#बेटे के साथ
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लखनऊ, 13.11.2024 l माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की मुहिम आत्मनिर्भर भारत को साकार करने तथा महिला सशक्तिकरण हेतु गो कैंपेन (अमेरिकन संस्था) के सहयोग से हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में नवयुग कन्या महाविद्यालय, राजेंद्र नगर, लखनऊ में आत्मरक्षा कार्यशाला आयोजित की गई जिसमें 68 छात्राओं ने मेरी सुरक्षा, मेरी जिम्मेदारी मंत्र को अपनाते हुए आत्मरक्षा के गुर सीखे तथा वर्तमान परिवेश में आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को जाना l
कार्यशाला का शुभारंभ राष्ट्रगान से हुआ तथा नवयुग कन्या महाविद्यालय की प्रोफेसर गीताली रस्तोगी, प्रोफेसर मनजुला यादव, डॉ. वनदना द्विवेदी, डॉ. मनीषा बडौनिया, डॉ. सीमा पाण्डेय, मिशन शक्ति समिति एवं रेड ब्रिगेड से सुश्री खुशी शुक्ला ने दीप प्रज्वलित किया l
नवयुग कन्या महाविद्यालय की प्राचार्या प्रोफेसर मंजुला उपाध्याय ने हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट का धन्यवाद देते हुए कहा कि, "आत्मरक्षा का यह प्रशिक्षण केवल शारीरिक तकनीकों तक सीमित नहीं है यह एक मानसिक और आत्मिक शक्ति का निर्माण है, जो आपको हर परिस्थिति में सक्षम बनाएगा । यह जानना बेहद आवश्यक है कि जीवन की हर चुनौती का सामना करने के लिए हमें खुद को मानसिक और शारीरिक रूप से सशक्त बनाना होगा । आत्मरक्षा के जो गुर आपको सिखाए जा रहे हैं, वे केवल संकट के समय आपकी रक्षा के लिए नहीं, बल्कि आपके आत्मविश्वास और स्वाभिमान को मजबूत करने के लिए हैं । यह कौशल आपको मानसिक रूप से मजबूत और आत्मनिर्भर बनाएगा, ताकि आप हर चुनौती का डटकर सामना कर सकें । इस प्रशिक्षण से जो भी आपने सीखा है, उसे अपने जीवन में आत्मसात करें और अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी स्वयं उठाएं । खुद को स्वस्थ और सुरक्षित रखें और आत्मनिर्भरता के इस मार्ग पर दृढ़ता से आगे बढ़ें ।"
कार्यशाला में रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के प्रमुख श्री अजय पटेल ने बालिकाओं को आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को बताते हुए कहा कि, "किसी पर भी अन्याय तथा अत्याचार किसी सभ्य समाज की निशानी नहीं हो सकती हैं, फिर समाज के एक बहुत बड़े भाग यानि स्त्रियों के साथ ऐसा करना प्रकृति के विरुद्ध हैं l महिलाओं एवं बालिकाओं के खिलाफ देश में हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा अनेक कदम उठाए गए हैं तथा सरकार निरंतर महिलाओं को आत्मनिर्भर एवं सशक्त बनाने के लिए कई योजनाएं चला रही है लेकिन यह अत्यंत दुख की बात है कि हमारा समाज 21वीं सदी में जी रहा है लेकिन कन्या भ्रूण हत्या व लैंगिक भेदभाव के कुचक्र से छूट नहीं पाया है l आज भी देश के तमाम हिस्सों में बेटी के पैदा होते ही उसे मार दिया जाता है या बेटी और बेटे में भेदभाव किया जाता है l महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा होती है तथा उनको एक स्त्री होने की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है l आत्मरक्षा प्रशिक्षण समय की जरूरत बन चुका है क्योंकि यदि महिला अपनी रक्षा खुद करना नहीं सीखेगी तो वह अपनी बेटी को भी अपने आत्म सम्मान के लिए लड़ना नहीं सिखा पाएगी l आज किसी भी क्षेत्र में नजर उठाकर देखियें, नारियां पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर प्रगति में समान की भागीदार हैं l फिर उन्हें कमतर क्यों समझा जाता है यह विचारणीय हैं l हमें उनका आत्मविश्वास बढाकर, उनका सहयोग करके समाज की उन्नति के लिए उन्हें साहस और हुनर का सही दिशा में उपयोग करना सिखाना चाहिए तभी हमारा समाज प्रगति कर पाएगा l आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित करने का हमारा यही मकसद है कि हम ज्यादा से ज्यादा बालिकाओं और महिलाओं को आत्मरक्षा के गुर सिखा सके तथा समाज में उन्हें आत्म सम्मान के साथ जीना सिखा सके l"
आत्मरक्षा प्रशिक्षण की प्रशिक्षिका तंजीम अख्तर, सुश्री खुशी शुक्ला ने लड़कियों को आत्मरक्षा के गुर सिखाते हुए लड़कों की मानसिकता के बारे में अवगत कराया तथा उन्हें हाथ छुड़ाने, बाल पकड़ने, दुपट्टा खींचने से लेकर यौन हिंसा एवं बलात्कार से किस तरह बचा जा सकता है यह अभ्यास के माध्यम से बताया l
कार्यशाला के अंत में सभी प्रतिभागियों को सहभागिता प्रमाण पत्र वितरित किये गये ।
कार्यशाला में नवयुग कन्या महाविद्यालय की प्राचार्या प्रोफेसर मंजुला उपाध्याय, प्रोफेसर गीताली रस्तोगी, प्रोफेसर मनजुला यादव, डॉ. वनदना द्विवेदी, डॉ. मनीषा बडौनिया, डॉ. सीमा पाण्डेय, मिशन शक्ति समिति, छात्राओं, रेड ब्रिगेड ट्रस्ट से श्री अजय पटेल, तंजीम अख्तर, सुश्री खुशी शुक्ला तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही l
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संत रामपाल जी महाराज का संघर्ष भक्ति मार्ग 36 वर्ष पुरानी कहानी इस लिए जानते हैं इस वीडियो के माध्यम से छोटे बेटे मनोज दास के साथ न्यूज़ चैनल पर
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कहानी के रंग: शादीशुदा औरत और रिश्तों की अनकही बातें
कहानी के रंग: शादीशुदा औरत और रिश्तों की अनकही बातें
कहानी "कहानी के रंग" एक शादीशुदा औरत के जीवन की उन भावनाओं और उलझनों को उजागर करती है, जो अकसर छुपी रह जाती हैं। यह हिंदी कहानी पारिवारिक रिश्तों, जिम्मेदारियों, और कुछ अनकहे पलों की बुनावट में रची गई है। मुख्य पात्र लाजवंती, एक ऐसी औरत है जिसका परिवार छोटा है, लेकिन जीवन के अनुभव गहरे हैं।
कहानी का सारांश
लाजवंती का जीवन अपने पति के साथ साधारण और शांत है, लेकिन उनकी गोद अभी तक सूनी है। एक दिन उनके घर की बिजली खराब हो जाती है, और मदद के लिए लाजवंती अपनी दीदी से संपर्क करती है। दीदी के बड़े बेटे मनोहर, जिसे प्यार से "मोनू" कहा जाता है, मदद के लिए आता है। लंबे समय बाद अपने भांजे को देखकर लाजवंती के मन में बचपन की यादें ताजा हो जाती हैं।
मनोहर का व्यक्तित्व अब पूरी तरह बदल चुका है। वह लंबा-चौड़ा, आत्मविश्वासी और मजाकिया है। उसके और लाजवंती के बीच हुई बातचीत में बचपन की मस्ती और आज की परिपक्व��ा झलकती है। लेकिन इसी दौरान कुछ अनपेक्षित घटनाएं भी घटती हैं, जो कहानी को एक नया मोड़ देती हैं।
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रिश्तों की गहराई और उलझनें
कहानी में लाजवंती और मनोहर के रिश्ते के बीच की मासूमियत और भावनात्मक पहलुओं को बड़ी खूबसूरती से दिखाया गया है। मनोहर की छोटी-छोटी बातें और उसकी हरकतें लाजवंती के मन को एक नई दिशा देती हैं। लेकिन कहानी में एक ऐसा क्षण भी आता है, जहां लाजवंती उलझन में पड़ जाती है कि क्या जो हुआ वह सही था या गलत।
पारिवारिक रिश्तों की झलक
यह कहानी केवल लाजवंती और मनोहर के रिश्ते तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें परिवार के अन्य सदस्यों की अहमियत भी झलकती है। लाजवंती की दीदी, उनके पति और मनोहर का पारिवारिक बंधन कहानी को और गहराई देता है।
हिंदी कहानियों का महत्व
"कहानी के रंग" जैसी कहानियां भारतीय समाज की भावनाओं, संघर्षों और रिश्तों को उभारती हैं। ऐसी कहानियां हिंदी साहित्य में अपने अनूठे अंदाज और पारिवारिक मूल्यों के लिए जानी जाती हैं।
के लिए हिंदी कीवर्ड्स:
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पारिवारिक रिश्तों की कहानी
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Live Results for Lok Sabha Elections 2024: कौन बनेगा अगला प्रधानमंत्री? PM हाउस पहुंचे नायडू और नीतीश
Results of Lok Sabha Election 2024 Live: पीएम हाउस पहुंचे चंद्रबाबू नायडू और पवन कल्याण एनडीए की बैठक में शामिल होने के लिए टीडीपी चीफ एन चंद्रबाबू नायडू और जनसेना पार्टी के अध्यक्ष पवन कल्याण भी पीएम हाउस पहुंच चुके हैं. Live Results for Lok Sabha Elections 2024: पीएम आवास पहुंचे नीतीश कुमार बिहार के सीएम नीतीश कुमार पीएम आवास पहुंचे. थोड़ी देर में एनडीऔ की बैदम शुरू होने वाली है. Results of the Lok Sabha Elections: एकनाथ शिंदे के बेटे श्रीकांत शिंदे ने चंद्रबबूू नायूड से की मुलाकात. एकनाथ शिंदे के बेटे श्रीकांत शिंदे ने चंद्रबाबू नायूड से मुलाकात की.आज शाम को होने वाली एनडीए की बैठक में महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे भी पहुंचे हैं.
Lok Sabha Election Results 2024 Live: जनता ने किया पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक की रणनीतिका समर्थन समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा, ''जनता ने पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) की रणनीति और इंडिया गठबंधन का समर्थन किया है. हम एक रणनीति तैयार करने के लिए (बैठक में) जा रहे हैं." Results of the Lok Sabha Election 2024: सम्राट चौधरी बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी के रिजल्ट को लेकर कहा, "एनडीए ने पूरे कें 292 सीटें जीती हैं." नरेंद्र मोदी फिर से देश के प्रधानमंत्री बनेंगे." Results of Lok Sabha Elections 2024: राजनीति में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं-मंत्री परिषद की बैठक बोले मोदी मंत्री परिषद की बैदक में नरेंद्र मोदी मे कहा कि राजनीति में उतार-ढढ़ाव आते रहते है. "हमारी सरकार ने अच्छा काम किया..." जीते हम हैं, लेकिन दूसरे दल वाले उछल रहे हैत. हम आगे और भी बेहतर करेंगे." Results of the 2024 Lok Sabha Elections: दिल्ली के लिए रवाना हुए अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के आवास पर होने वाली मीटिंग में शामिल होने के लिए लखनऊ से रवाना हुआ. आज शाम को इंडिया गठबंधन की भी बैठक होने वाली है.
Results of Lok Sabha Election 2024: दिल्ली पहुंचे महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे एनडीए के बैठक में शामिल होने के लिए महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे दिल्ली पहुंचे.आज शाम को एनडीए की बैठक होने वाली है, जिसमें चिराग पासवान, नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू भी शामिल होंगे. Lok Sabha Election Results 2024: एनडीए की बैठक में शामिल होने दिल्ली पहुंचे चंद्रबुू नायडू टीपीपी चीफ एन चंद्रबाबू नायडू दिल्ली में जयदेव गल्ला के आवास पर पहुंचे. यहां वह एनडीए की बैठक में शामिल होने के लिए दिल्ली में हैं. ज सरकार बनाने को लेकर दिल्ली में एनडीए की बैठक होने वाली है. Lok Sabha Election Results 2024: महारा्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने की इस्तीफे के की पेशकश महमाष्ट्म के पिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस मे इस्तीफे की पेशकश की. उन्होंने कहा कि मैं महाराष्ट्र में हार की जिम्मेदारी लेता हूं. उन्होंने कहा कि वो पूरी तरह से विधानसभा चुनाव की ��ैयारियों में लगना चाहते हैं. PM पद से दिया इस्तीफा नरेंद्र मोदी ने Results of the Lok Sabha Elections 2024 Live: नरेंद्र मोदी ने प्रधाममंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. राष्ट्रपति के आधिकारिक एक्स हैंडल से ट्वीट कर कहा गया, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की. प्रधानमंत्री ने केंद्रीय मंत्रिपरिषद के साथ अपना इस्तीफा दे दिया. राष्ट्रपति ने इस्तीफा स्वीकार कर लिया और प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्रिपरिषद से नई सरकार बनने तक पद पर बने रहने का अनुरोध किया."
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Dev Diwali - Kartik Purnima 2023: देव दिवाली पर शिव योग का होगा निर्माण इसका शिव से है गहरा संबंध होगा हर समस्या का समाधान
Dev Deepawali 2023: कार्तिक पूर्णिमा पर देव दिवाली मनाई जाती है. ये दिवाली देवताओं को समर्पित है, इसका शिव जी से गहरा संबंध है. इस दिन धरती पर आते हैं देवतागण कार्तिक पूर्णिमा का दिन कार्तिक माह का आखिरी दिन होता है. इसी दिन देशभर में देव देवाली भी मनाई जाती है लेकिन इस बार पंचांग के भेद के कारण देव दिवाली 26 नवंबर 2023 को मनाई जाएगी और कार्तिक पूर्णिमा का व्रत, स्नान 27 नवंबर 2023 को है. देव दिवाली यानी देवता की दीपावली. इस दिन सुबह गंगा स्नान और शाम को घाट पर दीपदान किया जाता है. कार्तिक पूर्णिमा पर 'शिव' योग का हो रहा है निर्माण, हर समस्या का होगा समाधान |
देव दिवाली तिथि और समय
पूर्णिमा तिथि आरंभ - 26 नवंबर 2023 - 03:53
पूर्णिमा तिथि समापन - 27 नवंबर, 2023 - 02:45
देव दीपावली मुहूर्त - शाम 05:08 बजे से शाम 07:47 बजे तक
पूजन अवधि - 02 घण्टे 39 मिनट्स
शिव मंत्र
ॐ नमः शिवाय
ॐ शंकराय नमः
ॐ महादेवाय नमः
ॐ महेश्वराय नमः
ॐ श्री रुद्राय नमः
ॐ नील कंठाय नमः
देव दिवाली का महत्व
देव दिवाली का सनातन धर्म में बेहद महत्व है। इस पर्व को लोग बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप मनाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव ने इस दिन राक्षस त्रिपुरासुर को हराया था। शिव जी की जीत का जश्न मनाने के लिए सभी देवी-देवता तीर्थ स्थल वाराणसी पहुंचे थे, जहां उन्होंने लाखों मिट्टी के दीपक जलाएं, इसलिए इस त्योहार को रोशनी के त्योहार के रूप में भी जाना जाता है।
इस शुभ दिन पर, गंगा घाटों पर उत्सव मनाया जाता है और बड़ी संख्या में तीर्थयात्री देव दिवाली मनाने के लिए इस स्थान पर आते हैं और एक दीया जलाकर गंगा नदी में छोड़ देते हैं। इस दिन प्रदोष काल में देव दीपावली मनाई जाती है. इस दिन वाराणसी में गंगा नदी के घाट और मंदिर दीयों की रोशनी से जगमग होते हैं. काशी में देव दिवाली की रौनक खास होती है.
Dev diwali Katha : देव दिवाली की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव बड़े पुत्र कार्तिकेय ने तारकासुर का वध कर दिया था. पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए तारकासुर के तीनों बेटे तारकाक्ष, कमलाक्ष और विद्युन्माली ने प्रण लिया. इन तीनों को त्रिपुरासुर के नाम से जाना जाता था. तीनों ने कठोर तप कर ब्रह्मा जी को प्रसन्न किया और उनसे अमरत्व का वरदान मांगा लेकिन ब्रह्म देव ने उन्हें यह वरदान देने से इनकार कर दिया.
ब्रह्मा जी ने त्रिपुरासुर को वरदान दिया कि जब निर्मित तीन पुरियां जब अभिजित नक्षत्र में एक पंक्ति में में होगी और असंभव रथ पर सवार असंभव बाण से मारना चाहे, तब ही उनकी मृत्यु होगी. इसके बाद त्रिपुरासुर का आतंक बढ़ गया. इसके बाद स्वंय शंभू ने त्रिपुरासुर का संहार करने का संकल्प लिया.
काशी से देव दिवाली का संबंध एवं त्रिपुरासुर का वध:
शास्त्रों के अनुसार, एक त्रिपुरासुर नाम के राक्षस ने आतंक मचा रखा था, जिससे ऋषि-मुनियों के साथ देवता भी काफी परेशान हो गए थे। ऐसे में सभी देवतागण भगवान शिव की शरण में पहुंचे और उनसे इस समस्या का हल निकालने के लिए कहा। पृथ्वी को ही भगवान ने रथ बनाया, सूर्य-चंद्रमा पहिए ��न गए, सृष्टा सारथी बने, भगवान विष्णु बाण, वासुकी धनुष की डोर और मेरूपर्वत धनुष बने. फिर भगवान शिव उस असंभव रथ पर सवार होकर असंभव धनुष पर बाण चढ़ा लिया त्रिपुरासुर पर आक्रमण कर दिया. इसके बाद भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही त्रिपुरासुर का वध कर दिया था और फिर सभी देवी-देवता खुशी होकर काशी पहुंचे थे। तभी से शिव को त्रिपुरारी भी कहा जाता है. जहां जाकर उन्होंने दीप प्रज्वलित करके खुशी मनाई थी। इसकी प्रसन्नता में सभी देवता भगवान शिव की नगरी काशी पहुंचे. फिर गंगा स्नान के बाद दीप दान कर खुशियां मनाई. इसी दिन से पृथ्वी पर देव दिवाली मनाई जाती है.
पूजन विधि
देव दीपावली की शाम को प्रदोष काल में 5, 11, 21, 51 या फिर 108 दीपकों में घी या फिर सरसों के भर दें। इसके बाद नदी के घाट में जाकर देवी-देवताओं का स्मरण करें। फिर दीपक में सिंदूर, कुमकुम, अक्षत, हल्दी, फूल, मिठाई आदि चढ़ाने के बाद दीपक जला दें। इसके बाद आप चाहे, तो नदी में भी प्रवाहित कर सकते हैं।
देव दीपावली के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर लें। हो सके,तो गंगा स्नान करें। अगर आप गंगा स्नान के लिए नहीं जा पा रहे हैं, तो स्नान के पानी में थोड़ा सा गंगाजल डाल लें। ऐसा करने से गंगा स्नान करने के बराबर फलों की प्राप्ति होगी। इसके बाद सूर्य देव को तांबे के लोटे में जल, सिंदूर, अक्षत, लाल फूल डालकर अर्घ्य दें। फिर भगवान शिव के साथ अन्य देवी देवता पूजा करें। भगवान शिव को फूल, माला, सफेद चंदन, धतूरा, आक का फूल, बेलपत्र चढ़ाने के साथ भोग लाएं। अंत में घी का दीपक और धूर जलाकर चालीसा, स्तुत, मंत्र का पाठ करके विधिवत आरती कर लें।
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जब घर में नवजात बच्चे का जन्म होता है तो माँ-बाप के साथ दादा-दादी को भी बड़ी खुशी होती है। दादा बनने पर Welcome and ढेर सारी शुभकामनाएं।
Arjun Singh पुत्र रत्न प्राप्ति की
बधाई भगवान शिव आपके बेटे को अदभुद तीक्ष्ण बुध्दि दे, जिससे आपका पुत्र संसार को आश्चर्य चकित कर दे।
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दोस्त की मां
मेरा नाम संतोष है और मैं हरियाणा के पानीपत का रहने वाला हूं। मैं अभी कक्षा बारहवीं का ही छात्र हूं और मेरे पिताजी का प्लाईवुड का काम है। उनका काम बहुत ही अच्छा चलता है। इसलिए उन्होंने मेरा एक बहुत ही बड़े स्कूल में एडमिशन करवाया है। मैंने अपनी दसवीं के बाद यहीं पर पढ़ना शुरू किया। जब मैं कक्षा 11 में आया तो मेरे बहुत दोस्त बने
उस सबसे दोस्त में एक ऐसा लड़का था जिसके साथ मेरा बहुत जमता था, उसका नाम तो नही पता पर हां वो कॉलेज की दोस्तों से काफी अलग था, एक दिन मैं जैसे क्लास रूम में पहुंचा तो मैडम ने मुझे उस लड़के से परिचित करवाई
संतोष ये है सूरज और ये बहुत होनहार और ईमानदार लड़का है, पढ़ने में काफी तेज है, तुम्हारी हर विषय में ये मदद करेगा, उस से मिलकर मुझे पहले भी बहुत खुशी हुआ था, अब हम एक अच्छे दोस्त बन गए थे
वो बहुत बड़े घर से ��ा, पैसा दौलत धन की कोई कमी नही था, भगवान ने उसे सबकुछ दे रखा था, कार बंगलों सब कुछ
कुछ दिन बाद सूरज अपने मम्मी पापा के साथ आया था, साथ में कुछ सिक्योरिटी गार्ड था, हमने देखा तो सपने देखने लगा की लाश मुझे भी सूरज के जैसा पैसा धन दौलत रहता, पर सूरज के अंडर एक जबरदस्त अच्छाई थी की कभी वो पैसा का घमंड नहीं किया
उसका पापा सरकारी ट्रांसपोर्ट का मालिक था और मम्मी हाउ��वाइफ थी, घर में एक बहन थी वो पुणे के हॉस्टल में इंजीनियरिंग कर रही थी, मतलब यूं कहे तो सभी सेटल थे
कुछ दिन बाद सूरज ने कहा की उसकी मम्मी का एनिवर्सरी है और वो कॉलेज के सभी छात्र और छात्राएं को इनवाइट किया और कुछ सर मैम को भी, सब उस दिन बहुत खुश था पर मुझे जाने की हिम्मत नही हुआ
मैं उस दिन जल्दी घर चला गया तबीयत खराब के बहाने से पर मुझे क्या पता था उस दिन मेरे जिंदगी का सबसे अनमोल राते होगा, मैं अपने घर में जाकर लेट गया और थोड़ी देर बाद मम्मी आई तो बोली मेरा राजा बेटा को क्या हुआ, आज नाराज लग रहा है
मैं शुरू से ही अपने मम्मी पापा को प्यार कर रहा था, क्योंकि पापा मम्मी ने कभी भी किसी भी समान खरीदने के लिए मुझे मना नही किए और ना कभी मुझे डांटा, पर उस दिन ऐसा लग रहा था की सूरज के सामने मेरा हैसियत बहुत कम है
मैं शाम को करीब बाजार जाकर हल्का सा नाश्ता किया और सोचने लगा की जाऊं की नही जाऊं, ये सोचते सोचते कब शाम 7 बज गया मुझे पता नही चला, मैं अपने घर लौटा तो देखा दरवाजा पर एक लंबी कार खड़ी चमक रही है
मैने सोचा शायद पापा को कोई कॉन्ट्रैक्ट देने आए होंगे, किसी मालिक का नंबर होगा पर वो मेरा दोस्त सूरज का था, उसके साथ उसकी मॉम रेखा भी आई हुई थी
रेखा उमर 39 साल हरी भरी गदरायी जवानी, एक हाउसवाइफ की तरह मेरे कमरे में ब्लैक साड़ी और लाल ब्लाउज में बड़ा सा काजल और बिंदिया लगाकर मेरे मम्मी से बात कर रही थी, वो अपने बड़े गले वाला ब्लाउज को ऐसे पहनी थी की उनका क्लीवेज साफ चमक रहा था, 36 का छाती, 32 का कमर और 38 का कहर ढाने वाला बम, उफ्फ अब मैं दोस्त को देखूं या उसकी मम्मी को
मुझे कुछ भी समझ नही आ रहा था, मैं उनको देख के ऐसे मदहोश हो गया था मानो वो कोई नशीले पदार्थ हो और मुझे उसका सेवन करना है
मैं खुद पर काबू किया और आंटी को हाई बोला और कहा आपने आने का कष्ट क्यूं किया, सूरज भाई गलत बात ��ै, तुम मेरे कारण अपने मम्मी को परेशान करते हो, वैसे आंटी हैप्पी एनिवर्सरी
आंटी - थैंक्स बेटा पर ऐसे काम नही चलेगा, अपना टैलेंट दिखाना पड़ेगा, मैं भी देखूं की तुम कितना टैलेंटेड हो जैसे तुम्हारे बारे में सूरज कहता रहता है
जरूर जब भी आपको मेरा टैलेंटेड देखना हो आप मुझे एक बार याद कर लेना, मैं हाजिर हो जाऊंगा, आखिर दोस्त किसका हूं, ये बोलकर सब हंस पड़े
रात करीब 9 बज चुकी थी, उधर सूरज के पापा शराब का का कार्यक्रम जोड़ो शोरो से था, हवा की रुख और दोस्त की मम्मी की बदन की खुशबू एक तरफ
थोड़े देर बाद मैने कहा सूरज चलना है या यहीं एनिवर्सरी मनाना है, सूरज ने मेरा मम्मी पापा को कहा पर उन्होंने कहा की मुझे माफ करे, अब तो आप हम एक दोस्त की तरह हो गए हैं तो फिर कभी
थोड़े देर बाद सूरज और उसकी मम्मी आगे बैठ गई, रेखा कार ड्राइवर कर रही थी और सूरज सामने देख रहा था, थोड़े आगे जाने के बाद कार का मैन मिरर को मेरे बॉडी के तरफ करके अपने ही होंटो को कटने लगी
हम 5 मिनिट बाद सूरज के घर पहुंचे जहां सभी इकट्ठा हुए, रेखा ने बड़े ही उल्लास से केक काटी और और अपने पति और बेटे को खिलाई फिर धीरे धीरे सबमें बांट दी
थोड़े देर बाद फिर उसका पापा उस शराब ए जस्न में लग गए, इधर सूरज भी अपने मम्मी से कहा की आज के दिन वो भी शराब पिएगा, तो उसकी मां ने बड़े ही कठोड़ मन से कहा नही, पर सूरज का बार बार जिद करने पर मान गई
थोड़े देर बाद रेखा ने एक बीयर के बोटल में शराब और बीयर दोनो को मिक्सड करके लाई और अपने बेटे को पिला दी, धीरे धीरे अब सब अपने घर की ओर बढ़ने लगे
समय 11 बज चुका था सूरज और उसका पापा दोनो अपने बेडरूम में ढेर हो चुके थे इतना ताकत नही बचा था की खुद को दो स्टेप चला सके, इधर रेखा मुझे किसी भूखे शेरनी की तरह देख रही थी
मेरे पास आई और बोली आज रात तुम मुझे अपना बना सको तो बना लो नही तो मैं समझूंगी की तुम्हारा बदन सिर्फ दिखाने के लायक है
शाम से ही मेरा बुरा हालत था पर अब मुझे पूरा मौका मिला, मैने कहा अच्छा ये बात है, चलो कोई बात नही, तुम भी क्या याद रखेगी की किसी मर्द से मिली थी
मैने आगे बढ़ा और होंठ को अपने होंठ में भरते हुए स्मूच करने लगा और रेखा भी बहुत दिन की प्यासी शेरनी की तरह मेरा कॉक के ऊपर हाथ रख कर मसलने लगी
अब इनबॉक्स में चर्चा होगी
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कबीर बड़ा या कृष्ण Part 126
परमात्मा कबीर जी की भक्ति से हुए भक्तों को लाभ‘‘
’’परमात्मा ने की जीवन रक्षा‘‘
।। बन्दी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की जय ।।
मुझ दास का नाम रोहित दास पुत्र श्री रामबाबू दास ग्राम उदयपुरा जिला-रायसेन (मध्यप्रदेश) है। सतगुरु देव जी से नाम-उपदेश लेने से पहले मेरे घर की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी। मेरी पत्नी बीमार रहती थी। इतनी परेशानियाँ होने के बावजूद भी हम देवी-देवताओं की भक्ति करते रहते थे। हम जयगुरुदेव पंथ से जुड़े हुए थे। लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। मेरी माता जी ने जयगुरुदेव पंथ में परमात्मा को पाने के लिए बहुत ही कठिन साधना की। 72 दिन तक भोजन नहीं किया। उनके हाथ-पैर पूर्ण रूप से काम करना बंद कर गए। उनकी हालत इतनी खराब हो गई थी कि वह अपने हाथों से खाना भी नहीं खा पाती थी।
एक बार हम जयगुरूदेव मथुरा गए हुए थे। वहाँ पर संत रामपाल जी के भक्तों ने पुस्तकें वितरित की। कार्यक्रम के दौरान वहाँ पर उस पुस्तक के बारे में बताया कि कोई भी सदस्य इस पुस्तक को खोलकर न पढ़े। इसको पढ़ने से आपकी बुद्धि भ्रष्ट हो जाएगी। ऐसा उन लोगों ने बोला और जो संत रामपाल जी के शिष्य जो वहाँ पुस्तक वितरित कर रहे थे, बाबा जयगुरूदेव के भक्तों ने उनको पकड़कर पीटा। सारी पुस्तकों को इकठ्ठा करके जला दिया। उसी समय दास के मन में आया कि आखिर इस पुस्तक में ऐसा क्या है? लेकिन मुझे वो पुस्तक प्राप्त नहीं हो पाई थी। कुछ समय बाद गाँव के एक भक्त ने ज्ञान गंगा पुस्तक लाकर दी। टी.वी. पर सत्संग भी दिखाया। ज्ञान समझकर द���स उनके साथ सतलोक आश्रम बरवाला में आया और नाम-दीक्षा ली। दीक्षा लेने के बाद लाभ ही लाभ बढ़ते गए।
एक बार मेरी पत्नी (भक्तमति राधा) के सीने में तेज दर्द हुआ। मैंने कहा उपदेश लेने का, लेकिन उनको परमात्मा पर विश्वास नहीं था, परंतु दर्द बढ़ने पर उन्होंने सतलोक आश्रम बरवाला जाने का विचार किया। ठंड के दिन थे। ट्रेन में बहुत तेज ठण्ड लग रही थी। मेरी पत्नी ने मन ही मन कहा कि यदि परमात्मा हैं तो मुझे ठंड से बचाये। कुछ देर के बाद एक सफेद कंबल मेरी पत्नी के ऊपर आकर गिरा। मैंने पूछा कि यह कंबल किसका है? जितने भी लोग केबिन में बैठे थे, सभी ने मना कर दिया। मैंने कहा कि यह कंबल परमात्मा ने दिया है।
तब मेरी पत्नी को बरवाला आश्रम पहुँचने से पहले ही परमात्मा पर पूर्ण विश्वास हो गया और सतलोक आश्रम बरवाला पहँुचते ही उन्होंने नाम-उपदेश ले लिया। नाम-उपदेश के पश्चात् ही उनके सीने का दर्द भी ठीक हो गया।
सबसे बड़ा लाभ परमात्मा ने मेरे छोटे बेटे अरूण दास को नया जीवन दान देकर किया। उसे एक रात 10-11 बजे के आसपास अचानक सीने में दर्द और सांस लेने में दिक्कत होने लगी। वह पूरा पसीने से भीग गया और बैड से नीचे गिर गया। बेटे की हालत देखकर तो मैंने उसे मृत ही मान लिया था। मेरी बेटी ने कहा कि सतगुरु देव जी से अरदास लगा लो। मैंने कहा कि रात 11ः00 बजे अरदास नहीं लगती और मेरे पास आश्रम में अरदास लगाने का नम्बर भी नहीं है। मेरी बेटी ने मोबाइल से संभाग काॅर्डिनेटर से अरदास का मोबाइल नंबर लेकर सतगुरु देव जी से अरदास लगाई। अरदास लगाने के बा�� बेटा सांस लेने लगा। हम उसे तुरंत हाॅस्पिटल लेकर गये। उन्होंने कहा कि आपके पास 1 घंटा है।
यह कहकर दूसरे हाॅस्पिटल में रैफर कर दिया। लेकिन वहाँ पर भी एक बोतल लगाकर तीसरे हाॅस्पिटल में रैफर कर दिया। वहाँ पर 15 दिन तक मेरे बेटे को आॅक्सीजन लगी रही। उसके बाद सारी रिपोर्ट नाॅर्मल आ रही थी। डाॅक्टर भी हैरान थे। उनको समझ नहीं आ रहा था कि बीमारी क्या है?
रिपोर्ट सारी नाॅर्मल आ रही हैं। यह बहुत बड़ा चमत्कार मालिक ने किया, लड़का पूर्ण रूप से स्वस्थ हो गया।
सतगुरु जो चाहे सो करहीं, चैदह कोटि दूत जम डरहीं।
ऊत भूत जम त्रास निवारैं, चित्र-गुप्त के कागज फारैं।।
एक बार मेरा बड़ा बेटा तरूण दास काॅलेज से घर आ रहा था। उसकी बस का एक्सीडेन्ट हो गया जिसमें तीन बच्चों की मृत्यु हो गयी। लेकिन मेरे बेटे को मामूली खरोंचें ही आई और मेरे बेटे को परमात्मा ने नया जीवन दान दिया।
सतगुरु रामपाल जी महाराज जी से नाम-उपदेश लेने के बाद अब मेरी माता जी के भी हाथ काम करने लगे हैं। अब वे अपने हाथों से खाना खा पाती हैं। आज परमात्मा से नाम-उपदेश लेने के पश्चात् हमारी आर्थिक स्थिति बिल्कुल ठीक है तथा हम सपरिवार पूर्ण रूप से ठीक हैं तथा परमात्मा की भक्ति कर रहे हैं। आप सभी से हाथ जोड़कर प्रार्थना है कि पूर्ण परमात्मा धरती पर सतगुरु रामपाल जी महाराज के रूप में आए हुए हैं। उन्हें पहचानें तथा नाम-उपदेश लेकर अपना कल्याण कराएँ तथा जन्म-मरण से छुटकारा पाएँ।
।। सत साहिब ।।
भक्त रोहित दास
ग्राम-उदयपुरा, जिला रायसेन (मध्यप्रदेश)
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
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Tiger Shroff Biography in Hindi
टाइगर श्रॉफ एक भारतीय फिल्म अभिनेता है , जो मुख्य रूप से हिन्दी फिल्मों में काम करते हैं |टाइगर श्रॉफ एक प्रसिद्ध भारतीय अभिनेता, डांसर और मार्शल आर्टिस्ट हैं | वह लोकप्रिय बॉलीवुड अभिनेता जैकी श्रॉफ के बेटे हैं | वह भारत में सबसे अधिक भुगतान पाने वाले अभिनेताओं में से एक हैं |टाइगर श्रॉफ भारतीय सिनेमा बॉलीवुड इंडस्ट्री के प्रसिद्ध अभिनेता जैकी श्रॉफ बेटे हैं। जिन्होंने बॉलीवुड में ��पनी पहचान पिता के बदौलत नहीं, अपनी अभिनय, डांस और एक्शन से अपनी एक अलग पहचान बनाए हैं। वह एक ऐसे बॉलीवुड अभिनेता है जिन्होंने बॉलीवुड मैं एंट्री करने के बाद बॉलीवुड का एक्शन सीन को ही बदल कर रख दिए।
टाइगर श्रॉफ का जन्म
टाइगर श्रॉफ एक भारतीय अभिनेता, और मार्शल कलाकार हैं जिनका जन्म 2 मार्च 1990 को मुंबई, महाराष्ट्र, भारत में हुआ था। उनका असली नाम जय हेमंत श्रॉफ है। वह प्रसिद्ध बॉलीवुड अभिनेता जैकी श्रॉफ और निर्माता आयशा दत्त के बेटे हैं।
टाइगर श्रॉफ का परिवार
टाइगर श्रॉफ का जन्म बॉलीवुड के एक प्रसिद्ध परिवार में हुआ था। उनके पिता प्रसिद्ध अभिनेता जैकी श्रॉफ हैं, और उनकी माँ आयशा दत्त हैं, जो एक फिल्म निर्माता हैं। उनकी कृष्णा श्रॉफ नाम की एक छोटी बहन है, जो एक फिल्म निर्माता है और एक फिटनेस कंपनी भी चलाती है। टाइगर के दादा एक प्रसिद्ध ज्योतिषी थे, और उनकी नानी प्रसिद्ध फिल्म निर्माता जे ओम प्रकाश की बेटी थीं। टाइगर अपने परिवार के काफी करीब हैं और अक्सर अपने माता-पिता और बहन के बारे में तस्वीरें और पोस्ट सोशल मीडिया पर शेयर करते रहते हैं।
टाइगर श्रॉफ की शिक्षा
टाइगर श्रॉफ ने अपनी स्कूली शिक्षा मुंबई जुहू में स्थित बेसेंट मोंटेसरी स्कूल से पूरी की थी , और आगे की पढ़ाई उन्होंने मुंबई में अमेरिकन स्कूल ऑफ बॉम्बे से पूरी की थी | इसके बाद कॉलेज की पढ़ाई के लिए टाइगर ने एमिटी यूनिवर्सिटी नोएडा उत्तर प्रदेश में अपना एडमिशन लिया।
टाइगर श्रॉफ का फिल्मी करिअर
टाइगर श्रॉफ ने 2014 में कृति सनोन के साथ फिल्म “हीरोपंती” से अभिनय की शुरुआत की। फिल्म एक व्यावसायिक सफलता थी, और उनके प्रदर्शन क�� दर्शकों और आलोचकों दोनों ने सराहा।
इसके बाद उन्होंने 2016 में फिल्म “बाघी” में अभिनय किया, जो एक व्यावसायिक सफलता भी थी। उन्होंने 2018 में सीक्वल “बाघी 2” के साथ अपनी सफलता की लय को जारी रखा, जो उस वर्ष की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली बॉलीवुड फिल्मों में से एक बन गई।
2019 में, टाइगर ने ऋतिक रोशन के साथ फिल्म “वॉर” में अभिनय किया, जिसने बॉक्स ऑफिस के कई रिकॉर्ड तोड़े और अब तक की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली बॉलीवुड फिल्मों में से एक बन गई।
2021 में, उन्होंने “बाघी 3” फिल्म में अभिनय किया, जो एक व्यावसायिक सफलता भी थी। उन्होंने “मुन्ना माइकल,” “ए फ्लाइंग जट्ट,” और “स्टूडेंट ऑफ द ईयर 2” जैसी अन्य फिल्मों में भी अभिनय किया है।
अभिनय के अलावा, टाइगर अपने असाधारण नृत्य कौशल के लिए भी जाने जाते हैं। उन्हें विभिन्न नृत्य रूपों में प्रशिक्षित किया गया है और उन्होंने कई फिल्मों और स्टेज शो में अपने कौशल का प्रदर्शन किया हैं |
टाइगर श्रॉफ की गर्लफ्रेंड
टाइगर श्रॉफ की गर्लफ्रेंड दिशा पटानी हैं | टाइगर दिशा पटानी को 6 सालों से डेट कर रहे हैं | दिशा पटानी और टाइगर को कई जगहों पर एक साथ देखा गया हैं | दोनों एक — दूसरे से प्यार करते हैं |
Tiger Shroff and Disha Patani
More Information- https://hindifilmyduniya.in/
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आयुषमन डायरी -आयुषमन - पहली खतरनाक अग्नि परीक्षा -
पहला प्यार
आयुष्मान की पूजा -
आयुषमन की पत्नी सोनाली आयुषमन से बोली मैंने आपकी इतनी कहानी सुनी पर मुझे तो हमेशा यह लगा की लड़कियों को तो प्यार हो जाता था पर आपको बस होते होते रह जाता था | चलिए मैंने मान लिया की कोई शक्ति आपको प्यार में आगे बढ़ने से रोकती थी | फिर भी आपको सबसे पहले कब प्यार होने का अनुभव हुआ |
आयुषमन ने सोचा और फिर बोला चलो मै तुम्हें 2001 में ले चलता हू |वैसे तो मेरे माता पिता खुले स्वभाव के थे | मेरे पिता अपने माता पिता को बहुत प्यार करते थे |वोह श्रवण कुमार की तरह उनकी निस्वार्थ सेवा करते थे |पर मेरा ताऊ और मेरी तीनों बुआ बहुत स्वार्थी और धूर्त थे |वैसे ही उनके जीवन साथी और उनके बच्चे |केवल बीच वाली बुआ के पति और बेटे बाकियों से बेहतर थे | इन लोगों की सोच बहुत खराब थी |वोह इस तरह की बातें आपस में करते थे “की अगर उससे मकान या रूपया मांग लो तो देख��ा नहीं देंगें,मेरा ताऊ और उसका परिवार और तीनों बुआएँ इस तरह की बातें कर के बहुत खुश होते थे ,खास कर जगदीश और संगीता “|
घर में इन सब की ही चलती थी | उन सब के लिए अपने लिए कुछ और कानून थे और दूसरों के लिए कुछ और |पर मेरे माता पिता बह��त मेहनती और अपने कर्तव्यय को निभाने वाले लोग थे | उनकी इस शराफत का फायदा मेरे ताऊ और बुआ के परिवार उठाते थे | खासकर ताऊ और ताई जो प्यार के बारे में बड़ी गंदी सोच रखते थे | उनके लड़के भी उन दोनों की तरह चरित्रहीन थे | वोह सब हर अच्छी लड़की को भी चरित्रहीन साबित करने लग जाते थे |मेरे दादा की वजह से हम लोग उन लोगों को कुछ भी कह नहीं सकते थे |मुझे यह सब बातें अच्छी नहीं लगती थी | इसलिए जब भी कोई लड़की अच्छी लगती तो मुझे उसे अच्छा कहने में भी डर लगता था | इसलिए न लड़कियों को देखने की आदत लगी और न ही उनके बारे में बात करने की |
मैंने न ही कभी कोई प्रेम शस्त्र का साहित्य पढ़ा |मै एक अच्छा लड़का था वोह भी गुड लूकिंग |बचपन में तो मुझसे खूबसूरत कम ही लोग होते थे |मेरे पिता बहुत अच्छे चरित्र के थे |वोह हर लड़की को अपनी बहन की नजर से देखते थे |उन्होंने मुझे हर लड़की की इज्जत करना सिखाया |मेरे ददिहाल की लड़कियां तो अच्छे चरित्र की नहीं थे |पर ननिहाल में सारी लड़कियां अच्छी थी |
मेरे पिता की हैन्ड राइटिंग बहुत अच्छी थी | मेरे पिता बहुत अच्छे चरित्र के थे | मेरे माता पिता बहुत ही आदर्श पति पत्नी थे और एक दूसरे के सच्चे प्रेमी प्रेमिका थे | मेरे पिता बेहूद संस्कारी थे वोह हर बड़े के पैर छूते थे |
यह आदत उन्होंने मेरे भी डाली | पर बचपन में जयादातार बाबा के बच्चों के साथ रहना पड़ा | वोह सब बड़े निर्दयी, दिखावा करने वाले , घर में राजनीति करने वाले ,झूठे ,लालची और घर में मार पीट करने वाले थे | वोह घर में शेर और बाहर ढेर थे |
उन सब के सामने प्यार की बात करना सबसे बड़ी मूर्खता थी |वोह मुझसे बहुत ईर्ष्या करते थे |क्योंकि मै हर चीज में अच्छा था |
२००१ में मैंने पोस्ट ग्रैजूइट की डिग्री पूरी की |मै दिल्ली में था एक इंटरव्यू देने मै अपने एक मलयाली दोस्त के साथ फरीदाबाद में एक जगह कॉलेज में टीचिंग का इंटरव्यू देने गया ,मेरा वहा सिलेक्शन भी हो गया | वोह मेरा नौकरी का पहला ऑफर थे ,उन लोगों ने मुझे रोहतक में जॉइनिंग देनी थी |
पर मै वहा नौकरी करने नहीं गया |मेरे पिता बहुत जबरदस्त शिक्षक थे |सारे शहर में वोह एक बहुत सख्त टीचर के रूप में मशहूर थे |वोह बदमाश लड़कों में डॉन के रूप में मशहूर थे |इनके पढ़ाए छात्र जीवन भर उनकी इज्जत करते रहे | उनके छात्र आज भी हम लोगों का ख्याल रखते है |उन्हे अपने विषय पर सख्त पकड़ थी |मै जब १० में था तब एक बार उनकी कोचिंग में पड़ाने गया था |तब बच्चों ने काफी तारीफ की थी |इसलिए मेरे पिता चाहते थे की मै उन्ही की तरह प्रोफेसर बानू | मेरी मा बहुत विद्वान महिला थी |मेरे पिता ने शादी के बाद उनकी पढाई कारवाई थी |
मेरे पिता को मेरी मा की पड़ाई करवाने में अपने ही भाई बहनों और अपनी माता के बड़े जुल्म झेलने पड़ें |पर उन दोनों ने ठान रखी थी की वोह पढ़ाई कर के रहेंगे | मेरी मा ने प्राइवेट पड़ाई करके बहुत अच्छे नंबर पाएँ साथ ही उन्होंने डाक्टरिट की उपाधि प्राप्त की | मेरे पिता ने भी नौकरी के साथ प्रमोशन पाने के लिए प्राइवेट पढ़ाई कर के डिग्री प्राप्त की |मेरे माता पिता दोनों ही हिन्दी और संस्कृत के विद्वान बन गायें |मेरी मा ने ज्योतिषी भी सीख ली |मेरे गृह नगर में विस्व विद्यालय में कंप्युटर का पोस्ट ग्रैजूइट डिग्री कोर्स खुलने वाला था |मेरी मा जो कॉलेज में प्रोफेसर थी उन्हें इसकी जानकारी मिली उन्होंने मुझसे कहा की वहा कोशिश करो |
मै अपनी माँ के कहने पर यूनिवर्सिटी गया और बायोडाटा दे आया | इंटरव्यू के लिए एक दिन तिवारी मैडम जो वहा की विभागाध्यक्ष थी उनका फ़ोन आया और उन्होंने अगले दिन सुबह एक टॉपिक तैयार कर लाने को कहा | मैंने रात भर नेटवर्क का एक बेसिक टॉपिक तयार किया | मेरी अंग्रेजी इधर तंग हो गई थी साथ में मैंने बहुत दिन से कुछ पढ़ाया नहीं था |मै नवजोत सिद्धू की कामन्टेरी सुनता था |मैंने सोच कल जा कर सिद्धू जी की ही तरह इंग्लिश बोल आऊँगा और किया भी ऐसा |वोह अच्छा समझ में आने वाला छोटा स लेक्चर थt और मुझे नौकरी मिल गई | यह नौकरी ऐड हाक की थी |
मैंने तिवारी मैडम से कार्मिक रिसते का अनुभव किया | उसी समय एक युवा और मुझसे कम उम्र के बहुत बुद्धिमान और जोशीले शरद कटियार को भी वहा नौकरी मिली | वोह बहुत खूबसूरत व्यक्ति थे | उसके दिल में कुछ अच्छा करने की तमन्ना थी | हम दोनों में तुरंत बहुत खूबसूरत दोस्ती हो गई |वोह मेरी तरह ही साफ दिल और खुले दिमाग का था |हम लोगों को पोस्ट ग्रैजूइट की क्लास मिली | वहा के कुछ छात्र मुझसे उम्र में बड़े थे |शरद से लगभग तिहाई छात्र बड़े थे | मुझे आसान विषय कंप्युटर की बुनियादी बातें पड़ने को मिला |मेरी एक सुरू से एक बुरी बात थी मुझे काभी आसान विषय में मन लगता था |जब भी मुझे कठिन विषय या जिंदगी में कठिन परिस्थतियाँ मिलती तभी मै अपना बेस्ट देता था | शरद को सी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज मिली |वोह संपुरता के साथ बड़ी मेहनत से ��ढ़ाते थे | वोह आईआईटी रुड़की के पढ़ें थे और वहा के एक लेजन्ड प्रोफेसर के प्रशंसक थे | उन्होंने एक बार मुझे सी प्रोग्रामिंग के विषय पॉइंटर्स को बड़े आसान तरीके से पढ़ाया था |मै उनसे काफी प्रभावित हुआ |तिवारी मैडम बहुत सिद्धांत वादी और कुशल प्रशासक थी |
उन्हें देश की बड़ी बड़ी यूनिवर्सिटी में पढ़ाने का अनुभव था |वोह बहुत बड़े ई -गवर्नन्स के प्रोजेक्ट्स में शुरुआती दौर में काम कर चुकी थी |वोह संपुरता ,मेहनत ,ईमानदारी और अच्छे व्यवहार की प्रतीक थी |शरद जी और मै ईमानदारी से काम करने लगें | शरद जी क्लास में राजा की तरह पढ़ाते थे |मुझे उनकी तारीफ सुन कर बहुत अच्छा लगता था |पर मेरे पास बहुत आसान विषय था | इसलिए मुझे इंतजार था अगले सिमेस्टर का |
तिवारी मैडम हम दोनों को सिखाती थी की छात्रों से उचित दूरी तो रखना पर कभी भी इतने दूर मत जाना की वोह आपसे अपनी विषय की समस्या न बता सकें |वोह एक महान मार्ग दर्शक थी |छात्रों की सच्ची हितैषी | वोह यह भी कहती थी की हर छात्र को पढ़ाया भी नहीं जा सकता सिर्फ कोशिश की जा सकती थी |
मेरे और शरद के आदर्श इलेक्ट्रानिक्स विभाग के हम लोगों से थोड़े बाड़ें हर हीरो से खूबसूरत श्री अनुज कठियार थे | जो बहुत मेहनत से पढ़ाते थे |आज वोह सरकारी कंपनी में सीनियर पज़िशन पर है |
शरद क्रिकेट खेलते थे |मैंने भी कॉलेज से निकलने के बाद से क्रिकेट नहीं खेले था | हम दोनों को क्रिकेट खेलने का मन करता था |मै पोस्ट ग्रैजूइट क्लास के साथ ग्रैजूइट की क्लास में भी जाता था पढ़ाने |मै दिलीप कुमार साब की ऐक्टिंग में समर्पण से प्रभावित था और मुझे लगता था की किसी भी करिअर में नाम कमाने के लिए उनके जैसे ही लग्न चाहिए
|मैंने अपने माता पिता से सिखा था की जिदगी में काबलियत पर भरोषा करो कामयाबी पर नहीं | इसलिए मेरी कोशिश हमेशा से काबिल बनने की थी |
मुझे कॉलेज के जमाने से गाने का शौक था |मैंने गाने की काभी ट्रैननग नहीं ली |वास्तव में बड़ी आसानी से मिमिक्री कर लेता था |मै पुराने कलकरों के अलवाव आस पास के लोगों की नकल भी उतार लेता था |ऐसे ही मै किसि भी गायक और गायिका की नकल उतार कर उनके गए गाने गया लेता था |मै कॉलेज में अपने गाने से लोकप्रोय था |
यहा भी मै छात्रों को कभी कभी क्लास में गाने सुनाता था |मुझे अपने पिता से विरासत में दूसरे की मदद करने का स्वभाव मिला था |यहा मै अपने स्टूडेंट्स की मदद करता था |वहाँ से स्टूडेंट्स मेरे मददगार स्वभाव की वजह से पसंद करने लगे | मेरे गाने से मैंने पोस्ट ग्रैजूइट क्लास की बेहद प्रतिभासली छा���्रा अंजली जैन को गाने में डूबते हुए देखा |अंजली एक छोटे से सहर से पड़ने आई थी और हॉस्टल में ��हती थी | वोह बड़ी मासूम थी |वोह कुछ कुछ होता है की नायिका अंजली की तरह के कपड़े ही पहनती थी | उसकी रूम पार्टनर ग्रैजवैशन की बॉबी गुप्ता थी |बॉबी वास्तव में फिल्म बॉबी की डिम्पल कपाड़िया जैसी लगती थी वोह वैसे ही कपड़े पहनती थी |बाबी की पसनदीदा फिल्म कुछ कुछ होता है थी | दोनों रूम पार्टनर मुझसे यानि आयुष्मान से बड़ी प्रभावित थी |वोह दोनों आयुष्मान के गाने ,पढ़ाने और स्वभाव की आपस में तारीफ करती थी |
अंजली प्यार के मामले में शर्मीली थी | वोह क्लास के बाद आयुष्मान से टॉपिक में संदेह डिस्कस करने भी जाती थी | अंजली शर्मीली थी पर बॉबी बेहूद मासूम होने के बाद भी अपने मन की बात सबसे कह देती थी | वोह आयुष्मान के पास जाती थी और उसे बताती थी की वोह और अंजली मैडम उसकी बात हॉस्टल में खूब करते थे | बॉबी भी बेहद मेधावी छात्रा थी और एक बेहूद रसूख वाले अफसर की लड़की थी | उसको देख कर ही लगता था की वोह एक शाही परिवार से है |
वोह आयुष्मान को अक्सर बताती की अंजली उसकी पीछे कितनी तारीफ करती है |आयुषमन एक चरित्रवान और उसूल वाला व्यक्ति था |वोह लड़कियों की बातों को हमेशा अपने तक ही रखता था यह भी उसने अपने पिता से ही सिखा था |
बॉबी उससे बोलती की उसे कुछ कुछ होता है फिल्म पसंद है वोह जब उसे देखती है तो शरुख खान में आयूहमन को,काजोल में अंजली को और रानी में खुद को देखती है |उसे वास्तविक जिदगी में रानी मुखर्जी का उस फिल्म जैसा चरित्र करना है |
बॉबी कहती थी की वोह चाहती है की हम तीनों जिंदगी भर एक दूसरे के करीब रहें |वोह मुझे वहा का सबसे अच्छा व्यक्ति कहती थी ,उसकी नजर में वैसे ही अंजलि सबसे अच्छी लड़की थी |
अंजली की क्लास में एक बेहद संस्कारी,पढ़ाकू और अच्छी लड़की अर्चना अगर्वल भी थी | जो इतनी आज्ञाकारी थी की बिना आयुष्मान से पूछे लाइब्रेरी या क्लास के बाहर नहीं जाती थी |
यह बात आयुषमन समझ नहीं पता था की वोह ऐसा क्यों करती थी |आयुष्मान की आवाज क्लास में पीछे बैठे छात्रों को नहीं सुनाई देती थी | लेकिन जल्दी ही उसकी आवाज़ पीछे छात्रों तक पहुंच गयी |अगले सिमेस्टर में आयुषमन को डाटा संरचना पढ़ाने का मन था |
अंजलि के दो दोस्त दीपिका सलवानी और ऐषा अरोरा थी और दो दोस्त जिसमें एक ६ फुट ३ इंच लंबा बेहूद हैन्सम सिख जोशीला शेरदिल हरभजन और दूसरा संस्कारी लड़का निखिल श्रीवास्तव था |
पोस्ट ग्रैजूइट के छात्र आयुषमन और शरद जी के साथ बड़े खुश थे |पर एक दिन एक दुखद घटना घट गई |हुआ यह की आयुष्मान मजाक में हरभजन से बोल गया की तुम्हारे तो हमेशा १२ बजे रहते है |हरभबजन सिख पंथ का सच्चा अनुयायाई था |उसे बहुत गुस्सा आया और उसने आयुषमन पर गुसा निकाल भी दिया |आयुषमन को अपनी गलती समझ नहीं आई पर शरद जी ने बाद में उसे उसकी गलती बताई |
फिर भी अंजलि ने उलट हरभजन से कहा की जाओ आयुष���मान सर से माफी मांगों वोह बहुत अच्छे है उन्होंने जान कर कुछ क���या नहीं होगा |अगले दिन हरभजन ने माफी मांगी भी |मामला खत्म सा होने लगा |हर भजन अंजलि का सच्चा मित्र था |
आइए उस क्लास के प्रमुख चरित्र से मिलते है :बेहूद ससकारी मनीष और अयन की मित्रता मशहूर थी | विनय ,अंबिकेश ,संदीप ,देविका ,शुभाशीष की खूबसूरत मित्र मंडली ,अर्चना की दोस्त दीपाली ,ईमानदार और बुद्धिमान नवीन कुमार,पारिजात,महेन्द्रा,रितेश,अतींन,अमित ,शैलेश साथ में श्री निष्काम ,नितिन,देवेश मिश्र ,पंकज ,आशीष ,अभिषेक ,ज्ञानेन्द्र और क्रिकेटर अदनान इत्यादि |
एक दिन आयुष्मान ने देख की लड़के क्रिकेट खेल रहे है उसको भी क्रिकेट खेलने का मन हुआ |वोह लड़कों से बोल की वोह बल्लेबाजी करना चाहता है |लकड़े राजी हो गायें | उसने बल्लेबाजी करनी सुरू की |लड़कों ने बाल यूनिवर्सिटी के सबसे तेज और शानदार बोलर विनय मिश्र को दे दी | साथ में उसके दोस्त संदीप ने चुटकी ले कर कहा की सर के सर पर गेंद मारना |आयुष्मान कुशल क्रिकेटर था उसने यह बात सुन ली | वोह जान गया की गेंद कभी ना कभी शरीर पर आएगी उसने इधर उधर जाती गेंदों को छोड़ दिया |उसे इंतजार था शरीर पर आने वाली गेंद का और अंत में वोह तेज गेंद आ भी गई |आयुषमन हुक खेलना का शानदार खिलाड़ी था और उसने वोह गेंद स्टेडियम के बाहर हिट कर दी ६ रन के लिए |लड़के खुश हो गायें,खूबह ताली बजी और उसकी शॉट सब के लिए यादगार बन गई |
एक दिन लड़कों ने शरद जी और आयुष्मान से मैच खेलने के लिए कहा | मैच तय हो गया और मैच खेला गया | लड़के ज्यादा चुस्त थे और शानदार क्रिकेट खेलते थे | उन्होंने खूब रन बनाए सुरू कर दिए |वोह बड़े स्कोर की ओर थे तभी आयुष्मान बल्लेबाज के पास पावर शॉट लेग पर जा लार फील्ड करने लगा |दरअसल वोह बहुत चुस्त फील्डर था उसे उसकी यूनिवर्सिटी में जोनती रोह्डस कहते थे |उसने दो बल्लेबाजों को अपनी चुस्ती और अचूक निशों से रन आउट कर दिया |फिर उसकी गेंदबाजी दे गई |उसको स्वर्गीय शान वार्न की तरह गेंद फेकने और वॉर्न की तरह की लेग स्टम्प से ऑफ स्टम्प की ओर जाती गेंद फेकने में महारत थी |उसकी गेंदों से उसकी टीम को कुछ विकेट मिली खासकर छात्रों का सबसे अच्छा बल्लेबाज अदनान बोल्ड हो गया | छात्रों के टीम विशाल स्कोर की ओर नहीं बढ़ पाएँ |
अब स्टाफ के टीम खेलेने आई छात्रों की बोलिंग बहुत तेज और अचूक थी |फील्ड भी उच्च दर्जे की|केवल आयुष्मान ही टिक पाया | आयुषमन अकेले राहुल द्रविड की तरह टिका रहा उसकी शॉट्स सौरव गांगुली की तरह अच्छी टाइमिंग से भरी थी | पर दूसरी ओर से उसे साथ नहीं मिला |उसकी बल्लेबाजी का सबने आनंद लिया |वोह सबसे आखिर में आउट हुआ तब कुछ ही रन दूर थीं जीत |
मैच छात्रों ने जीता पर दिल आयुष्मान ने | आयुष्मान अपनी स्टूडेंट लाइफ की तरह यहा भी टीचर, गायक के बाद क्रिकेटेर के रूप में हर जगह मशहूर हो गया |
शरद जी की कॉलेज टाइम से ही विप्रो में नौकरी लग चुकी थी | वोह बस जॉइनिंग का इंटेजर कर रहे थे | नए सिमेस्टर में आयुष्मान को डाटा संरचना पढ़ाने को कह दिया गया | उस विस्व विद्यालय में बहुत से टीचर छात्रों से ग्रैड और सेससीऑनल मार्क्स देने के पैसे लेते थे |
आयुषमन का अपना एक दुखद अनुभव था |जब वोह अपने कंप्युटर प्रोग्रामिंग के अंतिम वर्ष था |तब एक दुर्घटना उसके जीवन में हुई थी | वोह अपने कॉलेज के सिर्फ दूसरे बैच का छात्र था | उसकी यूनिवर्सिटी का नाम पूर्वाञ्चल था | उस बैच से पहले केवल एक बैच वोह भी ६ महीने पुराना था |
आयुषमन कभी रसायन विभाग में कमजोर होने के कारण इंजीनियरिंग की तयारी कभी ठंग से कारण नहीं पाया था |वोह १२ वी कक्ष में जब उसके स्कूल में मैथ के भी टीचर पहली बार १२ वी में पड़ा रहे थे |वोह हमेशा १०० में १०० पूरे २ साल नंबर लाता रहा |
बोर्ड की परीक्षा में एक ५ नंबर का प्रश्न मयट्रिक्स ट्रैन्स्पज़िशन का आयाया था जिसे आयुषमन ने नहीं पड़ा था |उसके मार्क्स ९५ रह गए थे | उसके गढ़वाली शिक्षक राम प्रवेश जी को यह बात अच्छी नहीं लगी थी |पर उसके पिता जी के मित्र सुरेश आचार्य जी आज भी इस बात पर फक्र करते है |
पर रसायन के शिक्षक श्री नारायण क्लास में बिल्कुल पड़ाने में रुचि नहीं दिखते थे |
आयुषमन को कोचिंग करना पसंद नहीं था |इसका उसे नुकसान हुआ और वोह इंजीनियर नहीं बन पाया | उसके घर में दादा के बड़े बेटे और उसके बेटों ने आयुष्मान को पान मसाला के लत लगा दी | उसने मास्टर ऑफ कंप्युटर ऐप्लकैशन प्रोग्राम की तयारी कुछ समय बाद सुरू की |उसकी प्रेरणा उनसे अपने रिसते के बड़े भाई सत्यवान गुप्ता से मिला |उसने तयारी की |उस वक्त बहुत कम सीट होती थी | पर वोह कई जगह सिलेक्ट हुआ पर अपने गृह प्रदेश में नामी कॉलेज में सीट पाने से रह गया | पड़ोसी राज्य में वोह गया नहीं सीट लेने |
वोह अपने टीचर श्री कनहिया लाल सलवानी से पास गया था जिन्होंने उसकी त्यारी कारवाई थी |वोह एक सरकारी बैंक के ऑफिसर थे और बहुत महान गड़ितज्ञ थे | उन्हें हर टॉपिक की जबरदस्त पकड़ थी |वोह एक संस्कारी सिन्धी परिवार से थे | उन्होंने आयुषमन से कहा की तुम्हारा कई जगह सिलेक्शन हुआ है और बड़े हीनहार हो इसलिए तुम अच्छा कॉलेज चाहते हो तो एक बार और तयारी कर सकते हो |क्योंकि नए खुले कॉलेज में अच्छे लेक्चरर नहीं होते |
आयुष्मान उनकी बात न मान सका और पूर्वाञ्चल चल गया |वह वाकई में कोई पढ़ाई नहीं होती थी |श्री रजनीश ,आमोद,आनंद ,शमीम कुछ भी नहीं पड़ते थे |बल्कि नकल कर के छात्रों को पास होने को कहते थे |उनके खिलाफ सीनियर संजय मिश्र आवाज उठाते थे | सीनियर में स्व नीरज,संजय दुबे,राजीव श्रीवास्तव ,राजीव ,पंकज उपाध्याय ,प्रदीप और सबसे अच्छे श्री विकास वर्मा थे | श्री विकास वर्मा आयूहमन की बहुत मदद करते थे | आयुषमन उसका कर्ज कभी चुका नहीं सकता था |राजेन्द्र चौधरी ,ललित पालीवाल,विवेक छोककेर,दीपक त्यागी ,विपिन गुप्ता ,चंदन श्रीवास्तव ,नितिन महेश ,मधुकर सक्सेना, उदय भान जैसे छात्र चापलुषी करके नंबर लाते थे | अनुराग अवस्थी ,निलेश और आलोक जैसे लड़के पीछे रह जाते थे | यह टीचर छात्रों से कहते थे की इग्ज़ैम में कुछ भी लिख दो और आपस में नकल कर लो |वोह सब बिल्कुल पढ़ाते नहीं थे |
आपस में यह राजनीति करते थे | उनकी नकल के बढ़ावे से अक्सर लड़के फस जाते थे |ऐसा ही मेरे साथ हुआ अंतिम सिमेस्टर में | उन लोगों के जाल में मै फस गया | एक डायरेक्टर यादव से इन लगो ने मुझे और दो लड़कों को पकड़वा दिया | मेरे पिता बहुत उसूलवादी टीचर थे जब उन्हें यह पता चल तो वोह बहुत दुखी हूएं |यह सब मुलायम सिंह की सह पुस्तक वाला समय था | मेरे पिता ने मुझे इस परेशानी से नियम के तहत निकलवाया | मुझे बहुत पछतावा हुआ और मैंने तय किया की मै प्रोफेसर बनूँगा और वोह भी ऐसा की मेरे किसी छात्र को ऐसी किसी परेशानी न उठानी पड़ी |
हम सब को कुछ भी पढ़ाया नहीं जाता था |बिल्कुल प्राइवेट पढ़ाई की तरह रेगुलर कोर्स किया था |इसलिए आगे चल कर पढ़ाने में भी बहुत तकलीफ होने वाली थी |
मै शुरू में वहा की लैब में भी जाता था | वहा इंजीनियरिंग २००० के छात्र लव चोपड़ा जो बहुत संकरी पञ्जाबी थे और एक दक्षिण भारतीय अनिल अंडे से मेरी मूलकत होती थी |उनसे मेरी बहुत अच्छी दोस्ती हो गई थी |
मैंने डाटा संरचना ले तो लिया पर उसकी विदेसी किताब से मुझे पढ़ाना सही नहीं लगा |मैंने एक देशी किताब जो एक अच्छे प्रोफेसर के नोट्स थे सलरिया से पढ़ाने का फैसला किया |
उसी वक्त शरद जी का काल लेटर आ गया |वोह अपनी जगह एक टीचर अरुण चतुर्वेदी की सिफारिश कर गायें | अरुण चतुर्वेदी कॉलेज से पास हो कर चार साल से एक स्कूल में पड़ा रहे थे | वोह महाराष्ट्र से पढे थे और बड़ी मुश्किल से ७ साल में पास हुए थे | वोह एक चलते पुर्जे थे | वोह महान खलनायक श्री प्रेम चोपड़ा के खलनायक वाले चरित्रों से प्रभावित थे और असल जिंदगी में भी मीठे बोल बोलने वाले खलनायक जैसे शातिर इंसान थे |उन्हें शरद जी के कहने पर तिवारी मैडम ने रख लिया |दूसरा विलन विपिन कुमार गुप्ता जो रंजीत जैसा था उसे भी वह मौका मिल गया |उसे पिछले कॉलेज से हटाया गया था |वोह मेरे साथ पढ़ भी चुका था | वोह भी रंजीत जैसे खलनायक से प्रभावित था |विपिन कुमार गुप्ता के पिता मर चुके थे और उसकी बहन की शादी होनी थी |तो वोह मुझसे गिड़गिड़ाता था | मैंने दया खा कर उसकी मदद कर दी |उसकी मा और बड़ी बहन अच्छी थी |मेरे कहने पर उसे रख लिया गया | हालांकि मुझे पता था की वोह चरित्र का अच्छा नहीं है |उसे कुछ आता भी नहीं था | फिर भी वोह और उसका दोस्त प्रभात अगर्वल इतने चालाक थे की किसी के सामने सीधा बन कर काम निकाल लेते थे |
शरद जी गएँ और शरद जी के जाते ही अरुण चतुर्वेदी और विपिन कुमार गुप्ता कॉलेज आने लगें |आगे मै अरुण चतुर्वेदी को मै प्रेम चोपड़ा कहूँगा और विपिन गुप्ता को रंजीत कहूँगा |अरुण चतुर्वेदी को आप कह सकते हो वोह बिल्कुल थ्री ईडियट के बूमन ईरानी की तरह लगते थे | यानि जवानी में गंजे और उम्र से १५ साल बड़े लगते थे | वोह बड़े अहसान फ़रामोश थे शरद जी के जाते ही उन्हें भूल गायें थे |बल्कि सबसे अपने पिता को आईएएस ऑफिसर बताने लगें | और कहने लगें की उनके पिता के विस्वविद्यालय के उपकुलपति से दोस्ती है |जबकी वास्तविकता थी की उनके पिता एक सरकारी चीनी मिल के कर्मचारी थे |रंजीत के पिता एक घूस खाने वाले सनकी सरकारी अभियंता थे |
रंजीत खुद भी हर तरफ से चरित्र का बुरा था वैसा ही प्रेम चोपड़ा भी | दोनों चरित्र के बहुत बुरे थे |
उनके आने से लैब के स्टाफ भी लैब में लड़कियों को इन्स्ट्रक्ट करने के बहाने छेड़ छाड़ करने लगें| उस जमाने में मेरे गृह नगर की अधिकांश लड़कियां बहुत सीधी होती थी |वोह इस तरह की हरकतों को बर्दाश्त कर लेती थी |
प्रवेश चंद्र एक बेहद प्रतिभाशाली टीचर भी आयें वोह अच्छे इंसान थे और धीर धीरे छात्रों में लोकपरीय हो गायें |वोह सबसे लोक प्रिय थें | प्रेम चोपड़ा ने मेरी और प्रवेश जी के बीच में गलतफहमी पैदा करी |और हम दोनों गलतफहमी में आयें भी पर तिवारी मैडम ने गलफहमी दूर कर दी |और हम दोनों भाइयों की तरह दोस्त बन गायें |
बाद में एक संस्कारी हेमवती जी ने वह पर्मानेनेट जॉब में जॉइन की |वोह अच्छे थे पर रंजीत के साथ रह कर बाद में वोह मेरे घर के पास रहने वाली एक बहुत खूबसूरत अनूर संकरी बंगाली छात्रा ममता से सच्चा प्यार करने लगें और उसे अपने पास ले कर आने वाले शातिर छात्र निकुंज शर्मा के करीब आ गायें | ममता की शक्ल शमिता शेट्टी जैसी खूबसूरत थी |इससे उन्हें आज तक नहीं पत्ता की उनकी असलैयात में अच्छे लड़के लड़कियों में क्या छवि थी |
उस विस्वविद्यालय में ब्राह्मणों का वर्चस्व था | हालांकि मेरे माता पिता पेशे से शिक्षक थे और मै बचपन से ही ब्राह्मणों के बच्चों के साथ ही पला बढ़ा | हमारा मोहल्ला भी ब्राह्मणों का था | इसलिए मेरा परिवार ब्राह्मणों का बहुत सम्मान करता था | मेरे सबसे अच्छे दोस्त भी उस वक्त अनुराग अवस्थी थे | पर निकुंज शर्मा जैसे लोग अपने फायदे के लिया वाद का इस्तमल करते हैं |वाद गलत ही होता है चाहें वोह ब्रहमीन ,ठाकुर ,विशेष वर्ग ,विशेष जाती ,धरम हमेशा गलत होता है | निकुंज शर्मा एक नीच छोटी पोस्ट का बाबू अतुल दीक्षित की चमचागीरी कर के अपनी क्लास के तीन विशेष वर्ग के संस्कारी और पढ़ाकू छात्र श्री राहुल जी ,दिनेश जी और सचिन जी को जाती सूचक शब्द बोल कर लगातार अपमानित करता था |उन्होंने हेमवती जी से शिकायत भी की पर हेमवती जी के पास निकुंज ममता को लाता था |वोह युवा थे और उन्हें सच्चा प्यार था |इसलिए वोह निकुंज को कुछ नहीं बोलते थे | उनकी इस हरकत से छात्र दुखी हुए थे |वोह मेरे पास आयें मैंने निकुंज से बात की पर वोह महा शातिर था | उसने उलट चालें चलनी सुरू कर दी |वोह पढ़ाई में ठीक था और दूसरों को जल्दी ही भांप लेता था |हेमवती की कमजोरी जान कर वोह ममता को उनके पास बहाने ले कर चला जाता था |और फिर हेमवती का मजाक उड़ाता था |मैंने उन्हें बताना चाहा पर प्यार में अँधेन वोह नहीं समझें | आज तक उनके प्यार के किस्से यह मशहूर है |
पहले सत्र में मेरे पुराने प्रोफेसर की पुत्री यादें अवस्थी भी आईं |वोह सीधी और भोली थी |अगले सत्र में वोह नहीं आईं |पर वोह सच्ची इंसान थी |तीसरे सत्र में एक हीरो जैसे लगने वाले लंबे संस्कारी पञ्जाबी श्रवण आयें |वोह मेहनती शानदार और सच्चे पञ्जाबी थे | वोह सच्चे पेसेवर थे और जिदगी में उन्होंने बहुत अच्छा किया |
वोह सच्चे थे उन्होंने मुझे बताया की छात्र मेरी कड़ी मेहनत की तारीफ करते है |पर उन्होंने यह भी कहा की आप दो विषय पढ कर पढ़ा रहे है पर बच्चों को पाँच विषय पढ़ने पढ रहे है |
इसलिए उन पर दबाव नहीं डालिए |वोह सच्चे इंसान थे |प्रवेश जी भी उनकी तरह हीरो जैसे दिखते थे और मन से भी अच्छे थे | इन दोनों को सब पसनद करते थे |
मैंने सिमेस्टर सुरू होने से पहले ही पोस्ट ग्रैजूइट स्टूडेंट्स को बुलाकर डट संरचना की क्लास लेना सुरू कर दिया |मै’बहुत मेहनत और मन से पढ़ाता था |मेरी कोशिश थी की मै इतना अच्छा लेक्चर लू की उन लोगों को एक एक शब्द समझ में आयें और मै कामयाब भी था | हा मैंने किसी को नहीं बताया था की मै सलरिया की किताब से पड़ा रहा हु |मैंने उनसे यही कहाः की वोह टनेनबाउंम से पड़ें | मुझे लगा अगर मै बता भी दूंगा तो उस बूक की कॉपी उन लोगों को नहीं मिलेगी |
प्रेम चोपड़ा ने पोस्टग्रैजूइट के लड़कों से दोस्ती कर ली |प्रेम चोपड़ा के घर इंदिरा नगर के पास वोह लोग रहते थे |प्रेम चोपड़ा ने उनसे घूस ली और उन लड़कों के मेरे घर भेज दिया |वोह लड़के मेरे घर आयें और सत्र के मार्क्स बढ़ाने को कहने लगें | मेरे माता पिता दोनों बहुत ईमानदार शिक्षक थे तो मुझे यह बात बहुत बुरी लगी | उन लड़कों का नाम अभिषेक , ज्ञानेन्द्र ,आशीष और एक ओर था | मुझे अपनी खुद की पढ़ाई के समय का ध्यान आ गया |जब टीचर नकल करवाते थे और उसको पकड़वा दिया गया था । फिर मेरे पिता को बड़ी शरमंदगी उठानी पड़ी थी |
मैंने सोचा छात्र छात्राओं को बोलू की इन सब बातों पर मत ध्यान दो | मैंने उनकी क्लास सत्र होने से पहले ही बुला ली |उस समय इंजीनियरिंग वालों के इग्ज़ैम चल रहे थे |मेरी वह ड्यूटी थी पर मुझे स्टूडेंट्स को समझाना था |मैंने ड्यूटी नहीं की और पहुच गया क्लास लेने |मैंने बिना नाम लिए सब छात्रों को पूरा प्रकरण बताना सुरू किया |मैंने सारी बातें दिल से कहनी सुरू की |मैंने उन्हें बताया की इस तरह शॉर्ट कट ठीक नहीं है जिदगी के लिए |
मैंने फिर देखा अनजली,मनीष ,अयन,अर्चना ,अतींन ,नवीन,हरभजन ,अंबिकेश ,अमित ,महेंद्र ,कणिका ,शुभाशीष ,विनय ,संदीप दीपाली ,ईशा,नितिन और दीपिका को मेरी बात सच लगते देखा |मै उन सब का हीरो था |मेरे दोस्त प्रवेश आज भी कहते है की ऐसी इमेज उन्होंने आज तक किसी टीचर की नहीं देखी है |
अंजलि को मैंने फिर अपने गानों की तरह मेरी दिल से बोली गई सच्ची बातों में डूबते देखा |वोह बहुत मासूम और सच्ची थी |उसे सच्चे लोग पसंद थे | मैंने कहा की क्लास में अगर किसी को भी मेरी पाड़ाई नहीं समझ में आ रही हो तो मै यह सब्जेक्ट छोड़ दूँ | आप लोग चाहे तो मेर शिकायत तेवारी मैडम से कर सकते है | मै उनसे आप लोगों में किसी के बारे में कुछ नहीं कहूँगा |
मेरी बात सुन कर क्लास मेरे सामने ही विभाजित हो गई | प्रेम चोपड़ा के चार छात्र खुलकर विरोध में आ गायें | मै चल आया |बाद में उन लोगों ने सब लड़कों के साथ खुलकर मेरी शिकायत करने की बात की |मेरे जाने के बाद मेरे पक्ष के लड़के चुप से हो गयें और प्रेम चोपड़ा गैंग के लड़के मेरे खिलाफ पत्र बना कर सब के हस्ताक्षर करवाना सुरू कर रहे थे |तभी अंजलि ने अपने दोस्त महान हरभजन के साथ मिल कर सब को ऐसा करने से रोक लिया | उसके जबरदस्त विरोध को देखते हूएं सब लड़कों लड़कियों में हिम्मत आ गई और उन लोगों ने प्रेम चोपड़ा गैंग की हालत खराब कर दी | कुछ दिन बाद मनीष ने मुझे आ कर यह बात बताई भी | बॉबी को यह सब अंजलि से पता चला तो वोह मुझसे मिलने आई और उन लड़कों पर बहुत गुस्सा हुई | वोह मासूम थी और कॉलेज के टीचर को भी अपने घर के लोगों के तरह ही प्यार करती थी और मै उसका हीरो था |
मै यह मानता हु की कुछ मामलों में मै अपरिपक्व था | पर मै ईमानदारी से पढ़ाता था और सब को पूरी तरह सहयोग करता था | ऑटोमेटा सिद्धांत भी मुझे उन लोगों को पढ़ाना था | जिसको पड़ने वाले या जानने वाले भी काम होते थे |मैंने उसमें अच्छा प्रयास किया |मैंने दोनों विषय में ७५ प्रतिशत ही पढ़ाया |पर सारे टॉपिक ऐसे की जिन्हें क्लास में बैठ हर एक स्टूडेंट एक एक शब्द समझ जाएँ | मै हर क्लास की काफी दिन प्रैक्टिस करता था |की एक भी शब्द क्लास में गलत न बोलूँ |
फिर भी डाटा संरचना में एक गलती हो गई नोट्स से पढ़ाने में पहले चौड़ाई खोजो कलन वि��ि पढ़ाने में मुझसे गलती हो गई | नवीन जो एक ईमानदार छात्र थे उन्होंने मुझे बताया भी फिर भी मैंने तब नहीं माना |बाद में मुझे अपनी गलती पता चलीं |
नवीन ग्रैजवैशन में कंप्युटर से पड़े थे |जहा उनको नगर के सबसे अच्छे टीचर जुगल सर पड़ते थे यह विषय |लेकिन वोह ए वी एल ट्री नहीं पदाय था |मैंने नवीन जी से वादा किया की मै पाड़ाऊँगा |मेरे मित्र दीपक त्रिपाठी ने मेरी मदद की |सारे लड़के लड़कियों को ए वी एल ट्री समझ में आ गया |मेरी परतिष्ठा लगातार बढ़ गई |मेरी इज्जत सब स्टूडेंट्स करते थे |मुझे अच्छे छात्र अतींन और अंबिकेश से कुछ यादगार कमेन्ट मिलें |आतीं ने कहाः की आपने बहुत आसानी से सब पढ़ाया |हम लोगों को एक एक चीज समझ में आई है |ऐसा कोई आईआईटी का प्रोफेसर ही पड़ा सकता है |अंबिकेश ने कहा की हम लोग इस सरल विधि के पड़ने से काफी तेज हो गायें है |अब हम सब बहुत अच्छे प्रग्राममेर बन गायें है |ऐसा ही औटोमाता के लिए भी कहा गया | मेरी इस सफलता में तेवरी मैडम का हाथ था |उन्होंने मुझे गुरु मंत्र दिया था की कभी न सोचो की तुम पहली बार पड़ा रहे हो जो विषय में रुचि लेगा वोह सबसे अच्छा पढ़ाएगा |
मै आज भी उस २ k १ पोस्ट ग्रैजूइट बैच का आभारी हूँ |की उन्होंने मुझे पर विश्वास किया |आज मै जो भी हूँ उनकी बदौलत हूँ |यह उन सब की महानता है |
पर विपिन गुप्ता उर्फ रंजीत मुझे लगातार पोस्ट ग्रैजूइट छात्रों के खियाफ़ भड़काता रहता था | दरअसल उसकी नजर कुछ लड़कियों पर थी वह खासहकर अनजली,दीपाली,कनिका ,दीपिका पर |
रंजीत और प्रेम चोपड़ा खुले आम लड़कियों को फ़साने के बारे में बात करते थे |उनके साथ दीपक वर्मा जी ,आलोक यादव जी ,अनुराग तेवरी जी भी यह बातें करते थे |
हुआ यह की शरद जी बहुत मासूम थे |उस कॉलेज में यूनिवर्सिटी स्टाफ और टीचर मिल कर रूपये ले कर छात्रों के मार्क्स बढ़ाते थे | शरद जी से डायरेक्टर ने कहा की छात्रों को सत्र के अंक
जो सत्रीय परीक्षा में आयें हो वही दीजिएगा |शरद जी भोले थे उन्होंने वही किया |जब प्रथम सिमेस्टर का रिजल्ट आया तो प्रेम चोपड़ा और रंजीत ने छात्रों को कॉलेज से जा चुके शरद जी के खिलाफ छात्रों को भड़काना सुरू कर दिया था | यूनिवर्सिटी के स्टाफ नाटा अतुल दीक्षित और लंगड़े अवदेश भी छात्रों से रूपये लेते थे तो उन्होंने भी यही काम करना सुरू कर दिया |कुछ छात्रों ने शरद जी को गंदा बोलना शुरू किया | छात्रों के साथ लैब के भी लोग जैसे आलोक,राजेश। कपिल भी वैसे ही शब्द बोल रहे थे |मुझे बहुत बुरा लगा |सबसे बुरा यह लगा की बाकी लोग इसमें घी डाल रहे थें | प्रेम चोपड़ा और रंजीत छात्रों को पीठ पीछे बहुत गंदा बोलते थे |पर सामने खुल कर राजनीति खेलते थे | इन बातों से मेरा मन उस क्लास के लड़कों से उचाट गया |मैंने सोचा आगे से मै इन्हें न ही पढ़ाऊ | मै गलती कर बैठा रंजीत ने हरभजन के खिलाफ मुझे भड़काया और मै बातों में आ गया और मैंने उसको सत्र की परीक्षा में अंक के मामले में न्याय नहीं दिया |यह मेरी बहुत बड़ी गलती थी |इसके बाद भी खुद पर विस्वास करने वाले हरभजन ने कभी मुझसे इस बात का जिक्र नहीं किया |उसने मुझे माफ कर दिया या जाने दिया |यह उसकी महनता थी | दूसरी गलती अगले सत्र में मै उसके और अंजलि के संस्कारी दोस्त निखिल नारायण के साथ अभद्रता कर गया था | मैंने सोचा की कभी माफी माँगूँगा |पर ऐसा कर नहीं पाया |
मुझे अगले सत्र में उस बैच की क्लास नहीं मिली बल्कि मेरे दोस्त बन चुके लव चोपड़ा की क्लास मिली |
आज सोचता हूँ की कुछ लोगों की वजह से मुझे उन लोगों की क्लास नहीं छोड़नी चाहिए थी क्योंकि पोस्ट ग्रैजूइट के २००१ के छात्रों का ही अहसान है की जो मै आज इतना बड़ा अधिकारी हूँ |
अंजलि को मेरी वोह दो बातें अच्छी नहीं लगी |क्योंकि वोह मुझे बहुत अच्छा इंसान मानती थी और इन बातों से उसे बहुत दुख हुआ था |
अगला सत्र सुरू हुआ मैंने खूब ज्यादा ही मेहनत कर डाली | जो ग्रैजूइट छात्रों को पास्कल के एक दो टोपिक्स अचानक मिलें मुझे |मुझे नहीं आता था | मैंने अच्छा नहीं पद्या |पर छात्रों ने कुछ भी शिकायांत नहीं की |मैंने उनसे वादा किया की मै उन्हें अगले सिमेस्टर में सी प्रोग्रामिंग पढ़ाऊँगा |और ऐसा पढ़ाऊँगा की ऐसा उन्हें किसी ने इतनी मेहनत से नहीं पढ़ाया होगा | मुझे खुद कभी कंप्यूटर के पोस्ट ग्रेजुएशन में अच्छे सेशनल मार्क्स नहीं मिले थे | सेशनल मार्क्स पाने के लिए मैंने कभी कोई चाप्लूशी भी नहीं की | अपने दम पर अकेले कठिन विषयों में अच्छे मार्क्स लाएं | इसलिए मुझे भी यह पसंद नहीं था की कोई छात्र मेरे पीछे आएं इन नंबर्स के लिए | मै युवा था जोश में था यह समझ नहीं पाता था की पढ़ाने के आलावा टीचर एक सलहकार भी हमेशा होता है | मैंने उस वक़्त इस बारे में कभी किसी से राय भी नहीं ली |विपिन चंद एक झूठा व्यक्ति था वैसा ही अरुण चतुर्वेदी |२००० के दशक में झूठी पेशवरता देश में छायी थी | जिसमें गुणवत्ता की अपेक्षा दूसरों को पछाड़ने को और जयादा पैसा किसी भी तरह कामने की धुन लोगो में थी | लम्बी दौड़ का घोड़ा बनने की जगह लोग मौका मिलते ही पैसा कमाने में लग जाते थे |लेकिन मुझे अपने माता पिता से लम्बी दूर तक चलने वाले सस्कार मिले थे की सफलता से ज्यादा क़ाबलियत लाने पर विश्वास करो | अगले सत्र के लिए विषय आवंटित हो रहे थे | मै इंजीनियरिंग के २००० बैच के छात्रों से मिलता था मैंने ऑटोमेटा मशीन सिद्धांत का कुछ पोरशन पोस्ट ग्रेजुएट की क्लास में पढ़ाया था इसलिए मै चाहता था की मै इंजीनियरिंग में पूरा विषय पढ़ाऊँ | इससे पहले यह विषय यहाँ किसी ने नहीं पढ़ाया था बल्कि मेहमान बन कर देश के महँ कॉलेज के एक महँ प्रोफेसर श्री रघुराज यहाँ आ कर क्लास लेते थे | श्री रघुराज सब छात्रों के पसंदीदा थे | लेकिन हमेशा व्यस्तता के कारण उनका आना संभव नहीं होता था |मै उनके पढ़ाने के बारे में सुन कर रोमांचित होता था और सोचता था की काश मेरा नाम भी छात्रों की जुबान पर इतने सम्मान के साथ कभी ऐसे ही आएं | मैंने जैन मैडम से अनुरोध किया की यह सब्जेक्ट मुझे दे दिया जाएँ | पर नए प्रवक्ता होने की वजह से उन्हें मुझे पर विश्वास नहीं था | लेकिन तिवारी मैडम ने उनसे कहा की इसने पोस्ट ग्रेजुएशन में इस विषय को पढ़ाया है | और वहा से कभी कोई शिकायत नहीं आयी है ,इसलिए आप इसे दे सकते हो | खैर जैन मैडम इस बात पर राजी हुई की बच्चों को कोई तकलीफ नहीं होनी चाइये |
सत्र शुरू हुआ मैंने इस विषय की बहुत सी किताबें अलग अलग दुकानों से खरीद ली | मैंने उसकी प्रोब्लेम्स लगानी सुरु कर दी | क्योंकि मुझे जैन मैडम की बात याद आती थी की छात्रों को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए | वोह छात्रों के लिए बहुत ईमानदार थी | वैसा ही हाल तिवारी मैडम का भी था | दोनों अपने पेशे में पूरी तरह ईमानदार थी | इंजीनियरिंग के छात्र शरारती थे हालाँकि वोह सब दिमाग से बहुत तेज और मन से बहुत अच्छे थे | लव ,अनिल एंडी ,मनीष सिंह ,मयंक ,प्रशांत ,निधि ,शालिनी ,सुप्रिया ,सौरभ ,आशीष ,अनुकश इत्यादि थे | वोह शोर मचाते हुए पढ़ते थे | उन्हें यह विषय जो गणित के करीब थे पढ़ने में बहुत अच्छा लगता था | पर जब वोह शोर मचाते थे तो मानते ही नहीं थे | मुझे लगा की उन्हें मेरा विषय समझ में नहीं आ रहा है | मैंने वहा के सीनियर श्री दीपक से कहा पर वोह बड़े राजनैतिक व्यक्ति थे उन्होंने मेरी बात शिकायत के रूप में तिवारी मैडम से कर दी | तिवारी मैडम ने कुछ अच्छे छात्रों जैसे लव ,मयंक,प्रशांत को बुला कर पुछा तो उन्होंने बताये की सबसे अच्छा मै ही पढ़ा रहा हूँ | उन्होंने अरुण चतुर्वेदी के परिचालन व्यवस्था की भी तारीफ की |पर कहा की मेरी सीधे होने का फायदा कुछ शरारती बच्चे ले रहे है| मुझे यह बात बताई गयी अगली बार एक दिन छात्रों ने शोर मचैया तो मैंने उनको आवाज़ ऊँची कर के डाट लगाते हुए डाटना चाहा पर मेरे मुझ से अपशब्द निकल गायें | लेकिन वोह सब मासूम थे उन्होंने न कुछ कहा और न ही मेरी कोई शिकायत की | बल्कि इसके बाद मेरे मन की भवनाएं समझ कर अच्छे से पढ़ने लगें | क्लास के कमजोर से कमजोर छात्र को भी विषय समझ में आया | और एक लड़के ने आगे चल कर इस विषय के दम पर गेट भी क्वालीफाई किया है | इंजीनियरिंग में भी श्री दीपक ,अनुराग,राजीव ,राजेश जैसे शिक्षक की वजह से ग्रेड सिस्टम की वजह से टीचर घूस ले कर लड़कों की ग्रेड आगे पीछे करते थे | उसी वजह से एक अच्छा लड़का सरूभ भी अपने सरकारी इंजीनियर पिता के साथ मेरे घर आया और ग्रेड बढ़ने की विनती के |पर मैंने मिठाई भी लेने से मना कर दिया उसने मेरी हर जगह जा कर तारीफ की | और मेरी ईमानदार छवि इंजीनियरिंग में भी बन गयी | बाद में सौरभ कुछ अंकों से ��ॉप ग्रेड लेने से रह गया |वोह बेचारा पैर छु कर चला गया | अरुण चतुर्वेदी यहा भी पोस्ट ग्रेजुएट की चाल चल गायें और एक लड़के मनीषा नाथ चौधरी को मेरे पीछे ले दे कर अच्छी ग्रेड देना का ऑफर दिया |पर मैंने उसे मना कर दिया | ग्रेड का इतना गोरख धधा था की एक अच्छा लड़का केवल १ नंबर से टॉप ग्रेड पाने से रह गया | मुझे कहा गया की मै ग्रेड बदल सकता हूँ |पर मैंने नहीं की मुझे लग्गा इससे दोस्सरे छत्र गलत सोचेंगे | उस छात्र का नाम विश्वनाथ था का नुक्सान हुआ | पर उस महान ने उल्टा मेरी ईमनदारी की हर जगह तारीफ कर दी | छात्र चाहते थे की मै आगे भी पढाऊ | पर तिवारी मैडम चाहती थी की मै संगणक के पोस्ट ग्रैजूइट और ग्रैजूइट की ही क्लास लूँ |पिछले साल लव से मिला तो पुराने दिन याद आयें | उसकी क्लास से अपशब्द कहने की एक गलती की माफी सब से चाहता हूँ | २००५ जनवरी में यह बैच पास आउट हो चुका था तो वह मुझे एक होटल में उस बैच का सबसे संस्कारी छात्रों में से एक श्री मनीष यादव मिला | उसने मुझे पहचान लिया और मेरा नंबर ले लिया उसने बताया नोएडा में बहुत से बैच के लड़के है काफी की नौकरी लग गई और कुछ ढूंढ रहे है |
उसने मेरा नंबर लिया और अगली शाम शनिवार थी मेरे पास पहले लव का फोन आया फिर संतोष और कुछ ,देखते ही देखते २० -२५ छात्र मेरे कमरे में आ गायें |मै अपने बचपन के दोस्त बेहूद शरीफ श्री अमित श्रीवास्तव के पास रुका हुआ था | सभी छात्र आ कर मेरे पास एक घंटे से ज्यादा रुकें | उनसे मिल कर बड़ी खुशी हुई वोह सब जिंदा दिल थे | लव के संस्कार के कहने ही क्या | मेरे पिता सदैव पञ्जाबी परिवारों की खूब तारीफ करते थे और उनके संस्कारों की दिल खोल कर तारीफ करते थे |लव वैसा ही था उसने आज भी सिंगापूर में वर्षों रह कर भी अपने बच्चे को संस्कृत ,गीता और भारतीय संस्कृति का खूब ज्ञान दिया है | मेरे दोस्त को बहुत खुशी हुई ��नसे मिल कर | उसने बाद में मुझसे कहा की तुमने दिल से इन छात्रों को पढ़ाया होगा इसलिए यह लोग यहाँ तक आयें |सब के सब बेहूद पढ़ाकू और संस्कारी उसके लगें |श्री अमित बहुत काबिल व्यक्ति है वर्षों से लंदन में सेटल है |वोह मेरे बचपन के दोस्त है |
मेरा आज भी यही मानना है की शायद यह बैच उस समय का वहा का सबसे पढ़ाकू बैच था | मुझे आज भी फक्र है की ऐसा बैच उस वक्त मेरी तारीफ करता था | एक मैनिज्मन्ट के प्रोफेसर ने उस व्यक्त मुझे इस क्लास का फीडबैक दिया था की छात्र कहते है की मै अपनी जान की बाजी लगा कर उनको पढ़ाता हूँ |
लव यूनिवर्सिटी का सबसे अच्छा छात्र था और उसके समकक्ष केवल संगणक ग्रैजूइट के टापर लड़की पूजा ही थी | इन दोनों की काबलियत का मै शुरू से बड़ा प्रशंसक था |बाद में दोनों को ही गोल्ड मेडल मिला |मै दोनों का पसनदीदा टीचर था |
पर उधर ग्रेजुएशन की क्लास में कुछ और हो रहा था|
पोस्ट ग्रैजवैशन में विपिन उर्फ राँजीत पढ़ाने जाने लग्गा उसे थोड़ी बहुत संरचित की पूछ ताछ भाषा आती थी | वोह जान कर ज्यादातर लैब में रहता था उसकी नजर अंजलि जैन और उसकी दोनों दोस्त , दीपाली और कणिका पर थी |यह बात वोह खुल कर बोलता था |
मै ,श्रवण और प्रवेश चुप रह जाते थे |क्योंकि बाकी सब भी उसकी तरह की ही बातें करने लगे थे | यह सब तब हो रहा था जब विभाग में सबसे सीनियर जैन मैडम और तिवारी मैडम थी |वहा के डायरेक्टर श्री शरण भी अपने खराब चरित्र के लिए बदनाम थे |
इसलिए किस्से शिकायत करें यह बात समझ नहीं आती थी |अतुल दीक्षित और लंगड़ा अवदेश मुझे टारगेट करने लगें | मुझ में उस समय एक दिक्कत थी की मुझसे गलत बात उस समय बर्दाश्त नहीं होती थी | क्योंकि मै कुछ गलत करता नहीं था | वोह लोग मिल कर छात्रों से मेरी झूठी शिकायत करने लगें |बात शरण जी के पास पहुंची मैंने उनसे सच बताना चाहा |पर वोह नहीं मानें | हालंकी मेरे एक छात्र निटेश के पिता जी ने मुझसे आ कर मेरी तारीफ करते हुए बस यह कहा की अपने छात्रों को प्यार इसी तरह करती राहिएगा |
एक दिन मैंने विपिन चंद्र को अंजलि को खुले आम छेड़ते देखा |मैंने देखा वोह असहाय थी आउट लैब के सारे लोग कुछ भी नहीं बोल रहे है |क्योंकि वोह सब ऐसे ही थे | श्री दीपक भी आनंद उठा रहे थे |मुझे यह बरदशत नहीं होता था |मुझे बहुत गुस्सा आई अंजलि ने मेरे भाव भी देख लिए थें |पर मै मजबूर था और चुप रहा गया |बाकी छात्रों को भी चुप देखा मैंने |मैंने अपने आप को हताश पेय क्योंकि मै जनता था की कुछ महीने पहले इसी लड़की ने मेरी झूठी शिकायत होने से रोक था |और इस महान लड़की ने कभी मुझसे उस बात का जिक्र भी नहीं किया था | मैंने बाहर आ कर विपिन चंद्र को समझाया पर वोह नीच कहा मानने वाला | मै कॉलेज के जमाने से उसे जनता था वह भी उसकी वजह से ट्रेन में मार पीट हुई थी |वोह पिछले कॉलेज में पीटा भी गया था |यह बात मुझे बरसों बाद पत्ता चली थी |
मै मजबूर हो कर आ गया | विपिन की शिकायत किसी ने नहीं की |वोह और अरुण चतुर्वेदी छात्रों को नंबर का लालच देते थे |
अंजलि की रूम में रहने वाली बॉबी अगले दिन आईं और मुझसे बोली “सर ,अंजलि मैडम आपकी अब तारीफ नहीं करती है |कल जो कुछ हुआ वोह आपसे उम्मीद करती है की आप उनकी इज्जत की रक्षा करोगे | मेरे आँसू आ गायें और मैंने उससे कहा की मै मजबूर हूँ याहह के लोग अच्छे नहीं है ,मुझे भी परेशान करते है | मै भी समय काट रहा हूँ | बॉबी बोली की सर कोई बात नहीं आप यहाँ सबसे अच्छे है ,यह सारे अच्छे लड़के लड़कियां बोलते है | मैंने बहुत खूबसूरत बॉबी के आँखों में अपने लिए दीवानगी देख ली थी |मै समझ गया की अंजलि के बाद यह भी यानि अब प्रेम त्रिकोण बन चुका है |पर मुझे अभी बहुत दूर जाना था यह सोच कर मै कोई पहल नहीं करता था |बल्कि किसी को यह बात नहीं बताई | पर मन ही मन यह बात सोच कर मै यूनिवर्सिटी आता था की यहा भी हर जगह की तरह अच्छी,खूबसूरत और बुद्धिमान लड़कियां मुझे पसंद करती है |
सबसे अच्छी बात थी की मुझे हर क्लास की सबसे तेज छात्राएँ पसंद करती थी |जबकी मै कभी किसी को नंबर में फायदा नहीं देता था |
बॉबी की बातों से मुझ में जोश आया और अब जब भी विपिन और अरुण चतुर्वेदी किसी लड़की को बुलाते छेड़ छाड़ के लिए तो मै चालाकी से उन लड़कियों को बचा लेता था |
विपिन से मैंने अंजलि की दोस्त दीपिका ,ईशा ,दीपाली और कणिका को बचाया |और उनसे यह भी कहा की चिंता मत करना पर मुझसे कभी कही बोलना नहीं वरना मै तुम लोगों की मदद नहीं कर पाऊँगा |
मैंने अपने माता पिता से सीखा था की किसी लड़की की अगर इज्जत की रक्षा करना तो इज्जत की रक्षा करके तुरंत भूल जाना | मै समझ गया की मै यहाँ सबसे पंगे ले रहा हूँ |पर मै तो मै आज भी मै हूँ |
लेकिन मामला और भी खराब हो चुका था स्नातक के छात्र सारांश कनौजिया ,विकास ,रोहित कलर, शिवानशू ,अंशुमान और एक और विकास की शिकायतें उनकी जूनियर लड़कियों के साथ उनके साथ की अच्छी लकड़ियों ने भी की |की वोह विपिन ,हेमवती ,अरुण चतुर्वेदी और लैब के स्टाफ को देख कर उन लोगों को खुले आम छेड़ रहे हैं |
मैंने लड़कों को बुलाया समझाया पर वोह समझने वाले नहीं लगें |वहा के निदेशक भी अपने चरित्र के लिए बदनाम थे |इसलिए मुझे किसी पर विश्वास नहीं था मैंने खुद ही अमिताभ बच्चन की तरह उन लोगों की बुरी हालत कर दी |
अब उलट वोह लड़के जा कर अतुल दीक्षित और लंगड़े अवदेश से मिल कर मेरे खिलाफ साजिश रचने लगें | अरुण चतुर्वेदी खुलेआम मुझे कहने लगें की लड़कियों के चक्कर में हीरो मत बनो |मै चुप रहा |ग्रैजवैशन और इंजीनियरिंग में मेरा इतना आदाब था की कोई भी बदमाश लड़के किसी भी लड़की को छेड़ने से डरने लगें |
एक दिन बॉबी मुझे अकेला देखा कर आईं और उसने बताया की हर जगह लड़कियां आपकी तारीफ कर रही है की आप सबसे जायदआ मेहनत करने के अलावा अच्छे चरित्र के भी है | सब लोग आपको दुआएँ दे रही है |
मैंने सोचा अब अगर काले बंदर की तरह लगने वाला विपिन चंद अगर अनजली को छेड़ेगा तो मै नौकरी की परवाह नहीं करूंगा |और उसकी हालत कहरब करूंगा |दुबारा फिर हुआ मै त्यार था पर मैंने पाया की अनजली तो मेरी ऐसी दीवानी हो चुकी है की वोह खुद तयार थी ऐसे मौके का | उसने मुझे जो इशारा किया उसे मै यह समझ गया की वोह खुद विपिन चंद को इलसिए यह मौका दे रही थी ताकि मै उसके करीब आउन |मै प्यार में पड़ना नहीं चाहता था इसलिए थोड़ी दूरी बना ली |
वोह एक छोटे से सहर की बड़ी पढ़ाकू लड़की थी |उसके लिया बॉबी की तरह प्यार का मतलब प्यार ही था |
मुझे लगा यहा तक ठीक है लेकिन अब पढ़ाने पर ध्यान दो |जिदगी में वैसे भी काफी पीछे रह गये हूँ | मै ग्रैजूइट वालों को c भाषा की संगनकन में कार्यक्रम निर्माण पदाता था |
मै उनको बहुत मेहनत से पदाता था |मै उनको डाट भी देता था |मुझे लगता था की उन्हें अच्छे से पढ़ूँ |अच्छे लड़के लड़कियां ��ूब अच्छे से पड़ते थे पर बाकी सब धीरे धीरे बिगनदने लगें तहें | उनमें बहुत सारे विश्वविद्यालय के रशुख वाले लोगों के परिवार से थे |मुझे ,श्रवण और प्रवेश जी को छोड़ दें तो बाकी सारे जूनियर टीचर और लैब वालें उनकी चमचागीरी करते थे और उन्हें मुफ़्त के नंबर देते थे | जिन लड़कों को मैंने छेड़ छाड़ पर डाटा था वोह मेरे सबसे बड़े दुश्मन बन चुके थे |
अच्छे लड़के लड़कियों की उम्मीद मै ही था |जो किसी भी तरह की तरफदारी करना नहीं चाहता था |
एक दिन मैंने कुछ स्नातक के लड़कों को मुझे गाली देते सुना |मुझे दुख हुआ मै अपने पुराने टीचर महान श्री सुरेश शुक्ल जी से मिला |तो उन्होंने कहह की सिर्फ कर्म करो सालों बाद जब वोह तुम्हारी काही तारीफ करेंगे तो तुम्हें खुशी होगी |
मेरे अंदर एक बहुत बुरी लत मेरे ताऊ के लड़कों ने डलवा दी थी |पान मसाला खाने की |इसकी वजह से मेरी काफी बदनामी होती थी |
मेरे पिता बहुत चिंतित रहते थे |वोह उसूल वालें व्यक्ति थे |और बहुत अच्छे चरित्र के थे मैंने उनसे अच्छा चरित्र शिखा था | उनके संस्कार की वजह से मुझे आज भी एक चरित्र वां व्यक्ति माना जाता है |वोह लोगों को पान मसला या नशा छोड़ने के विज्ञानिक तारीकें बताते थे |
पर मुझसे ही परेशान हो गए थे | वोह विस्व विद्यालय आते थे |एक दिन जब वोह मेरे कमरे में आयें तो वह उन्होंने देखा की मै पान मसाला कहा रहा हूँ | उनको बड़ा दुख हुआ उन्होंने बाहर देखा की ग्रैजवैशन दूसरे साल की छात्राएँ खड़ी थी | उनमें बॉबी भी थी |उन्होंने सब के सामने कहा की तुम लोगों में जो भी अपने सर की पान मसाला की लत छुड़वाएगा |मै उससे उनकी शादी करवा दूंगा | खुद मेरे पिता के शब्द सारी लड़कियां बहुत खूबसूरत थी | बॉबी यह सुन कर बोली की अंकल मै सर की यह आदत छुड़वा दूँगी ,क्या आप मेरी शादी इनसे करवा देंगें |
मेरे पिता बोलें हा जरूर वोह बोली मै रोज इनके पास आऊँगी |और इन्हें याद दिलवाऊँगी |उसकी सबसे अच्छी बंगाली लड़की ममता थी जो मेरी पड़ोसी थी |मै युवा था मै सोचता था की मै यहाँ अच्छा चरित्र राखू यहाँ ताकि मेरी मोहलें की लड़की कभी मेरी शिकायत मोहलें में न करें | इलसिए मै उसका विशेष कहयाल रखता था |बॉबी रोज उसके साथ आती थी |वैसे ममता शांत थी पर एक दिन मुस्कुरा कर बोल दी की सर बॉबी आपको देखने के लिए ही कॉलेज आती है और मुझे आपके पास बहाने से लाती है |मै बहुत ज्यादा शर्मिला था इसलिए शर्मा गया |
बॉबी के पिता एक रसूख वाले सरकारी अधिकारी थे |वोह लोग वैश्य थे |उसके माता पिता आ कर मुझसे मिल चले भी गायें है |
बॉबी की क्लास में वोह मेर गर्ल फ्रेंड के रूप में जानी जाने लगी और वोह बहुत खुश थी |यह बात टेयचर्स को भी पता चलने लगी |की बॉबी मुझे पसंद करती है और ममता मेरे पास उसे बहाने से लाती थी |
अच्छे लोग इसे बॉबी की अच्छाई मानते थे |क्योंकि वोह सबकी दुलारी थी और सब को घर वालों की तरह जो प्यार करती थी |
मेरे लिए कोई भी फैसला करना आसान नहीं था क्योंकि एक दिन मुझे पत्ता चला की कोई तीसरी दीवानी भी है |वोह भी यूनिवर्सिटी की सबसे संस्कारी अच्छी पढ़ाकू अरचना अगरवाल जो अंजलि के क्लास की थी |उसे जो भी जनता होगा वोह उसे अच्छी लड़की ही कहेगा |वोह इतनी आज्ञाकारी थी की अगर लाइब्रेरी भी जाती थी तो बता कर जाती थी |
एक लड़का देवेश मिश्र था जो अपने दोस्तों के साथ मेरे कॉलेज के सीनियर अभिषेक गुबरेलाए के पास ट्यूशन पड़ने जाता था |देवेश की दोस्ती दीपाली के साथ थी जो अर्चना की दोस्त थी | विपिन चंद दीपाली को अपने पास बहाने से बुलाता था |मैंने दीपाली को उससे बचाया भी था |
विपिन चंद देवेश को तंग करता था दीपाली की वजह से | एक दिन देवेश उससे लड़ गया |मैंने विपिन चंद को शांत किया क्योंकि मुझे लगा की विपिन की गलती है |विपिन चंद ने बाद में उसके नंबर भी काटें | उसी वक्त दीप त्रिपाठी नाम का लड़का मेरे पीचले साल के पेपर में बैक दे रहा था | उसके पिता ने डायरेक्टर शरण से सिफारिश की |शरण जी मुझसे बोलें की देख लेना |दीप के पिता यूनिवर्सिटी में स्पोर्ट्स ऑफिसर थे |वोह मेरे पास आयें और बोलें की देख लीजिएगा मेरा बेटा कह रहा था की आप बहुत उसूल वाले व्यक्ति है आपसे इस तरह की बात मत करना पर मै बाप हूँ इसलिए आया हूँ ,वोह बड़े थे मैंने खुद उनसे हाथ जोड़ें और कहा की देखता हु क्या हो सकता है |
मै अपने कमरे में आया की देखा अर्चना मेरे कमरे में आई हालांकि मै उसे पढ़ाता नहीं था तब |उसने मुजहें प्रपोज करते हूएं कहा की सर क्या आप मुझसे शादी करेंगे ,मैंने यह महसूस किया की उस समय कोई नकारात्मक शक्ति भी आस पास थी |
मै चौक गया था क्योंकि इस तरह का प्रस्ताव किसी लड़की से मुझे पहली बार सामने मिला था |वोह भी सबसे अच्छी लड़की से | पर मैंने उससे कहा की अभी मेरे करिअर की बस सुरुआत है और आप पढ रहे है ,आप सबसे अच्छे है |अभी हम सब यही है आगे देखते है |यह कहा कर मैंने उससे सम्मनजनक तरीके से समझाया |
उसके जाते ही मै मन ही मन खुश था की ऐसि अच्छी लड़की ने मुझे प्रपोज किया था |पर मै जैसे ही कमरे से बाहर निकला देखा की देवेश अपने दोस्तों पंकज के साथ आया और बोल की सर देखोइए आपको एक लड़की से प्रपोज करवा दिया |अभिषेक सर ने हम लोगों को बताया था की आप इस मामले में बेकार है |देखिए आप कुछ कर नहीं पाएँ | अब आप दीप का काम कर दिएगा |वरना आपके सब लोग आजकल खिलाफ है |
मै इस धमकी से सन्न रह गया |मै समझ गये की अर्चना को देवेश ने बेवकूफ बनाया है क्योंकि मै क्लास में खुले आम अर्चना और ईशा की खुलेआम तारीफ कर देता था |
लेकिन अर्चना का प्रपोज करना वास्तविक था क्योंकि वोह अच्छी लड़की थी | मैं अर्चना की वजह से चुप था मैंने उसे कुछ नहीं कहा बल्कि अर्चना से कहा की अब वोह मेरे कमरे में मत आयें वरना यह उसको बदनाम करनेगे | मै आते जाते उसके हाल पूछ लेता था |तब से मैंने किसी लड़की की आज तक खुले आम तारीफ करना छोड़ दिया था |
बाद में मुझे यह पत्ता चल की देवेश दीपाली को भी बेवकूफ बनाता था |मैंने तय कर लिया की दीप के जबरदस्ती नंबर नहीं मै बढ़ाऊँगा |और वोह पास नहीं हुआ |इसका खामियाजा यह था की जब मै फसाय गया तो सरन साब ने मुझे फसने दिया |
अरुण चतुर्वेदी महान चरित्र थे एक बार अर्चना उनसे कह कर गईं की सर १० मिनट बाद आऊँगी लाइब्रेरी जा रही हूँ |तो चतुर्वेदी बोले १० मिनटुए तो क्लास होगी |चतुर्वेदी की क्लास जोक्स से भारी होती थी |एक बार उन्होंने हाथ की घड़ी ब्लैक बोर्ड में रखी और बोलें मै देख रहा हूँ की कौन क्या कर रहा है तो बच्चों के चॉक मार दी उन्हें | वोह छात्रों के लिए एक आइटम थे |वोह और विपिन बेशर्म थे |
मैंने स्नातक कोर्स के दूसरे साल के छात्रों को c पढ़ानी सुरू की |मै उन्हें बहुत दिल से पढ़ाता था |धीरे धीरे मैंने उन्हें ३ घंटे की क्लास ले कर पढ़ाना सुरु कर दिया |अच्छे विद्यार्थियों के लिए यह सुनहर्र अवसर था |मै कहता था की आप मुझे मेहनत करने दें |आप लोग सिर्फ क्लास अटेन्ड करें |मै इतनी मेहनत करूंगा की २० साल बाद भी आप याद रखोगे |पर क्लास के आधे लोगों को पढ़ाई में कोई रुचि नहीं रह गई थी |उन्हें हवा लग गई थी | उनमें से कुछ को मैंने छेड़ छाड़ पर बेइज्जत भी किया था | उन्हें अतुल दीक्षित और अवदेश का समर्थन था |वोह लोग कॉलेज में नंबर बढ़ाने का धंधा करते थे | वोह मुझसे बहुत छिड़ते थे | लेकिन अच्छे लड़के लड़कियां इसका फायदा उठाते थे | खास कर क्लास की टापर पूजा जो बहुत संस्कार वाली हर चीज में तेज और निपुण लड़की थी |वोह विसविद्यले की उस समय की सबसे होशियार लड़की थी |वोह हमेशा टापर बनी और गोल्ड मेडल भी पाई |
बॉबी मेरे पान मसाला छुड़वाना चाहती थी पर मुझे नहीं छोड़ना था |इस बात पर धीरे मै उससे चिद गया |मैंने उस पर गुस्सा भी किया कई बार |यह देख कर ममता को भी बुरा लगा | बॉबी का दिल टूट गया |एक दिन राहुल जी ने मुजहें सब के सामने बुरी तरह धो दिया की सर आपको पत्ता है की यह क्लास की सबसे दुलारी लड़की है और यह हम लोगों को नहीं आपके पास गर्ल फ्रेंड की तरह जाती है |
और आप उसके साथ बदसलूकी करते हो |पर मुझे यह समझ न��ीं आया |पूजा भी मेरी मेहनत देख कर धीरे धीरे मुझे घर के सदस्यों की तरह ही इज्जत करने लगी |पर जब मैंने देखा की अच्छा रिजल्ट नहीं दिख रहा है तो मै बुरा महसूस करने लगा |उस समय एक बार फिर अपरिपक्वता दर्शी |मुझे कुछ टॉपिक फिर से पढ़ाने चाहिए थे |पर मै ऐसा नहीं कर सका |
मुझे अरुण और विपिन ने पूजा के खिलाफ कुछ बोल दिया |मैंने उसकों बेइज्जत करना सुरू कर दिया यह तक की एक दिन उससे बोल दिया की मेरे चेहरे की ओर क्यों देख रही हो ,मुझसे दूरी बना कर खड़ी हो |
पर उसने सब बर्दाश्त किया |क्योंकि वोह मेरी पढ़ाने के अंदाज की सबसे बड़ी प्रशांशक बन चुकी थी | ��ैंने उस सत्र में उसकी प्रतिभा के हिसाब से नंबर नहीं दिए |कई साल बाद उसने मुझे बताया की मेरी वजह से वोह कई बार परेशान हो जाती थी लेकिन फिर यह सोच कर भूल जाती थी की मै बहुत मेहनत कर के पढ़ाता हूँ |यह उसकी महंत थी की उसने मुझे माफ कर दिया |
मेरी मेहनत के बाद भी छात्रों ने अच्छे नंबर नहीं लाएँ |हा अच्छे छात्रों की विषय में मजबूत पकड़ जरूर बन गईं |मैंने कहा की अगली बार जब तथ्य संरचना आप लोगों को पड़ूँगा |तब कम समय की ही क्लास लूँगा क्योंकि आप लोग अभी हर विषय के विस्तार में मत जाइए |
मुझे उस क्लास की कुछ लड़कियों को डाटने की गलती की थी | मैंने वादा किया की अगली बार से मै किसी को भी नहीं डाटूँगा |मेरे मना करने पर भी अंशुमान रैकवार नाम के छात्र ने नंबर के लिए आईआईटी से आयें इग्ज़ैमनर से जुगाड़ लगवाई |
इधर इसी क्लास से विपिन चंद चिद गया था |एक बार लड़कों ने परबेश चंद्र से जबरदस्ती उसके उलझने पर उसकी शिकीयत कर दी थी |वोह इन लोगों से बदला लेना चाहता था |वही निकुंज शर्मा बॉबी को एक तरफा चाहने लगा यह सब जगह जाहीर होने लगा |अगली बार मुझे चार विषय दे दिए गायें |बहुत बिजी था अगला सत्र |
मै पर स्नातक के प्रथम वर्ष में तथ्य सरनाचना और स्वतः चलन मशीन पढ़ाने गया था |अब मै उनमें बहुत परिपक्व था |छात्र पूरी तरह अनुशाहित थे | मै तीन घंटे उन्हें पढ़ाता था |उन्हें मेरी क्लास एक क्लैसिकल मूवी की तरह लगती थी | एक एक शब्द उन्हें समझ में आता था |मैंने उन्हें दोनों विषय बहुत विस्तार से पढ़ाये थे | मेरे कॉलेज के सुपर जूनियर जो एक प्रसिद्ध सरकारी कॉलेज के निदेशक के पुत्र थे ने एक बार जब मुजहें मिलें तो बताया की उस क्लास के छात्र उन्हें मिलते हैं और कहते है की आप बहुत ज्यादा मेहनत करके पड़ते हो और बहुत ही अच्छा पड़ते हो |
आपकी हर क्लास ३ घंटे की होती है |एक अनुराग तिवारी थे जो हमेशा मेरी क्लास के बाद क्लास लगवाते थे | ताकि उन्हें कोई क्लास न लेनी पड़ें | मुझे लोगों ने बता दिया था की मेरी लोकप्रियता दूर दूर तक है | एक बार मै एक पुराने कॉलेज के बड़े नामी टीचर जुगल जी से मिल तो उन्होंने मुझे बताया की बच्चें आपकी बहुत तारीफ करते है | आप कम उम्र में ज्ञान के अलावा पढ़ाने की आढ़भूत योग्यता रखते हैँ | लेकिन अरुण चतुर्वेदी ,विपिन और अनुराग मुझसे ईर्ष्या रखते थे |
विपिन चंद अपनी छोटी बहन की शादी भी मुझसे करना चाहता था पर मुझे पत्ता था की वोह भी इसकी तरह अच्छे चरित्र की नहीं है |इसलिए यह नहीं होना था |
विपिन चंद स्नातक की दूसरे साल की क्लास में जा कर सब के साथ बदतमीजी करने लगा |वोह मेरा नाम भी जबरदस्ती लग्गा देता था |उसकी पढ़ाने की शिकायत हर जगह से होने लगी थी |उस क्लास के अच्छे लड़के लड़की परेशान रहने लगें क्योंकि उनकी क्लास के ही और लड़के लड़की उनको तंग करते थे | निकुंज बॉबी को पाने की चाल चलता था |और हेमवती जी को उलट बदनाम करता था | मैंने सोचा अब बहुत हो चुका इस क्लास में पढ़ाना आगे से नहीं पढ़ूँगा |मैंने पूजा ,ममता और बॉबी के सामने यह बोल दिया |यह सुन कर पूजा ने कहाः की सर आपका बहुत धन्यवाद |मैंने कहाः की क्यों उसने कहा की इतना अच्छा और मेहनत करके पढ़ाने का | वोह सबसे पाड़ाई में अव्वल थी उसकी यह तारीफ मेरे लिए किसी पुरुस्कार से काम नहीं थी |मै खुश हो गया उसने यह सब भावुक हो कर कहा था |
वोह विश्वानीय व्यक्ति थी |जो बोलती थी वैसे ही करती थी | वोह बुद्धिमान के साथ बड़ी खूबसूरत थी शक्ल प्रियंका चोपड़ा की तरह |पर यह देख कर बॉबी को बड़ा धकखा पहुच क्योंकि उसे लग्गा की अब मै पूजा का हो गया हूँ |ममता उसकी सच्ची दोस्त थी |उसे भी दुख हुआ |क्योंकि वोह भी मेरी शादी उसके साथ हो जाएँ यह चाहती थी |पर मै तो बस अपनी ड्यूटी कर रहा था |
निकुंज शर्मा इन सब बाताओं का फायदा उठा रहा था वोह मेरे पीछे सब को खूबह भड़कता था | उसे अरुण चटरूवेदी का साथ था | आलोक यादव नाम का लैब का व्यक्ति भी अरुण के गैंग में आ चुका था |
क्लास के अच्छे लड़के लड़कियां मेरी सिर्फ तारीफ करते थे ,वोह मेरी बुराई सुन नहीं सकते थे और बुराई करने वालों से बोलना बंद कर देते थे |
उसी क्लास में एक रिटाइर बड़े अधिकारी का लड़का राहुल शुक्ल भी पड़ता था | उसकी हर टीचर चमचागीरी करते थे सिवाय मेरे |मैंने उसको अपना भाई समझ कर बताया की वोह भी अपना मन लगाएँ पाड़ाई में |पर निकुंज,शिवंशऊ ,विकास ,रोहित ,अतुल,अवदेश, फ़ौजिया उसको बेवकूफ बनाते थे |धीरे धीरे वोह मेरी क्लास में भी नहीं आता था |
वोह मेरी तारीफ करता था ऐसा उसने इलेक्ट्रानिक्स के विशाल अवस्थी जी से भी की |उसका चाचा हरीशंकर अच्छा आदमी नहीं था | वोह किसी लड़की के प्यार में पड़ गया था |स्नातक के प्रथम वर्ष के छात्र कम थे |मै उनको पास्कल पदाता था |अबकी बार मै उसे बहुत अच्छे से पढ़ाता था |छात्रों को प्रोग्रामिंग बहुत अच्छे से आ गईं|बहुत साल बाद भी उन्होंने ईमेल के जरिए यह बात साझा की थी | मै इतना गंभीर था की क्लास में १५ मिनट पहले पहुच जाता था |इसकी एक महान आईआईटी के प्रोफेसर दिवाकर शर्मा खूबह तारीफ करते थे |वोह मेरे जीवन भर के प्रसंसक है |
अगले साल के लिए नए टीचर आने थे | मेरे साथ पढ़ी एक पञ्जाबी लड़की अंतरा भी नौकरी के लिए आती थी |उसे अरुण चतुर्वेदी लाते थे | वोह ऐश्वर्या राय जैसी दिखती थी |उसका चरित्र साफ जल की तरह था | मैंने उसकी हर तरफ तारीफ ही सुनी थी | हम लोग सलवानी सर की कोचिंग में पड़ते थे |वोह इतनी सुंदर थी की मेरी तो उससे खुद से बात करने की हिम्मत नहीं होती थी |
मेरे एक दोस्त जो अब मेरे रिस्तेदार भी है श्री आशीष वोह भी उसी कोचिंग में पढ़ते थे |मेरे गृह नगर में उस वक्त बहुत बुरा माहौल था |एक दिन एक मनचले कोचिंग में पढ़ने वाले ने अंतरा पर फब्तियाँ कसनी सुरू कर दी | अंतरा ने बड़ी शालीनता से उसे ऐसा सबक सिखाया की वोह चुप हो गया |आशीष भाई को उनसे प्यार हो गया |उन्होंने अंतरा से शादी करने का फैसला किया |वोह उसके दोस्त बन गायें |और कॉलेज खतम होते ही उससे मिल कर पाने मन की बात काही |अंतरा एक महान चरित्र और अच्छे खयालों की लड़की थी |वोह प्यार में नहीं सिर्फ शादी में विश्वास रखती थी |उसने कहा की आप बहुत अच्छे हो मेरे घर रिश्ता ले कर आओ | आशीष भाई को दुर्भाग्य से नौकरी समय पर नहीं मिली |
इसलिए उनका प्यार अधूरा रह गया |वोह भी सच्चे प्रेमी थे |उन्होंने मुझे यह बात बता दी थी |वोह गजब के सुंदर थे | मैंने इसका खयाल रखा |अंतर जब भी आती थी मै उनका खयाल रखता था पर कभी किसी को यह बात नहीं बताई | अरुण चतुर्वेदी उनके पीछे उनको अपनी गर्ल फ्रेंड बताते थे | वोह खुद शादी शुदा थे |पर अंतरा के दम पर सब पर रौब डालते थे |वोह बहुत सस्ते ख्यालों के थे |धीर धीरे उन्हें अंतर से सच्चा प्यार हो गया |इसकी वजह से उनकी और उनकी पत्नी में कभी नहीं बनी |वोह मरते दम तक अन्तरा से प्यार करते रहे |
मै अपने करिअर के दूसरे साल में ही उचाइयों पर था | कुछ साल बाद मुझे २००५ में बंगलोरे में जब मै नौकरी में नहीं था तो पोस्ट ग्रैजूइट के दोनों साल के छात्र मिले तो एक हिन दिन में मुझे १० लोगों की कल आ गई उन सबने मुझे अच्छे बर्ताव और मेहनत कर के पढ़ाने के लिए धन्यवाद दिया था | मेरे दोस्त अंबिकेश मुझे घर ले गए और उन्होंने मुझे जो प्यार दिया वोह आज भी यादगार है |
उसी वक्त विपिन ,अरुण ने और खेल खेलने सुरूर कर दिए |विपिन पढ़ाता कम और प्रेज़न्टैशन ज्यादा लेता था |उन लोगों ने प्रोजेक्ट के बहाने टीम बनानी सुरू कर दी |हेमवती भी शामिल हो गायें लैब वालों के साथ और फिर लड़कियां बाटने लगें | उनके इरादे पढ़ाने के नहीं थे |
उसी वक्त स्नातक के दूसरे साल के लड़के विकास त्रिवेदी और रोहित कालरा लैब में मन माने तरीके से आते थे |मैंने उन्हें टोका | उन सब को चाचा हरी शंकर, अतुल दीक्षित और अवदेश का हाथ था |वोह मुझसे अकड़ने लगें |
और फिर आया एक काला दिन जब सुबह सुबह पता चला की राहुल शुक्ल ने आत्म हत्या कर ली है | विपिन बहुत चालाक था |निकुंज मुझे यह बताने आया |तो मैंने पूछा क्यों ऐसा किया तो वोह बोल पता नहीं |विपिन जाते ही उसके बोल की आयुष्मान तुम्हें यह लोग आसानी से फसा सकते है क्योंकि तुम आज कल इन लोगों के निसने पर हो |
विपिन को पत्ता था की निकुंज बॉबी को किसिस भी कीमत पर चाहता है |और इसलिए निकुंज मेरा दुश्मन था |निकुंज ने यही किया वाहह जा कर मेरा नाम डाल दिया |हरीशंकर को लगा की इससे उसके परिवरे की इज्जत बच जाएगी |तो उसने सब के सामने मेरा नाम डाल दिया | राहुल जी ,दिनेश जी और सचिन जी भीड़ गायें वाहह निकुंज से पर वोह अकेलेल क्या करते | वोह मेरे पास आयें और मुझे बतेय सब ��ै समझ गेय की अब यहा की साजिश मेरे बस के बहहर है मैंने उनसे कहा की शायद अब मै तुम लोगों से न मिल पाउन | तुम लोग शांत रहना और अपना खयाल रखना |वोह दोनों दुखी हूएं |फिर भी मै अगले दिन आय्या तो देखा की अरुण चतुर्वेदी मेरे रूम में दो बद्धमाश राजीव द्विवेदी और एक पहलवान ले कर आया है | उसने विपिन को भी पकड़ लिया |वोह मुझसे कहने लगे की लड़के कह रहे थे की आप पहले बहुत अच्छे थे पर इस विपिन ने आ कर आपकों खराब कर दिया | उन लोगों ने विपिन को गाली देना और मारना सुरू कर दिया यह देख कर जैसे ही मैंने उसे बचाना सुरू किया |उन लगो ने चप्पल डंडों से मुझे पीट दिया |मेरा चसमा तोड़ दिया मेर पीठ में महीनों निशान रहे | मुझे जैन मैडम ने आकर बचाया |मै समझ गया की सब के सब मिले है |मेरे दोस्त प्रवेश बहुत दुखी हुआ बस | अगले दिन उन लोगों ने उलट मुझे ब्लैक्मैल कर के अखबारों में झूठी खबर मेरे विरोध में डाल दी | ऐसा कर के वोह लोग मुझे पुलिस में शिकायत करने से रोक रहे थे | मैंने शरण जी से बात करने की कोशिश की पर वोह राजनीति करने लगे | केवल तिवारी मैडम जैन मैडम के साथ तयार हुई थी|विपिन चंद उलट जा कर अंशुमान राइक्वार से मिल कर और लड़कों को मेरे खिलाफ कर गया |इलसिए अखबार में उसका नाम नहीं आया |मै टूट गेय |क्योंकि मै सच्चा था ,सच की लड़ाई लड़ रहा था | मेरे लिए यह गलत सबक था |क्योंकि मै बहुत अच्छा और सच्चा इंसान था |मेरे रिस्तेदार भी मेरे साथ नहीं थे | मै टूट गया था |मेरे खिलाफ कॉमिटी बनी |पर मै बेकसूर था इसलिए कुछ हो न सका |मैंने इस्तीफा दिया और चल गेय दिल्ली के आसपास एक छोटे से कस्बे में पढ़ाने |
मेरे जाने के बाद मुझे बॉबी का सदेश ममता के जरिए मिला की मै उससे संपर्क करून |पर मै लड़कियों के मामले में कच्चा था मुझे किसी से मदद लेना भी नहीं आता था | मेरे जाने के बाद बॉबी की खूबह खिचाई लड़कों ने की |वोह अकेले रह गईं |निकुंज ने उसे पाने के लिए मेरे खिलाफ खूब कोशिश की |बॉबी की वजह से अंजलि भी मेरे विरुद्ध हो गई | ममता को भी निकुंज ने बर्गल दिया |हेमवती भी मेरी मदद करने की जगह मुझे हतोत्साहित करने लगें |
अंतरा ने वहाँ जॉइन किया उसे मेरे खिलाफ की बातें सही नहीं लगी |उसने पर स्नातक के लड़के लड़कियों से मेरे बारे में जाना तो उन्होंने मेरी खूबह तारीफ की |लड़कियों ने कहा की वोह बहुत अच्छा पदाते थे साथ ही अच्छे चरतिर के थे और हम सब के चरित्र की रक्षा जान की बाजी लगा के करते थे |लड़के लड़की बहुत निराश थे |वोह आयुष्मान को मन से प्यार करते थे | अंतर बड़े दिल की बहादुर लड़की थी |उसने आयुष्मान के दोस्तों पञ्जाबी लड़कों अमित विरमानी और मोहित खन्ना को स्नातक में पत्ता करने को बोला |वह के अच्छे लड़के लड़कियों ने भी यही बताया | अंतर जान गई आयुष्मान की सच्चाई को उसने तिवारी मैडम से कहा की आसयूहमन तो हीरा है ऐसे लड़के आज कल नहीं होते मै उससे शादी करूंगी | वोह अपने मन की बातें मोहित और अमित को बताती |वोह उससे कहते की तुम तो उसके लिए त्रिदेव की माधुरी की तरह दीवानी हो गई हो और गया रही हो की मै तेरी मोहब्बत में पागल हो जाओगी | मोहित और अमित ने मुझे यह बात बहुत दिन बाद बताई | वोह दोनों सब हीरो से सुंदर लगते थे ,वोह कहते थे की पञ्जाबी अंतरा जो उस समय शहर की सबसे सुंदर लड़की थी |उसने हम दोनों पुंजाबियों की जगह तुम्हें पसंद किया था |
यह तुम्हारे लिए सुनहरा अवसर था |उधर गर्ल्स होटल में दो गैंग बन गायें |पुरानी दीवाणियाँ अंजलि और बॉबी मेरे विरोध में थे और कणिका ,दीपाली,अर्चना और स्नातक की लड़कियां जिनकी इज्जत मैंने बचाई थी वोह मेरे समर्थन में थी |मेरी वजह से वह खूबह लड़ाईयां होती थी | पूजा और उसके क्लास के अच्छे लड़के लड़कियों ने अपने क्लास के और लड़कों से दूरी बना ली | वोह जूनियर लड़के लड़कियों के साथ रहने लगें |वह की दुश्मनी आज तक उन सब की बनी हुई है | २०११ में आयुष्मान को पत्ता चल की निकुंज ने बॉबी से शादी कर ली |बॉबी आज तक निकुंज के अलावा किसिस के संपर्क में नहीं थी |
मेरे जाने के बाद वह स्थायी सरकारी नौकरी पाने का ख्वाब देख राहे प्रेम चोपड़ा और रंजीत को भी वाहा से हटा दिया गया | दोनों लेकिन फिर भी दिल्ली से अंतरा के चक्कर में शनिवार को आते रहते थे | रंजीत अंतरा से शादी करना चाहता था तो प्रेम अपनी पत्नी को तलाक दे कर उससे शादी करना चाहते थे |वही अंतरा आयुष्मान की दीवानी हो चुकी थी |
पर आयुष्मान के सबसे बड़े दोस्त बन चुके राहुल ,सचिन ,दिनेश और पूजा ने आयुष्मान से समपर्क कर लिया |पूजा की भावुक ईमेल ने आयुष्मान को मजबूती दी |राहुल,दिनेश और सचिन आयुष्मान के परिवार से जा कर भी मिलें | दीपिका ,आँकी,आकांक्षा सब ने आयुष्मान के समर्थन में बोला |ममता पहले ही आयुष्मान के घर वालों से उसके समर्थन में बोल चुकी थी |लेकिन निकुंज उससे चाल चल गया |
अंतरा ने अरुण चतुर्वेदी से आयुष्मान की तारीफ की और कहा की उससे आप मेरी शादी की बात करो |पर वोह क्यों करता वोह तो खुद शादी करना चाहता था |विपिन ने जब अंतरा से ऐसी कोशिश की तो उसने विपिन की शिकायत कर दी |
वोह निर्भीक थी |अरुण चतुर्वेदी सतर्क हो गायें और आयुष्मान की अब तारीफ करने लगें और आयुष्मान के दोस्त बन गायें |वोह चुपछाप यह पत्ता करने में लग गएँ की अंतरा और आयुष्मान आपस में न मिलें |अरुण चतुर्वेदी को अंतरा अपने बड़े भाई जैसा मानती थी |पर वोह उससे मन ही मन प्यार करते थे | आगे कई साल अंतरा ने जब भी अरुण चतुर्वेदी से आयुष्मान का नंबर मांगा तो उसने अंतरा को नंबर नहीं दिया |बल्कि आयुष्मान से बहाने से पूछते रहते थे की काही अंतरा ने उससे संपर्क तो नहीं किया |खैर २०२२ में वोह दोनों कुछ दोस्तों के प्रयास से एक दूसरे के फिर करीब आयें |विपिन आज भी अंतरा की वजह से आयुष्मान से दुश्मनी मानता है | अरुण चतुर्वेदी वैसे तो बड़े फरेबी थे पर अंतरा से मन ही मन सच्चा प्यार करते थे |इसका फायदा उनको यह हुआ की उन्होंने बाद में अपने पढ़ाने का स्तर सुधारा |पर अपनी सीधी सादी पत्नी को वोह कभी प्यार नहीं कर पाएँ | और उनसे दूर ही दूर रहे |लोगों में उनको पागल साबित करने में लग गए |इसका खमियाजआ उन्हे भुगतना पड़ा |वोह अकेले ही रहे और बाहर का खाना खा कर बीमार रहने लगें और हृदय की बीमारी से एक दिन मर गएँ |उनकी पत्नी उनके मरने पर भी उनकी बेवफाई को माफ न कर सकी |
हुआ यह था २००४ में आयुष्मान तेवरी मैडम से मिलने आया |वोह परेशान था क्योंकि उसकी बहन की सगाई टूट गई थी | तिवारी मैडम ने अंतरा के बारे में उससे कहा की उससे शादी करनी हो तो घर में पूछ कर बतलाऊँ |आयुषमन को विश्वास नहीं हुआ क्योंकि एक तो अंतरा बेहद खूबसूरत थी ,उसे विस्वास नहीं हुआ की उसे ऐसा मौका मिल रहा है |उसने कहा की मै घर में बात करता हूँ |मैडम ने कहा देखो वोह बहुत अच्छे चरित्र की लड़की है वोह सिर्फ शादी करेगी |
आयुष्मान उनके यह से बाहर निकाल उसे एक रास्ते में भीख मांगती बूढ़ी औरत ने रोक और उसके अंदर एक आत्मा ने उसे धमकाया की अंतरा के रिसते की बात मतब घर में बोलना वरना तुम्हारी बहन की जिंदगी बरब्बाड कर देंगे |आयुषमन सहमा और जैसे ही घर के पास पहुच एक शक्ति ने उसे सब भूला दिया की उसको अपनी जिदगी का सबसे अच्छा रिसता मिला था |वोह भूला कुछ भी नहीं याद कर पाया | जब भी आयुष्मान को अपने आस आस कोई नकरतं शक्ति तो उसे कुछ रहस्यमय आवाज सुनाई देती थी |तिवारी मैडम को बुरा लग्गा क्योंकि वोह अंतर को बेटी मानती थी |अंतरा की शादी हो गई जल्दी | आयुषमन अंतरा से शादी को अपनी खसुकिस्मती मानता |पर ऐसा किसी रहस्यमय शक्ति की वजह से न हो सका था |
कुछ वर्षों बाद आयुष्मान के पिता को यह बात पत्ता चली तो उन्हें भी बड़ा दुख होता था |वोह खुद अंतरा के अलावा बॉबी की घटना को भूला नहीं पाते थे |वोह अपनी अंतिम सांस तक उसे दोनों के बारे में याद दिलाते रहते थे |
प्रवेश वहा के सबसे अच्छे इंसान थे |श्रवण सबसे अच्छे टीचर ,अमित विरमानी सबसे खूबसूरत टीचर और मोहित हीरो जैसे लगते थे |
मैंने घूसह खोरी ,बेमानी ,चरित्र हीनता ,बड़े घर के छात्रों का पक्ष लेना , छेड़ छाड़ के खिलाफ जंग लड़ने के लिए इनाम मिलन चाहिए था पर उलट चरित्र हीन लोग ही मुजहें ज्ञान देने लगें |मै छात्रों से प्यार करता था इसलिए उनके पास कभी मदद मांगने नहीं गया |मैंने जो राहुल,सचिन से कहा उसे निभाया |
मै आज भी आत्म हत्या करने वाले छात्र राहुल शुक्ल को हमेशा अपना पित्र मानते हूएं जल देता हूँ |उसके चाचा हरिशंकेर ने घमंड में आ कर निकुंज की झूठी बात को सही कहलवा दिया था |
हेमवती जी एक बार आयें और बोले की ममता का जनमदिन ८ ऑक्टोबर का है उसके घर जा कर गिफ्ट दे आना |उसने तुम्हारी मदद की थी |मुझे उसकी बात बिल्कुल अच्छी नहीं लगी |क्योंकि वोह मेरे बहहने ��सके घर जाना चाहता था |
वह से जाने पर तिवारी मैडम ने मुझसे कहा की तुम्हारा इक्स्प्रेशन बहुत ही कमाल का है ,तुम टीचिंग मत छोड़ना |कुछ साल बाद वहा के अच्छे छात्र छात्राओ ने मुझसे सामाजिक तत्र से दोस्ती स्थापित कर ली | सबसे ज्यादा बार मुझसे से इंजीनियरिंग का मनीष मिला | मुझे बहुत खुशी हुई | राहुल जी कुछ साल बाद मेरे विभाग में ही ऑफिसर बन गायें |
राहुल जी,सचिन जी और दिनेश जी जैसे सच्चे हमदर्द दोस्त किसी भाग्यशाली टीचर को ही मिल सकते थे |पूजा मेर चैट फ्रेंड बन गईं |वोह मुझे चैट सिखाती थी |और परस्नातक पढ़ने वोह राजस्थान के नामी लड़कियों के कॉलेज में गई और वहा से भी मुझसे परामर्श लेती थी |वोह बहुत संस्कारी और सब से प्यार करने वाली थी | उसकी वजह से बहुत से छात्र छात्राएँ मेरे करीब आ गायें | उसने खुले आम शरण जी से सब के सामने यह बोल दिया था की आयुष्मान सर की कोई गलती नहीं थी |उसने कभी किसी की परवाह नहीं की थी | थोड़े साल बाद ऑर्कुट सुरू हुआ तो वोह खुल कर मेरे लिए अच्छा टेस्टीमोनियल लिखती थी |वोह खुले दिल की लड़की थी |उसके घर में सब उस पर फक्र करते थे |आयुषमन से विभाग में कई लड़कियां शादी करना चाहती थी |वोह सब उसके बारे में पत्ता करती की कौन है अपने टीचर की इतनी बड़ी प्रशांशक |और वोह उसके विभाग में भी लोकप्रिय हो गईं |आयुष्मान और पूजा अब एक दूसरे के सच्चे दोस्त बन चुके थे | पूरे नगर में में आयुष्मान और उसके परिवार की इज्जत तो चली गई थी पर वोह अच्छे लोगों की नजर में हमेशा का हीरो बन चुका था | अच्छी लड़की अर्चना फिर कभी नहीं मिली उसको बस फेस्बूक दोस्त बन कर रह गई |दिवनियाँ अंजलि और बॉबी उससे नफरत करने लगी | नगर की सबसे सुंदर लड़की अंतरा जो उसे शादी करना चाहती थी की भी शादी हो गई थी |मगर उसके पास थी आज तक की उसकी सबसे बड़ी दोस्त पूजा जो विसविद्यले की सबसे पढ़ने में तेज लड़की थी |पूजा उसकी सबसे बड़ी प्रशहक बन चुकी थी |क्योंकि ऐसा हीरो वाहह आज तक नहीं आया था | आयुष्मान ने जिन लकड़ियों की इज्जत बचाई थी उन लोगों के बारे में कभी कुछ नहीं बोला |यह जान कर अच्छे लोग बाद में उसकी महानता को आज भी सलाम करते है |वोह अपनी प्रश्नसक पूजा का सबसे बड़ा हीरो था |जिसे आयुष्मान के साथ हुए हादसे का सबसे ज्यादा दुख था | दुबला पतला आयुष्मान कम उम्र में बहुत बड़ा काम करने की हिम्मत कर गया | पूजा उसकी जिदगी भर की हर परिस्थितही में साथ देने वाली दोस्त बनी रही |
२०२१ में रंजीत ने उसे बताया की अनजली इंग्लैंड में बस चुकी है और उसने जिदगी में बहुत अच्छा किया है |आयुष्मान समझ गेय की अनजली रंजीत से कभी नहीं मिलन चाहेगी |वोह समझ गया की वोह उसके लिए ही रंजीत से मिली होगी |उसे पूरी कहानी याद आई और अपने हैन्सम प्रोफेसर दोस्त प्रवेश जी को यह बात बताई तो वोह तुरंत बोलें और भूले ,तू भी बड़ा भोला है हम सब जानते थे की वोह दोनों तुम्हारी वाहह की सबसे बड़ी फैन थी |
"अरे भूले इंसान सब भूल जाता है यह बातें भूलने वाली होती है क्या “
कुछ दिन बाद हरभजन भी उसके संपर्क में आया वोह समझ गेय की अंजलि को वोह मेरी खबर आज भी देता है |दोनों आज भी बेमिसाल दोस्त है |
आयुष्मान को धीरे धीरे अब वाहह की बातें याद आने लगी | वोह अब बड़ा रसूख वाला अधिकारी था | पर अपने छात्रों को किया गया उसका प्यार उसे याद आता था |शायद घर के बहहर मैंने तब पहली बार किसी को सच्चा प्यार किया था |मेरा पहला सच्चा प्यार था मेरा जुनून टीचिंग और मेरे छात्र छात्राएँ | उन लोगों के प्यार में मैंने एक सच्चे आशिक की तरह सारे परेशानियाँ झेल लिए थे |मेरा करिअर और जीवन खत्म भी हो सकता था |
आँखों में आँशु के साथ भावुक हो कर मै अपने अच्छे स्टूडेंट्स के लिए बोल पड़ा “ साला भाव बढ़ा कर रख दिए थे इन साले सब ने मेरे तब “
मै तब पुराने ख्याल का था किसी छात्रा के साथ विवाह करना मुझे सही नहीं लगता था |
पर पूजा के गुण असंख्य थे |मुझे यह पत्ता चला की वोह मेरे लिए किसी चीज की परवाह नहीं करती |तो मुझे उससे मन ही मन प्यार हो गया |पर मैंने किसि को कुछ नहीं बोला |
वोह ईमेल और फोन के जरिए मुझे संपर्क में रहती |शायद उस उम्र में हर एक को एक हौसला बढ़ाने वाली गर्लफ्रेंड चाहिए होती है |बाद में मुझे पत्ता चल की उसका कोई और भी दोस्त था पर इसके बाद भी वोह मुझ पर पूरी तरह समर्पित दोस्त थी |वोह मेरी हर अच्छाई समझती थी |उसे मुझ पर विश्वास था वोह मुझे करिअर में अच्��ा करने की प्रेरणा देती थी |पूजा मेरी बिरादरी की थी मेरे गृह नगर की भी |पर मुझे किसि से अपने प्यार के बारे में बात करना नहीं आया कभी |मेरे हर दोस्त मुझे अपने प्यार के बारे में बाते थे |न मै उसे कभी कह पाया न किसी को यह बात बता पाया’|
बाद में मै बहुतों के हीरो बना |आयुष्मान की दिक्कत थी की वोह लड़कियों के संकेत नहीं समझ पत्ता था |अच्छी लड़कियां हमेशा आयुष्मान जैसे सच्चे और अच्छे लड़कों को ही पसंद करती थी |पर उनके पास अच्छे लड़कों को खुद जानना पड़ता है |आयुष्मानन को बुरे लोग यानि लड़के लड़कियां बिल्कुल पसंद नहीं करते थे |
उसकी ममेरी बड़ी बहन बाबली दी ने उसको एक बार बोल था की किसी भी लड़की के लिए उसकी इज्जत ही सब कुछ होती है इसलिए जब भी हो सके अच्छी लड़कियों की इज्जत रखना मत भूलना | अपनी बड़ी बहन की इस बात को वोह हमेशा गांठ बाँधें रखता है |
अंजलि ने उसकी वहा नौकरी बचाई थी ,बॉबी उसका पान मसाला की लत छुड़ाने के लिए आती थी और उससे शादी करना चाहती थी और उसकी गर्ल फ्रेंड कहलाती थी |अर्चना जैसे अच्छी लड़की उसे शादी करने के लिए प्रपोज कर बैठी |
सोनाली ने पूछा की वोह इन तीनों के बारे में अब क्या सोचता है तो वोह बोला
“वोह इन तीनों को शादी शुदा हो कर भी प्यार करता है और उन सब को अपनी दुआओं में हमेशा शामिल रखता है ”|
उसे बॉबी से विशेष प्यार है क्योंकि उसका पति निकुंज बहुत खराब इंसान है विपिन की तरह|उसे लगता है की वोह खुश नहीं होगी और आयुष्मान को बॉबी का ही दिया गया श्राप लगा है |वोह उस व्यक्त बॉबी का प्यार समझ नहीं पाया था |उसके पिता बॉबी की मासूमियत को अंत तक उसे याद दिलाते थे |
पत्नी सोनाली ने कहा और अंतरा के बारे में क्या सोचते है |
“ काश बरसों पहले उस दिन किसी नकारात्मक शक्ति ने मुझे अंतरा के शादी का प्रस्ताव न भुलाया होता तो उसकी ज़िंदगी बहुत पहले से ही खूबसूरत होती “|
वोह पंजाबन मेरे साथ पढ़ती थी इसलिए मै उसके लिए दिल से बोलता है “ए पंजाबन तुझ से मिलने के वास्ते हमें तो आना पड़ेगा इस दुनिया में दोबारा “
वोह मेरे साथ पढ़ती थी इसलिए बहुत अफसोस होता है |मै जानता था वोह संस्कारी,पढ़ाकू और वाहा की सबसे अच्छी लड़की थी |अंतरा के पहले तिवारी मैडम मुझे अच्छा मेहनती लड़का कहती थी |पर अंतरा के बाद वोह मेरे लिए यही कहती है की “लड़कियां मेरी हर जगह यहाँ तारीफ करती थी “|मेरे उस विश्व विद्यालय छोड़ने के बाद अरुण चतुर्वेदी उर्फ प्रेम चोपड़ा गैंग के लड़के मेरी छवि तिवारी मैडम की नजर में खराब करने के लिए मेरी झूठी शिकायत ले कर उनके पास प्रेम चोपड़ा के कहने पर जाते थे |पर यह अंतरा थी जिसने यह सच वाहा की लड़कियों से निकलवाया की मै जान की बाजी लगा कर उनकी इज्जत बचाता था | मैंने उन सब लड़कियों से अपने से मिलने और इस बारे में किसी को बोलने से मना कर रखा था | मुझे यह सब बरसों बाद धीरे धीरे पत्ता चला |
अंतरा का यह अहसान मै भूल नहीं पाता की उसने निस्वार्थ रूप से मेरे चरित्र की सफाई वहा की थी | जहा अधिकंश लोग गलत थे और मेरी अच्छाई के खिलाफ थे | एक सच्चे पञ्जाबी दोस्त के प्रयास से हम दोनों संपर्क में आयें है |
सोनाली बोली आप इतना बड़े और रसूख वाले अधिकारी है जिदगी में अंतरा या उसके परिवार के लिए अगर कुछ कर सक्ने का मौका मिले तो जरूर करिएगा |
सोनाली बोली लड़कियां तो आप की इस उम्र में भी खूबह तारीफ करती है ,यानि लड़कियों के पसंदीदा स्कूल में साथ पड़ने वाली से ले कर देश की सबसे काबिल अधिकारियाँ सब के पसनदीदा |
पत्नी ने कहा और पूजा के बारे में क्या सोचते है |
आयुष्मान बोला उसने तो” मुझे रुतबे, जलवे,शराफत ,बड़प्पन और अच्छाई सब में पछाड़ दिया था उस उम्र में | कही कोई अपने टीचर से इतना सच्चा प्यार करता है” |
तो आयुषमन की पत्नी सोनाली ने कहा की तों फिर आप दोनों ने एक दूसरे से कभी कहा की नहीं | आयुषमन ने कहा कभी नहीं |
आयुष्मान ने सोचा और बोला की “ हम दोनो इतने अच्छे दोस्त है अगर हम दोनों शादी शुदा होते तो और बात होती पर हम दोनों आज भी किसी भी शादी शुदा जोड़े से ज्यादा एक दूसरे को प्यार करते है और करते रहेंगे” |
हम लोग एक दूसरे से वर्षों से नहीं मिलें | यह एक अनकहा प्यार है |पत्नी ने कहा यह तो आप के मन की बात है आप कैसे कह सकते हो की वोह भी |आयुष्मान ने उसे याद दिलाया की २००७ में गीत ने उसको जागो के सर पर हाथ फेरने को कहह था तब उसने जागो को अपने ऊपर दीवाना होते देखा था |फिर गीत ने ऐसे ही बॉस के जरिए मुझसे करवाया |दीवानी गीत ने अमेरिका जाने से पहले सब को यह बात भावुक हो कर बताई थी |
फिर कब मेरी आदत पड गईं थी |मै पूजा से २०१५ में मिला तब वोह अमेरिका से आई थी |उसके दो बच्चियाँ भी थी |उसने मुझे बच्चों से मिलने बुलाया |मैंने जाते वक्त पहले उसकी बेटियों के सर पर हाथ रखा फिर उसके | यह मैंने आदतावस किया था |पर मै जान गेय था की वर्षों पहले का यह आकर्षण दो तरफ था |
उसके पति और ससुराल वाले उसकी तरह महान है |उसके घर वाले भी मेरी इज्जत करते है |उसने परिवार के लिए करिअर पर थोड़ा संतोष किया और अपने बच्चियों जो अमेरिका में पैदा हुई थी उनको भारत में गुरुकुल भेज कर एक बहुत अच्छी मिसाल बनाई | मेरा उससे रिसता कार्मिक और जन्म जन्मांतर का है |
हम दोनों का रिसता मूक था कभी किसी ने इजहार नहीं किया |यह अनकहा प्यार है |वास्तव में हम दोनों जय वीरू जैसे दोस्त है |जब मैंने आप से शादी का फैसला किया तो आप में मेरे इस अनकहा प्यार पूजा की झलक सबसे पहले दिखी थी |
अंजलि मेरे गाने और ईमानदारी से पढ़ाने की तारीफ करती थी |वही बाद में अंतरा मेरे बहुत अच्छे चरित्र की प्रशंसा करती थी |मुझे प्यार का एहसास अंजलि से विपिन को छेड़ छाड़ करते वक्त देखते हुआ था पर हुआ पूजा के साथ जब मुझे यह पत्ता चला की वोह मेरे जाने के बाद भी मेरे लिए खुल कर बोलती है | इससे पहले मै प्यार के बारे में सोचता भी नहीं था | मेरी दीवानी बॉबी पूरे विश्व विद्यालय में मेरी अच्छाइयों की तारीफ करती थी |पर पूजा मेरे पढ़ाने ,मेहनत और मेरे लूकस की तारीफ करती थी |
पूजा से मुझे प्यार कैसे न होता | जब आपके खिलाफ आपके ही गृह नगर के सारे बुरे लोग आपके खिलाफ खड़े हो और अच्छे लोग खामोश हो |तब विश्व विद्यालय में पढ़ाई, खूबसूरती और संस्कार में अकेले सब पर भारी लड़की आपके लिए अकेले आपकी दोस्त बन कर सामने खड़ी हो तो प्यार तो होना ही था | उसकी क्लास के आधे लड़के जो मेरे जाने के बाद विस्व विद्यालय के डॉन बन चुके थे की भी उसने पर्वाह नहीं की थी |
पूजा के लिए यही कहा जा सकता है की “एक पूजा सब पर भारी ”|पूजा कब मेरी तीयचेर बन गई मुझे पत्ता ही नहीं चला |
मैंने उस के साथ कई बार गलत बर्ताव भी किया था |वोह तब मेरे लिए बोली जब उसकी क्लास में उस क्लास की मेरी सबसे बड़ी दीवानी बॉबी भी धीरे धीरे मुझसे हमेशा के लिए दूर हो रही थी |
यह मेरा स्वभाव है की मुझे सिर्फ और सिर्फ अच्छे लोग ही पसंद करते है और बुरे लोग हमेशा नफरत ही करते है |शायद मै अच्छाई का प्रतीक हूँ |
मुझे हमेशा यह लग्गा की वोह मुझसे बेहतर है जैसा आपके लिए लगता है |लड़क लड़की के बीच में ७५ प्रतिशत सिर्फ प्यार का रिसता होता है ,२० प्रतिशत मुह बोले भाई बहन और ५ प्रतिशत वोह केवल दोस्त बनते है |
सोनाली ने कहा की मेरी पूजा से दोस्ती करवाइए ,ऐसे दोस्त कहा मिलते है | मुझे उससे दोस्ती करनी है | वोह सबसे अच्छी इंसान है |
सोनाली ने कहा की मुझे लगता है भगवान फिर से आप को अंजलि और फिर उसके जरिए बॉबी से मिलवाएंगे |सच काहू ऐसा प्यार करने वाला बहादुर टीचर मैंने आज तक नहीं सुना |
मैंने छात्राओं के साथ गलत छेड छाड़ ,छात्र छात्राओं के साथ सत्र के अंक देने में भेदभाव ,केवल अंक दे देना और पढ़ाना नहीं ,बड़े सरकारी अधिकारियों के बच्चों की चापलुषी करना ,चापलुषी करने वालों को ज्यादा अंक देना ,किसी वर्ग विशेष के छात्रों को नीच दिखाना , नकल कराने वाले और रूपये ले कर पास कर देने की सामाजिक प्रथाओ के खिलाफ अकेले जंग लड़ी |
मै हार तो गया ,पीटा भी गया ,बहुत साल परेसनी में रहा ,अखबार के जरिए पूरे शहर में बदनाम भी किया गया |पर मैंने दिल जीता था जिदगी भर के लिए दुनिया भर में नाम काम चुके गुणी लड़के लड़कियों का ,जो बने मेरे सबसे पहले मरते दम तक प्रशंसा करने वाले प्रसंसक |
और मै बना अपने छात्र राहुल गौतम,सचिन गौतम,दिनेश कुमार और शुभक्षीस का सबसे बड़ा प्रसंसक |ऐसे छात्र सबसे भगीशाली को ही मिलते है जो मै हूँ |जिन्होंने मेरा साथ कभी नहीं छोड़ा और मेरी जान बचाने की कोशिश की |
जिंदगी बहुत बड़ी होती है ,अगर जिंदगी रही तो सोचता था की सच कभी न कभी जरूर सामने आएगा | ऐसा मै तब सोचता था पर पुराने लोग बाद में कहा मिलते है इसलिए अब खुद अपनी लड़ाई लड़नी है |
मैंने सोचा इतनी बड़ी अग्नि परीक्षा के बाद शायद भगवान ने आगे कुछ अच्छा सोच रखा होगा |पर ऐसा कुछ नहीं था आगे वक्त में एक जन्म जन्मनतार की दुश्मन एक खुरदुरी औरत मुझे खत्म करने के लिए तुरंत मिलने वाली थी | अगली कहानी में पहले मिलेगी खराब कार्मिक सम्बन्ध वाली खुरदुरे चेहरे को मेकअप से छुपाने वाली शिवली जो मुझे खत्म करने के लिए कारेगी चालाकी से फ्लर्ट करेगी फिर बचाने आएगी पूजा की तरह अच्छे कार्मिक संबंध वाली रीतिका जो मुझे पूजा की तरह आगे चल कर हर मुसीबत से निकलेगी |
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लखनऊ, 12.11.2024 l माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की मुहिम आत्मनिर्भर भारत को साकार करने तथा महिला सशक्तिकरण हेतु गो कैंपेन (अमेरिकन संस्था) के सहयोग से हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में म्युनिस्पिल गर्ल्स इंटर कॉलेज, कश्मीरी मोहल्ला, लखनऊ में आत्मरक्षा कार्यशाला आयोजित की गई जिसमें 54 छात्राओं ने मेरी सुरक्षा, मेरी जिम्मेदारी मंत्र को अपनाते हुए आत्मरक्षा के गुर सीखे तथा वर्तमान परिवेश में आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को जाना l
कार्यशाला का शुभारंभ राष्ट्रगान से हुआ तथा म्युनिस्पिल गर्ल्स इंटर कॉलेज की सहायक अध्यापिका श्रीमती पूनम मिश्रा, श्रीमती रुचि किशोर, श्रीमती सरिता गौतम, श्रीमती प्रीति सिंह एवं रेड ब्रिगेड से तंजीम अख्तर ने दीप प्रज्वलित किया l
कार्यशाला में रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के प्रमुख श्री अजय पटेल ने बालिकाओं को आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को बताते हुए कहा कि, "किसी पर भी अन्याय तथा अत्याचार किसी सभ्य समाज की निशानी नहीं हो सकती हैं, फिर समाज के एक बहुत बड़े भाग यानि स्त्रियों के साथ ऐसा करना प्रकृति के विरुद्ध हैं l महिलाओं एवं बालिकाओं के खिलाफ देश में हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा अनेक कदम उठाए गए हैं तथा सरकार निरंतर महिलाओं को आत्मनिर्भर एवं सशक्त बनाने के लिए कई योजनाएं चला रही है लेकिन यह अत्यंत दुख की बात है कि हमारा समाज 21वीं सदी में जी रहा है लेकिन कन्या भ्रूण हत्या व लैंगिक भेदभाव के कुचक्र से छूट नहीं पाया है l आज भी देश के तमाम हिस्सों में बेटी के पैदा होते ही उसे मार दिया जाता है या बेटी और बेटे में भेदभाव किया जाता है l महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा होती है तथा उनको एक स्त्री होने की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है l आत्मरक्षा प्रशिक्षण समय की जरूरत बन चुका है क्योंकि यदि महिला अपनी रक्षा खुद करना नहीं सीखेगी तो वह अपनी बेटी को भी अपने आत्म सम्मान के लिए लड़ना नहीं सिखा पाएगी l आज किसी भी क्षेत्र में नजर उठाकर देखियें, नारियां पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर प्रगति में समान की भागीदार हैं l फिर उन्हें कमतर क्यों समझा जाता है यह विचारणीय हैं l हमें उनका आत्मविश्वास बढाकर, उनका सहयोग करके समाज की उन्नति के लिए उन्हें साहस और हुनर का सही दिशा में उपयोग करना सिखाना चाहिए तभी हमारा समाज प्रगति कर पाएगा l आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित करने का हमारा यही मकसद है कि हम ज्यादा से ज्यादा बालिकाओं और महिलाओं को आत्मरक्षा के गुर सिखा सके तथा समाज में उन्हें आत्म सम्मान के साथ जीना सिखा सके l"
आत्मरक्षा प्रशिक्षण की प्रशिक्षिका तंजीम अख्तर ने लड़कियों को आत्मरक्षा के गुर सिखाते हुए लड़कों की मानसिकता के बारे में अवगत कराया तथा उन्हें हाथ छुड़ाने, बाल पकड़ने, दुपट्टा खींचने से लेकर यौन हिंसा एवं बलात्कार से किस तरह बचा जा सकता है यह अभ्यास के माध्यम से बताया l
कार्यशाला के अंत में सभी प्रतिभागियों को सहभागिता प्रमाण पत्र वितरित किये गये ।
कार्यशाला में म्युनिस्पिल गर्ल्स इंटर कॉलेज की सहायक अध्यापिका श्रीमती पूनम मिश्रा, श्रीमती रुचि किशोर, श्रीमती सरिता गौतम, श्रीमती प्रीति सिंह, छात्राओं, रेड ब्रिगेड ट्रस्ट से श्री अजय पटेल, तंजीम अख्तर तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही l
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Irrfan Khan: The Bollywood Icon with Royal Roots in Jaipur
Introduction
Irrfan Khan: दिवंगत इरफान खान हिंदी सिनेमा के सबसे बेहतरीन एक्टर्स में से एक थे. 7 जनवरी, 1967 को राजस्थान के टोंक में पैदा हुए इरफान बचपन में एक क्रिकेटर बनने का सपना देखते थे. हालांकि, धीरे-धीरे उनकी दिलचस्पी एक्टिंग की तरफ बढ़ती रही. उनके पिता का नाम यासीन अली खान था जो टायर का बिजनेस करते थे. इरफान खान ने जयपुर से स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई की. फिर साल 1984 में दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में एडमिशन लिया और एक्टिंग सीखी.
Table of Content
मिथुन की वजह से एक्टिंग की लत
टीवी से हुई शानदार शुरुआत
नेगेटिव रोल में हिट
अनुराग बासु की फिल्म ने बदली किस्मत
हॉलीवुड में बनाई पहचान
और भी मिले अवॉर्ड
पर्सनल लाइफ
जब छोड़ना चाहते थे एक्टिंग
पिता को कभी नहीं बता पाए ये बात
मां ने भी देखा था सपना
नवाबों के खानदान से हैं इरफान
मिथुन की वजह से एक्टिंग की लत
टीवी से हुई शानदार शुरुआत
दिल्ली के बाद इरफान खान ने मुंबई का रुख किया. उन्होंने ‘चाणक्य’, ‘चंद्रकांता’, ‘बनेगी अपनी बात’, ‘सारा जहां हमारा’ और ‘भारत एक खोज’ जैसे कई टेलिविजन शोज में काम किया और लोगों के दिलों में जगह बनाई. लोगों ने उन्हें ‘चंद्रकांता’ में ‘बद्रीनाथ’ के किरदार में नोटिस किया. उसी दौरान फिल्म मेकर मीरा नायर ने उन्हें अपनी फिल्म ‘सलाम बॉम्बे’ में एक छोटा सा रोल ऑफर किया. हालांकि, जब ये फिल्म रिलीज हुई तब उसमें से इरफान के ज्यादातर सीन काट दिए गए थे. लेकिन कुछ सेंकेड के सीन में इरफान ने सड़क किनारे बैठे एक लड़के का रोल किया जो लोगों की चिट्ठियां लिखता है. उस सीन में इरफ़ान ने एक लाइन बोली- ‘बस-बस 10 लाइन पूरी. आगे लिखने का 50 पैसा लगेगा. मां का नाम-पता बोल’. ये वो सीन था जब लोगों ने इरफान खान को पहली बार सिल्वर स्क्रीन पर देखा था. हालांकि, इससे उनके करियर को खास फायदा नहीं मिला. फिर साल 1991 में फिल्म ‘एक डॉक्टर की ���ौत’ में शबाना आजमी और पंकज कपूर के साथ उन्हें एक छोटा सा रोल करने का मौका मिला. इस फिल्म में इरफान ने एक न्यूज रिपोर्टर बनकर फैन्स का दिल जीत लिया.
नेगेटिव रोल में हिट
अनुराग बासु की फिल्म ने बदली किस्मत
साल 2007 में रिलीज हुई फिल्म ‘लाइफ इन मेट्रो’ के बाद इरफान खान की वाकई में लाइफ बदल गई. अनुराग बासु के डायरेक्शन में बनी इस फिल्म में शिल्पा शेट्टी, केके मेनन, कंगना रनौत, कोंकणा सेन शर्मा, इरफान खान, नफीसा अली, धर्मेंद्र, शाइनी आहूजा और शरमन जोशी जैसे कलाकार अहम भूमिका में थे. इस मल्टी स्टारर फिल्म में इरफान ने ‘मोंटी’ का किरदार निभाकर फैन्स को खूब एंटरटेन किया. इसके बाद इरफान ने ‘पान सिंह तोमर’, ‘हिंदी मीडियम’, ‘द लंच बॉक्स’, ‘सात खून माफ’, ‘करीब करीब सिंगल’, ‘पीकू’, ‘थैंक यू’, ‘न्यूयॉर्क’ और ‘अंग्रेजी मीडियम’ जैसी कई बेहतरीन फिल्मों में काम किया.
हॉलीवुड में बनाई पहचान
बॉलीवुड के साथ-साथ इरफान खान ने हॉलीवुड में भी अपनी पहचान बनाई. उन्होंने ‘द नेमसेक’, ‘स्लमडॉग मिलियनेयर’, ‘इन्फर्नो’ और ‘द अमेजिंग स्पाइडर मैन’ जैसी हॉलीवुड फिल्मों में काम कर चुके हैं. साल 2011 में इरफान खान को भारत सरकार की तरफ से पद्मश्री अवॉर्ड दिया गया. अपनी फिल्म ‘हिंदी मीडियम’ के लिए उन्हें फिल्मफेयर का बेस्ट एक्टर का पुरस्कार मिला. साल 2020 में रिलीज हुई ‘अंग्रेजी मीडियम’ इरफान खान की आखिरी फिल्म थी. 29 अप्रैल, 2020 को 53 साल की उम्र में उनका निधन हो गया था. दिवंगत ��क्टर इरफान खान ने कम उम्र में ही दुनिया को अलविदा कह दिया. वो ऐसे कलाकार थे जो अपनी फिल्मों के जरिए दशकों तक लोगों को एंटरटेन करते रहेंगे.
और भी मिले अवॉर्ड
इरफ़ान खान को अपनी दमदार एक्टिंग के लिए कई अवॉर्ड मिले. साल 2012 में रिलीज हुई उनकी फिल्म ‘पान सिंह तोमर’ के लिए इरफान खान को खूब तारीफ मिली. साथ ही उन्हें बेस्ट एक्टर का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया. इसके अलावा ‘हैदर’ और ‘पीकू’ जैसी फिल्मों के लिए उन्हें बेस्ट स्पोर्टिंग एक्टर का फिल्मफेयर अवॉर्ड दिया गया.
पर्सनल लाइफ
इरफान खान की पर्सनल लाइफ भी काफी दिलचस्प है. उन्होंने सुतापा सिकदर से शादी की. सुतापा और इरफान के दो बेटे हैं बाबिल और अयान खान. इरफान और सुतापा की शादी साल 1995 में हुई थी. दोनों की लव स्टोरी भी काफी फिल्मी है जिसकी शुरुआत दिल्ली के मंडी हाउस में हुई. दरअसल, दोनों दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में एक्टिंग करते-करते एक दूसरे को दिल दे बैठे. जब इरफान खान जयपुर से दिल्ली आए तो उन्होंने देखा कि यहां लड़कियां भी दोस्त हो सकती हैं. ऐसी दोस्त जिनसे दिल खोलकर बातें कर सकते हैं. तब इरफान की दोस्ती सुतापा से हुई. उस वक्त दोनों खूब बातें किया करते थे. धीरे-धीरे दोनों की दोस्ती गहरी होती गई जो जल्द ही प्यार में बदल गई. इसके बाद इरफान और सुतापा लिव-इन में रहने लगे. उस वक्त दोनों अपने करियर पर फोकस कर रहे थे लेकिन तभी सुतापा प्रेग्नेंट हो गईं. तब इरफान और सुतापा एक कमरे के घर में रहते थे. इरफान को लगा कि अब परिवार बढ़ रहा है तो दो कमरों का घर लेना चाहिए. घर ढूंढ़ने में उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा क्योंकि वो जहां भी जाते लोग पूछते कि आप शादीशुदा हो? बस इन सवालों से परेशान होकर इरफान खान और सुतापा ने 23 फरवरी, 1995 को शादी कर ली. एक इंटरव्यू में इरफान खान ने ये भी बताया था कि उस वक्त वो सुतापा सिकदर से शादी करने के लिए अपना धर्म तक बदलने के लिए तैयार थे, लेकिन उन्हें ऐसा करने की जरूरत नहीं पड़ी.
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जब छोड़ना चाहते थे एक्टिंग
पिता को कभी नहीं बता पाए ये बात
इरफान खान के पिता हमेशा से चाहते थे कि बेटा उनका टायर का बिजनेस संभाले. मगर इरफान का मन एक्टिंग में रम चुका था. एक इंटरव्यू में इरफान खान ने अपने पिता को याद करते हुए कहा था- ‘वो मेरे लिए मुश्किल समय था. मैं जयपुर में नाटक कर रहा था. उस वक्त मैंने एक्टिंग सीखने के लिए दिल्ली जाने का मन बना लिया था. इससे पहले कि मैं अपने पिता को बता पाता उनकी मृत्यु हो गई. मैंने कभी इस तरह का दुख नहीं झेला. उस वक्त मेरा दूसरा दुख ये था कि अब मेरी प्लानिंग का क्या होगा.’ इरफान ने कहा – ‘मुझे लगा कि अब मैं दिल्ली नहीं जा पाऊंगा क्योंकि मैं बड़ा बेटा था तो मुझे परिवार की देखभाल करनी थी. तब मेरे लिए जीने मरने वाली सिचुएशन थी. तब मैं एक दिन भी जयपुर में नहीं रहना चाहता था. मैं सोचता था, अगर मुझे इस साल NSD (नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा) में एंट्री नहीं मिली, तो मैं पागल हो जाऊंगा’. हालांकि, धीरे-धीरे चीजें ठीक हुईं और इरफान खान अपना सपना पूरा करने के लिए दिल्ली आ गए. इसके बाद इरफान के छोटे भाई ने पिता के टायर बिजनेस को संभाल लिया.
मां ने भी देखा था सपना
जिस तरह से इरफान खान के पिता उन्हें फैमिली बिजनेस चलाते हुए देखना चाहते थे, वैसे ही उनकी मां ने भी बेटे के लिए कुछ सपने देखे थे. इरफान ने बताया था कि उनकी ��ां चाहती थीं कि वो एक लेक्चरर बनें. दिल्ली जाने के लिए भी इरफान ने मां को बेवकूफ बनाया. एक्टर ने बताया कि जब वो NSD जा रहे थे तो उन्होंने मां से कहा- ‘एक बार यहां से कोर्स करने के बाद इसे मास्टर डिग्री माना जाएगा. हालांकि, ये सच था. उन्होंने मां से कहा कि जयपुर वापस आकर वो ड्रामा टीचर बन सकते हैं.’
नवाबों के खानदान से हैं इरफान
भले ही इरफान खान का शाही परिवार से ताल्लुक है लेकिन उनके परिवार ने हमेशा ही एक मिडिल क्लास जिंदगी जी. दरअसल, इरफान अली खान का जन्म टोंक के साहबजादे के रूप में हुआ. उनकी मां सईदा बेगम खान शाही टोंक हकीम फैमिली से थीं. हालांकि, इरफान के पिता यासीन अली खान ने रॉयल फैमिली से कुछ भी नहीं लिया. यासीन ने सब कुछ अपनी मेहनत से बनाया और कमाया. इरफान ने इस बारे में बात करते हुए एक इंटरव्यू में कहा कि हम अमीर नहीं थे, हम मध्यम वर्ग के लोग थे. मेरे पिता एक बिजनेसमैन थे, लेकिन उन्होंने कभी भी बिजनेस को वैसे नहीं संभाला जैसे बाकी करते हैं. मेरे पिता एक इमोशनल इंसान थे. उन्हें शिकार करना पसंद था, इसलिए वो अक्सर करते थे. इरफान ने बताया था कि एक दिन सुबह मैंने देखा कि बिल्ली डरी हुई थी. मुझे अंदाजा हो गया कि मतलब पिताजी एक तेंदुआ घर लाए हैं. मरे हुए तेंदुए की गंध से भी बिल्ली डर जाती थी.
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बदला: द फिल्म रिव्यु
बदला फिल्म में अमिताभ बच्चन और तापसी पन्नू प्लॉट: यह फिल्म एक ऐसी स्त्री की कहानी पर बनाई गई है जो शादीशुदा है और जिस पर अपने बॉयफ्रेंड के कत्ल का इल्जाम है और वह जमानत पर बाहर है क्या यह कत्ल उसी ने किया है? अगर उसने नहीं किया तो किसने किया है? क्या वह कत्ल के इल्जाम से बच पाएगी और खुद को निर्दोष साबित कर पाएगी? क्या उसका पति उसके पास वापस आ जाएगा? इन सभी सवालों के जवाबों को जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी| टोन और थीम: फिल्म की टोन थ्रिलर है और थीम सस्पेंस और क्राइम है इसको बनाने का उद्देश्य सिर्फ मनोरंजन करना है और यह पता लग���ना है कि कत्ल किसने किया? क्यों किया? और उसे कत्ल करके क्या मिला? एक्टिंग एंड कैरक्टर्स: नैना की भूमिका में तापसी पन्नू ने कमाल का अभिनय किया है तापसी पन्नू एक नकारात्मक भूमिका निभाते हुए नज़र आई और उन्होंने इस भूमिका में अपनी पूरी जान फूंक दी है शुरू से लेकर अंत तक पूरी फिल्म में तापसी पन्नू ही छाई हुई है बादल गुप्ता की भूमिका में अमिताभ बच्चन का तो जवाब ही नहीं है एक वकील की भूमिका में उन्होंने शानदार अभिनय किया है किस तरह से सवालों के जवाबो को ढूंढना हैं और किस तरह से सच उगलवाना है उन्होंने बखूबी इस भूमिका में साबित किया है रानी कौर की भूमिका में अमृता सिंह बहुत दिनों के बाद परदे पर दिखाई दी और फिल्मों में वापसी भी की तो एक अच्छी भूमिका और अभिनय के साथ| उन्होंने भी अच्छा अभिनय किया है खोये हुए बेटे की तलाश में वह अपने चेहरे पर मां की पीड़ा को बहुत अच्छे से पर्दे पर प्रदर्शित कर पाई| सभी अपनी-2 भूमिकाओं की असलियत पर्दे पर दिखाने में खरे उतरेऔर कुछ हद तक कामयाब रहे| कुछ भी नाटकीय प्रतीत नहीं होता| डायरेक्शन: निर्देशक सुजॉय घोष इससे पहले बहुत सारी फिल्में निर्देशित कर चुके है जैसे झनकार बीट्स(2003), होम डिलीवरी(2005), अलादीन(2009), कहानी(2012), और कहानी2(2016) और रितिक रोशन की बैंग बैंग(2014) को लिख चुके है इसके आलावा वह शॉर्ट फिल्में जैसे अहल्या(2015), अनुकूल(2017) और गुड लक(2018) बना चुके है| इनको कहानी(2012) फिल्म के लिए बेस्ट ओरिजिनल स्क्रीनप्ले का राष्ट्रीय पुरुस्कार भी मिल चुका है| ये सभी फिल्में विषय को लेकर या फिर सफलता को लेकर या फिर critically aclaimed को लेकर चर्चा में रही| अब वह बदला लेकर आए है अगर उनके निर्देशन की बात की जाए तो उनकी पिछली फिल्मों के जैसा ही है पर फिल्म में इतने रहस्य हैं कि फिल्म लंबी होने के बावजूद कहीं से भी लंबी नहीं लगती और बोर भी नहीं करती| दर्शक अपनी सीट से अंत तक बंधा रहता है फिल्म में एक के बाद एक रहस्य खुलते रहते हैं| कहानी-पटकथा-डायलॉग्स: सुजॉय घोष ने फिल्म की कहानी और पटकथा को कुछ ज्यादा ही जटिल बना दिया है| उनका कहानी को बताने का तरीका यूनिक है| एक जटिल कहानी को बहुत ही अच्छे ढंग से फिल्माया है डायलॉग भी बहुत ही बढ़िया से लिखे गए हैं और सभी पात्रों से पूरी तरह से sync करते हुए नजर आते हैं| सभी पात्रों को बहुत ही अच्छी तरह से लिखा गया हैं| सिनेमैटोग्राफी: अविक मुखोपाध्याय की सिनेमेटोग्राफी बहुत ही लाजवाब है, अलग-2 दृश्यों में उन्होंने अलग-2 कैमरा फ्रेम्स और एंगल्स का अच्छे से इस्तेमाल किया हैं, जो यह उनकी फोटोग्राफी में नजर आता है उनके फिल्माए सस्पेंस सीन्स हो या फिर मर्डर सीन्स हो या एक्सीडेंट वाला सीन हो, सभी सीन्स अलग से नज़र आते है| बैकग्राउंड स्कोर: क्लिंटन सिराजो का बैकग्राउंड स्कोर फिल्म की थीम और टोन के साथ बहुत ही अच्छे से ढंग से sync मैच करता है| प्रोडक्शन डिजाइन: कौशिक दास, सुब्रत बारिक, पॉल रोवन का घर के सेट्स बहुत अच्छे से बन पड़े हैं फिल्म की कहानी और थीम के साथ पूरी तरह से मैच करते हैं एडिटिंग: मनीषा आर बड़वाना की एडिटिंग बहुत बढ़िया और फिल्म फ्लो भी ठीक है दृश्यों के बीच बहुत ही अच्छी तरह से मिलान किया गया है फिल्म की गति तेज है| कास्टूम डिज़ाइन: कहानी और थीम के हिसाब से दीपिका लाल और अनिरुद्ध सिंह ने अच्छे डिज़ाइन किये है| एक्शन: शाम कौशल के एक्शन ठीक है और वैसे भी एक्शन का इतना स्कोप भी नहीं था| विज़ुअल इफेक्ट्स: रेड चिल्लीज VFX के बहुत ही शानदार और दमदार है| क्लाइमेक्स: फिल्म का अंत तो चौकाने वाला है यकीन ही नहीं होता कि इतना जानदार अंत हो सकता है| ओपिनियन: अच्छे बैकग्राउंड स्कोर, साउंड डिज़ाइन और सस्पेंस के लिए फिल्म देख सकते है| रेटिंग: 7/10 Flaws: जिस होटल में नैना का बॉयफ्रेंड कमरा किराए पर लेता है उसी होटल में रानी कौर का हस्बैंड जॉब कैसे करता है यह कैसे संभव है यह समझ से परे हैं, फिल्म में गीत नहीं है और जरुरत भी नहीं थी गीत डालने की| लोकप्रिय डायलॉग: सबका सच अलग अलग होता है, वह मूर्ख होता है जो सिर्फ सच को ही जानता है और सच और झूठ के फर्क को नहीं जानता है| 65th फ़िल्मफ़ेयर अवॉर्ड नॉमिनेशंस: इस फिल्म को चार नॉमिनेशंस मिले है बेस्ट साउंड डिजाइन, बेस्ट बैकग्राउंड स्कोर, बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस और बेस्ट एडिटिंग पर फिल्म एक भी अवार्ड जीतने में कामयाब नहीं हो सकी मैसेज: फिल्म हमें एक सीख भी देती है कि ओवर स्मार्ट मत बनो गलत काम का गलत नतीजा ही होता है यह स्पेनिश फिल्म द इनविजिबल गेस्ट पर आधारित है जो 2016 में रिलीज़ हुई थी जिसको ओरिओल पाउलो ने निर्देशित किया था| CBFC-U/A Movietime: 1h58m Genre: Suspense Thriller Backdrop: london Release: 8 March, 2019 फिल्म कास्ट: अमिताभ बच्चन, तापसी पन्नू, अमृता सिंह, मानव कॉल(विशेष भूमिका) और टोनी ल्यूक प्रोडूसर: गौरी खान, सुनीर खेत्रपाल, अक्षय पुरी, डायरेक्टर: सुजॉय घोष, साउंड डिज़ाइन: अनिर्बन सेनगुप्ता कास्टूम डिज़ाइन: दीपिका लाल, अनिरुद्ध सिंह, म्यूजिक: क्लिंटन सिराजो, अमाल मलिक, अनुपम रॉय लिरिक्स: कुमार, ए. एम. तुराज़, अनुपम रॉय, मनोज यादव, सिद्धांत कौशल, बैकग्राउंड स्कोर: क्लिंटन सिराजो प्रोडक्शन डिज़ाइन: कौशिक दास, सुब्रत बारिक, पॉल रोवन, एडिटर: मनीषा आर बड़वाना सिनेमेटोग्राफी: अविक मुखोपाध्याय, डायलॉग्स: सुजॉय घोष, राज वसंत स्टोरी-स्क्रीनप्ले: सुजॉय घोष, डायरेक्टर: सुजॉय घोष, एक्शन: शाम कौशल, विजुअल इफैक्ट्स: रेड चिलीज VFX Read the full article
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विराट कोहली और अनुष्का के बच्चों को देखकर रो पड़े प्रेमानंद महाराज, आप भी देखें वायरल वीडियो
Premanand Maharaj News: इंडियन क्रिकेट टीम के स्टार प्लेयर विराट कोहली और उनकी पत्नी, बॉलीवुड एक्ट्रेस अनुष्का शर्मा, हाल ही में अपने बेटे अकाय और बेटी वामिका के साथ प्रेमानंद महाराज के दर्शन करने पहुंचे। इस आध्यात्मिक मिलन का वीडियो भी सामने आया था जिसमें अनुष्का प्रेमानंद महाराज से सवाल करती दिख रही हैं। अब एक नया वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें प्रेमानंद महाराज की आंखो में आंसू देखे जा सकते हैं।…
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जब घर में नवजात बच्चे का जन्म होता है तो माँ-बाप के साथ दादा-दादी को भी बड़ी खुशी होती है। दादा बनने पर Welcome and ढेर सारी शुभकामनाएं। Arjun Singh पुत्र रत्न प्राप्ति की बधाई भगवान शिव आपके बेटे को अदभुद तीक्ष्ण बुध्दि दे, जिससे आपके पुत्र संसार को आश्चर्य चकित कर दे।
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सकट चौथ 2025: तिथि, पूजा का समय, व्रत कथा, विधि और क्या करें और क्या न करें
सकट चौथ, जिसे संकष्टी चतुर्थी भी कहा जाता है, भगवान गणेश और देवी संकटहर्ता को समर्पित एक अत्यंत महत्वपूर्ण दिन है। मुख्य रूप से हिंदू भक्तों द्वारा मनाया जाने वाला य�� दिन बाधाओं को दूर करने और भक्तों के जीवन में समृद्धि लाने में विश्वास रखता है। 2025 में, सकट चौथ उनके लिए विशेष महत्व रखता है जो अपने परिवार के कल्याण के लिए दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं।
सकट चौथ 2025 तिथि और पूजा का समय
पवित्र सकट चौथ 2025 को शुक्रवार, 17 जनवरी, 2025 को मनाया जाएगा। विस्तृत समय इस प्रकार है:
चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 17 जनवरी 2025 को सुबह 6:14 बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त: 18 जनवरी 2025 को सुबह 4:58 बजे
चंद्रोदय का समय: रात 8:47 बजे
भक्तों को शाम के समय पूजा करनी चाहिए और चंद्रमा के दर्शन के बाद व्रत तोड़ना चाहिए।
सकट चौथ व्रत कथा
सकट चौथ व्रत कथा गहन आध्यात्मिक महत्व रखती है और भक्ति और विश्वास का महत्व सिखाती है। पूरी कथा इस प्रकार है:
प्राचीन समय में, एक समृद्ध राज्य पर एक धर्मपरायण राजा शासन करता था। राज्य की रानी गहरी भक्त थीं और नियमित रूप से अपने परिवार के कल्याण के लिए अनुष्ठान करती थीं। लेकिन राजकुमार, उनका इकलौता पुत्र, गंभीर रूप से बीमार पड़ गया। सबसे अच्छे चिकित्सकों की सलाह और अनगिनत अनुष्ठानों के बावजूद, उनकी स्थिति में सुधार नहीं हुआ।
एक दिन, एक ज्ञानी साधु महल में आए। राजकुमार की स्थिति सुनने के बाद, साधु ने सकट चौथ व्रत रखने और भगवान गणेश और देवी संकटहर्ता को समर्पित एक विशेष पूजा करने का सुझाव दिया। साधु ने बताया कि देवी संकटहर्ता इस दिन विशेष रूप से कृपालु होती हैं और जो लोग भक्ति के साथ व्रत रखते हैं उन्हें कठिनाइयों से राहत प्रदान करती हैं।
रानी ने साधु की सलाह मानने का निर्णय लिया। सकट चौथ के दिन, उन्होंने निर्जला व्रत (बिना पानी के व्रत) रखा, पूरी श्रद्धा के साथ अनुष्ठान किए और व्रत कथा सुनी। उन्होंने भगवान गणेश और देवी संकटहर्ता से प्रार्थना की कि वे उनके पुत्र का जीवन बचाएं। चंद्रमा के उदय के समय, उन्होंने चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित कर व्रत तोड़ा।
चमत्कारिक रूप से, उसी रात से राजकुमार की तबीयत में सुधार होने लगा। कुछ ही दिनों में, वह पूरी तरह से ठीक हो गया, जिससे शाही परिवार में आनंद और राहत फैल गई। तब से, सकट चौथ व्रत रखने की परंपरा जारी है, और भक्तों का मानना है कि यह उनके बच्चों की रक्षा कर सकता है और उनके जीवन से बाधाओं को दूर कर सकता है।
सकट चौथ व्रत की दूसरी कथा
एक गांव में एक गरीब लेकिन भक्त महिला रहती थी। उसका इकलौता पुत्र था, जिसे उसने अपनी कठिनाइयों के बावजूद बहुत प्यार और देखभाल से पाला। महिला की भगवान गणेश में गहरी आस्था थी, और वह नियमित रूप से उनके व्रत और पूजा करती थी।
एक बार, गांव में भयंकर अकाल पड़ा, और महिला को भोजन जुटाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ी। एक दिन, उसने सकट चौथ का महत्व सुना और व्रत रखने का निर्णय लिया। उसने निर्जला व्रत किया और पूरी श्रद्धा से भगवान गणेश की पूजा की। पूजा के दौरान उसने व्रत कथा सुनी और अपनी संतान की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए प्रार्थना की।
उसके बेटे को एक दिन अचानक जंगल में एक बड़े खतरे का सामना करना पड़ा। एक विशाल सांप ने उसे काटने की कोशिश की। लेकिन जैसे ही वह सांप उसके करीब आया, भगवान गणेश प्रकट हुए और अपने दिव्य प्रभाव से सांप को वहां से भगा दिया।
जब महिला को इस घटना के बारे में पता चला, तो उसने भगवान गणेश का धन्यवाद किया और समझ गई कि सकट चौथ व्रत ने उसके बेटे की जान बचाई। तभी से यह परंपरा प्रचलित हो गई कि इस दिन व्रत रखने से बच्चों की रक्षा होती है और परिवार पर आने वाले संकट दूर हो जाते हैं।
सकट चौथ की एक और प्रसिद्ध कथा
प्राचीन समय में, एक गांव में एक साहूकार (व्यापारी) रहता था। उसके सात बेटे और सात बहुएं थीं। साहूकार की सबसे छोटी बहू बहुत भक्त थी और भगवान गणेश में गहरी आस्था रखती थी। जब भी कोई पर्व या व्रत आता, वह श्रद्धा और नियमों का पालन करते हुए पूजा-अर्चना करती।
एक बार सकट चौथ का दिन आया। साहूकार की छोटी बहू ने व्रत रखने का संकल्प लिया। पूरे दिन उसने निर्जला व्रत किया और शाम को पूजा की तैयारी करने लगी। लेकिन साहूकार और उसकी अन्य बहुओं ने उसका मजाक उड़ाया। उन्होंने कहा, "तुम्हारे इस उपवास और पूजा का कोई अर्थ नहीं है। इससे किसी को कोई लाभ नहीं होगा।"
छोटी बहू ने उनकी बातों को अनसुना किया और अपने व्रत और पूजा में ध्यान केंद्रित किया। उसने भगवान गणेश की पूजा करते हुए दुर्वा, मोदक, और लाल फूल अर्पित किए और चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत खोला।
उस रात, साहूकार के परिवार में एक अनहोनी घटित हुई। साहूकार और उसकी छह बहुएं गंभीर रूप से बीमार पड़ गईं। घर में अशांति फैल गई। परिवार के लोग इस विपदा का कारण समझने में असमर्थ थे। परेशान होकर उन्होंने गांव के एक संत से परामर्श लिया।
संत ने कहा, "आपने सकट चौथ व्रत और पूजा का अपमान किया है। भगवान गणेश ने आपको यह सजा दी है। इस संकट से बचने ��े लिए पूरे परिवार को गणेश जी से क्षमा मांगनी होगी और व्रत को श्रद्धा के साथ करना होगा।"
साहूकार और उसकी बहुएं बहुत पछताईं। उन्होंने अगले दिन गणेश जी की विधिवत पूजा की और भगवान गणेश से क्षमा मांगी। उनकी प्रार्थनाओं के बाद, परिवार के सभी सदस्य ठीक हो गए।
तब से, यह कथा प्रचलित हो गई और सकट चौथ व्रत का महत्व हर घर में बताया जाने लगा। यह व्रत सिखाता है कि भक्ति, श्रद्धा, और विश्वास से भगवान गणेश सभी संकटों को हर लेते हैं और परिवार में सुख-शांति लाते हैं।
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इस कथा का महत्व
यह कहानी सिखाती है कि भक्ति और विश्वास के साथ व्रत रखने से भगवान गणेश और देवी संकटहर्ता की कृपा प्राप्त होती है। संकटों से मुक्ति पाने और संतान के कल्याण के लिए यह व्रत विशेष रूप से प्रभावशाली माना जाता है।
सकट चौथ पूजा विधि
1. सुबह की तैयारी:
सुबह जल्दी उठें, स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
पूजा स्थल को साफ करें और वहां भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
2. संकल्प:
व्रत को श्रद्धा से रखने का संकल्प लें और अपने परिवार के कल्याण और बाधाओं को दूर करने के लिए प्रार्थना करें।
3. पूजा विधि:
एक दीपक जलाएं और अगरबत्ती लगाएं।
दुर्वा, ��ाल फूल, फल और मोदक जैसे मिठाई भगवान गणेश को अर्पित करें।
गणेश मंत्र जैसे “ॐ गं गणपतये नमः” का जाप करें।
4. शाम की पूजा:
भगवान गणेश के लिए भोग तैयार करें।
सकट चौथ व्रत कथा सुनें या पढ़ें।
आरती करें और सभी बाधाओं को दूर करने के लिए प्रार्थना करें।
5. व्रत तोड़ना :
चंद्रमा के दर्शन के बाद, चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित करके व्रत तोड़ें।
क्या करें (Dos) सकट चौथ पर
• निर्जला व्रत रखें: यह व्रत का सबसे शुभ तरीका माना जाता है। जो लोग निर्जला व्रत नहीं रख सकते, वे आंशिक व्रत रख सकते हैं।
• मोदक और दुर्वा चढ़ाएं: यह भगवान गणेश की प्रिय भेंट मानी जाती है।
• गणेश मंत्र का जाप करें: भगवान गणेश को समर्पित मंत्रों का जाप व्रत के सकारात्मक प्रभावों को बढ़ाता है।
• व्रत कथा सुनें: पूजा के दौरान सकट चौथ कथा अवश्य सुनें या पढ़ें।
क्या न करें (Don’ts) सकट चौथ पर
• मांसाहारी भोजन से बचें: इस पवित्र दिन पर मांसाहारी भोजन और शराब से दूर रहें।
• चंद्रोदय अनुष्ठान को न छोड़ें: व्रत चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित किए बिना अधूरा माना जाता है।
• लहसुन और प्याज का उपयोग न करें: भोग और अपने भोजन (यदि आंशिक व्रत) के लिए सात्विक भोजन तैयार करें।
• नकारात्मक विचार न रखें: पूरे दिन सकारात्मक और भक्ति से भरा दृष्टिकोण बनाए रखें। सकट चौथ का ज्योतिषीय महत्व
ज्योतिष के अनुसार, सकट चौथ मनाने से राहु और केतु जैसे अशुभ ग्रहों के प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो अपने कुंडली में प्रतिकूल ग्रहों की महादशा या अंतरदशा के कठिन समय से गुजर रहे हैं। इस शुभ दिन के लाभों को अपनी अनूठी ग्रह स्थिति के आधार पर अधिकतम करने के लिए डॉ. विनय बजरंगी जैसे अनुभवी ज्योतिषी से परामर्श करें।
निष्कर्ष
सकट चौथ 2025 भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त करने और जीवन की चुनौतियों को दूर करने का एक शक्तिशाली दिन है। व्रत को श्रद्धा से रखकर, पूजा को भक्ति से करके, और क्या करें और क्या न करें का पालन करके, भक्त आध्यात्मिक और भौतिक लाभों का अनुभव कर सकते हैं। इस दिन का आपके जीवन पर कैसे प्रभाव पड़ सकता है, इस पर व्यक्तिगत ज्योतिषीय मार्गदर्शन के लिए डॉ. विनय बजरंगी से परामर्श करें।
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