#बांग्लादेश बगावत
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writerss-blog · 5 months ago
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बांग्लादेश बगावत
सौजन्य गूगल १९७१ में बांग्लादेश बना उस समय देश की प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने इस राष्ट्र के निर्माण मे अहम भूमिका निभाई। मुजीबुर्रहमान को बांग्लादेश का Father of the Nation माना जाता है । उनकी सुपुत्री शेख हसीना पांच बार प्रधानमंत्री निर्वाचित हुई और शायद उनको अहंकार हो गया की उनकी सत्ता को डिगा नहीं सकता, जिसका परिणाम हुआ कल दिनांक ५अगस्त २०२४ को छात्रों और आम जनता ने विद्रोह कर दिया…
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hindisportsqanswerdotin · 2 years ago
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IND vs SL: छक्का लगाने ही वाले थे विराट कोहली, हवा में उछली गेंद, कुसल मेंडिस ने लपका शानदार कैच, देखें वीडियो
IND vs SL: छक्का लगाने ही वाले थे विराट कोहली, हवा में उछली गेंद, कुसल मेंडिस ने लपका शानदार कैच, देखें वीडियो
भारत बनाम श्रीलंका पहला वनडे: भारत और श्रीलंका के बीच खेली जा रही तीन मैचों की वनडे सीरीज का पहला मैच आज गुवाहाटी में खेला जा रहा है. इस मैच में बांग्लादेश ने टॉस जीतकर गेंदबाजी का फैसला किया और भारतीय टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 373 रन बनाए। इस सीरीज में ब्रेक के बाद भारतीय टीम से विराट कोहली की वापसी हुई और उन्होंने आते ही बगावत कर दी. कोहली ने इस मैच में 80 गेंदों में शतक जड़ा था। यह उनके…
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newsuniversal-in · 2 years ago
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उर्से रज़वी में अयोजित हुआ अंतरराष्ट्रीय नातिया उर्स व मुशायरा
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बरेली, उत्तर प्रदेश। उर्से रज़वी में परचम कुशाई व हुज्जतुल इस्लाम के बाद अंतरराष्ट्रीय नातिया उर्स इस्लामिया मैदान में रात 10 बजे के बाद दरगाह प्रमुख हजरत मौलाना सुब्हान रज़ा खान (सुब्हानी मियां) की सरपरस्ती व सज्जादानशीन मु���्ती अहसन रज़ा क़ादरी (अहसन मियां) की सदारत व सय्यद आसिफ मियां उर्स प्रभारी राशिद अली खान की देखरेख में शुरू हुआ। जिसमें देश विदेश के मशहूर शायरों ने अपने-अपने कलाम से फ़िज़ा में रूहानियत का माहौल बना दिया। गुनाहगारों चलो आक़ा ने दर खोला है जन्नत का। इधर उम्मत की हसरत पर उधर ख़ालिक़ की रहमत पर।।    मुफ़्ती अनवर अली मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने बताया कि दरगाह के वरिष्ठ शिक्षक मुफ़्ती सलीम नूरी बरेलवी, मुफ्ती सय्यद कफील हाशमी, मुफ़्ती अनवर अली, मुफ़्ती मोइनुद्दीन, मुफ़्ती अय्यूब, मौलाना अख्तर आदि की निगरानी में मुशायरा का आगाज़ तिलावत-ए-कुरान से कारी हसीब रज़वी कानपुरी ने किया। मुशायरा की निज़ामत (संचालन) संयुक्त रूप से मौलाना फूल मोहम्मद नेमत रज़वी व कारी नाज़िर रज़ा ने किया। मुख्य रूप से नेपाल से आये शायर नेमत रज़वी, बांग्लादेश के नजमुल इस्लाम, शायर ए इस्लाम कैफुलवरा रज़वी, बनारस से आये असजद रज़ा, रांची के दिलकश राचवीं, कोलकाता के हबीबुल्लाह फ़ैज़ी, शाहजहांपुर के फहीम बिस्मिल के अलावा अमन तिलयापुरी, मुफ़्ती जमील, मुफ़्ती सगीर अख्तर मिस्वाही, मौलाना अख्तर, रईस बरेलवी, असरार नईमी, नवाब अख्तर, डॉक्टर अदनान काशिफ, इज़हार शाहजहांपुरी, महशर बरेलवी ने बारी बारी से अपने कलाम पेश किए। मुफ़्ती अनवर अली ने ये कलाम पढ़ कर खूब दाद पाई। गुनाहगारों चलो आक़ा ने दर खोला है जन्नत का,इधर उम्मत की हसरत पर उधर ख़ालिक़ की रहमत पर। दूसरा कलाम ये पढ़ा पड़ा गर वक़्त तो हम जान की बाज़ी लगा देगें,मगर आने न देगें आँच कानूने शरीयत पर। मुफ़्ती अख्तर मिस्वाही में ये कलाम पेश किया फ़कीहाने हरम को नाज़ था उनकी फ़काहत पर, हमें क्यों कर न हो फिर नाज़ अपने आला हज़रत पर। फहीम बिस्मिल शाहजहांपुरी ने पढ़ा कि उठाते है जो ऊँगली शाहेदीं की शानों रिफअत पर, भला वह पायेगें कैसे रसाई उनकी जन्नत पर। अम्न तिलियापूरी पढ़ा कि तुम्हारी ख़ानक़ाहों को बचाया आला हज़रत ने,मियां फिर भी उतर आए हो तुम उनकी बगावत पर। डॉक्टर अदनान ने ये कलाम पेश किया जो पत्थर मारने वालों के हक़ में भी दुआगो है,है अपनी जान भी कुर्बान ऐसी जाने रहमत पर। रईस बरेलवी ने पढ़ा वह जो फख्र-ए-सुखन है इमामे अहले सुन्नत है, खुदा की रहमते बरसे हमेशा उनकी तुर्बत पर। इज़हार शाहजहांपुरी का कलाम ये है शब्बीर की सुन्नत सबक है आला हज़रत का, हम अपनी जान भी कुर्बान कर देगें शरीयत पर। नवाब अख्तर ने पढ़ा कि है जिसके ��म्मती उसको बनाया शाफए महशर,बड़ा अहसान है उसका गुनाहगाराने उम्मत पर। शायर असरार नसीमी ने पढ़ा कि नबी ने दीद के गोहर लुटाए आला हज़रत पर, गए जब आप तैबा सरवरे आलम की दावत पर। अज़हर फ़ारूक़ ने पढ़ा किसी के सामने मैं हाथ फैलाने नही जाता, मेरे आक़ा हमेशा काम आते है ज़रूरत पर। Read the full article
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hindimaster · 2 years ago
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Animal Trafficking Special Report | Animal Trafficking: भारत से बांग्लादेश कैसे पहुंचते हैं गोवंश?
Animal Trafficking Special Report | Animal Trafficking: भारत से बांग्लादेश कैसे पहुंचते हैं गोवंश?
Boris Johnson Resign: सेक्स स्कैंडल, बगावत और पीएम का इस्तीफा… जानें आखिर क्यों बोरिस जॉनसन को छोड़नी पड़ी कुर्सी Source link
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tezlivenews · 3 years ago
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कर्नल जहीर: जिन्हें 50 साल से ढूंढ रहा पाकिस्तान, उन्हें मिला पद्म सम्मान, जानें क्यों
कर्नल जहीर: जिन्हें 50 साल से ढूंढ रहा पाकिस्तान, उन्हें मिला पद्म सम्मान, जानें क्यों
राष्ट्रपति ने 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के नायक और पाकिस्तानी सेना में कर्नल रह चुके काजी सज्जाद अली जहीर को पद्म श्री से नवाजा. (Photo-Twitter/@rashtrapatibhvn) Padma Shri to Lt Col Quazi Sajjad Ali Zahir: कर्नल जहीर पाकिस्तानी सेना की 14 पैार ब्रिगेड स्पेशल फोर्सेस में थे. वह आम जवानों से काफी अलग थे. उस समय पाकिस्तानी सेना बगावत के डर से पूर्वी पाकिस्तान के लोगों पर पैनी नजर रखती थी.…
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chaitanyabharatnews · 4 years ago
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BSF स्थापना दिवस : आखिर क्यों हुआ था विश्व की सबसे बड़ी सीमा रक्षक फोर्स का गठन? जानें पूरी कहानी
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चैतन्य भारत न्यूज देश की सुरक्षा करने वाली बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स यानी बीएसएफ का आज स्थापना दिवस है। ��ीएसएफ को आज 55 साल पूरे हो गए हैं। इस अवसर पर वरिष्ठ नेताओं समेत पूरा देश सैन्य बल को शुभकामनाएं दे रहा है। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); कब हुई थी बीएसएफ की स्थापना देश के उत्कृष्ट बलों में से एक बीएसएफ की स्थापना 1 दिसंबर, 1965 को मौलिक रूप से पाकिस्तान और बांग्लादेश के साथ अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं को सुरक्षित बनाने के लिए की गई थी। इसके गठन से पहले इन सीमाओं पर संबंधित राज्य की सशस्त्र पुलिस तैनात थी। बीएसएफ एक अर्धसैनिक बल है। साथ ही यह विश्व की सबसे बड़ी सीमा रक्षक फोर्स भी है। यह बल केंद्र सरकार के 'गृह मंत्रालय' के नियंत्रण के अंतर्गत आता है। इस फोर्स में लगभग 185 बटालियन और 2.57 लाख से ज्यादा कर्मी तैनात हैं, जिनका मुख्य उद्देश्य देश की सीमाओं की रक्षा करना है।
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क्यों हुआ था बीएसएफ का गठन साल 1962 में भारत-चीन युद्ध हुआ था, जिसे हमारा देश हार चुका था। ये वो दौर था जब सीमा सुरक्षा के लिए फौज का गठन नहीं हुआ था। उस समय सूबें की पुलिस ही अपने-अपने राज्यों से लगे बॉर्डर की रखवाली करती थीं। चीन से लड़ाई शुरू होने के पांचवे दिन सीमा सुरक्षा के लिए बड़ी पहल की गई, जिसके चलते भारत-तिब्बत सीमा पुलिस का गठन हुआ। लेकिन फिर भी हम युद्ध हार चुके थे। चीन के बाद भारत को पाकिस्तान से खतरा बना हुआ था।
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पाकिस्तान सीमा की सुरक्षा का जिम्मा तो राज्यों पर ही था, जिसे जरुरत थी एक अलग फोर्स की। उस समय पाकिस्तान भी बगावत का रवैया अपना चुका था। साल 1965 में पाकिस्तान ने जंग छेड़ दी थी। जिस तरह गुजरात के कच्छ में पाकिस्तानी फौजें घुसीं थी, उसी से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि उस समय हमारी सरहद की हालत बेहद नाजुक थी। हालांकि फिर भी हमारी सेना ने किसी तरह यह जंग जीत ली।
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देश के अंदर भी बीएसएफ करती है लोगों की रक्षा इस युद्ध के खत्म हो जाने के बाद केंद्र सरकार ने एक केंद्रीय एजेंसी के गठन का फैसला किया, जिसकी जिम्मेदारी सिर्फ सीमाओं की रक्षा की थी। फिर 1 दिसंबर 1965 को सीमा सुरक्षा बल यानी बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स बनाया गया। इस फाॅर्स के बन जाने के बाद सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी राज्यों की पुलिस के पास नहीं, एक केंद्रीय बल के पास होती है, जो सीधे केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन है। बीएसएफ न सिर्फ सीमा पर बल्कि देश के अंदर भी देशवासियों की रक्षा करती आई है। हमारे देश में ऐसे कई क्षेत्र हैं, जो नक्सल प्रभावित है, लेकिन इन क्षेत्रों में भी बीएसएफ ने बड़े पैमाने पर जनता के मन से नक्सलियों का डर कम किया है। बीएसएफ ने लोगों के मन में बसे नक्सलियों के डर को उखाड़ फेंका है।
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googleyoffer-blog · 5 years ago
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बांग्लादेश की तीरंदाज एती का तीसरा गोल्ड, 12 साल की उम्र में शादी कर रहे परिवार से बगावत की थी
बांग्लादेश की तीरंदाज एती का तीसरा गोल्ड, 12 साल की उम्र में शादी कर रहे परिवार से बगावत की थी
खेल डेस्क.नेपाल के काठमांडू में खेले जा रहे साउथ एशियन गेम्स में बांग्लादेश की तीरंदाज एती खातून (14) ने सोमवार को तीसरा गोल्ड जीता। एती पश्चिमी बांग्लादेश के छोटे से गांव से आती हैं। उन्होंने यहां तक पहुंचने के लिए परिवार और समाज के विरोध का सामना भी किया। उनका परिवार 12 साल की उम्र में उनकी शादी करवाना चाहता था, ले��िन उन्हें इससे इनकार कर दिया और भागकर ढाका आ गईं। यहां उन्होंने तीरंदाजी…
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hindisportsqanswerdotin · 2 years ago
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IND vs SL: श्रीलंका के खिलाफ बगावत को तैयार केएल राहुल, मैदान पर खेले शानदार शॉट, देखें वीडियो
IND vs SL: श्रीलंका के खिलाफ बगावत को तैयार केएल राहुल, मैदान पर खेले शानदार शॉट, देखें वीडियो
भारत बनाम श्रीलंका वनडे: भारत और श्रीलंका के बीच खेली जा रही टी20 सीरीज का आज आखिरी मैच है। इसके खत्म होने के बाद अब टीम इंडिया को बांग्लादेश के खिलाफ भी वनडे सीरीज खेलनी है. इस सीरीज में विराट कोहली, रोहित शर्मा और केएल राहुल जैसे टीम के कई दिग्गज खिलाड़ियों की भी वापसी होने वाली है. जिसके लिए सभी ने तैयारियां शुरू कर दी है। केएल राहुल की बात करें तो वह लंबे समय से खराब फॉर्म से जूझ रहे हैं, ऐसे…
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chaitanyabharatnews · 5 years ago
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BSF स्थापना दिवस : आखिर क्यों हुआ था विश्व की सबसे बड़ी सीमा रक्षक फोर्स का गठन? जानें पूरी कहानी
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चैतन्य भारत न्यूज देश की सुरक्षा करने वाली बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स यानी बीएसएफ का आज स्थापना दिवस है। बीएसएफ को आज 54 साल पूरे हो गए हैं। इस अवसर पर वरिष्ठ नेताओं समेत पूरा देश सैन्य बल को शुभकामनाएं दे रहा है। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); कब हुई थी बीएसएफ की स्थापना देश के उत्कृष्ट बलों में से एक बीएसएफ की स्थापना 1 दिसंबर, 1965 को मौलिक रूप से पाकिस्तान और बांग्लादेश के साथ अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं को सुरक्षित बनाने के लिए की गई थी। इसके गठन से पहले इन सीमाओं पर संबंधित राज्य की सशस्त्र पुलिस तैनात थी। बीएसएफ एक अर्धसैनिक बल है। साथ ही यह विश्व की सबसे बड़ी सीमा रक्षक फोर्स भी है। यह बल केंद्र सरकार के 'गृह मंत्रालय' के नियंत्रण के अंतर्गत आता है। इस फोर्स में लगभग 185 बटालियन और 2.57 लाख से ज्यादा कर्मी तैनात हैं, जिनका मुख्य उद्देश्य देश की सीमाओं की रक्षा करना है।
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क्यों हुआ था बीएसएफ का गठन साल 1962 में भारत-चीन युद्ध हुआ था, जिसे हमारा देश हार चुका था। ये वो दौर था जब सीमा सुरक्षा के लिए फौज का गठन नहीं हुआ था। उस समय सूबें की पुलिस ही अपने-अपने राज्यों से लगे बॉर्डर की रखवाली करती थीं। चीन से लड़ाई शुरू होने के पांचवे दिन सीमा सुरक्षा के लिए बड़ी पहल की गई, जिसके चलते भारत-तिब्बत सीमा पुलिस का गठन हुआ। लेकिन फिर भी हम युद्ध हार चुके थे। चीन के बाद भारत को पाकिस्तान से खतरा बना हुआ था।
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पाकिस्तान सीमा की सुरक्षा का जिम्मा तो राज्यों पर ही था, जिसे जरुरत थी एक अलग फोर्स की। उस समय पाकिस्तान भी बगावत का रवैया अपना चुका था। साल 1965 में पाकिस्तान ने जंग छेड़ दी थी। जिस तरह गुजरात के कच्छ में पाकिस्तानी फौजें घुसीं थी, उसी से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि उस समय हमारी सरहद की हालत बेहद नाजुक थी। हालांकि फिर भी हमारी सेना ने किसी तरह यह जंग जीत ली।
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देश के अंदर भी बीएसएफ करती है लोगों की रक्षा इस युद्ध के खत्म हो जाने के बाद केंद्र सरकार ने एक केंद्रीय एजेंसी के गठन का फैसला किया, जिसकी जिम्मेदारी सिर्फ सीमाओं की रक्षा की थी। फिर 1 दिसंबर 1965 को सीमा सुरक्षा बल यानी बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स बनाया गया। इस फाॅर्स के बन जाने के बाद सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी राज्यों की पुलिस के पास नहीं, एक केंद्रीय बल के पास होती है, जो सीधे केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन है। बीएसएफ न सिर्फ सीमा पर बल्कि देश के अंदर भी देशवासियों की रक्षा करती आई है। हमारे देश में ऐसे कई क्षेत्र हैं, जो नक्सल प्रभावित है, लेकिन इन क्षेत्रों में भी बीएसएफ ने बड़े पैमाने पर जनता के मन से नक्सलियों का डर कम किया है। बीएसएफ ने लोगों के मन में बसे नक्सलियों के डर को उखाड़ फेंका है।
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