#भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल
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helputrust · 2 years ago
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लखनऊ, 31.10.2022 | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में 'राष्ट्रीय एकता दिवस-2022' के अवसर पर आधुनिक भारत के शिल्पी, भारत के बिस्मार्क, लौह पुरुष भारत रत्न श्रद्धेय श्री सरदार वल्लभ भाई पटेल जी की 146वीं जन्म जयंती के अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के इंदिरा नगर, सेक्टर-25 स्थित कार्या��य में "श्रद्धांपूर्ण पुष्पांजलि" कार्यक्रम का आयोजन किया गया । कार्यक्रम में ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल व हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य श्री विनय त्रिपाठी तथा हेल्प यू ट्रस्ट के स्वयंसेवकों ने श्रद्धेय श्री सरदार वल्लभ भाई पटेल जी के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पार्पण कर उन्हें श्रद्धापूर्ण पुष्पांजलि दी |
इस अवसर पर ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल ने अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि, "सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय एकता के एक अद्भुत शिल्पी थे जिनके ह्रदय में भारत देश के प्रति सम्मान था | वे भारतीय जनमानस अर्थात किसानों की आत्मा थे | सरदार वल्लभभाई पटेल एक स्वतंत्रता सेनानी तथा भारत के प्रथम गृहमंत्री थे | सरदार वल्लभ भाई पटेल सभी नेताओं में से सबसे प्रमुख नेता थे | भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनका महत्वपूर्ण योगदान हैं | वो महात्मा गांधीजी के विचारों से प्रभावित थे । सरदार वल्लभ भाई पटेल नवीन भारत के निर्माता थे I श्रद्धेय श्री सरदार वल्लभभाई पटेल जी ने बहुत सारे महान कार्य किये थे | उनके महान कार्यों के लिए और भारत देश के अखंडता को निर्माण करने के लिए उनका नाम हमेशा याद किया जाता है | हमारे भारत देश का  इतिहास हमेशा ऐसे महान व्यक्तियों को याद करेगा | सरदार वल्लभ भाई पटेल की सबसे ऊँची मूर्ति (राष्ट्रीय एकता का प्रतीक “स्टेचू ऑफ यूनिटी”) गुजरात राज्य में स्थापित की गयी है जो अम्रेरिका के स्टेचू आफ लिबर्टी से दोगुनी है | सादा जीवन व स्वाभिमान उनके आदर्श थे | सरदार वल्लभ भाई पटेल कम बोलते थे लेकिन काम बहुत करते थे | हमे सरदार वल्लभ भाई पटेल जी के आदर्शो पर चलकर भारत की गरिमा को बनाये रखने में अपना योगदान देना चाहिए |
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khabarsamay · 7 years ago
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31 अक्टूबर को सरदार पटेल की जयंती पर जन अभियान का आयोजन
 भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल ने स्वतंत्रता के पश्चात् भारत की एकजुटता के लिए पुरजोर तरीके से पूरी मज़बूती के साथ काम किया। जिससे एक नए राष्ट्र का उदय हुआ। देश की एकता की रक्षा करने के समक्ष कई चुनौतियां स्पष्ट रूप से विद्यमान थीं। सरदार पटेल ने लाजवाब कौशल के साथ इन चुनौतियों का सामना करते हुए देश को एकता के सूत्र में बांधने के कार्य को पूरा किया और एकीकृत भारत के शिल्पकार के रूप में पहचान हासिल की। ऐसे में 31 अक्टूबर के दिन उनकी बहुमूल्य विरासत का जश्न मनाने के लिए देश उनकी जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाता है। हाल के वर्षों में इस जश्न को आगे बढ़ाते हुए, इस वर्ष राष्ट्रीय एकता दिवस और अधिक व्यापक में आयोजित होने जा रहा है। इस दिन को भारत के इतिहास में सरदार पटेल की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करने के लिए देश की एकता की शपथ लेने, जन अभियान चलाने, अर्द्धसैनिक मार्च पास्ट, रन फॉर यूनिटी, पोस्टर और प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता और प्रदर्शनियों के रूप में चिन्हित किया जाएगा। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्तर के साथ-साथ देशभर में समारोह आयोजित किए जाएंगे। केन्द्रीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने इस अवसर पर कार्यक्रम आयोजित करने के संबंध में उपयुक्त व्यवस्था करने के लिए राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा है। यह अवसर वाकई काफी पवित्र है, क्योंकि देश को न सिर्फ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के साहसी व्यक्ति के प्रति सम्मान व्यक्त करना है, बल्कि इसी समय पर नई पीढ़ी को उनके बारे में शिक्षित एवं जागरूक भी करना है। सरदार भारत के राजनीतिक एकीकरण के पिता रूपी नायक का नाम था। उन्होंने भारतीय संघ में कई छोटे राज्यों के विलय की व्यवस्था की। उनके मार्गदर्शन और सशक्त निश्चय के अंतर्गत कई राज्य संयुक्त रूप से बड़ी संस्थाओं में तब्दील होने के बाद भारतीय संघ में शामिल हुए। क्षेत्रवाद ने राष्ट्रवाद का मार्ग प्रशस्त किया, क्योंकि उन्होंने लोगों से बड़ा सोचने और मज़बूत बनने का आह्वान किया। आज भारत का प्रत्येक हिस्सा आज़ादी के बाद के शुरुआती दिन���ं में सरदार पटेल द्वारा किए गए कार्य का महोत्सव मनाता है। राष्ट्रीय राजधानी ��ें राष्ट्रीय एकता दिवस का शुभारंभ संसद मार्ग स्थित सरदार पटेल चौक पर स्थित सरदार पटेल की प्रतिमा पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा पुष्पांजलि अर्पित कर होगा। इसके बाद प्रधानमंत्री मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में ‘रन फॉर यूनिटी’ को हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे, जिसमें करीब 15,000 छात्र और पूर्व सैनिक, सुप्रसिद्ध एथलीट एवं एनएसएस स्वयंसेवकों सहित विभिन्न क्षेत्रों के लोग हिस्सा लेंगे। रन फॉर यूनिटी को हरी झंडी दिखाने के दौरान सुश्री पीवी सिंधु (बैडमिंटन), सुश्री मिताली राज (क्रिकेट) और सरदार सिंह (हॉकी) सहित खेल के क्षेत्र की विभिन्न जानी-मानी हस्तियां मौजूद रहेंगी। रन फॉर यूनिटी दौड़ नेशनल स्टेडियम से शुरू होकर सी-हेक्सागन मार्ग, इंडिया गेट – शाहजहां रोड रेडियल – इंडिया गेट से गुजरेगी और कुल 1.5 किलोमीटर की दूरी तय करेगी। भारतीय खेल प्राधिकरण के अनुभवी प्रशिक्षक इस दौड़ की निगरानी करेंगे। रेलवे, संस्कृति, पर्यटन, सूचना एवं प्रसारण और आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय के साथ-साथ केन्द्र सरकार के कई अन्य मंत्रालय एवं विभाग एकता का संदेश लोगों तक पहुंचाने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करने के कार्य में संलग्न हैं। राजधानी के दिल यानी कनॉट प्लेस स्थित सेंट्रल पार्क और चाणक्यपुरी के शांति पथ पर रोज़ गार्डन में सरदार पटेल पर प्रदर्शनी आयोजित की जाएगी। सरदार पटेल को अपने संकल्प की शक्ति के लिए जाना जाता है। कार्यक्रम को महोत्सव का रंग देने के लिए इस अवसर पर शहनाइयां बजाई जाएंगी। इस दिन को चिन्हित करने के लिए आकाशवाणी और दूरदर्शन पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे और दूरदर्शन पर “सरदार” नामक एक विशेष फिल्म दिखाई जाएगी। सरदार पटेल पर लिखी छह पुस्तकों के नवीन संस्करणों का विमोचन भी किया जाएगा और ये पुस्तकें ई-पुस्तक के रूप में उपलब्ध होंगी। सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती मनाने के लिए सरकार राष्ट्र की एकता, अखंडता और सुरक्षा को संरक्षित और मज़बूत करने के प्रति सरकार के समर्पण को दर्शाने के क्रम में 31 अक्टूबर को देशभर में एक विशेष अवसर के तौर पर राष्ट्रीय एकता दिवस (नेशनल यूनिटी डे) के रूप में मनाती है। सरदार पटेल गणतंत्र भारत के संस्थापकों में से एक हैं, जिन्होंने अपने जीवनकाल में भारत के उप प्रधानमंत्री और गृहमंत्री जैसी अहम जिम्मेदारियों का निर्वहन किया है। पिछले वर्ष 31 अक्टूबर 2016 को रन फॉर यूनिटी के अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा था कि “आज हम कश्मीर से कन्याकुमारी, अटक से कटक और हिमालय से महासागर तक हर तरफ तिरंग��� देख रहे हैं। आज हम देश के हर एक हिस्से में तिरंगा देख सकते हैं और इसका पूरा श्रेय सरदार वल्लभभाई पटेल को जाता है।” इसी दिन श्री मोदी ने नई दिल्ली में प्रगति मैदान के पास सरदार वल्लभभाई पटेल के जीवन पर बने एक स्थायी डिजिटल संग्रहालय का उद्घाटन भी किया। प्रत्येक भारतीय को एकता की शिक्षा देने के लिए उन्होंने भारत के विभिन्न राज्यों के लोगों के बीच घनिष्ठ एवं मज़बूत संबंध स्थापित करने के अंतर्गत ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’पहल का शुभारंभ किया। प्रधानमंत्री ने सरदार पटेल की जयंती के उपलक्ष्य में एक डाक टिकट भी जारी की थी। सरदार के असाधारण दृष्टिकोण और सामरिक कुशाग्रता का जश्न मनाते हुए, एक वर्ष पूर्व रन फॉर यूनिटी 2015 के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा था कि ‘चाणक्य के बाद, केवल सरदार पटेल ही वह व्यक्ति थे, जो देश को एकता के सूत्र में बांध सके।’ गुजरात के आणंद के पास स्थित करमसाद गांव के एक साधारण भूस्वामी के यहां 31 अक्टूबर 1875 को जन्मे सरदार का नाम वल्लभभाई ज़वेरभाई पटेल रखा गया था। एक युवा वकील के रूप में अपनी कड़ी मेहनत के ज़रिए उन्होंने पर्याप्त पैसा बचाया ताकि वह इंग्लैंड में उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकें। आगामी समय में वह एक निडर वकील के तौर पर बड़े हुए, जिसे जनहित के मुद्दों पर कड़े एवं निडर अधिवक्ता के रूप में जाना जाता था। राजस्व दरों को लेकर 1928 में प्रधान कमांडर के रूप में बारदोली किसान आंदोलन के आयोजन के दौरान उन्होंने किसानों को कहा कि वे लंबे समय तक परेशानियां सहने के लिए तैयार रहें। अंततः सरदार के नेतृत्व में चल रहा यह आंदोलन सरकार पर दबाव बनाने और परिवर्तित दरों को वापस कराने में सफल रहा। एक ग्राम सभा में एक किसान ने सरदार पटेल को संबोधित करते हुए कहा कि ‘आप हमारे सरदार हैं।’ बारदोली आंदोलन ने सरदार वल्लभभाई पटेल को राष्ट्रीय परिदृश्य पर पहचान दिलाई। भारत की एकता के निर्माता को सच्ची श्रद्धांजलि देने के लिए गुजरात के वडोदरा के नज़दीक साधु बेट नामक द्वीप पर 3.2 किमी की दूरी पर नर्मदा बांध की ओर सरदार पटेल का 182 मीटर ऊंचा (597 फीट) ‘स्टैच्यु ऑफ यूनिटी’ निर्माणाधीन है। सुप्रसिद्ध मूर्तिकार राम वी. सुतार द्वारा डिज़ाइन की गई इस प्रतिमा को करीब 20,000 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैलाने की योजना है और इसके आसपास करीब 12 किलोमीटर के क्षेत्र में एक कृत्रिम झील होगी। इस प्रतिमा के निर्माण कार्य का शुभारंभ 31 अक्टूबर 2014 को किया गया था। निर्माण कार्य शुरू होने से करीब एक वर्ष पूर्व इस परियोजना की औपचारिक रूप से घोषणा की गई थी। निर्माण कार्य संपन्न होने के बाद, यह दुनिया की ��बसे ऊंची प्रतिमा होगी। Read the full article
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