#मीठी ��द
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एक बार फिर से इस कहानी पर लौटी। डैन और शिउली के बीच की उस डोर को देखने लौटी, जिस पर कहानी एक गीले दुपट्टे की तरह फैली हुई है।
फ़िल्म को देखते हुए गले में कुछ अटकता है, जो पानी पी लेने के बाद भी अटका रह जाता है। ऐसा लगता है जैसे कोई बूढ़ा क़िस्सागो एक कहानी सुना रहा हो और हम बच्चों जैसे सुध-बुध खोए नंगे पाँव ही उसके पीछे चल पड़े हों कि कहीं वह आगे न बढ़ जाए। क़िस्से के साथ चलते-चलते कभी तलुवों पर घास की नरमी महसूस होती है, तो कभी कंकड़ गड़ने लगते हैं। कहन का अंदाज़ ऐसा निराला कि कंकड़ की चुभन सहन हो जाती है, मगर नरमी असहनीय लगने लगती है।
प्रेम की कहानी नहीं है यह, यह एक लाइलाज चीज़ की कहानी है। प्रेम तो ख़त्म भी हो जात�� है, मगर वह लाइलाज चीज़ पकड़ ले, तो फिर कहाँ ख़त्म हो पाती है ?
दानिश विचित्र लड़का है। ऊपर-ऊपर देखो तो कितना लापरवाह कि न करियर को गम्भीरता से बरत पाता, न बड़ी-बड़ी बातों की कोई बड़ी चिंता लेता है। मगर एक मामूली-सी बात ने उसे कितना बड़ा कर दिया है। वह इतनी-सी बात के लिए ख़ुद को तबाह करने पर आमादा है कि शिउली ने आख़िरी वाक्य उसके लिए कहा था और जितना वह ख़ुद को मिटा रहा है, उतना बड़ा होता जा रहा है। दानिश बेपरवाही की माटी से गढ़ा एक बड़ा किरदार है, जिसे शिउली की सुगंध ने जगाया है।दानिश को दानिश दरअस्ल शिउली ने बनाया है।
और क्या शिउली ठीक नहीं हो सकती थी ? वह ठीक हो जाती, फिर से सामान्य जीवन जीने लग जाती। जब 'द एज ऑफ़ एडालाइन' में कोई एक सौ आठ वर्ष की उम्र के बाद एडालाइन सामान्य जीवन-चक्र में लौट आई थी, तो भला शिउली को क्यों नहीं ठीक किया जा सकता था ? बच सकती थी वह, सब क़िस्सागो के हाथ में था। क़िस्सागो विधाता है, जैसा चाहे, वैसा चमत्कार कर दे।
मगर नहीं, यह अमरता की कथा नहीं है। यह किसी जड़ ईश्वर की खोज और शाश्वतता का मसला नहीं है। यह तो अस्थायित्व के सौन्दर्य की महागाथा है, जो इस अनन्त समय के एक छोटे-से हिस्से में अपनी पूरी आभा के साथ प्रकट होती है और फिर दृश्य से ओझल हो जाती है। क़िस्सागो ने शिउली के बहाने जीवन का बड़ा रूपक खींच दिया है।
अंतोनियो पोर्चिया की एक कविता का भाव याद आ रहा है, जो कुछ इस तरह है कि -
फूल किसी उम्मीद में नहीं जीते
उम्मीद कल का भरोसा पैदा करती है
और फूलों का कल नहीं होता
शिउली आज का फूल है, उसका कोई कल नहीं। मगर फिर भी मन कहता है कि क़िस्सागो के हाथ में सब था, कर देता कोई जादू। पर क़िस्सागो को सब पता है। वह जानता है कि जादू कल में नहीं था, कभी होगा भी नहीं। जादू आज में है, आज ही है, अभी है !
थोड़ी देर के लिए एक मीठी बेचैनी घेर लेती है। कई दिनों से ‘गन्स एंड रोज़ेस’ नहीं सुना। लाइलाज चीज़ों के लिए 'नवम्बर रेन' एक एस्केप है या पनाह या शायद ज़हर ही ज़हर की काट, पता नहीं !
बाहर तेज़ रोशनी और शोर है। ज़ेहन की ज़मीन पर शिउली के फूल झर रहे हैं और भीतर के गहरे कुएँ में एक गूँज उठ रही है -
“ व्हेअर इज़ डैन?”
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दानिश, शिउली और गन्स एंड रोज़ेस
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द हिडन हिंदू बुक 2
द हिडन हिंदू बुक 2
अक्षत गुप्ता होटल व्यवसायियों के परिवा�� से हैं और अब बॉलीवुड के एक स्थापित पटकथा लेखक, कवि और गीतकार हैं। वह दो भाषाओं में लिखते हैं और तीन संबंधित उपन्यासों के सेट 'द हिडन हिंदू' पर कई वर्षों से काम कर रहे थे। उनका जन्म छत्तीसगढ़ में हुआ, मध्य प्रदेश में पले-बढ़े और अब मुंबई में रहते हैं।
आभार अभिव्यक्ति
लो कहते हैं, एक पुस्तक के लिए धैर्य की आवश्यकता होती है। परंतु जो बात लोग नहीं जानते हैं, वह यह है कि एक लेखक की छाया बनने के लिए अविश्वसनीय मात्रा में धैर्य की आवश्यकता होती है। संपादकों, प्रूफरीडरों और प्रकाशकों के साथ समन्वय करना; काम के बोझ को संतुलित करना; समय पर सारा कार्य पूर्ण करना और मार्ग में धैर्य खो देने पर लेखक की निराशा को सहना । धन्यवाद सेशन, अन्य चीजों का ध्यान रखने के लिए, ताकि मैं लिख सकूँ; तुम मेरी प्रज्ज्वल छाया रहे हो।
बिखरना, आगे बढ़ना और फिर अपनी नीव, अपने लोगों, अपने वंश तथा अपने भाइयों से छब्बीस वर्ष बाद जुड़ना। मैंने सोचा कि ऐसी वास्तविकता असंभव थी, जैसे कोई काल्पनिक कथा हो-सत्य से बहुत दूर! मुझे लगता था कि ऐसा केवल कहानियों में होता है, जब तक यह मेरे साथ नहीं हुआ।
अपने सारे भाइयों से पहले एक औपचारिक मुसकान के साथ मिलना, फिर खुशी के आँसुओं से मिश्रित साथ बैठकर जाम पीने का स्वप्न पूर्ण हुआ। छब्बीस वर्षों बाद हमारा पुनर्मिलाप हुआ।
वे नाम से सौरभ गुप्ता हैं, फिर भी मैं उन्हें 'मनु भैया' बुलाना पसंद करता हूँ- मेरे हमउम्र, जिनके साथ मैंने अपना मासूम बचपन साझा किया। अंकित और रोमी, हमारे पहले भाई-बहन, हमारी पहली जिम्मेदारी ।
हालाँकि, मुझे संकल्प और सलिल का उल्लेख करना चाहिए, परंतु सावन और हनी परिवार एवं भाइयों की तरह ज्यादा लगते हैं। मीठी, हमारी
इकलौती बहन और सबसे छोटी। क्या मुझे निशांत गुप्ता और अविनाश गुप्ता को धन्यवाद कहना चाहिए,
Read More:द हिडन हिंदू बुक 2
जो हम सबको साथ लाए ? नहीं! हम भाई उन्हें 'मिकी भैया' और 'अंकित' कहते हैं।
मुझे स्वीकृत करने और बचपन जैसा प्रेम व हँसी देने के लिए धन्यवाद । बड़े भैया, यह हम सबकी ओर से आपके लिए श्रद्धांजलि है। अगली दुनिया में भेंट होने तक आप हमारे दिलों और यादों में हमारे साथ रहेंगे। आपकी आत्मा को शांति मिले, भैया!
शर्मा साहिल, तुम इस नाटक के परदे के पीछे के कलाकार हो। मुझसे छोटे होकर भी, बिना कुछ कहे, तुम अपने कार्यों से मुझे कितना कुछ सिखाते हो ! मैं तुम्हारी सराहना करता हूँ, मेरे शांत साथी !
वर्तमान में एक सलाहकार और मेरी पुस्तक की ईमानदार व पहली समीक्षक, एक सेवानिवृत्त मेजर, पेशे से ��ैराग्लाइडर, दिल से मुसाफिर और एक अति सुंदर व्यक्तित्व रखने वाली है- द वॉइस नोट क्वीन ! परांशु, तुमने इस भाग को संपूर्ण बनाया और मुझे पाठकों का नेतृत्व दिखाया। मैं तुम्हारे साथ और काम करना चाहता हूँ। तुमने इसमें जो मेहनत की है, उसे कभी नहीं भुलाया जा सकेगा। शिखा मैम, एक सफल व्यक्ति पर अपना विश्वास कायम रखना सरल है। आपने मुझे बिना परखे मुझ पर तब से विश्वास रखा, जब मैं कुछ भी नहीं था। मैं सदैव आपका ऋणी हूँ और समय के अंत तक आपके साथ आगे बढ़ना चाहता हूँ ।
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अमेज़ॅन प्राइम वीडियो ने अगले 2 वर्षों के लिए 35 भारतीय श्रृंखला का अनावरण किया
अमेज़ॅन प्राइम वीडियो ने अगले 2 वर्षों के लिए 35 भारतीय श्रृंखला का अनावरण किया
अमेज़ॅन प्राइम वीडियो ने अगले दो वर्षों के लिए 35 भारतीय श्रृंखलाओं का अनावरण किया है – 2022, 2023, और संभवतः 2024 – जिसमें 18 नए स्क्रिप्टेड और चार नए अनस्क्रिप्टेड शामिल हैं। नए टीवी शो में, हमारे पास राज एंड डीके से शाहिद कपूर के नेतृत्व वाली थ्रिलर फ़र्ज़ी, रीमा कागती से सोनाक्षी सिन्हा के नेतृत्व वाली सीरियल किलर ड्रामा दहाद और जोया अख्तर, के के मेनन के नेतृत्व वाली एक्शन क्राइम ड्रामा बंबई…
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#vadhandhi velonie की कल्पित कहानी#अधुरा#क्रैश कोर्स#गाँव#गुलकंद की कहानियां#गोपनीय#जयंती#जी करदा#दहाडी#धोथा#पी मीना#प्राइम वीडियो इंडिया फरजी दहाड़ धूत हश जुबली मीना सुजल विलेज 35 18 सीरीज अमेजन अमेजन प्राइम वीडिय#फर्ज़ी#बंबई मेरी जान#मीठी करम कॉफी#मुझे बुलाओ#शहर लाखोतो#सुखी पारिवारिक स्थितियां लागू होती हैं#सुजल द वोर्टेक्स
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महामृत्युंजय मंत्र ("मृत्यु को जीतने वाला महान मंत्र") जिसे त्रयंबकम मंत्र भी कहा जाता है, यजुर्वेद के रूद्र अध्याय में, भगवान शिव की स्तुति हेतु की गयी एक वन्दना है। इस मन्त्र में शिव को 'मृत्यु को जीतने वाला' बताया गया है। यह गायत्री मन्त्र के समकक्ष हिंदू धर्म का सबसे व्यापक रूप से जाना जाने वाला मंत्र है। इस मंत्र के कई नाम और रूप हैं। इसे शिव के उग्र पहलू की ओर संकेत करते हुए रुद्र मंत्र कहा जाता है; शिव के त्रिनेत्रों की ओर इशारा करते हुए त्रयंबकम मंत्र और इसे कभी कभी मृत-संजीवनी मंत्र के रूप में जाना जाता है क्योंकि यह कठोर तपस्या पूरी करने के बाद पुरातन ऋषि शुक्र को प्रदान की गई "जीवन बहाल" करने वाली विद्या का एक घटक है। ऋषि-मुनियों ने महा मृत्युंजय मंत्र को वेद का ह्रदय कहा है। चिंतन और ध्यान के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले अनेक मंत्रों में गायत्री मंत्र के साथ इस मंत्र का सर्वोच्च स्थान है| जब जब सृष्टि पर कोई दैवीय आपदा या भयंकर आपदा आती है तब इस मंत्र के नियमित रुप से जाप करने पर रुष्ट प्रकृति भी शान्त हो जाती है। वर्तमान में पूरा विश्व कोरोना वायरस के चलते पूरी सृष्टि पीड़ित है ऐसी अवस्था में स्वयं अपनी जीवन रक्षा और विश्व कल्याण के लिए रुद्राक्ष की माला से इस मंत्र का नियमित जाप कल्याणकारी सिद्ध होगा। ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्��ोर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ !! महा मृत्युंजय मंत्र का अक्षरश अर्थ त्र्यंबकम् = त्रि-नेत्रों वाला (कर्मकारक), तीनों कालों में हमारी रक्षा करने वाले भगवान को यजामहे = हम पूजते हैं, सम्मान करते हैं, हमारे श्रद्देय सुगंधिम = मीठी महक वाला, सुगंधित (कर्मकारक) पुष्टिः = एक सुपोषित स्थिति, फलने-फूलने वाली, समृद्ध जीवन की परिपूर्* पुष्टिः = एक सुपोषित स्थिति, फलने-फूलने वाली, समृद्ध जीवन की परिपूर्णता वर्धनम् = वह जो पोषण करता है, शक्ति देता है, (स्वास्थ्य, धन, सुख में) वृद्धिकारक; जो हर्षित करता है, आनन्दित करता है और स्वास्थ्य प्रदान करता है, एक अच्छा माली उर्वारुकम् = ककड़ी (कर्मका* उर्वारुकम् = ककड़ी (कर्मकारक) इव = जैसे, इस तरह बन्धनात् = तना (लौकी का); ("तने से" पंचम विभक्ति - वास्तव में समाप्ति -द से ��धिक लंबी है जो संधि के माध्यम से न/अनुस्वार में परिवर्तित होती है) मृत्योः = * मृत्योः = मृत्यु से मुक्षीय = हमें स्वतंत्र करें, मुक्ति दें मा = नहीं वंचित होएं अमृतात् = अमरता, मोक्ष के आनन्द से आपकी जीवन शुभ व कल्याणकारी हो। ।। नमो नारायण ।। गुरु राहुलेश्वर भाग्य मंथन #mahamrityunjayamantra #mritsanjivnimantra #gururahuleshwar #rahuleshwar #bhagyamanthan #महामृत्युंजयमंत्र #मृतसंजीवनीमंत्र #गुरुराहुलेश्वर #भाग्यमंथन #भाग्यमंथन
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दिल्ली के स्पाइस रूट पर एक बिल्कुल नए अवतार में आम के स्वाद का आनंद लें
दिल्ली के स्पाइस रूट पर एक बिल्कुल नए अवतार में आम के स्वाद का आनंद लें
चलो मानते हैं; हमारे पसंदीदा फल – आम के एक उदार हिस्से के बिना ग्रीष्मकाल अधूरा है। आम हमारे सुखी बचपन की याद दिलाते हैं- हमारे साथ मासूमियत से स्लाइस के बाद स्लाइस पर टटोलते हैं, और चिपचिपा आम का रस हमारी कोहनियों से नीचे टपकता है और हमारे होंठों में फैल जाता है। इस चमकीले पीले फल से जुड़ी मीठी यादों को जगाने के लिए बस एक ही दंश काफी है। अगर आप भी हमारी तरह आम पसंद करते हैं, तो आप द स्पाइस रूट,…
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इन राशियों ने खेलते हैं माइंड गेम, पार्टनर से किया प्यार साबित करने का आग्रह | द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया
इन राशियों ने खेलते हैं माइंड गेम, पार्टनर से किया प्यार साबित करने का आग्रह | द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया
यह मीठी आत्मायें इतनी मीठी नहीं हैं! जब उनके धैर्य की परीक्षा होती है तो वे बहुत शातिर हो सकते हैं। वे किसी भी रिश्ते में अपना 100% देते हैं लेकिन वे पीड़ित कार्ड भी खेलते हैं, अपने साथी के साथ छेड़छाड़ करते हैं, जिससे वे बार-बार कहते हैं कि वे उनसे प्यार करते हैं। उनके दिमाग के खेल सिर्फ अपने साथी को जलन महसूस कराने के लिए किसी अन्य व्यक्ति के साथ साधारण छेड़खानी भी कर सकते हैं। यह उनके रिश्ते…
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Akshay Kumar pranks Sara on the sets of Atrangi Re, feeds garlic as Prasad | अक्षय कुमार ने अतरंगी रे के सेट पर सारा के साथ किया प्रैंक, प्रसाद के रूप में खिलाया लहसुन
Akshay Kumar pranks Sara on the sets of Atrangi Re, feeds garlic as Prasad | अक्षय कुमार ने अतरंगी रे के सेट पर सारा के साथ किया प्रैंक, प्रसाद के रूप में खिलाया लहसुन
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉलीवुड अभिनेत्री सारा अली खान ने खुलासा किया कि अक्षय कुमार सेट पर लोगों को प्रैंक करते थे, क्योंकि वह द कपिल शर्मा शो में खुद इसका शिकार होने का दावा करती थीं। हाल ही में आई फिल्म अतरंगी रे के सेट पर एक घटना के बारे में बात करते हुए, सारा ने होस्ट कपिल शर्मा के साथ साझा किया कि कैसे अक्षय ने एक मीठी बॉल में लहसुन की फली को छिपाया और उसे एक शरारत के रूप में उन्हें…
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मंगलवार के दिन करें ये उपाय, जीवन में अमंगल दूर होकर सब कुछ होगा मंगलमय Divya Sandesh
#Divyasandesh
मंगलवार के दिन करें ये उपाय, जीवन में अमंगल दूर होकर सब कुछ होगा मंगलमय
मंगलवार का दिन संकटमोचन हनुमान जी को समर्पित है। मान्यता है कि इस दिन सच्चे में बजरंग बली की पूजा व उपाय करने से मंगल व शनिदोष से मु्क्ति मिलती है। जीवन के दुख-कष्ट दूर होकर सुख-समृद्धि व खुशहाली का वास होता है। ऐसे में अगर आप भी जीवन में समस्याओं से परेशान है तो आज हम आपको कुछ उपाय बताते हैं। इससे जीवन में अमंगल दूर होकर सब कुछ मंगलमय होगा…- ज्योतिष व वास्तु शास्त्र के अनुसार, मंगलवार का व्रत का रखना बेहद शुभ होता है। मगर आप यह नहीं रख सकते हैं तो इस दिन हनुमान जी की पूजा करके गुड़ का भोग लगाएं। फिर यह गुड़ गाय को खिलाएं। इस दौरान मन में कभी भी किसी के प्रति ईर्ष्या-द्वेष का भाव ना रखें। मान्यता है कि इससे घर में अन्न व धन की बरकत बनी रहती है। – बजरंग बली को लाल रंग अतिप्रिय है। इसलिए मंगलवार के दिन हनुमान जी को लाल रंग का रुमाल चढ़ाकर पूजा करें। इसे भगवान का प्रसाद समझकर अपने पास रखें। ऐसे में इसे इस्तेमाल करने से बचें। खासतौर पर किसी जरूरी काम पर जाने से पहले इसे अपनी जेब में रखें। इससे सारे बिगड़े काम बनने लगेंगे। जीवन की समस्याएं दूर होकर सुख-समृद्धि का वास होता है। – मंगलवार के दिन हनुमान मंदिर या घर के पूजास्थल पर बजरंग बली के सामने सरसों तेल का दीपक जलाएं। फिर हनुमान चालीसा का पाठ करें। इससे दांपत्य जीवन में आने वाली परेशानियां दूर होगी। – मंगलवार की शाम हनुमान जी को केवड़े का इत्र या गुलाब की माला अर्पित करें। साथ ही कोशिश करें इस दिन लाल रंग के कपड़े पहनें। इससे आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। आय के नए स्त्रोत बनने के साथ तरक्की के रास्ते खुलेंगे।- मंगलवार के दिन हवन करना वर्जित होता है। मगर इस दिन तांत्रिक हनुमान यंत्र की स्थापना की जा सकती है। मान्यता है कि इससे हनुमान जी की विशेष कृपा मिलती है। जीवन के सभी कष्ट दूर होकर सुख-शांति व खुशहाली का आगमन होता है। – मंगलवार के दिन मीठी चीज का दान देना शुभ होता है। मगर दान देने के बाद खुद मीठी चीज खाने से बचना चाहिए। मान्यता है कि दान की गई चीज को खुद नहीं खाना चाहिए। साथ ही मंगलवार के दिन जरूरतमंदों, गरीबों व असहायों लोगों को लाल रंग की मिठाई बांटने से जीवन में सुख-समृद्धि, शांति व खुशहाली का वास होता है।
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बात 2014 की है। नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री के रूप में पहली बार 26 सितंबर को अमरीका पहुंचे। इससे ठीक एक दिन पहले शारदीय नवरात्र शुरू हो चुके थे और प्रधानमंत्री पिछले करीब 35 सालों की तरह इस बार भी पूरे 9 दिन के उपवास पर थे। 30 सितंबर को राष्ट्रपति बराक ओबामा ने व्हाइट हाउस में प्रधानमंत्री के सम्मान में भोज दिया, मगर मोदी ने केवल गुनगुना पानी पिया।
अमरीकी मीडिया प्रधानमंत्री की इस बात से बेहद प्रभावित था। ज्यादातर अमरीकी अखबारों में उनके इस श्रद्धाभाव पर कई खबरें छपीं। यह लगभग स्पष्ट है कि पिछले करीब 40 वर्षों की तरह इस बार भी प्रधानमंत्री मोदी पूरे 9 दिन उपवास पर रहेंगे।
एक बार उन्होंने अपने ब्लॉग और कविता संग्रह 'साक्षी भाव' में लिखा था, नवरात्रि के उपवास उनका वार्षिक आत्मशुद्धि व्यायाम है, जो उन्हें हर रात अम्बे मां के साथ बातचीत करने की शक्ति और क्षमता प्रदान करता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चैत्र और शारदीय, दोनों ही नवरात्रि पर व्रत रखते हैं। ऐसी है प्रधानमंत्री की व्रत पद्धति
नौ दिन उपवास के दौरान के वे दिन में केवल एक बार फल खाते हैं।
मोदी शाम को नींबू पानी पीते हैं।
गुजरात में उनके करीब रहे जानकारों का कहना है कि गुजरात में नवरात्रि के दौरान साबूदाने से बनी डिश खाने की अनुमति रहती है, लेकिन मोदी यह भी नहीं खाते।
इस दौरान हमेशा की तरह प्रधानमंत्री रोज सुबह योग करते हैं और ध्यान भी लगाते हैं।
व्रत के दौरान व्यस्त दिनचर्या के बावजूद प्रधानमंत्री रोज सुबह पूजा जरूर करते हैं।
मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे तो नवरात्रि के दौरान आमदिनों की तुलना में एक घंटे पहले रात करीब 10 बजे ही काम निपटा लिया करते थे, मगर बतौर प्रधानमंत्री अब वे ऐसी कोई छूट नहीं लेते।
अपने उपवास को लेकर प्रधानमंत्री ज्यादा बात नहीं करते। उन्होंने 2012 में अपने ब्लॉग में पहली बार अपने नवरात्रि के व्रत के ��ारे में बताया था।
व���जयादशमी के दौरान मोदी शस्त्रपूजन में भी हिस्सा लेते रहे हैं।
गुजरात के सीएम के रूप में वे गांधीनगर स्थित आवास पर पुलिस व सुरक्षाकर्मियों के बीच विजयादशमी पर स्वयं शस्त्रपूजन करते थे।
कामाख्या देवी के मंदिर में पीएम मोदी।
कई बड़े मौकों पर व्रत में रहे मोदी
2019 के आमचुनाव का पहला चरण
पिछले वर्ष चैत्र नवरात्रि 6 अप्रैल से शुरू होकर 14 अप्रैल तक थे। लोकसभा चुनाव का पहला चरण 11 अप्रैल से शुरू हुआ था। इस दौरान प्रधानमंत्री हजारों किलोमीटर का हवाई सफर करके लगातार चुनाव प्रचार में करते रहे। भीषण गर्मी में भी मोदी केवल पानी और नींबू पानी पीते थे।
असम चुनाव प्रचार
2015 में नरेंद्र मोदी ने नवरात्रि के पहले दिन असम के कामाख्या देवी के मंदिर में पूजा-अर्चना कर व्रत की शुरुआत की थी। इसके बाद ही राज्य में विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान शुरू किया था। पहली बार पूर्वोत्तर के किसी राज्य में भाजपा सरकार बनी थी।
जीएसटी बिल का पारित होना
29 मार्च 2017 में जीएसटी बिल के लोकसभा में पारित होने के दौरान प्रधानमंत्री चैत्र नवरात्र के उपवास पर थे। जीएसटी बिल को आजादी के बाद सबसे बड़ा टैक्स सुधार कहा जाता है। इस मौके पर संसद को स्वतंत्रता दिवस की तर्ज पर सजाकर विशेष समारोह भी हुआ था।
उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार शुरुआत
प्रधानमंत्री ने 2016 में नवरात्र के व्रत के बाद दशहरा उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मनाया था। यहीं से उन्होंने यूपी में चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत की। मई 2017 में हुए चुनाव में भाजपा ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी। राज्य की सत्ता में 15 वर्षों बाद भाजपा की वापसी हुई थी।
अमरीकी-ब्रिटिश अखबारों ने कुछ ऐसे जताई थी हैरानी भारत के नए पीएम ने केवल गर्म पानी पिया: वाशिंगटन पोस्ट अमरीकी अखबार वाशिंगटन पोस्ट ने लिखा, भारत के नए प्रधानमंत्री ने ओबामा के साथ डिनर में केवल गर्म पानी पिया। मोदी पिछले 30 वर्षों से नवरात्रि में उपवास रखते हैं। वहीं, मेहमानों ने बकरी के दूध का पनीर, एवाकाडो और शिमला मिर्च, बासमती चावल के साथ क्रिस्प हेलिबट (एक प्रकार की मछली) और मैंगो क्रीम ब्रुली (खाने के बाद की मीठी डिश ) का आनंद लिया। भारत के प्रधानमंत्री ने व्हाइट हाउस के डिनर में किया उपवास: वॉल स्ट्रीट जनरल वॉल स्ट्रीट जनरल ने लिखा, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति ओबामा के साथ रात्रिभोज और उपराष्ट्रपति जो बिडेन के साथ दोपहर का भोज किया। इस दौरान कोई उलझन नहीं हुई क्योंकि उन्होंने कुछ खाया ही नहीं। ऐसे आयोजनों को बेहद सावधानीपूर्वक तैयार किया जाता है। इसमें महीनों लगते हैं। मेहमानों के बारे में तमाम जानकारियों का आदान प्रदान होता है। ऐसे में यह उपवास बेहद अप्रत्याशित चुनौती था। धर्मनिष्ठ हिन्दू नरेंद्र मोदी उपवास पर रहेंगे: द गार्जियन ब्रिटिश अखबार द गार्जियन ने एक दिन पहले लिखा कि अमरीकी उपराष्ट्रपति बिडेन के साथ लंच और राष्ट्रपति ओबामा के साथ डिनर बेहद मितव्ययी होगा, क्योंकि धर्मनिष्ठ हिन्दू प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नवरात्रि के उपवास पर रहेंगे।
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navratri 2020 special story on PM Narendra Modi how he is fasting for 40 years and what he eat during navratri
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अपने दांतों का ख्याल कैसे रखना चाहिए, जानें दांतों के स्वास्थ्य से जुड़ी सभी बातें विस्तार से
बड़े बुजुर्ग कहते हैं जिंदगी का मजा तभी तक है, जब तक आपके दांत सलामत हैं। इस बात को कहने के पीछे तर्क ये है कि दांत न रहने पर ऐसी बहुत सारे खाने की चीजें हैं, जिनका मजा आप नहीं ले पाते हैं। दांत खाना चबाने में मदद करने के साथ-साथ हमारी खूबसूरती भी बढ़ाते हैं। इन सब बातों को जानने के बाद भी अक्सर लोग दांतों के स्वास्थ्य के प्रति उतने सजग नहीं होते हैं, जितना उन्हें होना चाहिए।
आपको जानकर हैरानी होगी कि दांतों के स्वास्थ्य का सीधा संबंध आपके दिल से भी है। इसलिए कई तरह की रिसर्च में वैज्ञानिकों ने इस बात का दावा किया है कि जो लोग अपने दांतों को गंदे रखते हैं या जिन्हें मसूड़ों से जुड़े रोग होते हैं, उनमें हार्ट अटैक और दूसरी दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
हम सभी को दांतों से जुड़ी कोई न कोई समस्या होती ही रहती है। लेकिन, कम लोग ही छोटी-मोटी समस्या के लिए दंत विशेषज्ञ के पास जाते हैं। इस अनदेखी के कारण ही कई बार छोटी-छोटी बीमारियां भी गंभीर हो जाती हैं। अगर आप दांतों की सही देखभाल करें और हर छह महीने में अपने दांतों का नियमित चेकअप करवायें तो समस्याओं को समय रहते रोका जा सकता है।
दांतों में ठंडा-गरम लगना, कैविटी (कीड़ा लगना), पायरिया, मुंह से बदबू आना और दांतों का बदरंग होना जैसी बीमारियां सबसे सामान्य देखी जाती हैं। अधिकतर लोग इनमें से किसी न किसी परेशानी से दो-चार होते रहते हैं। आइये जानते हैं कि इन परेशानियों के कारण क्या हैं और इनसे कैसे बचा जा सकता है।
क्यों लगता है ठंडा गरम
दांत टूटने, नींद में किटकिटाने, दांतों के घिसने के बाद, मसूड़ों की जड़ें नजर और कैविटी के कारण दांतों में ठंडा-गरम लगने लगता है। इसके साथ ही ब्रश करते समय दांतों पर ज्यादा जोर डालने से भी दांत घिस जाते हैं और बहुत ज्यादा संवेदनशील हो जाते हैं।
बचाव के लिए क्या करें- ब्रश करते समय दांतों पर ज्यादा दबाव न डालें। और साथ ही दांतों को पीसने से बचें।
क्या है इलाज
इस समय का इलाज इस बात पर तय होता है कि आखिर आपको दांतों में ठंडा गरम लगने के पीछे कारण क्या है। फिर भी डॉक्टर खास टूथपेस्ट इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं। आप डॉक्टरी सलाह के बिना भी बाजार में मिलने वाले सेंसेटिव टूथपेस्ट इस्तेमाल कर सकते हैं। हालांकि, अगर दो से तीन महीने पेस्ट करने के बाद भी आपको आराम न मिले तो आपको डॉक्टर को दिखाना चाहिये।
इसे भी पढ़ें:- ज्यादा टूथपेस्ट भी दांतों के लिए है खतरनाक, जानें कितना और कैसे करना चाहिए टूथपेस्ट का प्रयोग
दांत में कीड़ा लगना
कई बार दांतों की सही प्रकार से देखभाल नहीं करने पर दांतों में सुराख हो जाता है और इस वजह से यह समस्या होती है। इसके साथ ही मुंह में बनने वाला एसिड भी इसके लिए जिम्मेदार होता है। हमारे मुंह में बैक्टीरिया जरूर होते हैं। और जब खाने के बाद जब हम कुल्ला नहीं करते तो ये बैक्टीरिया मुंह में ही रह जाते हैं। इन परिस्थितियों में भोजन के कुछ ही देर बाद यह बैक्टीरिया मीठे या स्टार्च वाली चीजों को स्टार्च में बदल देते हैं। बैक्टीरिया युक्त यह एसिड और मुंह की लार मिलकर एक चिपचिपा पदार्थ (प्लाक) बनाते हैं। यह चिपचिपा पदार्थ दांतों के साथ चिपककर दांतों और मसूड़ों को नुकसान पहुंचाने लगता है। प्लाक का बैक्टीरिया जब दांतों में सुराख यानी कैविटी कर देता है तो इसे ही कीड़ा लगना अर्थात कैरीज कहते हैं।
कैसे बचें
इस समस्या से बचने के लिए जरूरी है कि आप रात को जरूर ब्रश करके सोयें। इसके साथ मीठी या स्टार्च वाली चीजें कम खायें। इन चीजों के सेवन से आपके दांतों पर बुरा असर पड़ता है। खाने के बाद ब्रश या कुल्ला जरूर करें। अपने दांतों की साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें।
कैसे करें पहचान
क्या आपकें दांत अब चमचमाते नहीं हैं। क्या आपको दांतों पर भूरे और काले धब्बे नजर आने लगे हैं। भोजन आपके दांतों में फंसने लगा है। ठंडा - गरम लगता है, तो यह सब कैविटी के लक्षण हैं। आपको तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिये। अगर आप जल्द ही इस समस्या की ओर ध्यान देंगे तो कैविटी को रोका जा सकता है।
जल्द पायें राहत
दांतों में दर्द होने पर सामान्य द���्द निवारक दवाओं का सेवन किया जा सकता है। आप पैरासिटामोल , एस्प्रिन , इबो - प्रोफिन आदि का सेवन कर सकते हैं। कुदरती इलाज के तौर पर दांतों में लौंग या उसका तेल भी लगाया जा सकता है। इससे मसूड़ों का दर्द कम हो जाता है। हां, दर्द दूर होने के बाद इसे भूल न जाएं। आपको डॉक्टर के पास जाकर फिलिंग जरूर करवानी चाहिये।
फिलिंग है जरूरी
फिलिंग करवाये बिना दांतों में ठंडा-गरम और खट्टा मीठा लगता रहता है। इसके बाद आपको दांतों में दर्द भी हो सकता है। समस्या अधिक हो जाए तो पस भी बन सकती है। और आगे चलकर आपको रूट कनाल करवाना पड़ सकता है। इसलिए फिलिंग करवाने में देरी न करें।
सांस में बदबू
मसूड़ों और दांतों की अगर सही प्रकार सफाई न की जाए, तो उनमें सड़न और बीमारी के कारण सांसों में बदबू हो सकती है। कई बार खराब पेट या मुंह की लार का गाढ़ा होना भी इसकी वजह होती है। प्याज और लहसुन आदि खाने से भी मुंह से बदबू आने लगती है।
इलाज: लौंग , इलायची चबाने से इससे छुटकारा मिल जाता है। थोड़ी देर तक शुगर - फ्री च्यूइंगगम चबाने से मुंह की बदबू के अलावा दांतों में फंसा कचरा निकल जाता है और मसाज भी हो जाती है। इसके लिए बाजार में माउथवॉश भी मिलते हैं।
पायरिया
मुंह से बदबू आने लगे, मसूड़ों में सूजन और खून निकलने लगे और चबाते हुए दर्द होने लगे तो पायरिया हो सकता है। पायरिया होने पर दांत के पीछे सफेद - पीले रंग की परत बन जाती है। कई बार हड्डी गल जाती है और दांत हिलने लगता है।पायरिया की मूल वजह दांतों की ढंग से सफाई न करना है।
इलाज: पायरिया का सर्जिकल और नॉन सर्जिकल दोनों तरह से इलाज होता है। शुरू में इलाज कराने से सर्जरी की नौबत नहीं आती। क्लीनिंग , डीप क्लीनिंग ( मसूड़ों के नीचे ) और फ्लैप सर्जरी से पायरिया का ट्रीटमंट होता है।
दांत निकालना कब जरूरी
दांत अगर पूरा खोखला हो गया हो , भयंकर इन्फेक्शन हो गया हो , मसूड़ों की बीमारी से दांत हिल गए हों या बीमारी दांतों की जड़ तक पहुंच गई हो तो दांत निकालना जरूरी हो जाता है।
ब्रश करने का सही तरीका
यों तो हर बार खाने के बाद ब्रश करना चाहिए लेकिन ऐसा हो नहीं पाता। ऐसे में दिन में कम - से - कम दो बार ब्रश जरूर करें और हर बार खाने के बाद कुल्ला करें। दांतों को तीन - चार मिनट ब्रश करना चाहिए। कई लोग दांतों को बर्तन की तरह मांजते हैं , जोकि गलत है। इससे दांत घिस जाते हैं। आमतौर पर लोग जिस तरह दांत साफ करते हैं , उससे 60-70 फीसदी ही सफाई हो पाती है। दांतों को हमेशा सॉफ्ट ब्रश से हल्के दबाव से धीरे - धीरे साफ करें। मुंह में एक तरफ से ब्रशिंग शुरू कर दूसरी तरफ जाएं। बारी - बारी से हर दांत को स��फ करें। ऊपर के दांतों को नीचे की ओर और नीचे के दांतों को ऊपर की ओर ब्रश करें। दांतों के बीच में फंसे कणों को फ्लॉस ( प्लास्टिक का धागा ) से निकालें। इसमें 7-8 मिनट लगते हैं और यह अपने देश में ज्यादा कॉमन नहीं है। दांतों और मसूड़ों के जोड़ों की सफाई भी ढंग से करें। उंगली या ब्रश से धीरे - धीरे मसूड़ों की मालिश करने से वे मजबूत होते हैं।
जीभ की सफाई जरूरी: जीभ को टंग क्लीनर और ब्रश , दोनों से साफ किया जा सकता है। टंग क्लीनर का इस्तेमाल इस तरह करें कि खून न निकले।
कैसा ब्रश सही: ब्रश सॉफ्ट और आगे से पतला होना चाहिए। करीब दो-तीन महीने में या फिर जब ब्रसल्स फैल जाएं , तो ब्रश बदल देना चाहिए।
टूथपेस्ट की भूमिका
दांतों की सफाई में टूथपेस्ट की ज्यादा भूमिका नहीं होती। यह एक मीडियम है , जो लुब्रिकेशन , फॉमिंग और फ्रेशनिंग का काम करता है। असली एक्शन ब्रश करता है। लेकिन फिर भी अगर टूथपेस्ट का इस्तेमाल करें , तो उसमें फ्लॉराइड होना चाहिए। यह दांतों में कीड़ा लगने से बचाता है। पिपरमिंट वगैरह से ताजगी का अहसास होता है। टूथपेस्ट मटर के दाने जितना लेना काफी होता है।
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पाउडर और मंजन
टूथपाउडर और मंजन के इस्तेमाल से बचें। टूथपाउडर बेशक महीन दिखता है लेकिन काफी खुरदुरा होता है। टूथपाउडर करें तो उंगली से नहीं , बल्कि ब्रश से। मंजन इनेमल को घिस देता है।
दातुनः नीम के दातुन में बीमारियों से लड़ने की क्षमता होती है लेकिन यह दांतों को पूरी तरह साफ नहीं कर पाता। बेहतर विकल्प ब्रश ही है। दातुन करनी ही हो तो पहले उसे अच्छी तरह चबाते रहें। जब दातुन का अगला हिस्सा नरम हो जाए तो फिर उसमें दांत धीरे - धीरे साफ करें। सख्त दातुन दांतों पर जोर - जोर से रगड़ने से दांत घिस जाते हैं।
माउथवॉशः मुंह में अच्छी खुशबू का अहसास कराता है। हाइजीन के लिहाज से अच्छा है लेकिन इसका ज्यादा इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
नींद में दांत पीसना
वजह: गुस्सा , तनाव और आदत की वजह से कई लोग नींद में दांत पीसते हैं। इससे आगे जाकर दांत घिस जाते हैं।
बचाव: नाइटगार्ड यूज करना चाहि���।
स्केलिंग और पॉलिशिंग
दांतों पर जमा गंदगी को साफ करने के लिए स्केलिंग और फिर पॉलिशिंग की जाती है। यह हाथ और अल्ट्रासाउंड मशीन दोनों तरीकों से की जाती है। चाय - कॉफी , पान और तंबाकू आदि खाने से बदरंग हुए दांतों को सफेद करने के लिए ब्लीचिंग की जाती है। दांतों की सफेदी करीब डेढ़ - दो साल टिकती है और उसके बाद दोबारा ब्लीचिंग की जरूरत पड़ सकती है।
चेकअप कब कराएं
अगर कोई परेशानी नहीं है तो कैविटी के लिए अलग से चेकअप कराने की जरूरत नहीं है लेकिन हर छह महीने में एक बार दांतों की पूरी जांच करानी चाहिए।
मुस्कुराते रहें
मुस्करा��ट और अच्छे व खूबसूरत दांतों के बीच दोतरफा संबंध है। सुंदर दांतों से जहां मुस्कराहट अच्छी होती है , वहीं मुस्कराहट से दांत अच्छे बनते हैं। तनाव दांत पीसने की वजह बनता है , जिससे दांत बिगड़ जाते हैं। तनाव से एसिड भी बनता है , जो दांतों को नुकसान पहुंचाता है।
* बच्चों के दांतों की देखभाल
* छोटे बच्चों के मुंह में दूध की बोतल लगाकर न सुलाएं।
* चॉकलेट और च्यूइंगम न खिलाएं। खाएं भी तो तुरंत कुल्ला करें।
* बच्चे को अंगूठा न चूसने दें। इससे दांत टेढ़े - मेढ़े हो जाते हैं।
* डेढ़ साल की उम्र से ही अच्छी तरह ब्रशिंग की आदत डालें।
* छह साल से कम उम्र के बच्चों को फ्लोराइड वाला टूथपेस्ट न दें।
साभार
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कहानी- मोह माया मायका (Short Story- Moh Maya Mayka)
मूंदी हुई पलकों के पीछे मायके में कुछ दिन पूर्व बिताया समय साकार हो उठा. कैसे उसे देखते ही मम्मी-पापा के चेहरे खिल उठे थे. मां ने उत्साह से बताया था कि हमेशा धीर-गंभीर और चुप-चुप रहनेवाले पापा पिछले एक घंटे से उसके इंतज़ार में गलियारे में चक्कर काट रहे थे. “बातें कुछ नहीं करनी हैं इन्हें. बातें तो तुझसे मैं ही करूंगी. ये तो तुझे देखकर ही तेरे मन का पूरा एक्सरे अपने दिल में उतार लेते हैं. क्यों जी हो गई तसल्ली आपको? ख़ुश है न आपकी लाड़ली?”
दस-पंद्रह दिन मायके में बिताकर आई नेहा ने आज बड़े ही ख़ुशनुमा मूड में फिर से स्कूल जॉइन किया था. मायके की खट्टी-मीठी स्मृतियों में डूबते-उतराते उसने स्टाफ रूम में प्रवेश किया, तो साथी अध्यापिकाएं उसे इतने दिनों बाद अपने बीच पाकर चहक उठीं.
“ओ हो, साड़ी तो बड़ी ख़ूबसूरत मिली है मायके से! प्योर सिल्क लगती है. क्यों प्राची, ढाई हज़ार से कम की तो क्या होगी?” मधु ने पास बैठी प्राची को कोहनी मारी.
“मेरी नज़रें तो कंगन और पर्स पर ही अटकी हैं. तेरी भाभी की चॉइस अच्छी है.” प्राची ने कहा.
इसके आगे कि कोई और अपनी अपेक्षाओं का पिटारा खोले, नेहा ने बीच में हस्तक्षेप करना ही उचित समझा. “यह साड़ी तो अभी एनीवर्सरी पर तनुज ने दिलवाई थी. और ये कंगन और पर्स मैंने एग्ज़ीबिशन से लिए थे.”
“कुछ भी कहो, आजकल मायके जाना कोई आसान सौदा नहीं रह गया है. जितना मिलता नहीं, उससे ज़्यादा तो देना पड़ जाता है. पिछली बार भतीजे-भतीजी के लिए ब्रांडेड कपड़े ले गई थी. भाभी के लिए इंपोर्टेड कॉस्मेटिक्स, घ���मने, बाहर खाने आदि पर भी खुलकर ख़र्च किया और बदले में मिला क्या? एक ठीकठाक-सी साड़ी. अभी तो उसे तैयार करवाने में हज़ार-पांच सौ और ख़र्च हो जाएंगे.” मधु ने आंखें और उंगलियां नचाते हुए बताया, तो नेहा को वितृष्णा-सी होने लगी. अपनी किताबें समेटकर वह स्टाफ रूम से क्लास का बहाना बनाकर निकल ली.
इतने दिनों बाद क्लास लेेकर उसे बहुत अच्छा लगा. अगला पीरियड खाली था, पर उसका स्टाफ रूम में लौटने का मन नहीं हुआ. साथी अध्यापिकाओं की ओछी मानसिकता देखकर उसका मन बुझ-सा गया था. उसके कदम स्वत: ही लाइब्रेरी की ओर उठ गए. वहां के शांत वातावरण में उसके उ़िद्वग्न मन को कुछ राहत मिली. टेबल पर पर्स और हाथ की किताबें रखकर उसने अपना सिर कुर्सी से टिका दिया. मूंदी हुई पलकों के पीछे मायके में कुछ दिन पूर्व बिताया समय साकार हो उठा. कैसे उसे देखते ही मम्मी-पापा के चेहरे खिल उठे थे. मां ने उत्साह से बताया था कि हमेशा धीर-गंभीर और चुप-चुप रहनेवाले पापा पिछले एक घंटे से उसके इंतज़ार में गलियारे में चक्कर काट रहे थे. “बातें कुछ नहीं करनी हैं इन्हें. बातें तो तुझसे मैं ही करूंगी. ये तो तुझे देखकर ही तेरे मन का पूरा एक्सरे अपने दिल में उतार लेते हैं. क्यूं जी, हो गई तसल्ली आपको? ख़ुश है न आपकी लाड़ली?”
तब तक भइया-भाभी, भतीजा-भतीजी को भी उसके आने की भनक लग चुकी थी. सबने उसे चारों ओर से घेर उसकी, तनुज की, यशी की कुशलक्षेम पूछना आरंभ किया, तो वह निहाल हो उठी थी. कुछ रिश्तों की ख़ुशबू ख़ुद में ही चंदन जैसी होती है. ज़रा-सा अपनापन घिसने पर ही रिश्ते दिल से महक जाते हैं. एक-एक को उनके साथ न आ पाने की न केवल सफ़ाई देनी पड़ी थी, वरन यह वादा भी करना पड़ा था कि यशी की परीक्षाएं समाप्त होते ही वे तीनों आएंगे और ज़्यादा दिनों के लिए आएंगे.
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“वैसे हर बार क्या मैं ही आती रहूंगी? दूरी तो उतनी ही है. कभी तुम लोग भी तो प्रोग्राम बना लिया करो. हमें भी इतनी ही ख़ुशी होगी.” नेहा ने झूठ-मूठ नाराज़गी दर्शाई थी. वैसे इतना प्यार और अपनापन पाकर वह मन ही मन आल्हादित थी.
“सही है बुआ! इस बार राखी पर मैं सबको लेेकर आऊंगा. दादा-दादी को भी.” भतीजे ने जोश में वादा किया था.
सबके साथ मम्मी-पापा के भी अपने घर आने की कल्पना मात्र से ही नेहा को गुदगुदी-सी हो आई थी.
“मैं चाय लेकर आती हूं.” भाभी उठकर जाने को हुईं, तो नेहा ने हाथ पकड़कर उन्हें बैठाना चाहा. “मैंने ट्��ेन में पी ली थी. ज़रा भी इच्छा नहीं है. आप बैठो.”
“अरे, ऐसे कैसे? मम्मी-पापाजी तो कब से इंतज़ार कर रहे हैं कि नेहा आएगी, तो उसके साथ ही चाय पीएंगे.”
“ओह! मुझे पता नहीं था. ठीक है, मैं सबके साथ आधा कप ले लूंगी.” नेहा अभिभूत थी.
चाय के साथ भइया ने करारी कचौरियों का पैकेट खोला, तो सबकी लार टपक पड़ी. “ऑफिस से आते हुए मंगू हलवाई से लेकर आया हूं ख़ास तेरे लिए. उसे करारी निकालने को कहा, तो पूछने लगा नेहा बिटिया आई हुई है क्या? मेरे हां कहने पर कहने लगा, सवेरे उसकी पसंद की करारी जलेबियां निकालकर रखूंगा. नाश्ते के लिए ले जाना.”
“अच्छा जी, जलेबियां तो मुझे भी पसंद हैं. कभी मेरे लिए तो जल्दी उठकर नहीं लाए?” चाय लेकर आती भाभी ने इठलाते हुए कहा और साथ ही नेहा को चुपके से इशारा भी कर दिया.
“तुम्हारी शुगर बढ़ी हुई है, थोड़ा कंट्रोल करो.” भइया ने भी नहले पर दहला जड़ दिया, तो पापा बहू के पक्ष में बोल उठे थे.
“इस नालायक को कहती ही क्यूं है बेटी? तेरा जब भी खाने का मन हो मुझसे कहना. मैं मॉर्निंग वॉक से लौटता हुआ ले आऊंगा.”
“बुआ, आप मठरी तो ले ही नहीं रही हो. मैंने बेली हैं.” नन्हीं-सी भतीजी ने ठुनकते हुए आग्रह किया, तो नेहा ने एक साथ दो मठरी उठा ली थी. “अरे, हमें तो पता ही नहीं था कि बिन्नी इत्ती बड़ी हो गई है कि मम्मी को काम में हाथ बंटाने लगी है.” नेहा ने भतीजी को गोद में बैठा लिया था.
“मम्मी को नहीं, दादी को. मठरियां मम्मीजी ने बनाई हैं. ख़ास आपके लिए अपने हाथों से.”
“वो तो ठीक है मां, पर नेहा के हाथ में मठरी का पूरा डिब्बा मत दे देना, वरना याद है न डिब्बा और अचार का मर्तबान सब साफ़.” भइया ने याद दिलाया, तो नेहा झेंप गई. मम्मी हंस-हंसकर सबको बताने लगीं कि कैसे बचपन में नेहा उनके सो जाने पर आस-पड़ोस की सब सहेलियों को बुला लाती थी और वे सब मिलकर सारी मठरियां और अचार चट कर जाती थीं.
हंसी-मज़ाक और बातों की फुलझड़ियों ने चाय नाश्ते का मज़ा दुगुना कर दिया था. भाभी ट्रे समेटकर जाने लगीं, तो नेहा ने साथ लाए तरह-तरह के खाखरे और चिक्की के पैकेट्स निकालकर भाभी को पकड़ा दिए. वे बोल उठीं, “अरे, इतने सारे!”
“मिठाई तो आजकल कोई खाता नहीं है. ये सबको पसंद है तो ये ही ले आई.” कहते हुए नेहा ने दोनों बच्चों को उनकी मनपसंद बड़ी-बड़ी चॉकलेट पकड़ाई, तो वे भी ख़ुशी से उछलते-कूदते बाहर खेलने भाग गए.
“पापा, ये आपके लिए स्टिक! सुबह आप वॉक पर जाते हैं, तो मम्मी को चिंता बनी रहती है, कहीं कुत्ते पीछे न पड़ जाएं.” नेहा ने अपने पिटारे में से अगला आइटम कलात्मक छड़ी निकाल��े हुए कहा.
“अरे वाह, यह तो बड़ी सुंदर है. मूठ तो देखो कैसी चमक रही है!” पापा ने हाथ में छड़ी पकड़कर अदा से घुमाई, तो भावविभोर नेहा खिल उठी.
“और मम्मी, ये वो ओर्थो चप्पल, मैंने आपको फोन पर बताया था न! इन्हें पहनकर चलने से आपकी एड़ियों में दर्द नहीं होगा.”
“काफ़ी महंगी लगती हैं.” चप्पलों को हाथ में लेेकर उलट-पुलटकर देखती मम्मी के हाथ से नेहा ने चप्पलें खींच लीं और ज़मीन पर पटक दी. “ये पांव में पहनने के लिए हैं. पहनकर, चलकर दिखाओ. आरामदायक है या नहीं?”
“टन टन टन...” अगले पीरियड की घंटी बजी, तो नेहा की चेतना लौटी. फ़टाफ़ट अपना पर्स और पुस्तकें संभालती वह अपनी कक्षा की ओर बढ़ चली. हिंदी व्याकरण का क्लास था. इस विषय पर तो उसकी वैसे ही गहरी पकड़ थी. नेहा को याद आया उस दिन वह रसोई में भाभी का हाथ बंटाने गई, तो भाभी ने उसके हाथ कसकर थाम लिए थे.
“नहीं दीदी, ये सब मैं कर लूंगी. आपसे एक दूसरा बहुत ज़रूरी काम है. आपके भतीजे की परीक्षाएं समीप हैं. और सब विषय तो मैं और आपके भइया उसे तैयार करवा देंगे, बस हिंदी, वो भी विशेषकर व्याकरण यदि आप उसे यहां रहते तैयार करवा देंगी, तो हम निश्चिंत हो जाएंगे.”
“हां-हां क्यों नहीं! वो भी करवा दूंगी. अभी खाना तो बनवाने दो.” पर भाभी ने एक न सुनी थी. दोनों बच्चों को कमरे में नेहा के सुपुर्द करके ही रसोई में लौटी थीं. नेहा ने भी उन्हें निराश नहीं किया था. दोनों बच्चों की ख़ूब अच्छी तैयारी करवा दी थी.
‘आज घर लौटकर बात करती हूं कैसी हुई दोनों की परीक्षाएं?’ तेज़ी से क्लास की ओर कदम बढ़ाती नेहा के दिमाग़ में विचारों का आदान-प्रदान भी तेज़ी से चल रहा था. शाम को घर लौटते हुए सास-ससुर की दवाइयां भी लेनी हैं. नेहा ने पर्स खोलकर चेक किया. ‘हूं... दोनों की दवा की पर्चियां तो सवेरे याद से रख ली थीं. तनुज तो व्यस्तता के मारे कभी पर्चियां रखना भूल जाते थे, तो कभी लाना. अब तो यह ज़िम्मेदारी उसी ने संभाल ली है, तभी तो उस दिन मायके में भी वह मम्मी-पापा के साथ जाकर उनके सारे रेग्युलर टेस्ट करवा लाई थी. साथ ही महीने भर की दवाइयां भी ले आई थी.
‘भइया तो हर बार करवाते ही हैं. मैं वहीं थी, फ्री थी, तो साथ चली गई.’
इतनी छोटी-सी मदद को भी सारे घरवालों ने सिर-आंखों पर लेेकर उसे आसमां पर बैठा दिया था. याद करते हुए नेहा की आंखें नम हो उठीं, जिन्हें चुपके से पोंछते हुए वह कक्षा में दाख़िल हो गई थी.
शाम को नेहा सास-ससुर की दवाइयां लेकर घर पहुंची, तो पाया दोनों क���सी गहन चर्चा में मशगूल थे.
“रितु आ रही है, चुन्नू को लेकर. दामादजी को तो अभी छुट्टी है नहीं.”
“अरे वाह रितु आ रही है! यह तो बहुत ख़ुशी की बात है.” नेहा उत्साहित हो उठी. हमउम्र रितु उसकी ननद कम सहेली ज़्यादा थी.
“उसका जन्मदिन भी है. सोच रहे हैं सबसे बढ़िया महंगे होटल में पार्टी रखें. यहां उसके जो ससुरालवाले हैं, उन्हें बुला लेंगे. कुछ अपने इधर के हो जाएंगे. तुम और तनुज जाकर उसके लिए अच्छी महंगी साड़ी ख़रीद लाओ. दामादजी और चुन्नू के भी बढ़िया कपड़े ले आना. रितु को लेने तो आएंगे ही, तब दे देंगे. तब हमेशा की तरह ससुरालवालों के लिए साथ मिठाई, मेेवे वगैरह भी दे देंगे. सबको पता तो चले उसका मायका कितना समृद्ध है. सुनिएजी, आप तो आज ही बैंक से 20-30 हज़ार निकाल लाइए.” सास की बात समाप्त हुई, तो नेहा के सम्मुख ननद का उदास चेहरा घूम गया. पिछली बार उसने अपने दिल की बात सहेली समान भाभी के सम्मुख खोलकर रख दी थी.
“भाभी, माना मम्मी-पापा आप सब समर्थ हैं. बहुत बड़ा दिल है आप सबका, पर मुझे हर बार आकर आप लोगों का इतना ख़र्चा करवाना अच्छा नहीं लगता. एक संकोच-सा घेरे रहता है हर समय. लगता है, सब पर बोझ बन गई हूं.”
“ऐसा नहीं सोचते पगली. सब तुम्हें बहुत प्यार करते हैं.” नेहा ने उसे प्यार से समझाया था.
लेकिन आज नेहा को वह समझाइश अपर्याप्त लग रही थी. उसे मायके में बिताया अपना ख़ुशगवार समय याद आ रहा था. भइया उस दिन उसे उसकी मनपसंद ड्रेस दिलवाने बुटिक ले गए थे. वापसी में उन्होंने एक लंबा रास्ता पकड़ लिया, तो नेहा टोक बैठी थी, “इधर से क्यों?”
“इधर से तेरा स्कूल आएगा. मुझे लगा तुझे पुरानी यादें ताज़ा करना अच्छा लगेगा.”
सच में स्कूल के सामने पहुंचते ही नेहा की बांछें खिल गई थीं. “अरे यह तो काफ़ी बदल गया है... वो कृष्णा मैम जा रही दिखती हैं. ये अभी तक यहां पढ़ाती हैं?” नेहा उचक-उचककर खिड़की से देखने लगी, तो भइया ने कार रोक दी थी.
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“जा मिल आ मैम से. मैं यहीं गाड़ी में बैठा कुछ फोन कॉल्स निबटा लेता हूं.”
नेहा को तो मानो मुंहमांगी मुराद मिल गई थी. अचानक ही उसके पर निकल आए थे. उड़ते हुए वह अगले ही पल अपनी मैम के सम्मुख थी. वे भी उसे देखकर हैरान रह गईं. बातों का सिलसिला शुरू हुआ, तो स्कूल की घंटी बजने ��े साथ ही थमा. नेहा ने स्कूल के बाहर खड़े अपने चिर-परिचित दीनू काका से भी दुआ-सलाम करके दो कुल्फियां लीं और भइया की ओर बढ़ आई थी. “देखो न भइया, दीनू काका कुल्फी के पैसे नहीं ले रहे.”
“चिंता न कर, मैं फिर कभी दे दूंगा.”
यही नहीं, लौटते में भइया ने उसे उसकी सहेली के घर ड्रॉप कर दिया था. “फोन कर देना, लेने आ जाऊंगा.”
दो घंटे बाद नेहा घर लौटी थी, तो उसका हंसता-खिलखिलाता चेहरा बता रहा था कि वह अपना बचपन फिर से जी आई है. और यहां नादान साथी अध्यापिकाएं पूछ रही हैं ‘मायके से लौटी है, क्या लाई दिखा?’
अब भाई-भाभी के स्नेह को कोई कैसे दिखा सकता है? मम्मी-पापा के लाड़ को कोई कैसे तौल सकता है? दिनभर बुआ... बुआ करनेवाले बच्चों का प्यार कैसे मापा जा सकता है? प्यार को यदि पैसे से तौलेंगे, तो उसका रंग हल्का नहीं पड़ जाएगा? ज़िंदगी के बैंक में जब प्यार का बैलेंस कम हो जाता है, तो हंसी-ख़ुशी के चेक भी बाउंस होने लगते हैं. हर बेटी की तरह उसकी तो एक ही दुआ है कि स्नेहिल धागों की यह चादर उसके सिर पर हमेशा बनी रहे. यहां आकर वह फिर से अपना बचपन जीए, भूल जाए लंबी ज़िंदगी की थकान और फिर से तरोताज़ा होकर लौटे अपने आशियाने में.प्यारी ननदरानी रितु का जन्मदिन वह अनूठे स्नेहिल अंदाज़ में मनाएगी. सोचते हुए नेहा के चेहरे पर भेद भरी मुस्कान पसर गई थी. मम्मीजी, पापाजी और तनुज से पूछ-पूछकर वह चुपके-चुपके रितु की सहेलियों की सूची तैयार करने लगी. उसे खाने में जो-जो पसंद है, वह मम्मीजी के साथ मिलकर तैयार करेगी. यशी ने उस ख़ास दिन घर को सजाने की ज़िम्मेदारी ख़ुशी-ख़ुशी ओढ़ ली थी. चुन्नू को बहलाने के लिए वह सहेली का डॉगी भी लानेवाली थी.
‘अपनेपन की यह भीनी-भीनी ख़ुशबू रितु को हर अपराधबोध से उबार स्नेहरस में सरोबार कर बार-बार मायके का रुख करने पर मजबूर कर देगी.’ सोचते हुए नेहा सूची को कार्यरूप देने में जुट गई.
शैली माथुर
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लॉकडाउन में में खराब हो गया है अमिताभ बच्चन का लैपटॉप, पोस्ट न करने पर लोगों से मांगी माफी
बॉलीवुड के शहंशाह और’मेगास्टार अमिताभ बच्चन का लैपटॉप खराब हो गया है, जिसके कारण वह ब्लॉग नहीं लिख पा रहे हैं। महानयक ने बुधवार सुबह अपने ब्लॉग पर एक संदेश पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने एक पोस्ट न लिख पाने के लिए माफी मांगी है। आपको बता दे लॉकडाउन के इन दिनों में अमिताभ बच्चन घर पर हैं और अपने परिवार से साथ क्वालिटी टाइम बीता रहे हैं। अपने फैंस से वो सोशल मीडिया के जरिए लगातार मुखातिब हो रहे हैं, लेकिन इन दिनों उनके सामने एक परेशानी आ गई है और परेशानी ऐसी है, जिसके बिना जीवन मानों अधूरी सा हो जाता है।
उन्होंने पोस्ट में लिखा, “दोबारा माफी चाहता हूं. व्यस्त हो गया था.. बिना काम के व्यस्त.. ना!!! लैपटॉप ‘लॉकडाउन’ में चला गया.. इसलिए इसे ठीक करने के लिए बैकएंड डिजिटल टीम के साथ काम कर रहा था। फिर अपने कंप्यूटर विशेषज्ञ के पास गया , उसके बाद वापस आया। “बिग बी ने लिखा, “जाहिर तौर पर इसे ठीक करने का काम अभी भी चल रहा है और आशा है कि वक्त के साथ यह खुद ही ठीक हो जाएगा, यह वक्त ले रहा है, कुछ दिक्कतें हैं, इसलिए बाद में फिर बात करेंगे। “
वहीं अमिताभ बच्चन ने अपनी फिल्म ‘अमर अकबर एंथनी’ के सेट से मीठी यादें साझा करने के लिए इंस्टाग्राम और ट्विटर का सहारा लिया। फिल्म ने 43 साल पूरे कर लिए हैं। अमिताभ बच्चन ने पैसे की चर्चा करते हुए यह बताने की कोशिश की कि फिल्म आज भी क्यों मायने रखती है। बिग बी ने दावा किया, “महंगाई को एडजस्ट करने के बाद साल 1977 में आई फिल्म ने अपने रिलीज पर जो पैसे कमाए, वह बॉक्स ऑफिस पर ‘बाहुबली 2: द कन्क्लूजन’ को पछाड़ देगा।
आपको बता दें कि बिग बी की टीम मुंबई के अलग-अलग स्थानों जैसे हाजी अली दरगाह, अनटॉप हिल, घारावी, जुहू आदि पर रोजाना खाना बांट रही है। इसके अलावा कई स्थानीय अधिकारियों की मदद से अमिताभ बच्चन की टीम ने काफी संख्या में मास्क और सैनिटाइजर बांटे हैं। साथ ही साथ अस्पता��ों, बीएमसी कार्यालयों, पुलिस स्टेशनों के अलावा अंतिम संस्कार स्थानों के लिए करीब 20, 000 से ज्यादा पीपीई किट भी डोनेट किए है। बिग बी की टीम 9 मई के बाद से प्रतिदिन 2000 ड्राई फूड पैकेट, 2000 पानी की बोतले�� और करीब 1200 जोड़ी चप्पल भी प्रवासी मजदूरों को बांट रही है। इसके अलावा उनकी टीम गुरुवार को 10 से ज्यादा बसों से मजदूरों को यूपी के लिए रवाना करेगी।
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दिल्ली के जामा मस्जिद के शाही इमाम ने कहा, ‘नहीं दिखा चांद, अब सोमवार को मनाई जाएगी ईद’
प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली :
दिल्ली समेत देश के अलग अलग हिस्सों में सोमवार को ईद मनाई जाएगी और रविवार को आखिरी रोज़ा होगा. दिल्ली की दो ऐतिहासिक मस्जिदों के शाही इमामों ने ऐलान किया कि शनिवार को कहीं से भी चांद दिखने की खबर नहीं मिली. इसलिए ईद-उल-फित्र का त्यौहार सोमवार को मनाया जाएगा. फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम मौलाना मुफ्ती मुकर्रम ने बताया कि शनिवार को दिल्ली में चांद नहीं दिखा और न ही चांद दिखने की कहीं से खबर या गवाही मिली. इसलिए रविवार को 30वां रोजा होगा और शव्वाल (इस्लामी कलेंडर का 10वां महीना) की पहली तारीख सोमवार को होगी. शव्वाल के महीने के पहले दिन ईद होती है. वहीं जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने एक वीडियो जारी कर कहा कि कहीं से भी चांद दिखने की कोई खबर नहीं है. उन्होंने कहा कि असम, कर्नाटक, हैदराबाद, आंध्र प्रदेश, मुंबई, चेन्नई में संपर्क कर चांद के बारे में जानकारी ली गई थी लेकिन कहीं से भी चांद दिखने की खबर नहीं है.
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उधर, मुस्लिम संगठन इमारत ए शरीया ने भी ऐलान किया है कि शनिवार को चांद नहीं दिखा है और रविवार को आखिरी रोजा होगा. ईद 25 मई को मनाई जाएगी. रमज़ान के महीने में रोज़ेदार सुबह सूरज निकलने से लेकर सूरज डूबने तक कुछ नहीं खाते पीते हैं. यह महीना ईद का चांद नजर आने के साथ खत्म होता है.
हाल में मुफ्ती मुकर्रम ने लॉकडाउन के मद्देनजर एक वीडियो जारी कर मुसलमानों से ईद की नमाज़ घर में अदा करने और फित्रा (दान) अदा करने की अपील की था. उन्होंने कहा था, “ईद उल फित्र के मौके पर घर में सुबह ईद की तैयारी करें और कुछ मीठी चीज खाएं. चार रकात नमाज़-नफील चाश्त (विशेष नमाज़) अदा कर लें. इसके बाद अल्लाह से दुआ करें.” शाही इमाम ने कहा था, “इसी तरह से ईद उल फित्र पर सदका ए फित्र (दान) अदा किया जाता है. मुसलमान, परिवार के प्रति सदस्य 55 रुपये फित्र अदा करें और गरीबों को तलाश करके यह पैसे दें.”
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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MARJANEYA Song: रुबीना के नखरे, अभिनव का प्यार, आते ही छा गया नेहा कक्कड़ का गाना Divya Sandesh
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MARJANEYA Song: रुबीना के नखरे, अभिनव का प्यार, आते ही छा गया नेहा कक्कड़ का गाना
रुबीना दिलैक (Rubina Dilaik) के ‘बिग बॉस 14’ (Bigg Boss 14) जीतने के बाद से ही उनके फैन्स को ‘मरजानिया’ सॉन्ग () का इंतजार था। नेहा कक्कड़ (Neha Kakkar) का यह नया गाना गुरुवार, 18 मार्�� 2021 को रिलीज हो गया है। रिलीज के कुछ घंटों में ही इस गाने को यूट्यूब पर 3 लाख 79 हजार से अधिक व्यूज मिल चुके हैं। गाने में रुबीना दिलैक अपने पति अभिनव शुक्ला (Abhinav Shukla) ने नखरीले अंदाज में शिकायत कर रही हैं। वह कह रही हैं कि अब तुम मुझसे प्यार नहीं करते, मेरा ख्याल नहीं रखते और इसलिए अब तुम्हारे साथ नहीं रहना। गाना रोमांटिक है और रुबीना-अभिनव की जोड़ी ने इसमें चार-चांद लगा दिए हैं।
खत्म हुआ इंतजार, देखिए ‘मरजानिया’ सॉन्ग बीते कुछ दिनों से रुबीना और अभिनव के फैन्स इस गाने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। यह पहला मौका है जब नेहा कक्कड़ के म्यूजिक वीडियो में रुबीना दिलैक और अभिनव शुक्ला नजर आ रहे हैं। इस गाने का पहला पोस्टर 9 मार्च को शेयर किया गया था। रुबीना ने तब पोस्ट शेयर करते हुए लिखा था कि वह इस गाने को लेकर बहुत एक्साइटेड हैं।
मीठी नोक-झोंक करते नजर आए रुबीना-अभिनव रुबीना और अभिनव के बीच इस गाने में मीठी नोक-झोंक नजर आ रही है। दोनों वीडियो में बहुत खूबसूरत दिख रहे हैं। गाने को नेहा कक्कड़ ने बखूबी गाया है और साफ जाहिर है कि यह गाना भी सुपरहिट होने वाला है। इस गाने को संगीत से सजाया है रजत नागपाल ने। जबकि गीत के बोल लिखे हैं बब्बु ने।
पारस छाबड़ा के साथ भी म्यूजिक वीडियो में दिखेंगी रुबीना रुबीना दिलैक इसके साथ ही पारस छाबड़ा (Paras Chhabra) के साथ भी एक म्यूजिक वीडियो कर रही हैं। वह गाना अभी लॉन्च होना बाकी है। नेहा कक्कड़ के भाई टोनी कक्कड़ (Tony Kakkar) इससे पहले अली गोनी (Aly Goni) और जैस्मिन भसीन (Jasmin Bhasin) के साथ ‘तेरा सूट’ (Tera Suit) गाना रिलीज कर चुके हैं। टोनी का यह गाना खूब देखा और सुना जा रहा है। जबकि जिस तरह ‘मरजानिया’ को रिलीज के कुछ घंटों में ही यूट्यूब पर लाखों व्यूज मिले हैं, साफ है कि यह गाना भी फैन्स को खूब पसंद आ रहा है।
जल्द दूसरी बार शादी करेंगे रुबीना-अभिनवरुबीना दिलैक और अभिनव शुक्ला ने ‘बिग बॉस 14’ में ही खुलासा किया था कि दोनों तलाक लेने वाले थे। लेकिन शो में एकसाथ बहुत सारा वक्त साथ बिताने के बाद दोनों में प्यार बढ़ा है। अभिनव शुक्ला ने हाल ही एक इंस्टाग्राम लाइव सेशन के दौरान यह भी खुलासा किया कि वह और रुबीना जल्द ही दूसरी बार शादी करने का भी प्लान बना रहे हैं।
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कोरोना के डर से फिल्म इंडस्ट्री छोड़ अपने गांव पहुंच ये अभिनेत्री, सामने आयी तस्वीरें!
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कोरोना के डर से फिल्म इंडस्ट्री छोड़ अपने गांव पहुंच ये अभिनेत्री, सामने आयी तस्वीरें!
दोस्तों पूरी दुनिया में कोरोना वायरस ने आतंक मचा रखा है और कोरोना वायरस को फैलने से बचाने के लिए हर देश की सरकार अपनी तरफ से हर संभव प्रयास कर रही है और लोगो को भी इसके लिए जागरूक कर रही है इन प्रयास में भारत की सरकार भी पीछे नहीं है। भारत सरकार ने कोरोना वायरस ज्यादा ना फैले इसकी वजह से कई चीजों पर पाबंदी लगा दी है। भारत सरकार ने स्कूल-कॉलेज, सिनेमा थिएटर के साथ-साथ अब फिल्म और टीवी सीरियल की शूटिंग पर रोक लगा दी है।
बता दे की कोरोना वायरस का डर बॉलीवुड और टीवी इंडस्ट्री में भी देखने को मिला है। यही वजह है कि अब शूटिंग बंद हो जाने के बाद हर कोई अपने परिवार के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिता रहा है और ऐसे आज आपको एक एक्ट्रेस के बारे में बता रहे हैं जो सब कुछ छोड़ फिलहाल अपने गांव पहुंच गई है।
आपको बता दे की यहाँ जिस अभीनेत्री की बात हो रही है वो है नेहा पेंडसे। नेहा पेंडसे टीवी जगत की जानी-मानी अभिनेत्री हैं। नेहा पेंडसे ने हिंदी फिल्मों के साथ साथ तमिल, तेलुगू, मराठी भाषाओं की फिल्मों में भी काम किया है। यही वजह है कि इनकी लोकप्रियता काफी ज्यादा है और लोग इनको बहुत पसंद करते हैं।
नेहा पेंडसे ने अभी थोड़ी देर पहले अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर कुछ तस्वीरें शेयर की जो सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो रही हैं। इन तस्वीरों में नेहा पेंडसे बेहद खुश नजर आ रही है। आईं और उनके चेहरे पर साफ साफ खुशी आप देख भी सकते हैं। बिग बॉस सीजन 12′ में बतौर कंटेस्टेंट हिस्सा ले चुकीं नेहा पेंडसे ने पांच जनवरी को ब्वॉयफ्रेंड शार्दुल सिंह ब्यास से शादी की है।
नेहा पेंडसे ने अपने करियर की शुरुआत टीवी इंडस्ट्री में ‘कैप्टेन हाउस’ सीरियल से की थी। इसके बाद कई सारे सीरियल्स में उन्होंने काम किया। इन सीरियल्स में ‘पड़ोसन’, ‘हसरतें’, ‘मीठी मीठी बातें’, ‘भाग्यलक्ष्मी’, ‘फैमिली टाइल विद कपिल शर्मा’ में भी दिखीं। टीवी के अलावा नेहा ने सिनेमाजगत में भी हाथ आजमाया। नेहा ने हिंदी सिनेमा के अलावा मराठी, मलयालम, कन्नड़ और तमिल फिल्मों में भी काम किया है। नेहा ने पहली फिल्म 1999 में की थी। इस फिल्म का नाम ‘प्यार कोई खेल नहीं’ है। इसके अलावा ‘दाग: द फायर’, ‘दीवाने’, ‘तुमसे अच्छा कौन है?’ और ‘देवदास’ के अलावा कई फिल्में की।
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