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मप्र में भारी बारिश का अलर्ट: मप्र में बारिश के चलते भोपाल में येलो अलर्ट और इंदौर में रेड अलर्ट जारी
मप्र में भारी बारिश का अलर्ट: मप्र में बारिश के चलते भोपाल में येलो अलर्ट और इंदौर में रेड अलर्ट जारी
भोपाल: मध्य प्रदेश के कई हिस्सों (आज मौसम पूर्वानुमान) में पिछले 24 घंटों के दौरान मूसलाधार बारिश हुई है, जिससे सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ है। जब नदियां उफान पर थीं तो इंदौर में सड़क पर इतना पानी आ गया कि कार भी बह गई। मध्य प्रदेश में मानसून सक्रिय है और पिछले 24 घंटों के दौरान भोपाल, इंदौर समेत कई जगहों पर भारी बारिश दर्ज की गई है, जिससे बांधों का जलस्तर बढ़ गया है और नदियां उफान पर हैं. इसके…
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देश के कई राज्यों में भीषण गर्मी से आम जनजीवन बेहाल हो गया है। इन राज्यों के 23 शहरों में तापमान 45 डिग्री को क्रॉस कर गया है। बढ़ती गर्मी को देखते हुए मौसम विभाग ने अगले 4 दिनों के लिए हरियाणा, राजस्थान और पश्चिमी उत्तरप्रदेश में रेड अलर्ट जारी कर संबंधित एजेंसियों को सतर्क कर दिया है।
58 सालों में तापमान में केवल 0.5 सेल्शियस की बढ़ोतरी, लेकिन नतीजे घातक
एडवांस्ड विज्ञान के क्षेत्र में सबसे प्रतिष्ठित जर्नल में से एक Science Advances की स्टडी के अनुसार 1960 से अब तक भारत के औसत तापमान में केवल 0.5 डिग्री सेल्शियस की बढ़ोतरी हुई है। लेकिन इसका इम्पैक्ट कहीं ज्यादा है। स्टडी के अनुसार इस छोटी-सी बढ़ोतरी से ही गर्म हवाओं के इम्पैक्ट में ढाई गुनी बढ़ोतरी हो गई है। यानि गर्मी बहुत ज्यादा महसूस होती है।
(पूरी स्टडी पढ़ने के लिए यहां क्लिककर सकते हैं...)
कैसे निकाला जाता है किसी देश का औसत तापमान?
किसी भी देश का औसत तापमान उस देश के चुनिंदा शहरों के औसत तापमान का एवरेज होता है। यह एवरेज पूरे 365 दिनों का निकाला जाता है। इसे सालाना औसत तापमान कहते हैं। साल 1960 में भारत में सालाना औसत तापमान 24 डिग्री सेल्शियस था। इसके बाद के सालों में यह 24 से 25 डिग्री सेल्शियस के बीच रहा।
कैसे निकालते हैं किसी शहर का सालाना औसत तापमान?
किसी शहर का सालाना औसत तापमान निकालने के लिए उस शहर के दैनिक औसत तापमान का एवरेज निकाला जाता है।
कैसे निकालते हैं दैनिक औसत तापमान :
किसी एक शहर का दैनिक औसत तापमान उस शहर के मैग्जिमम और मिनिमम तापमान का एवरेज होता है। उदाहरण के लिए हम भोपाल के एक दिन का औसत तापमान निकालते हैं। 24 मई को भोपाल का मैग्जिमम तापमान 44.2 डिग्री और मिनिमम तापमान 30.4 डिग्री रहा। तो इस दिन का भोपाल का दैनिक औसत तापमान 37.3 रहा।
क्यों बढ़ रहा है गर्मी का इम्पैक्ट?
आखिर हमारे यहां औसत गर्मी में इतनी कम बढ़ोतरी होने के बावजूद इसका इतना ज्यादा इम्पैक्ट क्यों फील होता है? इस बा���े में Dainikbhaskar.com ने बात की मौसम विशेषज्ञ और भोपाल मौसम केंद्र के एक्स-डायरेक्टर डॉ. डीपी दुबे से।
आगे की स्लाइड्स में डॉ. डीपी दुबे से जानिए गर्मी का ज्यादा इम्पैक्ट फील होने की तीन वजह ....
कांक्रेटाइजेशन का गर्मी से क्या संबंध? कांक्रेटाइजेशन होने से गर्मी दो तरह से बढ़ती है। एक, कांक्रीट सोलर रेडिएशन को ज्यादा रिफ्लैक्ट करता है। दूसरा, कांक्रेटाइजेशन के कारण जमीन के भीतर पानी का रिसाव कम होता है। जमीन के भीतर पानी कम होने से जमीन के ऊपर सूखापन बढ़ जाता है। इससे भी गर्मी ज्यादा फील होती है।
क्या है सोलर रेडिएशन?
सोलर रेडिएशन सूरज से निकलने वाली एनर्जी होती है जिसमें विजिबल लाइट, हीट (इंफ्रारेड किरणें) और अल्ट्रा वॉयलेट किरणें शामिल होती हैं। इनमें गर्मी के लिए जिम्मेदार इंफ्रारेड होती हैं।
इस समय क्यों बढ़ रहा है सोलर रेडिएशन?
मार्च से लेकर 21 जून तक सूर्य धरती के करीब आते जाता है। सूरज जैसे-जैसे धरती के करीब आता है, उससे निकलने वाले रेडिएशन को भी धरती ज्यादा जज्ब करती है। यानी धरती पर गरमी अधिक होती है।
कम हुआ बादलों का निर्माण :भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ISRO के एक्स चेयरमैन प्रो. यू.आर. राव ने गर्मी के इम्पैक्ट को लेकर एक रिसर्च पेपर पेश किया था। इसमें उन्होंने कहा था कि सूरज की एक्टिवनेस के कारण धरती के ऊपर बादल बनने कम हुए हैं।
क्या काम करते थे ये बादल : सूरज से सीधे आने वाले रेडिएशन यानी हीट के ये बादल रोकने का काम करते थे। लेकिन जबसे बादलों के निर्माण में कमी आई, सोलर रेडिएशन की मात्रा बढ़ती गई। इससे भी गर्मी ज्यादा फील होने लगी।
आउटडोर एक्टिविटी कम हो रही है और इनडोर एक्टिविटी बढ़ रही है। इससे हमारा धूप के साथ एक्पोजर कम हो गया है जिससे हीट सहन करने की क्षमता घट गई है। इसलिए धूप में निकलने पर हमें गर्मी ज्यादा फील होती है।
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