा की तुलना में न्यूमार्क की अनुवाद प्रक्रिया संबंधी संकल्पना आधुनिक, व्यापक एवं व्यावहारिक प्रतीत होती है। इसमें न्यूमार्क स्रोत भाषा और लक्ष्य भाषा के पाठों में अनुवाद संबंध स्पष्ट करना चाहते हैं जो कि तुलना एवं व्यतिरेकी के संदर्भ में संभव हो पाता है।
इसके बाद अंत में हम रोनाल्ड एच. बाथगेट (1983) की अनुवाद प्रक्रिया के प्रारूप को देखेंगे। नाइडा ने जहाँ अनुवाद प्रक्रिया के तीन सोपान और न्यूमार्क ने दो चरण सुझाए हैं, वहीं बाथगेट में अनुवाद प्रक्रिया के सात सोपानों की चर्चा की है। इससे स्पष्ट होता है कि बाथगेट अनुवाद प्रक्रिया को एक अधिक व्यावहारिक एवं व्यापक आयाम देना चाहते हैं। उन्होंने अपने सोपानों में नाइडा एवं न्यूमार्क के सोपानों (विश्लेषण- संक्रमण, अंतरण-पुर्नगठन, तथा बोधन - अभिव्यक्तिकरण) का भी समावेश कर लिया है। बाथगेट ने अनुवाद प्रक्रिया के विभिन्न सोपान इस प्रकार दर्शाए हैं :
इन सोपानों में विश्लेषण, बोधन, अभिव्यक्ति, पुनर्गठन के सोपान पूर्ववत हैं। डॉ। सुरेश कुमार के अनुसार इन सोपानों में “पर्यालोचन के सोपान को छोड़कर शेष सब में अतिव्याप्ति का अवकाश है (जो असंगत नहीं है) परन्तु सैद्धांतिक स्तर पर इनके अपेक्षाकृत स्वतंत्र अस्तित्व को मान्यता प्रदान की गई है”।
i) समन्वय विश्लेषण और बोधन से पहले का सोपान है जिसमें अनुवादक स्रोत भाषा के पाठ को जाँचता-परखता है और उसके विषय, भाषा एवं शिल्प की जानकारी प्राप्त करता है ताकि उसका विश्लेषण करने में सुविधा रहे।
ii)विश्लेषण के अंतर्गत अनुवादक मूल स्रोत का भाषा एवं विषय-वास्तु के स्तर पर विश्लेषण करता है।
iii)बोधन का उद्देश्य भी विश्लेषण जैसा ही है। इसमें विश्लेषण के साथ-साथ अनुवादक द्वारा मूल पाठ की व्याख्या का अंश भी सम्मिलित रहता है।
iv)पारिभाषिक अभिव्यक्तिकरण के अंतर्गत दो उद्देश्य दिखाई देते हैं। प्रथम मूल पाठ में निहित संदेश का अर्थ ग्रहण करने और उसे स्पष्ट करने के लिए महत्वपूर्ण अंशों पर ध्यान देना, और दूसरे, इन अंशों के अनुवाद पर्यायों के निर्धारण में विशेष सतर्कता बरतना।
v)पुनर्गठन में स्रोत भाषा की सामग्री को लक्ष्य भाषा में संप्रेषित करने के लिए उसका पुनर्गठन किया जाता है। यह पुनर्गठन लक्ष्य भाषा की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए और लक्ष्य भाषा पाठक को ध्यान में रखते हुए किया जाता है ताकि पाठक को किसी भी स्तर पर समस्या का सामना न करना पड़े।
vi)पुनरीक्षण के सोपान पर पहुँचने के बाद अनूदित पाठ की पूर्णरूपेण जाँच-पड़ताल की जाती है और विभिन्न प्रकार की अशुद्धियों को दूर किया जाता है।
vii)पर्यालोचन अंतिम सोपान है जिसमें विषयगत प्रमाणिकता को परखा जाता है। यह अनुवाद का प्रक्रियात्मक चरण न होकर अनुवाद विमर्श का चरण है। इसके लिए अनुवादक उस विषय के विशेषज्ञ से परामर्श कर सकता है।
इस प्रकार, बाथगेट ने विस्तारपूर्वक से अनुवाद प्रक्रिया की अवधारणा प्रस्तुत की।
© डॉ. श्रीनिकेत कुमार मिश्र
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