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श्री कृष्ण जन्माष्टमी : कब, क्यों और कैसे मनाई जाती है
यह त्योहार कृष्ण पक्ष की अष्टमी या भाद्रपद महीने के आठवें दिन पड़ता है। इसे गोकुल अष्टमी भी कहा जाता है।
ऐसा मानते हैं कि , भगवान कृष्ण का जन्म वर्तमान समय के मथुरा, उत्तर प्रदेश में हुआ था। इनका जन्म एक कालकोठरी में और कृष्ण पक्ष की अंधियारी आधी रात को हुआ था ।
मान्यताओं के अनुसार, कंस मथुरा का शासक था। उसने अपनी बहन देवकी और बहनोई वासुदेव जी को कारागार में डालकर रखा था क्योंकि उसे यह श्राप मिला था कि देवकी की कोख से उत्पन्न होने वाली आठवीं सन्तान एक पुत्र रूप में होगी जो कंस का वध करेगी। अतः आठवें पुत्र के इंतजार में उसने जेल में ही उत्पन्न देवकी के सात सन्तानों की हत्या कर दी थी। दैवीय लीला से जब आठवें पुत्र श्री कृष्ण का जन्म हुआ तो योगमाया ने वहां उपस्थित सभी पहरेदारों को गहन निद्रा में डाल दिया और वासुदेव जी को निर्देश दिया कि अभी ही वह कारागार से बाहर निकल कर पुत्र को यमुना जी के रास्ते से ले जाकर गोकुल पहुंचा दें।
वासुदेव व देवकी को सारी बात समझ में आ चुकी थी कि यही प्रभु अवतरण हैं जिनके हाथों कंस का वध होगा। वैसा ही सब कुछ हुआ। समय आने पर भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्री कृष्ण के हाथों कंस का अंत हुआ।
इसी कारण इस दिन का बहुत ही महत्व माना जाता है और देश भर में इस दिवस को उत्सव की भांति मनाया जाता है।
मथुरा और वृन्दावन में कैसे मनाई जाती है जन्माष्टमी?
जन्माष्टमी से 10 दिन पहले रासलीला, भजन, कीर्तन और प्रवचन जैसे विभिन्न सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रमों के साथ शुरू होता है यह उत्सव । रासलीलाएं कृष्ण और राधा के जीवन और प्रेम कहानियों के साथ-साथ उनकी अन्य गोपियों की नाटकीय रूपांतर पेश किए जाते हैं। पेशेवर कलाकार और स्थानीय उपासक दोनों ही मथुरा और वृन्दावन में विभिन्न स्थानों पर इसका प्रदर्शन करते हैं। भक्त जनमाष्टमी की पूर्व संध्या पर कृष्ण मंदिरों में आते हैं, विशेषकर वृन्दावन में बांके बिहारी मंदिर और मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि मंदिर में, जहां माना जाता है कि उनका जन्म हुआ था। मंदिरों को मनमोहक फूलों की सजावट और रोशनी से खूबसूरती से सजाया गया है।
पंचांमृत अभिषेक
अभिषेक के नाम से जाना जाने वाला एक विशिष्ट अनुष्ठान आधी रात को होता है, जो कृष्ण के जन्म का सटीक क्षण माना जाता है। इस दौरान कृष्ण की मूर्ति को दूध, दही, शहद, घी और पानी से स्नान कराया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण के अभिषेक के दौरान शंख बजाए जाते हैं, घंटियां बजाई जाती हैं और वैदिक मंत्रो का पाठ किया जाता है। इसके बाद भक्त श्रीकृष्ण को 56 अलग-अलग भोग (जिन्हें छप्पन भोग के नाम से जाना जाता है) अर्पित करते हैं। उनके लड्डू गोपाल स्वरूप को जन्म के बाद झूला झुलाते हैं और जन्म के गीत गाये जाते हैं।
नंदोत्सव
जन्माष्टमी के अगले दिन मनाया जाने वाला नंदोत्सव एक खास कार्यक्रम है। कहते हैं कि जब कृष्ण के पालक पिता, नंद बाबा ने उनके जन्म की खुशी में गोकुल (कृष्ण का गाँव) में सभी को उपहार और मिठाइयां दीं। इस दिन, भक्त प्रार्थना करने और जरूरतमंदों को दान देने के लिए नंद बाबा के जन्मस्थान नंदगांव की यात्रा करते हैं। इसके अलावा वे विभिन्न प्रकार के समारोहों और खेलों में भाग लेते हैं जो कृष्ण के चंचल स्वभाव का सम्मान में आयोजित किए जाते हैं।
दही हांडी पर्व का महत्व
दही हांडी का पर्व कृष्ण जन्माष्टमी के अगले दिन देश के कई हिस्सों में मनाया जाता है । महाराष्ट्र, गुजरात , उत्तर प्रदेश के मथुरा, वृंदावन और गोकुल में इसकी अलग धूम देखने को मिलती है। इस दौरान गोविंदाओं की टोली ऊंचाई पर बंधी दही से भरी मटकी फोड़ने की कोशिश करती है ।
जन्माष्टमी पर दही हांडी का खास महत्व होता है । भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं की झांकिया दर्शाने के लिए दही हांडी पर्व मनाया जाता है।
दही हांडी कार्यक्रम
दही हांडी कार्यक्रम, जो कृष्ण की मां यशोदा द्वारा ऊंचे रखे गए मिट्टी के बर्तनों ��े मक्खन चुराने की बचपन की शरारत से प्रेरित एक कार्यक्रम है। मथुरा और वृंदावन में जन्माष्टमी समारोह का एक और मुख्य आकर्षण है। इस कार्यक्रम में युवा, पुरुषों के समूह ऊंचाई से लटके हुए एक बर्तन तक पहुंचने और उसे तोड़ने के लिए मानव पिरामिड बनाते हैं, जिसमें दही या मक्खन होता है। यह अवसर वफादारी, बहादुरी और टीम वर्क को दर्शाता है। इसमें बड़ी संख्या में दर्शक भी शामिल होते हैं, जो तालियां बजाते हैं और इस दृश्य का आनंद लेते हैं।
दरअसल, भगवान श्री कृष्ण बचपन में दही और मक्खन घर से चोरी करते थे और उसके साथ ही गोपियों की मटकियां भी फोड़ देते थे । यही कारण है कि गोपियों ने माखन और दही की हांडियों को ऊंचाई पर टांगना शुरू कर दिया था लेकिन कान्हा इतने नटखट थे कि अपने सखाओं की मदद से एक दूसरे के कंधों पर चढ़कर हांडी को फोड़कर माखन और दही खा जाते थे । भगवान कृष्ण की इन्हीं बाल लीलाओं का स्मरण करते हुए दही हांडी का उत्सव मनाने की शुरुआत हुई थी ।
प्रभु की लीला कभी व्यर्थ नहीं होती है। उसका कोई न कोई कारण अवश्य होता है।
ऐसा मानते हैं कि पैसों के लिए गोपियाँ अपने घर के सारे दूध , दही और माखन मथुरा में जाकर कंस की राजधानी में बेच आतीं थीं। वे सब बलवान हो जाते थे जबकि ग्वाल बाल सीमित रूप में इसे प्राप्त कर पाते थे। तब प्रभु की बाल लीला ने माखन चोरी करने का निर्णय किया था ताकि ये सभी हृष्ट पुष्ट रहें और मथुरा तक ये न पहुंच सके।
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कृष्ण जन्माष्टमी काअद्भुत नजारा |नारियल फेंक फोड़ी मटकी | चौकी इंचार्ज भ...
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Jamshedpur janmashtami - कदमा में कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर मटकी फोड़ कार्यक्रम का हुआ भव्य आयोजन, भाजपा नेता नीरज सिंह हुए शामिल
जमशेदपुर : मंगलवार को कदमा मंडल अंतर्गत बॉगे बस्ती में श्री कृष्ण जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर मटकी फोड़ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में बतौर भाजपा नेता नीरज सिंह मौजूद रहे. कार्यक्रम में स्थनीय युवाओं द्वारा २० फुट हाइट पर मटकी लटकाया गया था और आकर्षक भक्तिमय मौहौल को दर्शाया गया. मौके पर नीरज सिंह ने युवाओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि युवा हमारे देश के आने वाले भविष्य है और आज आप…
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राधा व कृष्ण के परिधान में बच्चों ने जीवंत किया कन्हैया का चरित्र
इटारसी। न्यास कॉलोनी स्थित साईं विद्या मंदिर स्कूल में आयोजित दो दिवसीय कृष्ण जन्माष्टमी त्योहार दूसरे दिन कक्षा नर्सरी से तीसरी तक के बच्चों ने बेस्ट राधा-कृष्ण कॉम्पीटीशन में भाग लिया आकर्षक परिधान में बच्चे आज बाल कृष्ण की महिमा से रूबरू हुए। कक्षा 4 व 5 के बच्चों ने कृष्ण और उनके सखा के प्रमुख खेल मटकी फोड़ प्रतियोगिता में भाग लिया। कक्षा छठवीं, सातवीं व आठवीं के बच्चों ने इस अवसर पर बच्चों…
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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ
मटकी तोड़े, माखन खाए,फिर भी सबके मन को भाए
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ . . #krishnajanmashtami#lordkrishna#happyjanmashtami#Flytreat#radhakrishna#vrindavan#iskcon#jaishreekrishna#radheradhe#janmashtamispecial#kanha#harekrishna#radhekrishna#shrikrishna#laddugopal#radhakrishn#dahihandi#srikrishnajanmastami
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महर्षि विद्या पीठ में कृष्ण जन्मोत्सव का हुआ आयोजन
(बाल कृष्ण के रूप में नजर आए स्कूल के नन्हें- मुन्हें बच्चे)
जहानाबाद। स्थानीय उतरी गांधी मैदान स्थित महर्षि विद्या पीठ में जन्माष्टमी के पावन अवसर पर विद्यालय प्रांगण में कृष्ण जन्मोत्सव का आयोजन किया गया। जिसकी दिव्य छटा बहुत ही मनमोहक दिख रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे हर जगह सिर्फ राधा और कृष्ण ही मौजूद हैं। कार्यक्रम की शुरुआत विद्यालय परिवार की ओर से भगवान श्री राधे- कृष्ण के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। कार्यक्रम में प्राथमिक कक्षाओं के बालक-बालिकाओं ने राधा कृष्ण की आकर्षक वेशभूषा धारण कर रंगारंग प्रस्तुतियां दीं। इस दौरान बाल गोपालों ने धार्मिक गीतों पर जमकर नृत्य किया और सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। इस दौरान मटकी फोड़ प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। राधा कृष्ण के स्वरूप में सजे बच्चों ने अपने आकर्षक नृत्य से सभी का मन मोह लिया। ऐसा लग रहा था मानो हर जगह राधा कृष्ण के स्वरूप हों। इस दौरान विद्यालय के निदेशक साकेत रौशन ने कृष्ण जन्माष्टमी के पावन पर्व पर प्रकाश डाला तथा बच्चों को इसका महत्व बताया साथ ही साथ उन्होनें कहा कि इस तरह का कार्यक्रम बच्चों को अपने धर्म एवं संस्कृति से जोड़ने का काम करता है। वहीं विद्यालय प्राचार्या सोनाली शर्मा ने कहीं कि कृष्ण जन्मोत्सव हम सनातनों के लिए बहुत ही उमंग का त्यौहार है जिसे हम सब अपने घरों में और मंदिरों में धूमधाम से मनाते हैं। इस कार्यक्रम में विद्यालय निदेशक साकेत रौशन के अलावा प्राचार्य सोनाली शर्मा, शिक्षिका श्रुति केशरी, ब्यूटी कुमारी, सोनम कुमारी, शिक्षक गोविंदा गुप्ता, हिमांशू राज, मयंक कुमार सहित कई अन्य लोग मौजूद थे।
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सेंट एंजेल्स में धूमधाम से मनाया गया श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व
बागपत, उत्तर प्रदेश। विवेक जैन। सेंट एंजेल्स पब्लिक स्कूल में कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर स्कूल के छात्र-छात्राओं ने विभिन्न प्रकार के भक्ति गीतों, लघु नाटिकाओं, कृष्ण-राधा फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता व मटकी-फोड़ आदि कार्यक्रमों का प्रस्तुतीकरण कर भगवान श्री कृष्ण की बाल-लीलाओं का सजीव चित्रण किया। कार्यक्रम का शुभारंभ स्कूल के प्रबंधक अजय गोयल ने मां…
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कृष्ण जन्माष्टमी के दिन ऐसे बनाएं पंचामृत, कान्हा को बेहद पसंद है ये प्रसाद, जानें रेसिपी
Panchamrit Recipe: कृष्ण भगवान को पंचामृत का भोग लगाया जाता है। श्रीकृष्ण को पंचामृत का प्रसाद सबसे ज्यादा पसंद है। इस बार जन्माष्टमी पर आप पंचामृत से बाल गोपाल को भोग जरूर लगाएं। जान लें इसकी रेसिपी। बाल गोपाल कान्हा को खाने-पीने का बड़ा शौक था। दूध दही और माखने से कान्हा का पेट कभी नहीं भरता। तभी तो बचपन में माखन चोर कान्हा की मां यशोदा ने कई बार जमकर पिटाई की थी। माखने की मटकी देखते ही कान्हा…
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वो काला एक बांसुरी वाला लिरिक्स | New Krishna Bhajan by Govind Krsna Das
वो काला एक बांसुरी वालावो काला एक बांसुरी वाला,सुध बिसरा गया मोरी रे,माखन चोर वो नंदकिशोर जो,कर गयो मन की चोरी रे ॥ पनघट पे मोरी बईया मरोड़ी,मैं बोली तो मेरी मटकी फोड़ी,पईया परूँ करूँ बीनता मैं पर,माने ना वो एक मोरे रे ॥ छुप गयो फिर एक तान सुना के,कहाँ गयो एक बाण चला के,गोकुल ढूंढा मैंने मथुरा ढूंढी,कोई नगरिया ना छोड़ी र��� ॥ वो काला एक बांसुरी वाला,सुध बिसरा गया मोरी रे,माखन चोर वो नंदकिशोर जो,कर…
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015 मुट्ठी खोल दो
एक कहानी तो आपने सुनी ही होगी। एक जगह, एक छोटे मुंह वाली मटकी में चने भरे थे। एक बंदर ने उसमें झाँका तो चनों के लोभ से उसका अंतःकरण भर गया। उसने मटकी में हाथ डाला और चने की मुट्ठी भर ली। पर मुट्ठी भरते ही वह संकट में पड़ गया, मुट्ठी क्या बाँधी, वह खुद ही बंध गया। अब उसका हाथ बाहर नहीं निकलता, निश्चित बात है कि अब वह पकड़ा जाएगा, और उसे मदारी के इशारों पर गली गली नाचना पड़ेगा।लेकिन उसे मालूम है कि…
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जे के सीमेंट द्वारा शूरवीर ठेकेदारों के लिए विजय उत्सव का किया गया आयोजन
सतना। जे के सीमेंट द्वारा आयोजित विजय उत्सव कार्यक्रम सतना के सिटी पार्क रिसॉर्ट में 3 जिले सतना पन्ना कटनी के सभी शूरवीर ठेकेदारों का सम्मान किया गया साथ में उनके लिए विभिन्न प्रकार के खेलो तथा मनोरंजन का भी आयोजन किया गया जिसमे बलून शूटिंग,रिंग गेम,मटकी फोड़ गेम खिलाए गए एवं विजेताओं क��� पुरस्कृत किया गया तथा उन्हें जे के सीमेंट की कार्यशाला में तकनीकों का उपयोग कर भवन को मजबूत बनाने की जानकारी…
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आज दिनांक - 31 जनवरी 2024 का वैदिक हिन्दू पंचांग
दिन - बुधवार
विक्रम संवत् - 2080
अयन - उत्तरायण
ऋतु - शिशिर
मास - माघ
पक्ष - कृष्ण
तिथि - पंचमी सुबह 11:36 तक तत्पश्चात षष्ठी
नक्षत्र - हस्त रात्रि 01:08 तक तत्पश्चात चित्रा
योग - सुकर्मा सुबह 11:41 तक तत्पश्चात धृति
राहु काल - दोपहर 12:53 से 02:16 तक
सूर्योदय - 07:20
सूर्यास्त - 06:26
दिशा शूल - उत्तर
ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:37 से 06:28 तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:27 से 01:19 तक
व्रत पर्व विवरण -
विशेष - नीम फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
हवन-यज्ञ क्यों ?
प्रतिदिन यज्ञ का लाभ पाने की युक्ति
आज भी आपक�� देशी गाय के गोबर के कंडे व कोयले मिल सकते हैं। कभी-कभार उन्हें जलाकर जौ, तिल, घी, नारियल के टुकड़े एवं गूगल मिला के तैयार किया गया धूप कर दो तो बहुत सारे हानिकारक जीवाणु नष्ट हो जायेंगे ।
जब आपको ध्यान, जप आदि करना हो तो थोड़ी देर पहले यह धूप करके फिर उस धूप से शुद्ध बने हुए वातावरण में प्राणायाम, ध्यान, जप करने बैठें तो बहुत ही लाभ होगा । किंतु धूप में भी अति न करें, नहीं तो गले में कुछ तकलीफ हो सकती है, अतः माप से करें ।
गौ-गोबर के कंडे के धुएँ से हानिकारक जीवाणु नष्ट हो जाते हैं । इसी कारण जब कोई मर जाता है तो श्मशान-यात्रा में एक व्यक्ति मटकी में कंडों का धूआँ करते हुए चलता है ताकि मृतक के जीवाणु समाज में, वातावरण में न फैलें ।
आजकल परफ्यूम आदि से अगरबत्तियाँ बनती हैं । वे खुशबू तो देती हैं लेकिन उनमें प्रयुक्त रसायनों का हमारे स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है ।
एक तो मोटर-गाड़ियों के धुएँ का कुप्रभाव, दूसरा अगरबत्तियों के रसायनों का भी कुप्रभाव शरीर पर पड़ता है । ऐसी अगरबत्तियों की अपेक्षा सात्त्विक अगरबत्ती या धूपबत्ती मिल जाय तो ठीक है, नहीं तो कम-से-कम घी का थोड़ा धूप कर लिया करो ।
सर्वोपरि यज्ञ कौन-सा ?
कीटाणुओं को मारना और शरीररूपी कीटाणुओं को अच्छा रखना उसीके पीछे वैज्ञानिकों की सारी भागदौड़ और उनका विज्ञान काम करता है ।
हमारे ऋषियों ने कीटाणु मारने के लिए यज्ञ की खोज नहीं की है अपितु वातावरण, भाव तथा जन्म-मरण के चक्कर में डालनेवाले मलिन अंतःकरण को ठीक करके परमात्मप्राप्ति में यज्ञ को निमित्त बनाया है।
उन यज्ञों में भी श्रीकृष्ण कहते हैं कि जपयज्ञ सर्वोपरि है । अग्नि में जौ, तिल होमना अच्छा है परंतु इससे भी श्रेष्ठ है गुरुमंत्र लेकर माला पर जप करना । उसको भगवान श्रीकृष्ण ने 'जपयज्ञ' कहा है ।
भगवन्नाम जप में योग्य-अयोग्य का खयाल भी नहीं किया जाता । भगवन्नाम सारी अयोग्यताओं को हरकर प्राणियों के चित्त में छिपी हुई योग्यता जगा देता है। इसलिए जपयज्ञ सर्वोपरि यज्ञ माना गया ।
भगवान कहते हैं:
यज्ञानां जपयज्ञोऽस्मि...
'सब प्रकार के यज्ञों में जपयज्ञ मैं ��ूँ।' (गीता : १०.२५)
यज्ञ करने में तो यजमान धूआँ सहे, विधि- विधान का पालन करे तब लाभ होता है । और उस समय तो अग्नि के सामने तपना पड़ता है, कालांतर में उसे सुख मिलता है लेकिन भगवन्नाम लेने से तो वर्तमान में ही सुख मिलता है और कालांतर में परमात्मा मिलता है।
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#UP-लखनऊ में डॉक्टरों ने खेल कूद प्रतियोगिता में लिया भाग,डॉक्टर गले मे आला नहीं बल्कि सिर पर मटकी लेकर दौड़े
#healthiswealth #Lucknow #ministryofhealth #ministryofhealthup #doctors #healthiswealth
#IndianMedicalAssociation
https://indiacorenews.in/in-up-lucknow-doctors-took-part-in-sports-competition-doctors-ran-with-a-pot-on-their-h
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Jamshedpur surya mandir janmashtami - सिदगोड़ा सूर्य मंदिर में जन्माष्टमी महोत्सव के तीसरे दिन एकल मटकी फोड़ प्रतियोगिता का आयोजन, बारीडीह की यह लड़की बनी पहली विजेता
जमशेदपुर : लौहनगरी जमशेदपुर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व के मौके पर श्रद्धालुओं में खासा उत्साह देखा जा रहा है. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर पूरे जमशेदपुर शहर में कई कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं, जिसमें सिदगोड़ा स्थित सूर्य मंदिर परिसर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पर्व की खुशियां देखते बन रही है. गुरुवार को सुबह में सूर्य मंदिर समिति के तत्वावधान में तीन दिवसीय श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव…
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शासकीय उमा विद्यालय पथरोटा में मनायी कृष्ण जन्माष्टमी, राधा-कृष्ण बनकर आए विद्यार्थी
इटारसी। आज शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पथरोटा (Government Higher Secondary School Pathrota) में जन्माष्टमी (Janmashtami) का कार्यक्रम हर्षोल्लास से मनाया। कार्यक्रम में संस्था के लगभग 170 विद्यार्थी एवं कार्यरत स्टाफ उपस्थित रहा। कुछ विद्यार्थी भगवान कृष्ण (Lord Krishna) एवं राधा (Radha) बनकर आये थे एवं कुछ छात्राएं आकर्षक मटकी भी सजा कर लाई थीं। कार्यक्रम में मां सरस्वती (Maa Saraswati) एवं…
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"मटकी फोड़ने की कर लो तयारी? अब मेरिफेरी ऐप से जन्माष्टमी स्पेशल खरीदो, घर बैठ के अपने नज़दीकी फेरीवालों से!"
HappyJanmashtami #NandLal #JanmashtamiWishes #Happiness #Prosperity #MeriPheri
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