#बेहतरीनउर्दूशायरी
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आईन ए सूरत पर होती है ग़ज़ल ऐसी ,
रु ब रु ए इश्क़ में हूबहू सनम जैसी ।
तस्बीह फेरते ग़र ख़ुदा मिलता ,
मेहबूब ए इलाही हर इब्न ए इंसान के माथे पर गुदा मिलता ।
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urdu shayari in hindi गुलामी जा रही है तो बादशाहत भी जाएगी प्यारे ,
गुलामी जा रही है तो बादशाहत भी जाएगी प्यारे , ये मशीनी सल्तनत किसी तख़्त ओ ताज की मोहताज़ नहीं ।
पुर्ज़े पुर्ज़े यहां सभी के बिखरे पड़े होंगे , इंसानी जज़्बातों की कोई औक़ात नहीं ।।
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