#मानवकाकोईनियंत्रणनहींहै
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allgyan · 4 years ago
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रेगिस्तान फैलते और सिकुड़ते भी है -
रेगिस्तान नाम से ही रेत की याद आ जाती है |लेकिन आपने कभी सोचा की इनका निर्माण कैसे होते है |ये कहा से आते है | इतने बड़े टीले कहा से आते है |लोगों की सोच होती है की रेगिस्तान गर्म होते है लेकिन ऐसा नहीं होता है |उत्तरी और दच्छिन ध्रुव में रेगिस्तान पाए जाते है जो बेहद ठन्डे होते है |रेगिस्तान पृथ्वी के ऐसे स्थान होते है जहां वर्षा बहुत कम (लगभग 250 मिमी) होती है|अधिकत्तर  रेगिस्तान व्यापक जलवायु परिवर्तन के कारण बनते हैं। रेगिस्तानीकरण कोई नई परिघटना नहीं है अपितु इसका इतिहास तो बहुत पुराना है। संसार के विशाल रेगिस्तान अनेक प्राकृतिक क्रियाओं से गुजर कर, दीर्घ अंतराल के पश्चात ही निर्मित हुए हैं।रेगिस्तान स्थिर नहीं होते, कभी फैलते हैं तो कभी सिकुड़ते हैं और निश्चित रूप से इन पर मानव का कोई नियंत्रण नहीं है।
रेगिस्तानीकरण प्रभाव तुरंत पता करना आसान नहीं -
रेगिस्तान का विस्तार एक अनिश्चित प्रक्रिया है तथा यह भी आवश्यक नहीं कि जहां रेगिस्तानीकरण हो रहा है वहां निकट ही कोई रेगिस्तान उपस्थित हो। यदि लंबे समय तक किसी भी उपजाऊ धरती का प्रबंधन ठीक से नहीं होता है तब चाहे वह स्थान किसी रेगिस्तान से कितना ही दूरस्थ क्यों न हो उसका रेगिस्तानीकरण हो सकता है। रेगिस्तानीकरण के प्रभावों का तुरंत पता करना संभव नहीं है। हमको इस विषय में जानकारी तभी हो पाती है जबकि रेगिस्तानीकरण की प्रक्रिया एक निश्चित क्रियात्मक दौर से गुजर जाए। इसलिए ऐसी कोई विधि नहीं है जिससे कि हमें रेगिस्तानीकरण होने के समय की पारिस्थितिकी अथवा धरती की उर्वरकता की दर का ज्ञान हो सके। रेगिस्तानीकरण से संबंधित अनेक प्रश्न जैसे, रेगिस्तानीकरण की प्रक्रिया क्या भूमंडलीय परिवर्तन का सूचक है,क्या यह स्थाई अथवा अस्थाई है और पुनः यथा स्थिति में परिवर्तन करने योग्य है आदि का समाधान प्राप्त नहीं हो सकता है।
धरती की उर्वरक क्षमता में ह्रास होना ही रेगिस्तानीकरण है -
रेगिस्तानीकरण एक सीधी लाइन में अथवा दिशा में अपना दायरा नहीं फैलाता तथा इसको मापने की कोई निश्चित विधि भी नहीं है।धरती की उर्वरक क्षमता में ह्रास कोई साधारण व अनायास होने वाली प्रक्रिया नहीं है अपितु एक जटिल प्रक्रिया है। भूमि ह्रास का कोई एक निश्चित कारण भी नहीं है। किसी भी धरती का ह्रास करने में अनेक कारण सहायक हो सकते हैं। विभिन्न स्थानों की भूमि की उवर्रकता के ह्रास की गति भी एक समान नहीं होती है और अनेक स्थानों पर यह जलवायु पर निर्भर करती है। रेगिस्तानीकरण किसी भी क्षेत्र की जलवायु को प्रभावित कर अति शुष्क बना सकता है और वहां की स्थानीय जलवायु में परिवर्तन कर सकने में सहायक हो सकता है।
उच्च दाब वाले क्षेत्र में रेगिस्तान का जन्म -
उच्च दाब के दोनों उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों की धरती पर सघन वायु उतरती है, पूर्वी हवाएं निर्मित होती हैं जो सूखी तथा नमी रहित होती हैं। यह सूखी हवाएं उस क्षेत्र की धरती से नमी सोख कर धरती को अधिक शुष्क बना देती हैं। पृथ्वी के उत्तरी गोलार्द्ध की पट्टी में कक रेखा के निकटवर्ती क्षेत्र में अनेक रेगिस्तान जैसे चीन का गोबी रेगिस्तान, उत्तरी अफ्रीका का सहारा रेगिस्तान, उत्तरी अमेरिका के दक्षिण-पश्चिम में स्थित रेगिस्तान तथा मध्य पूर्व के अरब तथा ईरानी रेगिस्तान स्थित हैं।अधिकतर रेगिस्तान 30 डिग्री उत्तरी और 30 डिग्री दक्षिणी अक्षांशों के उच्च दाब क्षेत्रों में स्थित हैं।इन क्षेत्रों का उच्च तापमान नमी सोखने में सहायक होता है।
दुनिया के सबसे पुराना रेगिस्तान कौन है -
दक्षिण-पश्चिमी अफ्रीका के अटलांटिक तट से लगा नामीब रेगिस्तान धरती पर सबसे सूखी जगहों में से एक है|नामीब का अर्थ होता है -'वह इलाका जहां कुछ भी नहीं है'मंगल ग्रह की सतह जैसा दिखने वाले इस भू-भाग पर रेत के टीले हैं, ऊबड़-खाबड़ पहाड़ हैं और 3 देशों के 81 हजार वर्ग किलोमी��र में फैले बजरी के मैदान हैं|5 करोड़ 50 लाख साल पुराने नामीब रेगिस्तान को दुनिया का सबसे पुराना रेगिस्तान माना जाता है|
नामीब रेगिस्तान में केवल 2 मिलीमीटर बारिश ही होती सालभर में -
इसकी तुलना में सहारा रेगिस्तान बहुत पहले का है लगभग 20 से 70 लाख साल पहले का है|इसलिए नामीब रेगिस्तान को ही सबसे पुराना रेगिस्तान माना गया है |गर्मियों में यहां तापमान अक्सर 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है और रातें इतनी ठंडी होती हैं कि बर्फ जम जाए|बसने के लिहाज से यह धरती के सबसे दुर्गम इलाकों में से एक है|नामीब रेगिस्तान दक्षिणी अंगोला से नामीबिया होते हुए 2,000 किलोमीटर दूर दक्षिण अफ्रीका के उत्तरी हिस्से तक फैला है|यहाँ बनी कुछ भू आकृतिया लोगों को भी चकित कर जाती है |यहाँ पर साल में औसतन सिर्फ़ 2 मिलीमीटर बारिश होती है |हमारा हमेशा ये उद्देश्य रहा है की आपको अलग चीजें के बारे में अवगत कराया जाता है |
#सहारा रेगिस्तान#संसारकेविशालरेगिस्तान#रेगिस्तानीकरणहोरहा#रेगिस्तानीकरणप्रभावतुरंतपताकरना#रेगिस्तानस्थिरनहींहोते#रेगिस्तानफैलतेऔरसिकुड़तेभीहै#रेगिस्ताननामसेहीरेतकीयादआजातीहै#रेगिस्तानगर्महोतेहै#रेगिस्तानकै��ेबने#रेगिस्तानकाविस्तारएकअनिश्चितप्रक्रिया#रेगिस्तान#मानवकाकोईनियंत्रणनहींहै#मरुस्थल#भूमिकीउवर्रकताकेह्रासकीगति#प्राकृतिकक्रियाओंसेगुजरकर#पुरानारेगिस्तान#नामीबरेगिस्तानदक्षिणीअंगोला#नामीबरेगिस्तान#धरतीकीउर्वरकक्षमतामेंह्रासहोना#जहांवर्षाबहुतकम#जलवायुपरनिर्भरकरती#उच्चदाबवालेक्षेत्रमेंरेगिस्तानकाजन्म#ईरानीरेगिस्तान#अतिशुष्कबनासकता#45डिग्रीसेल्सियस
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allgyan · 4 years ago
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रेगिस्तान फैलते और सिकुड़ते भी है -
रेगिस्तान नाम से ही रेत की याद आ जाती है |लेकिन आपने कभी सोचा की इनका निर्माण कैसे होते है |ये कहा से आते है | इतने बड़े टीले कहा से आते है |लोगों की सोच होती है की रेगिस्तान गर्म होते है लेकिन ऐसा नहीं होता है |उत्तरी और दच्छिन ध्रुव में रेगिस्तान पाए जाते है जो बेहद ठन्डे होते है |रेगिस्तान पृथ्वी के ऐसे स्थान होते है जहां वर्षा बहुत कम (लगभग 250 मिमी) होती है|अधिकत्तर  रेगिस्तान व्यापक जलवायु परिवर्तन के कारण बनते हैं। रेगिस्तानीकरण कोई नई परिघटना नहीं है अपितु इसका इतिहास तो बहुत पुराना है। संसार के विशाल रेगिस्तान अनेक प्राकृतिक क्रियाओं से गुजर कर, दीर्घ अंतराल के पश्चात ही निर्मित हुए हैं।रेगिस्तान स्थिर नहीं होते, कभी फैलते हैं तो कभी सिकुड़ते हैं और निश्चित रूप से इन पर मानव का कोई नियंत्रण नहीं है।
रेगिस्तानीकरण प्रभाव तुरंत पता करना आसान नहीं -
रेगिस्तान का विस्तार एक अनिश्चित प्रक्रिया है तथा यह भी आवश्यक नहीं कि जहां रेगिस्तानीकरण हो रहा है वहां निकट ही कोई रेगिस्तान उपस्थित हो। यदि लंबे समय तक किसी भी उपजाऊ धरती का प्रबंधन ठीक से नहीं होता है तब चाहे वह स्थान किसी रेगिस्तान से कितना ही दूरस्थ क्यों न हो उसका रेगिस्तानीकरण हो सकता है। रेगिस्तानीकरण के प्रभावों का तुरंत पता करना संभव नहीं है। हमको इस विषय में जानकारी तभी हो पाती है जबकि रेगिस्तानीकरण की प्रक्रिया एक निश्चित क्रियात्मक दौर से गुजर जाए। इसलिए ऐसी कोई विधि नहीं है जिससे कि हमें रेगिस्तानीकरण होने के समय की पारिस्थितिकी अथवा धरती की उर्वरकता की दर का ज्ञान हो सके। रेगिस्तानीकरण से संबंधित अनेक प्रश्न जैसे, रेगिस्तानीकरण की प्रक्रिया क्या भूमंडलीय परिवर्तन का सूचक है,क्या यह स्थाई अथवा अस्थाई है और पुनः यथा स्थिति में परिवर्तन करने योग्य है आदि का समाधान प्राप्त नहीं हो सकता है।
धरती की उर्वरक क्षमता में ह्रास होना ही रेगिस्तानीकरण है -
रेगिस्तानीकरण एक सीधी लाइन में अथवा दिशा में अपना दायरा नहीं फैलाता तथा इसको मापने की कोई निश्चित विधि भी नहीं है।धरती की उर्वरक क्षमता में ह्रास कोई साधारण व अनायास होने वाली प्रक्रिया नहीं है अपितु एक जटिल प्रक्रिया है। भूमि ह्रास का कोई एक निश्चित कारण भी नहीं है। किसी भी धरती का ह्रास करने में अनेक कारण सहायक हो सकते हैं। विभिन्न स्थानों की भूमि की उवर्रकता के ह्रास की गति भी एक समान नहीं होती है और अनेक स्थानों पर यह जलवायु पर निर्भर करती है। रेगिस्तानीकरण किसी भी क्षेत्र की जलवायु को प्रभावित कर अति शुष्क बना सकता है और वहां की स्थानीय जलवायु में परिवर्तन कर सकने में सहायक हो सकता है।
उच्च दाब वाले क्षेत्र में रेगिस्तान का जन्म -
उच्च दाब के दोनों उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों की धरती पर सघन वायु उतरती है, पूर्वी हवाएं निर्मित होती हैं जो सूखी तथा नमी रहित होती हैं। यह सूखी हवाएं उस क्षेत्र की धरती से नमी सोख कर धरती को अधिक शुष्क बना देती हैं। पृथ्वी के उत्तरी गोलार्द्ध की पट्टी में कक रेखा के निकटवर्ती क्षेत्र में अनेक रेगिस्तान जैसे चीन का गोबी रेगिस्तान, उत्तरी अफ्रीका का सहारा रेगिस्तान, उत्तरी अमेरिका के दक्षिण-पश्चिम में स्थित रेगिस्तान तथा मध्य पूर्व के अरब तथा ईरानी रेगिस्तान स्थित हैं।अधिकतर रेगिस्तान 30 डिग्री उत्तरी और 30 डिग्री दक्षिणी अक्षांशों के उच्च दाब क्षेत्रों में स्थित हैं।इन क्षेत्रों का उच्च तापमान नमी सोखने में सहायक होता है।
दुनिया के सबसे पुराना रेगिस्तान कौन है -
दक्षिण-पश्चिमी अफ्रीका के अटलांटिक तट से लगा नामीब रेगिस्तान धरती पर सबसे सूखी जगहों में से एक है|नामीब का अर्थ होता है -'वह इलाका जहां कुछ भी नहीं है'मंगल ग्रह की सतह जैसा दिखने वाले इस भू-भाग पर रेत के टीले हैं, ऊबड़-खाबड़ पहाड़ हैं और 3 देशों के 81 हजार वर्ग किलोमीटर में फैले बजरी के मैदान हैं|5 करोड़ 50 लाख साल पुराने नामीब रेगिस्तान को दुनिया का सबसे पुराना रेगिस्तान माना जाता है|
नामीब रेगिस्तान में केवल 2 मिलीमीटर बारिश ही होती सालभर में -
इसकी तुलना में सहारा रेगिस्तान बहुत पहले का है लगभग 20 से 70 लाख साल पहले का है|इसलिए नामीब रेगिस्तान को ही सबसे पुराना रेगिस्तान माना गया है |गर्मियों में यहां तापमान अक्सर 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है और रातें इतनी ठंडी होती हैं कि बर्फ जम जाए|बसने के लिहाज से यह धरती के सबसे दुर्गम इलाकों में से एक है|नामीब रेगिस्तान दक्षिणी अंगोला से नामीबिया होते हुए 2,000 किलोमीटर दूर दक्षिण अफ्रीका के उत्तरी हिस्से तक फैला है|यहाँ बनी कुछ भू आकृतिया लोगों को भी चकित कर जाती है |यहाँ पर साल में औसतन सिर्फ़ 2 मिलीमीटर बारिश होती है |हमारा हमेशा ये उद्देश्य रहा है की आपको अलग चीजें के बारे में अवगत कराया जाता है |
#45डिग्रीसेल्सियस#अतिशुष्कबनासकता#ईरानीरेगिस्तान#उच्चदाबवालेक्षेत्रमेंरेगिस्तानकाजन्म#जलवायुपरनिर्भरकरती#जहांवर्षाबहुतकम#धरतीकीउर्वरकक्षमतामेंह्रासहोना#नामीबरेगिस्तान#नामीबरेगिस्तानदक्षिणीअंगोला#पुरानारेगिस्तान#प्राकृतिकक्रियाओंसेगुजरकर#भूमिकीउवर्रकताकेह्रासकीगति#मरुस्थल#मानवकाकोईनियंत्रणनहींहै#रेगिस्तान#रेगिस्तानकाविस्तारएकअनिश्चितप्रक्रिया#रेगिस्तानकैसेबने#रेगिस्तानगर्महोतेहै#रेगिस्ताननामसेहीरेतकीयादआजातीहै#रेगिस्तानफैलतेऔरसिकुड़तेभीहै#रेगिस्तानस्थिरनहींहोते#रेगिस्तानीकरणप्रभावतुरंतपताकरना#रेगिस्तानीकरणहोरहा#संसारकेविशालरेगिस्तान#सहारारेगिस्तान
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allgyan · 4 years ago
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रेगिस्तान कैसे बने ?
रेगिस्तान फैलते और सिकुड़ते भी है -
रेगिस्तान नाम से ही रेत की याद आ जाती है |लेकिन आपने कभी सोचा की इनका निर्माण कैसे होते है |ये कहा से आते है | इतने बड़े टीले कहा से आते है |लोगों की सोच होती है की रेगिस्तान गर्म होते है लेकिन ऐसा नहीं होता है |उत्तरी और दच्छिन ध्रुव में रेगिस्तान पाए जाते है जो बेहद ठन्डे होते है |रेगिस्तान पृथ्वी के ऐसे स्थान होते है जहां वर्षा बहुत कम (लगभग 250 मिमी) होती है|अधिकत्तर  रेगिस्तान व्यापक जलवायु परिवर्तन के कारण बनते हैं। रेगिस्तानीकरण कोई नई परिघटना नहीं है अपितु इसका इतिहास तो बहुत पुराना है। संसार के विशाल रेगिस्तान अनेक प्राकृतिक क्रियाओं से गुजर कर, दीर्घ अंतराल के पश्चात ही निर्मित हुए हैं।रेगिस्तान स्थिर नहीं होते, कभी फैलते हैं तो कभी सिकुड़ते हैं और निश्चित रूप से इन पर मानव का कोई नियंत्रण नहीं है।
रेगिस्तानीकरण प्रभाव तुरंत पता करना आसान नहीं -
रेगिस्तान का विस्तार एक अनिश्चित प्रक्रिया है तथा यह भी आवश्यक नहीं कि जहां रेगिस्तानीकरण हो रहा है वहां निकट ही कोई रेगिस्तान उपस्थित हो। यदि लंबे समय तक किसी भी उपजाऊ धरती का प्रबंधन ठीक से नहीं होता है तब चाहे वह स्थान किसी रेगिस्तान से कितना ही दूरस्थ क्यों न हो उसका रेगिस्तानीकरण हो सकता है। रेगिस्तानीकरण के प्रभावों का तुरंत पता करना संभव नहीं है। हमको इस विषय में जानकारी तभी हो पाती है जबकि रेगिस्तानीकरण की प्रक्रिया एक निश्चित क्रियात्मक दौर से गुजर जाए। इसलिए ऐसी कोई विधि नहीं है जिससे कि हमें रेगिस्तानीकरण होने के समय की पारिस्थितिकी अथवा धरती की उर्वरकता की दर का ज्ञान हो सके। रेगिस्तानीकरण से संबंधित अनेक प्रश्न जैसे, रेगिस्तानीकरण की प्रक्रिया क्या भूमंडलीय परिवर्तन का सूचक है,क्या यह स्थाई अथवा अस्थाई है और पुनः यथा स्थिति में परिवर्तन करने योग्य है आदि का समाधान प्राप्त नहीं हो सकता है।
धरती की उर्वरक क्षमता में ह्रास होना ही रेगिस्तानीकरण है -
रेगिस्तानीकरण एक सीधी लाइन में अथवा दिशा में अपना दायरा नहीं फैलाता तथा इसको मापने की कोई निश्चित विधि भी नहीं है।धरती की उर्वरक क्षमता में ह्रास कोई साधारण व अनायास होने वाली प्रक्रिया नहीं है अपितु एक जटिल प्रक्रिया है। भूमि ह्रास का कोई एक निश्चित कारण भी नहीं है। किसी भी धरती का ह्रास करने में अनेक कारण सहायक हो सकते हैं। विभिन्न स्थानों की भूमि की उवर्रकता के ह्रास की गति भी एक समान नहीं होती है और अनेक स्थानों पर यह जलवायु पर निर्भर करती है। रेगिस्तानीकरण किसी भी क्षेत्र की जलवायु को प्रभावित कर अति शुष्क बना सकता है और वहां की स्थानीय जलवायु में परिवर्तन कर सकने में सहायक हो सकता है।
उच्च दाब वाले क्षेत्र में रेगिस्तान का जन्म -
उच्च दाब के दोनों उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों की धरती पर सघन वायु उतर��ी है, पूर्वी हवाएं निर्मित होती हैं जो सूखी तथा नमी रहित होती हैं। यह सूखी हवाएं उस क्षेत्र की धरती से नमी सोख कर धरती को अधिक शुष्क बना देती हैं। पृथ्वी के उत्तरी गोलार्द्ध की पट्टी में कक रेखा के निकटवर्ती क्षेत्र में अनेक रेगिस्तान जैसे चीन का गोबी रेगिस्तान, उत्तरी अफ्रीका का सहारा रेगिस्तान, उत्तरी अमेरिका के दक्षिण-पश्चिम में स्थित रेगिस्तान तथा मध्य पूर्व के अरब तथा ईरानी रेगिस्तान स्थित हैं।अधिकतर रेगिस्तान 30 डिग्री उत्तरी और 30 डिग्री दक्षिणी अक्षांशों के उच्च दाब क्षेत्रों में स्थित हैं।इन क्षेत्रों का उच्च तापमान नमी सोखने में सहायक होता है।
दुनिया के सबसे पुराना रेगिस्तान कौन है -
दक्षिण-पश्चिमी अफ्रीका के अटलांटिक तट से लगा नामीब रेगिस्तान धरती पर सबसे सूखी जगहों में से एक है|नामीब का अर्थ होता है -'वह इलाका जहां कुछ भी नहीं है'मंगल ग्रह की सतह जैसा दिखने वाले इस भू-भाग पर रेत के टीले हैं, ऊबड़-खाबड़ पहाड़ हैं और 3 देशों के 81 हजार वर्ग किलोमीटर में फैले बजरी के मैदान हैं|5 करोड़ 50 लाख साल पुराने नामीब रेगिस्तान को दुनिया का सबसे पुराना रेगिस्तान माना जाता है|
नामीब रेगिस्तान में केवल 2 मिलीमीटर बारिश ही होती सालभर में -
इसकी तुलना में सहारा रेगिस्तान बहुत पहले का है लगभग 20 से 70 लाख साल पहले का है|इसलिए नामीब रेगिस्तान को ही सबसे पुराना रेगिस्तान माना गया है |गर्मियों में यहां तापमान अक्सर 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है और रातें इतनी ठंडी होती हैं कि बर्फ जम जाए|बसने के लिहाज से यह धरती के सबसे दुर्गम इलाकों में से एक है|नामीब रेगिस्तान दक्षिणी अंगोला से नामीबिया होते हुए 2,000 किलोमीटर दूर दक्षिण अफ्रीका के उत्तरी हिस्से तक फैला है|यहाँ बनी कुछ भू आकृतिया लोगों को भी चकित कर जाती है |यहाँ पर साल में औसतन सिर्फ़ 2 मिलीमीटर बारिश होती है |हमारा हमेशा ये उद्देश्य रहा है की आपको अलग चीजें के बारे में अवगत कराया जाता है |
पूरा जानने के लिए -http://bit.ly/36h5hMq
#सहारारेगिस्तान#संसारकेविशालरेगिस्तान#रेगिस्तानीकरणहोरहा#रेगिस्तानीकरणप्रभावतुरंतपताकरना#रेगिस्तानस्थिरनहींहोते#रेगिस्तानफैलतेऔरसिकुड़तेभीहै#रेगिस्ताननामसेहीरेतकीयादआजातीहै#रेगिस्तानकैसेबने#रेगिस्तानगर्महोतेहै#रेगिस्तानकाविस्तारएकअनिश्चितप्रक्रिया#रेगिस्तान#मानवकाकोईनियंत्रणनहींहै#मरुस्थल#भूमिकीउवर्रकताकेह्रासकीगति#प्राकृतिकक्रियाओंसेगुजरकर#पुरानारेगिस्तान#नामीबरेगिस्तानदक्षिणीअंगोला#नामीबरेगिस्तान#धरतीकीउर्वरकक्षमतामेंह्रासहोना#45डिग्रीसेल्सियस#अतिशुष्कबनासकता#ईरानीरेगिस्तान#उच्चदाबवालेक्षेत्रमेंरेगिस्तानकाजन्म#जलवायुपरनिर्भरकरती#जहांवर्षाबहुतकम
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