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संत रामपाल के बेटे ने बदली दान की परंपरा, जाट महासभा को दिया ऐतिहासिक यो...
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#कालयुग मे बहुत संत हुए हैसब लुटनेमे तुले हे मगर संत रामपाल जी महाराज की जयसे संत पाहिले बार हुय#Youtube
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#परमात्मा पाना कति आशान है मगर सत भक्ति न मिलने से लोगो को पता ही नहीं भगवान कौन है।#संत रामपाल जी महाराज
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माना इश्क़ जबरदस्ती नहीं होती, मगर ये कमबख्त होता जबरदस्त हैं।
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लौट जाती है उधर को भी नज़र क्या कीजे
अब भी दिलकश है तिरा हुस्न मगर क्या कीजे
और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा
राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा
मुझ से पहली सी मोहब्बत मिरी महबूब न माँग
💗🧿
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एक शादी शुदा स्त्री , जब किसी पुरूष से मिलती है ... उसे जाने अनजाने में अपना दोस्त बनाती है .... तो वो जानती है की न तो वो उसकी हो सकती है .... और न ही वो उसका हो सकता है .... वो उसे पा भी नही सकती और खोना भी नही चाहती .. फिर भी वह इस रिश्ते को वो अपने मन की चुनी डोर से बांध लेती है .... तो क्या वो इस समाज के नियमो को नही मानती ? क्या वो अपने सीमा की दहलीज को नही जानती ? जी नहीं .... !! वो समाज के नियमो को भी मानती है .... और अपने सीमा की दहलीज को भी जानती है ... मगर कुछ पल के लिए वो अपनी जिम्मेदारी भूल जाना चाहती है ... !! कुछ खट्टा ... कुछ मीठा .... आपस मे बांटना चाहती है .. जो शायद कही और किसी के पास नही बांटा जा सकता है .वो उस शख्स से कुछ एहसास बांटना चाहती है ... जो उसके मन के भीतर ही रह गए है कई सालों से ... थो��ा हँसना चाहती है . खिलखिलाना चाहती हैं ... वो चाहती है की कोई उसे भी समझे बिन कहे ... सारा दिन सबकी फिक्र करने वाली स्त्री चाहती है की कोई उसकी भी फिक्र करे ... वो बस अपने मन की बात कहना चाहती है ... जो रिश्तो और जिम्मेदारी की डोर से आजाद हो ... कुछ पल बिताना चाहती है ... जिसमे न दूध उबलने की फिक्र हो , न राशन का जिक्र हो .... न EMI की कोई तारीख हो .... आज क्या बनाना है , ना इसकी कोई तैयारी हो .... बस कुछ ऐसे ही मन की दो बातें करना चाहती है .... कभी उल्टी सीधी , बिना सर पैर की बाते ... तो कभी छोटी सी हंसी और कुछ पल की खुशी ... बस इतना ही तो चाहती है .... आज शायद हर कोई इस रिश्ते से मुक्त एक दोस्त ढूंढता है .. .. जो जिम्मेदारी से मुक्त हो ... ,
एक सुहागन औरत की रणभूमि उसके सुहाग का बिस्तर होता है,
जहा वो हर जीत को भूल बस अपने यद्ध कला का भरपूर प्रदर्शन करती,🔥🔥🔥🔥
अपने यौवन के तीर को कामुकता भरे अंदाज में प्रहार करती है,🔥🔥🔥
अपने वस्त्रों को त्याग कर रणभूमि में निडर हो कर अपने कामवासनाओं के शास्त्रो के साथ रणभुमि में अपने यौवन 🥵का भार पुर जौहर दिखती है,💋
अपने तन के शास्त्रो को एक एक कर ऐसे प्रहार करती है कि रणभुमि भी उसके वीरता की गवाही देने पर मजबूर हो जाती है,
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हो सके तो कभी कभी ख्वाबों में आके मिला कीजिए
हकीकत से तो जा चुके हैं, ख्वाबों में ही सही आ मुझे गले से लगाया कीजिए
फिक्र ना करें मैं इन मुलाकातों के बारे में किसी को नहीं बताऊंगी
आप बस मेरा हाथ थाम मेरे बगल में बैठ जाना, तब मैं दुनिया से छुपाया हुआ अपना हर आंसू आपके सामने बहा दूंगी
फिर आपकी गोद में सिर सुकून की नींद सोजाऊंगी
आखिर ये तो ख़्वाब है, यहां तो वैसा हो जाएगा जैसा मैं चाहूंगी
मगर फिर एक मनहूस पल आएगा जब मेरा ख़्वाब टूट जायेगा और मेरा सामना मेरी हकीकत से हो जाएगा
तब मैं अपने सिरहाने रखी आपकी तस्वीर को देख कहूंगी
हो सके तो कभी कभी ख्वाबों में आके मिला कीजिए
दिशा
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दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है
. लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है
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तुम?
पहली नजर में नहीं मगर धीरे-धीरे अच्छे लगने लगे थे तुम,
तुम्हारी मीठी बातों से इश्क करने लगे थे हम,
मेरे ख्यालों सवालों में आ जाते थे तुम,
मेरे सपनों में आकर सताते थे तुम,
वो बातें, वो रातें कुछ नायाब सपना की तरह लगती थी|
जिसमे में कुछ उलझी पहेलियां की तरह रहती,
और तुम सूलझी पतंग की तरह उड़ते।
उन आंखों में कुछ तो बात थी,
जो छुपाए बैठे थे तुम,
उन मुस्कुराहट में कुछ तो बात थी,
जो मुझे फंसाये बैठे थे तुम।
मुझे समझना, अक़्सर सही राह दिखना केवल ख्वाबों मैं ही क्यूँ बता जाते थे तुम?
इस दुनिया मे गुम हो जाते,
मगर ना जाने सपने मैं ही क्यूँ दिखाई आते थे तुम?
~विधि विक्रम सिंह गौड़
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दुख फ़साना नहीं कि तुझ से कहें दिल भी माना नहीं कि तुझ से कहें आज तक अपनी बेकली का सबब ख़ुद भी जाना नहीं कि तुझ से कहें बे-तरह हाल-ए-दिल है और तुझ से दोस्ताना नहीं कि तुझ से कहें एक तू हर्फ़-ए-आश्ना था मगर अब ज़माना नहीं कि तुझ से कहें
- अहमद फ़राज़
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कूचे को तेरे छोड़ कर जोगी ही बन जाएँ मगर जंगल तेरे पर्बत तेरे, बस्ती तेरी सहरा तेरा।
"Leaving your street, I may turn into a hermit, but The forest is yours, the mountains are yours, the settlement is yours, the wilderness is yours."
Meaning: The speaker expresses a sense of inescapable attachment and love for the beloved. Even if they renounce the worldly life and become a hermit, they cannot truly escape the beloved's presence because everything around them — the forest, the mountains, the towns, and even the desolate wilderness — is a reflection of or a reminder of the beloved.
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how is it fair to just leave and come back later for love?
मगर मोहब्बत एक क़ैद नहीं
ये एक खुला आसमान है जहां
कोई बेड़ियाँ नहीं लोहे के
सिर्फ़ क़समे हैं प्यार के
जो बंधन है जन्मों के ।
avis
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तुमने मुझे जाने से कभी नहीं रोका
शायद तुम रोक सकती थी मेरे हाथों को थाम कर
या मेरा नाम आसमां में चिल्ला कर
मगर तुम चुप रही
उन दिनों पर जब
तुम्हारी आवाज़ मुझे बचा सकती थी
तुम चुप रही।
तुम्हारी चुप्पी से मैंने जाना कि
दुनिया की सारी आवाज़ों से अधिक शोर
तुम्हारी चुप्पी में है
जिसे मापना तो दूर सहना भी बहुत कठिन है।
-praphull
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Mirza Hadi Ruswa wrote,
दिल्ली छुटी थी पहले अब लखनऊ भी छोड़ें
दो शहर थे ये अपने दोनों तबाह निकले
And Bismil Saeedi said
किया तबाह तो दिल्ली ने भी बहुत 'बिस्मिल'
मगर ख़ुदा की क़सम लखनऊ ने लूट लिया
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रोजा रखने से मोक्ष नहीं!
जब से आत्माए अल्लाह ताला से जुदा हुई हैं तब से उसे कई तरीकों से खोजने की कोशिश कर रही है, जैसे:- रोजे रखना, नमाज़ अदा करना! मगर अल्लाह की सही जानकारी तो सिर्फ बाखबर ही देंगे जो वर्तमान में जगतगुरू तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी ही है।
#AlKabir_Islamic
#SaintRampalJi
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When Jawad Sheikh said -
"मगर अच्छा तो ये होता कि हम एक साथ रहते
भरी रहती तेरे कपड़ों से अलमारी हमारी।"
and when Charles Dickens said -
" I wish you to know that you have
been the last dream of my soul. "
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