#भारतीय वायुसेना का बेड़ा
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दिल्ली / फ्रांस नें दिया दोस्ती का प्रमाण - स्वदेश पहुंचा 36 वां राफेल लड़ाकू विमान, भारत की ताकत बढ़ी
दिल्ली / फ्रांस नें दिया दोस्ती का प्रमाण – स्वदेश पहुंचा 36 वां राफेल लड़ाकू विमान, भारत की ताकत बढ़ी
सौरभ निगम की रिपोर्ट -दिल्ली / फ्रांस नें दिया दोस्ती का प्रमाण – स्वदेश पहुंचा 36 वां राफेल लड़ाकू विमान, भारत की ताकत बढ़ी. भारतीय वायुसेना में राफेल विमानों का बेड़ा पूरा हो गया. फ्रांस की कंपनी के द्वारा किए गए करार के अनुसार 36 वा राफेल लड़ाकू विमान देश को मिल गया. भारतीय वायुसेना ट्वीट कर दी जानकारी. भारतीय सेना ने अपने ट्विटर पर राफेल विमान की तस्वीर साझा करते हुए लिखा “पैक “पूरा हो गया.…
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IAF ने इलेक्ट्रिक वाहनों के बेड़े को शामिल किया, ग्रीन मोबिलिटी की ओर कदम
IAF ने इलेक्ट्रिक वाहनों के बेड़े को शामिल किया, ग्रीन मोबिलिटी की ओर कदम
आखरी अपडेट: 16 नवंबर, 2022, 17:19 IST भारतीय वायु सेना ने इलेक्ट्रिक वाहनों का एक बेड़ा शामिल किया। (फोटो: ट्विटर/ @IAF_MCC) IAF ने कार्बन फुटप्रिंट में कमी लाने और हरित गतिशीलता की सरकार की पहल को बनाए रखने के लिए Tata Nexon EVs का एक बेड़ा शामिल किया है। भारतीय वायु सेना ने मंगलवार को हरित गतिशीलता की शुरूआत पर सरकार की पहल को ध्यान में रखते हुए इलेक्ट्रिक वाहनों का एक बेड़ा शामिल किया। एयर…
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#ईवी#नेक्सन#पर्यावरण के अनुकूल बनें#बिजली के वाहन#बेड़ा#भारतीय वायु सेना#भारतीय वायुसेना का बेड़ा#वायु सेना के वाहन
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‘प्रचंड' से लैस हुई भारतीय वायुसेना, जानें कितना शक्तिशाली है ये स्वदेशी लड़ाकू हेलीकॉप्टर
‘प्रचंड’ से लैस हुई भारतीय वायुसेना, जानें कितना शक्तिशाली है ये स्वदेशी लड़ाकू हेलीकॉप्टर
हाइलाइट भारतीय संचार में गणना: ‘हिंदुस्तान एयरक्राफ्ट’ ने विकास किया ‘इल्थ’ भागी और बख्तरबंद सुरक्षा प्रणाली से लेस्टिंग प्रचंड: भारतीय संचार ने ‘मेड इन इंडिया’ प्रचंड (LCH) ‘प्रचंड’ का पहला बेड़ा को शामिल किया। पाकिस्तान एल हिं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ट्वीट में कहा, ”एलसीएच प्रचंड को शामिल किया जाना हमारे राष्ट्र को मजबूत बनाने और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने के 130…
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US ने चिनूक हेलीकॉप्टरों में लग रही आग के चलते लगाया ब्रेक; इंतजार कर रहा है भारत
US ने चिनूक हेलीकॉप्टरों में लग रही आग के चलते लगाया ब्रेक; इंतजार कर रहा है भारत
अमेरिकी सेना ने चिनूक हेलीकॉप्टरों की उड़ान पर रोक लगा दी है। जानकारी के अनुसार, सीएच-47 चिनूक हेलिकॉप्टरों के इंजन पर आग लगने का खतरा पाए जाने के बाद यह फैसला लिया गया है। अमेरिका के इस कदम ने भारत को तगड़ा झटका दिया है। दरअसल, भारतीय वायुसेना (आईएएफ) भी चिनूक हेलीकॉप्टरों का एक बेड़ा संचालित करता है। ��ेलीकॉप्टरों में आग लगने का खतरा आईएएफ के लिए चिंता का विषय है। भारत ने अमेरिका से मामले में…
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भारतीय वायुसेना के पास मौजूद है विमानों का विशाल बेड़ा, ताकत देखकर थर्र थर्र कांपता है दुश्मन
भारतीय वायुसेना के पास मौजूद है विमानों का विशाल बेड़ा, ताकत देखकर थर्र थर्र कांपता है दुश्मन
भारतीय वायु सेना दिवस: भारतीय कार्य दिवस 89वां स्थापना दिवस है। ख्याति प्राप्त व्यक्ति 8 1932 को. देश के स्वाधीन होने से पहले, जैसा कि अधिकार से प्रसारित किया गया था (प्रसारण के लिए) I फ्री के बाद के बाद के नाम में से “रोयल” को हटा दिया गया है। प्रभावी प्रभावी बैरट्र दिन के हिसाब से समय पर जाँच करें। पहली बार स्मृति का इतिहास 1 अप्रैल 1933 को संपर्क में शामिल किया गया था। थॉम्स डब्ल्यू…
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फ्रांस से 3 और राफेल लड़ाकू विमान भारत पहुंचे, रास्ते में UAE एयरफोर्स ने भरा ईंधन Divya Sandesh
#Divyasandesh
फ्रांस से 3 और राफेल लड़ाकू विमान भारत पहुंचे, रास्ते में UAE एयरफोर्स ने भरा ईंधन
नई दिल्ली फ्रांस से राफेल लड़ाकू विमानों की चौथी खेप भारत पहुंच चुकी है। बुधवार को तीन राफेल लड़ाकू विमान भारत की धरती पर उतरे। अगले महीने अभी 7 और भारत आ सकते हैं। राफेल लड़ाकू विमानों की चौथी खेप के तहत आने वाले इन विमानों ने फ्रांस के इस्तरेस एयर बेस से भारत के लिए नॉन-स्टॉप उड़ान भरी। बीच में यूएई एयरफोर्स ने बीच हवा में इन विमानों में ईंधन भरा। इसके साथ ही भारत के पास अब 14 राफेल लड़ाकू विमान हो चुके हैं।
यूएई एयरफोर्स के टैंकर ने बीच हवा में राफेल में भरा ईंधन इंडियन एयरफोर्स ने ट्वीट कर 3 और राफेल विमानों के भारत उतरने की जानकारी दी। एयरफोर्स ने ट्वीट किया, ‘फ्रांस के इस्तरेस एयरबेस से डायरेक्ट फ्लाइट के जरिए 3 राफेल की चौथी खेप भारतीय जमीन पर उतर चुकी है।’ एक अन्य ट्वीट में वायु सेना ने लिखा, ‘यूएई एयरफोर्स के टैंकरों ने फ्लाइट के दौरान राफेल में ईंधन भरा। यह दोनों देशों की वायु सेनाओं के बीच मजबूत होते रिश्तों की कड़ी में एक और मील का पत्थर है। शुक्रिया यूएई एयरफोर्स।’ वायुसेना ने इसके साथ राफेल की लैंडिंग का एक वीडियो क्लिप भी शेयर किया है।
2015 में फ्रांस के साथ 36 राफेल लड़ाकू विमानों का हुआ था सौदा राफेल विमानों का पहला स्क्वॉड्रन अंबाला वायुसेना स्टेशन पर तैनात है। विमानों की पहली खेप पिछले साल 29 जुलाई को फ्रांस से भारत आई थी। भारत ने 59 हजार करोड़ रुपये में 36 लड़ाकू विमान खरीदने के लिए साल 2015 में फ्रांस सरकार के साथ करार पर दस्तखत किए थे।
पिछले साल सितंबर में वायु सेना में शामिल हुआ था राफेल पिछले साल 10 सितंबर को अंबाला में हुए एक कार्यक्रम में राफेल लड़ाकू विमानों को औपचारिक रूप से वायुसेना के बेड़े में शामिल क�� लिया गया था। तीन विमानों की दूसरी खेप तीन नवंबर को भारत आई थी जबकि तीन और विमानों की तीसरी खेप 27 जनवरी को यहां पहुंची थी।
भारत-चीन-भूटान के त्रिकोण पर स्थित हाशिमारा में होगा राफेल का दूसरा स्क्वॉड्रन अंबाला के बाद अब पश्चिम बंगाल के हाशिमारा में राफेल का दूसरा स्क्वॉड्रन बनाया जा रहा है। राफेल विमान के दूसरे स्क्वॉड्रन को हाशिमारा में मुख्य संचालन अड्डे पर मुस्तैद किया जाएगा। भारत को अगले कुछ महीनों में फ्रांस से और विमान मिलने की उम्मीद हैं। एक स्क्वॉड्रन में लगभग 18 विमान होते हैं।
2023 तक भारत को मिल जाएंगे सभी 36 राफेल पांच राफेल विमानों का पहला बेड़ा 29 जुलाई को भारत पहुंचा था। इससे करीब चार साल पहले भारत ने फ्रांस के साथ 59,000 करोड़ रुपये की लागत से, ऐसे 36 विमान खरीदने के लिए करार किया था। राफेल विमानों के पहले बैच को 10 सितंबर को वायु सेना में शामिल किया गया था। वायु सेना प्रमुख आर के एस भदौरिया ने पांच अक्टूबर को कहा था कि 2023 तक सभी 36 राफेल विमान वायु सेना में शामिल कर लिये जाएंगे। इससे पहले तक भारत को 11 राफेल लड़ाकू विमानों की आपूर्ति हो चुकी थी जो पहले से ही अंबाला की 17वीं गोल्डन एरो स्क्वॉड्रन का हिस्सा हैं। अब भारत के पास कुल 14 राफेल लड़ाकू विमान हो चुके हैं।
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India's Rafale Jets Fastest, Most Advanced As Of Now, Says Pilot
India’s Rafale Jets Fastest, Most Advanced As Of Now, Says Pilot
स्क्वाड्रन लीडर सार्थक कुमार ने कहा, “राफेल बेड़ा किसी भी ऑपरेशन को करने के लिए तैयार है।” जोधपुर: भारतीय वायु सेना के (IAF) राफेल फाइटर जेट पायलट और स्क्वाड्रन लीडर सार्थक कुमार ने शनिवार को दावा किया कि बल राफेल जेट के अपने बेड़े के साथ लेह से कन्याकुमारी तक किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है। 20 से 24 जनवरी तक होने वाले वायुसेना स्टेशन जोधपुर में भारतीय वायुसेना और फ्रांसीसी वायु और…
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भारत को आज मिलेंगी राफेल की दूसरी खेप
इंडियन एयर फाॅर्स को आज और तीन राफेल लड़ाकू विमान मिलने वालें हैं. तीनों राफेल विमान आज शाम तक अंबाला एयरबेस पर पहुंचेंगे. इससे पहले फ्रांस से पांच राफेल विमानों का पहला बेड़ा 28 जुलाई 2020 को भारत पहुंचा था. जिन्हें 10 सितंबर को भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया था. भारत ने फ्रांस से 36 राफेल विमान खरीदने का एग्रीमेंट किया है.
तीन और नए लड़ाकू विमानों की लैंडिंग के साथ ही भारत में राफेल विमानों की संख्या आठ हो जाएगी. राफेल लड़ाकू विमानों की तैनाती लाइन ऑफ एक्चुअव कंट्रोल पर चीन के साथ जारी तनाव के बीच उन्हें लद्दाख में तैनात किया गया. राफेल के लिए भारतीय वायुसेना के पायलटों को फ्रांस में ट्रेनिंग दी जा रही है.
फ्रांस की कंपनी दसॉ एविएशन से पांच राफेल विमानों का पहला बेड़ा 28 जुलाई को भारत पहुंचा था. इस बेड़े ने फ्रांस से उड़ान भरने के बाद संयुक्त अरब अमीरात में ईंधन भरा गया था. राफेल के पहले बेड़े को जब वायुसेना में शामिल किया गया था तब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसे गेम चेंजर करार दिया था. उनका कहना था कि राफेल के साथ वायुसेना ने टेक्नोलॉजी के स्तर पर बढ़त हासिल कर ली है. यह नवीनतम हथियारों और सुपीरियर सेंसर से लैस लड़ाकू विमान है.
नहीं रहें फिल्म मेहँदी के एक्टर फराज खान
भारत को फ्रांस से कुल 21 राफेल विमान मिलेंगे. अगले साल अप्रैल तक भारत को ये लड़ाकू विमान मिल जाएंगे. नवंबर के बाद जनवरी में फ्रांसीसी कंपनी दसॉ एविएशन 3 और राफेल विमानों की डिलीवरी देगी. फिर मार्च में तीन और विमान भारत को सौंपा जाएगा. इसी तरह 2021 में भारत को फ्रांस 7 और राफेल विमानों को भारत को सौंपा जाएगा. इस तरह से भारत को अप्रैल तक कुल 21 राफेल विमान मिल जाएंगे.
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भारत को राफेल मिलने पर चीन के बाद भड़का पाकिस्तान
भारत को राफेल मिलने पर चीन के बाद भड़का पाकिस्तान
नये और अत्याधुनिक पांच राफेल (Rafale) लड़ाकू विमानों का बेड़ा बुधवार को अंबाला एयर बेस पहुंच गया. इन विमानों के वायुसेना में शामिल होने के बाद देश को आस-पड़ोस के प्रतिद्वंद्वियों की हवाई युद्धक क्षमता पर बढ़त हासिल हो जाएगी
नहीं रहें राज्यसभा सांसद व पूर्व सपा नेता अमर सिंह,बीमारी के चलते हुआ निधन
फ्रांस से राफेल आने के बाद भारतीय वायुसेना की ताकत में जहां एक ओर कई गुना इजाफा हुआ है वहीं पड़ोसी…
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बेहद घातक हैं राफेल में लगने वाले हथियार, लगी हैं ऐसी मिसाइलें जो पलभर में पलट सकती हैं बाजी
बेहद घातक हैं राफेल में लगने वाले हथियार, लगी हैं ऐसी मिसाइलें जो पलभर में पलट सकती हैं बाजी
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Image Source : INDIA TV Rafale fighter jet firepower
नई दिल्ली: राफेल लड़ाकू विमान इसी महीने भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल हो जाएंगे। बताया गया है कि जुलाई के अंत तक पांच राफेल विमानों का बेड़ा भारत पहुंच जाएगा और अगर मौसम ठीक रहा तो 29 जुलाई को अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर इन्हें वायुसेना में शामिल कर लिया जाएगा। इसके शामिल होने के बाद भारतीय वायुसेना की ताकत कई…
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#Dassault Rafale#Defense Minister Rajnath Singh#first Rafale jet to India#Missile maker MBDA#rafale#Rafale with Meteor and Scalp missiles#Rajnath Singh
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सीमा के पास दिखे पाक ड्रोन और एफ-16, भारतीय वायु सेना के सुखोई-30 ने खदेड़ा
ले पंगा न्यूज डेस्क, अशोक योगी। भारतीय वायु सेना ने सीमा पर एक बार फिर पाकिस्तान की बड़ी साजिश को नाकाम कर दिया है। पाकिस्तान ने तड़के तीन बजे पंजाब सीमा पर टोह लेने के लिए एफ-16 लड़ाकू विमानों का एक बेड़ा भेजा था। बेड़े में चार लड़ाकू विमान थे। लड़ाकू विमान नजर आने के बाद वहां सुखोई -30 लड़ाकू जेट विमानों को लगा दिया। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सीमा पर मानवरहित यान के उड़ते हुए नजर आने के बाद सुखोई -30 एम��ेआई जेट विमान तैनात कर दिए गए। जेट के हरकत में आने के बाद ड्रोन पाकिस्तानी क्षेत्र में लौट गया। बालाकोट हवाई हमले के बाद पिछले चार हफ्ते में विभिन्न क्षेत्रों में पाकिस्तानी ड्रोनों के भारत-पाकिस्तान सीमा के बिल्कुल करीब आ जाने की कई घटनाएं सामने आयी हैं।
भारतीय वायुसेना ने पहले भी किया था लड़ाकू विमान को नष्ट कुछ दिन पहले भी पाकिस्तान का एक मानवरहित यान राजस्थान के गंगानगर में घुस आया था जिसे सेना ने मार गिराया। पिछले महीने ही भारत-पाक सीमा के बीकानेर सेक्टर में भारतीय वायुसेना के सुखोई -30 लड़ाकू जेट ने हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल की मदद से पाकिस्तानी सैन्य ड्रोन को नष्ट कर दिया था।
पुलवामा हमले के बाद दोनों देशों के बीच बढ़ा तनाव गौरतलब है कि पाकिस्तान के बालाकोट में 26 फरवरी को जैश ए मोहम्मद के प्रशिक्षण शिविर पर भारतीय वायुसेना के जंगी विमानों द्वारा बमबारी करने के बाद दोनों देशों के बीच तनाव का माहौल बन गया था। पाकिस्तान ने अगले दिन भारतीय सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने की कोशिश की थी लेकिन भारतीय वायुसेना ने उसकी योजना नाकाम कर दी थी। बालाकोट हवाई हमले से 12 दिन पहले कश्मीर के पुलवामा में आत्मघाती हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हुए थे। जैश ए मोहम्मद ने पुलवामा हमले की जिम्मेदारी ली थी। #IAFattack #PAK16s #IAFscramblesjets #PakF-16sdetectednearPunjab #punjab #UAV
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चीन की हर हरकतों को मिलेगा जवाब, वायुसेना चीफ आरकेएस भदौरिया ने तैयारियों का लिया जायजा
india and china standoff: लद्दाख में चीन में किसी भी प्रकार की हिमाकत का जवाब देने के लिए भारत ने कमर कस लिया है। वायुसेना, सेना, नौसेना अलर्ट मोड में हैं। इस बीच, एयरचीफ आरकेएस भदौरिया ने लेह और श्रीनगर एयरबेस का दौरा कर तैयारियां का जायजा लिया है।
Edited By Satyakam Abhishek | एएनआई | Updated: 19 Jun 2020, 02:32:00 PM IST
चीन की वो तीन दुखती रग जिन्हें दबा सकता है भारत
हाइलाइट्स
वायुसेना चीफ ने आरकेएस भदौरिया ने किया लेह एयरबेस का दौरा
एयरचीफ ने ऑपरेशनल तैयारियों का लिया जायजा
वायुसेना के लड़ाकू विमान किसी भी प्रकार की स्थिति के लिए पूरी तरह तैयार
बता दें कि गलवान घाटी में भारत-चीन के सैनिकों के बीच झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे
नई दिल्ली लद्दाख में चीन के साथ तनाव चरम पर है। अब भारत धोखेबाज चीन को हर तरीके से सबक सिखाने की तैयारी कर रहा है। सेना, वायुसेना और नेवी को हाई अलर्ट पर रखा गया है। वायुसेना अपने लड़ाकू विमानों को फॉरवर्ड बेस में तैनात कर रही है। इस बीच, ��ायुसेना चीफ आरएकएस भदौरिया ने लेह और श्रीनगर एयरबेस का दौरा किया है। इसे चीन को बड़े संकेत देने के तौर पर देखा जा रहा है। यहां से लद्दाख में किसी भी ऑपरेशन को तत्काल अंजाम दिया जा सकता है। पढ़ें, मिसाइल से खतरनाक चीन का यह अखबार चीन को यहां से मिलेगा करारा जवाब बता दें कि पूर्वी लद्दाख इलाके में किसी भी प्रकार का ऑपरेशन के लिए ये दोनों एयरबेस बेहद अहम है। भदौरिया का यह दौरा बेहद अहम माना जा रहा है क्योंकि गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ झड़प में भारत के 20 जवानों की शहादत के बाद तीनों सेना के चीफ ने मौजूदा हालत का जायजा लिया था। इस बैठक के कुछ दिन बाद ही भदौरिया इस दौरे पर आए हैं।
सरकारी सूत्रों ने ANI को बताया, ‘एयरफोर्स चीफ दो दिन के दौरे पर आए थे और ऑपरेशनल जायजा लिया।’ बता दें कि चीन के लद्दाख सीमा पर उकसावे की कार्रवाई कर रहा है और यहां 10 हजार सैनिकों की तैनाती कर रखा है।
यह भी पढ़ें,लद्दाख: ‘वे ढाई हजार थे और हम 300 फिर…’
1962 से उल्टी है आज की स्थिति
1962 में हिमालयी क्षेत्र में जब धोखे से चीन ने भारत पर आक्रमण कर दिया था तब भारतीय सेना इस ऊंचाई वाले इलाके में युद्ध लड़ने के लिए तैयार नहीं थी। एक महीने तक चले मुकाबले में चीनी सेना ने अक्साई चिन पर कब्जा कर युद्धविराम की घोषणा कर दी थी। चीन ने दावा किया कि इस युद्ध में उसके 700 सैनिक मारे गए, जबकि भारतीय सेना के हजार से ज्यादा सैनिक शहीद हुए।
पारंपरिक रूप से माना जाता है कि चीन सैन्य ताकत के मामले में भारत के काफी आगे है। लेकिन, बोस्टन में हार्वर्ड केनेडी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट में बेलफर सेंटर और वाशिंगटन में एक नई अमेरिकी सुरक्षा केंद्र के हालिया अध्ययन में कहा है कि भारतीय सेना उच्च ऊंचाई वाले इलाकों में लड़ाई के मामले में माहिर है। चीनी सेना इसके आसपास भी नहीं फटकती है।
भारत चीन के बीच युद्ध की संभावनाएं वैसे बहुत कम है, लेकिन चीन की शरारत को देखते हुए इसे पूरी तरह से नकारा भी नहीं जा सकता। विशेषज्ञों ने कहा कि युद्ध की स्थिति में भी दोनों देश अपने परमाणु हथियारों के जखीरे के इस्तेमाल से बचना चाहेंगे। क्योंकि इस मामले में दोनों देश लगभग बराबर की स्थिति में हैं। दोनों देश आज क�� समय में जल, थल और नभ से परमाणु हमला करने की ताकत रखते हैं। बता दें कि चीन 1964 में परमाणु शक्ति संपन्न देश बना था, जबकि भारत 1974 में। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के 2020 में जारी रिपोर्ट के अनुसार, चीन के पास लगभग 320 परमाणु बम हैं और भारत के पास 150 से अधिक हैं। दोनों देश दोनों एक “नो फर्स्ट यूज” पॉलिसी की बात करते हैं।
बेलफर सेंटर के मार्च में प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार, भारत के पास लगभग 270 लड़ाकू विमान और 68 ग्राउंड अटैक फाइटर जेट हैं। वहीं, भारत ने पिछले कुछ दशकों में चीन से लगी सीमा पर कई हवाई पट्टियों का निर्माण किया है जहां से ये फाइटर जेट आसानी से उड़ान भर सकते हैं। वहीं, इस स्टडी के अनुसार, चीन के पास 157 फाइटर जेट्स और एक छोटा ड्रोन का बेड़ा भी है। इस स्टडी में बताया गया है कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी एयरफोर्स भारत से लगी सीमा क्षेत्र में आठ ठिकानों का उपयोग करती है, लेकिन इनमें से अधिकांश नागरिक हवाई क्षेत्र हैं।
बेलफर सेंटर की इस स्टडी के अनुसार, भारतीय वायुसेना के मिराज 2000 और सुखोई एसयू 30 लड़ाकू विमान को चीन के जे-10, जे-11 और एसयू-27 लड़ाकू विमानों पर बढ़त हासिल है। चीन ने भारत से लगी सीमा पर इन्हीं विमानों को तैनात किया है। भारतीय मिराज 2000 और एसयू -30 जेट्स ऑल-वेदर, मल्टी-रोल विमान हैं जबकि चीन का जे-10 ही ऐसी योग्यता रखता है। बेलफर की स्टडी बताती है कि चीन ने अपने पूर्वी और दक्षिणी हिस्सों को अमेरिका के कथित खतरे से बचाने के लिए मजबूत किया है। इस कारण पश्चिमी क्षेत्र में उसके चार एयरफील्ड कमजोर हुए हैं।
अध्ययन में दावा किया गया है कि तिब्बत और शिनजियांग में चीनी हवाई ठिकानों की अधिक ऊंचाई, क्षेत्र में आम तौर पर कठिन भौगोलिक और मौसम की स्थिति के कारण चीनी लड़ाकू विमान अपने आधे पेलोड और ईंधन के साथ ही उड़ान भर सकते हैं। जबकि, भारतीय लड़ाकू विमान पूरी क्षमता के साथ हमला कर सकते हैं। चीन के एरियल रिफ्यूलिंग कैपसिटी मतलब हवा में ईंधन भरने की क्षमता भी कम है। उसके पास पर्याप्त संख्या में एरियल टैंकर नहीं हैं।
सीएनएएस की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की थल सेना हर परिस्थिति में चीनी सेना से बेहतर और अनुभवी है। भारतीय सेना के पास युद्ध का बड़ा अनुभव है जो विश्व में शायद ही किसी और देश के पास हो। वर्तमान समय में भी भारतीय सेना कश्मीर में आतंकवाद और पाकिस्तान से लड़ाई लड़ रही है। भारतीय सेना को सीमित और कम तीव्रता वाले संघर्षों में महारत हासिल है, जबकि चीन की पीएलए ने 1979 में वियतनाम के साथ अपने संघर्ष के बाद से युद्ध की क्रूरता का अनुभव नहीं किया है।
कंबोडिया में वियतनाम के सैन्य हस्तक्षेप के जवाब में चीन ने 1979 में महीने भर तक युद्ध क���या था। माना जाता है कि अपनी हार को नजदीक देख चीनी सेना भाग खड़ी हुई थी। अमेरिकी सेना से युद्ध लड़ने के कारण अधिक अनुभवी वियतनामी सैनिक चीन पर भारी पड़े और उन्हें जमकर नुकसान पहुंचाया था। चीन के सेना की संख्या भ्रामक भी हो सकती है। चीन अपनी सेना की जो संख्या बताता है उसमें भी बड़ी गड़बड़ी है।
चीन के पीएलए में शामिल सैन्य इकाइयां शिनजियांग या तिब्बत में विद्रोह को दबाने या रूस के साथ चीन की सीमा पर किसी भी संभावित संघर्ष से निपटने के लिए सौंपी गई हैं। यहां से भारतीय सीमा पर फौज को लेकर जाना चीन के लिए संभव नहीं है क्योंकि भारतीय वायुसेना चीन की रेललाइनों को निशाना बना सकती है। वहीं, भारतीय सेना पहले से ही इन इलाकों में बड़ी संख्या में मौजूद है।
लेह से श्रीनगर सब चाक-चौबंद अपने दौरे के पहले चरण में एयरचीफ 17जून को लेह पहुंचे थे जहां से वह श्रीनगर एयरबेस 18 जून को गए। ये दोनों एयरबेस पूर्वी लद्दाख इलाके के करीब है और किसी भी लड़ाकू विमान के लिए यहां उड़ान भरना आसान है और यहां से चीन पर भारत को बढ़त भी हासिल है। जब वायुसेना चीफ की यात्रा की पुष्टि के लिए IAF के प्रवक्ता विंग कमांडर इंद्रनील नंदी से संपर्क किया गया तो उन्होंने इसपर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
वायुसेना की बड़ी तैयारी चीन की नापाक हरकत को देखते हुए वायुसेना ने सुखोई 30MKI, मिराज 2000 और जगुआर लड़ाकू विमान को फ्रंटलाइन पर पहुंचा दिया है। जहां से ये विमान शॉर्ट नोटिस पर ऑपरेशन को अंजाम दे सकते हैं। भारतीय सेना को पूर्वी लद्दाख सेक्टर में सपोर्ट के लिए अमेरिकी अपाचे हेलीकॉप्टर को भी नजदीक में ही तैनात किया गया है। चिनूक हेलीकॉप्टर को भी लेह एयरबेस के करीब तैनात कर दिया गया है। MI-17V75 हेलीकॉप्टर को मटिरियल ढोने के लिए तैनात कर दिया गया है।
नेपाली सेना ने भारतीय सीमा पर बनाईं चौकियां
लद्दाख और तिब्बत इलाके के कई बेस लेह, श्रीनगर, अवंतिपुर, बरेली, आदमपुर, हलवारा (लुधियाना), अंबाला, सिरसा में भारतीय वायुसेना के विमान अलर्ट मोड में हैं। यही नहीं, भारतीय वायुसेना ने चीनी हेलीकॉप्टर के भारतीय वायु सीमा के उल्लंघन करने की कोशिश के बाद ही वहां Su-30 टोही विमान को तैनात कर दिया था।
वायुसेना चीफ आरकेएस भदौरिया (फाइल फोटो)
Web Title india and china tension: iaf chief visits leh to review ladakh operations, fighter aircraft moved to forward bases(Hindi News from Navbharat Times , TIL Network)
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DGCA की गलती से पाक में एफ-16 से घिर गया था विमान
स्पाइसजेट के एक विमान को पाकिस्तान में एफ- 16 फाइटर जेट्स से घेरे जाने के मामले में नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) के ही एक अधिकारी की चूक सामने आई है। पता चला है कि उस अधिकारी ने इस यात्री विमान को कमर्शल एयरलाइनर की जगह मिलिट्री का ट्रांसपोंडर कोड दे दिया था। स्पाइसजेट का वह विमान पिछले महीने दिल्ली से उड़ान भरकर काबुल जा रहा था जब पाकिस्तान के आसमान में बेहद भयावह स्थिति का सामना करना पड़ा। मिलिट्री ट्रांसपोंडर कोड इस मामले में कमर्शल कोड से अलग होता कि मिलट्री कोड वाले विमान उड़ान के किसी भी रास्ते पर रहे तो निश्चित तौर पर रेडार की पकड़ में आ जाए। एक सीनियर अधिकारी ने बताया, डीजीसीए का एक अधिकारी इस लापरवाही के लिए सस्पेंड कर दिया गया है। सूत्रों का कहना है कि स्पाइसजेट एयरक्राफ्ट को गलती से एन 32 कोड दिया गया था जिसका इस्तेमाल भारतीय वायु सेना करती है। यह गलती उस वक्त हुई जब जेट एयरवेज का संचालन बंद होने के बाद स्पाइसजेट अपने वायुयानों का बेड़ा तेजी से बढ़ा रहा था। डीजीसीए अधिकारी की यह चूक इतनी गंभीर थी कि पाकिस्तानी एफ- 16 ने बिना नुकसान पहुंचाए स्पाइसजेट एयरक्राफ्ट को अपनी सीमा से बाहर किया तो भारतीय अधिकारियों ने व्यक्तिगत तौर पर पाकिस्तानी अधिकारियों को धन्यवाद कहा। पाकिस्तान ने भारतीय वायुसेना द्वारा फरवरी महीने के आखिर में बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद भारतीय विमानों के लिए अपना एयरस्पेस बंद कर दिया था। उसने 16 जुलाई को ही दोबारा अपना एयरस्पेस खोला था और महीने बाद ही यह घटना हो गई। इस नजरिए से भी बेहद गंभीर इस वाकये को पाकिस्तानी अथॉरिटीज ने बहुत ज्यादा तूल नहीं दिया। भारतीय अथॉरिटीज ने इसे बेहद संवेदनशीलता से सुलझा लेने के लिए उसका शुक्रिया कहा। लाहौर की एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) स्पाइसजेट को मिले मिलिट्री ट्रांसपोडर कोड से इस उलझन में पड़ गया कि यात्री विमान जैसा दिख रहा एयरक्राफ्ट उसे मिलिट्री कोड कैसे दे रहा है। घटना की गंभीरता के कारण प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने भी इसकी समीक्षा की और डीजीसीए अधिकारी को निलंबित कर दिया गया। DGCA ने एयरक्राफ्ट्स को ट्रांसपोर्डर कोर्ड के अलॉटमेंट सिस्टम कंप्यूटराइज्ड कर दिया ताकि इस तरह की मानवीय चूक दोबारा नहीं हो। Read the full article
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पीएम मोदी ने ट्वीट कर रफेल जेट्स का किया स्वागत
नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय सुरक्षा के महत्व को रेखांकित करते हुए संस्कृत में एक ट्वीट के साथ आज अंबाला में उतरने वाले राफेल विमानों के पहले बैच का स्वागत किया है। तथा साथ ही साथ राफेल जेट के एक वीडियो को अंबाला हवाई अड्डे पर लैंडिंग करते हुए साझा भी किये, पीएम नरेंद्र मोदी ने लिखा कि राष्ट्र को सुरक्षित करने से बड़ा कोई पुण्य नहीं हैं। राष्ट्र को सुरक्षित करने से बड़ा कोई उपवास नहीं है। राष्ट्र को सुरक्षित करने से बड़ा कोई काम नहीं है।
इससे पहले आज अंबाला हवाई अड्डे पर पांच फ्रांसीसी निर्मित राफेल मल्टी-रोल लड़ाकू जेट विमान का एक बेड़ा छू गया, जहां उनका स्वागत एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने किया। विमान फ्रांसीसी बंदरगाह शहर बोर्डो के मेरिग्नैक एयरबेस से 7,000 किमी की दूरी तय करने के बाद अंबाला वायुसेना अड्डे पर उतरा। भारतीय वायु अंतरिक्ष में प्रवेश करने के बाद राफल्स को दो सुखोई 30 एमकेआई द्वारा बचा लिया गया था।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट किया, “अंबाला में पक्षी सुरक्षित रूप से उतर गए हैं।” उन्होंने कहा, “भारत में राफेल लड़ाकू विमानों का टच डाउन हमारे सैन्य इतिहास में एक नए युग की शुरुआत है। ये मल्टीरोल विमान भारतीय वायुसेना की क्षमताओं में क्रांति लाएंगे |”
तीन सिंगल सीटर और दो ट्विन सीटर विमानों वाले इस बेड़े को IAF में अपने अंबाला स्थित नो 17 स्क्वाड्रन के हिस्से के रूप में शामिल किया जा रहा है, जिसे ‘गोल्डन एरो’ भी कहा जाता है। सोमवार को एक सरकारी बयान में कहा गया कि 10 राफेल जेट भारत को दिए गए और उनमें से पांच फ्रांस में प्रशिक्षण मिशन के लिए वापस आ रहे हैं। सभी 36 विमानों की डिलीवरी 2021 के अंत तक तय समय पर पूरी हो जाएगी।
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चीन की हर हरकतों को मिलेगा जवाब, वायुसेना चीफ आरकेएस भदौरिया ने तैयारियों का लिया जायजा
india and china standoff: लद्दाख में चीन में किसी भी प्रकार की हिमाकत का जवाब देने के लिए भारत ने कमर कस लिया है। वायुसेना, सेना, नौसेना अलर्ट मोड में हैं। इस बीच, एयरचीफ आरकेएस भदौरिया ने लेह और श्रीनगर एयरबेस का दौरा कर तैयारियां का जायजा लिया है।
Edited By Satyakam Abhishek | एएनआई | Updated: 19 Jun 2020, 02:32:00 PM IST
चीन की वो तीन दुखती रग जिन्हें दबा सकता है भारत
हाइलाइट्स
वायुसेना चीफ ने आरकेएस भदौरिया ने किया लेह एयरबेस का दौरा
एयरचीफ ने ऑपरेशनल तैयारियों का लिया जायजा
वायुसेना के लड़ाकू विमान किसी भी प्रकार की स्थिति के लिए पूरी तरह तैयार
बता दें कि गलवान घाटी में भारत-चीन के सैनिकों के बीच झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे
नई दिल्ली लद्दाख में चीन के साथ तनाव चरम पर है। अब भारत धोखेबाज चीन को हर तरीके से सबक सिखाने की तैयारी कर रहा है। सेना, वायुसेना और नेवी को हाई अलर्ट पर रखा गया है। वायुसेना अपने लड़ाकू विमानों को फॉरवर्ड बेस में तैनात कर रही है। इस बीच, वायुसेना चीफ आरएकएस भदौरिया ने लेह और श्रीनगर एयरबेस का दौरा किया है। इसे चीन को बड़े संकेत देने के तौर पर देखा जा रहा है। यहां से लद्दाख में किसी भी ऑपरेशन को तत्काल अंजाम दिया जा सकता है। पढ़ें, मिसाइल से खतरनाक चीन का यह अखबार चीन को यहां से मिलेगा करारा जवाब बता दें कि पूर्वी लद्दाख इलाके में किसी भी प्रकार का ऑपरेशन के लिए ये दोनों एयरबेस बेहद अहम है। भदौरिया का यह दौरा बेहद अहम माना जा रहा है क्योंकि गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ झड़प में भारत के 20 जवानों की शहादत के बाद तीनों सेना के चीफ ने मौजूदा हालत का जायजा लिया था। इस बैठक के कुछ दिन बाद ही भदौरिया इस दौरे पर आए हैं।
सरकारी सूत्रों ने ANI को बताया, ‘एयरफोर्स चीफ दो दिन के दौरे पर आए थे और ऑपरेशनल जायजा लिया।’ बता दें कि चीन के लद्दाख सीमा पर उकसावे की कार्रवाई कर रहा है और यहां 10 हजार सैनिकों की तैनाती कर रखा है।
यह भी पढ़ें,लद्दाख: ‘वे ढाई हजार थे और हम 300 फिर…’
1962 से उल्टी है आज की स्थिति
1962 में हिमालयी क्षेत्र में जब धोखे से चीन ने भारत पर आक्रमण कर दिया था तब भारतीय सेना इस ऊंचाई वाले इलाके में युद्ध लड़ने के लिए तैयार नहीं थी। एक महीने तक चले मुकाबले में चीनी सेना ने अक्साई चिन पर कब्जा कर युद्धविराम की घोषणा कर दी थी। चीन ने दावा किया कि इस युद्ध में उसके 700 सैनिक मारे गए, जबकि भारतीय सेना के हजार से ज्यादा सैनिक शहीद हुए।
पारंपरिक रूप से माना जाता है कि चीन सैन्य ताकत के मामले में भारत के काफी आगे है। लेकिन, बोस्टन में हार्वर्ड केनेडी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट में बेलफर सेंटर और वाशिंगटन में एक नई अमेरिकी सुरक्षा केंद्र के हालिया अध्ययन में कहा है कि भारतीय सेना उच्च ऊंचाई वाले इलाकों में लड़ाई के मामले में माहिर है। चीनी सेना इसके आसपास भी नहीं फटकती है।
भारत चीन के बीच युद्ध की संभावनाएं वैसे बहुत कम है, लेकिन चीन की शरारत को देखते हुए इसे पूरी तरह से नकारा भी नहीं जा सकता। विशेषज्ञों ने कहा कि युद्ध की स्थिति में भी दोनों देश अपने परमाणु हथियारों के जखीरे के इस्तेमाल से बचना चाहेंगे। क्योंकि इस मामले में दोनों देश लगभग बराबर की स्थिति में हैं। द��नों देश आज के समय में जल, थल और नभ से परमाणु हमला करने की ताकत रखते हैं। बता दें कि चीन 1964 में परमाणु शक्ति संपन्न देश बना था, जबकि भारत 1974 में। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के 2020 में जारी रिपोर्ट के अनुसार, चीन के पास लगभग 320 परमाणु बम हैं और भारत के पास 150 से अधिक हैं। दोनों देश दोनों एक “नो फर्स्ट यूज” पॉलिसी की बात करते हैं।
बेलफर सेंटर के मार्च में प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार, भारत के पास लगभग 270 लड़ाकू विमान और 68 ग्राउंड अटैक फाइटर जेट हैं। वहीं, भारत ने पिछले कुछ दशकों में चीन से लगी सीमा पर कई हवाई पट्टियों का निर्माण किया है जहां से ये फाइटर जेट आसानी से उड़ान भर सकते हैं। वहीं, इस स्टडी के अनुसार, चीन के पास 157 फाइटर जेट्स और एक छोटा ड्रोन का बेड़ा भी है। इस स्टडी में बताया गया है कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी एयरफोर्स भारत से लगी सीमा क्षेत्र में आठ ठिकानों का उपयोग करती है, लेकिन इनमें से अधिकांश नागरिक हवाई क्षेत्र हैं।
बेलफर सेंटर की इस स्टडी के अनुसार, भारतीय वायुसेना के मिराज 2000 और सुखोई एसयू 30 लड़ाकू विमान को चीन के जे-10, जे-11 और एसयू-27 लड़ाकू विमानों पर बढ़त हासिल है। चीन ने भारत से लगी सीमा पर इन्हीं विमानों को तैनात किया है। भारतीय मिराज 2000 और एसयू -30 जेट्स ऑल-वेदर, मल्टी-रोल विमान हैं जबकि चीन का जे-10 ही ऐसी योग्यता रखता है। बेलफर की स्टडी बताती है कि चीन ने अपने पूर्वी और दक्षिणी हिस्सों को अमेरिका के कथित खतरे से बचाने के लिए मजबूत किया है। इस कारण पश्चिमी क्षेत्र में उसके चार एयरफील्ड कमजोर हुए हैं।
अध्ययन में दावा किया गया है कि तिब्बत और शिनजियांग में चीनी हवाई ठिकानों की अधिक ऊंचाई, क्षेत्र में आम तौर पर कठिन भौगोलिक और मौसम की स्थिति के कारण चीनी लड़ाकू विमान अपने आधे पेलोड और ईंधन के साथ ही उड़ान भर सकते हैं। जबकि, भारतीय लड़ाकू विमान पूरी क्षमता के साथ हमला कर सकते हैं। चीन के एरियल रिफ्यूलिंग कैपसिटी मतलब हवा में ईंधन भरने की क्षमता भी कम है। उसके पास पर्याप्त संख्या में एरियल टैंकर नहीं हैं।
सीएनएएस की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की थल सेना हर परिस्थिति में चीनी सेना से बेहतर और अनुभवी है। भारतीय सेना के पास युद्ध का बड़ा अनुभव है जो विश्व में शायद ही किसी और देश के पास हो। वर्तमान समय में भी भारतीय सेना कश्मीर में आतंकवाद और पाकिस्तान से लड़ाई लड़ रही है। भारतीय सेना को सीमित और कम तीव्रता वाले संघर्षों में महारत हासिल है, जबकि चीन की पीएलए ने 1979 में वियतनाम के साथ अपने संघर्ष के बाद से युद्ध की क्रूरता का अनुभव नहीं किया है।
कंबोडिया में वियतनाम के सैन्य हस्तक्षेप के जवाब में चीन ने 1979 में महीने भर तक युद्ध किया था। माना जाता है कि अपनी हार को नजदीक देख चीनी सेना भाग खड़ी हुई थी। अमेरिकी सेना से युद्ध लड़ने के कारण अधिक अनुभवी वियतनामी सैनिक चीन पर भारी पड़े और उन्हें जमकर नुकसान पहुंचाया था। चीन के सेना की संख्या भ्रामक भी हो सकती है। चीन अपनी सेना की जो संख्या बताता है उसमें भी बड़ी गड़बड़ी है।
चीन के पीएलए में शामिल सैन्य इकाइयां शिनजियांग या तिब्बत में विद्रोह को दबाने या रूस के साथ चीन की सीमा पर किसी भी संभावित संघर्ष से निपटने के लिए सौंपी गई हैं। यहां से भारतीय सीमा पर फौज को लेकर जाना चीन के लिए संभव नहीं है क्योंकि भारतीय वायुसेना चीन की रेललाइनों को निशाना बना सकती है। वहीं, भारतीय सेना पहले से ही इन इलाकों में बड़ी संख्या में मौजूद है।
लेह से श्रीनगर सब चाक-चौबंद अपने दौरे के पहले चरण में एयरचीफ 17जून को लेह पहुंचे थे जहां से वह श्रीनगर एयरबेस 18 जून को गए। ये दोनों एयरबेस पूर्वी लद्दाख इलाके के करीब है और किसी भी लड़ाकू विमान के लिए यहां उड़ान भरना आसान है और यहां से चीन पर भारत को बढ़त भी हासिल है। जब वायुसेना चीफ की यात्रा की पुष्टि के लिए IAF के प्रवक्ता विंग कमांडर इंद्रनील नंदी से संपर्क किया गया तो उन्होंने इसपर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
वायुसेना की बड़ी तैयारी चीन की नापाक हरकत को देखते हुए वायुसेना ने सुखोई 30MKI, मिराज 2000 और जगुआर लड़ाकू विमान को फ्रंटलाइन पर पहुंचा दिया है। जहां से ये विमान शॉर्ट नोटिस पर ऑपरेशन को अंजाम दे सकते हैं। भारतीय सेना को पूर्वी लद्दाख सेक्टर में सपोर्ट के लिए अमेरिकी अपाचे हेलीकॉप्टर को भी नजदीक में ही तैनात किया गया है। चिनूक हेलीकॉप्टर को भी लेह एयरबेस के करीब तैनात कर दिया गया है। MI-17V75 हेलीकॉप्टर को मटिरियल ढोने के लिए तैनात कर दिया गया है।
नेपाली सेना ने भारतीय सीमा पर बनाईं चौकियां
लद्दाख और तिब्बत इलाके के कई बेस लेह, श्रीनगर, अवंतिपुर, बरेली, आदमपुर, हलवारा (लुधियाना), अंबाला, सिरसा में भारतीय वायुसेना के विमान अलर्ट मोड में हैं। यही नहीं, भारतीय वायुसेना ने चीनी हेलीकॉप्टर के भारतीय वायु सीमा के उल्लंघन करने की कोशिश के बाद ही वहां Su-30 टोही विमान को तैनात कर दिया था।
वायुसेना चीफ आरकेएस भदौरिया (फाइल फोटो)
Web Title india and china tension: iaf chief visits leh to review ladakh operations, fighter aircraft moved to forward bases(Hindi News from Navbharat Times , TIL Network)
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कैप्टन अमरिंदर ने गलवान हमले को बताया ‘भयावह और बर्बर’, पूछा- क्यों नहीं दी चीनी सैनिकों पर गोली चलाने की अनुमति?
पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amarinder Singh) ने पूछा है कि लद्दाख की गलवान घाटी (Galwan Valley) में चीनी सैनिकों ने जब भारतीय सेना के जवानों पर हमला किया तो ‘चीनियों पर गोली चलाने की अनुमति क्यों नहीं दी गई।
Edited By Sujeet Upadhyay | भाषा | Updated: 18 Jun 2020, 11:05:00 PM IST
पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह
हाइलाइट्स
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पूछा कि चीनी सैनिकों ने जब सेना के जवानों पर हमला किया तो गोली चलाने की अनुमति क्यों नहीं दी गई
सीएम ने कहा कि कोई अपना काम करने में नाकाम रहा। ‘वे वहां बैठकर क्या कर रहे थे जबकि उनके साथी मारे जा रहे थे।’
पंजाब के मुख्यमंत्री ने पूछा, ‘देश जानना चाहता है कि हमारे सैनिकों ने उस तरीके से जवाब क्यों नहीं दिया जैसी उन्हें ट्रेनिंग मिली है
चंडीगढ़ पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amarinder Singh) ने पूछा है कि लद्दाख की गलवान घाटी (Galwan Valley) में चीनी सैनिकों ने जब भारतीय सेना के जवानों पर हमला किया तो ‘चीनियों पर गोली चलाने की अनुमति क्यों नहीं दी गई। साथ ही सीएम ने कहा कि कोई अपना काम करने में नाकाम रहा। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कटाक्ष करते हुए कहा, ‘वे वहां बैठ कर क्या कर रहे थे जबकि उनके साथी मारे जा रहे थे।’ कैप्टन ने कहा कि अगर यूनिट के पास हथियार थे, जैसा कि अब दावा किया जा रहा है, तो यूनिट के उप कमांडर को उस वक्त गोली चलाने का आदेश देना चाहिये था जब कमांडिंग अधिकारी चीनियों के विश्वासघात के शिकार हुए। पंजाब के मुख्यमंत्री ने पूछा, ‘देश जानना चाहता है कि हमारे सैनिकों ने उस तरीके से जवाब क्यों नहीं दिया जैसा कि उन्हें प्रशिक्षित किया गया है। अगर उनके पास हथियार थे तो उन्होंने गोली क्यों नहीं चलाई।’ इस हमले को ‘भयावह और बर्बर’ करार देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि मोर्चे पर तैनात सैनिकों को ‘स्पष्ट रूप से यह कहा जाना चाहिए कि अगर वह हमारे एक जवान को मारते हैं तो तुम उनके तीन जवानों को मारो।
1962 से उल्टी है आज की स्थिति
1962 में हिमालयी क्षेत्र में जब धोखे से चीन ने भारत पर आक्रमण कर दिया था तब भारतीय सेना इस ऊंचाई वाले इलाके में युद्ध लड़ने के लिए तैयार नहीं थी। एक महीने तक चले मुकाबले में चीनी सेना ने अक्साई चिन पर कब्जा कर युद्धविराम की घोषणा कर दी थी। चीन ने दावा किया कि इस युद्ध में उसके 700 सैनिक मारे गए, जबकि भारतीय सेना के हजार से ज्यादा सैनिक शहीद हुए।
पारंपरिक रूप से माना जाता है कि चीन सैन्य ताकत के मामले में भारत के काफी आगे है। लेकिन, बोस्टन में हार्वर्ड केनेडी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट में बेलफर सेंटर और वाशिंगटन में एक नई अमेरिकी सुरक्षा केंद्र के हालिया अध्ययन में कहा है कि भारतीय सेना उच्च ऊंचाई वाले इलाकों में लड़ाई के मामले में माहिर है। चीनी सेना इसके आसपास भी नहीं फटकती है।
भारत चीन के बीच युद्ध की संभावनाएं वैसे बहुत कम है, लेकिन चीन की शरारत को देखते हुए इसे पूरी तरह से नकारा भी नहीं जा सकता। विशेषज्ञों ने कहा कि युद्ध की स्थिति में भी दोनों देश अपने परमाणु हथियारों के जखीरे के इस्तेमाल से बचना चाहेंगे। क्योंकि इस मामले में दोनों देश लगभग बराबर की स्थिति में हैं। दोनों देश आज के समय में जल, थल और नभ से परमाणु हमला करने की ताकत रखते हैं। बता दें कि चीन 1964 में परमाणु शक्ति संपन्न देश बना था, जबकि भारत 1974 में। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के 2020 में जारी रिपोर्ट के अनुसार, चीन के पास लगभग 320 परमाणु बम हैं और भारत के पास 150 से अधिक हैं। दोनों देश दोनों एक “नो फर्स्ट यूज” पॉलिसी की बात करते हैं।
बेलफर सेंटर के मार्च में प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार, भारत के पास लगभग 270 लड़ाकू विमान और 68 ग्राउंड अटैक फाइटर जेट हैं। वहीं, भारत ने पिछले कुछ दशकों में चीन से लगी सीमा पर कई हवाई पट्टियों का निर्माण किया है जहां से ये फाइटर जेट आसानी से उड़ान भर सकते हैं। वहीं, इस स्टडी के अनुसार, चीन के पास 157 फाइटर जेट्स और एक छोटा ड्रोन का बेड़ा भी है। इस स्टडी में बताया गया है कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी एयरफोर्स भारत से लगी सीमा क्षेत्र में आठ ठिकानों का उपयोग करती है, लेकिन इनमें से अधिकांश नागरिक हवाई क्षेत्र हैं।
बेलफर सेंटर की इस स्टडी के अनुसार, भारतीय वायुसेना के मिराज 2000 और सुखोई एसयू 30 लड़ाकू विमान को चीन के जे-10, जे-11 और एसयू-27 लड़ाकू विमानों पर बढ़त हासिल है। चीन ने भारत से लगी सीमा पर इन्हीं विमानों को तैनात किया है। भारतीय मिराज 2000 और एसयू -30 जेट्स ऑल-वेदर, मल्टी-रोल विमान हैं जबकि चीन का जे-10 ही ऐसी योग्यता रखता है। बेलफर की स्टडी बताती है कि चीन ने अपने पूर्वी और दक्षिणी हिस्सों को अमेरिका के कथित खतरे से बचाने के लिए मजबूत किया है। इस कारण पश्चिमी क्षेत्र में उसके चार एयरफील्ड कमजोर हुए हैं।
अध्ययन में दावा किया गया है कि तिब्बत और शिनजियांग में चीनी हवाई ठिकानों की अधिक ऊंचाई, क्षेत्र में आम तौर पर कठिन भौगोलिक और मौसम की स्थिति के कारण चीनी लड़ाकू विमान अपने आधे पेलोड और ईंधन के साथ ही उड़ान भर सकते हैं। जबकि, भारतीय लड़ाकू विमान पूरी क्षमता के साथ हमला कर सकते हैं। चीन के एरियल रिफ्यूलिंग कैपसिटी मतलब हवा में ईंधन भरने की क्षमता भी कम है। उसके पास पर्याप्त संख्या में एरियल टैंकर नहीं हैं।
सीएनएएस की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की थल सेना हर परिस्थिति में चीनी सेना से बेहतर और अनुभवी है। भारतीय सेना के पास युद्ध का बड़ा अनुभव है जो विश्व में शायद ही किसी और देश के पास हो। वर्तमान समय में भी भारतीय सेना कश्मीर में आतंकवाद और पाकिस्तान से लड़ाई लड़ रही है। भारतीय सेना को सीमित और कम तीव्रता वाले संघर्षों में महारत हासिल है, जबकि चीन की पीएलए ने 1979 में वियतनाम के साथ अपने संघर्ष के बाद से युद्ध की क्रूरता का अनुभव नहीं किया है।
कंबोडिया में वियतनाम के सैन्य हस्तक्षेप के जवाब में चीन ने 1979 में महीने भर तक युद्ध किया था। माना जाता है कि अपनी हार को नजदीक देख चीनी सेना भाग खड़ी हुई थी। अमेरिकी सेना से युद्ध लड़ने के कारण अधिक अनुभवी वियतनामी सैनिक चीन पर भारी पड़े और उन्हें जमकर नुकसान पहुंचाया था। चीन के सेना की संख्या भ्रामक भी हो सकती है। चीन अपनी सेना की जो संख्या बताता है उसमें भी बड़ी गड़बड़ी है।
चीन के पीएलए में शामिल सैन्य इकाइयां शिनजियांग या तिब्बत में विद्रोह को दबाने या रूस के साथ चीन की सीमा पर किसी भी संभावित संघर्ष से निपटने के लिए सौंपी गई हैं। यहां से भारतीय सीमा पर फौज को लेकर जाना चीन के लिए संभव नहीं है क्योंकि भारतीय वायुसेना चीन की रेललाइनों को निशाना बना सकती है। वहीं, भारतीय सेना पहले से ही इन इलाकों में बड़ी संख्या में मौजूद है।
‘कोई अपना काम करने में नाकाम रहा: कैप्टन मुख्यमंत्री ने कहा कि वह एक राजनेता के तौर पर नहीं बोल रहे हैं बल्कि वह ऐसे व्यक्ति के रूप में यह सब कह रहे हैं जो सेना का हिस्सा रह चुका है। कैप्टन ने कहा कि पुलवामा हमले के बाद भी उन्होंने कहा था कि अगर वह हमारे एक सैनिक मारते हैं तो हमें उनके दो सैनिकों को मारना चाहिए। यह पूछे जाने पर कि चीनी सैनिकों के साथ गतिरोध के दौरान लद्दाख में भारतीय सैनिकों पर हुए इस बर्बर हमले में, भारतीय सैनिकों को गोली चलाने की अनुमति क्यों नहीं दी गई, सीएम ने कहा, ‘कोई अपना काम करने में नाकाम रहा और हमें यह पता लगाने की जरूरत है कि वह कौन था।’ चीनी मीडिया की गीदड़ भभकी, कहा- ‘Boycott China’ भारत के लिए आत्मघाती ‘हिंदी चीनी भाई भाई’ के नारे को समाप्त करने की वकालत मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं जानना चाहता हूं, प्रत्येक सैनिक जानना चाहता है और प्रत्येक भारतीय जानना चाहता है कि क्या हुआ।’ उन्होंने कहा कि वह इस घटना को बहुत गहराई से महसूस करते हैं, इस घटना ने हमारे खुफिया विभाग की विफलता को भी उजागर किया है।’ उन्होंने इस घटना को हर भारतीय का अपमान बताया। कैप्टन ने कहा कि वहां जो कुछ भी हुआ वह मजाक नहीं था। ‘हिंदी चीनी भाई भाई’ के नारे को समाप्त करने की वकालत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत को इस मसले पर पीछे नहीं हटना चाहिए।
बैतूल: सैनिकों की शहादत पर उबला गुस्सा, चीन को नसीहत- ये 1965 नहीं, 2020 हैबैतूल। बीते सोमवार की रात लद्दाख सीमा पर चीनी सेना के साथ मुठभेड़ में भारतीय सैनिकों की शहादत से पूरा देश आहत है। एमपी के अन्य हिस्सों की तरह बैतूल में भी लोग अलग-अलग तरीकों से इसको लेकर विरोध जता रहे हैं। गुरुवार को शहर के विभिन्न हिस्सों में बीजेपी की ओर से भी कार्यक्रम आयोजित किए गए जिनमें चीन के झंडे और चीनी राष्ट्रपति के पुतले जलाए गए। युवाओं ने चीनी सामानों के बहिष्कार की शपथ भी ली। बीजेपी कार्यकर्ताओं के साथ पूर्व सैनिकों ने भी शहीद हुए सैनिकों की शहादत को सैल्यूट किया। आक्रोशित लोगों का कहना है कि चीन को उसी की भाषा में जवाब देना होगा क्योंकि ये 1965 नहीं, 2020 का भारत है।
किसी भी दुश्मन से निपटने में सक्षम है भारतीय सेना उन्होंने कहा, ‘अगर चीन विश्व शक्ति है, तो हम भी हैं।’ उन्होंने जोर देकर कहा, ’60 साल की कूटनीति ने काम नहीं किया है और अब यह बताने का समय आ गया है कि बस, अब बहुत हो गया।’ उन्होंने कहा कि चीन इस बात से अवगत है कि हम उससे निपटने में सक्षम हैं। उन्होंने साफ किया कि भारतीय सेना एक उच्च पेशेवर सेना है और किसी भी दुश्मन से निपटने में सक्षम है।
Web Title capt amarinder calls galvan attack ‘horrifying and barbaric’, asked- why no permission was given to shoot at chinese soldiers(Hindi News from Navbharat Times , TIL Network)
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