#बिहार राजनीति
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इमारत ए शरिया पहुंचे लालू यादव,कहा:4 जून को बनेगी इंडिया की सरकार
पटना:बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव अपनी बेटियों की जीत के लिए कोई भी कोर कसर बाकी रखना नहीं चाहते हैं। यही वजह है कि एक तरफ जहां अपनी बेटी रोहिणी आचार्य के लिए उन्होंने सारण में कैंप किया व���ीं अब बड़ी बेटी डॉक्टर निशा भारती को पाटलिपुत्र लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से जीत दिलाने के लिए भी मोर्चा संभाल लिया है। इसी कड़ी में राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव मंगलवार को…
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विधायक के ठिकानों पर CBI की छापेमारी....
विधायक के ठिकानों पर CBI की छापेमारी…. आरा : बिहार से बड़ी खबर सामने आ रही है. यहां आरा में राजद विधायक के ठिकानों पर सीबीआई की छापेमारी चल रही है. विधायक किरण देवी के पति अरुण यादव बड़े बालू कारोबारी हैं. विधायक किरण देवी लालू प्रसाद के करीबी और पूर्व विधायक अरुण यादव की पत्नी हैं. छापेमारी की कार्रवाई भोजपुर के अंगियांव स्थित आवास पर चल रही है. सीबीआई की टीम भोजपुर के अगियांव स्थित किरण देवी के…
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Live Results for Lok Sabha Elections 2024: कौन बनेगा अगला प्रधानमंत्री? PM हाउस पहुंचे नायडू और नीतीश
Results of Lok Sabha Election 2024 Live: पीएम हाउस पहुंचे चंद्रबाबू नायडू और पवन कल्याण एनडीए की बैठक में शामिल होने के लिए टीडीपी चीफ एन चंद्रबाबू नायडू और जनसे��ा पार्टी के अध्यक्ष पवन कल्याण भी पीएम हाउस पहुंच चुके हैं. Live Results for Lok Sabha Elections 2024: पीएम आवास पहुंचे नीतीश कुमार बिहार के सीएम नीतीश कुमार पीएम आवास पहुंचे. थोड़ी देर में एनडीऔ की बैदम शुरू होने वाली है. Results of the Lok Sabha Elections: एकनाथ शिंदे के बेटे श्रीकांत शिंदे ने चंद्रबबूू नायूड से की मुलाकात. एकनाथ शिंदे के बेटे श्रीकांत शिंदे ने चंद्रबाबू नायूड से मुलाकात की.आज शाम को होने वाली एनडीए की बैठक में महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे भी पहुंचे हैं.
Lok Sabha Election Results 2024 Live: जनता ने किया पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक की रणनीतिका समर्थन समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा, ''जनता ने पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) की रणनीति और इंडिया गठबंधन का समर्थन किया है. हम एक रणनीति तैयार करने के लिए (बैठक में) जा रहे हैं." Results of the Lok Sabha Election 2024: सम्राट चौधरी बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी के रिजल्ट को लेकर कहा, "एनडीए ने पूरे कें 292 सीटें जीती हैं." नरेंद्र मोदी फिर से देश के प्रधानमंत्री बनेंगे." Results of Lok Sabha Elections 2024: राजनीति में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं-मंत्री परिषद की बैठक बोले मोदी मंत्री परिषद की बैदक में नरेंद्र मोदी मे कहा कि राजनीति में उतार-ढढ़ाव आते रहते है. "हमारी सरकार ने अच्छा काम किया..." जीते हम हैं, लेकिन दूसरे दल वाले उछल रहे हैत. हम आगे और भी बेहतर करेंगे." Results of the 2024 Lok Sabha Elections: दिल्ली के लिए रवाना हुए अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के आवास पर होने वाली मीटिंग में शामिल होने के लिए लखनऊ से रवाना हुआ. आज शाम को इंडिया गठबंधन की भी बैठक होने वाली है.
Results of Lok Sabha Election 2024: दिल्ली पहुंचे महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे एनडीए के बैठक में शामिल होने के लिए महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे दिल्ली पहुंचे.आज शाम को एनडीए की बैठक होने वाली है, जिसमें चिराग पासवान, नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू भी शामिल होंगे. Lok Sabha Election Results 2024: एनडीए की बैठक में शामिल होने दिल्ली पहुंचे चंद्रबुू नायडू टीपीपी चीफ एन चंद्रबाबू नायडू दिल्ली में जयदेव गल्ला के आवास पर पहुंचे. यहां वह एनडीए की बैठक में शामिल होने के लिए दिल्ली में हैं. ज सरकार बनाने को लेकर दिल्ली में एनडीए की बैठक होने वाली है. Lok Sabha Election Results 2024: महारा्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने की इस्तीफे के की पेशकश महमाष्ट्म के पिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस मे इस्तीफे की पेशकश की. उन्होंने कहा कि मैं महाराष्ट्र में हार की जिम्मेदारी लेता हूं. उन्होंने कहा कि वो पूरी तरह से विधानसभा चुनाव की तैयारि��ों में लगना चाहते हैं. PM पद से दिया इस्तीफा नरेंद्र मोदी ने Results of the Lok Sabha Elections 2024 Live: नरेंद्र मोदी ने प्रधाममंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. राष्ट्रपति के आधिकारिक एक्स हैंडल से ट्वीट कर कहा गया, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की. प्रधानमंत्री ने केंद्रीय मंत्रिपरिषद के साथ अपना इस्तीफा दे दिया. राष्ट्रपति ने इस्तीफा स्वीकार कर लिया और प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्रिपरिषद से नई सरकार बनने तक पद पर बने रहने का अनुरोध किया."
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बिहार की राजनीति: इंडिया गठबंधन में आरजेडी के ऑफर पर नीतीश कुमार का बड़ा बयान
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Bihar की राजनीति में आया तूफान, Nitish Kumar फिर मारेंगे पलटी? Lalu के बयान के बाद बढ़ी हलचल
क्या बिहार में फिर बहार आने वाली है। बहार से हमारा मतलब है कि क्या नीतीश कुमार फिर से पलटी मारने वाले हैं? क्या नीतीश कुमार प्रधानमंत्री बनने वाले हैं��हां बिल्कुल सही सुना आपने… नीतीश कुमार फिर से पलटी मारने के लिए तैयार दिख रहे हैं। उनके हालिया बयान और एनडीए से नाराजगी इस ओर इशारा कर रही है कि नीतीश कुमार एक बार फिर से पलटी मारने की तैयारी में हैं। वहीं लालू प्रसाद के बयान ने इस बात को और हवा…
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bihar politics-नीतीश को लेकर तेजस्वी के बयान से फिर गरमाई बिहार की राजनीति, राजद सुप्रीमो का सॉफ्ट कॉर्नर, कहा- नीतीश के लिए हमेशा खुला है राजद का दरवाजा
पटना: बिहार की राजनीति में कुछ बड़े संकेत देखने को मिल सकता है,कड़ाके की ठंड के बीच राज्य का सियासी पारा गर्म हो रहा है. राजद सुप्रीमो लालू यादव के बयान से एक तरफ लालू परिवार में मतभेद नजर आ रहा है. दूसरी तरफ बिहार की राजनीति में एक बार फिर से नयी पटकथा लिखने की कवायद जोर पकड़ रही है. राजद नेताओं का दावा है कि राज्य में बड़ा खेला होने वाला है. राजनीति गलियारों में चर्चा है कि नीतीश कुमार एक बार फिर…
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लालू यादव ने नीतीश के लिए फिर खोला दरवाजा, बोले- उनका स्वागत है, तेजस्वी बोले- इस साल NDA की विदाई तय
राजद सुप्रीमो लालू यादव के एक बयान से बिहार की राजनीति में बवाल मच गया है। लालू ने कहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए उनके दरवाजे खुले हैं और वह चाहें तो उनके साथ आ सकते हैं। वहीं, सीएम नीतीश कुमार ने लालू के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘आप क्या कह रहे हैं, छोड़िए।’ जेडीयू नेता विजय चौधरी ने भी लालू के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि हमारी पार्टी में कोई भ्रम नहीं है, पार्टी और…
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बिहार की राजधानी में होने वाला है कुछ बड़ा, राजभवन में दिखी हलचल; जानें क्या है पूरा मामला
BPSC Protest Paatna: बिहार की राजधानी पटना में BPSC परीक्षा को लेकर छात्रों का प्रदर्शन अब 14वें दिन भी जारी है। छात्र दोबारा परीक्षा की मांग पर अड़े हुए हैं। मंगलवार को लाठीचार्ज के विरोध में भाकपा माले राजभवन मार्च करेगी। इस मार्च में कांग्रेस और राजद नेताओं के भी शामिल होने की संभावना है। CPI (ML) विधायक विधानसभा से राजभवन तक मार्च करेंगे। पटना में राजनीति तेज बता दें कि छात्रों ने सोमवार को…
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BPSC 70th पेपर लीक कांड ने मचाया राजनीतिक तूफान!
🎥 BPSC 70th पेपर लीक कांड ने मचाया राजनीतिक तूफान! 📜 तेजस्वी यादव ने सीधे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लिया आड़े हाथों।
पेपर लीक का पूरा मामला।
विपक्ष और सरकार के बीच आरोप-प्रत्यारोप।
बिहार की राजनीति में नया मोड़।
🔗 वीडियो देखें और अपनी राय दें
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...तो क्या नीतीश कुमार के पलटी मारने के संकेत है?
बिहार की राजनीति में फिर एकबार हलचल तेज हो गयी है. कहा जा रहा है की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार फिर पाला बदल सकते हैं. ख़बरें आ रही है की नीतीश कुमार एनडीए छोड़ बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. इसके कई संकेत भी हैं. एनडीए गठबंधन में बीजेपी व जदयू के बीच सबकुछ ठीक नहीं है. इसी बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का अचानक दिल्ली दौरा है. यह भी पढ़ें:हाइड्रोसील के आपरेशन में बिहार जल्द हीं करेगा 100% का लक्ष्य…
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अंगिका' को भाषा का रूप प्रदान किया परमानंद पाण्डेय ने, राजनीति में साहित्यिक हस्तक्षेप थे डा शंकर दयाल सिंह -दोनों साहित्यिक विभूतियों को साहित्य सम्मेलन ने दी काव्यांजलि
पटना, २७ दिसम्बर। अंगिका भाषा और साहित्य के उद्धारकों में महाकवि परमानंद पाण्डेय का स्थान श्रेष्ठतम है। अंगप्रदेश की इस बोली को पाण्डेय जी ने भाषा का रूप प्रदान किया। इन्हें अंगिका का दधीचि साहित्यकार माना जाता है। दूसरी ओर हिन्दी के यशस्वी साहित्यकार डा शंकर दयाल सिंह राजनीति में एक सुदृढ़ साहित्यिक हस्तक्षेप थे। यह बातें शुक्रवार को बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में दोनों महान हिन्दी-सेवियों की…
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तेजस्वी यादव का पीएम मोदी पर निशाना,कहा:आप भैंस, मंगलसूत्र के रास्ते 'मुजरा' तक पहुंच गए,ये अच्छी बात नहीं
Tejashwi Yadav letter To PM Modi: बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने पीएम नरेंद्र मोदी को लंबा चौड़ा एक पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने संविधान और आरक्षण समेत कई मुद्दों को उठाया है. ये पत्र उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट किया है, जिसमें उन्होंने लिखा है कि आप ‘भैंस’, ‘मंगलसूत्र’ के रास्ते होते हुए ‘मुजरा’ तक की शब्दावली पर आ गए। अब आपसे अपेक्षा नहीं है कि आप अपने पद की गरिमा…
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Bharat Ka Yeh Reshmi Nagar
रामधारी सिंह 'दिनकर' हिन्दी के एक प्रमुख लेखक, कवि व निबन्धकार थे। वे आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस ��े कवि के रूप में स्थापित हैं। बिहार प्रान्त के बेगुसराय जिले का सिमरिया घाट उनकी जन्मस्थली है। उन्होंने इतिहास, दर्शनशास्त्र और राजनीति विज्ञान की पढ़ाई पटना विश्वविद्यालय से की। उन्होंने संस्कृत, बांग्ला, अंग्रेजी और उर्दू का गहन अध्ययन किया था। 'दिनकर' स्वतन्त्रता पूर्व एक विद्रोही कवि के रूप में स्थापित हुए और स्वतन्त्रता के बाद राष्ट्रकवि के नाम से जाने गये। वे छायावादोत्तर कवियों की पहली पीढ़ी के कवि थे।
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बिहार बोर्ड परीक्षा तिथि पत्र 2025 जारी: इंटर परीक्षा 1 फरवरी से शुरू होगी, मैट्रिक 17 फरवरी से, पूरा टाइम-टेबल यहां
तारीख पहली पाली (सुबह 9:30 बजे – दोपहर 12:45 बजे) दूसरी पाली (दोपहर 2:00 बजे – शाम 5:15 बजे) 1 फरवरी 2025 119 – जीवविज्ञान (आई.एससी.) 320 – दर्शन (आईए) 326 – अर्थशास्त्र (आईए), 219 – अर्थशास्त्र (आई.कॉम.) 4 फरवरी 2025 121 – गणित (आई.एससी.) 327 – गणित (आईए), 322 – राजनीति विज्ञान (आईए) 402 – फाउंडेशन कोर्स (व्यावसायिक) 5 फरवरी 2025 117 – भौतिकी (आई.एससी.) 323 – भूगोल (आईए), 217 – बिजनेस…
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Dr. Rajendra Prasad Biography
Introduction
Rajendra Prasad Biography And Facts: देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद सही मायने में सादगी के प्रतीक थे. अपनी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा के लिए मशहूर राजेंद्र प्रसाद देश के एकमात्र राष्ट्रपति हैं, जिनका कार्यकाल एक बार से अधिक का रहा. 03 दिसंबर, 1884 को बिहार के सीवान जिले में जन्में राजेंद्र प्रसाद का जीवन बेहद सादगी भरा रहा. उन्होंने कठिन चुनौतियों के बीच पढ़ाई की. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के अत्यंत प्रिय राजेंद्र प्रसाद को बिहार का गांधी भी कहा जाता था. उन्होंने अपना राजनीतिक जीवन तो सादगी के साथ गुजारा ही, साथ ही अपने निजी जीवन में भी वह बेहद ईमानदार रहे. सही मायने में वह शुचिता, विद्वता और सरलता के साथ-साथ सादगी के भी प्रतीक थे. पढ़ाई के दौरान वह अत्यंत मेधावी थे. बड़े होने पर वह महान कानूनविद हुए. उन्होंने नैतिकता की उस ऊंचाई को छुआ जो आज के समय में तपस्या से कम नहीं है.
Table of Content
कांग्रेस कार्यालय को बनाया रहने का ठिकाना
सादगी से गुजारा जीवन
संविधान सभा का किया था नेतृत्व
कई भाषाओं के थे जानकार
गुरु के विचारों का था गहरा प्रभाव
3 साल जेल में बिताए
पत्नी के जेवरात किए राष्ट्र को समर्पित
बेमन से लड़े चुनाव
कांग्रेस कार्यालय को बनाया रहने का ठिकाना
कहा जाता है कि राजेंद्र प्रसाद इस कदर ईमानदार थे कि उन्होंने भाई-भतीजावाद को कभी तरजीह नहीं दी. नैतिकता, शुचिता और ईमानदारी की इससे बड़ी मिसाल क्या होगी कि राष्ट्रपति पद का कार्यकाल खत्म होने के बाद उनके पास रहने के लिए अपना कोई निजी आवास भी नहीं था. उन्होंने लोगों की सेवा को ही ध्येय बनाया था. यह भी बड़ी बात है कि पद से हटने के बाद राजेन्द्र प्रसाद ने बिहार कांग्रेस कमेटी के कार्यालय सदाकत आश्रम को अपने रहने का ठिकाना बनाया. उनके कार्यकाल के दौरान जो भी व्यक्ति मदद के लिए आता वह सरलता से उसे संबल देते और हमेशा लोगों की मदद के लिए आ��े रहते थे. वर्ष 1914 में बिहार और बंगाल में आई बाढ़ से प्रभावित लोगों की मदद के लिए उन्होंने हर मुमकिन कोशिश की. इस दौरान उन्होंने एक समाजसेवी के रूप में सक्रिय भूमिका निभाई. इसके 20 साल बाद 15 जनवरी, 1934 को बिहार में भूकंप आया तो वह आजादी की लड़ाई के लिए जेल में थे. उस अवधि के दौरान राजेंद्र प्रसाद ने राहत कार्य को अपने निकट सहयोगी अनुग्रह नारायण सिन्हा को सौंप दिया, जिससे जरूरतमंद लोगों की मदद का सिलसिला नहीं थमे. इसी कड़ी में 31 मई, 1935 को क्वेटा भूकंप के बाद उन्होंने पंजाब में क्वेटा सेंट्रल रिलीफ़ कमेटी की स्थापना की.
सादगी से गुजारा जीवन
ईमानदारी की मिसाल राजेन्द्र प्रसाद देश के सर्वोच्च पद पर यानी राष्ट्रपति के पद पर कई सालों तक रहे. लेकिन इस दौरान भी उन्होंने अपनी सादगी नहीं छोड़ी. राष्ट्रपति भवन कमरों की भरमार है, लेकिन उन्होंने अपने इस्तेमाल के लिए केवल 2-3 कमरे ही रखे थे. राष्ट्रपति भवन के एक कमरे में चटाई बिछी रहती थी, यहां पर वह महात्मा गांधी से प्रेरित होकर चरखा काता करते थे. यह डॉ. राजेंद्र प्रसाद की राजनीतिक शुचित ही थी कि राष्ट्रपति पद से हटने के साथ ही उन्होंने राजनीति से संन्यास भी ले लिया था. पटना के एक आश्रम में 28 फरवरी, 1963 को बीमारी के कारण उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली. यह भी सच है कि डॉ. राजेंद्र प्रसाद उन बिरले राजनेताओं में थे, जो राष्ट्रपति पद से हटने के बाद सीधे पटना के सदाकत आश्रम में रहे. इतना ही नहीं जब उनका समय निकट आया, तो वह अपने जर्जर घर में चले गए.
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संविधान सभा का किया था नेतृत्व
राजेंद्र प्रसाद ने एक दशक से भी अधिक समय तक बतौर राष्ट्रपति अपनी सेवाएं दीं. वह 1950-62 के बीच राष्ट्रपति के पद पर आसीन रहे. वर्ष 1962 में राजेंद्र प्रसाद को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया. उन्होंने संविधान सभा का भी नेतृत्व किया था. राजेंद्र प्रसाद उस दौर के सबसे बेहतरीन नेता और महान समाजसेवी महात्मा गांधी के बेहद करीबी सहयोगी थे. आजादी के बाद वह भारत के पहले राष्ट्रपति बने. महात्मा गांधी के करीबी होने के चलते ही राजेंद्र प्रसाद को ‘नमक सत्याग्रह’ और ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के दौरान जेल तक जाना पड़ा. डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने अपना वकालत का करियर छोड़कर देश सेवा को तरजीह दी. वह एक आदर्श शिक्षक होने का साथ-साथ सफल वक��ल और प्रभावशाली लेखक भी थे. यह भी कम बड़ी बात नहीं कि उन्होंने अपने जीवन का हर पल देश की सेवा में बिताया. उनकी खूबियों के चलते ही 26 जनवरी, 1950 को उन्हें भारत का पहला राष्ट्रपति चुना गया. वह लगभग 12 वर्षों तक इस पद पर आसीन रहे. वह देश के इकलौते ऐसे नेता हैं, जो इतने लंबे समय तक राष्ट्रपति के पद पर आसीन रहे.
कई भाषाओं के थे जानकार
देश के प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद का जन्म बिहार के सीवान में 3 दिसंबर, 1884 को हुआ था. पिता का नाम महादेव सहाय और माता क�� नाम कमलेश्वरी देवी था. वह पढ़ाई में बहुत अच्छे थे और उनकी शुरुआती शिक्षा बिहार के छपरा जिले के एक ग्रामीण स्कूल में हुई थी. डॉ राजेंद्र प्रसाद की हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, बंगाली एवं फारसी भाषा पर अच्छी पकड़ थी. उन्होंने पटना से कानून में मास्टर की डिग्री ली. राजेंद्र प्रसाद अपने भाई-बहनों में सबसे छोटे थे, इसलिए उन्हें दुलार भी खूब मिला. उनके एक बड़े भाई और 3 बड़ी बहनें थीं. उनकी मां की मृत्यु कम उम्र में ही हो गई थी. ऐसे में राजेंद्र प्रसाद का पालन-पोषण और देखभाल उनकी बड़ी बहनों ने किया था. जून 1896 में 12 साल की कम उम्र में उनकी शादी राजवंशी देवी से हुई. राजेंद्र प्रसाद का पूरा नाम राजेंद्र प्रसाद श्रीवास्तव था. मां कमलेश्वरी देवी ने अपने बेटे यानी राजेंद्र प्रसाद को रामायण और महाभारत की कहानियां सुनाकर पाला था. दरअसल, मां ने बेटे में संस्कार कूटकट कर भरे थे.
गुरु के विचारों का था गहरा प्रभाव
डॉ. राजेंद्र प्रसाद को प्यार से ‘राजेन बाबू’ के नाम से भी पुकारा जाता था. जानकारों का कहना है कि एक दशक तक भारत के राष्ट्रपति रहे डॉ. राजेद्र प्रसाद के जीवन पर उनके गुरु गोपाल कष्ण गोखले के विचारों का गहरा प्रभाव था. अपनी आत्मकथा में उन्होंने इस बात का जिक्र भी किया था कि उन्होंने गोपाल कृष्ण से मुलाकात और उनके विचारों को जानने के बाद आजादी की लड़ाई में शामिल होने का फैसला किया था. बताया जाता है कि राजेंद्र प्रसाद के निर्मल स्वभाव और उनकी योग्यता को लेकर आजादी की लड़ाई लड़ रहे महात्मा गांधी भी खूब खुश हुए थे. महात्मा गांधी ने वर्ष 1917 में बिहार में ब्रिटिश नील उत्पादकों द्वारा शोषित किसानों की दुर्दशा को सुधारने के उद्देश्य से एक अभियान के लिए उनका समर्थन हासिल किया था. वर्ष 1920 में डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने असहयोग आंदोलन में शामिल होने के लिए अपना कानूनी करियर तक छोड़ दिया था.
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3 साल तक बिताया जेल में
गुरु गोपाल कष्ण गोखले के विचारों और महात्मा गांधी से प्रभावित हो कर ही डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने आजादी के आंदोलन में शिरकत की. आजादी के आंदोलन में शामिल होने के चलते वह ब्रिटिश अधिकारियों की नजर में आए गए. इसकी वजह से उन्हें कई बार कारावास का सामना करना पड़ा. राजेद्र प्रसाद ने अगस्त, 1942 से जून, 1945 तक का समय जेल में बिताया. वह आधुनिक भारत के प्रमुख वास्तुकारों में से एक थे. इसके साथ ही उन्होंने संविधान समिति के अध्यक्ष के रूप में भारतीय संविधान को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
पत्नी के जेवरात को किया राष्ट्र को समर्पित
चीन के युद्ध के समय डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने अपनी पत्नी के जेवर राष्ट्र काे समर्पित कर दिया था. यह भी कड़वा सच है कि देश को उन्होंने बहुत कुछ दिया लेकिन लोगों ने उनके साथ न्याय नहीं किया. राजवंशी देवी (17 जुलाई 1886 – 9 सितंबर 1962) एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थीं. उन्होंने भारत के राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद की पत्नी और भारत की पहली प्रथम महिला के रूप में कार्य किया. उन्होंने पति राजेंद्र प्रसाद के आदर्शों को अपनाया. बहुत कम लोग जानते हैं कि राजेंद्र प्रसाद ने राष्ट्रपति रहते हुए कभी धन नहीं जोड़ा. उन्होंने अंत समय तक कोई घर या अन्य संपत्ति नहीं बनाई. उन्हें राष्ट्रपति के रूप में जितना वेतन मिलता था, उसका आधा वो राष्ट्रीय कोष में दान कर देते थे.
बेमन से लड़े चुनाव
राजेंद्र प्रसाद ने 1977 में आपातकाल के बाद घोषित चुनाव में जनता पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ा. कहा जाता है कि वह चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे. यह भी सच है कि जयप्रकाश नारायण के अनुरोध पर चुनाव में खड़े हुए. उन्होंने जीत भी हासिल की लेकिन इसके बाद फिर कभी सियासत में सक्रिय नहीं रहे. सादगी पसंद राजेंद्र प्रसाद के परिवार तथा किसी भी रिश्तेदार ने उनके पद का लाभ नहीं उठाया. वह खुद नहीं चाहते थे कि उनका कोई नजदीकी रिश्तेदार राष्ट्रपति पद की गरिमा पर कोई आंच आने दे. यही वजह है कि राजेंद्र प्रसाद को लोग सम्मान के नजरिये से देखते हैं.
Conclusion
आजीवन सादा जीवन जीने वाले राजेंद्र प्रसाद ने कई मिसालें देश के सामने रखी हैं. बतौर राष्ट्रपति 10 साल से अधिक समय तक वह इस पद पर रहे, लेकिन इस दौरान उन्होंने कोशिश की कि उनका परिवार साधारण जिंदगी ही ��िए. अपने पद का फायदा उन्होंने शायद ही कभी अपने परिवार को लेने दिया. यहां तक कि जरूरत पड़ने पर वह बिना स्वार्थ के हमेशा राष्ट्र की सेवा के लिए तत्पर रहते थे.
यह भी पढ़ें: जवाहर लाल नेहरू क्यों नहीं चाहते थे, राजेन्द्र प्रसाद देश के पहले राष्ट्रपति बनें?
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हिंदी क्षेत्र की भाषाएँ और बोलियाँ: एक समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर हिन्दवी डिक्शनरी
हिंदी क्षेत्र की भाषाएँ और बोलियाँ भारत की सांस्कृतिक और भाषाई विविधता का अनूठा उदाहरण हैं। इनमें न केवल एक दूसरे से भिन्नता है, बल्कि हर बोली की अपनी विशेषता, व्याकरण और शब्दावली भी है। इस लेख में, हम इन भाषाओं और बोलियों का विस्तृत अवलोकन करेंगे, उनके विकास, उनके महत्व और उनकी उपयोगिता पर चर्चा करेंगे।
हिंदी
हिंदी, भारतीय संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त एक प्रमुख भाषा है। यह देवनागरी लिपि में लिखी जाती है और इसकी वैश्विक पहचान बढ़ती जा रही है। हिंदी का उपयोग साहित्य, मीडिया, राजनीति और व्यवसाय में किया जाता है।
हिंदी के उपभाषाएँ
हिंदी की कई उपभाषाएँ हैं, जैसे:
अवधी: मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश के अवध क्षेत्र में बोली जाती है।
बुंदेली: बुंदेलखंड क्षेत्र में बोली जाती है।
ब्रज: ब्रज क्षेत्र में, विशेष रूप से मथुरा और वृंदावन के आसपास बोली जाती है।
बाघेली: मध्य प्रदेश के बघेलखंड क्षेत्र में बोली जाती है।
अंगिका
अंगिका भाषा बिहार के अंग क्षेत्र में बोली जाती है। यह हिंदी की एक उपभाषा है, और इसके बोलने वालों की संख्या भी काफी है। अंगिका में अनेक लोककथाएँ और गीत प्रसिद्ध हैं।
अवधी
अवधी भाषा का उपयोग मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश में किया जाता है। इसकी लोककथाएँ और साहित्यिक रचनाएँ इसे और भी महत्वपूर्ण बनाती हैं।
कन्नौजी
कन्नौजी भाषा कन्नौज क्षेत्र में बोली जाती है। यह हिंदी की विशेषताओं को समाहित करती है और इसकी अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है।
कुमाउँनी
कुमाउँनी उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र की भाषा है। इसके बोलने वालों की अपनी परंपराएँ और रीति-रिवाज हैं जो इस भाषा को अद्वितीय ��नाते हैं।
गढ़वाली
गढ़वाली भाषा गढ़वाल क्षेत्र में बोली जाती है। यह पहाड़ी संस्कृति का प्रतीक है और इसमें कई गीत और लोककथाएँ शामिल हैं।
बघेली
बघेली भाषा मध्य प्रदेश के बघेलखंड क्षेत्र में बोली जाती है। इसकी सांस्कृतिक धरोहर बहुत समृद्ध है।
बज्जिका
बज्जिका भाषा बिहार और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में बोली जाती है। यह मिथिलांचल की संस्कृति से जुड़ी हुई है।
बुंदेली
बुंदेली भाषा बुंदेलखंड क्षेत्र में बोली जाती है। इसमें कई पुरानी लोककथाएँ और गीत शामिल हैं जो इसके सांस्कृतिक महत्व को दर्शाते हैं।
ब्रज
ब्रज भाषा का उपयोग मथुरा-वासियों द्वारा किया जाता है। यह भगवान कृष्ण से जुड़ी हुई है और इसमें कई भक्ति गीत प्रसिद्ध हैं।
भोजपुरी
भोजपुरी भाषा भारत के उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में बोली जाती है। इसके बोलने वाले समुदाय का साहित्य और संस्कृति बहुत समृद्ध है।
मगही
मगही भाषा बिहार के मगध क्षेत्र में बोली जाती है। इसमें भी अनेक लोकगीत और कहानियाँ शामिल हैं।
मैथिली
मैथिली भाषा बिहार के मिथिला क्षेत्र में बोली जाती है। यह साहित्यिक रूप से बहुत समृद्ध है और इसमें अनेक महत्वपूर्ण रचनाएँ हैं।
मालवी
मालवी भाषा मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में बोली जाती है। इसके बोलने वालों की संस्कृति में कई अनूठे तत्व शामिल हैं।
भाषाई महत्व
इन भाषाओं और बोलियों का महत्व केवल संवाद तक सीमित नहीं है; वे अपने-अपने क्षेत्रों की संस्कृति, परंपरा, और पहचान का प्रतीक हैं। यह भाषाएँ न केवल संचार के माध्यम हैं, बल्कि वे हमारे समाज की विभिन्नता और समृद्धि को भी दर्शाती हैं।
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