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#भारतीयदर्शन
aadhyaatmikata · 3 months
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(vivaran) is veediyo mein, ham bhaarateey dhaarmikata kee samrddh tepestree mein gaharaee se utarenge. ham un vividh paramparaon, maanyataon aur aadhyaatmik prathaon ka pata lagaate hain jo bhaarateey sanskrti ka kendr hain. vedon kee praacheen shikshaon se lekar samakaaleen prathaon tak, jaanen ki kaise dharm bhaarateey logon ke jeevan aur pahachaan ko aakaar deta hai.
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(sambandhit vishay)
hindoo dharm: utpatti, devata, anushthaan aur tyauhaar.
bauddh dharm: maulik siddhaant aur saanskrtik prabhaav.
jain dharm: darshan aur tapasvee prathaen.
sikh dharm: saamudaayik neenv aur paramparaen.
any dharm: bhaarat mein vividhata aur sah-astitv.
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aadhyaatmik jeevan mein mandiron aur pavitr sthaanon kee bhoomika. dhaarmik tyohaaron aur unake utsavon ka mahattv | dharm bhaarateey sanskrti, kala aur samaaj ko kis prakaar prabhaavit karata hai. duniya bhar kee sanskrtiyon aur dharmon ke baare mein adhik veediyo ke lie hamaare chainal ko laik, kament aur sabsakraib karana na bhoolen!
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gkblog4u · 3 years
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#सुगमदर्शन #भारतीयदर्शन "भारतीय दर्शन के परिपक्वता अवस्था में जन्में पाश्चात्य दर्शन , भारतीय दर्शन के सहारे ही स्वयं को मानकीकृत किया और थोपता चला गया,,,, यह सब भारतीय राजनीति के गदहापचिसी के कारण हुआ ,,,,,, इसी से आज भारतीय विश्वविद्यालय "Cut paste photostate" आधारित डिग्रियों पर मुहर लगने में व्यस्त हैं तो देश का पतन न हो तो परचम कैसे लहरें ?? "विश्वगुरु बनने के लिए पहली योग्यता है नकल से सावधान" उदाहरण:- भारतीय तत्त्वमीमांसीय (Metaphysical) विचारधारा को ही प्रोफेसर फ्रीडमैन ने "दार्शनिक इतिहासवाद"(philosophical Historism) की संज्ञा देकर महान हो गए , वास्तविकता यह है कि भारतीय तत्त्वमीमांसीय विचारधारा को यदि आज फिर से सक्रिय किया जाय तो ,,,, 21 वीं शताब्दी के दुसरे दशक में उपजे हिंदुत्ववादी विचारधारा जिसमें दर्शन शास्त्र का एक बूंद भी विद्यमान नहीं है उसकी आवश्यकता ही नहीं पड़ती , और विश्व सहर्ष सनातन धर्म को अन्य धार्मिक संप्रदायों का स्त्रोत या उद्गम स्थल मानने में गौरवान्वित महसूस करता ,,,,,,, मित्रों दर्शन शास्त्र को बढ़ावा मिलेगा तब जाकर कहीं किसी विकास को बल मिलेगा नहीं तो विकास भांति-भांति के व्याधियों से ग्रसित हो गर्त में समाहित होता रहेगा ।। मित्रों आपको #सुगमदर्शन के अनियमित लेख पोस्ट व विचार कैसा लगता है हमें इसकी सूचना अवश्य दीजिए , यह आरंभ है अतः अनियमित व अनियंत्रित है , क्योंकि यह किसी निर्धारित योजना का हिस्सा नहीं है सुगम दर्शन ,,,, इसे योजनाबद्ध करना भी मैं नहीं चाहता क्योंकि इससे व्यक्तिगत मैं भली-भांति परिचित हूं कि "योजनबद्ध करते ही इसके मौलिकता का सर्वथा विनाश होना तय हो जाता है,,,,, अतः यदि आप विचार, दर्शन ,लेखन को समझते हैं तो हमें हमारे कार्यों को आपके मार्गदर्शन अर्थात 👉 सहयोग समर्थन सुझाव व समीक्षा के बदौलत ही विस्तार रुप लेना है आप हमसे सौंदर्य पूर्वक जुड़े Email:- [email protected] Whatsapp/ telegram:- +919795261267
#सुगमदर्शन #भारतीयदर्शन “भारतीय दर्शन के परिपक्वता अवस्था में जन्में पाश्चात्य दर्शन , भारतीय दर्शन के सहारे ही स्वयं को मानकीकृत किया और थोपता चला गया,,,, यह सब भारतीय राजनीति के गदहापचिसी के कारण हुआ ,,,,,, इसी से आज भारतीय विश्वविद्यालय “Cut paste photostate” आधारित डिग्रियों पर मुहर लगने में व्यस्त हैं तो देश का पतन न हो तो परचम कैसे लहरें ?? “विश्वगुरु बनने के लिए पहली योग्यता है नकल से सावधान” उदाहरण:- भारतीय तत्त्वमीमांसीय (Metaphysical) विचारधारा को ही प्रोफेसर फ्रीडमैन ने “दार्शनिक इतिहासवाद”(philosophical Historism) की संज्ञा देकर महान हो गए , वास्तविकता यह है कि भारतीय तत्त्वमीमांसीय विचारधारा को यदि आज फिर से सक्रिय किया जाय तो ,,,, 21 वीं शताब्दी के दुसरे दशक में उपजे हिंदुत्ववादी विचारधारा जिसमें दर्शन शास्त्र का एक बूंद भी विद्यमान नहीं है उसकी आवश्यकता ही नहीं पड़ती , और विश्व सहर्ष सनातन धर्म को अन्य धार्मिक संप्रदायों का स्त्रोत या उद्गम स्थल मानने में गौरवान्वित महसूस करता ,,,,,,, मित्रों दर्शन शास्त्र को बढ़ावा मिलेगा तब जाकर कहीं किसी विकास को बल मिलेगा नहीं तो विकास भांति-भांति के व्याधियों से ग्रसित हो गर्त में समाहित होता रहेगा ।। मित्रों आपको #सुगमदर्शन के अनियमित लेख पोस्ट व विचार कैसा लगता है हमें इसकी सूचना अवश्य दीजिए , यह आरंभ है अतः अनियमित व अनियंत्रित है , क्योंकि यह किसी निर्धारित योजना का हिस्सा नहीं है सुगम दर्शन ,,,, इसे योजनाबद्ध करना भी मैं नहीं चाहता क्योंकि इससे व्यक्तिगत मैं भली-भांति परिचित हूं कि “योजनबद्ध करते ही इसके मौलिकता का सर्वथा विनाश होना तय हो जाता है,,,,, अतः यदि आप विचार, दर्शन ,लेखन को समझते हैं तो हमें हमारे कार्यों को आपके मार्गदर्शन अर्थात 👉 सहयोग समर्थन सुझाव व समीक्षा के बदौलत ही विस्तार रुप लेना है आप हमसे सौंदर्य पूर्वक जुड़े Email:- [email protected] Whatsapp/ telegram:- +919795261267
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