#बिहार चुनाव में महिला वोटर का असर
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Bihar Election 3rd Phase Voting : रंग लाई पीएम मोदी और सीएम नीतीश की अपील, बूथों पर दिख रही महिला मतदाताओं की भीड़, क्या हैं इसके मायने
Bihar Election 3rd Phase Voting : रंग लाई पीएम मोदी और सीएम नीतीश की अपील, बूथों पर दिख रही महिला मतदाताओं की भीड़, क्या हैं इसके मायने
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नीलकमल, पटना बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के तीसरे और अंतिम चरण के मतदान में भी पहले और दूसरे चरण की तरह महिला वोटरों की संख्या ज्यादा देखी जा रही है। प्रचार के दौरान जहां चुनावी सभाओं में पुरुषों की अपार भीड़ देखी जा रही थी। वहीं मतदान के दिन महिला वोटर का बढ़ चढ़कर अपने मताधिकार का प्रयोग करती नज़र आ रही है। तो क्या यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का छठ पर दिए बयान का असर है। क्योंकि दूसरे चरण…
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मोदी...मुस्लिम और महिला वोटर, बिहार में NDA की जीत के ये हैं तीन कारण
चैतन्य भारत न्यूज बिहार में एक बार फिर एनडीए की अगुवाई में सरकार बनने जा रही है। देर रात आए नतीजों के बाद जीत की तस्वीर साफ हो गई। राज्य में सत्ता विरोधी लहर और विपक्ष की कड़ी चुनौती को पार करते हुए नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने 243 सीटों में से 125 सीटों पर जीत प्राप्त कर बहुमत का जादुई आंकड़ा हासिल कर लिया। वहीं, युवा तेजस्वी यादव की अगुवाई में लड़ा महागठबंधन जादुई नंबर पाने से चूक गया। बिहार में एनडीए की इस अप्रत्याशित जीत के लिए तीन एम फैक्टर सामने आए हैं, जिनके दम पर फिर सरकार बनती दिख रही है। पहला फैक्टर: M से मोदी तमाम सर्वे में इस बार दिख रहा था कि महागठबंधन एकतरफा जीत हासिल कर लेगा। वहीं, नीतीश कुमार के प्रति जनता में गुस्सा था। लेकिन जब बिहार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एनडीए की ओर से मोर्चा संभाला तो हवा का रुख बदलना शुरू हुआ। पीएम मोदी ने करीब एक दर्जन सभाएं की, कई रैलियों में वो नीतीश कुमार के साथ भी नज़र आए। पीएम ने लगातार नीतीश की तारीफ की, लोगों से अपील करते हुए कहा कि उन्हें नीतीश सरकार की जरूरत है। इसके अलावा केंद्र की योजनाओं का गुणगान हो, राष्ट्रीय मुद्दों को लेकर विपक्ष पर वार करना हो या फिर राजद के जंगलराज का जिक्र कर तेजस्वी पर निशाना साधना हो, पीएम मोदी ने अकेले दम पर एनडीए के प्रचार को आगे बढ़ाया। जिसने हार और जीत का अंतर तय कर दिया, नतीजों ने भी दिखाया कि जहां जदयू को सीटों में घाटा हुआ वहां पर बीजेपी की बढ़त ने एनडीए को बहुमत तक पहुंचा दिया। दूसरा फैक्टर: M से महिलाएं एनडीए की जीत का एक अहम फैक्टर बिहार की महिला वोटर रहीं। बिहार में महिला वोटरों को नीतीश कुमार का पक्का मतदाता माना जाता रहा है, जो हर बार साइलेंट तरीके से नीतीश के पक्ष में वोट करता है। यही नतीजा इस बार के चुनाव में भी दिख रहा है। इसके अलावा महिलाओं का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी कई योजनाओं पर विश्वास 2019 के लोकसभा चुनाव में भी दिखा और अब फिर इसका असर पहुंचा है। केंद्र सरकार की उज्ज्वला योजना, शौचालयों का निर्माण, पक्का घर, मुफ्त राशन, महिलाओं को आर्थिक मदद जैसी कई ऐसी योजनाएं हैं जिनका सीधा लाभ महिलाओं को होता है। इसके अलावा राज्य सरकार द्वारा की गई शराबबंदी के पक्ष में भी बिहार की महिलाएं बड़ी संख्या में नज़र आती हैं। ऐसे में फिर एक बार एनडीए की जीत में 50 फीसदी आबादी निर्णायक भूमिका निभाते नज़र आए हैं। तीसरा फैक्टर: M से मुस्लिम बिहार में मुस्लिम मतदाता मुख्य रूप से राजद के साथ जुड़ता रहा है और यही कारण है कि राजद का M+Y समीकरण निर्णायक माना जाता रहा है। राज्य में करीब 17 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं, जो हार जीत का अंतर पैदा कर सकते हैं। लेकिन इस बार यही वोटर अलग-अलग हिस्सों में बंटते हुए नज़र आए, जिसका फायदा एनडीए को हो गया। इस बार मुस्लिम मतदाताओं के सामने कई तरह के ऑप्शन थे, राजद की अगुवाई में महागठबंधन चुनाव लड़ रहा था तो ��हीं बिहार में AIMIM ने भी बड़ी जीत हासिल की। इसके अलावा बसपा जैसी पार्टियां भी अपने क्षेत्र में मुस्लिम वोटरों को लुभा पाईं। असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM इस बार चुनाव में पांच सीटों पर जीत हासिल कर पाई, जिसे राजद का बड़ा वोट माना जा रहा है। और इन्हीं सीटों ने महागठबंधन की जीत में रोड़ा अटका दिया। बता दें बिहार में इस बार NDA को 125 सीट मिली हैं, जिनमें से बीजेपी के खाते में 74, जदयू के खाते में 43, विकासशील इंसान पार्टी के खाते में 4 और हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) के खाते में 4 सीटें गई हैं। दूसरी ओर महागठबंधन में राजद को कुल 75, कांग्रेस को 19 और लेफ्ट पार्टियों को मिलाकर 16 सीटें मिल पाई हैं। Read the full article
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बिहार के विधानसभा चुनावों के साथ-साथ मंगलवार को 11 राज्यों की 56 विधानसभा और बिहार की वाल्मीकिनगर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनावों में भाजपा ने बड़ी सफलता हासिल की है। मध्यप्रदेश में तो शिवराज सिंह चौहान की मुख्यमंत्री सीट पक्की हो गई है, वहीं गुजरात में भाजपा ने अपनी स्थिति को और मजबूत कर लिया है।
बिहार के साथ-साथ उपचुनावों को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले साल की नीतियों, उपलब्धियों पर जनमत संग्रह के तौर पर देखा जा सकता है। कोरोनावायरस महामारी को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन, बेरोजगारी, खस्ताहाल इकोनॉमी के साथ-साथ नए किसान कानून और चीनी सेना के लद्दाख में घुस आने के मुद्दों पर जनता की राय सामने आ रही है। इस दौरान जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाना, वहां जमीन लेने का अधिकार सभी भारतीयों को देना, राम मंदिर का भूमिपूजन भी कुछ ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर वोटर ने मुहर लगाई है।
बिहार की लोकसभा सीट पर जेडी(यू) आगे जेडी(यू) सांसद बैद्यनाथ प्रसाद महतो के फरवरी में निधन के बाद वाल्मीकिनगर लोकसभा सीट पर उपचुनाव जरूरी हो गया था। इस पर जेडी(यू) के प्रत्याशी सुनील कुमार शुरुआती रुझानों में आगे चल रहे हैं।
गुजरात की 8 में से 7 सीटों पर भाजपा आगे गुजरात उपचुनावों के शुरुआती रुझानों में भाजपा 8 में से 7 सीटों पर आगे चल रही है। एक सीट पर कांग्रेस आगे है। गुजरात में 8 सीटों पर उपचुनाव जरूरी हो गए थे, क्योंकि जून में राज्यसभा चुनावों से ठीक पहले कांग्रेस के 8 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया था।
कांग्रेस ने 1995 के बाद अपना बेस्ट परफॉर्मेंस देते हुए 2017 में 77 सीटें जीती थीं और वह चाहती है कि सभी 8 सीटें उसकी ही झोली में आएं। भाजपा की राज्यसभा सीटें कायम रखने के लिए जिन 8 विधायकों ने कांग्रेस छोड़ी थी, उनमें से 5 को भाजपा ने टिकट दिए हैं। गुजरात में उपचुनावों के नतीजे सरकार पर सीधा असर नहीं डालेंगे, क्योंकि यहां भाजपा के पास 182 सदस्यों वाले सदन में 103 सीटें हैं। वहीं, कांग्रेस के पास फिलहाल सिर्फ 65 सीटें ही हैं। गुजरात में स्थानीय निकायों के चुनाव भी होने हैं, इसलिए उपचुनावों में वोटर्स का मूड समझना अहम होगा।
उत्तरप्रदेश (7 सीटें): योगी का प्रभाव कम हुआ 2017 में जब भाजपा ने एकतरफा जीत हासिल की थी तो कई दशक के बाद इन 7 में से 6 सीटों पर जीत हासिल की थी। एक सीट पर SP का विधायक था। उपचुनावों के नतीजों के शुरुआती रुझान बताते हैं कि 7 में से 5 सीट पर भाजपा आगे है। इन सातों सीटों पर कानून-व्यवस्था, ख��सकर महिला सुरक्षा, दुष्कर्म और जाति-आधारित संघर्षों को देखते हुए योगी आदित्यनाथ सरकार का बड़ा टेस्ट है। एक सीट पर निर्दलीय और एक सीट पर सपा आगे चल रही है।
कर्नाटक में भाजपा को दो सीट का फायदा कर्नाटक, झारखंड, नगालैंड, मणिपुर में 2-2- सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं। कर्नाटक में दोनों सीटों पर कांग्रेस और JD(S) ताकतवर थे। इसके बाद भी दोनों सीटों पर भाजपा आगे चल रही है। इस तरह बीएस येदियुरप्पा सरकार को मजबूती मिल रही है।
झारखंड में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दुमका सीट छोड़ दी थी, वहीं कांग्रेस के एक विधायक की मौत हुई थी। दुमका में भाजपा आगे चल रही है, जिससे मुख्यमंत्री की स्थिति कमजोर होती दिख रही है। वहीं, दूसरी सीट पर कांग्रेस आगे है।
नगालैंड में 3 विधायकों का निधन होने पर उपचुनाव जरूरी थे और दोनों ही जगह निर्दलीय प्रत्याशी आगे हैं। मणिपुर में 2 सीटें भाजपा की झोली में जाती दिख रही हैं।
ओडिशा में जिन 2 सीटों पर उपचुनाव हुए थे, वहां भाजपा और बीजद (BJD) के पास एक-एक सीट थी। शुरुआती रुझानों में दोनों सीटें BJD को जाती दिख रही हैं। दोनों ही पार्टियों ने पूर्व विधायकों के बेटों को टिकट दिए हैं। ताकि संवेदना के आधार पर वोट हासिल कर सकें।
तेलंगाना में भाजपा, हरियाणा में कांग्रेस तेलंगाना की एक सीट पर भाजपा ने बढ़त बना ली है। यह सीट TRS विधायक के निधन से सीट खाली हुई थी। हरियाणा में जाट बहुल सीट कांग्रेस के कब्जे वाली रही है। यहां मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को भाजपा के लिए मौका दिख रहा है, लेकिन कांग्रेस यहां आगे चल रही है। छत्तीसगढ़ में अजित जोगी के निधन से खाली हुई मरवाही सीट पर दो दशक से उनके परिवार का ही कब्जा रहा है। इस सीट पर कांग्रेस आगे चल रही है।
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Bihar Election Results: BJP: Gujarat UP Madhya Pradesh Vidhan Sabha Chunav Praninam 2020 Latest News Today Updates; Vijay Rupani, Shivraj Singh Chouhan, BJP Party MLA Candidate
from Dainik Bhaskar /national/news/bihar-election-results-gujarat-up-madhya-pradesh-vidhan-sabha-chunav-praninam-2020-latest-news-today-updates-vijay-rupani-shivraj-singh-chouhan-127901637.html via IFTTT
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नमस्कार!
अच्छी खबर है कि देश में एक्टिव केस एक महीने से लगातार घट रहे हैं। अब सिर्फ 4.34% एक्टिव केस हैं। इस मामले में भारत दूसरे से तीसरे नंबर पर आ गया है। बहरहाल, शुरू करते हैं मॉर्निंग न्यूज ब्रीफ...
सबसे पहले देखते हैं बाजार क्या कह रहा है
BSE का मार्केट कैप 159 लाख करोड़ रुपए रहा। करीब 46% कंपनियों के शेयरों में गिरावट रही।
2,795 कंपनियों के शेयरों में ट्रेडिंग हुई। 1,283 कंपनियों के शेयर बढ़े और 1,310 कंपनियों के शेयर गिरे।
आज इन इवेंट्स पर नजर रहेगी
दुबई में IPL का पहला क्वॉलिफायर शाम साढ़े सात बजे से। मुंबई-दिल्ली की टीमें आमने-सा��ने होंगी।
प्रधानमंत्री मोदी वर्चुअल ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में अपनी बात रखेंगे।
लोन मोरेटोरियम मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई।
देश-विदेश
अहमदाबाद में हादसा
अहमदाबाद में बुधवार को केमिकल फैक्ट्री में आग लगने और विस्फोट होने से पास के टेक्सटाइल गोदाम की छत गिर गई। आग पूरे गोदाम में फैल गई। उस वक्त वहां 24 कर्मचारी काम कर रहे थे। इनमें से 12 की मौत हो गई। हादसा बॉयलर फटने से हुआ। एक के बाद एक 5 धमाके हुए।
देश में अब सिर्फ 4.34% एक्टिव केस
देश में एक्टिव केसों में एक महीने से लगातार गिरावट आ रही है। इस मामले में भारत अब दूसरे से तीसरे नंबर पर आ गया है। यहां दुनिया के कुल एक्टिव केस में सिर्फ 4.34% मरीजों का इलाज चल रहा है। 26% के साथ अमेरिका पहले नंबर पर और 11% के साथ फ्रांस दूसरे नंबर पर है। इटली और बेल्जियम भी टॉप-5 देशों में शामिल हो गए हैं।
अर्नब गोस्वामी गिरफ्तार
मुंबई पुलिस ने रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी को बुधवार सुबह गिरफ्तार कर लिया। अर्नब पर 2018 में एक महिला और उसके बेटे को खुदकुशी के लिए उकसाने का आरोप है। उधर, अर्नब का आरोप है कि पुलिस ने उनके साथ मारपीट की। इस बीच अर्नब पर महिला पुलिस से मारपीट का केस भी दर्ज किया गया है।
ऐलान से पहले ट्रम्प का जीत का झूठा दावा
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रम्प ने जीत का झूठा दावा कर दिया। झूठा इसलिए, क्योंकि भारतीय समय के मुताबिक बुधवार रात तक भी जब नतीजे साफ नहीं हो पाए थे, उससे पहले ही ट्रम्प ने कह दिया था कि हम चूंकि हम जीत गए हैं, तो अभी भी जहां-जहां वोटिंग चल रही है, वह सारी वोटिंग रुक जानी चाहिए। इसके लिए हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।
फंस गए रे अमेरिकी इलेक्शन
इस बार चुनाव नतीजों में देरी हो रही है। ऐसा सिर्फ कोरोनावायरस की वजह से हो रहा है। 68% वोटर्स ने अर्ली-वोटिंग की है यानी इलेक्शन-डे से पहले। इसमें वोटर्स को पोस्टल बैलेट देने की परमिशन भी है। पोस्टल बैलेट की गिनती धीमी होती है, क्योंकि वोटर और गवाह के दस्तखत और पतों का मिलान करना होता है। अगर कानूनी लड़ाई शुरू हुई तो नतीजे आने में हफ्ता भी लग सकता है।
डीबी ओरिजिनल
पॉजिटिव खबर
राजस्थान के दुर्गाराम चौधरी महज 12 साल की उम्र में घर में किसी को बिना बताए ट्रेन ��ें बैठ गए थे। बस मन में यही था कि कुछ करना है। 150 रुपए लेकर घर से निकले थे, आज दो कंपनियों के मालिक हैं। कंपनियों का टर्नओवर 40 करोड़ रुपए से ज्यादा है।
बिहार से रिपोर्ट
सीमांचल के चार जिलों पूर्णिया, कटिहार, अररिया व किशनगंज में 24 विधानसभा क्षेत्र हैं और करीब 60 लाख मतदाता। मुस्लिम वोटर्स के लिए ओवैसी भाजपा की टीम ‘B’ हैं। उनका कहना है कि उन्हें वोट देना यानी वोट खाई में फेंकने जैसा है।
भास्कर डेटा स्टोरी
कोरोना की वजह से पढ़ाई मुश्किल हो गई है। लॉकडाउन के दौरान बच्चे घर पर रहे और इस दौरान देश के 11% पैरेंट्स ने नए मोबाइल लिए ताकि उनके बच्चे पढ़ सकें। चार में से एक बच्चे के पास न तो कॉपी-किताबें हैं और न ही घर में कोई पढ़ाई में मदद करने वाला। ASER या असर की रिपोर्ट में ये बातें सामने आई हैं।
सुर्खियों में और क्या है...
उत्तर प्रदेश के अमेठी में चौंकाने वाला मामला सामने आया। यहां के त्रिलोकपुर गांव में एक बैग में 5 महीने का बच्चा मिला। बैग में सर्दियों के कपड़े, जूता, जैकेट, साबुन, विक्स, दवाएं और 5 हजार रुपए भी रखे हुए थे। इस बैग में एक खत भी था। लिखा था- मेरे बेटे को 5-6 महीने पाल लो, मैं हर महीने पैसे दूंगा।
सरकार ने फौजी अफसरों के बारे में दो प्रस्ताव तैयार किए हैं। पहला यह कि समय से पहले रिटायरमेंट लेने वाले अधिकारियों की पेंशन कम हो जाएगी। दूसरा यह कि रिटायरमेंट की उम्र भी बढ़ा दी जाएगी। मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया है।
फ्रांस से 3 और राफेल भारत आ गए। इन एयरक्राफ्ट ने 7364 किलोमीटर का सफर बिना रुके 8 घंटे में पूरा किया और इस दौरान उनकी 3 बार मिड-एयर री-फ्यूलिंग भी हुई। अब भारत के पास 8 राफेल हो गए हैं।
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Decision on Lone Moratorium and IPL's first finalist today; Trump's false claim before victory in America
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चुनाव की तारीखों का ऐलान हुआ और साथ ही बिहार में चुनावी सरगर्मी तेज हो गई। सभी पार्टियां अपनी तरफ से लुभावने दावों के दौर में प्रवेश कर चुकी हैं। लेकिन, बिहार की आधी आबादी यानी महिला वोटर्स क्या सोच रही है, यह एक बड़ा सवाल है। ऐसा इसलिए क्योंकि बिहार एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां पुरुषों की तुलना में महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत ज्यादा होता है।
इस आधार पर यह कह सकते हैं कि बिहार में सरकार की लगाम आधी आबादी के हाथों में आ चुकी है। महिलाओं ने लगातार हर चुनाव में, बार-बार यह साबित किया है कि उनका वोट पार्टियों की जीत या हार में निर्णायक भूमिका निभा सकता है।
यही वजह रही कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी सरकार के फैसलों में बालिका शिक्षा से लेकर महिलाओं को पंचायत चुनाव में आरक्षण देने जैसी पहल की, जिसका फायदा भी उन्हें मिलता रहा। लेकिन, इस बार बहुत कुछ बदला हुआ है। आधी आबादी की ओर से उठते सवाल यह सोचने को मजबूर कर रहे हैं कि क्या वाकई इस बार सब कुछ पहले जैसा ही रहेगा या कि कुछ बदला-बदला सा दिखेगा!
यह सवाल इसलिए भी कि इस बार बिहार चुनाव सामान्य परिस्थितियों में नहीं बल्कि कोरोना के भय के बीच हो रहा है। राजनीतिक पार्टियों में भी इस बात को लेकर आशंका है कि क्या इस बार भी वोटर हमेशा की तरह घर से बाहर निकलेंगे या नहीं। इस लिहाज से महिलाओं की वोटिंग का मसला और गंभीर हो जाता है।
इन दिनों महिलाएं आमतौर पर वैसे भी घर से कम ही निकल रही हैं। उन्हें कोरोना का डर है कि कहीं परिवार के अन्य सदस्यों, खासकर बच्चों में संक्रमण की कैरियर न बन जाएं। उनकी चिंता गैरवाजि�� भी नहीं है।
उषा झा उद्यमी हैं और कहती हैं, अगर हालात सही रहे, तभी वोट डालने जाएंगी।
महिलाओं पर खुद के साथ अपने बच्चों ही नहीं, घर के बड़े-बुजुर्गों की देखभाल की दोहरी जिम्मेदारी भी होती है। मौजूदा दौर में तो कोरोना संक्रमण के भय ने उन्हें चौतरफा जिम्मेदारी के एक नए अहसास में घेर दिया है।
कामकाज के कारण मजबूरी में पुरुष तो कोरोना जनित विपरीत हालात में भी घर से बाहर काम करने को निकल रहे हैं, लेकिन वर्किंग महिलाओं को छोड़कर ज्यादातर महिलाएं घरों से कम ही निकल रही हैं। वर्किंग महिलाएं भी सुरक्षा कारणों से वर्क फ्रॉम होम ही ज्यादा पसंद कर रही हैं।
हमने जानी महिलाओं से उनकी राय अपने ऐसे ही कुछ सवाल लेकर हम सीधे महिलाओं तक पहुंचे। सबसे पहले हमारी मुलाकात महिला उद्यमी उषा झा से हुई। वोट डालने जाएंगी या नहीं? उनका सीधा जवाब था यह परिस्थितियों पर निर्भर करता है। मतदान केंद्रों पर कोरोना से बचाव को लेकर की गई तैयारियों से संतुष्ट हुई तभी वोट डालने जाऊंगी।
लेकिन, उन्होंने सवाल भी किया- क्या पोलिंग बूथ कि तैयारियां मात्र ही कोरोना से बचाने को पर्याप्त हैं? कहा- अगर वोट नहीं डाल पाई तो इस बात का दुख जरूर होगा, लेकिन इस समय सबसे ज्यादा जरूरी स्वस्थ और सुरक्षित रहना है। चुनाव थोड़े और दिनों बाद होता तो अच्छा होता।
हमारी मुलाकात इंदु और अमृता से भी हुई। दोनों उषा झा के यहां ही काम करती हैं। उनकी राय भी ज्यादा अलग नहीं है। कहती हैं काम पर आना इतना मुश्किल हो गया है कि वोट डालने जाने की सोच तो भी नहीं सकते। परिवार चलाने के लिए काम करना जरूरी है इसलिए निकल रहे हैं, लेकिन वोट डालने के बारे में सोचेंगे। उनका इशारा आसपास के दबाव पर भी है।
प्रतिभा सिंह गृहिणी और ब्लॉगर हैं। कहती हैं कि मैं तो वोट डालने जरूर जाऊंगी। सारे काम तो हो ही रहे हैं, फिर इस काम को क्यों छोड़ा जाए? यह भी जरूरी है, हां थोड़ी मुश्किल ��रूर है, लेकिन वोट डालने जाऊंगी।
मेडिकल की छात्रा साक्षी की भी यही राय है। सामाजिक कार्यकर्ता सरिता सजल तो वोट डालने को लेकर पूरे जोश में दिखती हैं। कहती हैं, मुश्किल है लेकिन वोट डालने जरूर जाऊंगी। अपनी सुरक्षा का पूरा ख्याल रखूंगी। हालांकि, कोरोना से पैदा हुए डर का असर सब पर बराबर है।
साक्षी मेडिकल की पढ़ाई कर रही हैं और जब उनसे वोट डालने के बारे में पूछा गया तो जवाब में उन्होंने कहा कि जरूर जाएंगी।
यह तो थी युवाओं की राय। हमने अपना सवाल 65 साल की प्रभावती देवी से पूछा कि क्या वह वोट डालने जाएंगी? अब तक उत्साह से वोट डालती आ रहीं प्रभावती देवी ने साफ तौर से मना कर दिया। कहा कि आज की परिस्थितियों में जब हमारा घर से निकलना मुश्किल है, ऐसे में हमें नहीं लगता कि हमारे बच्चे हमें वोट डालने जाने देंगे।
कुछ ऐसी ही राय ब्यूटी पार्लर चला रहीं मेनका भी रखती हैं। कहती हैं कि ना तो मैं घर से निकल रही हूं और ना महिलाएं ही पार्लर आ रही हैं। ऐसे में वोट डालने जाने की बात बेहद मुश्किल लगती है। खुद को मना भी लूं तो परिवार को कैसे समझाऊंगी।
बिहार में महिला और पुरुष वोटरों की संख्या में है 40 लाख 14 हजार 432 का अंतर बिहार में कुल 7 करोड़ 6 लाख 3778 वोटर हैं। पुरुष और महिला वोटर्स की संख्या में 40 लाख 14432 का अंतर है। राज्य के प्रमुख जिलों में पुरुषों की तुलना में अगर महिला वोटरों की संख्या को देखें तो प्रति 1000 में सबसे अधिक महिला वोटर्स गोपालगंज में हैं। यहां इनकी संख्या 992 है।
वहीं, सबसे कम महिला वोटर्स मुंगेर में हैं, जहां इनकी संख्या प्रति 1000 पुरुषों पर 848 है। पटना की बात करें तो यहां प्रति हजार पुरुष वोटर्स पर 905 महिला वोटर्स हैं।
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Whatever the Election Commission is ready for Bihar, parties, leaders should say, but half the population is confused about whether to vote or see the safety of the family.
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