#भगवद्गीता
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यह श्लोक भगवद् गीता से लिया गया है, और यह छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रेरणादायक संदेश है। यह कहता है कि हमें अपने कर्तव्यों को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, न कि परिणामों की इच्छा करना चाहिए।
जब हम अपने कर्तव्यों को निभाने पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो हम अधिक उत्पादक और संतुष्ट होते हैं। हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने की अधिक संभावना रखते हैं, और हम अपने जीवन में अधिक अर्थ और उद्देश्य पाते हैं।
फल की इच्छा करना, दूसरी ओर, हमें निराश और असंतुष्ट बना सकता है। जब हम केवल परिणामों पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो हम आसानी से विचलित हो जाते हैं और हार मान लेते हैं।
इसलिए, छात्रों, अपने कर्तव्यों पर ध्यान केंद्रित करें और फल की इच्छा न करें। आप सफल होंगे!
#भगवद्गीता #श्लोक #कर्त्तव्य #फल #छात्र #प्रेरणा
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परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम | धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे || #परित्राणाय_साधूनां_विनाशाय_च_दुष्कृताम् #भगवद्गीता #bhagavadgita #calligraphymarathi #calligraphylove #devanagaricalligraphy #devanagari #devnagari_calligraphy #marathi #marathicalligraphy #calligraphersinindia #indianpenmanship #indiancalligraphy #calligraphymasters #calligraphydesigners #amarmoralecalligraphy #aksharkshudha #अक्षरक्षुधा https://www.instagram.com/p/Cn_IkCajaUO/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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#sant rampal ji maharaj#भगवद्गीता अध्याय 7 श्लोक 12-15 तीनों देवों रजगुण श्री ब्रह्मा जी#सतगुण श्री विष्णु जी तथा तमगुण श्री शिव जी की साधना व्यर्थ कही गई है।
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Le bráhman, le brahmán, la kénose et le tsimtsoum
“Arjuna”. Un jour, un homme du nom d’Arjuna se vit instruire de la « sagesse la plus secrète », du « secret d’entre les secrets », de la « connaissance la plus pure », du « savoir, roi entre toutes les sciences ». Du moins c’est ainsi que la Bhagavadgītā (भगवद्गीता) présente la chose. Si, alléché par la promesse d’un festin cognitif, le lecteur se plonge aujourd’hui dans ce texte, que…
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ब्रह्मा, विष्णु और शिव के विषय में भगवद्गीता क्या बताती है? | Sant Rampa...
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भगवद्गीता के अनुसार आप जिस भी योनि में चाहे जन्म ले सकते हैं। कई बार मैं अमरीका जाता हूँ, कई बार ऑस्ट्रेलिया और कई बार अफ़्रीका। ये देश पहले से ही हैं। मैं केवल वहाँ की यात्रा करता है। ऐसा नहीं है कि क्योंकि मैं अमेरिका आया हूं, मैंने अमरीका का निर्माण किया है या मैं अमरीका बन गया। और ऐसे अनेक देश हैं जिन्हें मैंने नहीं देखा। क्या इसका अर्थ यह है कि उनका अस्तित्त्व ही नहीं है? डार्विन को स्वीकार करने वाले वैज्ञानिक मूर्ख हैं। भगवद्गीता स्पष्ट कहती है कि सभी योनियाँ पहले से ही हैं और आप जिस किसी में भी चाहें उसमें जा सकते हैं। यहाँ तककि आप भगवान् के धाम में भी जा सकते हैं, यदि आपकी इच्छा है तो। भगवद्गीता में श्रीकृष्ण ने ये सब बातें बताई हैं। लॉस एन्जिलिस, 11 मई 1973
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#सत_भक्ति_संदेश
"आओ जैन धर्म को जानें" पुस्तक के अनुसार महावीर जैन के द्वारा चलाये गए 363 पाखंड मतों के अनुसार भक्ति करने से मोक्ष संभव नहीं है। भगवद्गीता जी में लिखा है कि शास्त्रविधि को त्यागकर मनमाना आचरण करने से कोई लाभ नहीं मिलता। अधिक जानकारी के लिए पढ़े पुस्तक ज्ञान गंगा।
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आज दिनांक - 19 जनवरी 2024 का वैदिक हिन्दू पंचांग
दिन - शुक्रवार
विक्रम संवत् - 2080
अयन - उत्तरायण
ऋतु - शिशिर
मास - पौष
पक्ष - शुक्ल
तिथि - नवमी रात्रि 07:51 तक तत्पश्चात द��मी
नक्षत्र - भरणी मध्य रात्रि 02:50 तक तत्पश्चात कृतिका
योग - साध्य दोपहर 12:46 तक तत्पश्चात शुभ
राहु काल - सुबह 11:28 से 12:50 तक
सूर्योदय - 07:23
सूर्यास्त - 06:18
दिशा शूल - पश्चिम
ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:38 से 06:30 तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:24 से 01:16 तक
व्रत पर्व विवरण -
विशेष - नवमी को लौकी खाना त्याज्य है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
कठोर या चंचल स्वभाव बदलने की कुंजी
स्वभाव कठोर है तो कमल का ध्यान करें, स्वभाव कोमल हो जायेगा । चंचल स्वभाव है तो ऐसा चिंतन करें कि “मैं शांत आत्मा हूँ, चिद्घन आत्मा हूँ, चैतन्य आत्मा हूँ... चंचलता मन में है, उसको जाननेवाला, चल मन को जाननेवाला अचल मेरा आत्मा-परमात्मा है । ॐ ॐ ॐ....” थोड़े दिन में स्वभाव ठीक हो जायेगा ।
मनुष्य कितना भी पतित हो वह महान बन सकता है
‘ॐऽऽऽ...’ उच्चारण किया और जितनी देर उच्चारण किया उतनी देर शांत हो जाय, ध्यान में डूबता जाय । अगर ऐसा १०-१५ मिनट सुबह-शाम करे, गुरुगीता का पाठ करे, युवाधन-सुरक्षा के नियमों पर अमल करे और भगवान् को, सदगुरु को एकटक देखे, उनसे बातें करे, प्रेरणा ले फिर अंतर में डुबकी मारे तो कितना भी पतित, कैसा भी गिरा हुआ व्यक्ति हो, उसका पतन बंद होने ��गेगा, मन पवित्र होने लगेगा । वह मंगल के रास्ते चल पड़ेगा ।
लक्ष्मीप्राप्ति व घर में सुख-शांति हेतु
तुलसी-गमले की प्रतिदिन एक प्रदक्षिणा करने से लक्ष्मीप्राप्ति में सहायता मिलती है ।
तुलसी के थोड़े पत्ते पानी में डाल के उसे सामने रखकर भगवद्गीता का पाठ करे । फिर घर के सभी लोग मिल के भगवन्नाम - कीर्तन करके हास्य - प्रयोग करे और वह पवित्र जल सब लोग ग्रहण करे । यह प्रयोग करने से घर के झगड़े मिटते है, शराबी की शराब छुटती है और घर में सुख शांति का वास होता है ।
#akshayjamdagni #hindu #hindi #rammandir #panchang
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#FactsAndBeliefsOfJainism
संत रामपाल जी महाराज जी ने बताया है कि
महावीर जैन के द्वारा चलाये गए 363 पाखंड मतों के अनुसार भक्ति करने से मोक्ष संभव नहीं है। भगवद्गीता जी में लिखा है कि शास्त्रविधि को त्यागकर मनमाना आचरण करने से कोई लाभ नहीं मिलता।
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#FactsAndBeliefsOfJainism
"आओ जैन धर्म को जानें" पुस्तक के अनुसार महावीर जैन के द्वारा चलाये गए 363 पाखंड मतों के अनुसार भक्ति करने से मोक्ष संभव नहीं है। भगवद्गीता जी में लिखा है कि शास्त्रविधि को त्यागकर मनमाना आचरण करने से कोई लाभ नहीं मिलता। अधिक जानकारी के लिए पढ़े पुस्तक ज्ञान गंगा।
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"आओ जैन धर्म को जानें" पुस्तक के अनुसार महावीर जैन के द्वारा चलाये गए 363 पाखंड मतों के अनुसार भक्ति करने से मोक्ष संभव नहीं है। भगवद्गीता जी में लिखा है कि शास्त्रविधि को त्यागकर मनमाना आचरण करने से कोई लाभ नहीं मिलता।
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काल ब्रह्म ने भगवद्गीता में खुद के बारे में क्या बताया है? | Sant Rampal...
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यदि हम दवाई लेना चाहते हैं तो हमें दवाई पर लगे पर्चे के निर्देशानुसार अथवा डॉक्टर के निर्देशानुसार लेना होगा। इसी प्रकार भगवद्गीता को समझने के लिए हमें उसके व��्ता के निर्देशानुसार स्वीकार करना होगा, और भगवान् श्रीकृष्ण भगवद्गीता के वक्ता हैं। न्यूयॉर्क, 19 फरवरी 1966
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