#बांध की विफलता
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हर डैम और तटबंध है डिजास्टर का सोर्स, विशेषज्ञ ने बताई विकराल होती जा रही बाढ़ की वजह
हर डैम और तटबंध है डिजास्टर का सोर्स, विशेषज्ञ ने बताई विकराल होती जा रही बाढ़ की वजह
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नई दिल्ली.साउथ एशिया नेटवर्क ऑन डैम्स र���वर्स एंड पीपल (SANDRP) के कोर्डिनेटर हिमांशु ठक्कर ने कहा कि तटबंध (Embankment) और डैम (Dam) के मिस मैनेजमेंट से साल दर साल बाढ़ (Flood) की विनाशलीला बढ़ रही है. इसलिए तटबंध बनाने वालों और बांध से पानी छोड़े जाने पर होने वाले नुकसान को लेकर इसके ऑपरेटर की…
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शायद मैं तुम्हें भूल गया हूँ,
अब दिन की उदासी में,शाम के सुनेपन में,
रात के अंधेरे में, सुबह की कोमल धूप में,
गर मन नासाज भी होता है तो, मैं तुम्हें अब इन सबकी वजह नहीं मानता,
वजह तलाशता हूँ,
पर तुम्हारी तलाश नहीं रहती।
हां ये सच है,
अब शायद मैं तुम्हें भूल गया हूँ।
भूल गया हूँ, तुम्हारे होने में अपने होने की उम्मीद का झूठा सच,
भूल गया हूं, वो अनगिनत शब्द संसार जिनसे सँवारा करता था तुम्हारे कानों से झूलती हुई झुमके के ऊपरी हिस्से पर बने तितली को।
मैं भूल गया हूँ, तरकीब अब मुस्कराने की,
उन रास्तों को भी,
जो तुमसे होकर मुझ तक पहुँचते हैं।
अपने अनगढ़ संसार में हिलोरे लेते,
कुहकते मन की आखिरी संवेदना को,
टूटी चप्पल,और टूटे मन को एक ही पंक्ति में पिरो देने वाली कविता को,
भूख को राजनीतिक विफलता से उत्पन्न होने वाले किस्से कहानियों को,
खंडहर के उस पार गठरी में बांध कर रखे सपनो को।
मैं भूल गया हूं,
हां,शायद मैं तुम्हें भूल गया हूँ।
हरसिंगार के झड़ते फूलों को चुनने की तरकीब,
सेमल के फूलों की कोमलता,लाली और टूटकर बारम्बार बिखरते जाना,
गांव की पगडण्डी पर पैरों में अरहर की खुरकुची गड़ने से होने वाली पीड़ा को,
जेठ की दोपहर में पानी के लिए, चिड़ियों की बिलखती झुंड को,
पतवार खेते माझी के हथेली में होने वाले फोड़े से प्रस्फुटित आह को,
मैं भूल गया हूं,
हां शायद मैं तुम्हें भूल गया हूँ।
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