#मुरगी हिरनी आँखि देखि नर खात है
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#GodMorningFriday कबीर-माँस माँस सब एक है#मुरगी हिरनी आँखि देखि नर खात है#ते नर नरकहिं जाय।।कबीर-यह कूकर को भक्ष है#मनु�� देह क्यों खा#reading
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#गल_काटे_सो_कुफर_कसाईकबीर-माँस माँस सब एक है#मुरगी हिरनी गाय । आँखि देखि नर खात है#ते नर नरकहिं जाय ।।कबीर-यह कूकर को भक्ष है#मनुष दे
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#कबीर-माँस माँस सब एक है#मुरगी हिरनी गाय।आँखि देखि नर खात है#ते नर नरकहिं जाय।।कबीर-यह कूकर को भक्ष है#मनुष देह क्यों खाय।मुखमें आमिख म
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#GodMorningThursday कबीर - माँस माँस सब एक है#मुरगी हिरनी गाय। आँखि देखि नर खात है#ते नर नरकहिं जाय ।।
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#मांस_खाना_हरामGodMorningFridayकबीर - माँस माँस सब एक है#मुरगी हिरनी गाय। आँखि देखि नर खात है#ते नर नरकहिं जाय ।।
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कबीर-माँस माँस सब एक है, मुरगी हिरनी गाय।
आँखि देखि नर खात है, ते नर नरकहिं जाय।।
कबीर-यह कूकर को भक्ष है, मनुष देह क्यों खाय।
मुखमें आमिख मेलि के, नरक परंगे जाय।।
इन वाणियों में कबीर साहेब ने समझाया है कि माँस चाहे गाय, हिरनी, मुर्गी आदि किसी प्राणी का हो, जो व्यक्ति माँस खाते हैं वे नरक के भागी हैं। यह माँस तो कुत्ते का आहार है, मनुष्य शरीर धारी के लिए वर्जित है।
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#गल_काटे_सो_कुफर_कसाई
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कबीर-माँस माँस सब एक है, मुरगी हिरनी गाय।आँखि देखि नर खात है, ते नर नरकहिं जाय।।कबीर-यह कूकर को भक्ष है, मनुष देह क्यों खाय।मुखमें आमिख मेलि के, नरक परंगे जाय।।इन वाणियों में कबीर साहेब ने समझाया है कि माँस चाहे गाय, हिरनी, मुर्गी आदि किसी प्राणी का हो, जो व्यक्ति माँस खाते हैं वे नरक के भागी हैं। यह माँस तो कुत्ते का आहार है, मनुष्य शरीर धारी के लिए वर्जित है।
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गल_काटे_सो_कुफर_कसाई
कबीर-माँस माँस सब एक है, मुरगी हिरनी गाय ।
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आँखि देखि नर खात है, ते नर नरकहिं जाय ।। कबीर-यह कूकर को भक्ष है, मनुष देह क्यों खाय । मुखमें आमिख मेलि के, नरक परंगे जाय ।।
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कबीर-माँस माँस सब एक है, मुरगी हिरनी गाय।
आँखि देखि नर खात है, ते नर नरकहिं जाय।।
कबीर-यह कूकर को भक्ष है, मनुष देह क्यों खाय।
मुखमें आमिख मेलि के, नरक परंगे जाय।।
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#GodMorningFriday
कबीर-माँस माँस सब एक है, मुरगी हिरनी गाय। आँखि देखि नर खात है, ते नर नरकहिं जाय।।
परमेश्वर कबीर साहेब
ने समझाया कि माँस चाहे गाय, हिरनी तथा मुर्गी आदि किसी प्राणी का है जो व्यक्ति माँस खाते हैं वे नरक के भागी हैं।
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#GodMorningFriday
नरक के भागी
कबीर-माँस माँस सब एक है, मुरगी हिरनी गाय। आँखि देखि नर खात है, ते नर नरकहिं जाय।।
@SaintRampalJiM
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#गल_काटे_सो_कुफर_कसाई
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🔸 कबीर-माँस माँस सब एक है, मुरगी हिरनी गाय।
आँखि देखि नर खात है, ते नर नरकहिं जाय।।
कबीर-यह कूकर को भक्ष है, मनुष देह क्यों खाय।
मुखमें आमिख मेलि के, नरक परंगे जाय।।
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🔸 कबीर-माँस माँस सब एक है, मुरगी हिरनी गाय।
आँखि देखि नर खात है, ते नर नरकहिं जाय।।
कबीर-यह कूकर को भक्ष है, मनुष देह क्यों खाय।
मुखमें आमिख मेलि के, नरक परंगे जाय।।
इन वाणियों में कबीर साहेब ने समझाया है कि माँस चाहे गाय, हिरनी, मुर्गी आदि किसी प्राणी का हो, जो व्यक्ति माँस खाते हैं वे नरक के भागी हैं। यह माँस तो कुत्ते का आहार है, मनुष्य शरीर धारी के लिए वर्जित है।
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#गल_काटे_सो_कुफर_कसाई
कबीर-माँस माँस सब एक है, मुरगी हिरनी गाय। आँखि देखि नर खात है, ते नर नरकहिं जाय ।। कबीर-यह कूकर को भक्ष है, मनुष देह क्यों खाय। मुखमें आमिख मेलि के, नरक परंगे जाय ।।
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#गल_काटे_सो_कुफर_कसाई
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कबीर-माँस माँस सब एक है, मुरगी हिरनी गाय। आँखि देखि नर खात है, ते नर नरकहिं जाय।। कबीर-यह कूकर को भक्ष है, मनुष देह क्यों खाय। मुखमें आमिख मेलि के, नरक परंगे जाय ।।
इन वाणियों में कबीर साहेब ने समझाया है कि माँस चाहे गाय, हिरनी, मुर्गी आदि किसी प्राणी का हो, जो व्यक्ति माँस खाते हैं वे नरक के भागी हैं। यह माँस तो कुत्ते का आहार है, मनुष्य शरीर धारी के लिए वर्जित है।
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#गल_काटे_सो_कुफर_कसाई
कबीर-माँस माँस सब एक है, मुरगी हिरनी गाय। आँखि देखि नर खात है, ते नर नरकहिं जाय ।। कबीर-यह कूकर को भक्ष है, मनुष देह क्यों खाय।
मुखमें आमिख मेलि के, नरक परंगे जाय ।। इन वाणियों में कबीर साहेब ने समझाया है कि माँस चाहे गाय, हिरनी,
मुर्गी आदि किसी प्राणी का हो, जो व्यक्ति माँस खाते हैं वे नरक के भागी हैं। यह माँस तो कुत्ते का आहार है, मनुष्य शरीर धारी के लिए वर्जित है।
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