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New Bihar Caste List 2021 | General OBC EBC SC & ST All PDF Download
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यदि आप भी जाती प्रमाणपत्र बनवाना चाहते है और जानना चाहते है की आप किस कैटेगरी में आते है तो यह आर्टिकल New Bihar Caste List 2021 आपको अंत तक जरुर पढ़ना चहिये. बिहार राज्य में लगभग 250 जातियाँ है. बिहार सरकार ने सभी जातियों को चार अलग-आलग कैटेगरी में वर्गीकृत किया है. जो निम्नलिखित है. General Caste (सामान्य जाती)OBC (पिछड़ा वर्ग)EBC (अत्यंत पिछड़ा वर्ग)SC (अनुसूचित जाती)ST (अनुसूचित जनजाति) नोट:…
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जाति के आधार पर धर्म के आधार पर समाज में विभाजन करना ध्रुवीकरण करना इस मोडस ऑपरेंडी का मूल तत्त्व है
दस बारह दिन पूर्व मे भोपाल में था, प्रज्ञा ठाकुर और दिग्विजय सिंह के मुकाबले की वजह से वहां के चुनावी माहौल में गर्मी आ चुकी थी वहाँ एक मित्र मिले उन्होंने बताया कि यहाँ भोपाल में व्हाट्सएप पर एक वीडियो क्लिप तेजी से सर्कुलेट की जा रही हैं, वह वीडियो क्लिप जाकिर नाइक ओर दिग्विजय सिंह से संबंधित थी........ मुझे बेहद आश्चर्य हुआ जब परसो प्रधानमंत्री अपनी एक रैली में जाकिर नाइक ओर दिग्विजयसिंह के तथाकथित संबंधों की दुहाई देते नजर आए.......... आजकल में ही जाकिर नाइक का जिन्न न्यूज़ चैनल पर भी नजर आने वाला है............ यह भाजपा की मोडस ऑपरेंडी है पहले विभिन्न व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए एक ऐसा मुद्दे को केंद्र में लाओ जिनका जनता की रोजमर्रा के जीवन से कोई संबंध नही है वह एक भावनात्मक मुद्दा है........ और उसे स्टेबलिश कर विभिन्न नेताओं के मुँह से कहलवाओ ओर फिर बिके हुए न्यूज़ चैनलों के माध्यम से इस पर राष्ट्रीय स्तर की बहस चला दो जनता उसी में लगी रहेगी...... बीजेपी बहुत अच्छी तरह से समझ चुकी हैं कि प्रोपगैंडा और गलत सूचनाओं को फैलाने में भारत में सबसे लोकप्रिय मैसजिंग प्लेटफॉर्म व्हाट्सऐप का इस्तेमाल कैसे करना है उसका सबसे बड़ा टारगेट वह युवा है जो पहली बार वोट डालने जा रहा है अगर कोई नेता व्हाट्सऐप और फ़ेसबुक के ज़रिए प्र��ार करता हैं तो ये युवा उससे सीधा जुड़ाव महसूस करता हैं उसे लगता है कि हम उनसे सीधी सीधा जुड़ा हैं इसलिए वो हमसे सीधे वोट मांग सकता है. भारत व्हाट्सऐप का सबसे बड़ा बाज़ार है. भारत में 20 करोड़ से ज्यादा लोग इस ऐप का इस्तेमाल कर रहे हैं इसका सबसे अधिक इस्तेमाल राजनीतिक संदेश और वीडियो को शेयर करने में किया जा रहा हैं. लोगों को गलत जानकारी दी जाती है.......... हाल में हुए रायटर्स इंस्टीट्यूट के सर्वे के मुताबिक भारतीय इंटरनेट यूजर्स में 52 फ़ीसदी लोगों को न्यूज व्हाट्सऐप के जरिए मिलती है. करीब इतने ही लोगों को न्यूज, फेसबुक के जरिए मिलती है.......... व्हाट्सऐप की सबसे बड़ी खूबी यह है कि इसकी पोस्ट निजी होती हैं और इनक्रिप्शन से संरक्षित होती हैं. विशेषज्ञ प्रंशात के. रॉय इसे ब्लैक होल जैसा बताते हैं. वे कहते हैं, "कोई भी शख्स, यहां तक कि व्हाट्सऐप भी, संदेशों को ना तो पढ़ सकता है, ना फिल्टर कर सकता है और ना ही संदेश का विश्लेषण कर सकता ��ै. प्रशांतो के. रॉय एक ऐसे व्हाट्सऐप समूह के सदस्य हैं, जिनमें उनके दिल्ली स्थित हाई स्कूल के 100 से ज्यादा क्लासमेट शामिल हैं. उनमें हिंदू, मुसलमान और ईसाई शामिल हैं. वे बताते हैं, "2014 से हमने देखा कि काफ़ी ज्यादा ध्रुवीकरण हुआ है. 10 लोग लगातार फ़ेक कंटेंट शेयर करते हैं. कुछ मेरे जैसे लोग हैं जो फ़ैक्ट चेक कर उन्हें बताते हैं कि सही क्या है, लेकिन वे हमारी उपेक्षा करते हैं." यानी साफ है कि पढ़े लिखे लोग भी इससे बहुत बुरी तरह से प्रभावित होते हैं बीजेपी ने 2015 से ही आम लोगों के बीच व्हाट्सऐप ग्रुप का गठन करना शुरू कर दिया था.बीजेपी के लिए 2017 और 2018 के विधानसभा चुनावों के लिए काम कर चुके डेटा एनालिस्ट शिवम शंकर सिंह बताते हैं कि बीजेपी इकलौती ऐसी पार्टी है जिसके पास इतनी बड़ी संख्या में व्हाट्सऐप ग्रुप मौजूद हैं. दूसरी पार्टी अब ऐसा नहीं कर सकती हैं क्योंकि व्हाट्सऐप ने अपनी नीतियां बदल दी हैं." लेकिन उसके बावजूद बीजेपी लगातार इस विषय मे ओर आगे बढ़ रही है, भाजपा देश के 9,27,533 मतदान केंद्रों के लिए हर एक बूथ पर तीन व्हाट्सएप ग्रुप बनाने की नीति पर काम कर रही है नयी नीति के अनुसार व्हाट्सएप ग्रुप में अधिकतम 256 सदस्य होते हैं ऐसे में भारत की 1.3 अरब आबादी में से 700 मिलियन लोगों तक व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए मैसेज पहुंचाए जा सकते हैं. मतदाता सूची के नाम और मोबाइल नंबर की सूची में मिलान करके डे��ोग्राफिक कैटगरी, जाति के आधार पर और धर्म के आधार पर करके ग्रुप बनाकर संदेश भेजे ��ा रहे हैं. भारत के कई बड़े राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश और बिहार में, 70% से अधिक लोगों की जाति उनके नामों का विश्लेषण करके निर्धारित की जा सकती है बीजेपी ने ठीक यही किया उत्तरप्रदेश के चुनावों के बारे में शिवम शंकर सिंह ने बताया कि व्हाट्सएप ग्रुप जाति के आधार पर बनाए गए थे. हम जानते है कि उत्तर प्रदेश की ओबीसी आबादी में लगभग 11% यादव और 31% अन्य शामिल हैं, सभी जानते है कि यादव वोट एक तरफा सपा को जाता है लेकिन एक बड़ा वर्ग ऐसा भी है जो ओपन है वह किसी के भी साथ जा सकता है अब बीजेपी से जुड़े डाटा एनिलिस्ट ऐसे व्हाट्सएप ग्रुप का निर्माण करते हैं, जिनमें अठारह और चालीस के आयु वर्ग के बीच केवल गैर-यादव ओबीसी शामिल हैं, जो निम्न-मध्यम सामाजिक-आर्थिक स्थिति के है उन ग्रुप्स में 2 से 3 महीने तक लगातार ऐसे तथ्य सर्कुलेट करने है जिससे यह लगे कि यादवों ने शैक्षणिक संस्थानों और नौकरियों में आरक्षण के सभी लाभों को कैसे प्राप्त किया है, जिससे अन्य ओबीसी समूहों को वंचित किया जाता है, व्हाट्सएप पर भेजी गई दलीलें धीरे धीरे लोगों की दैनिक बातचीत का हिस्सा बन जाती है उन्हें यह विश्वास होने लगता हैं कि उनके लाभ का सही हिस्सा यादवों द्वारा ले लिया गया हैं........... इसी तरह की मोडस आपरैंडी का उपयोग करते हुए 2017 के उत्तरप्रदेश विधानसभा में भाजपा ने सोची न जा सकने वाली जीत हासिल की थी..... जाति के आधार पर धर्म के आधार पर समाज में विभाजन करना ध्रुवीकरण करना इस मोडस ऑपरेंडी का मूल तत्त्व है पता नहीं कितने लोग यह सब समझ पाएँगे..........
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हमारी गंगा ....
मध्य गंगा घाटी का क्षेत्र और भौगोलिक स्थिति समतल एव' विस्तृत उपजाऊ मेदान तथा जल एव' खाद्य पदार्थों की सहज सुलभता के कारण मय्य गंगा घाटी का क्षेत्र मानव के आकर्षण का कैन्द्र रहा हे । यह क्षेत्र भौगोलिक विशिष्टताओं के कारण बहुत ही महत्वपूर्ण है । अपनी इन्ही विशिष्टताओं के कारण प्रागैतिहासिक काल से ही यह क्षेत्र मानव को आकर्षित कस्ता रहा है । आबैतिहासिक काल से ऐतिहासिक काल तक पथ्य गगा' घाटी के क्षेत्र का अत्यन्त गौरवपूर्ण स्यान रहा है । तथागत एवं महाबीर ने अपनी जीवन शेली एवं उपदेशों के द्वारा सम्पूर्ण समाज को एक सार्थक दिशा प्रदान की है, जिसके कारण दोनों महापुरुष एव' उनके क्षेत्र विश्व प्रसिद्ध हो गए हैं । मत्स्य सभ्यता के विकास में किसी क्षेत्र विशेष की भौगोलिक स्थिति की बहुत ही महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है । मनुष्य के क्रिया-कलाप, आहार-विहार एवं रहन-सहन पर पर्यावरण का प्रभाव स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है । मध्य गागेय' मैदान फी अपनी एक अलग पहचान है । एक ही देश के विभिन्ग प्रान्तो में रहने वाले लोगों में भिन्नता के मुख्य कारण क्षेत्र विशेष में पाये जाने वाला जलवायु तया भौगोलिक स्थिति की भिन्नत्ताएँ हैं s इस अध्याय के अन्तर्गत मध्य गंगा " घाटी के क्षेत्र, भौतिक विभाजन, जलवायु, मृदा, वनस्पति एवं नदियों का वर्णन किया गया है । (अ) मध्य गया' घाटी के क्षेत्र एवं भौगोलिक स्थिति -गगा' नदी द्वारा सिक्ति प्रदेश गया" घाटी कहलाता है । इस विस्तृत घाटी में गगा' ही सर्वप्रमुख नदी हैं, जो इस क्षेत्र की भूमि को सिंचित कस्ती है । यह घाटी भारत के सर्वाधिक महत्वपूर्ण ��पजाऊ क्षेत्रों में एक है । भारत के सम्पूर्ण उपजाऊ क्षेत्रों का लगभग 60 प्रतिशत से अधिक उपज गगा' घाटी से होता है । इस क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के खाद्यान्न उत्पन्न किये जाते हैं । भारत के सम्पूर्ण जनसख्या' का अधिकांश भाग गगा" घाटी में निवास करता है । इस क्षेत्र में लगभग 78 प्रतिशत जनसख्या३ कृषि पर आश्रित है l सप्पूर्ण गगा' घाटी को तीन भागों मेँ विभाजित किया गया हैं ऊपरी गगा' घाटी, मथ्य गगा' घाटी एवं निन्न गगा' घाटी ।1 स्टाम्प ने मथ्य गगा' घाटी की सीमा का निर्धारण कृषि के आधार पर किया है । उनका कहना है कि मद्द य गगा" घाटी मे धान की फसल गेहूँ एवं जौ की तुलना में अधिक ढोती है I गेहूँ एवं जौ ऊपरी गगा' घाटी की मुख्य फसल है । स्टाम्प ने मथ्य गया' घाटी की सीमा का निर्धारण बनाये गये भवनों के क्या पर भी किया है । उनका विचार है कि पूर्वी क्षेत्र में मकान छप्पर, खपरैल के होते थे, जबकि पश्चिम के मकान फूस के बनते ये, जहाँ वर्षा औसतन कम होती थी । उपर्युक्त तथ्यों के आधार पर पश्चिमी सीमा का निर्धारण 100 सेंटीमीटर सभघर्षा (Isohyet) माना है I उन्होंने मध्य गगा' घाटी की पूर्वी सोमा का निर्धारण 175 सेंटीमीटर समवर्षा भाना है । उनका कथन है की निम्म गगा' घाटी की जलवत्यु मध्य गया' घाटी एवं ऊपरी गगा' घाटी से बहुत भिन्न है । एक और जडों ग्रीष्म ऋतु में मथ्य गगा' घाटी एवं ऊपरी गया' घाटी में सूखा पड़ जाता है, वहीँ निन्न गगा' घाटी मेँ सदैव हरियस्ली रहती है ।2 इस प्रकार स्टाम्प ने भौगोलिक दृष्टिकोण से मध्य गगा' घाटी की पूर्वी एवं पश्चिमी सीमा का निर्धारण किया है । स्पेट ने भी स्टाम्प के द्वारा किये गये इस विभा���न को स्वीकार किया है l उन्होंने भी पश्चिमी सीमा को 100 सेंमी. समवर्षा वाला माना है; परन्तु स्पेट मध्य गगा' घाटी को इलाहाबत्व के पास स्थित क्या'-यमुना के सगम' से ऊपरी गगा३ घल्दी क्रो अलग किया है ।3 उन्होंने मध्य गया' घाटी क्रो साप्तान्य रुप से सीमा-रेखा निर्धारण करने के लिए यह बत्तत्या है कि सामान्यत: ऊपरी गगा' घाटी एव' बगाल' क्रो छोटका, उत्तर प्रदेश का तीन-चौथाई भाग एवं उत्तरी बिहार का आधा भाग इसके अन्तर्गत है r‘ कुछ अन्य विद्धानों ने भी स्टाम्प के इस विभाजन को सामान्य रूप से स्वीकार किया है । पीथावाता ने जो मत दिया है, वह स्टाम्प के फ्त से थोडा. मिन्न है । हन्होंने मध्य गगा' घाटी के अन्तर्गत निग्न गगा' घाटी के कुछ भाग क्रो मिला तिया है F मध्य गया" घाटी का क्षेत्र सक्रमणात्मक" विशेफ्ता ली हुई है । यह सामान्यत: 100 सेंटीमीटर एवं 150 सेंटीमीटर समवर्षा के मध्य है । इसकी पश्चिमी सीमा सडक. एवं रेलवे लाइन फैजाबाद से इलाहाबाद की ओर अग्रसर होती है, मानी गयो है । इस प्रकार इस क्षेत्र की पश्चिमी सीमा उत्तरी गगा' घाटी की पूर्वी सीमा (क्ला-फेज़ल्बाद रेलवे लाइन, जो सामान्यत: 100 मीटर समोच्व रेखा) है एवं पूर्वी सोमा रगमहल' घाटी का पश्चिमी क्षेत्र (150 ��ीटर समोच्व रेखा) से गगा' के दक्षिण एवं पश्चिम क्या…बिह्यर राज्य सीमा (किशनंजि क्रो छोट्या) है ।3 यह क्षेत्र बिहार की घाटी एवं उत्तर-प्रदेश की पूर्वी भाग के अन्तर्गत आता है, जो बहुत ही महत्त्वपूर्ण स्थल हे । मध्य गगा३ घाटी की पूर्वी, पश्चिमी, उत्तरी एवं दक्षिणी सीमा का निर्धारण निर्विवाद हे, जो हिमालय की तराई (150 मीटर समोच्व रेखा) एवं भारत…नेफ्त सीमा इसकी उत्तरी सीमा रेखा है । दक्षिणी सीना रेखा 150 मीटर समोच्व है । पूर्वी सीमा गगा' के दक्षिण मेँ स्थित राजमहल पहाडी. की पश्चिमी सीमा (150 मीटर समोच्व रेखा) और पश्चिम जमाल-बिहार राज्य सीपा रेखा (किशनगज' को छोडकर) उसकी पूर्वी सीमा रेखा हैं । पश्चिमी सीमा 100 मीटर समोच्व रेखा जो इलाहाबाद से उत्तरोला की और जाती है मध्य गगा' घाटी की पश्चिमी सीमा रेखा है । निम्बाक्ति जिलों का क्षेत्र मध्य गगा" घाटी की पश्चिमी सीमा हेगोंडा जिले में उत्तरौत्ता एवं बलरामपुर, बस्ती जिले में हरेया, फैजाबाद जिले में फैजाबाद एवं अक्यापुर (वर्त्तमान क्या जिला), सुल्तानपुर जिले में सुल्तानपुर, प्रतापगढ जिले में पट्टी एव' इलाहाबाद जिले मेँ क्या । मध्य गया' घाटी की स्थिति एवं विस्तार मध्य गगा' घाटी का विस्तार 24०30' उत्तरी अक्षाश' से 27०5०' उत्तरी अक्षांश और 81०47' पूर्वी देशान्तर से 87०5०' पूर्वी देशान्तर तक है । त्काभग 1,43,26० वर्ग किलोमीटर तक इसका विस्तार है । इस क्षेत्र को लम्बाई त्काभग 60० किलोमीटर पूर्व से पश्चिम एवं चौडाई॰ 33० किलोमीटर उत्तर से दक्षिण की ओर है । भौतिक विभाजन भूमि एवं नदी की प्रकृति के अनुसार मध्य गगा' घाटी को निम्नलिखित चार मोतिक खण्डी में विभाजित किया गया है 1 सरयूपार अथवा घाघरा पार की घाटी 2 गया' घाघरा दोआब 3 दक्षिणी गया’ घाटी 4 गडक कोसी घाटी या (उत्तर बिहार घाटी) (1) सरयूपार घाटी सरपूपार घाटी जो कि उत्तर-पश्चिम दिशा में 1०2 मीटर और दक्षिण-पूर्ब दिशा मे 7o मीटर ऊबी७ एक समतल घाटी है 1 प्राकृतिक ढाल में बहने वाली नदियों की धाराओं ने इसकी एकरूपता क्रो खडित्त' किया 1 हिमालय और लराई क्षेत्र के निकट होने के कारण एव' एक ओर खादर भूमि होने के कारण सरयूपार घाटी अपने आप में अनोखी है 1 इस क्षेत्र को उत्तर से दक्षिण की और तीन मार्गों में विभाजित किया जा सकता है (I) तराई यह क्षेत्र 15 से 25 किलोमीटर चौडी. है I (II) ऊपरवार अथवा भागर यह तराई एवं खादर के बीच क्ला क्षेत्र है 1 (111) घाघरा खादर अथवा कछार यह घाक्स के उत्तरी तट वाला क्षेत्र है I घाटी के उत्तर दिशा में विस्तृत निग्न भूमि, जिसपे हिमालय से प्रवाहित होने वाले बहुत झरने हैं और जहाँ बहुत अच्छी वर्षा होती है, इस भूमि को तराई कहा जाता हे 1 ऊपस्वार एक विस्तृत भूखण्ड है, जिसके एक छोर से दूसरे छोर तक राप्ती नदी प्रवाहित है 1 ऊपस्वार के दक्षिण प्रान्त घाघरा-खादर से बिलक्ला भिन्न है I यहाँ की भूमि उबड़-खाबड़ है, जो घूस के नाम से प्रसिद्ध है और ऐसा माना जाता है कि कमी यही घाघरा का तट ��ा 1 घाघरा और राप्ती के मध्य खादर एक सक्रीर्ण' क्षेत्र है, जिसमेँ कईं छोटे-छोटे तालाब (Bluff) हैं I ये छोटे-छोटे तालाब नदी और बड़े झील के सूख जाने से बने हैं 1 (2) गगा' घाघरा दोआब … यह तिकोना घाटी जो कि पश्चिम की और काफी चौडी. है और पूर्व की ओर सकीर्ण' होते-होते गगा' और घाघरा के सगन" स्थल के श्मग्गर७ में जा पहुची३ है I उत्तर-पश्चिम दिशा में सो मीटर और दक्षिण-पूर्व दिशा में 58 मीटर ढाल क्वायी है 1 नदी की मुख्य धारा या गौण धारा का खादर क्षेत्र वर्षा त्रस्तु में पानी से भरा रहता है 1 दोआब के मध्य और पश्चिमी भाग में बहुत अधिक ऊसर भूमि देखने को मिलती है I कम क्च1ईं७३ क्ला क्लाड का टीला ‘गागर७ क्षेत्र में दिखाई पडता. है 1 गोमती नदी दोआब के मध्य होका प्रवाहित होती है I कुछ छोटी नदियाँ भी इस घाटी से प्रवाहित हुई हैं, जैसेसयी, टोंस (तमसा), ब्रेसू मगईं', गागी' I (3) दक्षिणी गया" घाटी दक्षिण में किथ्य और छोटा नागपुर फ्तार क्या उत्तर में गगा' नदी के बीच की घाटी दक्षिणी गगा३ घाटी है, यह जत्तोढ़ क्षेत्र बीच में चौडा है, जहाँ सोन नदी पुराने पहाडों से प्रवाहित होती हुई अपनी डेल्टा बनाती है; लेक्लि पुन: पूर्व क्षेत्र में राजमहल और किथ्य के निकट यह सीधे गगा" में मिल जाती है I दक्षिण से दक्षिण-पश्चिम और उत्तर से उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में इसकी ढाल है I इस क्षेत्र में जलोढ़ मिट्टी का मोटा जमाव नहीं है । नदी तट उबड़-खाबड है छोटे-छोटे पहाड टापू बनाने मेँ सहायक हुए हैं सोन नदी इस क्षेत्र क्रो दो भागों मे क्स्टती७ है 1पश्चिमी क्षेत्र, 2पूर्ची क्षेत्रा दक्षिणी गया" घाटी अपने पश्चिमी माग में पूर्व की ओर चौडी, और पश्चिमी भाग में सकीर्ण' है I यहाँ की ज़लोढ़ मिट्ठी फ्तार के निकट बिखरी हुई है, जो घाटी से कई मीटर ऊची" है I इस क्षेत्र की मुख्य नदी कस्मचास्रा है, जिसके पश्चिमी क्षेत्र में कुछ बस्साती धाराएँ एवं हस्पिस्ती भूमि है 1 करमनासा के पूर्व यह भूमि चौरस एव' एकरूप है, जो मुख्यत: अग्नि और कहीं-कहीं खादर है I mn‘ as? पटना-मुगलसराय रेलवे लाइन के उत्तर दिशा में प्रवाहित हो रही है दक्षिणी-पूर्वी गया' घाटी, जो कि पूर्व की और सक्रीर्ण" है, पठार क्षेत्र से निकट होने के कारण अपने दक्षिणी क्षेत्र से अधिक उबड़-खाबड़ है I दक्षिणी गगा' घाटी के पूर्वी क्षेत्र को खडगपुर. की फ्लाड्री दो अलगअलग मार्गों मे बाटी है । (I) सोन नदी से खड़गमुर के पहाड का क्षेत्र, (II) 12131131, फाड से राजमहल तक का क्षेत्रा यह क्षेत्र दक्षिणी गगा' घाटी के सबसे चौडे क्षेत्रों में से एक है, जिसके दक्षिणी क्षेत्र में भूमि की ऊचाई७ और उसके निकट की भूमि अपेक्षाकृत नीची है । निचली भूमि प्रत्येक वर्ष पठारी नदियों के जत से डूबी रहती है 1 स्या'फ्ला सदृश प्रतीत होने वाला पूर्वी क्षेत्र तीन दिशाओं से राजमहल एव' छोटा नागपुर के पहाडों से घिरा ह��आ है । चूना पत्थर का एक सकीर्ण' क्षेत्र, जो कि मात्र तीन किलोमीटर चौडी. है, मुगेर' से क्रोलोम्ब तक गया' के अगत-बगल सौ किलोमीटर तक फैली हुई है । यह एक प्रत्कृत्तिक दीवार की तरह नदी को रोकी है । (4) गडक'-क्रोसी घाटी (उत्तरी बिहार घाटी)तिरछा चतुर्युज क्षेत्र, जो गगा" के उत्तर में एक बहुत बड़ा क्षेत्र है, यह घाटी छोटी गडक' से मध्य गया' घाटी के पूर्वी क्षेत्र तक फैली हुई है । यह उत्तर-पश्चिम ने 150 मीटर 6%? दक्षिण … पूर्व में 35 मीटर ऊची७ है 1 इसके मध्य न केवल धाराएँ है, बल्कि कुछ तालाब, मानस या ताल के नाम से भी जाने जाते हैं एव' कुछ बालू से भरा हुआ पुर��ना नदी तट है । इस क्षेत्र 21% दो मुख्य नदी कोसी 6%? भडक" अफ्ते उपनदियों के साथ कोसी शफु' 6%? 112211‘ शकुं बनाती हुईं प्रवाहित हो रही हैं । ये दोनों शकु' जहाँ मिलते हैं, वहाँ एक अन्तर्वर्ती शकु' बना है । इसे बनाने के पीछे हिमालय 6%? गिवालिक३ पहाडी की धाराएँ, जैसे-क्लान, कमला, लखनदई, बागमती, ड्डी गडक' आदि मुख्य हैं 1 इन सभी घग्सओँ की प्रकृति शकु' से अलग है । ये शकु" जो तिकोने हैं, इधर-उधर बिखरे हुए हैं 6%? उत्तलाकार हैं । नदी के मुहस्ने 21% 6%? से इनके सबसे ऊपरी क्षेत्र नदी के तल 21% तरफ़ कोण बनाया है 1 अन्तर्बर्ती शकु" का गठन कुछ भिन्न है । ये अपने कोने की तरफ से अवतल हैं 1 इन सब शकु'ओँ की नति क्रोण 30 से 15 सेमी. के मध्य है, जबकि अन्तर्वर्ती शकु' की नत्ति कोण 15 से 10 सेमी. प्रति किलोमीटर हे 1 शकुओँ की समोच्व रेखाएँ उत्तर बुर्ज की तरह है 1 नीची जमीन होने के कारण अन्तर्बर्ती शकु' मुख्यत: ड्डी गडक" बागमती दोआब क्षेत्र अत्यधिक बाढ, का शिकार होता है । (ब) मथ्य गगा' घाटी. की जलवायु, वर्षा, मिट्ठी एवं जलस्रोतआस्त मे लौहयुग से गया' के मेदान में बस्तियों बनीं । ऐसी धारणा है कि गगा' के मेदान में लौह उपकरणों का प्रयोग घने जगतों" को साफ़ काने के लिए किया क्या 1 कुछ विद्धान इस तथ्य 21% पुष्टि के लिए उत्तर वैदिक कालीन साहित्य शतपथ ब्राह्मण 21% उस आरध्यायिक्रा (1 .4.1 .10-17) का उल्लेख करते हैं, जिसका सारांश है ."विदेघ माथव ने वैश्वानर अग्नि को मुख मेँ धारण किया था । घृत का नाम लेते ही वह अग्नि माथव के मुह७ से निकलकर पृथ्वी पर आ पहुची' । इस समय विदेध माथव सास्वती के तट पर निवास काते थे । वह अग्नि सब कुछ जलाती दुई पूर्व दिशा की 6%? आगें बढी और उसके पीछे-पीछे बिदेघ माधव तथा उनके पुरोहित गोतम रादूगण चले 1 वह नदियों को जलाती चली गयी । अकस्मात् वह सदस्तीरा (बिहार की वर्तमान गडक" नदी) क्रो नहीं जला पायी, जो उत्तरगिरिं (हिमालय) से बहती है ।' जहॉ' तक उत्तर वेदिक कालीन साहित्य 21% पुरातात्विक पुष्टि का प्रश्न है, उसके सम्बन्ध मेँ आपेक्षिक रूप से कुछ अघिक प्रमाण उफ्तब्ध हैं 1 सर्वप्रथम इस साहित्य में उपलब्ध लोहे का उल्लेख निराधार नहीं है । उत्तरी भारत से प्राप्त होने वाले लौहयुग के आगमन के जो सकैत' मिले हैं, वे न केवल उत्तर वेदिक कालीन साहित्य की भौगोलिक सीमाओँ के अत्तर्गतहैं, अपितु वे उतने तिथिक्रम के मी अन्तर्गत आ जाते हैं । जलवायु मध्य गया' घाटी 21% जलवायु की बिशेफ्ता सक्रमणात्मक' है । यह क्षेत्र न तो पजाब' 21% तरह या राजस्थान सदृश शुष्क हैं और न ही बगाल' सदृश नम । हाला की कृत्रिम ससाघनो' द्वारा स्थिति को नियत्रित्त' किया गया है । इस क्षेत्र में मुख्यत: तीन प्रकार की न्तुएत्रा७ पायी जाती हैं 1शीत ऋतु (नवम्बर से फाचरी) IIग्रीष्म ऋतु (मार्च से जून के मध्य) IIIवर्षा ऋतु (जून कै मथ्योंपरान्त से अक्टूबर तक) शीत वस्तु यह क्यु नवम्बर से फरवरी के अत' तक रहता है ।7 मौसम सर्वाधिक सौम्य, स्वच्छ एव‘ साफ रहता है तथा झ्या शुद्ध रहती हे एवं आकाश चीला रहता है । उस समय दिन गर्म एबं रात ठडक' भरी होती है l कभी-कभी इस क्षेत्र की पश्चिमी सीमा का तापक्रम 5° सेंटीग्रेड या 3° सेंटीग्रेड तक पहुच३ जाता है । पूर्वी क्षेत्र में औसत तापमान कम से कम 8 .9° सेंटीग्रेड से 12 .2° सेंटीग्रेड है, जबकि पश्चिमी क्षेत्र मे औसत तापमान से अधिक 23 ॰30 से 26.1० सेंटीग्रेड रहता है I° ग्रीष्म ऋतु यह वस्तु मार्च के प्रारम्भ से जून तक रहता है, हवा पश्चिम या उत्तर-पश्चिम दिशा से बहती है एवं इस समय इसका वेग क्रमश: बढता. जाता है । मार्च में इसका वेग 6 .4 क्खिगेमीटर प्रति घटा३ तथा मध्य जून में 10 किलोमीटर प्रति घटा' रहता है । इस समय पश्चिमी भारत में हवा का क्म दबाव बना रहता है F इस ऋतु में दिन में भीषण गर्मी पडती॰ है एवं रात मेँ विशेषतया सूर्योदय के कुछ घटे' पूर्व अपेक्षाकृत मौसम ठडा' ही जाता हे । वर्षा त्रस्तु सामान्यतया वर्षा ऋतु का प्रारम्भ मानसून की वर्षा से होती है एव' इसका प्रारम्भ जून के तीसरे सप्ताह 15 जून से 21 जून के मध्य से हो जाता है । इस समय आर्दता में भी वृद्धि होने लगती है (20 प्रतिशत से 60 प्रतिशत तक) । तापमान में भी कमी होने लगती है (42° सेंटीग्रेड से 35° सेंटीग्रेड तक) । इस समय गगा' घाटी में हवा का क्म दबाव बना रहता है ।1० झ्या का बहाव पांऐचम या उत्तर-पधिक्म से पूर्व या दक्षिण-पूर्व की ओर होता है । जुलाई एवं अगस्त के महीने में वर्ष भर को सर्वाधिक वर्षा होती हे l इस समय वर्षा 50 सेंटीमीटर के आसपास होती है । कृ, सितम्बर एवं अक्टूबर इन तीन महीनों में वार्षिक वर्षा 35 से 40 सेंटीमीटर तक होती है ।11 इस क्षेत्र में ख्याल. की खाडी सर्वाधिक वर्षा के स्रोत के रूप में महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करती है l खादर मिट्टी गगा' घाटी का अधिकांश क्षेत्र खादर मिट्ठी से आच्छादित है I यद्यपि सप्पूर्ण गगा' घाटी का क्षेत्र बहुत ही उर्वर है, फिर भी मध्य गगा' घाटी का क्षेत्र अपनी उर्वरता के लिए सुविख्यात है । अपेक्षाङ्म यह मिट्ठी नवीन काल की है । मध्य गगा' घाटी मे जलोढ़ अथवा काप३ (Alluvial) मिट्ठी मिलती है, जिसका निर्माण गया' एवं उसकी सहायक नदियों द्वारा बहाकर लायी गयी मिट्टी से हुआ है । यह खादर एव' कछारी मिट्टी है । खादर मिट्टी उन मैदानी भागों में पायी जाती है, जहाँ नदियों की बाढ़ का जल नहीं पहुच७ पाता है l इस क्षेत्र में आवरण क्षय होने के कारण मुलायम मिट्टी कटकर बह गयी है, जिससे विल्सी क्षेत्रो में .ककड' एवं कठोर मिट्ठी के टीले दिखाईं पडते_ हैं । नदियों क्रो बाढ़ के मैदानी मार्गो में कछारी या जलोढ़ मिट्टी मिलती है । जत्तोढ़ मिट्ठी हल्की रगवाली', छिद्रयुक्त, महीन कणों वाली तथा अधिक जल सोखने वाली होती है । इस मिट्ठी में चूना, पोटाश, मेग्निशियम एवं जीवाश' की मात्रा अधिक होती है । नदियों के प्रवाह क्षेत्र में बलुआ दोमट मिट्टी पायी जाती है तथा उसके समीप समतल धरातलीय मार्गों में दोमट तथा मटियार दोमट मिट्टी मिलती हैं l” W“ मिट्टी मध्य गया' घाटी क्षेत्र के ऊपरी भूमि में गागर७ मिट्टी का जमाव है । खादर से मिन इस क्षेत्र की भूमि का चिप्पड़ काफी कठोर होता है, जिससे इस क्षेत्र कै लोगों को कृषि कार्य करने में कुछ समस्याएं होती हैं । इस प्रकार का क्षेत्र गगा' सरयू दोआब का क्षेत्र डै । इसमें खादर की अपेक्षा बब्लू…,ककड' की मात्रा अधिक है तया इस प्रकार की मिट्टी चावल की कृषि के त्तिये अच्छी मानी जाती हे I वनस्पति भारत के प्रमुख उर्वर क्षेत्रों में मध्य गया' घाटी का क्षेत्र भी एक हैं । यहौं की प्राकृतिक सरधना' ऐसी है कि सर्वत्र हरियाली रहती है I इस क्षेत्र में प्तामान्यतया साल, भाबर साल, बबूल, पीफ्त, खैर, नीम, शमी, कांस आदि के वृक्ष पाये जाते हैं । खाद्यान्न में चावल, गेहूँ ज्वार, जौ, बाजरा, चना, मवकै की खेती होती है तथा नकदी फसल गन्जा का उत्पादन अत्यधिक होता है । फलों मेँ आम, केला, नीबू अमरूद, जामुन, महुआ, बेर आदि का उत्पादन किया जाता हैं । उत्तरी गोरखपुर, सहरसा एवं पूर्णिया जित्ते में साल के जगल' हैं । प्रमुख नदियों किसी भी क्षेत्र की मानव सस्कूति' का मुख्य आधार नदी रही है । प्राय: नदियों के क्तिरि ही मानव सस्कृति' ने जन्म लिया एवं पल्लक्ति-पुप्सित हुआ । नदी तट पर निवास करने से मानव को बहुत से ताम हुए, ययाकृषि, व्यापा�� इत्यादि का मुख्य आधार जल ही है, जो नदी से प्राप्त होता है । ��सी कारण लगभग 90 प्रतिशत से अधिक पुरास्थल नदी तट पर ही अवस्थित हैं । यहाँ से उम्हें देनन्दिन जीवन में काम आने वाला जल की सहज सुलभता ही क्सने के लिए प्रेरित करती है I ज्ञातव्य है कि बारहमासी नदी के तट पर ही अधिकांश सस्कृतिया३"७ क्सी, जबकि बस्सात्ती नदी के किनारे मानव समूहों का निवास अपेक्षाझ्व कम रहा है । इसी कारण भारत की सात पव��त्र नदियाँ देश के सभी निवासियों के लिये समान रूप से श्रब्बेय रही हैं ।13 प्राचीन काल में सडक. निर्माण काना अत्यन्त दुष्कर कार्य था । अत: व्यापार या सचरण' हेतु एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए सक्से सुगम एवं सरल मार्ग जल…मार्ग ही था । यहीँ कारण है कि बडे-बड़े व्यम्पास्कि केन्द्र, जो प्राचीन भारत में विकसित हुए, वे नदी…तट पर ही अवस्थित ये, जैसे… पाटलिपुत्र गगा" एवं सोन के तट पर, राजघाट (वाराणसी) गगा' नदी के तट पर, उज्जैन शिप्रा नदी के तट पर, हस्तिनापुर, काम्पिल्य एवं घृफ्तेरपुर' गगा' तट पर मधुरा और कौशाम्बी यमुना के तट पर एच' श्रावस्ती राप्ती नदी के तट परा अनेक लाभ होने के कारण ही नदियों को पूजा जाने लगा एवं नदी-तट पर क्से कुछ प्रमुख नगर प्रमुख धार्मिक नगरी के रूप में विकसित हुई, क्याआंथ्या, काशी, मधुरा आदि I“ इसकी महत्ता को ध्यान में रखकर ही प्राचीन काल मेँ नदियों के अधिकार को लेका दो राज्यों के मध्य सघर्ष' होता रहता था । उदाहरण के लिए, म्हाज़नपद काल में गडक' नदी के जल को लेकर दो महत्त्वपूर्ण शक्ति वज्जि एवं मल्ल के मध्य प्राय: सघर्ष३ होता रहता था I आज भी यह परम्परा दिखाई पडती, है कि दो राज्यों के मध्य नदी-जल बटवारा७ हेतु विवाद बना रहता है । इस क्षेत्र में गया' की अनेक सहायक नदियों कुछ हिमालय से एवं कुछ अन्य क्या स्थलों से निक्लका आती हैं तथा विमिन्न स्थानों पर गगा' से मिल जाती है । इसकी पाच" प्रमुख सहायक नदियों निन्ताकित' हैं ~ 1घाघरा नदी 2… गडक" नदी 3च्चा कोसी नदी 4सोन नदी 5गया" की अन्य सहायक नदियों (1) घाघरा नदी घाघरा नदी हिमालय से निक्लती है एवं अधिकतम 2, 37, 321 क्यूसेक जल प्रवाहित होता है । यह 12 सेंटीमीटर प्रति किलोमीटर ढलुआ होती गयी है ।15 राप्ती भी हिमालय पर्बत से ही निकलती है एवं यह नेपाल में स्थित हिमालय से प्रवाहित होती है I छोर्टा गडक' एवं इसकी सहायिका राप्ती ल्या बूढी. राप्ती, बानगगा', घोंघी, रोहिन इत्यादि शिवालिक पहाडी (Foothills) से प्रवाहित होती है I16 (2) गंडक ~ गडक' की कोई मुख्य सहायक नदी नहीँ हैं । यह सात धाराओं से मिलकर क्वी हैं, इसलिए इसे ��प्ताख्मी' भी कहा जाता है । वानरी, झरेही, दाहा, गडकी', देवरा, माही, घनौती, बाया, सारन और क्ली प्रकार अनेक क्षेत्रों को यह नदी सिक्ति" कस्ती है । इसकी ढलान दक्षिण-पूर्व दिशा की और गगा' एवं घाघरा से मी अघिक 18 सेंटीमीटर प्रति बिल्लीमीटर है । गडक' की थारा निरतर' बदलती है, जिसके कारण यह नदी बाढ द्वारा अपने क्षेत्र में घाघरा नदी की अपेक्षा अधिक विनाश फैलाती है । (3) कोसी मुख्य शाखा सूर्य कोसी है, जो पश्चिम से पूर्व की ओर प्रवाहित होती है एवं यह मुख्य धारा छ: अन्य थाराओ से मिल जाती है I त्तिलावे एवं कुछ अन्य धाराएँ, यथासुगर्वस बलान, कमला इत्यादि कोसी में मिलती हैं । क्रोसी ऐसी नदी है, जो हिमालय से निकलने वाली अन्य नदियों से सर्वाधिक क्षेत्रों में विस्तृत (फैली हुई) है । इसका विस्तार 24000 वर्ग मील (लगभग 61,440 वर्ग बिग्लोमीटर) है I" यह नदी जल के साथ बाबू छोटे-बड़े पाषाण के दुवड़े आदि मारी मात्रा में लाती है । परिणास्वरूप यह सहायक पदार्घ इस क्षेत्र में बाढ, का एक प्रमुख कारण बन जाता है । कोसी से 2,00,000 क्यूसेक जत्त प्रवाहित होता रहता है I" अपनी विनाशकारी बाढ के कारण यह नदी 'बिहार का शोक' के नाम से कुख्यात है । यह नदी वर्षा वस्तु में अधिक सक्रिय हो जाती है । (4) सोन … मथ्य गगा' घाटी मे सोन ही एक ऐसी नदी है, जिसकी कोई सहायक नदी नहीँ है I इस नदी की चौडाई. लगभग 3 .2 बिग्लोमीटर है । वर्षा त्रस्तु में इसमें जल बहुत तेजी से प्रवाहित होता है, परन्तु वर्षा क्यु के तुरन्त बाद इसमे जल की कमी हो जाती है । ग्रीष्म क्तु में इसमें जल की मात्रा में अत्यन्त कमी हो जाती हे एव' नदी में केवल लाल बालू ही दिखाईं पडता. है । (5) गगा' को अन्य सहायक नदियाँ … गगा' की सहायक नदियों को हम दो व्यवस्थाओं के अन्तर्गत स्खते हैं । व्यवस्था से तात्पर्य इन दो नदियों की सहायक नदियों से है । घाघरा व्यवस्था … घाघरा नदी का उदगमत्र (कुक्यूँ पहाड़) हिमालय हैं एवं इसकी क्लान 12 सेंटीमीटर प्रति किलोमीटर है, जो गगा' के 9.5 सेंटीमीटर प्रति किलोमीटर ढलान से 2.5 सेंटीमीटर प्रति बिग्लोमीटर अधिक है । यह एक ऐसी महत्त्वपूर्ण नदी है, जो सरयूपार क्षेत्र की भौगोलिक सीमा के निर्घारण में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा काती है I यह नदी अपने उदूगम स्थल से निकलने के पश्चात् चौका, क्रोरिथाता, राप्ती, मनोरमा, छोटी गडक' आदि नदियों का जल ग्रहण काते हुए सरपूपार क्षेत्र में आगे बढती, है I इस नदी के दक्षिणी तट तथा बक्खीह एवं रेवती के करबो के उत्तर की समग्र निक्ली भूमि बाढ, में डूब जाती है I इसके अस्थिर प्रवाह के कारण इसके उपत्यका में क्से लोगों को प्राय: वर्षा त्रस्तु में काफी कष्ट झेलने पडत्ते॰ हैं । बलिया जिले में घाघरा की कोई बडी. सहायिका नहीं है । एक छोटी नदी हाहा या अहार मऊ जनपद के स्तोईं ताल से निक्लकर तुर्तीपार से 4.8 किलोमीटर पश्चिम में घाघरा में मिल जाती है । दुसरी सहायिका बहेरा है, जो मनियर के पास घाक्स में मिलती है l एक अन्य छोटा नाला नुडियारी. दहताल से होता हुआ मनियर के पूरब में घाघरा में मिल जाता है । इसी प्रकार टेगरहा, जो घाघरा की छाडन, है, मनियर से कुछ दुर पूर्व से निकलकर खरीद परगना होती हुई चाद७ दियरा के पास घाघरा में पुन: मिल जाती है । कूँआनों नदी की एक सहायक नदी आमी है, जिसका उद्दभव बस्ती जिले के डोंमरियागज' तहसील के सिकहारा ताल से हुआ है, जो पूर्व की तरफ बहती हुई आगे चलकर महत्वपूर्ण पुरास्थल सोहगोस के पास राप्ती नदी में क्ति जाती है । राप्ती नदी भी देवरिया जिले के सलेमपुर तहसील में महेन बाबू नामक ग्राम कै पास घाघरा नदी में मित जाती हैं । राप्ती व्यवस्थाराप्ती नथी फा उपूगम नेपाल में स्थित हिमालय की पर्वत श्रृंखला से है, जबकि लौटी m पां राप्ती कै धाये बिच्चारे पर स्थित अन्य सहायक नदियों, जेसेबूढी राप्ती, घुडई. एवं रोहिन का उइगम स्का रिम्पालिक की पर्यंत श्रेणियों है, जबकि आपी, कुँआनों एव' मनवार जैसी नदियों का उदूगम स्थल सरकूग़र षेत्र में स्थित ताल है । राप्ती व्यवस्था की समी नदियों भयानक बाढ़ के कारण इस क्षेत्र के श्राप हैं । वर्षा ऋतु में घाघरा एवं राप्ती नदियों का प्रवाह अनवरत बदलता रहता है, जिसके कारण इसके किनारे के क्षेत्रों मे जमाव या कटाव दोनो वड़े पैमाने पर होते हैं । राप्ती व्यवस्था की अन्य सहायक नदियों निम्न हैं ८ (1) वनगगा' नदी ७ एक किवदन्ती" के अनुसार इसकी उत्पत्ति धनुर्धर अर्जुन द्वारा घरती पर तीर मारने से हुई है । वास्तव मैं यह नेपाल की पहाडी, स्थल से उद्गपित होका एक लम्बी यात्रा तय करने के पश्चात् बस्ती के नोगढ़ तहसील में प्रवेश करके उस्का बाजार के कार्मी नामक गाव३ के पास राप्ती नदी में मिल जाती है । (2) धाप्पी नदी इसका उदूगम नेपाल के पूर्वोत्तर पहाड से हे, जो गोस्खमुर जिले से होती हुईं बस्ती जित्ते कै कार्मी नामक ग्राम कै निकट राप्ती नदी मै मिल जाती है । यह स्थान उस्का बाजार के दक्षिण में स्थित है । सुंम्हास एवं धाम्मी की सयुक्त' धारा क्रो घामेल के नाम से जाना जाता है I (3) सुंग्रहारा नदी इसका उदूगम स्थल भी नेपाल ही है । यह दक्षिण की और बहती हुई बस्ती जिले के विनायकपुर परगना मे खैराती नामक गाव" के निक्ट बस्ती में प्रवेश कस्ती है । जहाँ तीतार नामक फ्तत्ती धारा, जो सिसवा एवं मारती की सहायक धारा है, क्या से मिलती है । इस सगम" के पश्चात् कुनहारा दक्षिण दिशा में बहती है । उसके प्रवाह काल में डिम्मी, जमुआर एवं तराई क्री अन्य सहायक छोटी धाराएं इनसे मित जाती हैं, दक्षिण दिशा मे निस्ता प्रवाह के पश्चात् उस्का बाजार नटचा ताल के पास राप्ती नदी में मिल जाती है । (4) जमुआर नदी यह एक ऐसो घास है, जो बस्ती जिले में जाकर मुसानी एवं म��ाही नामक दो धाराओं में मिल जाती है । आगे दक्षिण में चलकर नौगढ़ के समीप इसके बायें विल्तारे से बुद्धियार नामक अन्य सहायक धारा इसपे मिल जाती है । इसके पश्चात् दक्षिण दिशा में थोडी, दूर पर कर-छुतिया नामक स्थान पर जमुआर कुनक्ला नदी मेँ क्ति जाती है । ३ (5) प्रित्कारी नदी यह बूढी. राप्ती की दूसरी सहायक नदी है, जो बुद्धि के नजदीक से निक्तने के पश्चात् कुछ विल्लोनीटर दक्षिण में चलकर पुन: मिश्रोत्तिया के नज़दीक राप्ती में मिल जाती है । (6) आराह नदी यह भी बूढी, राप्ती की सहायक नदी है, जो नेपाल की उत्तरी पहाडियों॰ से निकलकर दक्षिण क्री तरफ़ बहती है । इसके पश्चात् यह गोंडा एवं बस्ती जिलों के मध्य सोमा का निर्धारण कश्ती हुई काउखाट के पूर्व दिशा में बूढी. राप्ती में मिल जाती है । (7) बूढी. राप्ती नदी नेपाल के पश्चिमी' पहाड से निकत्तका बस्ती जित्ते की पश्चिमी सीमा क्रो बनाती हुई उदयपुर जोजिया के पश्चिम मेँ दाउदपुस्वात्त नामक गाव" के निक्ट बनगगा३ नदी में मिल जाती है I यह राप्ती की प्रमुख सहायिका नदी है l
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