#भगवती से मांगा आशीर्वाद
Explore tagged Tumblr posts
Text
उक्रांद महामंत्री ने ज्वालामुखी मंदिर देव ढुंग में की पूजा अर्चना, क्षेत्र खुशहाली की प्रार्थना कर भगवती से मांगा आशीर्वाद
उक्रांद महामंत्री ने ज्वालामुखी मंदिर देव ढुंग में की पूजा अर्चना, क्षेत्र खुशहाली की प्रार्थना कर भगवती से मांगा आशीर्वाद
उत्तराखंड क्रांति दल की केंद्रीय महामंत्री श्रीमती रेखा मियां ने ज्वालामुखी मंदिर में सपरिवार पूजा अर्चना कर शांति खुशहाली हेतु मां ज्वालामुखी से, पूजा अर्चना कर आशीर्वाद माँगा। लोकेन्द्र जोशी @घनसाली रेखा मियाँ ने उत्तराखंड की भाजपा सरकार को उनका चुनावी संकल्प पत्र याद दिलाते हुए कहा कि चुनाव के समय जनता से किए वायदे पूरे किए जाने चाहिए। उन्होंने भिलंगना एवं प्रतापनगर विधानसभा सहित राज्य की लचर…
View On WordPress
#उक्रांद महामंत्री#क्षेत्र खुशहाली की प्रार्थना#घनसाली#ज्वालामुखी मंदिर देवढुंग#��ूजा-अर्चना#भगवती से मांगा आशीर्वाद
0 notes
Text
माता का ऐसा चमत्कारी मंदिर, जिसके आगे औरंगजेब को भी टेकने पड़े थे घुटने
देवी मां के भारत भर में कई अनेकों चमत्कारी व अद्भुत मंदिर हैं जिनमें उन्हें कई प्रकार के प्रसाद व चढ़ावा दिया जाता है। कहीं देवी मंदिर में बली चढ़ाकर उन्हें प्रसन्न किया जाता है तो कहीं पर उन्हें सिर्फ फूल और मिठाई का प्रसाद चढ़ाया जाता है। लेकिन क्या आपको पता है देवी का एक ऐसा चमत्कारी मंदिर भी है जहां उन्हें शराब का चढ़ावा चढ़ाया जाता है। इस मंदिर में मां अंबे के दर्शन करने लोग दूर-दूर से आते हैं। यह मंदिर राजस्थान से लगभग 120 किमी दूर सीकर जिले के घांघू गांव में स्थित है। राजस्थान का यह प्रसिद्ध मंदिर जीणा माता मंदिर लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र हैं। लोगों का मानना है की यहां मां से मांगा जीत का आशीर्वाद जरुर पूरा होता है। सालभर भक्तों का तांता लगा रहता है लेकिन नवरात्रि के दिनों यहां भक्तों का सैलाब उमड़ता है, नौ दिन मंदिर प्रांगण में मेला भी लगता है जिसमें भारी संख्या में भक्त आते हैं।
एक हजार साल से भी ज्यादा पुराना है मंदिर
जीण माता का मंदिर के बारे में कोई प्रमाणित जानकारी नहीं है जिसमें इसकी सटिक जानकारी उपलब्ढ हो किंतु फिर भी अनुमानित बताया जाता है कि यह मंदिर करीब 1000 साल पुराना मंदिर है। जीणा माता का वास्तविक नाम जयंती माता है। कहा जाता है की जीणा माता देवी दुर्गा का ही अवतार है। घने जंगल से घिरा यह मंदिर तीन छोटी पहाड़ों के संगम पर स्थित है। इस मंदिर में संगमरमर का विशाल श��वलिंग और नंदी प्रतिमा आकर्षक है।
औरंगजेब को भी टेकने पड़े थे माता के सामने घुटने
ऐसा कहा जाता है कि जीण माता की इस मंदिर को तुड़वाने के लिए औरंगजेब ने सैनिक भेजे थे देवी की महिमा अपरम्पार है उन्होंने मधुमक्खियों के रूप में आकर मंदिर की रक्षा थी। ऐसा होते देख गांव वालो की माता के प्रति श्रद्धा और बढ़ गयी और औरंगजेब अपने कार्यों में असफल हो गया। एक बार जब औरंगजेब बीमार पड़ा तो उसे उसी समय अपनी गलती का एहसास हुआ और जीण माता के मंदिर में हर महीने सवा मन तेल चढ़ाने का वचन दिया। जब उसने माफी मांगी तो माता ने उसे माफ कर दिया। उसी दिन से मुगल बादशाह को माता के प्रति श्रद्धा बढ़ गई, इस मंदिर में जीण माता के दर्शन करने लोग बाहर से भी आते है। यहां नवरात्रि के समय में नौ दिन मेला लगता है और लोग बड़ी धूम-धाम से माता की पूजा करते हैं।
जीणा माता मंदिर की पौराणिक कथा
जीण माता का जन्म घांघू गांव के एक चौहान वंश के राजा घंघ के घर में हुआ था। जीण का एक बड़ा भाई था हर्ष, दोनों भाई बहनों में बहुत प्रेम था। लोग जीण को देवी और हर्ष को शिव का रूप मानते थे। ऐसा कहा जाता है कि जीण एक दिन अपनी भाभी के साथ सरोवर से पानी भरने गई थी। वहीं पर जीण और उनकी भाभी में बहस हो गई की हर्ष सबसे ज्यादा किससे प्रेम करते है। उन्होंने शर्त रखी हर्ष जिसका मटका सबसे पहले सिर से उतार कर नीचे रखेंगे वो उसे ही सबसे ज्यादा प्रेम करते है। फिर दोनों लोग मटका लेकर हर्ष के सामने पहुंची, सबसे पहले हर्ष ने अपनी पत्नी का मटका नीचे उतारा और जीण शर्त हार गई। उसके बाद जीण नाराज होकर अरावली पर्वत के शिखर पर भगवती की तपस्या करने में लग गई और हर्ष उसे मनाने गया तो जीण तपस्या में लीन थी। उसके बाद हर्ष भी भैरव भगवान की तपस्या करने लगा और फिर दोनों जीणमाता धाम और हर्षनाथ भैरव के रूप में प्रसिद्ध हो गए।
Hindi News Latest Hindi News
Hindi News माता का ऐसा चमत्कारी मंदिर, जिसके आगे औरंगजेब को भी टेकने पड़े थे घुटने Read Latest Hindi News on Kranti Bhaskar.
source http://hindi-news.krantibhaskar.com/latest-news/hindi-news/33301/
0 notes
Text
माता का ऐसा चमत्कारी मंदिर, जिसके आगे औरंगजेब को भी टेकने पड़े थे घुटने
देवी मां के भारत भर में कई अनेकों चमत्कारी व अद्भुत मंदिर हैं जिनमें उन्हें कई प्रकार के प्रसाद व चढ़ावा दिया जाता है। कहीं देवी मंदिर में बली चढ़ाकर उन्हें प्रसन्न किया जाता है तो कहीं पर उन्हें सिर्फ फूल और मिठाई का प्रसाद चढ़ाया जाता है। लेकिन क्या आपको पता है देवी का एक ऐसा चमत्कारी मंदिर भी है जहां उन्हें शराब का चढ़ावा चढ़ाया जाता है। इस मंदिर में मां अंबे के दर्शन करने लोग दूर-दूर से आते हैं। यह मंदिर राजस्थान से लगभग 120 किमी दूर सीकर जिले के घांघू गांव में स्थित है। राजस्थान का यह प्रसिद्ध मंदिर जीणा माता मंदिर लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र हैं। लोगों का मानना है की यहां मां से मांगा जीत का आशीर्वाद जरुर पूरा होता है। सालभर भक्तों का तांता लगा रहता है लेकिन नवरात्रि के दिनों यहां भक्तों का सैलाब उमड़ता है, नौ दिन मंदिर प्रांगण में मेला भी लगता है जिसमें भारी संख्या में भक्त आते हैं।
एक हजार साल से भी ज्यादा पुराना है मंदिर
जीण माता का मंदिर के बारे में कोई प्रमाणित जानकारी नहीं है जिसमें इसकी सटिक जानकारी उपलब्ढ हो किंतु फिर भी अनुमानित बताया जाता है कि यह मंदिर करीब 1000 साल पुराना मंदिर है। जीणा माता का वास्तविक नाम जयंती माता है। कहा जाता है की जीणा माता देवी दुर्गा का ही अवतार है। घने जंगल से घिरा यह मंदिर तीन छोटी पहाड़ों के संगम पर स्थित है। इस मंदिर में संगमरमर का विशाल शिवलिंग और नंदी प्रतिमा आकर्षक है।
औरंगजेब को भी टेकने पड़े थे माता के सामने घुटने
ऐसा कहा जाता है कि जीण माता की इस मंदिर को तुड़वाने के लिए औरंगजेब ने सैनिक भेजे थे देवी की महिमा अपरम्पार है उन्होंने मधुमक्खियों के रूप में आकर मंदिर की रक्षा थी। ऐसा होते देख गांव वालो की माता के प्रति श्रद्धा और बढ़ गयी और औरंगजेब अपने कार्यों में असफल हो गया। एक बार जब औरंगजेब बीमार पड़ा तो उसे उसी समय अपनी गलती का एहसास हुआ और जीण माता के मंदिर में हर महीने सवा मन तेल चढ़ाने का वचन दिया। जब उसने माफी मांगी तो माता ने उसे माफ कर दिया। उसी दिन से मुगल बादशाह को माता के प्रति श्रद्धा बढ़ गई, इस मंदिर में जीण माता के दर्शन करने लोग बाहर से भी आते है। यहां नवरात्रि के समय में नौ दिन मेला लगता है और लोग बड़ी धूम-धाम से माता की पूजा करते हैं।
जीणा माता मंदिर की पौराणिक कथा
जीण माता का जन्म घांघू गांव के एक चौहान वंश के राजा घंघ के घर में हुआ था। जीण का एक बड़ा भाई था हर्ष, दोनों भाई बहनों में बहुत प्रेम था। लोग जीण को देवी और हर्ष को शिव का रूप मानते थे। ऐसा कहा जाता है कि जीण एक दिन अपनी भाभी के साथ सरोवर से पानी भरने गई थी। वहीं पर जीण और उनकी भाभी में बहस हो गई की हर्ष सबसे ज्यादा किससे प्रेम करते है। उन्होंने शर्त रखी हर्ष जिसका मटका सबसे पहले सिर से उतार कर नीचे रखेंगे वो उसे ही सबसे ज्यादा प्रेम करते है। फिर दोनों लोग मटका लेकर हर्ष के सामने पहुंची, सबसे पहले हर्ष ने अपनी पत्नी का मटका नीचे उतारा और जीण शर्त हार गई। उसके बाद जीण नाराज होकर अरावली पर्वत के शिखर पर भगवती की तपस्या करने में लग गई और हर्ष उसे मनाने गया तो जीण तपस्या में लीन थी। उसके बाद हर्ष भी भैरव भगवान की तपस्या करने लगा और फिर दोनों जीणमाता धाम और हर्षनाथ भैरव के रूप में प्रसिद्ध हो गए।
Hindi News Latest Hindi News
Hindi News माता का ऐसा चमत्कारी मंदिर, जिसके आगे औरंगजेब को भी टेकने पड़े थे घुटने Read Latest Hindi News on Kranti Bhaskar.
source http://hindi-news.krantibhaskar.com/latest-news/hindi-news/33301/
0 notes