#मगर
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upcomingyojana · 2 months ago
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Pension badhotari: इन 2 राज्यों में पेंशन ₹3000 ₹3000 ! मगर 2 कारणों से pension बंद/रुक रही हैं
Pension badhotari: दो ऐसे राज्यों की लिस्ट निकल के आई है जिन राज्यों में अब गरीब परिवारों को मजदूरों को जिनकी आयु 60 वर्ष या इससे ज्यादा है उन्हें प्रति महीने पेंशन में बढ़ोतरी के बाद 3000- 3000 हजार रुपये मिलने जा रहा है अगर परिवार में कोई विधवा महिला है तो उसे 3000 मिलेंगे अगर कोई दिव्यांग है परिवार का सदस्य तो उसे भी 3000 और अगर बुजुर्ग है तो उसे भी यह 3000 दिया जाएगा और यह सभी को हर महीने…
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atulgaikwad7038 · 3 months ago
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संत रामपाल के बेटे ने बदली दान की परंपरा, जाट महासभा को दिया ऐतिहासिक यो...
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keshram · 11 months ago
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iharidwartiwari · 2 years ago
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माना इश्क़ जबरदस्ती नहीं होती, मगर ये कमबख्त होता जबरदस्त हैं।
#delhi #mumbai #pune #banaras
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amaldas1996 · 27 days ago
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#न_रख_रोजा_न_मर_भूखा
Baakhabar Sant Rampal Ji
पवित्र कुरान में पुनर्जन्म संबंधित प्रकरण
सूरः अल बकरा-2 की आयत नं. 243:-
तुमने उन लोगों के हाल पर भी कुछ विचार किया जो मौत के डर से अपने घर-बार छोड़कर निकले थे और हजारों की तादाद में थे। अल्लाह ने उनसे कहा मर जाओ। फिर उसने उनको दोबारा जीवन प्रदान किया। हकीकत यह है कि अल्लाह इंसान पर बड़ी दया
करने वाला है। मगर अधिकतर लोग शुक्र नहीं करते।
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sonikasmeer · 1 month ago
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एक शादी शुदा स्त्री , जब किसी पुरूष से मिलती है ... उसे जाने अनजाने में अपना दोस्त बनाती है .... तो वो जानती है की न तो वो उसकी हो सकती है .... और न ही वो उसका हो सकता है .... वो उसे पा भी नही सकती और खोना भी नही चाहती .. फिर भी वह इस रिश्ते को वो अपने मन की चुनी डोर से बांध लेती है .... तो क्या वो इस समाज के नियमो को नही मानती ? क्या वो अपने सीमा की दहलीज को नही जानती ? जी नहीं .... !! वो समाज के नियमो को भी मानती है .... और अपने सीमा की दहलीज को भी जानती है ... मगर कुछ पल के लिए वो अपनी जिम्मेदारी भूल जाना चाहती है ... !! कुछ खट्टा ... कुछ मीठा .... आपस मे बांटना चाहती है .. जो शायद कही और किसी के पास नही बांटा जा सकता है .वो उस शख्स से कुछ एहसास बांटना चाहती है ... जो उसके मन के भीतर ही रह गए है कई सालों से ... थोडा हँसना चाहती है . खिलखिलाना चाहती हैं ... वो चाहती है की कोई उसे भी समझे बिन कहे ... सारा दिन सबकी फिक्र करने वाली स्त्री चाहती है की कोई उसकी भी फिक्र करे ... वो बस अपने मन की बात कहना चाहती है ... जो रिश्तो और जिम्मेदारी की डोर से आजाद हो ... कुछ पल बिताना चाहती है ... जिसमे न दूध उबलने की फिक्र हो , न राशन का जिक्र हो .... न EMI की कोई तारीख हो .... आज क्या बनाना है , ना इसकी कोई तैयारी हो .... बस कुछ ऐसे ही मन की दो बातें करना चाहती है .... कभी उल्टी सीधी , बिना सर पैर की बाते ... तो कभी छोटी सी हंसी और कुछ पल की खुशी ... बस इतना ही तो चाहती है .... आज शायद हर कोई इस रिश्ते से मुक्त एक दोस्त ढूंढता है .. .. जो जिम्मेदारी से मुक्त हो ... ,
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haridaasi-to-pagli-hai · 1 year ago
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लौट जाती है उधर को भी नज़र क्या कीजे
अब भी दिलकश है तिरा हुस्न मगर क्या कीजे
और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा
राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा
मुझ से पहली सी मोहब्बत मिरी महबूब न माँग
💗🧿
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the-sunflower-man · 2 months ago
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Hasrat - इच्छा / حَسْرَت
कच्चे मकानों के ढहना का मुझे गम नहीं, गम तो इस बात का है की जिस बारिश को मैंने इतनी शिद्दत से चाहा वो बरसा भी तो बस चंद लम्हों के लिए। 🌷
खुदकी हालात बदलते बदलते खुदको कब बदल बैठा पता ना चला। तेज़्ज़ रफ़्तार से चलते चलाते कब इतनी दूर निकल आया पता ना चला। कभी चाहा था इस रह में एक वक़्त ज़रा ठैर जाऊं ज़िंदगी का सफर तो चलता रहेगा मगर वह पाल कब मेरी लकीरिओं से निकल गया पता ना चला।
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एक कहानी सुनाता हूँ में आज आपको... तो बात है आज से एक बरस पहले की एक मित्र का जन्मदिन था। 20 वर्ष का हो गया था वों, जब उसकी एक इच्छा थी की उसे ज़िंदगी में स्त्री का सुख चाहिए। उस शाम नासमझी मैं वह चार हॉस्टल के लड़के उस रात निकले तवायफ के घरों के रास्ते अपनी इच्छा पूर्ण करने... 4 लड़को में 3 मित्र 3 तवाइफ के साथ उन्के कमरे में चले गये... 1 बचा रहा बहार उसने कहा में जिससे प्रेम करूंगा उसकी के साथ ही सिर्फ शरारीक़ हूँगा। सीढियों पर वह जब बैठा आपने दोस्तों की रह ताक रहा था तब एक तवायफ ने उससे कहा था "मैं ही तन्हा हू इस पूरे कायनात में या मेरी तरह कोई और भी यहाँ है... किया करते थे साथ निभाने की बड़ी बड़ी बाते ज़रा देखो तो वो नकाबपोश आज कहाँ है... इंसा तो दिखते हैं ये पत्थर से बने लोग गौर से देखो तो फ़िर इनके दिल कहाँ है... वो जो पल बने हुए थे हिस्सा मेरी जिंदगी का अब दूर दूर तलक बाकी नही वो पल कहाँ है।" उसने कहा की यह प्रेम बड़ा विचित्र सी चीज़ है अगर प्रेम मुकम्मल से हो जाए तो ज़िंदगी शायरी बन जाति है और ना हो तो आप शायर बन जाते हो।
- धन्यवाद (The Sunflower Man) 🌻
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thisismatildaa · 3 months ago
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When Jawad Sheikh said -
"मगर अच्छा तो ये होता कि हम एक साथ रहते
भरी रहती तेरे कपड़ों से अलमारी हमारी।"
and when Charles Dickens said -
" I wish you to know that you have
been the last dream of my soul. "
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crookedneighbour20 · 3 months ago
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कूचे को तेरे छोड़ कर जोगी ही बन जाएँ मगर जंगल तेरे पर्बत तेरे, बस्ती तेरी सहरा तेरा।
"Leaving your street, I may turn into a hermit, but The forest is yours, the mountains are yours, the settlement is yours, the wilderness is yours."
Meaning: The speaker expresses a sense of inescapable attachment and love for the beloved. Even if they renounce the worldly life and become a hermit, they cannot truly escape the beloved's presence because everything around them — the forest, the mountains, the towns, and even the desolate wilderness — is a reflection of or a reminder of the beloved.
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en-sell-uh-dus · 27 days ago
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मगर आना इस तरह तुम कि यहां से फिर ना जाना
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stainedpoetry · 1 year ago
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हो सके तो कभी कभी ख्वाबों में आके मिला कीजिए
हकीकत से तो जा चुके हैं, ख्वाबों में ही सही आ मुझे गले से लगाया कीजिए
फिक्र ना करें मैं इन मुलाकातों के बारे में किसी को नहीं बताऊंगी
आप बस मेरा हाथ थाम मेरे बगल में बैठ जाना, तब मैं दुनिया से छुपाया हुआ अपना हर आंसू आपके सामने बहा दूंगी
फिर आपकी गोद में सिर सुकून की नींद सोजाऊंगी
आखिर ये तो ख़्वाब है, यहां तो वैसा हो जाएगा जैसा मैं चाहूंगी
मगर फिर एक मनहूस पल आएगा जब मेरा ख़्वाब टूट जायेगा और मेरा सामना मेरी हकीकत से हो जाएगा
तब मैं अपने सिरहाने रखी आपकी तस्वीर को देख कहूंगी
हो सके तो कभी कभी ख्वाबों में आके मिला कीजिए
दिशा
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deepsayss · 3 months ago
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दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है
. लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है
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stress-paglu · 3 months ago
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मुझ से पहली सी मोहब्बत मेरे महबूब न माँग
मैं ने समझा था कि तू है तो दरख़्शाँ है हयात,तेरा ग़म है तो ग़म-ए-दहर का झगड़ा क्या है
तेरी सूरत से है आलम में बहारों को सबात,तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रक्खा क्या है
तू जो मिल जाए तो तक़दीर निगूँ हो जाए,यूँ न था मैं ने फ़क़त चाहा था यूँ हो जाए
और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा,राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा
अन-गिनत सदियों के तारीक बहीमाना तिलिस्म,रेशम ओ अतलस ओ कमख़ाब में बुनवाए हुए
जा-ब-जा बिकते हुए कूचा-ओ-बाज़ार में जिस्म,ख़ाक में लु��ड़े हुए ख़ून में नहलाए हुए
जिस्म निकले हुए अमराज़ के तन्नूरों से,पीप बहती हुई गलते हुए नासूरों से
लौट जाती है उधर को भी नज़र क्या कीजे,अब भी दिलकश है तिरा हुस्न मगर क्या कीजे
और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा,राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा
मुझ से पहली सी मोहब्बत मेरे महबूब न माँग
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sonikasmeer · 9 months ago
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एक शादी शुदा स्त्री , जब किसी पुरूष से मिलती है ... उसे जाने अनजाने में अपना दोस्त बनाती है .... तो वो जानती है की न तो वो उसकी हो सकती है .... और न ही वो उसका हो सकता है .... वो उसे पा भी नही सकती और खोना भी नही चाहती .. फिर भी वह इस रिश्ते को वो अपने मन की चुनी डोर से बांध लेती है .... तो क्या वो इस समाज के नियमो को नही मानती ? क्या वो अपने सीमा की दहलीज को नही जानती ? जी नहीं .... !! वो समाज के नियमो को भी मानती है .... और अपने सीमा की दहलीज को भी जानती है ... मगर कुछ पल के लिए वो अपनी जिम्मेदारी भूल जाना चाहती है ... !! कुछ खट्टा ... कुछ मीठा .... आपस मे बांटना चाहती है .. जो शायद कही और किसी के पास नही बांटा जा सकता है .वो उस शख्स से कुछ एहसास बांटना चाहती है ... जो उसके मन के भीतर ही रह गए है कई सालों से ... थोडा हँसना चाहती है . खिलखिलाना चाहती हैं ... वो चाहती है की कोई उसे भी समझे बिन कहे ... सारा दिन सबकी फिक्र करने वाली स्त्री चाहती है की कोई उसकी भी फिक्र करे ... वो बस अपने मन की बात कहना चाहती है ... जो रिश्तो और जिम्मेदारी की डोर से आजाद हो ... कुछ पल बिताना चाहती है ... जिसमे न दूध उबलने की फिक्र हो , न राशन का जिक्र हो .... न EMI की कोई तारीख हो .... आज क्या बनाना है , ना इसकी कोई तैयारी हो .... बस कुछ ऐसे ही मन की दो बातें करना चाहती है .... कभी उल्टी सीधी , बिना सर पैर की बाते ... तो कभी छोटी सी हंसी और कुछ पल की खुशी ... बस इतना ही तो चाहती है .... आज शायद हर कोई इस रिश्ते से मुक्त एक दोस्त ढूंढता है .. .. जो जिम्मेदारी से मुक्त हो ... ,
एक सुहागन औरत की रणभूमि उसके सुहाग का बिस्तर होता है,
जहा वो हर जीत को भूल बस अपने यद्ध कला का भरपूर प्रदर्शन करती,🔥🔥🔥🔥
अपने यौवन के तीर को कामुकता भरे अंदाज में प्रहार करती है,🔥🔥🔥
अपने वस्त्रों को त्याग कर रणभूमि में निडर हो कर अपने कामवासनाओं के शास्त्रो के साथ रणभुमि में अपने यौवन 🥵का भार पुर जौहर दिखती है,💋
अपने तन के शास्त्रो को एक एक कर ऐसे प्रहार करती है कि रणभुमि भी उसके वीरता की गवाही देने पर मजबूर हो जाती है,
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poetic-vidhi · 5 months ago
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तुम?
पहली नजर में नहीं मगर धीरे-धीरे अच्छे लगने लगे थे तुम,
तुम्हारी मीठी बातों से इश्क करने लगे थे हम,
मेरे ख्यालों सवालों में आ जाते थे तुम,
मेरे सपनों में आकर सताते थे तुम,
वो बातें, वो रातें कुछ नायाब सपना की तरह लगती थी|
जिसमे में कुछ उलझी पहेलियां की तरह रहती,
और तुम सूलझी पतंग की तरह उड़ते।
उन आंखों में कुछ तो बात थी,
जो छुपाए बैठे थे तुम,
उन मुस्कुराहट में कुछ तो बात थी,
जो मुझे फंसाये बैठे थे तुम।
मुझे समझना, अक़्सर सही राह दिखना केवल ख्वाबों मैं ही क्यूँ बता जाते थे तुम?
इस दुनिया मे गुम हो जाते,
मगर ना जाने सपने मैं ही क्यूँ दिखाई आते थे तुम?
~विधि विक्रम सिंह गौड़
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