#बी। तकनीक
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#फिल्म्स के बारे में दस अज्ञात तथ्य
1. 1888 में बनी पहली फिल्म "राउंडय गार्डन सीन" थी, जिसे फ्रेंच आविष्कारक लुइस ले प्रिंस द्वारा निर्देशित किया गया था।
2. 1911 में पहली हॉलीवुड फिल्म "द स्क्व मैन" थी, जिसका निर्देशन ऑस्कर एपफेल और सेसिल बी ने किया था। डेमिल।
3. पहली 3डी फिल्म 1922 में "द पावर ऑफ़ लव" थी, जिसका निर्देशन नट जी ने किया था। डेवरीच और हैरी के. फेयरल।
4. ध्वनि के साथ पहली फिल्म 1927 में "द जैज सिंगर" थी, जिसका निर्देशन एलन क्रॉसलैंड ने किया था।
5. 2016 में बनी सबसे लंबी फिल्म "अम्बियन" थी, एंडर्स वेबर्ग द्वारा निर्देशित, 720 घंटे के रनटाइम के साथ।
6. एंथनी और जो रूसो द्वारा निर्देशित 2019 में अब तक की सबसे अधिक कमाई करने वाली फिल्म "एवेंजर्स: एंडगेम" है।
7. एक ही फिल्म द्वारा जीते गए सबसे अधिक अकादमी पुरस्कार 11 हैं, 1959 में "बेन-हुर" द्वारा, 1997 में "टाइटैनिक" और 2003 में "द लॉर्ड ऑफ द रिंग्स: द रिटर्न ऑफ द किंग" द्वारा प्राप्त किए गए हैं।
8. कंप्यूटर-जनरेटेड इमेज (���ीजीआई) को फीचर करने वाली पहली फिल्म 1973 में माइकल क्रिचटन द्वारा निर्देशित "वेस्टवर्ल्ड" थी।
9. गति कैप्चर तकनीक का उपयोग करने वाली पहली फिल्म 2001 में पीटर जैक्सन द्वारा निर्देशित "द लॉर्ड ऑफ द रिंग्स: द फेलोशिप ऑफ द रिंग" थी।
10. "द मैट्रिक्स" त्रयी के लिए $ 250 मिलियन के वेतन के साथ अब तक का सबसे अधिक भुगतान करने वाला अभिनेता कीनू रीव्स है।
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एआई सुरक्षा के बीच देश के 23.50 लाख विद्यार्थियों ने दी नीट-यूजी परीक्षा
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-राजस्थान के 24 शहरों में 1.92 लाख एवं कोटा के 56 सेंटर पर 27,119 ने दिया पेपर - एनटीए द्वारा रिजल्ट 14 जून को, अधिकृत ‘आंसर की’ जल्द न्यूजवेव @नई दिल्ली /कोटा नेशनल टेस्टिंग एजेंसी द्वारा सबसे बडी मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट-यूजी,2024 रविवार को दोपहर 2 से शाम 5ः20 बजे तक आधुनिक तकनीक के कडे़ सुरक्षा घेरे में शांतिपूर्वक आयोजित की गई, जिसमें देश के 557 शहरों में 23.50 लाख (98%) परीक्षार्थियों ने पेन-पेपर मोड में पेपर दिया। विदेश के 14 शहरों में भी यह परीक्षा हुई। इसका रिजल्ट 14 जून को घोषित किया जायेगा।
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एनटीए के जोनल कॉर्डिनेटर प्रदीपसिंह गौड ने बताया कि नीट-यूजी परीक्षा के लिये राजस्थान के 24 शहरों के विभिन्न ��रीक्षा केंद्रों पर आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस द्वारा टेबलेट स्क्रीन पर परीक्षार्थी का डेटाबेस आ जाने से बायोमेट्रिक स्केनिंग तेजी से हुई। इस तकनीक से परीक्षार्थियों को कोई असुविधा नहीं हुई। जूमर के माध्यम से कडी सुरक्षा के बीच पेपर हुआ। उन्होंने बताया कि राज्य में इस वर्ष 1.97 लाख पंजीकृत परीक्षार्थियों में से 1.92 लाख ( 97.5 %) पेपर देने पहुंचे। कोटा में 27,456 पंजीकृत परीक्षार्थियों से 27,119 ने 56 परीक्षा केंद्रों पर पेपर दिया। 337 छात्र अनुपस्थित रहे। कोटा, जयपुर, जोधपुर, अजमेर, उदयपुर, भरतपुर, अलवर, बीकानेर, बांसवाडा, श्रीगंगानगर, जैसलमेर, बाडमेर, बारां, झुंझनू, सीकर, सिरोही, सवाईमाधोपुर, पाली, नागौर, चुरू, दौसा, धौलपुर, करौली के परीक्षा केंद्रों पर सुबह से शाम तक विद्यार्थियों एवं अभिभावकों की हलचल बनी रही। प्रतिवर्ष की तरह इस बार भी कोटा के परीक्षा केंद्रों पर गर्ल्स परीक्षार्थियों की संख्या सर्वाधिक रही। 24.06 लाख में 13.63 लाख छात्रायें इस वर्ष भी डॉक्टर बनने की दौड में बेटियां आगे रहीं। नीट-यूजी 2024 के लिये 24 लाख 6 हजार परीक्षार्थी पंजीकृत हुये, जिनमें 13.63 लाख छात्रायें एवं 10.18 लाख छात्र शामिल हैं। जबकि गत वर्ष इस परीक्षा में 20,87,449 पंजीकृत हुये थे। इस वर्ष 2,94,384 परीक्षार्थी बढे हैं। रिजल्ट में 12 लाख क्वालिफाई होने की उम्मीद एनटीए ने नीट-यूजी, 2023 में 20.87 ला��� परीक्षार्थियों में से 11.45 लाख को काउंसलिंग के लिये क्वालिफाई घोषित किया था। चंूकि इस वर्ष 2.94 लाख परीक्षार्थियों की संख्या बढने एवं एमबीबीएस व बीडीएस की सीटें बढ़ जाने से 12 लाख से अधिक परीक्षार्थियों को काउंसलिंग हेतु क्वालिफाई होने का अनुमान है। सामान्य वर्ग से 4 लाख ज्यादा OBC छात्र खास बात यह है कि मेडिकल कॉलेजों में 27 प्रतिशत आरक्षण होने से ओबीसी-एनसीएल वर्ग के सर्वाधिक 10,43,084 परीक्षार्थी रहे, जबकि सामान्य वर्ग में परीक्षार्थी घटकर 6,43,596 रह गये। इसी तरह, एससी वर्ग के 3,52,107 एवं एसटी वर्ग के 1,54,489 ने नीट-यूजी परीक्षा दी। सामान्य कमजोर आय वर्ग के 1.88.557 ने भी इसमें रूचि दिखाई। 720 अंकों के पेपर में 200 प्रश्न पूछे एनटीए ने नीट-यूजी के पेपर में फिजिक्स, केमिस्ट्री, जूलॉजी व बॉटनी चारों विषयों से 720 अंकों के कुल 200 प्रश्न पूछे गये। प्रत्येक विषय के सेक्शन ए में 35 प्रश्न एवं सेक्शन-बी में 15 प्रश्न रहे, जिसमें से 10 प्रश्न हल करना था। प्रत्येक प्रश्न 4 अंकों का है। गलत उत्तर होने पर एक अंक की नेगेटिव मार्किंग होगी। परीक्षार्थियों ��े बताया कि इस वर्ष पेपर में एनसीईआरटी सिलेबस से जुडे प्रश्न अधिक पूछे गये। चारों विषयों में प्रश्नों का स्तर मॉडरेट रहा। परीक्षार्थी अब अपना संभावित एनटीए स्कोर पता करने के लिये अधिकृत ‘आंसर की’ का इंतजार कर रहे हैं। उधर, कई प्रमुख कोचिंग संस्थानों ने अपनी वेबसाइट पर अनुमानित ‘आंसर की’ जारी कर दी है। 10 वर्ष में दोगुना हुई MBBS सीटें केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया के अनुसार, इस वर्ष देश के 706 सरकारी व प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में MBBS की अधिकृत सीट बढ़कर 1,08,940 हो गई हैं, जो 2014 में 51,348 थीं। इस तरह 10 वर्षों में 57,591 एमबीबीएस की सीटों में वृद्धि हुई है। इसी तरह बीडीएस के 323 कॉलेज की 28,088, आयुष पाठ्यक्रम की कुल 55,851 सीटों पर भी नीट-यूजी में क्वालिफाई विद्यार्थियों को अवसर मिलेगा। Read the full article
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US और सऊदी में होने जा रहा ऐतिहासिक रक्षा समझौता, मध्य पूर्व का बदलेगा नक्शा, इजरायल को झटका!
रियाद: अमेरिका और सऊदी अरब एक ऐतिहासिक समझौते की ओर आगे बढ़ रहे हैं। इस समझौते से जहां सऊदी अरब को अमेरिका से सुरक्षा की गारंटी मिलेगी, वहीं सिविल न्यूक्लियर एनर्जी इंडस्ट्री का भी रास्ता साफ होगा। इसके अलावा अमेरिका सऊदी अरब को एआई तथा अन्य उभरती हुई तकनीक में मदद करेगा। इसके बदले में इजरायल को यह प्रस्ताव दिया जाएगा कि वह अलग फलस्तीन देश को स्वीकार करके सऊदी अरब के साथ अपने रिश्ते सामान्य कर ले। इजरायल अगर इसे स्वीकार करता है तो 76 साल पुराना यह संघर्ष खत्म हो जाएगा। इस समझौते पर 7 अक्टूबर के इजरायल पर हमले से पहले ही लगभग सहमति बन गई थी लेकिन हमास के हमले के बाद यह ठंडे बस्ते में चला गया था। हालांकि अभी नेतन्याहू सरकार अलग फलस्तीन देश के लिए सहमत नहीं है और इसी वजह से अमेरिका और सऊदी अरब प्लान बी पर काम कर रहे हैं। गार्डियन की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन सऊदी अरब के दौरे पर पहुंचे हैं जहां उनकी इस्लामिक देश के विदेश मंत्री से काफी लंबी मुलाकात हुई है। बताया जा रहा है कि इजरायल के कड़े रुख को देखते हुए सऊदी अरब ने अमेरिका को यह प्लान बी दिया है। सऊदी अरब ने कहा कि अमेरिका के साथ इस डील में इजरायल के साथ समझौते के पहलू को बाहर रखा जाए। अरब मामलों के विशेषज्ञों का कहना है कि सऊदी अरब नहीं चाहता है कि नेतन्याहू सरकार की वजह से सऊदी अरब और अमेरिका के बीच रक्षा डील फंसी रहे। वहीं अमेरिका भी इस डील पर आगे बढ़ता दिख रहा है। चीन और रूस के खौफ में अमेरिका दरअसल, सऊदी अरब में चीन और रूस का प्रभाव बहुत बढ़ता जा रहा है। चीन ने हाल ही में ईरान और सऊदी अरब के बीच शांति डील कराई है। वहीं रूस भी सऊदी अरब के साथ व्यापारिक संबंध काफी बढ़ा चुका है। ऐसे में अमेरिका सऊदी अरब को अपने हाथ से खोना नहीं चाहता है जो दशकों से ��ध्य पूर्व में उसका सबसे बड़ा सहयोगी देश रहा है। हालांकि अभी भी ब्लिंकन ने सऊदी अरब और इजरायल के बीच रिश्ते सामान्य करने पर जोर दिया है। साथ ही फलस्तीनी देश के प्रगति की भी बात कही है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका और सऊदी अरब के बीच हाल के दिनों में इसको लेकर काफी बातचीत हुई है। विश्लेषकों का कहना है कि इस समझौते में अभी कई बाधाएं हैं लेकिन इससे पूरे मध्य पूर्व का नक्शा ही बदल सकता है। इससे न केवल इजरायल और सऊदी अरब की सुरक्षा में इजाफा होगा बल्कि क्षेत्र में अमेरिका का दबदबा फिर से मजबूत हो जाएगा। वह भी तब जब ईरान लगातार आक्रामक रुख अपनाए हुए है और अमेरिकी धमकी का उस पर असर नहीं हो रहा है। अमेरिका में अगर सीनेट की मंजूरी मिल जाती है तो दुनिया का सबसे बड़ा तेल निर्यातक सऊदी अरब को अत्याधुनिक घातक हथियारों का रास्ता साफ हो जाएगा। इजरायल के रुख पर रहेगी दुनिया की नजर इससे पहले सऊदी अरब ने अमेरिका से चीनी की तकनीक को कम से कम इस्तेमाल करने पर सहमति जताई थी। एक बार जब समझौते पर अमेरिका और सऊदी अरब के बीच सहमति हो जाएगी तब उसे इजरायल के सामने पेश किया जाएगा। इजरायल अगर इसे स्वीकार करता है तो सऊदी अरब उसे मान्यता दे देगा लेकिन इसके बदले में नेतन्याहू को फलस्तीन को मान्यता देना होगा। इजरायल अगर इसे स्वीकार नहीं करता है तो वह डील से बाहर हो जाएगा। http://dlvr.it/T6J9Z5
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Janiye Artificial Intelligence Kya Hai?
Artificial Intelligence Kya Hai: AI एक मशीन है जो मानव मस्तिष्क की नकल करती है, जो मशीनों को सीखने, तर्क और आत्म-सुधार के माध्यम से मनुष्यों की तरह सोचने और कार्य करने में सक्षम बनाती है। इसका उपयोग विशेषज्ञ प्रणालियों, वाक् पहचान और मशीन विज़न जैसे अनुप्रयोगों में किया जाता है। AI विशेष रूप से कंप्यूटर सिस्टम में उपयोगी है, जहां मशीनों को इंसानों की तरह सोचने और कार्य करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्या है (Artificial Intelligence Kya Hai) जानने के बाद आईये इसके प्रकार को समझते है।
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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के प्रकार
Rule-based AI: नियम-आधारित AI विशिष्ट नियमों का पालन करके संचालित होता है, जैसे कि यदि ए के साथ बी है तो सी को चुनना, और यह बुनियादी है और विशिष्ट स्थितियों में उपयोग क��या जाता है।
Machine Learning (ML): मशीन लर्निंग AI सिस्टम को खोज इंजन, छवि पहचान, भाषण पहचान और ग्राहक सेवा जैसे विभिन्न उद्योगों का उपयोग करके डेटा का उपयोग करके तथ्य-आधारित निर्णय लेने में सक्षम बनाता है।
Deep Learning: डीप लर्निंग एक उन्नत मशीन लर्निंग तकनीक है जो अवधारणाओं को पदानुक्रम में व्यवस्थित करती है, जिसके परिणामस्वरूप मशीन लर्निंग की तुलना में बेहतर परिणाम मिलते हैं। इसका उपयोग प्राकृतिक भाषा, भाषण और छवियों को संसाधित करने में किया जाता है।
Natural Language Processing (NLP): एनएलपी मशीनों को व्याकरण, शब्दार्थ और व्यावहारिकता के माध्यम से मानव भाषा को समझने और प्रतिक्रिया देने में सक्षम बनाता है, जिससे चैटबॉट, ग्राहक सेवा और अनुवाद में एप्लिकेशन सक्षम होते हैं।
Computer Vision: कंप्यूटर विज़न मशीनों को दृश्य डेटा का विश्लेषण करने, स्वायत्त वाहनों में निर्णय लेने, छवि पहचान और छवियों और वीडियो की जांच के माध्यम से वीडियो निगरानी करने में सक्षम बनाता है।
AI तकनीक मशीनों और उपकरणों को हमारी तरह सोचने और समझने में सक्षम बनाकर, अधिक उपयोगी प्रयोगों और प्रयोगों को सक्षम करके जीवन को सरल बनाती है।
#Artificial Intelligence Kya Hai#Artificial Intelligence#AI#what is artificial intelligence#artificial intelligence meaning#artificial intelligence ai
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5 निर्माण रुझान जो पूरे उद्योग का नवीनीकरण कर रहे हैं
अंजलि बिल्ड एस्टेट, जो जयपुर में सर्वश्रेष्ठ आवासीय संपत्ति प्रदान करने के लिए जाना जाता है, ने नए और बेहतर जॉब साइट्स से लेकर 3डी प्रिंटिंग और वर्चुअल रियलिटी (वीआर) तक कई अत्याधुनिक बिल्डिंग ट्रेंड्स को अपनाया है। निर्माण तकनीक और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियां भारत के पूरे रियल एस्टेट क्षेत्र में क्रांति ला रही हैं और तेज, सुरक्षित और अधिक किफायती आवासीय विकास के निर्माण को सक्षम कर रही हैं। शीर्ष 5 व्यावसायिक निर्माण रुझान जो भारतीय वाणिज्यिक उद्योग को बदल रहे हैं, नीचे सूचीबद्ध हैं। -
1) भविष्य की नौकरी साइटें - इंटरनेट ऑफ थिंग्स, जिसे IoT के रूप में भी जाना जाता है, एकीकृत कंप्यूटिंग उपकरणों, डिजिटल और मैकेनिकल मशीनरी, लोगों और/या वस्तुओं का एक नेटवर्क है जो डेटा का आदान-प्रदान कर सकता है और बिना आवश्यकता के अद्वितीय पहचानकर्ताओं का उपयोग करके एक दूसरे के साथ संचार कर सकता है। मानव-से-मानव या मानव-से-कंप्यूटर संपर्क के लिए। यह भवन निर्माण में किस प्रकार सहायता करता है? आगे की जांच करो। इंटरनेट ऑफ थिंग्स का उपयोग करना आदर्श समाधान है क्योंकि यह साइट संचालन को बढ़ाएगा। ठेकेदार और आपूर्तिकर्ता लगातार लागत कम करने, दक्षता बढ़ाने और कार्यबल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के तरीकों की तलाश में रहते हैं। IoT बिल्डिंग टेक्नोलॉजी परिदृश्य के कई तत्वों का सबसे अच्छा प्रतिनिधित्व करता है, जिनमें शामिल हैं
ए) कर्मचारी और संसाधन प्रबंधन
बी) ड्रोन टोही
ग) पहनने योग्य वस्तुएं
घ) कार्य स्थल के लिए आवश्यक अतिरिक्त विवरण
2) आभासी वास्तविकता और संवर्धित वास्तविकता - हर क्षेत्र में ��हां प्रौद्योगिकी की आवश्यकता है, वीआर और एआर अधिक से अधिक लोकप्रिय हो रहे हैं। दोनों का उपयोग वाणिज्यिक निर्माण में किया जा रहा है, और वे वास्तव में काम शुरू होने से पहले परियोजना निवेशकों के बीच संबंधों में सुधार कर रहे हैं। इंजीनियर और आर्किटेक्ट वीआर की क्षमताओं का उपयोग न केवल समग्र परियोजना को डिजाइन करने के लिए बल्कि कार्य स्थल पर बने रहने के लिए भी कर रहे हैं। ये उपकरण टीमों को गलतियों की जल्द पहचान करने में सक्षम बनाते हैं, जिससे चीजों को भौतिक रूप से दोबारा करने से जुड़े समय, धन और श्रम की बचत होती है। चूंकि प्रबंधन और कामकाजी लोग दोनों संभावित सुरक्षा या सुरक्षा खतरों के संपर्क में आए बिना साइट की स्थितियों का आकलन कर सकते हैं, इसलिए प्रौद्योगिकियां नौकरी साइटों को सुरक्षित करने में मदद करने में भूमिका निभाती हैं। इसके समान, प्रौद्योगिकी वरिष्ठ कर्मचारियों को निर्माण उपकरणों के उपयोग और रखरखाव के बारे में श्रमिकों को निर्देश देने में सहायता करती है। हालाँकि अब केवल कुछ ही परियोजनाएँ इन तकनीकों का उपयोग कर रही हैं, जैसे-जैसे अधिक डेवलपर्स इसके फायदे देखेंगे, निकट भविष्य में अधिक से अधिक लोग इनका उपयोग करना शुरू कर देंगे।
3) 3डी प्रिंटिंग - भले ही 3डी प्रिंटिंग तकनीक अभी भी अपेक्षाकृत नई है, कुछ प्रमुख ब्रांडों ने ग्लास और सीमेंट का उपयोग करने वाले विशाल 3डी प्रिंटर तैनात करके इसे पहले ही अपना लिया है। इस तकनीक के प्रमुख लाभ हैं -
ए) सुरक्षा के लिए खतरों को कम करना
बी) स्वास्थ्य जोखिम कम हो गए हैं
ग) सामग्रियों का पुनर्चक्रण
घ) अपशिष्ट में कमी
ई) और स्पष्ट रूप से अकल्पनीय डिजाइन अवधारणाओं को विकसित करने की क्षमता
उद्योग विश्लेषकों का अनुमान है कि भविष्य की कई परियोजनाएं समय और धन की बचत जैसे लाभों के साथ-साथ डिजाइन अवधारणाओं को विकसित करने के लिए 3डी प्रिंटिंग तकनीक का उपयोग करेंगी। पिछले दशक में इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति देखी गई।
4) हरित भवन - भविष्य के निर्माण में हरित और टिकाऊ भवन प्रथाओं का वर्चस्व होगा, और अधिक से अधिक वाणिज्यिक परियोजना डेवलपर्स अपने डिजाइनों में ऊर्जा-बचत उपायों को शामिल करने के लिए उत्सुक हैं। उदाहरण के लिए, एलईडी लाइटें पारंपरिक बल्बों की जगह ले रही हैं क्योंकि वे सौंदर्य की दृष्टि से मनभावन और लागत प्रभावी दोनों हैं। जिस तरह पारंपरिक छतों को बदला जा रहा है, उसी तरह हरी छतें भी उभर रही हैं जो इमारत को इन्सुलेशन प्रदान कर सकती हैं। इन सबके अलावा, रोशनदान का उपयोग, ऊर्जा-कुशल बाहरी दरवाजे और डबल-पैन वाली खिड़कियां सभी में वृद्धि हुई है। हरित वास्��ुकला जल्द ही एक सनक से अधिक एक मानक बन जाएगी जिसे कुछ लोग अपनाना चुनते हैं।
5) मॉड्यूलर निर्माण - ऑफ-साइट निर्माण, पूर्वनिर्मित निर्माण और मॉड्यूलर निर्माण सभी के अधिक लोकप्रिय रुझान बनने की उम्मीद है जो भविष्य की सोच को लागू कर सकते हैं। हालाँकि यह चलन कुछ समय से है, कई उद्योग विशेषज्ञों ने हाल ही में इसमें रुचि व्यक्त की है। चूंकि सभी कार्य नियंत्रित परिवेश में किए जाते हैं, मॉड्यूलर संरचनाएं LEED प्रमाणन प्राप्त करती हैं, सभी भवन नियमों का अनुपालन करती हैं, और पारंपरिक निर्माण स्थलों की तुलना में अधिक सुरक्षित मानी जाती हैं। स्कूलों, कार्यालयों, होटलों, अस्पतालों, खुदरा प्रतिष्ठानों और आवासीय भवनों सहित विभिन्न प्रकार की निर्माण परियोजनाएं ऑफ-साइट निर्माण के लिए उपयुक्त हैं। इसके अतिरिक्त, इसकी प्रतिष्ठा और मूल्य में वृद्धि हो रही है क्योंकि अधिक से अधिक संपत्ति डेवलपर्स और मालिकों को पारंपरिक ऑनसाइट निर्माण पर मॉड्यूलर निर्माण के फायदों का एहसास हो रहा है, जिसमें परियोजनाओं को तेजी से और कम पैसे में पूरा करने की क्षमता भी शामिल है।
जयपुर में सर्वश्रेष्ठ अंजलि बिल्ड एस्टेटल प्रॉपर्टी और कई अन्य आवासीय संपत्तियों ने खुली बांहों के साथ नई तकनीकों को अपनाया है। यदि आवासीय निर्माण दृढ़ और अपने विस्तार के प्रति प्रतिबद्ध रहे तो रियल एस्टेट का भविष्य उज्ज्वल और शानदार रहेगा #investment#jaipur#ajmer#vashalinagar#ganganagar#sikar#jodhpur#kishangarh#villas#travelgram#luxury#vacation#interiordesign#dubai#homedecor#holidays#interior#bali#uae#realestate#house#greece#qatar#bahrain#luxurylifestyle#hotel#building#pool#investment#travelgram
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जल्द होगा आधुनिक तकनीक से लोनी सहारनपुर हाईवे एनएच 709 बी काम सुरु जलभराव से मिलेगी निजात और सड़क होगी गड्ढा मुक्त :- पंडित ललित शर्मा जिला उपाध्यक्ष किसान मोर्चा
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जल्द होगा आधुनिक तकनीक से लोनी सहारनपुर हाईवे एनएच 709 बी काम सुरु जलभराव से मिलेगी निजात और सड़क होगी गड्ढा मुक्त :- पंडित ललित शर्मा जिला उपाध्यक्ष किसान मोर्चा
आज शुक्रवार को भाजपा नेता पंडित ललित शर्मा ने माननीय केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री जी भारत सरकार माननीय जनरल वीके सिंह जी से दिल्ली आवाज पर जाकर भेंट कर लोनी सहारनपुर राजमार्ग के विषय पर चर्चा कर उसके आधुनिक निर्माण के लिए और जल निकासी की समस्या को दूर करने के लिए लेटर दिया। जिस पर संज्ञान लेते हुए केंद्रीय मंत्री माननीय श्री जनरल वीके सिंह जी ने तुरंत अधिकारियों से फोन पर बात कर सहारनपुर मार्ग को जल्द से जल्द गड्ढा मुक्त और उस पर जल निकासी के लिए काम करने के निर्देश दिए उन्होंने बताया कि जैसे ही बारिश रूकती है तुरंत ही सहारनपुर हाईवे को आधुनिक रूप से बनाकर उसे गड्ढा मुक्त और जल निकासी की समस्या को जड़ से खत्म करने का कार्य किया जाएगा। पहले भी केंद्रीय मंत्री एवं गाजियाबाद के लोकप्रिय सांसद जनरल वीके सिंह जी द्वारा ही लोनी सहारनपुर हाईवे का कार्य करवाया गया थाइस मौके पर पंडित ललित शर्मा ने केंद्रीय मंत्री माननीय जनरल वीके सिंह जी का धन्यवाद देते हुए कहा कि आप जैसे सांसद को पाकर गाजियाबाद की जनता अपने आप को गौरवशाली महसूस करती है क्यूं कि आप छोटे से छोटे कार्यकर्ता की बात सुनते हैं और जल्द से जल्द उनका काम करवाने का कार्य भी करते हैं भारतीय जनता पार्टी की सरकार में व आदरणीय जनरल साहब के नेतृत्व में लोनी व जिला गाजियाबाद में अद्भुत विकास कार्य हुए हैं। वही पंडित ललित शर्मा ने जनरल साहब से आग्रह भी किया कि लोनी नगर पालिका की लापरवाही और भ्रष्टाचार के कारण इस रोड पर जलभराव होता है जगह-जगह कूड़े का ढेर लगा रहता है क्षेत्र में नगर पालिका ने अवैध कार्य करने की परमिशन दे रखी है चाहे कोई अवैध ओयो होटल हो, चाहे अवैध मिट मांस के होटल हो, चाहे तार जलाने वाले माफियाओं का कार्य हो, क्योंकि नगरपालिका अपना कार्य व अपनी जिम्मेवारी से हमेशा बचती रही है जिसका नतीजा लोनी की आम जनता को झेलना पड़ता है लोनी नगर पालिका पहले से ही भ्रष्टाचार मैं डूबी हुई है मान्यवर आपसे निवेदन है कि लोनी नगर पालिका अध्यक्ष व उनसे सांठगांठ करने वालों पर भी कड़ी से कड़ी कार्यवाही करवाने की कृपा करें। जिससे क्षेत्र में अवैध कार्यों पर लगाम लग सके और भाजपा सरकार द्वारा कराए गए सभी कार्यों का जनता को पूर्ण लाभ मिल सके।
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चैटजीपीटी दा इस्तेमाल किस चाल्ली करना ऐ (Dogri)
सवालां दे जवाबां विच गहराई नाल खोदना। ChatGPT दी चैट-आधारत मेमोरी तुसेंगी अपने शुरूआती सवाल दे जवाब गी होर विस्तार कन्नै खोह् लने दी अनुमति दिंदी ऐ। जेह् ड़ा जवाब तुस खोह्जदे ओ उसदे नेड़े औने आस्तै अतिरिक्त सवाल पुच्छने च सक्रिय रौह्ओ; एआई च कोई जज्बात नेईं ऐ, इस करी लगातार सवाल पुच्छने च कोई दिक्कत नेईं ऐ।
अपने सवालें च विशिष्ट रौह्ना। चैटजीपीटी अस्पष्ट सवालें दे अस्पष्ट जवाब देई सकदा ऐ। अपने सवालें गी जितना होई सकै उतना विशिष्ट बनाने कन्नै तुंदे जवाबें दी सटीकता च सुधार होग। मसाल. मौसम केह् ऐ ? इस हफ्ते कैलिफोर्निया दा मौसम केह् ऐ? तुस किस खाने दी सलाह दिंदे ओ? 10, 000 येन कोला घट्ट कीमतें च तुस कुन कुन लोकल इटैलियन रेस्तरां दी सिफारिश करदे ओ? उत्तम फिल्म कुस कुन ऐ? स्टीवन स्पीलबर्ग दी रोमांच फिल्म? अच्छे खाने दे बारे च दस्सो।" "चिकन ते सोया सॉस दा इस्तेमाल करदे होई इक अच्छा नुस्खा देओ।
विद्यार्थियें गी रोल निभाओ ते सवालें दे जवाब देओ। मसाल आस्तै, "कृपया अपने आप गी इक एलिमेंटरी स्कूल दे अध्यापक दे तौर पर समझाओ, " एह् सवाल पुच्छने कन्नै इक ऐसी भाशा च जवाब मिलग जेह् ड़ी बच्चे समझी सकन। बक्ख-बक्ख दृष्टिकोण कन्नै सवाल पुच्छने कन्नै तुसेंगी होर मती उचित जानकारी मिलग।
वर्णें दी गिनतरी निर्दिष्ट करो। "कृपया 300 अक्षरें दे अंदर जवाब देओ, " निर्दिश्ट करने कन्नै तुसेंगी इक संक्षिप्त ते समझने च आसान जवाब मिलग. दूई बक्खी, जेकर तुस इक विस्तृत व्याख्या चांह् दे ओ तां इक लम्मी वर्ण गिनती निर्दिश्ट करो. पर, मता लम्मा वाक्य बिच्चो-बिच्च रुकी सकदा ऐ, इस करी निम्नलिखित तकनीक मदद करी सकदी ऐ।
सवाल गी खंडें च बंडो। मसाल आस्तै, जेकर तुस चाह्न्दे ओ जे तुंदे उत्तरदाता "इंजीनियरें आस्तै सिफारिश कीती गेदी दफ्तर दी कुर्सियां " पर इक लेख लिखन, तां उ'नेंगी इक पूरा लेख लिखने लेई आखने दे बजाय, सवालें गी उपशीर्षक जां खंडें च बंडो, ते तुंदे कोल इक पूरा लेख होग .
गल्लबात दी शैली च सिक्खो। तुस गल्लबात ते मजेदार तरीके कन्नै सिखाने लेई चैटजीपीटी दा इस्तेमाल करी सकदे ओ। चैटजीपीटी तुरत गल्लबात दे प्रारूपें गी संभाली सकदा ऐ जेह् ड़े मनुक्खें आस्तै बोझिल होङन। इस��ा इस्तेमाल यूट्यूब, किताबें बगैरा आस्तै दिलचस्प सामग्री बनाने लेई कीता जाई सकदा ऐ।
सारे सवाल इक बारी च नेईं पुच्छो। होर सटीक जवाब हासल करने लेई चरणबद्ध तरीके कन्नै सवाल पुच्छो। मसाल आस्तै, "एकेरेसिंग दे बारे च इक लेख लिखो, " ते फ्ही फौरन पुच्छने दे बजाय, "तुस एकेरेसिंग दे बारे च केह् जानदे ओ?" ते फिर पुच्छो, "एकेरेसिंग दे बारे च इक लेख लिखो।"
सवाल अंग्रेजी च पुच्छो। चूंकि चैटजीपीटी ने कुसै बी भाशा दे मुकाबले अंग्रेजी च मता डेटा सिक्खेआ ऐ, इसलेई अंग्रेजी च सवाल पुच्छने कन्नै तुंदे जवाबें दी सटीकता च सुधार होग। सवाल दी सामग्री दे आधार उप्पर, सवाल गी अंग्रेजी च पुच्छना ते फिरी जापानी च अनुवाद करना असरदार होई सकदा ऐ।
सवाल उल्टा करो। जेकर सवाल अस्पष्ट ऐ तां चैटजीपीटी अपर्याप्त जवाब देई सकदा ऐ। जेकर तुस कोई खास सवाल नेईं आई सकदे तां तुस एह् आक्खी सकदे ओ जे "कृपया मिगी पुच्छो जेकर मेरे कोल तुंदे सवाल दा बेहतर जवाब देने लेई कोई सुआल ऐ तां " ते चैटजीपीटी तुसेंगी उचित जानकारी आस्तै सवाल गी उल्टा करने लेई आक्खी सकदा ऐ।
चैटजीपीटी गी छवि भेजने दा तरीका। ChatGPT अपने आप छवियां नेईं भेजी सकदा, पर तुस इसगी मार्कडाउन संकेतन दा इस्तेमाल करियै छवि पैदा करने लेई आक्खी सकदे ओ। मसाल आस्तै, "अनस्प्लैश एपीआई दा इस्तेमाल करदे होई, अंग्रेजी कीवर्ड (https://source.unsplash.com/960x640/? <कीवर्ड>) आह् ले URL दा इस्तेमाल करियै इक छवि भेजो, " ChatGPT छवि पैदा करग ते भेजग.
dogri #-4 #4
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Dear sir ..
good morning
for this post i have a short note ,i wrote and post it on my facebook after join to a seminar on digital technology.that was focused on Aadhar card .
मित्रों आज अजित फाउंडेशन के वार्षिक समारोह के दूसरे दिन आयोजित हुई सेमिनार में शामिल होने का अवसर मिला संयोजक संजय श्री माली अजित फाउंडेशन के जानिब से !
सेमिनार का विषय था डिजिटल टेक्नोलोजी और असमानता ! सेमिनार की मुख्य वक्ता रहे दिल्ली से पधारे प्रोफ़ेसर रितिका खेरा ( प्रौद्योगिकी में अर्थशास्त्री पद पर कार्यरत है आप दिल्ली में )
सेमिनार की अध्यक्षता की डॉ. नन्द किशोर आचार्य जी ने आप साहित्यकार / कवि / आलोचक / कला चिंतक /शोधकर्ता गाँधी विचार के है !
प्रोफ़ेसर रितिका ने अपने प्रपत्र का विषय आधार कार्ड और उस से जुडी तकनिकी असमानता पर पढ़ा ! जो कुछ आलोचनात्मक, कुछ समीक्षात्मक और कुछ सकारत्मकता के अर्थों को विभिन्न आयामों और तर्कों के साथ अजित फाउंडेशन के सभागार में उपस्थित गणमान्य व्यक्तित्वों के समक्ष पढ़ा !
उनके प्रपत्र के पठन के बाद खुला संवाद सत्र आरम्भ हुआ ! जिसमे कई प्रश्न और जिज्ञासाएं सामने आयी और उनका जवाब प्रोफ़ेसर रितिका खेरा जी ने दिया ! जवाब देते समय उन्होंने वीडियो प्रेजेंटेशन भी स्क्रीन पर दिखाया ! जिसमे आधार कार्ड धारकों की आम समस्या को पॉइंट आउट किया हुआ था ! इस खुले संवाद में मैंने भी मेरी कंडीशन प्रोफ़ेसर रितिका जी के समक्ष रखी ! जिसका जवाब वे मंच से इस लिए नहीं दे पाए क्यों की उन्होंने उसे मेरा अनुभव कह दिया ! खेर , खेरा जी की उ��स्थिति और तकनिकी विज्ञानं की पेचीदा होती स्थिति पर गहन चिंतन उन्होंने हमारे साथ साझा किया इस के लिए उन्हें साधुवाद !
सेमिनार के अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ. नन्द किशोर आचार्य जी ने कहा की तकनीक के साथ उसके खतरे भी जुड़े होते है ! सो तकनीक का उपयोग अगर होगा तो नुकसान की संभावना संभव है सतर्क होने ke बावजूद भी ! जैसा के मेरे साथ हुआ था! मैं सतर्क था फिर भी पी एन बी बैंक कुछ न कर पायी न ही उनका तकनिकी टीम ! और न ही साइबर सेल और govt ऑफ़ राजस्थान !
डॉ. नन्द किशोर आचार्य जी ने ये भी कहा की मनुष्यता की मौलिकता/स्वतंत्रता और उसके वजूद को ही खतरे में डाल दे वो तकनीक हानिकारक है उस से जितना हो सके परहेज करना उचित होगा तभी मनुष्य मनुष्य रह पायेगा! वरना ये तकनीक तो खुजली की उस बीमारी जैसी है की खुजली करने पर अच्छा तो लगता है पर वो होती हानि कारक है क्यों की खुजली और बढ़ जाती है शरीर पर !
सेमिनार के अंत में अजित फाउंडेशन के फॉउडर श्रीमती व्यास जी ने एक श्री फल और सोल भेंटकर फ्रोफेसर रितिका जी का सम्मान किया !
यहाँ कुछ फोटो उस डिजिटल विषय पर आधारित सेमिनार के मेरे डिजिटल कैमरा की नजर से आप ki मानवीय दृष्टि के लिए !
![Tumblr media](https://64.media.tumblr.com/901016da3d7f7538071cc196b469aac1/33a0b87cb3dca33b-71/s540x810/78d982901d853388e097eefd3a8581ead11a1218.jpg)
now today i will join to mahakumbh event of our Pushkarna Brahmin Community of India ,venu us very close to my Home so i can join easily .
you have a great day sir ..
warm regards
Yogendra kumar purohit
Master of Fine Arts
Bikaner,India
DAY 5531
Jalsa, Mumbai Apr 8/9, 2023 Sat/Sun 1:39 AM
“A technology without trade or wealth is of no value when it comes to economy and living index” ~
an opinion from a distinguished economic face .. who was reviewing the now almost decided decision by the powers that be that the consumer is king and that any pollution in the product on sale, tantamount to a legal action , jail and life ..
So the discussion began with the written word that the consumer must be protected .. protected from any nefarious ideas of selling that, which is not protected under law for distribution under their manufacturing scheme ..
So .. if the authority under its various laws on the production and sale of products, finds that under the stipulation of protected goods , a non confirming agent .. not concerned or bothered with the actual manufacture of the goods, will be under law responsible to be taken to the cleaners ..
BUT when the goods are found and people prosecuted there is ever the hanging question as to where on Earth did the protagonist go .. or is he simply unavailable to give comment .. and then disappear ..
And there are reminders banging on my poor ol’ laptop which seeks an explanation to the recent debate on the subject ..
Nothing seems to be making sense or no one but no one has any knowledge of the happenings about ..
And then the powers that be wishes to make the Campaign Ambassador the same as before .. heavens !!!
Its cutting the branch you have been sitting on ..
or why does the powers that be argue and debate the closure of the utensil needing repair, even though it has not been even a year in protection ..
so one worries and finishes the day with a sad expression and many more to come out with .. until a final solution is ought and brought into practice ..
![Tumblr media](https://64.media.tumblr.com/f1d36b2ec3ab5a9c5a458275709a6530/25d07c79f7667346-ba/s400x600/937ea51cd5910f425b968de54ec75c39e2a0b1ce.jpg)
Amitabh Bachchan
the charm of some is simply quite overwhelming ..
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शैक्षिक ऋण शेयर बाजार में निवेश करने के बाद छात्र लापता - टाइम्स ऑफ इंडिया
शैक्षिक ऋण शेयर बाजार में निवेश करने के बाद छात्र लापता – टाइम्स ऑफ इंडिया
हैदराबाद: बैंक से लिए गए एजुकेशन लोन में निवेश करने के बाद इंजीनियरिंग का एक छात्र लापता हो गया शेयर बाजार. राहुल तृतीय वर्ष बीटेक हैदराबाद के एक निजी इंजीनियरिंग कॉलेज का छात्र बस स्टैंड से लापता हो गया पाटनचारु हैदराबाद के पास संग्रेदी जिले में। पुलिस के मुताबिक, छात्र का रहने वाला था मेडक फीस भरने के लिए अपने माता-पिता से एक लाख रुपये लिए थे। से 1.10 लाख रुपये का एजुकेशन लोन भी लिया था भारतीय…
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#Patancheru#इडय#ऋण#ऑफ#क#करन#छतर#जयवर्धन सो#टइमस#नवश#बजर#बद#बी। तकनीक#भारतीय स्टेट बैंक#म#मधुसूदन#मेडक#लपत#शकषक#शयर#शेयर बाजार
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सैमसंग ने इन्फोकॉम इंडिया 2022 में द वॉल ऑल-इन-वन और फ्���िप प्रो लॉन्च किया
सैमसंग ने इन्फोकॉम इंडिया 2022 में द वॉल ऑल-इन-वन और फ्लिप प्रो लॉन्च किया
सैमसंग इन्फोकॉम इंडिया 2022 में अपने पेशेवर ऑडियो-विजुअल उत्पादों की 2022 रेंज का अनावरण किया। चल रहे कार्यक्रम में, कंपनी ने लॉन्च करने की घोषणा की वॉल ऑल-इन-वन तथा फ्लिप प्रो इंटरैक्टिव प्रदर्शन। वॉल ऑल-इन-वन और फ्लिप प्रो: कीमत और उपलब्धतावॉल ऑल-इन-वन और फ्लिप प्रो भारत में सैमसंग के एक्सक्लूसिव एंटरप्राइज पार्टनर्स के पास उपलब्ध होंगे। वॉल ऑल-इन-वन की कीमत 90 लाख रुपये से शुरू होती है जबकि…
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#फिल्म्स के बारे में दस अज्ञात तथ्य
1. 1888 में बनी पहली फिल्म "राउंडय गार्डन सीन" थी, जिसे फ्रेंच आविष्कारक लुइस ले प्रिंस द्वारा निर्देशित किया गया था।
2. 1911 में पहली हॉलीवुड फिल्म "द स्क्व मैन" थी, जिसका निर्देशन ऑस्कर एपफेल और सेसिल बी ने किया था। डेमिल।
3. पहली 3डी फिल्म 1922 में "द पावर ऑफ़ लव" थी, जिसका निर्देशन नट जी ने किया था। डेवरीच और हैरी के. फेयरल।
4. ध्वनि के साथ पहली फिल्म 1927 में "द जैज सिंगर" थी, जिसका निर्देशन एलन क्रॉसलैंड ने किया था।
5. 2016 में बनी सबसे लंबी फिल्म "अम्बियन" थी, एंडर्स वेबर्ग द्वारा निर्देशित, 720 घंटे के रनटाइम के साथ।
6. एंथनी और जो रूसो द्वारा निर्देशित 2019 में अब तक की सबसे अधिक कमाई करने वाली फिल्म "एवेंजर्स: एंडगेम" है।
7. एक ही फिल्म द्वारा जीते गए सबसे अधिक अकादमी पुरस्कार 11 हैं, 1959 में "बेन-हुर" द्वारा, 1997 में "टाइटैनिक" और 2003 में "द लॉर्ड ऑफ द रिंग्स: द रिटर्न ऑफ द किंग" द्वारा प्राप्त किए गए हैं।
8. कंप्यूटर-जनरेटेड इमेज (सीजीआई) को फीचर करने वाली पहली फिल्म 1973 में माइकल क्रिचटन द्वारा निर्देशित "वेस्टवर्ल्ड" थी।
9. गति कैप्चर तकनीक का उपयोग करने वाली पहली फिल्म 2001 में पीटर जैक्सन द्वारा निर्देशित "द लॉर्ड ऑफ द रिंग्स: द फेलोशिप ऑफ द रिंग" थी।
10. "द मैट्रिक्स" त्रयी के लिए $ 250 मिलियन के वेतन के साथ अब तक का सबसे अधिक भुगतान करने वाला अभिनेता कीनू रीव्स है।
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पानी हमारी नैपासर्गिक जरुरत -
पानी एक शब्द ही नहीं हमारी नैसर्गिक जरुरत है और इसलिए जब विज्ञानं के माध्यम से हम किसी ग्रह को खोजने निकलते है तो सबसे पहले उस ग्रह पे पानी खोजते है |हमने इस समय कई प्रगति की हम मंगल गए हम चन्द्रमा को भी छुआ लेकिन वहाँ भी हम पानी ही खोजते रहे है | आखिर हो भी क्यों ना पानी एक रासायनिक संगठन से मिल��र बना है जिसका अणु दो हाइड्रोजन परमाणु और ऑक्सीजन परमाणु से बना है और ऑक्सीजन तो मनुष्य की जीने के लिए ही सहायक है | इसीलिए लोगों का कहना है 'जल है तो जीवन है '|वैसे तो हर जीव जीवन का आधार है | आम तौर में लोग जल शब्द का प्रयोग द्रव्य अवस्था के लिए करते है लेकिन ये ठोस और गैसीय अवस्था में भी पाया जाता है |
जल का रासायनिक और भौतिक गुण-
जल को अच्छे से समझने के लिए उसके भीतर के विज्ञानं को समझना बहुत ही आवश्यक है | यहाँ आपको हम उसके हर गुण से अवगत कराएँगे | आये समझते है की रसायन विज्ञानं के माध्यम से जल कैसे बना है | जल एक रासायनिक पदार्थ है और उसका रासायनिक सूत्र -H2O है जल के एक अणु में दो हाइड्रोजन के परमाणु सहसंयोजक बंध के द्वारा एक ऑक्सीजन के परमाणु से जुडे़ रहते हैं।जल समान्य ताप में और दबाव में एक फीका और बिना गंध वाला तरल है|जल पारदर्शीय होता है और इसलिए जलीय पौधे इसमें जीवित रहते है क्योंकि उन्हे सूर्य की रोशनी मिलती रहती है। केवल शक्तिशाली पराबैंगनी किरणों का ही कुछ हद तक यह अवशोषण कर पाता है।
बर्फ जल के ऊपर तैरता क्यों है -
जल एक बहुत प्रबल विलायक(घुलने वाला ) है, जिसे सर्व-विलायक भी कहा जाता है। वो पदार्थ जो जल में भलि भाँति घुल जाते है जैसे लवण, शर्करा, अम्ल, क्षार और कुछ गैसें विशेष रूप से ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड उन्हे हाइड्रोफिलिक (जल को प्यार करने वाले) कहा जाता है, जबकि दूसरी ओर जो पदार्थ अच्छी तरह से जल के साथ मिश्रण नहीं बना पाते है जैसे वसा और तेल, हाइड्रोफोबिक (जल से डरने वाले) कहलाते हैं|जल का घनत्व अधिकतम 3.98 °C पर होता है। जमने पर जल का घनत्व कम हो जाता है और यह इसका आयतन 9% बढ़ जाता है। यह गुण एक असामान्य घटना को जन्म देता जिसके कारण बर्फ जल के ऊपर तैरती है और जल में रहने वाले जीव आंशिक रूप से जमे हुए एक तालाब के अंदर रह सकते हैं |
क्योंकि तालाब के तल पर जल का तापमान 4 °C के आसपास होता है।शुद्ध जल की विद्युत चालकता कम होती है, लेकिन जब इसमे आयनिक पदार्थ सोडियम क्लोराइड मिला देते है तब यह आश्चर्यजनक रूप से बढ़ जाती है|जल का जो वाष्प बनने की प्रक्रिया में वायुमंडलीय दबाव बहुत करक है जहा वायुमंडलीय दबाव कम होता है वहाँ जल कमसेंटीग्रेट पे ही उबाल जाता है जबकि जहा वायुमंडलीय दबाव ज्यादा होता है वहाँ सैकड़ों सेंटीग्रेट पे भी द्रव्य ही बना रहता है |जल का ये गुण भी बहुत ही अजीब है |लेकिन जल को समझना जरुरी होता है |
जल की उत्पति -
अमेरिकी वैज्ञानिकों के अनुसार पानी, पृथ्वी के जन्म के समय से ही मौ��ूद है। उनका कहना है कि जब सौर मण्डलीय धूल कणों से पृथ्वी का निर्माण हो रहा था, उस समय, धूल कणों पर पहले से ही पानी मौजूद था। यह परिकल्पना, उसी स्थिति में ग्राह्य है जब यह प्रमाणित किया जा सके कि ग्रहों के निर्माण के समय की कठिन परिस्थितियों में सौर मण्डल के धूल कण, पानी की बूँदों को सहजने में समर्थ थे। लेकिन कुछ वैज्ञानिक ये नहीं मानते उनका कहना है की पृथ्वी के जन्म के समय के कुछ दिन बाद पानी से सन्तृप्त करोड़ों धूमकेतुओं तथा उल्का पिंडों की वर्षा हुई। धूमकेतुओं तथा उल्का पिंडों का पानी धरती पर जमा हुआ और उसी से महासागरों का जन्म हुआ| खगोलीय वैज्ञानिक का मानना है की पृथ्वी पर पानी का आगमन ४०० करोड़ साल पहले ही हुआ होगा | वो ऊपर दी हुई दोनों सोच को लेकर चलते है और आधुनिक खोज के साथ ये बताता है की पृथ्वी के जन्म के समय पानी मौजूद होगा लेकिन कम मात्रा में और फिर कुछ समय बाद पानी से सन्तृप्त करोड़ों धूमकेतुओं तथा उल्का पिंडों की वर्षा हुई जिससे महासागरों का जन्म हुआ |हाड्रोजन और ऑक्सीजन के संयोग से पानी का जन्म हुआ इसका साफ़ मतलब है की ये प्रक्रिया धरती के ठन्डे होने के बाद ही हुई होगी | ढेर सारी जानकारियों के बावजूद अभी भी आधुनिक विज्ञानं पानी की उत्पति के सही जगह सही समय के लिए उधेड़बून में ही है |
पानी की समस्या और उसका प्रभाव
दुनिया के भू वैज्ञानिक पहले से सबको सचेत करते आ रहे है जल का अत्यधिक दोहन से बचे |नहीं तो जिस रफ़्तार से आबादी बढ़ रही है और अद्योगीकरण के कारण पानी की समस्या विकराल रूप ले लेगी |कहा तो ये भी जाता है की अगला विश्व युद्ध पानी को लेकर होगा लेकिन कभी -कभी ये भी कहा जाता है की अगला विश्व युद्ध तेल को लेकर होगा | पानी की समस्या तो पुरे विश्व में है लेकिन भारत में ये समस्या तीव्र गति से बढ़ रही है | वैसे तो कहा जाता है की पृथ्वी 71 % पानी से घिरी है |उसमे महासागरों का जल भी शामिल है |
भारत में जल के दो माध्यम है -
१-नदिया २- भूमिगत जल इन दोनों में इनदिनों भरी गिरावट आयी है |कई अनुमान पे आकड़े दिए गए है जिस प्रकार लोग पानी का दोहन कर रहे है और आबादी बढ़ रही है भारत में तो पानी की जो मांग है 2025 पहुंचते -पहुंचते 735 बी. सी. ऍम .(बिलियन क्यूबिक मीटर) तक पहुंच जाएगी और ये स्थिर नहीं क्योकि कभी डिमांड ज्यादा भी हो जाती है तो ये 795 बी. सी. ऍम .(बिलियन क्यूबिक मीटर)तक भी पहुंच सकती है जो 90 से पहले कम थी और हमारे देश की आबादी भी कम थी | इधर हम चीन को होड देने में लगे है की हम कब जनसंख्या में उसके ऊपर हो जाये | अब देखते है हमारे जल ससंसाधनो में कितना बिलियन क्यूबिक मीटर पानी है जो हमे हमारी नदियों से मिलता है | गंगा ,सिंधु ,ब्रह्मपुत्र ,गोदावरी ,कृष्णा ,कावेरी , महानदी ,स्��र्णरेखा ,नर्मदा ,ताप्ती ,साबरमती ,इन सबके पिने योग्य पानी अगर मिला दिया जाये तो हमारे पास 1100 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी मौजूद है | ये इससे बढ़ेगा नहीं घटेगा ही | इसलिय विचार हमे करना है न की कोई और करेगा |
भारत एक कृषि प्रधान देश है यहाँ की आधी आबादी कृषि पे निर्भर है और कृषि का कम् सिचाई दवरा होता है और भारतीय किसान भूमिगत जल का प्रयोग इसमें लाते है | भूमिगत जल का आकलन करना थोड़ा कठिन है क्योकि ये पानी जो सतह का है उससे रिस -रिस के ही नीचे पहुँचता है |ये पानी भी नदियों के सामान नीचे बहता है | अगर नीचे इसका मार्ग रुकता है तो ये खारा हो जाता है और पीने योग्य नहीं होता है |भूमिगत पानी का उपयोग समान्यता जनता करती है और इधर बीच इसका जलस्तर घटता ही जा रहा है और तो और पानी की गुणवत्ता में कमी आ रही है |
इधर भारत में वाटर प्योरिफायर और Ro बढ़ता प्रयोग -
लोगों अपने घरों में ऑरो लगा रहे है |पानी को शुद्ध करके पीने के लिए |वाटर प्योरिफायर बनाने वाली कंपनी कई तरह के वाटर प्योरिफायर बना रही है कोई अल्ट्रा वाटर प्योरिफायर बना रहा है | ये भी पानी को शुद्ध करने का तरीका है |रिवर्स ओसमोसिस प्रक्रिया ( REVERSE OSMOSIS ) इसको शार्ट में RO कहा जाता है ये ही क्रिया सबसे ज्यादा प्रचलित है |इसमें जल को एक प्रेशर के तहत एक झिल्ली से आर -पार भेजा जाता है और जल में उपस्थित अधिक सांद्रता वाले पदार्थ झिल्ली में ही रह जाते है |और शुद्ध जल झिल्ली के पार चला जाता है |एक RO का प्रयोग में 5 वर्षों तक कर सकते है |इस पूरी प्रक्रिया में RO जल से हर तरह के गंदलापन , अकार्बनिक आयनों को जल से अलग कर देता है |इस तकनीक में बहुत पैसा लगता है और पानी की बर्बादी भी होती है |लेकिन पानी अगर शुद्ध नहीं है तो लोग उसे पीने योग्य बनाने के लिए विवश है |
भारत के बड़े शहरों पानी की बिकरालता की दस्तक -
इसलिए भारत के लोगों और यहाँ की सरकारों को इस बारे में सोचना ही होगा नहीं तो ये बिकराल समस्या कब आके आपके बगल में खड़ी हो जाएगी आपको पता भी नहीं चलेगा |भारत के कई बड़े शहरों में ये समस्या आम हो चुकी है उनका यहाँ का जलस्तर बहुत ही नीचे जा चूका है कई लोग अपने घरों समरसेबल लगा के काम चला रहे है तो जिसके पास ये व्यवस्था नहीं है वो पूरी तरह से सरकार के पानी के टैंक पे निर्भर है |ऐसा ही महारष्ट्र के शहरों का हाल है लॉक डाउन में भी कई जगह से ट्रेनों में पानी भरकर उन जिलों और राज्यों में पहुंचाया गया |
स्लोगन -'जल है तो कल है '- पे गौर फरमाए -
और इसलिए अगर समस्या दर पे खड़ी है तो उसको नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए |सबसे पहले हमे अरब देशों से सीखना चाहिए की पानी को कैसे बचाये |और कम से पानी की बर्बादी करे | नहीं तो आबादी बढ़ने से वातारण भी अनियंत्रित हो रहा है और उसका हमारे एको-सिस्टम पे बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ रहा है |हम पेड़ों को काट कर रहने के लिए जगह बना रहे है लेकिन अगर पानी ही न हुआ तो उस जगह का आप क्या करेंगे |इसलिए मेरा कहना है -'जल है तो कल है ' इस स्लोगन का आप ध्यान रखे और दूसरों को भी ध्यान दिलाये|
#हाइड्रोजन परमाणु#परमाणुसहसंयोजक बंध#पराबैंगनीकिरणों#पानी#स्वर्णरेखा#समस्यातीव्रगति#समरसेबल#वायुमंडलीयदबाव#वाटरप्योरिफायर#रासायनिकसूत्र H2O#महारष्ट्रकेशहरों#भूमिगतपानी#भूमिगतजल#ब्रह्मपुत्र#बि��ियनक्यूबिकमीटर#बिनागंधवालातरल#प्रबलविलायक#पृथ्वीकेजन्मकेसमय#पृथ्वी71 %पानीसेघिरी है#पानीकेकमीकाप्रभाव#पानीकाजन्म#४००करोड़साल#h2o#REVERSEOSMOSIS#Roबढ़ताप्रयोग#water#watercrisis#watercrisisindiabook#अल्ट्रावाटरप्योरिफायर#आयतन9%बढ़जाता
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कौन सी वैक्सीन है आगे?
कोविड-19 के खिलाफ लगभग डेढ़ सौ वैक्सीन दौड़ में शामिल हैं। पर यह 100 मीटर की फर्राटा दौड़ नहीं है। यह मैराथन दौड़ है। अभी जो आगे दिखाई पड़ रहा है हो सकता है कि वह दौड़ पूरी ही न कर पाये।
जो सबसे पहले है, जरूरी नहीं है कि वही सबसे अच्छा भी है, और केवल एक टीका बनाने भर से काम नहीं चलने वाला। हमें वैक्सीन को बड़े पैमाने पर बनाने और वितरित करने की आवश्यकता होगी, और हम यह नहीं जानते कि कौन सी वैक्सीन कोविड -19 से किसी व्यक्ति को बाद में कब तक बचा पाती है। एक वैक्सीन जो विकसित होने में अधिक समय लेती है, वह अधिक प्रभावी, अधिक समय तक चलने वाली, सस्ती या आसानी से बड़े पैमाने पर बनाई जा सकने वाली साबित हो सकती है। या विभिन्न टीके विभिन्न भौगोलिक या आयु समूहों में अधिक प्रभावी साबित हो सकते हैं।
जुलाई के तीसरे हफ़्ते तक कुल 4 टीकों ने अपने फेज़1 और फेज़ 2 ट्रायल के नतीजे घोषित किए। सबने समवेत स्वरों में यही कहा कि टीकों ने मनुष्यों में अपेक्षित प्रतिरक्षण विकसित किया और किसी प्रकार के गंभीर दुष्प्रभाव नहीं पाये गए। ये परिणाम उत्साहवर्धक और आह्लादकारी हैं।
परंतु असली परीक्षा तो अब फेज़ 3 के ट्रायल में होनी शेष है। इसमें एक बड़े क्षेत्र में कई हजार लोगों को टीका लगा कर यह जांचा जाएगा कि धरातल पर टीका कितना और कब तक कारगर है? इन चारों टीकों के फेज़ 3 ट्रायल जुलाई में ही शुरू हो चुके हैं।
1.ऑक्सफोर्ड / ChAdOx1 nCoV-19
ऑक्सफोर्ड वैक्सीन एक वायरल वेक्टर वैक्सीन है। यह एक चिंप एडेनोवायरस (एक वायरस जो चिंपैंजी में आम सर्दी की तरह एक बीमारी का कारण बनता है) पर आधारित है, जिसे कोरोनोवायरस के स्पाइक प्रोटीन के आनुवंशिक अनुक्रम को शामिल करने के लिए संशोधित किया गया है। यह कोरोनोवायरस को शरीर में प्रवेश किए बिना स्पाइक प्रोटीन को शरीर में प्रवेश कराने का एक तरीका है, ताकि यह एक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया पैदा करे। चिंप एडेनोवायरस ट्रोजन हॉर्स की तरह है जो कोविड प्रोटीन की जानकारी को प्रतिरक्षा प्रणाली में लाने के लिए है।
ऑक्सफोर्ड डेटा में दिखाई गई प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया आशाजनक है और टी कोशिकाओं को ट्रिगर करने के साथ-साथ एंटीबॉडी के महत्व पर जोर देती है। टी कोशिकाएं एक प्रकार की श्वेत रक्त कोशिका होती हैं जो बी कोशिकाओं को एंटीबॉडी बनाने और संक्रमित कोशिकाओं को मारने में मदद करती हैं ताकि संक्रमण को फैलने से रोका जा सके। इंपीरियल कॉलेज, लंदन में इम्म्युनोलोजी के प्रोफ़ेसर डैनी आल्टमैन कहते हैं कि "एक टीके से किसी भी अच्छी प्रतिक्रिया के लिए, दोनों की ही आवश्यकता है और इनके टी कोशिकाओं के डेटा ��हुत प्रभावशाली हैं।"
2. कैनसिनो वैक्सीन
बीजिंग इंस्टीट्यूट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी के साथ विकसित किया जा रहा कैनसिनो वैक्सीन भी कोरोनोवायरस स्पाइक प्रोटीन देने के लिए एक वायरल वेक्टर के रूप में एक एडेनोवायरस का ही उपयोग करता है, लेकिन इस मामले में यह एक सामान्य सर्दी-जुकाम का वायरस है जो मनुष्यों को संक्रमित करता है। लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रोपिकल मेडिसिन में वैक्सीन विभाग की डाइरेक्टर बीएट बीट काम्मन कहती हैं कि इससे एक समस्या हो सकती है। काम्प्मन का कहना है कि, जैसा कि वायरस मानव आबादी में फैलता है, कुछ लोगों में पहले से ही इसके प्रति एंटीबॉडी हो सकती हैं, जो प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को प्रभावित कर सकती हैं।
3. मॉडर्ना वैक्सीन
यूएस कंपनी मॉडर्ना आरएनए वैक्सीन पर काम करने वाले कई समूहों में से एक है। यह एक नए प्रकार की वैक्सीन है। जिसमें कोरोनावायरस स्पाइक प्रोटीन के आरएनए का सिंथेटिक संस्करण बनाया जाता है। यह आरएनए, कोशिकाओं को स्पाइक प्रोटीन बनाने के लिए निर्देशित करता है। शरीर इस प्रोटीन के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया विकसित करता है।
यह बिलकुल नए तरीके की वैक्सीन है जिसे अभी तक एक बार भी प्रयोग में नहीं लाया गया है। आरएनए वैक्सीन का लाभ यह है कि इसे बहुत कम मात्रा में बनाने की जरूरत है। इसका उत्पादन करना आसान और सस्ता हो सकता है। बहुत कम समय में आप वैक्सीन की बहुत बड़ी मात्रा बना सकते हैं। दरअसल सिंथेटिक आरएनए के शरीर में जाते ही शरीर स्वयं वैक्सीन बनाने लगता है।
4. सिनोवैक / कोरोनावैक
बीजिंग स्थित सिनोवैक बायोटेक के वैक्सीन, जिसे कोरोनावैक कहा जाता है, एक ऐसा टीका है जो तुलनात्मक रूप से पुराने जमाने का वैक्सीन है। जिसमें वायरस के कण होते हैं, जो मारे गए या निष्क्रिय हो गए हैं और इसलिए अब संक्रामक नहीं है। प्रतिरक्षा प्रणाली अभी भी वायरस को पहचानती है, और इसके प्रोटीन के संपर्क में आने पर प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को उत्तेजित करती है।
निष्क्रिय वायरस वाली वैक्सीन का एक फायदा, यह है कि यह एक आजमाया हुआ तरीका है। पोलियो जैसी बीमारियों से बचाव के लिए टीके बनाने के लिए दशकों से इसी तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। अल्टमैन कहते हैं, इसका मतलब यह भी है कि हमारे पास इस तरह का टीका बनाने के लिए पहले से ही आधारभूत संरचना मौजूद है। हालांकि, एक नुकसान यह है कि वैक्सीन बनाने के लिए बड़ी मात्रा में सामग्री की आवश्यकता पड़ती है, जो अन्य वैक्सीन प्रकारों की तुलना में इसे कठिन बना सकती है, तब जबकि विश्व भर को वैक्सीन की मात्रा ज्यादा और जल्दी चाहिए।
मगर अभी दिल्ली दूर है। आप तक टीके पहुँचने में अभी वक्त लगने वाला है। तब तक आपकी ज़िम्मेदारी है कि अपने आपको, अपने परिवार को और अपने समाज को इस खतरनाक विषाणु से बचा कर रखें। तरीके वही जाने पहचाने :
स��शल डिस्टेन्सिंग
फेस मास्क
#कोरोना_में_दुनिया
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चीन के छूटेंगे पसीने! अमेरिकी वायु सेना को मिलने जा रहा सबसे ताकतवर सैन्य विमान बी-21 रेडर, जानिए क्या हैं खासियत
चीन के छूटेंगे पसीने! अमेरिकी वायु सेना को मिलने जा रहा सबसे ताकतवर सैन्य विमान बी-21 रेडर, जानिए क्या हैं खासियत
Image Source : TWITTER अमेरिका का सैन्य विमान बी-21 रेडर अमेरिकी वायु सेना को 2 दिसंबर को आधुनिक तकनीक से लैस बी-21 रेडर सैन्य विमान मिलने जा रहा है। जिसे नॉर्थरोप ग्रमम कंपनी ने तैयार किया है। बे-21 रेडर, बी-1 और बी-2 की जगह लेगा। यह स्टील्थ बॉम्बर नई ��नरेशन के बी-21 मिलिट्री एयरक्राफ्ट हैं, जो अब तक का सबसे ताकवक विमान है। यह सेना को 2 दिसंबर को सौंप दिया जाएगा और अगले साल 2023 के शुरुआत में…
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फटे होंठ व तालू के कारण और निवारण से रूबरू हुए डेंटल के विद्यार्थी
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फटे होंठ व तालू के कारण और निवारण से रूबरू हुए डेंटल के विद्यार्थी
के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल में डॉ. स्वाति आचार्य ने साझा किए अनुभव मथुरा। के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल में मंगलवार को "कम्प्लीट गाइड टू ऑल क्लीनिकल केस ऑफ क्लेफ्ट लिप एण्ड क्रानियोफेशियल ऑर्थोडॉन्टिक्स" विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में जानी-मानी दंत रोग विशेषज्ञ डॉ. स्वाति आचार्य ने पोस्ट-ग्रेजुएट और इंटर्न छात्र-छात्राओं को फटे होंठ और तालू के कारण और निवारण पर विस्तार से जानकारी दी। कार्यशाला का शुभारम्भ प्राचार्य और डीन डॉ. मनेष लाहौरी तथा डॉ. अतुल सिंह द्वारा अतिथि वक्ता डॉ. स्वाति आचार्य के स्वागत भाषण से हुआ। कार्यशाला की मुख्य वक्ता डॉ. स्वाति आचार्य ने छात्र-छात्राओं को बताया कि फटे होंठ और तालू को मेडिकल भाषा में क्लेफ्ट लिप एण्ड पैलेट कहा जाता है। यह मुंह को प्रभावित करने वाला सबसे आम प्रकार का जन्मदोष है। फटे होंठ और तालू की समस्या तब होती है जब होंठ का निर्माण करने वाली दो संरचनाएं सामान्य रूप से काम न कर पाएं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डेंटल एण्ड क्रानियोफेशियल रिसर्च के एक अध्ययन के अनुसार लगभग एक हजार बच्चों में सात बच्चे फटे होंठ और तालू के दोष के साथ जन्म लेते हैं। बच्चे इस विकृति के साथ जन्म क्यों लेते हैं, इसके बारे में कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह गर्भवती महिला में विटामिन बी और फोलिक एसिड की कमी के कारण होता है। उनके अनुसार अगर महिलाएं गर्भधारण से पहले ही इन विटामिनों को लें तो शिशु में यह समस्या होने से रोकी जा सकती है। डॉ. स्वाति आचार्य ने बताया कि फांक तालु की समस्या का पता शिशु के जन्म से पहले ही गर्भावस्था के दौरान किए गए अल्ट्रासाउंड में ही लग जाता है। अल्ट्रासाउंड की मदद से सिर्फ फटे होंठ और तालू का ही नहीं अन्य कई प्रकार के जन्म दोषों का भी पता लगाया जा सकता है। डॉ. स्वाति आचार्य ने कहा कि कुछ मामलों में अगर अल्ट्रासाउंड के दौरान क्लेफ्ट लिप एण्ड पैलेट का पता नहीं लग पाया है, तो ऐसी स्थिति की पुष्टि के लिए फीटल एमआरआई स्कैन किया जा सकता है। कुछ मामलों में अगर बच्चे को बहुत ही कम फटे होंठ या फांस तालू है, तो ऐसे में इसका पता सिर्फ तब ही लग पाता है जब बच्चे को दूध पीने के दौरान तकलीफ हो रही होती है। व्याख्यान में पूर्व सर्जिकल शिशु आर्थोपेडिक, नेसोएल्वियोलर मोल्डिंग की युक्तियों और तकनीकों के बारे में भी छात्र-छात्राओं को जानकारी दी गई। मुख्य वक्ता डॉ. आचार्य ने मिश्रित दंत चिकित्सा क्लेफ्ट मामलों में किस यांत्रिकी का पालन करना है तथा एक पूर्ण एडल्ट क्लेफ्ट ऑर्थोगैथिक मामलों और इसके वेलोफेरीन्जियल परिवर्तनों पर भी प्रकाश डाला। डॉ. स्वाति आचार्य ने नासोल्वोलर मोल्डिंग तकनीक के लिए इम्प्रेशन लेने और उपकरण निर्माण के एक वीडियो का भी प्रदर्शन किया। कार्यशाला के अंत में डॉ. अतुल सिंह ने सभी का आभार माना। चित्र कैप्शनः कार्यशाला के बाद डेंटल छात्र-छात्राओं के साथ डॉ. स्वाति आचार्य और डॉ. अतुल सिंह।
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