#मनीहैकर
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allgyan · 4 years ago
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जामताड़ा नाम ही काफी है -
"जामताड़ा" नाम "जामा" और "ताड़" शब्द से मिलकर बना है। "जामा" का संथाली भाषा में अर्थ होता है "साँप" और "ताड़" का अर्थ होता है "आवास"। इसका यह नाम इसलिए रखा गया है क्योंकि यहाँ पर साँप बड़ी संख्या में पाए जाते हैं।ये तो हुआ इसके नाम का अर्थ सहित विश्लेषण लेकिन जामताड़ा कुछ और भी चीजें के लिए बहुत प्रसिद्ध हुआ -वो था ऑनलाइन फ्रॉड |ऑनलाइन फ्रॉड के लिए ये शहर इतना प्रसिद्ध हुआ की बॉलीवुड में इसके नाम से एक फिल्म भी बन गयी |जामताड़ा  भारत के झारखण्ड राज्य के जामताड़ा ज़िले में स्थित एक शहर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है। जामताड़ा को बॉक्साइट की खदानों के लिए भी जाना जाता है। यह खदानें इसकी अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। खदानों के अलावा जामताड़ा में सादगी भरे गाँव और मनोहारी पर्वत विहार पार्क हैं।
��ईटी और कंप्यूटर के ज्ञान में पिछली सीट पर रहने वाले इतने माहिर कैसे ?
पूर्वी झारखंड का यह दूरदराज का जिला कंप्यूटर जानने वाले जिलों की फेहरिस्त में निचले पायदान पर है| ज्यादातर गरीब किसानों से आबाद इस जिले में घरों को दिन में मुश्किल से पांच घंटे बिजली मिलती है| इसके बाद भी यहां के करीब 100 गांव फोन पर बरगलाकर क्रेडिट या डेबिट कार्ड की जानकारी निकलवाने वाले फिशिंग उद्योग के केंद्र के तौर पर उभरे हैं|इन गांवों के नजदीक लगे सेलफोन टावरों पर रोज हजारों कॉल दर्ज की जाती हैं| ये कॉल बेतरतीब और अनजान नंबरों पर की जाती हैं ताकि भोले-भाले लोगों को शिकार बनाया जा सके, जो इन फर्जी 'बैंक अधिकारी' को अपने डेबिट या क्रेडिट कार्ड के ब्यौरे बता दें और अपने खाते में जमा गाढ़ी कमाई से हाथ धो बैठें| कुछ महीने पहले 'एसबीआइ की मेन ब्रांच' के नाम से कॉल करने वाला शख्स मैट्रिक पास बेरोजगार 24 वर्षीय राम मंडल हो सकता था| वह अब जेल में है, फिर भी वह जामताड़ा के सुंदोरजोरी गांव का हीरो है|
उसने अपनी आखिरी फिशिंग कॉल मई के उमस भरे एक रविवार को की थी| वह दरअसल गांव के कुछ युवा कद्रदानों को सिखाने के लिए अपने हुनर की नुमाइश भर कर रहा था कि पुलिस ने धावा बोल दिया|देश के किसी भी कोने में साइबर ठगी होती है, तो 80 फीसदी मामलों में जामताड़ा के करमाटांड़ का मोबाइल लोकेशन आता है| ठगी किसी भी राज्य में हो, वहां की पुलिस यहां जरूर आती है |पिछले ढाई महीने में 7 राज्यों की पुलिस यहां 21 बार छापेमारी कर चुकी है |यहां के मनी हैकर पूरे देश के लिए चुनौती बने हुए है|
ऑनलाइन फ्रॉड की शुरवात कैसे हुई -
माना ये जाता है की इस शहर के कुछ लड़के नौकरी की तलाश में दिल्ली गये|और ये लोग वहाँ के वेबसाइट में काम करने लगे |जो बॉलीवुड के लोगों की धुंदली तस्वीर पहचानने के लिए कहते थे और लोगों को बड़े -बड़े इनाम देने के लिए कहते थे | लोगों से कुछ रजिस्ट्रेशन फीस लेते थे |और फीस जैसे ही अकाउंट में आती थी ये लोग कॉल उठाना बंद कर देते थे |लेकिन ये काम करने के बाद कुछ लड़के अपने सहर वापस लौट आये और यहाँ भी ऐसा काम करने की सोचे |देश के सबसे गरीब सूबे में, जहां नौजवानों के लिए ज्यादा मौके नहीं हैं|इसलिए कई युवा भी इस ऑनलाइन फ्रॉड में इनसे जुड़ गये |
जामताड़ा जिले में 1,161 गांव हैं और इनमें से करीब 100 गांवों को छोड़कर बाकी की ज्यादातर आबादी बारिश पर निर्भर खेती से गुजारा करती है|और पुलिस जब इन गावों तक पहुंची तो उनका मानना था की इस गांव में ये एक उद्योग बन चूका है |जामताड़ा के एसपी इन बेलगाम निर्माण कार्यों की ओर इशारा करते हैं जो कर्मटांड थाने में पडऩे वाले गांवों में हो रहे हैं और वे यह भी कहते हैं कि इन गांवों के लोग गैर-कानूनी तरीकों से आई रकमों से मालामाल हैं|
जामताड़ा के दो गांव साइबर अपराध के गढ़ -
जामताड़ा में कालाझरिया और दुधनिया गांव साइबर अपराध की पहचान बन गए हैं| कालाझरिया में एक मोबाइल टावर लगा है जिस पर हर दिन 2,500 कॉल आती हैं ये के गांव के लोगों का कहना ही अलग है और वो ये कहते नहीं थकते की की 2010 से 2014 तक बे रोकटोक चलने वाली कमाई के रुकने के लिए वो पुलिस और पत्रकार को दोषी मानते है | क्योकि यहाँ पहली गिरफ़तारी 2014 में हुई थी |और इसके बाद से इन कामो में कमी आ गयी है | लेकिन अब भी वहाँ के दुधनिया नए शानदार पक्के मकानों से चमचमा रहा है |
शहर जामताड़ा में क्यों रिसर्च करना चाहती है अमेरिकन रिसर्च टीम -
आपको शायद ये लग रहा है की ये कोई अच्छा काम तो नहीं जो अमेरिकन रिसर्च टीम इसमें रूचि दिखा रही है | लेकिन आपको बता दूँ की उनका अध्ययन ऑनलाइन फ्रॉड को लेकर नहीं है वो ये जानने चाहते है की कैसे ज्यादातर निरक्षर और कम पढ़े लिखे लोग जिनका आईटी और साइबर से कोई नाता नहीं और जिन गावों में लाइट भी मुश्किल से आती हो |वहाँ के लोग इतने माहिर कैसे है | कैसे एक हाई स्कूल भी पूरा न करना वाला लड़का एक सांसद को ठग लेता है | अभी हाल में पंजाब के मुख्यमंत्री की पत्नी जो भी सांसद है उनसे 23 लाख का फ्रॉड हुआ था उसके भी तार जामताड़ा से जुड़ते दिखाई दे रहे है |देश के किसी भी कोने में साइबर ठगी होती है, तो 80 फीसदी मामलों में जामताड़ा के करमाटांड़ का मोबाइल लोकेशन आता है|
इन हैकरों ने मुं��ई और कोलकाता जैसे महानगरों में अलीशान मकानें बनाई हैं| इनके पास ऐशो आराम के हर साधन मौजूद हैं| इस क्राइम सिंडिकेट में बीसियों गांवों के सैकड़ो टीन एजर्स शामिल हैं| हो सकता है की इनके पास पढ़ने लिखने के साधन न होने के वजह से और गरीबी की वजह से भी ये इन कामो में जुड़ते गये हो | लेकिन इनकी दिमाग की ताकत कहे या स्मार्टनेस को भी झुटलाया नहीं जा सकता है |हो सकता है इन्हे अच्छे कामो में लगाया जाये या इनके दिमाग का प्रयोग आईटी में किया जाये तो हो सकता है ये देश को बहुत आगे ले जा सकते है |हमारे काम है की आपको सामने हमेशा एक अलग नजरिया पेश करे |
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allgyan · 4 years ago
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जामताड़ा:फ्रॉडों के हब क्यों पहुंचेगी अमेरिकन रिसर्च टीम ?
जामताड़ा नाम ही काफी है -
"जामताड़ा" नाम "जामा" और "ताड़" शब्द से मिलकर बना है। "जामा" का संथाली भाषा में अर्थ होता है "साँप" और "ताड़" का अर्थ होता है "आवास"। इसका यह नाम इसलिए रखा गया है क्योंकि यहाँ पर साँप बड़ी संख्या में पाए जाते हैं।ये तो हुआ इसके नाम का अर्थ सहित विश्लेषण लेकिन जामताड़ा कुछ और भी चीजें के लिए बहुत प्रसिद्ध हुआ -वो था ऑनलाइन फ्रॉड |ऑनलाइन फ्रॉड के लिए ये शहर इतना प्रसिद्ध हुआ की बॉलीवुड में इसके नाम से एक फिल्म भी बन गयी |जामताड़ा  भारत के झारखण्ड राज्य के जामताड़ा ज़िले में स्थित एक शहर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है। जामताड़ा को बॉक्साइट की खदानों के लिए भी जाना जाता है। यह खदानें इसकी अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। खदानों के अलावा जामताड़ा में सादगी भरे गाँव और मनोहारी पर्वत विहार पार्क हैं।
आईटी और कंप्यूटर के ज्ञान में पिछली सीट पर रहने वाले इतने माहिर कैसे ?
पूर्वी झारखंड का यह दूरदराज का जिला कंप्यूटर जानने वाले जिलों की फेहरिस्त में निचले पायदान पर है| ज्यादातर गरीब किसानों से आबाद इस जिले में घरों को दिन में मुश्किल से पांच घंटे बिजली मिलती है| इसके बाद भी यहां के करीब 100 गांव फोन पर बरगलाकर क्रेडिट या डेबिट कार्ड की जानकारी निकलवाने वाले फिशिंग उद्योग के केंद्र के तौर पर उभरे हैं|इन गांवों के नजदीक लगे सेलफोन टावरों पर रोज हजारों कॉल दर्ज की जाती हैं| ये कॉल बेतरतीब और अनजान नंबरों पर की जाती हैं ताकि भोले-भाले लोगों को शिकार बनाया जा सके, जो इन फर्जी 'बैंक अधिकारी' को अपने डेबिट या क्रेडिट कार्ड के ब्यौरे बता दें और अपने खाते में जमा गाढ़ी कमाई से हाथ धो बैठें| कुछ महीने पहले 'एसबीआइ की मेन ब्रांच' के नाम से कॉल करने वाला शख्स मैट्रिक पास बेरोजगार 24 वर्षीय राम मंडल हो सकता था| वह अब जेल में है, फिर भी वह जामताड़ा के सुंदोरजोरी गांव का हीरो है|
उसने अपनी आखिरी फिशिंग कॉल मई के उमस भरे एक रविवार को की थी| वह दरअसल गांव के कुछ युवा कद्रदानों को सिखाने के लिए अपने हुनर की नुमाइश भर कर रहा था कि पुलिस ने धावा बोल दिया|देश के किसी भी कोने में साइबर ठगी होती है, तो 80 फीसदी मामलों में जामताड़ा के करमाटांड़ का मोबाइल लोकेशन आता है| ठगी किसी भी राज्य में हो, वहां की पुलिस यहां जरूर आती है |पिछले ढाई महीने में 7 राज्यों की पुलिस यहां 21 बार छापेमारी कर चुकी है |यहां के मनी हैकर पूरे देश के लिए चुनौती बने हुए है|
ऑनलाइन फ्रॉड की शुरवात कैसे हुई -
माना ये जाता है की इस शहर के कुछ लड़के नौकरी की तलाश में दिल्ली गये|और ये लोग वहाँ के वेबसाइट में काम करने लगे |जो बॉलीवुड के लोगों की धुंदली तस्वीर पहचानने के लिए कहते थे और लोगों को बड़े -बड़े इनाम देने के लिए कहते थे | लोगों से कुछ रजिस्ट्रेशन फीस लेते थे |और फीस जैसे ही अकाउंट में आती थी ये लोग कॉल उठाना बंद कर देते थे |लेकिन ये काम करने के बाद कुछ लड़के अपने सहर वापस लौट आये और यहाँ भी ऐसा काम करने की सोचे |देश के सबसे गरीब सूबे में, जहां नौजवानों के लिए ज्यादा मौके नहीं हैं|इसलिए कई युवा भी इस ऑनलाइन फ्रॉड में इनसे जुड़ गये |
जामताड़ा जिले में 1,161 गांव हैं और इनमें से करीब 100 गांवों को छोड़कर बाकी की ज्यादातर आबादी बारिश पर निर्भर खेती से गुजारा करती है|और पुलिस जब इन गावों तक पहुंची तो उनका मानना था की इस गांव में ये एक उद्योग बन चूका है |जामताड़ा के एसपी इन बेलगाम निर्माण कार्यों की ओर इशारा करते हैं जो कर्मटांड थाने में पडऩे वाले गांवों में हो रहे हैं और वे यह भी कहते हैं कि इन गांवों के लोग गैर-कानूनी तरीकों से आई रकमों से मालामाल हैं|
जामताड़ा के दो गांव साइबर अपराध के गढ़ -
जामताड़ा में कालाझरिया और दुधनिया गांव साइबर अपराध की पहचान बन गए हैं| कालाझरिया में एक मोबाइल टावर लगा है जिस पर हर दिन 2,500 कॉल आती हैं ये के गांव के लोगों का कहना ही अलग है और वो ये कहते नहीं थकते की की 2010 से 2014 तक बे रोकटोक चलने वाली कमाई के रुकने के लिए वो पुलिस और पत्रकार को दोषी मानते है | क्योकि यहाँ पहली गिरफ़तारी 2014 में हुई थी |औ��� इसके बाद से इन कामो में कमी आ गयी है | लेकिन अब भी वहाँ के दुधनिया नए शानदार पक्के मकानों से चमचमा रहा है |
शहर जामताड़ा में क्यों रिसर्च करना चाहती है अमेरिकन रिसर्च टीम -
आपको शायद ये लग रहा है की ये कोई अच्छा काम तो नहीं जो अमेरिकन रिसर्च टीम इसमें रूचि दिखा रही है | लेकिन आपको बता दूँ की उनका अध्ययन ऑनलाइन फ्रॉड को लेकर नहीं है वो ये जानने चाहते है की कैसे ज्यादातर निरक्षर और कम पढ़े लिखे लोग जिनका आईटी और साइबर से कोई नाता नहीं और जिन गावों में लाइट भी मुश्किल से आती हो |वहाँ के लोग इतने माहिर कैसे है | कैसे एक हाई स्कूल भी पूरा न करना वाला लड़का एक सांसद को ठग लेता है | अभी हाल में पंजाब के मुख्यमंत्री की पत्नी जो भी सांसद है उनसे 23 लाख का फ्रॉड हुआ था उसके भी तार जामताड़ा से जुड़ते दिखाई दे रहे है |देश के किसी भी कोने में साइबर ठगी होती है, तो 80 फीसदी मामलों में जामताड़ा के करमाटांड़ का मोबाइल लोकेशन आता है|
इन हैकरों ने मुंबई और कोलकाता जैसे महानगरों में अलीशान मकानें बनाई हैं| इनके पास ऐशो आराम के हर साधन मौजूद हैं| इस क्राइम सिंडिकेट में बीसियों गांवों के सैकड़ो टीन एजर्स शामिल हैं| हो सकता है की इनके पास पढ़ने लिखने के साधन न होने के वजह से और गरीबी की वजह से भी ये इन कामो में जुड़ते गये हो | लेकिन इनकी दिमाग की ताकत कहे या स्मार्टनेस को भी झुटलाया नहीं जा सकता है |हो सकता है इन्हे अच्छे कामो में लगाया जाये या इनके दिमाग का प्रयोग आईटी में किया जाये तो हो सकता है ये देश को बहुत आगे ले जा सकते है |हमारे काम है की आपको सामने हमेशा एक अलग नजरिया पेश करे | पूरा जानने के लिए -http://bit.ly/3qjlg4h
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