#मन को मारे हरी मिले
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मन को मारे हरी मिले, मन की माने काल।
सद्गुरु की दया बिना, छूटे ना यम का जाल।।
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गरीब कबीर का घर शिखर में, जहां सलेली गेल। पांव ना टीके पपिल के, पण्डित तू लादे बैल। सत साहेब जी
मन को मारे हरी मिले, मन की माने काल !
सतगुरु की कृपा बिन, टूटे ना काल का जाल !!
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