बारिश में भीगने से नहीं बल्कि वायरस के हमले से बिगड़ती है सेहत
चैतन्य भारत न्यूज
ज्यादातर लोग यही सोचते हैं कि बारिश में भीगने से बीमार पड़ जाते हैं। इसलिए बच्चों को बारिश में भीगने से भी मना कर देते हैं। उन्हें लगता है कि, बारिश के पानी में भीगने से बच्चों को सर्दी-जुकाम या फ्लू हो जाएगा। अगर आप भी इस तरह की धारणा रखते हैं तो यह पूरी तरह गलत है। दरअसल आप तब तक बीमार नहीं पड़ सकते हैं जब तक सर्दी से जुड़े वायरस आप पर हमला नहीं बोलते।
प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित एक रिसर्च के मुताबिक, सर्दी-जुकाम 'राइनो' नामक वायरस के संपर्क में आने से होता है। राइनो वायरस कम तापमान में पनपता है। यह वायरस जब तक आपके आसपास मौजूद नहीं होगा तब तक आप बीमार नहीं पड़ सकते। बारिश में भीगना या गीले बालों में रहने से सर्दी होना यह मात्र एक कल्पना है।
अगर आपके शरीर का तापमान कम हो रहा है और ये वायरस आपके आसपास हुए तो भी आपको प्रभावित कर सकते हैं। इसके अलावा आप तभी बीमार पड़ सकते हैं जब सर्दी-खांसी या बुखार पीड़ित कोई व्यक्ति आपके नजदीक हो। ठंडे तापमान वाले स्थानों पर हाइपोथर्मिया होने की आशंका होती है जो आपकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित करता है। लेकिन आपकी इम्युनिटी ठीक है तो आप बीमार होने से बच जाएंगे।
बुखार आने पर हम एस्पिरिन और पेरासिटामोल जैसी दवाएं लेते हैं। इन दवाइयों से बुखार तो कम हो जाता है लेकिन सर्दी-खांसी के वायरस तेजी से फैलते हैं। बता दें ठंडे मौसम में फ्लू के वायरस ज्यादा सक्रिय रहते हैं लेकिन इससे आप तभी प्रभावित होंगे जब वायरस आपके आसपास मौजूद हो।
क्या होता है राइनो वायरस
यह वायरस लोगों को जुखाम, बुखार और गले में खराश का पीड़ित बनाता है। राइनो वायरस से लोगों को जान जाने का खतरा नही होता है लेकिन अगर ये ज्यादा समय तक शरीर में रह गया तो प्रतिरोधकता क्षमता कम होने लगती है। इससे मरीज निमोनिया का शिकार हो सकता है।
राइनो वायरस के लक्षण
सर्दी-खासी, गले में खराश, हाथ-पैरों में दर्द, हल्का बुखार।
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चैतन्य भारत न्यूज
बारिश के मौसम की शुरुआत हो चुकी है। ऐसे में हरियाली और रिमझिम फुहारों के बीच हर किसी का भीगने का मन करता है। लेकिन इस दौरान हमें हमारी सेहत का भी खास ख्याल रखना पड़ता है। अगर आपको भी बारिश में भीगने का शौक है तो उससे पहले सेहत से जुड़ी इन खास बातों को जरूर जान लें। आज हम आपको कुछ ऐसे टिप्स बताएंगे जिन्हें आप बारिश में भीगने के बाद जरूर अपनाएं।
अगर आप बारिश की रिमझिम फुहारों के बीच भीग रहे हैं तो ध्यान रहे कि, इस दौरान आपके बाल ज्यादा न भीगे। दरअसल, यही बीमार होने और सर्दी लग जाने की एक बड़ी वजह होती है। इसलिए भीगने के दौरान अपने बाल को हेयर मास्क या पॉलिथिन से ढंक लें। यह आपको कई बीमारियों से बचाएगा।
बारिश में भीगने के बाद घर पहुंचते ही जल्द से जल्द गीले कपड़ें बदलकर अपने शरीर को अच्छी तरह पोंछे। इसके बाद सूखे कपड़ें पहनकर शरीर को आग के सामने ले जाएं इससे शरीर को तपन मिल जाएगी और आप सर्दी से बच जाएंगे।
अगर आपके बाल ज्यादा भीग गए है तो इन्हें तौलिये और हेयर ड्रायर की मदद से जल्दी सुखाने के कोशिश करें। इससे आपके बाल खराब होने से बचेंगे और आपको सर्दी भी नहीं होगी।
भीगने के बाद गर्मागरम हल्दी वाला दूध, अदरक वाली चाय या कॉपी पिएं। इससे आपके शरीर को अंदरूनी गर्माहट मिलेगी और आप बुखार और सर्दी से आसानी से बच जाएंगे।
अगर आप बारिश में भीग रहे हैं तो ज्यादा देर तक न भीगे। क्योंकि ज्यादा देर तक बारिश के पानी में पैर रहने से मोटे-मोटे दाने निकल आते हैं। यह दिखने में तो छोटे लगते हैं लेकिन इससे मांस के अंदर गांठ बन जाती है जिससे काफी दर्द होता है।
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बारिश का मौसम ज्यादातर लोगों को पसंद होता है। लेकिन इस मौसम में त्वचा संबंधित रोग होना आम समस्या है। इसलिए बारिश के मौसम में सेहत का खासतौर से ख्याल रखना चाहिए। यह ऐसा मौसम है जिसमें किसी को त्वचा पर रैशेज या छोटे लाल दाने हो जाते हैं, तो कुछ लोगों को एक्जिमा या खुजली की शिकायत होती है। लेकिन आप शायद ही जानते होंगे कि, इन सभी समस्याओं का समाधान अशोक के पेड़ के फूलों की मदद से हो सकता है। आइए जानते हैं अशोक पेड़ के फूल से होने वाले फायदों के बारे में...
बारिश के मौसम में होने वाले त्वचा रोगों को दूर करने के लिए अशोक के पेड़ के फूल काफी फायदेमंद होते हैं। इस पेड़ की छाल से भी त्वचा संबंधी कई रोग ठीक हो सकते हैं। यह महिलाओं में इन्फर्टिलिटी, यूट्रिन डिसऑर्डर, पेचिश और विभिन्न त्वचा रोगों को मिटाने में भी कारगर साबित हुआ है।
इस तरह करें इस्तेमाल-
50 ग्राम सूखे अशोक के पेड़ के फूल लें।
इसके बाद मेंहदी के ताजे पत्ते लें।
अब फूल और मेहंदी के पत्तों को धीमी आंच पर कुछ मिनट तक उबालें।
फिर इसमें नारियल तेल मिला लें।
तैयार हुए मिश्रण को दिन में दो बार प्रभावित हिस्से पर लगाएं।
आप इसे दो हफ्तों तक लगा सकते हैं, धीरे-धीरे आपको इसका असर दिखने लगेगा।
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