#बच्चों से संबंधित माता-पिता के प्रश्न
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स्कूल भेजते वक्त बच्चों की सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं को पैरेंट्स इस तरह करें दूर
स्कूल भेजते वक्त बच्चों की सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं को पैरेंट्स इस तरह करें दूर
लगातार जांच कर रहे हैं। अच्छी तरह से जांच करने की स्थिति में भी परीक्षा शुरू हो जाएगी। लेकिन, तीसरी लहर की आशंका ने पैरेंट्स को चिंता में डाल दिया है। ️ बच्चों️ बच्चों️️️🙏 बच्चों के लिए बच्चे खतरे में हैं। भले ही बच्चों को गंभीर रूप से कोविड -19 का खतरा नहीं है, लेकिन सुरक्षा को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। मेरा बच्चा स्कूल में होने से आशंकित है, क्या?एक नया स्कूल…
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#कोरोना की लहर#कोरोना चेच#कोरोनावाइरस#कोरोनावायरस तीसरी लहर#बच्चों#बच्चों से संबंधित माता-पिता के प्रश्न#स्कूल फिर से खोलना#स्कूल में पुनरावर्तक
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This year we are going to celebrate world CP day on 6th October in a special manner. We will start our online YouTube live program at 11 am. In this YouTube live we will have a live telecast from different centers of Trishla foundation where we will interact with parents about their experiences and their important message. We will also like to give answers to all the queries coming to the comment box. In this live program, we will also telecast an interview with Dr Varidmala Jain secretary of Trishla foundation at 12.30 pm. Parents can ask any question related to socialization, nutrition issue, and general care of children with cerebral palsy during this session. A team of senior therapists will also be interviewed about the latest update in therapy at 5.30 pm. They will also answer the queries related to therapy required by these children. Finally, in the evening live telecast of an interview with Dr. Jitendra Kumar Jain pediatric orthopedic surgeon & chairman of Trishla foundation will be done at 6pm. He will answer all the questions received in the comment box so all the parents and family members of cerebral palsy children are requested to spare the time on 6th October to watch our program on the YouTube channel and send your queries to the comment box. Moto of trishla foundation educates and trains every parent of cerebral palsy children so that they can take their children to a great height. https://www.youtube.com/c/TrishlaFoundationCerebralPalsy/channels इस साल हम 6 अक्टूबर को विश्व सीपी दिवस विशेष तरीके से मनाने जा रहे हैं। हम अपना ऑनलाइन यूट्यूब लाइव कार्यक्रम सुबह 11 बजे शुरू करेंगे। इस यूट्यूब लाइव में हम त्रिशला फाउंडेशन के विभिन्न केंद्रों से सीधा प्रसारण करेंगे जहां हम माता-पिता के साथ उनके अनुभवों और उनके महत्वपूर्ण संदेश के बारे में बातचीत करेंगे। हम कमेंट बॉक्स में आने वाले सभी सवालों के जवाब भी देना चाहेंगे। इस लाइव कार्यक्रम में हम दोपहर 12.30 बजे त्रिशला फाउंडेशन की सचिव डॉ वरिदमाला जैन के साथ एक साक्षात्कार भी प्रसारित करेंगे। माता-पिता इस सत्र के दौरान समाजीकरण, पोषण संबंधी समस्या और मस्तिष्क पक्षाघात वाले बच्चों की सामान्य देखभाल से संबंधित कोई भी प्रश्न पूछ सकते हैं। शाम 5.30 बजे थेरेपी में नवीनतम अपडेट के बारे में वरिष्ठ थेरेपिस्ट क (at India) https://www.instagram.com/p/CjDjQm5Jlp8/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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वेबिनार: केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने सोशल मीडिया पर बच्चों के सवालों के जवाब, बोले- जेईई मेन और NEET का सिलेबस कम करने पर विचार किया जा रहा है
वेबिनार: केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने सोशल मीडिया पर बच्चों के सवालों के जवाब, बोले- जेईई मेन और NEET का सिलेबस कम करने पर विचार किया जा रहा है
हिंदी समाचार व्यवसाय केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने अध्ययनकर्ताओं, माता-पिता और शिक्षक थोरुघ लाइव वेबिनार के साथ बातचीत की, छात्रों को बोर्ड परीक्षा, जेईई और नीट जैसे परीक्षाओं से संबंधित प्रश्न पूछने में सक्षम बनाया जाएगा। विज्ञापन से परेशान है? बिना विज्ञापन खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप 14 मिनट पहले कॉपी लिस्ट केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ। रमेश पोखरियाल निशंक ने आज सोशल मीडिया के…
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#अमेरिकन#करोड़#केंद्रीय शिक्षा मंत्री#छात्रों#जेईई#देश#माता-पिता#रमेश पोखरियाल निशंक#शिक्षकों की#शिक्षा मंत्री#संघ
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प्रश्न: मुझे हमेशा क्रोध के मुद्दे थे और मुझे लगता है कि मेरी बेटी मेरे व्यवहार को प्रतिबिंबित कर रही है। वह 8 साल की उम्र में हर समय जवाब देती है और मैं अक्सर अवाक रह जाती हूं। मुझे नहीं पता कि मेरे अंदर की भावनाओं से कैसे निपटा जाए लेकिन मैं अपनी बेटी को उसी मुद्दे का सामना करते हुए नहीं देखना चाहता।
डॉ। रचना के सिंह का जवाब: हाय, हमें लिखने के लिए धन्यवाद।
मैं पूरी तरह से समझता हूं कि आप अपनी बेटी के व्यवहार से क्यों चिंतित हैं। छोटे बच्चों के मन में प्रभावशाली विचार आते हैं और वे अपने माता-पिता को प्रतिबिंबित करते हैं। हालाँकि, बच्चों को भी मिजाज हो सकता है और उनका अभिनय भी आपसे संबंधित नहीं हो सकता है।
आपको अपने गुस्से और भावनाओं को उसके आस-पास रखना शुरू कर देना चाहिए। यह उसके लिए एक सकारात्मक उदाहरण के रूप में काम करेगा और वह इसके बजाय आईना शुरू कर सकती है। आपको आत्मनिरीक्षण करने का प्रयास करना चाहिए और यह समझने का प्रयास करना चाहिए कि आपके क्रोध, और आपकी बेटियों को क्या ट्रिगर करता है। प्रतिक्रिया का कारण जानने के बाद, आप क्रोध पर काम करने की कोशिश कर सकते हैं।
अंत में, चिकित्सा शुरू करने के लिए एक अच्छा विचार होगा। इससे आप न केवल अपनी भावनाओं को बल्कि अपनी बेटियों को भी बेहतर समझ पाएंगे।
अधिक प्रश्नों के लिए, हमारे साथ अपॉइंटमेंट बुक करने के लिए स्वतंत्र महसूस करें
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NCERT Class 12 Hindi Chapter 12 Bajar Darshan
NCERT Class 12 Hindi Chapter 12 :: Bajar Darshan
(बाजार दर्शन)
(गद्य भाग)
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
पाठ के साथ
प्रश्न 1.बाजार का जादू चढ़ने और उतरने पर मनुष्य पर क्या-क्या असर पड़ता है? (CBSE-2010-2012, 2015)उत्तर:बाजार का जादू चढ़ने और उतरने पर मनुष्य पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ते हैं –
बाजार में आकर्षक वस्तुएँ देखकर मनुष्य उनके जादू में बँध जाता है।
उसे उन वस्तुओं की कमी खलने लगती है।
वह उन वस्तुओं को जरूरत न होने पर भी खरीदने के लिए विवश होता है।
वस्तुएँ खरीदने पर उसका अह संतुष्ट हो जाता है।
खरीदने के बाद उसे पता चलता है कि जो चीजें आराम के लिए खरीदी थीं वे खलल डालती हैं।
उसे खरीदी हुई वस्तुएँ अनावश्यक लगती हैं।
प्रश्न 2.
बाजार में भगत जी के व्यक्तित्व का कौन-सा सशक्त पहलू उभरकर आता है? क्या आपकी नज़र में उनको आचरण समाज में शांति स्थापित करने में मददगार हो सकता है? (CBSE-2008)उत्तर:भगत जी समर्पण भी भावना से ओतप्रोत हैं। धन संचय में उनकी बिलकुल रुचि नहीं है। वे संतोषी स्वभाव के आदमी हैं। ऐसे व्यक्ति ही समाज में प्रेम और सौहार्द का संदेश फैलाते हैं। इसलिए ऐसे व्यक्ति समाज में शांति स्थापित करने में मददगार साबित होते हैं।
प्रश्न 3.‘बाज़ारूपन’ से क्या तात्पर्य है? किस प्रकार के व्यक्ति बाजार को सार्थकता प्रदान करते हैं अथवा बाज़ार की सार्थकता किसमें हैं? (CBSE-2016, 2017)उत्तर:‘बाजारूपन’ से तात्पर्य है-दिखावे के लिए बाजार का उपयोग। बाजार छल व कपट से निरर्थक वस्तुओं की खरीदफ़रोख्त, दिखावे व ताकत के आधार पर होने लगती है तो बाजार का बाजारूपन बढ़ जाता है। क्रय-शक्ति से संपन्न की पुलेि व्यिक्त बाल्पिनक बताते हैं। इसप्रतिसे बारक सवा लधनाह मिलता। शणक प्रति बढ़ जाती है। वे व्यक्ति जो अपनी आवश्यकता के बारे में निश्चित होते हैं, बाजार को सार्थकता प्रदान करते हैं। बाजार का कार्य मनुष्य कल कपू करता है जहातक सामान मल्नेप बार सार्थकह जाता है। यह पॉड” पावरक प्रर्शना नहीं होता।
प्रश्न 4.बाज़ार किसी का लिंग, जाति, धर्म या क्षेत्र नहीं देखता, वह देखता है सिर्फ उसकी क्रय शक्ति को। इसे रूप में वह एक प्रकार से सामाजिक समता की भी रचना कर रहा है। आप इससे कहाँ तक सहमत हैं? (CBSE-2008)उत्तर:यह बात बिलकुल सत्य है कि बाजारवाद ने कभी किसी को लिंग, जाति, धर्म या क्षेत्र के आधार पर नहीं देखा। उसने केवल व्यक्ति के खरीदने की शक्ति को देखा है। जो व्यक्ति सामान खरीद सकता है वह बाजार में सर्वश्रेष्ठ है। कहने का आशय यही है कि उपभोक्तावादी संस्कृति ने सामाजिक समता स्थापित की है। यही आज का बाजारवाद है। प्रश्न 5. आप अपने समाज से कुछ ऐसे प्रसंग का उल्लेख करें(क) जब पैसा शक्ति के परिचायक के रूप में प्रतीत हुआ।(ख) जब पैसे की शक्ति काम नहीं आई।उत्तर:(क) एक बार एक कार वाले ने एक बच्चे को जख्मी कर दिया। बात थाने पर पहुँची लेकिन थानेदार ने पूरा दोष बच्चे के माता-पिता पर लगा दिया। वह रौब से कहने लगा कि तुम अपने बच्चे का ध्यान नहीं रखते। वास्तव में पैसों की चमक में थानेदार ने सच को झूठ में बदल दिया था। तब पैसा शक्ति का परिचायक नजर आया।
(ख) एक व्यक्ति ने अपने नौकर का कत्ल कर दिया। उसको बेकसूर मार दिया। पुलिस उसे थाने में ले गई। उसने ��ैसे ले-देकर मामले को सुलझाने का प्रयास किया लेकिन सब बेकार। अंत में उस पर मुकदमा चला। आखिरकार उसे 14 वर्ष की उम्रकैद हो गई। इस प्रकार पैसे की शक्ति काम नहीं आई।
पाठ के आसपास
प्रश्न 1.‘बाज़ार दर्शन’ पाठ में बाज़ार जाने या न जाने के संदर्भ में मन की कई स्थितियों का जिक्र आया है। आप इन स्थितियों से जुड़े अपने अनुभवों का वर्णन कीजिए।
मन खाली हो
मन खाली न हो
मन बंद हो
मन में नकार हो
उत्तर:
मनखालौ हो–जब मनुष्य का मन खाली होता है तो बाजार में अनाप–शनाप खरीददारी की जाती है । बजर का जादू सिर चढकर बोलता है । एक बार में मेले में घूमने गया । वहाँ चमक–दमक, आकर्षक वस्तुएँ मुझे न्योता देती प्रतीत हो रहीं थीं । रंग–बिरंगी लाइटों से प्रभावित होकर मैं एक महँगी ड्रेस खरीद लाया । लाने के खाद पता चला कि यह आधी कीमत में फुटपाथ पर मिलती है ।
मन खाली न हो–मन खाली न होने पर मनुष्य अपनी इच्छित चीज खरीदता है । उसका ध्यान अन्य वस्तुओं पर नहीं जाता । में घर में जरूरी सामान की लिस्ट बनाकर बाजार जाता है और सिफ्रे उन्हें ही खरीदकर लाता हूँ । मैं अन्य चीजों को देखता जरूर हूँ, पर खरीददारी वहीं करता हूँजिसकौ मुझे जरूरत होती है ।
मनबंदहो–मन ईद होने पर इच्छाएँ समाप्त हो जाती हैं । वैसे तो इच्छाएँ कभी समाप्त नहीं होतीं, परंतु कभी–कभी पन:स्थिति ऐसी होती है कि किसी वस्तु में मन नहींलगता । एक दिन में उदास था और मुझे बाजार में किसी वस्तु में कोई दिलचस्पी नहीं थी । अत: में विना कहीं रुके बाजार से निकल आया ।
मन में नकार हो–मन में नकारात्मक भाव होने से बाजार की हर वस्तु खराब दिखाई देने लगती है । इससे समाज इसका विकास रुक जाता है । ऐसा असर किसी के उपदेश या सिदूधति का पालन करने से होता है । एक दिन एक साम्यवादी ने इस तरह का पाठ पढाया कि बडी कंपनियों की वस्तुएँ मुझें शोषण का रूप दिखाई देने लगी।
प्रश्न 2.‘बाज़ार दर्शन’ पाठ में किस प्रकार के ग्राहकों की बात हुई है? आप स्वयं को किस श्रेणी का ग्राहक मानते/मानती हैं?उत्तर:इस पाठ में प्रमुख रूप से दो प्रकार के ग्राहकों का चित्रण निबंधकार ने किया है। एक तो वे ग्राहक, जो ज़रूरत के अनुसार चीजें खरीदते हैं। दूसरे वे ग्राहक जो केवल धन प्रदर्शन करने के लिए चीजें खरीदते हैं। ऐसे लोग बाज़ारवादी संस्कृति को ज्यादा बढ़ाते हैं। मैं स्वयं को पहले प्रकार का ग्राहक मानता/मानती हैं क्योंकि इसी में बाजार की सार्थकता है।
प्रश्न 3.आप बाज़ार की भिन्न-भिन्न प्रकार की संस्कृति से अवश्य परिचित होंगे। मॉल की संस्कृति और सामान्य बाज़ार और हाट की संस्कृति में आप क्या अंतर पाते हैं? पर्चेजिंग पावर आपको किस तरह के बाजार में नजर आती है?उत्तर:मॉल को संस्कृति से बाजार को पर्चेजिग पावर को बढावा मिलता है । यह संस्कृति उच्च तथा उच्च मध्य वर्ग से संबंधित है । यहाँ एक ही छत के नीचे विभिन्न तरह के सामान मिलते हैं तथा चकाचौंध व लूट चरम सोया पर होती है । यहाँ बाजारूपन भी फूं उफान पर होता है । सामान्य बाजार में मनुष्य की जरूरत का सामान अधिक होता है । यहाँ शोषण कम होता है तथा आ��र्षण भी कम होता है । यहाँ प्राहक व दूकानदार में सदभाव होता है । यहाँ का प्राहक मध्य वर्ग का होता है।
हाट – संस्कृति में निम्न वर्ग व ग्रमीण परिवेश का गाहक होता है । इसमें दिखाया नहीं होता तथा मोल-भाव भी नाम- हैं का होता है । ।पचेंजिग पावर’ मलि संस्कृति में नज़र आती है क्योंकि यहाँ अनावश्यक सामान अधिक खरीदे जाते है।
प्रश्न 4.लेखक ने पाठ में संकेत किया है कि कभी-कभी बाज़ार में आवश्यकता ही शोषण का रूप धारण कर लेती है। क्या आप इस विचार से सहमत हैं? तर्क सहित उत्तर दीजिए। (CBSE-2008)उत्तर:आवश्यकता पड़ने पर व्यक्ति अपेक्षित वस्तु हर कीमत पर खरीदना चाहता है। वह कोई भी कीमत देकर उस वस्तु को प्राप्त कर लेना चाहता है। इसलिए वह कई बार शोषण का शिकार हो जाता है। बेचने वाला तुरंत उस वस्तु की कीमत मूल कीमत से ज्यादा बता देता है। इसीलिए लेखक ने ठीक कहा है कि आवश्यकता ही शोषण का रूप धारण कर लेती है।
प्रश्न 5.स्त्री माया न जोड़े यहाँ मया शब्द किस ओर संकेत कर रहा है? स्त्रियों द्वारा माया जोड़ना प्रकृति प्रदत्त नहीं, बल्कि परिस्थितिवश है। वे कौन-सी परिस्थितियाँ होंगी जो स्त्री को माया जोड़ने के लिए विवश कर देती हैं?उत्तर:यहाँ ‘माया‘ शब्द का अर्थ है–धन–मगाती, जरूरत की वस्तुएँ । आमतौर पर स्तियों को माया जोड़ते देखा जाता है । इसका कारण उनकी परिस्थितियों है जो निम्नलिखित हैं –
आत्मनिर्भरता की पूर्ति ।
घर की जरूरतों क्रो पूरा करना ।
अनिश्चित भविष्य ।
अहंभाव की तुष्टि ।
बच्चों की शिक्षा ।
संतान–विवाह हेतु ।
आपसदारी
प्रश्न 1.ज़रूरत-भर जीरा वहाँ से लिया कि फिर सारा चौक उनके लिए आसानी से नहीं के बराबर हो जाता है-भगत जी की इस संतुष्ट निस्पृहता की कबीर की इस सूक्ति से तुलना कीजिएचाह गई चिंता गई मनुआ बेपरवाह जाके कुछ न चाहिए सोइ सहंसाह। – कबीरउत्तर:कबीर का यह दोहा भगत जी की संतुष्ट निस्मृहता पर पूर्णतया लागूहोता है । कबीर का कहना था कि इच्छा समाप्त होने यर लता खत्म हो जाती है । शहंशाह वहीं होता है जिसे कुछ नहीं चाहिए । भगत जी भी ऐसे ही व्यक्ति हैं । इनकी जरूरतें भी सीमित हैं । वे बाजार के आकर्षण से दूर हैं । अपनी ज़रूरत पा होने पर वे संतुष्ट को जाते हैं ।
प्रश्न 2.विजयदान देथा की कहानी ‘दुविधा’ (जिस पर ‘पहेली’ फ़िल्म बनी है) के अंश को पढ़कर आप देखेंगे कि भगत जी की संतुष्ट जीवन-दृष्टि की तरह ही गड़रिए की जीवन-दृष्टि है, इससे आपके भीतर क्या भाव जगते हैं?उत्तर:गड़रिया बगैर कहे ही उसके दिल की बात समझ गया, पर अँगूठी.कबूल नहीं की। काली दाढी के बीच पीले दाँतों की हँसी हँसते हुएबोला-‘मैं कोई राजा नहीं हूँ जो न्याय की कीमत वसूल करूं।मैंने तो अटका काम निकाल दिया। और यह अँगूठी मेरे किस कामकी ! न यह अंगुलियों में आती है, न तड़े में। मेरी भेड़े भी मेरी तरहगॅवार हैं। घास तो खाती है, पर सोना सँघती तक नहीं। बेकार कीवस्तुएँ तुम अमीरों को ही शोभा देती हैं।उत्तर:विजयदान देथा की ‘दुविधा’ कहानी का अंश पढ़कर मुझमें भी संतोषी वृत्ति के भाव जगते हैं। गड़रिया चाहता तो वह अपने न्याय की कीमत वसूल सकता था। सामाजिक दृष्टि से यही ठीक भी था क्योंकि अमीर व्यक्ति जो कुछ गड़रिये को दे रहा था वह उसका हक था। लेकिन गड़रिये और भगत जी की संतोषी भावना को देखकर मेरे मन में भी इसी प्रकार के भाव उत्पन्न हो जाते हैं। मन करता है कि जीवन में इस भावना को अपनाए रखें तो किसी प्रकार की चिंता नहीं रहेगी। जब कोई इच्छा या अपेक्षा नहीं होगी तो दुख नहीं होगा। तब हम भी कबीर की तरह शहंशाह होंगे।
प्रश्न 3.बाज़ार पर आधारित लेख ‘नकली सामान पर नकेल ज़रूरी’ का अंश पढ़िए और नीचे दिए गए बिंदुओं पर कक्षा में चर्चा कीजिए।(क) नकली सामान के खिलाफ़ जागरूकता के लिए आप क्या कर सकते हैं?(ख) उपभोक्ताओं के हित को मद्देनजर रखते हुए सामान बनाने वाली कंपनियों का क्या नैतिक दायित्व है।(ग) ब्रांडेड वस्तु को खरीदने के पीछे छिपी मानसिकता को उजागर कीजिए?
नकली सामान पर नकेल जरूरी।
अपना क्रेता वर्ग बढ़ाने की होड़ में एफएमसीजी यानी तेजी से बिकने वाले उपभोक्ता उत्पाद बनाने वाली कंपनियाँ गाँव के बाजारों में नकली सामान भी उतार रही हैं। कई उत्पाद ऐसे होते हैं जिन पर न तो निर्माण तिथि होती है और न ही उस तारीख का जिक्र होता है जिससे पता चले कि अमुक सामान के इस्तेमाल की अवधि समाप्त हो चुकी है। आउटडेटेड या पुराना पड़ चुका सामान भी गाँव-देहात के बाजारों में खप रहा है। ऐसा उपभोक्ता मामलों के जानकारों का मानना है। नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रिड्सल कमीशन के सदस्य की मानें तो जागरूकता अभियान में तेजी लाए बगैर इस गोरखधंधे पर लगाम कसना नामुमकिन है। उपभोक्ता मामलों की जानकार पुष्पा गिरि माँ जी का कहना है, इसमें दो राय नहीं है कि गाँव-देहात के बाजारों में नकली सामान बिक रहा है।
महानगरीय उपभोक्ताओं को अपने शिकंजे में कसकर बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ, खासकर ज्यादा उत्पाद बेचने वाली कंपनियाँ, गाँव का रुख कर चुकी हैं। वे गाँववालों के अज्ञान और उनके बीच जागरुकता के अभाव का पूरा फायदा उठा रही हैं। उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए कानून ज़रूर है लेकिन कितने लोग इनका सहारा लेते हैं यह बताने की ज़रूरत नहीं। गुणवत्ता के मामले में जब शहरी उपभोक्ता ही उतने सचेत नहीं हो पाए हैं तो गाँव वालों से कितनी उम्मीद की जा सकती है। इस बारे में नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रिड्रेसल कमीशन के सदस्य जस्टिस एस. एन. कपूर का कहना है, ‘टी.वी. ने दूरदराज के गाँवों तक में बहुराष्ट्रीय कंपनियों को पहुँचा दिया है। बड़ी-बड़ी कंपनियाँ विज्ञापन पर तो बेतहाशा पैसा खर्च करती हैं। लेकिन उपभोक्ताओं में जागरूकता को लेकर वे चवन्नी खर्च करने को तैयार नहीं हैं।
नकली सामान के खिलाफ जागरूकता पैदा करने में स्कूल और कॉलेज के विद्यार्थी मिलकर ठोस काम कर सकते हैं। ऐसा कि कोई प्रशासक भी न कर पाए।’ बेशक, इस कड़वे सच को स्वीकार कर लेना चाहिए कि गुणवत्ता के प्रति जागरुकता के लिहाज से शहरी समाज भी कोई ज्यादा सचेत नहीं है। यह खुली हुई बात है कि किसी बड़े ब्रांड का लोकल संस्करण शहर या महानगर का मध्य या निम्नमध्य वर्गीय उपभोक्ता भी खुशी-खुशी खरीदता है। यहाँ जागरुकता का कोई प्रश्न ही नहीं उठता क्योंकि वह ऐसा सोच-समझकर और अपनी जेब की हैसियत को जानकर ही कर रही है। फिर गाँववाला उपभोक्ता ऐसा क्यों न करे। पर फिर भी यह नहीं कहा जा सकता कि यदि समाज में कोई गलत काम हो रहा है तो उसे रोकने के जतन न किए जाएँ। यानी नकली सामान के इस गोरखधंधे पर विराम लगाने के लिए जो कदम या अभियान शुरू करने की ज़रूरत है वह तत्काल हो।– हिंदुस्तान 6 अगस्त 2006, साभारउत्तर:(क) नकली सामान के खिलाफ लोगों को जागरूक करना ज़रूरी है। सबसे पहले विज्ञापनों, पोस्टरों और होर्डिंग के माध्यम से यह बताया जाए कि किस तरह असली वस्तु की पहचान की जाए। लोगों को बताया जाए कि होलोग्राम और ISI मार्क वाली वस्तु ही खरीदें। उन्हें यह भी जानकारी दी जाए कि नकली वस्तुएँ खरीदने से क्या हानियाँ हो सकती हैं ?
(ख) सामान बनाने वाली कंपनियों का सबसे पहले यही नैतिक दायित्व है कि अच्छा और बढ़िया सामान बनाए। वे ऐसी वस्तुओं का उत्पादन करें जो आम आदमी को फायद��� पहुँचायें। केवल अपना फायदा सोचकर ही समान न बेचें। वे मात्रा की अपेक्षा गुणवत्ता पर ध्यान रखें तभी ग्राहक खुश होगा। जो कंपनी जितनी ज्यादा गुणवत्ता देगी ग्राहक उसी कंपनी का सामान ज्यादा खरीदेंगे।
(ग) भारतीय मध्य वर्ग पर आज का बाजार टिका हुआ है। वह दि�� बीत गए जब लोकल कंपनी का माल खरीदा जाता। था। अब तो लोग ब्रांडेड कंपनी का ही सामान खरीदते हैं। चाहे वह कितना ही महँगा क्यों न हो। उन्हें तो केवल यही विश्वास होता है कि ब्रांडेड सामान अच्छा और बढ़िया होगा। उसमें किसी भी तरह से कोई खराबी न होगी लोग इन ब्रांडेड सामानों को खरीदने के लिए कोई भी कीमत चुकाते हैं। ब्रांडेड सामान चूँकि बड़ी-बड़ी हस्तियाँ इस्तेमाल करती हैं। इसलिए अन्य लोग भी ऐसा ही करते हैं।
प्रश्न 4.प्रेमचंद की कहानी ‘ईदगाह’ के हामिद और उसके दोस्तों का बाजार से क्या संबंध बनता है? विचार करें।उत्तर:प्रेमचंद की कहानी में हामिद और उसके दोस्त यानी सम्मी मोहसिन नूरे सभी मेला देखने जाते हैं। वे मेले में लगी दुकानों को देखकर बहुत प्रभावित होते हैं। वे हाट बाजार में लगी हुई सारी वस्तुएँ देखकर प्रसन्न होते हैं। उनका मन करता है कि सभी-वस्तुएँ खरीद ली जाएँ। किंतु किसी के पास पाँच पैसे थे तो किसी के पास दो पैसे। हाट वास्तव में बाजार का ही एक रूप है। बच्चे इनमें लगी दुकानों को देखकर आकर्षित हो जाते हैं। वे तरह-तरह की इच्छाएँ करने लगते हैं। बच्चों का संबंध बाजार से प्रत्यक्ष होता है। वे सीधे तौर पर बाजार में जाकर वहाँ रखी वस्तुओं को खरीद लेना चाहते हैं।
विज्ञापन की दुनिया
प्रश्न 1.आपने समाचार-पत्रों, टी.वी. आदि पर अनेक प्रकार के विज्ञापन देखे होंगे जिनमें ग्राहकों को हर तरीके से लुभानेका प्रयास किया जाता है। नीचे लिखे बिंदुओं के संदर्भ में किसी एक विज्ञापन की समीक्षा कीजिए और यह भी लिखिए कि आपको विज्ञापन की किस बात ने सामान खरीदने के लिए प्रेरित किया।1. विज्ञापन में सम्मिलित चित्र और विषय-वस्तु2. विज्ञापन में आए पात्र और उनका औचित्य3. विज्ञापन की भाषा।उत्तर:मैंने शाहरूख खान द्वारा अभिनीत सैंट्रो कार का विज्ञापन देखा। इस विज्ञापन में सैंट्रो कार का चित्र था और विषय वस्तु थी। वह कार, जिसे बेचने के लिए आज के सुपर स्टार शाहरूख खान को अनुबंधित किया गया। इसमें शाहरूख खान और उनकी पत्नी को विज्ञापन करते दिखाया गया है। साथ ही उनके एक पड़ोसी का भी जिक्र आया है। इन सभी पात्रों का स्वाभाविक चित्रण हुआ है। शाहरूख की पत्नी जब पड़ोसी पर आकर्षित होती है तो शाहरूख पूछता है क्यों? तब उसकी पत्नी जवाब देती है सैंट्रो वाले हैं न ।’ मुझे कार खरीदने के लिए इसी कैप्शन ने प्रेरित किया। इस पंक्ति में व्यक्ति की सामाजिक स्थिति का पता चलता है।
प्रश्न 2.अपने सामान की बिक्री को बढ़ाने के लिए आज किन-किन तरीकों का प्रयोग किया जा रहा है? उदाहरण सहित उनका संक्षिप्त परिचय दीजिए। आप स्वयं किस तकनीक या तौर-तरीके का प्रयोग करना चाहेंगे जिससे बिक्री भीअच्छी हो और उपभोक्ता गुमराह भी न हो। उत्तर सेल लगाकर, अपने सामान के साथ कुछ उपहार देकर, स्क्रैच कार्ड के द्वारा, विज्ञापन देकर या सामान की खूबियाँ बताकर। उदाहरण1. सेल-सेल-सेल कपड़ो�� पर भारी सेल।।2. एक सूट के साथ कमीज फ्री। बिलकुल फ्री।3. ये कपड़े त्वचा को नुकसान नहीं पहुँचाते, ये नरम और मुलायम कपड़े हैं। पूरी तरह से सूती । यदि मुझे सामान बेचना पड़े तो मैं बेची जाने वाली वस्तु के गुणों का प्रचार करूंगा/करूंगी ताकि ग्राहक अपनी समझ सेवस्तु खरीदे।।
भाषा की बात
प्रश्न 1.विभिन्न परिस्थितियों में भाषा का प्रयोग भी अपना रूप बदलता रहता है कभी औपचारिक रूप में आती है तो कभी अनौपचारिक रूप में। पाठ में से दोनों प्रकार के तीन-तीन उदाहरण छाँटकर लिखिए।उत्तर:औपचारिक रूप1. मैंने कहा – यह क्या?बोले – यह जो साथ थी।2. बोले – बाज़ार देखते रहे।मैंने कहा – बाज़ार क्या देखते रहे।3. यह दोपहर के पहले के गए गए बाजार से कहीं शाम को वापिस आए।
अनौपचारिक
कुछ लेने का मतलब था शेष सबकुछ छोड़ देना।
बाजार आमंत्रित करता है कि आओ मुझे लूटो और लूटो।
पैसे की व्यंग्य शक्ति भी सुनिए।
प्रश्न 2.पाठ में अनेक वाक्य ऐसे हैं, जहाँ लेखक अपनी बात कहता है कुछ वाक्य ऐसे हैं जहाँ वह पाठक-वर्ग को संबोधित करता है। सीधे तौर पर पाठक को संबोधित करने वाले पाँच वाक्यों को छाँटिए और सोचिए कि ऐसे संबोधन पाठक से रचना पढ़वा लेने में मददगार होते हैं?उत्तर:1. बाज़ार में एक जादू है। वह जादू आँख की राह काम करता है।2. जेब खाली पर मन भरा न हो, तो भी जादू चल जाएगा।3. यहाँ एक अंतर चिह्न लेना ज़रूरी है।4. कहीं आप भूल नहीं कर बैठिएगा।5. पैसे की व्यंग्य शक्ति सुनिए। वह दारूण है। अवश्य ऐसे संबोधनों के कारण पाठकों के मन में जिज्ञासा उत्पन्न होती है। वह अपनी जिज्ञासा को शांत करना चाहता है। इसीलिए ऐसे संबोधन पाठक से रचना पढ़वा लेने में सहायक सिद्ध होते हैं।
प्रश्न 3.नीचे दिए गए वाक्यों को पढ़िए।(क) पैसा पावर है।(ख) पैसे की उस पर्चेजिंग पावर के प्रयोग में ही पावर का रस है।(ग) मित्र ने सामने मनीबैग फैला दिया।(घ) पेशगी ऑर्डर कोई नहीं लेते।ऊपर दिए गए इन वाक्यों की संरचना तो हिंदी भाषा की है लेकिन वाक्यों में एकाध शब्द अंग्रेजी भाषा के आए हैं। इस तरह के प्रयोग को कोड मिक्सिंग कहते हैं। एक भाषा के शब्दों के साथ दूसरी भाषा के शब्दों का मेलजोल ! अब तक। आपने जो पाठ पढ़े उसमें से ऐसे कोई पाँच उदाहरण चुनकर लिखिए। यह भी बताइए कि आगत शब्दों की जगह उनके हिंदी पर्यायों का ही प्रयोग किया जाए तो संप्रेषणीयता पर क्या प्रभाव पड़ता है ?उत्तर:1. पैसे की गरमी या एनर्जी।2. वह तत्व है मनी बैग3. अपनी पर्चेजिंग पावर के अनुपात में आया है।4. तो एकदम बहुत से बंडल थे।5. वह पैसे की पावर को इतना निश्चय समझते हैं कि उसके प्रयोग की परीक्षा का उन्हें दरकार नहीं है।यदि इस वाक्य में एनर्जी की जगह उत्��ाह शब्द का प्रयोग किया जाता है तो वाक्य की प्रेषणीयता अधिक प्रभावी होती है। इसी प्रकार ‘मनी बैग’ की जगह नोटों से भरा थैला, पर्चेजिंग पावर की जगह खरीदने की शक्ति, बंडल की जगह गट्ठर और पावर की जगह ऊर्जा या उत्साह प्रभावी होगा क्योंकि हिंदी, पर्यायों के प्रयोग से संप्रेषणीयता ज्यादा बढ़ जाती है।
प्रश्न 4.नीचे दिए गए वाक्यों के रेखांकित अंश पर ध्यान देते हुए उन्हें पढ़िए।(क) निर्बल ही धन की ओर झुकता है।(ख) लोग संयमी भी होते हैं।(ग) सभी कुछ तो लेने को जी होता था।ऊपर दिए गए वाक्यों के रेखांकित अंश ‘ही’, ‘भी’, ‘तो’ निपात हैं जो अर्थ पर बल देने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। वाक्य में इनके होने-न-होने और स्थान क्रम बदल देने से वाक्य के अर्थ पर प्रभाव पड़ता है, जैसेमुझे भी किताब चाहिए (मुझे महत्त्वपूर्ण है।)मुझे किताब भी चाहिए। (किताब महत्त्वपूर्ण है।)आप निपात (ही, भी, तो) का प्रयोग करते हुए तीन-तीन वाक्य बनाइए। साथ ही ऐसे दो वाक्यों का निर्माण कीजिए जिसमेंये तीनों निपात एक साथ आते हों।उत्तर:ही –1. उसे ही यह टिकट दे दो।2. मैं वैसे ही उससे मिला।3. तुमने ही मुझे उसके बारे में बताया।
भी –1. कुछ लोग दुष्ट भी होते हैं।2. वह भी उनसे मिल गया।3. उसने भी मेरा साथ छोड़ दिया।
तो –1. रामलाल ने कुछ तो कहा होता।2. तुम लोग कुछ तो शर्म किया करो।3. तुम लोगों को तो फाँसी दे देनी चाहिए।
दो वाक्य
1. मैंने ही नारायण शंकर को वहाँ भेजा था लेकिर उसने भी वह किय��, कृपा शंकर तो उसे पहले ही कर दिया था।2. आर्यन तो दिल्ली जाना चाहता था लेकिन मैं तो उसे भेजना नहीं चाहता था। तभी तो वह नाराज हो गया।
चर्चा करें
प्रश्न 1.पर्चेजिंग पावर से क्या अभिप्राय है?बाजार की चकाचौंध से दूर पर्चेजिंग पावर का सकारात्मक उपयोग किस प्रकार किया जा सकता है? आपकी मदद के लिए संकेत दिया जा रहा है(क) सामाजिक विकास के कार्यों में(ख) ग्रामीण आर्थिक व्यवस्था को सुदृढ़ करने में ……।उत्तर:पर्चेजिंग पावर से अभिप्राय है कि खरीदने की क्षमता। कहने का भाव है कि खरीददारी करने का सामर्थ्य लेकिन पर्चेजिंग पावर का सकारात्मक प्रयोग किया जा सकता है। वह भी बाजार की चकाचौंध से कोसों दूर। इसका सकारात्मक प्रयोग सामाजिक कार्य करके और ग्रामीण आर्थिक व्यवस्था को सुदृढ़ करके। सामाजिक विकास के कार्य जैसे स्कूल, अस्पताल, धर्मशालाएँ। खुलवाकर उस पैसे का उपयोग किया जा सकता है जो कि लोग फिजूल के सामान पर खर्च करते हैं। आज शॉपिंग माल्स में लगभग 30 प्रतिशत फिजूल पैसा लोग खर्चते हैं क्योंकि वे अपनी शानो शौकत रखने के लिए खरीददारी करते हैं। यदि इसी पैसे को सामाजिक विकास के कार्यों में लगा दिया जाए तो समाज न केवल उन्नति करेगा बल्कि वह अमीरी गरीबी के अंतर से भी बाहर निकलेगा। दूसरे इस पैसे का ग्रामीण आर्थिक व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए उपयोग किया जा सकता है। गाँवों को मूलभूत सुविधाएँ इसी पैसे से प्रदान की ��ा सकती हैं। यह पैसा गाँवों की तस्वीर बदल सकता है।
अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.‘बाज़ारे दर्शन’ निबंध की भाषा के बारे में बताइए।उत्तर:बाजार दर्शन जैनेंद्र द्वारा लिखा गया एक सार्थक निबंध है। इसमें निबंधकार ने सहज, सरल और प्रभावी भाषा का प्रयोग किया है। शब्दावली में कुछेक अन्य भाषाओं के शब्द भी आए हैं। लेकिन ये शब्द कठिन नहीं हैं। पाठक सहजता से इन्हें ग्रहण कर लेता है। भाषा की दृष्टि से यह एक सफल और प्रभावशाली निबंध है। वाक्य छोटे-छोटे हैं जो निबंध को अधिक संप्रेषणीय बनाते हैं।
प्रश्न 2.‘बाज़ार दर्शन’ निबंध किस प्रकार का है?उत्तर:निबंध प्रकार की दृष्टि से बाजार दर्शन को वर्णनात्मक निबंध कहा जा सकता है। निबंधकार ने हर स्थिति, घटाने का वर्णन किया है। प्रत्येक बात को विस्तारपूर्वक प्रस्तुत किया है। वर्णनात्मकता के कारण निबंध में रोचकता और स्पष्टता दोनों आ गए हैं। वर्णनात्मक निबंध प्रायः उलझन पैदा करते हैं लेकिन इस निबंध में यह कमी नहीं है।
प्रश्न 3.इस निबंध में अन्य भाषाओं के शब्द भी आए हैं, उनका उल्लेख कीजिए।उत्तर:निबंधकार ने हिंदी के अतिरिक्त अंग्रेज़ी, उर्दू, फारस भाषा के शब्दों का स्वाभाविक प्रयोग किया है। इन शब्दों के प्रयोग से निबंध की रोचकता और सार्थकता बढ़ी है। अंग्रेज़ी के शब्द-एनर्जी, बैंक, पर्चेजिंग पावर, मनी बैग, रेल टिकट, फैंसी स्टोर, शॉपिंग मॉल, ऑर्डर आदि। उर्दू फारसी के शब्द-नाहक, पेशगी, कमज़ोर, बेहया, हरज, बाज़ार, खलल, कायल, दरकार, माल-असबाब।
प्रश्न 4.निबंध में किस प्रकार की शैली का प्रयोग किया गया है।उत्तर:प्रस्तुत निबंध में जैनेंद्र जी ने मुख्य रूप से वर्णनात्मक, व्याख्यात्मक, उदाहरण आदि शैलियों का प्रयोग किया है। इन शैलियों के प्रयोग से निबंध की भाव संप्रेषणीयता बढ़ी है। साथ ही स्पष्टता और सरलता के गुण भी आ गए हैं। निबंधकार ने इन शैलियों का प्रयोग स्वाभाविक ढंग से किया है। इस कारण निबंध की रोचकता में वृद्धि हुई है। इनके कारण पाठक एक बैठक में निबंध को पढ़ लेना चाहता है।
प्रश्न 5.बाजार दर्शन से क्या अभिप्राय है?उत्तर:बाजार दर्शन से लेखक का अभिप्राय है बाज़ार के दर्शन करवाना अर्थात् बाज़ार के बारे में बताना कि कौन-कौन सी चीजें मिलती हैं कि वस्तुओं की बिक्री ज्यादा होती है। यह बाज़ार किस तरह आकर्षित करता है। लोग क्यों बाज़ार से ही आकर्षित होते हैं।
प्रश्न 6.उपभोक्तावादी संस्कृति क्या है?उत्तर:उपभोक्तावादी संस्कृति वास्तव में उपभोक्ताओं का समूह है। उपभोक्ता बाज़ार से सामान खरीदते हैं। यह वर्ग ही बाजार पैदा करता है। लोग अपने उपभोग की सारी वस्तुएँ बाज़ार से खरीदकर उनका उपभोग करते हैं। बाज़ार का सारा कारोबार इन्हीं पर निर्भर होता है।
प्रश्न 7.कौन-से लोग फिजूल खर्ची नहीं करते?उत्तर:लेखक कहता है कि संयमी लोग फिजूल खर्ची नहीं करते। वे उसी वस्तु को खरीदते हैं जिनकी उन्हें ज़रूरत होती है। बाजार के आकर्षण में ये कभी नहीं हँसते। उन्हें अपनी ज़रूरत से मतलब है न कि बाजारूपन से। जो चाहिए वही खरीदा नहीं तो छोड़ दिया।
प्रश्न 8.भगत जी के बारे में बताइए।उत्तर:लेखक ने भगत जी पात्र का वर्णन इस निबंध में किया है। उसके माध्यम से लेखक ने सं��ोष का पाठ पढ़ाया है। भगत जी केवल उतना ही सामान बेचते हैं जितना की बेचकर खर्चा चलाया जा सके। जब खर्चे लायक पैसे आ गए तो सामान बेचना बंद कर दिया। कभी किसी गरीब बच्चे को मुफ्त चूरन दे दिया। लेकिन ज्यादा सामान बेचने का लालच नहीं था।
प्रश्न 9.किस तरह का बाज़ार आदमी को ज्यादा आकर्षित करता है?उत्तर:लेखक के अनुसार ‘शॉपिंग मॉल’ व्यक्ति को ज्यादा आकर्षित करता है। उनकी सजावट देखकर व्यक्ति उनसे बहुत प्रभावित हो जाता है। वह उनके आकर्षण के जाल में फँस जाता है। इसी कारण वह उन चीजों को भी खरीद लेता है जिसकी उसे कोई जरूरत नहीं होती। वास्तव में, शॉपिंग मॉल ऊँचे रेटों पर सामान बेचते हैं।
प्रश्न 10.बाज़ार का जादू क्या है? उसके चढ़ने-उतरने का मनुष्य पर क्या प्रभाव पड़ता है? ‘बाज़ार दर्शन’ पाठ के आधार पर उत्तर लिखिए। (CBSE-2009)उत्तर:बाजार की चमक-दमक व उसके आकर्षण में फँसकर व्यक्ति खरीददारी करता है तो यही बाजार का जादू है। बाजार का जादू मनुष्य पर तभी चलता है जब उसके पास धन होता है तथा वस्तुएँ खरीदने की निर्णय क्षमता नहीं होती। वह आराम वे अपनी शक्ति दिखाने के लिए निरर्थक चीजें खरीदता है। जब पैसे खत्म हो जाते हैं तब उसे पता चलता है कि आराम के नाम पर जो गैर जरूरी वस्तुएँ उसने खरीदी हैं, वे अशांति उत्पन्न करने वाली है। वह झल्लाता है, परंतु उसका अभिमान उसे तुष्ट करता है।
प्रश्न 11.भगत जी बाज़ार को सार्थक व समाज को शांत कैसे कर रहे हैं?अथवा‘बाज़ार दर्शन’ के लेखक ने भगत जी का उदाहरण क्यों दिया है? स्पष्ट कीजिए।उत्तर:लेखक ने इस निबंध में भगत जी का उदाहरण दिया है जो बाज़ार से काला नमक व जीरा लाकर वापस लौटते हैं। इन पर बाज़ार का आकर्षण काम नहीं करता क्योंकि इन्हें अपनी ज़रूरत का ज्ञान है। इससे पता चलता है कि मन पर नियंत्रण वाले व्यक्ति पर बाजार का कोई प्रभाव नहीं होता। ऐसे व्यक्ति बाजार को सही सार्थकता प्रदान करते हैं। दूसरे, उनका यह रुख समाज में शांति पैदा करता है क्योंकि यह पैसे की पावर नहीं दिखाता। यह प्रतिस्पर्धा नहीं उत्पन्न करता।
प्रश्न 12.खाली मन तथा भरी जेब से लेखक का क्या आशय है? ये बातें बाजार को कैसे प्रभावित करती हैं? (CBSE-2014)उत्तर:खाली मन तथा जेब भरी होने से लेखक का आशय है कि मन में किसी निश्चित वस्तु को खरीदने की निर्णय शक्ति का न होना तथा मनुष्य के पास धन होना। ऐसे व्यक्तियों पर बाज़ार अपने चमकदमक से कब्जा कर लेता है। वे गैर ज़रूरी चीजें खरीदते हैं।
प्रश्न 13.‘बाज़ार दर्शन’ पाठ के आधार पर ‘पैसे की व्यंग्य शक्ति’ कथन को स्पष्ट कीजिए। (CBSE-2015, 2016)उत्तर:लेखक बताता है कि पैसे में व्यंग्य शक्ति होती है। यदि कोई समर्थ व्यक्ति दूसरे के सामने किसी महंगी वस्तु को खरीदे तो दूसरा व्यक्ति स्वयं को हीन महसूस करता है। पैदल या दोपहिया वाहन चालक के पास से धूल उड़ाती कार चली जाए तो वह परेशान हो उठता है। वह स्वयं को कोसता रहता है। वह भी कार खरीदने के पीछे लग जाता है। इसी कारण बाज़ार में माँग बढ़ती है।
प्रश्न 14.‘बाज़ार दर्शन’ पाठ के आधार पर बताइए कि पैसे की पावर का रस किन दो रूपों में प्राप्त किया जाता है?उत्तर:पैसे की पावर का रस फिजूल की व���्तुएँ खरीदने, माल असबाब, मकान-कोठी आदि के द्वारा लिया जाता है। यदि पैसा खर्च न भी किया जाए तो अधिक धन पास रहने से भी गर्व का अनुभव किया जा सकता है।
प्रश्न 15.‘बाज़ार दर्शन’ निबंध उपभोक्तावाद एवं बाज़ारवाद की अंतर्वस्तु को समझाने में बेजोड़ है।’-उदाहरण देकर इस कथन पर अपने विचार प्रस्तुत कीजिए। (CBSE-2013)उत्तर:यह निबंध उपभोक्तावाद एवं बाजारवाद की अंतर्वस्तु को समझाने में बेजोड़ है। लेखक बताता है कि बाजार का आकर्षण मानव मन को भटका देता है। वह उसे ऐशोआराम की वस्तुएँ खरीदने की तरह आकर्षित करता है। लेखक ने भगत जी के माध्यम से नियंत्रित खरीददारी का महत्त्व भी प्रतिपादित किया है। बाजार मनुष्य की ज़रूरतें पूरी करें। इसी में उसकी सार्थकता है, अन्यथा यह समाज में ईर्ष्या, तृष्णा, असंतोष, लूटखसोट को बढ़ावा देता है।
प्रश्न 16.बाज़ार जाते समय आपको किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? ‘बाज़ार दर्शन’ पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए। (CBSE-2014)उत्तर:बाज़ार जाते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए
हमें ज़रूरत के सामान की सूची बनानी चाहिए।
हमें बाजार के आकर्षण से बचना चाहिए।
हमारा मन निश्चित खरीददारी के लिए होना चाहिए।
बाज़ार में क्रयक्षमता का प्रदर्शन ने करके जरूरत का सामान लेना चाहिए।
बाजार में असंतोष व हीन भावना से दूर रहना चाहिए।
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जनवरी 2018 का मासिक राशिफल, इनके लिए शुभ महीना
मेष (Aries): भाग्य के साथ में कमी महीने के प्रारंभ में आप बाहर घूमने-फिरने जाने का कार्यक्रम बनाएंगे परंतु स्वयं की व्यस्तता के कारण शायद उसका पर्याप्त आनंद नहीं उठा सकेंगे जिसके कारण मानसिक असंतोष रहेगा। जल्दबाजी में किए गए कार्यों के कारण आपको असफलता हाथ लगेगी। छोटी दूरी की यात्रा का योग बनेगा। अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें। आपमें थोड़ा आलस और शिथिलता भी आएगी। कोई नया कार्य शुरू किया हो उसे बीच में आधा छोड़ देने की इच्छा होगी। धन खर्च हो सकता है। आप उत्साहित मिजाज में स्फूर्ति का अनुभव करेंगे। आपके नए विजातीय मित्र बनने की संभावना है। आपको ऐसा प्रतीत होगा कि भाग्य का साथ नहीं मिल रहा है। आमदनी के स्रोत में रुकावट महसूस होगी और नुकसान की आशंका रहेगी। पिता और संतान के साथ किसी भी विषय में विवाद से बचें। इस समय के दौरान धार्मिक कार्य करेंगे तो उससे आपको किसी न किसी प्रकार से लाभ की संभावना रहेगी। आपको कार्य में सफलता प्राप्त होगी। आप कुछ नया सृजनात्मक कार्य करने के लिए उत्सुक रहेंगे। बुजुर्गों तथा मित्रों का सहयोग प्राप्त होगा। आपका स्वास्थ्य बिगड़ने की संभावना है। व्यस्तता के कारण समय का व्यवस्थित नियोजन न कर सकने से आपके लिए असमंजस भरी स्थिति उत्पन्न होगी। आपके बनते हुए कार्यों में रुकावट आ सकती है। आर्थिक विषय में आप किसी पर भी विश्वास न करें। वृषभ (Taurus): नया परिवर्तन आएगा नए वर्ष की शुरुआत में आप अधिक भावुक बनेंगे। आपके विचार सकारात्मक रहेंगे। अपने जीवन में अधिक सरलता का अनुभव करेंगे। आप अपनी समस्याओं का समाधान करने में मु��्किल का अनुभव करेंगे। किसी नए कार्य की शुरुआत करना हो तो थोड़े समय इंतजार करना हितकारी है क्योंकि जैसे-जैसे समय व्यतीत होता जाएगा वैसे-वैसे आप पूरे लगन और तत्परता से कार्य करेंगे। आपके लिए धन लाभ का दिन रहेगा। आप नौकरी करते हैं तो वरिष्ठ अधिकारी आपके काम से खुश रहेंगे। विद्यार्थी इस समय के दौरान विद्या-अध्ययन में प्रवृत रहेंगे। आप कभी-कभी उदासीनता का अनुभव कर सकते हैं परंतु आप अपने कार्य को पूरी मेहनत और लगन से पूर्ण करने के लिए प्रयत्नशील रहेंगे। सरकारी कामकाज में यदि लापरवाही रखेंगे तो तकलीफ हो सकती है। पिता की तबियत और प्रोपर्टी से संबंधित कार्यों में सावधानीपूर्वक आगे बढ़ें। महीने के उत्तरार्ध में धीरे-धीरे आप अपने कार्यों में रचनात्मक ढंग से सक्रिय रहेंगे। यदि आपका लक्ष्य ऊंचा होगा तो आप और दृढ़ता से उसके लिए कदम बढ़ाएंगे। इस समय के दौरान गणेशजी की सलाह है कि आप अपने मिथ्याभिमान से दूर रहें। आपके जीवन में कुछ नए अवसरों के साथ नया परिवर्तन आएगा। आपकी आत्मीयता में वृद्धि होगी। महीने के मध्य में स्वास्थ्य ध्यान रखें। आप खुद को चारों ओर से चिंता में घिरा हुआ अनुभव कर सकते हैं। किसी भी समस्या का समाधान लाने का अथक प्रयत्न करेंगे फिर भी अपेक्षित सफलता नहीं मिलेगी। आपकी शारीरिक स्फूर्ति के सामने मानसिक स्फूर्ति में कमी आती हुई महसूस होगी। मिथुन (Gemini): यशकीर्ति में वृद्धि होगी इस दौरान कोई भी निर्णय लेने में असमर्थ रहेंगे जिसके कारण आपको यह समझ में नहीं आएगा कि, क्या करें और क्या न करें। इस मानसिक असमंजस के कारण हर एक निर्णय गलत होता लगेगा। घर में बहस करने से बचें और जीवनसाथी के साथ व्यर्थ वाद-विवाद से दूर रहें। किसी भी काम में जल्दबाजी न करें। आपके साथ धोखा हो सकता है। अपच तथा पेट संबंधी रोगों के कारण परेशानी हो सकती है। उच्चाधिकारी और प्रतिष्ठित व्यक्तियों से मिलने का सुयोग बन सकता है। प्रोफेशनल मोर्चे पर परिचित व्यक्तियों की संख्या में वृद्धि होगी। नौकरी में पद-प्रतिष्ठा का लाभ मिल सकता है। यशकीर्ति में वृद्धि होगी। कामकाज में अधिक व्यस्त रहेंगे। पारिवारिक सुखशांति में वृद्धि होगी। काम को गंभीरता से लेंगे जिसके कारण काम का बोझ भी कम रहेगा और मानसिक शांति का अनुभव करेंगे। महीने के अंतिम चरण में सपरिवार बाहर घूमने जाने की योजना बना सकते हैं। घर परिवार में तनावपूर्ण वातावरण रहेगा। आपके काम में बाधाएं भी सकती हैं। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। कर्क (Cancer): आर्थिक लाभ मिल सकता है गणेशजी कह रहे ह���ं कि महीने के प्रारंभिक सप्ताह में आप घर के विषय में आवश्यकता से अधिक ध्यान देंगे। आपकी मानसिक चंचलता भी अधिक रहेगी। परिवार अथवा प्रोफेशन से संबंधित निर्णय लेने ��े लिए दूसरे सप्ताह तक इंतजार करें। परिवार के सदस्यों के साथ बैठकर महत्वपूर्ण विचार-विमर्श करेंगे तथा घर की कायापलट करने के लिए किसी नयी योजना के विषय में विचार बनाएंगे। परंतु इस विचार-विमर्श के दौरान आप अपनी ही बात सत्य होने का आग्रह रखकर दूसरों के दिमाग पर थोपने का प्रयास न करें। दूसरे सप्ताह में आपको आर्थिक लाभ मिलने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। यात्रा की तैयारी रखें। नया काम शुरू कर सकते हैं। भूतकाल में आप भावनाओं के प्रवाह में बह रहे थे वह स्थिति अभी भी यथावत रहेगी। दांपत्यजीवन में परस्पर संवाद बने रहने से सुख और संतोष प्राप्त कर सकेंगे। कामकाज के स्थान पर विपरीत लिंग वाले व्यक्तियों के साथ आपकी निकटता बढ़ेगी। वाहन सुख का योग भी है। आनंद करें! प्रियजनों के साथ सुखद क्षणों का आनंद उठा सकेंगे। आप कलात्मक अंदाज में अपनी बात प्रस्तुत कर सकेंगे। हालांकि महीने के उत्तरार्ध में परिजनों के साथ चर्चा करते समय आपकी वाणी में उग्रता न आए इसका ख्याल रखें। वाणी पर संयम रखेंगे तो बड़ी समस्या टाल सकेंगे। सिंह (Leo): धर्म के कार्यों में रूचि रहेगी आर्थिक मामलों में धैर्य से काम लें। परिवार में कोई वाद-विवाद हो सकता है। जीवन में अचानक आयी हुई तकलीफ से आप दुःखी रहेंगे। वाहन सावधानीपूर्वक चलाएं। मित्रों और रिश्तेदारों से सहयोग प्राप्त करेंगे। अपनी इच्छा आप किसी भी प्रकार से पूरी करेंगे। आप व्यापार में व्यस्त रहेंगे, जो आपको लाभ कराएगा। कहीं से शुभ समाचार प्राप्त होगा। किसी वस्तु की खरीदी करेंगे। आपके कार्य की प्रशंसा तो होगी किंतु आर्थिक लाभ अपेक्षा के अनुसार नहीं मिलेगा। लंबे समय से चली आ रही किसी चिंता का अंत होगा। धर्म के कार्यों में रूचि रहेगी। छोटी-मोटी यात्रा होगी। नए कार्य करने के लिए आप प्रयत्नशील रहेंगे। उत्तरार्ध के दौरान स्वास्थ्य अनुकूल रहेगा। आमदनी के साथ खर्च की मात्रा अधिक रहेगी। नौकरी में बॉस आपके काम से खुश रहेंगे। संतान से संबंधित जो भी परेशानियां तथा चिंताएं होंगी उनका अंत होगा। परिवार और मित्रों के साथ हंसी-मजाक और आनंदमय समय बिताएंगे। विद्यार्थियों का पढ़ाई में मन लगा रहेगा। आपको अपने सपने पूरे होते हुए महसूस होंगे। आपके लिए कोई भी कार्य असंभव नहीं होगा। लेन-देन और कोर्ट-केस संबंधी मामलों का समाधान होगा। किसी भी दस्तावेज पर सोचविचार कर हस्ताक्षर करें। आप अपनी जवाबदेही बेहद बढ़िया ढंग से निभाएंगे। आर्थिक हालत में तो सुधार होगा। परंतु अपने खर्चों पर नियंत्रण रखना जरूरी रहेगा। कन्या (Virgo): निवेश आपको लाभ प्राप्त कराएगा महीने के पहले चरण में आप नए कार्य करने के लिए प्रयत्नशील रहेंगे। स्वास्थ्य वैसे तो अनुकूल रहेगा परंतु 5 और 6 तारीख के दिन थोड़ी बैचेनी और अनिद्रा की समस्या आ सकती है। आमदनी के साथ खर्च की मात्रा अधिक रहेगी। नौकरी करने वालों के मामले में बॉस आपके काम से खुश रहेंगे। पुराना फंसा हुआ ��न प्राप्त होगा। दूसरों के झगड़े में न पड़ें। इन दिनों आपके प्रणय संबंधों में कटुता आएगी। पति-पत्नी के बीच झगड़ा हो सकता है। आप उदास और अकेलेपन का अनुभव करेंगे। वाहन सावधानीपूर्वक चलाएं अन्यथा कोई अप्रिय घटना घटित हो सकती है। किसी अंजान व्यक्ति पर भरोसा करना हितकारी नहीं है आप अपने ज्ञान और सूझ-बूझ से काम पूरा करेंगे। दूसरे सप्ताह के बाद आप दैनिक कार्यों में व्यस्त रहेंगे। बुद्धि-विवेक से किया गया निवेश आपको लाभ प्राप्त कराएगा। कैरियर तथा भविष्य संबंधी योजना आगे बढ़ेगी। आपके कार्य में किसी की मदद मिलती रहेगी। पूजा-पाठ में समय बिताएंगे। घर में प्रसन्नता का वातावरण रहेगा। आपके जीवन में कुछ बदलाव आएंगे और संबंधों में मधुरता आएगी। ऑफिस के काम से यात्रा पर जा सकते हैं। निजी और दांपत्यजीवन के साथ व्यवसायिक कार्यों का तालमेल अच्छी तरह से बिठा सकेंगे। पुरानी चिंताओं से मुक्त होंगे और खुशी का अनुभव करेंगे। उत्तरार्ध के दौरान आपको प्रणयसंबंध में थोड़ी सावधानी बरतनी पड़ेगी। आपके संबंधों में बड़ा परिवर्तन आ सकता है। आपके बीच में अहं का प्रश्न भी खड़ा हो सकता है। शत्रु और विरोधी आपका सामना नही कर सकेंगे। आपका पूरा ध्यान संतान की पढ़ाई के ऊपर रहेगा। तुला (Libra): किसी पर अधिक भरोसा न करें प्रेम प्रसंग अथवा अन्य किसी व्यर्थ के काम को लेकर अपना करियर न बिगाड़ें। बच्चों और परिवार के निकट रहेंगे। मतभेद और गलतफहमी बातचीत द्वारा दूर कर सकेंगे। नए मित्र बनेंगे जो आगे चलकर आपके लिए सहायक सिद्ध होंगे। अपनी अनोखी कार्यशैली से आप अलग पहचान बनाएंगे। साझेदारी के काम में लाभ मिलेगा तथा नए संयुक्त कार्य शुरू करने के लिए अथवा नए करार करने के लिए भी अनुकूल समय है। किसी पुराने मित्र से मुलाकात होगी। मानसिक चिंता से आप राहत प्राप्त करेंगे। व्यापार के लिए स्थिति उतनी अनुकूल नहीं रहेगी। किसी पर भरोसा न करें। विशेषकर उत्तरार्ध के दौरान अहित चाहने वाले आपको पराजित करने का प्रयास करेंगे। घर-परिवार के लोग आपके विरुद्ध हों ऐसा महसूस होगा। आपके लिए अशांति और परेशानी रहेगी। विद्यार्थियों के लिए समय शुभ फलदायी रहेगा। राजकीय कार्य में आप व्यस्त रहेंगे तथा इस विषय में आपकी बढ़ती हुई रुचि आपके जीवन को नयी दिशा में ले जा सकती है। 18 तारीख के बाद स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना होगा। वृश्चिक (Scorpio): आर्थिक मामलों में धीरज से काम लें शत्रु और विरोधी आपका सामना नहीं कर सकेंगे परंतु सावधानी बरतना जरूरी है। आपका ध्यान संतान की पढ़ाई पर रहेगा। किसी मित्र के साथ अपने मन की बात करेंगे। पारिवारिक सुख शांति में वृद्धि होगी। इस समय आपकी आमदनी सामान्य रहेगी। शिक्षा के मामले समय छात्रों के लिए समय अनुकूल रहेगा। परिवार और नाते-रिश्तेदारों से धन प्राप्ति हो सकती है। स्वास्थ्य की छोटी-मोटी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। यदि आपने प्रोफेशनल मामलों में कार्य पूरा होने की आशा रखी है तो ��समें आपको निराशा प्राप्त होगी। किसी नजदीकी व्यक्ति के शब्दों से आपको दुःख हो सकता है। आर्थिक मामलों में धीरज से काम लें। परिवार के सदस्यों का सहयोग प्राप्त होगा। बहुत बढ़िया ढंग से आपका कार्य पूर्ण करेंगे। मित्रों और साझेदारों का सहयोग प्राप्त होगा। किसी धार्मिक प्रसंग में जाने का कार्यक्रम बनेगा। आपके आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। कैरियर के लिए उत्तम समय रहेगा। आपको व्यवसाय में लाभ प्राप्त होगा। माता-पिता के साथ आत्मीयता में वृद्धि होगी। यदि आप संतान को लेकर चिंतित हैं तो उसका अंत होगा। आपको सच्ची आत्मीयता रखने वाले शुभचिंतक प्राप्त होंगे। आपके सामाजिक संपर्क बढ़ेंगे। बुद्धिपूर्वक किया गया निवेश आपको लाभ प्राप्त कराएगा। करियर और भविष्य की योजना आगे बढ़ेगी। किसी नए कार्य की गतिविधि चालू रहेगी। धनु (Sagittarius): अवरोधों के बाद लाभ प्राप्त होगा इस महीने के आरंभ से अपने स्वास्थ्य के लिए सावधानी बरतनी पड़ेगी अन्यथा आपके कार्य में बाधाएं आ सकती हैं। संभलकर समय व्यतीत करें। बाहर घूमने जाने का कार्यक्रम बने तो पानी, जलाशय, नदी से दूर रहें। इस समय आपके कार्य में बाधाएं अधिक आएंगी, समझदारी से काम करें। महीने के उत्तरार्ध के दौरान धन हानि हो सकती है। शुरुआती सप्ताह में आपको धार्मिक और आध्यात्मिक कार्य में रूचि रहेगी। आपके विचारों में 8 तारीख तक नकारात्मकता रहने की संभावना होने से ��हत्वपूर्ण निर्णय लेने से बचें। हालांकि उसके बाद के समय में आपके अपेक्षित कार्य पूरे होने के कारण मन प्रसन्न रहेगा। किसी सरकारी स्रोत से अनेक अवरोधों के बाद लाभ प्राप्त होगा। आपके करियर को नयी दिशा प्राप्त होगी। फिलहाल की हुई आमदनी आपके पास लंबे समय तक टिक सकती है। जीवनसाथी के साथ आनंद-प्रमोद का समय है। आपके विवाह स्थान में स्थित शुक्र के कारण घूमने-फिरने, सिनेमा नाटक, गीत-संगीत, आमोद-प्रमोद और सुरुचिकर भोजन की प्राप्ति होगी। मकर (Capricorn): आमदनी में वृद्धि होगी इस महीने प्रथम पखवाड़े में बुध राशि बदलकर धनु राशि में अर्थात् आपकी राशि से बारहवें स्थान में प्रवेश कर रहा है। उसके प्रभाव के चलते आपका समय वैचारिक उथल-पुथल से व्यतीत होगा तथा एक ही समय मस्तिष्क में आने से दो विचारों में अत्यधिक विरोधाभास देखने को मिलेगा। नवीन निर्णय लेते समय अत्यंत सतर्क रहने की सलाह है। विद्यार्थियों के लिए भी अधिक परिश्रम का समय दिखाई दे रहा है। शुक्र इस महीने के अंतिम पखवाड़े में मकर राशि में आएंगे। इस दौरान किसी हिल स्टेशन अथवा प्राकृतिक सौंदर्य वाले स्थल पर घूमने जाने का कार्यक्रम बनेगा। उसके प्रभाव के चलते आपकी आमदनी में वृद्धि होगी। परिवार में कोई शुभ काम होगा अथवा आप कोई धार्मिक अथवा शुभ काम में उपस्थिति दर्ज कराने का प्रसंग बन सकता है। इसके विपरीत आप वस्त्रों, आभूषणों, मनोरंजन की वस्तुओं इत्यादि में खर्च करेंगे। किसी के साथ नए संबंधों की शुरूआत होने की संभावना भी दिखाई दे रही है। प्रथम पखवाड़े में सूर्य आपके व्यय स्थान में है जिसे बढ़िया स्थिति नहीं कहा जा सकता है। कोर्ट-क��हरी के विषय में आपकी पराजय होने की संभावना है। आमदनी में अवरोध अथवा किसी भी प्रकार से आप पर उधार वसूली के दबाव की संभावना बढ़ेगी। व्यावसायिक मोर्चों पर आपकी प्रतिष्ठा भंग न होगा इसका विशेष ख्याल रखें। कुंभ (Aquarius): खर्च की मात्रा अधिक होगी भाग्य की सहायता अपेक्षाकृत कम मिलेगी। लक्ष्य हासिल करने के लिए मेहनत अधिक करनी पड़ेगी। नौकरी एवं व्यापार दोनों में संघर्ष करना पड़ेगा। नौकरी के स्थान पर आपके किए गए काम का प्रतिफल कम मिलेगा। आपके मौज-शौक में वृद्धि होगी। स्त्री मित्र से लाभ होगा परंतु इस पर खर्च की मात्रा अधिक होगी। कभी-कभी उसके कारण कहीं फंसने की नौबत न आ जाए विशेष सावधानी बरतें। बुद्धि का उपयोग करेंगे तो तकलीफ नहीं आएगी। सरकारी नौकरी करते हैं तो वहां उत्तरार्ध के दौरान फंस न जाएं इसकी सावधानी रखें। महीने के अंतिम चरण में शुक्र मकर राशि में प्रवेश करेगा, जो कि सूर्य के साथ युति करेगा। सरकारी कामकाज में विशेष बुद्धि से निर्णय करना जरूरी है। आपके विवाहेत्तर अथवा अनैतिक संबंध की जानकारी घर पर हो जाए इसके लिए सावधान रहें। यह समय आपके लिए संघर्षपूर्ण कहा जा सकता है। सरकारी कामकाज में तकलीफ आने की संभावना है। मीन (Pisces): लाभ कम मिलेगा इस महीने एक ग्रह उत्तम तो एक ग्रह डिस्टर्ब रहेगा। इस प्रकार कुल मिलाकर साल का पहला महीना साधारण कहा जा सकता है। नए प्रकार का टारगेट और संतुष्टि दोनों आपके पास होंगी तो आपको आदर प्राप्त होगा। आपके जो अपने मूल्य हैं उनसे भौतिक पहचान प्राप्त होगी। नए मित्र, नए संबंध बनाने की प्रेरणा प्राप्त होगी। पिछले महीनों में जिस प्रकार मंगल का लाभ मिला है इस महीने उससे कम लाभ मिलेगा परंतु तकलीफ नहीं आएगी। अभी भी मंगल आपके लिए खूब सारे गिफ्ट लाने वाला है। श्री गणेशजी को मंगल महाराज पर विशेष प्रेम है क्योंकि श्री गणेशजी मंगल के पूज्यदेव हैं। साल 2017 के अंतिम महीने में आपने बहुत सारे तूफानों का अनुभव किया है जिसके कारण आप खूब अच्छी तरह से परिपक्व हो गए हैं। अब इस महीने आप अपनी आसपास की प्राथमिकताओं और लेनदेन को एकत्रित करके उसका लाभ लेना चाहें तो ले सकेंगे। मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर 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NCERT Class 12 Hindi Chapter 12 Bajar Darshan
NCERT Class 12 Hindi Chapter 12 :: Bajar Darshan
(बाजार दर्शन)
(गद्य भाग)
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
पाठ के साथ
प्रश्न 1.बाजार का जादू चढ़ने और उतरने पर मनुष्य पर क्या-क्या असर पड़ता है? (CBSE-2010-2012, 2015)उत्तर:बाजार का जादू चढ़ने और उतरने पर मनुष्य पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ते हैं –
बाजार में आकर्षक वस्तुएँ देखकर मनुष्य उनके जादू में बँध जाता है।
उसे उन वस्तुओं की कमी खलने लगती है।
वह उन वस्तुओं को जरूरत न होने पर भी खरीदने के लिए विवश होता है।
वस्तुएँ खरीदने पर उसका अह संतुष्ट हो जाता है।
खरीदने के बाद उसे पता चलता है कि जो चीजें आराम के लिए खरीदी थीं वे खलल डालती हैं।
उसे खरीदी हुई वस्तुएँ अनावश्यक लगती हैं।
प्रश्न 2.
बाजार में भगत जी के व्यक्तित्व का कौन-सा सशक्त पहलू उभरकर आता है? क्या आपकी नज़र में उनको आचरण समाज में शांति स्थापित करने में मददगार हो सकता है? (CBSE-2008)उत्तर:भगत जी समर्पण भी भावना से ओतप्रोत हैं। धन संचय में उनकी बिलकुल रुचि नहीं है। वे संतोषी स्वभाव के आदमी हैं। ऐसे व्यक्ति ही समाज में प्रेम और सौहार्द का संदेश फैलाते हैं। इसलिए ऐसे व्यक्ति समाज में शांति स्थापित करने में मददगार साबित होते हैं।
प्रश्न 3.‘बाज़ारूपन’ से क्या तात्पर्य है? किस प्रकार के व्यक्ति बाजार को सार्थकता प्रदान करते हैं अथवा बाज़ार की सार्थकता किसमें हैं? (CBSE-2016, 2017)उत्तर:‘बाजारूपन’ से तात्पर्य है-दिखावे के लिए बाजार का उपयोग। बाजार छल व कपट से निरर्थक वस्तुओं की खरीदफ़रोख्त, दिखावे व ताकत के आधार पर होने लगती है तो बाजार का बाजारूपन बढ़ जाता है। क्रय-शक्ति से संपन्न की पुलेि व्यिक्त बाल्पिनक बताते हैं। इसप्रतिसे बारक सवा लधनाह मिलता। शणक प्रति बढ़ जाती है। वे व्यक्ति जो अपनी आवश्यकता के बारे में निश्चित होते हैं, बाजार को सार्थकता प्रदान करते हैं। बाजार का कार्य मनुष्य कल कपू करता है जहातक सामान मल्नेप बार सार्थकह जाता है। यह पॉड” पावरक प्रर्शना नहीं होता।
प्रश्न 4.बाज़ार किसी का लिंग, जाति, धर्म या क्षेत्र नहीं देखता, वह देखता है सिर्फ उसकी क्रय शक्ति को। इसे रूप में वह एक प्रकार से ��ामाजिक समता की भी रचना कर रहा है। आप इससे कहाँ तक सहमत हैं? (CBSE-2008)उत्तर:यह बात बिलकुल सत्य है कि बाजारवाद ने कभी किसी को लिंग, जाति, धर्म या क्षेत्र के आधार पर नहीं देखा। उसने केवल व्यक्ति के खरीदने की शक्ति को देखा है। जो व्यक्ति सामान खरीद सकता है वह बाजार में सर्वश्रेष्ठ है। कहने का आशय यही है कि उपभोक्तावादी संस्कृति ने सामाजिक समता स्थापित की है। यही आज का बाजारवाद है। प्रश्न 5. आप अपने समाज से कुछ ऐसे प्रसंग का उल्लेख करें(क) जब पैसा शक्ति के परिचायक के रूप में प्रतीत हुआ।(ख) जब पैसे की शक्ति काम नहीं आई।उत्तर:(क) एक बार एक कार वाले ने एक बच्चे को जख्मी कर दिया। बात थाने पर पहुँची लेकिन थानेदार ने पूरा दोष बच्चे के माता-पिता पर लगा दिया। वह रौब से कहने लगा कि तुम अपने बच्चे का ध्यान नहीं रखते। वास्तव में पैसों की चमक में थानेदार ने सच को झूठ में बदल दिया था। तब पैसा शक्ति का परिचायक नजर आया।
(ख) एक व्यक्ति ने अपने नौकर का कत्ल कर दिया। उसको बेकसूर मार दिया। पुलिस उसे थाने में ले गई। उसने पैसे ले-देकर मामले को सुलझाने का प्रयास किया लेकिन सब बेकार। अंत में उस पर मुकदमा चला। आखिरकार उसे 14 वर्ष की उम्रकैद हो गई। इस प्रकार पैसे की शक्ति काम नहीं आई।
पाठ के आसपास
प्रश्न 1.‘बाज़ार दर्शन’ पाठ में बाज़ार जाने या न जाने के संदर्भ में मन की कई स्थितियों का जिक्र आया है। आप इन स्थितियों से जुड़े अपने अनुभवों का वर्णन कीजिए।
मन खाली हो
मन खाली न हो
मन बंद हो
मन में नकार हो
उत्तर:
मनखालौ हो–जब मनुष्य का मन खाली होता है तो बाजार में अनाप–शनाप खरीददारी की जाती है । बजर का जादू सिर चढकर बोलता है । एक बार में मेले में घूमने गया । वहाँ चमक–दमक, आकर्षक वस्तुएँ मुझे न्योता देती प्रतीत हो रहीं थीं । रंग–बिरंगी लाइटों से प्रभावित होकर मैं एक महँगी ड्रेस खरीद लाया । लाने के खाद पता चला कि यह आधी कीमत में फुटपाथ पर मिलती है ।
मन खाली न हो–मन खाली न होने पर मनुष्य अपनी इच्छित चीज खरीदता है । उसका ध्यान अन्य वस्तुओं पर नहीं जाता । में घर में जरूरी सामान की लिस्ट बनाकर बाजार जाता है और सिफ्रे उन्हें ही खरीदकर लाता हूँ । मैं अन्य चीजों को देखता जरूर हूँ, पर खरीददारी वहीं करता हूँजिसकौ मुझे जरूरत होती है ।
मनबंदहो–मन ईद होने पर इच्छाएँ समाप्त हो जाती हैं । वैसे तो इच्छाएँ कभी समाप्त नहीं होतीं, परंतु कभी–कभी पन:स्थिति ऐसी होती है कि किसी वस्तु में मन नहींलगता । एक दिन में उदास था और मुझे बाजार में किसी वस्तु में कोई दिलचस्पी नहीं थी । अत: में विना कहीं रुके बाजार से निकल आया ।
मन में नकार हो–मन में नकारात्मक भाव होने से बाजार की हर वस्तु खराब दिखाई देने लगती है । इससे समाज इसका विकास रुक जाता है । ऐसा असर किसी के उपदेश या सिदूधति का पालन करने से होता है । एक दिन एक साम्यवादी ने इस तरह का पाठ पढाया कि बडी कंपनियों की वस्तुएँ मुझें शोषण का रूप दिखाई देने लगी।
प्रश्न 2.‘बाज़ार दर्शन’ पाठ में किस प्रकार के ग्राहकों की बात हुई है? आप स्वयं को किस श्रेणी का ग्राहक मानते/मानती हैं?उत्तर:इस पाठ में प्रमुख रूप से दो प्रकार के ग्राहकों का चित्रण निबंधकार ने किया है। एक तो वे ग्राहक, जो ज़रूरत के अनुसार चीजें खरीदते हैं। दूसरे वे ग्राहक जो केवल धन प्रदर्शन करने के लिए चीजें खरीदते हैं। ऐसे लोग बाज़ारवादी संस्कृति को ज्यादा बढ़ाते हैं। मैं स्वयं को पहले प्रकार का ग्राहक मानता/मानती हैं क्योंकि इसी में बाजार की सार्थकता है।
प्रश्न 3.आप बाज़ार की भिन्न-भिन्न प्रकार की संस्कृति से अवश्य परिचित होंगे। मॉल की संस्कृति और सामान्य बाज़ार और हाट की संस्कृति में आप क्या अंतर पाते हैं? पर्चेजिंग पावर आपको किस तरह के बाजार में नजर आती है?उत्तर:मॉल को संस्कृति से बाजार को पर्चेजिग पावर को बढावा मिलता है । यह संस्कृति उच्च तथा उच्च मध्य वर्ग से संबंधित है । यहाँ एक ही छत के नीचे विभिन्न तरह के सामान मिलते हैं तथा चकाचौंध व लूट चरम सोया पर होती है । यहाँ बाजारूपन भी फूं उफान पर होता है । सामान्य बाजार में मनुष्य की जरूरत का सामान अधिक होता है । यहाँ शोषण कम होता है तथा आकर्षण भी कम होता है । यहाँ प्राहक व दूकानदार में सदभाव होता है । यहाँ का प्राहक मध्य वर्ग का होता है।
हाट – संस्कृति में निम्न वर्ग व ग्रमीण परिवेश का गाहक होता है । इसमें दिखाया नहीं होता तथा मोल-भाव भी नाम- हैं का होता है । ।पचेंजिग पावर’ मलि संस्कृति में नज़र आती है क्योंकि यहाँ अनावश्यक सामान अधिक खरीदे जाते है।
प्रश्न 4.लेखक ने पाठ में संकेत किया है कि कभी-कभी बाज़ार में आवश्यकता ही शोषण का रूप धारण कर लेती है। क्या आप इस विचार से सहमत हैं? तर्क सहित उत्तर दीजिए। (CBSE-2008)उत्तर:आवश्यकता पड़ने पर व्यक्ति अपेक्षित वस्तु हर कीमत पर खरीदना चाहता है। वह कोई भी कीमत देकर उस वस्तु को प्राप्त कर लेना चाहता है। इसलिए वह कई बार शोषण का शिकार हो जाता है। बेचने वाला तुरंत उस वस्तु की कीमत मूल कीमत से ज्यादा बता देता है। इसीलिए लेखक ने ठीक कहा है कि आवश्यकता ही शोषण का रूप धारण कर लेती है।
प्रश्न 5.स्त्री माया न जोड़े यहाँ मया शब्द किस ओर संकेत कर रहा है? स्त्रियों द्वारा माया जोड़ना प्रकृति प्रदत्त नहीं, बल्कि परिस्थितिवश है। वे कौन-सी परिस्थितियाँ होंगी जो स्त्री को माया जोड़ने के लिए विवश कर देती हैं?उत्तर:यहाँ ‘माया‘ शब्द का अर्थ है–धन–मगाती, जरूरत की वस्तुएँ । आमतौर पर स्तियों को माया जोड़ते देखा जाता है । इसका कारण उनकी परिस्थितियों है जो निम्नलिखित हैं –
आत्मनिर्भरता की पूर्ति ।
घर की जरूरतों क्रो पूरा करना ।
अनिश्चित भविष्य ।
अहंभाव की तुष्टि ।
बच्चों की शिक्षा ।
संतान–विवाह हेतु ।
आपसदारी
प्रश्न 1.ज़रूरत-भर जीरा वहाँ से लिया कि फिर सारा चौक उनके लिए आसानी से नहीं के बराबर हो जाता है-भगत जी की इस संतुष्ट निस्पृहता की कबीर की इस सूक्ति से तुलना कीजिएचाह गई चिंता गई मनुआ बेपरवाह जाके कुछ न चाहिए सोइ सहंसाह। – कबीरउत्तर:कबीर का यह दोहा भगत जी की संतुष्ट निस्मृहता पर पूर्णतया लागूहोता है । कबीर का कहना था कि इच्छा समाप्त होने यर लता खत्म हो जाती है । शहंशाह वहीं होता है जिसे कुछ नहीं चाहिए । भगत जी भी ऐसे ही व्यक्ति हैं । इनकी जरूरतें भी सीमित हैं । वे बाजार के आकर्षण से दूर हैं । अपनी ज़रूरत पा होने पर वे संतुष्ट को जाते हैं ।
प्रश्न 2.विजयदान देथा की कहानी ‘दुविधा’ (जिस पर ‘पहेली’ फ़िल्म बनी है) के अंश को पढ़कर आप देखेंगे कि भगत जी की संतुष्ट जीवन-दृष्टि की तरह ही गड़रिए की जीवन-दृष्टि है, इससे आपके भीतर क्या भाव जगते हैं?उत्तर:गड़रिया बगैर कहे ही उसके दिल की बात समझ गया, पर अँगूठी.कबूल नहीं की। काली दाढी के बीच पीले दाँतों की हँसी हँसते हुएबोला-‘मैं कोई राजा नहीं हूँ जो न्याय की कीमत वसूल करूं।मैंने तो अटका काम निकाल दिया। और यह अँगूठी मेरे किस कामकी ! न यह अंगुलियों में आती है, न तड़े में। मेरी भेड़े भी मेरी तरहगॅवार हैं। घास ���ो खाती है, पर सोना सँघती तक नहीं। बेकार कीवस्तुएँ तुम अमीरों को ही शोभा देती हैं।उत्तर:विजयदान देथा की ‘दुविधा’ कहानी का अंश पढ़कर मुझमें भी संतोषी वृत्ति के भाव जगते हैं। गड़रिया चाहता तो वह अपने न्याय की कीमत वसूल सकता था। सामाजिक दृष्टि से यही ठीक भी था क्योंकि अमीर व्यक्ति जो कुछ गड़रिये को दे रहा था वह उसका हक था। लेकिन गड़रिये और भगत जी की संतोषी भावना को देखकर मेरे मन में भी इसी प्रकार के भाव उत्पन्न हो जाते हैं। मन करता है कि जीवन में इस भावना को अपनाए रखें तो किसी प्रकार की चिंता नहीं रहेगी। जब कोई इच्छा या अपेक्षा नहीं होगी तो दुख नहीं होगा। तब हम भी कबीर की तरह शहंशाह होंगे।
प्रश्न 3.बाज़ार पर आधारित लेख ‘नकली सामान पर नकेल ज़रूरी’ का अंश पढ़िए और नीचे दिए गए बिंदुओं पर कक्षा में चर्चा कीजिए।(क) नकली सामान के खिलाफ़ जागरूकता के लिए आप क्या कर सकते हैं?(ख) उपभोक्ताओं के हित को मद्देनजर रखते हुए सामान बनाने वाली कंपनियों का क्या नैतिक दायित्व है।(ग) ब्रांडेड वस्तु को खरीदने के पीछे छिपी मानसिकता को उजागर कीजिए?
नकली सामान पर नकेल जरूरी।
अपना क्रेता वर्ग बढ़ाने की होड़ में एफएमसीजी यानी तेजी से बिकने वाले उपभोक्ता उत्पाद बनाने वाली कंपनियाँ गाँव के बाजारों में नकली सामान भी उतार रही हैं। कई उत्पाद ऐसे होते हैं जिन पर न तो निर्माण तिथि होती है और न ही उस तारीख का जिक्र होता है जिससे पता चले कि अमुक सामान के इस्तेमाल की अवधि समाप्त हो चुकी है। आउटडेटेड या पुराना पड़ चुका सामान भी गाँव-देहात के बाजारों में खप रहा है। ऐसा उपभोक्ता मामलों के जानकारों का मानना है। नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रिड्सल कमीशन के सदस्य की मानें तो जागरूकता अभियान में तेजी लाए बगैर इस गोरखधंधे पर लगाम कसना नामुमकिन है। उपभोक्ता मामलों की जानकार पुष्पा गिरि माँ जी का कहना है, इसमें दो राय नहीं है कि गाँव-देहात के बाजारों में नकली सामान बिक रहा है।
महानगरीय उपभोक्ताओं को अपने शिकंजे में कसकर बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ, खासकर ज्यादा उत्पाद बेचने वाली कंपनियाँ, गाँव का रुख कर चुकी हैं। वे गाँववालों के अज्ञान और उनके बीच जागरुकता के अभाव का पूरा फायदा उठा रही हैं। उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए कानून ज़रूर है लेकिन कितने लोग इनका सहारा लेते हैं यह बताने की ज़रूरत नहीं। गुणवत्ता के मामले में जब शहरी उपभोक्ता ही उतने सचेत नहीं हो पाए हैं तो गाँव वालों से कितनी उम्मीद की जा सकती है। इस बारे में नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रिड्रेसल कमीशन के सदस्य जस्टिस एस. एन. कपूर का कहना है, ‘टी.वी. ने दूरदराज के गाँवों तक में बहुराष्ट्रीय कंपनियों को पहुँचा दिया है। बड़ी-बड़ी कंपनियाँ विज्ञापन पर तो बेतहाशा पैसा खर्च करती हैं। लेकिन उपभोक्ताओं में जागरूकता को लेकर वे चवन्नी खर्च करने को तैयार नहीं हैं।
नकली सामान के खिलाफ जागरूकता पैदा करने में स्कूल और कॉलेज के विद्यार्थी मिलकर ठोस काम कर सकते हैं। ऐसा कि कोई प्रशासक भी न कर पाए।’ बेशक, इस कड़वे सच को स्वीकार कर लेना चाहिए कि गुणवत्ता के प्रति जागरुकता के लिहाज से शहरी समाज भी कोई ज्यादा सचेत नहीं है। यह खुली हुई बात है कि किसी बड़े ब्रांड का लोकल संस्करण शहर या महानगर का मध्य या निम्नमध्य वर्गीय उपभोक्ता भी खुशी-खुशी खरीदता है। यहाँ जागरुकता का कोई प्रश्न ही नहीं उठता क्योंकि वह ऐसा सोच-समझकर और अपनी जेब की हैसियत को जानकर ही कर रही है। फिर गाँववाला उपभोक्ता ऐसा क्यों न करे। पर फिर भी यह नहीं कहा जा सकता कि यदि समाज में कोई गलत काम हो रहा है तो उसे रोकने के जतन न किए जाएँ। यानी नकली सामान के इस गोरखधंधे पर विराम लगाने के लिए जो कदम या अभियान शुरू करने की ज़रूरत है वह तत्काल हो।– हिंदुस्तान 6 अगस्त 2006, साभारउत्तर:(क) नकली सामान के खिलाफ लोगों को जागरूक करना ज़रूरी है। सबसे पहले विज्ञापनों, पोस्टरों और होर्डिंग के माध्यम से यह बताया जाए कि किस तरह असली वस्तु की पहचान की जाए। लोगों को बताया जाए कि होलोग्राम और ISI मार्क वाली वस्तु ही खरीदें। उन्हें यह भी जानकारी दी जाए कि नकली वस्तुएँ खरीदने से क्या हानियाँ हो सकती हैं ?
(ख) सामान बनाने वाली कंपनियों का सबसे पहले यही नैतिक दायित्व है कि अच्छा और बढ़िया सामान बनाए। वे ऐसी वस्तुओं का उत्पादन करें जो आम आदमी को फायदा पहुँचायें। केवल अपना फायदा सोचकर ही समान न बेचें। वे मात्रा की अपेक्षा गुणवत्ता पर ध्यान रखें तभी ग्राहक खुश होगा। जो कंपनी जितनी ज्यादा गुणवत्ता देगी ग्राहक उसी कंपनी का सामान ज्यादा खरीदेंगे।
(ग) भारतीय मध्य वर्ग पर आज का बाजार टिका हुआ है। वह दिन बीत गए जब लोकल कंपनी का माल खरीदा जाता। था। अब तो लोग ब्रांडेड कंपनी का ही सामान खरीदते हैं। चाहे वह कितना ही महँगा क्यों न हो। उन्हें तो केवल यही विश्वास होता है कि ब्रांडेड सामान अच्छा और बढ़िया होगा। उसमें किसी भी तरह से कोई खराबी न होगी लोग इन ब्रांडेड सामानों को खरीदने के लिए कोई भी कीमत चुकाते हैं। ब्रांडेड सामान चूँकि बड़ी-बड़ी हस्तियाँ इस्तेमाल करती हैं। इसलिए अन्य लोग भी ऐसा ही करते हैं।
प्रश्न 4.प्रेमचंद की कहानी ‘ईदगाह’ के हामिद और उसके दोस्तों का बाजार से क्या संबंध बनता है? विचार करें।उत्तर:प्रेमचंद की कहानी में हामिद और उसके दोस्त यानी सम्मी मोहसिन नूरे सभी मेला देखने जाते हैं। वे मेले में लगी दुकानों को देखकर बहुत प्रभावित होते हैं। वे हाट बाजार में लगी हुई सारी वस्तुएँ देखकर प्रसन्न होते हैं। उनका मन करता है कि सभी-वस्तुएँ खरीद ली जाएँ। किंतु किसी के पास पाँच पैसे थे तो किसी के पास दो पैसे। हाट वास्तव में बाजार का ही एक रूप है। बच्चे इनमें लगी दुकानों को देखकर आकर्षित हो जाते हैं। वे तरह-तरह की इच्छाएँ करने लगते हैं। बच्चों का संबंध बाजार से प्रत्यक्ष होता है। वे सीधे तौर पर बाजार में जाकर वहाँ रखी वस्तुओं को खरीद लेना चाहते हैं।
विज्ञापन की दुनिया
प्रश्न 1.आपने समाचार-पत्रों, टी.वी. आदि पर अनेक प्रकार के विज्ञापन देखे होंगे जिनमें ग्राहकों को हर तरीके से लुभानेका प्रयास किया जाता है। नीचे लिखे बिंदुओं के संदर्भ में किसी एक विज्ञापन की समीक्षा कीजिए और यह भी लिखिए कि आपको विज्ञापन की किस बात ने सामान खरीदने के लिए प्रेरित किया।1. विज्ञापन में सम्मिलित चित्र और विषय-वस्तु2. विज्ञापन में आए पात्र और उनका औचित्य3. विज्ञापन की भाषा।उत्तर:मैंने शाहरूख खान द्वारा अभिनीत सैंट्रो कार का विज्ञापन देखा। इस विज्ञापन में सैंट्रो कार का चित्र था और विषय वस्तु थी। वह कार, जिसे बेचने के लिए आज के सुपर स्टार शाहरूख खान को अनुबंधित किया गया। इसमें शाहरूख खान और उनकी पत्नी को विज्ञापन करते दिखाया गया है। साथ ही उनके एक पड़ोसी का भी जिक्र आया है। इन सभी पात्रों का स्वाभाविक चित्रण हुआ है। शाहरूख की पत्नी जब पड़ोसी पर आकर्षित होती है तो शाहरूख पूछता है क्यों? तब उसकी पत्नी जवाब देती है सैंट्रो वाले हैं न ।’ मुझे कार खरीदने के लिए इसी कैप्शन ने प्रेरित किया। इस पंक्ति में व्यक्ति की सामाजिक स्थिति का पता चलता है।
प्रश्न 2.अपने सामान की बिक्री को बढ़ाने के लिए आज किन-किन तरीकों का प्रयोग किया जा रहा है? उदाहरण सहित उनका संक्षिप्त परिचय दीजिए। आप स्वयं किस तकनीक या तौर-तरीके का प्रयोग करना चाहेंगे जिससे बिक्री भीअच्छी हो और उपभोक्ता गुमराह भी न हो। उत्तर सेल लगाकर, अपने सामान के साथ कुछ उपहार देकर, स्क्रैच कार्ड के द्वारा, विज्ञापन देकर या सामान की खूबियाँ बताकर। उदाहरण1. सेल-सेल-सेल कपड़ों पर भारी सेल।।2. एक सूट के साथ कमीज फ्री। बिलकुल फ्री।3. ये कपड़े त्वचा को नुकसान नहीं पहुँचाते, ये नरम और मुलायम कपड़े हैं। पूरी तरह से सूती । यदि मुझे सामान बेचना पड़े तो मैं बेची जाने वाली वस्तु के गुणों का प्रचार करूंगा/करूंगी ताकि ग्राहक अपनी समझ सेवस्तु खरीदे।।
भाषा की बात
प्रश्न 1.विभिन्न परिस्थितियों में भाषा का प्रयोग भी अपना रूप बदलता रहता है कभी औपचारिक रूप में आती है तो कभी अनौपचारिक रूप में। पाठ में से दोनों प्रकार के तीन-तीन उदाहरण छाँटकर लिखिए।उत्तर:औपचारिक रूप1. मैंने कहा – यह क्या?बोले – यह जो साथ थी।2. बोले – बाज़ार देखते रहे।मैंने कहा – बाज़ार क्या देखते रहे।3. यह दोपहर के पहले के गए गए बाजार से कहीं शाम को वापिस आए।
अनौपचारिक
कुछ लेने का मतलब था शेष सबकुछ छोड़ देना।
बाजार आमंत्रित करता है कि आओ मुझे लूटो और लूटो।
पैसे की व्यंग्य शक्ति भी सुनिए।
प्रश्न 2.पाठ में अनेक वाक्य ऐसे हैं, जहाँ लेखक अपनी बात कहता है कुछ वाक्य ऐसे हैं जहाँ वह पाठक-वर्ग को संबोधित करता है। सीधे तौर पर पाठक को संबोधित करने वाले पाँच वाक्यों को छाँटिए और सोचिए कि ऐसे संबोधन पाठक से रचना पढ़वा लेने में मददगार होते हैं?उत्तर:1. बाज़ार में एक जादू है। वह जादू आँख की राह काम करता है।2. जेब खाली पर मन भरा न हो, तो भी जादू चल जाएगा।3. यहाँ एक अंतर चिह्न लेना ज़रूरी है।4. कहीं आप भूल नहीं कर बैठिएगा।5. पैसे की व्यंग्य शक्ति सुनिए। वह दारूण है। अवश्य ऐसे संबोधनों के कारण पाठकों के मन में जिज्ञासा उत्पन्न होती है। वह अपनी जिज्ञासा को शांत करना चाहता है। इसीलिए ऐसे संबोधन पाठक से रचना पढ़वा लेने में सहायक सिद्ध होते हैं।
प्रश्न 3.नीचे दिए गए वाक्यों को पढ़िए।(क) पैसा पावर है।(ख) पैसे की उस पर्चेजिंग पावर के प्रयोग में ही पावर का रस है।(ग) मित्र ने सामने मनीबैग फैला दिया।(घ) पेशगी ऑर्डर कोई नहीं लेते।ऊपर दिए गए इन वाक्यों की संरचना तो हिंदी भाषा की है लेकिन वाक्यों में एकाध शब्द अंग्रेजी भाषा के आए हैं। इस तरह के प्रयोग को कोड मिक्सिंग कहते हैं। एक भाषा के शब्दों के साथ दूसरी भाषा के शब्दों का मेलजोल ! अब तक। आपने जो पाठ पढ़े उसमें से ऐसे कोई पाँच उदाहरण चुनकर लिखिए। यह भी बताइए कि आगत शब्दों की जगह उनके हिंदी पर्यायों का ही प्रयोग किया जाए तो संप्रेषणीयता पर क्या प्रभाव पड़ता है ?उत्तर:1. पैसे की गरमी या एनर्जी।2. वह तत्व है मनी बैग3. अपनी पर्चेजिंग पावर के अनुपात में आया है।4. तो एकदम बहुत से बंडल थे।5. वह पैसे की पावर को इतना निश्चय समझते हैं कि उसके प्रयोग की परीक्षा का उन्हें दरकार नहीं है।यदि इस वाक्य में एनर्जी की जगह उत्साह शब्द का प्रयोग किया जाता है तो वाक्य की प्रेषणीयता अधिक प्रभावी होती है। इसी प्रकार ‘मनी बैग’ की जगह नोटों से भरा थैला, पर्चेजिंग पावर की जगह खरीदने की शक्ति, बंडल की जगह गट्ठर और पावर की जगह ऊर्जा या उत्साह प्रभावी होगा क्योंकि हिंदी, पर्यायों के प्रयोग से संप्रेषणीयता ज्यादा बढ़ जाती है।
प्रश्न 4.नीचे दिए गए वाक्यों के रेखांकित अंश पर ध्यान देते हुए उन्हें पढ़िए।(क) निर्बल ही धन की ओर झुकता है।(ख) लोग संयमी भी होते हैं।(ग) सभी कुछ तो लेने को जी होता था।ऊपर दिए गए वाक्यों के रेखांकित अंश ‘ही’, ‘भी’, ‘तो’ निपात हैं जो अर्थ पर बल देने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। वाक्य में इनके होने-न-होने और स्थान क्रम बदल देने से वाक्य के अर्थ पर प्रभाव पड़ता है, जैसेमुझे भी किताब चाहिए (मुझे महत्त्वपूर्ण है।)मुझे किताब भी चाहिए। (किताब महत्त्वपूर्ण है।)आप निपात (ही, भी, तो) का प्रयोग करते हुए तीन-तीन वाक्य बनाइए। साथ ही ऐसे दो वाक्यों का निर्माण कीजिए जिसमेंये तीनों निपात एक साथ आते हों।उत्तर:ही –1. उसे ही यह टिकट दे दो।2. मैं वैसे ही उससे मिला।3. तुमने ही मुझे उसके बारे में बताया।
भी –1. कुछ लोग दुष्ट भी होते हैं।2. वह भी उनसे मिल गया।3. उसने भी मेरा साथ छोड़ दिया।
तो –1. रामलाल ने कुछ तो कहा होता।2. तुम लोग कुछ तो शर्म किया करो।3. तुम लोगों को तो फाँसी दे देनी चाहिए।
दो वाक्य
1. मैंने ही नारायण शंकर को वहाँ भेजा था लेकिर उसने भी वह किया, कृपा शंकर तो उसे पहले ही कर दिया था।2. आर्यन तो दिल्ली जाना चाहता था लेकिन मैं तो उसे भेजना नहीं चाहता था। तभी तो वह नाराज हो गया।
चर्चा करें
प्रश्न 1.पर्चेजिंग पावर से क्या अभिप्राय है?बाजार की चकाचौंध से दूर पर्चेजिंग पावर का सकारात्मक उपयोग किस प्रकार किया जा सकता है? आपकी मदद के लिए संकेत दिया जा रहा है(क) सामाजिक विकास के कार्यों में(ख) ग्रामीण आर्थिक व्यवस्था को सुदृढ़ करने में ……।उत्तर:पर्चेजिंग पावर से अभिप्राय है कि खरीदने की क्षमता। कहने का भाव है कि खरीददारी करने का सामर्थ्य लेकिन पर्चेजिंग पावर का सकारात्मक प्रयोग किया जा सकता है। वह भी बाजार की चकाचौंध से कोसों दूर। इसका सकारात्मक प्रयोग सामाजिक कार्य करके और ग्रामीण आर्थिक व्यवस्था को सुदृढ़ करके। सामाजिक विकास के कार्य जैसे स्कूल, अस्पताल, धर्मशालाएँ। खुलवाकर उस पैसे का उपयोग किया जा सकता है जो कि लोग फिजूल के सामान पर खर्च करते हैं। आज शॉपिंग माल्स में लगभग 30 प्रतिशत फिजूल पैसा लोग खर्चते हैं क्योंकि वे अपनी शानो शौकत रखने के लिए खरीददारी करते हैं। यदि इसी पैसे को सामाजिक विकास के कार्यों में लगा दिया जाए तो समाज न केवल उन्नति करेगा बल्कि वह अमीरी गरीबी के अंतर से भी बाहर निकलेगा। दूसरे इस पैसे का ग्रामीण आर्थिक व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए उपयोग किया जा सकता है। गाँवों को मूलभूत सुविधाएँ इसी पैसे से प्रदान की जा सकती हैं। यह पैसा गाँवों की तस्वीर बदल सकता है।
अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.‘बाज़ारे दर्शन’ निबंध की भाषा के बारे में बताइए।उत्तर:बाजार दर्शन जैनेंद्र द्वारा लिखा गया एक सार्थक निबंध है। इसमें निबंधकार ने सहज, सरल और प्रभावी भाषा का प्रयोग किया है। शब्दावली में कुछेक अन्य भाषाओं के शब्द भी आए हैं। लेकिन ये शब्द कठिन नहीं हैं। पाठक सहजता से इन्हें ग्रहण कर लेता है। भाषा की दृष्टि से यह एक सफल और प्रभावशाली निबंध है। वाक्य छोटे-छोटे हैं जो निबंध को अधिक संप्रेषणीय बनाते हैं।
प्रश्न 2.‘बाज़ार दर्शन’ निबंध किस प्रकार का है?उत्तर:निबंध प्रकार की दृष्टि से बाजार दर्शन को वर्णनात्मक निबंध कहा जा सकता है। निबंधकार ने हर स्थिति, घटाने का वर्णन किया है। प्रत्येक बात को विस्तारपूर्वक प्रस्तुत किया है। वर्णनात्मकता के कारण निबंध में रोचकता और स्पष्टता दोनों आ गए हैं। वर्णनात्मक निबंध प्रायः उलझन पैदा करते हैं लेकिन इस निबंध में यह कमी नहीं है।
प्रश्न 3.इस निबंध में अन्य भाषाओं के शब्द भी आए हैं, उनका उल्लेख कीजिए।उत्तर:निबंधकार ने हिंदी के अतिरिक्त अंग्रेज़ी, उर्दू, फारस भाषा के शब्दों का स्वाभाविक प्रयोग किया है। इन शब्दों के प्रयोग से निबंध की रोचकता और सार्थकता बढ़ी है। अंग्रेज़ी के शब्द-एनर्जी, बैंक, पर्चेजिंग पावर, मनी बैग, रेल टिकट, फैंसी स्टोर, शॉपिंग मॉल, ऑर्डर आदि। उर्दू फारसी के शब्द-नाहक, पेशगी, कमज़ोर, बेहया, हरज, बाज़ार, खलल, कायल, दरकार, माल-असबाब।
प्रश्न 4.निबंध में किस प्रकार की शैली का प्रयोग किया गया है।उत्तर:प्रस्तुत निबंध ��ें जैनेंद्र जी ने मुख्य रूप से वर्णनात्मक, व्याख्यात्मक, उदाहरण आदि शैलियों का प्रयोग किया है। इन शैलियों के प्रयोग से निबंध की भाव संप्रेषणीयता बढ़ी है। साथ ही स्पष्टता और सरलता के गुण भी आ गए हैं। निबंधकार ने इन शैलियों का प्रयोग स्वाभाविक ढंग से किया है। इस कारण निबंध की रोचकता में वृद्धि हुई है। इनके कारण पाठक एक बैठक में निबंध को पढ़ लेना चाहता है।
प्रश्न 5.बाजार दर्शन से क्या अभिप्राय है?उत्तर:बाजार दर्शन से लेखक का अभिप्राय है बाज़ार के दर्शन करवाना अर्थात् बाज़ार के बारे में बताना कि कौन-कौन सी चीजें मिलती हैं कि वस्तुओं की बिक्री ज्यादा होती है। यह बाज़ार किस तरह आकर्षित करता है। लोग क्यों बाज़ार से ही आकर्षित होते हैं।
प्रश्न 6.उपभोक्तावादी संस्कृति क्या है?उत्तर:उपभोक्तावादी संस्कृति वास्तव में उपभोक्ताओं का समूह है। उपभोक्ता बाज़ार से सामान खरीदते हैं। यह वर्ग ही बाजार पैदा करता है। लोग अपने उपभोग की सारी वस्तुएँ बाज़ार से खरीदकर उनका उपभोग करते हैं। बाज़ार का सारा कारोबार इन्हीं पर निर्भर होता है।
प्रश्न 7.कौन-से लोग फिजूल खर्ची नहीं करते?उत्तर:लेखक कहता है कि संयमी लोग फिजूल खर्ची नहीं करते। वे उसी वस्तु को खरीदते हैं जिनकी उन्हें ज़रूरत होती है। बाजार के आकर्षण में ये कभी नहीं हँसते। उन्हें अपनी ज़रूरत से मतलब है न कि बाजारूपन से। जो चाहिए वही खरीदा नहीं तो छोड़ दिया।
प्रश्न 8.भगत जी के बारे में बताइए।उत्तर:लेखक ने भगत जी पात्र का वर्णन इस निबंध में किया है। उसके माध्यम से लेखक ने संतोष का पाठ पढ़ाया है। भगत जी केवल उतना ही सामान बेचते हैं जितना की बेचकर खर्चा चलाया जा सके। जब खर्चे लायक पैसे आ गए तो सामान बेचना बंद कर दिया। कभी किसी गरीब बच्चे को मुफ्त चूरन दे दिया। लेकिन ज्यादा सामान बेचने का लालच नहीं था।
प्रश्न 9.किस तरह का बाज़ार आदमी को ज्यादा आकर्षित करता है?उत्तर:लेखक के अनुसार ‘शॉपिंग मॉल’ व्यक्ति को ज्यादा आकर्षित करता है। उनकी सजावट देखकर व्यक्ति उनसे बहुत प्रभावित हो जाता है। वह उनके आकर्षण के जाल में फँस जाता है। इसी कारण वह उन चीजों को भी खरीद लेता है जिसकी उसे कोई जरूरत नहीं होती। वास्तव में, शॉपिंग मॉल ऊँचे रेटों पर सामान बेचते हैं।
प्रश्न 10.बाज़ार का जादू क्या है? उसके चढ़ने-उतरने का मनुष्य पर क्या प्रभाव पड़ता है? ‘बाज़ार दर्शन’ पाठ के आधार पर उत्तर लिखिए। (CBSE-2009)उत्तर:बाजार की चमक-दमक व उसके आकर्षण में फँसकर व्यक्ति खरीददारी करता है तो यही बाजार का जादू है। बाजार का जादू मनुष्य पर तभी चलता है जब उसके पास धन होता है तथा वस्तुएँ खरीदने की निर्णय क्षमता नहीं होती। वह आराम वे अपनी शक्ति दिखाने के लिए निरर्थक चीजें खरीदता है। जब पैसे खत्म हो जाते हैं तब उसे पता चलता है कि आराम के नाम पर जो गैर जरूरी वस्तुएँ उसने खरीदी हैं, वे अशांति उत्पन्न करने वाली है। वह झल्लाता है, परंतु उसका अभिमान उसे तुष्ट करता है।
प्रश्न 11.भगत जी बाज़ार को सार्थक व समाज को शांत कैसे कर रहे हैं?अथवा‘बाज़ार दर्शन’ के लेखक ने भगत जी का उदाहरण क्यों दिया है? स्पष्ट कीजिए।उत्तर:लेखक ने इस निबंध में भगत जी का उदाहरण दिया है जो बाज़ार से काला नमक व जीरा लाकर वापस लौटते हैं। इन पर बाज़ार का आकर्षण काम नहीं करता क्योंकि इन्हें अपनी ज़रूरत का ज्ञान है। इससे पता चलता है कि मन पर नियंत्रण वाले व्यक्ति पर बाजार का कोई प्रभाव नहीं होता। ऐसे व्यक्ति बाजार को सही सार्थकता प्रदान करते हैं। दूसरे, उनका यह रुख समाज में शांति पैदा करता है क्योंकि यह पैसे की पावर नहीं दिखाता। यह प्रतिस्पर्धा नहीं उत्पन्न करता।
प्रश्न 12.खाली मन तथा भरी जेब से लेखक का क्या आशय है? ये बातें बाजार को कैसे प्रभावित करती हैं? (CBSE-2014)उत्तर:खाली मन तथा जेब भरी होने से लेखक का आशय है कि मन में किसी निश्चित वस्तु को खरीदने की निर्णय शक्ति का न होना तथा मनुष्य के पास धन होना। ऐसे व्यक्तियों पर बाज़ार अपने चमकदमक से कब्जा कर लेता है। वे गैर ज़रूरी चीजें खरीदते हैं।
प्रश्न 13.‘बाज़ार दर्शन’ पाठ के आधार पर ‘पैसे की व्यंग्य शक्ति’ कथन को स्पष्ट कीजिए। (CBSE-2015, 2016)उत्तर:लेखक बताता है कि पैसे में व्यंग्य शक्ति होती है। यदि कोई समर्थ व्यक्ति दूसरे के सामने किसी महंगी वस्तु को खरीदे तो दूसरा व्यक्ति स्वयं को हीन महसूस करता है। पैदल या दोपहिया वाहन चालक के पास से धूल उड़ाती कार चली जाए तो वह परेशान हो उठता है। वह स्वयं को कोसता रहता है। वह भी कार खरीदने के पीछे लग जाता है। इसी कारण बाज़ार में माँग बढ़ती है।
प्रश्न 14.‘बाज़ार दर्शन’ पाठ के आधार पर बताइए कि पैसे की पावर का रस किन दो रूपों में प्राप्त किया जाता है?उत्तर:पैसे की पावर का रस फिजूल की वस्तुएँ खरीदने, माल असबाब, मकान-कोठी आदि के द्वारा लिया जाता है। यदि पैसा खर्च न भी किया जाए तो अधिक धन पास रहने से भी गर्व का अनुभव किया जा सकता है।
प्रश्न 15.‘बाज़ार दर्शन’ निबंध उपभोक्तावाद एवं बाज़ारवाद की अंतर्वस्तु को समझाने में बेजोड़ है।’-उदाहरण देकर इस कथन पर अपने विचार प्रस्तुत कीजिए। (CBSE-2013)उत्तर:यह निबंध उपभोक्तावाद एवं बाजारवाद की अंतर्वस्तु को समझाने में बेजोड़ है। लेखक बताता है कि बाजार का आकर्षण मानव मन को भटका देता है। वह उसे ऐशोआराम की वस्तुएँ खरीदने की तरह आकर्षित करता है। लेखक ने भगत जी के माध्यम से नियंत्रित खरीददारी का महत्त्व भी प्रतिपादित किया है। बाजार मनुष्य की ज़रूरतें पूरी करें। इसी में उसकी सार्थकता है, अन्यथा यह समाज में ईर्ष्या, तृष्णा, असंतोष, लूटखसोट को बढ़ावा देता है।
प्रश्न 16.बाज़ार जाते समय आपको किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? ‘बाज़ार दर्शन’ पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए। (CBSE-2014)उत्तर:बाज़ार जाते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए
हमें ज़रूरत के सामान की सूची बनानी चाहिए।
हमें बाजार के आकर्षण से बचना चाहिए।
हमारा मन निश्चित खरीददारी के लिए होना चाहिए।
बाज़ार में क्रयक्षमता का प्रदर्शन ने करके जरूरत का सामान लेना चाहिए।
बाजार में असंतोष व हीन भावना से दूर रहना चाहिए।
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NCERT Class 12 Hindi Chapter 12 Bajar Darshan
NCERT Class 12 Hindi Chapter 12 :: Bajar Darshan
(बाजार दर्शन)
(गद्य भाग)
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
पाठ के साथ
प्रश्न 1.बाजार का जादू चढ़ने और उतरने पर मनुष्य पर क्या-क्या असर पड़ता है? (CBSE-2010-2012, 2015)उत्तर:बाजार का जादू चढ़ने और उतरने पर मनुष्य पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ते हैं –
बाजार में आकर्षक वस्तुएँ देखकर मनुष्य उनके जादू में बँध जाता है।
उसे उन वस्तुओं की कमी खलने लगती है।
वह उन वस्तुओं को जरूरत न होने पर भी खरीदने के लिए विवश होता है।
वस्तुएँ खरीदने पर उसका अह संतुष्ट हो जाता है।
खरीदने के बाद उसे पता चलता है कि जो चीजें आराम के लिए खरीदी थीं वे खलल डालती हैं।
उसे खरीदी हुई वस्तुएँ अनावश्यक लगती हैं।
प्रश्न 2.
बाजार में भगत जी के व्यक्तित्व का कौन-सा सशक्त पहलू उभरकर आता है? क्या आपकी नज़र में उनको आचरण समाज में शांति स्थापित करने में मददगार हो सकता है? (CBSE-2008)उत्तर:भगत जी समर्पण भी भावना से ओतप्रोत हैं। धन संचय में उनकी बिलकुल रुचि नहीं है। वे संतोषी स्वभाव के आदमी हैं। ऐसे व्यक्ति ही समाज में प्रेम और सौहार्द का संदेश फैलाते हैं। इसलिए ऐसे व्यक्ति समाज में शांति स्थापित करने में मददगार साबित होते हैं।
प्रश्न 3.‘बाज़ारूपन’ से क्या तात्पर्य है? किस प्रकार के व्यक्ति बाजार को सार्थकता प्रदान करते हैं अथवा बाज़ार की सार्थकता किसमें हैं? (CBSE-2016, 2017)उत्तर:‘बाजारूपन’ से तात्पर्य है-दिखावे के लिए बाजार का उपयोग। बाजार छल व कपट से निरर्थक वस्तुओं की खरीदफ़रोख्त, दिखावे व ताकत के आधार पर होने लगती है तो बाजार का बाजारूपन बढ़ जाता है। क्रय-शक्ति से संपन्न की पुलेि व्यिक्त बाल्पिनक बताते हैं। इसप्रतिसे बारक सवा लधनाह मिलता। शणक प्रति बढ़ जाती है। वे व्यक्ति जो अपनी आवश्यकता के बारे में निश्चित होते हैं, बाजार को सार्थकता प्रदान करते हैं। बाजार का कार्य मनुष्य कल कपू करता है जहातक सामान मल्नेप बार सार्थकह जाता है। यह पॉड” पावरक प्रर्शना नहीं होता।
प्रश्न 4.बाज़ार किसी का लिंग, जाति, धर्म या क्षेत्र नहीं देखता, वह देखता है सिर्फ उसकी क्रय शक्ति को। इसे रूप में वह एक प्रकार से सामाजिक समता की भी रचना कर रहा है। आप इससे कहाँ तक सहमत हैं? (CBSE-2008)उत्तर:यह बात बिलकुल सत्य है कि बाजारवाद ने कभी किसी को लिंग, जाति, धर्म या क्षेत्र के आधार पर नहीं देखा। उसने केवल व्यक्ति के खरीदने की शक्ति को देखा है। जो व्यक्ति सामान खरीद सकता है वह बाजार में सर्वश्रेष्ठ है। कहने का आशय यही है कि उपभोक्तावादी संस्कृति ने सामाजिक समता स्थापित की है। यही आज का बाजारवाद है। प्रश्न 5. आप अपने समाज से कुछ ऐसे प्रसंग का उल्लेख करें(क) जब पैसा शक्ति के परिचायक के रूप में प्रतीत हुआ।(ख) जब पैसे की शक्ति काम नहीं आई।उत्तर:(क) एक बार एक कार वाले ने एक बच्चे को जख्मी कर दिया। बात थाने पर पहुँची लेकिन थानेदार ने पूरा दोष बच्चे के माता-पिता पर लगा दिया। वह रौब से कहने लगा कि तुम अपने बच्चे का ध्यान नहीं रखते। वास्तव में पैसों की चमक में थानेदार ने सच को झूठ में बदल दिया था। तब पैसा शक्ति का परिचायक नजर आया।
(ख) एक व्यक्ति ने अपने नौकर का कत्ल कर दिया। उसको बेकसूर मार दिया। पुलिस उसे थाने में ले गई। उसने पैसे ले-देकर मामले को सुलझाने का प्रयास किया लेकिन सब बेकार। अंत में उस पर मुकदमा चला। आखिरकार उसे 14 वर्ष की उम्रकैद हो गई। इस प्रकार पैसे की शक्ति काम नहीं आई।
पाठ के आसपास
प्रश्न 1.‘बाज़ार दर्शन’ पाठ में बाज़ार जाने या न जाने के संदर्भ में मन की कई स्थितियों का जिक्र आया है। आप इन स्थितियों से जुड़े अपने अनुभवों का वर्णन कीजिए।
मन खाली हो
मन खाली न हो
मन बंद हो
मन में नकार हो
उत्तर:
मनखालौ हो–जब मनुष्य का मन खाली होता है तो बाजार में अनाप–शनाप खरीददारी की जाती है । बजर का जादू सिर चढकर बोलता है । एक बार में मेले में घूमने गया । वहाँ चमक–दमक, आकर्षक वस्तुएँ मुझे न्योता देती प्रतीत हो रहीं थीं । रंग–बिरंगी लाइटों से प्रभावित होकर मैं एक महँगी ड्रेस खरीद लाया । लाने के खाद पता चला कि यह आधी कीमत में फुटपाथ पर मिलती है ।
मन खाली न हो–मन खाली न होने पर मनुष्य अपनी इच्छित चीज खरीदता है । उसका ध्यान अन्य वस्तुओं पर नहीं जाता । में घर में जरूरी सामान की लिस्ट बनाकर बाजार जाता है और सिफ्रे उन्हें ही खरीदकर लाता हूँ । मैं अन्य चीजों को देखता जरूर हूँ, पर खरीददारी वहीं करता हूँजिसकौ मुझे जरूरत होती है ।
मनबंदहो–मन ईद होने पर इच्छाएँ समाप्त हो जाती हैं । वैसे तो इच्छाएँ कभी समाप्त नहीं होतीं, परंतु कभी–कभी पन:स्थिति ऐसी होती है कि किसी वस्तु में मन नहींलगता । एक दिन में उदास था और मुझे बाजार में किसी वस्तु में कोई दिलचस्पी नहीं थी । अत: में विना कहीं रुके बाजार से निकल आया ।
मन में नकार हो–मन में नकारात्मक भाव होने से बाजार की हर वस्तु खराब दिखाई देने लगती है । इससे समाज इसका विकास रुक जाता है । ऐसा असर किसी के उपदेश या सिदूधति का पालन करने से होता है । एक दिन एक साम्यवादी ने इस तरह का पाठ पढाया कि बडी कंपनियों की वस्तुएँ मुझें शोषण का रूप दिखाई देने लगी।
प्रश्न 2.‘बाज़ार दर्शन’ पाठ में किस प्रकार के ग्राहकों की बात हुई है? आप स्वयं को किस श्रेणी का ग्राहक मानते/मानती हैं?उत्तर:इस पाठ में प्रमुख रूप से दो प्रकार के ग्राहकों का चित्रण निबंधकार ने किया है। एक तो वे ग्राहक, जो ज़रूरत के अनुसार चीजें खरीदते हैं। दूसरे वे ग्राहक जो केवल धन प्रदर्शन करने के लिए चीजें खरीदते हैं। ऐसे लोग बाज़ारवादी संस्कृति को ज्यादा बढ़ाते हैं। मैं स्वयं को पहले प्रकार का ग्राहक मानता/मानती हैं क्योंकि इसी में बाजार की सार्थकता है।
प्रश्न 3.आप बाज़ार की भिन्न-भिन्न प्रकार की संस्कृति से अवश्य परिचित होंगे। मॉल की संस्कृति और सामान्य बाज़ार और हाट की संस्कृति में आप क्या अंतर पाते हैं? पर्चेजिंग पावर आपको किस तरह के बाजार में नजर आती है?उत्तर:मॉल को संस्कृति से बाजार को पर्चेजिग पावर को बढावा मिलता है । यह संस्कृति उच्च तथा उच्च मध्य वर्ग से संबंधित है । यहाँ एक ही छत के नीचे विभिन्न तरह के सामान मिलते हैं तथा चकाचौंध व लूट चरम सोया पर होती है । यहाँ बाजारूपन भी फूं उफान पर होता है । सामान्य बाजार में मनुष्य की जरूरत का सामान अधिक होता है । यहाँ शोषण कम होता है तथा आकर्षण भी कम होता है । यहाँ प्राहक व दूकानदार में सदभाव होता है । यहाँ का प्राहक मध्य वर्ग का होता है।
हाट – संस्कृति में निम्न वर्ग व ग्रमीण परिवेश का गाहक होता है । इसमें दिखाया नहीं होता तथा मोल-भाव भी नाम- हैं का होता है । ।पचेंजिग पावर’ मलि संस्कृति में नज़र आती है क्योंकि यहाँ अनावश्यक सामान अधिक खरीदे जाते है।
प्रश्न 4.लेखक ने पाठ में संकेत किया है कि कभी-कभी बाज़ार में आवश्यकता ही शोषण का रूप धारण कर लेती है। क्या आप इस विचार से सहमत हैं? तर्क सहित उत्तर दीजिए। (CBSE-2008)उत्तर:आवश्यकता पड़ने पर व्यक्ति अपेक्षित वस्तु हर कीमत पर खरीदना चाहता है। वह कोई भी कीमत देकर उस वस्तु को प्राप्त कर लेना चाहता है। इसलिए वह कई बार शोषण का शिकार हो जाता है। बेचने वाला तुरंत उस वस्तु की कीमत मूल कीमत से ज्यादा बता देता है। इसीलिए लेखक ने ठीक कहा है कि आवश्यकता ही शोषण का रूप धारण कर लेती है।
प्रश्न 5.स्त्री माया न जोड़े यहाँ मया शब्द किस ओर संकेत कर रहा है? स्त्रियों द्वारा माया जोड़ना प्रकृति प्रदत्त नहीं, बल्कि परिस्थितिवश है। वे कौन-सी परिस्थितियाँ होंगी जो स्त्री को माया जोड़ने के लिए विवश कर देती हैं?उत्तर:यहाँ ‘माया‘ शब्द का अर्थ है–धन–मगाती, जरूरत की वस्तुएँ । आमतौर पर स्तियों को माया जोड़ते देखा जाता है । इसका कारण उनकी परिस्थितियों है जो निम्नलिखित हैं –
आत्मनिर्भरता की पूर्ति ।
घर की जरूरतों क्रो पूरा करना ।
अनिश्चित भविष्य ।
अहंभाव की तुष्टि ।
बच्चों की शिक्षा ।
संतान–विवाह हेतु ।
आपसदारी
प्रश्न 1.ज़रूरत-भर जीरा वहाँ से लिया कि फिर सारा चौक उनके लिए आसानी से नहीं के बराबर हो जाता है-भगत जी की इस संतुष्ट निस्पृहता की कबीर की इस सूक्ति से तुलना कीजिएचाह गई चिंता गई मनुआ बेपरवाह जाके कुछ न चाहिए सोइ सहंसाह। – कबीरउत्तर:कबीर का यह दोहा भगत जी की संतुष्ट निस्मृहता पर पूर्णतया लागूहोता है । कबीर का कहना था कि इच्छा समाप्त होने यर लता खत्म हो जाती है । शहंशाह वहीं होता है जिसे कुछ नहीं चाहिए । भगत जी भी ऐसे ही व्यक्ति हैं । इनकी जरूरतें भी सीमित हैं । वे बाजार के आकर्षण से दूर हैं । अपनी ज़रूरत पा होने पर वे संतुष्ट को जाते हैं ।
प्रश्न 2.विजयदान देथा की कहानी ‘दुविधा’ (जिस पर ‘पहेली’ फ़िल्म बनी है) के अंश को पढ़कर आप देखेंगे कि भगत जी की संतुष्ट जीवन-दृष्टि की तरह ही गड़रिए की जीवन-दृष्टि है, इससे आपके भीतर क्या भाव जगते हैं?उत्तर:गड़रिया बगैर कहे ही उसके दिल की बात समझ गया, पर अँगूठी.कबूल नहीं की। काली दाढी के बीच पीले दाँतों की हँसी हँसते हुएबोला-‘मैं कोई राजा नहीं हूँ जो न्याय की कीमत वसूल करूं।मैंने तो अटका काम निकाल दिया। और यह अँगूठी मेरे किस कामकी ! न यह अंगुलियों में आती है, न तड़े में। मेरी भेड़े भी मेरी तरहगॅवार हैं। घास तो खाती है, पर सोना सँघती तक नहीं। बेकार कीवस्तुएँ तुम अमीरों को ही शोभा देती हैं।उत्तर:विजयदान देथा की ‘दुविधा’ कहानी का अंश पढ़कर मुझमें भी संतोषी वृत्ति के भाव जगते हैं। गड़रिया चाहता तो वह अपने न्याय की कीमत वसूल सकता था। सामाजिक दृष्टि से यही ठीक भी था क्योंकि अमीर व्यक्ति जो कुछ गड़रिये को दे रहा था वह उसका हक था। लेकिन गड़रिये और भगत जी की संतोषी भावना को देखकर मेरे मन में भी इसी प्रकार के भाव उत्पन्न हो जाते हैं। मन करता है कि जीवन में इस भावना को अपनाए रखें तो किसी प्रकार की चिंता नहीं रहेगी। जब कोई इच्छा या अपेक्षा नहीं होगी तो दुख नहीं होगा। तब हम भी कबीर की तरह शहंशाह होंगे।
प्रश्न 3.बाज़ार पर आधारित लेख ‘नकली सामान पर नकेल ज़रूरी’ का अंश पढ़िए और नीचे दिए गए बिंदुओं पर कक्षा में चर्चा कीजिए।(क) नकली सामान के खिलाफ़ जागरूकता के लिए आप क्या कर सकते हैं?(ख) उपभोक्ताओं के हित को मद्देनजर रखते हुए सामान बनाने वाली कंपनियों का क्या नैतिक दायित्व है।(ग) ब्रांडेड वस्तु को खरीदने के पीछे छिपी मानसिकता को उजागर कीजिए?
नकली सामान पर नकेल जरूरी।
अपना क्रेता वर्ग बढ़ाने की होड़ में एफएमसीजी यानी तेजी से बिकने वाले उपभोक्ता उत्पाद बनाने वाली कंपनियाँ गाँव के बाजारों में नकली सामान भी उतार रही हैं। कई उत्पाद ऐसे होते हैं जिन पर न तो निर्माण तिथि होती है और न ही उस तारीख का जिक्र होता है जिससे पता चले कि अमुक सामान के इस्तेमाल की अवधि समाप्त हो चुकी है। आउटडेटेड या पुराना पड़ चुका सामान भी गाँव-देहात के बाजारों में खप रहा है। ऐसा उपभोक्ता मामलों के जानकारों का मानना है। नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रिड्सल कमीशन के सदस्य की मानें तो जागरूकता अभियान में तेजी लाए बगैर इस गोरखधंधे पर लगाम कसना नामुमकिन है। उपभोक्ता मामलों की जानकार पुष्पा गिरि माँ जी का कहना है, इसमें दो राय नहीं है कि गाँव-देहात के बाजारों में नकली सामान बिक रहा है।
महानगरीय उपभोक्ताओं को अपने शिकंजे में कसकर बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ, खासकर ज्यादा उत्पाद बेचने वाली कंपनियाँ, गाँव का रुख कर चुकी हैं। वे गाँववालों के अज्ञान और उनके बीच जागरुकता के अभाव का पूरा फायदा उठा रही हैं। उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए कानून ज़रूर है लेकिन कितने लोग इनका सहारा लेते हैं यह बताने की ज़रूरत नहीं। गुणवत्ता के मामले में जब शहरी उपभोक्ता ही उतने सचेत नहीं हो पाए हैं तो गाँव वालों से कितनी उम्मीद की जा सकती है। इस बारे में नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रिड्रेसल कमीशन के सदस्य जस्टिस एस. एन. कपूर का कहना है, ‘टी.वी. ने दूरदराज के गाँवों तक में बहुराष्ट्रीय कंपनियों को पहुँचा दिया है। बड़ी-बड़ी कंपनियाँ विज्ञापन पर तो बेतहाशा पैसा खर्च करती हैं। लेकिन उपभोक्ताओं में जागरूकता को लेकर वे चवन्नी खर्च करने को तैयार नहीं हैं।
नकली सामान के खिलाफ जागरूकता पैदा करने में स्कूल और कॉलेज के विद्यार्थी मिलकर ठोस काम कर सकते हैं। ऐसा कि कोई प्रशासक भी न कर पाए।’ बेशक, इस कड़वे सच को स्वीकार कर लेना चाहिए कि गुणवत्ता के प्रति जागरुकता के लिहाज से शहरी समाज भी कोई ज्यादा सचेत नहीं है। यह खुली हुई बात है कि किसी बड़े ब्रांड का लोकल संस्करण शहर या महानगर का मध्य या निम्नमध्य वर्गीय उपभोक्ता भी खुशी-खुशी खरीदता है। यहाँ जागरुकता का कोई प्रश्न ही नहीं उठता क्योंकि वह ऐसा सोच-समझकर और अपनी जेब की हैसियत को जानकर ही कर रही है। फिर गाँववाला उपभोक्ता ऐसा क्यों न करे। पर फिर भी यह नहीं कहा जा सकता कि यदि समाज में कोई गलत काम हो रहा है तो उसे रोकने के जतन न किए जाएँ। यानी नकली सामान के इस गोरखधंधे पर विराम लगाने के लिए जो कदम या अभियान शुरू करने की ज़रूरत है वह तत्काल हो।– हिंदुस्तान 6 अगस्त 2006, साभारउत्तर:(क) नकली सामान के खिलाफ लोगों को जागरूक करना ज़रूरी है। सबसे पहले विज्ञापनों, पोस्टरों और होर्डिंग के माध्यम से यह बताया जाए कि किस तरह असली वस्तु की पहचान की जाए। लोगों को बताया जाए कि होलोग्राम और ISI मार्क वाली वस्तु ही खरीदें। उन्हें यह भी जानकारी दी जाए कि नकली वस्तुएँ खरीदने से क्या हानियाँ हो सकती हैं ?
(ख) सामान बनाने वाली कंपनियों का सबसे पहले यही नैतिक दायित्व है कि अच्छा और बढ़िया सामान बनाए। वे ऐसी वस्तुओं का उत्पादन करें जो आम आदमी को फायदा पहुँचायें। केवल अपना फायदा सोचकर ही समान न बेचें। वे मात्रा की अपेक्षा गुणवत्ता पर ध्यान रखें तभी ग्राहक खुश होगा। जो कंपनी जितनी ज्यादा गुणवत्ता देगी ग्राहक उसी कंपनी का सामान ज्यादा खरीदेंगे।
(ग) भारतीय मध्य वर्ग पर आज का बाजार टिका हुआ है। वह दिन बीत गए जब लोकल कंपनी का माल खरीदा जाता। था। अब तो लोग ब्रांडेड कंपनी का ही सामान खरीदते हैं। चाहे वह कितना ही महँगा क्यों न हो। उन्हें तो केवल यही विश्वास होता है कि ब्रांडेड सामान अच्छा और बढ़िया होगा। उसमें किसी भी तरह से कोई खराबी न होगी लोग इन ब्रांडेड सामानों को खरीदने के लिए कोई भी कीमत चुकाते हैं। ब्रांडेड सामान चूँकि बड़ी-बड़ी हस्तियाँ इस्तेमाल करती हैं। इसलिए अन्य लोग भी ऐसा ही करते हैं।
प्रश्न 4.प्रेमचंद की कहानी ‘ईदगाह’ के हामिद और उसके दोस्तों का बाजार से क्या संबंध बनता है? विचार करें।उत्तर:प्रेमचंद की कहानी में हामिद और उसके दोस्त यानी सम्मी मोहसिन नूरे सभी मेला देखने जाते हैं। वे मेले में लगी दुकानों को देखकर बहुत प्रभावित होते हैं। वे हाट बाजार में लगी हुई सारी वस्तुएँ देखकर प्रसन्न होते हैं। उनका मन करता है कि सभी-वस्तुएँ खरीद ली जाएँ। किंतु किसी के पास पाँच पैसे थे तो किसी के पास दो पैसे। हाट वास्तव में बाजार का ही एक रूप है। बच्चे इनमें लगी दुकानों को देखकर आकर्षित हो जाते हैं। वे तरह-तरह की इच्छाएँ करने लगते हैं। बच्चों का संबंध बाजार से प्रत्यक्ष होता है। वे सीधे तौर पर बाजार में जाकर वहाँ रखी वस्तुओं को खरीद लेना चाहते हैं।
विज्ञापन की दुनिया
प्रश्न 1.आपने समाचार-पत्रों, टी.वी. आदि पर अनेक प्रकार के विज्ञापन देखे होंगे जिनमें ग्राहकों को हर तरीके से लुभानेका प्रयास किया जाता है। नीचे लिखे बिंदुओं के संदर्भ में किसी एक विज्ञापन की समीक्षा कीजिए और यह भी लिखिए कि आपको विज्ञापन की किस बात ने सामान खरीदने के लिए प्रेरित किया।1. विज्ञापन में सम्मिलित चित्र और विषय-वस्तु2. विज्ञापन में आए पात्र और उनका औचित्य3. विज्ञापन की भाषा।उत्तर:मैंने शाहरूख खान द्वारा अभिनीत सैंट्रो कार का विज्ञापन देखा। इस विज्ञापन में सैंट्रो कार का चित्र था और विषय वस्तु थी। वह कार, जिसे बेचने के लिए आज के सुपर स्टार शाहरूख खान को अनुबंधित किया गया। इसमें शाहरूख खान और उनकी पत्नी को विज्ञापन करते दिखाया गया है। साथ ही उनके एक पड़ोसी का भी जिक्र आया है। इन सभी पात्रों का स्वाभाविक चित्रण हुआ है। शाहरूख की पत्नी जब पड़ोसी पर आकर्षित होती है तो शाहरूख पूछता है क्यों? तब उसकी पत्नी जवाब देती है सैंट्रो वाले हैं न ।’ मुझे कार खरीदने के लिए इसी कैप्शन ने प्रेरित किया। इस पंक्ति में व्यक्ति की सामाजिक स्थिति का पता चलता है।
प्रश्न 2.अपने सामान की बिक्री को बढ़ाने के लिए आज किन-किन तरीकों का प्रयोग किया जा रहा है? उदाहरण सहित उनका संक्षिप्त परिचय दीजिए। आप स्वयं किस तकनीक या तौर-तरीके का प्रयोग करना चाहेंगे जिससे बिक्री भीअच्छी हो और उपभोक्ता गुमराह भी न हो। उत्तर सेल लगाकर, अपने सामान के साथ कुछ उपहार देकर, स्क्रैच कार्ड के द्वारा, विज्ञापन देकर या सामान की खूबियाँ बताकर। उदाहरण1. सेल-सेल-सेल कपड़ों पर भारी सेल।।2. एक सूट के साथ कमीज फ्री। बिलकुल फ्री।3. ये कपड़े त्वचा को नुकसान नहीं पहुँचाते, ये नरम और मुलायम कपड़े हैं। पूरी तरह से सूती । यदि मुझे सामान बेचना पड़े तो मैं बेची जाने वाली वस्तु के गुणों का प्रचार करूंगा/करूंगी ताकि ग्राहक अपनी समझ सेवस्तु खरीदे।।
भाषा की बात
प्रश्न 1.विभिन्न परिस्थितियों में भाषा का प्रयोग भी अपना रूप बदलता रहता है कभी औपचारिक रूप में आती है तो कभी अनौपचारिक रूप में। पाठ में से दोनों प्रकार के तीन-तीन उदाहरण छाँटकर लिखिए।उत्तर:औपचारिक रूप1. मैंने कहा – यह क्या?बोले – यह जो साथ थी।2. बोले – बाज़ार देखते रहे।मैंने कहा – बाज़ार क्या देखते रहे।3. यह दोपहर के पहले के गए गए बाजार से कहीं शाम को वापिस आए।
अनौपचारिक
कुछ लेने का मतलब था शेष सबकुछ छोड़ देना।
बाजार आमंत्रित करता है कि आओ मुझे लूटो और लूटो।
पैसे की व्यंग्य शक्ति भी सुनिए।
प्रश्न 2.पाठ में अनेक वाक्य ऐसे हैं, जहाँ लेखक अपनी बात कहता है कुछ वाक्य ऐसे हैं जहाँ वह पाठक-वर्ग को संबोधित करता है। सीधे तौर पर पाठक को संबोधित करने वाले पाँच वाक्यों को छाँटिए और सोचिए कि ऐसे संबोधन पाठक से रचना पढ़वा लेने में मददगार होते हैं?उत्तर:1. बाज़ार में एक जादू है। वह जादू आँख की राह काम करता है।2. जेब खाली पर मन भरा न हो, तो भी जादू चल जाएगा।3. यहाँ एक अंतर चिह्न लेना ज़रूरी है।4. कहीं आप भूल नहीं कर बैठिएगा।5. पैसे की व्यंग्य शक्ति सुनिए। वह दारूण है। अवश्य ऐसे संबोधनों के कारण पाठकों के मन में जिज्ञासा उत्पन्न होती है। वह अपनी जिज्ञासा को शांत करना चाहता है। इसीलिए ऐसे संबोधन पाठक से रचना पढ़वा लेने में सहायक सिद्ध होते हैं।
प्रश्न 3.नीचे दिए गए वाक्यों को पढ़िए।(क) पैसा पावर है।(ख) पैसे की उस पर्चेजिंग पावर के प्रयोग में ही पावर का रस है।(ग) मित्र ने सामने मनीबैग फैला दिया।(घ) पेशगी ऑर्डर कोई नहीं लेते।ऊपर दिए गए इन वाक्यों की संरचना तो हिंदी भाषा की है लेकिन वाक्यों में एकाध शब्द अंग्रेजी भाषा के आए हैं। इस तरह के प्रयोग को कोड मिक्सिंग कहते हैं। एक भाषा के शब्दों के साथ दूसरी भाषा के शब्दों का मेलजोल ! अब तक। आपने जो पाठ पढ़े उसमें से ऐसे कोई पाँच उदाहरण चुनकर लिखिए। यह भी बताइए कि आगत शब्दों की जगह उनके हिंदी पर्यायों का ही प्रयोग किया जाए तो संप्रेषणीयता पर क्या प्रभाव पड़ता है ?उत्तर:1. पैसे की गरमी या एनर्जी।2. वह तत्व है मनी बैग3. अपनी पर्चेजिंग पावर के अनुपात में आया है।4. तो एकदम बहुत से बंडल थे।5. वह पैसे की पावर को इतना निश्चय समझते हैं कि उसके प्रयोग की परीक्षा का उन्हें दरकार नहीं है।यदि इस वाक्य में एनर्जी की जगह उत्साह शब्द का प्रयोग किया जाता है तो वाक्य की प्रेषणीयता अधिक प्रभावी होती है। इसी प्रकार ‘मनी बैग’ की जगह नोटों से भरा थैला, पर्चेजिंग पावर की जगह खरीदने की शक्ति, बंडल की जगह गट्ठर और पावर की जगह ऊर्जा या उत्साह प्रभावी होगा क्योंकि हिंदी, पर्यायों के प्रयोग से संप्रेषणीयता ज्यादा बढ़ जाती है।
प्रश्न 4.नीचे दिए गए वाक्यों के रेखांकित अंश पर ध्यान देते हुए उन्हें पढ़िए।(क) निर्बल ही धन की ओर झुकता है।(ख) लोग संयमी भी होते हैं।(ग) सभी कुछ तो लेने को जी होता था।ऊपर दिए गए वाक्यों के रेखांकित अंश ‘ही’, ‘भी’, ‘तो’ निपात हैं जो अर्थ पर बल देने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। वाक्य में इनके होने-न-होने और स्थान क्रम बदल देने से वाक्य के अर्थ पर प्रभाव पड़ता है, जैसेमुझे भी किताब चाहिए (मुझे महत्त्वपूर्ण है।)मुझे किताब भी चाहिए। (किताब महत्त्वपूर्ण है।)आप निपात (ही, भी, तो) का प्रयोग करते हुए तीन-तीन वाक्य बनाइए। साथ ही ऐसे दो वाक्यों का निर्माण कीजिए जिसमेंये तीनों निपात एक साथ आते हों।उत्तर:ही –1. उसे ही यह टिकट दे दो।2. मैं वैसे ही उससे मिला।3. तुमने ही मुझे उसके बारे में बताया।
भी –1. कुछ लोग दुष्ट भी होते हैं।2. वह भी उनसे मिल गया।3. उसने भी मेरा साथ छोड़ दिया।
तो –1. रामलाल ने कुछ तो कहा होता।2. तुम लोग कुछ तो शर्म किया करो।3. तुम लोगों को तो फाँसी दे देनी चाहिए।
दो वाक्य
1. मैंने ही नारायण शंकर को वहाँ भेजा था लेकिर उसने भी वह किया, कृपा शंकर तो उसे पहले ही कर दिया था।2. आर्यन तो दिल्ली जाना चाहता था लेकिन मैं तो उसे भेजना नहीं चाहता था। तभी तो वह नाराज हो गया।
चर्चा करें
प्रश्न 1.पर्चेजिंग पावर से क्या अभिप्राय है?बाजार की चकाचौंध से दूर पर्चेजिंग पावर का सकारात्मक उपयोग किस प्रकार किया जा सकता है? आपकी मदद के लिए संकेत दिया जा रहा है(क) सामाजिक विकास के कार्यों में(ख) ग्रामीण आर्थिक व्यवस्था को सुदृढ़ करने में ……।उत्तर:पर्चेजिंग पावर से अभिप्राय है कि खरीदने की क्षमता। कहने का भाव ह�� कि खरीददारी करने का सामर्थ्य लेकिन पर्चेजिंग पावर का सकारात्मक प्रयोग किया जा सकता है। वह भी बाजार की चकाचौंध से कोसों दूर। इसका सकारात्मक प्रयोग सामाजिक कार्य करके और ग्रामीण आर्थिक व्यवस्था को सुदृढ़ करके। सामाजिक विकास के कार्य जैसे स्कूल, अस्पताल, धर्मशालाएँ। खुलवाकर उस पैसे का उपयोग किया जा सकता है जो कि लोग फिजूल के सामान पर खर्च करते हैं। आज शॉपिंग माल्स में लगभग 30 प्रतिशत फिजूल पैसा लोग खर्चते हैं क्योंकि वे अपनी शानो शौकत रखने के लिए खरीददारी करते हैं। यदि इसी पैसे को सामाजिक विकास के कार्यों में लगा दिया जाए तो समाज न केवल उन्नति करेगा बल्कि वह अमीरी गरीबी के अंतर से भी बाहर निकलेगा। दूसरे इस पैसे का ग्रामीण आर्थिक व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए उपयोग किया जा सकता है। गाँवों को मूलभूत सुविधाएँ इसी पैसे से प्रदान की जा सकती हैं। यह पैसा गाँवों की तस्वीर बदल सकता है।
अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.‘बाज़ारे दर्शन’ निबंध की भाषा के बारे में बताइए।उत्तर:बाजार दर्शन जैनेंद्र द्वारा लिखा गया एक सार्थक निबंध है। इसमें निबंधकार ने सहज, सरल और प्रभावी भाषा का प्रयोग किया है। शब्दावली में कुछेक अन्य भाषाओं के शब्द भी आए हैं। लेकिन ये शब्द कठिन नहीं हैं। पाठक सहजता से इन्हें ग्रहण कर लेता है। भाषा की दृष्टि से यह एक सफल और प्रभावशाली निबंध है। वाक्य छोटे-छोटे हैं जो निबंध को अधिक संप्रेषणीय बनाते हैं।
प्रश्न 2.‘बाज़ार दर्शन’ निबंध किस प्रकार का है?उत्तर:निबंध प्रकार की दृष्टि से बाजार दर्शन को वर्णनात्मक निबंध कहा जा सकता है। निबंधकार ने हर स्थिति, घटाने का वर्णन किया है। प्रत्येक बात को विस्तारपूर्वक प्रस्तुत किया है। वर्णनात्मकता के कारण निबंध में रोचकता और स्पष्टता दोनों आ गए हैं। वर्णनात्मक निबंध प्रायः उलझन पैदा करते हैं लेकिन इस निबंध में यह कमी नहीं है।
प्रश्न 3.इस निबंध में अन्य भाषाओं के शब्द भी आए हैं, उनका उल्लेख कीजिए।उत्तर:निबंधकार ने हिंदी के अतिरिक्त अंग्रेज़ी, उर्दू, फारस भाषा के शब्दों का स्वाभाविक प्रयोग किया है। इन शब्दों के प्रयोग से निबंध की रोचकता और सार्थकता बढ़ी है। अंग्रेज़ी के शब्द-एनर्जी, बैंक, पर्चेजिंग पावर, मनी बैग, रेल टिकट, फैंसी स्टोर, शॉपिंग मॉल, ऑर्डर आदि। उर्दू फारसी के शब्द-नाहक, पेशगी, कमज़ोर, बेहया, हरज, बाज़ार, खलल, कायल, दरकार, माल-असबाब।
प्रश्न 4.निबंध में किस प्रकार की शैली का प्रयोग किया गया है।उत्तर:प्रस्तुत निबंध में जैनेंद्र जी ने मुख्य रूप से वर्णनात्मक, व्याख्यात्मक, उदाहरण आदि शैलियों का प्रयोग किया है। इन शैलियों के प्रयोग से निबंध की भाव संप्रेषणीयता बढ़ी है। साथ ही स्पष्टता और सरलता के गुण भी आ गए हैं। निबंधकार ने इन शैलियों का प्रयोग स्वाभाविक ढंग से किया है। इस कारण निबंध की रोचकता में वृद्धि हुई है। इनके कारण पाठक एक बैठक में निबंध को पढ़ लेना चाहता है।
प्रश्न 5.बाजार दर्शन से क्या अभिप्राय है?उत्तर:बाजार दर्शन से लेखक का अभिप्राय है बाज़ार के दर्शन करवाना अर्थात् बाज़ार के बारे में बताना कि कौन-कौन सी चीजें मिलती हैं कि वस्तुओं की बिक्री ज्यादा होती है। यह बाज़ार किस तरह आकर्षित करता है। लोग क्यों बाज़ार से ही आकर्षित होते हैं।
प्रश्न 6.उपभोक्तावादी संस्कृति क्या है?उत्तर:उपभोक्तावादी संस्कृति वास्तव में उपभोक्ताओं का समूह है। उपभोक्ता बाज़ार से सामान खरीदते हैं। यह वर्ग ही बाजार पैदा करता है। लोग अपने उपभोग की सारी वस्तुएँ बाज़ार से खरीदकर उनका उपभोग करते हैं। बाज़ार का सारा कारोबार इन्हीं पर निर्भर होता है।
प्रश्न 7.कौन-से लोग फिजूल खर्ची नहीं करते?उत्तर:लेखक कहता है कि संयमी लोग फिजूल खर्ची नहीं करते। वे उसी वस्तु को खरीदते हैं जिनकी उन्हें ज़रूरत होती है। बाजार के आकर्षण में ये कभी नहीं हँसते। उन्हें अपनी ज़रूरत से मतलब है न कि बाजारूपन से। जो चाहिए वही खरीदा नहीं तो छोड़ दिया।
प्रश्न 8.भगत जी के बारे में बताइए।उत्तर:लेखक ने भगत जी पात्र का वर्णन इस निबंध में किया है। उसके माध्यम से लेखक ने संतोष का पाठ पढ़ाया है। भगत जी केवल उतना ही सामान बेचते हैं जितना की बेचकर खर्चा चलाया जा सके। जब खर्चे लायक पैसे आ गए तो सामान बेचना बंद कर दिया। कभी किसी गरीब बच्चे को मुफ्त चूरन दे दिया। लेकिन ज्यादा सामान बेचने का लालच नहीं था।
प्रश्न 9.किस तरह का बाज़ार आदमी को ज्यादा आकर्षित करता है?उत्तर:लेखक के अनुसार ‘शॉपिंग मॉल’ व्यक्ति को ज्यादा आकर्षित करता है। उनकी सजावट देखकर व्यक्ति उनसे बहुत प्रभावित हो जाता है। वह उनके आकर्षण के जाल में फँस जाता है। इसी कारण वह उन चीजों को भी खरीद लेता है जिसकी उसे कोई जरूरत नहीं होती। वास्तव में, शॉपिंग मॉल ऊँचे रेटों पर सामान बेचते हैं।
प्रश्न 10.बाज़ार का जादू क्या है? उसके चढ़ने-उतरने का मनुष्य पर क्या प्रभाव पड़ता है? ‘बाज़ार दर्शन’ पाठ के आधार पर उत्तर लिखिए। (CBSE-2009)उत्तर:बाजार की चमक-दमक व उसके आकर्षण में फँसकर व्यक्ति खरीददारी करता है तो यही बाजार का जादू है। बाजार का जादू मनुष्य पर तभी चलता है जब उसके पास धन होता है तथा वस्तुएँ खरीदने की निर्णय क्षमता नहीं होती। वह आराम वे अपनी शक्ति दिखाने के लिए निरर्थक चीजें खरीदता है। जब पैसे खत्म हो जाते हैं तब उसे पता चलता है कि आराम के नाम पर जो गैर जरूरी वस्तुएँ उसने खरीदी हैं, वे अशांति उत्पन्न करने वाली है। वह झल्लाता है, परंतु उसका अभिमान उसे तुष्ट करता है।
प्रश्न 11.भगत जी बाज़ार को सार्थक व समाज को शांत कैसे कर रहे हैं?अथवा‘बाज़ार दर्शन’ के लेखक ने भगत जी का उदाहरण क्यों दिया है? स्पष्ट कीजिए।उत्तर:लेखक ने इस निबंध में भगत जी का उदाहरण दिया है जो बाज़ार से काला नमक व जीरा लाकर वापस लौटते हैं। इन पर बाज़ार का आकर्षण काम नहीं करता क्योंकि इन्हें अपनी ज़रूरत का ज्ञान है। इससे पता चलता है कि मन पर नियंत्रण वाले व्यक्ति पर बाजार का कोई प्रभाव नहीं होता। ऐसे व्यक्ति बाजार को सही सार्थकता प्रदान करते हैं। दूसरे, उनका यह रुख समाज में शांति पैदा करता है क्योंकि यह पैसे की पावर नहीं दिखाता। यह प्रतिस्पर्धा नहीं उत्पन्न करता।
प्रश्न 12.खाली मन तथा भरी जेब से लेखक का क्या आशय है? ये बातें बाजार को कैसे प्रभावित करती हैं? (CBSE-2014)उत्तर:खाली मन तथा जेब भरी होने से लेखक का आशय है कि मन में किसी निश्चित वस्तु को खरीदने की निर्णय शक्ति का न होना तथा मनुष्य के पास धन होना। ऐसे व्यक्तियों पर बाज़ार अपने चमकदमक से कब्जा कर लेता है। वे गैर ज़रूरी चीजें खरीदते हैं।
प्रश्न 13.‘बाज़ार दर्शन’ पाठ के आधार पर ‘पैसे की व्यंग्य शक्ति’ कथन को स्पष्ट कीजिए। (CBSE-2015, 2016)उत्तर:लेखक बताता है कि पैसे में व्यंग्य शक्ति होती है। यदि कोई समर्थ व्यक्ति दूसरे के सामने किसी महंगी वस्तु को खरीदे तो दूसरा व्यक्ति स्वयं को हीन महसूस करता है। पैदल या दोपहिया वाहन चालक के पास से धूल उड़ाती कार चली जाए तो वह परेशान हो उठता है। वह स्वयं को कोसता रहता है। वह भी कार खरीदने के पीछे लग जाता है। इसी कारण बाज़ार में माँग बढ़ती है।
प्रश्न 14.‘बाज़ार दर्शन’ पाठ के आधार पर बताइए कि पैसे की पावर का रस किन दो रूपों में प्राप्त किया जाता है?उत्तर:पैसे की पावर का रस फिजूल की वस्तुएँ खरीदने, माल असबाब, मकान-कोठी आदि के द्वारा लिया जाता है। यदि पैसा खर्च न भी किया जाए तो अधिक धन पास रहने से भी गर्व का अ��ुभव किया जा सकता है।
प्रश्न 15.‘बाज़ार दर्शन’ निबंध उपभोक्तावाद एवं बाज़ारवाद की अंतर्वस्तु को समझाने में बेजोड़ है।’-उदाहरण देकर इस कथन पर अपने विचार प्रस्तुत कीजिए। (CBSE-2013)उत्तर:यह निबंध उपभोक्तावाद एवं बाजारवाद की अंतर्वस्तु को समझाने में बेजोड़ है। लेखक बताता है कि बाजार का आकर्षण मानव मन को भटका देता है। वह उसे ऐशोआराम की वस्तुएँ खरीदने की तरह आकर्षित करता है। लेखक ने भगत जी के माध्यम से नियंत्रित खरीददारी का महत्त्व भी प्रतिपादित किया है। बाजार मनुष्य की ज़रूरतें पूरी करें। इसी में उसकी सार्थकता है, अन्यथा यह समाज में ईर्ष्या, तृष्णा, असंतोष, लूटखसोट को बढ़ावा देता है।
प्रश्न 16.बाज़ार जाते समय आपको किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? ‘बाज़ार दर्शन’ पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए। (CBSE-2014)उत्तर:बाज़ार जाते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए
हमें ज़रूरत के सामान की सूची बनानी चाहिए।
हमें बाजार के आकर्षण से बचना चाहिए।
हमारा मन निश्चित खरीददारी के लिए होना चाहिए।
बाज़ार में क्रयक्षमता का प्रदर्शन ने करके जरूरत का सामान लेना चाहिए।
बाजार में असंतोष व हीन भावना से दूर रहना चाहिए।
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राशिफल: 11 अक्टूबर 2017 बुधवार
बेजन दारूवाला मेष (Aries): आज आप विचारों की अत्यधिक गतिशीलता से दुविधा का अनुभव कर सकते हैं। इस स्थिति के कारण किसी एक निर्णय पर पहुंचने में दिक्कत आ सकती है। आज का दिन आपके लिए नौकरी-धंधे के क्षेत्र में स्पर्धा युक्त रहेगा। आप इससे बाहर आने की कोशिश करेंगे। आज कुछ नया काम शुरु करने की प्रेरणा मिलेगी और आप कार्य आरंभ भी कर सकेंगे। छोटा या नजदीक का प्रयास होगा, लेखन कार्य के लिए दिन अच्छा है। आज बौद्धिक तथा तार्किक विचार विनिमय को अवकाश मिलेगा। वृषभ (Taurus): आज आपका दुविधापूर्ण व्यवहार आपको मुश्किल में डाल सकता है। इस कारण कुछ महत्वपूर्ण समय खराब हो सकता है। आपके जिद्दी स्वभाव को आज त्याग दें, नहीं तो किसी के साथ चर्चा विवाद के स्तर तक पहुंच सकती है। हो सकता है आज किसी यात्रा को टालना पड़े। आज लेखक, कारीगर और कलाकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिलेगा। आप अपनी सुमधुरवाणी से किसी को मना सकेंगे। अनिर्णायक परिस्थिति में नया काम शुरू न करने की गणेशजी सलाह देते हैं। मिथुन (Gemini): गणेशजी कहते हैं कि तन-मन की ताजगी के अनुभव के साथ आज की शुरुआत होगी। घर या कहीं बाहर दोस्तों तथा परिवार के साथ आप खाना खाने जा सकते हैं। कहीं घूमने जाना हो सकता है। आर्थिक लाभ मिलने के योग हैं। मन में किसी भी प्रकार की नकारात्मक भावना को प्रवेश न करने दें, ऐसी गणेशजी की सलाह है। हरेक स्थिति में मन को सकारात्मक रखना। कर्क (Cancer): गणेशजी कहते हैं कि आज ज्यादा खर्च का दिन है। परिवार का वातावरण भी ज्यादा अच्छा नहीं होगा। कुटुंब के लोगों के साथ मतभेद हो सकते हैं। मन में अनेक प्रकार की अनिश्चितता के कारण मानसिक बेचैनी रहेगी। मन दुविधायुक्त रहेगा। बोलने पर संयम रखें। किसी के साथ वाद-विवाद या झगडे़ में पड़ने से मामला खराब हो सकता है। गलतफहमी के बारे में स्पष्टता करने से बात जल्दी पूरी हो जाएगी। आरोग्य के प्रति लापरवाह न रहें। मान-प्रतिष्ठा पर आंच आ सकती है। सिंह (Leo): आज किसी भी बात पर दृढ़ता से निर्णय नहीं ले सकने के कारण, आप मिला हुआ मौका गवां सकते हैं। सतर्क रहें। विचारों में आपका मन अटका हुआ रहेगा। मित्रवर्ग और विशेषकर महिला मित्र���ं से आपको लाभ मिलेगा। व्यापार में लाभ होगा। महत्वपूर्ण निर्णय आज टाल दें। अच्छा भोजन प्राप्त होगा। कन्या (Virgo): आज आप नए कार्यों से संबंधित सफल आयोजन कर सकेंगे। व्यापारी और नौकरीपेशा वर्ग दोनों के लिए आज का दिन लाभदायी होने की बात गणेशजी कहते हैं। उच्चाधिकारियों की कृपा दृष्टि से पदोन्नति की संभावना दिखाई देगी। व्यापार में लाभ की संभावनाएं हैं। गृहस्थ जीवन में आनंद का माहौल रहेगा। कुटुंब में भी प्यार रहेगा। पिता की तरफ से लाभ मिलने का संकेत गणेशजी देते हैं। तुला (Libra): आज कार्यक्षेत्र में अधिकारियों की नाराजगी सहनी पड़ सकती है। व्यवसाय में परेशानी हो सकती है। संतान के प्रति भी चिंता सता सकती है। दूर के प्रवास का आयोजन होगा। धार्मिक यात्रा का भी योग है। लेखन, साहित्य सर्जन कर सकेंगे। प्रतिस्पर्धियों के साथ वाद-विवाद टालें। पढ़ें: ये हैं इस सप्ताह के व्रत त्योहार (9 से 15 अक्टूबर 2017) वृश्चिक (Scorpio): गणेशजी वर्तमान समय शांतिपूर्वक बीताने को कहते हैं। गुस्से को काबू में रखें। अनैतिक कार्यों से दूर रहें। आज कोई नया संबंध बनाने से पहले विचार लें। धन खर्च ज्यादा होने से आर्थिक परेशानी का अनुभव करेंगे। आपका काम समय से पूरा नहीं होगा। खाने-पीने में ध्यान रखें। शारीरिक-मानसिक अस्वस्थता रहेगी। योग ध्यान और आध्यात्मिकता द्वारा मन को शांति मिलेगी। धनु (Sagittarius): आज बौद्धिक, तार्किक, विचार-विनिमय के लिए समय बहुत अच्छा है। समाज में सम्मान मिलेगा। मित्रों के साथ मुलाकात होगी। उनके साथ घूमने-फिरने का अवसर मिलेगा। अच्छे भोजन और सुंदर परिधान से आपका मन खुश रहेगा। स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। विपरीत लिंग के व्यक्तियों का साथ अच्छा लगेगा। भागीदारी लाभदायक बनेगी। मकर (Capricorn):आपको व्यापार-धंधे में खूब सफलता मिलेगी। आज कानूनी पचड़ों से दूर रहें। व्यवसायिक योजना सफलतापूर्वक संपन्न होगी। पैसों का लेन-देन उचित रहेगा। आज विदेश में व्यवसाय करनेवालों को फायदा होगा। परिवार के साथ आनंदपूर्वक समय बिता सकेंगे। धन लाभ का योग है। कार्य में यश मिलेगा। प्रतिस्पर्धियों को पराजित कर सकेंगे। कुंभ (Aquarius): गणेशजी कहते हैं कि आज आप बौद्धिक शक्ति से लेखनकार्य और सृजन कार्य अच्छी तरह से पूरे कर सकेंगे। आज विचारों में स्थिरता का अभाव रह सकता है। स्त्री वर्ग अपनी वाणी पर काबू रखे। संभव हो तो यात्रा प्रवास न करें। बच्चों के प्रश्न चिंतित करेंगे। नए काम की शुरुआत आज न करें। आकस्मिक खर्च की तैयारी रखनी पडे़गी। मीन (Pisces): गणेशजी मकान, वाहन या अन्य जरूरी दस्तावेजों को अत्यंत संभालकर रखने की सलाह देते हैं। परिवार का माहौल बिगडे़ नहीं इसके लिए वाद-विवाद टालें। माता के स्वास्थ्य का ध्यान ��खें। धन-प्रतिष्ठा की हानि हो सकती है। महिलाओं के साथ व्यवहार में सावधानी रखें। आज पानी से बचकर रहें और अपनी भावुकता पर नियंत्रण रखें। ये दिक्कतें क्षणिक हैं, जल्द सब ठीक होगा। मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट। http://dlvr.it/PthNYC
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