#भगवान श्रीकृष्ण के शरीर का रंग ?
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astrovastukosh · 5 months ago
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आज दिनांक - 25 अगस्त 2024 का सटीक गणनाओं के साथ वैदिक हिन्दू पंचांग रविवार विशेष
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⛅दिनांक - 25 अगस्त 2024 ⛅दिन - रविवार ⛅विक्रम संवत् - 2081 ⛅अयन - दक्षिणायन ⛅ऋतु - शरद ⛅मास - भाद्रपद ⛅पक्ष - कृष्ण ⛅तिथि - सप्तमी रात्रि 03:39 अगस्त 26 तक तत्पश्चात अष्टमी ⛅नक्षत्र - भरणी शाम 04:45 तक तत्पश्चात कृतिका ⛅योग - ध्रुव रात्रि 12:29 अगस्त 26 तक तत्पश्चात व्याघात ⛅राहु काल - शाम 05:28 से शाम 07:03 तक ⛅सूर्योदय - 06:20 ⛅सूर्यास्त - 07:03 ⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में ⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:50 से 05:35 तक ⛅ अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:16 से दोपहर 01:07 तक ⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:19 अगस्त 26 से रात्रि 01:04 अगस्त 26 तक ⛅ व्रत पर्व विवरण - भानु सप्तमी, शीतला सप्तमी, त्रिपुष्कर योग (शाम 04:45 से रात्रि 03:39 अगस्त 26 तक), ज्वालामुखी योग, रविवारी ��प्तमी सूर्योदय से रात्रि 03:39 अगस्त 26 तक ⛅विशेष - सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ते हैं और शरीर का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🔹रविवारी सप्तमी : 25 अगस्त 2024🔹
🔸सारे काम छोड़कर जप, ध्यान, मौन रखना चाहिए । सूर्य ग्रहण के समान इसका (रविवारी सप्तमी का) स्नान, दान, पुन्य अक्षय होता है । इस दिन रखा हुआ मौन और किया हुआ जप का फल लाख गुना होता है ।
🔸रविवार सप्तमी के दिन अगर कोई नमक मिर्च बिना का भोजन करे और सूर्य भगवान की पूजा करे, तो घातक बीमारियाँ दूर हो सकती हैं ।
🔹 रविवार विशेष🔹
🔸 रविवार के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
🔸 रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)
🔸 रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75)
🔸 रविवार सूर्यदेव का दिन है, इस दिन क्षौर (बाल काटना व दाढ़ी बनवाना) कराने से धन, बुद्धि और धर्म की क्षति होती है ।
🔸 रविवार को आँवले का सेवन नहीं करना चाहिए ।
🔸 स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए । इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं ।
🔸 रविवार के दिन पीपल के पेड़ को स्पर्श करना निषेध है ।
🔸 रविवार के दिन तुलसी पत्ता तोड़ना वर्जित है ।
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sakshiiiisingh · 2 years ago
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rajkumardeshmukh · 5 years ago
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क्या है शनि की क्रूर दृष्टि के पीछे की वजह शनिदेव का शरीर कांति इंद्रनीलमणि के समान है। इनके सिर पर स्वर्ण मुकुट गले में माला तथा शरीर पर नीले रंग के वस्त्र सुशोभित हैं। ये गिद्ध पर सवार रहते हैं। हाथों में क्रमश: धनुष, बाण, त्रिशुल और वरमुद्रा धारण करते हैं। शनि भगवान सूर्य तथा छाया (संवर्णा) के पुत्र हैं। ये क्रूर ग्रह माने जाते हैं। इनकी दृष्टि में जो क्रूरता है, वे इनकी पत्नी के शाप के कारण है। ब्रह्मपुराण में इनकी कथा इस प्रकार आयी है- बचपन से ही शनि देव भगवान श्रीकृष्ण के परम भक्त थे। वे श्रीकृष्ण के अनुराग में मग्न रहा करते थे। वयस्क होने पर इनके पिता ने चित्ररथ की कन्या से इनका विवाह कर दिया। इनकी पत्नी सती- साध्वी और परम तेजस्विनी थी। एक रात वह ऋतु-स्नान करके पुत्र-प्राप्ति की इच्छा से इनके पास पहुंची पर ये श्रीकृष्ण के ध्यान में मग्न थे। इन्हें बाह्य संसार की सुधि ही नहीं थी। पत्नी प्रतीक्षा करके थक गयी। उसका ऋतुकाल निष्फल हो गया इसलिए उसने क्रुद्ध होकर शनिदेव को शाप दे दिया कि आज से जिसे तुम देख लोगे वह नष्ट हो जाएगा। ध्यान टूटने पर शनिदेव ने अपनी पत्नी को मनाया। पत्नी को भी अपनी भूल पर पश्चाताप हुआ किंतु शाप के प्रतीकार की शक्ति उसमें न थी तभी से शनि देव अपना सिर नीचा करके रहने लगे। क्योंकि वह नहीं चाहते हैं कि इनके द्वारा किसी का अनिष्ट हो। शनि के अधिदेवता प्रजापिता ब्रह्मा और प्रत्यधिदेवता यम हैं। इनका वर्ण कृष्ण, वाहन गिद्ध तथा रथ लोहे का बना हुआ है। ये एक-एक राशि में तीस-तीस महीने रहते हैं। ये मकर और कुंभ राशि के स्वामी हैं और इनकी महादशा 12 वर्ष की होती है। इनकी शांति के लिए मृत्युंजय-जप, नीलम-धारण और ब्राह्मण को तिल, उड़द, भैंस, लोहा, तेल, काला वस्त्र, नीलम, काली गौ, जूता, कस्तूरी और सुवर्ण का दान देना चाहिए, इनके जप का वैदिक मंत्र- ॐ शं नो देवीरभिष्टय आप�� भवंतु पीतये। शं योरभि स्त्रवंतु न:।। पौ��ाणिक मंत्र- नीलांजन समाभासं रविपुत्र यमाग्रजम् । छायामार्तण्डसंभूतं तं नमामी शनैश्चरम्।। बीज मंत्र- ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:। तथा सामान्य मंत्र- ॐ शं शनैश्चराय नम: हैं। इनमें से किसी एक का श्रद्धानुसार नित्य एक निश्चित संख्या में जप करना चाहिए। जप का समय संध्या काल तथा कुल संख्या 23000 होनी चाहिए।
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karishmasharma · 2 years ago
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भगवान श्रीकृष्ण के शरीर का रंग 
पुराणों के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का रंग श्यामवर्ण था. श्यामवर्ण का मतलब गेहुंआ रंग से है. प्राचीन काल से यह माना जाता रहा हैं कि असल में भगवान श्रीकृष्ण की त्वचा का रंग मेघश्याम रंग का था. जिस प्रकार बादल का रंग नीला, काला और सफेद रंग के मिश्रण जैसा होता है. पौराणिक धर्मग्रंथों में इस बात को लेकर एक कथा प्रचलित है वह यह है कि भगवान श्रीकृष्ण का नीला रंग पूतना द्वारा विषपान कराने के कारण हुआ था। एक अन्य मान्यता के अनुसार श्रीकृष्ण के शरीर का नीला रंग कालिया नाग से युद्ध के दौरान विष के कारण हुआ था। श्रीकृष्ण, भगवान विष्णु के मानव अवतार थे। उन्होंने पृथ्वी पर द्वापरयुग में अत्याचारी कंस के भांजे के रूप में जन्म लिया था। संस्कृत भाषा में कृष्ण का अर्थ काला होता है। लेकिन जब कंस को पता चला कि कृष्ण का जन्म हो चुका है और वो गोकुल में है तो कंस ने कान्हा को मारने के लिए कई दैत्य भेजे। पूतना भी उन्हीं मे से एक थी। वह एक विशाल राक्षसी थी, जिसने शिशु कान्हा को दुग्धपान कराने का कहकर विषपान कराने की कोशिश की। वह कामयाब रही लेकिन भगवान हरि पर विष का कोई प्रभाव नहीं पड़ा लेकिन उनके शरीर का रंग नीला हो गया और पूतना मारी गई।
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questbhakti · 2 years ago
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भगवान श्रीकृष्ण के शरीर का रंग 
पुराणों के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का रंग श्यामवर्ण था. श्यामवर्ण का मतलब गेहुंआ रंग से है. प्राचीन काल से यह माना जाता रहा हैं कि असल में भगवान श्रीकृष्ण की त्वचा का रंग मेघश्याम रंग का था. जिस प्रकार बादल का रंग नीला, काला और सफेद रंग के मिश्रण जैसा होता है. पौराणिक धर्मग्रंथों में इस बात को लेकर एक कथा प्रचलित है वह यह है कि भगवान श्रीकृष्ण का नीला रंग पूतना द्वारा विषपान कराने के कारण हुआ था। एक अन्य मान्यता के अनुसार श्रीकृष्ण के शरीर का नीला रंग कालिया नाग से युद्ध के दौरान विष के कारण हुआ था। श्रीकृष्ण, भगवान विष्णु के मानव अवतार थे। उन्होंने पृथ्वी पर द्वापरयुग में अत्याचारी कंस के भांजे के रूप में जन्म लिया था। संस्कृत भाषा में कृष्ण का अर्थ काला होता है। लेकिन जब कंस को पता चला कि कृष्ण का जन्म हो चुका है और वो गोकुल में है तो कंस ने कान्हा को मारने के लिए कई दैत्य भेजे। पूतना भी उन्हीं मे से एक थी। वह एक विशाल राक्षसी थी, जिसने शिशु कान्हा को दुग्धपान कराने का कहकर विषपान कराने की कोशिश की। वह कामयाब रही लेकिन भगवान हरि पर विष का कोई प्रभाव नहीं पड़ा लेकिन उनके शरीर का रंग नीला हो गया और पूतना मारी गई।
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sunidhisharma · 2 years ago
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kritivermas-blog · 3 years ago
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बन्दिछोड़ ( काल के बन्धन से मुक्त करवाने वाले) संत गरीब दास जी महाराज जी द्वारा रचित सत ग्रन्थ साहिब में वर्णित अन्नदेव की आरती
आरती अन्न देव तुम्हारी, जासैं काया पलैं हमारी।
रोटी आदि रोटी अन्त, रोटी। ही कुं गावै संत।।
अर्थ :- हे अन्न देव! आपकी आरती करता हूँ। आप से हमारे शरीर का पोषण होता है। अन्न से बनी रोटी सृष्टि के आरम्भ से अंत ( जब प्रलय होता है ) तक जीवन बनाए रखने में सक्षम है। रोटी की महिमा सब संतजन करते हैं।
वाणी :- रोटी मध्य सिध्द सब साध, रोटी देवा अगम अगाध।
रोटी ही के बाजै तूर, रोटी अनन्त लोक भरपूर।।
अर्थ :- रोटी अर्थ और अन्न की सीमा से बाहर संत महात्मा तथा साधनारत भगत भी नहीं है उसकी साधना भी अन्न बिना नहीं हो सकती जो भोजन खिलाता है वह बहुत अगम अगाध है। (उच्च विचारों वाला तथा ऊंची उपलब्धि प्राप्त करने वाला है) सर्व लोकों में (अन्न से बना फुल्का) का बोलबाला है।
वाणी :- रोटी ही के राटा रंभ, रोटी ही के हैं रणखम्भ।
रावण मांगन गया चून, तातें लंक भई बैरून।।
अर्थ :- अन्न से बनी रोटी के ही राटा रंभ (ठाठ-बाट) हैं। रोटी पर्याप्त है तो युद्ध करने की शक्ति योद्धाओं में बनी रहेगी। इसलिए रणखम्भ (युद्ध का स्तंभ) कहा है। लंका का राजा आटा मांगने का ढोंग करके सीता का हरण करने गया था। उसने अन्न का अनादर किया। जिस कारण से उसकी लंका राजधानी बिरून (सर्वनाश को प्राप्त) हुई।।
वाणी :- मांडी बाजी खेले जुआ, रोटी ही पर कैरों पांडो मूवा।
रोटी पूजा आत्म देव, रोटी ही परमात्म सेव।।
अर्थ :- इंसान को पेट भर भोजन की आवश्यकता प्रथम है। उसके बिना राजपाट व्यर्थ है। दो समय की रोटी है तो सब कुछ है। कौरव तथा पांडवों को यदि ज्ञान होता तो महाभारत का युद्ध करके पाप के भागी कभी नहीं बनते। जुआ खेलकर षड्यंत्र रच कर कौरवों ने राज्य लिया। फिर उसी राज्य को प्राप्त करने के लिए पांडवों ने युद्ध किया करोड़ों व्यक्ति मारे गए बात केवल दो समय की रोटी की ही थी। इससे हटकर जो किया वह कर्म बिगाड़ने के लिए किया जाता है ��िस दिल्ली के लिए युद्ध किया वह पृथ्वी यहीं रह गई। पाप को सिर पर धरकर चले गए। रोटी चाहिए थी व्यर्थ में लड़ कर मर गए। आत्मा को भोजन खिलाओ जो परमात्मा का अंश है तथा परमात्मा की पूजा है। आत्मा खुश कर दी तो परमात्मा प्रसन्न होता है।
वाणी :- रोटी ही के हैं सब रंग, रोटी बनाना जीते जंग।
रोटी मांगी गोरखनाथ, रोटी बिना ना चले जमात।।
अर्थ :- यदि खाने को भोजन है तो सब आनंददायक वस्तु (कार कोठी बैंक में जमा धनराशि बेटे बेटी आदी) अच्छी लगती है। रोटी नहीं है तो जीवन संकट में होने के कारण कुछ भी अच्छा नहीं लगेगा। भोजन बिना युद्ध भी नहीं जीता जा सकता। रोटी तो श्री गोरखनाथ जैसे सिद्ध महात्माओं ने भी मांग कर खाया। अपने जीवन की रक्षा की।
वाणी:-रोटी कृष्ण देव कुं पाई, संहस अठासी खुध्या मिटाई।
तंदुल विप्र कुं दिये देख, रची सुदामा पुरी अलेख।।
अर्थ :- महाभारत में प्रकरण आता है कि जब पांडु के कुटिया पर दुर्वासा ऋषिअट्ठासी हजार ऋषियों को लेकर भोजन करने के लिए आ गए तब पांडव उनको भोजन कराने में असमर्थ थे भगवान कृष्ण को द्रोपदी ने अरदास की भगवान कृष्ण प्रकट हुए तो उन्होंने भी पहले कुछ भोजन करने का आग्रह किया तो द्रोपती ने एक सब्जी का छोटा-सा टुक अर्पण किया उसके बदले भगवान कृष्ण ने अपनी सिद्धि से उन सभी 88000 ऋषि का पेट भर दिया।
दूसरी कथा वह है जो सुदामा जी ने श्री कृष्ण जी को चावल खिलाए थे तब श्रीकृष्ण द्वारिकाधीश ने सुदामा का मकान बनवा दिया तथा धन भी दे दिया था यह लीला श्री कृष्ण जी की थी।
भावार्थ है कि दान धर्म भोजन भंडारा श्रद्धा से किया जाए तो परमात्मा भोजन कराने वाले को उसका फल देता है। 🙏💞
न इति.... (पुरी आरती नहीं पोष्ट की है )
#आरती_अन्नदेवजी
#santrampalji
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gloriousbanditcashpurse · 4 years ago
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🙏🙏🌹🌹🕉️🕉️December 3🌹भक्ति सत्संगमयी शुभ गुरुवार 🌹ॐ ग्रां ग्रीं ग्रों सः गुरूवे नमः 🌹श्रीमद् भागवत महापुराण अमृत कथा 🌹हरिबोल 🌹प्रेम से बोलो सच्चिदानंद भक्त वत्सल भगवान की जय 🌹जय जय श्री राधे 🌹प्रभु श्रीकृष्ण की लीला-विहार : श्रीशुकदेवजी ने कहा - परीक्षित! द्वारका नगरी की शोभा अति निराली थी। उसके मार्ग मतवाले हाथियों रथों घोड़ों और सुसज्जित योद्धाओं से सदा भरे रहते थे। बीच-बीच में सुंदर उपवन सरोवर भव्य प्रासाद स्वर्ण मण्डित अट्टालिकाओं तथा रंग बिरंगी पताकाओं से शोभित रहते थे। सर्वत्र सुख समृद्धि का राज्य था। वहाँ के स्त्री पुरुष सुंदर रेशमी वस्त्रों और आभूषणों से स्वयं को सजाते थे। द्वारकाधीश प्रभु श्रीकृष्ण अपनी आठ पटरानियों और सोलह हजार रानियों के साथ इस नगरी में विराजमान थे। उनकी जितनी रानियाँ थीं वे उतने ही रूपों में उनके साथ रहते थे। उन्हें तरह-तरह के मधुर वचनों से प्रसन्न रखकर विहार करते थे। उपवनों में सुंदर रंग बिरंगे पक्षी चहचहाते थे। फूलों की सुंगध से मदमस्त होकर भवरें उन पर गुंजार करते थे। जब कभी उनकी रानियाँ भगवान श्रीकृष्ण के साथ जल विहार करती तब वे उन्हें अपनी बांहों में भर लेते और उनकी रानियाँ उनके शरीर पर केसर युक्त अंगराग मलने लगती। सभी देवगण गंधर्व आदि इस पावन दृश्य का यश गान करते हुए पुष्प वर्षा करते और मागध बंदीजन बड़े आनंद से ढोल नगाड़े मृदंग और वीणा के सुमधुर स्वरों से प्रभु का सम्मान और यश गान करते। प्रभु की रानियाँ उन्हें कभी रंग भरी पिचकारियों से भिगो देती कभी अपने भीगे वस्त्रों को लज्जा से समेटती... To be continued.. आरती श्रीमद् भागवत अमृत महापुराण की।आरती अति पावन पुराण की।धर्म भक्ति विज्ञान खान की।महापुराण भागवत निर्मल।शुक मुख विगलित निगम कल्प फल।परमानंद सुधा रसमय कल।लीला रति रस रस निधान की। आरती.. प्रणाम 🌹🌹🕉️🕉️🙏🙏 https://www.instagram.com/p/CIUH4BvABRG/?igshid=ewvbynsyo44i
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bhuvneshkumawat · 4 years ago
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🌞 ~ *आज का हिन्दू पंचांग* ~ 🌞 #श्रीकृष्ण_जन्माष्टमी ⛅ दिनांक 11 अगस्त 2020* ⛅ दिन - मंगलवार* ⛅ विक्रम संवत - 2077 (गुजरात - 2076)* ⛅ शक संवत - 1942 ⛅ अयन - दक्षिणायन ⛅ ऋतु - वर्षा ⛅ मास - भाद्रपद (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार - श्रावण) ⛅ पक्ष - कृष्ण ⛅ तिथि - सप्तमी सुबह 09:06 तक तत्पश्चात अष्टमी ⛅ नक्षत्र - भरणी रात्रि 12:57 तक तत्पश्चात कृत्तिका ⛅ *योग - गण्ड सुबह 08:40 तक तत्पश्चात वृद्धि* ⛅ *राहुकाल - शाम 03:45 से शाम 05:22 तक* ⛅ *सूर्योदय - 06:17* ⛅ *सूर्यास्त - 19:10* (सूर्योदय और सूर्यास्त के समय अलग अलग जगह के लिए अलग अलग होता है) ⛅ *दिशाशूल - उत्तर दिशा में* ⛅ *व्रत पर्व विवरण - जन्माष्टमी (स्मार्त), मंगलागौरी पूजन* 💥 *विशेष - सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ता है था शरीर का नाश होता है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)* 🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞 🌷 *जन्माष्टमी व्रत की महिमा* 🌷 ➡ *१] भगवान श्रीकृष्ण युधिष्ठिरजी को कहते हैं : “२० करोड़ एकादशी व्रतों के समान अकेला श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत हैं |”* ➡ *२] धर्मराज सावित्री से कहते हैं : “ भारतवर्ष में रहनेवाला जो प्राणी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत करता है वह १०० जन्मों के पापों से मुक्त हो जाता है |”* 🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞 *भगवान श्रीकृष्ण को पीतांबर धारी भी कहते हैं, जिसका अर्थ है पीले रंग के कपड़े पहनने वाला। जन्माष्टमी पर पीले रंग के कपड़े, पीले फल व पीला अनाज दान करने से भगवान श्रीकृष्ण व माता लक्ष्मी दोनों प्रसन्न होते हैं।* *जन्माष्टमी की रात 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण का केसर मिश्रित दूध से अभिषेक करें तो जीवन में सुख-समृद्धि आने के योग बन जाते हैं। जन्माष्टमी को शाम के समय तुलसी को गाय के घी का दीपक लगाएं और ऊं वासुदेवाय नम: मंत्र बोलते हुए तुलसी की 11 परिक्रमा करें।* 🌷 #श्रीकृष्ण_जन्माष्टमी 🌷 🙏🏻 *ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार* *भारतवर्ष में रहने वाला जो प्राणी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत करता है, वह सौ जन्मों के पापों से मुक्त हो जाता है। इसमें संशय नहीं है। वह दीर्घकाल तक वैकुण्ठलोक में आनन्द भोगता है। फिर उत्तम योनि में जन्म लेने पर उसे भगवान श्रीकृष्ण के प्रति भक्ति उत्पन्न हो जाती है-यह निश्चित है।* 🙏🏻 *अग्निपुराण के अनुसार* *इस तिथिको उपवास करने से मनुष्य सात जन्मों के किये हुए पापों से मुक्त हो जाता हैं | अतएव भाद्रपद के कृष्णपक्ष की अष्टमी को उपवास रखकर भगवान श्रीकृष्ण का पूजन करना चाहिये | यह भोग और मोक्ष प्रदान करनेवाला हैं।* https://www.instagram.com/p/CDuxuZkJC8k/?igshid=qdo1riae9493
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sakshiiiisingh · 2 years ago
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भगवान श्रीकृष्ण के शरीर का रंग पुराणों के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का रंग श्यामवर्ण था. श्यामवर्ण का मतलब गेहुंआ रंग से है. प्राचीन काल से यह माना जाता रहा हैं कि असल में भगवान श्रीकृष्ण की त्वचा का रंग मेघश्याम रंग का था. जिस प्रकार बादल का रंग नीला, काला और सफेद रंग के मिश्रण जैसा होता है. पौराणिक धर्मग्रंथों में इस बात को लेकर एक कथा प्रचलित है वह यह है कि भगवान श्रीकृष्ण का नीला रंग पूतना द्वारा विषपान कराने के कारण हुआ था। एक अन्य मान्यता के अनुसार श्रीकृष्ण के शरीर का नीला रंग कालिया नाग से युद्ध के दौरान विष के कारण हुआ था। श्रीकृष्ण, भगवान विष्णु के मानव अवतार थे। उन्होंने पृथ्वी पर द्वापरयुग में अत्याचारी कंस के भांजे के रूप में जन्म लिया था। संस्कृत भाषा में कृष्ण का अर्थ काला होता है। लेकिन जब कंस को पता चला कि कृष्ण का जन्म हो चुका है और वो गोकुल में है तो कंस ने कान्हा को मारने के लिए कई दैत्य भेजे। पूतना भी उन्हीं मे से एक थी। वह एक विशाल राक्षसी थी, जिसने शिशु कान्हा को दुग्धपान कराने का कहकर विषपान कराने की कोशिश की। वह कामयाब रही लेकिन भगवान हरि पर विष का कोई प्रभाव नहीं पड़ा लेकिन उनके शरीर का रंग नीला हो गया और पूतना मारी गई।
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kaahishsharma · 4 years ago
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*🙏🙏🕉️🕉️🌹🌹July 31🌹भक्तिसत्संग श्रीराधाकृष्ण अमृतरसमयी शुभ शुक्रवार 🌹श्रीमद् भागवत महापुराण अमृत कथा 🌹हरिबोल 🌹प्रेम से बोलो सच्चिदानंद भक्त वत्सल भगवान की जय 🌹जय जय श्री राधे 🌹देवी कुब्जा पर कृपा : श्रीशुकदेवजी ने कहा - परीक्षित! वहाँ से आगे निकलकर श्रीकृष्ण और बलरामजी अपनी ग्वाल मंडली के साथ राजपथ पर निकल आए। वहाँ उन्होंने एक सुंदर कुबड़ी युवती को महल की ओर जाते देखा तो पूछा कि वह कौन है? इस पर युवती ने कहा कि वह महाराज कंस की दासी कुब्जा है। वह अंगराग लगाने का कार्य करती है। प्रभु श्रीकृष्ण ने मुस्कराकर कहा कि क्या यह अंगराग वह उन्हें भी लगा सकती है? कुब्जा प्रभु का प्रेमाश्रुओं से स्वागत करते हुए बोली - प्रभु! आप दोनों रंग-रूप में अति सुंदर हैं। मेरा लगाया गया यह सुगंधित अंगराग आपके सौंदर्य को और भी बढ़ा देगा और मुझे अपार हर्ष होगा। श्रीकृष्ण ने कहा यदि ऐंसा है तो तुम यह अंगराग हमें लगाओ। बदले में हम तुम्हें अद्भुत सुंदरता प्रदान करेंगे। कुब्जा ने प्रसन्न होकर प्रभु श्रीकृष्ण को पीले रंग और बलरामजी को लाल रंग का अंगराग उनके शरीर पर लगाया। जिससे उनकी सुंदरता और बढ़ गई। तब प्रभु श्रीकृष्ण ने कुब्जा के दोनों पैरों के पंजे अपने पैरों से दबाकर अपना एक हाथ कुब्जा की ठोड़ी लगाकर उसे ऊपर की ओर उठा दिया। पलक झपकते ही कुब्जा का टेढ़ा झुका हुआ शरीर सीधा हो गया और वह एक अति सुंदर युवती में परिवर्तित हो गई। 🙏🌹प्रेम से बोलो सच्चिदानंद भक्त वत्सल भगवान की जय 🌹🙏जो प्रभु से सच्चा प्रेम करते हैं वे उनकी मन की व्यथा /समस्या का समाधान करने में विलंब नहीं लगाते। बस आप/हम सब प्रभु का नाम सच्चे मन से जपते हुए अपने कर्तव्यों का पालन ईमानदारी से करते रहे और हमारे प्यारे कान्हा का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाएं श्रीकृष्ण अपने जन्म महोत्सव १२ अगस्त को अवतरित होंगे औरआप/हम पर भी श्याम प्यारे की कृपा अवश्य बरसेगी.. To be continued.. आरती श्रीमद् भागवत अमृत महापुराण की।आरती अति पावन पुराण की।धर्म भक्ति विज्ञान खान की।विषय विलास विमोह विनाशिनि।विमल विराग विवेक विकाशिनि।भगवत् तत्व् रहस्य प्रकाशिनि। परम ज्योति परमात्म ज्ञान की। आरती... प्रणाम 🕉️🕉️🌹🌹🙏🙏* https://www.instagram.com/p/CDSOSqPg-ev/?igshid=9cbqadd8d2st
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vedicpanditji · 5 years ago
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#शरद_पूनम की रात दिलाये आत्मशांति, स्वास्थ्यलाभ 13 अक्टूबर 2019 रविवार को शरद पूर्णिमा है । #आश्विन_पूर्णिमा को ‘शरद पूर्णिमा’ बोलते हैं । इस दिन रास-उत्सव और कोजागर व्रत किया जाता है । गोपियों को शरद पूर्णिमा की रात्रि में भगवान श्रीकृष्ण ने बंसी बजाकर अपने पास बुलाया और ईश्वरीय अमृत का पान कराया था । अतः शरद पूर्णिमा की रात्रि का विशेष महत्त्व है । इस रात को चन्द्रमा अपनी पूर्ण कलाओं के साथ पृथ्वी पर शीतलता, पोषक शक्ति एवं शांतिरूपी अमृतवर्षा करता है । शरद पूनम की रात को क्या करें, क्या न करें ? #दशहरे से शरद पूनम तक चन्द्रमा की चाँदनी में विशेष हितकारी रस, हितकारी किरणें होती हैं । इन दिनों चन्द्रमा की चाँदनी का लाभ उठाना, जिससे वर्षभर आप स्वस्थ और प्रसन्न रहें । नेत्रज्योति बढ़ाने के लिए दशहरे से शरद पूर्णिमा तक प्रतिदिन रात्रि में 15 से 20 मिनट तक चन्द्रमा के ऊपर त्राटक करें । अश्विनी कुमार देवताओं के वैद्य हैं । जो भी इन्द्रियाँ शिथिल हो गयी हों, उनको पुष्ट करने के लिए चन्द्रमा की चाँदनी में खीर रखना और भगवान को भोग लगाकर अश्विनी कुमारों से प्रार्थना करना कि ‘हमारी इन्द्रियों का बल-ओज बढ़ायें ।’ फिर वह खीर खा लेना । #इस_रात सुई में धागा पिरोने का अभ्यास करने से नेत्रज्योति बढ़ती है । #दमे की बीमारी वालों के लिए वरदान का दिन है । अपने आश्रमों में निःशुल्क औषधि मिलती है, वह चन्द्रमा की चाँदनी में रखी हुई खीर में मिलाकर खा लेना और रात को सोना नहीं । दमे का दम निकल जायेगा । #चन्द्रमा की चाँदनी गर्भवती महिला की नाभि पर पड़े तो गर्भ पुष्ट होता है । शरद पूनम की चाँदनी का अपना महत्त्व है लेकिन बारहों महीने चन्द्रमा की चाँदनी गर्भ को और औषधियों को पुष्ट करती है । #अमावस्या और पूर्णिमा को चन्द्रमा के विशेष प्रभाव से समुद्र में ज्वार-भाटा आता है । जब चन्द्रमा इतने बड़े दिगम्बर समुद्र में उथल-पुथल कर विशेष कम्पायमान कर देता है तो हमारे शरीर में जो जलीय अंश है, सप्तधातुएँ हैं, सप्त रंग हैं, उन पर भी चन्द्रमा का प्रभा�� पड़ता है । इन दिनों में अगर काम-विकार भोगा तो विकलांग संतान अथवा जानलेवा बीमारी हो जाती है और यदि उपवास, व्रत तथा सत्संग किया तो तन तंदुरुस्त, मन प्रसन्न और बुद्धि में बुद्धिदाता का प्रकाश आता है । #खीर को बनायें अमृतमय प्रसाद खीर को रसराज कहते हैं । सीताजी को अशोक वाटिका में रखा गया था । रावण के घर का क्या खायेंगी सीताजी ! तो इन्द्रदेव उन्हें खीर भेजते थे । (at New Delhi) https://www.instagram.com/p/B3diTYvj8As/?igshid=wrxdiazpurry
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gd-vashist-blog · 6 years ago
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भगवान श्री कृष्ण की तस्वीरों मे क्यों किया जाता है नीले रंग का प्रयोग ? पुरानो के अनुसार जब कृष्ण सांवले थे तो उनकी तस्वीरों में नीला रंग दिखाने का क्या औचित्य है l पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण को मारने के लिए जब उनके मामा कंस ने पूतना नामक राक्षसी को भेजा तो वो अपने स्तनों पर विष लगाकर बालक कृष्ण को मारने के लिए आई और उन्हें स्तनपान कराने लगी। श्री कृष्ण समझ गए कि पूतना उन्हें मारने के लिए आई है इसी वजह से उन्होंने पूतना को काट लिया और उसके स्तन पर लगा सारा विष कृष्ण के अंदर चला गया जिसकी वजह से उनका रंग नीला पड़ गया। माना जाता है कि इसी वजह से कृष्ण की तस्वीरों में नीले रंग का प्रयोग किया जाता है। अन्य कथा के अनुसार बालक कृष्ण जब यमुना नदी के पास ख���ल रहे थे तब उनकी गेंद नदी में गिर गई। उस समय यमुना नदी में कालिया नामक एक सर्प अपनी पत्नियों सहित रहता था और जब कृष्ण अपनी गेंद लेने के लिए नदी के अंदर गए तब कालिया नाग ने कृष्ण को देखकर हमला कर दिया। इसके पश्चात कृष्ण और कालिया नाग के बीच युद्ध हुआ और जब कृष्ण ने कालिया नाग का वध किया तो उसके विष से श्री कृष्ण का पूरा शरीर नीला हो गया। For Free Prediction Call Now: 01246674671 कोई समस्या है या कोई सवाल है तो दिए हुए लिंक पे क्लिक कर आप अपनी समस्या और अपने सवाल भेज सकते है :- https://goo.gl/rfz1Cb **For more,Follow us on Instagram: https://goo.gl/cxgCkS/ **For more information, visit us: www.astroscience.com **You can contact us on whatsapp : 9821599237 #GdVashist #Astrology #LordKrishna #LalKitab #VashistJyotish https://www.instagram.com/p/BwULe0dlrhP/?utm_source=ig_tumblr_share&igshid=24lif5dtukx3
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gloriousbanditcashpurse · 4 years ago
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🙏🙏🕉️🕉️🌹🌹December 1🌹भक्ति सत्संगमयी शुभ मंगलवार 🌹आपको भगवान श्रीकृष्ण के मार्गशीर्ष माह(दिसंबर १-३०)की हार्दिक शुभकामनाएं : इस माह में पवित्र जल/नदी में स्नान कर दान ध्यान आदि करना, श्रीमद् भागवत महापुराण अमृत कथा/श्रीमद् भागवत ��ीता /श्री राधाकृष्ण जी की लीलाओं का गुणगान /संकीर्तन से अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य की प्राप्ति होती है 🌹प्रेम से बोलो जय श्री राधाकृष्ण और जय सियाराम बनेंगे सारे बिगड़े काम 🌹श्रीमद् भागवत महापुराण अमृत कथा 🌹हरिबोल 🌹प्रेम से बोलो सच्चिदानंद भक्त वत्सल भगवान की जय 🌹जय जय श्री राधे 🌹भगवान श्रीकृष्ण का अपने प्रिय सखा अर्जुन के वचन की रक्षा : आईए हम सब मिलकर इस अमृत कथा के माध्यम से प्रभु श्रीहरि लक्ष्मीनारायणाय के दिव्य दर्शनों का लाभ उठाएं। श्रीशुकदेवजी ने कहा - परीक्षित! जब अर्जुन चिता की अग्नि में कूदने लगा तो प्रभु श्रीकृष्ण ने उसे समझा बुझाकर अपने दिव्य रथ पर बेठाकर पश्चिम दिशा की ओर तीव्र गति से बढ़ाया और सात द्वीप और सात समुद पार कर घोर अंधकार में प्रवेश किया। गहन अंधकार में रथ के घोड़े अपना मार्ग भूलकर इधर-उधर भटकने लगे। तब प्रभु ने अपने सुदर्शन चक्र द्वारा प्रकाश प्रज्ज्वलित कर उसे रथ के चलने को कहा। अंत में अंधकार के बाद एक असीम ज्योति जगमगा रही थीं। अर्जुन की आंखें उस ज्योति की चमक को नहीं सह सकीं। विवश होकर उसने अपनी आंखें बंद कर ली। इसके बाद प्रभु श्रीकृष्ण ने उस दिव्य ज्योति में प्रवेश किया। बहुत आगे जाने पर एक बहुत बड़ा भव्य महल दिखाई दिया वह तीव्र ज्योति से जगमगा रहा था। उस महल में भगवान शेषजी विराजमान थे। श्वेत रंग के उस शेषनाग की शय्या पर स्वयं भगवान विष्णु अपनी प्रिया लक्ष्मीजी के साथ विराजमान थे।🌹प्रेम से बोलो भक्त वत्सल श्रीहरि लक्ष्मीनारायणाय भगवान की जय 🌹पीतांबरधारी भगवान श्रीकृष्ण के मेघ सदृश श्यामल शरीर की आभा को देखकर अर्जुन हत्प्रभ रह गया... To be continued.. आरती श्रीमद् भागवत अमृत महापुराण की।आरती अति पावन पुराण की।धर्म भक्ति विज्ञान खान की।कलि मल मथनि त्रिताप निवारिनि।जन्म मृत्यु मय भव भय हारिनि।सेवत सतत सकल सुखकारिनि।समहौषधि हरि चरित्र ज्ञान की।आरती.. प्रणाम 🌹🌹🕉️🕉️🙏🙏 https://www.instagram.com/p/CIO8yvvALvH/?igshid=56dxhjpi2kzj
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gloriousbanditcashpurse · 4 years ago
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*🙏🙏🕉️🕉️🌹🌹July 31🌹भक्तिसत्संग श्रीराधाकृष्ण अमृतरसमयी शुभ शुक्रवार 🌹श्रीमद् भागवत महापुराण अमृत कथा 🌹हरिबोल 🌹प्रेम से बोलो सच्चिदानंद भक्त वत्सल भगवान की जय 🌹जय जय श्री राधे 🌹देवी कुब्जा पर कृपा : श्रीशुकदेवजी ने कहा - परीक्षित! वहाँ से आगे निकलकर श्रीकृष्ण और बलरामजी अपनी ग्वाल मंडली के साथ राजपथ पर निकल आए। वहाँ उन्होंने एक सुंदर कुबड़ी युवती को महल की ओर जाते देखा तो पूछा कि वह कौन है? इस पर युवती ने कहा कि वह महाराज कंस की दासी कुब्जा है। वह अंगराग लगाने का कार्य करती है। प्रभु श्रीकृष्ण ने मुस्कराकर कहा कि क्या यह अंगराग वह उन्हें भी लगा सकती है? कुब्जा प्रभु का प्रेमाश्रुओं से स्वागत करते हुए बोली - प्रभु! आप दोनों रंग-रूप में अति सुंदर हैं। मेरा लगाया गया यह सुगंधित अंगराग आपके सौंदर्य को और भी बढ़ा देगा और मुझे अपार हर्ष होगा। श्रीकृष्ण ने कहा यदि ऐंसा है तो तुम यह अंगराग हमें लगाओ। बदले में हम तुम्हें अद्भुत सुंदरता प्रदान करेंगे। कुब्जा ने प्रसन्न होकर प्रभु श्रीकृष्ण को पीले रंग और बलरामजी को लाल रंग का अंगराग उनके शरीर पर लगाया। जिससे उनकी सुंदरता और बढ़ गई। तब प्रभु श्रीकृष्ण ने कुब्जा के दोनों पैरों के पंजे अपने पैरों से दबाकर अपना एक हाथ कुब्जा की ठोड़ी लगाकर उसे ऊपर की ओर उठा दिया। पलक झपकते ही कुब्जा का टेढ़ा झुका हुआ शरीर सीधा हो गया और वह एक अति सुंदर युवती में परिवर्तित हो गई। 🙏🌹प्रेम से बोलो सच्चिदानंद भक्त वत्सल भगवान की जय 🌹🙏जो प्रभु से सच्चा प्रेम करते हैं वे उनकी मन की व्यथा /समस्या का समाधान करने में विलंब नहीं लगाते। बस आप/हम सब प्रभु का नाम सच्चे मन से जपते हुए अपने कर्तव्यों का पालन ईमानदारी से करते रहे और हमारे प्यारे कान्हा का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाएं श्रीकृष्ण अपने जन्म महोत्सव १२ अगस्त को अवतरित होंगे औरआप/हम पर भी श्याम प्यारे की कृपा अवश्य बरसेगी.. To be continued.. आरती श्रीमद् भागवत अमृत महापुराण की।आरती अति पावन पुराण की।धर्म भक्ति विज्ञान खान की।विषय विलास विमोह विनाशिनि।विमल विराग विवेक विकाशिनि।भगवत् तत्व् रहस्य प्रकाशिनि। परम ज्योति परमात्म ज्ञान की। आरती... प्रणाम 🕉️🕉️🌹🌹🙏🙏* https://www.instagram.com/p/CDSTFW7g25g/?igshid=9s7agk71w22o
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gloriousbanditcashpurse · 5 years ago
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*🙏🙏🌹🌹👏👏🕉️🕉️Jun15🌹भक्ति सत्संगमयी शुभ सोमवार 🌹ॐ पार्वती पतये नमः 🌹श्रीमद् भागवत महापुराण अमृत कथा 🌹हरिबोल 🌹प्रेम से बोलो सच्चिदानंद भक्त वत्सल भगवान की जय 🌹जय जय श्री राधे 🌹श्रीकृष्ण की मधुर बांसुरी की धुन : श्रीशुकदेवजी ने कहा - परीक्षित! वन में गौओं, ग्वाल बालों, भौरों की गुंजार, पक्षियों का कलरव नदियों और झरनों कल-कल ध्वनि और मन को शीतलता प्रदान कर���े वाली सुगंधित हवा और कन्हैया की मुरली की सुरीली तान से सबके मन में प्रेम की रसधारा प्रवाहित होने लगी। सभी गोपियां बेसुध होकर मन ही मन वन में श्रीकृष्ण के निकट पहुंच गई और आपस में बतियाने लगी- अरी बहना! हमें तो पता ही नहीं कि इन आंखों का क्या लाभ है? हम तो बस श्रीकृष्ण को ब्रज से जाते हुए और वन से वापस आते हुए उनकी बांकी चितवन को और गौओं को चराते हुए उनके होंठों पर लगी बांसुरी को ही देखना चाहती हैं तथा अपने इन कानों से कृष्ण प्यारे की मधुर बातों और बांसुरी की मधुर तान को सुनना चाहती हैं। दूसरी कहती - अरी सखी! जब वे आम की नई कोपलें मोर के पंख फूलों के गुच्छे रंग-बिरंगे कमल और कुमुद की मालाएं धारण कर लेते हैं और अपने सांवले शरीर पर पीतांबर धारण करते हैं तथा नीलांबर पहने बलराम जी के साथ ब्रज में घूमते हैं तब उनकी रूप माधुरी को देखकर मन चंचल हो जाता है। जी चाहता है कि वे इसी प्रकार बांसुरी बजाते रहें और उनकी बांसुरी के छिद्रों से निकली अमृतधारा हमारे ह्रदय को पावन कर शीतलता प्रदान करती रहे... To be continued.. आरती श्रीमद् भागवत अमृत महापुराण की।आरती अति पावन पुराण की।धर्म भक्ति विज्ञान खान की।महापुराण भागवत निर्मल।शुक मुख विगलित निगम कल्प फल।परमानंद सुधा रसमय कल।लीला रति रस रस निधान की। आरती... प्रणाम 🌹🌹🕉️🕉️👏👏🙏🙏* https://www.instagram.com/p/CBb8TGigrqF/?igshid=wnrywz91cks7
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