पृथ्वी के प्रथम शिल्पकार हैं भगवान विश्वकर्मा, विधि विधान से पूजन करने से घर और दुकान में आती है सुख-समृद्धि
चैतन्य भारत न्यूज
भगवान विश्वकर्मा को निर्माण और सृजन का देवता माना जाता है। उन्हें दुनिया का सबसे पहला इंजीनियर भी कहा जाता है। हर साल शिल्पकार भगवान विश्वकर्मा पूजा का त्योहार मनाते हैं। विश्वकर्मा पूजा का पर्व कन्या संक्रांति के दिन मनाया जाता है जो इस बार 16 सितंबर को है। इसे विश्वकर्मा जयंती भी कहा जाता है।
कहा जाता है कि भगवान विश्वकर्मा ने ही देवी-देवताओं के लिए अस्त्रों, शस्त्रों, भवनों और मंदिरों का निर्माण किया था। पुराणों के मुताबिक, उन्होंने ही सृष्टि की रचना में भगवान ब्रह्मा की सहायता की जिसके बाद से उन्हें दुनिया का पहला शिल्पकार माना जाता है। बात दें शिल्पकार खासकर इंजीनियरिंग काम में लगे लोग उन्हें अपना आराध्य मानते हैं और उनकी पूजा करते हैं। आइए जानते हैं विश्वकर्मा पूजा का महत्व और पूजा-विधि।
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विश्वकर्मा पूजा का महत्व
ऐसा कहा जाता है कि भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से मशीनें और औजार जल्दी खराब नहीं होते, क्योंकि भगवान विश्वकर्मा की कृपा उन पर बनी रहती है। यूपी, बिहार, दिल्ली, हरियाणा, पश्चिम बंगाल में प्रमुख रूप से विश्वकर्मा पूजा की जाती है। धन-धान्य और सुख-समृद्धि के लिए भगवान विश्वकर्मा की पूजा करना आवश्यक और मंगलदायी है। भगवान विश्वकर्मा के यथाविधि पूजन करने से घर और दुकान में सुख-समृद्धि आती है।
विश्वकर्मा पूजा-विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करने के बाद अच्छे कपड़े पहनकर भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति या तस्वीर के सामने बैठ जाएं।
इसके बाद भगवान विश्वकर्मा की अक्षत, हल्दी, फूल, पान, लौंग, सुपारी, मिठाई, फल, धूप दीप और रक्षासूत्र आदि से विधिवत पूजा करें।
पूजा के बाद सभी हथियारों को हल्दी चावल लगाएं।
इसके बाद कलश को हल्दी चावल व रक्षासूत्र चढ़ाएं।
इसके बाद पूजा मंत्रों का उच्चारण करें।
पूजा संपन्न होने के बाद कार्यालय के सभी कर्मचारियों और आस पड़ोस के लोगों को प्रसाद वितरण करें।
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